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Erotica अरिन्दम से बनी अवंतिका

Ye kahani kis font me likhun???

  • Hindi

    Votes: 15 78.9%
  • Hinglish

    Votes: 4 21.1%

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manu@84

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Lund nahi niklvana chahiye tha
Ab yee oneside story ho gayi
बिल्कुल सही कहा आपने, राइटर ने पूरी कहानी का मजा खराब कर दिया........ हम रीडर ये जानने के लिए पढ़ रहे थे कि जब पत्नी का लंड पति की गांड में जायेगा तो क्या नजारा होगा........ क्योकि पति तो पत्नियों की हमेशा से मारते आये हैं, ये कहानी में पहली बार होता कि एक पत्नी अपने पति की मारेगी 🤣
 
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हम लोग घर आए और फ्रेश हो कर कुछ देर रेस्ट किया। फिर शाम को कुमुद ने हमे पार्टी के लिए बोला।
कुमुद - पापा ये सब हुआ तो क्यों न हम एक पार्टी रखें। सभी फैमिली मेंबर्स को बुलाएं इस पार्टी में।
पापा - पार्टी करना है तो ठीक है लेकिन सभी को बुलाना कुछ गलत न हो जाए।
कुमुद - पापा ये सोचिए आप अभी सब को पता चल जाएगा तो सही रहेगा। अगर बाद में पता लगा तो गलत होगा। हम अभी समझा सकते हैं सबको बाद में फिर परेशानी हो सकती है।
पापा - बात तो सही है।
कुमुद - और उस पार्टी में हमारी शादी की अनाउंसमेंट कर देना तो डबल पार्टी हो जायेगी।
पापा - ये आइडिया अच्छा है।
पापा ने सबको फोन किया और पार्टी का बताया तो ताऊ जी, और चाचा लोग मेरे ऑपरेशन के लिए गुस्सा हुए और रिश्ता तोड़ने की बात कही।
ताऊ जी - ये क्या किया तुमने लड़के को लड़की बना दिया। अधर्म का काम कर दिया तुम लोगों ने और अधर्मियों से रिश्ता रखने से हम भी अधर्मी लगेंगे।
चाचा ने भी ऐसा ही कुछ कहा और फोन कट कर दिया।
पापा मम्मी तो इस वजह से अपने भाई लोगों से गुस्सा हो रहे थे और मैं तो रोने लगी थी। कुमुद मुझे चुप करा रहे थे।
कुमुद - अवि रो मत, सब सही हो जायेगा। कुछ टाइम तो देना ही पड़ेगा उन्हें।
मैं - उन्हें बता के ठीक नहीं किया हमने।
कुमुद - अवंतिका, जान देखो अगर बाद में पता चलता फिर क्या होता। अभी बता दिया ये ठीक रहा बाद में पता चलता तो शायद और भी बुरा होता।
सब मुझे समझाने में लगे हुए थे और मैं रोए जा रही थी। ऐसे ही करीब आधे घंटे बाद पापा मोबाइल रिंग हुआ, जब पापा ने मोबाइल देखा तो ताऊ जी का फोन था।
पापा - बड़े भाई साहब का फोन आ रहा है।अब क्या है इनको
कुमुद - उठाइए पापा तभी तो पता चलेगा कि क्या बात है अब।
पापा ने फोन रिसीव किया
पापा - हेलो
ताऊ जी - हेलो अनिकेत फोन हैंडफ्री मोड पर करो सब से बात करनी है।
पापा ने फोन हैंडफ्री मोड पर कर दिया।
पापा - बोलिए फोन हैंडफ्री है।
ताऊ जी - मैं अंकित चौहान आप सब से माफी मांगना चाहता हूं। हमें समझना चाहिए था कि सब एक जैसे नहीं होते हर किसी में कुछ न कुछ नया या कह लो स्पेशल होता है जो उस इंसान को सबसे अलग बनाता है। और हमारे बेटे में भी कुछ स्पेशलिटी है जिसका हमारी दोनो बेटियों ने और बेटा तुम्हारी बड़ी मम्मी ने ये समझ लिया था।लेकिन तुम्हारी बहनों ने और तुम्हारी बड़ी मम्मी ने ये बात हमे नहीं बताई क्योंकि उन्हें इस समाज का डर था कि समाज इसे क्या कहेगा। लोग गलत नज़र से देखेंगे और हो सकता था कि हमारा वहिष्कार हो जाता। लेकिन तुम्हारी बहनों ने अभी मुझे सब बता दिया कि उन्होंने तुम्हें एग्जामिन किया था और तुम्हारा एक साल से इलाज भी चला फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ और तुम एक लड़की की तरह दिखने लगे तो ये सब करना जरूरी हो गया था। और अनिकेत तुमने मेरे बेटे का साथ दे कर बहुत अच्छा किया। मैं तेरा छोटा भाई तुझ से क्यों नहीं हैं इस बात का दुख है हमें। हम सब यहां हैं और (सब एक साथ) हम सब तुमसे माफी मांगते हैं।
पापा - ये मत करिए। आप लोगों ने हमे समझा ये ही बहुत है हमारे लिए। अब माफी तो मत मांगिए।
तब ही रूही बोली।
रूही - नहीं चाचा जी माफी मांगना बहुत ज़रूरी है। और सबसे पहले तो आप मुझे और दीदी को माफ कर दीजिए क्योंकि सबसे पहले हमने ही देखा था। ये बात तो ये मान ही नहीं रहा था। जब मैने इसे प्रूफ दिखाए तब ये माना था। हमें तब ही आप को और सब को बता कर समझाना चाहिए था। ये मेडिकल प्रोब्लम है जो किसी के भी साथ हो सकती है।
पीहू दीदी - हां चाचा जी आप लोग मुझे भी माफ कर दें।
मैं - कोई बात नहीं दीदी आप माफी मत मांगिए आपने और रूही ने तो मुझे सच का आईना दिखाया था।
अरुण - (हस कर) अरे वो सब छोड़ो सबसे पहले ये बताओ चाचा जी मेरी बहन का नाम क्या है।
पापा - (हस कर) अवंतिका।
अरुण - बहुत खूबसूरत नाम है। और अब ये देखना मेरी बहन दिखती कैसी है।
मैं - उसके लिए तुम्हें यहां आना पड़ेगा मेरे भाई।
ताऊ जी - हम आज ही निकलेंगे बेटे (फिर हस कर) सॉरी बेटी। हम आज ही निकलेंगे बेटी।
और फिर कुछ बातें कर के फोन कट कर दिया ताऊ जी ने।
कुमुद - देखा जान मैं न कहता था सब ठीक हो जाएगा उन्हें कुछ टाइम दो।
मम्मी - हां बात तो सही है। (मुस्कुरा कर) जान हां।
कुमुद - वो मम्मी सॉरी वो तो फ्लो में निकल गया था।
पापा - देखो लड़के अब यहां मेरी बेटी भी है और तुम यहां ही रहते हो तो मेरी बेटी से दूरी बना कर रखो समझे वरना अच्छा नहीं होगा।
हमें पापा की ये बात सुन कर झटका लगा। हम एक दूसरे को देखने लगे कि पापा ऐसे बिहेव क्यों कर रहे हैं।
पापा -(हस कर) तुम लोग घबरा गए क्या अरे भाई अब हम एक बेटी के बाप हैं तो ये कह सकते हैं।
ये सुन सब हसने लगे।
मम्मी - क्या आप भी हर टाइम मजाक सूझता है।
