उसके बाद वे रुक रुक कर मूतने लगी. मैं मन भर कर उनका मूत मुंह में लेकर उसे मुंह में घुमाता और स्वाद लेकर फ़िर निगलता. इस कारण यह मूत्रपान करीब दस मिनिट चला. जब वे पूरा मूत चुकी तो उन्हों ने सिसककर मेरे मुंह को कसकर बुर पर लगा लिया और रगडने लगी. "चूस बेटे, चोद मुझे जीभ से, जल्द झड़ा, अब नहीं रहा जाता."
उनकी उत्तेजना तभी खतम हुई जब मैंने चूस चूस कर और क्लिट को रगडकर उन्हें स्खलित किया. इस बार तो उनकी चूत ने इतना पानी मेरे मुंह में छोड़ा कि मुझे लगा कि शायद फ़िर मूत रही हैं. पर चिपचिपे स्पर्श से और मादक स्वाद से पता चला कि बुर का रस है.
वे फ़िर पेपर चेक करने में लग गई और मेरे मुंह पर मुठ्ठ भी मारती रहीं. आखिर वे चार बजे उठी. "आज जितना झड़ी हूँ उतना सालों में नहीं झड़ी बेटे. पता है वरुण, मैंने आधे पेपर खतम कर दिये. तेरे जैसा प्यारा सेवक मिले तो मैं सैंकड़ों पेपर बिना बोर हुए जांच सकती हूँ."
मेरा लंड अब तक बुरी तरह खड़ा हो गया था और उसे इनाम देने को वे झट से फ़र्श पर ही लेट गई. अपनी साड़ी ऊपर करके बोली. "आओ वरुण, चोद लो अपनी मैडम को, बड़ी देर से तेरा लंड प्यासा है." मैं कुछ न बोला और उनके पास बैठ कर फ़िर उनकी बुर चूसने लगा. वे हैरान हो कर बोली. "अरे, चोदेगा नहीं? चूस लूँ क्या तेरा लंड?"
मैंने शरमाते हुए साहस करके आखिर मन की बात कह ही डाली. "मैडम, चोदूँगा तो फ़िर चूसने का मजा जाता रहेगा. देर रात को ही चोदूँगा, कल जैसा, मन भर कर आपकी चूत चूसने के बाद. आप नाराज न हों तो मैडम प्लीज़ मुझे अपनी गांड मारने दीजिये." और फ़िर नजर झुकाकर धड़कते दिल से उनके उत्तर की प्रतीक्षा करने लगा. वे हैरान हो कर मेरी ओर देखने लगी और फ़िर हंसने लगी. "तो बिलकुल सच है. सब छोकरे गांड के पीछे दीवाने होते हैं! सोनिया भी यही कह रही थी उस रात को." उनके मुंह से निकल गया.
मैंने चकरा कर पूछा. "सोनिया कौन मैडम?" वे थोड़ा सम्भल कर बोली. "अरे और कोई नहीं. डॉक्टर सोनिया किरण, मेरी अच्छी दोस्त हैं." मेरे ध्यान में आया कि वे हमारी साइकलाजी की प्रोफ़ेसर के बारे में कह रही थी. मुझे ताज्जुब हुआ कि आपस में दो लेडी प्रोफ़ेसर ऐसी बातें करती हैं!
मेरा चेहरा देख कर आर्या मैडम हंसने लगी. आँख मारती हुई बोली "बहुत अच्छी इन्टिमेट फ़्रेन्ड है मेरी, अभी बाहर छुट्टी पर गयी है, कल आयेगी. यहाँ रहती है तो रोज कम से कम एक बार तो मिलती है. कई बार तो रात भी यहीं गुजारती है." मेरे चेहरे पर उठे मूक प्रश्न को देख कर वे शैतानी से बोली "अभी अपना काम कर, बाद में बात करेंगे तो तू मेरी गांड मारना चाहता है?"
मैंने सिर हिलाकर याचना की. "मैडम प्लीज़, आप के गोरे मुलायम नितंबों को देख कर रहा नहीं जाता. आप भी हमेशा ऐसे मटक कर चलती हैं कि मेरा ध्यान बार बार वहीं जाता है. मारने दीजिये प्लीज़, मैं बहुत प्यार से क्रीम लगाने के बाद चिकना करके धीरे धीरे मारूँगा, आपको तकलीफ़ नहीं होने दूम्गा."
उठकर वे मुस्कराती हुई बोली "ठीक है, तूने आज मेरी बहुत सेवा की है, इनाम तो मिलना ही चाहिये. चल बिस्तर पर, पर एक शर्त है" मैं तो उनकी हर बात मानने को तैयार था. "क्रीम नहीं लगाना, मुंह से चूस कर गांड का छेद गीला करना. तेरे लंड को मैं चूस कर गीला कर दूँगी. बोल? है तैयार? या गंदा लगेगा तुझे?"
