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कुमुद ने मुझे उठा कर बाथरूम में ले गए और कमोड पर बिठा दिया। और बाथ टब में गरम पानी भरने लगे।
मैं - आप जाइए न।
कुमुद - क्यों।
मैं - मुझे शर्म आ रही है।
कुमुद - जब सेक्स कर रहीं थीं तब तो शर्म नहीं आ रही थी।
मैं - वो बात अलग है अभी जाइए आप।
कुमुद - अच्छा ठीक है जाता हूं हो जाए तो बुला लेना।
वो हस कर चले गए। उन्होंने बाहर जाके इतनी देर में बेड शीट चेंज कर दी और पुरानी बेड शीट को अलग साइड में रख दिया।
इधर बाथरूम से उनके जाते ही मैं रिलैक्स हुई और बाथरूम करने को हुई तो मेरी चूत में अंदर जलन सी हुई। लेकिन बाथरूम लगी थी तो कैसे भी करके मैने की। फिर मैंने उनको आवाज़ दी तो वो अंदर आए और मुझे उठा कर बाथ टब की तरफ ले जाने लगे।
मैं - उस तरफ क्यों ले जा रहे हैं।
कुमुद - शांत
उन्होंने मुझे बाथ टब में बिठा दिया। बाथ टब में बैठते ही मेरी चूत में झटका सा लगा।
मैं - आह मां
कुमुद - अब समझ आया मैं क्यों ले कर आया।
मैं - हां, उफ्फ अब थोड़ा आराम लग रहा है।
कुछ देर बाद वो मुझे ले कर वापस रूम में गए। मैने देखा कि बेड शीट चेंज हो चुकी थी।
मैं - ये अपने क्यों किया मैं कर देती ना।
कुमुद - क्यों मैने कर दिया तो क्या हो गया। मैने कुछ गलत कर दिया है क्या।
मैं - नहीं मेरा मतलब ये नहीं था। मम्मी ने कहा था कि सारा काम अपने आप करना अपने पति से मत करवाना।
कुमुद - किस टाइम में जी रही हो। अगर तुम ठीक हो गईं होतीं लड़का होती तो क्या अपनी पत्नी की मदद नहीं करतीं।
मैं अब क्या कहती जो वो बोल रहे थे वो सच ही था। मैने पुरानी बाली बेड शीट उठा कर अलमारी में रख दी।
कुमुद - अब ये तुमने क्यों किया।
मैं - बस ऐसे ही। मुझे ये रखना थी, मेरे फर्स्ट सेक्स की निशानी है ये।
कुमुद - हम्मम्मम
फिर हम लोग एक दूसरे को हग कर के लेट गए। वो मेरे सर को सहलाने लगे कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई।
कुमुद - (जब मैं सो गई तब) मैने तुम्हें बहुत सताने की कोशिश की थी, बहुत परेशान किया था, बहुत ही ह्यूमिलिएट किया था लेकिन अब नहीं। अब तुम्हें मैं कोई भी दुख नहीं होने दूंगा।
अगले दिन सुबह हम हमारे रूम के गेट को खटखटाने से उठे।
मम्मी - कुमुद बेटे, अव्नी बेटी उठ जाओ। 11 बज गए हैं।
कुमुद - मम्मी हम उठ गए हैं।
मम्मी - OK बेटे जल्दी से तैयार हो कर बाहर आओ।
कुमुद - जी मम्मी हम आते हैं तैयार हो कर।
मम्मी चली गईं तब कुमुद ने मुझे उठाया।
कुमुद - (मेरा सर सहलाते हुए) उठो जान सुबह के 11 बज गए हैं।
मैं उनके उठाने से उठ गई तो देखा वो मुझे बड़े प्यार से देख रहे थे और मेरा सर सहला रहे थे। मैं ये देख मुस्कुराने लगी।
कुमुद - I love you Jaan.
मैं - I love you too.
ये बोल मैने उन्हें किस कर लिया।
कुमुद - इतने से क्या होगा।
ये बोल वो मुझे किस करने लगे। हमारी जब तक सांसें नहीं फूलने लगी तब तक किस चला। फिर अलग हो कर
कुमुद - उठ जाओ मम्मी आईं थीं उठाने।
मैं ये सुन जल्दी से बाथरूम की तरफ जाने लगी तो दर्द हुआ। मैं - ohh mummy.
कुमुद - क्या हुआ जान दर्द अभी भी हो रहा है??
