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Adultery आर्या मैडम

Ajju Landwalia

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"वरुण, अब अगर मेरे बिना कहे झड़ा तो खूब मार पड़ेगी, और फ़िर भी नहीं माना तो तुझे भगा दूँगी और फ़िर कभी तुझसे नहीं बोलूँगी. आखिर अब मुझे भी तो मजा करना है, तू अब अपना लंड मस्त खड़ा रख" मैडम ने प्यार भरा उलाहना दिया. मैं फ़िर उनकी सेवा में लग गया.

मैडम का ब्रेसियर और पेन्टी में लिपटा हुआ गोरा अर्धनग्न अधेड शरीर मुझ पर मानों कहर ढा रहा था. मैडम को खींच कर मैंने अपनी गोद में बिठा लिया और उनका रसीला मुंह चूमने लगा. कुछ ही देर में मैडम की जीभ मेरे मुंह में थी. मेरे हाथ अब मैडम के पूरे शरीर पर फ़िर रहे थे और मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि कहाँ ठहरूँ, उनका हर अंग मुझे इतना चिकना और मादक लग रहा था.

जांघों को रगडने और पेन्टी के ऊपर से ही बुर सहलाने के बाद मैंने उनके नरम नरम पेन्टी से आधे बाहर निकल रहे नितंबों को सहलाया और फ़िर उनकी चिकनी पीठ पर से हाथ फ़िराया. पीठ के बीच में उनके ब्रेसियर की टाइट पट्टी हाथ को बहुत भली लग रही थी. हाथ बढ़ा कर मैंने उनके गोरे गोरे पैरों और उन लाल सैंडलों को भी अपने हाथ में भर लिया. उनके नाजुक पाँव मेरे हाथों में पाकर मैं विभोर हो गया.

अंत में मैंने मौके की जगह याने उनके ब्रा के कपों में भींचे हुए स्तनों को हलके हलके दबाना और सहलाना शुरू किया, ब्रेसियर के कपों के नीचे तनकर खड़े उनके निप्पल मेरे हाथों को ऐसे लग रहे थे जैसे लम्बे कड़े बनारसी बेर हों.

अब मुझसे और न रहा गया. ब्रेसियर के हुक खोल कर मैंने उनकी ब्रा निकाल दी. मांसल उरोज अपनी कैद से छूटकर बाहर आ गये. लटके हुए गोल पिलपिले मम्मे और उनपर भूरे लम्बे लम्बे निप्पल. मैंने झुक कर एक निप्पल मुंह में लिया और गोली जैसा चूसने लगा. हाथों में चूचियाँ पकड़कर उन्हें दबाने लगा. ऐसा लग रहा था कि स्पंज के बने हों. वासना से उनके निप्पल कड़े चमड़े जैसे हो गये थे.

मैडम भी अब वासना से सीत्कारियाँ भर रही थी. निप्पल चूसते हुए मैंने उनकी पेन्टी के बीच हाथ लगाया तो वह बिलकुल गीली थी. मस्त हुई उनकी बुर की मादक महक अब कमरे में फ़ैली हुई थी. मैंने खींच कर मैडम की पेन्टी उतार दी और बुर को हथेली में कबूतर जैसा पकड. लिया. बुर इस तरह चू रही थी जैसे कोई शहद की बोतल फ़ूट गयी हो.

मैडम की बुर में दो उंगलीयाँ डाल कर उन्हें मैं चोदने लगा. उस गीली चिकनी चूत को उँगली करने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था. उंगलीयाँ निकाल कर मैंने देखा तो उनपर सफ़ेद चिपचिपा रस लगा था. मैंने वह चाटा तो मस्ती से मेरा लंड और खड़ा हो गया. मुझ से न रहा गया. "मैडम, मैं तो आपकी बुर चुसूँगा अब, पूरा रस पी जाऊंगा आपकी रसीली चूत का. अब मुझे मत रोकिये प्लीज़."

आर्या मैडम मुझे प्यार से चूमते हुई बोली. "तेरे ही लिये है मेरे राजा यह सब खजाना, मैं जानती हूँ कि मेरी बुर जवान नहीं है पर रसीली और मतवाली जरूर है, खूब पानी छोड़ती है शैतान, स्वाद बहुत भाएगा तुझे, चल कैसे चूसेगा बता, खड़ी हो जाऊँ या लेट जाऊँ?"

मैंने कोई जवाब नहीं दिया क्यों की अब मैं उनके बुर के शहद में लिपटी अपनी उंगलीयाँ चाटने में लगा था. वे हंसकर बोली. "चल मैं बताती हूँ वैसा कर, मुझे मालूम है किस आसन में बुर मस्त चुसती है, आ नीचे बैठ जा मेरे सामने"

मैंने उन्हें गोद में से उतारा और जमीन पर बैठ गया. मैडम मेरे सामने सोफ़े पर टिक कर बैठ गई और अपनी गोरी जांघें फ़ैला दी. "चूस लो वरुण, उस दिन तू कह रहा था ना कि मैडम आपकी चूत देखना है. लो अपनी ही चीज़ समझो, देखो, प्यार से चूमो, चाटो, खा जाओ, जो चाहे करो" उन्हों ने बड़े प्यार से मेरे बालों में उंगलीयाँ चलाते हुए कहा.

मैं फ़र्श पर मैडम के पैरों के बीच बैठा था और मुझे उनकी लाल लाल चूत स्पष्ट दिख रही थी. मैंने आगे सरक कर अपना मुंह उस रसीली चूत पर जमाने के पहले उसे मन भर कर बिलकुल पास से देखा. पास से तो उस बुर का जो नजारा था वह देख कर मेरा अभी अभी झड़ा लंड भी फ़िर तन्नाने लगा. एक तो मैं ज़िंदगी में पहली बार किसी नारी के गुप्तांग को देख रहा था. दुसरे यह कि मैडम की परिपक्व बुर इतनी रसीली थी कि मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि किसी अधेड महिला की चूत इतनी सुंदर होगी.

