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जोरू का गुलाम भाग २५० पृष्ठ 1556
एम् -२ --एक मेगा अपडेट पोस्टेड
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गुड्डी और गीता को देख कर भी नहीं पिघला.... बहुत घाघ सब्जी वाला.... गाजर वाला हैगुड्डी, गीता और गाजर वाला,
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और गीता और गुड्डी गाजर वाले के ठेले पर।
गुड्डी अकेले ही काफी थी उस गाज़र के ठेले वाली की पैंट ढीली करवाने के लिए पर साथ में गीता भी, सहेली भी, गुड्डी की गुरु भी, ननद भाभी का रिश्ता भी,... दोनों टीनेजर,
" आइये बहनजी, एकदम ताज़े गाजर हैं, रस से भरे, साइज देखिये " ठेले वाला बोला।
" भैया, साइज तो मैं पकड़ के देखूंगी, अगर आपको बुरा न लगे, लम्बाई भी मोटाई भी" डबल मीनिंग डायलॉग में तो गुड्डी अब बड़ो बड़ों के कान काटती थी
" अरे बहन जी आप पकड़ के देखिये, दबा के देखिये, आपके लिए ही हैं, जैसी मर्जी बहन जी"
ठेले वाले की निगाह कभी गुड्डी के टॉप फाड़ते निप्स पर जाती तो कभी गीता के एकदम ही लो कट चोली से झांकते गोरे गोरे निप्स पर, गीता खेली खायी, उसे ठेले वाले को छेड़ती बोली, ...
" इनको बहन जी सम्हल के बोलियेगा, "
अब वो एक मिनट के लिए घबड़ाया, उसे लगा कुछ डबल मीनिंग ज्यादा हो गया,
" क्यों " उसने पूछा।
" इस लिए की जिस जिस को ये भैया बोलती हैं, उसको सैंया बनाये बिना छोड़ती नहीं है, तो आपकी गाज़र गयी समझिये "
हँसते खिलखिलाते गीता बोली, और गुड्डी के गाल में कस के चिकोटी काट ली.
" भैया, ये हमारी भौजी हैं, इसलिए आप इनसे रिश्ता खुद तय कर लीजिये" गुड्डी क्यों गीता को छोड़ती, और दाम कितना लगाइएगा, आपकी गाजर तो मुझे पसंद है। " गुड्डी बोली
" वैसे तो बाजार में ५० है लेकिन आप के लिए दस रुपये छूट। " वो बोला।
" क्या भैया, मुझे तो लगा आपने बहन बोला है तो बहन से कोई पैसा लेता है लेकिन चलिए बोहनी का टाइम है तो हमारे पास तो पच्चीस ही हैं " गुड्डी मुंह बना के थोड़ा और झुक के बोली,
और क्या अपनी बहन के पास देने के लिए बहुत चीजे हैं, पैसे तो हर कोई दे देता हैं तो बस मांग लीजिये, और आपकी बहन और मेरी ननद किसी को मना नहीं करतीं, बहुत सीधी हैं " ,ऐसा मौका गीता क्यों छोड़ती, बिना गुड्डी को रगड़े।
क्लीवेज देख के ठेले वाला भी, और उसने २५ रुपये लगा दिया, लेकिन गुड्डी इतने आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी बोली, " भैया टेस्ट करने के लिए तो दो दे दीजिये, अपने हाथ से जो आपको पंसद हो, सबसे लम्बी हो बस,... "
दूकान वाले ने सच में चुन के एक खूब लम्बी मोटी निकाली और बोला, लीजिये बहन जी ये मेरी ओर से खा के देखिये, कितना रस है,
' अरे बहन जी के भैया जी, ... ये मेरी ननद, इनके भैया आज कल नहीं है न , इसलिए ऊपर वाले मुंह में नहीं नीचे वाले मुंह के लिए मांग रही हैं " गीता छेड़ते हुए बोली।
" भैया दो मेरी भौजी को भी दे दीजिये वरना वो नजर लगा देंगी " गुड्डी हंस के बोली।
तो आधे रेट पर और उसके अलावा चार बड़ी मोटी गाजर लेकर दोनों दुष्ट आ गयीं हंसती खिलखिलाती,
लेकिन शक मुझे तभी हो गया.
कौन दुकानदार आधे रेट पर दाम लगाता है और फिर गीता, वो बोली, उसकी आवाज से लग रहा था कहीं बाहर का है. फिर थोड़ी देर बाद एक और आदमी भी आके उसी ठेले पर खड़ा हो गया।
एक ठेले से एक आदमी का खरचा नहीं निकलता दो दो लोग,...
