मैंने निम्नलिखित पंक्तियों में अपने विचार व्यक्त करने का प्रयास किया है। पहली दो पंक्तियाँ भाभी की हैं और अगली दो पंक्तियाँ देवर की हैं। कृपया पढ़ें और इस प्रयास पर अपने विचार व्यक्त करें:
देवर जी ऐसे क्यों रोज़ मुझे ताकते हो
हर रात मेरे कमरे में क्यों झाँकते हो
आफताब से बढ़कर है तुम्हारी सूरत
लगता है तुम कोई अजंता की मूरत
बातो में तुमसे मन नहीं जीत सकती
लेकिन करो ना तुम मुझसे ऐसी मस्ती
देखा है मैंने तुमको ऊंगली करते
मेरे नाम लेके रातो को झरते
नहीं तुम्हारे भैया से अब कोई आस
भुजा नहीं पाते अब वो मेरी प्यास
तेरे महकते बदन को बाहों में भर लूँ
आओ तुम्हें झुका कर में प्यार कर लूं

बात तो करते हो बहुत भारी भारी
लगती नहीं मुझे ठीक नीयत तुम्हारी
है तेरी आँखों का सुरूर इतना
बता मेरे दिल का कसूर कितना
कुसूर इतना है कि तू मदहोश हो बैठा
जोश ही जोश में तू अपने होश खो बैठा
तेरे जिस्म का जिस को मिल जाए नजारा
होश में फिर वो कैसे रह पाए बेचारा
दिन रात कपड़ो में मेरे क्या ढूंढ़ते हो
बता जरा मेरी पैंटी को क्यों सुंघते हो
तुम्हारे बदन की उसमें खुशबू है आती
मेरी सांसो में वो हर रोज है महकाती

सच्चा नहीं तेरा धोखा है प्यार
चढ़ा है तुझे सिर्फ वासना का बुखार
प्यास तेरी बड़ी है प्यास मेरी भी बड़ी
आ मेरे पहलू में दूर मुझसे क्यों खड़ी
नहीं चाहिए मुझे कोई झूठ वादे
खुल के बता क्या है तेरे इरादे
ओ मेरी प्रियतमा ओ मेरी सुहासिनी
चाटना चाहता हूं मैं तेरे बुर की चाशनी
उम्मीद के घोड़े तुम न सरपट भगाओ
जरा पेंट खोलो और लौड़ा दिखाओ