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Romance Ummid Tumse Hai

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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अनुनय विनय

मेरी यह कहानी किसी धर्म, समुदाय, संप्रदाय या जातिगत भेदभाव पर आधारित नहीं हैं। बल्कि यह एक पारिवारिक स्नेह वा प्रेम, जीवन के उतर चढ़ाव और प्रेमी जोड़ों के परित्याग पर आधारित हैं। मैने कहानी में पण्डित, पंडिताई, पोथी पोटला और चौपाई के कुछ शब्द इस्तेमाल किया था। इन चौपाई के शब्द हटा दिया लेकिन बाकी बचे शब्दो को नहीं हटाऊंगा। क्योंकि पण्डित (सरनेम), पंडिताई (कर्म) और पोथी पोटला (कर्म करने वाले वस्तु रखने वाला झोला) जो की अमूमन सामान्य बोल चाल की भाषा में बोला जाता हैं। इसलिए किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चहिए फिर भी किसी को परेशानी होता हैं तो आप इन शब्दों को धारण करने वाले धारक के प्रवृति से भली भांति रूबरू हैं। मैं उनसे इतना ही बोलना चाहूंगा, मैं उनके प्रवृति से संबंध रखने वाले कोई भी दृश्य पेश नहीं करूंगा फिर भी किसी को चूल मचती हैं तो उनके लिए

सक्त चेतावनी


मधुमक्खी के छाते में ढील मरकर अपने लिए अपात न बुलाए....
 
Last edited:

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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कहानी अपनी लाईन पर शुरु हो गयी है

Koi nhi joke spat tha

Mst update 😊😊😊
Lage raho

Bahot hi achha update thaaa maza aaya padh ke

पहला भाग।

बहुत ही बेहतरीन शुरुआत।।

कहानी की शुरुआत होती है अटल जी से जो पेशे से पंडिताई करते हैं सेवनिवित्त सरकारी कर्मचारी थे अटल जी लेकिन उन्होंने नौकरी के बाद अपने खानदानी पेशे को अपनाया। ये इस युग के भीष्म हैं जिनकी प्रतिज्ञा की तरह अटल के सिद्धांत भी अटल है। पत्नी को बहुत प्यार करते हैं लेकिन हमेशा उसकी खिंचाई भी करते हैं।।

हर बाप को ये उम्मीद होती है कि उसका बेटा उसके खानदानी पेशे को ही अपनाए और जब बेटा अपनी पसंद का काम करने लगता है तो पिता को वो नागवार गुजरता ही है। यही सब राघव को अपनव पिता से दूरी बनाकर रखने में विवश करता है। लड़की तन्नू ख़ूबसूरत होने के साथ साथ संस्कारी भी है और अपने बाप से डरती भी है इसलिए उसका अभी तक कोई लफड़ा नहीं है।।

Yahan mere revos check kijiye... shayad sanka door ho jaaye :declare:
पेश हैं थोड सा पारिवारिक ड्रामा साथ ही हैं किस्मत की गुलाटी मरने का बेहतरीन नजारा। एक बेरोजगार के विचार बहुत दिनों बाद रोजगार मिलने पर मन मस्तिष्क में चलता हैं। अच्छे लगे तो अपने शब्दों से कृतार्थ करें।
 

Jaguaar

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Update - 4


राघव "मेरे पीछे उसे पीटेंगे तो आपको क्या लगता हैं मेरे आने पर शिकायत नहीं करेंगी

प्रगति "तो क्या तू मुझे डाटेगा।"

राघव "आप मेरी मां जगद जननी हों मैं आपको कैसे डांट सकता हूं। मैं तो समझा बुझा कर तन्नु को चॉकलेट 🍫 देकर चुप करा दूंगा।"

प्रगति "यही ठीक रहेगी तू बैठ मैं झूठे बर्तन रखकर आती हू।"

प्रगति झूठे बर्तन रखने किचन गई राघव वहां बैठा रहा तभी तन्नू आई और बोली "भईया मम्मा कहा हैं।"

प्रगति ने शायद तन्नु की आवाज सुन लिया था। हाथ में बेलन लेकर बाहर आई दूसरे हाथ पर बेलन मरते हुए बोली "मैं इधर हु बोल क्या काम हैं?"

तन्नु बेलन हाथ में देखकर राघव के पास गई और बोली "भईया देखो मम्मी डांट रहीं हैं। आप कुछ नहीं कहोगे।"

प्रगति "चुप कर नौटंकी क्यो मां बेटे के बीच झगड़ा करवाने पे तुली हैं चुप चाप कॉलेज जा नहीं तो लेट हों जायेगी।

तन्नु "ठीक हैं अभी तो जा रही हूं। मम्मा आप न दूध गर्म करके रखना कॉलेज से आने के बाद जम के मुकाबला होगी।"

राघव "मुकाबला करेगी, तो दूध कहा से बीच में आ गया।"

तन्नु "दिन भर की पढ़ाई से मेरी एनर्जी डाउन हो जायेगी मां से मुकाबला करने के लिए मुझे एनर्जी की जरूरत पड़ेगी। दूध पाऊंगी तभी तो एनर्जी बड़ेगी इतना भी नहीं समझते बुद्ध कहीं के।"

तन्नु के बोलते ही हंसी ठहाके का माहौल बन गया। हंसते हुए प्रगति बेलन दिखाने लगी तब तन्नु कॉलेज जाना ही बेहतर समझा और कॉलेज को चाली गई तन्नु के जाते ही राघव बोला "मां कल मुझे इंटरव्यू देने जाना हैं मेरा फॉर्मल ड्रेस गंदा हैं धो देना।"