मैं - हम्म।
फिर कुमुद मुझे उठा कर बाथरूम तक ले गए।
कुमुद - जब हो जाए तो आवाज़ दे देना OK.
वो मुझे बाथरूम में छोड़ कर बाहर आ गए। मैने बाथरूम की और धीरे धीरे बाथटब तक गई और ड्रेस उतार कर साइड में रख दी। जब मैने ड्रेस उतारी तो सामने लगे सीसे में खुद को देखा। मेरी पूरी बॉडी पर जगह जगह लव बाइट्स थे। मेरे बूब्स पर भी निसान थे। मेरे लिप्स का साइज डबल हो गया था। जब मैने अपनी चूत को देखा तो उसका कलर पिंक कलर से बदल कर रेड हो गया था। बड़े साइज के लन्ड से सेक्स करने की वजह से चूत का मुंह खुल गया था और वो बहुत फूल गई थी।
मैं जा कर बाथटब में बैठ गई और गरम पानी से सेंक लेने लगी। कुछ देर बाद जब आराम मिला तब मैं उठ कर बाहर आई। मैं ऐसे ही बिना ड्रेस के बाहर आ गई थी।
कुमुद - मुझे बुला लेना चाहिए था।
मैं - नहीं अब बाहर भी तो जाना है तो क्या आपकी गोद में जाऊंगी।
कुमुद - हम्मम। वैसे अगर ऐसे ही रहोगी तो बाहर जाने का प्लान कैंसल करना पड़ेगा।
जब कुमुद ने ये कहा तब मुझे अहसास हुआ कि मैं बिना कपड़ों के खड़ी हुई हूं।
मैं - very funny. जाइए अब आप तैयार हो जाइए।
कुमुद हस कर अपने कपड़े ले कर चले गए। इतने में मैं तैयार हो गई। मैने लहंगा पहना था।मैने हाथों में चूड़ियां पहनी फिर मैने बाल बांधे पर सिंदूर नहीं लगाया। जब कुमुद बाहर आए तो मुझे देखते रह गए।
मैं - सुनिए मेरे ये सिंदूर लगा दीजिए।
कुमुद ने आगे बढ़ कर मेरे हाथ से सिंदूर की डिब्बी ले ली और मेरी मांग में सिंदूर लगा दिया। फिर टॉवल से उसे सेट कर दिया। मैने देखा तो बड़े ही हल्के से लगा था। मैं ये देख कर खुश हो गई पर मैंने उनसे ये पूछा।
मैं - ये मांग में सिंदूर बहुत अच्छे से लगाया है लेकिन हल्के से क्यों पति लोग तो मांग में सिंदूर भर के लगाते हैं।
कुमुद - मैं औरों जैसा नहीं हूं और तुम्हारे एग्जाम्स भी होने वाले हैं अगले मंथ से तो ऐसे ही सही है।
मैं - हम्मम थैंक्यू। अब बाहर चलें वर्ना मम्मी आ जाएंगी।
कुमुद - जब इतनी खूबसूरत बीवी हो तो रूम से बाहर कौन बेवकूफ जाना चाहेगा।
जब तक मैं कुछ बोलती तब तक मम्मी आ गईं और गेट खटखटाया।
मम्मी - बेटे हो गए तैयार।
कुमुद - जी मम्मी आ जाइए।
मम्मी गेट खोल कर अंदर आ गईं।
मम्मी - वाह मेरे बच्चों कितने सुंदर लग रहे हो और मेरी बच्ची पर तो कितना नूर आ गया है।
मैं ये सुन शर्मा गई।
मम्मी - चलो बच्चों नाश्ता कर लो चल कर।
