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Erotica अरिन्दम से बनी अवंतिका

Ye kahani kis font me likhun???

  • Hindi

    Votes: 15 78.9%
  • Hinglish

    Votes: 4 21.1%

  • Total voters
    19

KD's Love

New Member
37
80
19
मैं - क्या हुआ मां ऐसे शॉक क्यों हो गईं। मैं हाफ लड़की तो बन ही गया हूं ना। अब जो है सो है मैं दिखने में लड़की ही लगता हूं। मेरा फेस पर कभी दाढ़ी नहीं आई एक लड़की की तरह, मेरी आवाज़ लड़की से भी पतली है किसी के सामने बोलो तो लड़की ही बोले। मेरे बूब्स अब भी बढ़ रहे हैं, मेरे हिप्स भी बढ़ रहे हैं। मेरी एक सर्जरी कर के हाफ लड़की तो बना ही दिया गया है बस एक ही चीज रह गई है लड़कों बाली वो आप लोग जानते हो। और तो और लड़कियों बाली सारी एक्टिविटी तो सीख ही रहा हूं। खाना बनाना, सिलाई करना, डांस करना, गाना गाना। और क्या चाहिए। यहां तक कि ये तक पता हो गया है कि पीरियड्स के लिए पैड्स, टैमपॉन्स और बजाइनल कप यूज करते हैं। और बच्चे की प्रैक्टिस तो तब होगी जब बच्चे होंगे।
मम्मी - नहीं बेटा मैं इसलिए शॉक नहीं थी मैं तो तुझे खुद को एक्सेप्ट करने से शॉक में थी। तेरी प्रोब्लम ठीक होगी या सब बदल जाएगा उसमे तो समय बाकी है अभी। मैं तो खुश हूं कि अब तू दिल से सीखेगा ये सब। चल मैं तुझे तैयार कर देती हूं जाने के लिए।
मैं - तैयार होने में क्या है इतना तो मैं कर ही सकता हूं ना।
मम्मी - बेटा तू पहली बार एक अलग पहचान के साथ जा रहा है तो थोड़ी मदद तो लगेगी ही।
इतना बोल मम्मी मुझे ले कर रूम में गईं मुझे तैयार करने के लिए।
जब से मेरा घर से बाहर निकलना बंद हुआ था तब से मम्मी ने मुझे जॉगिंग ट्रैक ही पहनने दिए वो भी बिना ब्रा और पैंटी के, पैंटी भी तब पहनती थी जब पीरियड्स होते थे।
आज मम्मी ने मुझे स्पोर्ट्स ब्रा की जगह पैडेड ब्रा पहनने के लिए दी। जब ब्रा पहन रही थी तो पता चला कि इसे बैक साइड हुक करना पड़ता है। इसमें बूब्स के ऊपर ब्रा में एक सॉफ्ट पैड होता है।
आज के दिन एक चीज़ मैने सीखी कि लड़कियों की लाइफ इतनी आसन नहीं होती है। लड़कों का क्या है शर्ट पैंट सैंडो और अंडरवियर। और कभी कभी तो अंडर गारमेंट्स के बिना भी निकल जाते हैं। वहीं लड़कियां बिना अंडर गारमेंट्स के बाहर नहीं निकल सकतीं। उन्हें गर्मी हो या शर्दी उन्हें अंडर गारमेंट्स पहनने ही पहनने होते हैं बाहर जाते टाइम। और ब्रा को भी पहनते टाइम सेट करना पड़ता है।
मम्मी ने ब्रा को कैसे सेट किया जाता है वो सिखाया। मैं जींस टॉप पहन कर रेडी थी। फिर मम्मी ने मेरा मेकअप किया। और हम बाहर आ गए। कुमुद तो मुझे देख कर पागल ही हो गए थे। उनका मुंह मुझे देख कर खुला ही रह गया था मैं बहुत शर्मा रही थी।
मम्मी -(मुस्कुरा कर) अहम अहम। बेटा ये तेरी ही है सारी जिंदगी के लिए तो आराम से देख लेना। हां। अभी सिलेंडर का काम कर लो वरना अब भी नहीं मिलेगा।
कुमुद -(हड़बड़ा कर) j...j....जी मम्मी। (फिर थोड़ा मुस्कुरा कर मुझसे) चलो अवंतिका चलें।
फिर हम लोग गैस एजेंसी के लिए निकल गए। वहां पर काफी भीड़ थी आदमियों की लाइन अलग थी जो कि बहुत बड़ी थी और औरतों की लाइन अलग थी जो ज्यादा बड़ी नहीं थी। औरतों की लाइन में शायद 15 औरतें ही थीं। ये देख कर मैं बहुत खुश हो गई और जा कर लग गई लाइन में।
1 घंटे बाद हम घर पर पहुंच गए। और मैं हॉल में जा कर बैठ गई। मम्मी ने हमें पानी दिया पीने को।
मम्मी - बेटा अवंतिका तुमको ऐसे ही रहना है या चेंज करना है। नहीं अगर ऐसे ही रहना है तो कोई बात नहीं।
मैं - चेंज करना है बहुत कसा कसा लग रहा है।
मम्मी - कसा लग रहा है तो क्या हुआ मैं भी तो पहनती हूं। अभी से सीखती रहो अभी समय है आगे अगर ये करोगी तो पता नहीं कुमुद को कैसा लगेगा कि हमने तुम्हें सही से सब कुछ नहीं सिखाया।
मैं - पर मम्मी अभी तो घर में हूं ना तो।
मम्मी - OK, ठीक है जाओ चेंज कर लो।
मैं उठ कर अपने रूम में चली गई ड्रेस चेंज करने। मैं अपना टॉप पर अपनी ब्रा उतार कर शीशे में अपने बूब्स देखने लगी। कितने मुलायम और सुडौल हैं मेरे बूब्स ये बोल मैं बूब्स को सहलाने लगी। कुछ सोंच मुस्कराने लगी।
मैं -(मन में) यार मम्मी के अभी भी मुझसे बड़े हैं और वो फुल ड्रेसअप रहती हैं। मैं तो अभी से डर रहा हूं। अगर मुझे लाइफ के लास्ट डे तक पहनना पड़ा तब तो मैं मर ही जाऊंगा। कुमुद कैसे देख रहे थे मुझे और छेड़खानी दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है।
अभी मैं ये सोंच ही रही थी कि मम्मी की आवाज आई अवंतिका बेटे खाना का लो आ कर।
मैं -(मन में इरिटेट होते हुए) मम्मी का भी कुछ समझ नहीं आता कभी तो मुझे लड़का समझती हैं और कभी लड़की। ये एक बार डिसाइड क्यों नहीं कर लेतीं। (फिर मम्मी से) एक मिनट आता हूं।
फिर जल्दी से ड्रेस चेंज करके बाहर खाना खाने के लिए जाती हूं।
मम्मी - आता हूं नहीं लड़कियां आती हूं बोलती हैं। क्या बोलती हैं बेटा।
मैं - आती हूं।
मम्मी - हां शाबास। चलो अब खाना खाओ बैठ कर फिर पढ़ो जा कर।
ऐसे ही घर में रहते हुए मुझे 10 महीने बीत गए मैं रोज़ इसी उम्मीद से उठती थी कि शायद कोई चमत्कार हो जाए। या ऐसा हो कि ये एक सपना हो और जब मैं उठूं सब नॉर्मल हो जाए पहले जैसा लेकिन रोज वही। मेरी बॉडी मेडिसिन को respond नहीं कर रही थी। अब तो मेरे बूब्स मम्मी के जितने हो गए थे 34d। अब मेरा सीना बहुत भारी लगता था। मैं इसके साथ भाग भी नहीं सकती थी।
एक दिन शाम को डिनर के बाद हम सब ऐसे ही बैठे बाते कर रहे थे।
पापा - बेटा तुम्हारे इंटरमीडिएट के एग्जाम्स कब से हैं??
मैं - जी 3 महीने बाद।
पापा - hmmm, पढ़ाई सही से हो रही है ना कोई दिक्कत तो नहीं हो रही।
मैं - नहीं पापा सब मैनेज हो रहा है सही से। (फिर कुछ सोंच कर) पापा मैं कुछ कहना चाहता हूं।
पापा - हां बोलो बेटा।
मैं - पापा मैं एक लड़की की तरह एग्जाम लिखना चाहता हूं।
पापा - मैं कुछ समझा नहीं बेटा।
मैं - देखिए मुझे नहीं लगता अब मेडिसिन से कुछ हो सकता है और जब पूरी लाइफ एक लड़की की तरह ही बिताना है तो मेरी मार्कशीट में भी मुझे मेरा नाम और सेक्स चेंज करवाना है। और मैं ये भी चाहता हूं जब एग्जाम देने जाऊं तो पूरी तरह से लड़की बन कर जाऊं। पूरी तरह से मतलब पूरी तरह से।
मम्मी ये सुन मेरा माथा चूम लेती हैं।
मम्मी - जुग जुग जियो बेटा। तुमने मेरी दिल की इच्छा पूरी कर दी। (पापा से) देखिए जी मेरा बेटा अब बेटी बनने जा रहा है तो आप उसके कॉलेज जाइए और बात करिए इसके लिए।
कुमुद - don't worry mummy. मैने पहले हो बात कर ली थी। उन्होंने एक फॉर्म दिया था मुझे भरके साइन करवाने के लिए। अब अवंतिका ने डिसाइड ही नहीं किया था तो मेरे पास ही रखा हुआ था।
फिर कुमुद अपने रूम में जा कर वो फॉर्म, एफिडेविट और कई डॉक्यूमेंट्स ले कर आए। और उन डॉक्यूमेंट्स पर मेरे साइन करवाए एक साइड अरिंदम के और एक साइड अवंतिका वाले। इन डॉक्यूमेंट्स में मेरी वोटर आईडी, मेरी बैंक पास-बुक, मेरे आधार कार्ड, पैन कार्ड के भी डॉक्यूमेंट्स थे जिनको चेंज करवाना था। कुमुद ने आधार कार्ड फॉर्म को अलग कर लिया।
कुमुद - इसको चेंज करवाने के लिए तुम्हें भी जाना पड़ेगा तो कल चलेंगे।
मैं - hmmm
जब मैं साइन कर रही थी तो एक बात मेरे दिमाग में आई कि ये शायद मेरे लास्ट साइन हैं अरिंदम वाले। आगे से मेरे कागजों पर अवंतिका ही लिखा होगा और साइन भी वही होंगे।
इधर मैं सभी डॉक्यूमेंट्स पर मैं साइन कर रही थी और दूसरी तरफ पापा ने डॉक्टर से बात कर ली जिस पर एक हफ्ते बाद की अपॉइंटमेंट मिली सर्जरी की।
पापा - सुनो सब लोग एक हफ्ते के बाद की अपॉइंटमेंट मिली है सर्जरी के लिए। एक दिन पहले ही जाना पड़ेगा। सभी पेपर वर्क के लिए।
 

