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Fantasy THE DARKNESS RISING [Completed]

Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-36)



भी थोड़ी दिख रही थी, और वो पूरी लाहुलहान भी थी. यह देख कर उसमें से एक आदमी ने कहा. “राका जी? इधर देखो !

राखा जो शायद उन सब का बॉस था अपने इस आदमी की आवाज़ पर पलट कर देखा “अरे वाह वाह क्या बात है” और श्रुति के पास जाकर बोला.
“क्या रे छोकरी कौन है तू? और इधर क्या कर रही है? और तेरी यह हालत किसने की?” श्रुति ने देखा की वो कोई 45 से 50 साल का आदमी होगा, चेहरे पर बड़ी हुई शेव और वो जब श्रुति के पास आकर बातें कर रहा था तो उसके मुंह से एक बदबूदार हवा भी निकल रही थी जिसे श्रुति ने बड़ी मुश्किल से सहा. “ जी में रास्ता भटक गयी हूँ, मुझे इस जंगल से बाहर जाना है. प्लीज़ मेरी मदद करो.” श्रुति ने उससे राका से रिकवेस्ट करी.
“पर तेरी यह हालत किसने की कुछ बनाएगी.?” राका ने कहा.
“जी ….वो एक…बड़ा ही भयानक जानवर था उसने मेरे सारे दोस्तों को भी मर डाला, में बड़ी मुश्किल से अपनी जान बच्चा कर वहां से भाग आई.” श्रुति ने कहा.
“भयानक जानवर? हहेहहे….” वो अपने साथियों की तरफ मूंड़ कर हँसने लगा.
“अरे उस भयानक जानवर का कुछ नाम तो होगा?” राका ने श्रुति से पूछा.
“मुझे उसका….नाम नहीं मालूम. वो दिखने में एक दम अजीब सा था…एक …एक …शैतान जैसा.” श्रुति ने कहा.
“शैतान जैसा? यह कौन जानवर पैदा हो गया भी हमारे इस जंगल में? हहेहेहेहहे ……वो फिर से हँसने लगा.
“ठीक है छ्होरी हम तेरी मदद जरूर करेंगे…..पर तुझे भी हम सब का एक काम करना पड़ेगा.” राका ने श्रुति से कहा.
“जी कैसा काम?” श्रुति ने बारे मासूमियत से कहा.
“बता देंगे, पहले ज़रा यहां आकर भात जाओ, और हमारे साथ खाना खाओ.” राका ने कहा.
“ नो नो थॅंक्स! आप मुझे जंगल से निकालने का रास्ता बता दे में खुद ही चली जाओंगी” श्रुति ने कहा.


“अरे इतनी भी जल्दी काहे की है. अभी अभी आई हो और अभी जाने की बात ना करो.” राका ने अपने पीले दाँत दिखा कर कहा. फिर उसे ज़बरदस्ती अपने साथ भाइतने लगा.
“प्लीज़ छोधिए , प्लीज़ ऐसा मत करिए प्लीज़ ई आम बेगिंग यू” श्रुति रोते हुए कही जा रही थी
“आए छ्हॉकरिया ! ज्यादा पाटर पाटर अँग्रेज़ी में बातें मत कर. अरे तू जानती है कितने दीनों से हम सबने जिस्म की प्यास नहीं भुजाई है? हम एक दम प्यासे है. हमारी प्यास भुजा दे तो हम तेरी मदद जरूर करेंगे, तू जहाँ बोलेगी हम तुझे वही पर चोद देंगे. क्यों दोस्तों? राका ने अपने दोस्तों से कहा.
“बिलकुल…..बिलकुल “ सब ने एक साथ कहा.
“नहीं प्लीज़….मुझे जाने दो. मुझे यह सब नहीं करना…..एम्म…में अपना रास्ता खुद ढूंढ. लूँगी ……प्लीज़ लेट में गो..प्लीज़.” श्रुति ने रोते हुए और अपना हाथ राका से चुधते हुए कहा.
“आए लड़की बस बहुत हुआ. इतनी देर से तुझे प्यार से समझा रहे तो तुझे समझ में नहीं आ रहा है. तू चाहे या ना चाहे हम तो तेरी जवानी का रस तो जरूर पिएँगे. अगर तू नाटक करेगी तो यह खंजर देख रही है?” राके ने उसे पास में पड़ा खंजर दिखाते हुए कहा फिर उसे आग में उस खंजर को गर्म करने लगा.
“अगर इज्जत से अपनी जवानी का दीदार नहीं कराएगी तो यह गर्म खंजर तेरे पेट में डाल दूँगा…..उसके बाद तेरी जो अंतड़ियां है वो भी अंदर से जल कर खाक हो जाएगी. इसलिए तेरी भलाई इसी में है जैसा में कह रहा हूँ वैसा कर. राका ने उसे धमकाते हुए कहा.
“नो….प्लीज़ नूऊओ……में ऐसा कुछ नहीं करूँगी….प्लीज़ मुझे जाने दो.” श्रुति ने गिड़गिड़ाते हुए कहा. पर राका ने उसकी एक नहीं सुनी और उसके जिस्म पर जो उसका टी-शर्ट जो उसका पूरी छाती को तो नहीं पर काफी कुछ छुपा रहा था राका ने उसके फटे हुए टी-शर्ट के टुकड़ो को पकड़ा और उसे एक झटका में फाड़ दिया. श्रुति ने अंदर ब्रा पहनने के बावजूद भी अब श्रुति का आधे से ज्यादा उसकी चुचियाँ दिख रही थी . राका ने उसे बड़ी ललचाई हुई निगाहों से देखने लगा. श्रुति हर प्रयास कर रही थी अपना आध नंगा जिस्म छुपाने की पर राका उसे ऐसा करने नहीं दिया और उसे अपने मुंह से चूमने लगा और फिर दांतें भी काटने लगे. श्रुति दर्द से एकदम बिलबिला उठी. आज से पहले किसी मर्द ने उसे इस हालत में नहीं देखा था. राका अब श्रुति पर पूरा झुक गया और उसे दीवाना वार चूमने लगा…..की तभी अचानक उसे किसे के सूखे पत्तो पर चलने की आवाज़ आने लगी. उसने देखा तो उसे हैरत हुई की यह यहां कैसे?
“ओह हूओ आस. देखिए तो कौन आया है? मेहमान साहब आए है…” राके ने अपने दोस्तों से कहा. जब वो यह सब बातें कर रहा तो वो श्रुति के जिस्म से थोड़ा उठ गया था जिससे शरइत को भी थोड़ा मौका मिला यह देखने का की आने वाला कौन था. उसे भी बड़ा शॉक लगा आने वाला कोई और नहीं बल्कि वही व्यक्ति था जो उसे वहां उसे उस दरिंदे से बचनाए के बाद उसी की ही पिटाई की थी और ढेर सारी गालिया भी बाकी थी
Excellent update
 