हम लोग कुछ देर बैठे ऐसे ही बात करते रहे। और फिर उठ कर अपने अपने रूम में जाने लगे।
मम्मी - मैं कुछ कहना चाहती हूं। जाने कब से कहना चाहती थी।
हम सब मम्मी की बात से रुक गए।
पापा - हां बोलो क्या कहना है।
मम्मी - वो क्या है ना देखो सुशीला अपने घर में अकेली है उसके फैमिली में उसके खानदान में कोई भी नहीं है तो क्यों न इसको हम अपने घर में रख लें। अपनी फैमिली की तरह। इसे भी परिवार मिल जायेगा और मुझे भी एक साथी मिल जाएगी।
पापा - ये तो बहुत अच्छी बात है।
सुशीला आंटी - अरे इसकी क्या जरूरत है।
मैं - नहीं आंटी ज़रूरत है। आप अपने घर में अकेली रहती हैं मुझे कभी भी अच्छा नहीं लगता था इसलिए मैं ज्यादातर आपके घर रहती थी। अब मम्मी ने भी कह दिया है तो अब आप हमारे साथ ही रहें न। प्लीज़।
पापा - हां सही बात है और मुझे भी एक बहन मिल जाएगी जो हमेशा मेरे साथ रहेगी।
मम्मी - और क्या सही बात है।
कुमुद - दिखाइए आंटी मैं आप पर प्रेशर नहीं डालूंगा लेकिन कब तक आप अकेली रहेंगी। मेरे मम्मी पापा नहीं हैं आप मेरी मां बन कर ही रह जाइए यहां।
सुशीला आंटी - कुमुद बेटा अगर तुम मुझे दिल से अपनी मां मानो तो ही मैं यहां रहने को तैयार हो सकती हूं। मेरी फैमिली में कोई नहीं है मुझे एक बेटा मिल जायेगा तो मैं अपने आप को कितनी खुशनसीब हो मानूंगी।
मैं - और मेरा क्या, मैं भी तो आपकी बेटी हूं।
सुशीला आंटी - हां मेरी बच्ची तू तो सबसे पहले मेरी ही बेटी है। तू अपनी मम्मी के बाद किसी के साथ रही है वो मैं हूं। अब मैं कहीं नहीं जाऊंगी। मैं यहां ही रहूंगी।
सुशीला आंटी - पर वो घर।
कुमुद - आंटी मैने भी तो अपना घर बंद कर दिया है।
सुशीला आंटी - आंटी नहीं बेटा मम्मी बोलो। तुम मेरी सहेली को मम्मी बोलते हो वैसे ही मुझे भी मम्मी बोलो।
फिर सुशीला आंटी के लिए भी एक कमरा खोल दिया गया। वो कमरा पहले से ही साफ था शायद मम्मी ने पहले ही साफ कर दिया हो।
अगले दिन दादा दादी ताऊ जी बड़ी मम्मी चाचा चाची अरुण रूही पीहू दीदी, सब लोग घर आ गए। और जब मुझे देखा तो सबके मुंह खुले रह गए। ये देख मम्मी ने खासा तो सबसे पहले दादी होश में आईं।
दादी - (अपनी छड़ी से आवाज कर के) अरे बस भी करो नाश पीटों मेरी बेटी को नज़र लगाओगे क्या।
दादी की बात और उनकी छड़ी की आवाज़ सुन कर सब होश में आए। दादी मेरे पास आ कर।
दादी -(नज़र उतारते हुए) नज़र ना लगे मेरी बेटी को किसी की। तू जब मेरा बेटा था तब भी खूबसूरत थी और अब बेटी बन गई है तो उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत हो गई है।
मैं दादी की बात सुन शर्मा गई। मैं दादी के पैर छूने को झुकी तो।
दादी - बेटियां पैर नहीं छूती हैं बेटियां तो माताओं का देवियों का रूप होती हैं।
बड़ी मम्मी और चाची भी मेरे पास आती हैं और मेरे पर से पैसे उतार कर कुमुद को देती हैं।
बड़ी मम्मी - बेटा कुमुद ये पैसे किसी भिखारी को दे देना।
कुमुद - जी आंटी।
फिर रूही और पीहू दीदी मेरे पास आती हैं और दोनो एक साथ मेरे गले लग जाती हैं। कुछ देर गले लगने के बाद जब अरुण आने को हुआ तो।
पीहू दीदी - सही कहा है लोगों ने जब इंसान अपने असली रूप में आता है तब ही उसके चहरे पर निखार आता है।
रूही - वो सब तो ठीक है लेकिन अब मेरा क्या होगा।
सब एक साथ - मतलब।
रूही पहले तो ये बोल गई फिर जब समझ आया कि क्या बोल गई है तो वो घबरा गई।
पीहू दीदी - बात ऐसी है कि पहले ये दोनो रिलेशन में थे।
सब लोग - क्या।
पीहू दीदी - हां।
मम्मी - कोई बात नहीं अब बात खतम हो गई।
पीहू दीदी - बात यहां ही खतम नहीं हुई है चाची।
मम्मी - मतलब ????
सब लोग भी कुछ न समझने की हालत में थे लेकिन शायद कुमुद समझ गए थे।
कुमुद - अरे पीहू दीदी छोड़ो ना क्या बातें ले कर बैठ गई हैं आप।
पीहू दीदी भी कुमुद की बात समझ गई और बात को चेंज कर दिया।
पीहू दीदी - अरे कुछ नहीं ये दोनो शादी करने की सोंच रहे थे जब पता चला कि ये दोनो भाई बहन हैं तब भी ये नहीं मान रहे थे और फिर इसके बारे में पता चला तो बात वहीं खतम हो गई।
मम्मी - हमें तो तू ने डरा ही दिया था अभी।
ताऊ जी - कोई बात नहीं बच्चों अब बात ही नहीं है तो क्यों डिस्कस करना ये सब।
ताऊ जी ये बोलते टाइम कुछ सोंच रहे थे। फिर उन्होंने पीहू दीदी को अलग आने का इशारा किया।
पीहू दीदी - जी पाप बोलिए क्यों बुलाया।
ताऊ जी - और कोई बात तो नहीं है ना।
ताऊ जी की आवाज़ में कुछ गुस्सा सा था। जो पीहू दीदी पहचान गईं थी।
पीहू दीदी - नहीं पापा और कोई बात नहीं है अगर होती तो मैं बता देती।
ताऊ जी - अगर और नहीं है तो ठीक है वरना जान से मार देता मैं रूही और उसे।
पीहू दीदी - नहीं पापा कोई और नहीं है।
फिर वो लोग सबके पास आ गए और अब ताऊ जी खुश दिख रहे थे। मम्मी ने मुझसे पीहू दीदी, रूही, कुमुद और अरुण को अपने कमरे में ले जाने को कहा।
मम्मी - अवंतिका बेटा जाओ सब बच्चों को अपने कमरे में ले जाओ। यहां कहां बूढ़े लोगों में बैठे हो तुम लोग। जाओ अपनी उमर के लोगों के साथ बातें करो जा कर।
शायद हम लोग पहले से ही यहां से भागना चाहते थे इसलिए मम्मी के एक बार कहने से हम सब उठ कर मेरे कमरे में आ गए।
मम्मी - और आप लोग अभी थोड़ी देर आराम करिए फिर बैठ कर बातें करेंगे।
इधर हम सब कमरे में आए उधर बाकी फैमिली भी उठ गई। सभी लोगों को यानी चाचा चाची और ताऊजी बड़ी मम्मी को ऊपर के कमरे दिए गए थे और दादा दादी को नीचे ही रूम दे दिया गया था।
हम सब अपने रूम में आए तो देखा कि रूही रो रही थी।
पीहू दीदी - तू क्यों रो रही है।
रूही - मेरे कारण ही इसने मेरे साथ वो सब किया था अगर मैं इसको फोर्स न करती तो उस दिन वो सब न होता। और आपको मेरे कारण झूठ न बोलना पड़ता।
