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Fantasy THE DARKNESS RISING [Completed]

Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-54)




से पकड़ा और उसे पलंग पर डालने लगी. मगर जब वो उसे पलंग पर लिटा रही तो उसे में अचानक रोहन के ऊपर लिपटा हुआ वो चादर रोहन के ऊपर से सरक गया और श्रुति को रोहन के पूरे जंगल का नज़ारा दिखा दिया….. यह देख कर श्रुति एक दम चीख मर के रोहन को ऐसे ही पलंग में चोद कर दूसरी तरफ देखने लगी. उसका दिमाग एक दम झांजना गया था रोहन के लंड को देख कर. उसने अपनी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द का लंड देखा था. श्रुति ने जल्दी से रोहन के ऊपर वो चादर डाली. वो कुछ देर ऐसे ही बैठी रही. उसके दिमाग में रही रही कर रोहन का लंड का नज़ारा घूम रहा था.


फिर वो अपने दिमाग को झटक कर अपना ध्यान कही और लगाने की कोशिश करने लगी. उसे अचानक ख्याल आया की रोहन की तरह वो भी पूरी तरह भीग चुकी थी. अगर वो भी अपने कपड़े नहीं बदलेगी तो वो बीमार पढ़ जाएगी. वो सोचने लगी के रोहन को ढकने के लिए तो उसे पलंग की चादर मिल गयी थी पर वो अपने कपड़े उतार कर फिर क्या पहनेगी. इसके सामने बिना कपड़े के भी नहीं रही सकती क्या पता इसे कब होश आ जाए. यही सब सोचते सोचते वो फिर से पूरे घर में कोई कपड़ा तलाश करने लगी ताकि उसे अपना टन ढकने के लिए कोई कपड़ा मिल जाए. मगर इतना ढूंढ़ने पर भी उसे कोई कपड़ा नहीं मिला तभी, उसकी नज़र अचानक बाहर वाले कमरे पर पढ़ी. उसने देखा की उस कमरे की खिड़की पर एक छोटा सा परदा लगा हुआ था. वो उस खिड़की की तरफ गयी तो उसने देखा की उस खिड़की पर जो परदा लगा हुआ था वो काफी छोटा था और वो उसका टन ढांकने के लिए नाकाफ़ी था. मगर श्रुति के पास इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं था. उसने आख़िर मान मसोसकर उस खिड़की पर लगा हुआ वो छोटा सा परदा खिच लिया. वो सोचने लगी के वो अपने कपड़े उतारकर सूखने के लिए डाल देगी और अंदर वाले कमरे के छ्हॉकट पर बैठ जाएगी ताकि अगर कभी रोहन की आँख खुले तो उसे आभास हो जाए और फिर वो उसे बाहर वाले कमरे में आने से रोक देगी ताकि वो उसे इस रूप में ना देख सके. यही सब सोचते हुए श्रुति ने अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया.. कपड़े उतारने के दौरान में श्रुति बार बार उसी कमरे और देख रही थी जहां रोहन बेहोश पढ़ा हुआ था. उसे डर था की कही वो होश में ना आ जाए और उसे कपड़े बदलते हुए ना देख ले. जब श्रुति ने अपने पूरे कपड़े उतार लिए तो उसने वही परदा जो खिड़की पर लगा हुआ था उसे अपने बदन पर लपेटने लगी. मगर वो परदा इतना छोटा था की श्रुति का पूरा बदन उसमें नहीं समा पा रहा था. फिर भी कैसे करके उस पर्दे से अपने बदन को ढँकने लगी, उस पर्दे को अपने बदन से लिपटाने के बाद ऊपर से श्रुति के आधे से ज्यादा चुचियां नुमाया हो रही थी और नीचे से उसकी पूरी झांगे दिख रही थी. वो परदा नीचे से सिर्फ़ उसकी चुत ही ढक पा रहा था. श्रुति ने एक बार सोचा की वो वापस से अपना कपड़ा पहेनले पर, ऐसा करने में उसे कोई समझदारी नहीं लगी क्योंकि उसके कपड़े पूरे गीले हो चुके थे और वापस से गीले कपड़े पहनने का मतलब था बीमार पढ़ना जो वो नहीं चाहती थी. श्रुति ने सोचा क्या फर्क पढ़ता है अगर वो उसका पूरा टन नहीं ढक पा रहा है क्योंकि यहां इस आदमी के अलावा है ही कौन. वो उसे उस कमरे से बाहर आने ही नहीं देगी तो किसे को उसको ऐसी हालत में देखने का सवाल ही नहीं पैदा होता. यही सब सोचने के बाद श्रुति ने अपनी ब्रा, पैंटी, जीन्स और रोहन की वो जॅकेट जो रोहन ने उसे दी थी पहनने लिए उसे भी सूखने के लिए डाल दिया. फिर उसे याद आया की रोहन के कपड़े भी तो गीले है अगर वो उसे सूखने के लिए नहीं डालेंगी तो वो भी गीले रही जाएँगे. मगर उसके लिए दिक्कत यह थी की ऐसी हालत में रोहन के कमरे में जाए कैसे. अगर वो ऐसे हालत में गयी तो कही उसकी आँखें ना खुल जाए.” मगर जाना तो पड़ेगा” सोचते हुए श्रुति अपने हाथ से अपने सीने को ढँकते हुए रोहन के कमरे में गयी और उसकी शर्ट, जीन्स को उठाने लगी की तभी उसकी निगाह रोहन की आंडरवेयर पर पढ़ी, और वो सोचने लगी के इसे उठाए की नहीं. उसने दो सेकेंड तक सोचा फिर उस आंडरवेयर को रोहन की शर्ट से पकड़ते हुए उठा लिया और उस कमरे से बाहर निकल गयी फिर सारे कपड़े सूखने के लिए डाल दिया. फिर श्रुति रोहन के कमरे के बाहर वाले दरवाजे की ओट लेते हुए इस तरह बैठ गयी के अगर रोहन जगह जाए तो उसे आभास हो जाए और वो रोहन को कमरे से बाहर आने पर रोक दे.

श्रुति….
Nice update bro
 

Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-55)

को अभी वहां पर बैठे हुए कुछ ही देर हुए थे की उसकी आँखें नींद से बोझल होने लगी. पर वो सोना नहीं चाहती थी क्योंकि अगर वो सो गयी तो रोहन को रोकेगी कैसे. यही सब सोचते सोचते… वो फिर भी नींद की आगोश में कब चली गयी उसे पता ही नहीं चला.

रोहन की जब आँख खुली तो उसने अपने आपको एक कमरे में पाया. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो इस वक्त कहा पर है. वो अपने दिमाग पर ज़ोर डालने लगा की वो यहां पर कैसे है. फिर उसे याद आया की वो एक कीचड़ भरे रास्ते से चल रहा था की तभी उसका पैर फिसला था और वो एक पत्थर से जा टकराया था. फिर उसके बाद क्या हुआ उसे कुछ होश नहीं था, मगर वो यहां कैसे आया , मगर सबसे बड़ा सवाल यह है की उसे यहां लाया कौन? फिर रोहन उठ कर बैठने की कोशिश करने लगा तभी उसे एक दम से शॉक लगा क्योंकि उसने देखा की उसके बदन पर उसका एक भी कपड़ा नहीं था. उसके बदन में इस वक्त सिर्फ़ एक मैली चादर थी. उसे बड़ी हैरत हुई उसके कपड़े कहा गये और कौन इन्हें उसके बदन से निकाला. तभी उसे अचानक उस लड़की का ख्याल आया जो उसके साथ में थी जब वो बेहोश हुआ था. वो एक दम झट से पलंग से उतरने लगा पर अभी भी उसके सर के चोट की वजह से वो अपना नियत्रन नहीं कर पाया और लड़खड़ाकर गिर गया.


