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Romance Wo Lal Bag Wali (Completed)

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Nevil singh

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Updated 8
नही में सिर्फ तुमसे मिलने आई हूं, रात भर से नींद नही आ रही थी तुम्हारी याद में और दो शरारती हंसी हंसने लगी - असल में मैं उस किताब के क्लाइमेक्स तक पहुंच गयी और अब मन मैं बहुत गहरा सस्पेंस है कि आगे क्या होगा - उसने उसकी नीली आँखों से बचते हुए शरारती अंदाज में बोला, ये नीली आँखे बहुत गहरा जाल डालती है शालिनी ने मन ही मन सोचा, इन आँखों से बच कर रहने में ही हम दोनों कि भलाई है। अगर तुम्हारी ये किताब खतम हो जाये तो क्यों न अपनी एक रोमांटिक कहानी शुरू करे?

मयूर ने उसकी आखों में जबरन आखें डालते हुए कहा

वैरी स्मार्ट, लेकिन रोमांटिक बिलकुल भी नही, क्या तुमको प्रोपोसे करने का इससे बढ़िया तरीका नही मिला था - रागिनी ने उसे चिढ़ाते हुए कहा तो तुम भी उन हिंदी फिल्मो कि हेरोइन कि तरह प्रपोसे चाहती हो । उसने कहा और टेबल के गुलदस्ते में पड़ी एक गुलाब कि कली उठा कर रागिनी कि और बढ़ते हुए बोला क्या तुम मुझसे प्यार करोगी?

चत रागिनी ने कहा- ऐसे तो शादी का प्रोपोसे करते है। हाँ पर पहले प्यार कर लो फिर शादी भी कर लेंगे - मयूर ने फिर उसकी आँखों में आखे

डालते हुए कहा

मेरे पापा बोलते है. प्यार एक भूत का नाम है जिसको लगता है उसको मार कर ही छोड़ता है

मयूर ने चौक कर उसकी तरफ देखा - उसका चेहरा फत्थर कि तरह सख्त था, और आंखें भी पथराई हुई

उसने फुल को वापिस गुलदस्ते में डाल दिया, शायद उसकी किस्मत नहीं थी किसी के प्यार इजहार और इकरार का गवाह बनने की। दोनों कुछ सेकंड तक बिना कुछ बोले एक दुसरे को देखते रहे मानो प्यार की किसी मूक भाषा में बात कर रहे हो, फिर क्या तुम मुझे वापिस हॉस्टल तक छोड़ दोगे- रागिनी ने पूछा

तुमको इतनी जल्दी क्या है हॉस्टल जाने कि ?

अब वो अपने आपको कम्फर्ट महसूस कर रही थी- उसने कहाँ - नही कोई जल्दी नही है और उसने उन नीली आँखों में झाँका- तुम्हारी फूड चॉइस अच्छी है, इतनी अच्छी ट्रीट के लिए थैंक्स

अजीब बहुत ही अजीब-मयूर ने कहाँ पहली बार किसी ने प्यार कि ऐसी परिभाषा दी है.

ये सही नही है, तुम्हारे डैडी कहा है। वो घर है अब हमको चलना चाहिए - उसने उठते हुए कहा और अपना बेग निकाला और पैसे देने लगी उसके पास नया कड़क दो हजार का नोट था जो उसने काउंटर पर बैठे लड़के को दिया

लड़के ने मयूर कि तरफ प्रश्नवाचक नजर से देखा, मयूर ने उसको इंकार से सर हिला दिया. और लड़के ने दो हजार का नोट वापिस रागिनी को पकड़ा दिया तभी मयूर बोला - उसके पास छुट्टे नहीं है, में दे देता हूँ, और उसने अपने पास से पैसे निकाल के लड़के को दिए, जो उसने काउंटर में डाल लिए उसे क्या कोई भी दे उसे तो अपने पैसे से मतलब है. उसने पहले भी कई लड़कियों के साथ मयूर को वह आते हुए देखा था पर ये पहली बार है जब उसने पैसे दिए हो, उसने सोचा-ये लड़की कुछ अलग है।

रागिनी अजीब थी उसकी आँखों में प्यार तो था पर एक डर भी, वो डरी हुए थी पर किस बात से, क्या वो घर से भाग कर आई थी उसके मन में कई सवाल उमड़ रहे थे. अभी इसको समय कि जरूरत है. ये अन्य लड़कियों से भिन्न है क्या पता इसकी क्या प्रौब्लेम है ? और प्रोब्लेम ये जब तक नही बताएगी जब तक ये मेरे साथ कम्फर्ट महसूस नही करने लगेगी

उसने बोलना चालू किया- यहाँ हर रविवार को एक मेला लगता लखवर मेला,मुझे वह जाना बहुत अच्छा लगता है, वहां पहाड़ी संस्कृति, खाना, और लोकल लोगो मुलाकात का मजा ही अलग है।

और फिर बाते करते करते हॉस्टल आ गया, ओके रागिनी बाय

रागिनी उसका नाम सुनने में इतना अच्छा लगता है ये उसने पहली बार अपना नाम मयूर के मुंह से सुन कर महसूस किया।
bemishaal update.
 
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Nevil singh

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Update 9
घर पहुच कर मयूर ने अपना लैपटॉप निकला और फेसबुक पर रागिनी का नाम राइप किया रागिनी शर्मा इस नाम की कई प्रोफाइल खुल गयी पर उनमें से कोई भी रागिनी नही थी, उसने इन्स्टाग्राम, गूगल प्लस सब जगह टाइप किया, पर उसे नेट पर एक भी जगह रागिनी का फोटो दिखाई नहीं दिया अजीब बात है आज की आधुनिक लड़की और नेट पर कोई उपस्थिति नही

आग दोनों तरफ बराबर लगी थी - रागिनी ने अपना मोबाइल खोला और गूगल किया फ्रेडरिक मोटेल, मसूरी और उसके सामने एक खूबसूरत मोटेल का फोटो, लोकेशन रूम अवलाब्लिटी, रेट उभर कर आ गये, इन सबमे उसको दिलचस्पी नही थी उसने पेज के निचे नजर डाली कांटेक्ट पर्सनल पर क्लिक किया और उसे दिखाई दिया मयूर फ्रेडरिक और साथ में कांटेक्ट इनफार्मेशन में एक मोबाइल नंबर भी लिखा था,

उसने नंबर अपने मोबाइल में सेव किया और व्हाट्सएप पर जाकर रिफ्रेश किया, मयूर का नंबर उसमे शो होने लगा था उसने प्रोफाइल पिक्चर पे क्लिक किया और उसे पिक्चर में वही दो नीली आखें अपनी और देखती हुई दिखाई दी, उसने फोटो अपने मोबाइल में डाउनलोड किया और मेसेज बॉक्स में हैल्लो लिखा, फिर मिटा दिया |