पीहू दीदी - देखो उस टाइम हमें अवंतिका का पता नहीं था और तुम दोनो एक दूसरे से प्यार करते थे। तो जो हुआ उसे भूल जाओ। OK
मैं - रूही उसमे सिर्फ तुम्हारी गलती नहीं थी मैं भी वो सब करना चाहती थी। हम एक दूसरे से प्यार करते थे तो जो हुआ उसे अब बदला तो नहीं जा सकता है ना।
कुमुद - (हस कर) और अगर तुम लोग वो सब न करते तो ये पता कैसे चलता कि ये ड्यूल पर्सनेलिटी है।
अरुण - और मुझे एक बहन और कैसे मिलती।
मैं - मतलब तुझे पता था मेरे और इसके बारे में
अरुण - हां सब कुछ पता था। बस तेरे और इसके सेक्स के बारे में आज ही पता चला है।
मैं - तुझे कैसे पता चला था मेरे और इसके रिलेशन के बारे में।
अरुण - अब पूरे कॉलेज में मेरे और इसके कोई दोस्त नहीं हैं और दूसरी बात तुम लोग कभी भी एक दूसरे के खिलाफ उल्टा सीधा नहीं सुन सकते थे। और तीसरी और सबसे अहम बात मैने तुम दोनो को छुपके किस करते हुए भी देखा था तो मैं सब जानता था तुम लोगों के बारे में।
मैं - तुझे बुरा नहीं लगा कभी।
अरुण - तेरे भी कोई दोस्त नहीं थे और सबसे मैन बात तू लड़कियों से दूर रहती थी तो मुझे तुम लोगों के लिए कभी बुरा नहीं लगा। हां जब ये पता चला था कि तू मेरा भाई है तब मुझे तुम लोगों पर दया आती थी, लेकिन फिर मैने तुम लोगों को एक करने के लिए प्लान भी सोंचा था लेकिन कुछ दिन बाद जब ये लोग तेरे बारे में बात कर रहे थे कि तेरा इलाज चल रहा है तब मैने अपने प्लान को साइड में कर दिया और सोंचा कि अब जो भगवान चाहेंगे वो होगा। और देखो मेरा सोचना सही हुआ।
हम सब इस बात से खुश थे कि अगर मैं लड़का होती तो मेरा भाई मेरे और अपनी बहन को एक करने के लिए कुछ भी कर सकता था। कुछ देर रुक कर
अरुण - हे अवंतिका क्या तुम मुझसे शादी करोगी।
मैं ये सुन कुमुद की तरफ देखने लगी। पीहू दीदी मुझे देख रहीं थीं।
पीहू दीदी - अरे मेरे छोटे भाई तूने देर कर दी इसे प्रपोज करने में।
अरुण - मतलब दीदी
पीहू दीदी - मतलब ये मेरे भाई किसी और ने बाजी मार ली है। और शायद उसका काम भी हो गया है।(फिर कुमुद से) क्यों कुमुद सही बोल रही हूं ना।
कुमुद और मैं ये सुन शर्मा गए।
रूही - मतलब ये खिचड़ी पक रही थी और पक भी गई।
अरुण - क्या यार लेट कर दिया।
मैं - (कुमुद को देखते हुए) नहीं कोई बात नहीं अभी भी देर नहीं हुई है किसी ने मुझे अभी प्रपोज नहीं किया है हां मम्मी पापा से बात जरूर कर ली है।
कुमुद - ऐ ऐ ऐसा नहीं है OK.
पीहू दीदी - तो प्रपोज करो अभी हमारे सामने।
अरुण - नहीं तो मैं हूं अभी प्रपोज कर देता हूं।
पीहू दीदी की और अरुण की बात सुन कुमुद जल्दी से अपने घुटनों पर आए और
कुमुद - I love you Avantika. मैं तुमसे दिलो जान से प्यार करता हूं क्या तुम मुझसे शादी करना चाहोगी।Will you marry me.
मैं - Yes I will.
मेरे yes कहते ही सबने तालियां बजाईं और कुमुद ने जल्दी से मुझे अपने गले लगा लिया।
अभी हम गले लगे ही थे कि मम्मी, सुशीला आंटी, बड़ी मम्मी और चाची आ गईं। जिन्हें देख कर हम अलग हो गए।
बड़ी मम्मी - जुग जुग जियो मेरे बच्चों। (मुझसे) बेटा अगर तुम मेरी दामाद बनती तब भी मैं बहुत खुश होती क्योंकि जब मैं ये नहीं जानती थी कि तू हमारी फैमिली से हो तब से ये दोनो तेरी बहुत तरफ करते थे। फिर तेरा हमारे घर पर आना और हम सब से बहुत अच्छे से बात करना। सबकी बढ़ कर मदद करना। ये सब देख कर मैं बहुत खुश हुई थी पर डर था कि घर वाले मानेंगे या नहीं। पर मैने सब बाद के लिए छोड़ दिया था। और उस दिन तुझे बिना शर्ट के देखा तो मैं रुक गई। वरना कैसे भी करके अपनी बेटी की शादी तुझसे करवा देती। और जब ये सब हुआ और तेरे बारे में पता चला कि तू बच्चे भी पैदा कर सकती है तो मैने सोंचा अरुण से तेरी शादी करवा दूंगी लेकिन तेरी मम्मी ने मुझे तेरे और कुमुद के बारे में बताया। मैं दुखी तो हूं की तू मेरे घर बहु बन कर ना सकती लेकिन खुश भी हूं ये देख कर कि तू खुश है।
मैं बड़ी मम्मी के गले लग गई। मैं बहुत खुश थी कि अब सब ठीक है।
फिर मम्मी ने हमसे उस बात का सच पूछा।
मम्मी - अब तुम लोग सच बताओ कि सच क्या है।
हम लोग मम्मी की बात को समझ नहीं पाए कि मम्मी किस सच के बारे में जानना चाहती हैं। हम मम्मी को प्रश्न बाचक की तरह देखने लगे।
मम्मी - वही बात जो बाहर अधूरी रह गई थी।
मम्मी की बात सुन कर हम एक दूसरे को देखने लगे थे।
मम्मी - मुझे पता है कुछ बात तो है लेकिन वहां बाहर आए ये ठीक नहीं था इसलिए मैने सबको यहां भेजा था वरना कैसे भी करके बाहर आ ही जाती। अब बोलोगे भी या ऐसे ही एक दूसरे को देखते रहोगे।
पीहू दीदी - आपको शक कैसे हुआ।
बड़ी मम्मी - मतलब कुछ तो है।
पीहू दीदी - चाची आपको शक कैसे हुआ था।
मम्मी - तुम्हारे बोलने पर कुमुद ने जब तुमको रोका था तब ही शक हो गया था।
पीहू दीदी - जी चाची बात और भी है।
मम्मी - और वो क्या है।
पीहू दीदी - ये की इन लोगों के बीच सेक्स भी हुआ था।
ये सुन मम्मी लोगों को झटका लगा।
मम्मी - मुझे भी यही लगा था कि ऐसा ही कुछ होगा।
कुछ देर बाद सब शांत हुए।
बड़ी मम्मी - कोई बात नहीं अब जो हो चुका है सो हो चुका है। उस बात को यहीं दबा दो। अब भूले से भी किसी के मुंह से न निकल जाए समझे।
हम सब - जी ऐसा ही होगा।
चाची - अब ये सब छोड़ो ये बताओ कि पार्टी कब कर रहे हैं। अब पार्टी तो होनी ही चाहिए हमारे घर में इतनी सुंदर बेटी आई है।
कुमुद - जब सब इकट्ठे होंगे तब डिस्कस होगा कि कब होगी पार्टी।
हम सब ने कुछ देर और बातें की फिर मम्मी लोग बाहर चली गईं।
शाम को सब इकट्ठे हुए नाश्ते के लिए तब पार्टी के बारे में डिस्कस किया गया। पार्टी में सिर्फ हम लोग ही होने वाले थे तो ये तै हुआ की अगले दिन शाम को पार्टी होगी।
 

