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Fantasy THE DARKNESS RISING [Completed]

Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-24)


रहा था. वैसे इसके दोस्त लोग कहा है?” परवेज़ , रोहन से फूचने लगा.
“वो लोग अभी अंदर ही है. यह मैडम की तबीयत ज़रा खराब है इसलिए आराम फरमाने गाड़ी में आकर भात गयी थी.” रोहन ने उसे बताया.
“और हमारा काम आसान कर गयी.” परवेज़ ने जल्दी से कहा.
“तुम लोग को आख़िर क्या चाहिए?” श्रुति ने कहा जो अब थोड़ा नॉर्मल हो चुकी थी.
“तुम्हारे दोस्तों को आने दो पता चल जाएगा. बस तुम इतना समझ लो हम तुम लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुचना चाहते. हमें अपनी मंजिल तक जाना है और इसमें हमें तुम लोगों की जरूरत पड़ेगी.” रोहन ने कहा. फिर रोहन ने देखा की श्रुति के सारे दोस्त ढाबे से बाहर आ रहे थे.
“चुप चाप भायते रहना. ज़रा सा भी हिलने की कोशिश की ना तो यही ठोंक दूँगा और गोली की आवाज़ भी बाहर नहीं जाएगी क्योंकि इस गुण पर साइलेनसर लगा हुआ है.” रोहन ने श्रुति के ऊपर गुण तानते हुए कहा.

श्रुति उस वक्त को कोसने लगी की जब निशा ने उसे अपने साथ इस ट्रिप पर चलने को कहा था और उसके बहुत रिकवेस्ट करने पर वो राजी हो गयी थी उन लोगों के साथ चलने को. वरना उसका मान तो नहीं था इन लोगों के साथ में चलने का. उसके बाद तो और नहीं हुआ जब उसे पता चला की निखिल भी उनके साथ आ रहा है, बल्कि वो लोग निखिल के ही फार्महाउस पर जो नैनीताल में है जा रहे है. पर निशा के काफी समझने पर वो राजी हो गयी थी. फिर उसके बाद उसकी नोक झोंक भी हो गयी थी निखिल और छाया के साथ जिससे उसका मूंड़ अब तक नहीं ठीक हुआ था. अभी वो यह सब चीज़ों के बारे में सोच रही की इतने में यह एक नयी मुसीबत आ गयी. उसने सोचा की आज कल उसका दिन ही उसके लिए बहुत खराब चल रहा है, घर में पापा का अलग टेन्शन है ऊपर से यह नयी मुसीबत गले पढ़ गयी है.

“परवेज़? तू जल्दी से गाड़ी उतार और वो लोग के पीछे पीछे आ. फिर जैसे ही वो लोग गाड़ी के करीब पहुचेंगे तू उन्हें बताना की……..” रोहन परवेज़ की तरफ देखते हुए बोला. “ आगे कुछ और बोलने की जरूरत है तुझे?”
“नहीं बॉस! में समझ गया मुझे क्या करना है. फिक्र मत कर में सब संभाल लूँगा.” कहते हुए परवेज़ गाड़ी से उतार गया.


“चलो देखते है मैडम का क्या हाल है. अकेली भैते भैते शायद उसका दिमाग कुछ ठीक हुआ हो.” छाया ने कहा जो अपने दोस्तों के साथ ढाबे से बाहर आ रही थी.
“छाया प्लीज़, अभी उसे मत च्छेदना और नाहीं उससे कुछ कहना. उसका मूंड़ वैसे ही खराब है और खराब हो जाएगा.” निशा ने छाया को समझाते हुए कहा.
“हां छाया प्लीज़, अभी यह सब मत करना. अभी वॉंट तो एंजाय और उसके खराब मूंड़ से सारा एजॉयंेंट स्पायिल हो जाता है.” आहना भी निशा का साथ देते हुए बोली.
“ओके ठीक है बाबा, कुछ नहीं बोलूँगी उसे . फाइन? “ छाया च्चिदते हुए निशा और आहना की तरफ देखते हुए बोली. यही सब कहते हुए सभी जैसे ही गाड़ी की तरफ बढ़े, अचानक उन्हें पीछे से एक आवाज़ आई “ सुनो भी ओये लौंदो लोग!! यह आवाज़ सुनकर सभी लोग ने पीछे मुड़कर देखा की एक आदमी अपने हाथ में पिस्तौल कमर के पास छुपा के उनके तरफ तन के खड़ा था. यह देख कर सभी लोग दहशत में आ गये. “अंदर जो तुम्हारी दोस्त है ना? उसके साथ में अपना एक यार भरता है और वो उसके भेजे में गुण रखा हुआ है. तुम लोग बस सिर्फ़ इतना करो की बिना कोई आवाज़ किए गाड़ी में चुप चाप भात जाओ. वरना में और मेरा दोस्त तुम लोग के साथ क्या करेंगे यह तुम लोगों को कहने की जरूरत नहीं है मुझे. समझे??” परवेज़ ने उन्हें भी अपनी गुण दिखाते हुए बोला. उन सभी ने खिड़की के अंदर से देखा की वास्तव में श्रुति के साथ कोई भरता हुआ है और उस पर गुण ताने हुए है. फिर वो लोग ज्यादा कुछ नहीं किए और चुपचाप जाकर गाड़ी में भइतने लगे.
“ओये हीरो! तू इधर आ क्या नाम है तेरा ? परवेज़ ने उनमें से एक को बुला कर पूछा.
“जी निखिल!!!.” निखिल डरते हुए जवाब दिया.
“गाड़ी कौन तेरा बाप चलाएगा??….चुप चाप जाकर ड्राइविंग सीट पर भात और जहाँ चलने बोलू वही चलना और कोई होशियारी मत करना समझा?” निखिल बिना कुछ बोले ड्राइविंग सीट पे भात गया. फिर उसके बाद परवेज़ गाड़ी की एक वाली पीछे की सीट पे भटीह गया. यह एक 7 सीटर वाली सुव थी लेकिन अब बैठने वाले 9 थे.

रोहन और परवेज़ के बैठने के बाद उसमें जगह नहीं हो रही थी मगर फिर भी दोनों एडस पड़स जगह बनाते हुए उन लोगों के बीच बैठ गये थे.. परवेज़, निशा , प्रतीक और ऋषि एक दम पीछे वाली सीट पर भायते हुए थे और रोहन, श्रुति, और छाया बीच वाली सीट पर भायते हुए थे और आहना , निखिल के साथ ड्राइविंग सीट के पास वाली सीट पर भाती हुई थी.
“सुनो भी….
Super duper update
 

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(UPDATE-25)


