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मैं - क्या हुआ मां ऐसे शॉक क्यों हो गईं। मैं हाफ लड़की तो बन ही गया हूं ना। अब जो है सो है मैं दिखने में लड़की ही लगता हूं। मेरा फेस पर कभी दाढ़ी नहीं आई एक लड़की की तरह, मेरी आवाज़ लड़की से भी पतली है किसी के सामने बोलो तो लड़की ही बोले। मेरे बूब्स अब भी बढ़ रहे हैं, मेरे हिप्स भी बढ़ रहे हैं। मेरी एक सर्जरी कर के हाफ लड़की तो बना ही दिया गया है बस एक ही चीज रह गई है लड़कों बाली वो आप लोग जानते हो। और तो और लड़कियों बाली सारी एक्टिविटी तो सीख ही रहा हूं। खाना बनाना, सिलाई करना, डांस करना, गाना गाना। और क्या चाहिए। यहां तक कि ये तक पता हो गया है कि पीरियड्स के लिए पैड्स, टैमपॉन्स और बजाइनल कप यूज करते हैं। और बच्चे की प्रैक्टिस तो तब होगी जब बच्चे होंगे।
मम्मी - नहीं बेटा मैं इसलिए शॉक नहीं थी मैं तो तुझे खुद को एक्सेप्ट करने से शॉक में थी। तेरी प्रोब्लम ठीक होगी या सब बदल जाएगा उसमे तो समय बाकी है अभी। मैं तो खुश हूं कि अब तू दिल से सीखेगा ये सब। चल मैं तुझे तैयार कर देती हूं जाने के लिए।
मैं - तैयार होने में क्या है इतना तो मैं कर ही सकता हूं ना।
मम्मी - बेटा तू पहली बार एक अलग पहचान के साथ जा रहा है तो थोड़ी मदद तो लगेगी ही।
इतना बोल मम्मी मुझे ले कर रूम में गईं मुझे तैयार करने के लिए।
जब से मेरा घर से बाहर निकलना बंद हुआ था तब से मम्मी ने मुझे जॉगिंग ट्रैक ही पहनने दिए वो भी बिना ब्रा और पैंटी के, पैंटी भी तब पहनती थी जब पीरियड्स होते थे।
आज मम्मी ने मुझे स्पोर्ट्स ब्रा की जगह पैडेड ब्रा पहनने के लिए दी। जब ब्रा पहन रही थी तो पता चला कि इसे बैक साइड हुक करना पड़ता है। इसमें बूब्स के ऊपर ब्रा में एक सॉफ्ट पैड होता है।
आज के दिन एक चीज़ मैने सीखी कि लड़कियों की लाइफ इतनी आसन नहीं होती है। लड़कों का क्या है शर्ट पैंट सैंडो और अंडरवियर। और कभी कभी तो अंडर गारमेंट्स के बिना भी निकल जाते हैं। वहीं लड़कियां बिना अंडर गारमेंट्स के बाहर नहीं निकल सकतीं। उन्हें गर्मी हो या शर्दी उन्हें अंडर गारमेंट्स पहनने ही पहनने होते हैं बाहर जाते टाइम। और ब्रा को भी पहनते टाइम सेट करना पड़ता है।
मम्मी ने ब्रा को कैसे सेट किया जाता है वो सिखाया। मैं जींस टॉप पहन कर रेडी थी। फिर मम्मी ने मेरा मेकअप किया। और हम बाहर आ गए। कुमुद तो मुझे देख कर पागल ही हो गए थे। उनका मुंह मुझे देख कर खुला ही रह गया था मैं बहुत शर्मा रही थी।
मम्मी -(मुस्कुरा कर) अहम अहम। बेटा ये तेरी ही है सारी जिंदगी के लिए तो आराम से देख लेना। हां। अभी सिलेंडर का काम कर लो वरना अब भी नहीं मिलेगा।