आर्या मैडम की पूरी बुर और निचले पेट पर घनी काली घुम्घराली झांटे थी. बालों के बीच से उनकी लाल बुर का बड़ा सा छेद दिख रहा था जिसमें से सफ़ेद चिपचिपा पानी रिस रहा था. बुर इतनी चू रही थी कि आस पास की झांटे भी गीली हो गई थी. उनकी गोरी जांघों पर भी रस चिपक गया था.

थरथराते हाथों से मैंने झांटे बाजू में की और अब मोटे मांसल गुलाबी भगोष्ठ साफ़ दिखने लगे. छेद के ऊपर एक छोटे अंगूर जितना बड़ा लाल दाना था जो इतना प्यारा लग रहा था कि मुझे रहा नहीं गया और मैंने झुक कर उसे चूम लिया. मैडम सिसक उठी और बोली. "बड़ा बदमाश है रे तू वरुण, कहता है कि आज तक कभी संभोग नही किया और सीधे किसी मंजे हुए खिलाड़ी जैसा मेरा क्लिटोरिस चाट रहा है." मैं बोला. "सच मैडम आज पहली बार चूत देख रहा हूँ, आज तक सिर्फ़ किताबों में देखी थी, पर उनमें भी इतना बड़ा क्लिटोरिस कभी नहीं देखा. हीरे जैसा लगता है."

मैंने और न रुक कर सीधे अपनी जीभ से उस रसीली चूत को चाटना शुरू कर दिया. उधर वह महकता गाढ़ा सफ़ेद शहद मेरे मुंह में गया और उधर मेरा लौड़ा फ़िर कस कर खड़ा हो गया. मैं अपनी माँ तुल्य मैडम की इस अमूल्य भेंट की एक बूंद भी नहीं खोना चाहता था इसलिये पहले तो मैंने उनकी जांघों पर बह आये रस को चाटा और फ़िर उनकी गीली झांटे भी चूस चूस कर साफ़ की. फ़िर मैं भूखों की तरह उनकी बुर चाटने में लग गया.

मेरी जीभ के स्पर्श से मैडम का शरीर कांप उठा. वे अब झडने के करीब थी और मेरे सिर को अपने हाथों से पकड. कर अपनी बुर पर दबा रही थी. "वरुण बेटे, बहुत अच्छा चाटता है तू, झड़ा दे मुझे बेटे, बस एक बार जल्दी से झड़ा दे, फ़िर मैं घंटे भर तुझे यह रस पिलाऊँगी, मेरे क्लिटोरिस को चाट बेटे, उस पर अपनी जीभ चला, आह ऽ, हाँ ऽ ऐसे ही ऽ मेरे लाल.."

उन्हें मेरे चूसने से इस कदर मस्त होते देख मुझे बहुत अच्छा लगा कि मेरे मुंह से उन्हें इतना सुख मिल रहा है. उनके कहे अनुसार मैंने उनके लाल लाल बेर को लगातर चाटना और चूमना शुरू कर दिया. मैडम ने सहसा अपनी जांघें मेरे सिर के इर्द गिर्द भींच ली और मेरे सिर को दबोच कर आगे पीछे होते हुए धक्के मारने लगी.

"मार डालेगा तू मुझे लड़के, इतना अच्छा लग रहा है, रहा नहीं जाता रे अब." आवेश में आकर मैंने उनका क्लिटोरिस मुंह में ले लिया और टॉफी की तरह जीभ रगड कर चूसने लगा. बस एक ही मिनट में मैडम ऐसी जोरदार झड़ीं कि मुंह से एक हल्की चीख निकाल कर ढेर हो गई. मेरे सिर को तो उन्हों ने ऐसे अपनी जांघों में जकड रखा था जैसे कुचल ही डालेगी.

मैं क्लिटोरिस मुंह में लिये बैठा रहा और चूसता रहा. अखिर तृप्त हुई मैडम ने मेरा सिर छोड़ा और एक गहरी सांस ली. "वरुण बेटे, तू तो एकदम छुपा रुस्तम निकला, ले अब मन भर के अपनी मेहनत का मीठा फ़ल पी, इस बुर में से अब तुझे इतना रस मिलेगा कि पेट भर जाएगा तेरा, हाँ पर बेट अब जरा अपनी जीभ अंदर डाल, जितनी गहरी डाल सकता है उतनी घुसेड, जीभ से चुदवाना मुझे बहुत अच्छा लगता है."

मैडम की बातें सुनकर मैं सोच रहा था कि लगता है मैडम काफ़ी पहुंची हुई हैं और किसी और से भी चुसवाती हैं. मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्यों की इतनी मादक महिला की गुलामी करने के लिये तो कोई भी तैयार हो जाता. बुर से अब बुरी तरह गाढ़ा चिपचिपा पानी बह रहा था. मैंने उसे खूब चाटा और फ़िर उनकी आज्ञा अनुसार जीभ उस कोमल छेद में डाल कर अंदर बाहर करने लगा.

मैंने मन भर के बुर के उस शहद का पान किया. बाद में घड़ी देखी तो पता चला कि पूरे आधे घंटे भर मैंने मैडम की चूत चूसी थी. अंत में मैडम फ़िर जोर से झड़ीं और उनकी बुर ने ढेर सारा पानी मेरे मुंह में फ़ेम्का. पूरा महकता कसैला पानी मैंने पिया और चाट चाट कर पूरी चूत और जांघें साफ़ की.

