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Kaali is to marry in 3 years. Guess what happens


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Lefty69

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बहुत ही लाजवाब अपडेट कहानी लगता है अपने अंत की तरफ बढ़ रही है
Nahi mitra,
Kahani ka naam Sex Slaves (ek se jyada) hai, to Kaali ki shadi ke baad koi aur aayegi. Par kaise? Kaali apne malik se door rahegi?
 
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Nahi mitra,
Kahani ka naam Sex Slaves (ek se jyada) hai, to Kaali ki shadi ke baad koi aur aayegi. Par kaise? Kaali apne malik se door rahegi?
puri fauj bana do slaves....amar jab chahe jise chahe use chode
 
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अगले 2 दिन काली की जिंदगी के बेहद यादगार दिन बने। काली को पता चला की औरत मर्द न केवल दिन दहाड़े चुधाई कर सकते हैं पर आधी रात को या नहाते हुए या खुले में पेड़ों की छांव में भी।


काली और अमर सोमवार सुबह घर लौटे तो अमर काली के साथ नहाकर उसकी गांड़ में अपनी मलाई भर कर हॉस्पिटल चला गया। काली ने अपने आप को याद दिलाया की वह पत्नी नही गुलाम है और उसे अपनी औकात भूलने का कोई हक नहीं।


सोमवार दोपहर को अमर ने काली को इस बात की याद दिलाते हुए खाना खाने के बाद पढ़ाई के बारे में पूछा। काली का दसवीं कक्षा के इम्तहान में नाम दर्ज कराया गया था। काली ने अपनी पढ़ाई ठीक से करते हुए मालिक को शिकायत का कोई मौका नहीं दिया।


तीन महीने बाद जब काली ने दसवीं कक्षा का इम्तहान दिया तो अमर ने काली से उसके नंबर आने की उम्मीद पूछी। अच्छे नंबर की उम्मीद जान कर अमर ने काली के लिए नए कपड़े खरीद कर तोहफा देना चाहा।


काली, “फिर से नए कपड़े क्यों? यह कपड़े अब भी अच्छे हैं!”


अमर मुस्कुराकर, “काली, पिछले कुछ महीनों में तुम्हारा बदन सही पोषण और कसरत से भर गया है। अब देखो तुम्हारा कड़ा भी हाथ से नहीं निकलता!”


अपनी गुलामी की निशानी को ऐसे अपने साथ जुड़ा हुआ देख कर काली ने गहरी सांस ली और मुस्कुराई।


काली, “मैं जानती हूं की यह कपड़े काफी तंग हो गए हैं। पर इतना खर्चा करने की मेरी हिम्मत नही। क्या आप मेरे लिए कपड़ा ला सकते हैं? मैं अपने कपड़े खुद सी लूंगी।”


अमर जानता था कि काली अपने कपड़ों को खुद ढीला कर इस्तमाल कर रही थी तो वह मान गया। अगले शनिवार अमर काली को कपड़ा मार्केट ले गया। काली को किसी छोटी बच्ची की तरह खुश होकर इधर उधर दौड़ते हुए देख कर अमर देखता ही रह गया।


काली ने कई तरह के कपड़े और lace लिए ताकि वह अच्छे कपड़े बना पाए। अमर ने काली को दसवीं कक्षा के तोहफे में एक सिलाई मशीन भी दी।


काली को पता भी नही चला कब उसने अमर के कहने पर बारहवीं कक्षा भी पास कर टेलर का कोर्स कर लिया।


अमर से मिलने के ढाई साल बाद जब काली को अचानक पता चला कि उसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी है तो वह दंग रह गई।


अमर ने काली को अपनी गोद में बिठा कर उस से उसके भविष्य की बात की।


काली की आंखों में आंसू भर आए, “आप मुझे छोड़ रहे हो?”


अमर, “काली, तुम मेरे लिए कभी गुलाम नहीं थी! पर मैं तुम्हारे लिए बहुत बूढ़ा हूं। तुम्हें अपनी उम्र के लोगों की जरूरत है। मुझे डर है कि अगर तुम घर में अकेली रहती हो यह कोई जान गया तो वह तुम्हारा फायदा उठा सकता है। अब तक तुम पढ़ाई में व्यस्त थी तो मुझे डर नहीं था।”


काली गुस्से में, “आप को लगता है कि मैं किसी के बहकावे में आ कर भाग जाऊंगी?”


