• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance Ummid Tumse Hai

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
अनुनय विनय

मेरी यह कहानी किसी धर्म, समुदाय, संप्रदाय या जातिगत भेदभाव पर आधारित नहीं हैं। बल्कि यह एक पारिवारिक स्नेह वा प्रेम, जीवन के उतर चढ़ाव और प्रेमी जोड़ों के परित्याग पर आधारित हैं। मैने कहानी में पण्डित, पंडिताई, पोथी पोटला और चौपाई के कुछ शब्द इस्तेमाल किया था। इन चौपाई के शब्द हटा दिया लेकिन बाकी बचे शब्दो को नहीं हटाऊंगा। क्योंकि पण्डित (सरनेम), पंडिताई (कर्म) और पोथी पोटला (कर्म करने वाले वस्तु रखने वाला झोला) जो की अमूमन सामान्य बोल चाल की भाषा में बोला जाता हैं। इसलिए किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चहिए फिर भी किसी को परेशानी होता हैं तो आप इन शब्दों को धारण करने वाले धारक के प्रवृति से भली भांति रूबरू हैं। मैं उनसे इतना ही बोलना चाहूंगा, मैं उनके प्रवृति से संबंध रखने वाले कोई भी दृश्य पेश नहीं करूंगा फिर भी किसी को चूल मचती हैं तो उनके लिए

सक्त चेतावनी


मधुमक्खी के छाते में ढील मरकर अपने लिए अपात न बुलाए....
 
Last edited:

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
अप्रतिम अप्रतिम अप्रतिम

बिना अटल जी के करारे तानो के तसल्ली सी नही हो रही थी पिछ्ले दो अपडेट मे 😝😝😝
अटल जी भी बडे अटल है , इतने अटल की भावनाओ को जाहिर तक नही होने देते

राघव जी के उम्मीद की मिठाई अटल जी को पसंद तो आई लेकिन शादी वाले फूफा के नखरे दिखाते हुए मिठाई खा कर भी कडवा उगल दिये
खैर पिता के प्यार का अपना तरीका होता है , लेकिन अटल जी की सख्ती कुछ ज्यादा ही है ।

आज छूटकी की मस्तियाँ और मा का अपने लिये इतराना ,, बहुत ही मनमोहक दृश्य रहा हो

अब जो दिवाली की सफाई हो गयी है तो हम भी उम्मीद करते है कि अटल जी के अकल पर पोछा लग जाये तो ये दिवाली होगी खुशियो वाली

कुल मिला कर बहुत ही मजेदार अपडेट
वही ताजगी वही अह्सास , और रसोई का युद्ध बहुत ही उत्तम
कहानी मजा तब ही है जब लेखक किरदार को उसकी भुमिका मे सजीव कर दे , कुछ ऐसा ही हुआ आज ,,हर किरदार ठीक उसी रूप मे मिला जैसा कहानी के सुरु मे उनका विवरण मिला था ।


ऐसी ही अपने निराले अंदाज मे लिखते रहिये दोस्त
बहुत खुब 😍

Nice and excellent update...


Kya describe krte ho

Sandaar update Bhai


अगले अपडेट पोस्ट कर दिया हैं।
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
31,619
92,311
304
raghav market jaane se kare inkar par apne pita ka naam sun ek hi jhatke nikal padta apni mom sang bajar kharidaari karne... waise uske dil mein khauf itna hai pita ko lekar....
Btw aaj jaise karishma hi hua ho jaise us ghar mein... ye Diwali jaise us ghar ke sabhi members ke liye khushiyon kki saugaat leke aayi ho..... khaakar raghav ke liye... ushe to yakin nahi ho raha tha ki jo ho raha kya wo sach hai.... lekin jo sach tha wo uske pita ke sneh purvak baaton ke roop mein saamne tha...
ab uske pita gai dushman thodi na ... wo kahi raah na bhatak jaaye isliye sakht banna padta hai unko.... jis din wo pita banega us din bhali bhaanti samajh jaayega ke aakhir atal ji jazbaaton ko...
Khair.... jo bhi aaj raghav bahot khush hai, aur uske sath sath puri family bhi...
ab dukh ya gehri chinta ho to bhook pyaas mit jaati hai...Lekin agar mann prasanna to bhookh bhi utni lage insaan ko ... Isliye dabake khana khaya aaj raghav ne....

khushnuma palo se bharpur har ek mod tha.....
Shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi...

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
6,666
25,377
204
Update - 4


राघव "मेरे पीछे उसे पीटेंगे तो आपको क्या लगता हैं मेरे आने पर शिकायत नहीं करेंगी

प्रगति "तो क्या तू मुझे डाटेगा।"

राघव "आप मेरी मां जगद जननी हों मैं आपको कैसे डांट सकता हूं। मैं तो समझा बुझा कर तन्नु को चॉकलेट 🍫 देकर चुप करा दूंगा।"

प्रगति "यही ठीक रहेगी तू बैठ मैं झूठे बर्तन रखकर आती हू।"

प्रगति झूठे बर्तन रखने किचन गई राघव वहां बैठा रहा तभी तन्नू आई और बोली "भईया मम्मा कहा हैं।"

प्रगति ने शायद तन्नु की आवाज सुन लिया था। हाथ में बेलन लेकर बाहर आई दूसरे हाथ पर बेलन मरते हुए बोली "मैं इधर हु बोल क्या काम हैं?"

तन्नु बेलन हाथ में देखकर राघव के पास गई और बोली "भईया देखो मम्मी डांट रहीं हैं। आप कुछ नहीं कहोगे।"

प्रगति "चुप कर नौटंकी क्यो मां बेटे के बीच झगड़ा करवाने पे तुली हैं चुप चाप कॉलेज जा नहीं तो लेट हों जायेगी।

तन्नु "ठीक हैं अभी तो जा रही हूं। मम्मा आप न दूध गर्म करके रखना कॉलेज से आने के बाद जम के मुकाबला होगी।"

राघव "मुकाबला करेगी, तो दूध कहा से बीच में आ गया।"

तन्नु "दिन भर की पढ़ाई से मेरी एनर्जी डाउन हो जायेगी मां से मुकाबला करने के लिए मुझे एनर्जी की जरूरत पड़ेगी। दूध पाऊंगी तभी तो एनर्जी बड़ेगी इतना भी नहीं समझते बुद्ध कहीं के।"

तन्नु के बोलते ही हंसी ठहाके का माहौल बन गया। हंसते हुए प्रगति बेलन दिखाने लगी तब तन्नु कॉलेज जाना ही बेहतर समझा और कॉलेज को चाली गई तन्नु के जाते ही राघव बोला "मां कल मुझे इंटरव्यू देने जाना हैं मेरा फॉर्मल ड्रेस गंदा हैं धो देना।"

प्रगति haummm बोला और अपना काम करने लग गई राघव कुछ काम का बोलकर बाहर चला गया। ऐसे ही दिन का वक्त बीत गया। इसी बीच राघव ने ये बोल दिया जब तक बाप बेटे का रिश्ता सुधार नहीं जाता तब तक सब के साथ बैठ कर न नाश्ता करेंगा न खान खाएगा हां जब पापा बाहर जाएंगे तब तन्नु और प्रगति के साथ खां लेगा। प्रगति का मन माना करने को कहा लेकिन परिस्थिती को भाप कर हां कह दिया। रात के खाने के वक्त राघव को न देखकर अटल कारण जाना चाहा तो प्रगति ने कारण बता दिया तब अटल ने कहा " अच्छा हैं! उसके लिए और मेरे लिए यह ठीक रहेगा, काम से काम मेरे मन को तो शांति मिलेगा।"