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बिल्कुल सही कहा आपने, राइटर ने पूरी कहानी का मजा खराब कर दिया........ हम रीडर ये जानने के लिए पढ़ रहे थे कि जब पत्नी का लंड पति की गांड में जायेगा तो क्या नजारा होगा........ क्योकि पति तो पत्नियों की हमेशा से मारते आये हैं, ये कहानी में पहली बार होता कि एक पत्नी अपने पति की मारेगी 🤣
मेरी लाइफ में जो हुआ है वो बता रही हूं तो अपने पास से कहां से कहानी जोड़ दूं।
 

KD's Love

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क्या करा दिया.... सबसे बेहतरीन चीज ही कटवा दी, अब क्या घंटा मजा लोगी, बेचारा कुमुद् अपनी गांड में अवंतिका का लंड लेने के लिए ही ब्याह कर रहा था..... 😜
अब जो हुआ है सर वो ही न बता रही हूं।
 
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dkpk

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मेरी लाइफ में जो हुआ है वो बता रही हूं तो अपने पास से कहां से कहानी जोड़ दूं।
Aap continue rakho dear, ignore kro aise comments ko, suprab story
 

Jlodhi35

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Jennifer Lopez Applause GIF by NBC World Of Dance
 

manu@84

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हम लोग घर आए और फ्रेश हो कर कुछ देर रेस्ट किया। फिर शाम को कुमुद ने हमे पार्टी के लिए बोला।
कुमुद - पापा ये सब हुआ तो क्यों न हम एक पार्टी रखें। सभी फैमिली मेंबर्स को बुलाएं इस पार्टी में।
पापा - पार्टी करना है तो ठीक है लेकिन सभी को बुलाना कुछ गलत न हो जाए।
कुमुद - पापा ये सोचिए आप अभी सब को पता चल जाएगा तो सही रहेगा। अगर बाद में पता लगा तो गलत होगा। हम अभी समझा सकते हैं सबको बाद में फिर परेशानी हो सकती है।
पापा - बात तो सही है।
कुमुद - और उस पार्टी में हमारी शादी की अनाउंसमेंट कर देना तो डबल पार्टी हो जायेगी।
पापा - ये आइडिया अच्छा है।
पापा ने सबको फोन किया और पार्टी का बताया तो ताऊ जी, और चाचा लोग मेरे ऑपरेशन के लिए गुस्सा हुए और रिश्ता तोड़ने की बात कही।
ताऊ जी - ये क्या किया तुमने लड़के को लड़की बना दिया। अधर्म का काम कर दिया तुम लोगों ने और अधर्मियों से रिश्ता रखने से हम भी अधर्मी लगेंगे।
चाचा ने भी ऐसा ही कुछ कहा और फोन कट कर दिया।
पापा मम्मी तो इस वजह से अपने भाई लोगों से गुस्सा हो रहे थे और मैं तो रोने लगी थी। कुमुद मुझे चुप करा रहे थे।
कुमुद - अवि रो मत, सब सही हो जायेगा। कुछ टाइम तो देना ही पड़ेगा उन्हें।
मैं - उन्हें बता के ठीक नहीं किया हमने।
कुमुद - अवंतिका, जान देखो अगर बाद में पता चलता फिर क्या होता। अभी बता दिया ये ठीक रहा बाद में पता चलता तो शायद और भी बुरा होता।
सब मुझे समझाने में लगे हुए थे और मैं रोए जा रही थी। ऐसे ही करीब आधे घंटे बाद पापा मोबाइल रिंग हुआ, जब पापा ने मोबाइल देखा तो ताऊ जी का फोन था।
पापा - बड़े भाई साहब का फोन आ रहा है।अब क्या है इनको
कुमुद - उठाइए पापा तभी तो पता चलेगा कि क्या बात है अब।
पापा ने फोन रिसीव किया
पापा - हेलो
ताऊ जी - हेलो अनिकेत फोन हैंडफ्री मोड पर करो सब से बात करनी है।
पापा ने फोन हैंडफ्री मोड पर कर दिया।
पापा - बोलिए फोन हैंडफ्री है।
ताऊ जी - मैं अंकित चौहान आप सब से माफी मांगना चाहता हूं। हमें समझना चाहिए था कि सब एक जैसे नहीं होते हर किसी में कुछ न कुछ नया या कह लो स्पेशल होता है जो उस इंसान को सबसे अलग बनाता है। और हमारे बेटे में भी कुछ स्पेशलिटी है जिसका हमारी दोनो बेटियों ने और बेटा तुम्हारी बड़ी मम्मी ने ये समझ लिया था।लेकिन तुम्हारी बहनों ने और तुम्हारी बड़ी मम्मी ने ये बात हमे नहीं बताई क्योंकि उन्हें इस समाज का डर था कि समाज इसे क्या कहेगा। लोग गलत नज़र से देखेंगे और हो सकता था कि हमारा वहिष्कार हो जाता। लेकिन तुम्हारी बहनों ने अभी मुझे सब बता दिया कि उन्होंने तुम्हें एग्जामिन किया था और तुम्हारा एक साल से इलाज भी चला फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ और तुम एक लड़की की तरह दिखने लगे तो ये सब करना जरूरी हो गया था। और अनिकेत तुमने मेरे बेटे का साथ दे कर बहुत अच्छा किया। मैं तेरा छोटा भाई तुझ से क्यों नहीं हैं इस बात का दुख है हमें। हम सब यहां हैं और (सब एक साथ) हम सब तुमसे माफी मांगते हैं।
पापा - ये मत करिए। आप लोगों ने हमे समझा ये ही बहुत है हमारे लिए। अब माफी तो मत मांगिए।
तब ही रूही बोली।
रूही - नहीं चाचा जी माफी मांगना बहुत ज़रूरी है। और सबसे पहले तो आप मुझे और दीदी को माफ कर दीजिए क्योंकि सबसे पहले हमने ही देखा था। ये बात तो ये मान ही नहीं रहा था। जब मैने इसे प्रूफ दिखाए तब ये माना था। हमें तब ही आप को और सब को बता कर समझाना चाहिए था। ये मेडिकल प्रोब्लम है जो किसी के भी साथ हो सकती है।
पीहू दीदी - हां चाचा जी आप लोग मुझे भी माफ कर दें।
मैं - कोई बात नहीं दीदी आप माफी मत मांगिए आपने और रूही ने तो मुझे सच का आईना दिखाया था।
अरुण - (हस कर) अरे वो सब छोड़ो सबसे पहले ये बताओ चाचा जी मेरी बहन का नाम क्या है।
पापा - (हस कर) अवंतिका।
अरुण - बहुत खूबसूरत नाम है। और अब ये देखना मेरी बहन दिखती कैसी है।
मैं - उसके लिए तुम्हें यहां आना पड़ेगा मेरे भाई।
ताऊ जी - हम आज ही निकलेंगे बेटे (फिर हस कर) सॉरी बेटी। हम आज ही निकलेंगे बेटी।
और फिर कुछ बातें कर के फोन कट कर दिया ताऊ जी ने।
कुमुद - देखा जान मैं न कहता था सब ठीक हो जाएगा उन्हें कुछ टाइम दो।
मम्मी - हां बात तो सही है। (मुस्कुरा कर) जान हां।
कुमुद - वो मम्मी सॉरी वो तो फ्लो में निकल गया था।
पापा - देखो लड़के अब यहां मेरी बेटी भी है और तुम यहां ही रहते हो तो मेरी बेटी से दूरी बना कर रखो समझे वरना अच्छा नहीं होगा।
