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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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arushi_dayal

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Part 5

एक दिन बोली सासु बाबूजी को बहू को गांव घुमाओ

बहू को ले जा कर साथ में जरा अपना खेत दिखाओ

निकल पड़ी फिर घर से बाबूजी के संग मैं होकर त्यार

बड़े बड़े चूचो पे कसी सी कुर्ती और झीनी सी सलवार

आगे-आगे को मैं चलने लगी खेतो की पतली माँड पे

पीछे चलते ससुर जी की नज़र टिकी थी मेरी गांड पे

एक बार जब देखा झट से से मैंने मुड़कर पीछे थोड़ा

ससुर जी देख मेरी गांड को अपना मसल रहे थे लौड़ा

उनको देख मसलते हुए लंड मैं मंद-मंद सी मुस्कायी

मुझे यकीन था अब जल्दी ही होगी मेरी दमदार चुदाई

चलते चलते खेत की पगडंडी पे मैं गई जरा फिसल

और गिरने के डर के मारे मेरे मुँह से चीख गयी निकल

झट से थाम लिया बाबूजी ने मुझे डाल कमर में हाथ

बड़ी चतुराई से सटा दिया था लौड़ा मेरी गांड के साथ

थाम के मुझको बाबूजी लौड़े का एहसास लगे कराने

रगड़ के अपना लौड़ा बाबूजी मेरी आग लगे बड़काने

बाबू जी संग चलते-चलते एक गन्ने का खेत भी आया

खेत में लहराते देख के ताजा गन्ने मेरा मन ललचाय

बाबूजी ये गांव के ताजे गाने मुझको भी एक दिला दो

इन मोटे ताजे गन्नो का इकबार मुझे भी स्वाद चखा दो

गांव के लंबे मोटे गन्नो का बहूरानी होता है बहुत स्वाद

एक बार जो चूस लियावो गन्ना तो हमेशा रखोगी याद

चतुर बड़े बाबू जी एक तो तीर से लगा दिये दो निशाने

सुन के उनकी बात अब मेरी निगोड़ी चुत लगी पनियाने

हर दिन भड़कती ही जा रही थी अब मेरी चूत की गर्मी

मुझे अब कुछ करना होगा दिखानी होगी थोड़ी बेशर्मी

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arushi_dayal

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Part 6A
एक दिन सुबह सासुमाजी जब गई हुई थी मंदिर

बोले ससुर हमारे हमको आते ही घर के अंदर

बिमला को मेरे कमरे में भेज दो जाके तुम बहुरानी

थोड़ा बदन टूट रहा है मुझको मालिश है करवानी

समझा गई थी मैं मालिश के पीछे बाबूजी का राज

शायद फिर से मूड बना है बिमला को चोदेंगे आज

बाबूजी बिमला चाची तो गई है माँ जी संग बाजार

उन दोनों को तो आने में लगेंगे कम से कम घंटे चार

आप कहें तो मैं कर देती हूँ मालिश आपकी आज

लेकिन सासुजी को पता चले ना ये रहे हमेशा राज

तुम क्यों कष्ट करोगी मैं कल बिमला सेकरवा लूंगा

अपने पूरे बदन मैं ऊस से कल ही तेल मलवा लूंगा

बाबूजी मुझे भी दीजिए मौकाकरने का आपकी सेवा

शायद मुझे मिल जाए जो मिलता है बिमला को मेवा

बाबूजी भी खिलाड़ी थे समझ गए थे वो मेरी चतुराई

बहू ने उन्हें देख लिया है बिमला की करते हुए चुदाई

सोच लिया मैंने भी आज बाबूजी को खूब तड़पाऊंगी

ख़ूब उनको तड़पा तड़पा के फिर अपनी चूत मारवाऊंगी

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ले के तेल गरम मैं पहुंची कमरे में बाबूजी के पास

