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Adultery Son Of Collector-(Hindi,Incest,Group,Hidden Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


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sahi bola....suspence to last me hi open hona chahiye...tabhi story ka maza hai..

but story ka base ban jaay to padhne me jyada maza aata hai......atleast ye samjh aa jaay ki story kis maqsad se likhi ja rahi to sahi hota hai....

well...intzaar karte hai...

keep rocking......

Season 2 ke 1st episode me story subject bahar aa jayega..bs 2 update baki hai
 

Rocky2602

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Ankitshrivastava

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(Episode 7)

मै वहाँ से घर पे आया और दोपहर का खाना निपटाके कमरे में सोने जा रहा था।तभी मा ने मुझे पुकारा।

मा:अरे वीनू सुन।दादी के कुछ दवाइया लानी है तो आज उनको लेके जा रही हु शहर।रात को देर हो गयी तो खाना खा के सो देना।

मैं:दादी क्यो??सीता चाची को लेके जाओ।

मा:अरे दादी के कुछ कपड़े भी सिलवाने को देने थे।तो साइज़ के लिए लेके जा रही हु।

मैं:ठीक है,सम्भलके जाओ।

मा के जाने के बाद मैं रूम में जाके कम्प्यूटर पे गेम खेल रहा था।शाम को नाश्ते के समय सीता मुझे चाय देके चली गयी।वो कुछ बोली नही।शाम को सीता से मिलने शबीना चाची आयी थी।

वो लोग बाहर बाते कर रहे थे।और अचानक दोनों अंदर आ गए।सीता मेरे पास आके खड़ी हो गयी।उसकी तो ये आदत सी हो गयी थी।अब मुझे ही मेहनत लेके उन्हें पूछना था।

मैं:बोलो चाची क्या हुआ?

सीता:बाबूजी वो शबीना आई थी।

मैं:तो!???

सीता:उसे मदद चाहिए थी।

मैं:पिताजी कल परसो आ जाएंगे और मा रात को उसे कल या परसो बुला लेना।

सीता:कल तक रुकने इतना समय नही है।प्लीज कुछ कर दो।

मैं:इतनी क्या जरूरी बात आ गयी?और मैं क्या करूँगा।

सीता:वो शबीना के शौहर ने कर्जा लिया था ठाकुर से और अभीतक चुकाया नही है।

मैं:मैं कैसे चुकाऊँ मेरी पॉकेटमनी ही 200 रु है।कितना कर्जा है?

सीता शबीना से:कितना कर्जा है??

शबीना:करीब 1 लाख!!!

1 लाख की बात सुन मैं अपना कम्प्यूटर छोड़ मुड़ गया।

मैं:इतना पैसा!!??अच्छा तो उसदिन इसी लिए आपके शौहर का खून बहाया जा रहा था।छोटी मुह बड़ी बात पर चुकाना नही था तो मुफ्त का झमेला क्यो लिया!?

शबीना:क्या करू बाबूजी,घर में बहु जिसको बाहर नही भेज सकते इस जालिम दुनिया में,बेटे को तो इन्ही लोगो ने(ओ रोने लगी ,सीता ने उन्हें संभाला।)कपड़े सिलाक़े दो पैसे आते है।पहले शौहर मजदूरी करते थे पर आजकल सेहत अछि नही रहती महीने का 15 दिन बिस्तर जकड़े रहते है।कर्जा मेरा बेटा लिया था अइसे ठाकुर बोलता है।उसके पास कागज भी है।अभी हम क्या करे!?

मैं:फिर मैं क्या मदत करू!!?

शबीना:आप बड़े साब को बोलके कुछ करते तो!!?नही तो वो गुंडे मेरी बहु को उठा के ले जाएंगे।क्या करेंगे इसका कोई अंदाजा नही।

मैं:कब तक का समय है!??

शबीना:कल सुबह!!!!

मैं:फिर मुश्किल है।पिताजी को आनेके दो दिन है।माफ करना कोई मदद नही कर पाऊंगा मैं।(मैं फिरसे कम्प्यूटर मैई और बढ़ के अपना काम चालू किया)

सीता और शबीना बाहर हॉल में आ गयी।

शबीना:सीता भाभी अभी मैं क्या करू!?बेटा तो पहले ही खा लिया इन हरामजादो ने अभी जीने का एक ही सहारा था उसे भी लेके जायेगे तो हम दोनो क्या करेंगे।

सीता:अरे शबीनाबेन परेशान मत हो,सब कुछ ठीक हो जाएगा।

शबीना:कैसे ठीक होगा!?कलेक्टर साब तो नही है।और उनके बेटे भी इस परेशानी को सुलझाने से मना कर दिए।अभी तुम ही बताओ कोई है बचा हुआ जो मेरी मदद करेगा!!??