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(UPDATE-37)



वो सोचने लगी के वो अब यहां क्या करने आया है और क्या वो यह लोग को जानता है.
“अरे रोहन साहब आपके शुभ कदम यहां कैसे पढ़ गये?” राके ने रोहन को अपनी और आते देखते हुए बोला.
“बोलिए रोहन साहब क्या हाल है आपके, आज कोई शिकार नहीं मिला क्या जो हमारी तरफ आ गये.” राका ने कहा.
“नहीं राका ऐसी कोई बात नहीं है.” रोहन ने बड़ी शांति से जवाब दिया.
“तो फिर यहां आने का कारण?” राका ने रोहन से वजह जानना चाहा.
“देखो में यहां उस लड़की के लिए आया हूँ, वो बेचारी मेरी वजह से उसकी यह हालत हुई है. इसलिए में उसे जल्द से जल्द यहां से निकाल के उसे उसके घर पहुचाना चाहता हूँ. “ रोहन, श्रुति की तरफ इशारा करते हुए बोला.
“हिहिहिहिहीई……जब तुम यहां आए तभी में समझ गया था की तुम्हारा जरूर इस लड़की के साथ कुछ लाफद है….हहेहहे.” राका हंसते हुए कहे जा रहा था. और श्रुति यही सोच रही थी रोहन को देख कर की यह आदमी भी अजीब है, पहले उसे इस खौफनाक जंगल में फँसा दिया उसके बाद उस वहशी दरिंदे से उसकी जान बचाई फिर उसे उस वीराने में अकेला चोद कर चला गया. अब फिर आया है उसे इन इंसानी हैवानो से बचाने के लिए. श्रुति को बहुत अजीब लग रहा था रोहन का नेचर. वो सोचने लगी के अगर यह इन कुत्तों से उसे बच्चा लेगा तो वो उसके बाद इसे कुछ भी नहीं कहेगेई बल्कि इसी के जरिए इस जंगल से निकालने की कोशिश करेगी. फिर जब एक बार निकल जाएगी तब उसके बाद वो इस आदमी की खैर लेगी जिसकी वजह से उसे यह सब झेलना पड़ रहा है.
“देख भी ओये मजनू की औलाद….मुझे नहीं पता की तेरा इस लड़की के साथ क्या लाफद है? तुझे इसे यहां से ला जाना है ना? ठीक है ले जाना पर….उससे पहले में और मेरे तमाम साथी इसकी जवानी का मजा लेना चाहेंगे.” राका, श्रुति के छातियाँ को घूरते हुए कहा.”साली बहुत मस्त माल है, एक दम नर्म और नाज़ुक. ऐसे माल रोज़ रोज़ नहीं मिलती. समझा.? चल तू वहां कोने में जाकर खड़े हो जा. जब हमारा काम हो जाएगा तो हम तुझे बुला लेंगे. फिर ले जाना इसे.” राका वहां से श्रुति की तरफ जाते हुए बोला.
“देखो राका? तुम्हारी दुश्मनी मुझसे है. तुम्हें मुझसे जो करना है कर लो पर इस लड़की को जाने दो.” रोहन ने राका से आग्रह करते हुए कहा.
“आबे क्यों मेरा दिमाग खराब कर रहा है. अभी में अच्छे मूंड़ में हूँ. वरना तुझे देखते ही मुझे फौरन तेरी खोपड़ी में गोली मारने का दिल करता है. पर में आज ऐसा नहीं करूँगा क्योंकि में इस नाज़ुक सी काली से खेलना चाहता हूँ. अगर तू और फिर कुछ छू छू किया ना…..तो साले यही तेरी क़ब्र बना दूँगा. चल भाग यहां से……” राका ने रोहन को धक्का मारते हुए कहा.
“भागाओ रे साले को. फिर भी कुछ उछल कूद किया तो साले का गला ही काट देना.” कहते हुए राका श्रुति की तरफ बढ़ने लगता है. जिसे देखकर श्रुति फिर से रोने लगती है. रोहन देखता है की श्रुति घबराई हुई है और रो भी रही है तो ना जाने उसमें कहा से एकाएक एक नयी ऊर्जा आ जाती है और वो झट से राका के पास जाता है और उसके हाथ में तामहा हुआ खंजर झपट के अपने हाथों में ले लेता है बड़ी फुर्ती दिखाते हुए उस खंजर को राका की गर्दन पर रख देता है.
“रुको भी भेंचोड़ो.” रोहन ने राका के साथियों को अपने करीब आते हुए देखा तो कहा. “अगर किसी ने भी अपनी मां चुदाई तो इस मां के लंड की गर्दन यही इस के धड़ से अलग कर दूँगा.” राका के साथी जहाँ थे वही रुक गये. बाज़ी अपनी और देखते हुए रोहन जल्दी से श्रुति से कहता है की.
“आए लड़की जल्दी से यहां से जितनी दूर हो सके भाग जा.” रोहन का बस इतना कहना था की श्रुति फौरन खड़ी हो गयी और थोड़ा लड़खड़ाते हुए वहां से जल्दी से निकल गयी पर…..वो जितनी जल्दी वहां से गयी थी उतनी ही तेजी से वापस भागते हुए आई.
“अरे क्या हुआ? वापस क्यों आ गयी? “ रोहन, श्रुति को वापस आते हुए देखा तो बोला. इससे पहले की श्रुति कुछ कह पति रोहन ने बल्कि सभी ने देख लिया था की श्रुति क्यों भाग के वापस आ गयी थी. रोहन ने देखा की वैसे ही दो दरिंदे जिन्होंने इतना उत्पात मचाया हुआ था भागते हुए उन्हीं के पास आ रहे है. राका ने भी पलट कर देखा तो उस के तो होश हवास ही उड़ गये. उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था की यह किस प्रकार का जानवर है. उसने आज तक अपनी पूरी जिंदगी में इस तरह की चीज़ नहीं देखी थी. यही हाल उसके साथियों का भी था. वो जहां खड़े थे वही खड़े रहे क्योंकि उनके कदम उनका साथ ही नहीं दे रहे थे. पर रोहन का ऐसा हाल नहीं था क्योंकि उसकी इससे पहले भी इस दरिंदे से मुठभेड़ (फाइटिंग) हो चुकी थी…..
Nice update
 

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(UPDATE-38)



उसने फौरन राका को अपने से दूर फेंका और झट से श्रुति का हाथ पकड़ा और वहां से उल्टी दिशा में भागने लगा. श्रुति भी उसके साथ भागने लगी बावजूद इसके के उसका बाया पैर में बिलकुल ताक़त नहीं थी. पर उस वहशी दरिंदे को देखकर तो मुर्दा भी जगह जाए उसका पैर क्या चीज़ है. वो दोनों भागते रहे जितनी दूर हो सके. उन्होंने पलट कर देखने की भी कोशिश नहीं की राका और उसके साथियों का क्या हाल हो रहा होगा वहां पर. बल्कि उन्हें देखने की जरूरत भी नहीं थी क्योंकि उनकी चीखें ही उन्हें वहां का सारा हाल बता रही थी.

