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Adultery आर्या मैडम

Ajju Landwalia

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बहुत सी सुंदर औरतों के पैर सुंदर नहीं होते, मैडम के पैर सच में बड़े नाजुक और खूबसूरत थे. तलवे भी एकदम मुलायम और चिकने थे. पाँव की आर्च अकदम गोलाकार थी और एड़ियाँ भी मांसल फ़ूली हुई थी. मुझसे न रहा गया और मैंने उन्हें चूम लिया. उनका स्पर्श और खुशबू मुझे इतने अच्छे लगे कि मैं जीभ निकाल कर बड़े आदर और प्यार से मैडम के तलवे चाटने लगा.

मैडम को भी मेरा यह काम अच्छा लगा और वे अपने पैरों से मेरे गाल सहलाने लगी. "तू तो सच में अपनी टीचर का चरण पुजारी निकला रे, मैं आशिर्वाद तो दूँगी ही, साथ में ही अपने इस शरीर का हर भाग तुझे चखाऊँगी, जो चाहिये मांग ले बेटे, मिलेगा."

मन भर कर मैडम की चरण पूजा करने के बाद मैं उठ बैठा. "मैडम, प्लीज़ अब चोदने दीजिये, मैं मर जाऊंगा, अब नहीं रहा जाता." मैडम प्यार से मेरा लंड पकड कर उससे खेलती हुई बोली. "मैं तो अभी चुदवा लूँ मेरे राजा, कौन औरत नहीं चुदवाएगी ऐसे मस्त जवान लंड से, पर मैं तो तेरे बारे में सोच रही थी, अभी रात काफ़ी बाकी है, अभी से चोद लिया तो बुर का रस कैसे पियेगा फ़िर? तेरे वीर्य से भर जाएगी तो तुझे स्वाद अलग लगेगा बेटे. सुबह नहाने के पहले जरूर चोद लेना जितना चाहे."

बात तो सच थी, मैडम की बुर मैं और कई घंटे चूसना चाहता था. यही रास्ता था कि फ़िर उनसे लंड चुसवा लूँ. मैडम भी यही चाहती थी, और मेरे लंड को भूखी नज़रों से देख रही थी.

"मैडम आप बहुत अच्छा लंड चूसती हैं, आप दिन रात चूसिये तो भी मैं तैयार हूँ, पर अभी आप के इस मादक पके हुए शरीर पर इतना प्यार आ रहा है कि मैं आपको हचक हचक कर चोदना चाहता हूँ."

मैंने उनके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही चूमते हुए कहा.

"कोई बात नहीं बेटे, आ एक नया आसन लगाते हैं, मैं चूस भी लूँगी और तू भी मेरे मुंह को चोद लेना." पलंग पर लेटती हुई वे बोली.

मैडम अब सीधी पलंग पर अपनी टांगें फ़ैलाकर और नितंबों के नीचे दो तकिये लेकर लेट गई.

"चूत उठी रहेगी तो ठीक से चूस पायेगा तू, आ अब उल्टी तरफ़ से मेरे ऊपर आ जा."

मैडम के पैरों की तरफ़ मुंह कर के मैं धीरे से उनके ऊपर चढ. गया. मेरा लंड उनके लाल होंठों के ऊपर थिरक रहा था और उनकी मुलायम रेशमी बालों से घिरी चूत मेरे मुंह के नीचे थी.

मैडम ने कहा

"अब मैं तेरा लंड चूसती हूँ, मुझे कुछ देर मजा ले ले कर चूसने दे, तू भी मेरी बुर का रस पी ले, आज तो सच में इतना रस निकल रहा है जैसा कभी नहीं चुआ. लगता है तेरे लिये ही मेरी चूत आज लबालब रस बना रही है. जब तुझ से न रहा जाये तो पूरा लंड मेरे मुंह में डाल देना और ऐसे चोदना जैसे बुर चोद रहा हो."

मैं मैडम के ऊपर लेट कर उनकी बुर चूसने में लग गया. मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे सरकाकर मैडम ने मेरा लंड अपने मुंह के ऊपर कर लिया और उसे चाटने और किस करने लगी. कभी वे उसे गले तक निगल लेती और कभी सिर्फ़ सुपाड़ा मुंह में अपनी जीभ पर टिकाकर चूसती. उधर उनकी बुर से अब लगातार पानी बह रहा था.

मैंने अपने आप पर बहुत कंट्रोल किया पर आखिर जब वासना असहनीय हो गई तो मैंने मैडम का सिर पकड़कर अपना लौड़ा जड. तक उनके गले में उतार दिया और फ़िर अपनी जांघों में उनके सिर को भींच कर हचक हचक कर उनका मुंह चोदने लगा.

उनके गीले कोमल गले में मेरा लंड ऐसा अंदर बाहर हो रहा था जैसे कोई चूत हो. मैंने आँखें बंद कर ली और ऐसी कल्पना की कि उनकी चूत उनका मुंह है जिसे मैं किस कर रहा हूँ और उनका मुंह उनकी चूत है जिसे मैं चोद रहा हूँ. बड़ी मादक कल्पना थी और मैं उसे नब्बे प्रतिशत सही मानकर मैडम के गले को खूब चोदा. सिर्फ़ एक बात थी जिससे मैं उसे शत प्रतिशत सही नहीं मान पाया - उनकी घनी झांटे जो मेरे चेहरे पर दबी हुई थी.

आखिर मैं मचल कर जोर से झड गया और मेरे लंड ने अपना गाढ़ा माल मैडम के गले में उगल दिया. वे उसे तुरंत निगल गई. आखिर जब मैं तृप्त होकर उनके शरीर पर से उतर के पलंग पर सो गया तब वे उठी. "मजा आया बेटे? मुझे तो अपना मुंह चुदाने में बड़ा आनंद आया. बस तेरे वीर्य का स्वाद नहीं ले पायी, सीधा पेट में गया, तेरा लंड इतना गहरा गड़ा था मेरे गले में, लगता था जैसे पेट में घुस गया हो."

मेरी तृप्ति अब हो गयी थी और मैंने इतना आनंद देने के लिये उनके प्यारे पैर चूम कर उन्हें थैंक यू कहा. "चल, अब मेरी बुर पूजा कर सकता है ना दो तीन घंटे? फ़िर सोने के पहले चोदने दूँगी." मैंने उनकी पिंडलियों को चूमते हुआ कहा. "रात भर सेवा करवा लीजिये मैडम, अब आप से जिद नहीं करूंगा."

मेरी बात पर हंसते हुए उन्हों ने मुझे ठीक से तकिये पर सिर रख कर उस संकरी नीची बेंच पर लिटाया और फ़िर मेरे सीने पर चढ. कर बैठ गई. आगे सरकते हुए उन्हों ने अपनी चूत मेरे मुंह पर लगायी और मेरे सिर को जांघों मे दबाकर उसपर साइकिल की सीट जैसे सवार हो गई. "अब कुछ देर साइकिल चलाऊँगी तेरे मुंह पर. यह बहुत प्यारा आसन है, खास कर तब जब तेरे जैसा मन लगाकर बुर चूसने वाला कोई मिल जाये."

ऊपर नीचे उचकते हुए उन्हों ने मन भर कर साइकिल चलाई. जब थक गई तो पलंग पर आकर करवट पर लेट गई और मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा कर पैर फ़टकारते हुए खूब हस्तमैथुन किया. हमें समय का कोई ख्याल ही नहीं रहा. वे ऐसे मुझसे खेल रही थी जैसे कोई प्यारा खिलौने का गुड्डा मिल गया हो. बीच में आराम करने के लिये वे अलग हो जाती तो मेरे मुंह में अपनी नरम चूची दे देती चूसने के लिये.

आखिर रात के दो बजे उन्हें पूरी तृप्ति हुई. लस्त होकर वे पलंग पर सो गई और मुझे चोदने को कहा. मैं झट उनपर चढ बैठा और बुर में अपना फ़न्नाया लंड डाल कर उन्हें अपने पूरी शक्ति से चोद डाला. वे ऐसे सिसक सिसक कर कराह रही थी जैसे कोई उनसे जबरदस्ती कर रहा हो पर उनके चेहरे पर एक स्वर्गिक आनंद झलक रहा था. चोद कर जब मैं स्खलित हुआ तो इतना थक गया था कि बस दो मिनिट में सो गया.