कुमुद -(हड़बड़ा कर) j...j....जी मम्मी। (फिर थोड़ा मुस्कुरा कर मुझसे) चलो अवंतिका चलें।
फिर हम लोग गैस एजेंसी के लिए निकल गए। वहां पर काफी भीड़ थी आदमियों की लाइन अलग थी जो कि बहुत बड़ी थी और औरतों की लाइन अलग थी जो ज्यादा बड़ी नहीं थी। औरतों की लाइन में शायद 15 औरतें ही थीं। ये देख कर मैं बहुत खुश हो गई और जा कर लग गई लाइन में।
1 घंटे बाद हम घर पर पहुंच गए। और मैं हॉल में जा कर बैठ गई। मम्मी ने हमें पानी दिया पीने को।
मम्मी - बेटा अवंतिका तुमको ऐसे ही रहना है या चेंज करना है। नहीं अगर ऐसे ही रहना है तो कोई बात नहीं।
मैं - चेंज करना है बहुत कसा कसा लग रहा है।
मम्मी - कसा लग रहा है तो क्या हुआ मैं भी तो पहनती हूं। अभी से सीखती रहो अभी समय है आगे अगर ये करोगी तो पता नहीं कुमुद को कैसा लगेगा कि हमने तुम्हें सही से सब कुछ नहीं सिखाया।
मैं - पर मम्मी अभी तो घर में हूं ना तो।
मम्मी - OK, ठीक है जाओ चेंज कर लो।
मैं उठ कर अपने रूम में चली गई ड्रेस चेंज करने। मैं अपना टॉप पर अपनी ब्रा उतार कर शीशे में अपने बूब्स देखने लगी। कितने मुलायम और सुडौल हैं मेरे बूब्स ये बोल मैं बूब्स को सहलाने लगी। कुछ सोंच मुस्कराने लगी।
मैं -(मन में) यार मम्मी के अभी भी मुझसे बड़े हैं और वो फुल ड्रेसअप रहती हैं। मैं तो अभी से डर रहा हूं। अगर मुझे लाइफ के लास्ट डे तक पहनना पड़ा तब तो मैं मर ही जाऊंगा। कुमुद कैसे देख रहे थे मुझे और छेड़खानी दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है।
अभी मैं ये सोंच ही रही थी कि मम्मी की आवाज आई अवंतिका बेटे खाना का लो आ कर।
मैं -(मन में इरिटेट होते हुए) मम्मी का भी कुछ समझ नहीं आता कभी तो मुझे लड़का समझती हैं और कभी लड़की। ये एक बार डिसाइड क्यों नहीं कर लेतीं। (फिर मम्मी से) एक मिनट आता हूं।
फिर जल्दी से ड्रेस चेंज करके बाहर खाना खाने के लिए जाती हूं।
मम्मी - आता हूं नहीं लड़कियां आती हूं बोलती हैं। क्या बोलती हैं बेटा।
मैं - आती हूं।
मम्मी - हां शाबास। चलो अब खाना खाओ बैठ कर फिर पढ़ो जा कर।
ऐसे ही घर में रहते हुए मुझे 10 महीने बीत गए मैं रोज़ इसी उम्मीद से उठती थी कि शायद कोई चमत्कार हो जाए। या ऐसा हो कि ये एक सपना हो और जब मैं उठूं सब नॉर्मल हो जाए पहले जैसा लेकिन रोज वही। मेरी बॉडी मेडिसिन को respond नहीं कर रही थी। अब तो मेरे बूब्स मम्मी के जितने हो गए थे 34d। अब मेरा सीना बहुत भारी लगता था। मैं इसके साथ भाग भी नहीं सकती थी।
एक दिन शाम को डिनर के बाद हम सब ऐसे ही बैठे बाते कर रहे थे।
पापा - बेटा तुम्हारे इंटरमीडिएट के एग्जाम्स कब से हैं??
