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Adultery Son Of Collector-(Hindi,Incest,Group,Hidden Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


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(episode 6)

दूसरे दिन सुबह उठा हर बार की तरह मा और सीता किचन में ,दादी का पूजा पाठ और शम्भू आज गार्डन में पानी दे रहा था पेड़ो को।मैं बाथरूम कर ब्रश करके नहाने गया।मुझे गाँव की आदत नही थी।गाँव के गर्मी से पूरा शरीर पसीने धूल से खराब हो गया था।मुझे साफ सुधरा रहने की आदत थी तो मैंने मा को पुकारा।

मैं:मा ,,,मा,,,यार प्लीज मेरे पीठ पर साबुन लगा दे...!!!प्लीज!!!!

मा:मेरे हाथो में आटा लगा है,मैं कैसे आऊ।

मैं:प्लीज मा बहोत खुजली हो रही है,,,बस 5 मिनिट।

दादी:अरे तुम लोग मुझे पाठ करने दोगे या नही।बहु तू नही तो सीता तुम जाओ।

सीता:मैं दादी जी!!!!पर.......

मा:हा सीता तू जा!!वो नही मानेगा।बड़ा जिद्दी है।जा....।मैई काम संभाल लुंगी।

दादी:और पूरा रगड़ के साबुन लगा।पूरे बदन पर।पूरा गोरचिट्टा कर दे।और जाते वक्त कमरे का दरवाजा बन्द कर नहाने की आवाज से पाठ भंग हो रहा है मेरा।राम राम राम!!!

मा हस दी।सीता झिझकते हुए बाथरूम के दरवाजे पर आयी।मैं अंडरवियर पर था वो भी गीली।लन्ड का आकर पूरे तरह से दिख रहा था।

सीता:बोलो बाबूजी क्या करना है?

मैं:एक काम करो साड़ी उतार दो।

सीता नटखट में:क्या बाबूजी हमेशा साड़ी उतारने को बोलते हो।

मैं:हर बार आपको चुदाई की बात कैसे सूझती है ये साबुन थोड़ा अलग है उससे साड़ी का रंग जा सकता है और तुम गीली होगी वो अलग।

सीता मेरे गंभीरता भरे स्वर से सहम गयी:जी बाबूजी उतार देती हु।

मुझे मालूम था की वो पेंटी ब्रा नही पहनती नही तो वो भी उतरवा देता।।

मैं टेबल पे बैठ गया।टेबल थोड़ा बड़ा था जिससे पैर 90°में घूमते थे।अभी तक शावर ठीक नही किया था तो बादली से पानी डालना पड़ता था।

मैं:अच्छा हुआ तुम आगयी।पसीने से पूरा बदन बास मार रहा था ।पूरा शरीर काला पड़ गया था।आज पूरे सरीर की साफसफाई होगी।

सीता:जी बाबूजी,दादी जी ने बोलके ही भेज दिया है मुझे।आप निश्चिंत रहो।

वो मेरे पीठ को पूरी कसब से घिस रही थी।उसके हाथ के स्पर्श से बदन में आग सी लग गयी।अंडरवियर में लण्ड लोहे की तरह तन गया।

सीता मेरे सामने आ गयी और झुक कर मेरे छाती को साबुन से रगड़ने लगी।उसके झुकने से उसे चुचे आधे से ज्यादा बाहर आके मुझे दिख रहे थे।मैं उसे घूरे जा रहा था।सीता ओ देख कर पहले तो नटखट सी हस दी।पर मेरी आंखे उसकी चुचो से हटने का नाम नही ले रही थी।आखिर सीता ने अपना धैर्य छोड़ के मुझसे पूछ लिया।

सीता:क्यो बाबूजी क्या देख रहे हो।

मैं:देख नही रहा मैई,सोच रहा हु।

सीता :क्या सोच रहे हो!!?