तुम सब!! हम लोग का इरादा तुम लोगों को कोई चोट पहुचाने का नहीं है. हमें बस अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए तुम सब लोगों की जरूरत है. इसलिए तुम सब लोग हमारे साथ अच्छे से रहना, अगर ज़रा सी भी कोई होशियारी दिखाने की कोशिश की तो सालों भून के रख दूँगा सभी को. समझे क्या? “ रोहन ने चिल्लाते हुए सभी से कहा. फिर सभी ने बड़ी बड़ी “जी और हां हां” कहते रहे .
“हम….इसी में तुम सबकी भलाई है वरना मुझे किसी को जान से मारने में ज़रा भी देर नहीं लगती. तुम सब को ठोंक कर चला भी जाऊंगा तो भी मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा क्योंकि यह मेरा रोज़ का काम है. “ अब किसी के अंदर हिम्मत नहीं हो रही थी वो सब उन दोनों की गन्स और उनका मुकाबला कर सके. क्योंकि रोहन ने उन्हें इतना डरा दिया था की वो लोग की हिम्मत ही नहीं हो रही थी कुछ करने की. और वैसे भी उसने उन लोगों से कह दिया था की वो सिर्फ़ उसके मंजिल तक उसे चोद दे बस. इसलिए उन्होंने और ज्यादा कुछ करने का साहस पैदा नहीं हुआ.
“आबे ड्राइवर के बच्चे? क्या नाम है तेरा ? रोहन ने निखिल से कहा.
“निखिल. “ निखिल सिर्फ़ इतना ही कहा.
“सुन? मोरडाबाद बायें पास से जो लेफ्ट टर्न है वहां से लेफ्ट टर्न लेकर रामनगर की और चलना. समझा? रोहन ने उसे आर्डर देते हुए कहा.
“र्र..र्र…रामनगर? हमें रामनगर जाना होगा? तुमने तो कहा था की सिर्फ़ तुम्हारी मंजिल तक पहुंचा दे ? “ निखिल ने ड्राइविंग करते हुए कहा.
“हां तो रामनगर ही हमारी मंजिल है. बल्कि हमें तो उससे भी थोड़ा आगे जाना है. अब तू ज्यादा सवाल पूंछ पूंछ के मेरा भेजा मत खाना चुप चाप गाड़ी ड्राइव करते रही. रोहन ने कहा.
“सुनिए? निशा ने रोहन से कहा. “आपको अगर हमारी गाड़ी की जरूरत है तो गाड़ी ले जाए पर प्लीज़ हमें चोद दीजिए.” निशा ने बहुत गिड गीदा कर कहा.
“हहाहहाहा…” रोहन हंसते हुए कहा. “तुझे क्या लगता है हमारे पास गाड़ी नहीं थी या फिर हमें तेरी गाड़ी के लालच में यह सब कर रहे है? नहीं ऐसा नहीं है. बल्कि हमें तुम लोगों की जरूरत है . “ रोहन ने कहा.
“हमारी जरूरत? मतलब?” छाया ने जल्दी से कहा.
“मतलब भी समझ में आ जाएगा पर फिलहाल अभी चुप भायतो वरना मेरा दिमाग खराब हुआ तो सालों सबको यही ठोंक दूँगा. ….कोई कुछ नहीं बोलेगा अब.” रोहन ने सबको वॉर्निंग देते हुए कहा.


कोई एक डेढ़ घंटे के बाद वो लोग रामनगर पहुंचे तो रोहन ने निखिल से कहा “ आबे ओये ड्राइवर यहां से यह लेफ्ट वाले रोड पे टर्न ले और चल जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क.”
“जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क? हमें वहां तक जाना होगा?” ऋषि ने कहा.
“वहां तक नहीं बल्कि अंदर तक जाना होगा. यही तो सारा खेल है. उसके अंदर पहुँचे का जरिया बनाना चाहता हूँ में तुम लोगों को.” रोहन ने कहा.
“प्लीज़, ऐसा मत करो. अपना कहा था की आपकी मंजिल तक पहुंचा दे. हम आपको वहां तक चोद देंगे. फिर अंदर जाने के क्या मतलब? प्रतीक ने कहा.
“में आखिरी बार सबसे कह रहा हूँ, वरना अभी क्सिी ने कुछ एक लफ़्ज़ भी मुंह से निकाला ना तो सच में साअला यही ठोंक दूँगा भेंचूड़ लोग. मेरी बात किसी की समझ में नहीं आ रही है क्या, मादरोचूड़ो? “ रोहन को अब वास्तव में गुस्सा आने लगा था और जब वो गुस्से में आता है तो ऐसे ही गालिया बकते रहता है. रोहन को चिल्लाते हुए देखकर अब किसी की भी हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ बोलने की. सब लोग चुप चाप भाई हुए थे. कुछ 15 मिनट की ड्राइव के बाद रोहन ने निखिल को गाड़ी रोकने के लिए कहा.
“फिर रोहन, प्रतीक की तरफ घूमते हुए कहा “ओये तू? वो जो काउंटर दिख रहा है ना वहां से हम सब के लिए टिकट ले ले. और वो जो भी पूछे उसका जवाब ठीक से देना. हमारे बारे में उन्हें कुछ मत बताना. उन लोगों से कहना की सब तेरे फ्रेंड्स है और हम लोग पार्क में घूमने के लिए आए है , समझा? अगर कोई गड़बड़ किया ना तो तू जानता है में क्या करूँगा.” रोहन, श्रुति के ऊपर गुण तानते हुए कह रहा था. “तेरे पास तेरा आइडी हैं ना?” रोहन ने प्रतीक से कहा
“ हां हां मेरे पास मेरा आइडी है.” प्रतीक ने जवाब दिया.
“और सुन हम दोनों के नाम विवेक और राजन बताना समझा? रोहन ने उसे फिर कहा.
“ओके ठीक है.” प्रतीक कहता हुआ वहां से टिकट काउंटर पर चला गया.
“अगर वो लोग इधर आए चेकिंग के लिए तो कह देना की हम सब तुम्हारे दोस्त है.” रोहन ने सभी से कहा.

फिर कुछ आधे घंटे तक उनकी पूरी फॉरमॅलिटी हो गयी. उन्होंने भी कुछ ज्यादा चेकिंग नहीं की वो यह ही समझते रहे की यह लोग कॉलेज स्टूडेंट्स है पार्क के अंदर घूमने के लिए आए हुए है. इसलिए उनकी सामानो की भी ज्यादा तलाशी नहीं हुई और फिर उसके बाद उन्हें पार्क के अंदर जाने दिया गया.