मेरा लंड अब बुरी तरह से तन्नाया था. समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी इस मैडम की सेवा मैं और कैसे करू. मेरी नजर नीचे मुड़ी तो उनके पैरों पर पड़ई. लाल सैंडलों में से दिख रहे उनके गोरे पाँव बड़े प्यारे लग रहे थे. मुलायम उंगलीयाँ लाल नेल पेम्ट के कारण ऐसी लग रही थी कि मुझे लगा इन्हें अभी मुंह में ले लूँ और चबा कर खा जाऊँ. मैं फ़र्श पर लेट गया और मैडम के पैर चूमने लगा. इतना ही नहीं, मैंने उन्हें अपनी जीभ से चाटा और फ़िर उनके पैर की उंगलीयाँ मुंह में लेकर चूसी. पास से उनके पैरों में उनके बदन और पसीने की बड़ी भीनी भीनी खुशबू आ रही थी.

मैडम को भी मेरा यह चरण चुंबन बड़ा अच्छा लगा. "बहुत अच्छा लगता है बेटे, ऐसा कर, मेरे सेंडल अब निकाल दे, इनका काम हो गया, तुझे रिझाने को पहने थे, तूने तो मेरे पैर चाट कर मुझे और खुश कर दिया. वैसे चरण पूजा तो तुझे करना भी चाहिये, आखिर तू मेरा शिष्य है!" मैंने बड़े प्यार से मैडम के सेंडल उतार दिये. उन्हें चूमा और नीचे रख दिये. लग तो रहा था कि उन सैंडलों को चाट डालूँ या मुंह में लेकर चबाने लगूँ. पर उनके पैरों की खूबसूरती मुझे खींच रही थी. उनके नंगे पैर अब मेरे थे और मैं उन्हें आसानी से चूम और चूस सकता था. अब उनके गोरे गुलाबी तलवे भी खुले थे.

Bahut hi shandar updates he vakharia Bhai,

Keep posting Bro
 

vakharia

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मैं किसी तरह टोवेल सम्भालता हुआ चुपचाप मैडम के पास बैठ गया. उन्हों ने मुझे बाँहों में खींच लिया और चूमने लगी. उनके मीठे दहकते होंठ जब मेरे होंठों पर आ टिके तो मेरा संयम जाता रहा और मैं भी उन्हें बेतहाशा चूमने लगा. हमारे जीभें आपस में लिपट गई और उनकी मुलायम रसीली जीभ को मैं ऐसे चूसने लगा जैसे कोई मिठाई हो. अब मेरा लंड पूरी तरह से तन्ना गया था. "मैं कैसी लगती हूँ बेटे?" उन्हों ने बीच में ही चुंबन तोड कर पूछा.

मैं कोई जवाब नहीं दे पाया क्यों की मैं अभी भी उन्हें चूम रहा था. हंसकर वे मेरे लंड को टोवेल के ऊपर से ही सहलाती हुई बोली "तू नहीं बोलता तो न सही, इससे पूछते हैं." और उन्हों ने टोवेल खींच कर मुझे नंगा कर दिया. मेरा बुरी तरह से फ़नफ़नाया हुआ लंड छूटकर टन्न से खड़ा हो गया. उसे हाथ में पकड़ कर दबाती हुई मैडम बोली. "आ.. हाँ.. , यह तो कह रहा है कि मैं तुझे बहुत अच्छी लगी."

मैं अब दीवानों की तरह मैडम के कपड़े निकालने की कोशिश करने लगा. मेरे इस उतावलेपन पर मुस्कराकर वे बोली. "ऐसे नहीं बेटे, आराम से मस्ती ले लेकर इस लम्हे का लुत्फ़ लो. तुम अब सोफ़े पर बैठो और हाथ बाजू में रखो, लंड को नहीं छूना बिलकुल. मैं कपड़े उतारती हूँ"

मैं सोफ़े पर बैठा हुआ अपने हाथ बड़ी मुश्किल से अपने लंड से हटाकर लम्बी साँसे लेता हुआ मैडम की धीरे धीरे चलने वाली स्ट्रिपटीज़ को देखने लगा. उन्हों ने भी ऐसी स्ट्रिपटीज़ मुझे दिखाई कि कोई चुदैल रंडी भी क्या करेगी!

पहले तो मैडम ने अपना पल्लू छोड़ा और धीरे धीरे साड़ी उतारने लगी. फ़िर नाड़ा खोलकर अपना लाल पेटीकोट उतार दिया.

पहली बार मैंने मैडम की नंगी टांगें देखी. पचास की उम्र के बावजूद उनकी टांगें बड़ी चिकनी और मांसल थी. गोरी गोरी जांघें थोड़ी सी थुलथुली जरूर थी पर फ़िर भी बहुत आकर्षक थी. अब तक मैडम ने अपना ब्लाउज़ उतारना चालू कर दिया था. बटन खोलकर उन्हों ने मेरी तरफ़ मुस्कराकर देखा और फ़िर बाँहें ऊपर करके ब्लाउज उनमें से उतार दिया. मैडम की शेव की हुई चिकनी काँखें मुझे दिखी तो मेरा मन उन्हें चाटने को करने लगा.

अब मेरा लंड बुरी तरह से उछल रहा था क्यों की आर्या मैडम अब सिर्फ़ उनकी लाल लेस वाली जरा सी ब्रेसियर और लाल साटिन की पेन्टी में मेरे सामने खड़ी थी. लाल ऊंची एडी की सैंडलों में उनका यह अधनंगा रूप मुझे जानलेवा लग रहा था. उनके मांसल उरोज ब्रेसियर के छोटे कपों में कसे हुए मानों बाहर आने की जिद कर रहे थे. पेन्टी भी इतनी तंग थी कि बीच की पट्टी बस मैडम की बुर की लकीर भर को छुपा पा रही थी और काले घने केश उस पट्टी के दोनों ओर से बाहर निकल रहे थे.

मैं असहनीय कामना से सिसक पड़ा और मैडम ने मेरी हालत पहचान कर हंसते हुए मेरे पास आकर मुझे जोर से चूम लिया. फ़िर मुझे सोफ़े पर लिटाकर नीचे फ़र्श पर मेरे पेट के पास बैठ गई. "वरुण बेटे, तू अब काम से जाने वाला है. सब्र कर, नहीं तो ऐसे ही झड जायेगा." मैं सिसकता हुआ बोला "मैडम, आप का रूप सहन नहीं होता, मुझसे नहीं रहा जा रहा. हफ़्ते भर मैंने मूठ भी नहीं लगाया."