manu@84

Well-Known Member
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12,182
174
मैं - क्या हुआ मां ऐसे शॉक क्यों हो गईं। मैं हाफ लड़की तो बन ही गया हूं ना। अब जो है सो है मैं दिखने में लड़की ही लगता हूं। मेरा फेस पर कभी दाढ़ी नहीं आई एक लड़की की तरह, मेरी आवाज़ लड़की से भी पतली है किसी के सामने बोलो तो लड़की ही बोले। मेरे बूब्स अब भी बढ़ रहे हैं, मेरे हिप्स भी बढ़ रहे हैं। मेरी एक सर्जरी कर के हाफ लड़की तो बना ही दिया गया है बस एक ही चीज रह गई है लड़कों बाली वो आप लोग जानते हो। और तो और लड़कियों बाली सारी एक्टिविटी तो सीख ही रहा हूं। खाना बनाना, सिलाई करना, डांस करना, गाना गाना। और क्या चाहिए। यहां तक कि ये तक पता हो गया है कि पीरियड्स के लिए पैड्स, टैमपॉन्स और बजाइनल कप यूज करते हैं। और बच्चे की प्रैक्टिस तो तब होगी जब बच्चे होंगे।
मम्मी - नहीं बेटा मैं इसलिए शॉक नहीं थी मैं तो तुझे खुद को एक्सेप्ट करने से शॉक में थी। तेरी प्रोब्लम ठीक होगी या सब बदल जाएगा उसमे तो समय बाकी है अभी। मैं तो खुश हूं कि अब तू दिल से सीखेगा ये सब। चल मैं तुझे तैयार कर देती हूं जाने के लिए।
मैं - तैयार होने में क्या है इतना तो मैं कर ही सकता हूं ना।
मम्मी - बेटा तू पहली बार एक अलग पहचान के साथ जा रहा है तो थोड़ी मदद तो लगेगी ही।
इतना बोल मम्मी मुझे ले कर रूम में गईं मुझे तैयार करने के लिए।
जब से मेरा घर से बाहर निकलना बंद हुआ था तब से मम्मी ने मुझे जॉगिंग ट्रैक ही पहनने दिए वो भी बिना ब्रा और पैंटी के, पैंटी भी तब पहनती थी जब पीरियड्स होते थे।
आज मम्मी ने मुझे स्पोर्ट्स ब्रा की जगह पैडेड ब्रा पहनने के लिए दी। जब ब्रा पहन रही थी तो पता चला कि इसे बैक साइड हुक करना पड़ता है। इसमें बूब्स के ऊपर ब्रा में एक सॉफ्ट पैड होता है।
आज के दिन एक चीज़ मैने सीखी कि लड़कियों की लाइफ इतनी आसन नहीं होती है। लड़कों का क्या है शर्ट पैंट सैंडो और अंडरवियर। और कभी कभी तो अंडर गारमेंट्स के बिना भी निकल जाते हैं। वहीं लड़कियां बिना अंडर गारमेंट्स के बाहर नहीं निकल सकतीं। उन्हें गर्मी हो या शर्दी उन्हें अंडर गारमेंट्स पहनने ही पहनने होते हैं बाहर जाते टाइम। और ब्रा को भी पहनते टाइम सेट करना पड़ता है।
मम्मी ने ब्रा को कैसे सेट किया जाता है वो सिखाया। मैं जींस टॉप पहन कर रेडी थी। फिर मम्मी ने मेरा मेकअप किया। और हम बाहर आ गए। कुमुद तो मुझे देख कर पागल ही हो गए थे। उनका मुंह मुझे देख कर खुला ही रह गया था मैं बहुत शर्मा रही थी।
मम्मी -(मुस्कुरा कर) अहम अहम। बेटा ये तेरी ही है सारी जिंदगी के लिए तो आराम से देख लेना। हां। अभी सिलेंडर का काम कर लो वरना अब भी नहीं मिलेगा।
कुमुद -(हड़बड़ा कर) j...j....जी मम्मी। (फिर थोड़ा मुस्कुरा कर मुझसे) चलो अवंतिका चलें।
फिर हम लोग गैस एजेंसी के लिए निकल गए। वहां पर काफी भीड़ थी आदमियों की लाइन अलग थी जो कि बहुत बड़ी थी और औरतों की लाइन अलग थी जो ज्यादा बड़ी नहीं थी। औरतों की लाइन में शायद 15 औरतें ही थीं। ये देख कर मैं बहुत खुश हो गई और जा कर लग गई लाइन में।
1 घंटे बाद हम घर पर पहुंच गए। और मैं हॉल में जा कर बैठ गई। मम्मी ने हमें पानी दिया पीने को।
मम्मी - बेटा अवंतिका तुमको ऐसे ही रहना है या चेंज करना है। नहीं अगर ऐसे ही रहना है तो कोई बात नहीं।
मैं - चेंज करना है बहुत कसा कसा लग रहा है।
मम्मी - कसा लग रहा है तो क्या हुआ मैं भी तो पहनती हूं। अभी से सीखती रहो अभी समय है आगे अगर ये करोगी तो पता नहीं कुमुद को कैसा लगेगा कि हमने तुम्हें सही से सब कुछ नहीं सिखाया।
मैं - पर मम्मी अभी तो घर में हूं ना तो।
मम्मी - OK, ठीक है जाओ चेंज कर लो।
मैं उठ कर अपने रूम में चली गई ड्रेस चेंज करने। मैं अपना टॉप पर अपनी ब्रा उतार कर शीशे में अपने बूब्स देखने लगी। कितने मुलायम और सुडौल हैं मेरे बूब्स ये बोल मैं बूब्स को सहलाने लगी। कुछ सोंच मुस्कराने लगी।
मैं -(मन में) यार मम्मी के अभी भी मुझसे बड़े हैं और वो फुल ड्रेसअप रहती हैं। मैं तो अभी से डर रहा हूं। अगर मुझे लाइफ के लास्ट डे तक पहनना पड़ा तब तो मैं मर ही जाऊंगा। कुमुद कैसे देख रहे थे मुझे और छेड़खानी दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है।
अभी मैं ये सोंच ही रही थी कि मम्मी की आवाज आई अवंतिका बेटे खाना का लो आ कर।
मैं -(मन में इरिटेट होते हुए) मम्मी का भी कुछ समझ नहीं आता कभी तो मुझे लड़का समझती हैं और कभी लड़की। ये एक बार डिसाइड क्यों नहीं कर लेतीं। (फिर मम्मी से) एक मिनट आता हूं।
फिर जल्दी से ड्रेस चेंज करके बाहर खाना खाने के लिए जाती हूं।
मम्मी - आता हूं नहीं लड़कियां आती हूं बोलती हैं। क्या बोलती हैं बेटा।
मैं - आती हूं।
मम्मी - हां शाबास। चलो अब खाना खाओ बैठ कर फिर पढ़ो जा कर।
ऐसे ही घर में रहते हुए मुझे 10 महीने बीत गए मैं रोज़ इसी उम्मीद से उठती थी कि शायद कोई चमत्कार हो जाए। या ऐसा हो कि ये एक सपना हो और जब मैं उठूं सब नॉर्मल हो जाए पहले जैसा लेकिन रोज वही। मेरी बॉडी मेडिसिन को respond नहीं कर रही थी। अब तो मेरे बूब्स मम्मी के जितने हो गए थे 34d। अब मेरा सीना बहुत भारी लगता था। मैं इसके साथ भाग भी नहीं सकती थी।
एक दिन शाम को डिनर के बाद हम सब ऐसे ही बैठे बाते कर रहे थे।
पापा - बेटा तुम्हारे इंटरमीडिएट के एग्जाम्स कब से हैं??
मैं - जी 3 महीने बाद।
पापा - hmmm, पढ़ाई सही से हो रही है ना कोई दिक्कत तो नहीं हो रही।
मैं - नहीं पापा सब मैनेज हो रहा है सही से। (फिर कुछ सोंच कर) पापा मैं कुछ कहना चाहता हूं।
पापा - हां बोलो बेटा।
मैं - पापा मैं एक लड़की की तरह एग्जाम लिखना चाहता हूं।
पापा - मैं कुछ समझा नहीं बेटा।
मैं - देखिए मुझे नहीं लगता अब मेडिसिन से कुछ हो सकता है और जब पूरी लाइफ एक लड़की की तरह ही बिताना है तो मेरी मार्कशीट में भी मुझे मेरा नाम और सेक्स चेंज करवाना है। और मैं ये भी चाहता हूं जब एग्जाम देने जाऊं तो पूरी तरह से लड़की बन कर जाऊं। पूरी तरह से मतलब पूरी तरह से।
मम्मी ये सुन मेरा माथा चूम लेती हैं।
मम्मी - जुग जुग जियो बेटा। तुमने मेरी दिल की इच्छा पूरी कर दी। (पापा से) देखिए जी मेरा बेटा अब बेटी बनने जा रहा है तो आप उसके कॉलेज जाइए और बात करिए इसके लिए।
कुमुद - don't worry mummy. मैने पहले हो बात कर ली थी। उन्होंने एक फॉर्म दिया था मुझे भरके साइन करवाने के लिए। अब अवंतिका ने डिसाइड ही नहीं किया था तो मेरे पास ही रखा हुआ था।
फिर कुमुद अपने रूम में जा कर वो फॉर्म, एफिडेविट और कई डॉक्यूमेंट्स ले कर आए। और उन डॉक्यूमेंट्स पर मेरे साइन करवाए एक साइड अरिंदम के और एक साइड अवंतिका वाले। इन डॉक्यूमेंट्स में मेरी वोटर आईडी, मेरी बैंक पास-बुक, मेरे आधार कार्ड, पैन कार्ड के भी डॉक्यूमेंट्स थे जिनको चेंज करवाना था। कुमुद ने आधार कार्ड फॉर्म को अलग कर लिया।
कुमुद - इसको चेंज करवाने के लिए तुम्हें भी जाना पड़ेगा तो कल चलेंगे।
मैं - hmmm
जब मैं साइन कर रही थी तो एक बात मेरे दिमाग में आई कि ये शायद मेरे लास्ट साइन हैं अरिंदम वाले। आगे से मेरे कागजों पर अवंतिका ही लिखा होगा और साइन भी वही होंगे।
इधर मैं सभी डॉक्यूमेंट्स पर मैं साइन कर रही थी और दूसरी तरफ पापा ने डॉक्टर से बात कर ली जिस पर एक हफ्ते बाद की अपॉइंटमेंट मिली सर्जरी की।
पापा - सुनो सब लोग एक हफ्ते के बाद की अपॉइंटमेंट मिली है सर्जरी के लिए। एक दिन पहले ही जाना पड़ेगा। सभी पेपर वर्क के लिए।
Nice update
 