शायद मैं चुद जाउं बाबूजी से ले के मन में ये आस

करने लगी टांगों की मालिश मैं हाथों में ले कर तेल

जान बुझ तेल की शीशी मैंने अपने ऊपर ली उड़ेल

तेल लग गया साड़ी पे तो ये साड़ी हो जाएगी ख़राब

अपनी सासू मां को बहू फिर तुम क्या दोगी जवाब

अगर तुम्हें दिक्कत ना हो तो उतार के रख दो साड़ी

बिना साड़ी के तुम मेरी मालिश रख सकती हो जारी

उतार के रख दी साड़ी फिर मैंने बाबू जी के सिरहाने

मालिश के बहाने मैं झुक 2 के चुचिया लागी दिखाने

बाबूजी मैं थोड़ा सा मुड़ जाती हूँ मालिश होगी अच्छी

मुड़ने से पेटीकोट से मेरी दिखने लगी गुलाबी कच्छी

झीने से पेटीकोट से देख के मेरे मोटे मोटे फेले चुत्तड़

बुरी तरह चलने लगी छुरिया बाबूजीके दिल के ऊपर

बहू बैठ जाओ जाँघों के ऊपर छाती पर मल दो तेल

समझ गई बाबूजी ने अब अपना शुरू कर दिया खेल


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komaalrani

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Part 5

एक दिन बोली सासु बाबूजी को बहू को गांव घुमाओ

बहू को ले जा कर साथ में जरा अपना खेत दिखाओ

निकल पड़ी फिर घर से बाबूजी के संग मैं होकर त्यार

बड़े बड़े चूचो पे कसी सी कुर्ती और झीनी सी सलवार

आगे-आगे को मैं चलने लगी खेतो की पतली माँड पे

पीछे चलते ससुर जी की नज़र टिकी थी मेरी गांड पे

एक बार जब देखा झट से से मैंने मुड़कर पीछे थोड़ा

ससुर जी देख मेरी गांड को अपना मसल रहे थे लौड़ा

उनको देख मसलते हुए लंड मैं मंद-मंद सी मुस्कायी

मुझे यकीन था अब जल्दी ही होगी मेरी दमदार चुदाई

चलते चलते खेत की पगडंडी पे मैं गई जरा फिसल

और गिरने के डर के मारे मेरे मुँह से चीख गयी निकल

झट से थाम लिया बाबूजी ने मुझे डाल कमर में हाथ

बड़ी चतुराई से सटा दिया था लौड़ा मेरी गांड के साथ

थाम के मुझको बाबूजी लौड़े का एहसास लगे कराने

रगड़ के अपना लौड़ा बाबूजी मेरी आग लगे बड़काने

बाबू जी संग चलते-चलते एक गन्ने का खेत भी आया

खेत में लहराते देख के ताजा गन्ने मेरा मन ललचाय

बाबूजी ये गांव के ताजे गाने मुझको भी एक दिला दो

इन मोटे ताजे गन्नो का इकबार मुझे भी स्वाद चखा दो

गांव के लंबे मोटे गन्नो का बहूरानी होता है बहुत स्वाद

एक बार जो चूस लियावो गन्ना तो हमेशा रखोगी याद

चतुर बड़े बाबू जी एक तो तीर से लगा दिये दो निशाने

सुन के उनकी बात अब मेरी निगोड़ी चुत लगी पनियाने

हर दिन भड़कती ही जा रही थी अब मेरी चूत की गर्मी

मुझे अब कुछ करना होगा दिखानी होगी थोड़ी बेशर्मी

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एक विधा को दूसरी विधा में परवर्तित करना बहुत कठिन है लेकिन तब भी आप उस कहानी को जिसकी स्मृति पाठकों के मन में है उसे उसी रूप में बिना कुछ काटे, सभी महत्वपूर्ण चरित्रों के साथ, सभी घटनाओं को जोड़ कर कविता के रूप में चित्रों से संजो कर प्रस्तुत कर रही है जो बहुत ही स्तुत्य है।