फिर जब पार्क के कुछ अंदर….
Mast update bro
 

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जाने के बाद हिम्मत करके इस बार श्रुति ने कहा.” प्लीज़!!! अब तो हमें तो जाने दो. अब तो तुम पार्क के अंदर पहुंच गये हो.”
“इतनी जल्दी क्या है अब तो हमारे पास गाड़ी भी नहीं है तो हम वहां तक कैसे पहुचेंगे? जहाँ तक हमें जाना है. थोड़ा सब्र रखो जब हम अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे तो तुम लोगों को चोद देंगे.” रोहन ने जवाब दिया. फिर रोहन ने घूम कर परवेज़ की तरफ देखा और सिर्फ़ इतना ही कहा “ फोन लगा उसे.” फिर परवेज़ किसी को फोन लगाने लगा “हेलो भीमा! हां हम लोग पहुंच गये है बस कुछ देर में धिकला फोरेस्ट लोंज पहुंच रहे है.” फिर परवेज़ ने फोन काट दिया
“प्लीज़ सर! हमें जाने दो. हम सबने आपका किया बिगाड़ा है प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़.” आहना के आखों में अब आँसू निकालने लग गये थे.
“अरे तू इतना टेन्शन क्यों ले रही है, कुछ नहीं होगा तुम लोगों को. तुम सब यहां से ज़िंदा वापस जाओगे.” रोहन उसे समझाते हुए कहा.
“ लेकिन अगर में तुम सब को चोद दम और तुम लोग बाहर जाकर हमारी शिकायत किसी से कर दिए दो?” रोहन ने कहा.
“नहीं, हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे, प्लीज़ हमारा विश्वास करिए.” प्रतीक ने कहा.
“विश्वास….हहहे. विश्वास तो में अपने बाप पर भी ना करूं , तुम लोग क्या चीज़ हो?” रोहन हंसते हुए कहा.
फिर कुछ देर तक गाड़ी के ऐसे ही चलने के बाद रोहन ने कहा
“ठीक है में तुम लोगों को चोद देता हूँ. वो सामने जो तुम्हें जो पेड़ दिख रहा है ना वहां गाड़ी रोको.” रोहन का बस इतना कहना था की निखिल ने फौरन गाड़ी उस पेड़ के पास रोक दी. रोहन और परवेज़ गाड़ी से उतार गये. “ सुनो जिस रास्ते पर से हम सब आए है उस रास्ते से बाहर मत निकलना बल्कि यहां से आधे घंटे की ड्राइव पर दूसरा दरवाजा है वहां से निकलना, समझे? “ सभी ने हां में अपना सर हिलाया. “और हां कोई अगर कोई पूछे तो किसी को हमारे में किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वो लोग मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएँगे में यहां से आसानी से निकल जाऊंगा. पर अगर किसी ने अपना मुंह खोला तो….” इतना कहते ही रोहन ड्राइविंग सीट पर बैठे हुए निखिल की तरह देखा और उससे कहने लगा.
“तू!! ज़रा एक मिनट के लिए बाहर निकल, मुझे तेरे से कुछ बात करनी है.”
“म्‍म्मेई…..क्क्कय्या बात करनी है???” निखिल थोड़ा डरते हुए कहा.
“आबे तू बाहर तो आ. डर मत कुछ नहीं करूँगा तुझे….अगर कुछ करना होगा तो तुझे यही से थोक सकता हूँ समझा? चल अब जल्दी से आ नहीं तो…..” रोहन, निखिल की तरफ पिस्तौल तानते हुए कहा.
“ऊओककक…..में आ रहा हूँ.” कहते हुए निखिल जल्दी से दरवाजा खोलते हुए उनके पास गया. फिर रोहन, निखिल के कंधे पर हारह रक्त हुआ उसे थोड़ी दूर ले गया.
“उन चारों लड़कियों में से श्रुति कौन है?” रोहन , निखिल की तरफ देखते हुए कहा.
“ष्रृत्तीी….तुम्हें उसका नाम कैसे मालूम?” निखिल हैरत से रोहन की तरफ देखता हुआ बोला.
“आबे ज्यादा सवाल मत पूछा कर मेरे से . जितना बोलता हूँ उतना ही जवाब दिया कर . चल अब जल्दी से बता श्रुति कौन है उन लड़कियों में से?” रोहन, निखिल पर गुस्सा करते हुए कहा.
“वो…जो तुम्हारे बाजू बैठी हुई थी और जिसके ऊपर तुमने अपनी गुण तानी हुई थी ……उसी का नाम श्रुति है.” निखिल ने कहा.
“ह्म्‍म्म्म…..मुझे पहले से ही अंदाज़ा था की वही श्रुति होगी क्योंकि तुम लोग से काफी अलग लग रही थी. अच्छा वो सब चोद, में यह कहना चाहता हूँ की जो कुछ भी तुम सब लोग उस लड़की के साथ में …..उधर नैनीताल में जो करने का इरादा कर रहे हो उसके बारे में मुझे सब पता है.” कहता हुआ रोहन, निखिल की आँखों में देखने लगा.
“में समझा नहीं……आ….आ…आप किस बारे में बात कर रहे है? “ निखिल घबराते हुए कहा की इसे यह सब बातें कैसे मालूम.
“आबे चोद के!!! ज्यादा भोला मत बन……मुझे पता है तुम लोग उस लड़की का गेम बज़ाओगे और फिर उसके बाद उसकी वीडियो बनकर इंटरनेट पर सबको दिहखाओगे.” इतना सुनना था की निखिल की आँखें हैरत से बाहर आने लगी.
“आबे ज्यादा मत सोच की मुझे यह सब कैसे पता चला, वो जब तुम लोग वॉशरूम में बातें कर रहे थे तभी में……किसी टॉयलेट के अंदर था और तुम सब की बातें मैंने सुन लिया था……क्या समझा? फिर रोहन थोड़ा रुक कर निखिल के चेहरे की तरफ देखने लगा और फिर उसके बाद कहने लगा.
“आबे तू फिक्र मत कर!! में तुझे ऐसा करने से रोक नहीं रहा हूँ और ना ही उस लड़की को बताने जा रहा हूँ….मुझे कोई फर्क नहीं पढ़ता की तुम लोग उस लड़की के साथ क्या करोगे…में बस इतना चाहता हूँ की तुम लोग यहां से चुप चाप निकल जाओ और हम दोनों ने तुम लोगों को ज़बरदासित यहां पकड़ के लाए है उसके बारे में किसी से कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है. अगर तुम लोगों ने ऐसा किया तो में उस लड़की और उसके परिवार को तुम लोगों के इरादो के बारे में बता दूँगा…..
Nice update
 

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फिर उसके बाद तुम लोगों का जो हाल होगा वो तो होगा…..पर में खुद तुम सब को ढूंढ. ढूंढ. कर तुम सब की मां चोद दूँगा और यह सब करना मेरे लिए कोई मूसखिल काम नहीं है. समझा?….” रोहन, निखिल की तरफ आँखें दिखाते हुए कहा. निखिल का तो डर के मारे कुछ बोला ही नहीं जा रहा था..
” ज्ज्ज्जिई…में समझ गया….हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे श्रुति के साथ…” डरते हुए निखिल ने कहा.
“तुम लोग की मर्जी है करना है तो करो, मुझे कोई फर्क नहीं पढ़ता पर, अपने दोस्तों को यह बता देना जो मैंने तुझे बताया की अगर मुंह खॉलोगे तो में क्या हाल करूँगा सबका.” रोहन ने कहा.
“टीट…हहीक.. है में सबको समझा दूँगा. आप फिक्र मत करिए.” निखिल ने कहा.
“आबे फिक्र करने की जरूरत मुझे नहीं तुम लोगों को है. समझा?? रोहन ने कहा.
“ठीक है……में समझ गया.” निखिल ने भी कहा.
“चल जा अपनी गाड़ी में बैठ….और जहाँ से कहा है उसी दरवाजा से वापस जाना.” कहते हुए रोहन, परवेज़ के साथ आगे तरफ गया.


“राम सिंग? क्या हुआ फोरेन्सिक की रिपोर्ट आई? “ उमेश, रामसिंघ को अपने केबिन में बुलाकर पूछा.
“हां सर बस अभी अभी आई है. और बहुत शॉकिंग बात कही हुई है इसमें!” राम सिंग ने कहा.
“शॉकिंग बात? कौनसी शॉकिंग बात?” उमेश हैरत में पढ़ कर बोला.
“सर इसमें लिखा है जो कंकाल हमें वहां से मिला था उन सबको किसी जानवर ने खाया है. और इस जानवर ने अपने तेज नुकिले नाखून से उन सब पर हमला किया था . और हमला इस तरह किया के उनके जिस्म से एक भी माँस नहीं मिला” राम सिंग ने कहा.
“क्या कहा जानवरो ने उनपर हुँला किया था और वो भी अपने नाखूनओ से उनको चियर फाड़ डाला? पर ऐसा कौनसा जानवर पैदा हो गया जो इतने भयंकर तरीके से उन लोगों की जान ले ली.” उमेश थोड़े देर सोच में डूबे रहने के बाद फिर कहा.
उन लोगों को मारे हुए कितना टाइम हुआ था ?
“जब हमें हड्डियाँ मिली थी उससे कुछ 5 घंटे पहले.” रामसिंघ ने जवाब दिया.
“किया? 5 घंटे पहले? रामसिंघ तुम क्या कह रहे हो 5 घंटे में इंसान हो या जानवर उसका माँस इतनी जल्दी नहीं गलता और नाहीं दुनिया का कोई भी जानवर इतनी सफाई से किसी की लाश खाएगा. वहां तो माँस का एक लोथड़ा भी नहीं था. ऐसा लग रहा था जैसे कोई बहुत फुर्सत से इन सबको खाया है.”
“यही तो है शॉकिंग बात है सर!” रामसिंघ ने कहा.
“समझ में नहीं आ रहा है ऐसा कौनसा जानवर पैदा हो गया जो इतनी जल्दी एक लाश से माँस कहा गया” कहते हुए उमेश फिर किसी सोच में डूब गया. उनके बीच इसी तरह की और भी बातें चल ही रही थी के अचानक, एक फोरेस्ट ऑफिसर भागता हुआ आया और डायरेक्ट उमेश के केबिन में घुस गया.”सर!! बहुत ही बुरी खबर है!!!, अभी अभी खबर आई है की उधर कालगरह के आस पास कुछ हुआ है. अभी हमारा एक ऑफिसर जो वहां तैनाल्ट था उसने यह खबर दिया है की वहां पर कुछ अजीब से दिखने वाले कुछ जानवरो ने हमला कर दिया है, जो बंदारो से थोड़े मिलते जुलते है. उन्होंने काफी टूरिस्ट्स को भी जान से मर डाला है.”
“क्या कहा तुमने? अजीब से दिखने वाले जानवर?” उमेश ने कहा.
“हां सर !!! बहुत आतंक मचा के चले गये है वो लोग.”
“रामसिंघ? अभी कालगरह इंचार्ज से मेरी बात करवा, फौरन.” उमेश ने रामसिंघ से कहा. रामसिंघ तुरंत कालगरह के इंचार्ज को फोन लगता है और फिर .
“सर? रात्ोड़ सर! फोन पर है.” रामसिंघ , उमेश को फोन देते हुए कहा.
“हेलो! रात्ोड़ वहां क्या हो रहा मुझे सारी सूरत हाल बताओ.” उमेश फोन पर रात्ोड़ से कहता है.
“सर! अभी अभी यहां पर बहुत बुरा हुआ है . कुछ अजीब से 4 या 5 जानवरो ने अचानक हमारे कुछ ऑफिसर्स और टूरिस्ट्स पर हमला कर दिया फिर जूम मौकाए वारदात पर पहुंचे तो हमें सिर्फ़ हड्डियों के कंकाल मिले!! सिर्फ़ कंकाल!!! माँस का एक लूतदा भी नहीं. और यह सब इतनी जल्दी हो गया की हमें कुछ सोचने का मौका भी नहीं मिला. हमारे एक ऑफिसर जो वहां से बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचके भागा था उसने कहा की वो जानवर नहीं थे बल्कि जानवर के भेस में शैतान थे. जिस तरह उन्होंने उन सब पर हमला किया और फिर उन को इस तरह खाया की जैसे कोई चिकन का लग पीस कहा रहा हो….’ कहते हुए रात्ोड़ ने सारी जानकारी उमेश को दे दी
“रात्ोड़? तुम एक काम करो कालगरह के आस पास जीतने टूरिस्ट को वहां से हटा सकते हो हटा दो या फिर उन्हें किसी सुरख़्शिट जगह ये रेस्ट हाउस पर तेहरा दो. पर हर किसी के साथ कोई ना कोई गार्ड होना चाहिए. “ और भी कुछ जरूरी आदेश देते हुए उमेश ने फोन काट दिया.
“रामसिंघ? हर जगह के इंचार्ज को इनफॉर्म कर दो की जंगल का च्चप्प्पा चप्पा शण मारे की वो क्या चीज़ है. और अभी इस वक्त भी पूरे नेशनल पार्क में टूरिस्ट है या टूरिस्ट स्पॉट की सुरक्षा बढ़ा दो.” उमेश ने रामसिंघ को आर्डर देते हुए….
Mast update
 