हेल्लो लिखने और मिटने का सिलसिला लगभग आधे घंटे तक चलता रहा, वो मेसेज भेज कर उसको हेल्लो बोलना भी रही थी पर एक भय उसे रोक रहा था, सुबह जब वो सो कर उठी तो उसने हिम्मत जुटाई गुड मॉर्निंग लिखा और आंख बंद कर सेंट् का बटन दबा दिया।

मयूर सुबह उठा तो उसे अपने व्हाट्सएप्प में कई रेगुलर मैसेज के साथ एक अननोन नम्बर

भी दिखाई दिया, जिसपर मैसेज आया था- गुड मॉर्निंग

उसने प्रोफाइल पिक्चर पे क्लिक किया और रागिनी अपनी सहेलियों के साथ विच पर

दिखाई दे रही थी, तो मेडम ने मेरा नम्बर कही से ले लिया, उसने मेसेज का जवाब दिया वैरी गुड मोरिनिंग, कैसी हो, आज शाम को फ्री हो क्या ? शाम के 8 बजे तक तक कोई रिप्लाई नहीं आया और रात भी निकल गयी, अगले दिन सूरज निकलने के साथ ही मयूर की खुशी, मायूसी में बदल गयी आखिर उसने उसके

मेसेज के रिप्लाई क्यों नही किया।

फिर उसे एक हिंदी फिल्म का आईडिया सुझा, रागिनी की हिंदी फिल्मे बहुत पसंद है. उसको ऐसा ही आईडिया पसंद आएगा- उसने मैसेज किया आज दिन के सेकंड शो की दो टिगिट ली है. तुम्हारा इंतजार करूंगा विजेता मल्टीप्लेक्स के बहार, बस स्टैंड के पास, रात 9 बजे सी यू बाय

स्काई ब्लू जींस और वाइट शर्ट पहना, ब्लैक फॉर्मल शूज, करीने से सजे बाल और क्लोज से महकता वो खुद मजिल बहुत पास है. आजकल लड़किया भी हिंदी मूवीज देख देख कर ड्रामा क्वीन बन गई है. उसने कार स्टार्ट की और मल्टीप्लेक्स के पार्किंग में ही जा कर रोकी, कार से उतरा और रागिनी का इंतजार करने लगा। उसने घड़ी देखी समय लगभग 8:30 बजा था, धीरे धीरे 9 बजने आई और उसके दिल की धड़कन बढ़ गयी, क्या होगा अगर वो नही आई तो, 9 की 10.30 हुई और ।। बजने आ

गयी, उसका मन बैठने लगा, अब वो नहीं आएगी, वो पुरे शो के खतम होने तक वही खड़ा

रहा, लगभग ।। बजे तक उसका मन हो गया और वो बुझे मन से अपनी कार की और

चल पड़ा

रागिनी नहीं आई तो नही ही आई, अजीब लड़की है, उसने कहा-अब में कभी उसे मैसेज नही करुगा, न ही कभी मिलेगा चाहे कुछ भी हो जायें। उस रात वो बिना कुछ खाए सो गया, उसका कुछ भी करने का मन नही हो रहा था, शाम खराब हो गयी थी।

सुबह उठकर गर्म पानी का शावर लेते हुए वो उसके सामने रागिनी का चेहरा उभर आया, उसका मन गुस्से, खीज, और अजीब से दर्द से भर गया, आज रविवार है, आज उसको फेअर (मेले) में जाना था, पर उसका कही जाने का मन नही हो रहा था वो चुपचाप बैठा शून्य को घुर रहा था की तभी फ़ोन की घटी बजी, उसने फ़ोन उठाया और एक खनकती हुई आवाज सुनाई दी- मयूर में कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ तुम आये

क्यों नहीं ? वो आवाज रागिनी की ही थी।

उसके मुंह से बोल नहीं फुट रहे थे, बड़ी मुश्किल से उसने पूछा- कहाँ नही आया में ? दूसरी तरफ से रागिनी ने कहा माय गॉड, क्या तुमने मेरा मैसेज नही पढ़ा जो मेने तुम्हारे मूवी वाले मेसेज के बाद किया था।

अब मयूर के मन में उत्सुकता अपने परवान पर भी- नही, क्या था उसमें ? पढो, पहले उसे मेसेज को पढो और मुझे फोन करो, मैं यहाँ तुम्हारा वेट कर रही हूँ।
jordaar update.
 
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बारिश का मौसम पहाड़ो का सबसेसुहाना मौसम होता है, जब गर्मियां ममें सारे सैलानी
अपनी छुट्टियां बिता कर वापस अपनेघर चलेजातेहै, तब दुसरे मेहमान बादल तशरीफ़
लातेहै,
मानो कोई माली अपने लगाये बाग को सिचने आया हो | पहाड़ो कि हर ढलान झरना बन जाती है और हर झरना छोटी मोटी नदी का रुप ले लेता है जब बादल छंटतेहै
तो हरयाली पहाड़ो का नव स्र्न्गार उसे हरी चुनरी ओढाकर करती है |
इस सुन्दरता को नीहारने कम ही सैलानी इस मौसम में यहाँआतेहै, इसीलिए इस समय
मसूरी का बस स्टेशन पूरी तरह से सुनसान पड़ा था, चाय की चचुस्कियां लेते ही उसने अपने
मोबाइल में समय देखा 6:15 हुये थे, देहरादून से मसूरी आनेवाली आखरी बस के आने में
कुछ ही देर बाकी थी और वो रोज की तरह वह अपने गाहक के इंतजार में बैठा था, यु तो
पहाड़ो पर बादल अकसर राहगीर के साथ होली खेलते थे और ऐसे सनन्ना करवा कर रफूचक्कर हो जाते थे जैसे कोई बच्चा होली के दिन रंग डाल कर भाग गया हो, पर उस
दिन बादल कुछ और ही योजना बना कर आयेथेकुछ शायद ही पानी भर कर लाये थे,
पछले एक घंटे से हो रही बारिश रश थमने का नाम नही ले रही थी और वो दोनो उस बस स्टेशन
पर सबसे आशावादी व्यापारी की तरह आखरी बस का इंतजार कर रहे थे कि शायद इस
बस में कोई गाहक आ जाये तो हम अपने अपने घर चले उनमे एक चाय वाला था और
दूसरा मयूर था जो यही पैदा हूआ और पला बढ़ा
वो एक 25-26 साल का दिलचस्प रूप से खुबसुरत नौजवान था, दिलचस्प इसलिए क़्योकी वो पहाड़ी और अन्ग्रेजी जीन्स का मिक्स था, उसके पिता पहाड़ी और
माँ एक अन्ग्रेज थी उसने अपने माँ के लंबाई पाई थी और अपने पिता से गठीला बदन, उसका स्क्रीन कलर माँ पे गया था तो चेहरे के तीखे नाक नश्क
पिता पे , और उसके सिक्स पैक अप्स इन पहाड़ो की देन थे जिन पर वो रोज चढ़ता था और उतरता था, उस
इलाके का कोई ऐसा पहाड़ नही था जिस पर उसने फतह नही पाई हो |
उसकी माँ , अपनी जवानी के दिन में अपने लिए एक इंडियन लड़का ढूंढते हुये
लगभग 30 साल पहले इंग्लेंड से यहा आई थी, उसकी माँ निस्चय किया था कि किसी
इंडियन लडके सेही शादि करेगी, क़्युकी जब उसका जन्म होने वाला था उसके पिता
उसको और उसकी माँ को छोड़ कर चले गये थे, और उनका परिवार तितर बितर हो गया
था, वो अपने लिए ऐसा लड़का ढूंढ रही थी जो परिवार शब्द के मह्त्व को समझता हो,
उसने कही पढ़ा था की इंडियन लडके लॉयल होते है और अपनी फैमिली वेल्यू को अधिक महत्त्व देते है| जिसने भी वो लिखा था वो किताब लिखनेवाला नही जानता था की
मयूर के भारत में जन्म लेने का कारण उसकी किताब थी। जिससे पर्भ्वित होकर उसकी माँ
भारत आई थी, ये देखने की संयुक्त परिवार आखिर होता क्या है, कैसे लोग आपस मिलजुल कर रहते है और वो सबसे पहले उदयपुर पहुची वहाँ के एक गेस्ट हाउस में अपने पहले स्टे मे ही पर्भ्वित हो गई ये देख कर की न सिर्फ पति पन्ति और bachache बल्कि दादा दादी भी साथ में मिल कर रहते है और एक दुसरे को प्यार ,सहारा देते है
nice start
 