dkpk

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मैं - क्या हुआ मां ऐसे शॉक क्यों हो गईं। मैं हाफ लड़की तो बन ही गया हूं ना। अब जो है सो है मैं दिखने में लड़की ही लगता हूं। मेरा फेस पर कभी दाढ़ी नहीं आई एक लड़की की तरह, मेरी आवाज़ लड़की से भी पतली है किसी के सामने बोलो तो लड़की ही बोले। मेरे बूब्स अब भी बढ़ रहे हैं, मेरे हिप्स भी बढ़ रहे हैं। मेरी एक सर्जरी कर के हाफ लड़की तो बना ही दिया गया है बस एक ही चीज रह गई है लड़कों बाली वो आप लोग जानते हो। और तो और लड़कियों बाली सारी एक्टिविटी तो सीख ही रहा हूं। खाना बनाना, सिलाई करना, डांस करना, गाना गाना। और क्या चाहिए। यहां तक कि ये तक पता हो गया है कि पीरियड्स के लिए पैड्स, टैमपॉन्स और बजाइनल कप यूज करते हैं। और बच्चे की प्रैक्टिस तो तब होगी जब बच्चे होंगे।
मम्मी - नहीं बेटा मैं इसलिए शॉक नहीं थी मैं तो तुझे खुद को एक्सेप्ट करने से शॉक में थी। तेरी प्रोब्लम ठीक होगी या सब बदल जाएगा उसमे तो समय बाकी है अभी। मैं तो खुश हूं कि अब तू दिल से सीखेगा ये सब। चल मैं तुझे तैयार कर देती हूं जाने के लिए।
मैं - तैयार होने में क्या है इतना तो मैं कर ही सकता हूं ना।
मम्मी - बेटा तू पहली बार एक अलग पहचान के साथ जा रहा है तो थोड़ी मदद तो लगेगी ही।
इतना बोल मम्मी मुझे ले कर रूम में गईं मुझे तैयार करने के लिए।
जब से मेरा घर से बाहर निकलना बंद हुआ था तब से मम्मी ने मुझे जॉगिंग ट्रैक ही पहनने दिए वो भी बिना ब्रा और पैंटी के, पैंटी भी तब पहनती थी जब पीरियड्स होते थे।
आज मम्मी ने मुझे स्पोर्ट्स ब्रा की जगह पैडेड ब्रा पहनने के लिए दी। जब ब्रा पहन रही थी तो पता चला कि इसे बैक साइड हुक करना पड़ता है। इसमें बूब्स के ऊपर ब्रा में एक सॉफ्ट पैड होता है।
आज के दिन एक चीज़ मैने सीखी कि लड़कियों की लाइफ इतनी आसन नहीं होती है। लड़कों का क्या है शर्ट पैंट सैंडो और अंडरवियर। और कभी कभी तो अंडर गारमेंट्स के बिना भी निकल जाते हैं। वहीं लड़कियां बिना अंडर गारमेंट्स के बाहर नहीं निकल सकतीं। उन्हें गर्मी हो या शर्दी उन्हें अंडर गारमेंट्स पहनने ही पहनने होते हैं बाहर जाते टाइम। और ब्रा को भी पहनते टाइम सेट करना पड़ता है।
मम्मी ने ब्रा को कैसे सेट किया जाता है वो सिखाया। मैं जींस टॉप पहन कर रेडी थी। फिर मम्मी ने मेरा मेकअप किया। और हम बाहर आ गए। कुमुद तो मुझे देख कर पागल ही हो गए थे। उनका मुंह मुझे देख कर खुला ही रह गया था मैं बहुत शर्मा रही थी।
मम्मी -(मुस्कुरा कर) अहम अहम। बेटा ये तेरी ही है सारी जिंदगी के लिए तो आराम से देख लेना। हां। अभी सिलेंडर का काम कर लो वरना अब भी नहीं मिलेगा।
कुमुद -(हड़बड़ा कर) j...j....जी मम्मी। (फिर थोड़ा मुस्कुरा कर मुझसे) चलो अवंतिका चलें।
फिर हम लोग गैस एजेंसी के लिए निकल गए। वहां पर काफी भीड़ थी आदमियों की लाइन अलग थी जो कि बहुत बड़ी थी और औरतों की लाइन अलग थी जो ज्यादा बड़ी नहीं थी। औरतों की लाइन में शायद 15 औरतें ही थीं। ये देख कर मैं बहुत खुश हो गई और जा कर लग गई लाइन में।
1 घंटे बाद हम घर पर पहुंच गए। और मैं हॉल में जा कर बैठ गई। मम्मी ने हमें पानी दिया पीने को।
मम्मी - बेटा अवंतिका तुमको ऐसे ही रहना है या चेंज करना है। नहीं अगर ऐसे ही रहना है तो कोई बात नहीं।
मैं - चेंज करना है बहुत कसा कसा लग रहा है।
मम्मी - कसा लग रहा है तो क्या हुआ मैं भी तो पहनती हूं। अभी से सीखती रहो अभी समय है आगे अगर ये करोगी तो पता नहीं कुमुद को कैसा लगेगा कि हमने तुम्हें सही से सब कुछ नहीं सिखाया।
मैं - पर मम्मी अभी तो घर में हूं ना तो।
मम्मी - OK, ठीक है जाओ चेंज कर लो।
मैं उठ कर अपने रूम में चली गई ड्रेस चेंज करने। मैं अपना टॉप पर अपनी ब्रा उतार कर शीशे में अपने बूब्स देखने लगी। कितने मुलायम और सुडौल हैं मेरे बूब्स ये बोल मैं बूब्स को सहलाने लगी। कुछ सोंच मुस्कराने लगी।
मैं -(मन में) यार मम्मी के अभी भी मुझसे बड़े हैं और वो फुल ड्रेसअप रहती हैं। मैं तो अभी से डर रहा हूं। अगर मुझे लाइफ के लास्ट डे तक पहनना पड़ा तब तो मैं मर ही जाऊंगा। कुमुद कैसे देख रहे थे मुझे और छेड़खानी दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है।
अभी मैं ये सोंच ही रही थी कि मम्मी की आवाज आई अवंतिका बेटे खाना का लो आ कर।
मैं -(मन में इरिटेट होते हुए) मम्मी का भी कुछ समझ नहीं आता कभी तो मुझे लड़का समझती हैं और कभी लड़की। ये एक बार डिसाइड क्यों नहीं कर लेतीं। (फिर मम्मी से) एक मिनट आता हूं।
फिर जल्दी से ड्रेस चेंज करके बाहर खाना खाने के लिए जाती हूं।
मम्मी - आता हूं नहीं लड़कियां आती हूं बोलती हैं। क्या बोलती हैं बेटा।
मैं - आती हूं।
मम्मी - हां शाबास। चलो अब खाना खाओ बैठ कर फिर पढ़ो जा कर।
ऐसे ही घर में रहते हुए मुझे 10 महीने बीत गए मैं रोज़ इसी उम्मीद से उठती थी कि शायद कोई चमत्कार हो जाए। या ऐसा हो कि ये एक सपना हो और जब मैं उठूं सब नॉर्मल हो जाए पहले जैसा लेकिन रोज वही। मेरी बॉडी मेडिसिन को respond नहीं कर रही थी। अब तो मेरे बूब्स मम्मी के जितने हो गए थे 34d। अब मेरा सीना बहुत भारी लगता था। मैं इसके साथ भाग भी नहीं सकती थी।
एक दिन शाम को डिनर के बाद हम सब ऐसे ही बैठे बाते कर रहे थे।
पापा - बेटा तुम्हारे इंटरमीडिएट के एग्जाम्स कब से हैं??
मैं - जी 3 महीने बाद।
पापा - hmmm, पढ़ाई सही से हो रही है ना कोई दिक्कत तो नहीं हो रही।
मैं - नहीं पापा सब मैनेज हो रहा है सही से। (फिर कुछ सोंच कर) पापा मैं कुछ कहना चाहता हूं।
पापा - हां बोलो बेटा।
मैं - पापा मैं एक लड़की की तरह एग्जाम लिखना चाहता हूं।
पापा - मैं कुछ समझा नहीं बेटा।
मैं - देखिए मुझे नहीं लगता अब मेडिसिन से कुछ हो सकता है और जब पूरी लाइफ एक लड़की की तरह ही बिताना है तो मेरी मार्कशीट में भी मुझे मेरा नाम और सेक्स चेंज करवाना है। और मैं ये भी चाहता हूं जब एग्जाम देने जाऊं तो पूरी तरह से लड़की बन कर जाऊं। पूरी तरह से मतलब पूरी तरह से।
मम्मी ये सुन मेरा माथा चूम लेती हैं।
मम्मी - जुग जुग जियो बेटा। तुमने मेरी दिल की इच्छा पूरी कर दी। (पापा से) देखिए जी मेरा बेटा अब बेटी बनने जा रहा है तो आप उसके कॉलेज जाइए और बात करिए इसके लिए।
कुमुद - don't worry mummy. मैने पहले हो बात कर ली थी। उन्होंने एक फॉर्म दिया था मुझे भरके साइन करवाने के लिए। अब अवंतिका ने डिसाइड ही नहीं किया था तो मेरे पास ही रखा हुआ था।
फिर कुमुद अपने रूम में जा कर वो फॉर्म, एफिडेविट और कई डॉक्यूमेंट्स ले कर आए। और उन डॉक्यूमेंट्स पर मेरे साइन करवाए एक साइड अरिंदम के और एक साइड अवंतिका वाले। इन डॉक्यूमेंट्स में मेरी वोटर आईडी, मेरी बैंक पास-बुक, मेरे आधार कार्ड, पैन कार्ड के भी डॉक्यूमेंट्स थे जिनको चेंज करवाना था। कुमुद ने आधार कार्ड फॉर्म को अलग कर लिया।
कुमुद - इसको चेंज करवाने के लिए तुम्हें भी जाना पड़ेगा तो कल चलेंगे।
मैं - hmmm
जब मैं साइन कर रही थी तो एक बात मेरे दिमाग में आई कि ये शायद मेरे लास्ट साइन हैं अरिंदम वाले। आगे से मेरे कागजों पर अवंतिका ही लिखा होगा और साइन भी वही होंगे।
इधर मैं सभी डॉक्यूमेंट्स पर मैं साइन कर रही थी और दूसरी तरफ पापा ने डॉक्टर से बात कर ली जिस पर एक हफ्ते बाद की अपॉइंटमेंट मिली सर्जरी की।
पापा - सुनो सब लोग एक हफ्ते के बाद की अपॉइंटमेंट मिली है सर्जरी के लिए। एक दिन पहले ही जाना पड़ेगा। सभी पेपर वर्क के लिए।
Lund khada kr diya 3 baar. Muthi mari h, bhut hi hot story h boss, romantic sexy
 