मैं - जी 3 महीने बाद।
पापा - hmmm, पढ़ाई सही से हो रही है ना कोई दिक्कत तो नहीं हो रही।
मैं - नहीं पापा सब मैनेज हो रहा है सही से। (फिर कुछ सोंच कर) पापा मैं कुछ कहना चाहता हूं।
पापा - हां बोलो बेटा।
मैं - पापा मैं एक लड़की की तरह एग्जाम लिखना चाहता हूं।
पापा - मैं कुछ समझा नहीं बेटा।
मैं - देखिए मुझे नहीं लगता अब मेडिसिन से कुछ हो सकता है और जब पूरी लाइफ एक लड़की की तरह ही बिताना है तो मेरी मार्कशीट में भी मुझे मेरा नाम और सेक्स चेंज करवाना है। और मैं ये भी चाहता हूं जब एग्जाम देने जाऊं तो पूरी तरह से लड़की बन कर जाऊं। पूरी तरह से मतलब पूरी तरह से।
मम्मी ये सुन मेरा माथा चूम लेती हैं।
मम्मी - जुग जुग जियो बेटा। तुमने मेरी दिल की इच्छा पूरी कर दी। (पापा से) देखिए जी मेरा बेटा अब बेटी बनने जा रहा है तो आप उसके कॉलेज जाइए और बात करिए इसके लिए।
कुमुद - don't worry mummy. मैने पहले हो बात कर ली थी। उन्होंने एक फॉर्म दिया था मुझे भरके साइन करवाने के लिए। अब अवंतिका ने डिसाइड ही नहीं किया था तो मेरे पास ही रखा हुआ था।
फिर कुमुद अपने रूम में जा कर वो फॉर्म, एफिडेविट और कई डॉक्यूमेंट्स ले कर आए। और उन डॉक्यूमेंट्स पर मेरे साइन करवाए एक साइड अरिंदम के और एक साइड अवंतिका वाले। इन डॉक्यूमेंट्स में मेरी वोटर आईडी, मेरी बैंक पास-बुक, मेरे आधार कार्ड, पैन कार्ड के भी डॉक्यूमेंट्स थे जिनको चेंज करवाना था। कुमुद ने आधार कार्ड फॉर्म को अलग कर लिया।
कुमुद - इसको चेंज करवाने के लिए तुम्हें भी जाना पड़ेगा तो कल चलेंगे।
मैं - hmmm
जब मैं साइन कर रही थी तो एक बात मेरे दिमाग में आई कि ये शायद मेरे लास्ट साइन हैं अरिंदम वाले। आगे से मेरे कागजों पर अवंतिका ही लिखा होगा और साइन भी वही होंगे।
इधर मैं सभी डॉक्यूमेंट्स पर मैं साइन कर रही थी और दूसरी तरफ पापा ने डॉक्टर से बात कर ली जिस पर एक हफ्ते बाद की अपॉइंटमेंट मिली सर्जरी की।
पापा - सुनो सब लोग एक हफ्ते के बाद की अपॉइंटमेंट मिली है सर्जरी के लिए। एक दिन पहले ही जाना पड़ेगा। सभी पेपर वर्क के लिए।
मम्मी - नहीं बेटा मैं इसलिए शॉक नहीं थी मैं तो तुझे खुद को एक्सेप्ट करने से शॉक में थी। तेरी प्रोब्लम ठीक होगी या सब बदल जाएगा उसमे तो समय बाकी है अभी। मैं तो खुश हूं कि अब तू दिल से सीखेगा ये सब। चल मैं तुझे तैयार कर देती हूं जाने के लिए।
मैं - तैयार होने में क्या है इतना तो मैं कर ही सकता हूं ना।
मम्मी - बेटा तू पहली बार एक अलग पहचान के साथ जा रहा है तो थोड़ी मदद तो लगेगी ही।
इतना बोल मम्मी मुझे ले कर रूम में गईं मुझे तैयार करने के लिए।
जब से मेरा घर से बाहर निकलना बंद हुआ था तब से मम्मी ने मुझे जॉगिंग ट्रैक ही पहनने दिए वो भी बिना ब्रा और पैंटी के, पैंटी भी तब पहनती थी जब पीरियड्स होते थे।
आज मम्मी ने मुझे स्पोर्ट्स ब्रा की जगह पैडेड ब्रा पहनने के लिए दी। जब ब्रा पहन रही थी तो पता चला कि इसे बैक साइड हुक करना पड़ता है। इसमें बूब्स के ऊपर ब्रा में एक सॉफ्ट पैड होता है।
आज के दिन एक चीज़ मैने सीखी कि लड़कियों की लाइफ इतनी आसन नहीं होती है। लड़कों का क्या है शर्ट पैंट सैंडो और अंडरवियर। और कभी कभी तो अंडर गारमेंट्स के बिना भी निकल जाते हैं। वहीं लड़कियां बिना अंडर गारमेंट्स के बाहर नहीं निकल सकतीं। उन्हें गर्मी हो या शर्दी उन्हें अंडर गारमेंट्स पहनने ही पहनने होते हैं बाहर जाते टाइम। और ब्रा को भी पहनते टाइम सेट करना पड़ता है।