मैं उन्हें लिपट कर उनके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ बोला. "मैडम आप मुझसे कुछ भी करवा लीजिये, आपकी कोई चीज़ मुझे गंदी नहीं लगेगी. मेरे लिये तो आपकी हर चीज़ अमृत है."
हम बिस्तर पर आये. साड़ी ऊपर करके वे ओम्धी लेट गई. "चल ऐसे ही मार ले, अभी कपड़े निकालने का वक्त नहीं है. शाम को अक्सर मिलने वाले आ जाते हैं." उम्र से भारी भरकम हुई उनकी गोरी गोरी गांड को देखकर मेरे मुंह में पानी भर आया, मैं तुरंत उन चूतड.ओम पर टूट पड़ा और जैसे मन आया वैसे उन्हें दबाने मसलने और चाटने लगा. गांड में उँगली भी करने लगा.
आखिर उनके गुदा पर मुंह रख कर चूसने लगा. पहली बार गांड चूस रहा था. मैंने सिर्फ़ गुदा चूसा ही नहीं, नितंब फ़ैला कर गांड का छेद खोल कर उसमें जीभ भी घुसेड दी. मैडम का छेद काफ़ी कोमल और बड़ा था, आराम से मैं उसमें तीन उंगलीयाँ डाल सकता था. दस मिनिट गांड मर्दन करवाने के बाद मैडम ने मेरा लंड मुंह में लेकर अच्छे से चूसा और फ़िर बोली. "चल डाल दे अब, नहीं तो यह बिचारा फ़ूल कर फ़ट जायेगा."
मैं भी अब तड़प रहा था इसलिये तुरंत मैडम के कूल्हों के दोनों ओर घुटने जमा कर मैंने अपना सुपाड़ा उनके गुदा पर रख कर पेल दिया. मेरे चूसने से गीले हुए उस मुलायम और ढीले छेद में आराम से वह अंदर चला गया. मैंने सुना था कि गांड मरवाते हुए बहुत दर्द होता है इसलिये मुझे आश्चर्य भी हुआ और रिलीफ़ भी मिला कि मैडम को तकलीफ़ नहीं हुई.
जोर लगा कर मैंने पूरा शिश्न उनके नितंबों के बीच जड. तक उतार दिया और फ़िर उनपर झुक कर धीरे धीरे उनकी गांड मारने लगा. मन तो हो रहा था कि पूरा चढ. जाऊँ पर डर लगता था कि वे बुरा न मान जाएँ. पाँच मिनिट चुपचाप मरवाने के बाद मैडम ने मुझे उलाहना दिया. "कैसा अनाड़ी लड़का है रे तू, ठीक से गांड भी नहीं मार सकता. ब्लू फ़िल्म देखी हैं ना? मेरे ऊपर चढ कर पूरा लेट जा, अपनी बाँहों में मुझे भर और मेरे स्तन पकड ले, उन्हें दबाते हुए मस्त जोर जोर से गांड मार, तब पूरा मजा आयेगा."
मैडम की आज्ञा मैंने बड़ी खुशी से मानी और मन लगा कर उनके उरोजों को दबाते हुए हचक हचक कर गांड मारने लगा. "ऐसा ऽ ठीक है, अब कुछ बात बनी. चल मुझे चुम्मा दे, चुम्मा ले लेकर मार." उन्हों ने अपना सिर घुमाया और उनके होंठों पर होंठ रख कर मधुर चुंबन लेते हुए मैंने उनकी गांड भोगने में कोई कसर नहीं छोड़ी. मेरा बस चलता तो घंटे भर जरूर मारता पर दस मिनिट बाद ऐसी उत्तेजना बढ.ई कि स्खलित हो गया. वैसे ही पड़े पड़े हम दोनों की आँख लग गयी.
बेल बजी और हमारी नींद खुली तो देखा शाम हो गयी थी. मैडम ने कपड़े ठीक किये और मुझे वहीं कमरे में बंद करके वे बाहर चली गई. मैं पड़ा पड़ा सोनिया मैडम के बारे में सोचने लगा.
