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काली ने प्रिया को शादी का जोड़ा बेचते हुए देखा था। प्रिया के भाव शांत या हसमुख थे पर उसकी आंखों में वही दर्द था जो काली के दिल में 2 महीने पहले तक था। शादी का जोड़ा वह कपड़ा था जिसे वह छू सकती थीं पर पाना उसकी किस्मत में नहीं था। चिराग मेहनती और ईमानदार होने के साथ गरीब भी था। दोनों प्रेमी चिराग के 21 वर्ष के होते ही कोर्ट में शादी करने वाले थे।
काली ने प्रिया को शुक्रिया अदा करने के लिए उसके लिए शादी का जोड़ा चुपके से बनाया। प्रिया की शादी से करीब 1 महीना पहले किसी ने आकर काली को बताया की चिराग और प्रिया को कोई बिना कुछ बताए ले गया है।
काली को डर था कि चिराग की बेहद अमीर मां ने प्रिया को नुकसान पहुंचाया हो सकता है। काली ने अगली सुबह तक इंतजार करने का विचार किया क्योंकि चिराग की मां का पता बस्ती में किसी को नहीं था।
अगले दिन कई महंगी गाडियां काली की बुटीक के सामने रुकी और सारी औरतें काली क्रिएशन का माल जांचने लगी। काली ने प्रिया को देखा और राहत की सांस लेकर उसे गले लगाया।
काली, “मैंने सुना की तुम्हें कोई ले गया है! तुम ठीक तो हो ना?”
फुलवा ने आगे बढ़ कर, “काली? ये तुम्हारी दुकान है?(मंगलसूत्र को देख कर) और तुमने शादी कर ली?”
काली फुलवा को गले लगाकर, “फुलवा दीदी! आप को देख कर बहुत अच्छा लगा! कैसी हो आप? (फुलवा के कान में रूबीना की ओर देखकर) क्या तुम प्रिया की होने वाली सास को जानती हो? चुड़ैल ने अपने बेटे को घर से निकाला था!”
फुलवा हंसकर, “ प्रिया मेरी बहु होने वाली है और हां मैंने ही इन दोनों की आंखें खोलने के लिए उन्हें घर छोड़ने पर मजबूर किया!”
काली, “पर… पर… प्रिया की सास बेहद अमीर है!”
प्रिया मुस्कुराते हुए, “दीदी अब बोलना बंद कर दो! हम बाद में मिलकर सारी बातें करेंगे। मैं सबकी पहचान करा दूं!”
काली को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके डिजाइन इन औरतों को बेहद पसंद आ रहे थे। यहां तक की फैशन जगत की हनीफा अहमद ने उसकी तारीफ करते हुए उसके बुटीक में साझेदारी करने में रुचि दिखाई थी।
प्रिया की शादी का जोड़ा बनाने में एक ही दिक्कत थी की उसे काली ने पहले ही तोहफे के तौर पर बना दिया था और अब पैसे लेने से इंकार कर रही थी। फुलवा के साथ बहस करने के बाद काली फुलवा को दुगनी कीमत में दूसरी ड्रेस देने को तैयार हो गई। काली फुलवा की संस्था के कार्यक्रम में भी कपड़े देना चाहती थी।
महिला मंडल एक नई सदस्य को अपने साथ जोड़कर spa day तय करने के बाद घर लौटा।
Spa day और ब्यूटी पार्लर में पूरा दिन उड़ाने के बाद शादी के दिन सारी औरतें अपने मर्दों का दिल जलाने को तयार थीं। शादी ज्यादा बड़ी नहीं थी पर फुलवा के सारे दोस्तों को देखकर काली को विश्वास नहीं हो रहा था।
काली का रूप देखकर वृषभ तो किसी सांड की तरह काली की ओर लपका। काली की चीखों का मतलब कोई भी नई दुल्हन समझ सकती थी।
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अमर डॉक्टर था तो वह चंदा की हालत समझ सकता था और उसके बुरे असर को बखूबी जानता था। चंदा सिर्फ पूछने पर जवाब देती, ना पढ़ाई करती और ना ही कोई रुचि लेती। चंदा अपने खाली समय में अधर में देखती बस बैठी रहती। चंदा अपनों के धोखे और गुलामी के बोझ से दबकर depression की शिकार हो गई थी। अगर उसका सही इलाज नहीं किया गया तो चंदा अमर की बीवी की तरह खुदकुशी भी कर सकती थी।
अमर ने अपने हॉस्पिटल में से 3 दिन की छुट्टी निकाली और चंदा से कहा की वह 3 दिन घूमने जाने की तयारी कर ले। चंदा ने कोई सवाल नहीं पूछा और अमर के लिए बैग भर दी। अमर के कहने पर चंदा ने अपनी भी बैग भर दी।
2 दिन बाद अमर ने चंदा को हवाई जहाज से राजस्थान लाया। दोनों ने वहां के एक अच्छे होटल में रात गुजारी और अमर ने अगली सुबह होटल से गाड़ी मंगवाई।
अमर गाड़ी खुद चलाते हुए एक गांव पहुंचा। गांव पहुंचते ही लोग उनकी गाड़ी के करीब आ गए।
मर्द 1, “साहब आइए! मेरा घर पास ही है! आप की अच्छी खातिरदारी होगी!”
मर्द 2, “साहब मेरे घर आइए! मेमसाहब के लिए भी अच्छी सहेली मिलेगी! सुबह का पहला स्वागत होगा!”
