(UPDATE-41)
रास्ते से हमने एंटर किया था बल्कि उन्होंने हमारे साथ में अपना एक गार्ड भी भेजा था हमारी सेफ्टी के लिए. पर अचानक क्या हुआ…..पता नहीं वो अजीब से जानवर कहा से आ गये और फिर……उन्होंने…देखते ही देखते…मेरे सारे दोस्तों को मेरी ही आँखों के सामने जान से मर दिया.” इतना कहते हुए श्रुति की आँखें भर आई थी.
“ओह तो यह बात थी, इसलिए वो वहां से वापस जा रहे थे…और में समझा की….” रोहन सोचने लगा.
फिर रोहन वहां से उठा और कुछ लकड़िया जमा करने लगा . जब ढेर सारी लकड़िया जमा हो गयी तो उसने उन सारी लकड़ियों एक जगह जमा किया और अपने जेब में लाइटर निकालने के लिए हाथ डाला पर उसका लाइटर उसे नहीं मिल रहा था. उसे याद आया की उसने लाइटर अपनी जॅकेट के पॉकेट में रहकी हुई है. और उसका जॅकेट इस वक्त श्रुति पहनी हुई थी .वो श्रुति से कहने लगा.
“वो ज़रा जॅकेट के अंदर वाली पॉकेट में मेरा लाइटर होगा, ज़रा देना मुझे.” श्रुति थोड़ा सा जॅकेट की ज़िप खोलकर और अपने आपको थोड़ा कवर करके अपना हाथ अंदर डाला जॅकेट के अंदर वाले पॉकेट से रोहन का लाइटर निकाला और फिर अपने आपको कवर करके ज़िप को बंद कर दिया और फिर उस लाइटर को रोहन के हवाले कर दिया. रोहन उसके हाथ से लाइटर लेकर जमा की हुई पत्तियाँ और लकड़ियों में अपने लाइटर से आग जलाने की कोशिश करने लगा. पर ठंड होने की वजह से लकड़ियों में बहुत ज्यादा नामी आ गयी थी जिसकी वजह से वह आसानी से नहीं जल रही थी . लेकिन रोहन को इस तरह की नाम लकड़ियों में किस तरह आग लगते है उसे इस बात का ज्ञान था. थोड़ी और कोशिश के बाद अच्छी खासी आग जल गयी थी. फिर वो श्रुति की तरफ देख कर कहा
“यहां आ जा. तुझे ठंड लग रही है ना? इस आग की गर्मी से तुझे थोड़ी राहत मिलेगी.” कहते हुए रोहन, श्रुति का बायन कंधा पकड़ कर उसे उठाने की कोशिश करने लगा. जब रोहन उसके करीब पहुंचा तो उसने आग की रोशनी में देखा की श्रुति का चेहरा खून से पूरा लाहुलाहन था और वो सुख भी चुका था..
“एक काम कर वो गड्ढे में पानी दिख रहा है ना? उससे अपना चेहरा धो ले . पूरा खून से भरा हुआ है.” श्रुति ने उस गड्ढे की तरफ देखा . फिर सोचने लगी की पता नहीं कितने गंदा पानी होगा उस गड्ढे का.
“क्या सोच रही है? चल अपना चेहरा धो ले. “ रोहन ने उसे फिर टोका. रोहन के दोबारा कहने पर श्रुति, रोहन के साथ उस गड्ढे की और चलने लगी और फिर उस गड्ढे में पड़े हुए मातएलए पानी को देखा और कहने लगी.
“नहीं मुझे नहीं धोना इस गंदे पानी से अपना चेहरा.”
“अरे क्या हुआ? अब तुझे यहां पर बिसलेरी का पानी तो मिलेगा नहीं . जो है उसी से ढोले बहुत आराम मिलेगा. “ रोहन उसे समझाते हुए कहा. रोहन के बार बार आग्रह करने पर श्रुति उस मातएलए पानी से अपना चेहरा ढोने लगी. पर जब उसके चेहरे पर पानी पड़ा तो वास्तव में उसे बड़ी राहत मिली, उसे बड़ा सुकून मिला. उसने कभी सोचा भी नहीं होगा की उसे अपने जीवन में इस तरह के पानी से भी अपना चेहरा भी धोना पड़ेगा. श्रुति ने जब पानी से अपना चेहरा धोया तो रोहन उसे सहारा देते हुए आग के पास भीता दिया और उसके पास में आकर भात गया. उस आग की रोशनी में अचानक रोहन की नज़र श्रुति के चेहरे की और गयी. पहली बार श्रुति के चेहरे की और इतने गौर से देखा. उसने देखा के सूखे हुए खून को ढोने के बाद इस लड़की का चेहरा कितना हसीना लग रहा है. उसने अंदाज़ा लगाया की इस लड़की की उम्र यही कोई मुश्किल से 20 या 21 साल होगी. कितना मासूम सा चेहरा था उसका . पर इतने मासूम चेहरे पर कितना दर्द था. बेचारी को उसी की वजह से कितना दर्द सहना पड़ रहा था. उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आने लगा. वो कुछ देर तक यूँही श्रुति को देखने लगा. जब श्रुति ने अचानक उसकी तरफ देखा तो उसने फौरन अपनी नज़र नीचे कर ली.
“तू थोड़े देर यही भात में अभी आता हूँ.” रोहन , श्रुति से कहते हुए उठने लगा.
“कहा जा रहे हो तुम?” श्रुति ने रोहन को उत्त् ते हुए देखा तो कहा.
“बस अभी आ रहा हूँ.” रोहन ने बस इतना ही कहा.
“पर में यहां अकेली कैसे रहूंगी?” श्रुति ने जल्दी से कहा.
“अरे में ज्यादा दूर नहीं जा रहा हूँ बस अभी आता हूँ, क्योंकि तुझे भूख लगी है ना तो उसका कुछ इंतजाम तो करना पड़ेगा ना?” रोहन, श्रुति को समझाते हुए कहा.
“नहीं नहीं मुझे भूख नहीं है, रहने दो में भूखी रही सकती हूँ पर प्लीज़ तुम मुझे अकेला चोद कर मत जाओ.” श्रुति ने रोहन का हाथ पकड़ के ज़बरदस्ती उसे भरता दिया.
“अरे अजीब बात है, पहले मुझे भगा रही थी अब जाने नहीं दे रही है.” रोहन , श्रुति की तरफ देखते हुए बोला.
“पहले की बात और थी….