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कहा.
“ओके सर! में अभी सब चीज़ का बंदोबस्त करता हूँ.” कहते हुए रामसिंघ उमेश के केबिन से निकल गया. रामसिंघ के जाने के बाद उमेश सोच में पढ़ गया की आख़िर यह क्या हो रहा है. पहले वो उन लोगों से परेशान था जो जंगली जानवरों का शिकार करते थे और उनके बॉडी पार्ट्स को बेचते थे , अब यह नयी मुसीबत गले लग गयी थी यह अजीब से दिखने वाले जानवर. आज से इससे पहले तो ऐसी कोई बात नहीं हुई यहां पर अचानक ऐसे कैसे हो गया. कहा से यह जानवर आएँगे होंगे. रात्ोड़ कह रहा था वो बंदर जैसे दिहकते है पर बंदर नहीं थे. और सबसे बड़ी हैरत की बात तो यह है की वो पूरा का पूरा इंसान को एक ही झटके में कहा जाते है वो भी इतनी सफाई से की जिस्म का एक भी माँस नहीं बचता. यही सब सोचते सोचते उमेश ने फैसला किया की वो अभी खुद जाएगा सर्च पार्टी के साथ उन जानवरो की तलाश में.


“थॅंक गोद, आख़िर उन दोनों से च्छुतकारा मिला.” छाया ने कहा.
“में पहले भी नहीं आना चाहती थी तुम लोगों के साथ में और फिर तुम लोगों की वजह से में इस मुसीबत पे पढ़ गयी.” श्रुति ने एकदम गुस्से में आकर कहा.
“ओह हेलो! कोई किसी को फोर्स नहीं किया है साथ में चलने को, सब अपनी मर्जी से आए है.” च्चाइया ने श्रुति के ऊपर गुस्सा करते हुए कहा.
“मैंने तुमसे नहीं कहा है. यू जस्ट चुत युवर मौत. ओके?” श्रुति ने उंगली दिखाते हुए गुस्से से छाया की तरफ देखते हुए कहा.
“वाइ शुड ई चुत में मौत? यू चुत युवर मौत यू बिच. तुम्हारी वजह से हमारी पूरी जर्नी स्पायिल हुई है.” छाया ने भी गुस्से से कहा.
“चुप भैइतो तुम दोनूऊ!!!! तुम दोनों पागलों की तरह लड़ना बंद करो.”ऋषि ने चिल्लाते हुए दोनों से कहा . “शुक्र मनाओ की हम उस कमीने के चंगुल से आज़ाद हो गये है “ में अभी दरवाजा पर पहुंच कर साले के बारे में बताऊंगा की अंदर साले दो आतंकवादी घुस गये है. उनके पास हथियार भी है.”
“तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे ऋषि!!! उसने हमें वॉर्न किया है की अगर हमने उनके बारे में कुछ कहा तो वो हमें छोड़ेगा नहीं और स्पेशली मुझे क्योंकि वो बस्टर्ड ने मुझे अकेले बुलाकर धमकिया दे रहा था.” कहते हुए निखिल चुप बैठ गया.
“पर निखिल तुम बताते क्यों नहीं की उसने आख़िर तुमसे और क्या क्या कह रहा था क्योंकि उसे धमकिया देना होता तो वो हम सबके सामने तुम्हें धमकिया दे सकता था, यूँ अकेले नहीं बुलाता.” आहना ने निखिल से कहा.
“में अभी उस बारे कुछ नहीं कह सकता. बस इतना समझ लो की अगर हमने उन दोनों के खिलाफ कुछ कदम उठाया तो हमारे साथ बहुत बुरा होगा.” निखिल ने कहा.
इससे पहले की कोई कुछ और कहता उनको कुछ फोरेस्ट रेंजर्स ने उनका रोसता रोका.
“क्या बात है? क्या हुआ? निखिल ने अपने पास आते हुए गार्ड्स से कहा.
“आप लोग कहा जा रहे है.” उस गार्ड ने कहा.
“हम कालगरह जा रहे है फिर वहां से हम इस पार्क से निकल जाएँगे. क्यों क्या हुआ ऑफिसर? “निखिल ने कहा.
“आप को वापस जाना होगा क्योंकि कालगरह का रास्ता किन्हीं जरूरी कारानो की वजह से बंद कर दिया गया है. आप लोगों को झिरना के रास्ते से बाहर जाना पड़ेगा. और आप लोगों के साथ में हमारा एक गार्ड भी होगा.” उस ऑफिसर ने बताया.
“पर क्यों ? रास्ता क्यों बंद है. देखिए हमें जल्दी नैनीताल पहुचना है हमें पहले से ही देर हो रही है और अगर हम झिरना से जाएँगे तो हमें और लेट हो जाएगा.” निखिल ने कहा.
“सॉरी! आप यहां से नहीं जा सकते कुछ खतरा है यहां से. आपको झिरना के रास्ते से ही जाना होगा.
“जाने दो ना हम वही से निकलते है “ आहना ने निखिल को समझते हुए कहा.
“ठीक है हम वही से जाएँगे. ओके थेन्क यू!!! निखिल ने कहा.
“पर आपके साथ हमारा एक गार्ड भी जाएगा.”
“अब गार्ड की क्या जरूरत है में कोई पहली बार नहीं आया हूँ. मुझे वहां का रास्ता पता है.” निखिल ने कहा.
“देखिए हम आपको बिना गार्ड के नहीं भेज सकते क्योंकि अब रात भी होने वाली है . तो इसलिए खतरा बना रहेगा.” उस ऑफिसर ने समझाते हुए कहा.
“खतरा कैसे खतरा? देखो यहां कौनसा जुनगल्ली जानवर आएगा ? यह कोई कोर एरिया तो है नहीं” निखिल ने कहा.
“ हां में जानता हूँ फिर भी आपको गार्ड को अपने साथ लेकर जाने होगा यह सिर्फ़ आपकी प्रोटेक्शन के लिए है.” और इसी तरह की और भी बातचीत होती रही निखिल और उस ऑफिसर में. फिर बाद में तय हुआ की उनके साथ एक गार्ड भी जाएगा. निखिल, आहना को फीचे भीता दिया और उस गार्ड को अपने बाजू में.