धम्म की आवाज़ से श्रुति जो एक दम गहरी नींद में चली गयी थी अचानक हुए इस शोर से उठ गयी. उसने देखा की वो आवाज़ अंदर वाले रूम से आई थी. वो समझने की कोशिश करने लगी की यह आवाज़ कैसी थी. उसने देखा की वो व्यक्ति जो बेहोश पलंग पर पड़ा हुआ था वही ज़मीन पर इस वक्त गिरा हुआ था.
“अफ….क्या हुआ तुम्हें? तुम ठीक तो हो?” श्रुति ने रोहन की तरफ देखते हुए कहा जो इस वक्त उठने की कोशिश कर रहा था.
“हां में ठीक हूँ. मगर में यहां पर कैसे आया.” रोहन उठ ते हुए कहा. फिर वो देखने लगा की श्रुति की आवाज़ किधर से आई थी तो वो कमरे के दरवाजे के बाहर की और देखने लगा पर उसे श्रुति कही नज़र नहीं आ रही थी. इसलिए फिर वो कमरे से बाहर जाने के लिए अपने कदम बढ़ने लगा. श्रुति ने भी देख लिया था की रोहन बाहर आ रहा है. उसने फौरन उसे रोकते हुए कहा.
“वही रुको तुम……… बाहर आने की कोशिश मत करो.”
“क्यों क्या हुआ?” रोहन ने श्रुति से कहा.
“कुछ भी नहीं पर तुम बाहर नहीं आओगे.” श्रुति ने जल्दी से कहा.
“अच्छा ठीक है नहीं आओंगा मगर यह बता में यहां पर कैसे आया.?” रोहन ने कहा.
“यहां पर कैसे आए का क्या मतलब. मैंने ही तुम्हें यहां पर लाई हूँ. जब तुम उस पत्थर से टकरा के बेहोश हो गये थे.” श्रुति ने कहा.
“क्या? तू मुझे इधर लेकर आई…..? कैसे?” रोहन हैरत से कहते हुए थोड़ा रुका फिर कहा.
“घसीटते हुए लाई और कैसे…गोद में तो नहीं उठा के ला सकती थी.” श्रुति ने कहा.
“अच्छा ठीक है. पर मेरे कपड़े किधर है?”
“वो गीले हो गये थे. तो मैंने सोचा की अगर तुम गीले कपड़े में रहोगे और ऊपर से इतने ठंड पढ़ रही है तो तुम बीमार पढ़ जाओगे. इसलिए मैंने उन कपड़ों को उतार कर उन्हें सूखने के लिए डाल दिया.” श्रुति ने कहा.
“क्या? तुमने मेरे कपड़े उतारे……? मेरे कपड़े……..? “ रोहन एक दम हैराअनी से पूछा.
“मेरे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं था……मुझे करना पढ़ा.” श्रुति थोड़ा झेपते हुए कहा.
“अच्छा…..” कहते हुए रोहन थोड़ा सोचने लगा फिर कहा.”शुक्रिया तेरा”. मगर श्रुति ने कुछ नहीं कहा. दोनों के बीच ऐसे ही थोड़ी देर तक खामोशी रही. फिर रोहन ने कहा.
“अगर मेरे कपड़े गीले हो गये थे तो तेरे भी कपड़े गीले हुए होंगे तो क्या तूने उन्हें भी……..” कहते हुए रोहन रुक गया. उसे बाद में समझ में आया की क्यों श्रुति उसे कमरे से बाहर आने के लिए रोक रही थी. वो सोचने लगा की शायद उसने भी इसी की तरह कोई चादर लपेट के रखा है. पहले तो श्रुति को कुछ कहते नहीं बना फिर कुछ देर बाद उसने कहा.
“हां मेरे भी कपड़े गीले है और मैंने उन्हें भी सूखने के लिए डाल दिया है.”
“ओह अच्छा…..लेकिन तुझे क्या लगता है यह जो गीले कपड़े है इस तरह टाँगने से सूख जाएँगे?” रोहन ने कहा.
“क्यों क्या हुआ?…… हां मुझे पता है पर में क्या करती, इन्हें और कहा डालती. बाहर तो बारिश हो रही है.” श्रुति ने कहा.
“हम….वो तो है. मगर हम ऐसे कब तक बैठे रहेंगे. इस तरह तो पूरा दिन निकल जाएगा पर कपड़े नहीं सूखेंगे.” रोहन ने कहा.
“तो तुम्हीं बताओ इसके अलावा कोई चारा है?” श्रुति ने कहा.
“हमें उधर उस चिम्नी में आग जलानी पड़ेगी और उसके आस पास कपड़े को टाँग देंगे ताकि उसकी गरमाहट से सारे कपड़े जदली सूख जाए.” रोहन ने कहा.
“वो तो ठीक है पर इसके लिए तुम्हें इधर इस रूम में आना पड़ेगा और….
(UPDATE-56)


मेरी हालत ऐसे है के इस हालत में में तुम्हारे सामने नहीं आ सकती.”
“श…”रोहन ने सिर्फ़ इतना कहा.
“तो एक काम करो तू ही उधर आग जला दे.” रोहन ने कहा.


“एक बात कहना है तुमसे?” श्रुति वही से कुछ देर के बाद कहा.
“क्या? बोल?” रोहन ने कहा.
“तुम्हें ऐसे कोन से बेहोशी आ छा गयी थी की इतना तुम्हें हिलाने के बावजूद भी तुम्हें होश नहीं आ रहा था?”श्रुति ने कहा.
“पता नहीं मुझे मेरे सर के उस हिस्से पर चोट लगने के बाद क्या हो जाता है की मुझे कुछ होश ही नहीं रहता.” रोहन ने कहा.उनके बीच ऐसे ही कुछ देर तक बातें होती रहती है की तभी अचानक…..श्रुति को अपने पास से कुछ रेंगता हुआ महसूस हुआ. पहले तो श्रुति ने इसे अपना वहाँ समझा. पर वो चीज़ फिर उसके पास से गुज़री तो उसने देखा की वो एक बड़ा सा बारे बारे बालों वाला काला चूहा था. श्रुति ने अपनी जिंदगी में इतना भयानक चूहा नहीं देखा था. उसने एक जोरदार चीख मर के रोहन वाले कमरे में भागी. रोहन भी श्रुति के इस तरह चीख मारने पर एक दम चौंक गया. वो उठ के देखने लगा की क्यों अचानक यह लड़की चीखने लगी है. लेकिन उसने देखा की वो लड़की एक दम बदहवासी में उसकी तरफ भागते हुए आ रही है और इसी बदहवासी में जो पर्दे का कपड़ा उसने अपने टन पर लपेटा हुआ था वो कब का नीचे गिर चुका था. रोहन की तो साँसें जैसे जम सी गयी हो श्रुति को इस रूप में देख कर. उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था. बिलकुल मादरज़ाद नंगी हालत में थी श्रुति, रोहन से आकर लिपट गयी. श्रुति को अभी होश नहीं था की उसके जिस्म पर इस वक्त कोई कपड़ा नहीं था. वो बस उस चूहे से खौफ के मारे अब भी चिल्ला रही थी जैसे वो कोई बहुत भयानक जानवर देख ली हो. पहले तो रोहन की कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे श्रुति को इस हालत में देखने के बाद मगर जब श्रुति लगातार चिल्लाती रही तो उसका ध्यान बाहर वाले कमरे की और गया. फिर वो श्रुति को अपने से अलग करते हुए बाहर वाले कमरे की तरफ देखने लगा की ऐसा क्या था जिसकी वजह से यह लड़की इतना चिल्ला रही है. उसने देखे की वहां पर एक चूहा अभी भी यहां से वहां भाग रहा था. रोहन समझ गया इसी चूहे को देख कर यह लड़की इतना चिल्ला रही है. रोहन ने पास में पड़ा एक लकड़ी का डंडा अपने हाथ में लिया और चूहे पर अपना सटीक निशाना साधते हुए एक जोरदार प्रहार किया जो उस चूहे के सर पर जा लगा और उस चूहे ने वही पर अपना दम तोड़ दिया.


उसके बाद रोहन पलट कर श्रुति की तरफ देखा तो उसे अब भी होश नहीं था वो अब भी भी लिबास वाली हालत में थी..रोहन ने देखा की वो अब भी उस चूहे के खौफ के सदमे में है तो उसने अपनी नज़र दूसरी और कर के उससे कहा.
“मर गया है वो चूहा. घबराने की कोई जरूरत नहीं है” फिर रोहन वहां पर पढ़ा हुआ वो छोटा सा कपड़ा हाथ में उठाया और श्रुति की तरफ बढ़ा दिया.रोहन का उस कपड़े को अपनी तरफ फेंकते हुए देखकर श्रुति को एहसास हुआ की उसके बदन पर जो परदा लिपटा हुआ था वो कब का उसके बदन से निकल चुका था और वो इस वक्त बिलकुल नंगी हालत में थी. उसने जल्दी से वो परदा अपने चारों तरफ लपेटना चालू किया. फिर वो देखने लगी की रोहन क्या उसकी तरफ देख रहा है. लेकिन उसने पाया की रोहन अब उस चिम्नी में आग जलाने की कोशिश कर रहा था. उसे बड़ी शर्म आ रही थी की वो इतनी बदहवासी में यह देखे बिना की उसके बदन में कुछ है या नहीं वो सीधा जाकर रोहन से लिपट गयी थी. वो सोचने लगी वो क्या करती वो चूहा था ही इतना भयानक की उसे देखने के बाद तो मानो उसके रोंगटे खड़े हो गये हो. फिर उसने रोहन की तरफ देखा तो रोहन उस चिम्नी में आग जला चुका था और इस समय वो सारे गीले कपड़े सूखने के लिए उस आग से थोड़ा दूर सूखाने के लिए डालने लगा.
“अब तू ठीक है?” रोहन अंदर वाले कमरे में बगैर देखे कहा.
“हां…..में अब …..ठीक हूँ.” श्रुति को शर्म के मारे कुछ बोला भी नहीं जा रहा था.
“एक चूहे से इतना डरती है……..खैर मेईने अपने और तेरे कपड़े सूखने के लिए डाल दिए है अब यह धीरे धीरे कर के सूख जाएँगे.” रोहन ने कहा.
“ओके….” श्रुति ने सिर्फ़ इतना ही कहा.
“एक काम कर तू. में अंदर वाले रूम में चला जाता हूँ और तू इस रूम में आकर आग से अपने आपको सेकेंड ले. तुझे ठंड लग रही होगी”
“नहीं में ठीक हूँ” श्रुति ने कहा.
“ऐसे कैसे ठीक है? जब मुझे इतनी ठंड लग रही है तो तेरा क्या हाल हो रहा होगा. तू इधर आ जा और आग के सामने सेकाई कर ले इससे तुझे थोड़ी राहत मिलेगी…..
(UPDATE-57)