"ऐसा कर, तू चुपचाप पड़ा रह, कम से कम मैं तो इस मस्त जवान शिश्न का रस चख लूँ, कहीं झड गया तो वेस्ट हो जायेगा." कहकर मैडम ने लंड अपने हाथ में लिया और अपने गुलाबी होंठ खोलकर पूरा सुपाड़ा मुंह में ले लिया. फ़िर वे बड़े प्यार से मन लगाकर जीभ से रगडते हुए मेरा लंड चूसने लगी. "हाय मैडम, मैं मर जाऊंगा, बहुत अच्छा लग रहा है." मैं चिल्लाया.

जवाब में मैडम ने अपनी उंगलीयाँ मेरे लंड के डंडे के इर्दगिर्द लपेटी और ऊपर नीचे करते हुए सुपाड़े को चूसते हुए मेरी मुट्ठ मारने लगी. मैं सह न सका और एकदम से झड़ गया. मेरा वीर्य मैडम बड़े चाव से निगलती रहीं और तभी मुझे छोड़ा जब मैं लस्त होकर निढाल लेट गया.
बहुत ही गरमागरम कामुक और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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मैं किसी तरह टोवेल सम्भालता हुआ चुपचाप मैडम के पास बैठ गया. उन्हों ने मुझे बाँहों में खींच लिया और चूमने लगी. उनके मीठे दहकते होंठ जब मेरे होंठों पर आ टिके तो मेरा संयम जाता रहा और मैं भी उन्हें बेतहाशा चूमने लगा. हमारे जीभें आपस में लिपट गई और उनकी मुलायम रसीली जीभ को मैं ऐसे चूसने लगा जैसे कोई मिठाई हो. अब मेरा लंड पूरी तरह से तन्ना गया था. "मैं कैसी लगती हूँ बेटे?" उन्हों ने बीच में ही चुंबन तोड कर पूछा.

मैं कोई जवाब नहीं दे पाया क्यों की मैं अभी भी उन्हें चूम रहा था. हंसकर वे मेरे लंड को टोवेल के ऊपर से ही सहलाती हुई बोली "तू नहीं बोलता तो न सही, इससे पूछते हैं." और उन्हों ने टोवेल खींच कर मुझे नंगा कर दिया. मेरा बुरी तरह से फ़नफ़नाया हुआ लंड छूटकर टन्न से खड़ा हो गया. उसे हाथ में पकड़ कर दबाती हुई मैडम बोली. "आ.. हाँ.. , यह तो कह रहा है कि मैं तुझे बहुत अच्छी लगी."

मैं अब दीवानों की तरह मैडम के कपड़े निकालने की कोशिश करने लगा. मेरे इस उतावलेपन पर मुस्कराकर वे बोली. "ऐसे नहीं बेटे, आराम से मस्ती ले लेकर इस लम्हे का लुत्फ़ लो. तुम अब सोफ़े पर बैठो और हाथ बाजू में रखो, लंड को नहीं छूना बिलकुल. मैं कपड़े उतारती हूँ"

मैं सोफ़े पर बैठा हुआ अपने हाथ बड़ी मुश्किल से अपने लंड से हटाकर लम्बी साँसे लेता हुआ मैडम की धीरे धीरे चलने वाली स्ट्रिपटीज़ को देखने लगा. उन्हों ने भी ऐसी स्ट्रिपटीज़ मुझे दिखाई कि कोई चुदैल रंडी भी क्या करेगी!

पहले तो मैडम ने अपना पल्लू छोड़ा और धीरे धीरे साड़ी उतारने लगी. फ़िर नाड़ा खोलकर अपना लाल पेटीकोट उतार दिया.

पहली बार मैंने मैडम की नंगी टांगें देखी. पचास की उम्र के बावजूद उनकी टांगें बड़ी चिकनी और मांसल थी. गोरी गोरी जांघें थोड़ी सी थुलथुली जरूर थी पर फ़िर भी बहुत आकर्षक थी. अब तक मैडम ने अपना ब्लाउज़ उतारना चालू कर दिया था. बटन खोलकर उन्हों ने मेरी तरफ़ मुस्कराकर देखा और फ़िर बाँहें ऊपर करके ब्लाउज उनमें से उतार दिया. मैडम की शेव की हुई चिकनी काँखें मुझे दिखी तो मेरा मन उन्हें चाटने को करने लगा.

अब मेरा लंड बुरी तरह से उछल रहा था क्यों की आर्या मैडम अब सिर्फ़ उनकी लाल लेस वाली जरा सी ब्रेसियर और लाल साटिन की पेन्टी में मेरे सामने खड़ी थी. लाल ऊंची एडी की सैंडलों में उनका यह अधनंगा रूप मुझे जानलेवा लग रहा था. उनके मांसल उरोज ब्रेसियर के छोटे कपों में कसे हुए मानों बाहर आने की जिद कर रहे थे. पेन्टी भी इतनी तंग थी कि बीच की पट्टी बस मैडम की बुर की लकीर भर को छुपा पा रही थी और काले घने केश उस पट्टी के दोनों ओर से बाहर निकल रहे थे.

मैं असहनीय कामना से सिसक पड़ा और मैडम ने मेरी हालत पहचान कर हंसते हुए मेरे पास आकर मुझे जोर से चूम लिया. फ़िर मुझे सोफ़े पर लिटाकर नीचे फ़र्श पर मेरे पेट के पास बैठ गई. "वरुण बेटे, तू अब काम से जाने वाला है. सब्र कर, नहीं तो ऐसे ही झड जायेगा." मैं सिसकता हुआ बोला "मैडम, आप का रूप सहन नहीं होता, मुझसे नहीं रहा जा रहा. हफ़्ते भर मैंने मूठ भी नहीं लगाया."