बहुत कुछ बोलना चाहती थीं लेकिन प्रिस्थिती बिगड़ न जाएं इसलिए चुप रहीं। राघव अपने रूम में ही खा लेता हैं। यहां भी तीनों खाने का काम निपटा लेते हैं। तन्नु और प्रगति को तोड़ा अजीब लगा लेकिन शांति इस बात की मिली राघव बिना ताने सुने शांति से खाना खां लिया। ऐसे ही रात बीत गई अगले दिन अटल तड़के सुबह कही चले गए। राघव तैयार होकर रूम से निकला मां को बोलकर जाने लगा तब प्रगति राघव को रोक कर दही शक्कर लाकर खिलाया फिर उसके हाथ में कुछ पैसे रख दिए राघव न नुकार करने लगा। तब प्रगति ने डांटकर जबर्दस्ती पैसे जेब में ढाल दिया। बाहर आकर बाइक लिया और चल दिया।

इंटरव्यू की जगह राघव के घर से बहुत दूर था उसे जाने में काम से काम एक घंटा लगता। राघव अभी आधे रस्ते तक ही पहुंचा था की बाईक बंद हों गई। बाईक बंद भी ऐसी जगह हुआ जहां चहल पहल भी काम था। राघव किक पे किक मारे जा रहा था लेकिन बाईक हैं की स्टार्ट होने का नाम ही नहीं ले रहा था। किक मरते मरते राघव परेशान हों गया लेकिन बाईक बाबू मन बनकर बैठे हैं स्टार्स ही नहीं होने का मार ले किक जितनी मारनी हैं बाइक को हिलाए डुलाए फिर किक मारे बाईक स्टार्ट ही न हों। परेशान मुद्रा में राघव इधर उधार ताके ओर बाइक को किक मारे यह समय निकलता जा रहा था किया करे समझ नहीं आ रहा था। टेंशन के मारे दिमाग ने अपना फटक बंध कर लिया टेंशन में राघव बाइक के चक्कर काटे फिर रूखे शायद इस बार बाईक स्टार्ट हो जाए ये सोचकर किक मारे कोई नतीजा हाथ में न आएं बडा ही विकट परिस्थिती में फस गया। किसका मुंह देखकर निकला था जो ऐसा हो रहा था आज ही इसे बंद पड़ना था। कितने दिनों बाद मौका हाथ आया अगर ये मौका हाथ से निकल गया तो सृष्टि नाराज होगी सो अलग मां और तन्नु भी नाराज होगी। आज नौकरी की व्यवस्था नहीं हुआ तो कही मेरा बाप मुझे घर से न निकल दे सोचते हुए राघव घड़ी देखता और घूम घूम कर बाइक को देखता, हुआ तो हुआ किया जो बाइक स्टार्ट नहीं हों रहा। फिर सोचे किसी से लिफ्ट मांगकर उसके साथ चल दे लेकिन बाईक का किया यहां छोड़कर भी नही जा सकता चोर उचक्के तो ऐसे मौके के तलाश में रहते कोई बाइक खाली मिले और उसे उड़ा ले। बाईक भी नहीं छोड़ सकता छोड़े तो छोड़े किसके भरोसे कोई जान पहचान वाला भी तो नहीं हैं। अब तो उसे यह भी डर लगने लगा नौकरी समझो गई हाथ से ये विचार मन में आते ही राघव का चेहरा रुवशा जैसा हों गया। किस्मत भी अजीब चीज हैं जरूरत के वक्त गुलाटी मारके दूसरी पले से खेलना शुरू कर देता हैं। अब तो राघव उम्मीद भी खोता जा रहा था और ज्यादा देर हुआ तो मिलने वाली नौकरी भी हाथ से निकल जाएगा। तभी अचानक उम्मीद की किरण बनकर कोई आया बाइक रोका और बोला " ओए यारा बाइक के साथ फेर ले रहा हैं तो सृष्टि भाभी के साथ फेरे कौन लेगा।"

राघव जो नजर निचे किए सोचते हुए बाइक के चाकर काट रहा था। उसको ये आवाज जाना पहचाना लगा। उसको देखकर राघव हर्षित हों उठा, thanks 👍 बोलने का मान किया। Thanks बोलने में समय बरबाद कौन करें इसलिए एक cute सा स्माइल लवों पर सजाकर बोला "सार्थक तू सही टाइम पर आया, दोस्त हों तो तेरे जैसा।"

अचानक उम्मीद की किरण बनकर आया इस शख्स का परिचय तो होना ही चहिए इनका पूरा नाम है सार्थक सिंह, बंदा है तोड़ा कॉमेडी टाइप और मस्त मौला ज़िंदगी को खुल कर जीने वाला। राघव के दोस्तों में सबसे खाश दोस्त, राघव के घर से दो गली छोड़कर इसका घर हैं। भाई जी राघव के बचपन का दोस्त हैं, साथ में स्कूल गए और एक ही कॉलेज से इलेक्ट्रानिक इंजीनियर की डिग्री लिया। लेकिन भाई जी को नौकरी से कोई लेना देना नहीं बेफलतु में डिग्री का तमगा अपने गले में लटका लिया। दिन भर बाप की दुकान में बैठ मौज करता बंदा हैं थोडा छिछौरा टाइप का लेकिन यारी बिलकुल पक्की जब राघव के साथ होता तो कोई भी छिछौरा पान नहीं करता लेकिन जब अकेले या किसी और दोस्त के साथ होता तो छिछौरा पान का कीड़ा कुलबुला उठता। भाई साहब की यारी इतनी पक्की हैं। राघव जब जब मुसीबत में फंसाता ये भाई जी खेवन हर बनके वह पहुंच ही जाता हैं।

सार्थक बाइक पर ही बैठा था राघव हाथ पकड़ खींचते हुए "सार्थक बाइक दे जल्दी कही जाना हैं।"

सार्थक "यारा मेरे ही बाइक से मुझे ही उतरता मजरा किया हैं।"

राघव "यार इंटरव्यू के लिए जाना हैं जल्दी बाइक छोड़ मुझे देर हों रहा हैं।"

सार्थक के बाइक से उतरते ही राघव बैठा स्टार्ट किया और जाते हुए बोला "बाइक ठीक करबाके घर छोड़ denaaaaaa।"

सार्थक बाइक के पास गया और खुद भी किक मार कर देखा लेकिन रिजल्ट बोही बाइक स्टार्ट नहीं हुआ। तब टंकी के पास कान लेकर बाइक हिलाया फिर टंकी का ढक्कन खोल कर देखा और बोला "आब्बे इसका तो दाना पानी खत्म हों गया मेरा फूल टंकी वाला बाइक ले गया और अपना ये खाली टंकी मुझे पकड़ा गया।"

सार्थक एक बार आगे देखें तो एक बार पीछे देखें फिर बोला "यहां तो दूर दूर तक कोई पेट्रोल पंप भी नहीं हैं यू राघव भी न मुसीबत की टोकरी सर पर लिए पैदा हुआ जब देखो तब मुसुबत में ही फंसा मिलता हैं और हर बार अपना मुसीबत मेरे गले टांग चल देता हैं। कोई नही अपना जिगरी दोस्त हैं इतना तो करना बनता है। चल बेटा बैल गाड़ी को लगा धक्का ।"

सार्थक बाइक धकेलते हुए जा रहा था अभी कुछ ही दूर गया था की उसका मोबाइल झनझना उठा। मोबइल निकाला कॉल रिसीव किया, हां हूं में बात किया, फिर कॉल कट किया, मोबाइल जेब में रखते हुए बोला " अजीब मुसीबत हैं gf की सुनूं या दोस्त की, दोस्त की सुनूं तो gf नाराज gf की सुनूं तो दोस्त नाराज, gf तो सृष्टि भाभी जैसी होना चहिए नाराज ही नहीं होती। इस मामले में अपनें दोस्त की किस्मत बुलंदी पे हैं। खर्चे की कोई टेंशन ही नहीं उल्टा gf उसपे खर्चा करता हैं। यह अपनी वाली खर्चा करना तो दूर मेरे ही जेब पे डंका डाल देती हैं। ऐसा चलता रहा तो एक दिन मेरा बाप दिवालिया हो जाएगा। छायां लगता हैं इसको रिटायरमेंट देने का टाइम आ गया चल बेटा पुरानी वाली को छोड़ नहीं gf ढूंढते हैं बिलकुल सृष्टि भाभी जैसा नो चिक चिक नो झिक झिक।