मेरा क्या है में तो इस ठंड का आदि हूँ.” कहते हुए रोहन उस दरवाजे के करीब पहुंच गया. श्रुति को कुछ जवाब देते नहीं बन रहा था मगर उसे वास्तव में ठंड बहुत लग रही थी क्योंकि एक तो जनवरी की सर्दी और ऊपर से बाहर इतनी मूसलाधार बारिश. जिसकी वजह से मौसम का तापमान बहुत गिर गया था. श्रुति के लिए इतनी ठंड बर्दाश्त करना उसके बस से बाहर था. जब रोहन उसे आग के सामने सेकाई करने का ऑफर दिया तो पहले उसने इनकार किया पर रोहन के बार बार आग्रह करने पर वो राजी हो गयी.
“ठीक है में उस रूम में आ रही हूँ, तुम ज़रा अपना मुंह दूसरी और कर लो.” शरई ने कहा.
“हां हां बाबा ……मुझे पता है. में पहले से ही दूसरी और मुंह किया खड़ा हूँ.तू जल्दी से आजा.” रोहन ने श्रुति के सवाल का जवाब देते हुए कहा. फिर श्रुति उठ कर बाहर वाले कमरे की और जाने लगी. उसने देखा की रोहन दूसरी और मुंह किए हुए खड़ा था. लेकिन अभी वो उस चिम्नी की तरफ जा ही रही थी अचानक से ……..एक दम ज़ोर से बिजली कड़की. और फिर बिजली के इस कदर ज़ोर से कड़कने से श्रुति एक दम डर गयी और फिर से रोहन को पीछे से लपेट लिया. इस बार रोहन को कोई हैरत नहीं हुई की क्यों श्रुति चीख मर के उससे लिपट गयी है क्योंकि वो समझ गया था की यह सब की वजह अभी जो इतनी ज़ोर से बिजली कड़की है वो है. अभी वो कुछ कहने ही वाला था की तभी उसे श्रुति के इतन्ने कसके लपेटने का एहसास हुआ. उसे एहसास हो रहा था की श्रुति की चुचियाँ उसकी पीठ में चुभ रही है. एक तो इतना सर्द मौसम और ऊपर से बाहर बरसात माहौल को और भी रोमॅंटिक बना रही थी. उसे महसूस हुआ की जैसे उसके पैंट में कोई हलचल सी हो रही हो. उसे एहसास हुआ की नीचे से उसका लंड एक दम टांट जा रहा है. अब उसे अपनी दिल की धड़कने तेज होने लग रही थी. उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. उसका दिल किया इस लड़की को अपनी तरफ करके उसके बदन से लिपट जाओं और उसे दीवाना वार उसके बदन को चूमते जाओं. मगर वो ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था. ऐसा नहीं था की रोहन ने कभी इससे पहले सेक्स नहीं किया था. उसे उसी वक्त याद आया जब वो नया नया बालिग हुआ था तो उसके अंदर ऐसे ही जवानी जोश मारा करती थी. फिर उसे एक लड़की से प्यार हो गया था और उसने उस लड़की के साथ सेक्स भी किया था. रोहन तो उस लड़की के प्रति वफादार था पर उस लड़की ने किसी और लड़के के साथ अपना टांका भिड़ा के उसका दिल तोड़ दिया था. फिर तबसे और आज जब उसकी उमर 30 की हो गयी उसने आज तक किसी भी लड़की की तरफ नज़र उठाकर नहीं देखा. उसे लड़की ज़ात से ही नफरत हो गयी थी लेकिन आज हालत ऐसे हो गये की उसे अपने आपको संभालना मुश्किल हो रहा था. उसे वो ग्यारह बारह साल पुराना वाक़िया याद आने लगा था. खैर उसने अपने आप पर काभू रखा और श्रुति से कहने लगा.


“घबरा मत…..बिजली ही कड़क रही है इसमें इतना घबराने वाली कौनसी बात है.”
“वो….मुझे बिजली से बहुत डर लगता है” श्रुति अब भी घबराते हुए कह रही थी.
“अपना दिल मजबूत कर कुछ नहीं होता बिजली से……में अंदर जा रहा हूँ तू आग से सेकाई करले.” रोहन कहते हुए अंदर वाले रूम की तरफ बढ़ने लगा की तभी फिर से पहले से भी ज्यादा बिजली कड़की और श्रुति इस बार फिर रोहन से लिपटी तो नहीं लेकिन चीखें जा रही थी जैसे कोई उसकी जान लेने आ रहा हो. रोहन ने देखा की श्रुति एक दम डर के मारे चीखें जा रही है तो उसने तुरंत जाकर श्रुति को अपनी बाहों में ले लिया. बाहर लगातार बिजली का कडकना जारी था और बिजली के कड़कने से जितनी ज़ोर से आवाजें आती उतनी ही ज़ोर से श्रुति, रोहन को अपने से और लिपटा लेती. फिर ऐसे ही कुछ देर तक उसने श्रुति को अपनी बाहों में लिए रहा. उसे तब होश आया जब एक बार फिर श्रुति की चुचियाँ उसके सीने से चिपकी हुई थी और उसका लंड फिर से तनटानने लगा था. उसके अंदर एक बार से फिर से वही उमंगें जगह रही थी जिसे उसने बरसों पहले सुला दिया था.
अब बिजली का कडकना बंद हो गया था. श्रुति भी कुछ देर तक रोहन की बाहों में अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रही थी. उसे तो जब होश आया जब उसे एहसास हुआ की उसकी चुचियाँ रोहन के सीने से टकरा रही थी. फिर उसे अपनी नाभि के पास कुछ चुभता हुआ महसूस होने लगा. पहले तो वो समझी नहीं की यह क्या चीज़ है पर उसने थोड़ा दिमाग लगाया तो उसे 1000 वॉल्ट का झटका लगा की यह तो रोहन का …….वो एक दम से रोहन से अपने आपको चुधते हुए अलग हो गयी…..
Excellent update bro
 

Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-58)




फिर कुछ देर तक रोहन की आँखों में देखा और उसके बाद अपनी नज़र दूसरी और फेयर ली. इस वक्त श्रुति की भी धधकने बहुत तेजी से चल रही थी. उसे भी रोहन की बाहों में यूँ लिपटे रहना अच्छा लग रहा था. उसका दिल किया की वो एक बार फिर से रोहन से लिपट जाए पर उसने अपने आपको काबू में रखने की कोशिश करने लगी. रोहन भी उसे अपने से दूर जाते हुए देखा. फिर उसने देखा श्रुति एकदम गहरी गहरी साँसें ले रही है जिससे उसकी चुचियाँ ऊपर नीचे हो रही थी. रोहन ललचाई हुई नजारे से उसकी ऊपर नीचे होती चुचियों को देख रहा था . श्रुति की चुचियाँ जितनी ऊपर नीचे हो रहित थी रोहन को उतना अपने ऊपर काबू करना मुश्किल हो रहा था. उसे नहीं मालूम की इस समय यह लड़की क्या महसूस कर रही है, उसके जज़्बात क्या है, क्यों वो भी वैसा ही महसूस कर रही है जैसा वो महसूस कर रहा है. उसे तो बस इस वक्त अपने अंदर एक ज्वालामुखी बनता हुआ महसूस हो रहा था. फिर वो बिना सोचे समझे श्रुति के करीब गया और उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए अपनी तरफ करके झट से अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए. …
श्रुति अचानक होने वाले रोहन के इस रावय्यए से हक़्क़ा बक़्क़ा हो गयी थी. कुछ देर तक तो उसे समझ ही नहीं आ रहा था की रोहन क्या कर रहा है. जब उसे समझ में आया तो उसने फिर से रोहन को अपने से दूर किया. जब श्रुति ने रोहन को अपने से दूर किया तो रोहन को ऐसा लगा के जैसे उसका कोई अधूरा काम चुत गया हो. उसने देखा की श्रुति अभी भी तेज तेज साँसें ले रही थी और वो उसके इस बर्ताव से कोई ज्यादा खफा नहीं हुई थी जितना वो जानता था.वरना कोई और मौका होता तो वो ना जाने उसके साथ क्या कर देती. मगर इस समय वो इस समय दूसरी और मुंह करके रोहन से आँखें चुराते हुए दूसरी और देख रही थी. रोहन भी इसे एक ग्रीन सिग्नल की तरह लिया और फिर से श्रुति के करीब जाकर उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और फिर से उसके होठों पर चूमने लगा. श्रुति फिर से उसे अपने से दूर करने लगी मगर इस वक्त वो ज्यादा ज़ोर नहीं लगा पा रही थी उससे अलग होने से जिसका मतलब यह था आग उसके अंदर भी लगी थी. बस वो हिचकिचा रही थी कुछ भी करने से. थोड़ी देर तक तो श्रुति , रोहन को अपने से दूर करने की कोशिश करने लगी लेकिन जब रोहन उसका होठों को चूमना नहीं छ्चोढा तो उसे फिर कोई ज्यादा मज़ामाहट नहीं की. श्रुति भी इस वक्त आहिसा आहिस्ता रोहन का होंठ चूमने में उसका साथ देने लगी. उसे भी धीरे धीरे बहुत मजा आ रहा था. जब वो दोनों ऐसे ही कुछ देर एक दूसरे को चूमते रहे थे की तभी……रोहन ने अपना बाया हाथ श्रुति के डाई चूची पर रख दिया और से दबाने लगा. श्रुति जैसे फिर से नींद से जगह गयी. उसने रोहन का हाथ वहां से हथने की कोशिश करने लगी क्योंकि उसे अचानक ख्याल आया की वो यह क्या कर रही है. वो किसी भी हालत में अपनी जवानी यूँ किसी दूसरे मर्द को नहीं सौंप सकती थी. उसे तो वही उसके सपनों वाला शहज़ादा याद आया जो उसे उसके सपनें में आकर परेशान किया करता था. इस बार ज़ोर लगाकर रोहन को अपने से दूर किया और जाकर अंदर वाले कमरे में चली गयी. रोहन को थोड़ा हैरत हुई इसे अचानक क्या हुआ. अभी तो बराबर वो भी उसका साथ दे रही थी यह अचानक क्या हुआ. रोहन के दिल में अभी भी आग लगी हुई थी. वो अपने दिल में लगी हुई आग को जल्द से जल्द भुजाना चाहता था. वो भी उसी कमरे में गया जहां श्रुति गयी हुई थी. रोहन ने देखा की श्रुति कमरे के एक तरफ उसकी तरफ पीठ किए हुए खड़ी थी. रोहन, श्रुति का करीब जाकर उससे लिपट गया और दीवाना वार उसकी पीठ पर और कान के पीछे चूमने लगा. जब वो उसकी कान और गर्दन के पीछे चूम रहा तो श्रुति एक दम से बेक़ाबू होने लगी. शायद यह एरिया इसकी कमज़ोरी थी. वो पलटी और रोहन का चेहरा अपने हाथों में लेते हुए उसके होठों पर चूमने लगी. रोहन भी अब बेक़ाबू होकर उसे चूमने लगा. कुछ देर वो दोनों ऐसे ही एक दूसरे को चूमने लगे की श्रुति ने रोहन का बाआया हाथ अपने हाथों में लेकर अपने डाई और की चूची पर रख दी. रोहन उसकी इस हरकत पर थोड़ा चौंक गया. वो भी थोड़ा मुस्कराया और अपने दोनों हाथों से श्रुति की चुचियों को मसलने लगा. श्रुति के मुंह से आआहह……आआहह….आअहह की आवाजें निकालने लगी. श्रुति अब एक दम पागल होने लगी थी. फिर रोहन, श्रुति के जिस्म पर लिपटा हुआ वो कपड़ा एक झटके से अलग करते हुए उसे एक कोने में फेंक दिया. श्रुति अब एक दम नंगी हालत….
Excellent update bro
 