KD's Love

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जब हमें पापा ने बताया कि अगले हफ्ते जाना है हॉस्पिटल ऑपरेशन से एक दिन पहले तो मैं खुश हो गई। पता नहीं उस टाइम खुशी की बात क्या थी लेकिन थी।
कुमुद - ये तो बहुत अच्छी खबर है पापा। मम्मी मुंह मीठा करवाए।
मम्मी - अभी लाती हूं।
मैं - पापा, सुशीला आंटी को भी बता दें।
पापा - अरे हां सुशीला को भी तो बताना है।
पापा सुशीला आंटी को कॉल करने लगे। मम्मी भी मीठे के लिए गईं थीं तो कुमुद मेरे पास आकर खड़े हो गए और मेरी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ घसीट लिया। मैं कुमुद के टच से सिहर गई थी। क्योंकि अब तो ये कन्फर्म हो गया था कि वो मेरे हसबैंड बन जायेंगे। उनका मुझे अपनी तरफ घसीटने पर मेरे हाथ उनके चेस्ट पर पहुंच गए थे। वो मुझे फील कर रहे थे। हम दोनो एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और कुमुद अपने चेहरे को मेरी तरफ लाने लगे जिसके वजह से मेरी आंखें बंद हो गईं। हमारा किस होने ही वाला था कि मम्मी की आवाज़ आई तो हम एक दम से अलग हो गए।
मम्मी - लो बेटा मैने खीर बनाई है। (मुस्कुरा कर) बेटा ये सब खुले में करना ठीक नहीं है तो आगे से ध्यान रखना।
मैं वैसे भी डर रही थी कि मम्मी की बात से शर्मा गई।
मम्मी - वाह मेरी बेटी शर्मा गई।
अभी हम बात ही कर रहे थे कि पापा आ गए।
पापा - सुशीला अभी थोड़ी देर में आ रही है। और क्या बात है ये दोनो ऐसे शर्मा क्यों रहे हैं।
मम्मी - अरे कुछ नहीं ये किस करने वाले थे।
पापा - अच्छा अच्छा ठीक है। (मम्मी के कान में) ये अभी से लग गए अभी तो ऑपरेशन भी नहीं हुआ और वो भी खुले में।
मम्मी - अभी आती हूं बच्चों। तुम्हारे पापा से बात करनी है ठीक। कुमुद ध्यान रखना।
मम्मी पापा चले गए बाहर।
मैं - मम्मी ने ध्यान रखने को क्यों बोला।
कुमुद - अरे मेरी जान मम्मी ने देख लिया था न इसलिए कह के गईं हैं कि कुछ करना नहीं।
मैं - ये कब कहा उन्होंने और वैसे भी अभी कुछ नहीं करना मुझे।
कुमुद - ये इशारे में कहा उन्होंने और क्यों नहीं करना, मुझे तो करना है।
मैं - चुप करिए बाद में देखेंगे।
मम्मी पापा भी बात करके आ गए। अभी ये दोनो आए ही थे कि डोर वेल बजी। पापा गए देखने तो सुशीला आंटी थीं।
सुशीला आंटी - क्या हुआ अन्विता (मम्मी का नाम)। इतनी अर्जेंट क्यों बुलाया।
मम्मी - हुआ कुछ नहीं दीदी, होने वाला है।
सुशीला आंटी - मतलब।
मम्मी - अरे खुशखबरी है। ये ऑपरेशन करवाने के लिए तैयार है। कुछ दिन बाद ये हमारी बेटी बन जायेगी। अवंतिका
सुशीला आंटी - ये तो सच में खुशी की बात है। मिठाई खिलाओ।
मम्मी - हां ये लो खीर बनाई है।
हम सबने खीर खाई और कुछ देर बैठ कर बातें कीं। हम सब इस बात को लेकर भी डिस्कस कर रहे थे कि अब बाहर कैसे इंट्रोड्यूस करना है मुझे। कुछ देर डिस्कस हुआ।
पापा - अभी इस बात को यहीं खत्म करते हैं और बच्चों आप लोग अपने अपने रूम में जाओ अपनी स्टडी करो जा कर एग्जाम आने वाले हैं।
कुमुद - पापा मैं एमबीबीएस में हूं मेरे एग्जाम्स जुलाई अगस्त की तरफ होते हैं।
पापा - OK लेकिन आपको काम भी है और बेटा इसके एग्जाम्स तो हैं तो आप लोग जाइए। पढ़ाई करिए और आराम करिए।
हम दोनो उठ कर अपने अपने रूम में चले गए ये तीनों कुछ देर बातें करते रहे और कुछ देर बाद सुशीला आंटी अपने घर चली गईं तो मम्मी पापा भी अपने रूम में चले गए।
अगले दिन हम लोग आधार सेंटर पहुंचे मेरा आधार अपडेट करवाने के लिए।
कुमुद - सर इसका आधार अपडेट करवाना है।
आधार वाले - OK क्या अपडेट करवाना है।
कुमुद - इसके आधार में इसका नाम और जेंडर गलत आ गया है।
कुमुद को झूठ बोलते हुए देख मैं चौंक गई। कुमुद ने मेरा हाथ दवा दिया पकड़ के।
आधार सेंटर वाला कभी मेरे आधार को देखता तो कभी मुझे देखता। अब मेरा तो पूरा हुलिया ही चेंज हो चुका था तो आधार कार्ड गलत ही लगता तो हां आधार कार्ड में गलती थी। इसलिए आधार कार्ड वाले ने मेरे जेंडर और नाम की पहचान के लिए सभासद का लिखित लेटर और जन्म प्रमाण पत्र मांगा जो कि कुमुद पहले ही बनवा चुके थे मेरे नए नाम अवंतिका के नाम से। कुमुद ने मेरे डॉक्यूमेंट्स दिखाए तो उसने आधार चेंज करने के लिए फॉर्म फिल किया।
जब हम बाहर निकले तो
मैं - कुमुद ये डॉक्यूमेंट्स कब बनवा लिए आपने।
कुमुद - जन्म प्रमाण पत्र कल बन कर आया था और सभासद का लेटर आज सुबह ही बनवाया था।
मैं - सुबह कब।
कुमुद - जब आप सो कर उठीं थीं मैडम तब हम बनवा कर ले आए थे।
मैं कुमुद का मुझे मैडम कहने से मैं शर्मा गई।
कुमुद - वो सब छोड़ो चलो आइसक्रीम खाते हैं।
मुझे आइसक्रीम बेहद पसंद है तो मैने हां में सर हिलाया। हम आइसक्रीम खाने पहुंच गए।
मैं - मैं आपसे एक बात पूछूं।
कुमुद - हां क्यों नहीं।पूछो क्या पूछना है।
मैं - क्या आप सच में मुझसे प्यार करते हैं या कुछ और बात है।
कुमुद - मैं किसी के दबाओ में आ कर तुम्हारे साथ नहीं हूं मैं तुमसे प्यार करता हूं।
फिर हमने कोई बात नहीं की और शान्ती से आइसक्रीम से खाने लगे।
हम आइसक्रीम खा कर घर चले गए।
मैं अब लड़कियों के कपड़े पहनने लगी थी और सभी काम करती थी। जब मैं और मम्मी अकेले होते तो वो कुछ न कुछ मुझे सिखाती रहतीं। हम दोनो मां बेटे या मां बेटी की जगह एक दोस्त की तरह हो गए थे। हमने एक दूसरे के सारे सीक्रेट्स जान लिए थे।
ऐसे ही काम सीखते हुए और मस्ती करते हुए एक हफ्ता बीत गया और हमारा हॉस्पिटल जाने का टाइम आ गया। कुमुद ने मेरे नए आधार कार्ड को निकलवा लिया। हमने सभी तैयारी कर के निकल गए हॉस्पिटल। अबकी बार हम सुबह के 4 बजे निकले थे तो 10 बजे तक पहुँच गए। हम सीधे हॉस्पिटल गए थे। हम सीधे जा कर डॉक्टर से मिले। डॉक्टर ने हमे बताया कि मुझे एक दिन पहले भर्ती किया जाएगा और सभी रिपोर्ट्स अर्जेन्ट बेसिस पर फिर से करवाई जाएंगी। फिर डॉक्टर ने मेरा नया आधार कार्ड लिया, मेरे फिंगर प्रिंट लिए डॉक्यूमेंट्स पर, पापा को पेमेंट करने को बोला। और मुझे एक वार्ड में भिजवा दिया जहां सभी जांच हो जाएंगी एक साथ।
शाम तक रिपोर्ट्स आईं फिर मेरे ऑपरेशन की तैयारी होने लगीं अगले दिन के लिए। सुबह 6 बजे मुझे तैयार किया गया ऑपरेशन के लिए मैं कुछ सोंच रही थी तो मैने पहले डॉक्टर से अकेले मिलने को बोला तो डॉक्टर आईं और सबको वार्ड से बाहर निकल दिया गया।
डॉक्टर - क्या हुआ बेटा कोई प्रोब्लम है।
मैं - नहीं कोई प्रोब्लम नहीं है लेकिन एक सवाल है मेरा।
डॉक्टर - OK पूछो।
मैं - मेरे ऑपरेशन के बाद क्या मैं नॉर्मल लड़कियों बाली लाइफ जी पाऊंगा। मेरे कहने का मतलब है कि अगर मेरी शादी हुई तो क्या मेरे बच्चे होंगे। अगर नहीं हुए तो मेरा ये ऑपरेशन करवाना बेकार हो जायेगा।
डॉक्टर - Baby You are totally normal. Don't worry. तुम बेबी कैरी कर सकते हो। एक बात बताऊं तुम्हारे लड़कों के हार्मोन्स से ज्यादा लड़कियों के हार्मोन्स एक्टिव हैं। तुम्हें मैने हाई डोज की मेडिसिन दी थी फिर भी देखो तुम एक लड़की की तरह दिख रहे हो। अगर किसी और को वही मेडिसिन दी जाती तो उसको एक साल की जगह सिर्फ six months लगते ठीक होने में वहीं तुम पर इसका कोई असर ही नहीं हुआ। और कोई बात।
मैं - नहीं अब कोई सवाल नहीं है।
डॉक्टर - अब तुम लड़की बनने वाले हो तो लड़कियों की तरह बोलना शुरू करो।
मैं - बोलता हूं मैं लेकिन आपके सामने थोड़ी शर्म आ रही थी इसलिए।
डॉक्टर - Don't be hasitate. खुद को एक्सेप्ट करो OK.
मैं - जी डॉक्टर। एक सवाल और मेरे दिमाग में आया है।
डॉक्टर - OK carry on.
मैं - मेरे ऑपरेशन के बाद मुझमें लड़कों की कॉम्प्लिकेशन तो नहीं होगी। मेरा मतलब है कि मुझमें लड़कों वाले glands भी हैं तो कहीं वो बाद में प्रोब्लम न क्रिएट करें।
डॉक्टर - Don't worry हम उन glands को भी निकल देंगे।
मैं - Ohh thankyou mam. अब कोई प्रोब्लम नहीं है अब हम चल सकते हैं।
डॉक्टर - That's great. मैं OT में देखती हूं तैयारी हुई या नहीं।
उसके कुछ देर बाद मुझे OT में ले जाया गया। मेरी फैमिली वाले सब बाहर खड़े हुए थे। मम्मी, पापा, कुमुद, सुशीला आंटी सभी भगवान से प्रे कर रहे थे कि सब ठीक हो कोई गड़बड़ न हो।
मुझे OT में सुबह 8 बजे के करीब ले जाया गया था और ऑपरेशन होने में कोई 8 घंटे लग गए। फिर मुझे मेरे पुराने वार्ड की जगह प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया। मैं सेमी अनकॉन्सियस थी। मुझे ठीक से फुल होश में आने में कोई 2 घंटे और लग गए और मुझे शाम को 6 बजे होश आया। जब मुझे होश आया तब डॉक्टर आईं मिलने।
डॉक्टर - हेलो अवंतिका दर्द तो नहीं हो रहा है।
मैं - नो मैम।
डॉक्टर - Hmmm great.
मैं - मैम वो ऑपरेशन का निशान रहेगा न।
डॉक्टर ने पापा और कुमुद को बाहर भेज दिया। फिर मेरी चादर हटा कर मम्मी से मेरी ड्रेस हटवाई। ड्रेस हटने के बाद मुझे हल्का सा बैठाया गया। जब मैंने देखा जहां पर मेरा लन्ड था वहां पर कोई भी निशान नहीं है ऐसा लग रहा था कि मेरे कभी लन्ड था ही नहीं। मम्मी, सुशीला आंटी और मैने जब ये देखा तो चौंक गए।
मम्मी - कोई निशान ही नहीं है ऐसा लग रहा है कि इसके कभी वो था ही नहीं।
डॉक्टर - ऐसा इसलिए मिसेज चौहान क्योंकि हमने सब प्रोसीजर के बाद प्लास्टिक सर्जरी भी करी है ताकि कोई निशान न हो।
ये सुन हम खुश हो गए। फिर डॉक्टर ने हमें प्रिकॉशन और मेडिसिन का बताया।
हम लोग एक हफ्ते हॉस्पिटल में रहे फिर अपने घर आ गए।
 