"ऐसा कर, तू चुपचाप पड़ा रह, कम से कम मैं तो इस मस्त जवान शिश्न का रस चख लूँ, कहीं झड गया तो वेस्ट हो जायेगा." कहकर मैडम ने लंड अपने हाथ में लिया और अपने गुलाबी होंठ खोलकर पूरा सुपाड़ा मुंह में ले लिया. फ़िर वे बड़े प्यार से मन लगाकर जीभ से रगडते हुए मेरा लंड चूसने लगी. "हाय मैडम, मैं मर जाऊंगा, बहुत अच्छा लग रहा है." मैं चिल्लाया.

जवाब में मैडम ने अपनी उंगलीयाँ मेरे लंड के डंडे के इर्दगिर्द लपेटी और ऊपर नीचे करते हुए सुपाड़े को चूसते हुए मेरी मुट्ठ मारने लगी. मैं सह न सका और एकदम से झड़ गया. मेरा वीर्य मैडम बड़े चाव से निगलती रहीं और तभी मुझे छोड़ा जब मैं लस्त होकर निढाल लेट गया.
बहुत ही गरमागरम कामुक और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

sunoanuj

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"वरुण, अब अगर मेरे बिना कहे झड़ा तो खूब मार पड़ेगी, और फ़िर भी नहीं माना तो तुझे भगा दूँगी और फ़िर कभी तुझसे नहीं बोलूँगी. आखिर अब मुझे भी तो मजा करना है, तू अब अपना लंड मस्त खड़ा रख" मैडम ने प्यार भरा उलाहना दिया. मैं फ़िर उनकी सेवा में लग गया.

मैडम का ब्रेसियर और पेन्टी में लिपटा हुआ गोरा अर्धनग्न अधेड शरीर मुझ पर मानों कहर ढा रहा था. मैडम को खींच कर मैंने अपनी गोद में बिठा लिया और उनका रसीला मुंह चूमने लगा. कुछ ही देर में मैडम की जीभ मेरे मुंह में थी. मेरे हाथ अब मैडम के पूरे शरीर पर फ़िर रहे थे और मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि कहाँ ठहरूँ, उनका हर अंग मुझे इतना चिकना और मादक लग रहा था.

जांघों को रगडने और पेन्टी के ऊपर से ही बुर सहलाने के बाद मैंने उनके नरम नरम पेन्टी से आधे बाहर निकल रहे नितंबों को सहलाया और फ़िर उनकी चिकनी पीठ पर से हाथ फ़िराया. पीठ के बीच में उनके ब्रेसियर की टाइट पट्टी हाथ को बहुत भली लग रही थी. हाथ बढ़ा कर मैंने उनके गोरे गोरे पैरों और उन लाल सैंडलों को भी अपने हाथ में भर लिया. उनके नाजुक पाँव मेरे हाथों में पाकर मैं विभोर हो गया.

अंत में मैंने मौके की जगह याने उनके ब्रा के कपों में भींचे हुए स्तनों को हलके हलके दबाना और सहलाना शुरू किया, ब्रेसियर के कपों के नीचे तनकर खड़े उनके निप्पल मेरे हाथों को ऐसे लग रहे थे जैसे लम्बे कड़े बनारसी बेर हों.

अब मुझसे और न रहा गया. ब्रेसियर के हुक खोल कर मैंने उनकी ब्रा निकाल दी. मांसल उरोज अपनी कैद से छूटकर बाहर आ गये. लटके हुए गोल पिलपिले मम्मे और उनपर भूरे लम्बे लम्बे निप्पल. मैंने झुक कर एक निप्पल मुंह में लिया और गोली जैसा चूसने लगा. हाथों में चूचियाँ पकड़कर उन्हें दबाने लगा. ऐसा लग रहा था कि स्पंज के बने हों. वासना से उनके निप्पल कड़े चमड़े जैसे हो गये थे.

मैडम भी अब वासना से सीत्कारियाँ भर रही थी. निप्पल चूसते हुए मैंने उनकी पेन्टी के बीच हाथ लगाया तो वह बिलकुल गीली थी. मस्त हुई उनकी बुर की मादक महक अब कमरे में फ़ैली हुई थी. मैंने खींच कर मैडम की पेन्टी उतार दी और बुर को हथेली में कबूतर जैसा पकड. लिया. बुर इस तरह चू रही थी जैसे कोई शहद की बोतल फ़ूट गयी हो.

मैडम की बुर में दो उंगलीयाँ डाल कर उन्हें मैं चोदने लगा. उस गीली चिकनी चूत को उँगली करने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था. उंगलीयाँ निकाल कर मैंने देखा तो उनपर सफ़ेद चिपचिपा रस लगा था. मैंने वह चाटा तो मस्ती से मेरा लंड और खड़ा हो गया. मुझ से न रहा गया. "मैडम, मैं तो आपकी बुर चुसूँगा अब, पूरा रस पी जाऊंगा आपकी रसीली चूत का. अब मुझे मत रोकिये प्लीज़."

आर्या मैडम मुझे प्यार से चूमते हुई बोली. "तेरे ही लिये है मेरे राजा यह सब खजाना, मैं जानती हूँ कि मेरी बुर जवान नहीं है पर रसीली और मतवाली जरूर है, खूब पानी छोड़ती है शैतान, स्वाद बहुत भाएगा तुझे, चल कैसे चूसेगा बता, खड़ी हो जाऊँ या लेट जाऊँ?"