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में उसके सामने खड़ी थी. मगर इस समय हालत कुछ और थे. वो अब रोहन से शर्मा नहीं रही थी बल्कि वो चाह रही थी वो उसकी जिस्म से खेले, जो उसकी मर्जी में आए करे, उसे वो जन्नत की सैर कराए. रोहन से श्रुति को अपने गोद में उठाया और उसे ले जाकर पलंग में लिटा दिया. जब रोहन ने श्रुति को पलंग में लिटाया तो दोनों की आँखें एक दूसरे से मिली. श्रुति उसे देख कर थोड़ा सा मुस्कराई जैसे कह रही हो अब देर किस बात की जल्दी से मेरा काम तमाम कर दो क्योंकि अब मुझे बर्धाष्त नहीं हो रहा है. रोहन भी जैसे उसके जज़्बात समझ गया था. उसने अपने बदन पर पलंग का लिपटा हुआ चादर अपने बदन से हटा दिया . श्रुति ने देखा की रोहन के ऊपर लिपटी हुई चादर के हटने से उसे वो चीज़ दिखी जो उसने रोहन को इस पलंग पर लिटाते हुए देखा था. लेकिन तब वो कितना छोटा और कितना शांत था.. मगर इस वक्त वो ऐसा लग रहा था जैसे दाहाकता हुआ कोयला, एक दम ताना हुआ.
रोहन, श्रुति के ऊपर झुकते हुए उसे फिर से उसके होठों पर चूमने लगा. श्रुति भी इस खेल में उसका भरपूर साथ देने लगी. वो भूल चुकी थी की वो अपनी जवानी किसी और के लिए महफूज़ रखी थी. उसे तो बस इस वक्त अपने अंदर उठ रहे तूफ़ानो को शांत करना था और इसके लिए वो रोहन का साथ दे रही थी. रोहन, श्रुति के होठों पर चूमने के बाद नीचे आता हुआ उसके गले पर चूमने लगा फिर कुछ देर तक ऐसे चूमते रहने के बाद वो और थोड़ा नीचे आया और एक हाथ से श्रुति के चूची को पकड़ा और दूसरी चूची को अपने मुंह लेकर उसके निप्पल को चूसने लगा. श्रुति एक दम पागल हुई जा रही थी. वो रोहन के सर के बालों को पकड़ कर उसे और अपनी तरफ दबा रही थी. जिसका मतलब यह था वो उसे और श्ििडडत से उसके निप्पल को चूज़. रोहन उसका इशारा समझते हुए वैसा ही कर रहा था. वो बड़ी बड़ी दोनों निपल्स को चूसते जा रहा था. जब काफी देर तक उसने उसके निपल्स को चूस लिया तो वो और नीचे आकर उसके पेट को चूमने लगा फिर थोड़ी देर बाद वो श्रुति के नाभि की और गया और उसकी नाभि के अंदर अपनी जबान फेरने लगा. रोहन का ऐसा करना ही था की श्रुति एक दम से अपनी कमर उठाने लगी. वो एक दम जंगली बिल्ली की तरह छटपटाने लगी. वो रोहन के बालों को एक दम तेजी पकड़ कर उसे भींचने लगी. इतना भीचने लगी की रोहन को थोड़ा दर्द भी होने लगा लेकिन उसने अफ नहीं किया और अपने कार्य को करने में लगा रहा. जब काफी देर तक वो उसकी नाभि से खेल चुका तो उसने थोड़ा और नीचे आते हुए श्रुति के ग्राय्न एरिया (दो टांगों के बीच का हिस्सा) के पास आया और वहां पर चूमने लगा. रोहन की इस हरकत से श्रुति एक दम से बिलबिला उठी और एक आवाज़ निकालते हुए आआआआआआआआअहह……………..उसकी चुत ने ढेर सारा पानी छोडा. रोहन ने भी देखा उसकी इस हरकत से श्रुति झाड़ चुकी थी. फिर उसके बाद रोहन रुका नहीं बल्कि अपने कार्य में और तेजी लाता हुआ श्रुति की चुत की चिड़िया को चूमने लगा. फिर उसके बाद उसकी चुत पर अपनी जबान फेरने लगा. श्रुति जो अभी अभी झड़ी थी रोहन की एक और हरकत पर वापस से जोश में आने लगी थी. उसे रोहन का उसकी चुत में इस तरह से चूमना बहुत अच्छा लग रहा था. जब रोहन काफी देर तक उसकी चुत ऐसे ही चाटता रहा तो उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने आख़िर कार अपने मुंह खोला और कहने लगी.
“प्लीज़……अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा………प्लीज़ जल्दी करो…..प्लीज़!!!!!! रोहन समझ गया था की उसका क्या मतलब है. वो चाहती है की वो उसकी चुत में अपना गर्म लोहा डाल दे. उसने भी सोचा की इसे और तड़पाना अच्छा नहीं है बल्कि वो भी जल्द से जल्द उसकी चुत में समा जाना चाहता था. फिर उसके बाद रोहन अपने घुटने के बाल बैठा और अपने लंड को अपने हाथ में लेते हुए श्रुति की चुत के मूहने पर रख दिया और फिर श्रुति के ऊपर लेट गया. फिर उसके बाद उसने आहिस्ता आहिस्ता अपना लंड श्रुति की चुत में डालने लगा. लेकिन अभी उसने थोड़ा ही ज़ोर लगाया था की श्रुति एक दम दर्द से चिल्लाने लगी.
“आाआहिसतीए……..दर्द ……हो रहा है.” श्रुति ने एक दम दर्द में आकर कहने लगी. रोहन को थोड़ी हैरत होने लगी उसे क्यों इतना दर्द हो रहा है. इतना दर्द तो उसे होता जो पहली बार किसी का लंड अपनी चुत में लेती है. यानि की वो लड़की जो कुँवारी होती है……तो इसका मतलब यह कुँवारी है……रोहन को विश्वास नहीं हो रहा था की यह लड़की जिस सोसाइटी से ताल्ल्लुक रखती है वहां पर भी कोई ऐसी लड़की होगी जो कुँवारी हो…..खैर उसने इसके आगे कुछ और नहीं सोचा और श्रुति जैसा कह रही थी….
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वैसा ही करने लगा. पहले पहले उसने धीरे धीरे से डालने शुरू किया. लेकिन जब उसने देखा की श्रुति से दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा है तो उसने सोचा की अगर ऐसा चलता रहा तो यह उसे डालने ही नहीं देगी. फिर उसने श्रुति के दर्द की परवाह ना करते हुए एक झटके में अपना 7 इंच का लंड उसकी चुत में घुसेड़ दिया.
“आआआआआआआआआहह……मममम्मममममममममममाआआआ……..ओह में गोद्द्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड……………………..” श्रुति एक दम से पगला गयी थी रोहन के इस तरह से लंड उसकी चुत में घुसने से. रोहन के इस तरह से अपना लंड डालने से श्रुति की हाइमेन झिल्ली थी वो फॅट चुकी थी और ढेर सारा खून उसकी चुत से रिस रहा था. रोहन ने देखा श्रुति को वास्तव बहुत दर्द हुआ था. लेकिन वो भी क्या करता कभी ना कभी तो उसे डालना ही था. फिर उसने सोचा चलो अब चला ही गया है तो क्यों इस कार्य को बंद करूं. उसने फिर से श्रुति की चुत में लंड डाले और उसे धक्के देने लगा. श्रुति को रोहन से ऐसे उम्मीद नहीं थी वो इतना दर्द में छीकेगी और वो उसकी दर्द की परवाह ना करते हुए अपना काम जारी रखेगा. लेकिन जब रोहन के काफी धक्के श्रुति अपनी चुत में सहे तो उसे भी धीरे धीरे अब काफी मजा आने लगा. अब उसके मुंह से आवाजें आने लगी थी. मगर इस बार वो आवाज़ों में फर्क था. इससे पहले इसने जो आवाजें निकाली थी वो दर्द की वजह से निकाली थी और जो इस बार निकाली थी वो उसे बहुत मजा आ रहा था उसकी आवाजें थी. रोहन ऐसे ही श्रुति की चुत में लंड अंदर बाहर करने लगा. और श्रुति को तो अपने ऊपर काबू ही नहीं हो रहा था. वो रोहन की पीठ पर अपने हाथ फिरने लगी, बल्कि उसकी पीठ पर कई जगह अपने तेज नूकिले नाखूनओ से खरोचने भी लगी. श्रुति को ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो इस वक्त जन्नत में सैर कर रही हो. वो अपने आपको सातवें आसमान में उधता हुआ महसूस कर रही थी. उसे नहीं मालूम था की चुदाई में इतना भी मजा आता है. वरना वो कभी का किसी से अब तक चुदाया ली होती. वो चाह रही थी रोहन उसे ऐसे ही चोद था रहे. यही सब वो सोच रही थी की तभी उसके मुंह से आवाजें आने लगी.आहह…..आअहह…..म्‍म्म्मममम……फिर उसके बाद उसकी चुत ने ढेर सारा सफेद पानी छोडने लगी. श्रुति अब शांत होने लगी. लेकिन रोहन अभी भी शांत नहीं हुआ था. वो ऐसे ही श्रुति को छोढ़े जा रहा था. फिर उसके बाद तकरीबन 5 मिनट की चुदाई के बाद श्रुति ने एक बार फिर से अपना पानी छोडा था लेकिन रोहन का अभी बस नहीं हुआ था की तभी रोहन, श्रुति को एक दम कस के पकड़ ते हुए उसकी चुत में अपने गर्म लोहे से कई सारे लावे चोदने लगा. उसके लंड से इतना लावा छूता जैसे वो कई बरसों से उसके अंदर कैद हो. रोहन कुछ देर तक ऐसे ही श्रुति के ऊपर लेता रहा.. जब उसके अंदर थोड़ी ऊर्जा आई तो वो श्रुति के भाई तरफ होकर लेट गया. श्रुति ने भी देखा की रोहन उसके बाजू में लेट गया है. अब वो दोनों तेज तेज साँसें ले रहे थे. मानो ऐसा लग रहा था की कितनी मेहनत करके आए है. अब से कुछ देर पहले जो तूफान उनके अंदर उम्दा था वो अब शांत हो चुका था. फिर शरइत अपनी पीठ रोहन की तरफ करते हुए दूसरी और देखने लगी. फिर वो सोचने लगी उसने यह क्या कर दिया .उसने कैसे कैसे ख्वाब देखे थे . उसने आज तक कभी भी कोई बाय्फ्रेंड नहीं बनाया था. वजह सिर्फ़ वही एक ही थी. वो उसका सपनों का राजकुमार. वो जानती थी की यह सब फिल्मी बातें है लेकिन ना जाने उसे इतना अपने इस सपने पर इतना विश्वास था की एक ना एक दिन उसके ख्वाबों में आने वाला वो राजकुमार जरूर आएगा. और इसी लिए वो आज तक कुँवारी थी. लेकिन आज, वो सोचने लगी के वो अब और कुँवारी नहीं कहलाएगी . उसे बड़ी हैरत हो रही थी की उसने अपना कुँवारापन तुद्वाया भी तो किसके जरिए. जिससे वो सबसे ज्यादा नफरत करती थी उसके जरिए. वो व्यक्ति जो उसे इस खौफनाक जंगल में और उन खौफनाक जानवरों के चंगुल में फँसाया था. उसे अपने आप पर हैरत हो रही थी. खैर अब क्या कर सकते है जो हो गया सो हो गया. और यही सोचते सोचते उसे कब नींद आ गयी उसे कुछ पता ही नहीं चला.