“परवेज़? सुशांत को फोन लगा और उसे बोल दे की हम लोग नेशनल पार्क के अंदर पहुंच गये है.” रोहन ने कहा. फिर परवेज़ अपनी जेब से मोबाइल निकाला और सुशांत को फोन लगाने लगा.
“हेलो! सुशांत! मैंने तुम्हें यह कहने के लिए फोन किया है की हम नेशनल पार्क के अंदर पहुंच गये है.”
“तुम लोग अंदर….
Excellent update
 

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पहुंच गये हो……? पर कैसे? क्या तुम्हें किसी ने रोका नहीं?” दूसरी तरफ सुशांत ने हैरत से कहा.
“अरे सुशांत कितनी भी सेक्यूरिटी टाइट कर लो तुम लोग परवेज़ जैसे चट्टान को नहीं रोक पाओगे.” परवेज़ अपंदी बधाई करते हुए बोला.
“खैर वो सब थोड़ी. यह बताओ की तुम हमें कहा मिल रहे हो? क्योंकि हम दोनों धिकला फोरेस्ट लोंज पहुंच गये है और थोड़े ही देर में भीमा भी आने वाला है” परवेज़ ने फिर कहा.
“मुझे तो अभी थोड़ा टाइम लगेगा. एक काम करो तुम लोग वही लोंज में मेरा वेट करो में तुम्हें ड्यूटी से छूटने के बाद आकर मिलता हूँ.” सुशाण ने कहा.
“चल ठीक है कोई बात नहीं, हम भी रेस्ट हाउस में अपनी कमर थोड़े सीधी कर लेंगे. तुम आ जाना अपना काम पता कर.” कहते हुए परवेज़ ने फोन काट दिया. फिर वो रोहन की तरफ घूमा और कहने लगा.
“वो कह रहा है की अपना काम पता……..” परवेज़ कुछ और कहता उससे पहले ही रोहन उसे टोकते हुए बोला.
“हां हां पता है मुझे वो अपनी ड्यूटी पूरी करके आएगा और हमें इस लोंज में आकर मिलेगा. मुझे सब समझ में आ गया है.” रोहन ने कहा. फिर उन्हें दूर से भीमा आते हुए दिखा. भीमा जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के आस पास बसे हुए गाँव का निवासी था. वो रोहन और परवेज़ को जानवरो का शिकार करने में और उन्हें यहसे सुरक्षित निकालने में उनकी मदद करता था जिससे उसे अच्छे पैसे मिलते थे.


“हां भीमा क्या हाल है.” रोहन भीमा को देखते हुए कहा..
“सब चंगा है सरकार, आप अपनी सुनाए. “ भीमा अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा.
“हम भी मजे में है दोस्त” रोहन ने जवाब दिया.
. वो तीनों अब थोड़े ही दूर पर बने हुए एक रेस्ट हाउस की तरफ जा रहे थे जहाँ उन्हें रुकना था.
“इधर का माहौल कैसा है भीमा?” रोहन ने चलते हुए कहा
“मुझे भी कुछ ज्यादा पता नहीं है, लेकिन जहाँ तक में समझ रहा हूँ माहौल कुछ ठीक नहीं है. पता नहीं आज कल यह फोरेस्ट रेंजर वाले इतने चौकसी क्यों बढ़ा दी है. जब आपने फोन किया मुझे की आप लोग आने वाले है तो मैंने सोचा की एक बार आप लोगों को मना कर दम. फिर जब आपने यह कहा की इस बार काम किसी चीनी पार्टी का है और काम बड़ा करना है तो फिर मैंने कुछ कहा नहीं.” भीमा ने रोहन को समझाते हुए कहा.
“पर इतनी टाइट सेक्यूरिटी क्यों बढ़ा दी गयी है? ऐसा क्या गज़ब हुआ है?” परवेज़ ने कहा.
“सरकार! अभी थोड़े ही देर पहले मेरा एक साथी मुझे बता रहा था की कालगरह के आस पास इलाके में कुछ जानवरो ने कुछ फोरेस्ट ऑफिसर्स और तौरसितस पर हमला किए है. वो यह भी बता रहा था की वो आम जंगली जानवर नहीं थे बल्कि कोई विचित्र जानवर थे जिन्हें इससे पहले नाहीं कभी देखा गया है और नाहीं कभी उनके बारे में सुना गया है. वो और भी कुछ बता रहा था की उससे पहले आप लोगों का फोन आ गया तो मैंने बात अधूरी चोद कर आप लोगों से मिलने चला आया.” भीमा ने कहा.
“में समझा नहीं. विचित्र जानवर बोले तो?” रोहन ने भीमा से कहा.
“विचित्र मतलब थोड़े से अजीब जानवर.” भीम ने उसे विचित्र के मतलब बताते हुए कहा.
“अरे भीमा….मैंने विचित्र का मतलब नहीं पूछा है तुमसे , मेरा यह कहने का मतलब है ऐसा कौनसा जानवर है जिसे आज तक किसी ने देखा नहीं और नाहीं उनके बारे में सुना है.” रोहन ने कहा.
“मुझे भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, जैसा के मैंने अभी आप को बताया की आप लोगों का फोन आने पर में यही चला आया.” भीमा ने कहा.
“वो तो खैर ठीक है पर जब चौकसी इतनी तरफ गयी है तो हम शिकार कैसे करेंगे?” इस बार परवेज़ कुछ चिंतित स्वर में भीमा से कहा.
“फिक्र मत करिए परवेज़ बाबू! यह लोग चाहे कितनी भी चौकसी बदहले हम गाँव वाले को थोड़े ही ना रोक पाएँगे. इतने बारे जंगल का मुझे चप्पा चप्पा पता है. अगर हम इन लोगों से डर के भात गये तो हो गया हमारा काम. इन्हें चकमा कैसे देना है वो हम अच्छी तरह से जानते है. आप लोग उसकी फिक्र मत करो.” भीमा ने कहा.
“हां भीमा वो हमें पता है तुम कितने काम के आदमी हो. खैर वो सब चोदो क्या अपने आदमी जमा कर लिए हो ना?” रोहन ने भीमा से कहा.
“हां सरकार जब आप लोगों का फोन आया तभी से में इस जुगाड़ में लग गया था.” भीमा ने कहा.
“सरकार? इस बार कितना माल मिलेगा? क्योंकि क्या है हमारी तो ज़मीन जायदाद तो है नहीं और हमें इस काम के अलावा कोई काम धाम भी नहीं आता तो हमें इसी काम पर निर्भर रहना पढ़ता है और ऊपर से इतने दीनों से कोई काम भी नहीं हुआ है तो हम सब लोग बेरोज़गार भायते हुए है….अगर इस बार ज़रा कुछ ज्यादा मिल जाता तो बड़ी मेहरबानी होगी सरकार….” भीमा बारे
“हां भीमा में भी इस बात को समझता हूँ. तुम फिक्र मत करो इस बार तुम्हें और तुम्हारे साथियों को जितना भी दूँगा….

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उसकी तुम कल्पना भी करोगे.” रोहन ने कहा.
वो तीनों को चलते चलते अब रात हो चुकी थी. चारों तरफ सन्नाटे का माहौल था. अगर कोई अंजाना व्यक्ति इस तरह के माहौल में चले और वो भी आस पास पहले हुआ जंगल तो निश्चित रूप से डर लगता, पर उन तीनों को इन सब चीज़ों की आदत लग चुकी थी.

वो तीनों अब एक ऊंची जगह पर चल रहे थे जिसके बाए तरफ एक सड़क थी और उस सड़क के पार दूर दूर तक जंगल दिख रहा था और दूसरी तरफ यानि दायें तरफ के ढलान के नीचे से उतरने के थोड़े ही दूर पे उनका रेस्ट हाउस था. जब भी रोहन और परवेज़ इस पार्क में आते थे यही रुकते थे.