मैं:आपके चुचे बहोत बड़े और मस्त है,मैं सोच ये रहा था की इसे रगड़ू या चुसु।

सीता ने मेरी खींचने के लिहाजे से मुझसे पूछा था पर मेरा जवाब इतना खुलकर आएगा ये उसने सोचा न था।वो चौक कर स्तब्ध हो गयी।उसके हाथ रूक गए।

मैं:अरे रुक क्यो गयी।मुझे नहाके नाश्ता भी करना है।

सीता हड़बड़ाकर:जी बाबूजी।

वो छाती से नीचे घिसते हुए कमर तक आ गयी। वहाँ से उसने जांगो पे छलांग मारी।

मैं:अरे कितना आधा अधूरा काम करती हो।

सीता:जी क्या हुआ!??

मैं लन्ड की तरफ इशारा कर:यहां कोन साफ करेगा।आंखे बन्द करके काम कर रही है क्या!!? दादी को बोलू क्या!??

मैं दादी को पुकारने का नाटक करते हुए मुह खोला तो सीता ने मुह पर हाथ रखा:नही बाबूजी दादी को मत बोलो,वो बहोत चिल्लाती है।

मैं:फिर अधूरा काम करेगी?

सीता:नही !!! मैं करती हु।

सीता ने अंडरवेअर नीचे खिसकाई और मेरे लण्ड को मुट्ठी में पकड़ा और उसे साबुन लगा के ऊपर नीचे करने लगी।मेरा लन्ड पूरा गर्म हुआ था।मैंने अपनी आंखे बन्द कर दी थी।पर सीता ने अचानक से हिलाना रगड़ना बन्द किया और फिरसे जांग रगड़ने लगी।
मैंने आंखे खोली।

मैं:अरे चाची अच्छे से रगड़ो।कल तुमने ही उसे गंदा किया था।(मैंने उसका हाथ खींच कर फिरसे लन्ड पे रखा।बहोत मजा आया उसके हाथो का स्पर्श होने से।)

सीता: पर बाबूजी कल कोई नही था।आज सब जगे हुए है।कोई अंदर आया तो बवाल हो जाएगा।दादी तो नौकरी से ही निकलवा देगी।

मैं:वैसे कुछ नही होगा।और वैसे भी अगर मैंने दादी को बताया तो भी वो वही करेगी।और मेरे कहने से जतद खतरनाक कुछ नही हो सकता।सोच लो।

सीता :नही नही,मै करती हु।

उसने मेरे लण्ड को हिलाना चालू किया।मेरे बदन में रोमांच सा भर गया।उसी रोमांच में मैंने उसके चुचे पकड़ लिए और कस के मसलने लगा।

सीता:आहाह आ बाबूजी धीरे से आआह।

काफी देर हिलाने के बाद मै झड गया।पूरा पानी उसके हाथो पर । मैंने उसके चुचो को ढीला छोड़ दिया और राहत की सांस लेके खड़ा हो गया।चाची भी खड़ी हो गयी।उसकी हाइट करीब मेरे इतनी ही थी।

सीता डर गयी:क्या हुआ बाबूजी उठ क्यों गए।अभी आपको नहलाना बाकी है।

मैं:हा मै जा नही रहा हु।बस बैठके चिपचिपा लग रहा था।

सीता पानी से मुझे नहलाने लगी।मुझे उम्र की 16 साल में जहा मुझे चुदाई तक का सारा ज्ञान था वही एक औरत नंगा नहला रही थी।दादी तो मुझे बच्चा ही मानती है और बहु भी अइसी लाई थी जो हर टाइम गरीब गाय बनके रहती थी।मतलब मेरी मा,उसको थोड़ी उपर की आवाज में बोल दे तो
भी रोना आ जाता है।दादी ने बहोत खूबी से बहु चुनी थी।मा बहोत ही संवेदनशील है,उसे कुछ भी कहो सच मां लेगी।

मैं सोच ही रहा था ये सब बाते उसी बीच मेरी नजर सीता चाची पर गयी।मैं खड़ा रह गया था तो उनको पानी डालते वक्त सब पानी उनके ऊपर गिर रहा था।वो दूर से पानी डालने की कोशिश कर रही थी,पर पानी शरीर को छोड़ नीचे गिर रहा था।अभी साबुन भी सुख रहा था और आंखों में भी जा रहा था।

