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Looteraaa

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Update 1518 feb
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Damha

𝓛 𝓛𝓪𝔀𝓵𝓲𝓮𝓽
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"ये कहानी वीर और काव्या की है; वीर जहां 27 साल का होने जा रहा है, वही काव्या भी 19 की होने वाली है.... काव्या का फेस काफी चाइल्डिश है 19 की होने के बाद भी, किसी बच्ची की तरह दिखाई देती है"
:congrats: Time lagne per padhne ata hu.
 
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:congrats: Time lagne per padhne ata hu.
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sam_41

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अब तक :

काव्या को उसकी मां कैसे टॉर्चर करती है, इसके कुछ अंश आपने पिछले अपडेट में पढ़े तो वहीं दूसरी ओर, लकी किस तरीके से काव्या को अपने जाल में फांसना चाहता है; उसकी भी एक झलक दिखाई दी !!


अब आगे :

~रात के समय~

खाना बनाने के बाद; काव्या अपने कमरे में गई और मोबाइल उठाकर देखा तो……"हबी" के नाम से 17 मिस्ड कॉल थे वो एकदम घबरा गई, कही वीर गुस्सा ना करने लगे, इसीलिए तुरंत कॉलबैक किया....

वीर : हेलो !!

काव्या (प्यार से) : हेलो !!.. हनी

वीर : ओहो, इतना प्यार !!....फिर मेरे कॉल्स, रिसीव क्यूं नही किए??

काव्या : वो मैं ...मैं... खाना बना रही थी !!

वीर : अच्छा, और मम्मी-पापा को मेरा गिफ्ट पसंद तो आया ना??

काव्या : हां, हां......बोहोत पसंद आए!!..... (पर ये कहते ही काव्या के सामने वही दृश्य घूम गया जब उसने अपनी मां को कपड़े पकड़ाए थे)

काव्या : वैसे...... “आप मुझे लेने कब आओगे”??

वीर : अभी तुम्हे गए हुए एक पूरा दिन भी नहीं हुआ और तुम.......इतना कहते ही वो रूक गया और “थोड़ा प्यार से”..... लगता है, बहुत याद आ रही है मेरी जान को……."बस कुछ दिन और रूक जाओ; फिर मैं, तुम्हे अपने से दूर…… कही नहीं जाने दूंगा"।।।

काव्या (सुबकते हुए) : ठीक है!!

वीर (घबराकर) : क्या हुआ....तुम रो रही हो ?..... वहां कुछ हुआ है क्या ??.... किसी ने कुछ कहा क्या, तुमसे ??... अरे बोलो न !! अगर कोई पास में हो तो बात कराओ !!…. (वीर का दिल जाने किस डर से जोरो से धड़क रहा था)

काव्या (रोते हुए) : नहीं....बस आप मुझे यहां आकर ले जाओ!!

वीर (हड़बड़ाकर): घबराओ नहीं, मैं अभी आता हूं.....और जैक को कॉल कर…. भाभी को लेने जाना है ..... तैयार हो जा!!

जैक : ओके भाई !!

वीर : हड़बड़ी में घर से निकला.... और जैक को लेते हुए चंद्रनगर की ओर बढ़ गया...

जैक : भाई क्या हुआ है ?.......कुछ तो बोलो ?....भाभी ठीक तो है न ?

वीर : नहीं मुझे कुछ नहीं पता....और तेजी से अपनी कार दौड़ा देता है, जैक भी समझ जाता है, कुछ तो बात जरूर है !!

जैक : वैसे भाई क्या इतनी रात में ..... जैक इतना बोला ही था कि

वीर : काव्या रो रही थी, यार.... और मुझे दिन रात सेकोई फर्क नही पड़ता,,,,,

जैक : ठीक है, भाई तो आप उन्हे बाहर ही बुला लेना....... ज्यादा हंगामा होगा तो लोग तरह–तरह की बाते बनाएंगे, पहले ही किरण की वजह से...

वीर : ठीक है, कहते हुए काव्या को कॉल लगा देता है...... तैयार रहो मैं बस पहुंच ही रहा हूं !!

✨थोड़ी देर बाद :

वीर काव्या के घर से काफी दूर गाड़ी लगाकर….. काल करते हुए उसके घर की ओर बढ़ जाता है....