अमर मुस्कुराकर काली को शांत करते हुए, “काली, लोग बहुत खराब हैं। अगर किसी ने तुम्हें बहकाया तो तुम्हारे साथ बहुत बुरा हो सकता है। लेकिन अगर तुम बाहर लोगों में रहो तो कोई तुम्हारे साथ ऐसी हरकत नहीं कर सकता।”


काली आखिर कार मान गई पर उसे पता नहीं था कि वह क्या करे। अमर ने काली को कपड़ों की दुकान शुरू करने का सुझाव दिया। काली ने जब लागत के बारे में सुना तो वह डर गई।


काली सहमी हुई आंखों से, “मालिक, इस दुकान को शुरू करने में 2 लाख रुपए लगेंगे! इतना पैसा… कैसे?”


अमर मुस्कुराकर, “मैं तुम्हें उधार देता हूं। दुकान चलेगी तो तुम मेरा पैसा लौटा देना!”


काली अपने मालिक को मना नही कर सकती थी इस लिए पूरी मेहनत से काम में जुट गई। अमर ने नए दुकान के तोहफे के तौर पर काली के दुकान का बोर्ड बनवाया।


“KAALI CREATIONS ”


काली की दुकान किराए की थी जिसके मालिक एक बुजुर्ग जोड़ा था। आदमी पहले छोटा मोटा धंधा चलता था पर पैसा ज्यादा नहीं कमाता था। जोड़े का इकलौता बेटा वृषभ बहुत होशियार और मेहनती था।


वृषभ ने इंजीनियरिंग करते ही अफ्रीका में बड़ी नौकरी पकड़ ली। वहां रहकर उसने अपने माता पिता को हर महीने पैसा भेज कर उन्हें मदद की। पिछले 2 साल से वृषभ ने वहां से import export का कारोबार शुरू कर दिया था जिस से वह सब अचानक से अमीर हो गए थे।


काली अक्सर बूढ़ा बूढ़ी से बातें करते हुए अपनी दुकान चलाती पर उसे बुढ़िया की चाल समझ नहीं आई। अमर ने जब काली से यह बातें सुनी तो वह समझ गया कि बुढ़िया काली को अपनी बहु बनाने की फिरात में है।


काली की मीठी जुबान, उसूलों से काम, मेहनत और लगन जल्द ही रंग लाई। काली के नाम का चर्चा इलाके में हो गया और काली के दुकान में लोगों की भरमार हो गई।


इसी तरह एक दिन काली ने उसके दुकान में एक जवान लड़के को उलझन में खड़ा पाया। लड़कियों के कपड़ों में घिरा वह लंबा चौड़ा जवान कुछ शरमाया सा दिख रहा था।


काली, “क्या मैं आप की कोई सहायता कर सकती हूं?”


लड़का काली को कुछ पल देखता रह गया और फिर बुदबुदाया, “नहीं… मैं बस… वो… आप कौन?”


काली हंस पड़ी और लड़के का चेहरा लाल हो गया।


काली, “मैं, Kaali creations की काली! बताइए मैं आप की क्या सहायता कर सकती हूं?”


लड़का चक्राकार काली के पीछे टंगे हुए ब्रा पैंटी से नजर मोड लेता तो शादी का जोड़ा दिखता। वहां से नजर चुराता तो काली की नटखट मुस्कान में खो जाता। लड़के ने अपनी कॉलर को सही करते हुए काली को देखा और काली हंस पड़ी।


काली आंख मार कर, “यहां किसी ने मिलने को कहा है?”


लड़का, “नहीं!!… (बुदबुदाते हुए)मतलब हां… पर वैसे नहीं!”


काली मुस्कुराकर, “बहन ने किसी बात का बदला लेना है? या गर्लफ्रेंड को मनाना है?”


लड़का, “मेरी कोई गर्लफ्रेंड या बहन नहीं! मैं तो मां…”


काली मुस्कुराकर, “मां के लिए undergarments लेना बेटे के लिए सच में मुश्किल होता है। उनकी कोई फोटो है?”