उमेश चंद्रा तिवारी अपने केबिन में बेचैने से यहां वहां टहल रहा था की तभी सुशांत उस की इजाज़त लेता हुआ अंदर आया. सुशांत को अंदर आता हुआ देख कर उमेश ने कहा.
“कहो सुशांत अब तुम कौनसी मनहूस खबर लाए हो?” उमेश परेशानी भरे लहज़े में कहते हुए कहा.
“मनहूस नहीं सर! बहुत ही खौफनाक खबर कहो. में और मेरा दोस्त वहां पर अपने एक दोस्त की तलाश में गये थे. हम उसको तलाश ही कर रहे थे की तभी हमें एक गाड़ी….
 

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मिली और उसके आस पास मानव कंकाल मिले. पहले तो हमें समझ में नहीं आया की यह सब क्या और कैसे हुआ. हम इसी के बारे में सोच ही रहे थे तभी हमने एक ऐसे हैवान को देखा जिसको देखने के बाद अच्छे अच्छे के होश उड़ जाएँ. वो हैवान एक बंदर की शकल वाला था और उसने देखते ही देखते हमारे साथ पास का एक गाँव वाला और भी था उसको चियर फाड़ के उसको मौत के घाट उतार दिया. में तो उस हैवान को देख कर ही अपने होश खो बैठा था. लेकिन में और मेरा दोस्त जैसे तैसे करके वहां से अपनी जान बचके भाग लिए.” फिर सुशांत थोड़ा रुक कर फिर से कहा “ सर! हमें जल्द से जल्द कुछ करना होगा वरना…..” सुशांत कुछ और कहने ही वाला था की तभी उमेश जो इतनी देर से खामोश बैठा हुआ सुशांत की बातें सुन रहा था कहने लगा.
“तुम जिस जानवर के बारे में बता रहे हो उसके बारे में हमें पता है. लेकिन मुझे यह नहीं मालूम था जो कालगरह में हुआ वो वहां पर भी हो जाएगा.”
“वही तो में भी कह रहा हूँ सर! अगर हम उन जानवरों को जल्दी नहीं रोके तो प्रलय मच जाएगी. हमें जल्दी से कोई एक्शन लेना होगा.” सुशांत ने कहा.
“मैंने अल्लरेअदी तमाम फोरेस्ट रेंजर्स को हर टूरिस्ट स्पॉट पर तैनात किया हुआ. बल्कि अब हमें उन सब टूरिस्ट्स को इस जंगल से जितनी जल्दी हो सके बाहर निकालना होगा. अगर हमने जल्दी कुछ नहीं किया तो पता नहीं क्या हो जाए.” उमेश ने कहा.
“वो तो ठीक है सर! लेकिन इस वक्त मुझे मेरे दोस्त की जान बचना बहुत जरूरी है. पता नहीं उसके साथ क्या गुजर रही हो.”
“वो तुम्हारा कौन दोस्त है? और इस वक्त अकेले उधर क्या कर रहा था.?” उमेश ने सुशांत से सवाल पूछा. पहले तो सुशांत थोड़ा झिजक की वो क्या जवाब दे इसे. वो कैसे बताता की वो एक पोचर है और वो भी खुद उसके साथ मिला हुआ है. लेकिन फिर वो हिम्मत करके जवाब दिया.
“सर! वो एक नेचर फोटोग्राफर है. वो अक्सर इस नेशनल पार्क में आता जाता रहता है और थोड़ा अद्वेंटरऔस भी है इसलिए कही भी और किसी भी वक्त चला जाता है. “
“तो तुम्हें क्या लगता है उसके साथ में कुछ नहीं हुआ होगा? जैसा तुम बता रहे हो की वो जानवर तुम्हारे ऊपर हमला किया था तो हो सकता है उस पर भी हमला किया होगा. अगर वो ज़िंदा भी होता तो अब तक उसका पता चल जाना था.” उमेश ने कहा.
“वो तो ठीक है सर लेकिन हम उम्मीद तो नहीं चोद सकते. प्लीज़ सर! मुझे अपने साथ गार्ड्स ले जाने की पर्मिशन दे दीजिए.” सुशांत इस बार उससे थोड़ा रिकवेस्ट करने लगा.
“ओके ओके ठीक है! जब तुम इतना कह रहे हो तो ठीक है ले जाओ. लेकिन अगर सुबह तक ना मिले तो वापस चले आना. समझ जाना की वो अब ज़िंदा नहीं है. और इसके अलावा हमें और गार्ड्स की जरूरत भी पड़ेगी पूरा जंगल खाली करने के लिए.”
“ओके सर! में समझ गया. जैसा आप कह रहे है वैसे ही होगा. अब में चलता हूँ.” सुशांत अपनी सीट से उत्ते हुए उमेश की केबिन से निकल गया.