ऐसे ही अकेले में बड़बड़ते हुए लमसम दो ढाई किलोमीटर चलने के बाद एक पेट्रोल पंप आता हैं। पेट्रोल पंप देखते ही सर्तक एक चैन की सांस लेता है और पेट्रोल भरवा कर चल देता हैं।

राघव इंटरव्यू वाले जगह पहुंचता हैं। रिसेप्शन पर एक खुबसूरत लडक़ी बैठी थीं। उसके पास गया मस्त स्माइल देते हुए कहा "मैडम मैं इंटरव्यू देने आया हूं। आप बताएंगे इंटरव्यू किस तरफ हों रहा हैं।"

रिसेप्शन वाली ने भी रिप्लाई में एक क्यूटीपाई 🌝 वाली स्माइल दिया और बोला "सर आज तो कोई इंटरव्यू नहीं हों रहा शायद आपको किसी ने गलत इनफॉर्मेशन दिया था।"

ले इतनी भागा दौड़ी हाथ किया आया ठेंगा। राघव के चहरे पर चिंता की लकीर छाया। चिंतित होकर राघव बोला "मेम मुझे कैरेक्ट इनफॉर्मेशन मिला था और मैं सही जगह पर आया हूं। शायद आपसे कोई भूल हों रहीं होगी। आप एक बार ठीक से पता कर लिजिए।"

रिसेप्शन वाली "जब कोई इंटरव्यू हों ही नहीं रहा तो पाता किया करना। आप अपना भी समय बर्बाद कर रहे हैं और मेरी भी, इसलिए आप जा सकते हैं।"

रिसेप्शन वाली के दो टूक ज़बाब देने पर राघव को बहुत गुस्सा आया। लेकिन गुस्से को दवा लिया क्या करें नौकरी का सवाल था फिर जाकर एक कोने में खडा हों गया और सृष्टि को कॉल किया सृष्टि ने न जाने किया कहा राघव रिसेप्शन पर गया और लडक़ी की और मोबाइल बड़ाकर बोला "मैम कोई आपसे बात करना चहती हैं आप बात कर लेते तो अच्छा होता।"

रिसेप्शन वाली "कौन हैं" कहकर मोबाइल लिया कुछ देर बात किया फिर मुस्कुराते हुए मोबाइल देकर कहा "ओ तो वो हो आप जिसका गुण गान सृष्टि गाती रहती हैं। वैसे हों बहुत स्मार्ट , सृष्टि बहुत भाग्य साली लडक़ी हैं।"

फ्री में तारीफ सुनने को मिले तो किसको अच्छा नहीं लगेगा और एक लडक़ी, लडके की तारीफ करें फिर तो सोने पे सुहागा बस किया था राघव गदगद हों उठा, मुस्कुराते हुए बोला "मुझे नज़र लगाने के वजह आप यह बताइए जाना किस तरफ हैं।"

लडक़ी मुंह भीतकाई 😏 और जाना किस तरफ हैं, किससे मिलना हैं , बता दिया। राघव उस तरफ चल दिया राघव के जाते ही। लिडकी ने अपने मोबाईल से किसी को कॉल किया। राघव बताए रूम के पास गया दरवाजा खटखटाया अदब से पूछकर अंदर गया। अदंर जो शक्श बैठा था उसके पूछने पर राघव ने अपना नाम और आने का करण बताया। तब शख्स ने कहा "तो आप ही हों जिसकी सिफारिश करवाई गई थीं जरा अपनी काबिलियत के सर्टिफिकेट तो दिखाइए।"

राघव ने सर्टिफिकेट दिया सामने बैठा बंदा किसी नमूने से कम नहीं सर्टिफिकेट देखते हुए aanhaaaa ,unhuuuu कर रहा था और सर हिला रहा था। राघव का मन हंसने का कर रहा था लेकिन खुद पर खाबू रखा ये सोचते हुए कहीं बुरा न मान जाए और नौकरी मिलने से पहले ही निकाल दे, सर्टिफिकेट देखने के बाद बोला "सार्टिफिकेट में परसेंटेज बहुत अच्छा हैं लेकिन कोई वर्क experience नहीं हैं ऐसा क्यों बता सकते हों।

राघव "जॉब ही नहीं मिल रहा था। जॉब ही नहीं तो experience कैसा।"

शख्स "हां जॉब की मारा मारी ही इतनी है तो जॉब कैसे मिलता। यह भी नहीं मिलता वो तो एक खुबसूरत लडक़ी ने अपकी सिफारिश किया हैं। इसलिए आपको जॉब मिल रहा हैं।"

खुबसूरत लडक़ी का जिक्र सुनते ही राघव मन ही मन बोला "बूढ़ा खुसट एक टांग कब्र में लटका हैं फिर भी लडक़ी की खुबसूरती देखने में बांज नहीं आ रहा। मेरी सृष्टि की ओर आंख उठा कर देखा तो तेरी आंख निकलकर आन्टा खेलूंगा।"

राघव पर इंटरव्यू के रूप में बहुत सारे सवाल पूछा गया। निजी जिंदगी से जुड़ा सवाल पूछा गया। जॉब से रिलेटेट सवाल पूछा गया। क्लॉन्ट को कैसे इंप्रेस करोगे। कोई अड़ा टेड़ा क्लाइंट मिल गया तो कैसे हैंडल करोगे कैसे उनको कन्वेंस करोगे। मतलब की राघव के योग्यता को ठोक बजाके चेक किया गया। राघव ने भी योग्यता अनुसार प्रदर्शन किया और सभी सवाल का माकूल ज़बाब दिया। राघव के बात करने का स्टाइल, वाणी में शालीनता और बातो में फंसकर कन्वेंस करने के तरीकों से इंटरव्यू लेने वाला बहुत प्रभावित हुआ। फिर बोला "फील्ड electrician के पोस्ट के लिए हमें जैसी योग्यता चाहिए आप उसमे खारे उतरे तो किया आप फील्ड electrician का जॉब करना चाहेंगे।"

राघव सोच में पड गया की क्या बोला जाएं सोच विचार करते हुए जॉब न होने से बेहतर तो यहीं हैं ये वाला जॉब कर लेता हूं वैसे भी कोई काम छोटा या बडा नहीं होता लोगों की बिगड़ी ही तो बनना हैं लोगों की बिगड़ी बनने में जो मज़ा हैं वो और किसी काम में नहीं, क्या पता किस्मत साथ दे जाएं और मेरा यह जॉब मुझे मेरे मंजिल तक पहुंचा दे जहां मैं पहुंचना चहता हूं। तरह तरह के सोच विचार करने के बाद राघव ने हां कर दिया। तब सैलरी वेलरी की बात हुआ लेकिन सैलरी राघव को उम्मीद से काम लगा फिर ये सोचते हुए खाली जेब घूमने से अच्छा थोडा तो जेब भरेगा। अच्छा काम करूंगा तो आज नहीं तो कल सैलरी बड़ ही जाएगा। इतना सोच विचार करने के बाद राघव ने मिलने वाली सैलरी को भी हां कह दिया। राघव के हां कहने के बाद इंटरव्यू लेने वाले ने राघव को दिवाली के बाद ज्वाइन करने को कहा


( वो इसलिए हमने तो दिवाली मना लिया लेकिन कहानी में दिवाली का किस्सा रहा गया और कहानी में दीवाली आने में अभी चार पांच दिन रह गया।)


राघव ने उन्हे बहुत बहुत धन्यवाद कहा। तब राघव जाते हुए पूछा "सर मैं जान सकता हूं किस खुबसूरत लडक़ी ने मेरे लिए सिफारिस किया वो क्या हैं उससे thank You बोलना हैं ☺️।"


(आगे जहां भी इंटरव्यू लेने वाले का पार्ट आए गा उन्हें बॉस नाम से परिचित करवाऊंग)


बॉस "हां हां क्यों नहीं रिसेप्शन पर जो खुबसूरत बाला बैठी हैं उसी ने सिफारिस किया था। उससे थोडा दूरी बना कर रखना बहुत खूंखार लडक़ी हैं। वैसे बता सकते हों उससे तुम्हारा किया रिश्ता हैं?"