वीर : बाहर आओ, मैं आ गया हूं !! काव्या दबे पांव वीर के पास आ जाती है; वीर तो उससे गले मिलना चाहता था लेकिन..…”काव्या” जल्दी यहां से चलो..

वीर तुरंत ही काव्या को कार तक लेके गया..... और जैसे दोनो कार में बैठे !!

जैक : भाभी यहां, कुछ हुआ है क्या ?..... काव्या कुछ नही बोली

वीर : लेकिन वीर सारा मामला समझ चुका था इसलिए इस बारे में कोई बात नहीं करता..... और काव्या से पूछता है, कुछ खाया ?….. वो नही में सिर हिला देती है

वीर : तेजी से गाड़ी दौड़ते हुए कुछ ही दूरी पर स्थित एक ढाबे पर रोक देता है.

और कार से बाहर आते ही अपने हाथ पैर सीधे करता है...... चलो खाना खाते है.. यार जैक तूने खाना खाया, मुझे तो बहुत जोरो की भूख लगी है

और तीनों खाने के लिए बैठ जाते है..... जैक खाना ऑर्डर करता है.....

वीर अब भी काव्या से कुछ नही पूछ रहा था, जबकि जैक के मन में हलचल मची हुई थी..... “वीर का पहले डीएनए टेस्ट के लिए कहना और अब ये” ......वो इसी गुत्थी को सुलझाने की कोशिश कर रहा था

फिर खाना खाते ही तीनों बृजपुर की ओर निकल पड़े....... वीर जैक को रास्ते में छोड़ते हुए, गाड़ी घर की तरफ ले गया।

|| जैक, वीर के खेत वाले घर में रहता था.... दरअसल, जैसे ही वीर भोपाल से इंदौर गया, जैक यहां आ गया .....और खेतो का हिसाब किताब और देखभाल करने लगा ||

वीर, काव्या को गोद में उठाकर बेडरूम तक ले गया.... और उसे लिटाकर….. उसके बाजू में ही लेट गया !!

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दोनो ही घर की छत को देख रहे थे, उनकी आंखों से नींद कोसों दूर थी.... तभी वीर को काव्या के सुबकने की आवाज आई !!

और उसने उसकी तरफ देखा और पलटकर उसके चेहरे को सहलाते हुए...... क्या हुआ था ??

पर काव्या कुछ नहीं बोलती…. वीर, उसकी आंखों से आंसू साफ करते हुए…. उसका हाथ उठाकर अपने सिर पर रख लेता है.... ”तुम्हे मेरी कसम”….. जान

काव्या (रोते हुए) : आपके दिए हुए कपड़े ....सब खराब हो गए !…

….”वीर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए”…… कोई बात नही......और आ जाएंगे!!

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काव्या : पर.…….. “वीर”, मुझे सब पता है....ये तुमने नही किया??.....ये सुनते ही काव्या अब जोरों से रोने लगी.....

तभी वीर, अब मुझे सब कुछ सच सच बताओ,,,तब काव्या बताती है, कैसे उसकी मां ने उसे शाम को टॉर्चर किया ..... और फिर रात में..

✨फ्लैशबैक :

काव्या की मां : तो ये कपड़े दिलाए है, दामाद जी ने.....भूल मत!! ये सब किरण के हिस्से का है.... और एक जलती हुई लकड़ी लेकर सभी कपड़ो में होल कर दिया…

काव्या : पर मां, अब में क्या पहनूंगी???

काव्या की मां : तुझे बोला था न......अब से तू केवल साड़ी ही पहनेंगी, लेकिन नहीं, वहां जाकर तो तेरे पर निकल आए....... अब देखती जा, मैं तेरे….. वो पर कैसे कुतरती हूं !!और..

धक्का देते हुए (काव्या से) : जल्दी...से खाना लगा !!! पर इतने से भी उनका जी नहीं भरा तो….(बड़बड़ाते हुए) कामचोर कही कि.... कितना वक्त लगती है, आज तुझे, खाना नही मिलेगा, भूखी रहेगी तो अकल आ जाएगी !!

ये सब सुनते ही वीर का दिमाग भन्नाने लगा.......पर वो डीएनए टेस्ट के बारे में सोचकर शांत रहता है.... और काव्या के कपड़े उतारकर, उसका घाव साफ करने लगा, जिससे काव्या की सिसकी निकल गई तो वीर उस पर फूंक मारते हुए वापिस से साफ करने लगा

और फिर क्रीम लगाकर पट्टी कर दी, काफी रात हो जाने के कारण दोनो को बोहोत नींद आ रही थी इसलिए वीर उसे गले लगाके सहलाते हुए सो जाता है...

✨अगले दिन (चंद्रनगर में)....

काव्या की मां : अरे!! कामचोर कहां मर गई....अब तक मेरी चाय नहीं आई,,,, और काव्या को यहां वहां ढूढने लगी

काव्या के पापा : क्या हुआ भाग्यवान, क्यूं सुबह-सुबह ही….घर सर पे उठा लिया है??

काव्या की मां : पता नही करमजली सुबह–सुबह कहां मर गई...... कमिनी ने परेशान कर रखा है !!

काव्या के पापा : अरे शांत हो जा होगी यही कही.…. काव्या की मां बड़बड़ाते हुए, पता नहीं कहां गायब हो गई महारानी..

✨वही दूसरी ओर (बृजपुर में) :

वीर की मम्मी (काव्य को देखते ही) : अरे बहु तू यहां कैसे ?..... “तू तो घर चली गई थी ना”.... काव्या कुछ नही बोलती तभी..

रुही, कीर्ति को चूंटी करते हुए दोनो एक साथ ही भाभी आप......आप घर से कब आई..तभी

वीर ऊपर से अपनी स्लीव्स चढ़ाते हुए नीचे आता है......”तुम दोनो को खुशी नहीं हुई क्या भाभी को यहां देखकर” ??

कीर्ति और रुही : अरे नही भैया हम तो बोहोत खुश है….. काव्या को गले लगाते हुए…..ये देखो✌️

वीर की मां : लेकिन बेटा ....बहु यहां कैसे??

वीर : मैं लेकर आया

वीर की मां : कब???...... और तभी काव्या का फोन बज उठा…. वीर उससे फोन लेते हुए !!

वीर : हेलो !!

काव्या के पापा : कौन??....ये तो काव्या का नंबर है??

वीर : हां....मैं वीर बोल रहा हूं !!

काव्या के पापा : तो क्या बेटा .... काव्या बिटिया तुम्हारे पास है??

वीर : हां.......कल मां की तबियत अचानक ही खराब हो गई तो मैं काव्या को रात में ही……मां का ख्याल रखने के लिए ले चला गया

काव्या के पापा : पर बेटा...एक बार बात हो जाती तो...

वीर : काव्या तो मां के पास, हॉस्पिटल में है..…… “मैं जल्द ही आपकी बात उससे करवाऊंगा”.....और फोन काट देता है !!

वीर की मां : ये, तू क्या अनाप शनाप बके जा रहा है..…..एक दिन भी नहीं रहा गया तुझे और उसके कान खींचते हुए, बता…… तू बहू को झूठ बोलकर क्यूँ लाया ??

वीर : नही मां.... तुम मेरे साथ बाहर तो आओ मैं तुम्हे सब बताता हूं...

|| फिर वीर अपनी मां को सब कुछ बताता गया, कैसे काव्या को उसकी मां टॉर्चर करती है……. वही ये सब जानकर उसकी की मम्मी भी गुस्से में आ गई ||

मम्मी : अब से ! बहु मायके नही जाएगी और वीर के कान मरोड़ते हुए...….. तुझे जब ये सब पता था, तो…… “क्यूं भेजा मेरी बहु को मौत के मुंह में” !!

वीर : अरे मम्मी छोड़ो ना यार......मुझे क्या पता था कि शादी के बाद भी ऐसा होगा !

मम्मी : तू गधा है !…... अगर मुझे पहले ही बता दिया होता, तो मैं कभी अपनी बहू को ऐसी जगह न भेजती.... भाड़ में गई रश्म

वीर (मनाते हुए ) : मम्मी, अब गुस्सा थूक दो ना…....... अब तो आपकी बहु आपके पास है ना

मम्मी : ठीक है, ठीक है……… मुझे अपनी बहु के पास जाने दे!

|| वीर की मां पढ़ी लिखी नही है....लेकिन जब वीर स्कूल जाता था, तब उसने अपनी मां को हिंदी पढ़ना सीखा दिया था .....बस वो कुछ भी, लिख नहीं पाती ||

फिर मम्मी, काव्या को अपने रूम में लेकर चली गई और…….. “बहू तूने मुझसे इतनी बड़ी बात क्यों छुपाई ??

