Part 6A
एक दिन सुबह सासुमाजी जब गई हुई थी मंदिर
बोले ससुर हमारे हमको आते ही घर के अंदर
बिमला को मेरे कमरे में भेज दो जाके तुम बहुरानी
थोड़ा बदन टूट रहा है मुझको मालिश है करवानी
समझा गई थी मैं मालिश के पीछे बाबूजी का राज
शायद फिर से मूड बना है बिमला को चोदेंगे आज
बाबूजी बिमला चाची तो गई है माँ जी संग बाजार
उन दोनों को तो आने में लगेंगे कम से कम घंटे चार
आप कहें तो मैं कर देती हूँ मालिश आपकी आज
लेकिन सासुजी को पता चले ना ये रहे हमेशा राज
तुम क्यों कष्ट करोगी मैं कल बिमला सेकरवा लूंगा
अपने पूरे बदन मैं ऊस से कल ही तेल मलवा लूंगा
बाबूजी मुझे भी दीजिए मौकाकरने का आपकी सेवा
शायद मुझे मिल जाए जो मिलता है बिमला को मेवा
बाबूजी भी खिलाड़ी थे समझ गए थे वो मेरी चतुराई
बहू ने उन्हें देख लिया है बिमला की करते हुए चुदाई
सोच लिया मैंने भी आज बाबूजी को खूब तड़पाऊंगी
ख़ूब उनको तड़पा तड़पा के फिर अपनी चूत मारवाऊंगी
ले के तेल गरम मैं पहुंची कमरे में बाबूजी के पास
शायद मैं चुद जाउं बाबूजी से ले के मन में ये आस
करने लगी टांगों की मालिश मैं हाथों में ले कर तेल
जान बुझ तेल की शीशी मैंने अपने ऊपर ली उड़ेल
तेल लग गया साड़ी पे तो ये साड़ी हो जाएगी ख़राब
अपनी सासू मां को बहू फिर तुम क्या दोगी जवाब
अगर तुम्हें दिक्कत ना हो तो उतार के रख दो साड़ी
बिना साड़ी के तुम मेरी मालिश रख सकती हो जारी
उतार के रख दी साड़ी फिर मैंने बाबू जी के सिरहाने
मालिश के बहाने मैं झुक 2 के चुचिया लागी दिखाने
बाबूजी मैं थोड़ा सा मुड़ जाती हूँ मालिश होगी अच्छी
मुड़ने से पेटीकोट से मेरी दिखने लगी गुलाबी कच्छी
झीने से पेटीकोट से देख के मेरे मोटे मोटे फेले चुत्तड़
बुरी तरह चलने लगी छुरिया बाबूजीके दिल के ऊपर
बहू बैठ जाओ जाँघों के ऊपर छाती पर मल दो तेल
समझ गई बाबूजी ने अब अपना शुरू कर दिया खेल
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