mashish

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Updated 2
पहले स्टे में ही प्रभावित हो गई ये देख कर कि न सिर्फ पति पत्नी और उनके बच्चे बल्कि दादा दादी भी साथ में मिलकर रहते है और एक दुसरे को प्यार सहारा देते है और जब वो मसूरी आई तो उसकी मुलाकात मयूर के पिता से हुई जिनका पहाड़ो पर एक 8 रूम का होटल था अपने लम्बे निवास के लिए वो सस्ता स्टे ढूंढते हुए उसके पिता के गेस्ट हाउस तक पहुची पर पहले उसे मसूरी कि सुन्दरता, पहाड़ो, झरने, जंगल से प्यार हुआ और पहाड़ो में जड़ी बूटियों का नॉलेज लेते लेते वो उसके पिता के प्यार में ही पड़ गयी और बिना किराया दिए हमेशा के लिए उस होटल में ही रह गयी। उसके पिता की मृत्यु तक उनमे प्रेम बना रहा और जब वो जीवित थे, उसकी माँ के पास उसके पिता कि दी हुई वो होटल रूम के किराए कि पहली रसीद सम्भाल के रखी थी जो उन्होंने उसको उसके पहेली बार आने पर दी थी, और उसके पिता तब वो रसीद मिलने पर मजाक में उसकी माँ से पिछले 30 साल का बकाया किराया मांगते है और उसकी माँ उसके पिता पर फ्लाइंग किस उछाल कर अपना किराया भर देती थी शुरुआत में सब कुछ ठीक था परन्तु जैसे जैसे मसूरी में आने वाले पर्यटकों कि संख्या बढ़ने लगी कई नई और अत्याधुनिक होटले खुलती गई. परन्तु मयूर के पिता अपनी होटल का मूल स्वरूप बदलने को तैयार नहीं थे और ऑनलाइन बुकिंग और बड़ी बड़ी होटलों के बिच उनकी होटल दब सी गयी थी सीजन में तो कोई दिक्कत नही थी पर बारिश के मौसम में वो शाम को एक आध चक्कर बस स्टैंड का लगा लिया करता था, और कई बार उसे अपने होटल के लिए ग्राहक मिल जाते थे, और आज भी कुछ ऐसा ही दिन था, परन्तु उसे कुछ खास उम्मीद नहीं थी कि कोई पर्यटक उसे यहाँ मिलेगा, फिर भी उसने सोचा एक ट्राय मरने में क्या हर्ज है। बस के चिर परिचित हॉर्न कि आवाज ने उसकी तन्द्रा भंग कर दी उसने देखा बस मोड़ काटकर अपने स्टॉपेज पर रुक गयी थी वो उठा लेकिन आगे नहीं बढ़ा क्योकि उसने सोचा बारिश में भीगने से अच्छा है कुछ देर यही रुक जाता हूँ. अगर कोई टूरिस्ट होगा तो ही आगे

जाऊंगा। उतरने वाले पेसेंजर में सभी उसके जाने पहचाने लोग थे जिनसे उसको कुछ खास लेना देना नही था वो तो ऐसे चेहरे तलाशता था जिनको उसने पहले कभी नही देखा हो, एक एक करके बस में से उतरती सवारी में से सभी स्कूल जाने वाले स्टूडेंट. दून से नौकरी करके आने वाले अंकल आंटीस और लोकल रहवासी ही थे, मतलब आज कोई सैलानी नही आया था वो मुड़ा और उसने अपने पर्स में से पैसे निकाल कर चाय वाले को दिए और उसकी नजर वापिस बस कि तरफ कि और तभी बस के पायदान पर कुछ हलचल हुई

पहले एक लाल बेग आया और बस के दरवाजे पर स्थित पायदान कि पहली और आखरी पंक्ति के बिच में फंस गया एक बड़ा लाल बेग मतलब निश्चित ही कोई सैलानी है, उस समय बस स्टैंड किसी और होटल का कोई और एजेंट नही था उसने सोचा चलकर देखना चाहिए शायद कोई ग्राहक मिल जाये वो आगे बढ़ा और बस कि उतरने कि सीढियों तक पहुचा, बादल अपने प्लान को अंजाम देने कि पुरजोर कोशिश में लगे थे और उनका क्या प्लान था ये वो ही जानते थे..
good update
 

mashish

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Updated 3
वो सीढ़ियों पर पहुच कर रुका और उसने स्थिति का जाएजा लिया लाल ट्राली बेग रस्ते में कुछ इस तरह फंस गया था कि न बहार निकाल रहा था और न ही अन्दर कि तरफ वापिस जा रहा था बेग का मालिक उसको अन्दर धक्का दे रहा था पर बेग आगे खिसकने का नाम ही नहीं ले रहा था

मयूर को अंदाजा लगा कि बेग के आगे एक पॉकेट था जिसमे कुछ सामान रखा हुआ था बेग से अगर आगे वाली चैन खोल कर सामान निकाल लीया जाये तो वो आसानी से बहार आ जायेगा उसने कहा - रुको अगर हम रॉकेट का सामान निकाल ले तो बेग आसानी से बहार आ जायेगा बारिश अपने प्लान के हिसाब से बहुत तेज हो गयी थी और उसने बेग कि चैन खोली उसमे कुछ मेकअप के सामान के अलावा जो चीज रास्ता रोक रही थी वो थी