उमेश की ऑफिस से निकालने के बाद सुशांत अपने साथ और गार्ड्स लिया और रेस्ट हाउस पहुंच कर परवेज़ को भी अपने साथ ले लिया. फिर उसके बाद वो सब उसी जगह पर पहुंच गये जहां पर उस गाड़ी के पास वो सारे कंकाल मिले थे. वहां पहुंच कर सुशांत ने अपने सारे गार्ड्स को जरूरी निर्देश दिए और वो सब रोहन की तलाश में निकल पड़े.

इधर दिल्ली में,

रात की खामोशी में अपने अपार्टमेंट में आरती अपने बेडरूम में दो दिन से थके होने के कारण एक दम गहरी नींद में सोई हुई थी. तभी उसके पलंग के पास में रखे हुए टेबल पर रखा हुआ उसका मोबाइल बजने लगा. आरती नींद से बेमन से उत्त्ते हुए फोन में देखे बिना ही फोन काट दिया. अभी उसे फोन काटे हुए थोड़ा ही देर हुआ था की उसका मोबाइल दोबारा बजने लगा. इस बार चिथड़े हुए उसने उत्त्ते हुए अपना मोबाइल उठाया और देखने लगी के किसका फोन है. उसने देखा की उसका एक फोटोग्राफर दोस्त मयंक का फोन था. वो अपने में बड़बड़ाते हुए बोली “ओफफो हो…..अभी इसे क्या काम पढ़ गया. इतनी रात को फोन कर रहा है.”
“क्या बात है मयंक? ऐसा कौनसा जरूरी काम पढ़ गया जो रात के 3 बजे मुझे नींद से जगा के परेशान कर रहे हो?” आधी नींद में डूबते हुए आरती ने दूसरी तरफ मयंक से कहा.
“एक जर्नलिस्ट के लिए क्या रात और क्या दिन. तुम्हें तो हर वक्त तैयार रहना चाहिए की कही कोई खबर तुम्हारा वेट कर रही हो.” मयंक ने कहा.
“आआआहह…..” एक लंबी जमाई लेती हुई आरती ने फिर मयंक से पूछा “ओके ठीक है अब यह लेक्चर देना बंद करो….और कहो किस लिए फोन किए हो.”
“तुम कहा हो इस वक्त अभी?” मयंक ने कहा.
“ओह कामन मयंक….अब यह क्या सवाल है? ओफ्कोर्स में सो रही हूँ तो अपने घर पर….
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ही रहूंगी.” आरती ने कहा
“नहीं…मुझे लगा की हो सकता है तुम शायद कही अपने किसी मिशन पर हो.” मयंक ने अपनी सफाई देते हुए कहा.
“नो यार आज कल कोई काम नहीं है इसलिए सारे घोड़े बेच के सो रही थी. सोचा था आज जी भर के सो लूँगी, लेकिन अब लगता है तुम फिर कोई घोड़ा लेकर आए हो मेरे लिए.” आरती ने कहा.
“हां तुमने ठीक कहा में तुम्हारे लिए एक बेहतरीन घोड़ा लाया हूँ. जिसे बेच कर तुम मालामाल हो जाओगी.” मयंक ने कहा.
“अब बस भी करो मयंक….में नींद में हूँ जल्दी से बताओ तुम कहना क्या चाहते हो?” आरती ने कहा.
“तुम अभी और इसी वक्त जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के लिए निकल सकती हो?” मयंक ने कहा.
“जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क? और वो भी इस वक्त. तुम क्या वहां उस जंगल में सही में कोई घोड़ा मेरे लिए देखे हो क्या?” आरती ने थोड़ा चौंकते हुए कहा.
“देखो मेरी बात को मज़ाक में मत लो. अगर तुम सुबह तक यहां पर आ सकती तो तुम्हें एक बड़ी धमाकेदार और सेन्सेशनल न्यूज कवर करने को मिलेगी और तुम यह न्यूज सबसे पहले कवर करोगी तो….शायद मुझे तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है इससे तुम्हें और तुम्हारी न्यूज चॅनेल वाले को कितना फायदा पहुंचेगा.” मयंक ने कहा.
“ऐसी कौनसी न्यूज है जिससे मुझे और मेरे न्यूज चॅनेल को इतना फायदा होगा और वो भी जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में?” आरती ने कहा.
“यहां इस जंगल में पिछले दो दीनों से कुछ गड़बड़ चल रही है…..पहले तो यहां के फोरेस्ट रेंजर्स वाले तो इस बात को दबा ने की कोशिश में लगे थे. लेकिन आज यह लोग तमाम टूरिस्ट्स को इस नेशनल पार्क से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे है. कहते है जंगल टूरिस्ट्स लोगों के लिए ख़तनाक हो चुका है. अब वो क्यों हुआ है यह तो नहीं बता रहे है ” इतना कह कर मयंक थोड़ा रुका ही था की आरती ने बीच में कह दिया.
“मगर क्यों? ऐसी क्या बात हो गयी की सारे टूरिस्ट्स को वहां से हटाया जा रहा है?”
“वो इसलिए क्योंकि यहां इस जंगल में कुछ दीनों से कुछ अजीब से दिखने वाले जानवर है, मैंने तो अपनी आँखों से तो देखा नहीं लेकिन जितना सुना हूँ उसके मुताबिक़ वो जानवरो की शकल बंदारो से बहुत मिलती जुलती है. लेकिन वो कोई आम से बंदर नहीं है, बल्कि अगर उन्हें हैवान या दरिन्दा कहा जाए तो गलत ना होगा. उन्होंने यहां इतना उत्पात मचाया हुआ है की उनसे पूरा जंगल खौफ खाए बैठा है. उन्होंने तो कितने फोरेस्ट ऑफिसर्स, टूरिस्ट्स और कुछ गाँव वालों को भी अपना निशाना बनाया है. अगर तुम इन लोगों के बारे में अपने न्यूज चॅनेल वालो के जरिए लोगों को बनाएगी तो तहलका मच जाएगा.” मयंक इतना कह कर चुप हो गया.
“हम….खबर तो काफी इंट्रेस्टिंग है लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा है जिस जानवरो की तुम बात कर रहे हो वो अचानक कहा से पैदा हो गये?” आरती ने कहा.
“अब यही तो पहेली है आरती . यह तो अभी किसी के समझ में नहीं आ रहा है की वो इतनी तादाद में कहा से आ गये. लेकिन तुम देर ना करते हुए अगर सुबह यहां जल्दी आ गयी तो बेहतर होगा तुम्हारे लिए.” मयंक ने कहा.
“वो तो ठीक है मयंक. लेकिन जैसा तुम कह रहे हो सारे टूरिस्ट्स को वहां से निकाला जा रहा है तो जाहिर सी बात है हमें अंदर भी आने नहीं दिया जाएगा? और मीडिया वालो को तो और भी नहीं” आरती ने कहा.
“तुम इसकी फिक्र मत करो आरती. वो मुझ पर चोद दो. यहां मेरी अच्छी खासी पहचान है. इतने सालों से मैंने यहां खाक नहीं छ्चानि है. तुम कैसे भी करके सुबह तक यहां आ जाओ. “ कहते हुए मयंक थोड़ा रुका फिर कहा “ और ज़रा मेरे बारे में भी ज़रा ख्याल करना.” मयंक का मतलब था की इतनी जरूरी इन्फार्मेशन के लिए भी कमिशन चाहिए था.
“तुम उसकी फिर्क मत करो. तुम्हें तुम्हारा हिस्सा मिल जाएगा. में सुबह तक जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क पहुंच जाओंगी तुम तैयार रहना.” आरती ने कहा.
“ओके ठीक है में तैयार रहूँगा.” उसके बाद दोनों के बीच बातचीत खत्म हो गयी.


सुबह जब श्रुति की आँख खुली तो उसने अपने चारों तरफ देखने लगी. अचानक उसे कल रात में जो घटा था वो सब याद आने लगा. शर्म और पछतावे से उसकी आँखें झुक गयी. फिर उसने अपने बाजू में देखा तो रोहन वहां पर नहीं लेता हुआ था. वो उठ कर बैठने की कोशिश करने लगी. उसने देखा की उसे वही चादर जो उसने रोहन के बदन पर लपेटा था अब उसके बदन पर लिपटा हुआ है. वो समझ गयी थी की रात में उसे ठंड लग रही होगी तो उसने उसे यह चादर ओढ़ा दी होगी. “लेकिन वो है कहा?” सोचते हुए श्रुति उस चादर को अपने बदन पर अच्छी तरह लपेटने के बाद पलंग से उतरने लगी. तभी उसने देखा की पलंग के थोड़े दूर पर लड़की का ढेर पर पढ़ा हुआ है और किसी ने उस पर आग जलाई हुई है ठंड से बचने के लिए. यह देख….
Nice update
 

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कर श्रुति को बहुत अच्छा लगा की उसने उसका कितना ख्याल रखा है. उसे ठंड से बचाने के लिए उसे चादर ओढ़ाया फिर आग जलाई ताकि कुछ ठंड से और राहत मिले. फिर श्रुति पलंग से उतार कर बाहर वाले कमरे में जाने लगी. लेकिन उसे रोहन वहां नहीं दिखा. वो थोड़ा परेशान हो गयी की यह किधर गया.वो फौरन यहां वहां देखने लगी लेकिन रोहन को ना पकड़ उसने घर के दरवाजे की तरफ जाते हुए बाहर देखने लगी. उसने देखा की बाहर अब बारिश थाम चुकी थी और सारे परिंदे अपनी अपनी आवाजें निकाल रहे थे. उनकी इस आवाज़ों से श्रुति काफी मनोरणजीत हो रही थी. उसे ऐसा लग रहा था जैसे की हूँ सब मिलकर कोई गाना गया रहे हो. फिर बाहर का इतना हसीना नज़ारा देखने के बाद श्रुति की निगाहें रोहन को ढूंढ़ने लगी की तभी उसे रोहन एक पेड़ के सहारे सिगरेट पीता हुआ मिला. श्रुति की तो जैसे जान में जान आई रोहन को देखकर. उसे तो लगा था की कही वो फिर से ना उसे चोद कर चला गया हो. रोहन भी उसे देख लिया था दरवाजे पर खड़े होते हुए.
“उठ गयी गयी तू……..? तेरे कपड़े सूख गये होंगे, मैंने उन्हें अंदर एक कुर्सी पर तांगा हुआ है. पहन लो उसे.” रोहन ने कहा. जवाब में श्रुति सिर्फ़ अपनी गर्दन थोड़ी हां के अंदाज़ में हिलाई और अंदर जाकर उस कुर्सी पर से अपने कपड़े उठाए और उसे पहन ने लगी.