सुबह मेरी नींद बहुत देर से खुली. मैडम पहले ही उठ चुकी थी. मुझे जगा देखकर बड़े प्यार से चाय बना कर लाई वे नहा कर एकदम फ़्रेश लग रही थी. सिर्फ़ एक गाऊन पहने थी और नीचे ब्रेसियर न होने से उनकी लटकती चूचियाँ और उनके बड़े निप्पलों का उभार गाउन में से दिख रहा था. "हो गया आराम? मैंने जान बूझकर नहीं उठाया. जितना आराम करेगा उतनी ज्यादा सेवा मैं तुझसे करवा सकती हूँ, है ना?" मेरे बालों को प्यार से बिखेरकर वे बोली. "चल, अब नहा कर आ, फ़िर ब्रेकफ़ास्ट करते हैं."

Bahut hi garamagarm update he vakharia Bhai,

Maja aa gaya.........keep posting Bro
 

vakharia

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बहुत ही गरमागरम कामुक मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
Thanks :thanks:
 

vakharia

Supreme
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Bahut hi garamagarm update he vakharia Bhai,

Maja aa gaya.........keep posting Bro
Thanks bhai
 

vakharia

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नहा कर वैसा ही नंगा मैं वापिस आया. नाश्ता करने के बाद मैडम मुझे चूम कर लंड को पकड़कर बोली. "अब आराम कर, इसे जरा मस्त कर, मैं टेस्ट पेपर करेक्ट करने को कॉलेज जा रही हूँ. शाम को वापिस आऊँ तो लंड एकदम तैयार मिलना चाहिये. और देख ऐसे ही नंगे रहना. तेरे कपड़े अब छुट्टी खतम होने पर होस्टल जाते समय दूँगी"

मैंने मैडम से कहा कि वे पेपर घर ही ले आयेम. वे हंसते हुए बोली. "घर में रहूँगी तो कुछ काम नहीं होगा सिवाय काम कर्म के" मैंने कहा "नहीं मैडम, आप काम कीजिये, मैं बस आपके सामने नीचे बैठ कर आपकी सेवा करता रहूँगा."

सुनकर मैडम शायद मेरा मतलब समझ गई क्यों की वे हंसने लगी. बड़ी मादक मुस्कान थी. "ठीक है, तू सो ले, मैं दो घंटे में आती हूँ"

उनके जाने के बाद मैंने तुरंत पहला काम यह किया कि उनके रबर के स्लीपर जो पलंग के नीचे थे, उठा कर पलंग पर रख लिये. साथ ही उनकी जितनी चप्पलें मिली, उठा लाया. फ़िर उन्हें देखकर उत्तेजित होकर मैं उन्हें प्यार करने लगा. कल वाले सेंडल भी थे और साथ में रबर की एक और मोटी हील वाली पुरानी घिसी हुई स्लिपर थी. एक जोड़ी काले सैंडलों की थी. किसी को मैं लंड पर रगडता, किसी को चाटता और किसी को सूँघता. मुझे तो मानों खजाना मिल गया था. बड़ी मुश्किल से मुठ्ठ मारने से अपने आप को रोका. जब दो घंटे हो गये तो जाकर सब चप्पलें अपनी जगह रख दी और आकर सो गया.

यह सब मैं मैडम के सामने भी कर सकता था पर शरम आ रही थी. उन चप्पलों और मैडम के पैरों के बारे में सोचते हुए मुझे नींद लग गयी और मैं ऐसी गहरी नींद सोया कि मैडम ने चुंबन लेकर उठाया तभी आँख खुली. हमने खाना खाया और खाने के समय मैडम मुझसे तरह तरह की गप्पें लगाती रहीं. मुझसे मेरी गर्ल फ़्रेन्ड्स के बारे में पूछा. मैंने साफ़ बता दिया कि मुझे उन जैसी उम्र में बड़ी औरते ही ज्यादा अच्छी लगती हैं इसलिये अपनी उम्र की फ़्रेन्ड अब तक नहीं बनायी थी. वे भी मेरी बात समझकर हंसने लगी.

लंच के बाद उन्हों ने एक अंगड़ाई ली और टेस्ट पेपर उठाकर अपने स्टडी टेबल पर बैठ गई. मैं उनके पास उनकी जांघों पर सिर रख कर नीचे बैठ गया. जानी पहचानी बड़ी भीनी मादक खुशबू आ रही थी. आर्या मैडम शायद फ़िर मस्ती में थी. वे धीरे धीरे अपनी जांघें सटाकर रगडती हुई पेपर चेक करने लगी.

मैं अब धीरे से टेबल के नीचे घुस गया. उन्हों ने अपनी बाथरूम स्लिपर फ़िर पहन ली थी और पैर उठाकर उंगलीयो से लटकाकर स्लिपर नचा रही थी जैसा अक्सर लोग करते हैं. मैं सीधा नीचे लेटकर उनके पैर पकड़कर उन्हें और उनकी चप्पलों को चूमने और चाटने लगा. मेरे इस अनपेक्षित काम से वे चौंक कर बोली. "अरे क्या कर रहा है? बहुत दीवाना है लगता है मेरे पैरों और चप्पलों के पीछे!" मैंने गिड़गिड़ाकर कहा. "बहुत अच्छा लगता है मैडम, प्लीज़ करने दीजिये. बस दस मिनिट, फ़िर आपकी चूत की सेवा करूंगा."

वे हंस पड़ीं. "ले चाट, और चाट ही रहा है तो कल जैसे तलवे चाट. गुदगुदी होती है तो बड़ा मजा आता है." मैंने मन भर कर उनके तलवे चाटे, उंगलीयाँ चूसी और चप्पलें भी मुंहे में लेकर उनका स्वाद लिया. फ़िर सरककर मैडम के सामने टेबल के नीचे ही जमीन पर बैठ गया.

मैंने धीरे से मैडम की साड़ी उठायी. वे अंदर कुछ नहीं पहने थी. उन्हों ने भी ऐसे अपने पैर फ़ैला दिये जैसे इसी का इंतज़ार कर रही हों. मैं उनकी टांगों के बीच आराम से पलथी मार कर बैठ गया और उनकी चूत चूसने लगा. चूत में से खूब रस बह रहा था. मैडम ने तुरंत अपनी टांगें सिकोडकर मेरे सिर को अपनी बुर पर दबा लिया और साड़ी नीचे करके मुझे उसमें छुपा लिया. फ़िर आगे पीछे होते हुए मेरे मुंह पर मुठ्ठ मारती हुई अपना काम करने लगी.

तीन घंटे वे अपना काम करती रहीं और मैं लगातार उनकी बुर चूसता रहा, वे भी प्यार से झड झड कर मुझे रस पिलाते हुए चुसवाती रहीं. बीच बीच में वासना ज्यादा हो जाने पर पेन नीचे रखकर मेरा सिर जोर से अपनी बुर पर दबा कर रगडने लगती. कभी कहती. "जीभ से चोद बेटे, अंदर डाल" कभी कहती. "क्लिट को चाट मेरे बच्चे, जीभ से रगड"

बीच में उन्हें पेशाब लगी. बोली. "वरुण, जरा ठहर राजा, अभी बाथरूम जाकर आती हूँ." मैं अब तक इतना उत्तेजित हो गया था कि उन्हें छोड़ना नहीं चाहता था. दूसरे यह कि मैडम के प्रति मेरी दीवानगी इतनी बढ. गयी थी कि सुबह से उनके शरीर के और रसों का पान करने को मैं मरा जा रहा था. तो भला यह सुनहरा मौका क्यों छोड़ता? उनकी चूत में मुंह और घुसाकर बोला. "मत जाइये मैडम, यहीं कर लीजिये."

वे थोड़ी चिढ. गई. "यहाँ फ़र्श पर करू? तेरा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है?" मैं उनकी चूत को चूमता हुआ उनके मूत्र छिद्र को अपनी जीभ से सहलाता हुआ बोला. "मैडम, मैं इस शराब को जमीन पर क्यों गिरने दूंगा? मेरे मुंह में मूतिये मैडम, प्लीज़."

मेरी बात सुनकर वे पल भर चुप रहीं. मुझे लगा कि नाराज हो गयी हैं इसलिये मैंने डरते हुए सिर उठाकर देखा. उनकी आँखों में से प्यार और कामुकता छलक रही थी. मेरे बाल सहला कर बोली. "सच, पियेगा, मेरा मूत? देख फ़िर मुकरना नहीं! और एक बार पियेगा तो इसके बाद हमेशा पीना पड़ेगा. एक बार आदत लग गयी तो मैं फ़िर छोड़ने वाली नहीं तुझे. ऐसा मस्त जवान जिंदा बाथरूम मिलने पर मैं फ़िर और कुछ नहीं इस्तेमाल करूंगी मैं!"