अचानक रोहन अपनी बायें और की तरफ देखता है दूर से एक गाड़ी अपनी हेडलाइट्स ऑन रखे हुए वहां से आ रही है. पहले तो उसने कोई ध्यान नहीं पर जैसे ही वो गाड़ी उनके थोड़ा करीब आई तो उसे गाड़ी की साइज देखकर कुछ शक़ुए सा हुआ है और थोड़ी देर रुक कर उस गाड़ी को देखने लगा. पर उसे कुछ ठीक से समझ नहीं आता की कोन से गाड़ी है तो अपना शक़ुए दूर करने के लिए परवेज़ से कहता है.
“परवेज़ वो अपना बाइनाक्युलर दे….”
“अरे क्या हुआ? अचानक बाइनाक्युलर की क्या जरूरत पढ़ गयी ? और तू रुक क्यों गया है? चलना.” परवेज़, रोहन को यूँ अचानक रुकते हुए देखा तो कहा.
“आबे हर टाइम बहस मत किया कर. जल्दी से बाइनाक्युलर दे.” रोहन ने थोड़ा कड़क आवाज़ में कहा. परवेज़ ने जल्दी से बाइनाक्युलर निकाल कर दे दिया क्योंकि वो जानता था अगर थोड़ा भी देर किया तो गुस्सा हो जाएगा और गाली गलोच पे उतार जाएगा और यह परवेज़ चाहता नहीं था.
“ले भाई पकड़ बाइनाक्युलर.” परवेज़, रोहन को बाइनाक्युलर देते हुए कहा. रोहन ने परवेज़ के हाथ से बाइनाक्युलर लिया और उसे अपनी आँखों में लगा लिया और उस रोड की दिशा में देखने लगा. उसकी देखा देखी परवेज़ और भीमा भी उसी दिशा में देखने लगे. रोहन कुछ देर तक बाइनाक्युलर से आने वाली गाड़ी को देखता रहा पर जब वो गाड़ी उस ढलान से कुछ निकट से गुजर कर वहां से आगे बड़ी तो रोहन को थोड़ा झटका लगा. अचानक को वो बाइनाक्युलर अपनी आँखों से हटाया और कुछ अपने मुंह में कुछ बुदबुदाया.
“आबे क्या हुआ? क्या देख लिया गाड़ी ही तो है? और क्या यह बड़बड़ा रहा है? कुछ बताएगा?” परवेज़, रोहन को गंभीर अवस्था में देखा तो कहने लगा. पर रोहन उसकी बात का कोई जवाब दिए बिना भीमा से कहने लगा.
“भीमा?तुम्हारी मोटरसाईकल किधर है?”
“हां….हां सरकार वो वही…रेस्ट हाउस में खड़ी किया है.” भीमा ने कहा.
“ठीक है जल्दी चलो रेस्ट हाउस पर, मुझे उस गाड़ी का पीछा करना है.” रोहन रेस्ट हाउस की तरफ जल्दी जल्दी चलते हुए कहा.
“अरे पर बताएगा की क्या है उस गाड़ी में?” परवेज़ भी रोहन के पीछे दौड़ते हुए कहा.
“वो वही गाड़ी है जिसमें हम आए थे. और उन कामीनो से हमने कहा था की कालगरह के रास्ते से बाहर जाने को पर पता नहीं वो साले वापस क्यों उसी रास्ते पे जा रहे है जहां से हम आए थे. मुझे तो शक़ुए हो रहा है की कही साले हमारी शिकायत तो नहीं करने जा रहे है? अगर ऐसा हुआ तो बड़ी मूसखिल तरफ जाएगी इसलिए में उनके फीचे जा रहा हूँ उन्हें रोकने.” रोहन लंबे लंबे कदम बढ़ाता हुआ रेस्ट हाउस की तरफ जा रहा था.
“क्या कह रहा है तू? वो साले हरांखोरों की औलादों की गाड़ी थी? वो साले वहाँ क्यों जा रहे है? चल जल्दी उन्हें रोकना होगा.” परवेज़ के इतना कहते ही वो तीनों रेस्ट हाउस पर पहुंच चुके थे.
“सिर्फ़ में अकेला जाऊंगा तू यही रुक. वो मादरचोड़ो की खबर में लेता हूँ.” रोहन ने गुस्से में आकर कहा.
“भीमा कहा है तुम्हारी मोटरसाइकल? “ रोहन भीमा की तरफ पलटते हुए कहा.
“वो उधर खड़ी है.” भीमा रेस्ट हाउस के एक कॉर्नर में खड़ी हुई बाइक की तरफ इशारा करते हुए कहा.
“ठीक है, जल्दी से चाभी दो. और परवेज़ मेरी गुण और खंजर कहा है? जल्दी से दे नहीं तो साले बहुत आगे निकल जाएँगे फिर उन्हें ढूंढ़ना मुश्किल हो जाएगा.” रोहन, परवेज़ से कहा और फिर भीमा से चाबी लेता हुआ बाइक पर भरता और बाइक स्टार्ट कर दी.
“पर तू साले अकेला क्यों जाएगा में भी तेरे साथ में चलूँगा. तेरे गुस्से का कोई भरोसा नहीं पता नहीं क्या कुछ कर डालेगा? “ परवेज़ बाइक की फिचली सीट पर भायते हुए कहा.
“आबे उतार! बहस करने का टाइम नहीं है मेरे पास. तू यही रही और मेरी फिक्र मत कर में अभी उन कुत्तों की खबर लेकर आता हूँ. “ रोहन ने कहा.
“सरकार ज़रा संभाल कर कोई काम करना क्योंकि फोरेस्ट रेंजर हर जगह तैनात है.” भीमा ने इस बार समझाते हुए कहा रोहन को.
“तुम लोग मेरी फिक्र मत करो. में सब संभाल लूँगा.” और इतना कहते ही रोहन , परवेज़ से गुण और खंजर लेते हुए वहां से बाइक लेकर निकल गया. उसने तो पहले एक कच्चा रास्ता पकड़ा फिर उसे पार करने के बाद उसे
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पक्का रोड मिल गया जहाँ से वो गाड़ी गुज़री थी.
“साले बहुत दूर निकल गये होंगे? मुझे बहुत तेजी से बाइक चलानी होगी.” सोचता हुआ रोहन बाइक और तेजी से भागने लगा. वो बस जल्द से जल्द उन तक पहुचना चाहता था.

गाड़ी में बिलकुल खामोशी थी. उन लोगों के साथ जो गार्ड था वो एक दम चौकस भरता हुआ था और रही रही कर चारों तरफ अपनी निगाएँ यहां वहां फिरा रहा था की कही कुछ गड़बड़ तो नहीं हो रही है. निखिल गाड़ी चलाने में व्यस्त था और बाके के अपने अपने ख़यालो में थे. उन्हें बस यहां से जल्द से जल्द निकलना था. जो उनके साथ आज घटित हुआ उसको भूल कर नैनीताल में खूब मजे करने थे. पर श्रुति कुछ भी नहीं सोच रही थी, वो तो बस उस वक्त को कोस रही थी जब वो इन सब के साथ चलने को तैयार हुई थी. वो इस सब से जल्द से जल्द च्छुतकारा पाना चाहती थी खास कर के निखिल और छाया से. वो सोच रही थी की यहां से निकालने के बाद वो डायरेक्ट दिल्ली के लिए कोई प्राइवेट टैक्सी लेगी और इन सब से च्छुतकारा पा लेगी . पर उसे और बाकी लोगों को क्या पता था की वो जो सोच रहे है क्या वैसा ही होगा? उन्हें क्या पता था की आगे उनकी मौत उनका वेट कर रही है.

निखिल जो गाड़ी ड्राइव कर रहा था अपने ख़यालो में खोया हुआ था की अचानक एक चीज़ गाड़ी के बोनट पर गिरी जिससे धम्म्म्म करके आवाज़ आई . सब चौंक गये अचानक पालक झपकते हुए यह क्या हो गया. पर जो चीज़ गाड़ी के बोनट पर गिरी थी वो दरअसल गिरी नहीं बल्कि कूदी थी और वो कोई और नहीं वही वहशी दरिंदो में से एक था जिनका खौफ पूरे जंगल में फैला हुआ था.