लोगों की बातें सुनकर चंदा चकरा गई पर अमर गंभीर हो गया।
अमर, “हम डॉक्टर यश से मिलने आए हैं।”
यश का नाम सुनकर सब ऐसे दूर हो गए जैसे अमर को कोई छूत की बीमारी हो।
अमर गाड़ी चलाते हुए, “चंदा तुम समझी नहीं होगी इस लिए बताता हूं। यह वैश्याओं का गांव है। यहां की हर औरत वैश्या और हर मर्द दलाल है।”
गाडी सरकारी दवाखाने के सामने रुकी और अमर की उम्र का आदमी बाहर आया। अमर और चंदा गाड़ी में से बाहर आए और अमर ने यश को गले लगाया। दोनों ने कुछ बातें की और अमर ने यश को मिठाई की गोलियों का बड़ा पैकेट दिया। यश ने चंदा को देखा और मुस्कुराया।
यश, “हेलो चंदा, कैसी हो?”
चंदा डर गई की अमर उस से ऊब कर उसे बेचने यहां लाया है। पर यश की आंखों में चलकता दर्द और हमदर्दी देख वह चुप रही। यश के साथ उसके मेहमान गांव में सैर करने निकले।
गांव के मर्द यश से दूर होते, या गाली देते यहां तक की उस पर थूकते पर औरतें उस से दवाइयां, खास कर गर्भनिरोधक गोलियां लेती। बच्चे यश को देख सबसे ज्यादा खुश होते और उस से अमर की लाई मिठाई की गोलियां लेते।
यश, “चंदा मैं तुम्हारे बारे में अमर से जान चुका हूं। तुम्हें यहां लाने की सलाह मैने दी। तुम्हें यह दिखाने की तुम कितनी खुश नसीब हो।”
चंदा चौंक कर, “गुलामी में बेचे जाने से?”
यश कुछ लड़कियों को घर के बाहर खेलता देखकर, “उस मासूमियत को देखो! इन लड़कियों को बचपन से बताया जाता है की इन्हें वैश्या बनना होगा। स्कूल के मास्टर भी इन्हें कहते है की पढ़ाई करके क्या करोगी? यहां की हर औलाद किसी राहगीर की निशानी है। लड़के या तो कम उम्र में भाग जाते हैं या यहीं पर खड़े हो कर अपनी मां और बहन का सौदा करते हैं।”
आखरी दरवाजे पर दस्तक देकर यश रुक गया पर दरवाजा नहीं खुला। यश का चेहरा अपराधी भाव से भर गया और अमर ने उसके कंधे पर हाथ रखा।
अमर, “एक दिन वह दरवाजा खोलेगी…”
यश ने दवाइयों का पैकेट दरवाजे में रखा और सब लौटे।
अमर, “यश ने अपनी बहन से वादा किया था कि वह उसे इस जिंदगी में जाने से बचाएगा। हमारी परीक्षा के दौरान कच्ची उम्र में ही उसकी बहन की नथ उतारी गई। दोनों ने भी यश को कभी माफ नहीं किया!”
चंदा, “दोनों?… (यश को देख कर) आप, अपने आप को दोषी नहीं मान सकते! आप तो सच्चाई जानते हैं!”
यश, “सच में?…”
अमर चंदा को वापस होटल ले आया पर पूरे रास्ते चंदा खामोश थी। होटल पहुंचकर अमर ने चंदा को नहाने भेजा और खुद होटल से खाना मंगवाने लगा। खाना आने तक चंदा नहाकर बाहर आई और अमर नहाने चला गया।
चुप्पी साधे खाना खाने के बाद अमर को देख चंदा ने अपना मौन तोड़ा।
चंदा, “thank you मालिक। आप ने मेरी आंखें खोली। मुझे लग रहा था की मैं कितनी बदनसीब हूं पर आज मुझे पता चला की मैं तो फिर भी सोच सकती हूं। वहां की बेचारी औरतों, बच्चियों को तो आजादी का मतलब ही पता नहीं।”
अमर ने चंदा के हाथ को उसके कड़े से थाम कर, “चंदा तुम सिर्फ तब तक मेरी गुलाम हो जब तक तुम अपने आप को मेरी गुलाम मानो! तुम चाहो तो तुम अभी से आजाद हो!”
चंदा मुस्कुराई, “क्या इसी वजह से जब से मेरा मासिक धर्म खत्म हुआ है आप ने मुझे अपने बिस्तर से दूर रखा?”
अमर, “मैंने कभी किसी औरत के साथ जबरदस्ती नहीं की और अब इसकी शुरुवात नहीं करना चाहता।”
चंदा, “काली ने कहा था कि आप ने उसे पढ़ाई करने में मदद की। मैं 12वी कक्षा तक पढ़ चुकी हूं। आप मुझे कहां तक पढ़ने में मदद कर सकते हो?”
अमर मुस्कुराकर, “जहां तक तुम चाहो!”
चंदा, “क्या आप मुझे बस यशजी से मिलवाने यहां लाए थे?”
अमर मुस्कुराकर, “नहीं! मैं राजस्थान की खूबसूरती भी देखना चाहता हूं। अगर तुम्हारा साथ हो तो हम दोनों कल से घूमने जायेंगे!”
चंदा, “एक शर्त पर! (अमर के सर हिलाकर हां कहने पर उसके कान में) मुझे आज रात सोने नहीं देना!