क्या जब दे राघव सोचने लगा तब राघव के दिमाग का ट्यूब लाईट जाला और रिसेप्शन पर हुआ किस्सा ध्यान आया तब राघव बोला "सर वो मेरे दोस्त के दोस्त हैं। मैं तो उन्हें जनता भी नहीं आज ही मिला हूं।

इतना कहकर राघव thank you बोला सर्टिफिकेट लिया और चल दिया। बहार आकार रिसेप्शन पर गया और बोला "मैने जो मिसबिहेव किया उसके लिए माफी चाहता हु और जॉब दिलवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"

लडक़ी ने मुस्कुरा कर राघव की और देखा राघव भी बत्तीसी फाड़ दिया और बाय बोलकर चल दिया। राघव के जाने के बाद लडक़ी ने फिर किसी को कॉल किया। राघव बाहर आकार सृष्टि को कॉल किया कुछ देर बाते किया फिर खुशी के मरे फुल स्पीड में बाइक दौड़ा दिया। मार्केट में जाकर रुका मिठाई के दुकान से एक डब्बा स्वादिष्ट मिठाई लिया और चल दिया।



आज के लिए कहानी को यही रोकता हूं। इससे आगे बस इतना कहूंगा बहुत दिनों तक बेरोजगार रहने के बाद अचानक रोजगार मिलने पर क्या क्या बाते मन में चलता हैं। ये चित्रणन आप सब पाठकों को कितना अच्छा लगा। बताना न भूलिएगा। ओर ज्यादा शब्द जाया न करते हुए। बेरोजगार पाठकों को जल्दी से रोजगार मिले इसकी दुआ करते हुए विदा लेता हूं। आज के लिए शव्वाखैर सांसे रहीं तो फिर मिलेंगे।
Superb update
 

parkas

Well-Known Member
28,391
62,679
303
Update - 8


तीनों नहा धोकर बिल्कुल चकाचक चमकने लगे। घर के धूल के साथ साथ बदन में जमी धूल जो साफ कर लिया था। थकान से बदन चूर हों रहा था लेकिन अभी विश्राम करने का वक्त नहीं था। आज धन के पहरेदार की पूजा जो थी। रिवाज अनुसार आज खरीददारी करना शुभ मना जाता हैं। इसलिए प्रगति राघव को खरीददारी करने साथ चलने को कहा लेकिन राघव आलस की मारी थकान की बीमारी से पीड़ित था। आराम कर थकान नामक बीमारी से निजात पाना चहता था इसलिए आनाकानी करने लगा तो प्रगति खीज कर बोला "थका सिर्फ़ तू ही नहीं, मैं भी थका गई हूं, फिर भी मैं चल रही हूं, तू चल मेरे साथ नहीं तो तेरे बाप को कॉल करती हूं।"

बाप का नाम सुनते ही बाप के ताने याद आ गया थका शरीर फिर से तरो ताजा हों गया प्रफुलित होकर राघव बोला "जैसी अपकी आज्ञा माते, आप चलिए मेरे साथ, खरीद लाते हैं सारा बाजार आज।"

प्रगति कुछ न बोली बस एक मोहिनी मुस्कान बिखेर दी और चल दिया राघव के साथ तभी आ टपकी चुलबुली बाला भोंहे हिलाते हुए बोली "किधर को चल दी मां बेटे की टोली, मुझे भी साथ लेकर चलो, क्यो रहूं मैं घर पर अकेली।"

राघव प्रगति दोनों हंस दिए फिर प्रगति समझते हुए बोली "तू घर पर रह बाजार में बहुत भीड़ होगी खरीददारी करने में समय लगेगी। दुकान दुकान घूमना पड़ेगा तू हमारे साथ कहा कहा टक्कर खाती फिरेगी।"

तन्नु "umhnnnnn मुझे लोलोपॉप दे रहीं हों बच्ची समझी हों क्या मैं तो जाऊंगी।"

दोनों मां बेटी में तर्क वितर्क का युद्ध छिड़ गया। प्रगति तर्क दे तो चुलबुली तन्नु के भेजे में वितर्क उपज आए और अपने अंदाज में कह सुनाए। तर्क वितर्क का युद्ध कुछ लंबा चला तब जाकर कहीं तन्नु मानी तो प्रगति ने चैन की सांस लिया और तन्नु को एक और लॉलीपॉप दिया "तन्नु बेटा बता तुझे क्या खाना हैं जो बोलेगी लेकर आऊंगी।"

मां की बात सुनाकर राघव सर पर हाथ मारा और मन ही मन बोला क्या जरूरत थीं शान्त पानी में पत्थर मार लहर लाने की, इसी लहर में आप भी बहोगी साथ में मुझे भी खींच ले जाओगी।"

क्या खाना हैं? सुनते ही तन्नु की बांछे खिल गई। लिस्ट इतनी लंबी चौड़ी बता दिया। इतना लंबा मेनू तो रेस्टोरेंट और होटलों में भी नहीं होता होगा। न जाने कौन कौन से नाम गिना दिए इस धरा की थी ही, दूसरे धारा की भी समेट कर लिस्ट में छप दिया। इतने सारे नाम सुनाकर प्रगति सोच में पड गई और खुद को कोसने लागी "क्या जरूरत थीं इस भुक्कड़ को छेड़ने की अच्छा खासा मन गई थी अब ढूंढते रहना इसकी लिस्ट हाथ में लिए।" फिर प्रगति मुस्कुराकर बोली "सभी ले तो आऊ तू खा पाएगी क्या?"

तन्नु किया बोले, बोलने को कुछ था ही नहीं इसलिए सिर्फ मुस्कुरा दिया। राघव समझ गया मामला सुलट गया अब कट लेना ही बेहतर हैं। मां का हाथ पकड़ा और बाहर खींच ले गया। बाईक निकाला और चल दिया खरीददारी करने।

बाजार मे भिड़ खचाखच थीं। सभी खरीददारी करने जो आए थे। दुकानों की सजावट देख लगा दिवाली आज यहीं मन जायेगा। दुकान ओर बाहर सजी तरह तरह के समान देख दोनों मां बेटे की आंखे चौंधिया गया क्या खरीदे क्या न खरीदे असमंजस मे पड़ गए। दुकान दुकान घूमे पर पसंद कुछ न आए। अब थकान भी अपना करतब दिखाने लगा राघव की आंखे बोझिल होने लगा तक हर कर राघव बोला "मां कितना घुमाओगे अब तो मेरे पैर भी दाम तोड़ने लगा, जल्दी से जो खरीदना हैं खरीद लो नही तो मैं घर को चला।"

प्रगति "रुक न बाबा पहले पसंद तो कर लू फिर खरीद लूंगी।"

राघव आगे कुछ नहीं कहा क्यो आया मां के साथ घर पर रहता तो अच्छा होता ये पापा भी न आज उनके कारण ही मेरी ऐसी दशा हैं। मन में कहते हुए मां के पीछे पीछे घूमने लगा। घूमते घूमते प्रगति को उसके पसंद का समान मिल गया। उसे खरीदने के लिए दुकान में घूस गई। भाव पता किया तो दाम कुछ जांचा नहीं फिर शुरू हुआ तोल मोल का विचित्र खेल दुकान दर कुछ कहें प्रगति कुछ और कहें, भाव दोनों को पाटे नहीं तोड़ी देर ओर मोल भाव चला अंत में दुकान दर ने हार मान ही लिया। तब प्रगति ने अपने पसंद का समान अपने भाव से खरीद लिया। ऐसे ही मोल भाव करके कुछ और जरूरी समान को खरीदा गया। खरीददारी के समापन होने पर खाने पीने की कुछ चीजे खरीदा और चल दिया घर।

