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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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घोड़ों की बात आपने एकदम सही कही

जब पठान टोली वालियों पर घोड़े दौड़ेंगे,...

कम से कम पांच छ पोस्ट्स तो लगेंगी ही और चीख पुकार भी खूब मचेगी। आखिर सब की तो कुँवारी कोरी कलिया हैं और हैं भी दो दर्जन से ऊपर

शबनम, तमन्ना, शमा, आयशा, मुमताज, जीनत
पहली बार फटने के बाद .. सरपट घोड़े दौड़ने चाहिए..
आगे-पीछे .. ऊपर नीचे सब तरफ...
 

motaalund

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अब तम्बू कनात का सवाल ही नहीं सब कुछ एकदम खुले में

खोल कर, गन्ने का खेत, अरहर का खेत, नदी का किनारा, बगिया में

अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है, ऐसी सुविधा और कहाँ है।
नेचुरल वातावरण.. नेचुरल बिछावन... नेचुरल लुब्रिकेंट..
और नेचुरल चमड़े का डंडा...
मनमोहक... मनभावन...
 

motaalund

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भौजाइयां तो देवर को गौने की रात में देवरानी तक पहुंचाती भर हैं, आगे का कार्यक्रम तो देवर ही करता है।

बस इसी तरह आज भौजाइयों ने मिल के हिना का पर्दा खोला ( पर्दा फाड़ा तो कमल ने ही ) उसे नए मजे का अहसास कराया, फिर सुगना भौजी और गुलबिया मिल के एक दो को और,

उसके बाद तो बाईसपुरवा के लौंडो को भी अंदाजा लग जाएगा की फसल पक कर कट कर तैयार हो रही है, पेड़ में फल पकने लगे हैं बस

कुछ समझा बुझा के, कुछ मना पटा के,... और जो नहीं समझेंगी, मानेंगी उन्हें

मुमताज, जीनत, तमन्ना, शमा सब का नंबर लगेगा।

और हिना तो अब बाईसपुरवा वालों की ही हो गयी , कैसे ये अगले पार्ट में पता चलेगा।


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सचमुच फसल तो झूम रही ... लहलहा रही है..
बस काटने वाले का इंतजार है...
 

motaalund

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ससुर और बहू

Part 1
मेरे ससुर का पति को आया फोन इस रविवार

बहू को जल्दी भेज दो गांव को सासु है बीमार

अनिल को काम के कारण अभी नहीं था जाना

लेकिन मुझे सुबह की ट्रेन से किया गया रवाना


आरुषि जी की नयी कविता की शुरुआत पृष्ठ ११९५ पर ( जोरू का गुलाम में )


जरूर पढ़ें
साथ में ससुर की बीमारी का भी इलाज...
 

motaalund

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फागुन के दिन चार -महागाथा

पहला भाग पोस्ट हो गया।


फागुन के दिन चार भाग 1

फागुन की फगुनाहट
update posted, please do read, enjoy, like and post your comments.
holi-image-3-big.jpg

Liked the modification rather filling up the gaps.
 

motaalund

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बसंत पंचमी की शुभकामनाएं



बसंत का दिन हो और मन्मथ का जिक्र न हो, फूलों का जिक्र न हो

मदन के पांच शर फूलों के ही तो थे, अशोक, अरविन्द ( श्वेत कमल ), निलोत्प्ल ( नील कमल ) नवमल्लिका (चमेली) और आम्र मंजरी और धनुष गन्ने का बना हुआ।

लेकिन जब कंदर्प भस्म हुए, उनका उनका रत्नमय धनुष टूटकर खंड-खंड हो धरती पर गिर गया। जहाँ मूठ थी, वह स्थान रुक्म-मणि से बना था, वह टूटकर धरती पर गिरा और चंपे का फूल बन गया!

हीरे का बना हुआ जो नाह-स्थान था, वह टूटकर गिरा और मौलसिरी के मनोहर पुष्पों में बदल गया!

इंद्रनील मणियों का बना हुआ कोटि देश भी टूट गया और सुंदर पाटल पुष्पों में परिवर्तित हो गया।

लेकिन सबसे सुंदर बात यह हुई कि चंद्रकांत-मणियों का बना हुआ मध्य देश टूटकर चमेली बन गया और विद्रुम की बनी निम्नतर कोटि बेला बन गई, स्वर्ग को जीतनेवाला कठोर धनुष, जो धरती पर गिरा तो कोमल फूलों में बदल गया!


संहार में सृजन का इससे अच्छा उदाहरण क्या मिलेगा, खुद नष्ट होकर जहाँ एक आयुध भी फूलों की रचना करता है।

वह देह विहीन हो कर भी हर विवाह मंडप में अपने वाहन शुक के रूप में नव वर वधू के मन में कामना का संचार करता है, उनका वंश अक्षुण रहे, मानव जाति बनी रहे, इसका वर, वर वधू को देते हैं।

उन मन्मथ और रति की कृपा इस कथा यात्रा पर हो और इस कथा के सह यात्रियों पर भी ,

सभी पाठक मित्र, उनके प्रियजन, परिजन पर उनके अक्षुण आशीष की वर्षा हो


Mango-Baur-esy-005382606.jpg




बसंत पंचमी की शुभकामनाये



Holi-palash-2-images.jpg




फागुन के दिन चार -पहला भाग पोस्टेड

Champa-Nature-Rabbit-Plumeria-Yellow-Plant.jpg




Marigold-licensed-image.jpg
फूलों के इस मौसम में आपकी कविता और सुंदर फूलों के नजारे ने मन प्रफुल्लित कर दिया...
 

motaalund

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फुलवा मस्त है, बच्चा भी बड़ा हो रहा है। हो सकेगा तो इस कहानी में फिर एक बार उससे मुलाकात करवाउंगी।
फुलवा का फूल आखिर खिल हीं गया...
 

motaalund

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शमा के लिए कुछ पेशल इंतजाम होगा, कोरी है और तीखी हरी मिर्च , और मिर्च कितनी भी तीखी हो कुतरी तो जाती ही है।
इधर शी..शी करके चखा जाएगा और उधर आह्ह्ह.. उह्ह्ह करके चखवाएगी....
 

motaalund

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टसुए बहने के डर से, चीख पुकार से पीछे हट के अगर लौंडे रुक गए न ,

अरे जब खून खच्चर होने से भी ठेलने वाला नहीं रुकता तो ,

एकदम सही कहा आपने कुछ रीझ के कुछ रिझा के और बाकी जो भी बचीं उनके साथ,...
और बाद में दोनों को मजा आता है.....
 
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