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राजस्थान में 2 दिन गांड़ मरवाकर चंदा जब अपने मालिक के साथ लौटी तो वह मुरझाई कली से खिला हुआ फूल बन चुकी थी। क्योंकि अमर ने बच्चे के डर से चंदा की कोख न भरने का वादा किया था इस लिए अब चंदा सुबह नहाने के बाद, दोपहर खाना खाने से पहले और रात को सोते हुए मालिक का प्यार अपनी गांड़ में जरूर लेती।
अगर किसी दिन अमर हॉस्पिटल से थक कर लौटता तो चंदा उसे खाना खाते हुए पीठ पर मालिश कराती। इस से अमर खुश हो कर बेड पर लेट जाता और चंदा अमर का लौड़ा अपनी गांड़ में लेकर उसकी सवारी करती।
चंदा के अमर से मिलने के एक महीने बाद उसकी दूसरी मासिक धर्म शुरू हो गई। चंदा ने शर्माकर यह खबर अपने मालिक को दी और अमर ने चंदा को चूम कर अपनी खुशी जताई।
अमर की खुशी का दूसरा पैगाम अपनी गांड़ में लेकर चंदा मुस्कुराते हुए सो गई। चंदा अब गांड़ मरवाने को इतनी आदि हो गई थी कि वह सिर्फ गांड़ मरवाने से भी आसानी से झड़ जाती।
जिस दिन काली प्रिया की शादी में शरीक होने गई उस दिन चंदा बहुत विचलित थी। वह बात बात पर चौंक जाती और उसका ध्यान कहीं और था। अमर चंदा की यह हालत देख कर सोच में पड़ गया।
xforum.live
रात को हॉस्पिटल से लौट कर अमर ने खाना खाते हुए चंदा की घबराहट को देखा और अपना इरादा पक्का किया। खाना खाने के बाद अमर ने चंदा को अपने सामने बिठाया और उसके हाथ अपने हाथों में लेकर उस से बातें करने लगा।
अमर, “चंदा, आज तुम सुबह से कुछ परेशान हो। (चंदा ने सर हिलाकर मना किया) क्या काली को प्रिया की शादी में जाते हुए देख कर तुम्हें किसी की याद आ रही है?”
चंदा चौंक कर, “नहीं मालिक!!”
अमर मुस्कुराकर, “देखो चंदा, मैं तुमसे 17 साल बड़ा हूं। कुछ और साल का फर्क होता तो तुम मेरी बेटी की उम्र की होती। मैं दुबारा शादी नहीं करने वाला और इस से तुम्हें किसी और का साथ ढूंढना मुझे चोट नहीं पहुंचाएगा। लेकिन अगर तुम मुझ से बात नहीं करोगी तो यह उलझन मुझे सताती रहेगी। क्या तुम मुझे सताना चाहती हो?”
चंदा डरते हुए, “मालिक राजस्थान में पहली रात मैने आप से कीमत मांगी थी। क्या आप मेरी बात सच में मानेंगे?”
अमर चंदा को हौसला देते हुए, “जो भी तुम कहो चंदा!”
चंदा ढाढस करते हुए, “आप पढ़ाई में भी मेरी मदद करने को तैयार हैं?”
अमर, “जहां तक तुम चाहो!”
चंदा सर झुकाकर, “आप के दोस्त डॉक्टर यश ने मुझे दिखाया की अच्छे सुधार के लिए मेहनत के साथ सरकारी ओहदे की जरूरत है। मैने पिछले 1 महीने में पढ़ाई करते हुए जानकारी जुटाई की मैं और लड़कियों को मेरी तरह बिकने से कैसे बचा सकती हूं।”
अमर मुस्कुराकर, “बहुत बढ़िया काम किया चंदा! क्या पता चला?”
चंदा डर कर कांपते हुए, “वह बहुत मुश्किल है!… मैं नहीं कर पाऊंगी!”