हमें पापा की ये बात सुन कर झटका लगा। हम एक दूसरे को देखने लगे कि पापा ऐसे बिहेव क्यों कर रहे हैं।
पापा -(हस कर) तुम लोग घबरा गए क्या अरे भाई अब हम एक बेटी के बाप हैं तो ये कह सकते हैं।
ये सुन सब हसने लगे।
मम्मी - क्या आप भी हर टाइम मजाक सूझता है।
हम लोग कुछ देर बैठे ऐसे ही बात करते रहे। और फिर उठ कर अपने अपने रूम में जाने लगे।
मम्मी - मैं कुछ कहना चाहती हूं। जाने कब से कहना चाहती थी।
हम सब मम्मी की बात से रुक गए।
पापा - हां बोलो क्या कहना है।
मम्मी - वो क्या है ना देखो सुशीला अपने घर में अकेली है उसके फैमिली में उसके खानदान में कोई भी नहीं है तो क्यों न इसको हम अपने घर में रख लें। अपनी फैमिली की तरह। इसे भी परिवार मिल जायेगा और मुझे भी एक साथी मिल जाएगी।
पापा - ये तो बहुत अच्छी बात है।
सुशीला आंटी - अरे इसकी क्या जरूरत है।
मैं - नहीं आंटी ज़रूरत है। आप अपने घर में अकेली रहती हैं मुझे कभी भी अच्छा नहीं लगता था इसलिए मैं ज्यादातर आपके घर रहती थी। अब मम्मी ने भी कह दिया है तो अब आप हमारे साथ ही रहें न। प्लीज़।
पापा - हां सही बात है और मुझे भी एक बहन मिल जाएगी जो हमेशा मेरे साथ रहेगी।
मम्मी - और क्या सही बात है।
कुमुद - दिखाइए आंटी मैं आप पर प्रेशर नहीं डालूंगा लेकिन कब तक आप अकेली रहेंगी। मेरे मम्मी पापा नहीं हैं आप मेरी मां बन कर ही रह जाइए यहां।
सुशीला आंटी - कुमुद बेटा अगर तुम मुझे दिल से अपनी मां मानो तो ही मैं यहां रहने को तैयार हो सकती हूं। मेरी फैमिली में कोई नहीं है मुझे एक बेटा मिल जायेगा तो मैं अपने आप को कितनी खुशनसीब हो मानूंगी।
मैं - और मेरा क्या, मैं भी तो आपकी बेटी हूं।
सुशीला आंटी - हां मेरी बच्ची तू तो सबसे पहले मेरी ही बेटी है। तू अपनी मम्मी के बाद किसी के साथ रही है वो मैं हूं। अब मैं कहीं नहीं जाऊंगी। मैं यहां ही रहूंगी।
सुशीला आंटी - पर वो घर।
कुमुद - आंटी मैने भी तो अपना घर बंद कर दिया है।
सुशीला आंटी - आंटी नहीं बेटा मम्मी बोलो। तुम मेरी सहेली को मम्मी बोलते हो वैसे ही मुझे भी मम्मी बोलो।
फिर सुशीला आंटी के लिए भी एक कमरा खोल दिया गया। वो कमरा पहले से ही साफ था शायद मम्मी ने पहले ही साफ कर दिया हो।
अगले दिन दादा दादी ताऊ जी बड़ी मम्मी चाचा चाची अरुण रूही पीहू दीदी, सब लोग घर आ गए। और जब मुझे देखा तो सबके मुंह खुले रह गए। ये देख मम्मी ने खासा तो सबसे पहले दादी होश में आईं।
दादी - (अपनी छड़ी से आवाज कर के) अरे बस भी करो नाश पीटों मेरी बेटी को नज़र लगाओगे क्या।
दादी की बात और उनकी छड़ी की आवाज़ सुन कर सब होश में आए। दादी मेरे पास आ कर।
दादी -(नज़र उतारते हुए) नज़र ना लगे मेरी बेटी को किसी की। तू जब मेरा बेटा था तब भी खूबसूरत थी और अब बेटी बन गई है तो उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत हो गई है।
मैं दादी की बात सुन शर्मा गई। मैं दादी के पैर छूने को झुकी तो।
दादी - बेटियां पैर नहीं छूती हैं बेटियां तो माताओं का देवियों का रूप होती हैं।
बड़ी मम्मी और चाची भी मेरे पास आती हैं और मेरे पर से पैसे उतार कर कुमुद को देती हैं।
बड़ी मम्मी - बेटा कुमुद ये पैसे किसी भिखारी को दे देना।
कुमुद - जी आंटी।
फिर रूही और पीहू दीदी मेरे पास आती हैं और दोनो एक साथ मेरे गले लग जाती हैं। कुछ देर गले लगने के बाद जब अरुण आने को हुआ तो।
पीहू दीदी - सही कहा है लोगों ने जब इंसान अपने असली रूप में आता है तब ही उसके चहरे पर निखार आता है।
रूही - वो सब तो ठीक है लेकिन अब मेरा क्या होगा।
सब एक साथ - मतलब।
रूही पहले तो ये बोल गई फिर जब समझ आया कि क्या बोल गई है तो वो घबरा गई।
पीहू दीदी - बात ऐसी है कि पहले ये दोनो रिलेशन में थे।
सब लोग - क्या।
पीहू दीदी - हां।
मम्मी - कोई बात नहीं अब बात खतम हो गई।
पीहू दीदी - बात यहां ही खतम नहीं हुई है चाची।
मम्मी - मतलब ????
सब लोग भी कुछ न समझने की हालत में थे लेकिन शायद कुमुद समझ गए थे।
कुमुद - अरे पीहू दीदी छोड़ो ना क्या बातें ले कर बैठ गई हैं आप।
पीहू दीदी भी कुमुद की बात समझ गई और बात को चेंज कर दिया।
पीहू दीदी - अरे कुछ नहीं ये दोनो शादी करने की सोंच रहे थे जब पता चला कि ये दोनो भाई बहन हैं तब भी ये नहीं मान रहे थे और फिर इसके बारे में पता चला तो बात वहीं खतम हो गई।
मम्मी - हमें तो तू ने डरा ही दिया था अभी।
ताऊ जी - कोई बात नहीं बच्चों अब बात ही नहीं है तो क्यों डिस्कस करना ये सब।
ताऊ जी ये बोलते टाइम कुछ सोंच रहे थे। फिर उन्होंने पीहू दीदी को अलग आने का इशारा किया।
पीहू दीदी - जी पाप बोलिए क्यों बुलाया।
ताऊ जी - और कोई बात तो नहीं है ना।
ताऊ जी की आवाज़ में कुछ गुस्सा सा था। जो पीहू दीदी पहचान गईं थी।
पीहू दीदी - नहीं पापा और कोई बात नहीं है अगर होती तो मैं बता देती।
ताऊ जी - अगर और नहीं है तो ठीक है वरना जान से मार देता मैं रूही और उसे।
पीहू दीदी - नहीं पापा कोई और नहीं है।
फिर वो लोग सबके पास आ गए और अब ताऊ जी खुश दिख रहे थे। मम्मी ने मुझसे पीहू दीदी, रूही, कुमुद और अरुण को अपने कमरे में ले जाने को कहा।
मम्मी - अवंतिका बेटा जाओ सब बच्चों को अपने कमरे में ले जाओ। यहां कहां बूढ़े लोगों में बैठे हो तुम लोग। जाओ अपनी उमर के लोगों के साथ बातें करो जा कर।
शायद हम लोग पहले से ही यहां से भागना चाहते थे इसलिए मम्मी के एक बार कहने से हम सब उठ कर मेरे कमरे में आ गए।
मम्मी - और आप लोग अभी थोड़ी देर आराम करिए फिर बैठ कर बातें करेंगे।
इधर हम सब कमरे में आए उधर बाकी फैमिली भी उठ गई। सभी लोगों को यानी चाचा चाची और ताऊजी बड़ी मम्मी को ऊपर के कमरे दिए गए थे और दादा दादी को नीचे ही रूम दे दिया गया था।
हम सब अपने रूम में आए तो देखा कि रूही रो रही थी।
पीहू दीदी - तू क्यों रो रही है।