हम बाहर आए और नाश्ता करने लगे। सब हमें ही देख रहे थे। जैसे पता करना चाहते हों कि कुछ हुआ रात में या नहीं। मैं उनको देख देख कर शर्मा रही थी। हमने जल्दी से नाश्ता किया। पर मेरे दिमाग़ में ये विचार आया कि हम लेट उठे वो समझ में आता है लेकिन बाकी फैमिली वाले लेट क्यों उठे। ये इसलिए क्योंकि उनके चहरे बता रहे थे कि ये लोग अभी उठे हैं। हमने शान्ति से नाश्ता किया और उठ कर रूम में चले गए तो मैने कुमुद से पूछा
मैं - सुनिए एक प्रश्न है मेरे दिमाग में।
कुमुद - हां पूछो।
मैं - हम लेट उठे वो तो समझ में आता है लेकिन फैमिली वाले क्यों लेट उठे।
कुमुद - जब सब स्लीपिंग पिल्स खा कर सोएंगे तो लेट तो उठेंगे ही।
मैं - मतलब। मैं कुछ समझी नहीं।
कुमुद कुछ बोलते कि मम्मी आ गईं।
मम्मी - बात ये है बेटी मैने सब को नींद की दवा दे दी थी दूध में मिलाके।
कुमुद - हां इसीलिए सब लेट उठे।
मैं - पर ऐसा क्यों किया मम्मी आपने और आपको भी पता है ये सब।
मम्मी - उसे इसलिए पता है बाबू क्योंकि स्लीपिंग पिल्स इसी ने ला कर दी थी। पहले प्रश्न का जवाब ये है कि रात को तेरी चीखें पूरा घर सुन लेता इसलिए सबको ये दी थी। थोड़ी देर में बाहर आ जाओ दोनो लोग मंदिर चलना है ठीक है।
मैं - जी मम्मी
मम्मी हमे तैयार होने को बोल बाहर चली गईं
कुमुद - ये सही बात है सच में जान रात में सच में तुम्हारी चीखें बहुत निकल रहीं थीं।
मैं - (शर्मा कर) क्या आप भी।
मैं जल्दी से अलमारी में साड़ी निकाल कर लाई।
मैं - जल्दी से चेंज कर लेती हूं मंदिर में साड़ी पहन कर ही जाना ठीक रहेगा।
कुमुद - हां।
मैं - (कुछ देर बाद) पर मुझे साड़ी सही से बांधनी नहीं आती मम्मी ने बताया था लेकिन साड़ी बांधने की खुशी की वजह से सब भूल गई।
कुमुद - मैं पीहू को बुलाता हूं।
मैं - हां ये ठीक रहेगा।
कुमुद ने पीहू दीदी को आवाज़ दी।
मैं - पर कुमुद आप पीहू दीदी को उनके नाम से क्यों बुलाते हैं दीदी क्यों नहीं बोलते।
कुमुद - क्यों कि मैं तुम्हारी पीहू दीदी से बड़ा हूं तो इसलिए।
मैं - ओह।
इतने में पीहू दीदी आ गईं।
पीहू - क्या हुआ, बुलाया तुम लोगों ने।
मैं - (पीहू दीदी को साड़ी देते हुए) ये साड़ी बांधनी है।
पीहू दीदी - हां तो चाची ने तुम्हें बांधनी सिखाई थी ना।
मैं - मैं भूल गई।
कुमुद चेंज करने चले गए और दीदी मुझे साड़ी बांधने लगीं और बताती भी जा रहीं थीं कि कैसे क्या करना है।
जब तक साड़ी बंधी तब तक कुमुद तैयार हो कर आ भी गए। दीदी ने मुझे तैयार किया और वो चली गईं। कुमुद मुझे देखने लगे।
मैं - ऐसे क्या देख रहे हैं।
कुमुद - अपनी खूबसूरत बीवी को।
मैं ये सुन शर्मा गई। कुमुद मेरे पास आ गए और मुझे पकड़ कर अपने पास घसीट लिया। वो मुझे किस करने लगे। अभी हम किस कर रहे थे कि मम्मी आ गईं।
मम्मी - बच्चों। Ohh sorry.