थोड़ी देर बाद वो अपने कपड़े पहने कर बाहर आई जहां रोहन खड़े हुए अभी भी सिगरेट सुलगा रहा था. रोहन उसकी तरफ देखा फिर बोला.
“चलें?”
“हम….” श्रुति के इतना कहते ही दोनों अपनी मंजिल की और चलने लगे. दोनों कोशिश कर रहे थे एक दूसरे से नज़रे ना मिलने की. शायद वो दोनों कल रात में जो कुछ भी हुआ था उस पर शर्मिंदा थे. खासकर के श्रुति से तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था. वो दोनों ऐसे ही थोड़ी देर तक चलते रहे की तभी


श्रुति ने रोहन से कहा.
“सुनो!!” श्रुति की आवाज़ पर रोहन पलट कर उसे देखने लगा
“मुझे भूख लगी है. मुझसे एक कदम भी आगे नहीं चला जबा रहा है.” कहते हुए श्रुति वही पास के एक पेड़ के पास तक लगा के खड़ी हो गयी. रोहन भी सोचा की उन दोनों ने डेढ़ दिन से कुछ खाया पिया नहीं है. भूख लगना तो लाज़मी है.
“रुको में कुछ इंतजाम करता हूँ.” रोहन ने कहा.
“तुम कहा जाओगे? में भी तुम्हारे साथ चलूंगी.” श्रुति ने कहा.
“रुको तुम….में कोई ज्यादा दूर नहीं जा रहा हूँ….यही पर हूँ.” कहते हुए रोहन आस पास के पेड़ो पर देखने लगा की कोई खाने लायक फल है की नहीं. तभी उसे बाहर और आलू बुखारे का पेड़ दिखा.
“वो देखो बाहर और आलू बकयरा का पेड़. अभी तो फिलहाल हमें इनसे ही अपनी भूख मिटानी होगी.” रोहन, श्रुति से कहते हुआ बाहर के पेड़ के पास गया और उसकी एक टहनी को जो काफी नीचे थी पकड़ के हिलाने लगा. उसके इस तरह थाने हिलाने से ढेर सारा बाहर के फल ज़मीन पर गिरने लगे. जब बहुत सारे बाहर के फल जमा हो गये तो उसने इसी तरह आलू बुखारे के फल भी जमा कर लिया. अब उनके पास इतने तो फल हो चुके थे की वो अपनी भूख को भगा सकते थे. सारे फल को रोहन एक जगह जमा कर के श्रुति को भी वही बुलाया और उससे कहने लगा
“अब यही मिले है मुझे. इसे खाके अपनी भूख मिटा ले.”
“यह क्या है? “ श्रुति आलू बुखारे को उठाते हुए कहा.
“आलू बकयरा. बहुत ही स्वादिष्ट होता है खाने में. खाके तो देखो” रोहन ने कहा. रोहन की बात सुनकर श्रुति उस आलू बुखारे के फल को खाने लगी.
“कैसे लगा?” रोहन ने श्रुति को खाते हुए देखा तो पूछा.
“हम………इट’से गुड….अच्छा है.” कहते हुए श्रुति इस बार बाहर के फल चखने लगी. वो दोनों कुछ देर तक इसी तरह खामोशी से फलों को कहा रहे थे. फिर थोड़ी देर के बाद श्रुति ने पूछा .
“अब हम क्या करेंगे? मतलब हमें उसी छोटी पर जाना होगा?”
“हां क्यों? तेरा पैर तो पहले से ठीक है ना?” रोहन, श्रुति के पैर की और देख कर कहा.
“हां मेरा पैर पहले से बेहतर है.” श्रुति ने रोहन के सवाल का जवाब दिया.
“हां तो बस अपना पेट भर के हम फिर वही चलेंगे.” रोहन ने कहा. फिर दोनों के बीच थोड़ी देर तक खामोशी च्छाई रही. फिर थोड़ी देर बाद श्रुति उस खोमोशी को तोड़ते हुए कहा.
“तुम्हें कुछ अजीब सा नहीं लगता.” श्रुति ने रोहन से कहा.
“क्या?” रोहन बाहर के फल को अपने मुंह में चबाते हुए कहा.
“हम पिछले दो दिन से साथ ही में है पर एक दूसरे का नाम भी नहीं जानते.” श्रुति, रोहन की आँखों में देखकर कहा.
“क्या करेंगे नाम जानकार. मुझे तुझसे कोई दोस्ती थोड़े ही ना करना है. में तो बस तुझे सही सलामत तेरे घर तक चोद दम, फिर तू अपने रास्ते और में अपने रास्ते.” रोहन ने कहा.
“क्यों नाम जाने के लिए दोस्ती करना जरूरी है क्या? अजनाबीयों के नाम नहीं होते क्या?” श्रुति ने कहा…..
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रोहन थोड़ी देर सोचा की यह लड़की क्या बात लेकर बैठ गयी है. लेकिन कुछ सोचकर उसने कहा.
“रोहन! रोहन नाम है मेरा.”
“अच्छा नाम है.” फिर श्रुति थोड़े देर रुकी की शायद रोहन उससे भी उसका नाम पूछे. लेकिन जब उसने देखा की वो बाहर और आलू बुखारे के फल खाने में व्यस्त है तो उसने पूछा.
“मेरा नाम नहीं पूचोगे?”
“क्या करूँगा जानकार? मैंने कहा ना मुझे तुझसे कोई दोस्ती थोड़े ही ना करनी है.” रोहन सिर्फ़ इतना ही कहा.
“अरे तो मैंने सिर्फ़ दोस्ती करने के लिए ही नाम नहीं पूछा था. में तो बस ऐसे ही पूंछ लिया था.” फिर श्रुति थोड़े देर रुकी फिर कहा.
“और यह तुम क्यों मुझसे तेरे मेरे से बात करते हो. तुम्हें नहीं लगता लड़कियों से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए.” श्रुति जो रोहन से अब तक सिर्फ़ जरूरत भर की बात किया करती थी अचानक से ना जाने क्यों उससे काफी घुल मिलकर बात करने की कोशिश कर रही थी. श्रुति के इस तरह कहने से रोहन को कोई जवाब देते नहीं बन रहा था. पहले तो वो थोड़ी देर तक चुप बैठा. फिर उसने देखा की श्रुति अब भी उसके जवाब वेट कर रही थी तो उसने आख़िर कह ही दिया .
“में लड़कियों से ऐसे ही बात करता हूँ.”
“क्यों? कोई खास वजह?” श्रुति ने कहा.
“असल में…..देखो बुरा मत मना में तेरे बारे में नहीं कह रहा हूँ. मुझे लगता है लड़कियाँ जो होती है बहुत धोकेबाज़ होती है. वो सिर्फ़ अपने बारे में ही सोचती है.” रोहन ने कहा.
“क्यों तुम ऐसा क्यों सोचते हो? क्या किसी लड़की ने तुम्हें धोखा दिया था क्या?” श्रुति ने फिर से रोहन से सवाल पूछा. रोहन को थोड़ा अजीब लग रहा था इस लड़की से अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बात करना और दूसरी वजह यह भी थी के कल उन दोनों के बीच जो शारीरिक संभंध हुआ था उसकी वजह से वो थोड़ा शर्मिंदा भी था जिसकी वजह से वो बातें करने में थोड़ा झीजक रहा था. लेकिन उसे बड़ी हैरत हो रही थी के इस लड़की को और ज्यादा शरमाते के बजाए यह उससे बिलकुल खुल कर बातें कर रही थी.
“अरे चुप क्यों बैठे हो बताओ? “ श्रुति ने कहा.
“हां….थी एक लड़की” आख़िर रोहन, श्रुति के बार बार आग्रह करने पर अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बताने लगा.
“संध्या नाम था उसका. मेरे स्कूल में पढ़ती थी वो. बहुत मासूम, बहुत ही भोली. उसकी अंदर जो चीज़ मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगती थी वो थी उसकी मुस्कान.” रोहन अपनी इस कहानी के बारे में बताते हुए बिलकुल खो सा गया था. जैसे वो सारा दृश्या उसके सामने फिर से चल रहा हो.
“उसकी एक मुस्कान के लिए में सबकी नज़रे बचके घंटों उसे निहारा करता था. एक दिन ऐसे ही में उसे निहार रहा था की उसने भी जैसे समझ लिया था की में चुप चुप के उसे ही देख रहा हूँ. उस दिन तो वो कुछ ना बोली लेकिन जब उसने देखा की मेरा यूँ रोज़ रोज़ उसको निहारना बंद नहीं हो रहा तो एक दिन अपनी सहेलियों से दूर अकेले में उसने मुझे बुलाया. और मुझसे कहने लगी की में क्यों उसे रोज़ रोज़ देखता हूँ.” अचानक रोहन को याद आया की वो कुछ ज्यादा ही डीटेल में उसे कहानी बता रहा है. वो सोचने लगा की कही वो बोर तो नहीं हो रही है.
“अरे में भी तुझे कहा इतनी बातें करके बोर कर रहा हूँ. वो दरअसल बाद में यूँ हुआ की….” रोहन अभी पूरी बात कर भी नहीं पाया था की श्रुति उसे टोकते हुए कहा.
“अरे क्या हुआ? में कहा बोर हो रही हूँ. इनफॅक्ट मुझे तुम्हारी स्टोरी अच्छी लग रही है. तुम मुझे बताओ उसके बाद क्या हुआ जब उसने तुम्हें अकेले में बुलाया था?” श्रुति, रोहन की कहानी में काफी रूचि लेते हुए कह रही थी. रोहन थोड़ा रुका फिर कहना चालू किया.
“जब उसने यह कहा की में उसे क्यों घूर घूर के देखता हूँ तो….पहले तो मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था. क्योंकि में अंदर से बहुत डरा हुआ था. थोड़े देर तक तो में उस का हसीना चेहरा ही देखता रहा , लेकिन जब उसने मुझे दोबारा टोका तो मैंने भी झट से कह दिया की “जब तुम मुस्कुराती रहती हो तो मुझे बहुत अच्छी लगती हो, और में बस घंटों भर तुम्हारी यही मुस्कुराहट देखने की कोशिश किया करता रहता हूँ. मुझे तो लगा था मेरे ऐसे कहने से वो खफा हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि वो मुझे कहने लगी “ तुम्हें सिर्फ़ मेरी मुस्कुराहट अच्छी लगती है और कुछ नहीं?” इतना कहते हुए वो हंसते हुए वहां से चली गयी. लेकिन जाते हुए अपने साथ में मेरा दिल भी ले गयी थी क्योंकि अब तक तो में दूर से बैठे हुए मुस्कुराते हुए देखा करता था लेकिन उस रोज़ में उसे अपने नज़दीक से हंसते हुए देखा था जैसे कोई मोटी बरस रहे हो. खैर उसका यूँ हंस कर चला जाना यह इस बात का संकेत था की जो मेरे दिल में उसके लिए जज़्बात है वो उसके दिल में भी….
Fabulous update
 

