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AdulterySon Of Collector-(Hindi,Incest,Group,Hidden Suspens)
मुझे गाड़ी के हॉर्न की आवाज आई।मैं बाहर आया तो देखा की गाड़ी की सामने वाली कांच टूटी थी।ड्राइवर अंकल को लगा था सर पर।उनको पट्टी की थी।दादी गुस्से में लाल और मा थोड़ी सहमी सी थी।मा की आंखे पानिया गयी थी।मै कुछ पूछता उससे पहले ही दादी शुरू हो गयी।
दादी:साले कलमुहे कहि के भगवान करे पूरे शरीर में कीड़े पड़े उनके,तड़प तड़प के मर जाए साले कुत्ते कमीने,रंडी की औलादे।
मा:माताजी जाने दो,अयसे लोगो के मुह लग के कुछ नही होगा,छोड़ो उस बात को।
मै:क्या हुआ मा!??
दादी कुछ बोलने ही वाली थी की मा ने रोका।
मा:कुछ नही,तुम कमरे में जाओ।
मैं:पर ये गाड़ी,ड्राइवर अंकल,दादी,क्या हुआ है?
मा भड़क गयी:तुम्हे एक बार बोली तो समझ नही आता!!जा बोला न अंदर!!!
वो दादी को लेके उनके कमरे में गयी।मैं ड्राइवर अंकल के पास गया।
मैं:क्या हुआ अंकल,क्या बात हुई है?
ड्राइवर:कुछ नही बाबूजी वो......
मैं:आप झूट बोलने की सोच रखे हो तो विचार अभी बदल दो,क्योकि आपकी कहि बात अभी पिताजी को बताने वाला हु।
ड्राइवर ने सारी हकीकत बता दी-
हुआ यू की शहर से अंदर गाँव में घुसने के बाद ठाकुर के आदमियो की गाड़ी हमसे टकराई।गलती उनकी थी फिर भी हम कुछ न बोले जा रहे थे।पर वो लोगो ने हमे रोका।पहले गाड़ी की कांच तोड़ी फिर मुझे बाहर निकाल के पीटना शुरू किया।
अभी ये बात मेडम को पसन्द नही आयी।वो गुस्से में बाहर आयी।और उनसे मुझे बचाने के लिए बीच में घुस गयी।पर वो सांड थोड़ी मानने वाले थे।उन्होंने मेडम जी का पल्लु खींचा और (पिछवाड़े की तरफ इशारा करके)फ़टका दिया।और गंदी बाते करने लगे।जब उनको बताया की वो कलेक्टर की बीवी है तब जाके उन्होंने उनका पल्लु छोड़ा और वहां से निकल गए।
मेरा गुस्सा अभी सर के उपर चढ़ गया ,पर मैं अकेले कुछ नही कर सकता था।
मैं:अंकल आप उन लोगो को जानते हो!??
ड्राइवर:जी!!!वो समशेर था ,सांबा ठाकुर का खास आदमी।उसे कौन नही पहचानता।
मैं:पिताजी को बताया ना???!!!
ड्राइवर:दादी जी ने कॉल किया था पर बड़े साब 4 दिन के लिए गाँव से बाहर गए है,आज सुबह ही।
तभी अंदर से मा बुला लेती है।मा एकदम नॉर्मल बर्ताव कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही न हो।मा थी ही अइसी उसको झगड़े फसाद से बहोत चिढ़ थी।उनके साथ इतना भयानक और गुस्सा देने वाला हादसा होने के बाद भी वो शांत थी।मुझमे गुस्सा बहोत भर गया था।सब को लगेगा की मैई"कुत्ते कमीने तूने मेरे मा के ऊपर हाथ डाला मैं तुम्हे जिंदा नही छोडूंगा,तुम्हारा खुन पी जाऊंगा"करके सनी देओल बन जाऊंगा तो वो बात उस वक्त मुमकिन नही थी।क्योकि हाथी के सामने चींटी होती है वैसी हालत मेरी थी पर उस हाथी को मालूम नही था की ये चींटी जब नाक में घुस के दम करेगी तब बहोत महंगा पड़ेगा उसको।उस समय शांत रहके पूरे होश में काम लेना जरूरी था।पहले पिताजि को ये बात मालूम पड़े,वो जो करेंगे उसके बाद अपना खेल चालू।