ये बोल मम्मी बाहर चली गईं। मम्मी की आवाज़ सुन हम अलग हो गए।
कुमुद - मम्मी सॉरी। आ जाइए।
मम्मी - ये सब करने से कोई रोक नहीं रहा है लेकिन दरवाज़ा तो बंद कर लेना चाहिए।
मैं - सॉरी मम्मी वो।
मम्मी - अच्छा ठीक है। चलो अब तुम लोग सब तैयार हो गए हैं। बाहर वेट कर रहे हैं सब लोग। चलो अब।
कुमुद और मैं - सॉरी मम्मी। चलिए।
मम्मी - (धीरे से मुश्कुराईं) हां चलो।
हम सब मंदिर पूजा कर के वापस आए। और लंच की तैयारी होने लगी।
मम्मी - चेंज कर लो फिर किचेन में आ कर मदद करना।
बड़ी मम्मी - हम लोग हैं तो उसे अभी क्यों परेशान कर रही है। जा बेटा जा कर आराम कर। हम बुला लेंगे तुम लोगों को।
हम बड़ी मम्मी की बात सुन रूम में आ गए।
मैं चेंज करने जा रही थी कि कुमुद ने मुझे पकड़ लिया।
मैं - आप जाइए न।
कुमुद - क्यों।
मैं - मुझे शर्म आ रही है।
कुमुद - जब सेक्स कर रहीं थीं तब तो शर्म नहीं आ रही थी।
मैं - वो बात अलग है अभी जाइए आप।
कुमुद - अच्छा ठीक है जाता हूं हो जाए तो बुला लेना।
वो हस कर चले गए। उन्होंने बाहर जाके इतनी देर में बेड शीट चेंज कर दी और पुरानी बेड शीट को अलग साइड में रख दिया।
इधर बाथरूम से उनके जाते ही मैं रिलैक्स हुई और बाथरूम करने को हुई तो मेरी चूत में अंदर जलन सी हुई। लेकिन बाथरूम लगी थी तो कैसे भी करके मैने की। फिर मैंने उनको आवाज़ दी तो वो अंदर आए और मुझे उठा कर बाथ टब की तरफ ले जाने लगे।
मैं - उस तरफ क्यों ले जा रहे हैं।
कुमुद - शांत
उन्होंने मुझे बाथ टब में बिठा दिया। बाथ टब में बैठते ही मेरी चूत में झटका सा लगा।
मैं - आह मां
कुमुद - अब समझ आया मैं क्यों ले कर आया।
मैं - हां, उफ्फ अब थोड़ा आराम लग रहा है।
कुछ देर बाद वो मुझे ले कर वापस रूम में गए। मैने देखा कि बेड शीट चेंज हो चुकी थी।
मैं - ये अपने क्यों किया मैं कर देती ना।
कुमुद - क्यों मैने कर दिया तो क्या हो गया। मैने कुछ गलत कर दिया है क्या।
मैं - नहीं मेरा मतलब ये नहीं था। मम्मी ने कहा था कि सारा काम अपने आप करना अपने पति से मत करवाना।
कुमुद - किस टाइम में जी रही हो। अगर तुम ठीक हो गईं होतीं लड़का होती तो क्या अपनी पत्नी की मदद नहीं करतीं।
मैं अब क्या कहती जो वो बोल रहे थे वो सच ही था। मैने पुरानी बाली बेड शीट उठा कर अलमारी में रख दी।
कुमुद - अब ये तुमने क्यों किया।
मैं - बस ऐसे ही। मुझे ये रखना थी, मेरे फर्स्ट सेक्स की निशानी है ये।
कुमुद - हम्मम्मम
फिर हम लोग एक दूसरे को हग कर के लेट गए। वो मेरे सर को सहलाने लगे कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई।
कुमुद - (जब मैं सो गई तब) मैने तुम्हें बहुत सताने की कोशिश की थी, बहुत परेशान किया था, बहुत ही ह्यूमिलिएट किया था लेकिन अब नहीं। अब तुम्हें मैं कोई भी दुख नहीं होने दूंगा।
अगले दिन सुबह हम हमारे रूम के गेट को खटखटाने से उठे।
मम्मी - कुमुद बेटे, अव्नी बेटी उठ जाओ। 11 बज गए हैं।
कुमुद - मम्मी हम उठ गए हैं।
मम्मी - OK बेटे जल्दी से तैयार हो कर बाहर आओ।
कुमुद - जी मम्मी हम आते हैं तैयार हो कर।
मम्मी चली गईं तब कुमुद ने मुझे उठाया।
कुमुद - (मेरा सर सहलाते हुए) उठो जान सुबह के 11 बज गए हैं।
मैं उनके उठाने से उठ गई तो देखा वो मुझे बड़े प्यार से देख रहे थे और मेरा सर सहला रहे थे। मैं ये देख मुस्कुराने लगी।
कुमुद - I love you Jaan.
मैं - I love you too.
ये बोल मैने उन्हें किस कर लिया।
कुमुद - इतने से क्या होगा।
ये बोल वो मुझे किस करने लगे। हमारी जब तक सांसें नहीं फूलने लगी तब तक किस चला। फिर अलग हो कर
कुमुद - उठ जाओ मम्मी आईं थीं उठाने।
मैं ये सुन जल्दी से बाथरूम की तरफ जाने लगी तो दर्द हुआ। मैं - ohh mummy.
कुमुद - क्या हुआ जान दर्द अभी भी हो रहा है??
मैं - हम्म।
फिर कुमुद मुझे उठा कर बाथरूम तक ले गए।
कुमुद - जब हो जाए तो आवाज़ दे देना OK.