लड़के ने चैन की सांस लेकर अपने वॉलेट में से दुकान मालिक की तस्वीर निकाली।


काली को तस्वीर दिखाते हुए, “मैं वृषभ, आज ही मोगादिशु से लौटा हूं। मां ने मुझे दुकान में बुलाया था पर बताया नही की इसे किराए पर दिया है।”


काली की आंखें चमक उठी।


काली, “ओह!! आप हैं वृषभ! मैने आप के बारे में काफी सुना है! मांजी आप ही की बातें करती हैं। उनकी बातों को सुनकर आप कभी शरारती लड़के लगते थे तो कभी अफ्रीकी शेरों से कुश्ती करते Tarzan। आप बैठ जाइए मांजी किसी काम से बाहर गई हैं, जल्द ही लौट आएंगी।”


वृषभ लड़कियों के कपड़ों के इस दुकान में छोटे गुलाबी स्टूल पर बैठा गुड़िया के खेल में फंसा हुआ लड़का दिख रहा था। काली आंखों के कोनों से वृषभ को ताड़ रही थी।


वृषभ 26 वर्ष का सुडौल नौजवान था। उसके भरे हुए गठीले बदन पर तना हुआ शर्ट मेहनत का सबूत था तो उसके चौड़े माथे पर सरक कर आते घने काले बाल उसके चेहरे से उसकी होशियारी छुपा नहीं रहे थे। काली वृषभ के कपड़ों को देख समझ गई कि यह आदमी शर्मिला नहीं है पर इस तरह चौंकाए जाने से उलझन में है।


काली ने मांजी को फोन किया पर हमेशा की तरह वह फोन घर पर भूल गई थी। काली को वृषभ पर तरस आया और उसने वृषभ से बातें करते हुए काम करना शुरू किया।


वृषभ भी अब काली को अच्छी तरह ताड़ चुका था। वृषभ सोमालिया की अराजकता में 3 साल बिता कर लौटा था। उसके लिए ना गोरी चमड़ी मायने रखती थी और ना ही झूठे वादे। काली की सांवली त्वचा में भी उसका आत्मविश्वास वृषभ पर अपनी अनोखी छाप छोड़ रहा था। काली के एक हाथ में दो चूड़ियां खनक रही थीं तो दूसरे में एक कड़ा चमक रहा था। काली को पता भी नहीं था कि उसकी हर अदा, हर कदम, हर मुस्कान कितनी मादक है।


वृषभ को दो सालों बाद किसी लड़की को देख इतना असर हुआ था। वृषभ ने चुपके से अपनी हैंडबैग को अपनी गोद में रखा और अपने माथे से पसीना पोंछने का नाटक करते हुए अपनी आंखें बंद कर अफ्रीका में बिताया पहला साल याद कर अपने आप पर काबू पाने की नाकाम कोशिश करने लगा।


काली, “आप अफ्रीका से लौटे हो फिर भी यहां सर्दी में पसीने छूट रहे हैं? आप की तबियत तो ठीक है?”


काली के हाथों से ठंडे पानी का ग्लास लेकर अपने आप को उसकी खुशबू सूंघते हुए पाकर वृषभ चौंक गया। पानी गलत रास्ते चला गया और बेचारा वृषभ जोरों से खांसने लगा। काली ने वृषभ की पीठ को जोर से थपथपाया और वृषभ ढेर हो गया।


वृषभ अपने आप को काबू करते हुए, “आप अकेली… आप के पति…?”


काली को ऐसे सवालों की आदत हो गई थी पर आज उसने अपने कड़े को पकड़ कर, “नहीं। कोई पति नही।”


वृषभ, “कैसे?”


काली चौंककर, “मतलब? दुकान चलाने के लिए पति जरूरी है क्या? या मेरी उम्र इतनी ज्यादा दिखती है?”


वृषभ काली के सवालों से डर गया और काली उसका चेहरा देख कर हंस पड़ी। मधुर संगीत की घंटियों की खनक की तरह वह हंसी सुनकर वृषभ भी दो सालों बाद मुस्कुराया।


वृषभ, “मेरा मतलब आप जैसी खूबसूरत, (दुकान की ओर इशारा कर) कामियाब और (designs की ओर इशारा कर) होशियार लड़की को अभी तक किसी ने छोड़ा कैसे? क्या मेरे जाने के बाद भारत में लड़के अंधे हो गए?”


काली फिर से हंस पड़ी, “क्या आप मेरे साथ flirt कर रहे हैं? अफ्रीका में कोई छुपाई नहीं है?”


वृषभ, “अफ्रीका में कबीले की औरतों को देखना मतलब मौत को दावत देना! वैसे भी वहां बीमारियों की कमी नहीं। नही, अब घर भी यहीं और कारोबार भी!”


काली मुस्कुराकर, “आप के लिए मांजी ने जरूर कोई लड़की देख रखी होगी। आप जैसे गोरे और अच्छे लड़के को कई गोरी और सुंदर लड़कियां पसंद करेंगी!”