प्रगति haummm बोला और अपना काम करने लग गई राघव कुछ काम का बोलकर बाहर चला गया। ऐसे ही दिन का वक्त बीत गया। इसी बीच राघव ने ये बोल दिया जब तक बाप बेटे का रिश्ता सुधार नहीं जाता तब तक सब के साथ बैठ कर न नाश्ता करेंगा न खान खाएगा हां जब पापा बाहर जाएंगे तब तन्नु और प्रगति के साथ खां लेगा। प्रगति का मन माना करने को कहा लेकिन परिस्थिती को भाप कर हां कह दिया। रात के खाने के वक्त राघव को न देखकर अटल कारण जाना चाहा तो प्रगति ने कारण बता दिया तब अटल ने कहा " अच्छा हैं! उसके लिए और मेरे लिए यह ठीक रहेगा, काम से काम मेरे मन को तो शांति मिलेगा।"

बहुत कुछ बोलना चाहती थीं लेकिन प्रिस्थिती बिगड़ न जाएं इसलिए चुप रहीं। राघव अपने रूम में ही खा लेता हैं। यहां भी तीनों खाने का काम निपटा लेते हैं। तन्नु और प्रगति को तोड़ा अजीब लगा लेकिन शांति इस बात की मिली राघव बिना ताने सुने शांति से खाना खां लिया। ऐसे ही रात बीत गई अगले दिन अटल तड़के सुबह कही चले गए। राघव तैयार होकर रूम से निकला मां को बोलकर जाने लगा तब प्रगति राघव को रोक कर दही शक्कर लाकर खिलाया फिर उसके हाथ में कुछ पैसे रख दिए राघव न नुकार करने लगा। तब प्रगति ने डांटकर जबर्दस्ती पैसे जेब में ढाल दिया। बाहर आकर बाइक लिया और चल दिया।

इंटरव्यू की जगह राघव के घर से बहुत दूर था उसे जाने में काम से काम एक घंटा लगता। राघव अभी आधे रस्ते तक ही पहुंचा था की बाईक बंद हों गई। बाईक बंद भी ऐसी जगह हुआ जहां चहल पहल भी काम था। राघव किक पे किक मारे जा रहा था लेकिन बाईक हैं की स्टार्ट होने का नाम ही नहीं ले रहा था। किक मरते मरते राघव परेशान हों गया लेकिन बाईक बाबू मन बनकर बैठे हैं स्टार्स ही नहीं होने का मार ले किक जितनी मारनी हैं बाइक को हिलाए डुलाए फिर किक मारे बाईक स्टार्ट ही न हों। परेशान मुद्रा में राघव इधर उधार ताके ओर बाइक को किक मारे यह समय निकलता जा रहा था किया करे समझ नहीं आ रहा था। टेंशन के मारे दिमाग ने अपना फटक बंध कर लिया टेंशन में राघव बाइक के चक्कर काटे फिर रूखे शायद इस बार बाईक स्टार्ट हो जाए ये सोचकर किक मारे कोई नतीजा हाथ में न आएं बडा ही विकट परिस्थिती में फस गया। किसका मुंह देखकर निकला था जो ऐसा हो रहा था आज ही इसे बंद पड़ना था। कितने दिनों बाद मौका हाथ आया अगर ये मौका हाथ से निकल गया तो सृष्टि नाराज होगी सो अलग मां और तन्नु भी नाराज होगी। आज नौकरी की व्यवस्था नहीं हुआ तो कही मेरा बाप मुझे घर से न निकल दे सोचते हुए राघव घड़ी देखता और घूम घूम कर बाइक को देखता, हुआ तो हुआ किया जो बाइक स्टार्ट नहीं हों रहा। फिर सोचे किसी से लिफ्ट मांगकर उसके साथ चल दे लेकिन बाईक का किया यहां छोड़कर भी नही जा सकता चोर उचक्के तो ऐसे मौके के तलाश में रहते कोई बाइक खाली मिले और उसे उड़ा ले। बाईक भी नहीं छोड़ सकता छोड़े तो छोड़े किसके भरोसे कोई जान पहचान वाला भी तो नहीं हैं। अब तो उसे यह भी डर लगने लगा नौकरी समझो गई हाथ से ये विचार मन में आते ही राघव का चेहरा रुवशा जैसा हों गया। किस्मत भी अजीब चीज हैं जरूरत के वक्त गुलाटी मारके दूसरी पले से खेलना शुरू कर देता हैं। अब तो राघव उम्मीद भी खोता जा रहा था और ज्यादा देर हुआ तो मिलने वाली नौकरी भी हाथ से निकल जाएगा। तभी अचानक उम्मीद की किरण बनकर कोई आया बाइक रोका और बोला " ओए यारा बाइक के साथ फेर ले रहा हैं तो सृष्टि भाभी के साथ फेरे कौन लेगा।"

राघव जो नजर निचे किए सोचते हुए बाइक के चाकर काट रहा था। उसको ये आवाज जाना पहचाना लगा। उसको देखकर राघव हर्षित हों उठा, thanks 👍 बोलने का मान किया। Thanks बोलने में समय बरबाद कौन करें इसलिए एक cute सा स्माइल लवों पर सजाकर बोला "सार्थक तू सही टाइम पर आया, दोस्त हों तो तेरे जैसा।"

अचानक उम्मीद की किरण बनकर आया इस शख्स का परिचय तो होना ही चहिए इनका पूरा नाम है सार्थक सिंह, बंदा है तोड़ा कॉमेडी टाइप और मस्त मौला ज़िंदगी को खुल कर जीने वाला। राघव के दोस्तों में सबसे खाश दोस्त, राघव के घर से दो गली छोड़कर इसका घर हैं। भाई जी राघव के बचपन का दोस्त हैं, साथ में स्कूल गए और एक ही कॉलेज से इलेक्ट्रानिक इंजीनियर की डिग्री लिया। लेकिन भाई जी को नौकरी से कोई लेना देना नहीं बेफलतु में डिग्री का तमगा अपने गले में लटका लिया। दिन भर बाप की दुकान में बैठ मौज करता बंदा हैं थोडा छिछौरा टाइप का लेकिन यारी बिलकुल पक्की जब राघव के साथ होता तो कोई भी छिछौरा पान नहीं करता लेकिन जब अकेले या किसी और दोस्त के साथ होता तो छिछौरा पान का कीड़ा कुलबुला उठता। भाई साहब की यारी इतनी पक्की हैं। राघव जब जब मुसीबत में फंसाता ये भाई जी खेवन हर बनके वह पहुंच ही जाता हैं।