फिर कौन सब्जी वाला सिर्फ गाजर का ठेला लगाता है वो भी ऐसी जगह पे, बड़ी मंडी में ठीक है जहाँ थोक वाले आ रहे हैं, दूकान वाले खरीद रहे हैं , लेकिन टाउनशिप के एक कोने पे, सिर्फ गाजर का ठेला, मुझे लग रहा था की कुछ तो गड़बबड़ है।
Superb,gazab update Komal didiजोरू का गुलाम भाग २४२, 'कीड़े' और 'कीड़े पकड़ने की मशीन, पृष्ठ १४९१
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Gajab hai story maza agaya sagi me ye ek thriler story banti ja rahi haiइनकी मुंहबोली साली, मेरी सहेली, सुजाता
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लेकिन वो सब बातें बाद में हुयी पहले तो सुजाता ने इन्हे दस गालियां सुनायें, साली कौन जो गाली न दे,... फिर ये जबतक झिझके इन्हे पकड़ के दबोच लिया।
कुछ देर में ही हम दोनों सहेलियां किचेन में थीं।
और वो कीड़ा पकड़क यंत्र से सुजाता के घर के इंच इंच पर चेक कर रहे थे, कोई कीड़ा नहीं मिला।
और उन्होंने संतोष की सांस ली।
अब उस फोन कम कीड़ा पकडक से जो डाटा फ़ूड ट्रक, गाजर वाले का था वो सब ट्रांसमिट कर दिया। उन्हें भी नहीं मालूम था की डाटा कहाँ गया लेकिन सेकेंडो में सारी फाइलें गायब हो गयीं, अब कोई उस यंत्र को मिक्सी में डाल के भी निचोड़ दे तो एक डाटा नहीं मिलने वाला था।
बीच में मैं निकली तो उन्होंने इशारे से बता दिया की सुजाता के यहाँ अभी तक तो मामला सेफ है फिर मैंने उन्हें जो मेरे शक थे सब बता दिए, कीड़े कैसे लगे, फ़ूड ट्रक वाले ने कैसे गुड्डी का नंबर पता लगा लिया या गाजर वाले के यहाँ अनजाने में गीता के मुंह से निकल गया की वो घर पर नहीं है।
लेकिन वो जरा भी परेशान नहीं थे. बात सही थी अब हमारे हाथ में था की हम क्या इन्फो उन कीड़ो के जरिये पहुँचाना चाहते हैं दूसरे जितना ज्यादा हम ' ऐक्टिव ' रहेंगे, घर से डाटा निकल के गाजर वाले के पास, या फ़ूड ट्रक में पहुंचेगा और वहां से सेटलाइट, उस डाटा के जरिये आगे ट्रेस करना आसान होगा,. ...
खाना लग गया था, और खाना खाते हुए हम लोग अंत्याक्षरी भी खेल रहे थे, मैं और सुजाता एक तरफ ये अकेले।
लेकिन मेरी चमकी कहीं मम्मी का फोन मेरे फोन पर आ गया या इनके फोन पर और इनके मिशन के बारे में कुछ पूछ लिया या यही की कब आये, दूसरी बात की अगर मैं अपने फोन से मम्मी को कोई ऐसा वैसा मेसज करूँ और मेरा फोन तो कीड़े वाले ने हैक ही कर लिया है तो उन सब को भी पता चल जाएगा की मैं मम्मी को आगाह कर रही हूँ, ... तो मैंने सुजाता के फोन से मम्मी को ये मेसेज किया,
' मम्मी मैं सुजाता के यहाँ आपके दामाद के साथ अंत्याक्षरी खेल रही हूँ,मैं और सुजाता एक साथ धीरे धीरे बोल कोई सुन ना ले की अगली लाइन क्या है जल्दी से मेसेज करिये। "
मम्मी का जवाब आ गया और वो समझ भी गयीं की उन्हें मेरे और अपने दामाद से सम्हल के बातें करनी है। लेकिन फिर उनका एक और मेसेज आया की वो अपनी समधिन के साथ सवा नौ बजे वीडियो काल करेंगी, तब तक हम लोग घर पहुँच जाये।
हम दोनों नौ बजे ही घर पहुँच गए. फ़ूड ट्रक के आगे सन्नाटा था, लेकिन एक आदमी अभी भी विंडो पर था। सब्जी वाले ने ठेला तो बंद कर दिया था पर वही पास में लेटा था।
सवा नौ बजे मम्मी का फोन आया और फिर उन्होंने अपनी समधन को भी जोड़ लिया
आगे की कुछ बातें यही बताएंगे,
AAyegi aayegi vo bhi aayegi , der hai andher nahiCoaching ki Party ki story kahan hai komal ji. Uska bhi to intejar tha hame
Tackling multiple adversaries and then aligning them along her own ideas and reasoning.Wow such an elaborated story.. from female POV.... nice one TS
कभी आगे फ़्लैश बैक में हीं बता दीजिए कोमल जी...Coaching ki Party ki story kahan hai komal ji. Uska bhi to intejar tha hame
सही कहा... ये तीन दिन तो तीन युग से समान लगे होंगे...Bahut dino ke baad jab pati patni ya gf bf milte hai to ese hi becheni hoti hai. Baki sab kam bad me
कंपनी में उठा पटक...kahani ab ek lambe financial thriller ki oar mud rahi hai to pata nahi aage kya hoga
Take your own time.. as such story requires your thinking and depicting skill with finer and more detailed overview.पिछले रविवार को इस थ्रेड पर अपडेट आया और आज फागुन के दिन चार पर
कभी कभी मुझे लगता है की वार्षिक कम्पटीशन में सभी मित्र व्यस्त हैं, कहानी पोस्ट करने में, कमेंट में रिव्यू में इसलिए भी न ज्यादा कमेंट्स आते हैं और न व्यूज बढ़ते हैं
और कुछ मेरी भी व्यस्तताएं और प्रायिकताएँ हैं, लेकिन अपडेट आते रहेंगे, इस सूत्र में कहानी क्योंकि एक नयी दिशा में मुड़ी है, लिखने के पहले पढ़ना और सोचना भी बहुत पड़ता है
और फिर पोस्ट के बाद कमेंट के लिए निहोरा करना उकसाना, बार बार फोरम पर आ कर देखना खलता भी है
हाँ यह कहानी आगे बढ़ती रहेगी यह कह सकती हूँ जब तक अंत तक न पहुँच जाए
yhi to parmaarth hai aur is ki duaayen bhi milati hainKhud to maje le rahe hai dusro ko bhi bharpur dilwa rahe hai.....