दरवाजा खुला और काली ने मुस्कुराते हुए उधर देखा।


वृषभ चुपके से, “सुंदरता गोरी चमड़ी से नहीं होती।”


मांजी ने अपने बेटे को शादी के जोड़े के नीचे ब्रा के सामने बैठा देखा और दौड़ते हुए अंदर आ गई।


मांजी, “विशी तू इतने जल्दी कैसे आ गया? ट्रेन तो कितने घंटे देर से आती है!”


वृषभ मां को गले लगाकर, “मां मैं हवाई जहाज से आया हूं! वह इतनी देरी से नहीं आता। आप अपना फोन भी घर पर भूल गई थी!”


मांजी, “भला हो तेरा काली जो तूने इस निखट्टू को आसरा दिया। धूप में काला हो जाता तो इसकी शादी कैसे होती?”


काली मांजी के ताने पर हंस पड़ी और वह अपने बेटे को 3 साल बाद लौटने के लिए डांटते हुए अपने घर ले गई।


आज काली को कुछ अजीब लग रहा था। उसे उसका कड़ा भारी लग रहा था। काली ने अपने काम में मन लगाया और शाम को हमेशा की तरह घर लौटी।


रात को सोते हुए काली ने मालिक की गर्मी अपनी कोख में लेकर अपना सर उसके कंधे पर रखा। काली ने अपने मालिक को वृषभ के आने का मजेदार किस्सा सुनाया और अमर हंस पड़ा। वृषभ के बारे में बताते हुए काली की आवाज में आता बदलाव सुन अमर ने छत को देखा और आते हुए अंत की तयारी करने का मन बनाया।
jaisa maine socha tha waise hi update aya...ab dekhte hai aage kya hoga
 

Lefty69

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Ho sake to Fulwa ki tarah kali ki jindgi narak mat banana.
Kahani ek mazedaar start hua hai. Kali aage jaakar ek saktisali mahila ban sakti hai.
Hi
Hope you like this turn of events.
 

Lefty69

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अगली सुबह काली अपने मालिक को सोते हुए छोड़ कर तयार होने के लिए बाथरूम में गई। काली प्रातःविधि कर गरम पानी के नीचे खड़ी हो गई तो उसे पीछे से मालिक की आहट हुई।


अमर ने नंगी भीगी काली का मतवाला बदन पानी के नीचे इठलाता पाया और गुर्राया। अमर ने अपने मूसल पर काबू करने के बजाय उसे अपने आप को काबू करने दिया।


अमर ने पीछे से काली को पकड़ कर अपने सीने पर खींचा। काली अपने मालिक के तेवरों को आदि हो कर पानी के नीचे मुस्कुराई। अमर ने अपनी गुलाम को अपने बदन पर रगड़ते हुए उसके भरे हुए मम्मे दबाए। काली अपनी चुचियों के दबने से उत्तेजनावश कराह उठी।


अमर ने काली को अपने सीने से लगाते हुए उसके पैरों को फैलाया। काली की भीगी चूत में से यौन रसों की चिकनी धारा बह रही थी। अमर की उंगलियों ने उस रस में डुबकी लगाई और दो उंगलियों से अपनी प्रेमिका को चोदते हुए चीखने पर मजबूर किया।


काली की योनि में से रसों का सैलाब अमर की उंगलियों पर झड़ते हुए बह आया। काली ने अमर को अपने रस से भीगी उंगलियों को सूंघ कर चाटते हुए देखा और वह उत्तेजना से व्याकुल हो गई।


अमर ने काली की झड़कर कांपती जवानी में अपना मूसल एक वार में म्यान कर दिया। काली ने अपने हाथों को ऊपर उठा कर पीछे करते हुए अपने मालिक को उसके बालों से पकड़ लिया।


आज काली को मालिक का लौड़ा ज्यादा जोर से ज्यादा गहराई में जाकर ज्यादा ठूसता हुआ महसूस हो रहा था। अमर ने काली की भड़की जवानी को स्खलन तक ताबड़तोड़ चोदते हुए उत्तेजित किया।


जैसे ही काली झड़ने लगी तो उसकी गांड़ ढीली हो गई। अमर ने इसका फायदा उठाकर काली को अपनी उंगलियों से सहलाकर झड़ते हुए रख कर अपने लिंग को काली के पिछवाड़े की गहराई में पेल दिया।