एक मोटी किताब उसने किताब निकाल कर अपने हाथ में ले ली, इधर उसने किताब निकली और उधर ऊपर से बेग के मालिक ने एक जोरदार धक्का दिया शायद उसे नहीं मालूम था कि मयूर ने किताब निकाल ली है, और अब बेग पहले कि तुलना में इतना पतला हो चूका है कि आसानी से बहार आ जाये पूरा बेग फिसल कर मयूर के हाथ में आ गया और वो लडखडा गया अगर उसका बदन पहाड़ी मजबूत नही होता तो इस धक्के को दो नही झेल पाता और कीचड़ में गिर जाता परन्तु उसने लडखडाते हुए अपना संतुलन संभाला और कैसे तैसे उस बेग को अपने हाथ से छोड़कर जमीन पर रखा, उस बड़े बेग के दरवाजे से हटते ही उसके दोनों तरफ का दृश्य साफ दिखाई पड़ने लगा और मयूर ने अन्दर गुस्से से देखा पर यह क्या अन्दर का दृश्य अपना संतुलन सम्भालते हुए बस के गुस्से देखते ही उसका सारा गुस्सा रफूचक्कर हो गया अन्दर दरवाजे पर एक उसकी उम्र कि लड़की खड़ी थी, वो सामान्य चेहरे वाली सांवली सी लड़की थी, उसकी आखे बड़ी और काली, तीखे नाक नक्श, और कुल मिला कर उसका चेहरा आकर्षक था. उसने सादगी से लाइट पिंक कलर कि विकेन की कुर्ती और वाइट लेगी पहनी थी, उसके बाल खुल्ले थे और चेहरे पर बुद्धिमानी कि छाप थी, लम्बाई ओसत इंडियन वीमेन कि लगभग 5"5 और फीचर मिस इंडिया के नहीं शायद मिस यूनिवर्स उसने सोचा उसने देखा और देखता ही रह गया, झमाझम गिरती बारिश में वो सावली सुन्दरी उसको पहली नजर में ही भा गई थी।

दूसरी और दरवाजे पर खड़ी लड़की ने पहली बार अपने मददगार को देखा और पहला ख्याल जो उसके मन में आया वो था ये तो हीरो है, नहीं वो कंफ्यूज हो गयी इंडिया का कामदेव नही ये तो युनिवर्सल काम देव है. अपने ख्याल से उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी फिर उसने सोचा है भगवान वया आपने मेरी मदद के लिए साक्षात् कामदेव को ही भेज दिया ? उसे अपने ही विचारों से शर्म और हसी का मिला जुला अहसास हुआ उसने अपने ख्यालों को झटका और सपनो कि दुनिया से बहार आ गयी, उसने अपने आपको सँभालते हुए मयूर से कहा थैंक यू वेरी मच ?

तभी उसकी नजर अपने बेग और किताब पर पड़ी और उसके चेहरे के भाव तेजी से बदल गये उसने अपना मुंह रोने जैसा कर लिया और अपने पांव पटकती हुए बोलने लगी- ये क्या किया तुमने मेरा बेग कीचड़ में कर दिया और मेरी किताब देखो पूरी गीली हो गयी। मयूर जो एकटक उसी को ही देखे जा रहा था ने हडबडाकर कहा - आई ऍम सोरी लेकिन

मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था पर उसे समझ में आ गया था कि उसकी मिस यूनिवर्स नाराज हो गई है लड़कियों के अपने अनुभव से वो जानता था कि इससे पहले कि ये भारतीय नारी उसपर भारी पड़े अब उसके पास चुपचाप निकाल लेने के सिवा और कोई चारा नहीं है। फिर भी उसने कहा मैं तो तुम्हारी मदद कर रहा था तुमको जरूरत क्या थी इतनी जोर से

धक्का देने कि ये कोई ब्रेस्लिंग थोड़ी फंसा हुआ बेग गलना था, उसके लिए

दिमाग कि जरूरत थी जो लगा कर मेने तुम्हारा बेग निकाल दिया अब वो गंदा हो गया तो

मेरी क्या गलती थी।

लड़की के चेहरे के भाव नहीं बदले उसने चुपचाप अपनी किताब अपने बेग में रखी और आसपास देखा वहा कोई उसकी मदद के लिए नही दिखाई दिया सिवाय चाय वाले के, कीचड़ में ट्राली बेग का कोई मायना नहीं था क्योंकि उसके पहिये कीचड़ में धंस सकते थे फिर भी उसने अपना बेग घसीटा और चाय कि होटल कि तरफ चल दी

मयूर ने भी स्थिति कि गम्भीरता को समझा और उसके उलटे डायरेक्शन कि और बढ़ चला,
lovely update
 

mashish

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मयूर ने भी स्थिति कि गम्भीरता को समझा और उसके उलटे डायरेक्शन कि और बढ़ चला, उसने अब तक अपनी जिन्दगी में कई सैलानी लड़कियां और औरते देखी थी, पर इसकी बात कुछ और ही थी, इतने सालो से वो हर खुबसूरत लडकी का ऑफर इसी के इन्तजार में ठुकरा रहा था और जब वो मिली तो पहली ही मुलाकात में मनमुटाव हो गया, उसका मन एक अजीब से दर्द से भर गया|

वो मुस्कुराया अभी तो प्यार शुरू ही नहीं हुआ और लड़ाई हो गई, लेकिन इसमें उसका कोई दोष नही था सही में इसके अलावा उसके पास और कोई चारा भी नहीं था | उसने

असमान में बादलो कि तरफ देखा क्या पता ये आज क्या साजिश कर के आये थे उसके खिलाफ' अगर आज नहीं बरसते तो क्या होता कम से कम मिस यूनिवर्स कि किताब और बैग तो खराब नहीं होता और न वो नाराज होती और न उसके हाथ से उससे नजदीकी बढ़ाने का मौका चुकता

उसने मुड कर देखा धीरे धीरे अपने बेग को कीचड़ में घसीटती हुए मिस यूनिवर्स चाय कि दुकान पर पहुंच चुकी थी। उसका मन वाकई में एक दर्द से भरा हुआ था शायद इसी को प्यार और जुदाई बोलते है, जो उसके जीवन में आते ही चला गया उसके चेहरे पे एक मुस्कुराहट उभर आई जब उसने सोचा दुनिया कि सबसे छोटी प्रेम कहानी | उसने बस स्टैंड पर मौजूद पब्लिक टॉयलेट यूज़ किया और वापिस अपनी कार कि तरफ