शाम को खाना हुआ।मा और दादी आज नींद की गोलियां लेके सो गयी थी क्योकि शाम को जो वाकिया हुआ उससे उनको सीधे से तो नींद नही आने वाली थी।मैं जो थोड़ी देर पहले गुस्से में था वो थोड़ा शांत हो गया था।और थोड़ी ख़ुशी सी छा गयी थी।क्योकि मेरा पुराना साथी आज फरसे मेरे साथ था।जी हा मेरा कम्प्यूटर!!मेरे फ्रेंड्स बहुत कम थे।तो मैंने कम्प्यूटर पर ही अपनी दुनिया बसा ली थी।पोर्न का वायरस भी मुझे यही से लगा।क्योकि कुछ समझ नही आता तो मै उसको कम्प्यूटर पर सर्च करता था।जब भी दोस्त सेक्स की बाते करते मैं कम्प्यूटर में सब सर्च करता था।फिर वीडियोस देखने लगा।पर सेव नही करता था,कब जाने पिताजी ने देख लिया तो।जबसे आया था तो इंटरनेट नही था तो देख नही पाया पर यहां आँखोदेखा सब LIVE दिखाई दे रहा था।
रात 9:30 बजे
मैं पोर्न देखते हुए लण्ड हिला रहा था तभी कोई अंदर आया।मैंने झट से स्क्रीन चेंज की और लण्ड छुपाने की कोशिश की।पर तभी मुझे आवाज आई।
सीता:बाबूजी सब काम खत्म हो गया है।आपका कुछ काम है तो बोल दो।
मैं :तुम मेरी मदत नही कर पाओगी।जाने दो,जाओ तुम।
वो अंदर आयी।
सीता:अरे बोलो तो सही।बिना बोले ही कैसे फैसला कर दिए।
मैं:ठीक है,जाओ दरवाजा बन्द करो,बाद में बताता हु।
वो दरवाजा बन्द करके आती है।मैं पॉर्न चालू करके लण्ड हिलाना चालू कर देता हु ।मुझे अइसी हालत और सामने पोर्न वीडियो देख वो थोड़ी चौक जाती है।
सीता:जी बोलो साब क्या सेवा करू।
मैं:मेरा हाथ दुख रहा है।मेरी मदत कर दे बस हिलाने में!!
सीता चौक कर:जी!!!!!
मैं:जी हा सही सुना!!नही करना तो जाओ घर!!!
सीता मेरे पास आके नीचे बैठ गयी खुर्सी के पास।उसने अपने हाथ में मेरा लण्ड कस के पकड़ा।
मैं:इससे पहले कभी किसीका हिलाया है?!(क्योकि गाँव में सीधा चुत में घुसाने की परंपरा होती है।इसलिए ये सवाल।)
सीता:जी नही...!!!
मैं:उम्मम ठीक है ।मै यहां एक मूवी लगता हु इसे देखो औऱ उसके जैसा करो।
मैंने ब्रेझर डॉट कॉम की एक विदेसी पोर्न मूवी लगा दी।आवाज बंद था क्योकि किसीने सुना तो फोकट का बवाल और वैसे भी इसको अंग्रेजी आती नहिं।पर ब्रेझर के पोर्नस्टार्स को देख उसकी आंखे दंग रह गयी।बड़े चुचो और गांड वाली लड़की को देख उसके गाल लाल हो गए।और जब लड़के का तगड़ा लन्ड बाहर आया तो सीता चौक कर चिल्लाई।
सीता:हाये दैया,इतना बड़ा!!!!
मैं:अरे धीरे बोल।कोई सुन लेगा।
सीता:नही सुनेगा।दादी और मेमसाब नींद की गोली लेके सोए है।
मैं:अच्छा तो फिर ठीक है।
सीता उस लड़की की तरह मेरे लन्ड को हिला रही थी।मेरी जो फैंटसी सी थी वो आज हकीकत बन रही थी बस पोर्न स्टार की जगह पर सिर्फ सीता थी।कोई नही उतनी औकात भी नही अपनी,जो है उसपे खुशी मान लेने का।
सीता:बाबूजी एक बात पुछु!?!?!
मै:हा जी बोलो।
सीता:इतना बड़ा लन्ड होता है!?!सच में!??!?!
मैं हस कर:वो होता नही,वो वैसे बन जाता है।
सीता:अइसे कैसे!?
मै:वो रोज औरतो के साथ चुदाई करता है तो उससे उसका लन्ड बड़ा हो जाता है।
सीता:मेरे पति का और मेरे बेटे का तो बहोत ही छोटा है।पर आपका काफी बड़ा है।उस tv वाले से आधा तो रहेगा।फिर आप भी औरतो....!
