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रागिनी कि नींद सुबह 11 बजे खुली, दो दिन के सफर के बाद कल उसे ठीक से सोना मिला था | उसने उठकर अपने बाल हेयर बंद से बांधे और रूम का जायजा लिया, वो पुराने जमाने का कमरा था मगर बहुत गर्म और आरामदायक, कमरे में एक सोफा, टी टेबल और पलंग के अलावा एक अलमारी थी जिसमे वो अपने कपड़े रख सकती थी, पीछे एक खिड़की थी जिसपर मलमल का पर्दा लगा था, वो खिड़की तक पहुची और उसने पर्दा हटाया पीछे जो दृश्य उसे दिखाई दिया वो उसकी कल्पना से बहार था, एक बड़ा सा हरा भरा मैदान जिसको चिड के पेड़ो ने चारो और से धेर रखा था, उसमे तितलियां और कई प्रकार कि चिड़ियाए फूलो पे मंडरा रही थी, मैदान ख़त्म होते ही एक ढलान था, और ढलान के साथ एक छोटा सा झरना वो आश्चर्य से प्रकृति कि सुन्दरता निहारने लगी, उसका मन प्रफुल्लित हो उठा ऐसा दृश्य उसने पहले कभी नही देखा था, वो अपने जीवन भर कंक्रीट कि दिवालो के बिच ही घिरी रही थी पहली बार उसे खुली हवा और सुंदर नजरो को जी भर के बिना डर के देखने का अवसर मिला था।
कल के पूरा घटनाक्रम उसकी नजरो के सामने उतर आया कैसे वो लड़का उसकी बेवकूफी से गिरते गिरते बचा और कैसे उसने उसके साथ बुरा बर्ताव किया अब उसे अच्छा महसूस नही हो रहा था क्या उसे फिर से उससे मिलना चाहिए?
उसके साथ कि सब लड़कियां जिनके कॉलेज में कई बॉयफ्रेंड थे और ब्रेकअप सोंग इस गरिमा से गा देती थी जैसे कोई भजन गा रही हो, आज शादी करके दो दो बच्चों कि माँ बन चुकी है और वो 25 साल कि नव युवती जिसकी जिन्दगी में अभी तक एक भी लड़का नही आ पाया था, फिर उसने गहरी साँस ली और सोचा- रागिनी बहुत ऊँची चीज है उसे पाना इतना आसान नही है मिस्टर यूनिवर्स, फिर वो मुस्कुराई और सोचा अगर वो मुझे चाहता होगा तो खुद ही आ जायेगा और अगर मेरे लायक है तो खुद ही साबित करेगा। उधर नींद में मयूर को गर्मियों में आने वाले फॉर्च्यून टेलर सपने में आ रहा था उसने मयूर को टेरो कार्ड निकालने को कहा और जब उसने टेरो कार्ड निकाल कर दिया तो उसने कार्ड
पढ़ कर कहा - एक बहुत बड़ी मुसीबत तुम्हारे तरफ बढ़ रही है, आने वाले 6 महीने तुम्हारे ऊपर बहुत भारी है, फिर उसे सपने में अपनी ही हंसी सुनाई पढ़ी, फिर बस के दरवाजे पर खड़ी रागिनी दिखाई दी और उसकी नींद खुल गयी। वो उठा और उसे रागिनी से मिलने कि त्रिव इच्छा हुई फिर उसने सोचा -अगर वो मुझसे
नही मिलना चाहती तो कोई बात नहीं, उसने दृढ़ता से मुझे फिर नही मिलने का कहा था मैं
उससे नहीं मिलेगा आगे किस्मत को जो भी मंजूर हो।
रागिनी ने अपना सामान लाल बेग में से निकला और एक एक कर के अलमारी में जमाना शुरू किया, सरे ट्रेडिशनल सूट के साथ एक जोड़ा जींस और टी शर्ट भी थी जो उसने आज
तक नहीं पहनी थी, सूट में दो चिकेन के एक कश्मीरी और तीन इंडो वेस्टर्न सूट थे इंडो वेस्टर्न सूट भी वो काम ही पहनती थी, कुछ ही देर में सारा सामान अलमारी में करीने से जम गया और वो फ्री हो गई।
सामान जमाते समय उसे अपने साथ लाये दो एप्पल भी मिले जिनको वो अलमारी में नही रख सकती थी, उसने उनको खाया और फिर बिस्तर पर सो गयी, वो आजाद थी जो चाहे वो करने के लिए, कोई डर नही कोई बंदिश नहीं बिलकुल एक आजाद चिड़िया कि तरह वो खुशी से भर गयी फिर खुशी में उसका मन डूबने लगा वो इस दुनिया में अकेली थी और फिर वो मयूर के बारे सोचने लगी, उसके मन में एक मीठी हलचल शुरू हो गई और फिर