चंदा सिसकने लगी तो अमर ने उसे अपनी गोद ले खींच लिया और सीने से लगाया। अमर की गर्मी में सहारा लेते हुए चंदा सिसकती रही।
अमर प्यार से डांटते हुए, “चंदा यह तुम्हारी पहली और आखरी गलती है! आइंदा कभी अपने आप को कम समझने की गलती मत करना! तुम होशियार हो, मेहनती हो और सबसे ज्यादा तुम कुछ करने की चाह रखती हो! तुम जो चाहो वह कर सकती हो। बोलो तुम्हें क्या करना है?”
चंदा बुदबुदाई।
अमर, “क्या?… ठीक से कहो चंदा।”
चंदा धीरे से, “मैं UPSC की परीक्षा देना चाहती हूं। पर मैं कैसे?… वहां पढ़ाई के साथ ढेर सारा पैसा और सिफारिश की जरूरत होती है!”
अमर सोचते हुए, “चंदा, अगर तुम सच में ऐसा चाहती हो, तो मैं पढ़ाई में तुम्हारी मदद करूंगा। रही बात रिश्वत और सिफारिश की तो, अगर उसके बगैर अच्छे लोग चुने नहीं जा सकते तो उस ओहदे का कोई मतलब नहीं रहा!”
चंदा की आंखों में कृतज्ञता के आंसू भर आए और अमर ने एक बड़े भाई की तरह चंदा के माथे को चूमा। चंदा ने अमर को गले लगाया और अमर उसे उठाकर अपने बिस्तर पर ले गया।
चंदा ने अमर के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अपने शरीर का सहारा लिया। अमर और चंदा ने पूरी रात एक दूसरे को अपनी खुशी और विश्वास दिखाते हुए बिताई।
अमर अपने वादे का पक्का था इस लिए उसने अगली सुबह न केवल चंदा के लिए UPSC परीक्षा की किताबें खरीदी पर चंदा को लाइब्रेरी में दाखला भी दिलाया। चंदा ने MANAGEMENT और MATHEMATICS यह दो भिन्न विषय लेकर मुंबई यूनिवर्सिटी से B. Sc. की पढ़ाई भी शुरू की।
जब काली को पता चला की अमर ने चंदा को पढ़ाई में साथ देने के लिए क्या किया है तो वह भी अपनी सहेली की मदद में जुड गई। काली अपने दो प्यारे लोगों के लिए रोज खाना भिजवाती ताकि चंदा को पढ़ाई के लिए ज्यादा वक्त मिल सके। वृषभ भी काली की भावनाओं का आदर करते हुए उसका साथ देता।
चंदा रोज सुबह जल्दी उठकर नाश्ता बनाती, फिर नहाकर अमर से अपनी गांड़ मरवाती। दोपहर को अमर हॉस्पिटल, तो चंदा लाइब्रेरी से लौटते। चंदा अमर के साथ खाना खाकर उस से खाने की मेज पर ही चुधवा लेती। शाम को जब अमर लौटता तब भी चंदा पढ़ाई कर रही होती।
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अमर प्यार से चंदा को पढ़ाई रोकने के लिए कहता और दोनों खाना खाकर सोने जाते। अमर की सवारी कर उसके रस को अपनी कोख में लेते हुए चंदा अपने दिन भर के तनाव और थकान से छुटकारा पा कर उसके सीने पर सर रख कर सो जाती।
इसी तरह दो साल बीत गए और चंदा को एक साथ B. Sc. और UPSC की परीक्षा का सामना करने की नौबत सामने आई। अमर ने चंदा से कहा कि वह एक साल बाद UPSC की परीक्षा दे पर चंदा कम से कम उम्र में नौकरी पा कर ज्यादा से ज्यादा मदद करने की जिद्द पर अड़ी हुई थी।
इसी जिद्द से अब चंदा थोड़ी चिढ़चिढ़ी हो गई थी। अमर एक अच्छे भाई की तरह चंदा का हौसला बढ़ाता और अच्छे प्रेमी की तरह उसे तनाव से मुक्ति दिलाता। चंदा के लिए अमर कोई नींद की दवा बन गया था।
चंदा के बारे में सोचते हुए एक दिन अमर हॉस्पिटल में से बाहर निकला जब उसे वहां वृषभ मिला।