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जब हमें पापा ने बताया कि अगले हफ्ते जाना है हॉस्पिटल ऑपरेशन से एक दिन पहले तो मैं खुश हो गई। पता नहीं उस टाइम खुशी की बात क्या थी लेकिन थी।
कुमुद - ये तो बहुत अच्छी खबर है पापा। मम्मी मुंह मीठा करवाए।
मम्मी - अभी लाती हूं।
मैं - पापा, सुशीला आंटी को भी बता दें।
पापा - अरे हां सुशीला को भी तो बताना है।
पापा सुशीला आंटी को कॉल करने लगे। मम्मी भी मीठे के लिए गईं थीं तो कुमुद मेरे पास आकर खड़े हो गए और मेरी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ घसीट लिया। मैं कुमुद के टच से सिहर गई थी। क्योंकि अब तो ये कन्फर्म हो गया था कि वो मेरे हसबैंड बन जायेंगे। उनका मुझे अपनी तरफ घसीटने पर मेरे हाथ उनके चेस्ट पर पहुंच गए थे। वो मुझे फील कर रहे थे। हम दोनो एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और कुमुद अपने चेहरे को मेरी तरफ लाने लगे जिसके वजह से मेरी आंखें बंद हो गईं। हमारा किस होने ही वाला था कि मम्मी की आवाज़ आई तो हम एक दम से अलग हो गए।
मम्मी - लो बेटा मैने खीर बनाई है। (मुस्कुरा कर) बेटा ये सब खुले में करना ठीक नहीं है तो आगे से ध्यान रखना।
मैं वैसे भी डर रही थी कि मम्मी की बात से शर्मा गई।
मम्मी - वाह मेरी बेटी शर्मा गई।
अभी हम बात ही कर रहे थे कि पापा आ गए।
पापा - सुशीला अभी थोड़ी देर में आ रही है। और क्या बात है ये दोनो ऐसे शर्मा क्यों रहे हैं।
मम्मी - अरे कुछ नहीं ये किस करने वाले थे।
पापा - अच्छा अच्छा ठीक है। (मम्मी के कान में) ये अभी से लग गए अभी तो ऑपरेशन भी नहीं हुआ और वो भी खुले में।
मम्मी - अभी आती हूं बच्चों। तुम्हारे पापा से बात करनी है ठीक। कुमुद ध्यान रखना।
मम्मी पापा चले गए बाहर।
मैं - मम्मी ने ध्यान रखने को क्यों बोला।
कुमुद - अरे मेरी जान मम्मी ने देख लिया था न इसलिए कह के गईं हैं कि कुछ करना नहीं।
मैं - ये कब कहा उन्होंने और वैसे भी अभी कुछ नहीं करना मुझे।
कुमुद - ये इशारे में कहा उन्होंने और क्यों नहीं करना, मुझे तो करना है।
मैं - चुप करिए बाद में देखेंगे।
मम्मी पापा भी बात करके आ गए। अभी ये दोनो आए ही थे कि डोर वेल बजी। पापा गए देखने तो सुशीला आंटी थीं।
सुशीला आंटी - क्या हुआ अन्विता (मम्मी का नाम)। इतनी अर्जेंट क्यों बुलाया।
मम्मी - हुआ कुछ नहीं दीदी, होने वाला है।
सुशीला आंटी - मतलब।
मम्मी - अरे खुशखबरी है। ये ऑपरेशन करवाने के लिए तैयार है। कुछ दिन बाद ये हमारी बेटी बन जायेगी। अवंतिका
सुशीला आंटी - ये तो सच में खुशी की बात है। मिठाई खिलाओ।
मम्मी - हां ये लो खीर बनाई है।
हम सबने खीर खाई और कुछ देर बैठ कर बातें कीं। हम सब इस बात को लेकर भी डिस्कस कर रहे थे कि अब बाहर कैसे इंट्रोड्यूस करना है मुझे। कुछ देर डिस्कस हुआ।
पापा - अभी इस बात को यहीं खत्म करते हैं और बच्चों आप लोग अपने अपने रूम में जाओ अपनी स्टडी करो जा कर एग्जाम आने वाले हैं।
कुमुद - पापा मैं एमबीबीएस में हूं मेरे एग्जाम्स जुलाई अगस्त की तरफ होते हैं।
पापा - OK लेकिन आपको काम भी है और बेटा इसके एग्जाम्स तो हैं तो आप लोग जाइए। पढ़ाई करिए और आराम करिए।
हम दोनो उठ कर अपने अपने रूम में चले गए ये तीनों कुछ देर बातें करते रहे और कुछ देर बाद सुशीला आंटी अपने घर चली गईं तो मम्मी पापा भी अपने रूम में चले गए।
अगले दिन हम लोग आधार सेंटर पहुंचे मेरा आधार अपडेट करवाने के लिए।
कुमुद - सर इसका आधार अपडेट करवाना है।
आधार वाले - OK क्या अपडेट करवाना है।
कुमुद - इसके आधार में इसका नाम और जेंडर गलत आ गया है।
कुमुद को झूठ बोलते हुए देख मैं चौंक गई। कुमुद ने मेरा हाथ दवा दिया पकड़ के।
आधार सेंटर वाला कभी मेरे आधार को देखता तो कभी मुझे देखता। अब मेरा तो पूरा हुलिया ही चेंज हो चुका था तो आधार कार्ड गलत ही लगता तो हां आधार कार्ड में गलती थी। इसलिए आधार कार्ड वाले ने मेरे जेंडर और नाम की पहचान के लिए सभासद का लिखित लेटर और जन्म प्रमाण पत्र मांगा जो कि कुमुद पहले ही बनवा चुके थे मेरे नए नाम अवंतिका के नाम से। कुमुद ने मेरे डॉक्यूमेंट्स दिखाए तो उसने आधार चेंज करने के लिए फॉर्म फिल किया।
जब हम बाहर निकले तो
मैं - कुमुद ये डॉक्यूमेंट्स कब बनवा लिए आपने।
कुमुद - जन्म प्रमाण पत्र कल बन कर आया था और सभासद का लेटर आज सुबह ही बनवाया था।
मैं - सुबह कब।
कुमुद - जब आप सो कर उठीं थीं मैडम तब हम बनवा कर ले आए थे।
मैं कुमुद का मुझे मैडम कहने से मैं शर्मा गई।
कुमुद - वो सब छोड़ो चलो आइसक्रीम खाते हैं।
मुझे आइसक्रीम बेहद पसंद है तो मैने हां में सर हिलाया। हम आइसक्रीम खाने पहुंच गए।
मैं - मैं आपसे एक बात पूछूं।
कुमुद - हां क्यों नहीं।पूछो क्या पूछना है।
