नियती आपके अनुसार चलेगी,जी......आगे देखिए नियति क्या क्या खेल रचा कर रखी है बेचारे सुमित के लिए.....
नियती आपके अनुसार चलेगी,जी......आगे देखिए नियति क्या क्या खेल रचा कर रखी है बेचारे सुमित के लिए.....
सुगंधा तो सिर्फ दोस्त है................. चुम्मा-चाटी वाली तो माधुरी है, बचपन की दोस्त जो घर के पास रहती हैबेचारी सुगंधा तो चुमाचाटी से आगे नहीं बढ़ पाई जबकि उसकी बड़ी बहन पूजा तो दुल्हन भी बन गई बिना फेरे और हनीमून का पूरा मज़ा भी लिया अब सुगंधा का क्या होगा
दिल छू लेने वाले अंदाज में लिखा है ..........किस करने के बाद हम एक दूसरे का हाथ पकड़े गाड़ी से उतर गए.....और फिर बाहर आ कर ऑटो ले कर पहले उसको उसके घर के पास छोड़ा और जब वो हाथ छुड़ा कर जाने लगी तो रोने लगी और उसको देख के मेरा भी दिल भर आया.....हम उसको वापिस से हाथ पकड़ के रोक लिए और बोले की रोना बंद कर पहले वरना शाम को नही आऊंगा......वो बोली हमको डांट रहे है बोल रहे है मत रो और खुद अंदर ही अंदर रो रहे है......हम थप्पड़ का इशारा कर के दूसरी तरफ देखने लगे और वो हाथ छुड़ा कर भागते हुए चली गई जबकि हम उसको जाते हुए देखते रहे......गधी को ना ही चाय पिला पाए ना ही आंसू पोंछ पाए ना रोने से मना कर पाए.............
Jiसुगंधा तो सिर्फ दोस्त है................. चुम्मा-चाटी वाली तो माधुरी है, बचपन की दोस्त जो घर के पास रहती है
भाई तो अब prefix कैसे बदले हमे लगा की ये adultery के अंतर्गत आयेगी पर आपके कहना भी सही है तो कृपया बतलाए की इसका prefix कैसे बदला जाए.....दिल छू लेने वाले अंदाज में लिखा है ..........
खासकर "ना ही चाय पिला पाए ना ही आंसू पोंछ पाए ना रोने से मना कर पाए............."
Boobsingh dear इस कहानी को adultery में क्यों रखा है.............. अब तक की कहानी और इसके लिखने का अंदाज.......... इसे प्रेम कहानी साबित करता है............ आगे कुछ भी मोड़ या दुर्घटनाएँ हो .... ये प्रेम कहानी ही है
Romance में रखोगे तो ऐसी कहानियों के चाहनेवले बहुत से गंभीर और मंझे हुये पाठक आपको मिलेंगे, जिन्हें यहाँ सिर्फ चुदाई नहीं, कहानी पढ़नी होती है