(UPDATE-65)
मेरे लिए वैसे ही जज़्बात है. फिर हम दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया. यहां तक की साथ में जीने मरने की कस्में भी खाली. शादी करने का वादा भी एक दूसरे से कर लिया. लेकिन फिर ना जाने…. किसकी नज़र हमारे इस प्यार को लग गयी. जब हम हे स्कूल पास करके कॉलेज में कदम रखे तो वहां की दुनिया स्कूल के माहौल से थोड़ी अलग थी. नये नये दोस्त बनाने का रिवाज़ चालू हो गया. लेकिन यह सब मुझे इतना आकर्षित ना कर सके क्योंकि मेरी दुनिया तो एक ही जगह बस्ती थी, और वो थी संध्या. लेकिन यह मेरी सोच थी की जैसा में सोचता हूँ संध्या भी वैसा ही सोचती है. कॉलेज में आकर उसने बहुत सारे नये नये फ्रेंड्स बनाए थे जिनमें से कुछ लड़कियाँ थी तो कुछ लड़के भी थे. पहले शुरू शुरू में तो उसका ध्यान मुझपर था लेकिन जैसे जैसे कॉलेज का दिन आगे बढ़ता गया संध्या का मुझपर लगाओ भी कम होता गया. पहले तो में इसे अपना वहाँ समझ रहा था लेकिन हकीकत तब पता चली जब मैंने उसे अपने कॉलेज के पास बने हुए गर्दन में उसे ढूँढ रहा तो उसे एक लड़के की बाहों में पाया. उस दिन मेरा दिल किर्छी किर्छी हो गया था. मानो जैसे मेरे ऊपर आसमान टूट पड़ा हो. मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे जिस ज़मीन पर में खड़ा हूँ वो फॅट जाए और में उस में समा जाओं. उस दिन मैंने बहुत रोया, बहुत आँसू बहाया. शायद उसके बाद मैंने आज तक नहीं रोया. फिर उस दिन के बाद तो मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी संध्या से सामना करने की, लेकिन में चाहता था उससे पूछो की उसको क्या हक़ था यूँ मेरे साथ धोखा देने का. अगर में उसे पसंद नहीं था तो मेरे साथ यूँ प्रेम संबंध क्यों बनाए. फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके आख़िर संध्या से पूंछ लिया जो उसने मेरे साथ किया था. लेकिन उसने जो जवाब दिया उसे तो सुनकर तो जैसे उस दिन मेरी आत्मा भी जख्मी हो गयी थी. उसने कहा था की हमने जो प्यार किया था वो एक भूल थी, वो कम उमारी में लड़कपन वाला प्यार था. जिसमें ना समझी के अलावा कुछ और नहीं था. उसका कहना था की उसे उस वक्त अक़ल नहीं थी की क्या सही है और क्या गलत. खैर उसके बाद मैंने उससे कुछ और नहीं पूछा, में वहां से सीधा चला गया. में चाहता था की मेरा सामना संध्या से आज के बाद ना हो. अगर वो मेरे सामने आएगी तो मुझे उसकी वही मुस्कुराहट दिखेगी जिसका में दीवाना था. और में नहीं चाहता था की में उसके पीछे दीवाना और मजनू बन के फिरू. इसलिए मैंने वो कॉलेज ही चोद दिया. बल्कि मैंने उसके बाद कोई और कॉलेज जॉइंट नहीं किया. क्योंकि मेरा मना था इसी कॉलेज की चखचौंड ने मुझसे मेरी संध्या छ्चीनी थी. फिर उसके बाद से ही मुझे लड़की ज़ात से जैसे नफरत सी होने लगी थी. उसके बाद जितना भी मेरे से मुमकिन हो सका मैंने लड़कियों से कम ही वास्ता रखा” अपनी पूरी कहानी सुनाने के बाद रोहन की आँखें थोड़ी नाम हो गयी थी. श्रुति ने भी देख लिया था की रोहन थोड़ा भावक हो गया है.
“ई आम सॉरी!! मैंने तुम्हें फोर्स किया तुम्हारी कहानी सुनाने को. आक्च्युयली मुझे नहीं पता था यह इतनी परेशान स्टोरी होगी. में तो बस यह जानना चाहती थे के तुम लड़कियों से इतनी नफरत क्यों करते हो.” श्रुति ने कहा.
“कोई बात नहीं, क्या फर्क पढ़ता है. और वैसे भी बारे दीनों बाद आज ऐसा लगा है जैसे मेरा मन कुछ हल्का हो गया. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे में कोई भोज अपने दिल में लिए फिरता रहता हूँ. तू ने आज…..सॉरी.” रोहन थोड़ा हंसते हुआ कहा “तुमने आज अगर मेरे से ज़बरदस्ती मेरे अतीत के बारे में ना पूछती तो अभी में जितना बेहतर महसूस कर रहा हूँ शायद ना करता. इसलिए तुम्हारा शुक्रिया” रोहन ने श्रुति की तरफ मुस्कुराते हुए कहा.
“थॅंक गोद तुमने मुझसे ‘तुम’ से बात तो किया. मतलब अब सारी नाराज़गी दूर हो गयी. अगर मुझे पहले से मालूम होता तो की तुम इतना भोज अपने दिल में लिए फिर रहे हो तो में कबका तुमसे तुम्हारा पस्त पूंछ लेती.” श्रुति ने कहा.
“नहीं…तुम ऐसा नहीं करती” रोहन ने कहा.
“वो क्यों? श्रुति थोड़ा हैयरसत से कहा.
“वो इसलिए क्योंकि तेरी…..सॉरी तुम्हारी नजारे में इससे पहले तुम्हारा नो. 1 दुश्मन था में. तुम तो मुझसे ढंग से बात भी नहीं कर रही थी. तो मेरे दिल का हाल क्या खाक पूछती.” रोहन ने कहा. श्रुति, रोहन के इस तरह कहने से थोड़ा मुस्कराई फिर उसने कहा.
“ताकि बात और थी….अगर मेरी जगह कोई और होता तो भी वो वही करता. एनीवे फिर भी ई आम सॉरी” श्रुति बड़ी मासूमियत से अपने दोनों कानों को अपने हाथों से पकड़ते हुए माफी माँगनी लगी. उसके इस तरह से माफी माँगने पर जैसे रोहन के दिल में एक बार वैसी ही घंटी बजने लगी जैसे बरसों पहले बाजी थी. श्रुति का यह भोला….