Killerpanditji(pandit)

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(UPDATE-65)


मेरे लिए वैसे ही जज़्बात है. फिर हम दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया. यहां तक की साथ में जीने मरने की कस्में भी खाली. शादी करने का वादा भी एक दूसरे से कर लिया. लेकिन फिर ना जाने…. किसकी नज़र हमारे इस प्यार को लग गयी. जब हम हे स्कूल पास करके कॉलेज में कदम रखे तो वहां की दुनिया स्कूल के माहौल से थोड़ी अलग थी. नये नये दोस्त बनाने का रिवाज़ चालू हो गया. लेकिन यह सब मुझे इतना आकर्षित ना कर सके क्योंकि मेरी दुनिया तो एक ही जगह बस्ती थी, और वो थी संध्या. लेकिन यह मेरी सोच थी की जैसा में सोचता हूँ संध्या भी वैसा ही सोचती है. कॉलेज में आकर उसने बहुत सारे नये नये फ्रेंड्स बनाए थे जिनमें से कुछ लड़कियाँ थी तो कुछ लड़के भी थे. पहले शुरू शुरू में तो उसका ध्यान मुझपर था लेकिन जैसे जैसे कॉलेज का दिन आगे बढ़ता गया संध्या का मुझपर लगाओ भी कम होता गया. पहले तो में इसे अपना वहाँ समझ रहा था लेकिन हकीकत तब पता चली जब मैंने उसे अपने कॉलेज के पास बने हुए गर्दन में उसे ढूँढ रहा तो उसे एक लड़के की बाहों में पाया. उस दिन मेरा दिल किर्छी किर्छी हो गया था. मानो जैसे मेरे ऊपर आसमान टूट पड़ा हो. मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे जिस ज़मीन पर में खड़ा हूँ वो फॅट जाए और में उस में समा जाओं. उस दिन मैंने बहुत रोया, बहुत आँसू बहाया. शायद उसके बाद मैंने आज तक नहीं रोया. फिर उस दिन के बाद तो मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी संध्या से सामना करने की, लेकिन में चाहता था उससे पूछो की उसको क्या हक़ था यूँ मेरे साथ धोखा देने का. अगर में उसे पसंद नहीं था तो मेरे साथ यूँ प्रेम संबंध क्यों बनाए. फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके आख़िर संध्या से पूंछ लिया जो उसने मेरे साथ किया था. लेकिन उसने जो जवाब दिया उसे तो सुनकर तो जैसे उस दिन मेरी आत्मा भी जख्मी हो गयी थी. उसने कहा था की हमने जो प्यार किया था वो एक भूल थी, वो कम उमारी में लड़कपन वाला प्यार था. जिसमें ना समझी के अलावा कुछ और नहीं था. उसका कहना था की उसे उस वक्त अक़ल नहीं थी की क्या सही है और क्या गलत. खैर उसके बाद मैंने उससे कुछ और नहीं पूछा, में वहां से सीधा चला गया. में चाहता था की मेरा सामना संध्या से आज के बाद ना हो. अगर वो मेरे सामने आएगी तो मुझे उसकी वही मुस्कुराहट दिखेगी जिसका में दीवाना था. और में नहीं चाहता था की में उसके पीछे दीवाना और मजनू बन के फिरू. इसलिए मैंने वो कॉलेज ही चोद दिया. बल्कि मैंने उसके बाद कोई और कॉलेज जॉइंट नहीं किया. क्योंकि मेरा मना था इसी कॉलेज की चखचौंड ने मुझसे मेरी संध्या छ्चीनी थी. फिर उसके बाद से ही मुझे लड़की ज़ात से जैसे नफरत सी होने लगी थी. उसके बाद जितना भी मेरे से मुमकिन हो सका मैंने लड़कियों से कम ही वास्ता रखा” अपनी पूरी कहानी सुनाने के बाद रोहन की आँखें थोड़ी नाम हो गयी थी. श्रुति ने भी देख लिया था की रोहन थोड़ा भावक हो गया है.
“ई आम सॉरी!! मैंने तुम्हें फोर्स किया तुम्हारी कहानी सुनाने को. आक्च्युयली मुझे नहीं पता था यह इतनी परेशान स्टोरी होगी. में तो बस यह जानना चाहती थे के तुम लड़कियों से इतनी नफरत क्यों करते हो.” श्रुति ने कहा.
“कोई बात नहीं, क्या फर्क पढ़ता है. और वैसे भी बारे दीनों बाद आज ऐसा लगा है जैसे मेरा मन कुछ हल्का हो गया. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे में कोई भोज अपने दिल में लिए फिरता रहता हूँ. तू ने आज…..सॉरी.” रोहन थोड़ा हंसते हुआ कहा “तुमने आज अगर मेरे से ज़बरदस्ती मेरे अतीत के बारे में ना पूछती तो अभी में जितना बेहतर महसूस कर रहा हूँ शायद ना करता. इसलिए तुम्हारा शुक्रिया” रोहन ने श्रुति की तरफ मुस्कुराते हुए कहा.
“थॅंक गोद तुमने मुझसे ‘तुम’ से बात तो किया. मतलब अब सारी नाराज़गी दूर हो गयी. अगर मुझे पहले से मालूम होता तो की तुम इतना भोज अपने दिल में लिए फिर रहे हो तो में कबका तुमसे तुम्हारा पस्त पूंछ लेती.” श्रुति ने कहा.
“नहीं…तुम ऐसा नहीं करती” रोहन ने कहा.
“वो क्यों? श्रुति थोड़ा हैयरसत से कहा.
“वो इसलिए क्योंकि तेरी…..सॉरी तुम्हारी नजारे में इससे पहले तुम्हारा नो. 1 दुश्मन था में. तुम तो मुझसे ढंग से बात भी नहीं कर रही थी. तो मेरे दिल का हाल क्या खाक पूछती.” रोहन ने कहा. श्रुति, रोहन के इस तरह कहने से थोड़ा मुस्कराई फिर उसने कहा.
“ताकि बात और थी….अगर मेरी जगह कोई और होता तो भी वो वही करता. एनीवे फिर भी ई आम सॉरी” श्रुति बड़ी मासूमियत से अपने दोनों कानों को अपने हाथों से पकड़ते हुए माफी माँगनी लगी. उसके इस तरह से माफी माँगने पर जैसे रोहन के दिल में एक बार वैसी ही घंटी बजने लगी जैसे बरसों पहले बाजी थी. श्रुति का यह भोला….
Fantastic update
 
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