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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९६

ननद की सास, और सास का प्लान

Page 1005,


please read, enjoy and comment. your support is requested
 
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motaalund

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पोस्ट करनी मैंने शुरू कर दी है और हफ्ते का गैप पाठको का ध्यान रख के

कई बार सारी पोस्टों को पढ़ने के लिए उन्हें भी तो टाइम लगता है, फिर तीन कहानियां सब में अगर महीने में तीन तीन पोस्ट भी आ पायीं तो ९ पोस्ट्स

यानी एक हफ्ते में दो से ज्यादा,

कांटेट का जहां तक सवाल है जोरू का गुलाम की पिछली पोस्ट ९, ००० शब्दों की थी।

और फागुन के दिन चार में मैंने सोचा कॉपी पेस्ट से काम चल जाएगा, ... लेकिन उसमे भी काफी रफ़ूगीरी करनी पड़ रही है, पहला भाग तो मैंने पोस्ट कर दिया अब देखिये व्यूज और कमेंट्स कैसे आते हैं।
रफुगिरी में कहानी के बाकी दृश्यों से तालमेल बनाने ज्यादा मेहनत और ध्यान रखना पड़ता है...
आपका ये करिश्मा एक बार नहीं.. कई बार फागुन के दिन चार में देखने को मिल रहा है...
 

motaalund

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उम्मीद पे दुनिया कायम है।

मेरी उम्मीद है की कुछ नए पाठक भी आएं, कुछ उनमे से कमेंट करने वाले भी आएं

आखिर उम्मीद करने पे क्या जाता है , नाउम्मीदी ही तो मिलती है बस।
धीरे-धीरे लोग जुड़ रहे हैं....
 

motaalund

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कामुक कहानियों में कोई हीरो नही होता, सर्वाधिक ताकत (बुर, चूंची, गांड़, होंठ) महिला के पास होती है । इसमें चूत ही हीरो है, हीरोइन है, विलेन है। बाकी सारे किरदार चूत के पूरक हैं । कोई उसे मारना चाहता है, कोई उसे रगड़ना चाहता है, कोई चूसना चाहता है, कोई सहलाना चाहता है यानी केंद्र में वही है। वैसे भी कहानी की पृष्ठभूमि ग्रामीण है । और ग्रामीण महिलाओं की बातचीत/किस्से/ कहानी इसी तरह होते हैं शुरू कहीं से होते हैं और खत्म कहीं होते हैं। आपके कहे अनुसार लेखक कहानी लिखे तो बोरियत के सिवा कुछ नही होगा वही घिसी पिटी कहानी बनेगी एक बड़े और मोटे लंड का हीरो है वही सबकी चूत मार रहा है। ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं। किंतु यह कहानी विपरीत दिशा में चल रही है जिसमे एक से अधिक चूत हैं और एक से अधिक लौड़े के इंतजाम हैं । मस्त कहानी चल रही है आनंद लो ।
Well explained.
However I do not think he is not going to listen...
 

motaalund

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फागुन के दिन चार भाग २

रस बनारस का - चंदा भाभी

एक दस हजार से अधिक शब्दों वाला मेगा अपडेट

बहुत से नए प्रसंग


कृपया पढ़ें, आनंद ले , लाइक करे और कमेंट करे

फागुन के दिन चार भाग २

रस बनारस का - चंदा भाभी




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ब तक वहां एक महिला आई क्या चीज थी। गुड्डी ने बताया की वो चन्दा भाभी हैं। वह भी भाभी यानी गुड्डी की मम्मी की ही उम्र की होंगी, लेकिन दीर्घ नितंबा, सीना भी 38डी से तो किसी हालत में कम नहीं होगा लेकिन एकदम कसा कड़ा। मैं तो देखता ही रह गया। मस्त माल और ऊपर से भी ब्लाउज़ भी उन्होंने एकदम लो-कट पहन रखा था।


मेरी ओर उन्होंने सवाल भरी निगाहों से देखा।
भाभी ने हँसकर कहा अरे बिन्नो के देवर, अभी आयें हैं और अभी कह रहे हैं की जायेंगे। मजाक में भाभी की भाभी सच में उनकी भाभी थी और जब भी मैं भैया की ससुराल जाता था, जिस तरह से गालियों से मेरा स्वागत होता था और मैं थोड़ा शर्माता था इसलिए और ज्यादा। लेकिन चन्दा भाभी ने और जोड़ा-

“अरे तब तो हम लोगों के डबल देवर हुए तो फिर होली में देवर ऐसे सूखे सूखे चले जाएं ससुराल से ये तो सख्त नाइंसाफी है।


२. गुझिया


३, आनंद की बहिनी बिके कोई ले लो.

४. मिर्ची---“चल मेरे घोड़े चने के खेत में

५. थोड़ा सा फ्लैश बैक---गुड्डी और भाभी ( गुड्डी की मम्मी )

६. यादों की झुरमुट से--- गुड्डी

७. रसगुल्ला

८. भाभी, गुड्डी और भांग की गुझिया

९ शलवार सूट

updates posted, please read, enjoy, like and comment.
इसमें भी तीन अपडेट से ज्यादा नया कंटेंट पढ़ने को मिला...
 

motaalund

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अरे रेनू -कमल का भाई बहिन का रिश्ता है, मरद मेहरारू की तरह रहेंगे तो कोई भी छेद क्यों छोड़े।
इतने दिन की कमी जो पूरी करनी है... दोनों को मिलकर...
 

motaalund

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अच्छी लड़की है एक बार मजा मिल गया तो उस मजे को अपनी सहेलियों को भी बाँट रही है और जो सीधे से नहीं लेंगी उनसे थोड़ी बहुत जबरदस्ती भी। आखिर यही सब लड़कियां रेनू का बहाना बना के कमल से दूर दूर रहती थीं ,
बहाना भी गया... और खुशियां मिल बांट कर राजी खुशी करने पर आनंद कई गुना बढ़ जाता है...
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने।

एक पंथ दो नहीं कई काज,... चंदा के पिछवाड़े के पथ पर कमल ने जो एंट्री मारी है,

सुगना भौजी की जिम्मेदारी है हिना, एक बार उसको दिखा के ललचा के गरमा के पूरे बाइस पुरवा में नम्बर १ बनाना है

और उसके बाद हिना के सहारे सब पठानटोली वालियों का, खुलेगा ... पहले बुरका, फिर नाड़ा
और सिर्फ हिना ही नहीं सब पठानटोली वाली चंदा का नंबर डकायेंगी , रोज लंगर आते जाओ पाते जाओ
फिर पिछवाड़े का बाजा बजेगा...
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने

वैसे तो सब भौजाइयां ननदों को समझाती हैं, करवा ले बड़ा मजा मिलता है

लेकिन सामने देखने की बात और है वो भी एक समौरिया लड़की, न सिर्फ घोंट रही है बल्कि खुद धक्के मार रही है, उसके चेहरे की ख़ुशी, देह की मस्ती, सब इन्फेक्शस होती हैं और हिना सोच रही है अगर चंदा कर सकती है तो मैं क्यों नहीं, और एक बार हिना चालू हो गयी तो कल,

मुमताज़, ज़ीनत, आयशा, तमन्ना, शमा और शबनम भी कहेंगी

हिना कर सकती है तो मैं क्यों नहीं, वही क्यों अकेले अकेले मजा ले,... और सुगना भौजी हैं न जैसे अभी हिना को गरमा रही हैं एक एक करके बाकी पठानटोली वालियों को भी रस्ते पे ले आएँगी।
ये खुशी contiguous है....
 
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