रूही - मेरे कारण ही इसने मेरे साथ वो सब किया था अगर मैं इसको फोर्स न करती तो उस दिन वो सब न होता। और आपको मेरे कारण झूठ न बोलना पड़ता।
पीहू दीदी - देखो उस टाइम हमें अवंतिका का पता नहीं था और तुम दोनो एक दूसरे से प्यार करते थे। तो जो हुआ उसे भूल जाओ। OK
मैं - रूही उसमे सिर्फ तुम्हारी गलती नहीं थी मैं भी वो सब करना चाहती थी। हम एक दूसरे से प्यार करते थे तो जो हुआ उसे अब बदला तो नहीं जा सकता है ना।
कुमुद - (हस कर) और अगर तुम लोग वो सब न करते तो ये पता कैसे चलता कि ये ड्यूल पर्सनेलिटी है।
अरुण - और मुझे एक बहन और कैसे मिलती।
मैं - मतलब तुझे पता था मेरे और इसके बारे में
अरुण - हां सब कुछ पता था। बस तेरे और इसके सेक्स के बारे में आज ही पता चला है।
मैं - तुझे कैसे पता चला था मेरे और इसके रिलेशन के बारे में।
अरुण - अब पूरे कॉलेज में मेरे और इसके कोई दोस्त नहीं हैं और दूसरी बात तुम लोग कभी भी एक दूसरे के खिलाफ उल्टा सीधा नहीं सुन सकते थे। और तीसरी और सबसे अहम बात मैने तुम दोनो को छुपके किस करते हुए भी देखा था तो मैं सब जानता था तुम लोगों के बारे में।
मैं - तुझे बुरा नहीं लगा कभी।
अरुण - तेरे भी कोई दोस्त नहीं थे और सबसे मैन बात तू लड़कियों से दूर रहती थी तो मुझे तुम लोगों के लिए कभी बुरा नहीं लगा। हां जब ये पता चला था कि तू मेरा भाई है तब मुझे तुम लोगों पर दया आती थी, लेकिन फिर मैने तुम लोगों को एक करने के लिए प्लान भी सोंचा था लेकिन कुछ दिन बाद जब ये लोग तेरे बारे में बात कर रहे थे कि तेरा इलाज चल रहा है तब मैने अपने प्लान को साइड में कर दिया और सोंचा कि अब जो भगवान चाहेंगे वो होगा। और देखो मेरा सोचना सही हुआ।
हम सब इस बात से खुश थे कि अगर मैं लड़का होती तो मेरा भाई मेरे और अपनी बहन को एक करने के लिए कुछ भी कर सकता था। कुछ देर रुक कर
अरुण - हे अवंतिका क्या तुम मुझसे शादी करोगी।
मैं ये सुन कुमुद की तरफ देखने लगी। पीहू दीदी मुझे देख रहीं थीं।
पीहू दीदी - अरे मेरे छोटे भाई तूने देर कर दी इसे प्रपोज करने में।
अरुण - मतलब दीदी
पीहू दीदी - मतलब ये मेरे भाई किसी और ने बाजी मार ली है। और शायद उसका काम भी हो गया है।(फिर कुमुद से) क्यों कुमुद सही बोल रही हूं ना।
कुमुद और मैं ये सुन शर्मा गए।
रूही - मतलब ये खिचड़ी पक रही थी और पक भी गई।
अरुण - क्या यार लेट कर दिया।
मैं - (कुमुद को देखते हुए) नहीं कोई बात नहीं अभी भी देर नहीं हुई है किसी ने मुझे अभी प्रपोज नहीं किया है हां मम्मी पापा से बात जरूर कर ली है।
कुमुद - ऐ ऐ ऐसा नहीं है OK.
पीहू दीदी - तो प्रपोज करो अभी हमारे सामने।
अरुण - नहीं तो मैं हूं अभी प्रपोज कर देता हूं।
पीहू दीदी की और अरुण की बात सुन कुमुद जल्दी से अपने घुटनों पर आए और
कुमुद - I love you Avantika. मैं तुमसे दिलो जान से प्यार करता हूं क्या तुम मुझसे शादी करना चाहोगी।Will you marry me.
मैं - Yes I will.
मेरे yes कहते ही सबने तालियां बजाईं और कुमुद ने जल्दी से मुझे अपने गले लगा लिया।
अभी हम गले लगे ही थे कि मम्मी, सुशीला आंटी, बड़ी मम्मी और चाची आ गईं। जिन्हें देख कर हम अलग हो गए।
बड़ी मम्मी - जुग जुग जियो मेरे बच्चों। (मुझसे) बेटा अगर तुम मेरी दामाद बनती तब भी मैं बहुत खुश होती क्योंकि जब मैं ये नहीं जानती थी कि तू हमारी फैमिली से हो तब से ये दोनो तेरी बहुत तरफ करते थे। फिर तेरा हमारे घर पर आना और हम सब से बहुत अच्छे से बात करना। सबकी बढ़ कर मदद करना। ये सब देख कर मैं बहुत खुश हुई थी पर डर था कि घर वाले मानेंगे या नहीं। पर मैने सब बाद के लिए छोड़ दिया था। और उस दिन तुझे बिना शर्ट के देखा तो मैं रुक गई। वरना कैसे भी करके अपनी बेटी की शादी तुझसे करवा देती। और जब ये सब हुआ और तेरे बारे में पता चला कि तू बच्चे भी पैदा कर सकती है तो मैने सोंचा अरुण से तेरी शादी करवा दूंगी लेकिन तेरी मम्मी ने मुझे तेरे और कुमुद के बारे में बताया। मैं दुखी तो हूं की तू मेरे घर बहु बन कर ना सकती लेकिन खुश भी हूं ये देख कर कि तू खुश है।
मैं बड़ी मम्मी के गले लग गई। मैं बहुत खुश थी कि अब सब ठीक है।
फिर मम्मी ने हमसे उस बात का सच पूछा।
मम्मी - अब तुम लोग सच बताओ कि सच क्या है।
हम लोग मम्मी की बात को समझ नहीं पाए कि मम्मी किस सच के बारे में जानना चाहती हैं। हम मम्मी को प्रश्न बाचक की तरह देखने लगे।
मम्मी - वही बात जो बाहर अधूरी रह गई थी।
मम्मी की बात सुन कर हम एक दूसरे को देखने लगे थे।
मम्मी - मुझे पता है कुछ बात तो है लेकिन वहां बाहर आए ये ठीक नहीं था इसलिए मैने सबको यहां भेजा था वरना कैसे भी करके बाहर आ ही जाती। अब बोलोगे भी या ऐसे ही एक दूसरे को देखते रहोगे।
पीहू दीदी - आपको शक कैसे हुआ।
बड़ी मम्मी - मतलब कुछ तो है।
पीहू दीदी - चाची आपको शक कैसे हुआ था।
मम्मी - तुम्हारे बोलने पर कुमुद ने जब तुमको रोका था तब ही शक हो गया था।
पीहू दीदी - जी चाची बात और भी है।
मम्मी - और वो क्या है।
पीहू दीदी - ये की इन लोगों के बीच सेक्स भी हुआ था।
ये सुन मम्मी लोगों को झटका लगा।
मम्मी - मुझे भी यही लगा था कि ऐसा ही कुछ होगा।
कुछ देर बाद सब शांत हुए।
बड़ी मम्मी - कोई बात नहीं अब जो हो चुका है सो हो चुका है। उस बात को यहीं दबा दो। अब भूले से भी किसी के मुंह से न निकल जाए समझे।
हम सब - जी ऐसा ही होगा।
चाची - अब ये सब छोड़ो ये बताओ कि पार्टी कब कर रहे हैं। अब पार्टी तो होनी ही चाहिए हमारे घर में इतनी सुंदर बेटी आई है।
कुमुद - जब सब इकट्ठे होंगे तब डिस्कस होगा कि कब होगी पार्टी।
हम सब ने कुछ देर और बातें की फिर मम्मी लोग बाहर चली गईं।
शाम को सब इकट्ठे हुए नाश्ते के लिए तब पार्टी के बारे में डिस्कस किया गया। पार्टी में सिर्फ हम लोग ही होने वाले थे तो ये तै हुआ की अगले दिन शाम को पार्टी होगी।
Nice update
 