काव्या : नही माजी, वो बात, नहीं है !!

मम्मी : तो फिर क्या बात है?........ क्या मैने तुम्हे ठीक से प्यार नहीं दिया ??

काव्या (नम आंखो से) : मम्मी, अगर ये बाते मैं आपको बताती तो क्या आप मेरे बारे में अच्छा सोचती…..नहीं न, बल्कि आप तो कहती….. “कैसे घर में अपना बेटा ब्याह दिया !!

मम्मी : बहू तुझे ऐसा क्यों लगता है…..क्या मुझे इंसानों की परख नहीं ??...….."अरे मैं तो लड़की की चाल देखकर बता दूं ,,,,,,लड़की कैसी है "

और फिर दोनो में बोहोत सारी बाते हुई, और मां उसे आराम करने के लिए बोलकर….. अपने काम में लग गई !!

✨दोपहर में (कॉल पर) :

वीर : काम हुआ??

जैक : हां भाई हो गया है,,,,, शाम तक आपको रिजल्ट भी पता चल जाएगा !!

वीर : ठीक है....

“फिर वीर रुही और कीर्ति को साथ लेते हुए लेकर मार्केट निकल गया”

रूही: भैया, हम क्या लेने आए है ?

वीर : कपड़े

कीर्ति : अभी 3 दिन पहले ही तो लेकर आए है, इतने सारे कपड़ों का हम क्या करेंगे??

वीर : ठीक है मेरी मां जो लेना हो ले लो ..... लेकिन भाभी के लिए कपड़े जरूर से लेना..... वो घर पर छोड़ आई है, सब !!

“रूही और कीर्ति ओके भैया बोल के, शॉप के अंदर चली गई”

✨वहीं वीर रिया से कॉल पर :

वीर : दीदी..मैं और काव्या कल ही..... आपके पास आ रहे है !

रिया ( खुश होते हुए) :बहुत अच्छा किया बच्चू ....मैं तो कबसे भाभी से मिलने का वेट कर रही हूं….

वीर : दीदी, मैने आपसे कहा था ना….. शायद उसे परिवार का प्यार नही मिला !!

रिया: हां .... कहा तो था, पर बात क्या है ??

वीर : दीदी....अब मैं इस बात को लेकर श्योर हूं !!

रिया : और वो तू कैसे है ??…….. फिर वीर रिया को सारी बाते शुरू से बताता गया…. कैसे जिस दिन काव्या गई, उसी दिन उसे .....वापिस लेकर आना पड़ा, आदि आदि !!

रिया : उनकी ये हिम्मत, वीर…… “तू उन्हें कभी माफ मत करना” !!

वीर : दी ! इसीलिए ही तो मैंने डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल भेज दिए है...... मुझे शक है….. जिस तरह से वो काव्या के साथ व्यवहार करते है.…. उसके असल मां बाप हो ही नहीं सकते !!

रिया : बोहोत अच्छा किया बेटू !! ….. ऐसे ही ख्याल रखा कर मेरी भाभी का...

वीर : जरूर रखूंगा दी....पर क्या आप जिस हॉस्पिटल में काम करती हो , वहां जलने के निशान हटाने के लिए सर्जरी होती है ??

रिया : हां वीर, डॉ. जयश्री बोहोत ही फेमस सर्जन है..…. और वो परसों ही हमारे हॉस्पिटल आने वाली है..…… तुम कहो तो…..”मैं उनकी अपॉइंटमेंट के लिए ट्राय करूं”

वीर : हां दी आप ट्राय करो !!.... अगर काम न बने तो बताना मैं सब सम्हाल लूंगा !!

✨वहीं घर पर :

काव्या (मन में सोच रही थी) : मैं कितनी खुशकिस्मत हूं....जो मुझे इतना अच्छा परिवार मिला ...एक ऐसा पति जो मेरी आंखों में ज़रा भी आंसू नहीं देख सकता, ननद के रूप में दो प्यारी प्यारी दोस्त और मम्मी-पापा, जो मुझे ऐसे प्यार करते है जैसे मैं उनकी खुद की बेटी हूं !!