जवाब में मैंने सिर्फ़ उनकी बुर को चूमा और मुंह खोल कर उनकी पूरी चूत को मुंह में ले लिया. वे समझ गई. एक गहरी सांस लेकर मेरे सिर को कसकर अपनी बुर पर दबाया और बोली. "ले पी बेटे, पी अपनी मैडम की बुर का शरबत, पर छलकाना नहीं. दो तीन गिलास भर है" और मूतने लगी.

वह खारा गरम जल मेरे लिये अमृत था. मैं गटागट पीने लगा. वे इतनी मचली कि कस के जोर से मूतने लगी. मुझे जल्दी जल्दी निगलना पड़ा कि कहीं कुछ बूंदें छलक न जाये. उनकी जांघों को दबाकर मैंने रुकने का इशारा किया. वे समझ गई और मूतना बंद कर दिया. "क्या हुआ रे, इतनी जल्दी मन भर गया" थोड़े रूखे स्वर मे बोली.

"नहीं मैडम, आप का तो मटकाभर मूत पी लूँ तो भी नहीं थकूँगा. जरा धीरे धीरे घूंट घूंट मूतिये मैडम प्लीज़. पहली बार यह अमृत चख रहा हूँ, जरा स्वाद तो लेने दीजिये." मैंने विनती की. वे खुश होकर प्यार से बोली. "सॉरी वरुण, मैं इतने जोश में आ गयी थी कि मुझे खयाल ही नहीं रहा. लगी भी बहुत जोर की थी, चार पाँच घंटे हो गये ना. ले आराम से पी. अब रुक रुक कर मूतूँगी"
 

Ricky 123

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Agar kisiko same type ki story pata ho recommend kijiyega plz
 

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नहा कर वैसा ही नंगा मैं वापिस आया. नाश्ता करने के बाद मैडम मुझे चूम कर लंड को पकड़कर बोली. "अब आराम कर, इसे जरा मस्त कर, मैं टेस्ट पेपर करेक्ट करने को कॉलेज जा रही हूँ. शाम को वापिस आऊँ तो लंड एकदम तैयार मिलना चाहिये. और देख ऐसे ही नंगे रहना. तेरे कपड़े अब छुट्टी खतम होने पर होस्टल जाते समय दूँगी"

मैंने मैडम से कहा कि वे पेपर घर ही ले आयेम. वे हंसते हुए बोली. "घर में रहूँगी तो कुछ काम नहीं होगा सिवाय काम कर्म के" मैंने कहा "नहीं मैडम, आप काम कीजिये, मैं बस आपके सामने नीचे बैठ कर आपकी सेवा करता रहूँगा."

सुनकर मैडम शायद मेरा मतलब समझ गई क्यों की वे हंसने लगी. बड़ी मादक मुस्कान थी. "ठीक है, तू सो ले, मैं दो घंटे में आती हूँ"

उनके जाने के बाद मैंने तुरंत पहला काम यह किया कि उनके रबर के स्लीपर जो पलंग के नीचे थे, उठा कर पलंग पर रख लिये. साथ ही उनकी जितनी चप्पलें मिली, उठा लाया. फ़िर उन्हें देखकर उत्तेजित होकर मैं उन्हें प्यार करने लगा. कल वाले सेंडल भी थे और साथ में रबर की एक और मोटी हील वाली पुरानी घिसी हुई स्लिपर थी. एक जोड़ी काले सैंडलों की थी. किसी को मैं लंड पर रगडता, किसी को चाटता और किसी को सूँघता. मुझे तो मानों खजाना मिल गया था. बड़ी मुश्किल से मुठ्ठ मारने से अपने आप को रोका. जब दो घंटे हो गये तो जाकर सब चप्पलें अपनी जगह रख दी और आकर सो गया.

यह सब मैं मैडम के सामने भी कर सकता था पर शरम आ रही थी. उन चप्पलों और मैडम के पैरों के बारे में सोचते हुए मुझे नींद लग गयी और मैं ऐसी गहरी नींद सोया कि मैडम ने चुंबन लेकर उठाया तभी आँख खुली. हमने खाना खाया और खाने के समय मैडम मुझसे तरह तरह की गप्पें लगाती रहीं. मुझसे मेरी गर्ल फ़्रेन्ड्स के बारे में पूछा. मैंने साफ़ बता दिया कि मुझे उन जैसी उम्र में बड़ी औरते ही ज्यादा अच्छी लगती हैं इसलिये अपनी उम्र की फ़्रेन्ड अब तक नहीं बनायी थी. वे भी मेरी बात समझकर हंसने लगी.

लंच के बाद उन्हों ने एक अंगड़ाई ली और टेस्ट पेपर उठाकर अपने स्टडी टेबल पर बैठ गई. मैं उनके पास उनकी जांघों पर सिर रख कर नीचे बैठ गया. जानी पहचानी बड़ी भीनी मादक खुशबू आ रही थी. आर्या मैडम शायद फ़िर मस्ती में थी. वे धीरे धीरे अपनी जांघें सटाकर रगडती हुई पेपर चेक करने लगी.

मैं अब धीरे से टेबल के नीचे घुस गया. उन्हों ने अपनी बाथरूम स्लिपर फ़िर पहन ली थी और पैर उठाकर उंगलीयो से लटकाकर स्लिपर नचा रही थी जैसा अक्सर लोग करते हैं. मैं सीधा नीचे लेटकर उनके पैर पकड़कर उन्हें और उनकी चप्पलों को चूमने और चाटने लगा. मेरे इस अनपेक्षित काम से वे चौंक कर बोली. "अरे क्या कर रहा है? बहुत दीवाना है लगता है मेरे पैरों और चप्पलों के पीछे!" मैंने गिड़गिड़ाकर कहा. "बहुत अच्छा लगता है मैडम, प्लीज़ करने दीजिये. बस दस मिनिट, फ़िर आपकी चूत की सेवा करूंगा."

वे हंस पड़ीं. "ले चाट, और चाट ही रहा है तो कल जैसे तलवे चाट. गुदगुदी होती है तो बड़ा मजा आता है." मैंने मन भर कर उनके तलवे चाटे, उंगलीयाँ चूसी और चप्पलें भी मुंहे में लेकर उनका स्वाद लिया. फ़िर सरककर मैडम के सामने टेबल के नीचे ही जमीन पर बैठ गया.

मैंने धीरे से मैडम की साड़ी उठायी. वे अंदर कुछ नहीं पहने थी. उन्हों ने भी ऐसे अपने पैर फ़ैला दिये जैसे इसी का इंतज़ार कर रही हों. मैं उनकी टांगों के बीच आराम से पलथी मार कर बैठ गया और उनकी चूत चूसने लगा. चूत में से खूब रस बह रहा था. मैडम ने तुरंत अपनी टांगें सिकोडकर मेरे सिर को अपनी बुर पर दबा लिया और साड़ी नीचे करके मुझे उसमें छुपा लिया. फ़िर आगे पीछे होते हुए मेरे मुंह पर मुठ्ठ मारती हुई अपना काम करने लगी.

तीन घंटे वे अपना काम करती रहीं और मैं लगातार उनकी बुर चूसता रहा, वे भी प्यार से झड झड कर मुझे रस पिलाते हुए चुसवाती रहीं. बीच बीच में वासना ज्यादा हो जाने पर पेन नीचे रखकर मेरा सिर जोर से अपनी बुर पर दबा कर रगडने लगती. कभी कहती. "जीभ से चोद बेटे, अंदर डाल" कभी कहती. "क्लिट को चाट मेरे बच्चे, जीभ से रगड"

बीच में उन्हें पेशाब लगी. बोली. "वरुण, जरा ठहर राजा, अभी बाथरूम जाकर आती हूँ." मैं अब तक इतना उत्तेजित हो गया था कि उन्हें छोड़ना नहीं चाहता था. दूसरे यह कि मैडम के प्रति मेरी दीवानगी इतनी बढ. गयी थी कि सुबह से उनके शरीर के और रसों का पान करने को मैं मरा जा रहा था. तो भला यह सुनहरा मौका क्यों छोड़ता? उनकी चूत में मुंह और घुसाकर बोला. "मत जाइये मैडम, यहीं कर लीजिये."

वे थोड़ी चिढ. गई. "यहाँ फ़र्श पर करू? तेरा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है?" मैं उनकी चूत को चूमता हुआ उनके मूत्र छिद्र को अपनी जीभ से सहलाता हुआ बोला. "मैडम, मैं इस शराब को जमीन पर क्यों गिरने दूंगा? मेरे मुंह में मूतिये मैडम, प्लीज़."