वो मुझे बाथरूम में छोड़ कर बाहर आ गए। मैने बाथरूम की और धीरे धीरे बाथटब तक गई और ड्रेस उतार कर साइड में रख दी। जब मैने ड्रेस उतारी तो सामने लगे सीसे में खुद को देखा। मेरी पूरी बॉडी पर जगह जगह लव बाइट्स थे। मेरे बूब्स पर भी निसान थे। मेरे लिप्स का साइज डबल हो गया था। जब मैने अपनी चूत को देखा तो उसका कलर पिंक कलर से बदल कर रेड हो गया था। बड़े साइज के लन्ड से सेक्स करने की वजह से चूत का मुंह खुल गया था और वो बहुत फूल गई थी।
मैं जा कर बाथटब में बैठ गई और गरम पानी से सेंक लेने लगी। कुछ देर बाद जब आराम मिला तब मैं उठ कर बाहर आई। मैं ऐसे ही बिना ड्रेस के बाहर आ गई थी।
कुमुद - मुझे बुला लेना चाहिए था।
मैं - नहीं अब बाहर भी तो जाना है तो क्या आपकी गोद में जाऊंगी।
कुमुद - हम्मम। वैसे अगर ऐसे ही रहोगी तो बाहर जाने का प्लान कैंसल करना पड़ेगा।
जब कुमुद ने ये कहा तब मुझे अहसास हुआ कि मैं बिना कपड़ों के खड़ी हुई हूं।
मैं - very funny. जाइए अब आप तैयार हो जाइए।
कुमुद हस कर अपने कपड़े ले कर चले गए। इतने में मैं तैयार हो गई। मैने लहंगा पहना था।मैने हाथों में चूड़ियां पहनी फिर मैने बाल बांधे पर सिंदूर नहीं लगाया। जब कुमुद बाहर आए तो मुझे देखते रह गए।
मैं - सुनिए मेरे ये सिंदूर लगा दीजिए।
कुमुद ने आगे बढ़ कर मेरे हाथ से सिंदूर की डिब्बी ले ली और मेरी मांग में सिंदूर लगा दिया। फिर टॉवल से उसे सेट कर दिया। मैने देखा तो बड़े ही हल्के से लगा था। मैं ये देख कर खुश हो गई पर मैंने उनसे ये पूछा।
मैं - ये मांग में सिंदूर बहुत अच्छे से लगाया है लेकिन हल्के से क्यों पति लोग तो मांग में सिंदूर भर के लगाते हैं।
कुमुद - मैं औरों जैसा नहीं हूं और तुम्हारे एग्जाम्स भी होने वाले हैं अगले मंथ से तो ऐसे ही सही है।
मैं - हम्मम थैंक्यू। अब बाहर चलें वर्ना मम्मी आ जाएंगी।
कुमुद - जब इतनी खूबसूरत बीवी हो तो रूम से बाहर कौन बेवकूफ जाना चाहेगा।
जब तक मैं कुछ बोलती तब तक मम्मी आ गईं और गेट खटखटाया।
मम्मी - बेटे हो गए तैयार।
कुमुद - जी मम्मी आ जाइए।
मम्मी गेट खोल कर अंदर आ गईं।
मम्मी - वाह मेरे बच्चों कितने सुंदर लग रहे हो और मेरी बच्ची पर तो कितना नूर आ गया है।
मैं ये सुन शर्मा गई।
मम्मी - चलो बच्चों नाश्ता कर लो चल कर।
हम बाहर आए और नाश्ता करने लगे। सब हमें ही देख रहे थे। जैसे पता करना चाहते हों कि कुछ हुआ रात में या नहीं। मैं उनको देख देख कर शर्मा रही थी। हमने जल्दी से नाश्ता किया। पर मेरे दिमाग़ में ये विचार आया कि हम लेट उठे वो समझ में आता है लेकिन बाकी फैमिली वाले लेट क्यों उठे। ये इसलिए क्योंकि उनके चहरे बता रहे थे कि ये लोग अभी उठे हैं। हमने शान्ति से नाश्ता किया और उठ कर रूम में चले गए तो मैने कुमुद से पूछा
मैं - सुनिए एक प्रश्न है मेरे दिमाग में।
कुमुद - हां पूछो।
मैं - हम लेट उठे वो तो समझ में आता है लेकिन फैमिली वाले क्यों लेट उठे।