काली अपने मालिक की होशियार उंगलियों से चुधती उसके जानलेवा लौड़े पर अपनी गांड़ मराने लगी। अमर ने काली को जम कर चोदते हुए उसके बदन को तबियत से लूटा। अमर ने काली की गांड़ पूरे 12 मिनट मारी और फिर उसकी आतों को रंगते हुए झड़ गया।


काली हमेशा की तरह मालिक की बाहों में झड़ने का हिसाब भूल चुकी थी। दोनों शॉवर के नीचे थक कर बैठे अपनी सांसों को गिनने लगे।


काली, “मालिक…

उन्मम!!…”


अमर ने काली के माथे पर चूमा पर कुछ नहीं कहा।


काली 10 मिनट बाद मालिक को उसे देरी कराने के लिए डांटते हुए चली गई। अमर ने काली को अफसोस भरी आंखों से देखा पर कुछ नहीं कहा।


काली अपने दुकान पर पहुंची तो उसने वृषभ को स्टूल पर खड़े होकर शटर खोलता पाया।


काली चौंक कर, “क्या हो रहा है?”


वृषभ चौंक कर घूम गया तो वह स्टूल पर से गिरने लगा। काली मदद करने आगे बढ़ी पर वृषभ के भरी शरीर के नीचे दब गई। अगर वृषभ ने आखरी पल में पलटी मारी नहीं होती तो काली स्टूल पर से गिरते वृषभ से जरूर चोट खाती।


वृषभ ने आखरी पल में पलटी मारते हुए काली को अपने ऊपर लिया पर खुद को बचा नहीं पाया। वृषभ की आंखों के सामने तारे चमक रहे थे तो काली ने उसे बैठने में मदद की।


वृषभ, “बाबा ने बोला की शटर भारी हो गया है तो अंदर की स्प्रिंग पर ग्रीस लगा रहा था।”


काली वृषभ को पानी देते हुए, “आप इंजीनियर हैं पर मुझे नहीं लगता कि आप को यह काम सिखाया गया है।”


वृषभ काली के ताने से हंसकर, “जरा यह बात मां को भी बताना!!”


दोनों कुछ देर के लिए बातें करते हुए दुकान में बैठे रहे और फिर वृषभ अपने घर लौटा। ऐसी मुलाकातें हर दिन होने लगी जब वृषभ ने बगल की दुकान में अपना ऑफिस बनाया। वृषभ का ऑफिस बस नाम का था क्योंकि उसका सारा धंधा फोन से होता था।


वृषभ ने सोमालिया के कबीले के लोगों को किसी खास मुश्किल में मदद की थी। इस लिए वह लोग वृषभ पर भरोसा करते थे और वहां का कच्चा माल पाने के लिए लोग दुनिया भर से वृषभ को ढूंढते हुए आते।


तीन महीने पलक झपकते बीत गए और एक दोपहर काली रोते हुए घर लौटी। काली खाना खाने आए अमर को बताने से इंकार कर रही थी पर उसका रोना बंद नहीं हो रहा था। अमर ने आखिर में काली को आदेश दिया और काली को सच्चाई बतानी पड़ी।


आज दोपहर को वृषभ ने उससे शादी की बात की थी। काली अपनी सच्चाई से मजबूर कोई जवाब दिए बगैर घर भाग आई।


अमर, “तुम ने वृषभ को कोई जवाब दिए बगैर दुकान को खुला छोड़ कर भागना सही समझा?”


काली का दिल टूट रहा था पर वह वृषभ को अपनी सच्चाई बता कर उसकी नजरों में गिरना नहीं चाहती थी। अमर ने काली की हैरान आंखों के सामने वृषभ को उसके माता पिता के साथ घर पर बुलाया।


काली अमर के पैर पकड़ कर रोने लगी की उसे इन लोगों के सामने जलील न करे पर अमर पत्थर जैसा अडिग रहा। वृषभ अपने माता पिता के साथ आया तो अमर ने उनके सामने काली को बेडरूम में बंद कर दिया।


अमर, “आप सब काली को पसंद करते हैं। वृषभ तुमने कहा कि तुम काली से प्यार करते हो। पर क्या आप सब का यह प्यार सच्चाई को बोझ संभाल पाएगा?”