चल पड़ा, बस स्टैंड से बहार जाने का एक ही रास्ता था जो मॉल रोड होता हुआ सीधा

उसकी होटल तक जाता था बारिश और तेज हो चुकी थी उसने कार स्टार्ट कि और मॉल

रोड कि और बढ़ चला, आज उसकी अम्बेसेडर का एक वाइपर बंद हो गया था इन्सान

क्या इस बारिश में तो मशीन ने भी काम करना बंद कर दिया उसने सोचा। उसकी कार मेन गेट से बहार निकली वो अप्नी कार कि साइड से सीधा देख सकता था परन्तु दांये हाथ कि तरफ नहीं क्योकि कांच पर पानी था और उस तरफ का वाइपर खराब था कैसी भी थी पर उसकी कार चलती बहुत बढिया थी और फिर वो उससे प्यार भी करता था कार से प्यार उसके चेहरे पर फिर एक बार मुस्कान आ गयी

बस स्टैंड का दरवाजा पर करते ही उसकी नजर रिवर व्यू मिरर पर पड़ी और उसने देखा कि

पीछे मिस यूनिवर्स खड़ी हुई उसको रुकने के लिए हाथ दे रही है। बाय गॉड उसके मुंह से निकला उसने गाड़ी पीछे ली और खिड़की का कांच निचे किया तब तक मिस यूनिवर्स ड्राईवर साइड पर आ चुकी थी उसने कहा आई ऍम सॉरी फॉर माय बेहविअर क्या तुम मुझे यूनिवर्सल गर्ल्स हॉस्टल छोड़ दोगे..अभी उसका वाक्य पूरा ही नही हुआ था कि मयूर

ने बिच में रोक दिया-बस इसके आगे मत बोलना।

लडकी के चेहरे पर झुंझलाहट के भाव आयें मतलब - तुम लड़कियां जब भी किसी अजनबी से बात करती हो भैया बोलती हो पर मुझको मत बोलना उसने लड़की कि नकल निकालते हुए बोला - क्या मुझे हॉस्टल छोड़ दोगे भैया।

मयूर ने अपनी बात कुछ इस अंदाज में कही कि लडकी अपनी हंसी नही रोक सकी. वो निश्चित ही आधुनिक लडकी थी जिसमे कुछ वेस्टर्न और कुछ इंडियन कल्चर मिक्स थे|

ओके नही बोलूगी पर क्या तुम हर लड़की से इसी तरह फ्लर्ट करते हो हीरो' और उसे अपनी भूल का अहसास हुआ कि वो क्या बोल गयी।

अब हंसने कि बारी मयूर कि थी और उसने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया ये एक छोटा सा वार्तालाप आइस ब्रेकिंग साबित हुआ, उसने लड़की से कहा- जल्दी से समान....
very nice update
 

mashish

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UPDATE 5
छोटा सा वार्तालाप आइस ब्रेकिंग साबित हुआ उसने लड़की से कहा जल्दी से समान

पीछे रखो डिक्की खुल्ली है नहीं तो तुम बारिश में भीग जाओगी। लडकी ने मयूर से कहा आज बारिश बहुत हो रही है और मेरे पास कोई और चारा भी नही है, यहाँ कोई और दूसरा साधन नही है जो मुझे हॉस्टल तक छोड़ दे इसीलिए में तुम्हारी गाड़ी में बैठ रही हूँ।

मयूर ने ऊपर आसमान कि तरफ देखा और कहा माय गॉड तो ये था तुम्हारा आज का प्लान

मुझे और मिस यूनिवर्स को मिलवाना इसीलिए आज सुबह से नॉन स्टॉप बरस रहे हो। लड़की ने सामान डिक्की में रखा और कार कि अगली सिट का दरवाजा खोला, मपूर ने नोटिस किया वो एक शालीन लड़की थी, उसके कपड़े का अंदाज, बात करने का तरीका, और कार में बैठने के ढंग उसकी शालीनता को दर्शा रहा था।

लडकी शहरी थी स्कूल से लगा कर कॉलेज तक उसने कई स्मार्ट और हैण्डसैम लड़के देखे

थे जो उससे फ्लर्ट करते थे पर उसने आज तक किसी को भाव नही दिया - उसने मन ही

मन सोचा ये जो अजनबी लड़का मेरे पास बेठा है इससे में इतनी बात क्यों कर रही हूँ आज

तक

मैंने किसी फ्लर्ट करने वाले लड़के को भाव नहीं दिया पर इसमें कुछ खास है क्या है

वो यस ए चार्मिंग है, एक्सट्रीमली चार्मिंग और हेल्पिंग, और फनी भी और मजबूत भी और

इसमें स्टाइल भी है सब कुछ है किसी फिल्मी हीरो जैसा, किसी रोमाटिक नावेल का हीरो,

पर मुझे इससे दूर ही रहना है यस ऐसे तो कई लड़के मेरी जिन्दगी में आये पर इसमें कुछ

खास है उसने फिर सोचा इसमें एक आकर्षण है चुम्बक कि तरह इसका चेहरा चाइना और

अमेरिकन का कॉकटेल है नहीं ये भी नही और अन्दर और अन्दर मन में कुछ हो रहा है

उसके विचार तेजी से चल रहे थे - इट्स फीलिंग ये एक अहसास है मुझे इससे प्यार हो

गया है।

लड़की ने बैठते ही मयूर पर सवाल दाग दिया - बस स्टैंड पर मसूरी अकेले आने वाली लड़कियों की मदद करने के अलावा तुम और क्या करते हो? उसके चेहरे पर एक गंभीर मुस्कान फ़ैल गयी - में सब लड़कियों कि मदद नही करता हूँ

केवल उनकी जो मुझे खास लगती है वैसे तुम्हारा नाम क्या है ? नाम छोड़ो तुम ये बताओ मुझमे ऐसा क्या खास है? लड़की ने पूछा

तुमने अपना बैग बस के दरवाजे में फंसा लीया था और जिस तरह तुम उसको निकालने कि कोशिश कर रही थी भगवान कसम बेग के साथ दरवाजा भी निकल कर बहार आ जाता इतनी बुद्धिमान लड़की कि मदद करने से अपने आप को कौन रोक सकता है, और तुमने अपना नाम नही बताया तो में खुद तुम्हारा नामकरण संस्कार कर दूंगा, और पसंद नही आये तो नाराज मत होना|

तुम मुझे बेवकूफ बोल रहे हो पर में घबरा गयी थी मुझे समझ नही आ रहा था कि अब क्या करू।

मयूर ने जवाब दिया - वही तो में बोल रहा था कि मैं उन्हीं लडकियों कि मदद करता हूँ जिनको समझ नहीं आता कि वो क्या करे।