आधे घंटे तक भागते भागते अचानक श्रुति के बायें पैर में एकदम से दर्द उठा. और श्रुति कराहते हुए वही ज़मीन पर गिर पड़ी.
“क्या हुआ?” रोहन उसे ज़मीन पर गिरते हुए देखा तो बोला.
“मेरा पैर!!!! अब मुझमें और ताक़त नहीं है दौड़ने की बल्कि में तो अब चल भी नहीं सकती.” दर्द से कराहते हुए श्रुति ने कहा. रोहन ने देखा की श्रुति वास्तव में अपना पैर पकड़ के एक दम रोने सी सूरत बनाई हुई थी. इतनी देर से दोनों के भागने के कारण वो दोनों साँसें भी तेज तेज ले रहे थे जिसकी वजह से श्रुति की दोनों चुचियाँ भी ऊपर नीचे हो रही थी. मगर रोहन का ज़हन इतना ठरकी क़िस्म का नहीं था की वो औरतों के जिस्म को निहारे. पर श्रुति की बड़ी बड़ी च्चातियाँ थी ही ऐसी और उसपर उसका जो टी-शर्ट था वो आगे से पूरा फटा हुआ था. सिर्फ़ नीचे से उसकी नाआभी तक कुछ बच्चा हुआ था. जिसकी वजह से उसकी छ्चातियाँ सिर्फ़ उसके ब्रा में ही दिख रही थी. अब अगर ऐसा नज़ारा होगा तो रोहन क्या अच्छे अच्छे ईमान वालो का ईमान डगमगा जाए. पीछे मौत भी सर पर सवार थी फिर भी इसके बावजूद रोहन अपने आपको श्रुति की दोनों कोमल छातियाँ को देखे बगैर ना रही सका. वो दो या तीन बार देखता फिर नज़र फेयर लेता. थोड़े देर बाद श्रुति को भी एहसास हुआ की पीछे आती मौत की वजह से और पाई के दर्द की वजह से वो यह भूल गयी थी के उसकी दोनों छाती आधी से ज्यादा नंगी है . क्योंकि उसके ब्रा के कप का साइज इतना भी बड़ा नहीं था की वो उसकी कोमल चुचियों को छुपा सके. श्रुति ने फौरन अपने दोनों हाथों से अपने सीने को ढकने की कोशिश की.


यह देखकर रोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ की वो क्या कर रहा था. बेचारी यह लड़की उसी की ही वजह से उसकी यह हालत हुई है और वो उसी ही बदन को निहार रहा था. उसे फौरन अपनी गलती का एहसास हुआ और जल्दी से अपनी जॅकेट उतारते हुए श्रुति की तरफ बढ़ा दिया.
“लो यह जॅकेट पहन लो.” रोहन, श्रुति को जॅकेट देते हुए कहा.
“नहीं चाहिए मुझे यह तुम्हारी गंदी सी जॅकेट.” श्रुति का गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था. क्योंकि जब भी उसे अपनी तक़लीफ़ का एहसास होता तो इसका जिम्मेदार रोहन को ही मानती थी.
“देखो मुझे पता है के यह जॅकेट तुम अमीरों के लायक नहीं है पर इस वक्त यह तुम्हारा जिस्म ढकने के लिए काफी है.” रोहन, श्रुति को समझाते हुए कहा. फिर श्रुति थोड़ा जीझक कर वो जॅकेट पकड़ ली और उसे पहनने लगी. जब उसने वो जॅकेट पहन लिया तो उसे कुछ राहत मिली. एक तो उसका जिस्म भी नुमाया था दूसरे उसे अब ठंड का एहसास थोड़ा कम लगने लगा.
“अपना पैर दिखा.” रोहन, श्रुति के पास भात ते हुए कहा.
“इसकी कोई जरूरत नहीं है. पहले चोट दो फिर बाद में मरहम भी खुदी लगाने आओ.” श्रुति ने रोहन पर व्यंग करते हुए कहा.
“देखो उसके बारे में बाद में बात करेंगे पहले यहां से हमें निकलना होगा वरना यहां कब और किस मोड़ पे वही दरिन्दा दोबारा आ जाए कुछ कह नहीं सकते…” रोहन, श्रुति को समझाते हुए कहा. श्रुति पहले तो कुछ नहीं बोली . फिर उसे एहसास हुआ की रोहन सही कह रहा है उन्हें अभी इसी वक्त यहां से निकालने के बारे में शोचना होगा वरना वो दरिंदे पता नहीं फिर कहा से आ जाए.
“पर कैसे? मुझे तो मेरा पैर उठाया ही नहीं जा रहा है. में चलूंगी कैसे?” श्रुति ने कहा.
“हां हां में जानता हूँ, इसलिए तो कह रहा हूँ अपना पैर दिखाओ मुझे.” रोहन ने कहा. श्रुति बॉटम से अपनी जीन्स को थोड़ा उठाते हुए दिखाया . रोहन ने देखा की उसकी एडी एक दम सूजी हुई थी. एडी की जो हड्डी होती है वो तो दिख ही नहीं रही थी.
“अरे बाप रे!!! यह तो एकदम सूजा हुआ है.” रोहन, श्रुति की तरफ हैरत से देखते हुए कहा.
“हां मुझे पता है, तभी तो मुझे दर्द हो रहा है. “ श्रुति ने च्चिदते हुए कहा.
“देखो हमें फिलहाल यहां से किसी भी सूरत में निकलना होगा और उसके लिए हमें किसी सुरक्षित जगह पर जाना होगा. अगर तू बुरा ना मानो तो क्या में तुझे सहारा दे सकता हूँ चलने में.” रोहन ने श्रुति से आग्रह करते हुए कहा. श्रुति ने कुछ देर सोचा….
Zabardast update dost
 

