Shetan
Well-Known Member
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Wah dono maa beti ne lolipop ki rabadi apas me bat li. Superb maza aa gaya.मिल के लॉलीपॉप
पर कुछ देर बाद माँ को दया आ गयी और उन्होंने भैया का मोटा खूंटा मेरी बिल से निकाल के अपने मुंह में और मुझे भी इशारा किया,...
मैं भी था भी जैसे दो सहेलियां मिल के लॉलीपॉप चूसती है , साइड से भैया का लंड चाट रही थीं बेस से लेकर सुपाड़ा तक
लेकिन माँ को लगता है अंदाजा लग गया था बस उसने अरविन्द भैया का लंड मेरे मुंह में एक झटके में ठेल दिया आधा,
बहन की मुंह की गर्मी,... भैया का लंड रबड़ी मलाई निकालने लगा, मेरा गाल फूल गया एक दो बूँद निकल के मेरे होंठों से नीचे और मैंने अब बाकी का माँ के मुंह में,...
. मैं अकेले क्यों खाऊ सब रबड़ी,... माँ के मुंह में भी बाकी थोड़ा बचा और माँ सब गटक गयी, लेकिन अरविन्द भैया डबल शॉट वाले थे और माँ से ज्यादा किसे मालूम होता,... तो जब दुबारा भैया झड़ने वाला था तो माँ ने बाहर निकाल के पिचकारी की तरह सब की सब मलाई पहले मेरी चूँचियों पे फिर चेहरे और बाल पे,...
और फिर हम दोनों माँ बेटी की मस्तीचालू हो गई थी। माँ ने मुझे गले से लगा लिया और मैंने अपने होंठों उनके होंठों से चिपका के, ... मेरा मतलब समझ के उन्होंने खुद चिड़िया की तरह अपने होंठ खोल दिए और मेरे मुंह से गाढ़ी गाढ़ी अरविन्द भैया की रबड़ी मलाई, धीरे धीरे मैंने अपने मुंह से उनके मुंह से सब की सब,...
और वो घोंटती गयी, उनका गाल फूलता गया. फिर मुझसे अलग होके , आँख नचा के उन्होंने भैया की ओर देखा।
अरविन्द भैया तो देख ही रहा था की माँ ने उसकी सब मलाई मेरे मुंह से अपने मुंह में ले ली,...
माँ ने धक्का देकर मुझे अरविन्द भैया के बगल में लिटा दिया और दो उँगलियों से मेरे गाल दबा के,... मेरा मुंह खोल दिया,... और धीरे धीरे बूँद बूँद उनके मुंह से भैया का वीर्य, माँ के थूक से सना लिसड़ा,... मेरे मुंह में, एक धागे की तरह,...
और में मुंह खोल के,... फिर माँ ने जो भी उनके मुंह में बचा खुचा था ऊँगली डाल के निकाल लिया और सब मेरे मुंह पे लपेट दिया। मैंने भी भैया की दिखाते हुए पहले अपने मुंह में भरे हुए उसके वीर्य को दिखाया, फिर होंठ बंद और अगली बार मुंह खुला तो सब गड़प गले के नीचे।
माँ महा खुश, वो मेरे चेहरे और चूँची पे लगी भैया की मलाई को बाकी देह पे मेरे लपेटने लगी और देर तक हम दोनों चुम्मा चाटी करते रहे और ये देख के भैया की हालत और खराब हो रही थी, ' वो ' फिर से सर उठाने लगा था , और मैं और माँ ' उसे ' देख के मुस्करा रहे थे।
छुटकी ने बात काट के पूछा, ' क्या एक बार ही "
गीता जोर से हंसी और बोली, तुम इस गाँव में नहीं आयी हो, अरे इस गाँव में कोई मरद नहीं है जो दो बार से कम,... और दूसरी बार टाइम भी डबल लगता है और जोर भी दूना , "फिर आगे की बात बतायी।
हम लोगों की मस्ती आधे घंटे तक चली और बेचारे अरविन्द भैया की हालत खराब, मोटू बेचारा फिर से सर उठाए, दया तो मुझे भी आ रही थी उसे देख देख के, लेकिन माँ तो माँ होती है , उन्होंने ही मुझे पकड़ के निहुरा दिया और भैया को बोला,
"चल अरविंदवा चढ़, पेल कस के गितवा के फाड़ दे स्साली की गाँड़ बहुत आग लगी है "
मैं निहुरी, भैया ने कस के अपना लंड पेल के चाप दिया मुझे और मैं चीख उठी लेकिन मेरे मन में कुछ और चल रहा था, मेरी ही गलती, मेरे मुँह से निकल गया,
" मेरा अच्छा भैया, पिछवाड़ा नहीं अभी तक छरछरा रहा है सुबह जो स्कूल जाने के पहले तूने मारा था,... "
भैया तो बहन की लेने में मस्त था उसे कुछ फरक नहीं पड़ रहा था डंडे को तो छेद चाहिए,... अंदर बाहर करने को पर माँ गरज उठी, एकदम गुस्से में,
" स्साली कल की लौंडिया तय करेगी की मरद क्या करे,... अगर छरछराने परपराने का ख्याल करे न तो किसी लौंडे की गाँड़ मारी जाए न किसी लौंडिया की,... स्साली तेरे और कितने यार हैं जिनके लिए गाँड़ बचा के रखी है,... होंगे भी तो वो भी बिन मारे नहीं छोड़ेंगे,... चाहे परपराए चाहे छरछराय,... ज्यादा बोलेगी न तो तेरी गाँड़ में, मरवाने के बाद अंजुरी भर मिर्चे के अचार वाला तेल डाल दूंगी, नाचना आंगन में ... पेल बेटा,... "