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छुटकी - होली दीदी की ससुराल में भाग १०३ इमरतिया पृष्ठ १०७६
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thanks so muchऔर यही बात आपकी कहानी को अत्यधिक प्रभावशाली बनाती है...
ab aapki bat to main nahi taal sakti naachameliya should be in action creating the magic of phulwa...
आरुषी जी अपनी उपमा आप हैं ,एक अलग कशिश है चित्रों में....
ekdam sahi kaha hai poetry ki spirit ke hisaab seजब तक बच्चेदानी ना भरेगी....
मज़ा तो खुले खेल में ही है और अब कभी भाई बहन गन्ने के खेत में नजर आएंगे तो कभी अमराई मेंएकदम खुला खेल...
कई बार जिस रूपक का मैं प्रयोग कर रही हूँ अगर बहुत स्पष्ट नहीं हों तो उसकी व्याख्या कर देना उचित रहता है. और इसलिए मैंने एक लिंक भी इस गुड़िया की कहानी के लिए दे दिया। यह परम्परा उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में है और गूगल देव भी इसकी पुष्टि करते हैंअरे ये तो आपका सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है....
and here my perception is slightly different. persons like me who are writing stories and attracting traffic should be identified as content user or content creator?Content user has to pay... If you are not payer then its a free service.
However site owner may earn something from Ad revenue.