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की क्या करे क्योंकि उसे प्राब्लम थी की रोहन उसे छ्छूए. पर इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं था क्योंकि उसे भी पता था की यहां से निकलना है.
“ठीक है.” श्रुति ने बस इतना कहा. और फिर रोहन, श्रुति के बायें आकर उसे खड़े से सहारा देने की कोशिश करने लगा. जब श्रुति, रोहन के सहारे पूरी तरह खड़ी हो गयी तो रोहन ने कहा की वो उसके खड़े पर अपना हाथ रख ले ताकि बैलेन्स बना रहे. पहले तो श्रुति ऐसा करने में हिचकिचाई पर फिर और कोई चारा ना देख कर वो रोहन के खड़े पर अपना हाथ रख दिया. रोहन भी उसे पूरी तरह सहारे देने के लिए उसके दायें खड़े को पकड़ लिया. पहली बार उसे कोई मर्द उसके इतनी करीब आया था. रोहन के बदन से उठी हुई महक भी श्रुति को आ रही थी. श्रुति इस सब सिचुयेशन में अपने आपको कंफर्टबल महसूस नहीं कर पा रही थी. भले ही वो एक मल्टी-बिलियनेर की बेटी थी पर वो अपनी जिंदगी में कभी भी मर्दों को इतने करीब नहीं आने दी थी. उसे तो बस वेट था उस व्यक्ति का जो उसके ख्वाबो में आया करता था, वो चाहती थी की उसे वही व्यक्ति पहले छ्छूए जो उसके दिल के करीब हो. इसलिए आज तक वो वर्जिन थी. उसके ग्रुप में ऐसी कोई या शायद पूरे कॉलेज में ऐसी कोई लड़की नहीं होगी जो वर्जिन ना हो. श्रुति के अब तक वर्जिन होने पर उसके दोस्त उसका मज़ाक भी उड़ाया करते थे. उसके सपनों के राजकुमार के नाम से उसे च्चिदाते थे. और यही वजह थी की श्रुति, रोहन को अपने इतने करीब पकड़ असहज महसूस कर रही थी. उसने कभी सपने में भ नहीं सोचा होगा की जिस व्यक्ति से वो इतनी नफरत करती है वही व्यक्ति उसके इतने करीब आना वाला पहला मर्द होगा.


तकरीबन एक घंटे चलने के बाद वो दोनों काफी दूर तक आ गये थे. फिर श्रुति को थकान भी लगने लगी. उसने रोहन से कहा की .”रुको! अब मुझसे और नहीं चला जा रहा है और मुझे लगता है की शायद वो जानवर अब हमारे पीछे नहीं आएँगे तो क्या में थोड़ी देर आराम कर सकती हूँ.” श्रुति ने रोहन से कहा.
“हां हां ठीक है.” रोहन ने कहा. वो भी थोड़ा तक गया था तो उसने सोचा इस बहाने वो भी अपनी थकान मिटा लेगा. फिर उसने श्रुति को एक पत्थर पर भीताया और अपना भी थोड़ी दूर दूसरे पत्थर पर भात गया. तकरीबन 10 मिनट तक उन दोनों के बीह में कोई बात नहीं हुई. फिर रोहन को श्रुति के पैर के बारे में याद आया वो उठा और यहां वहां झाड़ियों में कुछ तलाश करने लगा और तलाश करते करते हुए वो थोड़ा झाड़ियों के अंदर की और चला गया. श्रुति भी देख रही थी की इसे अचानक क्या हुआ है और यह किस चीज़ को इतने जिज्ञासा से ढूंढ. रहा है. जब रोहन झाड़ियों के अंदर चला गया था तो वो थोड़ी चिंतित होने लगी की आख़िर यह कहा जा रहा है उसे अकेला चोद के. वो सोचने लगी के कही यह वापस से तो नहीं उसे अकेला चोद कर जा रहा है. वो घबरा के अपनी जगह से उठने की कोशिश कर ही रही थी तभी उसे रोहन झाड़ियों से निकलता हुआ दिखाई दिया और उसके हाथ में इस वक्त में पट्टियों जैसा कुछ था. फिर वो उन पट्टियों को लेकर एक छोटे से घड़दे में पानी पड़ा हुआ था , उस पानी से उसने उस पट्टियों को अच्छी तरह से भिगोया और फिर श्रुति ने देखा की रोहन उसी की और वो पत्तियाँ लेकर आ रहा था. वो समझ नहीं पा रही थी की अचानक उसे इस पट्टी की क्या जरूरत पढ़ गयी.
“अपनी जीन्स अपनी घुटनों तक मोड़ लो.” रोहन, श्रुति के सामने घुटनों के बाल भात ते हुए कहा.
“क्या? पर क्यों?” श्रुति ने कहा.
“देख यहां कोई डॉक्टर तो आएगा नहीं तेरे इस सूजे हुए पैर का इलाज करने के लिए, इसलिए अगर अभी कुछ नहीं किया गया तो यह और सूज जाएगा. तो इसलिए जो हो सकता है में वो करने की कोशिश कर रहा हूँ इस सूजन को दूर करने के लिए.” रोहन, श्रुति को समझाते हुए कहा.
“तो क्या इस पट्टियों से मेरे पैर की सूजन कम हो जाएगी?” श्रुति ने पूछा.
“पूरी तरह तो नहीं होगी लेकिन कुछ राहत तो जरूर मिलेगी.” रोहन ने कहा.
“ठीक है.” कहते हुए श्रुति ने अपना जीन्स को बॉटम से उठा कर थोड़ा ऊपर कर दिया.
“देख जब में इस पट्टियों को तेरे पैर में लगाओंगा तो थोड़ा जलेगा पर तू हिलना डुलना बिलकुल नहीं वरना यह निकल जाएँगी. जितना यह जलेगा उतना ही तेरे पैर की सूजन के लिए अच्छा रहेगा” रोहन उसे समझाते हुए कहा जिसके जवाब में श्रुति ने सिर्फ़ सर हिला कर यह कहना चाहा की वो उसकी बात समझ गयी है.
“ जीन्स थोड़ी सी और ऊपर कर.” रोहन ने फिर से श्रुति से कहा. श्रुति थोड़ा झिझकने लगी.
“देख मुझे पत्तियाँ बाँधने के लिए थोड़ी जगा चाहिए और तेरी जीन्स की वजह से मुझे….
Mast update
 