सार्थक बाइक पर ही बैठा था राघव हाथ पकड़ खींचते हुए "सार्थक बाइक दे जल्दी कही जाना हैं।"

सार्थक "यारा मेरे ही बाइक से मुझे ही उतरता मजरा किया हैं।"

राघव "यार इंटरव्यू के लिए जाना हैं जल्दी बाइक छोड़ मुझे देर हों रहा हैं।"

सार्थक के बाइक से उतरते ही राघव बैठा स्टार्ट किया और जाते हुए बोला "बाइक ठीक करबाके घर छोड़ denaaaaaa।"

सार्थक बाइक के पास गया और खुद भी किक मार कर देखा लेकिन रिजल्ट बोही बाइक स्टार्ट नहीं हुआ। तब टंकी के पास कान लेकर बाइक हिलाया फिर टंकी का ढक्कन खोल कर देखा और बोला "आब्बे इसका तो दाना पानी खत्म हों गया मेरा फूल टंकी वाला बाइक ले गया और अपना ये खाली टंकी मुझे पकड़ा गया।"

सार्थक एक बार आगे देखें तो एक बार पीछे देखें फिर बोला "यहां तो दूर दूर तक कोई पेट्रोल पंप भी नहीं हैं यू राघव भी न मुसीबत की टोकरी सर पर लिए पैदा हुआ जब देखो तब मुसुबत में ही फंसा मिलता हैं और हर बार अपना मुसीबत मेरे गले टांग चल देता हैं। कोई नही अपना जिगरी दोस्त हैं इतना तो करना बनता है। चल बेटा बैल गाड़ी को लगा धक्का ।"

सार्थक बाइक धकेलते हुए जा रहा था अभी कुछ ही दूर गया था की उसका मोबाइल झनझना उठा। मोबइल निकाला कॉल रिसीव किया, हां हूं में बात किया, फिर कॉल कट किया, मोबाइल जेब में रखते हुए बोला " अजीब मुसीबत हैं gf की सुनूं या दोस्त की, दोस्त की सुनूं तो gf नाराज gf की सुनूं तो दोस्त नाराज, gf तो सृष्टि भाभी जैसी होना चहिए नाराज ही नहीं होती। इस मामले में अपनें दोस्त की किस्मत बुलंदी पे हैं। खर्चे की कोई टेंशन ही नहीं उल्टा gf उसपे खर्चा करता हैं। यह अपनी वाली खर्चा करना तो दूर मेरे ही जेब पे डंका डाल देती हैं। ऐसा चलता रहा तो एक दिन मेरा बाप दिवालिया हो जाएगा। छायां लगता हैं इसको रिटायरमेंट देने का टाइम आ गया चल बेटा पुरानी वाली को छोड़ नहीं gf ढूंढते हैं बिलकुल सृष्टि भाभी जैसा नो चिक चिक नो झिक झिक।

ऐसे ही अकेले में बड़बड़ते हुए लमसम दो ढाई किलोमीटर चलने के बाद एक पेट्रोल पंप आता हैं। पेट्रोल पंप देखते ही सर्तक एक चैन की सांस लेता है और पेट्रोल भरवा कर चल देता हैं।

राघव इंटरव्यू वाले जगह पहुंचता हैं। रिसेप्शन पर एक खुबसूरत लडक़ी बैठी थीं। उसके पास गया मस्त स्माइल देते हुए कहा "मैडम मैं इंटरव्यू देने आया हूं। आप बताएंगे इंटरव्यू किस तरफ हों रहा हैं।"

रिसेप्शन वाली ने भी रिप्लाई में एक क्यूटीपाई 🌝 वाली स्माइल दिया और बोला "सर आज तो कोई इंटरव्यू नहीं हों रहा शायद आपको किसी ने गलत इनफॉर्मेशन दिया था।"

ले इतनी भागा दौड़ी हाथ किया आया ठेंगा। राघव के चहरे पर चिंता की लकीर छाया। चिंतित होकर राघव बोला "मेम मुझे कैरेक्ट इनफॉर्मेशन मिला था और मैं सही जगह पर आया हूं। शायद आपसे कोई भूल हों रहीं होगी। आप एक बार ठीक से पता कर लिजिए।"

रिसेप्शन वाली "जब कोई इंटरव्यू हों ही नहीं रहा तो पाता किया करना। आप अपना भी समय बर्बाद कर रहे हैं और मेरी भी, इसलिए आप जा सकते हैं।"

रिसेप्शन वाली के दो टूक ज़बाब देने पर राघव को बहुत गुस्सा आया। लेकिन गुस्से को दवा लिया क्या करें नौकरी का सवाल था फिर जाकर एक कोने में खडा हों गया और सृष्टि को कॉल किया सृष्टि ने न जाने किया कहा राघव रिसेप्शन पर गया और लडक़ी की और मोबाइल बड़ाकर बोला "मैम कोई आपसे बात करना चहती हैं आप बात कर लेते तो अच्छा होता।"

रिसेप्शन वाली "कौन हैं" कहकर मोबाइल लिया कुछ देर बात किया फिर मुस्कुराते हुए मोबाइल देकर कहा "ओ तो वो हो आप जिसका गुण गान सृष्टि गाती रहती हैं। वैसे हों बहुत स्मार्ट , सृष्टि बहुत भाग्य साली लडक़ी हैं।"