मैं - क्या आप सच में मुझसे प्यार करते हैं या कुछ और बात है।
कुमुद - मैं किसी के दबाओ में आ कर तुम्हारे साथ नहीं हूं मैं तुमसे प्यार करता हूं।
फिर हमने कोई बात नहीं की और शान्ती से आइसक्रीम से खाने लगे।
हम आइसक्रीम खा कर घर चले गए।
मैं अब लड़कियों के कपड़े पहनने लगी थी और सभी काम करती थी। जब मैं और मम्मी अकेले होते तो वो कुछ न कुछ मुझे सिखाती रहतीं। हम दोनो मां बेटे या मां बेटी की जगह एक दोस्त की तरह हो गए थे। हमने एक दूसरे के सारे सीक्रेट्स जान लिए थे।
ऐसे ही काम सीखते हुए और मस्ती करते हुए एक हफ्ता बीत गया और हमारा हॉस्पिटल जाने का टाइम आ गया। कुमुद ने मेरे नए आधार कार्ड को निकलवा लिया। हमने सभी तैयारी कर के निकल गए हॉस्पिटल। अबकी बार हम सुबह के 4 बजे निकले थे तो 10 बजे तक पहुँच गए। हम सीधे हॉस्पिटल गए थे। हम सीधे जा कर डॉक्टर से मिले। डॉक्टर ने हमे बताया कि मुझे एक दिन पहले भर्ती किया जाएगा और सभी रिपोर्ट्स अर्जेन्ट बेसिस पर फिर से करवाई जाएंगी। फिर डॉक्टर ने मेरा नया आधार कार्ड लिया, मेरे फिंगर प्रिंट लिए डॉक्यूमेंट्स पर, पापा को पेमेंट करने को बोला। और मुझे एक वार्ड में भिजवा दिया जहां सभी जांच हो जाएंगी एक साथ।
शाम तक रिपोर्ट्स आईं फिर मेरे ऑपरेशन की तैयारी होने लगीं अगले दिन के लिए। सुबह 6 बजे मुझे तैयार किया गया ऑपरेशन के लिए मैं कुछ सोंच रही थी तो मैने पहले डॉक्टर से अकेले मिलने को बोला तो डॉक्टर आईं और सबको वार्ड से बाहर निकल दिया गया।
डॉक्टर - क्या हुआ बेटा कोई प्रोब्लम है।
मैं - नहीं कोई प्रोब्लम नहीं है लेकिन एक सवाल है मेरा।
डॉक्टर - OK पूछो।
मैं - मेरे ऑपरेशन के बाद क्या मैं नॉर्मल लड़कियों बाली लाइफ जी पाऊंगा। मेरे कहने का मतलब है कि अगर मेरी शादी हुई तो क्या मेरे बच्चे होंगे। अगर नहीं हुए तो मेरा ये ऑपरेशन करवाना बेकार हो जायेगा।
डॉक्टर - Baby You are totally normal. Don't worry. तुम बेबी कैरी कर सकते हो। एक बात बताऊं तुम्हारे लड़कों के हार्मोन्स से ज्यादा लड़कियों के हार्मोन्स एक्टिव हैं। तुम्हें मैने हाई डोज की मेडिसिन दी थी फिर भी देखो तुम एक लड़की की तरह दिख रहे हो। अगर किसी और को वही मेडिसिन दी जाती तो उसको एक साल की जगह सिर्फ six months लगते ठीक होने में वहीं तुम पर इसका कोई असर ही नहीं हुआ। और कोई बात।
मैं - नहीं अब कोई सवाल नहीं है।
डॉक्टर - अब तुम लड़की बनने वाले हो तो लड़कियों की तरह बोलना शुरू करो।
मैं - बोलता हूं मैं लेकिन आपके सामने थोड़ी शर्म आ रही थी इसलिए।
डॉक्टर - Don't be hasitate. खुद को एक्सेप्ट करो OK.
मैं - जी डॉक्टर। एक सवाल और मेरे दिमाग में आया है।
डॉक्टर - OK carry on.
मैं - मेरे ऑपरेशन के बाद मुझमें लड़कों की कॉम्प्लिकेशन तो नहीं होगी। मेरा मतलब है कि मुझमें लड़कों वाले glands भी हैं तो कहीं वो बाद में प्रोब्लम न क्रिएट करें।
डॉक्टर - Don't worry हम उन glands को भी निकल देंगे।
मैं - Ohh thankyou mam. अब कोई प्रोब्लम नहीं है अब हम चल सकते हैं।
डॉक्टर - That's great. मैं OT में देखती हूं तैयारी हुई या नहीं।
उसके कुछ देर बाद मुझे OT में ले जाया गया। मेरी फैमिली वाले सब बाहर खड़े हुए थे। मम्मी, पापा, कुमुद, सुशीला आंटी सभी भगवान से प्रे कर रहे थे कि सब ठीक हो कोई गड़बड़ न हो।
मुझे OT में सुबह 8 बजे के करीब ले जाया गया था और ऑपरेशन होने में कोई 8 घंटे लग गए। फिर मुझे मेरे पुराने वार्ड की जगह प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया। मैं सेमी अनकॉन्सियस थी। मुझे ठीक से फुल होश में आने में कोई 2 घंटे और लग गए और मुझे शाम को 6 बजे होश आया। जब मुझे होश आया तब डॉक्टर आईं मिलने।
डॉक्टर - हेलो अवंतिका दर्द तो नहीं हो रहा है।
मैं - नो मैम।
डॉक्टर - Hmmm great.
मैं - मैम वो ऑपरेशन का निशान रहेगा न।
डॉक्टर ने पापा और कुमुद को बाहर भेज दिया। फिर मेरी चादर हटा कर मम्मी से मेरी ड्रेस हटवाई। ड्रेस हटने के बाद मुझे हल्का सा बैठाया गया। जब मैंने देखा जहां पर मेरा लन्ड था वहां पर कोई भी निशान नहीं है ऐसा लग रहा था कि मेरे कभी लन्ड था ही नहीं। मम्मी, सुशीला आंटी और मैने जब ये देखा तो चौंक गए।
मम्मी - कोई निशान ही नहीं है ऐसा लग रहा है कि इसके कभी वो था ही नहीं।
डॉक्टर - ऐसा इसलिए मिसेज चौहान क्योंकि हमने सब प्रोसीजर के बाद प्लास्टिक सर्जरी भी करी है ताकि कोई निशान न हो।
ये सुन हम खुश हो गए। फिर डॉक्टर ने हमें प्रिकॉशन और मेडिसिन का बताया।
हम लोग एक हफ्ते हॉस्पिटल में रहे फिर अपने घर आ गए।
क्या करा दिया.... सबसे बेहतरीन चीज ही कटवा दी, अब क्या घंटा मजा लोगी, बेचारा कुमुद् अपनी गांड में अवंतिका का लंड लेने के लिए ही ब्याह कर रहा था..... 😜
 
