गाँव जवार
गीता को घर छोड़ने के पहले गीता ने उन सबसे वायदा कर लिया था की कल भी वो रोपनी में आएगी और वैसे भी कल रोपनी का आखिरी दिन था।
गीता ने खुद अपनी माँ से मचल के कहा, और वो हँसते हुए मान गयीं,...
लेकिन ये सब सुनते हुए छुटकी के मन में जो सवाल था वो उसने गीता के सामने झट से उगल दिया,
" लेकिन दीदी, अपने भैया के साथ जो किया था, रोज करवाती थीं, अगवाड़े पिछवाड़े, वो सब तो रोपनी वालियों ने खुद आपके मुंह से कबुलवा लिया तो फिर,...कहीं पूरे गाँव में "
गीता बड़ी देर तक खिलखिलाती रही, फिर खुश होके अपनी नयी बनी छोटी बहन को चूम लिया और हंस के बोली,
"पगली, ... आज कल क्या कहते हैं व्हाट्सअप और इंस्टा फैला है न रोपनी वालियां उन सबसे भी १०० हाथ आगे हैं, ... फिर मुझे कौन झिझक थी, हाँ भैया ही थोड़ा बहुत झिझकता था , माँ को भी कुछ फरक नहीं पड़ता था अगर गाँव वालों को मालूम हो जाये,... तो फिर जब हम माँ बेटी को कुछ नहीं तो,... वो तो कहती थीं प्यार क्या जब तक खुल्ल्म खुला न हो और कौन इस गाँव की लड़कियां अपने मरद के लिए बचा के रखती हैं , सब के सब अपना जोबना , खेत खलिहान, बाग़ बगीचे में लुटाती फिरती हैं , और गाँव के रिश्ते से तो वो लौंडे भी भाई हुए न , तो फिर अगर सगा भाई चढ़ गया तो क्या,... "
और गीता ने कुछ रुक के रोपनी वालियों के बारे में बात और खोली,...
" देख शक तो सब को था, ... तभी तो मेरे पहुँचते ही सब मेरे भैया का नाम मेरे साथ जोड़ जोड़ के , भैया के सामने ही,... और ऊँगली डालते ही मेरे अगवाड़े पिछवाड़े मलाई बजबजा रही थी , और मैं भैया के साथ घर से ही मुंह अँधेरे आ रही थी , रात अभी भी ख़तम भी नहीं हुयी थी,... और घर में मेरे और माँ के अलावा भैया ही तो था , ... "
फिर कुछ रुक के खिलखिलाते हुए गीता ने जोड़ा,
" मलाई निकालने वाली मशीन तो माँ के पास है नहीं तो मलाई और किस की होती , अरविंदवा की ही न , बस,... "
अबकी छुटकी भी हंसी में शामिल हो गयी और गीता ने बात पूरी की
" और ये रोपनी वालियां तार मात इनके आगे, शाम के पहले तक गाँव छोड़ अगल बगल के गाँव में सब को मालूम हो गया था ,ये घर घर जाती है और घर की औरतें जो बेचारी घर से बाहर मुश्किल से निकल पाती हैं इन्ही से कुछ किस्से,.... और कुँवारी लड़की अपने भाई से फंसी, फिर तो,...मिर्च मसाला लगा लगा के ,.. और ये रोपनी वालियां खाली मेरे गाँव की तो थी नहीं तो सब अपने गाँव में और जिस गाँव में रोपनी करने गयीं वहां भी , तो चार पांच दिन में गाँव तो छोड़,... आसपास के दस गाँव जवार में, बजार में, सब जगह,... मेरे और भैया के , .. लेकिन एक तरह से अच्छा ही हुआ , भइया की भी झिझक धीरे धीरे खुल गयी
लेकिन छुटकी का दिमाग कहीं और चल रहा रहा था उसे दीदी की सास और नैना की बात आ रही थी की कैसे सास चिढ़ा रही थी नैना को की इस गाँव की कुल लड़कियां भाई चोद होती है और नैना ने भी माना और की गीता और उसका भाई तो एकदम मर्द औरत की तरह रहते हैं,...
गीता चुप हो गयी थी तो छुटकी ने एक नया प्रसंग छेड़ दिया,
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छुटकी ने एक बार फिर बात मोड़ दी, दी फिर कभी भैया का माँ के साथ, किसी रात को,... गितवा खिलखिला के हंसी
" तू भी न पगली कभी एक बार मेरे अरविन्द का खूंटा पकड़ेगी न,... देख के लोग दीवाने हो जाते हैं माँ ने तो अगवाड़े पिछवाड़े दोनों घोंटा था, और रात में बोल रही है तू, रात दिन दोनों टाइम, बल्कि उन दोनों के चक्कर में मैं मैं भी पिसती थी। "
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" देख शक तो सब को था, ... तभी तो मेरे पहुँचते ही सब मेरे भैया का नाम मेरे साथ जोड़ जोड़ के , भैया के सामने ही,... और ऊँगली डालते ही मेरे अगवाड़े पिछवाड़े मलाई बजबजा रही थी , और मैं भैया के साथ घर से ही मुंह अँधेरे आ रही थी , रात अभी भी ख़तम भी नहीं हुयी थी,... और घर में मेरे और माँ के अलावा भैया ही तो था , ... "
" मलाई निकालने वाली मशीन तो माँ के पास है नहीं तो मलाई और किस की होती , अरविंदवा की ही न , बस,... "
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Ufffff अति कामुक