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प्राब्लम हो रही है.” रोहन उसकी झिझक दूर करते हुए कहा. फिर श्रुति ने अपनी जीन्स थोड़ी और ऊपर कर ली . उसके जीन्स ऊपर करते ही रोहन को श्रुति की रात के अनहदरे में भी गोरी गोरी पिंदीलिया दिख रही थी . वो थोड़े देर उसकी पिंदीलियों के देखा फिर अपना ध्यान वहां से हटा कर पत्तियाँ बाँधने लगा. जब वो पत्तियाँ बाँध रहा था तो थोड़े ही देर के बाद श्रुति की हल्की हल्की सी दर्द से कराहने की आवाज़ आने लगी. एक तो उसके पैर के सूजन की वजह से उसे दर्द हो रहा था और जैसे के रोहन ने बताया था पत्तियाँ लगाने के बाद थोड़ा जलेगा. पर वो थोड़ा उसके लिए थोड़ा नहीं था. उसको इस कदर पट्टियों से जलन हो रही थी के उसे अपना पैर एक जगह रखना मुश्की हो रहा था पर उसने ऐसा कुछ नहीं क्योंकि वो जानती थी की अगर अपना पैर हिलाएगी तो रोहन को पत्तियाँ लगाने में दिक्कत बढ़ेगी. वो बस अपना चेहरा आसमान की तरफ करके हल्के हल्के कराहने लगी. जब रोहन पत्तियाँ लगा चुका तो उसे चिपके रहने के लिए उसे कुछ ऐसे चीज़ की जरूरत पढ़ने लगी जिससे वो पत्तियाँ वही श्रुति की टाँग में चिपकी रहें. उसकी समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे . अचानक उसने जेब से खंजर निकाला और अपनी शर्ट की आस्तीन को फाड़ दिया और फिर उस फटे हुए आस्तीन से उसने श्रुति के पैर से चिपके हुए पट्टियों को इस तरह से बाँध दिया की आसानी से ना निकले. श्रुति को बड़ा अजीब लगा जब रोहन उसकी पत्तियाँ उसके पैर में चिपका रहा था और बाद में अपने शर्ट का आस्तीन फाड़ के उस पट्टियों को बांड दिया.
“थॅंक्स.” श्रुति ने बस इतना कहा. पर जवाब में रोहन ने कुछ नहीं कहा बस उससे दूर जाकर भात गया. फिर उन दोनों के दरमियान कुछ देर तक कोई बात नहीं हुई. फिर खामोशी का सिलसिला श्रुति ने ही थोड़ा और उससे कहा.
“तुम्हें कैसे मालूम की इसी पट्टियों से मेरे पैर की सूजन कम हो जाएगी.” रोहन उसकी तरफ देखा फिर गर्दन घुमा कर ज़मीन की और देखने लगा.
“क्योंकि यह पत्तियाँ में अपने ऊपर इस्तेमाल कर चुका हूँ और इससे मुझे काफी राहत मिली थी. तू फिक्र मत कर तुझे भी थोड़ी देर में राहत मिल जाएगी. रोहन उसे बताने लगा. फिर उनके बीच फिर से खामोशी हो गयी. फिर से थोड़े देर के बाद श्रुति ने ही बातों का सिलसिला शुरू करते हुए कहा
“हम इस जंगल से कैसे निकल पाएँगे? क्या तुम्हें कोई रास्ता पता है?”
“उस हैवान से बचके भागने के बाद हम कहा आ गये है यह मेरी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है पर ..तू फिक्र मत कर में तुझे यहां से सही सलामत निकाल दूँगा.” रोहन ने कहा.
“ठीक है पर हम रास्ता कैसे तलाश करेंगे.” श्रुति ने कहा.
“रास्ता तलाश करने के लिए पहले हमें यह समझना होगा की हम इस वक्त जंगल के किस जगह पर है. और वो समझने के लिए हमें वो छोटी तुम्हें दिख रही है..” रोहन ने अपनी उंगली के इशारे से श्रुति के बाईं और इशारा किया.
“हमें उस छोटी पर चढ़कर जाना होगा फिर हमें आइडिया मिलेगा की हम कहा है.” रोहन अपनी बात खत्म करते हुए कहा.
“वो छोटी पर? पर हम वहां कैसे जाएँगे…मेरा मतलब है में कैसे चढ़ पाओँगी क्योंकि मेरे पैर की हालत ऐसे नहीं है की में उतनी ऊंची छोटी चढ़ सुकून.” श्रुति ने हैरत से कहा.
“फिक्र मत कर कुछ नहीं होगा में हूँ ना. में तेरी मदद करूँगा. “ रोहन ने कहा.


काफी देर दोनों के खामोश रहने के बाद रोहन ने कहा. “अगर तेरी थकान और तेरा पैर का दर्द कुछ कम हुआ हो तो हम चले फिर?”
“नहीं में अभी भी बिलकुल नहीं चल सकती….क्योंकि मैंने कल से कुछ भी नहीं खाई हूँ इसी वजह से मुझे बहुत ज़ोर से भूख लगी है और दूसरा ठंड भी बहुत लग रहे है.” श्रुति ने बड़ी मासूमियत से कहा.
“अब तेरे लिए में खाना से कहा से लाओ….पर मैंने तो तुझे देखा था की तू दोपहर को ढाबे पर खाना कहा रही थी?” रोहन कुछ सोचते हुए कहा.
“मैंने कुछ नहीं खाया था, में बस अपने दोस्तों के साथ वहां पर भाती हुई थी.” श्रुति ने जल्दी से सफाई दी. रोहन थोड़ी देर तो कुछ नहीं कहा. फिर थोड़ी देर वो रुक कर कुछ बोला.
“अच्छा एक बात बताओ मैंने तुम लोगों से उस रास्ते ना जाने के लिए कहा था, तो तुम लोग उसी रास्ते पर से दोबारा क्यों जा रहे थे . हमारी कंप्लेंट करने के लिए?” रोहन ने श्रुति से शिकायती भरे स्वर में कहा.
“नहीं. हमारा इरादा ऐसा कुछ भी नहीं था. हम सब उसी रास्ते से वापस जा रहे थे जहाँ से तुमने हम सब से कहा था. पर जब हम वहां पर पहुंचे तो वहां पर फोरेस्ट गार्ड्स की सेक्यूरिटी कुछ ज्यादा थी . शायद उस रास्ते पर कुछ हुआ था. जिसकी वजह से उन्होंने हमें वहां जाने से मना कर दिया था, और हमें उस रास्ते से जाने के लिए कहा जिस….
Badhiya update Bhai
 

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(UPDATE-41)



रास्ते से हमने एंटर किया था बल्कि उन्होंने हमारे साथ में अपना एक गार्ड भी भेजा था हमारी सेफ्टी के लिए. पर अचानक क्या हुआ…..पता नहीं वो अजीब से जानवर कहा से आ गये और फिर……उन्होंने…देखते ही देखते…मेरे सारे दोस्तों को मेरी ही आँखों के सामने जान से मर दिया.” इतना कहते हुए श्रुति की आँखें भर आई थी.
“ओह तो यह बात थी, इसलिए वो वहां से वापस जा रहे थे…और में समझा की….” रोहन सोचने लगा.