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अगले दिन शाम को पार्टी रखी गई जिसमे सब बड़े अच्छे से तैयार हुए थे। पार्टी में हमारी फैमिली के अलावा एरिया के कुछ लोग भी शामिल हुए थे। पापा ने पार्टी में मेरी और कुमुद की शादी का अनाउंस किया जिसे सुन सब घर वाले बहुत खुश हो गए लेकिन ताऊ जी की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था। उनसे ज्यादा खुश तो कोई दिख ही नहीं रहा था। शायद वो इसलिए इतने ज्यादा खुश थे कि मेरी और अरुण की शादी की बात नहीं हो रही है। मेरी और कुमुद की शादी अगले महीने के लिए तय हुई। लेकिन कन्फर्म तो पंडित जी ही करेंगे तो उनको अगले दिन बुलाया गया। पार्टी में मेरा और कुमुद का डांस भी करवाया गया। डांस के बाद सबने डिनर किया उसके बाद सब सोने चले गए।
अगले दिन पंडित जी आए उन्हें कुमुद की और मेरी पुरानी कुंडली दी गई। पंडित जी मेरी पुरानी कुंडली से नई कुंडली बनाई। फिर कुंडली को मिला कर देखा।
पंडित जी - देखिए ये नई कुंडली और इस बालक की कुंडली को मैने मिलान किया। 36 में से 32 गुण मिलते हैं इन दोनो के। आपने एक महीने पहले की शादी की तारीख़ निकालने के लिए कहा था लेकिन इनकी शादी 10 दिन बाद ही करवानी होगी क्योंकि 10 दिन बाद का मुहूर्त अतिशुभ है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की शादी हुई थी। वरना 2 साल बाद का समय सही है शादी के लिए।
हमें 10 दिन बाद का समय ही पसंद आया। और फिर 10 दिन बाद की शादी की तारीख़ तय हो गई।
पंडित जी - बस आपको शादी के एक दिन पहले एक पूजा करवानी होगी। पूजा शाम को 9 बजे से शुरू होगी और शादी का मुहूर्त सुबह 6बजे का है। पूजा देर रात 3 बजे तक चलेगी जिसमें सभी जोड़े बैठेंगे। जिनकी शादी हो गई है वो पहले बैठेंगे, उनके बाद ये दोनो पूजा बेदी पर बैठेंगे। 3 बजे पूजा संपन्न होगी। आप लोगों को 3 घंटे का समय दिया जायेगा शादी के लिए तैयार होने के लिए और बधू को तैयार करने के लिए। पूजा के लिए जो बेदी तैयार की जाएगी उसी पर ही शादी होगी।
पंडित जी सब तय करके चले गए। पंडित जी के जाने के बाद हमने ये सोचने लगे कि समय कम है ये कैसे होगा।
दादा जी - अब जब पंडित जी ने 10 दिन बाद की तारीख़ तय कर दी है तो इसमें सोचना कैसा। अब दिन कम हैं तो क्या हुआ सब एक साथ मिल कर तैयारी करेंगे तो सब हो जाएगा। 10 दिन भी काफी होते हैं।
दादा जी की इस बात से सब सहमत थे तो सब लग गए अपने अपने काम मे। ड्रेसेज वाले को और ज्वेलर को घर पर ही बुलवा लिया गया था। एक साल से मैं लड़की की तरह रहना सीख रही थी तो ड्रेसेज का पता था तो ड्रेसेज मेरी और कुमुद की पसंद के ही ली गईं लेकिन ज्वैलरी के बारे में कुछ नहीं पता था। ज्वैलरी में तो मुझे सिर्फ , हार, नाक की बाली, बुन्दे या टॉप्स, पायल और चूड़ियां ये ही सब होता है। लेकिन अब पता चल रहा था कि ज्वैलरी कई टाइप की होती हैं। ज्वैलरी में मांग टीका, शीश टीका, झुमका, टॉप्स, हार, नेकलेस, बाजू बंद, चूड़ी, कंगन, हाथ फूल, पाजेब, पायल, बिछिया और भी बहुत सी ज्वैलरी होती हैं। ज्वैलरी मेरे साथ सभी लेडीज़ और कुमुद पसंद कर रहे थे। जिसमे 70% पसंद कुमुद की थी और 30% मम्मी और बाकी लेडीज़ की। मुझे ज्वैलरी का कुछ पता नहीं था तो मैं शांत ही रही और सब को देखती रही। शादी की तैयारी होते होते दिन कब बीत गए पता ही नहीं चला और पूजा का दिन भी आ गया। हमें पता था एक बार पूजा में बैठ गए तो पूजा के संपन्न होने से पहले उठ नहीं सकते थे तो बीच के कार्य जैसे किसी चीज़ की आवश्यकता पड़े तो उसके लिए पीहू दीदी, अरुण और रूही को रखा गया। पूजा के संपन्न होने बाद मुझे मेरे कमरे में ले जाया गया शादी के लिए तैयार करने। मैने लड़की बनने की प्रैक्टिस की थी लेकिन कभी साड़ी बांधना नहीं सिखाया था मम्मी ने।
मम्मी - बेटा लड़कियों की जब शादी होती है तब उसके बाद से लड़कियों को साड़ी ही पहनना पड़ती है। आज मैं तुझे साड़ी पहनाऊंगी और उसे कैसे पहनना है सिखाऊंगी भी।
मैं साड़ी पहनने के लिए मैने ब्रा, पैंटी, ब्लाउज़ और पेटीकोट पहन कर खड़ी थी। मम्मी साड़ी ले कर आईं और मुझे साड़ी पहनाना शुरू किया।
मम्मी ने साड़ी का एक छोर को पकड़ मेरे पेटीकोट के अंदर फसाते हुए कमर पर लपेटने लगीं। साड़ी को अपनी उंगलियों से पेटीकोट के अंदर डालती हुई बड़े करीने से लपेट रहीं थी ऐसा लग रहा था कि वो ये नहीं चाहती हैं कि साड़ी में सिलवटें पड़ें। मम्मी जैसे जैसे साड़ी को लपेट रहीं थीं वैसे वैसे मुझे उसकी कोमलता का अहसास हो रहा था। मम्मी ने साड़ी को लपेटने के बाद अपने हाथों से सिलवटें सही कर दीं। उसमें मोड़ बनाते हुए मेरी कमर पर फिट कर दी। साड़ी न निकल जाए उसके लिए सेफ्टी पिन से टैग भी कर दिया। फिर दूसरे छोर को ले उसमे कुछ मोड़ डाल ब्लाउज़ पर से ले जाते हुए मेरे कंधे पर रख दिया। और उसने कुछ प्लेटें डालीं। साड़ी का वो छोर जो कांधे पर था मेरे घुटने तक लटक रहा था।
मैने लड़कियों के कपड़े पहनने शुरू कर दिए थे लेकिन उस दिन जब साड़ी पहनी थी तब ऐसा लग रहा था कि मैं पूरी हो गई हूं। लोग सही कहते हैं लड़कियां चाहे जो पहन लें लेकिन एक ऐसा ड्रेस है जो लड़कियों को नारी होने का एहसास कराती है। साड़ी सिर्फ एक कपड़ा ही नहीं है एक नारीत्व का प्रतीक है। जिसका मुझे उस दिन एहसास हो रहा था। मैने लड़कियों वाले कपड़े पहले भी पहने थे लेकिन फुल ड्रेस ही पहनी थी जिसमे मेरी नाभि कभी नहीं दिखी थी लेकिन साड़ी में मेरी नाभि दिख रही थी। साड़ी ने मेरी नाभि और कमर की खूबसूरती बढ़ा दी थी। साड़ी बांधने के बाद मम्मी ने मेरा मेकअप किया और ज्वैलरी पहनाई। मैं आईने में खुद को देख कर खो गई थी कि मैं ऐसी भी दिख सकती हूं। सब मुझे कहते थे कि मैं बहुत खूबसूरत हूं लेकिन मैने कभी नहीं माना लेकिन उस दिन पता चला था कि मैं सच में खूबसूरत हूं। सभी लोग सही बोलते थे।
शादी की विधियां शुरू हुईं और मुझे बुलाया गया।
कुमुद - शादी होने से पहले मुझे कुछ बात करनी है अवंतिका से अकेले में।
कुमुद की बात सुन सब कंफ्यूज हो गए कि अब क्या बात करनी है लेकिन मुझे और कुमुद को अलग कमरे में भेजा गया।
कुमुद - मुझे तुम्हें कुछ बताना है।
मैं - यही न कि आप मुझे गै बना कर बदनाम करना चाहते थे और बदला लेने की कोशिश कर रहे थे। मैने आप को रिंग फाइट में हराया था उसका बदला लेना था न आपको।
कुमुद ये सुन चौंक गए।
कुमुद - तुम्हें कैसे पता चला।
मैं - दो महीने पहले जब आप अपने दोस्त से बात कर रहे थे तब मैं आपके और उसके लिए नाश्ता ले कर आई थी तब सुना था मैने। ये सुन मैं चली गई थी। मैं ये समझ ही नहीं पा रही हूं कि वो फाइट एक गेम फाइट थी उसके बाद मैने आप को सॉरी बोल भी दिया था। मैं आपसे अच्छी फाइट करती थी तो उसमें मेरी गलती थी क्या। मैं आपसे प्यार करने लगी थी इसलिए मैंने आज तक ये बात किसी से नहीं कही थी।
कुमुद - मैं सबसे अच्छी फाइट करता था उसके बाद तुम आईं और मुझे एक स्टेट चैंपियन को हराया तो मुझे बुरा लगा था मेरे ईगो को ठेस पहुंची थी इसलिए मैं तुझे गै बना कर बदनाम करना चाहता था लेकिन उसके बाद का क्यों नहीं सुना तूने।
मैं - मतलब क्या है आपका।
कुमुद - वो दिन उस प्लान का लास्ट दिन था। उस दिन हमने प्लान को कैंसल कर के उसका दीऐंड कर दिया था। उस दिन मैं उसे ये ही बता रहा था। मैने तुझे बदनाम करने के लिए किन्नरों को भेजा, बहुत से ऐसे काम किए जिससे तू ह्यूमिलिएट हो मेरे ईगो को सैटिशफैक्शन हो लेकिन जब भी तू ह्यूमिलिएट होती थी तब मैं अंदर से टूट जाता था। मुझे पता नहीं क्यों खुद को बुरा लगता था। तू मेरे सारे काम एक लड़की की तरह करती थी ऐसा लगता था कि कोई बीवी अपने पति के सारे काम करती है जिसे देख कर मैं खुद तुझे प्यार करने लगा था तुझे एक लड़की की तरह पसंद करने लगा था।
मैं - तो फिर अब क्यों बता रहे हैं आप।
कुमुद - मैं अपना रिश्ता सच पर बनाना चाहता था इसलिए। तो क्या तुम अब भी शादी करोगी मुझसे।
मैं - मैने आपको पहले ही बता दिया है कि मैं आपसे प्यार करने लगी थी, हां मैं आपसे प्यार करती हूं तो शादी के लिए तैयार हूं।
फिर हम बाहर आए और शादी की विधियां फिर से शुरू हुईं और मेरा हाथ कुमुद के हाथ में दे दिया गया हमेशा के लिए। मैं पहले लड़का थी, फिर लड़की बनी अब किसी की पत्नी बन गई थी। मैं आज से अवंतिका कुमुद चंदेल बन गई थी। अब मुझे लोग कुमुद के नाम से जानेंगे।
हमारी शादी की सारी विधियां होते होते 9 बज गए थे। शादी की विधियां पूरे 3 घंटे चलीं थीं। रात से पूजा और शादी की बिधियों में पूरे 12 घंटे हो गए थे और सबको नींद आ रही थी तो मुझे मेरे कमरे में पहुंचाया गया और कुमुद को अपने कमरे में भेज दिया गया। क्योंकि शाम को सुहागरात होनी थी तो थोड़ी आराम की भी ज़रूरत थी।
 

