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Bahut hi umdaइधर गैसू, उधर रू-ए-मुनव्वर है तसव्वर में,
कहाँ ये शाम आयेगी, कहाँ ऐसी सहर होगी।
1.गैसू - बाल, जुल्फें 2. रू-ए-मुनव्वर - रौशन चेहरा या मुखड़ा
3. सहर - सुबह, प्रातःकाल, प्रभात, भोर
Bahut hi umdaइधर गैसू, उधर रू-ए-मुनव्वर है तसव्वर में,
कहाँ ये शाम आयेगी, कहाँ ऐसी सहर होगी।
1.गैसू - बाल, जुल्फें 2. रू-ए-मुनव्वर - रौशन चेहरा या मुखड़ा
3. सहर - सुबह, प्रातःकाल, प्रभात, भोर
Shandaarइक न इक जुल्मत से जब वाबस्ता रहना है तो जोश,
जिन्दगी पर साया-ए-जुल्फे-परीशां क्यों न हो।
-'जोश' मलीहाबादी
Bahut khoobआप के गैसुओं की साया है,
लोग जिसको बहार कहते हैं।
Time ki kami ke chalte yaha aa nahi pata, yahi vajah hai ki apni taraf se kuch pesh-e-khidmat nahiनिगाहों पे गुफ़्तगू हो चुकी,... लगता है अब शेरो की तादाद इस मुद्दे पर कम होती जा रही है तो मैं इस थ्रेड में गेसुओं को भी जोड़ रही हूँ और आप सब से इल्तज़ा है की निगाहों के साथ जुल्फों पे शेर पेश करें,
और शुरुआत गेसुओं से जुड़े चंद शेरों के साथ,
बहुत ही खूब सूरत शेर,क्या कहें, क्या क्या किया, तेरी निगाहों ने सुलूक,
दिल में आईं दिल में ठहरीं दिल में पैकाँ हो गईं।
क्या बात कही, जैसा उम्मदा शेर वैसी ही तस्वीर