फिर रोहन वहां से उठा और कुछ लकड़िया जमा करने लगा . जब ढेर सारी लकड़िया जमा हो गयी तो उसने उन सारी लकड़ियों एक जगह जमा किया और अपने जेब में लाइटर निकालने के लिए हाथ डाला पर उसका लाइटर उसे नहीं मिल रहा था. उसे याद आया की उसने लाइटर अपनी जॅकेट के पॉकेट में रहकी हुई है. और उसका जॅकेट इस वक्त श्रुति पहनी हुई थी .वो श्रुति से कहने लगा.
“वो ज़रा जॅकेट के अंदर वाली पॉकेट में मेरा लाइटर होगा, ज़रा देना मुझे.” श्रुति थोड़ा सा जॅकेट की ज़िप खोलकर और अपने आपको थोड़ा कवर करके अपना हाथ अंदर डाला जॅकेट के अंदर वाले पॉकेट से रोहन का लाइटर निकाला और फिर अपने आपको कवर करके ज़िप को बंद कर दिया और फिर उस लाइटर को रोहन के हवाले कर दिया. रोहन उसके हाथ से लाइटर लेकर जमा की हुई पत्तियाँ और लकड़ियों में अपने लाइटर से आग जलाने की कोशिश करने लगा. पर ठंड होने की वजह से लकड़ियों में बहुत ज्यादा नामी आ गयी थी जिसकी वजह से वह आसानी से नहीं जल रही थी . लेकिन रोहन को इस तरह की नाम लकड़ियों में किस तरह आग लगते है उसे इस बात का ज्ञान था. थोड़ी और कोशिश के बाद अच्छी खासी आग जल गयी थी. फिर वो श्रुति की तरफ देख कर कहा
“यहां आ जा. तुझे ठंड लग रही है ना? इस आग की गर्मी से तुझे थोड़ी राहत मिलेगी.” कहते हुए रोहन, श्रुति का बायन कंधा पकड़ कर उसे उठाने की कोशिश करने लगा. जब रोहन उसके करीब पहुंचा तो उसने आग की रोशनी में देखा की श्रुति का चेहरा खून से पूरा लाहुलाहन था और वो सुख भी चुका था..
“एक काम कर वो गड्ढे में पानी दिख रहा है ना? उससे अपना चेहरा धो ले . पूरा खून से भरा हुआ है.” श्रुति ने उस गड्ढे की तरफ देखा . फिर सोचने लगी की पता नहीं कितने गंदा पानी होगा उस गड्ढे का.
“क्या सोच रही है? चल अपना चेहरा धो ले. “ रोहन ने उसे फिर टोका. रोहन के दोबारा कहने पर श्रुति, रोहन के साथ उस गड्ढे की और चलने लगी और फिर उस गड्ढे में पड़े हुए मातएलए पानी को देखा और कहने लगी.
“नहीं मुझे नहीं धोना इस गंदे पानी से अपना चेहरा.”
“अरे क्या हुआ? अब तुझे यहां पर बिसलेरी का पानी तो मिलेगा नहीं . जो है उसी से ढोले बहुत आराम मिलेगा. “ रोहन उसे समझाते हुए कहा. रोहन के बार बार आग्रह करने पर श्रुति उस मातएलए पानी से अपना चेहरा ढोने लगी. पर जब उसके चेहरे पर पानी पड़ा तो वास्तव में उसे बड़ी राहत मिली, उसे बड़ा सुकून मिला. उसने कभी सोचा भी नहीं होगा की उसे अपने जीवन में इस तरह के पानी से भी अपना चेहरा भी धोना पड़ेगा. श्रुति ने जब पानी से अपना चेहरा धोया तो रोहन उसे सहारा देते हुए आग के पास भीता दिया और उसके पास में आकर भात गया. उस आग की रोशनी में अचानक रोहन की नज़र श्रुति के चेहरे की और गयी. पहली बार श्रुति के चेहरे की और इतने गौर से देखा. उसने देखा के सूखे हुए खून को ढोने के बाद इस लड़की का चेहरा कितना हसीना लग रहा है. उसने अंदाज़ा लगाया की इस लड़की की उम्र यही कोई मुश्किल से 20 या 21 साल होगी. कितना मासूम सा चेहरा था उसका . पर इतने मासूम चेहरे पर कितना दर्द था. बेचारी को उसी की वजह से कितना दर्द सहना पड़ रहा था. उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आने लगा. वो कुछ देर तक यूँही श्रुति को देखने लगा. जब श्रुति ने अचानक उसकी तरफ देखा तो उसने फौरन अपनी नज़र नीचे कर ली.
“तू थोड़े देर यही भात में अभी आता हूँ.” रोहन , श्रुति से कहते हुए उठने लगा.
“कहा जा रहे हो तुम?” श्रुति ने रोहन को उत्त् ते हुए देखा तो कहा.
“बस अभी आ रहा हूँ.” रोहन ने बस इतना ही कहा.
“पर में यहां अकेली कैसे रहूंगी?” श्रुति ने जल्दी से कहा.
“अरे में ज्यादा दूर नहीं जा रहा हूँ बस अभी आता हूँ, क्योंकि तुझे भूख लगी है ना तो उसका कुछ इंतजाम तो करना पड़ेगा ना?” रोहन, श्रुति को समझाते हुए कहा.
“नहीं नहीं मुझे भूख नहीं है, रहने दो में भूखी रही सकती हूँ पर प्लीज़ तुम मुझे अकेला चोद कर मत जाओ.” श्रुति ने रोहन का हाथ पकड़ के ज़बरदस्ती उसे भरता दिया.
“अरे अजीब बात है, पहले मुझे भगा रही थी अब जाने नहीं दे रही है.” रोहन , श्रुति की तरफ देखते हुए बोला.
“पहले की बात और थी….
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तब मुझे तुम पर बहुत गुस्सा आ रहा था.” श्रुति ने कहा.
“क्यों? अब गुस्सा नहीं आ रहा है? “ रोहन थोड़ा मुस्कुराकर कहा. श्रुति, रोहन के इस सवाल पर थोड़ा चौंक गयी . थोड़े देर तक तो उसे कुछ कहते नहीं बना . फिर उसने कहा.
“नहीं ऐसे बात नहीं है, गुस्सा उस वक्त भी था और अब भी है. क्योंकि तुम मेरी मदद कर रहे हो तो इसलिए अभी मेरा गुस्सा थोड़ा कम है. वो तो बस मुझे उन हैवानो से डर लग रहा था इसलिए में तुम्हें कही नहीं जाने दे रही थी. वरना जो तुमने मेरे और मेरे दोस्त के साथ किया है उसके लिए में तुम्हें कभी जिंदगी भर माफ ना करूं.” श्रुति ने कहा.
“दोस्त!! हाहम्म!!! जिसे तू अपना दोस्त कह रही है क्या वो तेरे दोस्ती के लायक थे? में तो समझता हूँ जो वो लोग के साथ हुआ है ठीक ही हुआ है.” रोहन व्यंग करते हुए कहा
“मतलब? में कुछ समझी नहीं.” श्रुति ने थोड़ा हैरत से कहा.
“मतलब यह की तेरे वो सारे दोस्त तुझे धोखा देने का इरादा कर रहे थे” रोहन, श्रुति की तरफ देख कर कहा.
“मेरा साथ धोखा करने का इरादा कर रहे थे…….? तुम क्या कह रहे हो मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है. और वैसे भी वो लोग क्यों मेरे साथ धोखा करेंगे?” श्रुति ने कहा
“अब यह सब मुझे नहीं पता, पर इतना पता है की वो लोग तेरे साथ कुछ गलत करने वाले थे नैनीताल में.
“नैनीताल में? पर तुम्हें यह सब कैसे पता. प्लीज़ मुझे जल्दी से बताओ ….” श्रुति थोड़ा व्याकुल होते हुए पूछने लगी
“जिस ढाबे में तुम सब खाने कहा रहे थे में उसी ढाबे के वॉशरूम में तेरे उन दोस्तों की बातें सुन रहा था. वो लोग तेरे कीहिलाफ कुछ गलत प्लान कर रहे थे.” इतना कह कर रोहन खामोश हो गया.
“वॉट?? मेरे खिलाफ प्लान कर रहे थे? क्या प्लान कर रहे थे, प्लीज़ जल्दी बताओ” श्रुति एक दम शॉक्ड हो गयी थी की उसके दोस्तों ने उसके खिलाफ कुछ गलत प्लान कर रहे थे. वो जाने को एक दम उत्सुक्त थी की आख़िर क्या वो लोग प्लान कर रहे थे.
“उन लोगों का इरादा था की वो लोग तेरे को नैनीताल लेजाकर और फिर तुझे कोई नशीली दवा खिला कर तेरे साथ……..” कहते हुए रोहन थोड़ा रुका.
“मेरे साथ क्या? श्रुति ने जल्दी से कहा.
“आअंह…..तेरे साथ….तेरे साथ वो लोग सेक्स करते और फिर तेरी वीडियो बनाकर उसे इंटरनेट पर डालते.” कहते हुए रोहन खामोश हो गया और श्रुति की तरफ देखने लगा. यह सुन कर श्रुति का मुंह खुला का खुला रही गया.
“वॉट…….?? श्रुति ने एकदम धीमी आवाज़ में कहा. उसे यकीन ही नहीं हो रहा था उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला था.
“अरे यू शुरू? वो लोग मेरे बारे में ऐसा ही कह रहे थे?” श्रुति ने फिर रोहन से कहा.
“हां हां….बिलकुल यही प्लान कर रहते थे…जब में तुम लोगों को चोद रहा था तो उससे पहले मैंने जिस लड़के को बुलाया था, तो उसे यही बताने किए बुलाया था की……वो लोग जो तेरे बारे में प्लान कर रहे थे उसके बारे में मुझे पता है. मेरा बस यही इरादा था की में वो लोग को ब्लैकमेल करूं. अगर वो मेरे खिलाफ कुछ करते है तो में तुझे बता देता की वो सब क्या करने वाले है तेरे साथ.” इतना कह कर रोहन चुप बैठ गया. श्रुति को अब भी यकीन नहीं हो रहा था की उसके साथ कुछ इस तरह होने वाला था.
“सिर्फ़ वही तीन थे….या कोई और भी था उन लड़कियों में से?” उसे पूरा यकीन था की इसमें छाया जरूर शामिल होगी.
“मुझे इतना तो पता नहीं पर जहाँ तक मेरा ख्याल है इसमें सभी शामिल थे खासकर के वो लड़की. क्या नाम था उसका………” रोहन थोड़ा सोचा फिर बोला “हां याद आया!! निशा!! निशा ही नाम था उसका. क्योंकि वो लड़का था ना? जो गाड़ी ड्राइव कर रहा था और जिसे में अकेले में बुलाया था यह उसी की गर्लफ्रेंड थी और उसी के कहने पर उसने तुम्हें साथ चलने को कहा था. शायद उसे तेरे से कोई पुराना हिसाब किताब करना था. उसी का बदला लेने के लिए वो यह सब नाटक खेल रहे थे “ इतना कहने के बाद रोहन, श्रुति की तरफ देखा. पर श्रुति को निशा का नाम सुनकर ही झटका लगा.