फ्री में तारीफ सुनने को मिले तो किसको अच्छा नहीं लगेगा और एक लडक़ी, लडके की तारीफ करें फिर तो सोने पे सुहागा बस किया था राघव गदगद हों उठा, मुस्कुराते हुए बोला "मुझे नज़र लगाने के वजह आप यह बताइए जाना किस तरफ हैं।"

लडक़ी मुंह भीतकाई 😏 और जाना किस तरफ हैं, किससे मिलना हैं , बता दिया। राघव उस तरफ चल दिया राघव के जाते ही। लिडकी ने अपने मोबाईल से किसी को कॉल किया। राघव बताए रूम के पास गया दरवाजा खटखटाया अदब से पूछकर अंदर गया। अदंर जो शक्श बैठा था उसके पूछने पर राघव ने अपना नाम और आने का करण बताया। तब शख्स ने कहा "तो आप ही हों जिसकी सिफारिश करवाई गई थीं जरा अपनी काबिलियत के सर्टिफिकेट तो दिखाइए।"

राघव ने सर्टिफिकेट दिया सामने बैठा बंदा किसी नमूने से कम नहीं सर्टिफिकेट देखते हुए aanhaaaa ,unhuuuu कर रहा था और सर हिला रहा था। राघव का मन हंसने का कर रहा था लेकिन खुद पर खाबू रखा ये सोचते हुए कहीं बुरा न मान जाए और नौकरी मिलने से पहले ही निकाल दे, सर्टिफिकेट देखने के बाद बोला "सार्टिफिकेट में परसेंटेज बहुत अच्छा हैं लेकिन कोई वर्क experience नहीं हैं ऐसा क्यों बता सकते हों।

राघव "जॉब ही नहीं मिल रहा था। जॉब ही नहीं तो experience कैसा।"

शख्स "हां जॉब की मारा मारी ही इतनी है तो जॉब कैसे मिलता। यह भी नहीं मिलता वो तो एक खुबसूरत लडक़ी ने अपकी सिफारिश किया हैं। इसलिए आपको जॉब मिल रहा हैं।"

खुबसूरत लडक़ी का जिक्र सुनते ही राघव मन ही मन बोला "बूढ़ा खुसट एक टांग कब्र में लटका हैं फिर भी लडक़ी की खुबसूरती देखने में बांज नहीं आ रहा। मेरी सृष्टि की ओर आंख उठा कर देखा तो तेरी आंख निकलकर आन्टा खेलूंगा।"

राघव पर इंटरव्यू के रूप में बहुत सारे सवाल पूछा गया। निजी जिंदगी से जुड़ा सवाल पूछा गया। जॉब से रिलेटेट सवाल पूछा गया। क्लॉन्ट को कैसे इंप्रेस करोगे। कोई अड़ा टेड़ा क्लाइंट मिल गया तो कैसे हैंडल करोगे कैसे उनको कन्वेंस करोगे। मतलब की राघव के योग्यता को ठोक बजाके चेक किया गया। राघव ने भी योग्यता अनुसार प्रदर्शन किया और सभी सवाल का माकूल ज़बाब दिया। राघव के बात करने का स्टाइल, वाणी में शालीनता और बातो में फंसकर कन्वेंस करने के तरीकों से इंटरव्यू लेने वाला बहुत प्रभावित हुआ। फिर बोला "फील्ड electrician के पोस्ट के लिए हमें जैसी योग्यता चाहिए आप उसमे खारे उतरे तो किया आप फील्ड electrician का जॉब करना चाहेंगे।"

राघव सोच में पड गया की क्या बोला जाएं सोच विचार करते हुए जॉब न होने से बेहतर तो यहीं हैं ये वाला जॉब कर लेता हूं वैसे भी कोई काम छोटा या बडा नहीं होता लोगों की बिगड़ी ही तो बनना हैं लोगों की बिगड़ी बनने में जो मज़ा हैं वो और किसी काम में नहीं, क्या पता किस्मत साथ दे जाएं और मेरा यह जॉब मुझे मेरे मंजिल तक पहुंचा दे जहां मैं पहुंचना चहता हूं। तरह तरह के सोच विचार करने के बाद राघव ने हां कर दिया। तब सैलरी वेलरी की बात हुआ लेकिन सैलरी राघव को उम्मीद से काम लगा फिर ये सोचते हुए खाली जेब घूमने से अच्छा थोडा तो जेब भरेगा। अच्छा काम करूंगा तो आज नहीं तो कल सैलरी बड़ ही जाएगा। इतना सोच विचार करने के बाद राघव ने मिलने वाली सैलरी को भी हां कह दिया। राघव के हां कहने के बाद इंटरव्यू लेने वाले ने राघव को दिवाली के बाद ज्वाइन करने को कहा


( वो इसलिए हमने तो दिवाली मना लिया लेकिन कहानी में दिवाली का किस्सा रहा गया और कहानी में दीवाली आने में अभी चार पांच दिन रह गया।)


राघव ने उन्हे बहुत बहुत धन्यवाद कहा। तब राघव जाते हुए पूछा "सर मैं जान सकता हूं किस खुबसूरत लडक़ी ने मेरे लिए सिफारिस किया वो क्या हैं उससे thank You बोलना हैं ☺️।"


(आगे जहां भी इंटरव्यू लेने वाले का पार्ट आए गा उन्हें बॉस नाम से परिचित करवाऊंग)


बॉस "हां हां क्यों नहीं रिसेप्शन पर जो खुबसूरत बाला बैठी हैं उसी ने सिफारिस किया था। उससे थोडा दूरी बना कर रखना बहुत खूंखार लडक़ी हैं। वैसे बता सकते हों उससे तुम्हारा किया रिश्ता हैं?"

