ऐसे ही रोज़ कुमुद मुझे ले कर जाते और एग्जाम दिलवा कर वापस ले कर आते। मेरे एग्जाम बिना गैप हुए एक हफ्ता चले।
एग्जाम के लास्ट दिन कुमुद ने मेरे क्लास न करके घर से पढ़ने के लिए एप्लीकेशन दी और हम घर के लिए निकल गए। जब हम वापस घर आए तो घर पर भीड़ लगी थी किन्नरों की। वो लोग पापा मम्मी से मुझे साथ ले जाने के लिए बोल रहे थे। मम्मी रो रहीं थीं और पापा उन्हें समझाने में लगे हुए थे। मेरे पहुंचते ही वो लोग मुझे पकड़ने लगे तो पापा ने उन्हें रोक के मुझे अंदर कमरे में जाने को बोला।
पापा - बेटा तुम अंदर जाओ (कुमुद से) कुमुद बेटा इसे ले कर जाओ कमरे में।
कुमुद मुझे कमरे में ले गए मैं इस सब से बहुत डर गई थी तो मुझे सिबरिंग होने लगी। मैं कांपने लगी थी और कुमुद को कसके पकड़े हुई थी। बाहर पापा ने अनलोगों से क्या कहा, क्या हुआ मुझे उस टाइम कुछ पता नहीं था। जब कुछ देर बाद मम्मी पापा जब कमरे में आए तब लगा कि सब ठीक है।
पापा - (मेरा सर सहलाते हुए) कुछ नहीं हुआ है बेटा सब ठीक है आप परेशान न हो। मैं हूं ना कुछ नहीं होगा, कोई कुछ नहीं कर सकता।(फिर सब से) ये बात वहां तक पहुंची कैसे तुम लोगों में से किसी ने बाहर बोला है इस बारे में।
मम्मी - नहीं अभी हम में से कोई बाहर भी नहीं गया किसी से मिलने।
पापा - फिर ये खबर बाहर कैसे गई।
मम्मी - कहीं ऐसा तो नहीं कि सुशीला ने किसी को बोला हो उसी को पता है बाहर।
पापा - उसको फोन करो, उसे बुलाओ यहां।
मम्मी - जी
फिर मम्मी सुशीला आंटी को फोन करने लगती हैं।
कुमुद - वो सब तो ठीक है पापा लेकिन ये लोग माने कैसे?
पापा - पहले तो हम लोग सिर्फ बात को दबाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन फिर जब तुम लोग आ गए और इसके वो सब देख के वो तो और जबरदस्ती करने लगे तब हमने उन्हें सारी सिचुएशन बताई और ये भी बोला कि मेडिसिन चल रही हैं इसके पास लड़कियों की बच्चेदानी भी है। ये भी बोला कि अगर मेडिसिन काम नहीं करेंगी तो हम इसका सेक्स चेंज करवा देंगे हम इसके साथ हैं। जो इसका फैसला होगा हम साथ देंगे। फिर पता नहीं क्या सोंचा उन लोगों ने और हमें दुआ दे कर गए हैं कि हमारा अच्छा ही हो।
अभी पापा के शांत ही हुए थे कि मम्मी ने सुशीला आंटी का आने का बोला
मम्मी - सुशीला से बात हो गई है वो आ रही है।
हम सब सुशीला आंटी का इंतज़ार करने लगे। करीब 10 मिनट बाद सुशीला आंटी आ गईं।
पापा - सुशीला जो मैं पूछूं उसका सच सच जवाब देना।
सुशीला आंटी - क्या बात है भाई साहब ऐसे क्यों बोल रहे हो। जो पूछना है पूछ सकते हैं।
पापा - क्या तुमने अरिंदम के बारे में उसकी प्रोब्लम के बारे में किन्नर लोगों को बताया था??