उसे एक मीठी गहरी नींद ने घेर लीया। उसकी नींद खुली तब सामने लगी घड़ी में दो बज रहे थे, उसे तीव्र भूख लगी थी उसने कल रात से सिर्फ दो सेवफल के अलावा कुछ नही खाया था वो बहार निकली और उसे गलियारे में एक लड़की मिली उसने पूछा क्या तुम मुझे बता सकती हो मेस कहाँ है लडकी ने कहा -तीसरी मंजिल पर
वो एक रूफ टॉप किचेन था जहाँ का खाना बहुत सादा था, कम से कम उसके घर पे मिलने
वाले खाने से तो बहुत ही सामान्य, न तेज मिर्च मसाले न पनीर, बटर सिर्फ चपाती दाल, आलू मटर कि सब्जी और चावल पर उसने आज पहली बार मटर का असली स्वाद लीया था, और वह उसे बहुत अच्छा लगा था, खाने के बाद उसे अपनी प्लेट खुद ही सिंक में रखनी थी वहा कोई नौकर नहीं था, पर बदले में इनाम में उसे आजादी मिली थी, जिसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी उसने प्लेट उठा कर किचेन सिंक में रखी, तभी उसके दिमाग में बिजली सी कौंधी वो तेजी
से अपने रूम कि तरफ भागी, रूम में उसने अपनी पूरी अलमारी उलट पुलट दी, फिर बेग
खोला और उसको पूरा टटोला उसका मन भय से भर गया, वो अपने आप से बुदबुदाई - कहाँ चली गयी मैंने कहाँ रख दी, तभी उसे कुछ ख्याल आया और वो बहार कि तरफ तेजी से चल पड़ी जब तक वो उसे नही मिल जाती वो चैन से नही बैठ सकती थी, वो उसने अपने साथ ली ही क्यों थी, जबकि उसका नया जीवन शुरू हो रहा था? - उसने अपने आप को सांत्वना दी,
और अगर वह नहीं मिली तो ? जो होगा देखा जायेगा
वो बहार निकली और रिक्शा वाले को रोका और बोली- बस स्टैंड
उस समय लगभग 5 बजे थे और मयूर रागिनी के ख्यालो में डूबा था, कल का समय वापिस आ गया था और बादल भी कल कि अपनी नौकरी बखूबी निभा के आराम कर रहे थे, हल्की हल्की धुप में हरियाली निखर रही थी, और वो गम में डूबा था, सुबह से बहार नहीं निकला था. उसने सोचा बस स्टैंड तक चलते है. काका कि चाय का समय हो गया है।
उसने अपना ब्लू टाउसर और वाइट शर्ट डाला और गाड़ी स्टार्ट कि, लगभग 5 मिनिट में वो बस स्टैंड पर था, आज कल कि तुलना में थोड़ी भीड़ थी और सैलानी भी आ जा रहे थे, उसने गाड़ी पार्किंग में रखी और चाय कि दुकान कि तरफ बढ़ चला उसके मन में कल कि याद थी ये लड़की दूसरी लड़कियों से अलग थी-सोचते सोचते सोचते वो काका कि चाय कि दुकान पर पहुच गया, उसे देखते ही काका ने कहा वो लाल बेग वाली मेडम जी तुमको दो घंटे से ढूंढ रही है अभी यही प्रतिक्षालय में खड़ी थी
वो हतभ्रत था रागिनी मुझे ढूंढ रही थी ? कहा, कब, कैसे ? उसे अपने उतावलेपन पर खुद ही पछतावा हो गया
अभी नहीं थी शायद कुछ अर्जेंट काम था तुमसे, यही कही होगी-काका ने कहा
तब तक वो संभल चूका था उसने घूम कर चारो तरफ देखा और वो उसे दिखाई दी आज
फिर चिकेन का कुर्ता पर लाइट ग्रीन पैरेट कलर का फिर सफेद लेगी, बाल खुल्ले नहीं पर
हेयर बंद से बांधे हुए, वो उसकी कार के पीछे खड़ी होकर डिक्की खोलने कि कोशिश कर रही थी असम में फंसा मयूर तेजी से अपनी कार की ओर बढ़ा और उसने पूछा- क्या हुआ मेडम
अब क्या डिक्की तोड़ने का इरादा है?
उसके चेहरे कि अधीरता साफ देखी जा सकती थी-मैं कल किताब रखने के बाद बेग कि
चैन लगाना भूल गयी थी, मेरी किताब अंदर ही गिर गयी है। मयूर ने बिना कुछ बोले डिक्की का दरवाजा खोला और रागिनी ने अधीरता से अन्दर झाँका
डिक्की में पीछे कि तरफ उसकी किताब पड़ी हुई थी मानो उसी के आने का इंतजार कर रही थी उसने लपककर किताब उठा ली और उसको अपने पर्स मैं इस तरह डाला जैसे
कोई दुनिया कि सबसे कीमती चीज हो वो मुड़ी उसकी नजरे फिर मयूर से मिली जो उसको एक तक देख रहा था - क्या तुम यहाँ
ये किताब लेने आई हो?.