क्या जब दे राघव सोचने लगा तब राघव के दिमाग का ट्यूब लाईट जाला और रिसेप्शन पर हुआ किस्सा ध्यान आया तब राघव बोला "सर वो मेरे दोस्त के दोस्त हैं। मैं तो उन्हें जनता भी नहीं आज ही मिला हूं।

इतना कहकर राघव thank you बोला सर्टिफिकेट लिया और चल दिया। बहार आकार रिसेप्शन पर गया और बोला "मैने जो मिसबिहेव किया उसके लिए माफी चाहता हु और जॉब दिलवाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"

लडक़ी ने मुस्कुरा कर राघव की और देखा राघव भी बत्तीसी फाड़ दिया और बाय बोलकर चल दिया। राघव के जाने के बाद लडक़ी ने फिर किसी को कॉल किया। राघव बाहर आकार सृष्टि को कॉल किया कुछ देर बाते किया फिर खुशी के मरे फुल स्पीड में बाइक दौड़ा दिया। मार्केट में जाकर रुका मिठाई के दुकान से एक डब्बा स्वादिष्ट मिठाई लिया और चल दिया।



आज के लिए कहानी को यही रोकता हूं। इससे आगे बस इतना कहूंगा बहुत दिनों तक बेरोजगार रहने के बाद अचानक रोजगार मिलने पर क्या क्या बाते मन में चलता हैं। ये चित्रणन आप सब पाठकों को कितना अच्छा लगा। बताना न भूलिएगा। ओर ज्यादा शब्द जाया न करते हुए। बेरोजगार पाठकों को जल्दी से रोजगार मिले इसकी दुआ करते हुए विदा लेता हूं। आज के लिए शव्वाखैर सांसे रहीं तो फिर मिलेंगे।
Superb Updatee

Toh aakhir kaar Raghav ko ek naukri mil hi gayi. Shayad ab pandit ji Raghav se thoda achhe se behave karee.
 

Dhaal Urph Pradeep

लाज बचाओ मोरी, लूट गया मैं बावरा
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Superb Updatee

Toh aakhir kaar Raghav ko ek naukri mil hi gayi. Shayad ab pandit ji Raghav se thoda achhe se behave karee.
बहुत बहुत thanks 😍

हां होना तो यही चाहिए लेकिन अटल जी तो अटल हैं उनका कुछ कहा नहीं जा सकता।
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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Update-1


दरवजा खुलता हैं। जिसमें से दुनिया के बेहतरीन नमूने में से एक नमूना बहार निकलता हैं। जिसकी बदन पर कपड़े के नाम पर कमर में एक टॉवल बंधा हुआ था। इनकी बाहर निकली हुई तोंद देखकर मालूम होता महाशय ने माल पानी बहुत गटका था। जो इनके पेट में तोंद बनकर बहार निकल आया था। महाशय पहले सरकारी बाबू हुआ करते थे। रिटायर मेंट के बाद इन्होंने अपना खानदानी पेशा पंडिताई शुरू कर दिया।


हाथ में लोटा लिए कुछ बुदबुदाते हुए आगे बड़े। क्या बुदबुदा रहे थे ये महाशय ही जानते थे क्योंकि सिर्फ़ होंट हिल रहा था, सुनाई कुछ दे नहीं रहा था। चार दिवारी के पास लगे तुलसी जी के पास गए और सूर्य देवता को जल चढ़ाने लगे। जल चढ़ाकर निपटे ही थे की सामने से किसी ने " नमस्कार पंडित जी सब कुशल मंगल"।


ये हैं पंडित अटल पांडे महाशय नाम की तरह अपने कर्म से भी अटल हैं। वचन के इतने पक्के दुनिया चाहे इधर की उधार हों जाएं लेकिन महाशय का दिया हुआ वचन पत्थर पर खींचे लकीर की तरह अटल हैं। परिवार में इनकी धक चलती हैं। इन्होंने कुछ कह दिया उसके बाद इन्हें सिर्फ हां ही सुनना हैं न सुनते ही इनका उजड़ा चमन जिसमें गिने चुने झाड़ झंकार बचे थे उन्हे ही नोचने लगते थे। इनकी उम्मीद की पुल जिसकी सीमाएं असीमित हैं। जिस पर चलने का काम इनका एक मात्र बेटा, एक मात्र पुत्री और एक ही बीवी का है।


पण्डित जी का हल चल लेने वाला इनके पड़ोसियों में से एक था जो सुबह सुबह की ताजी हवा फेफड़ों को सूंघने के लिए बालकोनी में खड़े थे। पण्डित जी को जल चढ़ाते देखकर चुप रहे जल चढ़ जाने के बाद पण्डित जी की खेम खबर पुछा, पण्डित जी उनकी और देखकर मुस्कुराए फिर बोले…… रोज की तरह सब कुशल मंगल हैं। आप अपना सुनाए जजमान।


पण्डित जी दो चार बाते ओर किया फिर कुछ गुनगुनाते हुए । घर के अंदर चल दिए। अंदर आकर मंदिर गए लोटा वहा रखा भगवान जी को "हे विघ्न हारता, मंगल करता, पालन करता अपने इस तुच्छ भक्त की सभी भूल चूक को क्षमा करना, सभी प्राणी का मंगल करना, मेरे परिवार को सद बुद्धि देना जो अपने अभी तक नहीं दिया" बोलकर साष्टांग प्रणाम किया फिर उठाकर कमरे में गए, कपड़े इत्यादि पहनें फिर कुछ ढूंढ रहे थे जो मिल ही नहीं रहा था। तब ये बोले "भाग्यश्री कहा हों मेरी समय सूचक यंत्र नहीं मिल रहा "।


"जी वहीं रखा होगा ठीक से ढूंढिए" एक आवाज पण्डित जी को सुनाई दिया। अटल जी ठहरे अटल प्राणी इन्होंने अटल फैसला बना लिया इनकी समय सूचक यंत्र मतलब घड़ी नहीं मिलेगा तो मिलता कैसे? इन्होंने फिर से आवाज लगाया "भाग्यश्री जल्दी आओ न मुझे नहीं मिल रहा लगता हैं मेरा समय सूचक यंत्र मेरे साथ लुका छुपी खेल रहा हैं।"