सीता:एक सुझाव है मेरे पास तुम मानोगी तो देख लो!!

शबीना:कैसा सुझाव??क्या वो काम करेगा!??

सीता:हा,जरूर काम करेगा,मैंने भी वही किया था और मेरे पूरा काम आया।

शबीना:तो जल्दी बताओ,अभी समय कम है,मेरे पास।

सीता:तुम्हे बाबूजी को अपने जिस्म के जलवे दिखाने होंगे।अगर ओ खुश हो गए तो तुम्हारा काम हो गया समझो।

शबीना:क्या बेहूदा बात कर ही हो।और ये तो लड़का है 16 ,17 साल का।मैं ठहरी 40 की।और ये अइसे लिहाजो का लड़का है,तो मुझे नही चाहिए मदद।

सीता:देख शबीना,लिहाज से वो अच्छे ही है,सबका सन्मान रखते है।शरीर का आकर्षण मर्द औरत में आम बात है।उम्र से छोटा है पर समझ ज्यादा है बहोत काबिल है अगर तुम उसे तुम्हारे हुस्न में डूबा दोगी तो उन्हें तुम्हारी मदद करनी पड़ेगी।देख फैसला तुम्हारा है।

शबीना:अरे पर वो मुझसे खुश होगा।जवान खुन है,मुझ जैसी उम्र वाली औरत को क्यो पसन्द करेगा भला।

सीता:देख वो तेरा मसला है,अगर तुम्हे अपनी घर की इज्जत और पति की जान बचानी है तो कुछ करना पड़ेगा।

शबीना कुछ सोच कर मेरे कमरे में आयी।मैं तभी गेम खत्म करके पलँग पर आराम फरमाने जा रहा था।

मैं:अरे आप फिरसे आ गयी।अब क्या हुआ!?मैंने कहा न पिताजी नही तो कुछ सम्भव नही।

शबीना:पर आप तो हो!?आप ही कुछ रास्ता निकाल दो।

मैं:अरे मैं एक बच्चा हु।मैं क्या करूँगा।मेरी पॉकेटमनी से कहि गुना ज्यादा है ये ।सच में चाची माफ करना मुझे।


शबीना ने बुरखा उतार दिया:कुछ भी करके मुझे इस झमेले से छुटकारा देदो।उसके लिए जो चाहे वो लेलो।

मैं तो उनके हुस्न को देखते ही रह गया।सावली जरूर थी पर नक्शा था चेहरे का।चुचे भरे हुए वो भी इस उम्र मेंऔर गांड अइसे लग रही थी जैसे चुचे ही लगा दिये हो।एकदम उभरे हुए।पर मुझे सख्त पेश आना सही लगा उसवक्त।उनके आवेश में आ जाता तो मुझे हल्का समझ लेते वो लोग।थोड़ी लेवल रखनी थी अपने एटीट्यूड की।

मैं:ये क्या मजाक है!?मैं आपको उस तरह का लड़का लगता हु!?

शबीना:मैंने कब कहा,पर हर मर्द को इसकी लगन होती है,और वैसे भी मेरे पास देने के लिए कुछ है भी नही इसके सिवा।

मैं:आपकी और मेरी उम्र में बहोत अंतर है।मुझे आपमे कोई चाव नही है।

शबीना:एकबार पीके देख लो।अच्छा न लगे तो भुगतान मत करो।मैं कुछ नही बोलूंगी।

मैं थोड़ा दूसरी तरफ मूड गया तो उन्होंने सलवार सूट उतार दिया।वो सिर्फ पेंटी में थी।मतलब शहर के पास होते हुए भी यह कोई औरत ब्रा नही पहनती क्या?वो मुझे रिझाने की कोशिश में लगी थी।

शबीना:ये चुचे देखो।पूरे भरे पड़े है।सच में आपको मजे देंगे और ये चुत भी बहोत दिन से चुदी नही है।मेहरबानी कर लो ये सब लेलो पर मेरे घर को टूटने से बचा लो।

उस दिन मैंने खुद देखा था मंदिर के पास की कैसे बर्ताव किया जाता है उस ठाकुर के पास से इन लोगो पर।

मैं:जाओ दरवाजा बन्द कर लो।

वो दरवाजा बन्द कर के पीछे आने तक मै शॉर्ट अंडरवियर निकाल के सिर्फ बनियान में खड़ा रह जाता हु।वो थोड़ा सहम जाती है।