निखिल की समझ में नहीं आया की अचानक से यह क्या सामना आ गया? और जिसकी वजह से वो अपनी गाड़ी का संतुलन खो भरता जिसकी वजह से गाड़ी अनियंत्रण हो गयी और एक पैएड से जा टकराई. और वो वहशी दरिन्दा अब बोनट पर खड़े होकर गाड़ी की आगे की काँची तोड़ने लगा…वो गार्ड जो एक गुण से लेंस था घबरा गया क्योंकि उसने अपनी आज तक के 5 साल के कैरियर में इतना भयानक जानवर नहीं देखा था…बल्कि उसके ख्याल में वो जानवर नहीं बल्कि एक शैतान था…हां शैतान ही तो था वो . उस वहशी दरिंहे का हमला और गाड़ी का पेड़ टकराना इतना अचानक हुआ था की उस गार्ड को होश ही नहीं था की उसकी गुण कब उसके हाथ से चुत चुकी. और जब उसे अपनी गुण का एहसास हुआ तो वो गुण उठाने के लिए अपनी सीट के नीचे झुंका. पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि वो दरिन्दा गाड़ी के शीशे तोड़ कर पहले उस गार्ड की गर्दन एक ही झटके में अलग कर दिया. यह देखकर गाड़ी में भायते बाके के लोग चीख पुकार करने लगे. उन्हें भी नहीं समझ में आया की यह एकदम से अचानक क्या हो गया. उस गार्ड की गर्दन अलग करने के बाद वो दरिन्दा निखिल की तरफ बढ़ा.


निखिल इससे पहले की दरवाजा खोल के बाहर भागता उस दरिंदे ने उसकी गर्दन भी एक झटके में अलग कर दी. यह सब देख कर गाड़ी में और लोग भायते हुए अपना अपना दरवाजा खोल के बाहर की तरफ भागने लगे. जिसकी जहाँ समझ में आ रहा था वो भाग रहे थे. पर उन्हें क्या पता था जिस दरिंदे से डर कर वो दूर भाग रहे थे वो अकेला थोड़े ही आया था उन्हें मौत के घाट उतारने. उन सबके यहाँ वहाँ भागने पर उन्हें एक नयी मुसीबतों का सामना करना पड़ा क्योंकि उस दरिंदे के अलावा बाहर पहले से तीन दरिंदें और थे और वो उन की तरफ झपट रहे थे.

आहना , छाया, ऋषि, प्रतीक, निशा और श्रुति सब के सब उन दरिंदो का चंगुल में फँस चुके थे. उन सबको कुछ सोचना समझने का मौका मिल पाता उससे पहले ही वो सब हैवान उन पर झपट पड़े. श्रुति ने देखा की आहना और ऋषि को तो उस दरिंदे ने एक झटके में उनका सर उनके धड़ से अलग कर दिया. वो यह सब देखकर उसके मुंह से एक चीख निकल पड़ी जिसकी वजह से वो दरिन्दा श्रुति की और लपकने लगा. अपनी और उस दरिंदे को आता देख श्रुति वहां से भागने लगी, पर उसके भागने की रफ्तार और दरिंदे की भागने की रफ्तार में फर्क था. पालक झपकते ही वो श्रुति के करीब आ गया और श्रुति को लपकने के लिए अपना हाथ बढ़ाया. श्रुति जो इतनी बदहवासी में भाग रही थी उसे अपने आगे पीछे क्या पड़ा है किसी भी चीज़ का एहसास नहीं हो रहा था. और इसलिए भागते वक्त वो एक पत्तहार से टकरा गयी और नीचे खाई की तरफ गिरने लगी. जब श्रुति अपना सालटुलन खोने के बाद नीचे की और गिर रही थी तो उस दरिंदे ने झट से उसकी और लपका और इस तरह उसके हाथ में श्रुति का जॅकेट आ….
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गया. श्रुति आधी हवा में और आधी ज़मीन पर थी. उसने देखा की उसके आगे एक खाई है और पीछे यह वाहसी दरिन्दा, अगर वो उस खाई के नीचे गिरती है तो शायद वो बच सकती है या फिर मर भी सकती है पर अगर वो इस दरिंदे के हाथ में आ गयी तो वो भी उसकी वही हालत करेगा जो आहना और ऋषि के साथ किया था. उसने बिना कोई शान गवायें अपना जॅकेट जिसका कॉलर उस दरिंदे के हाथ में था उसकी ज़िप खोली और उसे अपने खड़े से आज़ाद कर दिया. उसके बाद वो नीचे की और गिरने लगी,

रोहन जल्द से जल्द उन्हें पकड़ना चाहता था. पूछना चाहता था की सालों आख़िर उस रास्ते को चोद कर वो इस रास्ते क्यों जा रहे है.. उसे पूरा पक्का यकीन था की हो ना हो वो लोग परवेज़ और रोहन की शिकायत करके उन्हें पकड़वाना चाहते है. यही सब सोचते सोचते रोहन गाड़ी भगाए जा रहा था की अचानक उसे वो गाड़ी दिख गयी जिसमें वो भात कर इस पार्क में आया था. वो अपनी बाइक की रफ्तार को और तेज कर दिया और जल्द से जल्द उन तक पहुचना चाह रहा था की तभी, अचानक….वो देखता है की एक अजीब सा दिखने वाला जानवर उनके गाड़ी पे कूड़ा और थोड़े ही देर में वो गाड़ी अपना नियंत्रण खोते खोते एक पेड़ से जा टकराई. रोहन की कुछ समझ में नहीं आ रहा था की यह अचानक से क्या हो गया. वो किस तरह का जानवर था जो गाड़ी की बोनट पे कूड़ा था. फिर रोहन भी उस गाड़ी के थोड़ा ही दूर रहा होगा की उसने देखा की गाड़ी के अंदर भायते हुए सभी लोग दरवाजा खोल कर और चीख पुकार करते हुए बाहर की और भाग रहे थे और उन सब के पीछे तीन और दरिंदे पहुंच गये.

उसने कुछ देर सोचा की वो क्या करे. फिर वो अपनी गुण निकाला और उन दरिंदो पर हमले करने लगा. उन दरिंदो में एक को गोली लगी और वो एकदम दर्द से कराह कर एक भयांक आवाज़ नाकली जैसे किसी शेयर की भी नहीं होती है….पर वो गोली उसका ज्यादा कुछ नहीं बिगाड़ पाई बल्कि वो और हिंसक हो गया और वो रोहन की और दौड़ कर आने लगा. रोहन भी बाइक चलते हुए उसके करीब आ रहा था और उस पर निशाना साधते हुए गोली चला रहा था. पर दरिन्दा वो हर गोली से बचता हुआ एक दम गुस्से में आया और एक हाथ से रोहन पर प्रहार किया. उसके इस प्राहार से रोहन संभाल नहीं सका और वो बाइक समेट उस खाई में गिरने लगा.


आह……आह…..आह. श्रुति उस खाई में गिरने के बाद ऐसे ही कुछ देर गिरने के बाद कराहते हुए उठ कर बैठने की कोशिश करने लगी. पर उसे ऐसा करने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पढ़ रहा था..क्योंकि वो खाई में गिरने के बाद जैसे तैसे अपने आपको बचाते हुए ज़मीन पर गिरी थी और इसमें वो बुरी तरह जख्मी हो गयी थी. उसके मुंह के अंदर से काफी खून बह रहा था , शायद अंदर से होंठ या जबड़े पर चोट लगी होगी और माथे पर भी काफी मर लगी हुई थी., जिसकी वजह से खून माथे से गिरकर पूरे चेहरे को लहुलहान कर रहा था. उसके हाथों पर भी काफी छोटे आई थी. उसके हाथों पर कितनी ही जगहों से चाँदी च्चिल गयी थी और वहां से भी लहू रिस रहा था. उसके पेट पर भी कई जगहों से चाँदी च्चिल गयी थी. और उसके पैर की तो और भी बुरी हालत थी वो एक पैर तो उठा भी नहीं पा रही थी.