मम्मी ने ब्रा को कैसे सेट किया जाता है वो सिखाया। मैं जींस टॉप पहन कर रेडी थी। फिर मम्मी ने मेरा मेकअप किया। और हम बाहर आ गए। कुमुद तो मुझे देख कर पागल ही हो गए थे। उनका मुंह मुझे देख कर खुला ही रह गया था मैं बहुत शर्मा रही थी।
मम्मी -(मुस्कुरा कर) अहम अहम। बेटा ये तेरी ही है सारी जिंदगी के लिए तो आराम से देख लेना। हां। अभी सिलेंडर का काम कर लो वरना अब भी नहीं मिलेगा।
कुमुद -(हड़बड़ा कर) j...j....जी मम्मी। (फिर थोड़ा मुस्कुरा कर मुझसे) चलो अवंतिका चलें।
फिर हम लोग गैस एजेंसी के लिए निकल गए। वहां पर काफी भीड़ थी आदमियों की लाइन अलग थी जो कि बहुत बड़ी थी और औरतों की लाइन अलग थी जो ज्यादा बड़ी नहीं थी। औरतों की लाइन में शायद 15 औरतें ही थीं। ये देख कर मैं बहुत खुश हो गई और जा कर लग गई लाइन में।
1 घंटे बाद हम घर पर पहुंच गए। और मैं हॉल में जा कर बैठ गई। मम्मी ने हमें पानी दिया पीने को।
मम्मी - बेटा अवंतिका तुमको ऐसे ही रहना है या चेंज करना है। नहीं अगर ऐसे ही रहना है तो कोई बात नहीं।
मैं - चेंज करना है बहुत कसा कसा लग रहा है।
मम्मी - कसा लग रहा है तो क्या हुआ मैं भी तो पहनती हूं। अभी से सीखती रहो अभी समय है आगे अगर ये करोगी तो पता नहीं कुमुद को कैसा लगेगा कि हमने तुम्हें सही से सब कुछ नहीं सिखाया।
मैं - पर मम्मी अभी तो घर में हूं ना तो।
मम्मी - OK, ठीक है जाओ चेंज कर लो।
मैं उठ कर अपने रूम में चली गई ड्रेस चेंज करने। मैं अपना टॉप पर अपनी ब्रा उतार कर शीशे में अपने बूब्स देखने लगी। कितने मुलायम और सुडौल हैं मेरे बूब्स ये बोल मैं बूब्स को सहलाने लगी। कुछ सोंच मुस्कराने लगी।
मैं -(मन में) यार मम्मी के अभी भी मुझसे बड़े हैं और वो फुल ड्रेसअप रहती हैं। मैं तो अभी से डर रहा हूं। अगर मुझे लाइफ के लास्ट डे तक पहनना पड़ा तब तो मैं मर ही जाऊंगा। कुमुद कैसे देख रहे थे मुझे और छेड़खानी दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है।
अभी मैं ये सोंच ही रही थी कि मम्मी की आवाज आई अवंतिका बेटे खाना का लो आ कर।
मैं -(मन में इरिटेट होते हुए) मम्मी का भी कुछ समझ नहीं आता कभी तो मुझे लड़का समझती हैं और कभी लड़की। ये एक बार डिसाइड क्यों नहीं कर लेतीं। (फिर मम्मी से) एक मिनट आता हूं।
फिर जल्दी से ड्रेस चेंज करके बाहर खाना खाने के लिए जाती हूं।
मम्मी - आता हूं नहीं लड़कियां आती हूं बोलती हैं। क्या बोलती हैं बेटा।
मैं - आती हूं।
मम्मी - हां शाबास। चलो अब खाना खाओ बैठ कर फिर पढ़ो जा कर।
ऐसे ही घर में रहते हुए मुझे 10 महीने बीत गए मैं रोज़ इसी उम्मीद से उठती थी कि शायद कोई चमत्कार हो जाए। या ऐसा हो कि ये एक सपना हो और जब मैं उठूं सब नॉर्मल हो जाए पहले जैसा लेकिन रोज वही। मेरी बॉडी मेडिसिन को respond नहीं कर रही थी। अब तो मेरे बूब्स मम्मी के जितने हो गए थे 34d। अब मेरा सीना बहुत भारी लगता था। मैं इसके साथ भाग भी नहीं सकती थी।
एक दिन शाम को डिनर के बाद हम सब ऐसे ही बैठे बाते कर रहे थे।
पापा - बेटा तुम्हारे इंटरमीडिएट के एग्जाम्स कब से हैं??