मै:अरे बाथरूम बन्द कर दे और कपड़े उतार कर हेंगल को लटका।उतना परिश्रम क्यो कर रही हो आप।कितना पानी वेस्ट हुआ और आंखे जल रही है वो अलग।

सीता सोचने लगी,मै:अरे मेरी मा सोच क्या रही है,मैं बोला मेरी आंखे जल रही है।नही करना तो बाहर जाओ।मैं कर लूंगा।

सीता झट से ब्लाउज और पेटीकोट निकल कर हेंगल पर लटकाया:हो गया बब्बूजी अभी कर देती हु।आप खड़े रहो।

पहले तो सीता पीछे खड़ी थी तो मेरा ध्यान नही गया पर जब वो मेरे सामने आई तो मैं मुह खोलके देखता ही रह गया। बड़े मदमस्त चुचे फूली हुई गांड,पर पेट बड़ा होने से चुत नही दिख रही थी।मैं पूरा होश खो बैठा था।उसी हड़बड़ाहट में मेरे मुह से निकल गया।

मैं:चाची कितना पेट बढ़ गया है आपका आपकी पुसी नही दिख रही।

चाची पूरे ध्यान से मुझे नहला रही थी मैन अचानक से सवाल किया तो वो :उह क्या बोले!?कैसी पुसी!?

मैं:कुछ नही!!

सिताचाची:बाबूजी अभी बोल भी दो।बात छुपाने से पेट में दर्द होता है।

मैं:मैं बोला आपका पेट इतना बढ़ गया है की आपकी पुसी नही दिख रही।

सीता:कौन!!ये पुसी क्या होती है?

मैंने बिना दिमाग खराब किए सीधा उसके चुत पर हाथ रख दिया।

सीता पीछे हो गयी:बाबूजी ये क्या कर रहे हो!!??

मैं:अरे पुसी दिखा रहा था।

सीता लाल हो गयी थी:ठीक है।आप पोंछ लो टॉवल से मैं बाहर जाती हु।

मैंने ये महसूस किया की मेरे उंगलियां चिपचिपी हो गयी थी।मैंने सीता को बैडरूम में रोक लिया।

सीता:अभी क्या?

मैं:आपके नीचे से ये लग गया मेरे हाथो में!!!

सीता ने मेरे हाथ में लगा स्पर्म देखा वो शरमाई।उसने "धत्त"बोलके अपने कपड़े पहने और बाहर चली गयी।

मैं थोड़ी देर बाद बाहर आया।देखा तो दादी और मा नाश्ता कर रहे थे।मैं भी वही नाश्ता करने बैठा।

मैं:मा तुमने मुझे कुछ बताया नही ठीक है पर पिताजी को जरूर बता देना,दादी की भूलने की आदत है।पर अगर आप पापा को नही बोलेंगी तो मैं बोल दूंगा।और आपको मालूम है,अगर हम लोगो में से किसी के साथ कुछ गलत होता है और वो बात कोई दूसरा बताता है तो पापा क्या हालत करते है।पिछले साल का भूल गयी क्या?

मा:नही नही,तुम मत बोलो ,उनके आने के बाद मैं बोल दूंगी।और सॉरी,मुझे तुम्हे बता देना चाहिए था।

मैं:मा मैं उम्र में छोटा जरूर हु पर नासमझ नही हु।सब बात की जानकारी रखता हु और समझ भी।दादी मेरा नाश्ता हो गया।मै थोड़ा घुमके आता हु।

दादी:ठीक है वीनू,बस सम्भलके।यहां के लोग बहोत टेढ़े और बत्तमीजी वाले है।

मैं:दादी आपका पोता उससे बड़ा खिलाड़ी है।कोई शक!!!

दादी:अरे वो तो है!!आखिर पोता किसका है!!!?!!