तभी वीर, कीर्ति और रुही के साथ मार्केट से वापिस आ गया..... कीर्ति तुरंत ही भागकर अपनी भाभी के पास गई और उन्हें कपड़े दिखाने लगी…..”काव्या को कपड़े बोहोत पसंद आए”....

“फिर काव्या किचन में जाके सबके लिए चाय बना लाई“

वीर : मम्मी !!…. मैं और काव्या कल ही भोपाल निकल जाएंगे !!

मम्मी : ये तो बहुत अच्छी बात है, जब तक छुट्टियां है, बहू को खूब घुमाना !!

वीर : ठीक है मम्मी!!....तभी वीर का फोन रिंग करने लगा !!

वीर : हेलो !!

जैक : भाई !!…. रिजल्ट नेगेटिव रहा.....

वीर को ये सुनते ही कुछ समझ नहीं आया…… वो इस बात पर खुशी मनाए या दुखी हो…… आखिर काव्या के मां–बाप फिर है कौन ?? ........ तभी वीर मम्मी को साथ लेकर बाहर चला गया…...

वीर की मम्मी : अब क्या हुआ ? जो तू मुझे….. सब के बीच से यूं उठा लाया??

वीर : मम्मी !!….. काव्या के मां बाबा ....उसके असली मां बाप नही है

मां : ये तू कैसी बहकी - बहकी बाते कर रहा है...

वीर : नहीं, मम्मी मैने डीएनए टेस्ट करावाया था, और……. काव्या का डीएनए उसके मां बाप में.......किसी से नही मिलता !

मम्मी : इसका मतलब..

वीर : हां आप सही समझी….. काव्या को उसके इन मां बाप ने जन्म नही दिया है !!

मम्मी : लेकिन बेटा….. बहु को ये बात पता नही लगनी चाहिए.... बेचारी ने इतना सहा है कही उसे गहरा सदमा न लग जाए !!

वीर : लेकिन मम्मी !!

मम्मी (थोड़ा जोर से) : मैने कहा न...नही, और तू आगे कुछ भी नही करेगा; बस अब हमारा उनसे कोई संबंध नहीं......... सही वक्त का इंतजार कर….. “ फिर तुझे भी कुछ करने से नहीं रोकूंगी” !!

वीर : ठीक है मम्मी..

✨रात में :

वीर की मम्मी : बेटा, ये खा कर बताओ कैसा बना है ?.……. काव्या को गाजर का हलवा खिलते हुए !!

रूही : मम्मी... आप मुझे भूल गई क्या तभी कीर्ति भी...हां मम्मी…..हमें भी तो खिलाओ..!

मां : बेटा कल तुम्हारी भाभी ...जा रही है ना, इसीलिए ही आज उसके लिए….. खास मैने अपने हाथो से ये हलवा बनाया था !!

रूही, तब तो मैं भी अपनी भाभी को खिलाऊंगी...और भाभी मैं तो आपको रोज कॉल किया करूंगी…

कीर्ति : अरे भाभी ! मेरे हाथ से भी तो खाओ..... काव्या, इतना प्यार देख इमोशनल हो गई..... इस 3 चम्मच हलवे ने उसका पेट और मन दोनों ही भर दिया….

मां (वीर से) : तू क्यू शांत बैठा है तू भी तो खिला !!!

वीर : पर…. मम्मी मैं तो साथ ही जाने वाला हूं!!

मां : साथ जाने वाला है तो खिलाने से तेरा कुछ घट नहीं जाएगा !! ......

“और इन्हीं मीठी–मीठी बातों के साथ रात्रिभोज खत्म हो गया”…………. बर्तन वगैरा निपटाने के बाद जब काव्या बेडरूम पहुंची तो वीर लेटा हुआ था.......

काव्या (छेड़ते हुए) : क्या बात है पतिदेव, कहा खोए हो ?

वीर : अपनी पत्नी के ख्यालों में!!……काव्या वीर के फेस पर उंगली फिराते हुए….. इतना प्यार करते हो मुझसे ??

वीर : हां मेरी जान…... और उसके गाल पर एक किस चिपका देता है

काव्या : अच्छी बात है, प्रियतम !!

वीर : हां मेरी जान…….. “तुम ही तो मेरी प्यारी वाइफ हो….. मेरी लाइफ हो”


काव्या : और……..?? वीर, उसको कस के पकड़ते हुए और…….. बोहोत ही ज्यादा सॉफ्ट हो....मासूम हो, प्यारी हो..….. तभी काव्या ने उसके होंठो को अपनी गिरफ्त में ले लिया और जोरदार किस करती रही….... फिर अलग होते हुए, बेबी.. इतनी तारीफ !!