मैं:देखो आप ही आपको नंगी देख कर भी लन्ड खड़ा नही हो रहा।

मेरी खुल के बातों से वो चौक गयी पर आगे बढ़ के:रुको मै उसको खड़ा करती हु।

मुझे पलँग पर बिठाके वो मेरे लन्ड को हिलाने लगी।

शबीना: बाबूजी आपका लन्ड तो काफी बड़ा है उम्र के हिसाब से।और तगड़ा भी।

मैं:क्यो,चाचा का तो बड़ा होगा ,वो तो बहोत बड़े है उम्र से मेरे।

शबीना:अरे नही,उनका तो काफी छोटा है।

लन्ड अभी खड़ा हो गया था।

मैं:चलो चाची चूस लो लन्ड को।देखते है कितना मजा देती हो।

शबीना के बिना कुसी झिझक मुह में लन्ड लिया और चुसना चालू हो गयी।काफी देर चुसने के बाद लन्ड लोहे की तरह तप गया।उनको बिस्तर पे लिटाके मैंने उनके चुचे चुसना चालू किया।

शबीना:आआह आहुच मस्त चुचे चूसते हो आआह

ज्यादा समय नही था इसलिए मैंने सीता को बुलाया।

सीता आगई:क्या है बाबूजी!??

मैं:मा के कमरे में आइने के नीचे वाले टेबल के आखरी वाले हिस्से में रबर के पैकेट है उन्हें लेके आओ,1 ही लेके आना।

सीता जाके कंडोम लेके आयी।

मैंने कंडोम लगाया और लन्ड को शबीना के चुत पर लगके घुसेड़ दिया।शबीना चिल्ला उठी।

आआह आआह मर गयी आआह आउच्च अल्लह आआह आहुच

सीता ने जाके उसमे मुह में अंगूठा ठूस दिया वैसे शबीना चाची वो अंगूठा चुसने लगी।मैं नीचे से धक्का देने लगा।सीता शबीना के चुचे मसल रही थी।

सीता:क्यो बाबूजी,मेरे से भी मस्त है न इसके चुचे!!!!??

मैं:हा,पर आपके भी बहोत मस्त है।

शबीना के चुचे छोड़ वो मेरे पास आयी:तो लेलो,किसने रोक रखा है।

मैं:नही मुझे चुचे नही चाहिए!??

सीता:फिर क्या दु?!

मैं:आपके ओंठ देदो।वैसे भी शाम में नाश्ते का समय है।

सीता ने मुह आगे किया।मैंने उसके ओंठो को चूमना चुसना चालू किया।बहोत मजेदार चीज थी।इसी बीच शबीना झड गयी,पर मेरा लन्ड अभी शांत नही हुआ था।मैंने कंडोम हटाया और वहा से बाजू हो रहा था गुस्से में।तभी सीता ने हाथ पकड़ा।

सीता:अरे अइसे मुह फुलाके मत जाओ।मालूम है की आपका लन्ड अभी तक झड नही गया है।आओ मै मदद कर देती हु।

उसने मुझे पीठ के बल पलँग पे सुलाया और मेरे ऊपर चढ़ साड़ी ऊपर पकड़ लन्ड पे बैठ गयी।और चुदने लगी।

काफी देर चुदने के बाद मैं झड गया।चाची भी झड गयी थी, अभी शबीना की परेशानी प्रमुख थी।

शबीना:माफ करना बाबूजी,मैंने आपको बिना झडके....

मैं:कोई नही आपकी उम्र है,मै समझ सकता हु।

शबीना:पर मेरे इस परेशनि का क्या?कल पैसे नही दिए तो वो मेरे पति को नही छोड़ेगा और पैसे के बदले बहु को उठा ले जायेगे उसके गुंडे।

सीता:अरे शबीनबेन अभी बाब्बूजी देख लेंगे तुम चिंता ना कर।!!!

मैं:ठीक है मैं देख लूंगा।पर सीता चाची तुम्हारी मदद लगेगी मुझे इसके लिए।

सीता:जो हुकुम बाबूजी,अगर कुछ हल निकल जाए तो क्या बुराई है मदद करने में।

मैंने सोचा जरूर था पर इसमे कितना खतरा है या नही है ये मालूम नही था मुझे क्योकि उस वक्त एक नई नवेली दुल्हन जिसका 2 ही महीने शौहर खून से लतपत नदी किनारे मिल गया और एक वो जो अपना पति और बहू के लिए इज्जत दाव पे लगा गयी।इन लोगो के लिए उस वक्त ज्यादा बुरा लग रहा था।बस!!!अभी इनको इस मुसीबत से बाहर लाना है।देखते है जो होगा सो होगा।
 
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