हम सारे हस दिए ।मैं शम्भू को लेकर नदी किनारे वाले मंदिर जा रहा था।मंदिर गाँव की आखरी छोर पे था।मंदिर के पास ही पहुंचे की सीढ़ियों से मीना से साथ श्वेता को नीचे आता देखा।पर दोनो को मैंने नजर अंदाज किया।दोनो ही बड़े अदाओं के साथ चल रही थी तो मेरी नजरअंदाजगि उन्हें खटक गयी।उनके पास से दो सीढ़िया चढ़ी तभी श्वेता ने शम्भू को पुकारा।

श्वेता:ओए शम्भू इधर आ!!

शम्भू पीछे होते हुए नीचे सर करके श्वेता के पास गया।
पर मैंने ध्यान नही दिया।मैं सीधा मंदिर में गया।थोड़ी देर बाद शम्भू भी आ गया।कुछ देर बाद हम गाँव की अंदर की तरफ घूमने निकले।

शम्भू:भैया,आम का सीजन है।चलो हम आम तोड़ते है।

मैं:पर कहा जाएंगे।

शम्भू:चलो तो सही मैं आपको दिखाता हु!!

शम्भू मुझे गाँव की दूसरी छोर एक बगीचा था उधर लेके गया।काफी सुनसान था।अंदर एक छोटा घर था।लगता है किसीका फार्म हाउस होगा।किसीका क्या!?ठाकुर का ही होगा।और यहाँ अमीर कौन है।

मैं:शम्भू किधर लेके आया है,किसी और के आम तोड़ेंगे तो दोनो को मार पड़ेगी।

तभी पीछे से आवाज आयी।

"और के कहा आपके ही है सब आम"।वो श्वेता थी।

मैं शैतानी हस दिया।

श्वेता :अभी हम दोस्त है तो जो हमारा है वो आपका भी हुआ न!

मैं:मुझे लगता है आपको बीमारी है गलतफहमी में रहने की आदत है।आप उतनी क्षमता नही रखती।

श्वेता:क्यों क्या हुआ?कब से देख रहे है तुम हमे टोके जा रहे हो!?क्या बात है की तुम्हारी और मेरी दोस्ती नही हो सकती।

हुए:"हमारे दोस्त जो है वो संस्कारी और सभ्यतापूर्ण होने चाहिये और ओ जहा रहते है वो भी । क्योकि दिनदहाड़े इज्जत पे हाथ डाले अइसे लोगो की दोस्ती नही चाहिए मुझे।

मेरी बात श्वेता और मीना के दिमाग के ऊपर से गयी।मैं उस बात को छेडने से गुस्से में आ गया।दादी के कहे अनुसार ज्यादा बवाल न करते हुए वहाँ से निकल गया।

पर शम्भू को उन लोगो ने पकड़ लिया।और मेरे कहने का मतलब उससे उगलवा लिया।

 

Poojasingh69

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Zabardast update
 
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Nice update
 

Ankitshrivastava

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Good one.....dekhte hai sweta kya samjhi aur kya karegi....

i think sweta ki 1st step hoga ...but abhi bhi story sahi track par nhi aai...waiting 4 that...

keep rocking.....
 
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Good one.....dekhte hai sweta kya samjhi aur kya karegi....

i think sweta ki 1st step hoga ...but abhi bhi story sahi track par nhi aai...waiting 4 that...

keep rocking.....

Total 5 Seasons,per seasons 8 Episodes,Kahani me abhi sabhi character ko bahar ana hai bad me yek mystery create hogi fir climex..1 st season me kahani ki mystery open ho jayegi to 3rd season me khatm ho jayegi.
 

Ankitshrivastava

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Total 5 Seasons,per seasons 8 Episodes,Kahani me abhi sabhi character ko bahar ana hai bad me yek mystery create hogi fir climex..1 st season me kahani ki mystery open ho jayegi to 3rd season me khatm ho jayegi.


sahi bola....suspence to last me hi open hona chahiye...tabhi story ka maza hai..

but story ka base ban jaay to padhne me jyada maza aata hai......atleast ye samjh aa jaay ki story kis maqsad se likhi ja rahi to sahi hota hai....

well...intzaar karte hai...

keep rocking......
 
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