राजस्थान में 2 दिन गांड़ मरवाकर चंदा जब अपने मालिक के साथ लौटी तो वह मुरझाई कली से खिला हुआ फूल बन चुकी थी। क्योंकि अमर ने बच्चे के डर से चंदा की कोख न भरने का वादा किया था इस लिए अब चंदा सुबह नहाने के बाद, दोपहर खाना खाने से पहले और रात को सोते हुए मालिक का प्यार अपनी गांड़ में जरूर लेती।
अगर किसी दिन अमर हॉस्पिटल से थक कर लौटता तो चंदा उसे खाना खाते हुए पीठ पर मालिश कराती। इस से अमर खुश हो कर बेड पर लेट जाता और चंदा अमर का लौड़ा अपनी गांड़ में लेकर उसकी सवारी करती।
चंदा के अमर से मिलने के एक महीने बाद उसकी दूसरी मासिक धर्म शुरू हो गई। चंदा ने शर्माकर यह खबर अपने मालिक को दी और अमर ने चंदा को चूम कर अपनी खुशी जताई।
अमर की खुशी का दूसरा पैगाम अपनी गांड़ में लेकर चंदा मुस्कुराते हुए सो गई। चंदा अब गांड़ मरवाने को इतनी आदि हो गई थी कि वह सिर्फ गांड़ मरवाने से भी आसानी से झड़ जाती।
जिस दिन काली प्रिया की शादी में शरीक होने गई उस दिन चंदा बहुत विचलित थी। वह बात बात पर चौंक जाती और उसका ध्यान कहीं और था। अमर चंदा की यह हालत देख कर सोच में पड़ गया।
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Erotica - बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)
Aag aur ghee aur samay seema 7 din kya hoga aur chirag kaise bacha payega bahkne se ya phir ho jayega kuch anhoni usse....yeh dekhna majedaar hoga
रात को हॉस्पिटल से लौट कर अमर ने खाना खाते हुए चंदा की घबराहट को देखा और अपना इरादा पक्का किया। खाना खाने के बाद अमर ने चंदा को अपने सामने बिठाया और उसके हाथ अपने हाथों में लेकर उस से बातें करने लगा।
अमर, “चंदा, आज तुम सुबह से कुछ परेशान हो। (चंदा ने सर हिलाकर मना किया) क्या काली को प्रिया की शादी में जाते हुए देख कर तुम्हें किसी की याद आ रही है?”
चंदा चौंक कर, “नहीं मालिक!!”
अमर मुस्कुराकर, “देखो चंदा, मैं तुमसे 17 साल बड़ा हूं। कुछ और साल का फर्क होता तो तुम मेरी बेटी की उम्र की होती। मैं दुबारा शादी नहीं करने वाला और इस से तुम्हें किसी और का साथ ढूंढना मुझे चोट नहीं पहुंचाएगा। लेकिन अगर तुम मुझ से बात नहीं करोगी तो यह उलझन मुझे सताती रहेगी। क्या तुम मुझे सताना चाहती हो?”
चंदा डरते हुए, “मालिक राजस्थान में पहली रात मैने आप से कीमत मांगी थी। क्या आप मेरी बात सच में मानेंगे?”
अमर चंदा को हौसला देते हुए, “जो भी तुम कहो चंदा!”
चंदा ढाढस करते हुए, “आप पढ़ाई में भी मेरी मदद करने को तैयार हैं?”
अमर, “जहां तक तुम चाहो!”
चंदा सर झुकाकर, “आप के दोस्त डॉक्टर यश ने मुझे दिखाया की अच्छे सुधार के लिए मेहनत के साथ सरकारी ओहदे की जरूरत है। मैने पिछले 1 महीने में पढ़ाई करते हुए जानकारी जुटाई की मैं और लड़कियों को मेरी तरह बिकने से कैसे बचा सकती हूं।”
अमर मुस्कुराकर, “बहुत बढ़िया काम किया चंदा! क्या पता चला?”
चंदा डर कर कांपते हुए, “वह बहुत मुश्किल है!… मैं नहीं कर पाऊंगी!”