मैंने कोई जवाब नहीं दिया क्यों की अब मैं उनके बुर के शहद में लिपटी अपनी उंगलीयाँ चाटने में लगा था. वे हंसकर बोली. "चल मैं बताती हूँ वैसा कर, मुझे मालूम है किस आसन में बुर मस्त चुसती है, आ नीचे बैठ जा मेरे सामने"

मैंने उन्हें गोद में से उतारा और जमीन पर बैठ गया. मैडम मेरे सामने सोफ़े पर टिक कर बैठ गई और अपनी गोरी जांघें फ़ैला दी. "चूस लो वरुण, उस दिन तू कह रहा था ना कि मैडम आपकी चूत देखना है. लो अपनी ही चीज़ समझो, देखो, प्यार से चूमो, चाटो, खा जाओ, जो चाहे करो" उन्हों ने बड़े प्यार से मेरे बालों में उंगलीयाँ चलाते हुए कहा.

मैं फ़र्श पर मैडम के पैरों के बीच बैठा था और मुझे उनकी लाल लाल चूत स्पष्ट दिख रही थी. मैंने आगे सरक कर अपना मुंह उस रसीली चूत पर जमाने के पहले उसे मन भर कर बिलकुल पास से देखा. पास से तो उस बुर का जो नजारा था वह देख कर मेरा अभी अभी झड़ा लंड भी फ़िर तन्नाने लगा. एक तो मैं ज़िंदगी में पहली बार किसी नारी के गुप्तांग को देख रहा था. दुसरे यह कि मैडम की परिपक्व बुर इतनी रसीली थी कि मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि किसी अधेड महिला की चूत इतनी सुंदर होगी.

आर्या मैडम की पूरी बुर और निचले पेट पर घनी काली घुम्घराली झांटे थी. बालों के बीच से उनकी लाल बुर का बड़ा सा छेद दिख रहा था जिसमें से सफ़ेद चिपचिपा पानी रिस रहा था. बुर इतनी चू रही थी कि आस पास की झांटे भी गीली हो गई थी. उनकी गोरी जांघों पर भी रस चिपक गया था.

थरथराते हाथों से मैंने झांटे बाजू में की और अब मोटे मांसल गुलाबी भगोष्ठ साफ़ दिखने लगे. छेद के ऊपर एक छोटे अंगूर जितना बड़ा लाल दाना था जो इतना प्यारा लग रहा था कि मुझे रहा नहीं गया और मैंने झुक कर उसे चूम लिया. मैडम सिसक उठी और बोली. "बड़ा बदमाश है रे तू वरुण, कहता है कि आज तक कभी संभोग नही किया और सीधे किसी मंजे हुए खिलाड़ी जैसा मेरा क्लिटोरिस चाट रहा है." मैं बोला. "सच मैडम आज पहली बार चूत देख रहा हूँ, आज तक सिर्फ़ किताबों में देखी थी, पर उनमें भी इतना बड़ा क्लिटोरिस कभी नहीं देखा. हीरे जैसा लगता है."

मैंने और न रुक कर सीधे अपनी जीभ से उस रसीली चूत को चाटना शुरू कर दिया. उधर वह महकता गाढ़ा सफ़ेद शहद मेरे मुंह में गया और उधर मेरा लौड़ा फ़िर कस कर खड़ा हो गया. मैं अपनी माँ तुल्य मैडम की इस अमूल्य भेंट की एक बूंद भी नहीं खोना चाहता था इसलिये पहले तो मैंने उनकी जांघों पर बह आये रस को चाटा और फ़िर उनकी गीली झांटे भी चूस चूस कर साफ़ की. फ़िर मैं भूखों की तरह उनकी बुर चाटने में लग गया.

मेरी जीभ के स्पर्श से मैडम का शरीर कांप उठा. वे अब झडने के करीब थी और मेरे सिर को अपने हाथों से पकड. कर अपनी बुर पर दबा रही थी. "वरुण बेटे, बहुत अच्छा चाटता है तू, झड़ा दे मुझे बेटे, बस एक बार जल्दी से झड़ा दे, फ़िर मैं घंटे भर तुझे यह रस पिलाऊँगी, मेरे क्लिटोरिस को चाट बेटे, उस पर अपनी जीभ चला, आह ऽ, हाँ ऽ ऐसे ही ऽ मेरे लाल.."

उन्हें मेरे चूसने से इस कदर मस्त होते देख मुझे बहुत अच्छा लगा कि मेरे मुंह से उन्हें इतना सुख मिल रहा है. उनके कहे अनुसार मैंने उनके लाल लाल बेर को लगातर चाटना और चूमना शुरू कर दिया. मैडम ने सहसा अपनी जांघें मेरे सिर के इर्द गिर्द भींच ली और मेरे सिर को दबोच कर आगे पीछे होते हुए धक्के मारने लगी.

"मार डालेगा तू मुझे लड़के, इतना अच्छा लग रहा है, रहा नहीं जाता रे अब." आवेश में आकर मैंने उनका क्लिटोरिस मुंह में ले लिया और टॉफी की तरह जीभ रगड कर चूसने लगा. बस एक ही मिनट में मैडम ऐसी जोरदार झड़ीं कि मुंह से एक हल्की चीख निकाल कर ढेर हो गई. मेरे सिर को तो उन्हों ने ऐसे अपनी जांघों में जकड रखा था जैसे कुचल ही डालेगी.

मैं क्लिटोरिस मुंह में लिये बैठा रहा और चूसता रहा. अखिर तृप्त हुई मैडम ने मेरा सिर छोड़ा और एक गहरी सांस ली. "वरुण बेटे, तू तो एकदम छुपा रुस्तम निकला, ले अब मन भर के अपनी मेहनत का मीठा फ़ल पी, इस बुर में से अब तुझे इतना रस मिलेगा कि पेट भर जाएगा तेरा, हाँ पर बेट अब जरा अपनी जीभ अंदर डाल, जितनी गहरी डाल सकता है उतनी घुसेड, जीभ से चुदवाना मुझे बहुत अच्छा लगता है."