इस भाग में कंचन और ससुर के बीच कम होती दूरियां, गांव का माहौल, गन्ने का खेत और कंचन के मन में होती उथलपुथल को जिस तरह से अपने दिखाया वो आप ही क्र सकती थीं

और चित्र विशेष रूप अंतिम, जस्ट गजब

कल का दिन मेरे फागुन के दिन चार का भाग २ पोस्ट करने में लग गया इसलिए कमेंट में थोड़ी देर हुयी।
 

komaalrani

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Hearty Congrats Madam...shows the popularity of your story(ies)... :)
Great going and lage raho!!
komaalrani
Thanks so much. Your support, regular comments and appreciation have brought this story to this stage. you are a pillar of support. No words of thanks are enough.

Thank U Reaction GIF by Amanda
Food Love GIF by Alex Trimpe
 

komaalrani

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komaalrani

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अब तो कोचिंग के लडकों का हँस के झेल लेगी...
abhi to Guddi rani ki tripling bhi hogi, aur kayi baar doubling, ... party ki taiyaari
 

arushi_dayal

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Part 6A
एक दिन सुबह सासुमाजी जब गई हुई थी मंदिर

बोले ससुर हमारे हमको आते ही घर के अंदर

बिमला को मेरे कमरे में भेज दो जाके तुम बहुरानी

थोड़ा बदन टूट रहा है मुझको मालिश है करवानी

समझा गई थी मैं मालिश के पीछे बाबूजी का राज

शायद फिर से मूड बना है बिमला को चोदेंगे आज

बाबूजी बिमला चाची तो गई है माँ जी संग बाजार

उन दोनों को तो आने में लगेंगे कम से कम घंटे चार

आप कहें तो मैं कर देती हूँ मालिश आपकी आज

लेकिन सासुजी को पता चले ना ये रहे हमेशा राज

तुम क्यों कष्ट करोगी मैं कल बिमला सेकरवा लूंगा

अपने पूरे बदन मैं ऊस से कल ही तेल मलवा लूंगा

बाबूजी मुझे भी दीजिए मौकाकरने का आपकी सेवा

शायद मुझे मिल जाए जो मिलता है बिमला को मेवा

बाबूजी भी खिलाड़ी थे समझ गए थे वो मेरी चतुराई

बहू ने उन्हें देख लिया है बिमला की करते हुए चुदाई

सोच लिया मैंने भी आज बाबूजी को खूब तड़पाऊंगी

ख़ूब उनको तड़पा तड़पा के फिर अपनी चूत मारवाऊंगी

IMG-0813 IMG-0811 IMG-0752 IMG-0718 IMG-0675

ले के तेल गरम मैं पहुंची कमरे में बाबूजी के पास

शायद मैं चुद जाउं बाबूजी से ले के मन में ये आस

करने लगी टांगों की मालिश मैं हाथों में ले कर तेल

जान बुझ तेल की शीशी मैंने अपने ऊपर ली उड़ेल

तेल लग गया साड़ी पे तो ये साड़ी हो जाएगी ख़राब

अपनी सासू मां को बहू फिर तुम क्या दोगी जवाब

अगर तुम्हें दिक्कत ना हो तो उतार के रख दो साड़ी

बिना साड़ी के तुम मेरी मालिश रख सकती हो जारी

उतार के रख दी साड़ी फिर मैंने बाबू जी के सिरहाने

मालिश के बहाने मैं झुक 2 के चुचिया लागी दिखाने

बाबूजी मैं थोड़ा सा मुड़ जाती हूँ मालिश होगी अच्छी

मुड़ने से पेटीकोट से मेरी दिखने लगी गुलाबी कच्छी

झीने से पेटीकोट से देख के मेरे मोटे मोटे फेले चुत्तड़

बुरी तरह चलने लगी छुरिया बाबूजीके दिल के ऊपर

बहू बैठ जाओ जाँघों के ऊपर छाती पर मल दो तेल

समझ गई बाबूजी ने अब अपना शुरू कर दिया खेल


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Part 6 c
बहुरानी तुमने भगवान से सच मे इतनी सुन्दरता पाई