“व्हाात???? एक बड़ा सा ‘वॉट’ उसके मुंह से निकला . उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की इन सब चीज़ों के पीछे निशा का हाथ है. थोड़े देर तक वो ऐसे ही शॉक में रही. फिर उसे कुछ होश आया तो उसे याद आया की कैसे निशा उसे फ़ायरवेल्ल पार्टी पर चलने के लिए ज़ोर दे रही थी. पहले तो उसने जाने से इनकार कर दिया था जब उसे यह पता चला था की यह पार्टी निखिल ने नैनीताल पर अपने फार्म हाउस पर ऑर्गनाइज़ की है. पर निशा ने उसे कितना फोर्स किया चलने पर. उसे अब समझ में आ रहा था की क्यों निशा उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी. क्योंकि निखिल को श्रुति से बदला लेना था जो उसने भरे कॉलेज….
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में निखिल को थप्पड़ मारा था. और इसी के लिए उसने निशा से कहा होगा की वो श्रुति को अपने साथ नैनीताल चलने के लिए फोर्स करे. उसे विश्वास नहीं हो रहा था की निशा जिसे वो अपना सबसे बेस्ट फ़्रेंड समझती थी वो उसके साथ इतना बड़ा धोखा कर सकती है. निखिल के झूते प्यार में उसने अपनी सबसे फ़्रेंड धोखा कैसे दे सकती है. यही सब सोचते सोचते श्रुति एक दम रूहाँसी हो गयी.