वो घायल इस कदर हो चुकी थी की उसे उठने का मन नहीं कर रहा था, पर उसे उतना ही था क्योंकि आख़िर वो कब तक यूँही यहां पड़ी रहेगी. आख़िर उसे यहां से जल्द से जल्द निकलना भी तो था. खैर जैसे जैसे कर के वो खड़ी हुई और लंगड़ते हुए पेड़ों के सहारे आगे बढ़ने की हिम्मत करने लगी…अब उसे ठंड भी बहुत लग रही थी..क्योंकि उसने जो टी-शर्ट पहना हुआ था वो भी कई जगहों से फॅट चुका था जिसकी वजह से उसके जिस्म का कई हिस्सा भी दिख रहा था और ऊपर से जनवरी के मौसम में उत्तर भारत में और वो भी रातों को ठंड का जो आलम होता है उसे सहना हर किसी के बस की बात नहीं होती है……और श्रुति जैसे नाज़ुक, कमज़ोर और कम उमर की लड़की की तो बिलकुल नहीं

वो जैसे तैसे कर के आगे बाद रही थी तभी उसे एहसास हुआ की उसकी बाईं और काफी झाड़िया थी. वहां से दो लाल आँखें उसे घूर रही है…वो झट से उसे देखने की कोशिश करने लगी. वहां पर थोड़ा अंधेरे की वजह से पहले उसे कुछ ठीक से दिखा नहीं पर जब वो लाल आँखों वाला जब उस झाड़ियों से बाहर निकला तो उसने देखा की यह वैसा ही एक दरिन्दा है जो उस पर और उसके दोस्तों पर हमला किया था….फिर वो अचानक उसके तरफ लपकने लगा. श्रुति उस दरिंदे को…
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देखकर और चीख मारते हुए घायल अवस्था में लंगड़ते हुए उससे दूर भागने लगी. पर वो दरिन्दा तो उससे कहीं ज्यादा तेज था…..वो झट से श्रुति की और लपका और उसे जैसे ही अपने तेज नाखूनओ की धार से उसकी गर्दन उसके धड़ से अलग करने वाला था की अचानक….उसकी खोपड़ी पर एक गोली से हमला हुआ..वो दरिन्दा इस अचानक हमला से एक दम बौरा गया और ज़ोर ज़ोर से दहाड़ें निकालने लगा. उसकी दहाड़ ऐसी थी मज़बूत कलेजे वाला इंसान भी दहल जाए.


श्रुति जो लंगड़ते हुए भागने किस कोशिश कर रही थी, अचानक उस दरिंदे के इस तरह दहाड़ मारने पर पलटी की आख़िर इसे क्या हुआ…श्रुति ने देखा की एक व्यक्ति उस दरिंदे पर अँधा ढूंढ. अपनी गुण से गोलियां बरसा रहा था ..वो सोचने लगी की अचानक इस घने जंगल में कौन उसका मसीहा आ गया है उसकी जान बचाने को और इस भयानक दरिंदे पर यूँ बहादुरी से हमला कर रहा है. कुछ देर बाद उसने देखा की उसका मसीहा जो उस दरिंदे पर गोलियाँ बरसा रहा था अचानक रुक गया और उस दरिंदे की तरफ से कोई हलचल नहीं हो रही थी. श्रुति ने सोचा की अब सब शायद ठीक है और वो उस मसीहे की तरफ जाने लगी ताकि उसका शुक्रिया अदा कर सके जिसने इस भयंकर जानवर से उसे बचाया है और फिर सोचने लगी की वो उसे कहेगी वो उसे यहां से निकालने में भी मदद कर दे. पर श्रुति जैसे ही अपने उस मसीहे के करीब पहुँची और वो मसीहा श्रुति की तरफ पलटा उसे 1000 वॉल्ट का झटका लगा . क्योंकि उसका मसीहा कोई और नहीं बल्कि वही व्यक्ति है जो उसे और उसके दोस्तों को अगवा कर के इस जंगल में लाने पर मजबूर किया था और इसी की वजह से उसके दोस्तों को अपनी जान गँवाना पड़ा है और इसी की वजह से उसकी यह हालत हुई है. इसी की वजह से उसे इस तरह के शैतान जैसे दिखने वाले जानवर से अपनी जान बचाने के लिए उस खाई से कूदना पड़ा था और इस कदर चोटिल होना पड़ा था. इसी की वजह से उसे इस खौफनाक जंगल में फाँसी हुई है. जब उसने देखा की वही व्यक्ति उसके सामने खड़ा है तो उसके तंबान में आग लग गयी. वो भूल गयी की अभी कुछ देर पहले इसे ने उसकी इस भयानक जानवर से उसकी जान बचाई थी. उसे एक पल में ऐसा लगा की वो वही गुण उसके हाथ से लेले और उसके सीने पर इतनी गोलियां बरसा दे की गोई उसके ज़ख़्मो को गिनना भी चाहे तो ना गिन पाए. भले ही वो उसका मसीहा था, भले ही वो उसे वहशी दरिंदे से उसकी जान बचाया था, पर इस सब के पीछे यही तो जिम्मेदार था.
“तुम????……..तुम फिर आ गये ?” कहते हुए श्रुति ने अपने दायें पैर से जो बिलकुल त्ीीक था उससे रोहन के अंडकोष पे एक जोरदार लात मार्डी. रोहन को अचानक हुए हमले का अंदेशा नहीं था. उसे नहीं पता था की यह लड़की जिस पर उसने अपनी गुण तानी हुई थी जब उसने उसका और इसके दोस्तों को अगवा किया था तो कैसे थर थर काँप रही थी इतनी भी क्रोदिढ हो जाएगी, उसके बाद तो और नहीं जब उसने इस वहशी दरिंदे से इसकी जान बचाई थी . वो अपना अंकोष पकड़ के भात गया. पर श्रुति ने इस पर भी बस नहीं किया, वो उसके बाद भी उसपर लाटो की बरसात जारी रही हुई थी.
“यू ब्लडी रास्कल!!!!यू ईडियट!!!! यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है…..तुम्हारी वजह से हमें यहां आना पड़ा और तुम्हारी वजह से मेरे दोस्तों ने अपनी जान गँवाई..” श्रुति , रोहन पर लात और मुक्को की बारिश जारी रखे हुए कहे जा रही थी.
“आए लड़की मेरी बात तो सुन. मेरा इरादा….. तुम लोगों को ….चोट पहुंचने का नहीं था.” रोहन कह तो रहा था पर श्रुति उसकी एक भी बात नहीं सुन रही. जब रोहन ने देखा की यह लड़की उसकी कोई बात नहीं सुन रही है तो उसका पारा चढ़ने लगा वो सोचने लगा साले अपनी जान पर खेल कर वो उस वहशी जानवर से उसकी जान बचाया और यह कुतिया उसे ही मारने पर उतारू है. अब उसने आओ देखा ना तो वो झट से उठा और श्रुति के गाल पर एक कस का तमाचा मारा वो भी एक नहीं कई बार.
“मादरोचोड़!! भेंचोड़दड़ समझती क्या है अपने आपको? कब से समझाने की कोशिश कर रहा हूँ तो मुझे ही मर रही है मादरोचोड़.” रोहन अपने गुस्से में गालया बकता श्रुति को मारे जा रहा था. श्रुति जो पहले से ही घायल थी फिर रोहन के इस तरह हमले से ज़मीन पर गिर गयी. रोहन को इसपर भी शांति नहीं मिली जब श्रुति पेट के बाल ज़मीन पर गिरी तो रोहन एक जोरदार लात श्रुति के फीचवाड़े मारा और वहां से जाते हुए यह कहना लगा.
“मर बहन की लोदी इस जंगल में . जब वो बहनचोद लोग आएँगे तो पता चलेगा, फिर करना उन सब का मुकाबला. “ और फिर रोहन वहां से चला गया.

श्रुति बेचारी….
Excellent update
 
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