चंदा सिसकने लगी तो अमर ने उसे अपनी गोद ले खींच लिया और सीने से लगाया। अमर की गर्मी में सहारा लेते हुए चंदा सिसकती रही।
अमर प्यार से डांटते हुए, “चंदा यह तुम्हारी पहली और आखरी गलती है! आइंदा कभी अपने आप को कम समझने की गलती मत करना! तुम होशियार हो, मेहनती हो और सबसे ज्यादा तुम कुछ करने की चाह रखती हो! तुम जो चाहो वह कर सकती हो। बोलो तुम्हें क्या करना है?”
चंदा बुदबुदाई।
अमर, “क्या?… ठीक से कहो चंदा।”
चंदा धीरे से, “मैं UPSC की परीक्षा देना चाहती हूं। पर मैं कैसे?… वहां पढ़ाई के साथ ढेर सारा पैसा और सिफारिश की जरूरत होती है!”
अमर सोचते हुए, “चंदा, अगर तुम सच में ऐसा चाहती हो, तो मैं पढ़ाई में तुम्हारी मदद करूंगा। रही बात रिश्वत और सिफारिश की तो, अगर उसके बगैर अच्छे लोग चुने नहीं जा सकते तो उस ओहदे का कोई मतलब नहीं रहा!”
चंदा की आंखों में कृतज्ञता के आंसू भर आए और अमर ने एक बड़े भाई की तरह चंदा के माथे को चूमा। चंदा ने अमर को गले लगाया और अमर उसे उठाकर अपने बिस्तर पर ले गया।
चंदा ने अमर के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अपने शरीर का सहारा लिया। अमर और चंदा ने पूरी रात एक दूसरे को अपनी खुशी और विश्वास दिखाते हुए बिताई।
अमर अपने वादे का पक्का था इस लिए उसने अगली सुबह न केवल चंदा के लिए UPSC परीक्षा की किताबें खरीदी पर चंदा को लाइब्रेरी में दाखला भी दिलाया। चंदा ने MANAGEMENT और MATHEMATICS यह दो भिन्न विषय लेकर मुंबई यूनिवर्सिटी से B. Sc. की पढ़ाई भी शुरू की।
जब काली को पता चला की अमर ने चंदा को पढ़ाई में साथ देने के लिए क्या किया है तो वह भी अपनी सहेली की मदद में जुड गई। काली अपने दो प्यारे लोगों के लिए रोज खाना भिजवाती ताकि चंदा को पढ़ाई के लिए ज्यादा वक्त मिल सके। वृषभ भी काली की भावनाओं का आदर करते हुए उसका साथ देता।
चंदा रोज सुबह जल्दी उठकर नाश्ता बनाती, फिर नहाकर अमर से अपनी गांड़ मरवाती। दोपहर को अमर हॉस्पिटल, तो चंदा लाइब्रेरी से लौटते। चंदा अमर के साथ खाना खाकर उस से खाने की मेज पर ही चुधवा लेती। शाम को जब अमर लौटता तब भी चंदा पढ़ाई कर रही होती।
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अमर प्यार से चंदा को पढ़ाई रोकने के लिए कहता और दोनों खाना खाकर सोने जाते। अमर की सवारी कर उसके रस को अपनी कोख में लेते हुए चंदा अपने दिन भर के तनाव और थकान से छुटकारा पा कर उसके सीने पर सर रख कर सो जाती।
इसी तरह दो साल बीत गए और चंदा को एक साथ B. Sc. और UPSC की परीक्षा का सामना करने की नौबत सामने आई। अमर ने चंदा से कहा कि वह एक साल बाद UPSC की परीक्षा दे पर चंदा कम से कम उम्र में नौकरी पा कर ज्यादा से ज्यादा मदद करने की जिद्द पर अड़ी हुई थी।
इसी जिद्द से अब चंदा थोड़ी चिढ़चिढ़ी हो गई थी। अमर एक अच्छे भाई की तरह चंदा का हौसला बढ़ाता और अच्छे प्रेमी की तरह उसे तनाव से मुक्ति दिलाता। चंदा के लिए अमर कोई नींद की दवा बन गया था।
चंदा के बारे में सोचते हुए एक दिन अमर हॉस्पिटल में से बाहर निकला जब उसे वहां वृषभ मिला।