घर पहुंचते ही राघव की बांछे खिल गया। खरीदा हुआ सभी समान अदंर रख कमरे को ऐसे भागा जैसे किसी ने रॉकेट के पूंछ में आग लगा दिया हों। प्रगति "aahannn maaaaa बहुत तक गई तन्नु बेटा एक गिलास पानी पिला दे।"

तन्नी किचन में थी पानी लाकर दिया फिर तन्नु बाजार से लाए सभी सामन को चेक किया और उन्हें सही जगह रख दिया। कुछ वक्त आराम करने के बाद प्रगति शाम की खाने की तैयारी करने किचन चली गईं। साथ में तन्नु को भी ले गईं। इधर ये दोनों खाने की तैयारी में लगे थे उधार राघव रूम में जाते ही पसार गया। आज दिन भर की थकान उसके अंग अंग से झलक रहा था। उसे लेटे एक पल ही हुआ था की नींद ने अपनी जकड़ में ले लिया। नींद की अंचल में अभी खोने ही लगा था की मोबइल ने खलाल डाल दिया मन कर रहा था मोबाइल फेक कर मारे लेकिन विचार को त्याग कर "अब कौन हैं?" बोलकर मोबाइल हाथ में लिया स्क्रीन पर फ्लैश हों रहा नाम देखकर राघव थकान नींद सब भुल गया। नाम ही ऐसा था। कॉल रिसिव किया और शुरू हों गया इनकी बाबू सोना वाली गपशप दिन भरा क्या क्या किया सब सुना डाला। इधर राघव ने कॉल कटा उधर अटल जी का आगमन हुआ। अटल जी की आभास पते ही तन्नु किचन से निकलकर रूम को भागी और किताबों में उलझ गई।

अटल जी अदंर आए घर की सुधरी हुई दशा देखकर मन में बोला "गलती से किसी ओर के घर में तो नहीं घूस गया निकल ले अटल बेटा नहीं तो सारी पंडिताई भुल जाऐगा।

अटल जी सिघ्रता से बाहर निकले। मैन गेट पर गुदे हुए नामावाली पर नज़र फेरा वहा अपना नाम देखकर बोला " ये तो मेरा ही घर हैं लगता हैं मेरे बेटे ने अपना करतब दिखा ही दिया आज तो सब्बासी देना बनता हैं। अरे सब्बासी दिया तो कहीं अपना रास्ता न भटक जाएं। बरहाल जो भी हों आज उसने एक अच्छा काम किया हैं। तारीफ तो करना ही पड़ेगा।"

बड़बड़ाते हुए अटल जी अदंर आए और आवाज दिया "भाग्य श्री किधर हों कभी पति का भी हल चल ले लिया करों जब देखो किचन और बच्चों में उलझी रहती हों।"

प्रगति उस वक्त आटा गूंध रहीं थीं हाथ खाली नहीं था तो बोली "ओ जी मेरा हाथ खाली नहीं हैं आप जरा खुद से लेकर पी लिजिए।"

अटल जी कीचन की और आते हुए बोला "ऐसा किया कर रहीं हों जो हाथ खाली नहीं हैं।"

प्रगति पीछे पलटी तब तक अटल जी किचन में आ गए थे। प्रगति की दशा देखकर अटल जी की हंसी छूट गया। हंसी तो आना ही था प्रगति के दोनों गालों पर आटा जो लगा था। अटल जी पास गए कमर में खोंचा हुआ आंचल निकला गालों पर लगे आटा को पौछते हुए बोला "भाग्य श्री आटा हाथ से गोंद रहीं हों या मुड़ी से जो इन खुबसूरत गालों पर लगा लिया।"

प्रगति मुस्कुराते हुए अपने काम में डांट गई। अटल जी फ्रीज से पानी निकला और गला तर कर लिया फिर दीवाल से टेक लगाई प्रगति को काम करते हुऐ देखने लगा कुछ वक्त देखने के बाद प्रगति के बगल में जाकर खड़ा हों गए और बोला "भाग्य श्री मैं कुछ मदद कर दू।"

प्रगति "नहीं आप थक गए होंगे जाकर थोडा विश्राम कर लिजिए।"

अटल "थक तो तुम भी गई होगी आज घर को जो चमका दिया नक्शा ही बदल दिया। मैं पहचान ही नहीं पाया बाहर जाकर नाम प्लेट देखा तब जाना मैं सही घर में घुसा हूं।"

प्रगति "सच्ची में आप झूठ तो नहीं बोल रहे हों।"

अटल "सही कह रहा हु मै आकर वापिस चला गया था। नाम प्लेट देखकर फिर वापस आया।"

प्रगति "ये जो आपको चमकता हुआ और बदला बदला घर लग रहा हैं। इस काम में हमारे बेटे और बेटी ने भी पूरा पूरा सहयोग दिया था। आज दोनों भी बहुत थक गए हैं।"

अटल "ओ तो उस नालायक ने आज घर का काम किया हैं। उम्मीद नहीं था ये आलस के पुजारी काम करेगा।"

प्रगति " आप उससे इतना खफा क्यो रहते हैं? मैं नहीं जानती लेकिन साफ साफ कह देती हूं। त्यौहार के कुछ दिन उसके साथ अच्छा वर्तव करना नहीं तो……

अटल जी बीच में ही बोल पडा "नहीं तो तुम भूख हड़ताल पर बैठ जाओगी। तुम कम करों में जाकर तनुश्री को भेजती हूं।"

अटल जी बाहर आकार तन्नु के कमरे में गए उसको कीचन में भेज दिया फिर राघव की कमरे के और बड़े राघव के कमरे की ओर जाते हुए अटल जी के पैर डगमगा रहे थे। कईं सालो बाद आज अटल जी बेटे के कमरे में जा रहे थे तो पैर तो डगमगाना ही था। एक मन जाने को कह रहा था एक रोकने की पुरी पुरी कोशिश कर रहा था। लेकिन आज अटल जी का अटल मन हार गया और बाप का मान जीत गया। ऐसा नहीं की अटल जी कभी राघव के कमरे में नहीं गए। अटल की सुबह राघव और तन्नु को देखने से ही शुरू होता था और दिन का अंत दिनों को सोता हुआ देखकर ही होता था। लेकिन समय ने ऐसा चल चाला की अटल जी बेटे से दुर होते गए सिर्फ बेटे से ही नहीं बेटी से भी दूर होते गए और एक अटल पत्थर बन कर रह गए। धीरे धीर डग भरते हुए राघव के रूम तक पूछा, खड़े होकर कुछ वक्त सोचा आवाज दे या दरवाज़ा खटखटाएं, बड़ा ही विकट और असमझास की स्थिति बन गया एक बार तो अटल जी पलट गए दो कदम बड़े फिर पलटे और आवाज दिया "राघव बेटा दरवाजों खोलो।"

राघव उस वक्त कुछ काम कर रहा था। दरसल राघव ने कमरे मे ही एक कोने में छोटा सा वर्क शॉप बना रखा था। खाली टाईम में वहां बैठ कर अपने इंजीनियरिंग दिमाग को काम में लगता था और विभिन्न प्रकार की ब्लैंक सर्किट बोर्ड में कंपोनेंट को जोड़कर नए नए डिवाइस बने का काम करता था। लेकिन उसका यहां काम हमेशा असफल ही रहा। आज भी राघव सृष्टि से बात करने के बाद एक डिवाइस पर काम कर रहा था। तभी उसके कान में अटल जी की आवाज़ गूंजी। पापा भला मुझे क्यों बुलाने आयेंगे। ये सोचकर नजरंदाज कर दिया। एक बार फिर अटल जी ने आवाज दिया तब जाकर राघव को लगा सच में पापा मुझे ही आवाज दे रहे हैं।