वीर : और नहीं तो क्या…तुम हो ही इतनी ख़ूबसूरत…….. काव्या, to चलो न बेबी…. करते है

वीर : नही, अभी तुम्हारा घाव ठीक नहीं हुआ !!

काव्या उसके गालों पर किस करते हुए: तो फिर धीरे कर लेंगे !

वीर : ठीक है अगर तुम्हारी यही ज़िद है तो.…... फिर मुझे ये चाहिए और अपना हाथ उसके बम पर रख देता है !!

काव्या (मुस्कुराते हुए) : नहीं नहीं... गलत बात…. मैं तो मजाक कर रही थी..... आज मेरा भी मन नहीं है..

वीर (मन में हंसाता है) : ठीक है फिर.... जल्दी से सो जाओ……

और काव्या वीर को कडल (आलिंगनबद्ध) करने हुए सो जाती है!!

✨अगले दिन...

वीर और काव्या अपनी पैकिंग कर रहे थे....तभी रूही दोनो के लिए नाश्ता लेकर पहुंचती है !!

वीर : अरे यहां लाने की क्या जरूरत थी.....हम नीचे ही आ रहे थे !!




रूही : कहीं, मैने आप दोनो को डिस्टर्ब तो नही कर दिया ?? और मुस्कुराने लगी

काव्या : अरे ! ऐसी कोई बात नही है कहते हुए, रुही के हाथों से नास्ते की प्लेट ले लेती है...

रूही : भैया जब आप भाभी को लेकर जा ही रहे हो तो…..

वीर : क्या चाहिए तुझे ??

रूही : कुछ भी, मुझे सब चलेगा, पर महंगा होना चाहिए....... और तीनो नाश्ता करने लगे

✨ सुबह, 9:30 बजे

मम्मी : बहू सब ध्यान से रख लिया ना ??

काव्या : जी मम्मी !!

फिर, वीर से : और तू ! गाड़ी ठीक से चलाना...... काव्या और वीर दोनो ने मम्मी के पैर छुए और निकल पड़े !!

"कीर्ति और रूही सुबह ही बाय करके, स्कूल जा चुकी थी "

✨रास्ते में :

वीर, अपना हाथ काव्या के हाथ पर रखते हुए तुम खुश तो हो न कबु !!

काव्या : हवा में अपने दोनों हाथ उठाते हुए, अरे मैं तो बोहोत खुश हूं...

वीर : फिर तुमने मुंह क्यों लटकाया था ??

काव्या : 👉👈वो..वो मेरा घर छोड़ के जाने का मन नहीं कर रहा था !!

वीर : अरे हम एक घर से दूसरे घर ही तो जा रहे है....तुम ज्यादा टेंशन मत लो वहां पहुंचते ही तुम्हारा मूड खुद ब खुद ठीक हो जाएगा

काव्या : पर….

वीर : कोई पर वर नही, वहा भी तुम्हे एक बोहोत ही ज्यादा प्यार करने मां और एक प्यारी सी ननद मिलेगी….. और पता है, हम इतनी जल्दी क्यों जा रहे है ??

काव्या : नहीं

वीर : वहां तुम्हारे लिए एक सरप्राइस और है...

काव्या : और क्या है वो ??

वीर : नहीं अभी नही.....वो तो तुम्हे वहां जाकर ही पता चलेगा !!

|| काव्या और वीर भोपाल की सीमा में प्रवेश कर रहे थे ||

वीर : गाड़ी साइड में लगाते हुए, चलो

दीदी के लिए कुछ ले लेते है.……और काव्या को साथ लेकर एक शॉप में चला गया….. एक बहुत ही प्यारी सी ड्रेस काव्या और वीर दोनो को ही पसंद आ गई…… जिसे उन्होंने पैक कर लिया……. इसके बाद वीर रिया के लिए उसकी फेवरेट चॉकलेट लेने चला गया..…. तभी काव्या उससे कुछ फ्रूट्स भी ले लेने के लिए कहती है…… और फिर दोनो निकल पड़ते है मंजिल की ओर…

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✨ धन्यवाद !
 
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