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बहुत बहुत शुक्रिया , क्या बात है ,मेरी नींद चुराने वाले
जा तुझको भी नींद न आये
पूनम वाला चांद तुझे भी
सारी सारी रात जगाये...
मेरी कविता /शायरी से जुड़े और भी कुछ थ्रेड है , गुज़ारिश है की कभी आप उन पे एक नज़र डालने का वक्त निकालेंगे तो बहुत मेहरबानी होगी।Komalrani जी आपके लिए अभी तक उचित सम्बोधन नहीं चुन सका मैं। जब से आपको पढ़ रहा हूँ तब से हर अपडेट के बाद महसूस होता है कि आपका अध्ययन क्षेत्र कितना विशाल गहरा और असीम है। विश्वास ही नहीं होता कि कोई शब्दों के साथ इतनी शातिर चाल भी चल सकता है।जितना स्पष्ट गंवई शब्दों का चयन है, उतना ही स्पष्ट हिंदी के शब्द भी। इस थ्रेड में तो उर्दू/फ़ारसी के शब्दों तथा शेरो शायरी के साथ देख कर एक बार को विश्वास ही नहीं हुआ । इतना डायनामिक व्यक्तित्व भला कैसे....इसमें अध्ययन का योगदान ही है....![]()
कभी हमारा नाम भी लिख दिया करो कोमलजब मिली आंख होश खो बैठे,
कितने हाजिरजवाब हैं हम लोग।
-'असर' लखनवी
तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की,
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते।
आपका नाम ' असर लखनवी ' है ? मुझे नहीं पता था। मेरे ख्याल से वो तो १८८५ में पैदा हुए थे.कभी हमारा नाम भी लिख दिया करो कोमल![]()
अजी कहा हमारि सोच उतनी गहरी नहींआपका नाम ' असर लखनवी ' है ? मुझे नहीं पता था। मेरे ख्याल से वो तो १८८५ में पैदा हुए थे.
मुझे तो ये शेर उन्ही के नाम का लगा।