राघव उठाकर दरवाजे के पास गया दरवाजा खोल, अटल जी को खड़ा देखकर पहले तो चौका फिर आंखें मलकर देखा। राघव खुद को यकीन ही नहीं दिला पा रहा था कि उसका पिता इतने सालो बाद आज उसके कमरे के सामने दरवाज़े पर खड़ा हैं। इसलिए बार बार आंखें माल रहा था और विस्मित होकर देख रहा था। एक पल को अटल जी की आंखो में भी नमी आ गया। आज अटल जी अटल पत्थर की तरह अटल न रह सके। पलके भोजील होते ही पलके मूंद लिया और आंखों में आई नमी बूंदों का रूप लेकर बह निकला। अटल जी बहते आंसुओ को पोछा और बोला "कैसे हो राघव बेटा दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएं प्रभु तुम्हारी सभी मनोकामना पुरी करे।"

इतने दिनों बाद बाप से बेटा शब्द सुनाकर राघव खुद को ओर न रोक पाया और पापा मैं ठीक हूं कहकर लिपट गया। बाप बेटे का यहां अदभूत मिलाप जो न जानें कब से अधूरा था। आज पूरा हुआ। कुछ वक्त लिपटे रहने के बाद अटल जी अलग हुए राघव के सर पर हाथ फिरते हुए मन में बोला "राघव मै जानता हु तू आज बहुत खुश होगा। लेकिन मैं भी क्या करू एक बाप हूं तुझे कामियाब होते हुए देखना चहता हूं। तू नहीं जानता मैं तेरे सामने तो पत्थर बना राहता हूं लेकिन अकेले में तुझसे ज्यादा रोता हूं। तू जल्दी से सफलता की सीढ़ी चढ़कर दिखा ताकि मैं तुझे पुराना वाला दुलार फिर से दे सकूं।"

अटल जी राघव के कमरे के अंदर जाते हैं। कमरे को बारीकी से निरीक्षण करते हैं कहीं कुछ कमी तो नहीं हैं फिर बैठ कर बहुत सारी बातें करते हैं। राघव तो फुले नहीं समा पा रहा था खुशी आंखो से आंसू बन छलक रहा था। कुछ वक्त तक सभी तरह की बाते करने के बाद अटल जी "राघव बेटा अब तुम अपना काम करों थोड़ी देर में खाना खाने आ जाना और हां तुम्हारे मां को पता नहीं चलना चाहिए मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आया था।"

राघव के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात ओर किया होगा कि उसके पिता उससे बात करने उसके रूम तक आया। इसलिए हां में मुड़ी हिला दिया। अटल जी मुस्कुराते हुए रूम से चले गए। बाप के जाते ही राघव खुशी से उछल पड़ा किया करे किया न करें समझ ही नहीं पा रहा था। अपना यहां खुशी किस के साथ बांटे उस बंदे को मन ही मन खोज रहा था। उसे सिर्फ़ एक ही नाम सुझा वो हैं सृष्टि बस फ़िर किया था मोबइल उठाया और सृष्टि को कॉल लगा दिया। सृष्टि शायद मोबाइल हाथ में लिए बैठी थीं। पहली रिंग पर ही रिसिव कर लिया और राघव ने एक ही सांस में सब सुना डाला। सुनकर सृष्टि भी खुश हों गई। चलो अच्छा हुआ बाप बेटे का रिश्ता सुधार गया। राघव सृष्टि बातों में मगन था। इधर प्रगति खाना खाने के लिए उसे आवाज दे रहा था। तीन चार आवाज देने के बाद राघव कॉल कट कर खाना खाने चला गया। राघव को इतना खुश देख प्रगति भी खुशी खुशी खाना खिलाने लगीं। आज राघव खुशी के मारे और दिनों से ज्यादा खा लिया। एक डकार आई और उसे एहसास करा दिया बेटा घड़ा भर गया हैं अब उठा जा नही तो सारा लेथन यहां ही फैल जाएगा। राघव उठाकर चला गया बाकी सब ने भी अपने अपने पेट रूपी घड़े को परिपूर्ण भर लिया और अपने अपने रुम में सोने चले गए।


आज के अपडेट को यहां ही विराम देता हूं। पहले खरीददारी फिर बाप बेटे का मिलन कैसा लगा अपने शब्दों में बताना na भूलिएगा। मिलते है फ़िर एक नए किस्से के साथ तब तक के लिए अलविदा।
Nice and superb update...
 

Jaguaar

Well-Known Member
17,679
61,068
244
Update - 8


तीनों नहा धोकर बिल्कुल चकाचक चमकने लगे। घर के धूल के साथ साथ बदन में जमी धूल जो साफ कर लिया था। थकान से बदन चूर हों रहा था लेकिन अभी विश्राम करने का वक्त नहीं था। आज धन के पहरेदार की पूजा जो थी। रिवाज अनुसार आज खरीददारी करना शुभ मना जाता हैं। इसलिए प्रगति राघव को खरीददारी करने साथ चलने को कहा लेकिन राघव आलस की मारी थकान की बीमारी से पीड़ित था। आराम कर थकान नामक बीमारी से निजात पाना चहता था इसलिए आनाकानी करने लगा तो प्रगति खीज कर बोला "थका सिर्फ़ तू ही नहीं, मैं भी थका गई हूं, फिर भी मैं चल रही हूं, तू चल मेरे साथ नहीं तो तेरे बाप को कॉल करती हूं।"

बाप का नाम सुनते ही बाप के ताने याद आ गया थका शरीर फिर से तरो ताजा हों गया प्रफुलित होकर राघव बोला "जैसी अपकी आज्ञा माते, आप चलिए मेरे साथ, खरीद लाते हैं सारा बाजार आज।"

प्रगति कुछ न बोली बस एक मोहिनी मुस्कान बिखेर दी और चल दिया राघव के साथ तभी आ टपकी चुलबुली बाला भोंहे हिलाते हुए बोली "किधर को चल दी मां बेटे की टोली, मुझे भी साथ लेकर चलो, क्यो रहूं मैं घर पर अकेली।"

राघव प्रगति दोनों हंस दिए फिर प्रगति समझते हुए बोली "तू घर पर रह बाजार में बहुत भीड़ होगी खरीददारी करने में समय लगेगी। दुकान दुकान घूमना पड़ेगा तू हमारे साथ कहा कहा टक्कर खाती फिरेगी।"

तन्नु "umhnnnnn मुझे लोलोपॉप दे रहीं हों बच्ची समझी हों क्या मैं तो जाऊंगी।"

दोनों मां बेटी में तर्क वितर्क का युद्ध छिड़ गया। प्रगति तर्क दे तो चुलबुली तन्नु के भेजे में वितर्क उपज आए और अपने अंदाज में कह सुनाए। तर्क वितर्क का युद्ध कुछ लंबा चला तब जाकर कहीं तन्नु मानी तो प्रगति ने चैन की सांस लिया और तन्नु को एक और लॉलीपॉप दिया "तन्नु बेटा बता तुझे क्या खाना हैं जो बोलेगी लेकर आऊंगी।"

मां की बात सुनाकर राघव सर पर हाथ मारा और मन ही मन बोला क्या जरूरत थीं शान्त पानी में पत्थर मार लहर लाने की, इसी लहर में आप भी बहोगी साथ में मुझे भी खींच ले जाओगी।"

क्या खाना हैं? सुनते ही तन्नु की बांछे खिल गई। लिस्ट इतनी लंबी चौड़ी बता दिया। इतना लंबा मेनू तो रेस्टोरेंट और होटलों में भी नहीं होता होगा। न जाने कौन कौन से नाम गिना दिए इस धरा की थी ही, दूसरे धारा की भी समेट कर लिस्ट में छप दिया। इतने सारे नाम सुनाकर प्रगति सोच में पड गई और खुद को कोसने लागी "क्या जरूरत थीं इस भुक्कड़ को छेड़ने की अच्छा खासा मन गई थी अब ढूंढते रहना इसकी लिस्ट हाथ में लिए।" फिर प्रगति मुस्कुराकर बोली "सभी ले तो आऊ तू खा पाएगी क्या?"