मैडम की बातें सुनकर मैं सोच रहा था कि लगता है मैडम काफ़ी पहुंची हुई हैं और किसी और से भी चुसवाती हैं. मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्यों की इतनी मादक महिला की गुलामी करने के लिये तो कोई भी तैयार हो जाता. बुर से अब बुरी तरह गाढ़ा चिपचिपा पानी बह रहा था. मैंने उसे खूब चाटा और फ़िर उनकी आज्ञा अनुसार जीभ उस कोमल छेद में डाल कर अंदर बाहर करने लगा.

मैंने मन भर के बुर के उस शहद का पान किया. बाद में घड़ी देखी तो पता चला कि पूरे आधे घंटे भर मैंने मैडम की चूत चूसी थी. अंत में मैडम फ़िर जोर से झड़ीं और उनकी बुर ने ढेर सारा पानी मेरे मुंह में फ़ेम्का. पूरा महकता कसैला पानी मैंने पिया और चाट चाट कर पूरी चूत और जांघें साफ़ की.

मेरा लंड अब बुरी तरह से तन्नाया था. समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी इस मैडम की सेवा मैं और कैसे करू. मेरी नजर नीचे मुड़ी तो उनके पैरों पर पड़ई. लाल सैंडलों में से दिख रहे उनके गोरे पाँव बड़े प्यारे लग रहे थे. मुलायम उंगलीयाँ लाल नेल पेम्ट के कारण ऐसी लग रही थी कि मुझे लगा इन्हें अभी मुंह में ले लूँ और चबा कर खा जाऊँ. मैं फ़र्श पर लेट गया और मैडम के पैर चूमने लगा. इतना ही नहीं, मैंने उन्हें अपनी जीभ से चाटा और फ़िर उनके पैर की उंगलीयाँ मुंह में लेकर चूसी. पास से उनके पैरों में उनके बदन और पसीने की बड़ी भीनी भीनी खुशबू आ रही थी.

मैडम को भी मेरा यह चरण चुंबन बड़ा अच्छा लगा. "बहुत अच्छा लगता है बेटे, ऐसा कर, मेरे सेंडल अब निकाल दे, इनका काम हो गया, तुझे रिझाने को पहने थे, तूने तो मेरे पैर चाट कर मुझे और खुश कर दिया. वैसे चरण पूजा तो तुझे करना भी चाहिये, आखिर तू मेरा शिष्य है!" मैंने बड़े प्यार से मैडम के सेंडल उतार दिये. उन्हें चूमा और नीचे रख दिये. लग तो रहा था कि उन सैंडलों को चाट डालूँ या मुंह में लेकर चबाने लगूँ. पर उनके पैरों की खूबसूरती मुझे खींच रही थी. उनके नंगे पैर अब मेरे थे और मैं उन्हें आसानी से चूम और चूस सकता था. अब उनके गोरे गुलाबी तलवे भी खुले थे.
बहुत ही गरमागरम कामुक मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

vakharia

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बहुत सी सुंदर औरतों के पैर सुंदर नहीं होते, मैडम के पैर सच में बड़े नाजुक और खूबसूरत थे. तलवे भी एकदम मुलायम और चिकने थे. पाँव की आर्च अकदम गोलाकार थी और एड़ियाँ भी मांसल फ़ूली हुई थी. मुझसे न रहा गया और मैंने उन्हें चूम लिया. उनका स्पर्श और खुशबू मुझे इतने अच्छे लगे कि मैं जीभ निकाल कर बड़े आदर और प्यार से मैडम के तलवे चाटने लगा.

मैडम को भी मेरा यह काम अच्छा लगा और वे अपने पैरों से मेरे गाल सहलाने लगी. "तू तो सच में अपनी टीचर का चरण पुजारी निकला रे, मैं आशिर्वाद तो दूँगी ही, साथ में ही अपने इस शरीर का हर भाग तुझे चखाऊँगी, जो चाहिये मांग ले बेटे, मिलेगा."

मन भर कर मैडम की चरण पूजा करने के बाद मैं उठ बैठा. "मैडम, प्लीज़ अब चोदने दीजिये, मैं मर जाऊंगा, अब नहीं रहा जाता." मैडम प्यार से मेरा लंड पकड कर उससे खेलती हुई बोली. "मैं तो अभी चुदवा लूँ मेरे राजा, कौन औरत नहीं चुदवाएगी ऐसे मस्त जवान लंड से, पर मैं तो तेरे बारे में सोच रही थी, अभी रात काफ़ी बाकी है, अभी से चोद लिया तो बुर का रस कैसे पियेगा फ़िर? तेरे वीर्य से भर जाएगी तो तुझे स्वाद अलग लगेगा बेटे. सुबह नहाने के पहले जरूर चोद लेना जितना चाहे."

बात तो सच थी, मैडम की बुर मैं और कई घंटे चूसना चाहता था. यही रास्ता था कि फ़िर उनसे लंड चुसवा लूँ. मैडम भी यही चाहती थी, और मेरे लंड को भूखी नज़रों से देख रही थी.

"मैडम आप बहुत अच्छा लंड चूसती हैं, आप दिन रात चूसिये तो भी मैं तैयार हूँ, पर अभी आप के इस मादक पके हुए शरीर पर इतना प्यार आ रहा है कि मैं आपको हचक हचक कर चोदना चाहता हूँ."

मैंने उनके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही चूमते हुए कहा.

"कोई बात नहीं बेटे, आ एक नया आसन लगाते हैं, मैं चूस भी लूँगी और तू भी मेरे मुंह को चोद लेना." पलंग पर लेटती हुई वे बोली.

मैडम अब सीधी पलंग पर अपनी टांगें फ़ैलाकर और नितंबों के नीचे दो तकिये लेकर लेट गई.

"चूत उठी रहेगी तो ठीक से चूस पायेगा तू, आ अब उल्टी तरफ़ से मेरे ऊपर आ जा."

मैडम के पैरों की तरफ़ मुंह कर के मैं धीरे से उनके ऊपर चढ. गया. मेरा लंड उनके लाल होंठों के ऊपर थिरक रहा था और उनकी मुलायम रेशमी बालों से घिरी चूत मेरे मुंह के नीचे थी.