मैं - जी 3 महीने बाद।
पापा - hmmm, पढ़ाई सही से हो रही है ना कोई दिक्कत तो नहीं हो रही।
मैं - नहीं पापा सब मैनेज हो रहा है सही से। (फिर कुछ सोंच कर) पापा मैं कुछ कहना चाहता हूं।
पापा - हां बोलो बेटा।
मैं - पापा मैं एक लड़की की तरह एग्जाम लिखना चाहता हूं।
पापा - मैं कुछ समझा नहीं बेटा।
मैं - देखिए मुझे नहीं लगता अब मेडिसिन से कुछ हो सकता है और जब पूरी लाइफ एक लड़की की तरह ही बिताना है तो मेरी मार्कशीट में भी मुझे मेरा नाम और सेक्स चेंज करवाना है। और मैं ये भी चाहता हूं जब एग्जाम देने जाऊं तो पूरी तरह से लड़की बन कर जाऊं। पूरी तरह से मतलब पूरी तरह से।
मम्मी ये सुन मेरा माथा चूम लेती हैं।
मम्मी - जुग जुग जियो बेटा। तुमने मेरी दिल की इच्छा पूरी कर दी। (पापा से) देखिए जी मेरा बेटा अब बेटी बनने जा रहा है तो आप उसके कॉलेज जाइए और बात करिए इसके लिए।
कुमुद - don't worry mummy. मैने पहले हो बात कर ली थी। उन्होंने एक फॉर्म दिया था मुझे भरके साइन करवाने के लिए। अब अवंतिका ने डिसाइड ही नहीं किया था तो मेरे पास ही रखा हुआ था।
फिर कुमुद अपने रूम में जा कर वो फॉर्म, एफिडेविट और कई डॉक्यूमेंट्स ले कर आए। और उन डॉक्यूमेंट्स पर मेरे साइन करवाए एक साइड अरिंदम के और एक साइड अवंतिका वाले। इन डॉक्यूमेंट्स में मेरी वोटर आईडी, मेरी बैंक पास-बुक, मेरे आधार कार्ड, पैन कार्ड के भी डॉक्यूमेंट्स थे जिनको चेंज करवाना था। कुमुद ने आधार कार्ड फॉर्म को अलग कर लिया।
कुमुद - इसको चेंज करवाने के लिए तुम्हें भी जाना पड़ेगा तो कल चलेंगे।
मैं - hmmm
जब मैं साइन कर रही थी तो एक बात मेरे दिमाग में आई कि ये शायद मेरे लास्ट साइन हैं अरिंदम वाले। आगे से मेरे कागजों पर अवंतिका ही लिखा होगा और साइन भी वही होंगे।
इधर मैं सभी डॉक्यूमेंट्स पर मैं साइन कर रही थी और दूसरी तरफ पापा ने डॉक्टर से बात कर ली जिस पर एक हफ्ते बाद की अपॉइंटमेंट मिली सर्जरी की।
पापा - सुनो सब लोग एक हफ्ते के बाद की अपॉइंटमेंट मिली है सर्जरी के लिए। एक दिन पहले ही जाना पड़ेगा। सभी पेपर वर्क के लिए।