कुमुद - जब सब स्लीपिंग पिल्स खा कर सोएंगे तो लेट तो उठेंगे ही।
मैं - मतलब। मैं कुछ समझी नहीं।
कुमुद कुछ बोलते कि मम्मी आ गईं।
मम्मी - बात ये है बेटी मैने सब को नींद की दवा दे दी थी दूध में मिलाके।
कुमुद - हां इसीलिए सब लेट उठे।
मैं - पर ऐसा क्यों किया मम्मी आपने और आपको भी पता है ये सब।
मम्मी - उसे इसलिए पता है बाबू क्योंकि स्लीपिंग पिल्स इसी ने ला कर दी थी। पहले प्रश्न का जवाब ये है कि रात को तेरी चीखें पूरा घर सुन लेता इसलिए सबको ये दी थी। थोड़ी देर में बाहर आ जाओ दोनो लोग मंदिर चलना है ठीक है।
मैं - जी मम्मी
मम्मी हमे तैयार होने को बोल बाहर चली गईं
कुमुद - ये सही बात है सच में जान रात में सच में तुम्हारी चीखें बहुत निकल रहीं थीं।
मैं - (शर्मा कर) क्या आप भी।
मैं जल्दी से अलमारी में साड़ी निकाल कर लाई।
मैं - जल्दी से चेंज कर लेती हूं मंदिर में साड़ी पहन कर ही जाना ठीक रहेगा।
कुमुद - हां।
मैं - (कुछ देर बाद) पर मुझे साड़ी सही से बांधनी नहीं आती मम्मी ने बताया था लेकिन साड़ी बांधने की खुशी की वजह से सब भूल गई।
कुमुद - मैं पीहू को बुलाता हूं।
मैं - हां ये ठीक रहेगा।
कुमुद ने पीहू दीदी को आवाज़ दी।
मैं - पर कुमुद आप पीहू दीदी को उनके नाम से क्यों बुलाते हैं दीदी क्यों नहीं बोलते।
कुमुद - क्यों कि मैं तुम्हारी पीहू दीदी से बड़ा हूं तो इसलिए।
मैं - ओह।
इतने में पीहू दीदी आ गईं।
पीहू - क्या हुआ, बुलाया तुम लोगों ने।
मैं - (पीहू दीदी को साड़ी देते हुए) ये साड़ी बांधनी है।
पीहू दीदी - हां तो चाची ने तुम्हें बांधनी सिखाई थी ना।
मैं - मैं भूल गई।
कुमुद चेंज करने चले गए और दीदी मुझे साड़ी बांधने लगीं और बताती भी जा रहीं थीं कि कैसे क्या करना है।
जब तक साड़ी बंधी तब तक कुमुद तैयार हो कर आ भी गए। दीदी ने मुझे तैयार किया और वो चली गईं। कुमुद मुझे देखने लगे।
मैं - ऐसे क्या देख रहे हैं।
कुमुद - अपनी खूबसूरत बीवी को।
मैं ये सुन शर्मा गई। कुमुद मेरे पास आ गए और मुझे पकड़ कर अपने पास घसीट लिया। वो मुझे किस करने लगे। अभी हम किस कर रहे थे कि मम्मी आ गईं।
मम्मी - बच्चों। Ohh sorry.
ये बोल मम्मी बाहर चली गईं। मम्मी की आवाज़ सुन हम अलग हो गए।
कुमुद - मम्मी सॉरी। आ जाइए।
मम्मी - ये सब करने से कोई रोक नहीं रहा है लेकिन दरवाज़ा तो बंद कर लेना चाहिए।
मैं - सॉरी मम्मी वो।
मम्मी - अच्छा ठीक है। चलो अब तुम लोग सब तैयार हो गए हैं। बाहर वेट कर रहे हैं सब लोग। चलो अब।
कुमुद और मैं - सॉरी मम्मी। चलिए।
मम्मी - (धीरे से मुश्कुराईं) हां चलो।
हम सब मंदिर पूजा कर के वापस आए। और लंच की तैयारी होने लगी।
मम्मी - चेंज कर लो फिर किचेन में आ कर मदद करना।
बड़ी मम्मी - हम लोग हैं तो उसे अभी क्यों परेशान कर रही है। जा बेटा जा कर आराम कर। हम बुला लेंगे तुम लोगों को।
हम बड़ी मम्मी की बात सुन रूम में आ गए।
मैं चेंज करने जा रही थी कि कुमुद ने मुझे पकड़ लिया।