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फागुन के दिन चार भाग ३६, पृष्ठ ४१६
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आपने एक लाइन में वो बात कह दी जिसके लिए मैंने पूरी पोस्ट लगा दी और यह होती है एक अच्छे समीक्षक की पहचान, वह सीधे मुख्य बिंदु तक पहुँच जाता है" अनाड़ी बना खिलाड़ी "
नो डाऊट , आनंद भाई साहब ने कामसूत्र के कई कलाओं का प्रयोग चंदा भाभी पर आजमाया । यह विश्वास करना कठीन था कि अपने प्रथम सेक्सुअल एनकाउंटर मे इन्होने चंदा भाभी जैसी मैच्योर एवं काम - देवी को चारो खाने चित्त कर दिया ।
इस काम क्रीड़ा खेल मे चंदा भाभी ने भले ही शुरुआत मे बागडोर अपने हाथ मे ले रखा था लेकिन उसके बाद जिस तरह से आनंद साहब ने इस सेक्सुअल क्रीड़ा का कमान उनके हाथों से छीनकर अपने हाथों मे लिया और उन्हें कई - कई बार चरम सुख के द्वार तक पहुंचाया वह वास्तव मे अविश्वसनीय था ।
फाॅरविडेन सेक्स और वाइफ - हसबैंड के पारम्परिक सेक्स मे प्रमुख अंतर ही यही होता है कि फाॅरविडेन सेक्स कामुकता और उतेजना के एहसास की हदें पार करवा देता है । यहां फोरप्ले के साथ साथ रोलप्ले की सम्भावना अधिक हो जाती है । अधिकांश हसबैंड वाइफ इस वजह से यह सब नही कर पाते है क्योंकि उन्हें लगता है यह सब करने से उनकी गलत छबी न बन जाए । उनका पार्टनर उसे बदचलन न समझ ले ।
इस खेल की सबसे बड़ी बाधा है झिझक टूटना । एक बार झिझक टूटा फिर चाहे लड़का हो या लड़की दिल - जिगर - गुर्दा सबकुछ मजबूत होना शुरू हो जाता है । आनंद साहब की झिझक टूट चुकी है । पहला किला फतह कर लिया है । शायद अब साहब के जलवे ही जलवे होंगे ।
बहुत ही बेहतरीन अपडेट कोमल जी । इरोटिक वर्णन करने मे , होली के अवसर पर नायक - नायिका के सेक्सुअल एनकाउंटर एवं उत्तेजक संवाद लिखने मे आपका कोई सानी नही ।
परफेक्ट रियलिस्टिक अंदाज मे लिखती है आप ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड टू टू हाॅट अपडेट ।
छन्दा या चंदा भाभी
बहुत बहुत धन्यवादकोमल जी मज़ा तो हमे आता है आपकी लौड़े का माल झड़वाने वाली कहानी पढ़कर ।
चंदा भाभी की गदरायी गाँड़ की पेलवाई का भी मज़ा दिलाइये।पता तो चले भाभी की गाँड़ का छल्ला खुला हुआ है या टाइट।
रांड औरत को दारू पिला के चोदने का अलग मज़ा होता है । अगर तरीके से गाँड़ को रेडी कर के सुपाड़ा पेला जाए तो छल्ला खुलते ही पूरा लौड़ा गप्प से अंदर । और अगर भोसड़े के दाने को घिसते हुए गाँड़ की रगड़ के चुदाई की जाए तो थोड़ी देर में भोसड़ा भी पानी छोड़ देता है । अपने जाती अनुभव से कह रहा हूँ । जन्नत कहीं है तो यही है ।
Kal pakka
Sure, I will also try to suggest my ideaAage padhiye aur maja aayega about 30 to 40% content is new with more focus of romance and erotica. I am wishing and hoping to see more of your comments on this story too. Thanks again.
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Thanks so much for the nice comments and now we will see in the next part to what extent the teaching of Night School of Chanda Bhabhi has influenced Aanand babu. A day will dawn with more teasing of Phagun of Sasural that too of Banaras.Yes.. Pathsala continues. in full swing.
Anand babu gifted his cherry in "Gurudakshina ".
A new Anand babu in making ..rouged in sexual appeal.
Teenage anxieties and shyness towards opposite sex is a different feel... Like "Log kya kahenge".And once opened up.. THEN..❤❤❤.
As usual it's all of dearest mam..![]()
Very Good Morning Komal....Will look forward to the update...Thanks.Thanks so much for the nice comments and now we will see in the next part to what extent the teaching of Night School of Chanda Bhabhi has influenced Aanand babu. A day will dawn with more teasing of Phagun of Sasural that too of Banaras.
Next part Today, Guddi, Good Morning.