- 79,765
- 117,087
- 354
Waah kya baat hai, bahut hi umdaबहुत ही खूब सूरत शेर,
सच में , आपके बिना तो ये महफ़िल सूनी ही हो जाती है, गुस्ताख़ी माफ़, थोड़ा बहुत वक्त बाकी थ्रेड से निकल के अगर यहाँ का रुख़ इसी तरह करते रहेंगे
कभी कभी तन्हाई एकदम काटने को दौड़ती है, और जब उम्मीदें दम तोड़ने लगती हैं तो फ़ैज़ साहेब की चंद लाइनें बार बार जेहन में उभरती हैं,'
' फिर कोई आया दिल ए जाऱ, नहीं कोई नहीं।
राह रौ होगा, कहीं और चला जाएगा।
....
अपने इन बेख्वाब किवाड़ों को मुक़्क़फ़ल कर लो,
अब यहाँ कोई नहीं कोई नहीं आएगा।
लेकिन आप आते हैं तो फिर
जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए।