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Shayari आँखे - शेरी शायरी

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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बहुत ही खूब सूरत शेर,

सच में , आपके बिना तो ये महफ़िल सूनी ही हो जाती है, गुस्ताख़ी माफ़, थोड़ा बहुत वक्त बाकी थ्रेड से निकल के अगर यहाँ का रुख़ इसी तरह करते रहेंगे



कभी कभी तन्हाई एकदम काटने को दौड़ती है, और जब उम्मीदें दम तोड़ने लगती हैं तो फ़ैज़ साहेब की चंद लाइनें बार बार जेहन में उभरती हैं,'

' फिर कोई आया दिल ए जाऱ, नहीं कोई नहीं।

राह रौ होगा, कहीं और चला जाएगा।

....

अपने इन बेख्वाब किवाड़ों को मुक़्क़फ़ल कर लो,

अब यहाँ कोई नहीं कोई नहीं आएगा।

लेकिन आप आते हैं तो फिर


जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए।
Waah kya baat hai, bahut hi umda :bow:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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इतना तो दोस्ती का सिला दीजिए मुझे।
अपना समझ के ज़हर पिला दीजिए मुझे।।

उट्ठे न ता-कि आप की जानिब नज़र कोई,
जितनी भी तोहमतें हैं लगा दीजिए मुझे।।

क्यूँ आप की ख़ुशी को मिरा ग़म करे उदास,
इक तल्ख़ हादिसा हूँ भुला दीजिए मुझे।।

सिदक़-ओ-सफ़ा ने मुझ को किया है बहुत ख़राब,
मक्र-ओ-रिया ज़रूर सिखा दीजिए मुझे।।

मैं आप के क़रीब ही होता हूँ हर घड़ी,
मौक़ा कभी पड़े तो सदा दीजिए मुझे।।

हर चीज़ दस्तियाब है बाज़ार में 'अदम'
झूटी ख़ुशी ख़रीद के ला दीजिए मुझे।।

_______अब्दुल हमीद 'अदम'
 

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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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आप की आँख अगर आज गुलाबी होगी।
मेरी सरकार बड़ी सख़्त ख़राबी होगी।।

मोहतसिब ने ही पढ़ा होगा मक़ाला पहले,
मिरी तक़रीर ब-हर-हाल जवाबी होगी।।

आँख उठाने से भी पहले ही वो होंगे ग़ाएब,
क्या ख़बर थी कि उन्हें इतनी शिताबी होगी।।

हर मोहब्बत को समझता है वो नॉवेल का वरक़,
उस परी-ज़ाद की ता'लीम किताबी होगी।।

शैख़-जी हम तो जहन्नम के परिंदे ठहरे,
आप के पास तो फ़िरदौस की चाबी होगी।।

कर दिया मूसा को जिस चीज़ ने बेहोश 'अदम'
बे-नक़ाबी नहीं वो नीम-हिजाबी होगी।।

_______अब्दुल हमीद 'अदम'
 

komaalrani

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आप की आँख अगर आज गुलाबी होगी।
मेरी सरकार बड़ी सख़्त ख़राबी होगी।।

मोहतसिब ने ही पढ़ा होगा मक़ाला पहले,
मिरी तक़रीर ब-हर-हाल जवाबी होगी।।


आँख उठाने से भी पहले ही वो होंगे ग़ाएब,
क्या ख़बर थी कि उन्हें इतनी शिताबी होगी।।

हर मोहब्बत को समझता है वो नॉवेल का वरक़,
उस परी-ज़ाद की ता'लीम किताबी होगी।।


शैख़-जी हम तो जहन्नम के परिंदे ठहरे,
आप के पास तो फ़िरदौस की चाबी होगी।।


कर दिया मूसा को जिस चीज़ ने बेहोश 'अदम'
बे-नक़ाबी नहीं वो नीम-हिजाबी होगी।।

_______अब्दुल हमीद 'अदम'

ज़िंदगी नाम है रवानी का
क्या थमेगा बहाव पानी का.

अब्दुल हमीद 'अदम'​

 

komaalrani

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अब्दुल हमीद 'अदम'​



देखा है किस निगाह से तू ने सितम-ज़रीफ़
महसूस हो रहा है मैं ग़र्क़-ए-शराब हूँ.
 

komaalrani

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आप अगर हमको मिल गये होते
बाग़ में फूल खिल गये होते

आप ने यूँ ही घूर कर देखा
होंठ तो यूँ भी सिल गये होते

काश हम आप इस तरह मिलते
जैसे दो वक़्त मिल गये होते

हमको अहल-ए-ख़िरद मिले ही नहीं
वरना कुछ मुन्फ़ईल गये होते

उसकी आँखें ही कज-नज़र थीं 'अदम'
दिल के पर्दे तो हिल गये होते


अब्दुल हमीद 'अदम'​

 
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