चैंक्स फॉर योर हेल्प एनी वे आई ऍम नोट अ फुल उसने मुंह बनाते हुए कहा नही तुम फुल हो पर इंग्लिश वाला नहीं हिंदी वाला फुल - मयूर ने कहा अब पता ये करना है कि कौनसा फुल गुलाब, चमेली या गोभी का, गोभी तो तुम हो नहीं सकती, गुलाब में कांटे होते हैं और चमेली में खुशबु होती है तो तुम चमेली का हो माय डिअर चमेली और वो खिलखिला कर हंस दिया

क्या ? लड़की ने पूछा

मैंने तुमसे कहा था कि अगर तुमने अपना नाम नहीं बताया तो में तुम्हारा नाम रख दूंगा, लो रख दिया। अगर मेरा नाम जान लोगों तो एक कदम भी नहीं चल पाओगे धरती खिसक जाएगी तुम्हारे

पांव के तले से लड़की ने मन ही मन कहा।

तुम्हें मेरा नाम रखने कि या जानने कि कोई जरूरत नही है मुझे हॉस्टल छोड़ने के बाद अपने रास्ते अलग अलग है ओके, लड़की ने अपने सारे अवरोधक अब ओन कर लिए थे।
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mashish

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तुम्हे मेरा नाम रखने कि या जानने कि कोई जरूरत नही है मुझे हॉस्टल छोड़ने के बाद अपने रास्ते अलग अलग है ओके, लडकी ने अपने सारे अवरोधक अब ओन कर लिए थे। इट्स ओके और ये आ गया आपका हॉस्टल, अपने रस्ते अलग अलग | मयूर जनता था अभी लडकी को प्रेशर करने से कुछ मिलने वाला नहीं है, अभी पतंग को ढील देना ही ठीक

है।

लडकी कार से उतरी और उसने डिक्की खोली फिर बेग को निकालने कि कोशिश करने

लगी परन्तु बेग तो प्रथ्वी जैसा भारी लग रहा था वो फिर मयूर के पास आई और बोली क्या तुम मेरा बेग ऊपर हॉस्टल के अंदर तक पहुंचा दोगे प्लीज ? मयूर ने कहा एक शर्त पर - जब वार्डन तुमसे पूछेगी कि मैं कौन हूँ तो तुम ये नही बोलोगी कि में तुम्हारा कोई रिश्ते का भाई हूँ?

लडकी फिर हंस दी - उससे क्या फर्क पड़ेगा चलो नही बोलूंगी प्रोमिस पर मेरी भी एक शर्त है तुम मुझसे फिर कभी मिलने कि कोशिश नही करोगे।

ये अपनी जिन्दगी में उसने पहली बार सुना था | लडकी एक पहेली है, मेरा अपने आप से जो घमंड है वो तोड़ कर ही मानेगी, ठीक है मुझे भी चुनौती पसंद है मिस चमेली - उसने मन ही मन सोचा।

वो कार से उतरा और उस भारी भरकम बेग को उठा कर ऊपर कि और चलने लगा, काफी

मॉल भरा लगता है इसमें पुलिस इम्पोर्टेन्ट बेग है काफी महंगा लडकी पैसे वाली लगती है

पर सामान्य दिखने का प्रयास कर रही है।

उधर पीछे पीछे चल रही चिकेन कुरते वाली लडकी ने मन ही मन सोचा लो वेस्ट ब्लू टाउसर और वाइट शर्ट में ये कितना स्मार्ट लड़का है, और लीन होने के बाद भी इतना भारी बेग कितनी आसानी से उठा लिया।

दोनों हॉस्टल के ऑफिस में पहुंचे जहाँ लगभग 40 साल कि वार्डन एक लडकी के साथ बैठ कर चाय कि चुस्किया ले रही थी। मयूर ने बेग रखा और लडकी कि तरफ घूमकर बाय बोला | लडकी ने भी जवाब में अपना हाथ उठा कर बाय किया मयूर मुड़ा और लडकी ने वार्डन से कहा मेरा यहाँ 6 महीने का रूम बुक है रागिनी के नाम से आकाश अभी दरवाजे

तक ही पहुचा था उसने हल्का सा मुड कर देखा रागिनी बिलकुल मधुर गाने कि तरह नाम उसके कानो तक होता हुआ दिल के अंदर तक हलचल मचा गया | नो चमेली नो मिस यूनिवर्स दुनिया का सबसे बढिया नाम रागिनी है।

वार्डन ने रजिस्टर देखा और कहा ठीक है तुम्हारा रूम नो. 205 है, सेकंड फ्लोर पर बाये पाचवां कमरा | उसने रजिस्टर में सिग्नेचर किया अपने पेपर दिखाए।

तभी वार्डन के पास बेठी लडकी ने वार्डन के कान में कुछ कहा वार्डन ने सुना और रागिनी से पूछा अभी जो स्मार्ट लड़का तुमको छोड़ने आया था वो कौन था | रागिनी अवाक् सी कभी उस लडकी और कभी उस वार्डन को देख रही थी और बरबस

उसके मुंह से निकला गधा वो एक गधा था। दोनों खिलखिला कर हंस दी।

रागिनी ने अपना बेग उठाया और ऊपर कि तरफ जाने लगी- सुनो इस हॉस्टल में लडको का आना मना है, ठीक है।

मुझे लड़कों में कोई इंटरेस्ट भी नहीं है - उसने कहा वार्डन ने अपने चश्मे में से उसको गौर से देखा और पूछा - फिर किस्मे है, अगर तुम चाहो तो आज का डिनर हम दोनों के साथ कर सकती हो।

रागिनी उनका मतलब समझ चुकी थी उसने कहा मुझे उसमें भी इंटरेस्ट नही है, और

ऊपर कि तरफ बढ़ गई।
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रागिनी कि नींद सुबह 11 बजे खुली, दो दिन के सफर के बाद कल उसे ठीक से सोना मिला था | उसने उठकर अपने बाल हेयर बंद से बांधे और रूम का जायजा लिया, वो पुराने जमाने का कमरा था मगर बहुत गर्म और आरामदायक, कमरे में एक सोफा, टी टेबल और पलंग के अलावा एक अलमारी थी जिसमे वो अपने कपड़े रख सकती थी, पीछे एक खिड़की थी जिसपर मलमल का पर्दा लगा था, वो खिड़की तक पहुची और उसने पर्दा हटाया पीछे जो दृश्य उसे दिखाई दिया वो उसकी कल्पना से बहार था, एक बड़ा सा हरा भरा मैदान जिसको चिड के पेड़ो ने चारो और से धेर रखा था, उसमे तितलियां और कई प्रकार कि चिड़ियाए फूलो पे मंडरा रही थी, मैदान ख़त्म होते ही एक ढलान था, और ढलान के साथ एक छोटा सा झरना वो आश्चर्य से प्रकृति कि सुन्दरता निहारने लगी, उसका मन प्रफुल्लित हो उठा ऐसा दृश्य उसने पहले कभी नही देखा था, वो अपने जीवन भर कंक्रीट कि दिवालो के बिच ही घिरी रही थी पहली बार उसे खुली हवा और सुंदर नजरो को जी भर के बिना डर के देखने का अवसर मिला था।

कल के पूरा घटनाक्रम उसकी नजरो के सामने उतर आया कैसे वो लड़का उसकी बेवकूफी से गिरते गिरते बचा और कैसे उसने उसके साथ बुरा बर्ताव किया अब उसे अच्छा महसूस नही हो रहा था क्या उसे फिर से उससे मिलना चाहिए?