तन्नु किया बोले, बोलने को कुछ था ही नहीं इसलिए सिर्फ मुस्कुरा दिया। राघव समझ गया मामला सुलट गया अब कट लेना ही बेहतर हैं। मां का हाथ पकड़ा और बाहर खींच ले गया। बाईक निकाला और चल दिया खरीददारी करने।

बाजार मे भिड़ खचाखच थीं। सभी खरीददारी करने जो आए थे। दुकानों की सजावट देख लगा दिवाली आज यहीं मन जायेगा। दुकान ओर बाहर सजी तरह तरह के समान देख दोनों मां बेटे की आंखे चौंधिया गया क्या खरीदे क्या न खरीदे असमंजस मे पड़ गए। दुकान दुकान घूमे पर पसंद कुछ न आए। अब थकान भी अपना करतब दिखाने लगा राघव की आंखे बोझिल होने लगा तक हर कर राघव बोला "मां कितना घुमाओगे अब तो मेरे पैर भी दाम तोड़ने लगा, जल्दी से जो खरीदना हैं खरीद लो नही तो मैं घर को चला।"

प्रगति "रुक न बाबा पहले पसंद तो कर लू फिर खरीद लूंगी।"

राघव आगे कुछ नहीं कहा क्यो आया मां के साथ घर पर रहता तो अच्छा होता ये पापा भी न आज उनके कारण ही मेरी ऐसी दशा हैं। मन में कहते हुए मां के पीछे पीछे घूमने लगा। घूमते घूमते प्रगति को उसके पसंद का समान मिल गया। उसे खरीदने के लिए दुकान में घूस गई। भाव पता किया तो दाम कुछ जांचा नहीं फिर शुरू हुआ तोल मोल का विचित्र खेल दुकान दर कुछ कहें प्रगति कुछ और कहें, भाव दोनों को पाटे नहीं तोड़ी देर ओर मोल भाव चला अंत में दुकान दर ने हार मान ही लिया। तब प्रगति ने अपने पसंद का समान अपने भाव से खरीद लिया। ऐसे ही मोल भाव करके कुछ और जरूरी समान को खरीदा गया। खरीददारी के समापन होने पर खाने पीने की कुछ चीजे खरीदा और चल दिया घर।

घर पहुंचते ही राघव की बांछे खिल गया। खरीदा हुआ सभी समान अदंर रख कमरे को ऐसे भागा जैसे किसी ने रॉकेट के पूंछ में आग लगा दिया हों। प्रगति "aahannn maaaaa बहुत तक गई तन्नु बेटा एक गिलास पानी पिला दे।"

तन्नी किचन में थी पानी लाकर दिया फिर तन्नु बाजार से लाए सभी सामन को चेक किया और उन्हें सही जगह रख दिया। कुछ वक्त आराम करने के बाद प्रगति शाम की खाने की तैयारी करने किचन चली गईं। साथ में तन्नु को भी ले गईं। इधर ये दोनों खाने की तैयारी में लगे थे उधार राघव रूम में जाते ही पसार गया। आज दिन भर की थकान उसके अंग अंग से झलक रहा था। उसे लेटे एक पल ही हुआ था की नींद ने अपनी जकड़ में ले लिया। नींद की अंचल में अभी खोने ही लगा था की मोबइल ने खलाल डाल दिया मन कर रहा था मोबाइल फेक कर मारे लेकिन विचार को त्याग कर "अब कौन हैं?" बोलकर मोबाइल हाथ में लिया स्क्रीन पर फ्लैश हों रहा नाम देखकर राघव थकान नींद सब भुल गया। नाम ही ऐसा था। कॉल रिसिव किया और शुरू हों गया इनकी बाबू सोना वाली गपशप दिन भरा क्या क्या किया सब सुना डाला। इधर राघव ने कॉल कटा उधर अटल जी का आगमन हुआ। अटल जी की आभास पते ही तन्नु किचन से निकलकर रूम को भागी और किताबों में उलझ गई।

अटल जी अदंर आए घर की सुधरी हुई दशा देखकर मन में बोला "गलती से किसी ओर के घर में तो नहीं घूस गया निकल ले अटल बेटा नहीं तो सारी पंडिताई भुल जाऐगा।

अटल जी सिघ्रता से बाहर निकले। मैन गेट पर गुदे हुए नामावाली पर नज़र फेरा वहा अपना नाम देखकर बोला " ये तो मेरा ही घर हैं लगता हैं मेरे बेटे ने अपना करतब दिखा ही दिया आज तो सब्बासी देना बनता हैं। अरे सब्बासी दिया तो कहीं अपना रास्ता न भटक जाएं। बरहाल जो भी हों आज उसने एक अच्छा काम किया हैं। तारीफ तो करना ही पड़ेगा।"

बड़बड़ाते हुए अटल जी अदंर आए और आवाज दिया "भाग्य श्री किधर हों कभी पति का भी हल चल ले लिया करों जब देखो किचन और बच्चों में उलझी रहती हों।"

प्रगति उस वक्त आटा गूंध रहीं थीं हाथ खाली नहीं था तो बोली "ओ जी मेरा हाथ खाली नहीं हैं आप जरा खुद से लेकर पी लिजिए।"

अटल जी कीचन की और आते हुए बोला "ऐसा किया कर रहीं हों जो हाथ खाली नहीं हैं।"

प्रगति पीछे पलटी तब तक अटल जी किचन में आ गए थे। प्रगति की दशा देखकर अटल जी की हंसी छूट गया। हंसी तो आना ही था प्रगति के दोनों गालों पर आटा जो लगा था। अटल जी पास गए कमर में खोंचा हुआ आंचल निकला गालों पर लगे आटा को पौछते हुए बोला "भाग्य श्री आटा हाथ से गोंद रहीं हों या मुड़ी से जो इन खुबसूरत गालों पर लगा लिया।"

प्रगति मुस्कुराते हुए अपने काम में डांट गई। अटल जी फ्रीज से पानी निकला और गला तर कर लिया फिर दीवाल से टेक लगाई प्रगति को काम करते हुऐ देखने लगा कुछ वक्त देखने के बाद प्रगति के बगल में जाकर खड़ा हों गए और बोला "भाग्य श्री मैं कुछ मदद कर दू।"

प्रगति "नहीं आप थक गए होंगे जाकर थोडा विश्राम कर लिजिए।"

अटल "थक तो तुम भी गई होगी आज घर को जो चमका दिया नक्शा ही बदल दिया। मैं पहचान ही नहीं पाया बाहर जाकर नाम प्लेट देखा तब जाना मैं सही घर में घुसा हूं।"

प्रगति "सच्ची में आप झूठ तो नहीं बोल रहे हों।"

अटल "सही कह रहा हु मै आकर वापिस चला गया था। नाम प्लेट देखकर फिर वापस आया।"

प्रगति "ये जो आपको चमकता हुआ और बदला बदला घर लग रहा हैं। इस काम में हमारे बेटे और बेटी ने भी पूरा पूरा सहयोग दिया था। आज दोनों भी बहुत थक गए हैं।"

अटल "ओ तो उस नालायक ने आज घर का काम किया हैं। उम्मीद नहीं था ये आलस के पुजारी काम करेगा।"

प्रगति " आप उससे इतना खफा क्यो रहते हैं? मैं नहीं जानती लेकिन साफ साफ कह देती हूं। त्यौहार के कुछ दिन उसके साथ अच्छा वर्तव करना नहीं तो……