सुशीला आंटी - कैसी बात कर रहे हो भाई साहब अरिंदम मेरे बेटे समान है। आपको पता ही है कि मेरे पति बहुत जल्द मर गए थे और मेरे कोई बच्चे भी नहीं थे तब सिर्फ अरिंदम की वजह से मैं संभल पाई थी। मैने अरिंदम की वजह से सब कुछ भूल गई थी कि मेरे पति अब नहीं रहे या मेरे कोई बच्चे नहीं हैं। मैं तो बस इसी को लिए रहती थी। और आप बोल रहे हैं कि मैने इसकी प्रोब्लम को उन लोगों को बताया। आप ने ये क्यों नहीं सोंचा मेरा इसमें क्या फायदा, मेरा तो नुकसान हो जायेगा क्योंकि मैं सिर्फ इसी की वजह से ही जी रही हूं अभी तक।
सुशीला आंटी की ये बातें सुन के हम लोग चुप हो गए थे क्योंकि इसके बाद हमारे पास कुछ बोलने के लिए बचा ही नहीं था।
पापा - सुशीला देखो हम माफी मांगते हैं कि हमने तुम पे शक किया लेकिन बात अभी भी वही है कि अगर तुमने नहीं बताया तो फिर किसने बताया।
मम्मी - सुशीला तुम पर मुझे भरोसा है कि तुम ऐसा नहीं करोगी।
कुमुद - अब जाने दीजिए जो हुआ उसके बारे में सोचने से क्या फायदा बस हमें इतना करना है कि अब हमें सतर्कता बरतनी होगी। वैसे मैने अरिंदम के स्कूल में एप्लीकेशन दे दी है। स्कूल बालों ने इसको घर से पढ़ाई करने के लिए परमिशन दे दी है।
अभी कुमुद बता ही रहे थे कि मेरे पेट में दर्द होने लगा। मैं दर्द से तड़पने लगी तो सब परेशान हो गए। और डॉक्टर को बुलाने के लिए फोन करने लगे। और कुमुद मुझे पैन किलर इंजेक्शन देने के लिए मेडिसिन बॉक्स लेने गए।
सुशीला आंटी - (मेरा सर सहलाते हुए) क्या हुआ बेटा एकदम अचानक से दर्द क्यों होने लगा।
मैं - (दर्द में तड़पते हुए) आंटी ऐसा तो हर महीने इसी डेट पे होता है।
मेरी ये बात सुनते ही सब को जैसे कुछ समझ आ गया था वो सब एक दूसरे को देखने लगे।
मम्मी तुरन्त किचन में कुछ करने गईं और कुमुद ने मुंबई हॉस्पिटल में मेरी डॉक्टर को ये बात बताई।
कुमुद - डॉक्टर मैं कुमुद बोल रहा हूं।
डॉक्टर - जी बोलिए।
कुमुद - मैम बात ऐसी है कि अरिंदम के पेट में दर्द होने लगा है, और उसने ये बताया है कि ये उसको हर मंथ सेम डेट को होता है।
डॉक्टर - कुमुद तुम भी मेडिकल स्टूडेंट हो तो इतना तो तुम भी समझ ही गए होगे कि ये मेंस्ट्रूअल साइकिल का दर्द है।
कुमुद - जी वो तो मैं समझ गया था लेकिन मुझे अभी भी ये समझ नहीं आ रहा है कि अगर ये मेंस्ट्रूअल साइकिल है तो ब्लड कहां से आता होगा।
डॉक्टर - आप लोगों को बताया था कि उसका पेनिस और वेजाइना जुड़ी हुई हैं तो उसके पेनिस से ब्लड आता होगा। ये आप कन्फर्म कर सकते हैं।
कुमुद - एक मिनट। (मुझसे) अरिंदम क्या तुम्हारे पेनिस से ब्लड भी आता है।
मैं - हां कभी कभी।
डॉक्टर - सुन लिया आपने।
कुमुद - डॉक्टर क्या ऐसा नहीं कर सकते कि उसकी वेजाइना open कर दी जाए। क्योंकि जहां तक मुझे पता है पेनिस से ब्लड आने पर इन्फेक्शन हो सकता है।
डॉक्टर - बात तो सही है। एक काम कर सकते हैं आप लोग उसको कल सुबह ले कर आ जाइए हम उसकी वेजाइना ओपन कर देंगे।
कुमुद - OK Doctor. हम कल मिलते हैं।
कुमुद ने फोन कट कर के हमें सब बताया।
मम्मी - पर बेटा अभी के लिए दर्द तो बंद करना पड़ेगा।
कुमुद - मम्मी आप परेशान न हों। मैं डबल डोज पेन किलर लगा दे रहा हूं। 10 मिनट में दर्द बंद हो जाएगा।
पापा - ठीक है फिर हम रात में निकलेंगे और कल सुबह तक पहुंच जायेंगे तो सीधे हॉस्पिटल चलेंगे।
कुमुद - पर रात में ड्राइविंग ठीक रहेगी।
पापा - वो मैं देख लूंगा।
सुशीला आंटी - मैं भी चलूंगी साथ में।
पापा - अरे सुशीला यहां फिर कोई तो होना चाहिए।
सुशीला आंटी - मुझे चलना है बस।
मम्मी - ठीक है जी चलने दीजिए।
सुशीला - मैं जाती हूं तैयारी करने।
ये बोल सुशीला आंटी चली गईं इधर कुमुद ने मुझे इंजेक्शन दे दिया।
मम्मी - हमने कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया। हम लोग तो ये दर्द नॉर्मल समझते थे, हमें तो पता ही नहीं था कि ये माहवारी है। हे भगवान इतने साल से मेरा बच्चा ये झेल रहा है। बस अब मुझे पता चल गया है तो जब होगा तो मैं देख लूंगी।
कुमुद - मम्मी उसके लिए इसकी वेजाइना ओपन भी होनी चाहिए थी। आप क्या कर लेती।
मम्मी - अगर पहले से मालूम होता तो हम इसकी क्या बोलते हो तुम लोग हां वेजाइना ओपन करवा देते तो इतनी दिक्कत नहीं होती ना।
कुमुद - सही बात है।
इंजेक्शन लगाने से थोड़ा पेन कम हुआ तो आराम मिली तो फिर हम लोग तैयारी करने लगे क्योंकि कल से मेरी एक और परीक्षा शुरू होने वाली थी। जिस दर्द को मैं नॉर्मल पेट दर्द या कुछ उल्टा सीधा खा लिया होगा समझती थी वो मेंस्ट्रूअल पेन निकला। अब जब मेरी वेजाइना ओपन हो जायेगी तब मेरी प्रोब्लम और बढ़ जाएगी।
फिर रात 8 बजे हम लोग निकल गए हॉस्पिटल के लिए।