"जी अभी आई" बोलकर एक महिला थोड़ी देर में कमरे में प्रवेश करती हैं।


ये हैं अटल जी की एक मात्र धर्मपत्नी कहे तो बीवी, प्रियतमा इनका नाम प्रगति पांडे जो की ग्रहणी हैं। इनके मां बाप ने उच्च शिक्षा देने में कोई कमी नहीं रखी मतलब इन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। लेकिन इनका पोस्ट ग्रेजुएशन करना किसी काम नहीं आई सिर्फ इनके लिए एक उपाधि बनकर दीवार पर टांगी रह गईं। शादी से पहले इन्होंने ग्रेजुएट होने का बहुत फायदा लिया मतलब एक अच्छा संस्कारी जॉब करते थे। शादी होते ही सास - ससुर के उम्मीद अनुसार जॉब छोड़कर सामान्य ग्रहणी बनकर रह गई। इनके सास -ससुर अब नहीं रहे वे अपना बोरिया विस्तार इस धरा से समेत कर किसी ओर धरा में जमा लिया। प्रगति अपने एक मात्र बेटे और एक ही बेटी से बहुत प्यार करते हैं। ये उम्मीद लगाए बैठें हैं इनके बेटा और बेटी अपनी ज़िंदगी अपने ढंग से जिए लेकिन एक समय सीमा में रहकर जो कभी कभी इनके परेशानी का कारण बन जाता हैं और पंडित जी से इनकी तू तू मैं मैं बोले तो ग्रह युद्ध हों जाता हैं। बम गोले नहीं बरसते बस वाणी युद्ध होता हैं। पण्डित जी इन्हे प्यार से भाग्यश्री कहते हैं। क्यों कहते यहां तो पण्डित अटल पांडे जी ही जानते हैं।


प्रगति सीधा बेड के दूसरे सईद रखी एक छोटी मेज के पास गई। जहां पंडित अटल पांडे जी की घड़ी विराजमान थी। उठाकर पण्डित जी को "अपकी न आंखो का नंबर बड़ गया हैं। आप नंबरों वाला कांच आंखो पर चढ़ा लिजिए जिससे अपको बड़ा बड़ा और दूर तक दिखेगा"। बोलकर घड़ी उनके हाथ में थमा दिया।


घड़ी लेकर पहनते हुए " हमारे दोनों अलाद्दीन के जिन और जिनी चिराग से बाहर निकले की नहीं या उन्हें चिराग घिस कर बाहर निकलना पड़ेगा।"


पण्डित जी के बोलते ही प्रगति समझ नहीं पाई ऐसा क्यों बोला गया। जब समझ आया बिना कुछ बोले प्रगति कमरे से बाहर निकलने लगीं, प्रगति को जाते देखकर "तुम्हारा यूं चुप चाप जाना मतलब दोनों अभी तक उठे नहीं भाग्यश्री उन्हें सिखाओ सुबह जल्दी उठना सेहत के लिए लाभ दायक हैं न कि हानिकारक।"


प्रगति जाते जाते रुक गई, पलटी और बोली

"क्या आप भी सुबह सुबह अपना पोथी पुराण लेकर बैठ गए। प्रत्येक दिन समय से उठ जाते हैं। एक आध दिन लेट उठने से उनका सेहत बिगड़ नहीं जाएगा। आप ख़ुद को देखिए आप तो रोजाना समय से उठते हों फ़िर भी अपकी तोंद बुलेट ट्रेन की भाती फुल रफ्तार से बड़ी जा रही हैं।


पण्डित जी तोंद पर हाथ फिरते हुए " देखो भाग्यश्री मेरी बड़ी हुई तोंद को कुछ मत कहना ये मेरे प्रतिष्ठा की प्रतीक हैं। मेरे जीवन भर की जमा पूंजी इसी में कैद हैं। तुम मेरी तोंद की बुराई करना छोड़, जाकर जिन और जिनी को चिराग से बाहर निकालो।"


प्रगति बिना कुछ बोले अंचल में मुंह छुपाए हंसते हुए चल देती हैं। वही दुसरे कमरे में एक जवान लडका बोले तो 27-28 साल का एक लड़का दीन दुनिया के उल जुलूल रश्मो से बेखबर लवों पे मुस्कान और तकिए को बगल में दबाए, सपनों की दुनिया के खुबसूरत वादियों में खोकर सोया हुआ था। लडका ही जानें सपने में किसे देख रहा था। पारी थी या फ़िर कोई चुड़ैल लेकिन लवों की मुस्कान से इतना तो मालूम चलता हैं। भाई जी किसी खुबसूरत पारी की सपना देखने में खोया हुआ था।


प्रगति लडके के कमरे के पास पहुंच कर दरवाजे पर हाथ रखती हैं। दरवजा रूक रूक कर चायां….चायां….चायां की आवाज करते हुए खुल जाता हैं। जैसे दरवाजा कहना चहती हों "मेरे अस्ति पंजर सब कस गए हैं। मूझसे ओर कब तक काम करवाओगे अब तो मुझे छुट्टी दे दो।"


बिना जोर जबर्दस्ती के दरवाजा खुलते देखकर प्रगति बुदबुदाती हैं " ये लडका भी न इतना बड़ा हो गया हैं अकल दो कोड़ी की नहीं हैं। दरवजा खुला रखकर ही सो गया"।


पहला कदम अदंर रखते ही प्रगति की नजर लडके पर पड़ती हैं। लडके को बिंदास सोया हुआ देखकर प्रगति के लवों पर मंद मंद मुस्कान तैयर जाती। लडके के पास जाकर राघव….. राघव…. राघव…. उठ जा बेटा।