फिर अचानक उसे कुछ याद आया तो रोहन से कहने लगी.
“जब तुम्हें सब पता था फिर भी तुमने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की? और अब आए हो मेरी जान बचाने के लिए? अगर तुम उन्हें वही रोक लेते तो आज मेरी यह हालत ही नहीं होती.” श्रुति व्यंग करते हुए रोहन से कहा. रोहन को पहले कुछ सूझा नहीं की वो क्या बोले. फिर कुछ सोच कर उसने बोला.
“मुझे लगा था की यह तो आम बात है. तुम जैसी सोसाइटी में रहती हो वहां तो ऐसा अक्सर होता है और दूसरे मुझे इस नेशनल पार्क के अंदर आना था क्योंकि में और मेरा वो दोस्त जिसे तूने मेरे साथ देखा था हम पर यहां के फोरेस्ट ऑफिसर्स ने बड़ी निगरानी रखी हुई है. अगर हम ऐसे अंदर आने की कोशिश करते तो आसानी से पढ़कर जा सकते थे. इसलिए हमने सोचा की अगर हम तुम लोगों के साथ अंदर आएँगे तो वो लोग यही समझेंगे की कॉलेज का ग्रुप है मौज़ मस्ती करने आए होंगे यह सोच कर वो हम पर ज्यादा इस पर ध्यान नहीं देते.” इतना कहकर रोहन चुप बैठ गया.
“अपने फायदे के लिए तुमने मेरा इस्तेमाल किया……तुम्हें शर्म आनी चाहिए.” श्रुति अब भी रोते हुए कह रही थी.फिर अचानक श्रुति को रोहन ने अभी जो कुछ कहा वो बातें याद आई तो उसने कहा.
“तुमने अभी क्या कहा था में जिस सोसाइटी में रहती हूँ वहां पर अक्सर ऐसा होता रहता है? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो. दुनिया की हर लड़की को एक जैसा समझ रखा है तुमने.” वो रोहन पर अब भी बरसे जा रही थी.
रोहन कुछ नहीं बोला क्योंकि उसे कोई शब्द ही नहीं मिल रहे थे अपनी सफाई में कुछ कहने का. उसे भी लग रहा था की यह लड़की जो बोल रही है बिलकुल सच है. उसने सिर्फ़ अपने फायदे के लिए उसे इस मुसीबत में डाल दिया. फिर भी थोड़ी देर की खामोशी के बाद उसने कहा.
“देखो में मानता हूँ मैंने जो भी कुछ तेरे साथ में किया है गलत किया है. पहली बात तो यह की में तुझे या तेरे दोस्तों को किसी मुसीबत में नहीं डालना चाहता था. में और मेरा दोस्त बस यही चाह रहे थे की कैसे भी करके इस नेशनल पार्क में एंट्री करले बस. मेरा इरादा था की जब हम इस पार्क में एंट्री कर लेंगे तो में तुम सब को वही से जाने दे देता. इसी वजह से मैंने तुम सबको ज्यादा अंदर नहीं लेकर गया बल्कि वही से चोद दिया जहाँ पर किसी किस्म का कोई भी जुनगल्ली जानवर का खतरा नहीं था. लेकिन मुझे नहीं मालूम था की यहां पर इस तरह के खूनी दरिंदे घूम रहे है और हूँ तुझे और तेरे दोस्तों पर हमला कर देंगे. अगर मुझे पता होता तो में ऐसा हरगिज़ नहीं करता.” फिर रोहन थोड़ा रुक कर फिर से अपनी बात जारी रखते हुए कहा. देख में हालात पहले जैसे तो नहीं कर सकता मगर, में इतना तो कर ही सकता हूँ तुम्हें यहां से सुरखित निकाल दम…..चाहे इसके लिए मुझे अपनी जान ही क्यों नहीं गवानी पढ़े.” बोलते हुए रोहन चुप भात गया और एक तरफ देखने लगा.फिर उनके बीच थोड़ी देर तक कोई भी बात नहीं हुई. फिर थोड़े देर के बाद श्रुति ने जो अब थोड़ा नॉर्मल हो चुकी थी खामोशी को तोड़ते हुए कहा.
“पर तुम दोनों को इस जंगल में आने के लिए हमारे सहारे की क्या जरूरत थी?. वो तो तुम ऐसे भी आ सकते थे. जैसे नॉर्मल लोग आते है.” रोहन उसकी बात सुनकर थोड़ा हँसने लगा..फिर कुछ देर के बाद बोला.
“में और मेरा दोस्त इस जंगल में गैर क़ानूनी काम करते है. और हमारी जगह जगह तलाशी हो रही थी. इस नेशनल पार्क के हर दरवाजा पर हमारी तस्वीर पहुंच चुकी थी. अगर हम ऐसे ही जाते तो पकड़ में आ जाते, इसलिए हम लोगों ने तुम लोगों का सहारा लिया.रोहन, श्रुति को समझाते हुए कहा.
“गैर क़ानूनी काम? कैसा गैर क़ानूनी काम? “ श्रुति ने थोड़ी उत्सुकता से पूच्ची
“क्यों तुझे क्यों जानना जरूरी है? रोहन ने कहा.
“नहीं में तो बस ऐसे ही पूंछ रही थी, अगर तुम्हें नहीं बताना तो कोई बात नहीं.” बोलकर श्रुति खामोश हो गयी. रोहन भी कुछ देर खामोश भरता रहा फिर उसने कहा “ में और मेरा दोस्त परवेज़, जानवरो को मर कर उनके बॉडी पार्ट्स को जंगल से स्मगलिंग करके बाहरी पार्टी को बेच देते है जिससे हमें अच्छे पैसे मिलते है. “ रोहन ने कहा.
“क्या? इसका मतलब तुम जानवरो की पोचिंग करते हो? “ श्रुति ने हैरत से कहा.
“हां तो क्या हुआ? “ इंसान अपना पेट….
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