मेरी बात सुनकर वे पल भर चुप रहीं. मुझे लगा कि नाराज हो गयी हैं इसलिये मैंने डरते हुए सिर उठाकर देखा. उनकी आँखों में से प्यार और कामुकता छलक रही थी. मेरे बाल सहला कर बोली. "सच, पियेगा, मेरा मूत? देख फ़िर मुकरना नहीं! और एक बार पियेगा तो इसके बाद हमेशा पीना पड़ेगा. एक बार आदत लग गयी तो मैं फ़िर छोड़ने वाली नहीं तुझे. ऐसा मस्त जवान जिंदा बाथरूम मिलने पर मैं फ़िर और कुछ नहीं इस्तेमाल करूंगी मैं!"

जवाब में मैंने सिर्फ़ उनकी बुर को चूमा और मुंह खोल कर उनकी पूरी चूत को मुंह में ले लिया. वे समझ गई. एक गहरी सांस लेकर मेरे सिर को कसकर अपनी बुर पर दबाया और बोली. "ले पी बेटे, पी अपनी मैडम की बुर का शरबत, पर छलकाना नहीं. दो तीन गिलास भर है" और मूतने लगी.

वह खारा गरम जल मेरे लिये अमृत था. मैं गटागट पीने लगा. वे इतनी मचली कि कस के जोर से मूतने लगी. मुझे जल्दी जल्दी निगलना पड़ा कि कहीं कुछ बूंदें छलक न जाये. उनकी जांघों को दबाकर मैंने रुकने का इशारा किया. वे समझ गई और मूतना बंद कर दिया. "क्या हुआ रे, इतनी जल्दी मन भर गया" थोड़े रूखे स्वर मे बोली.

"नहीं मैडम, आप का तो मटकाभर मूत पी लूँ तो भी नहीं थकूँगा. जरा धीरे धीरे घूंट घूंट मूतिये मैडम प्लीज़. पहली बार यह अमृत चख रहा हूँ, जरा स्वाद तो लेने दीजिये." मैंने विनती की. वे खुश होकर प्यार से बोली. "सॉरी वरुण, मैं इतने जोश में आ गयी थी कि मुझे खयाल ही नहीं रहा. लगी भी बहुत जोर की थी, चार पाँच घंटे हो गये ना. ले आराम से पी. अब रुक रुक कर मूतूँगी"
बहुत ही मस्त अपडेट है
 

vakharia

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उसके बाद वे रुक रुक कर मूतने लगी. मैं मन भर कर उनका मूत मुंह में लेकर उसे मुंह में घुमाता और स्वाद लेकर फ़िर निगलता. इस कारण यह मूत्रपान करीब दस मिनिट चला. जब वे पूरा मूत चुकी तो उन्हों ने सिसककर मेरे मुंह को कसकर बुर पर लगा लिया और रगडने लगी. "चूस बेटे, चोद मुझे जीभ से, जल्द झड़ा, अब नहीं रहा जाता."

उनकी उत्तेजना तभी खतम हुई जब मैंने चूस चूस कर और क्लिट को रगडकर उन्हें स्खलित किया. इस बार तो उनकी चूत ने इतना पानी मेरे मुंह में छोड़ा कि मुझे लगा कि शायद फ़िर मूत रही हैं. पर चिपचिपे स्पर्श से और मादक स्वाद से पता चला कि बुर का रस है.

वे फ़िर पेपर चेक करने में लग गई और मेरे मुंह पर मुठ्ठ भी मारती रहीं. आखिर वे चार बजे उठी. "आज जितना झड़ी हूँ उतना सालों में नहीं झड़ी बेटे. पता है वरुण, मैंने आधे पेपर खतम कर दिये. तेरे जैसा प्यारा सेवक मिले तो मैं सैंकड़ों पेपर बिना बोर हुए जांच सकती हूँ."

मेरा लंड अब तक बुरी तरह खड़ा हो गया था और उसे इनाम देने को वे झट से फ़र्श पर ही लेट गई. अपनी साड़ी ऊपर करके बोली. "आओ वरुण, चोद लो अपनी मैडम को, बड़ी देर से तेरा लंड प्यासा है." मैं कुछ न बोला और उनके पास बैठ कर फ़िर उनकी बुर चूसने लगा. वे हैरान हो कर बोली. "अरे, चोदेगा नहीं? चूस लूँ क्या तेरा लंड?"

मैंने शरमाते हुए साहस करके आखिर मन की बात कह ही डाली. "मैडम, चोदूँगा तो फ़िर चूसने का मजा जाता रहेगा. देर रात को ही चोदूँगा, कल जैसा, मन भर कर आपकी चूत चूसने के बाद. आप नाराज न हों तो मैडम प्लीज़ मुझे अपनी गांड मारने दीजिये." और फ़िर नजर झुकाकर धड़कते दिल से उनके उत्तर की प्रतीक्षा करने लगा. वे हैरान हो कर मेरी ओर देखने लगी और फ़िर हंसने लगी. "तो बिलकुल सच है. सब छोकरे गांड के पीछे दीवाने होते हैं! सोनिया भी यही कह रही थी उस रात को." उनके मुंह से निकल गया.

मैंने चकरा कर पूछा. "सोनिया कौन मैडम?" वे थोड़ा सम्भल कर बोली. "अरे और कोई नहीं. डॉक्टर सोनिया किरण, मेरी अच्छी दोस्त हैं." मेरे ध्यान में आया कि वे हमारी साइकलाजी की प्रोफ़ेसर के बारे में कह रही थी. मुझे ताज्जुब हुआ कि आपस में दो लेडी प्रोफ़ेसर ऐसी बातें करती हैं!

मेरा चेहरा देख कर आर्या मैडम हंसने लगी. आँख मारती हुई बोली "बहुत अच्छी इन्टिमेट फ़्रेन्ड है मेरी, अभी बाहर छुट्टी पर गयी है, कल आयेगी. यहाँ रहती है तो रोज कम से कम एक बार तो मिलती है. कई बार तो रात भी यहीं गुजारती है." मेरे चेहरे पर उठे मूक प्रश्न को देख कर वे शैतानी से बोली "अभी अपना काम कर, बाद में बात करेंगे तो तू मेरी गांड मारना चाहता है?"

मैंने सिर हिलाकर याचना की. "मैडम प्लीज़, आप के गोरे मुलायम नितंबों को देख कर रहा नहीं जाता. आप भी हमेशा ऐसे मटक कर चलती हैं कि मेरा ध्यान बार बार वहीं जाता है. मारने दीजिये प्लीज़, मैं बहुत प्यार से क्रीम लगाने के बाद चिकना करके धीरे धीरे मारूँगा, आपको तकलीफ़ नहीं होने दूम्गा."

उठकर वे मुस्कराती हुई बोली "ठीक है, तूने आज मेरी बहुत सेवा की है, इनाम तो मिलना ही चाहिये. चल बिस्तर पर, पर एक शर्त है" मैं तो उनकी हर बात मानने को तैयार था. "क्रीम नहीं लगाना, मुंह से चूस कर गांड का छेद गीला करना. तेरे लंड को मैं चूस कर गीला कर दूँगी. बोल? है तैयार? या गंदा लगेगा तुझे?"

मैं उन्हें लिपट कर उनके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ बोला. "मैडम आप मुझसे कुछ भी करवा लीजिये, आपकी कोई चीज़ मुझे गंदी नहीं लगेगी. मेरे लिये तो आपकी हर चीज़ अमृत है."

हम बिस्तर पर आये. साड़ी ऊपर करके वे ओम्धी लेट गई. "चल ऐसे ही मार ले, अभी कपड़े निकालने का वक्त नहीं है. शाम को अक्सर मिलने वाले आ जाते हैं." उम्र से भारी भरकम हुई उनकी गोरी गोरी गांड को देखकर मेरे मुंह में पानी भर आया, मैं तुरंत उन चूतड.ओम पर टूट पड़ा और जैसे मन आया वैसे उन्हें दबाने मसलने और चाटने लगा. गांड में उँगली भी करने लगा.