मैडम ने कहा

"अब मैं तेरा लंड चूसती हूँ, मुझे कुछ देर मजा ले ले कर चूसने दे, तू भी मेरी बुर का रस पी ले, आज तो सच में इतना रस निकल रहा है जैसा कभी नहीं चुआ. लगता है तेरे लिये ही मेरी चूत आज लबालब रस बना रही है. जब तुझ से न रहा जाये तो पूरा लंड मेरे मुंह में डाल देना और ऐसे चोदना जैसे बुर चोद रहा हो."

मैं मैडम के ऊपर लेट कर उनकी बुर चूसने में लग गया. मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे सरकाकर मैडम ने मेरा लंड अपने मुंह के ऊपर कर लिया और उसे चाटने और किस करने लगी. कभी वे उसे गले तक निगल लेती और कभी सिर्फ़ सुपाड़ा मुंह में अपनी जीभ पर टिकाकर चूसती. उधर उनकी बुर से अब लगातार पानी बह रहा था.

मैंने अपने आप पर बहुत कंट्रोल किया पर आखिर जब वासना असहनीय हो गई तो मैंने मैडम का सिर पकड़कर अपना लौड़ा जड. तक उनके गले में उतार दिया और फ़िर अपनी जांघों में उनके सिर को भींच कर हचक हचक कर उनका मुंह चोदने लगा.

उनके गीले कोमल गले में मेरा लंड ऐसा अंदर बाहर हो रहा था जैसे कोई चूत हो. मैंने आँखें बंद कर ली और ऐसी कल्पना की कि उनकी चूत उनका मुंह है जिसे मैं किस कर रहा हूँ और उनका मुंह उनकी चूत है जिसे मैं चोद रहा हूँ. बड़ी मादक कल्पना थी और मैं उसे नब्बे प्रतिशत सही मानकर मैडम के गले को खूब चोदा. सिर्फ़ एक बात थी जिससे मैं उसे शत प्रतिशत सही नहीं मान पाया - उनकी घनी झांटे जो मेरे चेहरे पर दबी हुई थी.

आखिर मैं मचल कर जोर से झड गया और मेरे लंड ने अपना गाढ़ा माल मैडम के गले में उगल दिया. वे उसे तुरंत निगल गई. आखिर जब मैं तृप्त होकर उनके शरीर पर से उतर के पलंग पर सो गया तब वे उठी. "मजा आया बेटे? मुझे तो अपना मुंह चुदाने में बड़ा आनंद आया. बस तेरे वीर्य का स्वाद नहीं ले पायी, सीधा पेट में गया, तेरा लंड इतना गहरा गड़ा था मेरे गले में, लगता था जैसे पेट में घुस गया हो."

मेरी तृप्ति अब हो गयी थी और मैंने इतना आनंद देने के लिये उनके प्यारे पैर चूम कर उन्हें थैंक यू कहा. "चल, अब मेरी बुर पूजा कर सकता है ना दो तीन घंटे? फ़िर सोने के पहले चोदने दूँगी." मैंने उनकी पिंडलियों को चूमते हुआ कहा. "रात भर सेवा करवा लीजिये मैडम, अब आप से जिद नहीं करूंगा."

मेरी बात पर हंसते हुए उन्हों ने मुझे ठीक से तकिये पर सिर रख कर उस संकरी नीची बेंच पर लिटाया और फ़िर मेरे सीने पर चढ. कर बैठ गई. आगे सरकते हुए उन्हों ने अपनी चूत मेरे मुंह पर लगायी और मेरे सिर को जांघों मे दबाकर उसपर साइकिल की सीट जैसे सवार हो गई. "अब कुछ देर साइकिल चलाऊँगी तेरे मुंह पर. यह बहुत प्यारा आसन है, खास कर तब जब तेरे जैसा मन लगाकर बुर चूसने वाला कोई मिल जाये."

ऊपर नीचे उचकते हुए उन्हों ने मन भर कर साइकिल चलाई. जब थक गई तो पलंग पर आकर करवट पर लेट गई और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा कर पैर फ़टकारते हुए खूब हस्तमैथुन किया. हमें समय का कोई ख्याल ही नहीं रहा. वे ऐसे मुझसे खेल रही थी जैसे कोई प्यारा खिलौने का गुड्डा मिल गया हो. बीच में आराम करने के लिये वे अलग हो जाती तो मेरे मुंह में अपनी नरम चूची दे देती चूसने के लिये.

आखिर रात के दो बजे उन्हें पूरी तृप्ति हुई. लस्त होकर वे पलंग पर सो गई और मुझे चोदने को कहा. मैं झट उनपर चढ बैठा और बुर में अपना फ़न्नाया लंड डाल कर उन्हें अपने पूरी शक्ति से चोद डाला. वे ऐसे सिसक सिसक कर कराह रही थी जैसे कोई उनसे जबरदस्ती कर रहा हो पर उनके चेहरे पर एक स्वर्गिक आनंद झलक रहा था. चोद कर जब मैं स्खलित हुआ तो इतना थक गया था कि बस दो मिनिट में सो गया.

सुबह मेरी नींद बहुत देर से खुली. मैडम पहले ही उठ चुकी थी. मुझे जगा देखकर बड़े प्यार से चाय बना कर लाई वे नहा कर एकदम फ़्रेश लग रही थी. सिर्फ़ एक गाऊन पहने थी और नीचे ब्रेसियर न होने से उनकी लटकती चूचियाँ और उनके बड़े निप्पलों का उभार गाउन में से दिख रहा था. "हो गया आराम? मैंने जान बूझकर नहीं उठाया. जितना आराम करेगा उतनी ज्यादा सेवा मैं तुझसे करवा सकती हूँ, है ना?" मेरे बालों को प्यार से बिखेरकर वे बोली. "चल, अब नहा कर आ, फ़िर ब्रेकफ़ास्ट करते हैं."
 
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