सारे महमान एक दूसरे को देखने लगे।


अमर, “मैं काली को गुलामों की मंडी में मिला था। वहां की लड़कियां बिक कर रंडीखाने में पहुंचती हैं। मैं गुलाम खरीदना नही चाहता था पर नसीब की बात है कि मैंने काली को खरीद लिया। मैंने कभी काली को गुलाम की तरह नहीं माना।”


वृषभ और उसके माता पिता हैरानी से सुनते रहे।


अमर, “काली का स्वभाव आप जान चुके हैं। काली को आप आज वह जैसी है पसंद करते हैं। पर शादी पूरी जिंदगी का रिश्ता है और यहां किसी भी तरह का धोखा बहुत दर्दनाक होता है। आप काली को अपने घर की बहु बना लें इस से पहले मेरी एक शर्त पूरी करनी होगी।”


वृषभ ने अपना सर हिलाकर हां कहा तो अमर मुस्कुराया।


अमर, “अब आप सच्चाई जानते हो तो आगे कभी उसकी बीती हुई जिंदगी के बारे में नहीं पूछोगे! काली बेहद खुद्दार और वफादार इंसान है। मैं नहीं चाहता कि उसे अपनी पूरी जिंदगी सच के डर से घुट घुट कर जीना पड़े। आप लोग आपस में बात कर तय कीजिए की आप के लिए क्या ज्यादा मायने रखता है। आज की काली या उसका दुख भरा अतीत?”


वृषभ अपने माता पिता के साथ अपने घर लौटा और काली किसी जख्मी जानवर की तरह बेडरूम में रोती रही। शाम को अमर ने काली को फोन कर आदेश दिया कि वह सज संवर कर तयार रहे क्योंकि वह उसे कुछ खास लोगों से मिलवाने वाला है।


काली पूरी तरह टूट चुकी थी और उसने अपनी अगली नीलामी के लिए खुद को संवारा।


रात के 10 बजे अमर अपने साथ वृषभ और उसके माता पिता को लाया। काली सब को दुबारा देख कर चौंक गई पर सब उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे।


वृषभ काली के सामने एक घुटने को नीचे रख खड़ा हो गया।


वृषभ, “काली मैं तुमसे प्यार करता हूं। तुम जैसी हो वैसी ही मेरी, हमारी पसंद हो! (अपनी जेब में से एक हीरे की अंगूठी निकालकर) क्या तुम मेरे साथ शादी कर मेरा प्यार बनना चाहती हो?”


काली ने अमर की ओर देखा तो वह मुस्कुराया।


अमर, “पहले उसे जवाब दो और फिर मेरे और तुम्हारे होने वाले सास ससुर के पैर छू कर आशीर्वाद लो!”


काली ने शर्माते हुए हां कहा और वृषभ से अंगूठी अपने बाएं हाथ की उंगली पर पहना ली। काली का हर वह सपना आज पूरा हो रहा था जिसे देखने तक कि हिम्मत उस में नहीं थी।


शादी की बात हो गई तो अमर ने काली को अपने से दूर करते हुए हॉल में सोने को कहा। काली ने अपने मालिक को मन ही मन दुआएं देते हुए अपने जाने की तयारी कर ली।


शादी के बाद इस भले आदमी को काली की जगह पर दूसरी नौकरानी मिलने तक वृषभ की मां खाना भेजने वाली थी पर काली को अपने मालिक की फिक्र हो रही थी। वृषभ बताने को तैयार नहीं था कि वह काली को शादी के बाद कहां घुमाने ले जा रहा है पर उसे पता था कि उसे अपनी दुकान 1 महीने तक चलाने के लिए किसी लड़की की जरूरत थी।


किस्मत की बात थी की एक लड़की उसी दिन उस के पास नौकरी मांगने आई। प्रिया काली से एक साल छोटी थी और खुद जल्द ही शादी करने घर से भाग आई थी। दोनों लड़कियों में जल्द ही दोस्ती हो गई।


प्रिया की चित्रकला और फैशन की समझ उसे काली क्रिएशन में काम करने के लिए बेहतरीन बनाती थी। प्रिया अगर अपने चिराग के प्यार में नहीं जलती तो काली उसे अपने मालिक अमर से जरूर मिलवाती। प्रिया को कुछ दिनों में दुकान चलाने की बारीकियां बता कर काली अपनी शादी का जोड़ा लेकर हवा में तैरती हुई शादी को तयार हो गई।

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Lefty69

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Dear readers,
Do I write a erotic scene between Kaali and वृषभ or just concentrate on Amar.

Quick response please.
 
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no need of vrishabh....just show scenes of amar n his slaves or female partner
 
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Lefty69

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no need of vrishabh....just show scenes of amar n his slaves or female partner
Thank you for your prompt reply.

Writing now

May post soon.
 

Lefty69

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Thank you Ajay Rathor for your continued support and encouragement
 
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