जी ये हैं श्रीमान राघव पांडे कहानी का हीरो, अटल और प्रगति जी का सुपुत्र इनके आदत का किया ही कहने चिराग लेकर ढूंढों तब भी इनके जैसा चरित्रवान और गुणी लडका नहीं मिलेगा। लेकिन महाशय बाप के नजरों में बिल्कुल भी चरित्रवान नहीं हैं। अटल जी को इसके सभी कामों में खामियां ही नजर आता हैं। आए भी क्यो न महाशय जो भी काम करने जाते हैं अच्छा करने के जगह ओर बिगड़ देते हैं। महाशय पेशे से इलेक्ट्रिक इंजीनियर हैं। जो की बाप से लड़ झगड़ कर बना था। अटल जी चहते थे महाशय ज्योतिष विज्ञान की पढ़ाई करके एक नामी विद्वान बाने और खानदानी पेशे को सुचारू रूप से चलाए लेकिन महाशय बाप की उम्मीद को किनारे रखकर इलेक्ट्रिक इंजीनियर बन गए। अटल जी शक्त खिलाफ थे लेकिन प्रगति ने अपने बेटे का साथ दिया और भूख हड़ताल पर बैठ कर अटल जी से बाते मनवा ही लिया। अटल जी आज कल कुछ ज्यादा ही चिड़े रहते हैं कारण राघव अभी तक बेरोजगार बैठा हैं। जिसके लिए कभी कभी ताने भी सुनने को मिलता हैं। अब अटल जी को कौन समझाए इस जमने में नौकरी की इतनी मारा मारी चल रहा हैं। एक पोस्ट की वेकेंसी निकलता हैं तो अप्लाई करने वाले हजारों खड़े हों जाते हैं। नौकरी ढूंढते ढूंढते राघव की चप्पलें घिस चुका हैं। लेकिन नौकरी हैं कि राघव से दुर भागती जा रही हैं।


प्रगति बार बार हिला डुला कर राघव को आवाज देती हैं। लेकिन राघव बिना सुने बिना उठे सपनो की खूबसूरत वादी में खोया हुआ था। जगाने की इतनी कोशिश करने के बाद भी जब राघव नहीं उठता तब बेड के किनारे मेज पर रखा पानी से भरा जग उठाकर राघव के चहरे पर उड़ेल देती। पानी की धारा चहरे को छुने से राघव " क्या करती हों जानेंमन क्यों सुबह सुबह बिन बदल बरसात कर रही हों।"


प्रगति "आहां" मुंह पर हाथ रख मोटी मोटी आंखे बनाकर राघव को देखती है फ़िर कान पकड़कर " नालायक मां को जानेमन बोलता हैं शर्म हया सब बेच खाया हैं" बोलती हैं।


राघव जो अभी भी हल्की हल्की नींद में था। कान खींचे जाने से दर्द होता हैं। जिससे राघव की नीद पूरी तरह टूट जाता हैं। प्रगति को कान पकड़े देखकर " मां आप कब आए कान छोड़ो दर्द हों रहा हैं।"


प्रगति कान ओर कसकर खींचते हुए बोली " क्यों छोडूं ये बता तूने मुझे जानेमन क्यों कहा निर्लज बालक मां को जानेमन बोलता हैं।"


राघव " मां अपको क्यो कहूंगा आप तो मेरी मां जगद जननी हों, जानेंमन तो अपकी बहु को कहा था। कितनी अच्छी अच्छी बाते कर रहा था फिर अचानक उसे क्या सूजा मेरे चहरे पर पानी से भरा गिलास उड़ेल दिया।"


प्रगति समझ जाती राघव सपने में प्रियतमा से मिलाप करने में व्यस्त था। इसलिए उठ नहीं रहा था। जब उठा तो उसके मूंह से जानेंमन निकाल गया। कान छोड़कर प्रगति बोलती " जा जल्दी तैयार होकर बाहर आ तेरा बाप उम्मीद का पिटारा लिए वेट कर रहा हैं। पाता नहीं तेरे लिए आज कौन कौन सी उम्मीदें उनके पिटारे से निकले।"


राघव " पापा के पिटारे में इतनी उम्मीदें आती कहा से, रस्ता पता होता तो एक बड़ा सा खड्डा खोद कर रस्ता ही बंद कर देता।"


राघव उठाकर बाथरूम जाता, प्रगति वह से निकलकर तीसरे कमरे की और जाती प्रगति के पहुंचते ही दरवाजा खुलता एक विश्व सुंदरी लडक़ी प्रगति को देखकर बोलती " गुड मॉर्निंग मम्मा,


प्रगति लडक़ी के माथे पर चुम्बन देकर बोली " वेरी वेरी गुड मॉर्निंग तन्नू बेटा"