आखिर उनके गुदा पर मुंह रख कर चूसने लगा. पहली बार गांड चूस रहा था. मैंने सिर्फ़ गुदा चूसा ही नहीं, नितंब फ़ैला कर गांड का छेद खोल कर उसमें जीभ भी घुसेड दी. मैडम का छेद काफ़ी कोमल और बड़ा था, आराम से मैं उसमें तीन उंगलीयाँ डाल सकता था. दस मिनिट गांड मर्दन करवाने के बाद मैडम ने मेरा लंड मुंह में लेकर अच्छे से चूसा और फ़िर बोली. "चल डाल दे अब, नहीं तो यह बिचारा फ़ूल कर फ़ट जायेगा."

मैं भी अब तड़प रहा था इसलिये तुरंत मैडम के कूल्हों के दोनों ओर घुटने जमा कर मैंने अपना सुपाड़ा उनके गुदा पर रख कर पेल दिया. मेरे चूसने से गीले हुए उस मुलायम और ढीले छेद में आराम से वह अंदर चला गया. मैंने सुना था कि गांड मरवाते हुए बहुत दर्द होता है इसलिये मुझे आश्चर्य भी हुआ और रिलीफ़ भी मिला कि मैडम को तकलीफ़ नहीं हुई.

जोर लगा कर मैंने पूरा शिश्न उनके नितंबों के बीच जड. तक उतार दिया और फ़िर उनपर झुक कर धीरे धीरे उनकी गांड मारने लगा. मन तो हो रहा था कि पूरा चढ. जाऊँ पर डर लगता था कि वे बुरा न मान जाएँ. पाँच मिनिट चुपचाप मरवाने के बाद मैडम ने मुझे उलाहना दिया. "कैसा अनाड़ी लड़का है रे तू, ठीक से गांड भी नहीं मार सकता. ब्लू फ़िल्म देखी हैं ना? मेरे ऊपर चढ कर पूरा लेट जा, अपनी बाँहों में मुझे भर और मेरे स्तन पकड ले, उन्हें दबाते हुए मस्त जोर जोर से गांड मार, तब पूरा मजा आयेगा."

मैडम की आज्ञा मैंने बड़ी खुशी से मानी और मन लगा कर उनके उरोजों को दबाते हुए हचक हचक कर गांड मारने लगा. "ऐसा ऽ ठीक है, अब कुछ बात बनी. चल मुझे चुम्मा दे, चुम्मा ले लेकर मार." उन्हों ने अपना सिर घुमाया और उनके होंठों पर होंठ रख कर मधुर चुंबन लेते हुए मैंने उनकी गांड भोगने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मेरा बस चलता तो घंटे भर जरूर मारता पर दस मिनिट बाद ऐसी उत्तेजना बढ.ई कि स्खलित हो गया. वैसे ही पड़े पड़े हम दोनों की आँख लग गयी.

बेल बजी और हमारी नींद खुली तो देखा शाम हो गयी थी. मैडम ने कपड़े ठीक किये और मुझे वहीं कमरे में बंद करके वे बाहर चली गई. मैं पड़ा पड़ा सोनिया मैडम के बारे में सोचने लगा.

डॉक्टर सोनिया किरण हमारी साइकलाजी की प्रोफ़ेसर थी. उम्र करीब चालीस के आसपास होगी. अविवाहित थी और हम लड़के उनके बारे में तरह तरह की हरामीपन की बातें किया करते थे. बात यह थी कि वे अपने काले साँवली रंग के बावजूद बड़ी सेक्सी लगती थी. बदन एकदम छरहरा और कसा हुआ था और वे हमेशा स्लीवलेस ब्लाउज़ और नाभि दर्शना साड़ी पहनती थी. ऊंची एडी के स्मार्ट सेंडल पहन कर वे चलती थी तो नज़र उनकी पतली बलखाती कमर और लहराते ठोस मांसल नितंबों पर अपने आप जाती थी. वे बालों को हमेशा जुड़े में बांधती थी और गहरी लाल लिपस्टिक लगाती थी जो उनके साँवली रंग के कारण जामुनी लगती थी.



मेरा लंड उनके बारे में सोच कर ही खड़ा होने लगा. उनके और आर्या मैडम के संबंधों के बारे में अटकलें लगाकर मेरा लंड और तन्ना गया. मैडम के यहाँ मेहमान आये थे इसलिये मैं चुपचाप कमरे में लाइट बुझा कर छिपा रहा. मैडम ने भी बाहर से ला~म्क लगा दिया था. अच्छा हुआ क्यों की शायद कोई बाहर से जब दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा था तो नहीं खुला. मैडम की आवाज आयी. "अरे वह कमरा मैं बंद रखती हूँ, खाली पड़ा है ना."

आखिर रात को दस बजे खाना खाकर मेहमान गये. मुझे भूख लग आयी थी. मैडम ने आखिर दरवाजा खोला और प्यार से मुझे चूमते हुए सॉरी कहा. पर और कोई चारा भी नहीं था. मेरा छुप कर दस दिन वहाँ रहना जरूरी था. मैंने जल्दी से खाना खाया और तब तक मैडम सब दरवाजे बंद करके पूरी तैयारी करके वापिस आयी. टेबल पर पानी नहीं था, सिर्फ़ एक खाली गिलास था. मैं समझ गया और लंड खड़ा करके उनका इंतज़ार करने लगा.

मुझे गिलास पकड़े देखकर आर्या मैडम मुस्कुराई. "प्यास लगी है वरुण बेटे? बोल, क्या पियेगा" मैं ने भी झट जवाब दिया. "मैडम, यह कोई पूछने की बात है! आप की बुर का शरबत पीऊँगा. अब पानी पीने से तो मैं रहा!" वे हंसने लगी. "इसीलिये पानी नहीं रखा मैंने. बस देख रही थी कि दोपहर का वायदा याद है या नहीं. ला गिलास इधर दे"

उन्हों ने गिलास अपनी साड़ी उठा कर अंदर टांगों के बीच ले लिया और फ़िर मूतने की आवाज आने लगी. दिख कुछ नहीं रहा था पर उस आवाज से मेरा रोम रोम सिहर उठा. दो मिनिट बाद उन्हों ने संहाल कर गिलास बाहर निकाला. हल्के सुनहरे रंग की मानों बीयर उसमें भरी थी. मैंने उसे उनके हाथ से लिया और मुंह से लगाकर पीने लगा.

दो घूंट लेते ही मजा आ गया. पता नहीं क्यों, पर सिर्फ़ उस खारे स्वाद से और इस विचार से कि मैं मैडम का मूत पी रहा हूँ, मैं बहुत उत्तेजित हो गया था. जब तक मैंने वह गिलास खाली किया, तब तक उन्हों ने अपने बाकी कपड़े उतार दिये. बोली. "और बहुत है मेरी बुर में पर अब पलंग पर पिलाऊँगी. मुझे मालूम है कि तू एक भी बूंद नहीं छलकायेगा इसलिये बिस्तर खराब होने का डर नहीं है.

उनके नग्न चिकने पचास साल के परिपक्व शरीर को देखकर मेरा और जोर से खड़ा हो गया. लटकती हुई गोरी चूचियाँ तो गजब ढा रही थी. मेरे शिश्न को लगाम जैसा पकड़कर मुझे खींचती हुई मैडम अंदर ले गई. "देख अब दो घंटे इसे खड़ा रख., मैं आज तुझे मन भर कर चोदूँगी." कहकर मैडम मुझे पलंग पर ले गई. फ़िर अचानक बोली. "जब मैं कॉलेज गई थी तब तू मेरी चप्पलों और सैंडलों से खेल रहा था?"

मैं क्या कहता, शरमा कर सिर नीचे कर लिया. वे बोलें "अरे शरमाता क्यों है? सेक्स में जो अच्छा लगे, बिलकुल करना चाहिये. जा, मेरी सब जूतियाँ उठा ला."

मैं भाग कर गया और सब चप्पलें और सेंडलें ले आया. मैडम के कहने पर मैंने तकिया निकालकर वे सिरहाने रख दिये.

"अब तू इन्हें हे तकिया बना कर लेट और खेल इनसे, मन चाहे वह कर. मजा ले" कहकर मैडम ने मुझे पलंग पर अपने सैंडलों का तकिया बनाकर लिटाया और मुझ पर चढने लगी. मुझे उनकी बालों से भरी बुर में से लाल गीली चूत की एक झलक दिखी तो मैंने विनती की. "मैडम, प्लीज़, एक बार फ़िर अपनी बुर चुसवा दीजिये, फ़िर चोद लीजिये."

वे लाड से हंसते हुए बोली." लगता है आदत पड़ गयी है तुझे इस रस की. कोई बात नहीं, तेरे जैसे मस्त लड़के को तो मैं दिन भर चुसवा सकती हूँ, ऐसा कर, चूत से मुंह लगा ही रहा है तो पहले मूत पी ले, फ़िर चूस" कहकर वे मेरे सिर के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गई.