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जब हमें पापा ने बताया कि अगले हफ्ते जाना है हॉस्पिटल ऑपरेशन से एक दिन पहले तो मैं खुश हो गई। पता नहीं उस टाइम खुशी की बात क्या थी लेकिन थी।
कुमुद - ये तो बहुत अच्छी खबर है पापा। मम्मी मुंह मीठा करवाए।
मम्मी - अभी लाती हूं।
मैं - पापा, सुशीला आंटी को भी बता दें।
पापा - अरे हां सुशीला को भी तो बताना है।
पापा सुशीला आंटी को कॉल करने लगे। मम्मी भी मीठे के लिए गईं थीं तो कुमुद मेरे पास आकर खड़े हो गए और मेरी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ घसीट लिया। मैं कुमुद के टच से सिहर गई थी। क्योंकि अब तो ये कन्फर्म हो गया था कि वो मेरे हसबैंड बन जायेंगे। उनका मुझे अपनी तरफ घसीटने पर मेरे हाथ उनके चेस्ट पर पहुंच गए थे। वो मुझे फील कर रहे थे। हम दोनो एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और कुमुद अपने चेहरे को मेरी तरफ लाने लगे जिसके वजह से मेरी आंखें बंद हो गईं। हमारा किस होने ही वाला था कि मम्मी की आवाज़ आई तो हम एक दम से अलग हो गए।
मम्मी - लो बेटा मैने खीर बनाई है। (मुस्कुरा कर) बेटा ये सब खुले में करना ठीक नहीं है तो आगे से ध्यान रखना।
मैं वैसे भी डर रही थी कि मम्मी की बात से शर्मा गई।
मम्मी - वाह मेरी बेटी शर्मा गई।
अभी हम बात ही कर रहे थे कि पापा आ गए।
पापा - सुशीला अभी थोड़ी देर में आ रही है। और क्या बात है ये दोनो ऐसे शर्मा क्यों रहे हैं।
मम्मी - अरे कुछ नहीं ये किस करने वाले थे।
पापा - अच्छा अच्छा ठीक है। (मम्मी के कान में) ये अभी से लग गए अभी तो ऑपरेशन भी नहीं हुआ और वो भी खुले में।
मम्मी - अभी आती हूं बच्चों। तुम्हारे पापा से बात करनी है ठीक। कुमुद ध्यान रखना।
मम्मी पापा चले गए बाहर।
मैं - मम्मी ने ध्यान रखने को क्यों बोला।
कुमुद - अरे मेरी जान मम्मी ने देख लिया था न इसलिए कह के गईं हैं कि कुछ करना नहीं।
मैं - ये कब कहा उन्होंने और वैसे भी अभी कुछ नहीं करना मुझे।
कुमुद - ये इशारे में कहा उन्होंने और क्यों नहीं करना, मुझे तो करना है।
मैं - चुप करिए बाद में देखेंगे।
मम्मी पापा भी बात करके आ गए। अभी ये दोनो आए ही थे कि डोर वेल बजी। पापा गए देखने तो सुशीला आंटी थीं।
सुशीला आंटी - क्या हुआ अन्विता (मम्मी का नाम)। इतनी अर्जेंट क्यों बुलाया।
मम्मी - हुआ कुछ नहीं दीदी, होने वाला है।
सुशीला आंटी - मतलब।
मम्मी - अरे खुशखबरी है। ये ऑपरेशन करवाने के लिए तैयार है। कुछ दिन बाद ये हमारी बेटी बन जायेगी। अवंतिका
सुशीला आंटी - ये तो सच में खुशी की बात है। मिठाई खिलाओ।
मम्मी - हां ये लो खीर बनाई है।
हम सबने खीर खाई और कुछ देर बैठ कर बातें कीं। हम सब इस बात को लेकर भी डिस्कस कर रहे थे कि अब बाहर कैसे इंट्रोड्यूस करना है मुझे। कुछ देर डिस्कस हुआ।
पापा - अभी इस बात को यहीं खत्म करते हैं और बच्चों आप लोग अपने अपने रूम में जाओ अपनी स्टडी करो जा कर एग्जाम आने वाले हैं।
कुमुद - पापा मैं एमबीबीएस में हूं मेरे एग्जाम्स जुलाई अगस्त की तरफ होते हैं।
पापा - OK लेकिन आपको काम भी है और बेटा इसके एग्जाम्स तो हैं तो आप लोग जाइए। पढ़ाई करिए और आराम करिए।
हम दोनो उठ कर अपने अपने रूम में चले गए ये तीनों कुछ देर बातें करते रहे और कुछ देर बाद सुशीला आंटी अपने घर चली गईं तो मम्मी पापा भी अपने रूम में चले गए।
अगले दिन हम लोग आधार सेंटर पहुंचे मेरा आधार अपडेट करवाने के लिए।
कुमुद - सर इसका आधार अपडेट करवाना है।
आधार वाले - OK क्या अपडेट करवाना है।
कुमुद - इसके आधार में इसका नाम और जेंडर गलत आ गया है।
कुमुद को झूठ बोलते हुए देख मैं चौंक गई। कुमुद ने मेरा हाथ दवा दिया पकड़ के।
आधार सेंटर वाला कभी मेरे आधार को देखता तो कभी मुझे देखता। अब मेरा तो पूरा हुलिया ही चेंज हो चुका था तो आधार कार्ड गलत ही लगता तो हां आधार कार्ड में गलती थी। इसलिए आधार कार्ड वाले ने मेरे जेंडर और नाम की पहचान के लिए सभासद का लिखित लेटर और जन्म प्रमाण पत्र मांगा जो कि कुमुद पहले ही बनवा चुके थे मेरे नए नाम अवंतिका के नाम से। कुमुद ने मेरे डॉक्यूमेंट्स दिखाए तो उसने आधार चेंज करने के लिए फॉर्म फिल किया।
जब हम बाहर निकले तो
मैं - कुमुद ये डॉक्यूमेंट्स कब बनवा लिए आपने।
कुमुद - जन्म प्रमाण पत्र कल बन कर आया था और सभासद का लेटर आज सुबह ही बनवाया था।
मैं - सुबह कब।
कुमुद - जब आप सो कर उठीं थीं मैडम तब हम बनवा कर ले आए थे।
मैं कुमुद का मुझे मैडम कहने से मैं शर्मा गई।
कुमुद - वो सब छोड़ो चलो आइसक्रीम खाते हैं।
मुझे आइसक्रीम बेहद पसंद है तो मैने हां में सर हिलाया। हम आइसक्रीम खाने पहुंच गए।
मैं - मैं आपसे एक बात पूछूं।
कुमुद - हां क्यों नहीं।पूछो क्या पूछना है।
मैं - क्या आप सच में मुझसे प्यार करते हैं या कुछ और बात है।
कुमुद - मैं किसी के दबाओ में आ कर तुम्हारे साथ नहीं हूं मैं तुमसे प्यार करता हूं।
फिर हमने कोई बात नहीं की और शान्ती से आइसक्रीम से खाने लगे।
हम आइसक्रीम खा कर घर चले गए।