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अगले दिन शाम को पार्टी रखी गई जिसमे सब बड़े अच्छे से तैयार हुए थे। पार्टी में हमारी फैमिली के अलावा एरिया के कुछ लोग भी शामिल हुए थे। पापा ने पार्टी में मेरी और कुमुद की शादी का अनाउंस किया जिसे सुन सब घर वाले बहुत खुश हो गए लेकिन ताऊ जी की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था। उनसे ज्यादा खुश तो कोई दिख ही नहीं रहा था। शायद वो इसलिए इतने ज्यादा खुश थे कि मेरी और अरुण की शादी की बात नहीं हो रही है। मेरी और कुमुद की शादी अगले महीने के लिए तय हुई। लेकिन कन्फर्म तो पंडित जी ही करेंगे तो उनको अगले दिन बुलाया गया। पार्टी में मेरा और कुमुद का डांस भी करवाया गया। डांस के बाद सबने डिनर किया उसके बाद सब सोने चले गए।
अगले दिन पंडित जी आए उन्हें कुमुद की और मेरी पुरानी कुंडली दी गई। पंडित जी मेरी पुरानी कुंडली से नई कुंडली बनाई। फिर कुंडली को मिला कर देखा।
पंडित जी - देखिए ये नई कुंडली और इस बालक की कुंडली को मैने मिलान किया। 36 में से 32 गुण मिलते हैं इन दोनो के। आपने एक महीने पहले की शादी की तारीख़ निकालने के लिए कहा था लेकिन इनकी शादी 10 दिन बाद ही करवानी होगी क्योंकि 10 दिन बाद का मुहूर्त अतिशुभ है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की शादी हुई थी। वरना 2 साल बाद का समय सही है शादी के लिए।
हमें 10 दिन बाद का समय ही पसंद आया। और फिर 10 दिन बाद की शादी की तारीख़ तय हो गई।
पंडित जी - बस आपको शादी के एक दिन पहले एक पूजा करवानी होगी। पूजा शाम को 9 बजे से शुरू होगी और शादी का मुहूर्त सुबह 6बजे का है। पूजा देर रात 3 बजे तक चलेगी जिसमें सभी जोड़े बैठेंगे। जिनकी शादी हो गई है वो पहले बैठेंगे, उनके बाद ये दोनो पूजा बेदी पर बैठेंगे। 3 बजे पूजा संपन्न होगी। आप लोगों को 3 घंटे का समय दिया जायेगा शादी के लिए तैयार होने के लिए और बधू को तैयार करने के लिए। पूजा के लिए जो बेदी तैयार की जाएगी उसी पर ही शादी होगी।
पंडित जी सब तय करके चले गए। पंडित जी के जाने के बाद हमने ये सोचने लगे कि समय कम है ये कैसे होगा।
दादा जी - अब जब पंडित जी ने 10 दिन बाद की तारीख़ तय कर दी है तो इसमें सोचना कैसा। अब दिन कम हैं तो क्या हुआ सब एक साथ मिल कर तैयारी करेंगे तो सब हो जाएगा। 10 दिन भी काफी होते हैं।
दादा जी की इस बात से सब सहमत थे तो सब लग गए अपने अपने काम मे। ड्रेसेज वाले को और ज्वेलर को घर पर ही बुलवा लिया गया था। एक साल से मैं लड़की की तरह रहना सीख रही थी तो ड्रेसेज का पता था तो ड्रेसेज मेरी और कुमुद की पसंद के ही ली गईं लेकिन ज्वैलरी के बारे में कुछ नहीं पता था। ज्वैलरी में तो मुझे सिर्फ , हार, नाक की बाली, बुन्दे या टॉप्स, पायल और चूड़ियां ये ही सब होता है। लेकिन अब पता चल रहा था कि ज्वैलरी कई टाइप की होती हैं। ज्वैलरी में मांग टीका, शीश टीका, झुमका, टॉप्स, हार, नेकलेस, बाजू बंद, चूड़ी, कंगन, हाथ फूल, पाजेब, पायल, बिछिया और भी बहुत सी ज्वैलरी होती हैं। ज्वैलरी मेरे साथ सभी लेडीज़ और कुमुद पसंद कर रहे थे। जिसमे 70% पसंद कुमुद की थी और 30% मम्मी और बाकी लेडीज़ की। मुझे ज्वैलरी का कुछ पता नहीं था तो मैं शांत ही रही और सब को देखती रही। शादी की तैयारी होते होते दिन कब बीत गए पता ही नहीं चला और पूजा का दिन भी आ गया। हमें पता था एक बार पूजा में बैठ गए तो पूजा के संपन्न होने से पहले उठ नहीं सकते थे तो बीच के कार्य जैसे किसी चीज़ की आवश्यकता पड़े तो उसके लिए पीहू दीदी, अरुण और रूही को रखा गया। पूजा के संपन्न होने बाद मुझे मेरे कमरे में ले जाया गया शादी के लिए तैयार करने। मैने लड़की बनने की प्रैक्टिस की थी लेकिन कभी साड़ी बांधना नहीं सिखाया था मम्मी ने।
मम्मी - बेटा लड़कियों की जब शादी होती है तब उसके बाद से लड़कियों को साड़ी ही पहनना पड़ती है। आज मैं तुझे साड़ी पहनाऊंगी और उसे कैसे पहनना है सिखाऊंगी भी।
मैं साड़ी पहनने के लिए मैने ब्रा, पैंटी, ब्लाउज़ और पेटीकोट पहन कर खड़ी थी। मम्मी साड़ी ले कर आईं और मुझे साड़ी पहनाना शुरू किया।
मम्मी ने साड़ी का एक छोर को पकड़ मेरे पेटीकोट के अंदर फसाते हुए कमर पर लपेटने लगीं। साड़ी को अपनी उंगलियों से पेटीकोट के अंदर डालती हुई बड़े करीने से लपेट रहीं थी ऐसा लग रहा था कि वो ये नहीं चाहती हैं कि साड़ी में सिलवटें पड़ें। मम्मी जैसे जैसे साड़ी को लपेट रहीं थीं वैसे वैसे मुझे उसकी कोमलता का अहसास हो रहा था। मम्मी ने साड़ी को लपेटने के बाद अपने हाथों से सिलवटें सही कर दीं। उसमें मोड़ बनाते हुए मेरी कमर पर फिट कर दी। साड़ी न निकल जाए उसके लिए सेफ्टी पिन से टैग भी कर दिया। फिर दूसरे छोर को ले उसमे कुछ मोड़ डाल ब्लाउज़ पर से ले जाते हुए मेरे कंधे पर रख दिया। और उसने कुछ प्लेटें डालीं। साड़ी का वो छोर जो कांधे पर था मेरे घुटने तक लटक रहा था।
मैने लड़कियों के कपड़े पहनने शुरू कर दिए थे लेकिन उस दिन जब साड़ी पहनी थी तब ऐसा लग रहा था कि मैं पूरी हो गई हूं। लोग सही कहते हैं लड़कियां चाहे जो पहन लें लेकिन एक ऐसा ड्रेस है जो लड़कियों को नारी होने का एहसास कराती है। साड़ी सिर्फ एक कपड़ा ही नहीं है एक नारीत्व का प्रतीक है। जिसका मुझे उस दिन एहसास हो रहा था। मैने लड़कियों वाले कपड़े पहले भी पहने थे लेकिन फुल ड्रेस ही पहनी थी जिसमे मेरी नाभि कभी नहीं दिखी थी लेकिन साड़ी में मेरी नाभि दिख रही थी। साड़ी ने मेरी नाभि और कमर की खूबसूरती बढ़ा दी थी। साड़ी बांधने के बाद मम्मी ने मेरा मेकअप किया और ज्वैलरी पहनाई। मैं आईने में खुद को देख कर खो गई थी कि मैं ऐसी भी दिख सकती हूं। सब मुझे कहते थे कि मैं बहुत खूबसूरत हूं लेकिन मैने कभी नहीं माना लेकिन उस दिन पता चला था कि मैं सच में खूबसूरत हूं। सभी लोग सही बोलते थे।
शादी की विधियां शुरू हुईं और मुझे बुलाया गया।
कुमुद - शादी होने से पहले मुझे कुछ बात करनी है अवंतिका से अकेले में।
कुमुद की बात सुन सब कंफ्यूज हो गए कि अब क्या बात करनी है लेकिन मुझे और कुमुद को अलग कमरे में भेजा गया।
कुमुद - मुझे तुम्हें कुछ बताना है।
मैं - यही न कि आप मुझे गै बना कर बदनाम करना चाहते थे और बदला लेने की कोशिश कर रहे थे। मैने आप को रिंग फाइट में हराया था उसका बदला लेना था न आपको।
कुमुद ये सुन चौंक गए।
कुमुद - तुम्हें कैसे पता चला।
मैं - दो महीने पहले जब आप अपने दोस्त से बात कर रहे थे तब मैं आपके और उसके लिए नाश्ता ले कर आई थी तब सुना था मैने। ये सुन मैं चली गई थी। मैं ये समझ ही नहीं पा रही हूं कि वो फाइट एक गेम फाइट थी उसके बाद मैने आप को सॉरी बोल भी दिया था। मैं आपसे अच्छी फाइट करती थी तो उसमें मेरी गलती थी क्या। मैं आपसे प्यार करने लगी थी इसलिए मैंने आज तक ये बात किसी से नहीं कही थी।
कुमुद - मैं सबसे अच्छी फाइट करता था उसके बाद तुम आईं और मुझे एक स्टेट चैंपियन को हराया तो मुझे बुरा लगा था मेरे ईगो को ठेस पहुंची थी इसलिए मैं तुझे गै बना कर बदनाम करना चाहता था लेकिन उसके बाद का क्यों नहीं सुना तूने।
मैं - मतलब क्या है आपका।
कुमुद - वो दिन उस प्लान का लास्ट दिन था। उस दिन हमने प्लान को कैंसल कर के उसका दीऐंड कर दिया था। उस दिन मैं उसे ये ही बता रहा था। मैने तुझे बदनाम करने के लिए किन्नरों को भेजा, बहुत से ऐसे काम किए जिससे तू ह्यूमिलिएट हो मेरे ईगो को सैटिशफैक्शन हो लेकिन जब भी तू ह्यूमिलिएट होती थी तब मैं अंदर से टूट जाता था। मुझे पता नहीं क्यों खुद को बुरा लगता था। तू मेरे सारे काम एक लड़की की तरह करती थी ऐसा लगता था कि कोई बीवी अपने पति के सारे काम करती है जिसे देख कर मैं खुद तुझे प्यार करने लगा था तुझे एक लड़की की तरह पसंद करने लगा था।
मैं - तो फिर अब क्यों बता रहे हैं आप।
कुमुद - मैं अपना रिश्ता सच पर बनाना चाहता था इसलिए। तो क्या तुम अब भी शादी करोगी मुझसे।
मैं - मैने आपको पहले ही बता दिया है कि मैं आपसे प्यार करने लगी थी, हां मैं आपसे प्यार करती हूं तो शादी के लिए तैयार हूं।
फिर हम बाहर आए और शादी की विधियां फिर से शुरू हुईं और मेरा हाथ कुमुद के हाथ में दे दिया गया हमेशा के लिए। मैं पहले लड़का थी, फिर लड़की बनी अब किसी की पत्नी बन गई थी। मैं आज से अवंतिका कुमुद चंदेल बन गई थी। अब मुझे लोग कुमुद के नाम से जानेंगे।
हमारी शादी की सारी विधियां होते होते 9 बज गए थे। शादी की विधियां पूरे 3 घंटे चलीं थीं। रात से पूजा और शादी की बिधियों में पूरे 12 घंटे हो गए थे और सबको नींद आ रही थी तो मुझे मेरे कमरे में पहुंचाया गया और कुमुद को अपने कमरे में भेज दिया गया। क्योंकि शाम को सुहागरात होनी थी तो थोड़ी आराम की भी ज़रूरत थ
Very nice story keep it up
 
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