मैंने मुंह खोला और उन्हों ने उसमें मूत दिया. पूरा मूत पिला कर वे मेरे सिर पर ही साइकिल की सीट जैसी बैठ गई. मैं उनकी चूत में जीभ घुसेडता हुआ उसे चूसने लगा. मस्ती में वे ऊपर नीचे होकर मेरी जीभ और होंठों को प्यार से चोदने लगी.

दो तीन बार झड कर मुझे अपना चूतरस चखाने के बाद वे उठकर मेरी कमर के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गई और मेरा लंड अपनी बुर में घुसाकर उछल उछल कर मुझे चोदने लगी. "बहुत देर मन भरके चोदूँगी आज तुझे, तू चुपचाप पड़ा रह." वे प्यार से बोली. चुपचाप तो मैं क्या रहता, हाथों में उनकी लटकती चूचियाँ लेकर दबाने लगा. उन्हों ने बची हुई चप्पलें मेरे सीने और मुंह पर रख दी.

मेरा मुंह अब उनकी स्लीपरों और जूतियों से ढका था. उन्हें सूँघता हुआ मैं ऐसा मस्त हुआ कि मुंह पर रखी स्लीपरों को चूमने और चाटने लगा. एक स्लीपर का पंजा मुंह में लेकर उसे चूसने लगा. यह देखकर मैडम भी उत्तेजित होकर मुझे और जोर से चोदने लगी.

जब मैडम मूड में आ गई और मजे ले लेकर सिसकारियाँ भरने लगी तो मैंने उनसे कहा "मैडम, आप सोनिया किरण मैडम के बारे में बताने वाली थी." हंस के वे बोली. "तो तुझे याद है, बड़ा शरारती है, बताना तो नहीं चाहिये, यह हम दोनों की बड़ी ही गुप्त बात है पर तू तो अब मेरी जान है, तुझसे क्या छुपाना." कहकर मुझे चोदते चोदते उन्हों ने सब बात कह दी.

दोनों के बीच लेस्बियन वाला चक्कर था. आर्या मैडम तो फ़िर भी लंड की दीवानी थी, खास कर कर के मेरे जैसे किशोर लंडों की. सोनिया मैडम पूरी लेस्बियन थी इसलिये शादी नहीं की थी. दोनों का चक्कर दो साल पहले चालू हुआ था. सोनिया मैडम लगता है आर्या मैडम के गोरे चिकने शरीर पर मर मिटी थी और जब भी मौका मिलता, उनके यहाँ आ जाती. अक्सर रातें भी यहीं गुजारती थी या आर्या मैडम को अपने यहाँ बुला लेती थी. "बहुत प्यार करती है मुझसे. अकेले में छोड़ती नहीं, चिपक जाती है, और जब काफ़ी समय मिलता है तो मुझे ऐसे भोगती है कि तूने भी क्या भोगा होगा." वे गर्व से बोली.

मेरा लंड फ़नफ़ना रहा था. मैंने उनके पैर खींच कर अपने मुंह पर रख लिये और उनकी उंगलीयाँ मुंह में लेकर चूसने लगा. मेरे चेहरे की वासना से खुश होकर मैडम ने पूछा "देखना है मजा हम दोनों का?" मैंने जोर से सिर हिला कर हामी भरी क्यों की मस्ती में मुझसे बोला नहीं जा रहा था, मुंह भी उनके तलवे चाटने में व्यस्त था.

"तो ठीक है, कल वह शाम को वापिस आते ही यहाँ आयेगी और मुझे बेडरूम में खींच कर मेरे ऊपर चढ. जायेगी. उस फ़ोटो के नीचे एक छेद है, उसमें से तू मेरे बेडरूम में देख सकता है. चुपचाप देखना और मजा करना, पर मुठ्ठ नहीं मारना."

"सोनिया मैडम को पता तो नहीं चलेगा मेरे बारे में?" मैंने घबरा कर पूछा. "तेरे बारे में बताना तो पड़ेगा ही, उससे मैं नहीं छुपा सकती. हो सकता है कि नाराज हो जाये. पर यह भी हो सकता है कि वह हमारा चक्कर चलने दे. मेरी खुशी के आड़े वह नहीं आयेगी. तेरे साथ वह कुछ करेगी या नहीं, मैं नहीं बता सकती, तेरी किस्मत पर है. पर है बड़ी कामुक, हो सकता है तेरी किशोर जवानी से खुश हो जाये."

सोनिया मैडम की कल्पना करते ही मैं ऐसा मचला कि मुझसे नहीं रहा गया. मैं उठ कर बैठ गया और मैडम को खींच कर नीचे पलंग पर पटक दिया. फ़िर उनपर चढ. कर घचाचच चोदने लगा. वे मेरी इस कामुक हरकत पर खिलखिलाती हुए "अरे क्या कर रहा है, छोड़" कहती रह गई पर मैंने एक न सुनी और उनका मुंह अपने मुंह से बंद करके उनके मीठे मुखरस को चूसते हुए पूरा चोद कर ही दम लिया.

झडने के बाद वे बोली. "ले, अभी इतना गरमा गया तो सोनिया को मुझे भोगता देखकर क्या करेगा मालूम नहीं." पर मन भर कर चुद कर वे अब तृप्त थी इसलिये मुझे बाँहों में भरे भरे प्यार करने लगी और कब हमारी आँख लग गयी हमें पता ही नहीं चला.
 

Ajju Landwalia

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उसके बाद वे रुक रुक कर मूतने लगी. मैं मन भर कर उनका मूत मुंह में लेकर उसे मुंह में घुमाता और स्वाद लेकर फ़िर निगलता. इस कारण यह मूत्रपान करीब दस मिनिट चला. जब वे पूरा मूत चुकी तो उन्हों ने सिसककर मेरे मुंह को कसकर बुर पर लगा लिया और रगडने लगी. "चूस बेटे, चोद मुझे जीभ से, जल्द झड़ा, अब नहीं रहा जाता."

उनकी उत्तेजना तभी खतम हुई जब मैंने चूस चूस कर और क्लिट को रगडकर उन्हें स्खलित किया. इस बार तो उनकी चूत ने इतना पानी मेरे मुंह में छोड़ा कि मुझे लगा कि शायद फ़िर मूत रही हैं. पर चिपचिपे स्पर्श से और मादक स्वाद से पता चला कि बुर का रस है.

वे फ़िर पेपर चेक करने में लग गई और मेरे मुंह पर मुठ्ठ भी मारती रहीं. आखिर वे चार बजे उठी. "आज जितना झड़ी हूँ उतना सालों में नहीं झड़ी बेटे. पता है वरुण, मैंने आधे पेपर खतम कर दिये. तेरे जैसा प्यारा सेवक मिले तो मैं सैंकड़ों पेपर बिना बोर हुए जांच सकती हूँ."

मेरा लंड अब तक बुरी तरह खड़ा हो गया था और उसे इनाम देने को वे झट से फ़र्श पर ही लेट गई. अपनी साड़ी ऊपर करके बोली. "आओ वरुण, चोद लो अपनी मैडम को, बड़ी देर से तेरा लंड प्यासा है." मैं कुछ न बोला और उनके पास बैठ कर फ़िर उनकी बुर चूसने लगा. वे हैरान हो कर बोली. "अरे, चोदेगा नहीं? चूस लूँ क्या तेरा लंड?"

मैंने शरमाते हुए साहस करके आखिर मन की बात कह ही डाली. "मैडम, चोदूँगा तो फ़िर चूसने का मजा जाता रहेगा. देर रात को ही चोदूँगा, कल जैसा, मन भर कर आपकी चूत चूसने के बाद. आप नाराज न हों तो मैडम प्लीज़ मुझे अपनी गांड मारने दीजिये." और फ़िर नजर झुकाकर धड़कते दिल से उनके उत्तर की प्रतीक्षा करने लगा. वे हैरान हो कर मेरी ओर देखने लगी और फ़िर हंसने लगी. "तो बिलकुल सच है. सब छोकरे गांड के पीछे दीवाने होते हैं! सोनिया भी यही कह रही थी उस रात को." उनके मुंह से निकल गया.

मैंने चकरा कर पूछा. "सोनिया कौन मैडम?" वे थोड़ा सम्भल कर बोली. "अरे और कोई नहीं. डॉक्टर सोनिया किरण, मेरी अच्छी दोस्त हैं." मेरे ध्यान में आया कि वे हमारी साइकलाजी की प्रोफ़ेसर के बारे में कह रही थी. मुझे ताज्जुब हुआ कि आपस में दो लेडी प्रोफ़ेसर ऐसी बातें करती हैं!