मैं अब लड़कियों के कपड़े पहनने लगी थी और सभी काम करती थी। जब मैं और मम्मी अकेले होते तो वो कुछ न कुछ मुझे सिखाती रहतीं। हम दोनो मां बेटे या मां बेटी की जगह एक दोस्त की तरह हो गए थे। हमने एक दूसरे के सारे सीक्रेट्स जान लिए थे।
ऐसे ही काम सीखते हुए और मस्ती करते हुए एक हफ्ता बीत गया और हमारा हॉस्पिटल जाने का टाइम आ गया। कुमुद ने मेरे नए आधार कार्ड को निकलवा लिया। हमने सभी तैयारी कर के निकल गए हॉस्पिटल। अबकी बार हम सुबह के 4 बजे निकले थे तो 10 बजे तक पहुँच गए। हम सीधे हॉस्पिटल गए थे। हम सीधे जा कर डॉक्टर से मिले। डॉक्टर ने हमे बताया कि मुझे एक दिन पहले भर्ती किया जाएगा और सभी रिपोर्ट्स अर्जेन्ट बेसिस पर फिर से करवाई जाएंगी। फिर डॉक्टर ने मेरा नया आधार कार्ड लिया, मेरे फिंगर प्रिंट लिए डॉक्यूमेंट्स पर, पापा को पेमेंट करने को बोला। और मुझे एक वार्ड में भिजवा दिया जहां सभी जांच हो जाएंगी एक साथ।
शाम तक रिपोर्ट्स आईं फिर मेरे ऑपरेशन की तैयारी होने लगीं अगले दिन के लिए। सुबह 6 बजे मुझे तैयार किया गया ऑपरेशन के लिए मैं कुछ सोंच रही थी तो मैने पहले डॉक्टर से अकेले मिलने को बोला तो डॉक्टर आईं और सबको वार्ड से बाहर निकल दिया गया।
डॉक्टर - क्या हुआ बेटा कोई प्रोब्लम है।
मैं - नहीं कोई प्रोब्लम नहीं है लेकिन एक सवाल है मेरा।
डॉक्टर - OK पूछो।
मैं - मेरे ऑपरेशन के बाद क्या मैं नॉर्मल लड़कियों बाली लाइफ जी पाऊंगा। मेरे कहने का मतलब है कि अगर मेरी शादी हुई तो क्या मेरे बच्चे होंगे। अगर नहीं हुए तो मेरा ये ऑपरेशन करवाना बेकार हो जायेगा।
डॉक्टर - Baby You are totally normal. Don't worry. तुम बेबी कैरी कर सकते हो। एक बात बताऊं तुम्हारे लड़कों के हार्मोन्स से ज्यादा लड़कियों के हार्मोन्स एक्टिव हैं। तुम्हें मैने हाई डोज की मेडिसिन दी थी फिर भी देखो तुम एक लड़की की तरह दिख रहे हो। अगर किसी और को वही मेडिसिन दी जाती तो उसको एक साल की जगह सिर्फ six months लगते ठीक होने में वहीं तुम पर इसका कोई असर ही नहीं हुआ। और कोई बात।
मैं - नहीं अब कोई सवाल नहीं है।
डॉक्टर - अब तुम लड़की बनने वाले हो तो लड़कियों की तरह बोलना शुरू करो।
मैं - बोलता हूं मैं लेकिन आपके सामने थोड़ी शर्म आ रही थी इसलिए।
डॉक्टर - Don't be hasitate. खुद को एक्सेप्ट करो OK.
मैं - जी डॉक्टर। एक सवाल और मेरे दिमाग में आया है।
डॉक्टर - OK carry on.
मैं - मेरे ऑपरेशन के बाद मुझमें लड़कों की कॉम्प्लिकेशन तो नहीं होगी। मेरा मतलब है कि मुझमें लड़कों वाले glands भी हैं तो कहीं वो बाद में प्रोब्लम न क्रिएट करें।
डॉक्टर - Don't worry हम उन glands को भी निकल देंगे।
मैं - Ohh thankyou mam. अब कोई प्रोब्लम नहीं है अब हम चल सकते हैं।
डॉक्टर - That's great. मैं OT में देखती हूं तैयारी हुई या नहीं।
उसके कुछ देर बाद मुझे OT में ले जाया गया। मेरी फैमिली वाले सब बाहर खड़े हुए थे। मम्मी, पापा, कुमुद, सुशीला आंटी सभी भगवान से प्रे कर रहे थे कि सब ठीक हो कोई गड़बड़ न हो।
मुझे OT में सुबह 8 बजे के करीब ले जाया गया था और ऑपरेशन होने में कोई 8 घंटे लग गए। फिर मुझे मेरे पुराने वार्ड की जगह प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया। मैं सेमी अनकॉन्सियस थी। मुझे ठीक से फुल होश में आने में कोई 2 घंटे और लग गए और मुझे शाम को 6 बजे होश आया। जब मुझे होश आया तब डॉक्टर आईं मिलने।
डॉक्टर - हेलो अवंतिका दर्द तो नहीं हो रहा है।
मैं - नो मैम।
डॉक्टर - Hmmm great.
मैं - मैम वो ऑपरेशन का निशान रहेगा न।
डॉक्टर ने पापा और कुमुद को बाहर भेज दिया। फिर मेरी चादर हटा कर मम्मी से मेरी ड्रेस हटवाई। ड्रेस हटने के बाद मुझे हल्का सा बैठाया गया। जब मैंने देखा जहां पर मेरा लन्ड था वहां पर कोई भी निशान नहीं है ऐसा लग रहा था कि मेरे कभी लन्ड था ही नहीं। मम्मी, सुशीला आंटी और मैने जब ये देखा तो चौंक गए।
मम्मी - कोई निशान ही नहीं है ऐसा लग रहा है कि इसके कभी वो था ही नहीं।
डॉक्टर - ऐसा इसलिए मिसेज चौहान क्योंकि हमने सब प्रोसीजर के बाद प्लास्टिक सर्जरी भी करी है ताकि कोई निशान न हो।
ये सुन हम खुश हो गए। फिर डॉक्टर ने हमें प्रिकॉशन और मेडिसिन का बताया।
हम लोग एक हफ्ते हॉस्पिटल में रहे फिर अपने घर आ गए।
Aah kya garm update h bhai swaad aa gya bhut achhe ja rhe ho
 

bbbb

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Bahut hi hot kahani hi bhai bhai agar ho sake to avantika ki setting ki badi age se karwana uska dada nana yaa phir uske papa ka dost
 

dkpk

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Bahut hi hot kahani hi bhai bhai agar ho sake to avantika ki setting ki badi age se karwana uska dada nana yaa phir uske papa ka dost
Ab to kumud se setting ho gyi, aap dada kahu ya pati ki story ko aage badhaye kirpya
 
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