उसके साथ कि सब लड़कियां जिनके कॉलेज में कई बॉयफ्रेंड थे और ब्रेकअप सोंग इस गरिमा से गा देती थी जैसे कोई भजन गा रही हो, आज शादी करके दो दो बच्चों कि माँ बन चुकी है और वो 25 साल कि नव युवती जिसकी जिन्दगी में अभी तक एक भी लड़का नही आ पाया था, फिर उसने गहरी साँस ली और सोचा- रागिनी बहुत ऊँची चीज है उसे पाना इतना आसान नही है मिस्टर यूनिवर्स, फिर वो मुस्कुराई और सोचा अगर वो मुझे चाहता होगा तो खुद ही आ जायेगा और अगर मेरे लायक है तो खुद ही साबित करेगा। उधर नींद में मयूर को गर्मियों में आने वाले फॉर्च्यून टेलर सपने में आ रहा था उसने मयूर को टेरो कार्ड निकालने को कहा और जब उसने टेरो कार्ड निकाल कर दिया तो उसने कार्ड

पढ़ कर कहा - एक बहुत बड़ी मुसीबत तुम्हारे तरफ बढ़ रही है, आने वाले 6 महीने तुम्हारे ऊपर बहुत भारी है, फिर उसे सपने में अपनी ही हंसी सुनाई पढ़ी, फिर बस के दरवाजे पर खड़ी रागिनी दिखाई दी और उसकी नींद खुल गयी। वो उठा और उसे रागिनी से मिलने कि त्रिव इच्छा हुई फिर उसने सोचा -अगर वो मुझसे

नही मिलना चाहती तो कोई बात नहीं, उसने दृढ़ता से मुझे फिर नही मिलने का कहा था मैं

उससे नहीं मिलेगा आगे किस्मत को जो भी मंजूर हो।

रागिनी ने अपना सामान लाल बेग में से निकला और एक एक कर के अलमारी में जमाना शुरू किया, सरे ट्रेडिशनल सूट के साथ एक जोड़ा जींस और टी शर्ट भी थी जो उसने आज

तक नहीं पहनी थी, सूट में दो चिकेन के एक कश्मीरी और तीन इंडो वेस्टर्न सूट थे इंडो वेस्टर्न सूट भी वो काम ही पहनती थी, कुछ ही देर में सारा सामान अलमारी में करीने से जम गया और वो फ्री हो गई।

सामान जमाते समय उसे अपने साथ लाये दो एप्पल भी मिले जिनको वो अलमारी में नही रख सकती थी, उसने उनको खाया और फिर बिस्तर पर सो गयी, वो आजाद थी जो चाहे वो करने के लिए, कोई डर नही कोई बंदिश नहीं बिलकुल एक आजाद चिड़िया कि तरह वो खुशी से भर गयी फिर खुशी में उसका मन डूबने लगा वो इस दुनिया में अकेली थी और फिर वो मयूर के बारे सोचने लगी, उसके मन में एक मीठी हलचल शुरू हो गई और फिर

उसे एक मीठी गहरी नींद ने घेर लीया। उसकी नींद खुली तब सामने लगी घड़ी में दो बज रहे थे, उसे तीव्र भूख लगी थी उसने कल रात से सिर्फ दो सेवफल के अलावा कुछ नही खाया था वो बहार निकली और उसे गलियारे में एक लड़की मिली उसने पूछा क्या तुम मुझे बता सकती हो मेस कहाँ है लडकी ने कहा -तीसरी मंजिल पर

वो एक रूफ टॉप किचेन था जहाँ का खाना बहुत सादा था, कम से कम उसके घर पे मिलने
वाले खाने से तो बहुत ही सामान्य, न तेज मिर्च मसाले न पनीर, बटर सिर्फ चपाती दाल, आलू मटर कि सब्जी और चावल पर उसने आज पहली बार मटर का असली स्वाद लीया था, और वह उसे बहुत अच्छा लगा था, खाने के बाद उसे अपनी प्लेट खुद ही सिंक में रखनी थी वहा कोई नौकर नहीं था, पर बदले में इनाम में उसे आजादी मिली थी, जिसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी उसने प्लेट उठा कर किचेन सिंक में रखी, तभी उसके दिमाग में बिजली सी कौंधी वो तेजी

से अपने रूम कि तरफ भागी, रूम में उसने अपनी पूरी अलमारी उलट पुलट दी, फिर बेग

खोला और उसको पूरा टटोला उसका मन भय से भर गया, वो अपने आप से बुदबुदाई - कहाँ चली गयी मैंने कहाँ रख दी, तभी उसे कुछ ख्याल आया और वो बहार कि तरफ तेजी से चल पड़ी जब तक वो उसे नही मिल जाती वो चैन से नही बैठ सकती थी, वो उसने अपने साथ ली ही क्यों थी, जबकि उसका नया जीवन शुरू हो रहा था? - उसने अपने आप को सांत्वना दी,

और अगर वह नहीं मिली तो ? जो होगा देखा जायेगा

वो बहार निकली और रिक्शा वाले को रोका और बोली- बस स्टैंड

उस समय लगभग 5 बजे थे और मयूर रागिनी के ख्यालो में डूबा था, कल का समय वापिस आ गया था और बादल भी कल कि अपनी नौकरी बखूबी निभा के आराम कर रहे थे, हल्की हल्की धुप में हरियाली निखर रही थी, और वो गम में डूबा था, सुबह से बहार नहीं निकला था. उसने सोचा बस स्टैंड तक चलते है. काका कि चाय का समय हो गया है।

उसने अपना ब्लू टाउसर और वाइट शर्ट डाला और गाड़ी स्टार्ट कि, लगभग 5 मिनिट में वो बस स्टैंड पर था, आज कल कि तुलना में थोड़ी भीड़ थी और सैलानी भी आ जा रहे थे, उसने गाड़ी पार्किंग में रखी और चाय कि दुकान कि तरफ बढ़ चला उसके मन में कल कि याद थी ये लड़की दूसरी लड़कियों से अलग थी-सोचते सोचते सोचते वो काका कि चाय कि दुकान पर पहुच गया, उसे देखते ही काका ने कहा वो लाल बेग वाली मेडम जी तुमको दो घंटे से ढूंढ रही है अभी यही प्रतिक्षालय में खड़ी थी

वो हतभ्रत था रागिनी मुझे ढूंढ रही थी ? कहा, कब, कैसे ? उसे अपने उतावलेपन पर खुद ही पछतावा हो गया

अभी नहीं थी शायद कुछ अर्जेंट काम था तुमसे, यही कही होगी-काका ने कहा

तब तक वो संभल चूका था उसने घूम कर चारो तरफ देखा और वो उसे दिखाई दी आज

फिर चिकेन का कुर्ता पर लाइट ग्रीन पैरेट कलर का फिर सफेद लेगी, बाल खुल्ले नहीं पर

हेयर बंद से बांधे हुए, वो उसकी कार के पीछे खड़ी होकर डिक्की खोलने कि कोशिश कर रही थी असम में फंसा मयूर तेजी से अपनी कार की ओर बढ़ा और उसने पूछा- क्या हुआ मेडम

अब क्या डिक्की तोड़ने का इरादा है?