मेरा चेहरा देख कर आर्या मैडम हंसने लगी. आँख मारती हुई बोली "बहुत अच्छी इन्टिमेट फ़्रेन्ड है मेरी, अभी बाहर छुट्टी पर गयी है, कल आयेगी. यहाँ रहती है तो रोज कम से कम एक बार तो मिलती है. कई बार तो रात भी यहीं गुजारती है." मेरे चेहरे पर उठे मूक प्रश्न को देख कर वे शैतानी से बोली "अभी अपना काम कर, बाद में बात करेंगे तो तू मेरी गांड मारना चाहता है?"

मैंने सिर हिलाकर याचना की. "मैडम प्लीज़, आप के गोरे मुलायम नितंबों को देख कर रहा नहीं जाता. आप भी हमेशा ऐसे मटक कर चलती हैं कि मेरा ध्यान बार बार वहीं जाता है. मारने दीजिये प्लीज़, मैं बहुत प्यार से क्रीम लगाने के बाद चिकना करके धीरे धीरे मारूँगा, आपको तकलीफ़ नहीं होने दूम्गा."

उठकर वे मुस्कराती हुई बोली "ठीक है, तूने आज मेरी बहुत सेवा की है, इनाम तो मिलना ही चाहिये. चल बिस्तर पर, पर एक शर्त है" मैं तो उनकी हर बात मानने को तैयार था. "क्रीम नहीं लगाना, मुंह से चूस कर गांड का छेद गीला करना. तेरे लंड को मैं चूस कर गीला कर दूँगी. बोल? है तैयार? या गंदा लगेगा तुझे?"

मैं उन्हें लिपट कर उनके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ बोला. "मैडम आप मुझसे कुछ भी करवा लीजिये, आपकी कोई चीज़ मुझे गंदी नहीं लगेगी. मेरे लिये तो आपकी हर चीज़ अमृत है."

हम बिस्तर पर आये. साड़ी ऊपर करके वे ओम्धी लेट गई. "चल ऐसे ही मार ले, अभी कपड़े निकालने का वक्त नहीं है. शाम को अक्सर मिलने वाले आ जाते हैं." उम्र से भारी भरकम हुई उनकी गोरी गोरी गांड को देखकर मेरे मुंह में पानी भर आया, मैं तुरंत उन चूतड.ओम पर टूट पड़ा और जैसे मन आया वैसे उन्हें दबाने मसलने और चाटने लगा. गांड में उँगली भी करने लगा.

आखिर उनके गुदा पर मुंह रख कर चूसने लगा. पहली बार गांड चूस रहा था. मैंने सिर्फ़ गुदा चूसा ही नहीं, नितंब फ़ैला कर गांड का छेद खोल कर उसमें जीभ भी घुसेड दी. मैडम का छेद काफ़ी कोमल और बड़ा था, आराम से मैं उसमें तीन उंगलीयाँ डाल सकता था. दस मिनिट गांड मर्दन करवाने के बाद मैडम ने मेरा लंड मुंह में लेकर अच्छे से चूसा और फ़िर बोली. "चल डाल दे अब, नहीं तो यह बिचारा फ़ूल कर फ़ट जायेगा."

मैं भी अब तड़प रहा था इसलिये तुरंत मैडम के कूल्हों के दोनों ओर घुटने जमा कर मैंने अपना सुपाड़ा उनके गुदा पर रख कर पेल दिया. मेरे चूसने से गीले हुए उस मुलायम और ढीले छेद में आराम से वह अंदर चला गया. मैंने सुना था कि गांड मरवाते हुए बहुत दर्द होता है इसलिये मुझे आश्चर्य भी हुआ और रिलीफ़ भी मिला कि मैडम को तकलीफ़ नहीं हुई.

जोर लगा कर मैंने पूरा शिश्न उनके नितंबों के बीच जड. तक उतार दिया और फ़िर उनपर झुक कर धीरे धीरे उनकी गांड मारने लगा. मन तो हो रहा था कि पूरा चढ. जाऊँ पर डर लगता था कि वे बुरा न मान जाएँ. पाँच मिनिट चुपचाप मरवाने के बाद मैडम ने मुझे उलाहना दिया. "कैसा अनाड़ी लड़का है रे तू, ठीक से गांड भी नहीं मार सकता. ब्लू फ़िल्म देखी हैं ना? मेरे ऊपर चढ कर पूरा लेट जा, अपनी बाँहों में मुझे भर और मेरे स्तन पकड ले, उन्हें दबाते हुए मस्त जोर जोर से गांड मार, तब पूरा मजा आयेगा."

मैडम की आज्ञा मैंने बड़ी खुशी से मानी और मन लगा कर उनके उरोजों को दबाते हुए हचक हचक कर गांड मारने लगा. "ऐसा ऽ ठीक है, अब कुछ बात बनी. चल मुझे चुम्मा दे, चुम्मा ले लेकर मार." उन्हों ने अपना सिर घुमाया और उनके होंठों पर होंठ रख कर मधुर चुंबन लेते हुए मैंने उनकी गांड भोगने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मेरा बस चलता तो घंटे भर जरूर मारता पर दस मिनिट बाद ऐसी उत्तेजना बढ.ई कि स्खलित हो गया. वैसे ही पड़े पड़े हम दोनों की आँख लग गयी.

बेल बजी और हमारी नींद खुली तो देखा शाम हो गयी थी. मैडम ने कपड़े ठीक किये और मुझे वहीं कमरे में बंद करके वे बाहर चली गई. मैं पड़ा पड़ा सोनिया मैडम के बारे में सोचने लगा.

डॉक्टर सोनिया किरण हमारी साइकलाजी की प्रोफ़ेसर थी. उम्र करीब चालीस के आसपास होगी. अविवाहित थी और हम लड़के उनके बारे में तरह तरह की हरामीपन की बातें किया करते थे. बात यह थी कि वे अपने काले साँवली रंग के बावजूद बड़ी सेक्सी लगती थी. बदन एकदम छरहरा और कसा हुआ था और वे हमेशा स्लीवलेस ब्लाउज़ और नाभि दर्शना साड़ी पहनती थी. ऊंची एडी के स्मार्ट सेंडल पहन कर वे चलती थी तो नज़र उनकी पतली बलखाती कमर और लहराते ठोस मांसल नितंबों पर अपने आप जाती थी. वे बालों को हमेशा जुड़े में बांधती थी और गहरी लाल लिपस्टिक लगाती थी जो उनके साँवली रंग के कारण जामुनी लगती थी.



मेरा लंड उनके बारे में सोच कर ही खड़ा होने लगा. उनके और आर्या मैडम के संबंधों के बारे में अटकलें लगाकर मेरा लंड और तन्ना गया. मैडम के यहाँ मेहमान आये थे इसलिये मैं चुपचाप कमरे में लाइट बुझा कर छिपा रहा. मैडम ने भी बाहर से ला~म्क लगा दिया था. अच्छा हुआ क्यों की शायद कोई बाहर से जब दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा था तो नहीं खुला. मैडम की आवाज आयी. "अरे वह कमरा मैं बंद रखती हूँ, खाली पड़ा है ना."

आखिर रात को दस बजे खाना खाकर मेहमान गये. मुझे भूख लग आयी थी. मैडम ने आखिर दरवाजा खोला और प्यार से मुझे चूमते हुए सॉरी कहा. पर और कोई चारा भी नहीं था. मेरा छुप कर दस दिन वहाँ रहना जरूरी था. मैंने जल्दी से खाना खाया और तब तक मैडम सब दरवाजे बंद करके पूरी तैयारी करके वापिस आयी. टेबल पर पानी नहीं था, सिर्फ़ एक खाली गिलास था. मैं समझ गया और लंड खड़ा करके उनका इंतज़ार करने लगा.

मुझे गिलास पकड़े देखकर आर्या मैडम मुस्कुराई. "प्यास लगी है वरुण बेटे? बोल, क्या पियेगा" मैं ने भी झट जवाब दिया. "मैडम, यह कोई पूछने की बात है! आप की बुर का शरबत पीऊँगा. अब पानी पीने से तो मैं रहा!" वे हंसने लगी. "इसीलिये पानी नहीं रखा मैंने. बस देख रही थी कि दोपहर का वायदा याद है या नहीं. ला गिलास इधर दे"

उन्हों ने गिलास अपनी साड़ी उठा कर अंदर टांगों के बीच ले लिया और फ़िर मूतने की आवाज आने लगी. दिख कुछ नहीं रहा था पर उस आवाज से मेरा रोम रोम सिहर उठा. दो मिनिट बाद उन्हों ने संहाल कर गिलास बाहर निकाला. हल्के सुनहरे रंग की मानों बीयर उसमें भरी थी. मैंने उसे उनके हाथ से लिया और मुंह से लगाकर पीने लगा.