मैं:अरे नही नही।मैंनेअभीतक किसी औरत को नही चोदा।बस इनको देख हिलाता हु।इनके साथ रह कर मेरा भी बढ़ गया।
सीता हम्म करके मेरे कहि बातों को सच मान रही थी।मैं मन में हस रहा था अपने कहि बातों पर,हलाखी थोड़ी सत्यता थी उसमे पर उतनी भी नही की कोई भी सीधे सीधे भरोसा रखे।
अभी मूवी में लन्ड चुसाई का खेल शुरू हुआ।सीता की आंखे घूम गयी मेरे तरफ।पर मैंने अपने चेहरे पर सिकंझ तक नही आने दी।मेरी गंभीरता को देख सीता ने कुछ सवाल भी नही किया।उसे क्या लगा!?या उसने क्या सोचा !?!मुझे नही मालूम पर उसने सीधा लन्ड मुह में लेके चुसने लगी।वो एकदम उस पोर्नस्टार लड़की की तरह नकल कर रही थी।कुछ देर के लिए लगा की वही पोर्नस्टार ऐक्ट्रेस मेरा लन्ड चूस रही हो।
जैसे ही उस एक्टर लन्ड तना वैसे ही वो पोर्नस्टार एक्ट्रेस उसके पेंटी को साइड कर उसपर बैठ गयी।वैसे ही सीता मेरे लन्ड से दूर हो गयी।मुझे लगा अभी सीता नही बढ़ेगी आगे।मैं अपने लण्ड का हस्तमैथून करने ही वाला था की।वो हुआ जो मुझे सच में चाहिए था पर उसकी मैंने कल्पना नही की थी।
सीता ने अपना पल्लु ऊपर किया और मेरे लन्ड के ऊपर बैठ गयी।थूक से मेरा लन्ड और पानी बहने से उसकी चुत गीली थी।उसके जल्दबाजी में बैठने से लन्ड पूरा चुत में गया।
सीता:आआह आहाह आहे दैया मर गयी आआह
ये तो होना था क्योकि पहली बार उम्मीद से ज्यादा बड़ा लन्द सिकुड़ी हुए चुत में घुस जाए तो दर्द होता है।पर सीता इतनी वजनदार थी की मुझे भी दर्द हुआ।पर उतना नही जितना सीता को हुआ।वजन की वजह से और खुर्ची की कम जगह की वजह से वो फट से उठ भी नही पाई।कुछ देर के लिए वो वैसे ही बैठी रही।जैसे ही मैं सास लेने वाला था राहत की,तभी उसके अंदर फिरसे वो एक्ट्रेस संचार गयी।वो खुर्सी के हाथ पकड़ कर ऊपर नीचे होने लगी।
सीता:आआह आआह आआह अम्मा हाये आआह आआह
मैं:क्यो चाची मजा आ रहा है।
सीता:आआह आआह आ आ आ बहुत ज्यादा बाबूजी आआह आआह बहोत मजा आआह आआह सी आआह आ रहा है आआह।
सामने उस लड़के ने उस एक्ट्रेस के चुचे कस के मसलने चालू किये।पर चाची सामने होने से मुझे कुछ दिख नही रहा था।पर अचानक चाची ने ब्लाउज खोला और मेरे हाथ अपने चुचो पे रख दिए।
सीता:मेरे चुचे दबा दो बाबूजी आआह आआह उम्मम कस के दबाव आआह आआह
मैं भी उनके चुचो को मसलने का आनन्द लेने लगा।काफी बड़े थे,हाथ में नही आ रहे थे पर मै पूरी कोशिश करके दबा रहा था मसल रहा था।काफी देर ये खेल होने के बाद वो फिरसे उठी और नीचे बैठ कर लन्ड को जोर जोर से हिलाने लगी।मुझे बहोत दर्द होने लगा।
मै:आआह आआह चाची आहिस्ता दर्द हो रहा है आआह।
सीता:माफ करना बाबूजी,वो तो मै..!!!
मैं:हा हा...कोई बात नही।पर इतना समझ लो उस लड़के के और मेरे लन्ड में बहोत फर्क है।
सीता:मतलब !?मैं कुछ समझी नही?!क्या फर्क!?
मैं':अरे दोनो का आकर देखो।उसने बहोत बार चुदाई की होगी पर मेरी तो आज बोनी हुई है।
सीता:आप क्यो चिंता करते हो।जबतक उसके इतना आपका लन्ड बड़ा नही होता मैं आपकी मदद करूंगी।
मैं:और तेरा पति और लड़का!?!?
सीता:पति!!!?उनको हवेली पर इतना काम रहता है की शाम को आके सो जाते है और शम्भू का तो ज्यादा देर टिकता नही।पर आप देखो कितनी देर हो गयी पानी ही नही छोड़े मैं तो कब की झड गयी।वो देखो उस लड़के ने भी अपना पानी छोड़ दिया।
तभी मुझमे अकड़न सी आ गयी।
मैं:चाची बाजू हो मै झड रहा हु।
पर सीता बाजू नही हुई बल्कि झुक कर मेरा लन्ड मुह में चुसने लगी।जैसे ही मैं झड गया उसने पूरा पानी गटक लिया।
तभी बाहर से उसके पति ने आवाज दी।आवाज सुनते ही सीता चाची खड़ी हुई और कपड़े और बाल सीधे करके वहां से निकल गयी।
कसम से पूरा गुस्सा गाढ़े रस के साथ निकल गया अयसे लग रहा था।पर वैसे नही था।बस थोड़ी देर के लिए मन बहल गया था।मैं भी कम्प्यूटर बन्द करके अपनी जगह सो गया।