जी ये है अटल और प्रगति की सुपुत्री तनुश्री पांडे दिखने में बला की खूबसूरती अटल जी ने पोथी खंगालकर इनकी खूबसूरती के साथ मेल करता हुआ नाम तनुश्री पांडे रखा। बाप को इनसे भी काम उम्मीद नहीं हैं। लेकिन बाप की उम्मीदों पर खरा उतरने में इनसे भी कभी कभी भूल हों जाती हैं। अभी पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं। कॉलेज गोइंग लडक़ी हैं तो लडके इनकी खूबसूरती के दीवाने बनकर इनके आगे पीछे भंवरे की तरह मंडराते रहते हैं। लेकिन मजाल जो कोई भांवरा इस फूल को छू पाए। ऐसा नहीं की इनका मन नहीं करता, करता हैं कोई इनका भी दीवाना परवाना हों जिसके साथ ये प्रेम की दो बोल बोले प्रेम गीत गुनगुनाए। लेकिन नए युग के लडको का किया ही कहना जब तक फूल का रस नहीं चूस लेते तब तक तू मेरी बाबू हैं, तू मेरी सोना हैं, तू ही दिल की धड़कन हैं, तू ही मेरी चलती सांसों की वजह हैं और एक दो बार रस का मजा ले लिए फिर चल हट पगली तू कौन हैं, तुझे जनता कौन हैं, तुझसे मेरा वास्ता किया हैं। इसलिए लडको से दूरी बनाकर रखती हैं। इसके पीछे एक और करण हैं वह हैं अटल जी, अटल जी को इनसे उम्मीद हैं कि ये कोई ऐसा काम न करें जिससे उनकी नाक पर बैठी मक्खी की तरह कोई काला धब्बा न लग जाएं। इसलिए तनुश्री बाप के नाक को काला होने से बचाने के लिए लडको से ओर ज्यादा दूरी बनाकर रखती हैं। तन्नू राघव से तीन साल छोटी हैं। तन्नू नाम इनको राघव ने दिया, राघव इनसे बहुत ज्यादा प्यार करता हैं और इनकी आंखो से बहते अंशु नहीं देख पाता। लेकिन राघव का दिया नाम अटल जी को मंजूर नहीं इसलिए उन्होंने शक्त चेतवानी दिया था। तनुश्री को तन्नू नाम से कोई न बुलाए। बस अटल जी के सामने तन्नू नाम से कोई नहीं बुलाता बाकी उनके पीछे सभी तन्नू नाम से बुलाते हैं।


तन्नू "मम्मा भईया उठ गए देर से उठे तो पापा बहुत डाटेंगे"।


प्रगति " बेटा तेरे भईया उठ गए हैं। तू चल राघव आ जाएगा।


तन्नू "मम्मा आप जाओ मैं भईया के साथ आती हूं."


प्रगति तन्नू के गाल पर एक ओर चुम्बन देती हैं और चाली जाती हैं। तन्नू राघव के रूम की ओर चल देती हैं।



अभी कुछ ओर किरदारों की एंट्री होगा जिनके इर्द गिर्द यह कहानी भंवर बनाएगी। जब उनका पार्ट आयेगा तब उनका भी इंट्रोडेक्शन ऐसे ही दूंगा। पत्रों के इंट्रोडेक्शन देने का यह तरीका आप पाठकों को कैसा लगा जरुर बताना। बताएंगे तभी आगे की कहानी पोस्ट करुंगा वरना कहानी यहीं पर ही दी एंड, फिनीश, टाटा बाय बाय,
Nice starting bhai
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
28,268
56,386
304
दूसरा भाग।

बहुत ही बेहतरीन महोदय

तो राघव एकदम हीरो माफिक तैयार हो रहा है, लग गो ऐसे रहा है जैसे वो अपनी माशूका से मिलने जा रहा है । लेकिन उसके बाप अटल ने अपने अटल विचारों से उसके मूड की ऐसी की तैसी कर दी। इतना सख्त मिजाज वो भी अपने ही बेटे के प्रति। पढ़ाई लिखाई में ठीक है। डिप्लोमा किया हुआ है, लेकिन उनकी पसंद की पढ़ाई नहीं की इसलिए अटल जी उससे खुन्नस खाये हुए हैं। माँ और बहन भी अटल के सामने ज्यादा नहीं बोल पाते वैसे भी क्या बोले जब सामने वाला कुछ सुनने को ही तैयार न हो।

सृष्टि एक अनाथ लड़की जो राघव से प्रेम करती है खुद के पैरों पर खड़ी है लेकिन फिर भी बेरोजगार राघव से प्रेम करती है। ये उसका सच्चा प्रेम ही है जो उन्हें इस परिस्थिति में भी एक साथ बांधे हुए है।। सृष्टि और राघव के प्रेम के बारे में शायद अटल जी को पता नही है नहीं तो अब तक बवाल मचा देते, लेकिन वो दिन ज्यादा दूर भी नहीं है जब इस प्यार पर अटल जी का अटल पहरा होने वाला है।।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
28,268
56,386
304
तीसरा भाग

बहुत ही बेहतरीन।।

सृष्टि सच मे बहुत अच्छी लड़की है। उसके बारे में शायद अटल जी को छोड़कर राघव की मम्मी और बहन को पता है। उन्हीने ही उसे राघव को घर वापस लाने के लिए भेजा था, सृष्टि बहुत ही सुलझी हुई बात करती है राघव से। उसकी बात में छल और कपज जैसे बनावटी शब्दों का दूर दूर तक छुवाई नहीं थी।

उसने राघव के लिए एक नौकरी भी ढूंढी है। ऐसी सुलझी हुई लड़की किस्मत वालों को मिलती है। घर वापस आने पर भाई बहन और माँ के बीच अतुलनीय प्रेम देखने को मिला तीखी नोक झोंक और प्यार देखने को मिला। इस परिवार में अटल को छोड़कर सभी सुलझे हुए लग रहे हैं अटल तो जिद्दी स्वभाव के इंसान प्रतीत हो रहे हैं।।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
28,268
56,386
304
चौथा भाग

बहुत ही बेहतरीन

ये किस्मत भी बहुत कुत्ती चीज़ होती है। ये ऐसे मौके पर ही धोखा देती है जब कुछ अच्छा होने का होता है। सार्थक मस्तमौला लौडा है और राघव का जिगरी दोस्त भी है। राघव को हर मुसीबत में उसका साथ देने के लिए जिन्न की तरह प्रकट हो जाता है। आज भी जब राघव की गाड़ी बन्द हुई तब सार्थक वहां पर आ गया और राघव की मुश्किल आसान हो गई।

साक्षात्कार लेने वाला बुजुर्ग आदमी था उसने राघव से कुछ माकूल सवाल पूछे। राघव ने अपने साक्षात्कार के बल पर ये नौकरी प्राप्त कर ली। लेकिन उस नौकरी का पूरा श्रेय सृष्टि को ही जाता है जिसने उसके लिए इस नौकरी को तलाश किया।।
 
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