दो घूंट लेते ही मजा आ गया. पता नहीं क्यों, पर सिर्फ़ उस खारे स्वाद से और इस विचार से कि मैं मैडम का मूत पी रहा हूँ, मैं बहुत उत्तेजित हो गया था. जब तक मैंने वह गिलास खाली किया, तब तक उन्हों ने अपने बाकी कपड़े उतार दिये. बोली. "और बहुत है मेरी बुर में पर अब पलंग पर पिलाऊँगी. मुझे मालूम है कि तू एक भी बूंद नहीं छलकायेगा इसलिये बिस्तर खराब होने का डर नहीं है.

उनके नग्न चिकने पचास साल के परिपक्व शरीर को देखकर मेरा और जोर से खड़ा हो गया. लटकती हुई गोरी चूचियाँ तो गजब ढा रही थी. मेरे शिश्न को लगाम जैसा पकड़कर मुझे खींचती हुई मैडम अंदर ले गई. "देख अब दो घंटे इसे खड़ा रख., मैं आज तुझे मन भर कर चोदूँगी." कहकर मैडम मुझे पलंग पर ले गई. फ़िर अचानक बोली. "जब मैं कॉलेज गई थी तब तू मेरी चप्पलों और सैंडलों से खेल रहा था?"

मैं क्या कहता, शरमा कर सिर नीचे कर लिया. वे बोलें "अरे शरमाता क्यों है? सेक्स में जो अच्छा लगे, बिलकुल करना चाहिये. जा, मेरी सब जूतियाँ उठा ला."

मैं भाग कर गया और सब चप्पलें और सेंडलें ले आया. मैडम के कहने पर मैंने तकिया निकालकर वे सिरहाने रख दिये.

"अब तू इन्हें हे तकिया बना कर लेट और खेल इनसे, मन चाहे वह कर. मजा ले" कहकर मैडम ने मुझे पलंग पर अपने सैंडलों का तकिया बनाकर लिटाया और मुझ पर चढने लगी. मुझे उनकी बालों से भरी बुर में से लाल गीली चूत की एक झलक दिखी तो मैंने विनती की. "मैडम, प्लीज़, एक बार फ़िर अपनी बुर चुसवा दीजिये, फ़िर चोद लीजिये."

वे लाड से हंसते हुए बोली." लगता है आदत पड़ गयी है तुझे इस रस की. कोई बात नहीं, तेरे जैसे मस्त लड़के को तो मैं दिन भर चुसवा सकती हूँ, ऐसा कर, चूत से मुंह लगा ही रहा है तो पहले मूत पी ले, फ़िर चूस" कहकर वे मेरे सिर के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गई.

मैंने मुंह खोला और उन्हों ने उसमें मूत दिया. पूरा मूत पिला कर वे मेरे सिर पर ही साइकिल की सीट जैसी बैठ गई. मैं उनकी चूत में जीभ घुसेडता हुआ उसे चूसने लगा. मस्ती में वे ऊपर नीचे होकर मेरी जीभ और होंठों को प्यार से चोदने लगी.

दो तीन बार झड कर मुझे अपना चूतरस चखाने के बाद वे उठकर मेरी कमर के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गई और मेरा लंड अपनी बुर में घुसाकर उछल उछल कर मुझे चोदने लगी. "बहुत देर मन भरके चोदूँगी आज तुझे, तू चुपचाप पड़ा रह." वे प्यार से बोली. चुपचाप तो मैं क्या रहता, हाथों में उनकी लटकती चूचियाँ लेकर दबाने लगा. उन्हों ने बची हुई चप्पलें मेरे सीने और मुंह पर रख दी.

मेरा मुंह अब उनकी स्लीपरों और जूतियों से ढका था. उन्हें सूँघता हुआ मैं ऐसा मस्त हुआ कि मुंह पर रखी स्लीपरों को चूमने और चाटने लगा. एक स्लीपर का पंजा मुंह में लेकर उसे चूसने लगा. यह देखकर मैडम भी उत्तेजित होकर मुझे और जोर से चोदने लगी.

जब मैडम मूड में आ गई और मजे ले लेकर सिसकारियाँ भरने लगी तो मैंने उनसे कहा "मैडम, आप सोनिया किरण मैडम के बारे में बताने वाली थी." हंस के वे बोली. "तो तुझे याद है, बड़ा शरारती है, बताना तो नहीं चाहिये, यह हम दोनों की बड़ी ही गुप्त बात है पर तू तो अब मेरी जान है, तुझसे क्या छुपाना." कहकर मुझे चोदते चोदते उन्हों ने सब बात कह दी.

दोनों के बीच लेस्बियन वाला चक्कर था. आर्या मैडम तो फ़िर भी लंड की दीवानी थी, खास कर कर के मेरे जैसे किशोर लंडों की. सोनिया मैडम पूरी लेस्बियन थी इसलिये शादी नहीं की थी. दोनों का चक्कर दो साल पहले चालू हुआ था. सोनिया मैडम लगता है आर्या मैडम के गोरे चिकने शरीर पर मर मिटी थी और जब भी मौका मिलता, उनके यहाँ आ जाती. अक्सर रातें भी यहीं गुजारती थी या आर्या मैडम को अपने यहाँ बुला लेती थी. "बहुत प्यार करती है मुझसे. अकेले में छोड़ती नहीं, चिपक जाती है, और जब काफ़ी समय मिलता है तो मुझे ऐसे भोगती है कि तूने भी क्या भोगा होगा." वे गर्व से बोली.

मेरा लंड फ़नफ़ना रहा था. मैंने उनके पैर खींच कर अपने मुंह पर रख लिये और उनकी उंगलीयाँ मुंह में लेकर चूसने लगा. मेरे चेहरे की वासना से खुश होकर मैडम ने पूछा "देखना है मजा हम दोनों का?" मैंने जोर से सिर हिला कर हामी भरी क्यों की मस्ती में मुझसे बोला नहीं जा रहा था, मुंह भी उनके तलवे चाटने में व्यस्त था.

"तो ठीक है, कल वह शाम को वापिस आते ही यहाँ आयेगी और मुझे बेडरूम में खींच कर मेरे ऊपर चढ. जायेगी. उस फ़ोटो के नीचे एक छेद है, उसमें से तू मेरे बेडरूम में देख सकता है. चुपचाप देखना और मजा करना, पर मुठ्ठ नहीं मारना."

"सोनिया मैडम को पता तो नहीं चलेगा मेरे बारे में?" मैंने घबरा कर पूछा. "तेरे बारे में बताना तो पड़ेगा ही, उससे मैं नहीं छुपा सकती. हो सकता है कि नाराज हो जाये. पर यह भी हो सकता है कि वह हमारा चक्कर चलने दे. मेरी खुशी के आड़े वह नहीं आयेगी. तेरे साथ वह कुछ करेगी या नहीं, मैं नहीं बता सकती, तेरी किस्मत पर है. पर है बड़ी कामुक, हो सकता है तेरी किशोर जवानी से खुश हो जाये."

सोनिया मैडम की कल्पना करते ही मैं ऐसा मचला कि मुझसे नहीं रहा गया. मैं उठ कर बैठ गया और मैडम को खींच कर नीचे पलंग पर पटक दिया. फ़िर उनपर चढ. कर घचाचच चोदने लगा. वे मेरी इस कामुक हरकत पर खिलखिलाती हुए "अरे क्या कर रहा है, छोड़" कहती रह गई पर मैंने एक न सुनी और उनका मुंह अपने मुंह से बंद करके उनके मीठे मुखरस को चूसते हुए पूरा चोद कर ही दम लिया.

झडने के बाद वे बोली. "ले, अभी इतना गरमा गया तो सोनिया को मुझे भोगता देखकर क्या करेगा मालूम नहीं." पर मन भर कर चुद कर वे अब तृप्त थी इसलिये मुझे बाँहों में भरे भरे प्यार करने लगी और कब हमारी आँख लग गयी हमें पता ही नहीं चला.

Bahut hi shandar update he vakharia Bhai

Keep posting bro
 
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