जरा बताओ कोलज में तुमने कितनी की नींद उड़ाई

घूमते थे पीछे काफी लड़के लेकर मन में कुछ आस

हमने कभी किसी लड़के को नहीं डाली जरा भी घास

बहूरानी मेरा बेटा बिस्तर में तुझे क्या पूरा सुख है देता

एक पूरे हफ्ते में वो तेरी यह चूत कितनी बार है लेता

बाबूजी ये सब मत पूछिए हमसे हम कैसे कह पायेंगे

ऐसी बातें आप से करेंगे तो हम शर्म से ही मर जायेंगे

बहू रानी तुम मेरी बेटी जैसी हो फिर हमसे कैसी शर्म

अपनी बहू का दुख दर्द समझना हमारा है परम धरम

बाबूजी वो जब भी मांगे चूत मेरी मैं नहीं करती इंकार

लेकिन मेरी चूत तो एक हफ्ते में वो लेते हैं एक ही बार

बहू हमारा बेटा है नालायक और वो बिल्कुल है बेकार

तुम्हारी जैसी बीवी मुझे मिले तो तुझे लन पे रखु सवार

तेरी उम्र में तो बहू हर औरत में होती है भरपुर चुदासी

एक बार ही चुदने में तो तुम रह ही जाती होगी प्यासी

बहू तुम्हारी मालिश से आज हमें मिला है बहुत आराम

कहना था कुछ और भी तुमसे अगर कर पायो वो काम

अगर बुरा ना लगे तुम्हें तो जरासा और ऊपर को आओ

और खोल के लंगोट हमारा जरा वहां भी तेल लगाओ

जिसका था इंतज़ार मुझे कब से घड़ी आज वो आई

मेरी चूत को फाड़ेगा जो लंड आज देगा मुझे दिखाई

लंड और चूत की भाषा हम दोनों खुल के रहें थे बोल

इतने मे खुद मैंने ही उनके लंगोट की गाँठ दी खोल

लंगोट के फिर अंदर जो देखा मैंने देख के मैं चिल्लाई

गधे के जैसा ससुर का देख के लौड़ा मैं सच में घबराई

जिसकी चूत में बाबूजी ये अपना मोटा लौड़ा धक देंगे

चुदी चुदायी चुत को भी ये फिर से फाड़ के रख देंगे

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komaalrani

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छुटकी -होली दीदी की ससुराल में -

भाग ७९ -हिना और दूबे भाभी

अपडेट पोस्टेड

कृपया पढ़ें, आनंद लें और लाइक करें कमेंट करें
 

Sutradhar

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एक विधा को दूसरी विधा में परवर्तित करना बहुत कठिन है लेकिन तब भी आप उस कहानी को जिसकी स्मृति पाठकों के मन में है उसे उसी रूप में बिना कुछ काटे, सभी महत्वपूर्ण चरित्रों के साथ, सभी घटनाओं को जोड़ कर कविता के रूप में चित्रों से संजो कर प्रस्तुत कर रही है जो बहुत ही स्तुत्य है।

इस भाग में कंचन और ससुर के बीच कम होती दूरियां, गांव का माहौल, गन्ने का खेत और कंचन के मन में होती उथलपुथल को जिस तरह से अपने दिखाया वो आप ही क्र सकती थीं

और चित्र विशेष रूप अंतिम, जस्ट गजब

कल का दिन मेरे फागुन के दिन चार का भाग २ पोस्ट करने में लग गया इसलिए कमेंट में थोड़ी देर हुयी।
Yes this is "Word War" between Arushi Ma'am and "Komal Ma'am.

:tongue: :tongue::tongue:

Regards
 
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