अटल जी बीच में ही बोल पडा "नहीं तो तुम भूख हड़ताल पर बैठ जाओगी। तुम कम करों में जाकर तनुश्री को भेजती हूं।"

अटल जी बाहर आकार तन्नु के कमरे में गए उसको कीचन में भेज दिया फिर राघव की कमरे के और बड़े राघव के कमरे की ओर जाते हुए अटल जी के पैर डगमगा रहे थे। कईं सालो बाद आज अटल जी बेटे के कमरे में जा रहे थे तो पैर तो डगमगाना ही था। एक मन जाने को कह रहा था एक रोकने की पुरी पुरी कोशिश कर रहा था। लेकिन आज अटल जी का अटल मन हार गया और बाप का मान जीत गया। ऐसा नहीं की अटल जी कभी राघव के कमरे में नहीं गए। अटल की सुबह राघव और तन्नु को देखने से ही शुरू होता था और दिन का अंत दिनों को सोता हुआ देखकर ही होता था। लेकिन समय ने ऐसा चल चाला की अटल जी बेटे से दुर होते गए सिर्फ बेटे से ही नहीं बेटी से भी दूर होते गए और एक अटल पत्थर बन कर रह गए। धीरे धीर डग भरते हुए राघव के रूम तक पूछा, खड़े होकर कुछ वक्त सोचा आवाज दे या दरवाज़ा खटखटाएं, बड़ा ही विकट और असमझास की स्थिति बन गया एक बार तो अटल जी पलट गए दो कदम बड़े फिर पलटे और आवाज दिया "राघव बेटा दरवाजों खोलो।"

राघव उस वक्त कुछ काम कर रहा था। दरसल राघव ने कमरे मे ही एक कोने में छोटा सा वर्क शॉप बना रखा था। खाली टाईम में वहां बैठ कर अपने इंजीनियरिंग दिमाग को काम में लगता था और विभिन्न प्रकार की ब्लैंक सर्किट बोर्ड में कंपोनेंट को जोड़कर नए नए डिवाइस बने का काम करता था। लेकिन उसका यहां काम हमेशा असफल ही रहा। आज भी राघव सृष्टि से बात करने के बाद एक डिवाइस पर काम कर रहा था। तभी उसके कान में अटल जी की आवाज़ गूंजी। पापा भला मुझे क्यों बुलाने आयेंगे। ये सोचकर नजरंदाज कर दिया। एक बार फिर अटल जी ने आवाज दिया तब जाकर राघव को लगा सच में पापा मुझे ही आवाज दे रहे हैं।

राघव उठाकर दरवाजे के पास गया दरवाजा खोल, अटल जी को खड़ा देखकर पहले तो चौका फिर आंखें मलकर देखा। राघव खुद को यकीन ही नहीं दिला पा रहा था कि उसका पिता इतने सालो बाद आज उसके कमरे के सामने दरवाज़े पर खड़ा हैं। इसलिए बार बार आंखें माल रहा था और विस्मित होकर देख रहा था। एक पल को अटल जी की आंखो में भी नमी आ गया। आज अटल जी अटल पत्थर की तरह अटल न रह सके। पलके भोजील होते ही पलके मूंद लिया और आंखों में आई नमी बूंदों का रूप लेकर बह निकला। अटल जी बहते आंसुओ को पोछा और बोला "कैसे हो राघव बेटा दिवाली की बहुत बहुत शुभकामनाएं प्रभु तुम्हारी सभी मनोकामना पुरी करे।"

इतने दिनों बाद बाप से बेटा शब्द सुनाकर राघव खुद को ओर न रोक पाया और पापा मैं ठीक हूं कहकर लिपट गया। बाप बेटे का यहां अदभूत मिलाप जो न जानें कब से अधूरा था। आज पूरा हुआ। कुछ वक्त लिपटे रहने के बाद अटल जी अलग हुए राघव के सर पर हाथ फिरते हुए मन में बोला "राघव मै जानता हु तू आज बहुत खुश होगा। लेकिन मैं भी क्या करू एक बाप हूं तुझे कामियाब होते हुए देखना चहता हूं। तू नहीं जानता मैं तेरे सामने तो पत्थर बना राहता हूं लेकिन अकेले में तुझसे ज्यादा रोता हूं। तू जल्दी से सफलता की सीढ़ी चढ़कर दिखा ताकि मैं तुझे पुराना वाला दुलार फिर से दे सकूं।"

अटल जी राघव के कमरे के अंदर जाते हैं। कमरे को बारीकी से निरीक्षण करते हैं कहीं कुछ कमी तो नहीं हैं फिर बैठ कर बहुत सारी बातें करते हैं। राघव तो फुले नहीं समा पा रहा था खुशी आंखो से आंसू बन छलक रहा था। कुछ वक्त तक सभी तरह की बाते करने के बाद अटल जी "राघव बेटा अब तुम अपना काम करों थोड़ी देर में खाना खाने आ जाना और हां तुम्हारे मां को पता नहीं चलना चाहिए मैं तुमसे बात करने तुम्हारे कमरे में आया था।"

राघव के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात ओर किया होगा कि उसके पिता उससे बात करने उसके रूम तक आया। इसलिए हां में मुड़ी हिला दिया। अटल जी मुस्कुराते हुए रूम से चले गए। बाप के जाते ही राघव खुशी से उछल पड़ा किया करे किया न करें समझ ही नहीं पा रहा था। अपना यहां खुशी किस के साथ बांटे उस बंदे को मन ही मन खोज रहा था। उसे सिर्फ़ एक ही नाम सुझा वो हैं सृष्टि बस फ़िर किया था मोबइल उठाया और सृष्टि को कॉल लगा दिया। सृष्टि शायद मोबाइल हाथ में लिए बैठी थीं। पहली रिंग पर ही रिसिव कर लिया और राघव ने एक ही सांस में सब सुना डाला। सुनकर सृष्टि भी खुश हों गई। चलो अच्छा हुआ बाप बेटे का रिश्ता सुधार गया। राघव सृष्टि बातों में मगन था। इधर प्रगति खाना खाने के लिए उसे आवाज दे रहा था। तीन चार आवाज देने के बाद राघव कॉल कट कर खाना खाने चला गया। राघव को इतना खुश देख प्रगति भी खुशी खुशी खाना खिलाने लगीं। आज राघव खुशी के मारे और दिनों से ज्यादा खा लिया। एक डकार आई और उसे एहसास करा दिया बेटा घड़ा भर गया हैं अब उठा जा नही तो सारा लेथन यहां ही फैल जाएगा। राघव उठाकर चला गया बाकी सब ने भी अपने अपने पेट रूपी घड़े को परिपूर्ण भर लिया और अपने अपने रुम में सोने चले गए।


आज के अपडेट को यहां ही विराम देता हूं। पहले खरीददारी फिर बाप बेटे का मिलन कैसा लगा अपने शब्दों में बताना na भूलिएगा। मिलते है फ़िर एक नए किस्से के साथ तब तक के लिए अलविदा।
Awesome Update

Toh aakhir aaj Raghav ko woh mil hi gaya jo usse chahiye thaa. Aaj uske baap ne usse pyaar se baat ki jiske liye shayad Raghav taras gaya tha.
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
Awesome Update

Toh aakhir aaj Raghav ko woh mil hi gaya jo usse chahiye thaa. Aaj uske baap ne usse pyaar se baat ki jiske liye shayad Raghav taras gaya tha.

शुक्रिया जगुआर जी

राघव जिस खुशी के ढूंढ रहा था वो मिल तो गया लेकिन कायम कितने दिनों तक रहेगा कहना मुस्किल हैं। क्यो की अटल जी कब किस अटल रूप में आ जाएं ये अटल जी ही जानते हैं
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
443
998
93
Nice and superb update...
Thank You
 
  • Like
Reactions: Sanju@ and mashish
Top