उसके चेहरे कि अधीरता साफ देखी जा सकती थी-मैं कल किताब रखने के बाद बेग कि

चैन लगाना भूल गयी थी, मेरी किताब अंदर ही गिर गयी है। मयूर ने बिना कुछ बोले डिक्की का दरवाजा खोला और रागिनी ने अधीरता से अन्दर झाँका

डिक्की में पीछे कि तरफ उसकी किताब पड़ी हुई थी मानो उसी के आने का इंतजार कर रही थी उसने लपककर किताब उठा ली और उसको अपने पर्स मैं इस तरह डाला जैसे

कोई दुनिया कि सबसे कीमती चीज हो वो मुड़ी उसकी नजरे फिर मयूर से मिली जो उसको एक तक देख रहा था - क्या तुम यहाँ

ये किताब लेने आई हो?.
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नही में सिर्फ तुमसे मिलने आई हूं, रात भर से नींद नही आ रही थी तुम्हारी याद में और दो शरारती हंसी हंसने लगी - असल में मैं उस किताब के क्लाइमेक्स तक पहुंच गयी और अब मन मैं बहुत गहरा सस्पेंस है कि आगे क्या होगा - उसने उसकी नीली आँखों से बचते हुए शरारती अंदाज में बोला, ये नीली आँखे बहुत गहरा जाल डालती है शालिनी ने मन ही मन सोचा, इन आँखों से बच कर रहने में ही हम दोनों कि भलाई है। अगर तुम्हारी ये किताब खतम हो जाये तो क्यों न अपनी एक रोमांटिक कहानी शुरू करे?

मयूर ने उसकी आखों में जबरन आखें डालते हुए कहा

वैरी स्मार्ट, लेकिन रोमांटिक बिलकुल भी नही, क्या तुमको प्रोपोसे करने का इससे बढ़िया तरीका नही मिला था - रागिनी ने उसे चिढ़ाते हुए कहा तो तुम भी उन हिंदी फिल्मो कि हेरोइन कि तरह प्रपोसे चाहती हो । उसने कहा और टेबल के गुलदस्ते में पड़ी एक गुलाब कि कली उठा कर रागिनी कि और बढ़ते हुए बोला क्या तुम मुझसे प्यार करोगी?

चत रागिनी ने कहा- ऐसे तो शादी का प्रोपोसे करते है। हाँ पर पहले प्यार कर लो फिर शादी भी कर लेंगे - मयूर ने फिर उसकी आँखों में आखे

डालते हुए कहा

मेरे पापा बोलते है. प्यार एक भूत का नाम है जिसको लगता है उसको मार कर ही छोड़ता है

मयूर ने चौक कर उसकी तरफ देखा - उसका चेहरा फत्थर कि तरह सख्त था, और आंखें भी पथराई हुई

उसने फुल को वापिस गुलदस्ते में डाल दिया, शायद उसकी किस्मत नहीं थी किसी के प्यार इजहार और इकरार का गवाह बनने की। दोनों कुछ सेकंड तक बिना कुछ बोले एक दुसरे को देखते रहे मानो प्यार की किसी मूक भाषा में बात कर रहे हो, फिर क्या तुम मुझे वापिस हॉस्टल तक छोड़ दोगे- रागिनी ने पूछा

तुमको इतनी जल्दी क्या है हॉस्टल जाने कि ?

अब वो अपने आपको कम्फर्ट महसूस कर रही थी- उसने कहाँ - नही कोई जल्दी नही है और उसने उन नीली आँखों में झाँका- तुम्हारी फूड चॉइस अच्छी है, इतनी अच्छी ट्रीट के लिए थैंक्स

अजीब बहुत ही अजीब-मयूर ने कहाँ पहली बार किसी ने प्यार कि ऐसी परिभाषा दी है.

ये सही नही है, तुम्हारे डैडी कहा है। वो घर है अब हमको चलना चाहिए - उसने उठते हुए कहा और अपना बेग निकाला और पैसे देने लगी उसके पास नया कड़क दो हजार का नोट था जो उसने काउंटर पर बैठे लड़के को दिया

लड़के ने मयूर कि तरफ प्रश्नवाचक नजर से देखा, मयूर ने उसको इंकार से सर हिला दिया. और लड़के ने दो हजार का नोट वापिस रागिनी को पकड़ा दिया तभी मयूर बोला - उसके पास छुट्टे नहीं है, में दे देता हूँ, और उसने अपने पास से पैसे निकाल के लड़के को दिए, जो उसने काउंटर में डाल लिए उसे क्या कोई भी दे उसे तो अपने पैसे से मतलब है. उसने पहले भी कई लड़कियों के साथ मयूर को वह आते हुए देखा था पर ये पहली बार है जब उसने पैसे दिए हो, उसने सोचा-ये लड़की कुछ अलग है।

रागिनी अजीब थी उसकी आँखों में प्यार तो था पर एक डर भी, वो डरी हुए थी पर किस बात से, क्या वो घर से भाग कर आई थी उसके मन में कई सवाल उमड़ रहे थे. अभी इसको समय कि जरूरत है. ये अन्य लड़कियों से भिन्न है क्या पता इसकी क्या प्रौब्लेम है ? और प्रोब्लेम ये जब तक नही बताएगी जब तक ये मेरे साथ कम्फर्ट महसूस नही करने लगेगी

उसने बोलना चालू किया- यहाँ हर रविवार को एक मेला लगता लखवर मेला,मुझे वह जाना बहुत अच्छा लगता है, वहां पहाड़ी संस्कृति, खाना, और लोकल लोगो मुलाकात का मजा ही अलग है।

और फिर बाते करते करते हॉस्टल आ गया, ओके रागिनी बाय

रागिनी उसका नाम सुनने में इतना अच्छा लगता है ये उसने पहली बार अपना नाम मयूर के मुंह से सुन कर महसूस किया।
nice update
 
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