डॉक्टर सोनिया किरण हमारी साइकलाजी की प्रोफ़ेसर थी. उम्र करीब चालीस के आसपास होगी. अविवाहित थी और हम लड़के उनके बारे में तरह तरह की हरामीपन की बातें किया करते थे. बात यह थी कि वे अपने काले साँवली रंग के बावजूद बड़ी सेक्सी लगती थी. बदन एकदम छरहरा और कसा हुआ था और वे हमेशा स्लीवलेस ब्लाउज़ और नाभि दर्शना साड़ी पहनती थी. ऊंची एडी के स्मार्ट सेंडल पहन कर वे चलती थी तो नज़र उनकी पतली बलखाती कमर और लहराते ठोस मांसल नितंबों पर अपने आप जाती थी. वे बालों को हमेशा जुड़े में बांधती थी और गहरी लाल लिपस्टिक लगाती थी जो उनके साँवली रंग के कारण जामुनी लगती थी.
मेरा लंड उनके बारे में सोच कर ही खड़ा होने लगा. उनके और आर्या मैडम के संबंधों के बारे में अटकलें लगाकर मेरा लंड और तन्ना गया. मैडम के यहाँ मेहमान आये थे इसलिये मैं चुपचाप कमरे में लाइट बुझा कर छिपा रहा. मैडम ने भी बाहर से ला~म्क लगा दिया था. अच्छा हुआ क्यों की शायद कोई बाहर से जब दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा था तो नहीं खुला. मैडम की आवाज आयी. "अरे वह कमरा मैं बंद रखती हूँ, खाली पड़ा है ना."
आखिर रात को दस बजे खाना खाकर मेहमान गये. मुझे भूख लग आयी थी. मैडम ने आखिर दरवाजा खोला और प्यार से मुझे चूमते हुए सॉरी कहा. पर और कोई चारा भी नहीं था. मेरा छुप कर दस दिन वहाँ रहना जरूरी था. मैंने जल्दी से खाना खाया और तब तक मैडम सब दरवाजे बंद करके पूरी तैयारी करके वापिस आयी. टेबल पर पानी नहीं था, सिर्फ़ एक खाली गिलास था. मैं समझ गया और लंड खड़ा करके उनका इंतज़ार करने लगा.
मुझे गिलास पकड़े देखकर आर्या मैडम मुस्कुराई. "प्यास लगी है वरुण बेटे? बोल, क्या पियेगा" मैं ने भी झट जवाब दिया. "मैडम, यह कोई पूछने की बात है! आप की बुर का शरबत पीऊँगा. अब पानी पीने से तो मैं रहा!" वे हंसने लगी. "इसीलिये पानी नहीं रखा मैंने. बस देख रही थी कि दोपहर का वायदा याद है या नहीं. ला गिलास इधर दे"
उन्हों ने गिलास अपनी साड़ी उठा कर अंदर टांगों के बीच ले लिया और फ़िर मूतने की आवाज आने लगी. दिख कुछ नहीं रहा था पर उस आवाज से मेरा रोम रोम सिहर उठा. दो मिनिट बाद उन्हों ने संहाल कर गिलास बाहर निकाला. हल्के सुनहरे रंग की मानों बीयर उसमें भरी थी. मैंने उसे उनके हाथ से लिया और मुंह से लगाकर पीने लगा.
दो घूंट लेते ही मजा आ गया. पता नहीं क्यों, पर सिर्फ़ उस खारे स्वाद से और इस विचार से कि मैं मैडम का मूत पी रहा हूँ, मैं बहुत उत्तेजित हो गया था. जब तक मैंने वह गिलास खाली किया, तब तक उन्हों ने अपने बाकी कपड़े उतार दिये. बोली. "और बहुत है मेरी बुर में पर अब पलंग पर पिलाऊँगी. मुझे मालूम है कि तू एक भी बूंद नहीं छलकायेगा इसलिये बिस्तर खराब होने का डर नहीं है.
उनके नग्न चिकने पचास साल के परिपक्व शरीर को देखकर मेरा और जोर से खड़ा हो गया. लटकती हुई गोरी चूचियाँ तो गजब ढा रही थी. मेरे शिश्न को लगाम जैसा पकड़कर मुझे खींचती हुई मैडम अंदर ले गई. "देख अब दो घंटे इसे खड़ा रख., मैं आज तुझे मन भर कर चोदूँगी." कहकर मैडम मुझे पलंग पर ले गई. फ़िर अचानक बोली. "जब मैं कॉलेज गई थी तब तू मेरी चप्पलों और सैंडलों से खेल रहा था?"
मैं क्या कहता, शरमा कर सिर नीचे कर लिया. वे बोलें "अरे शरमाता क्यों है? सेक्स में जो अच्छा लगे, बिलकुल करना चाहिये. जा, मेरी सब जूतियाँ उठा ला."
मैं भाग कर गया और सब चप्पलें और सेंडलें ले आया. मैडम के कहने पर मैंने तकिया निकालकर वे सिरहाने रख दिये.
"अब तू इन्हें हे तकिया बना कर लेट और खेल इनसे, मन चाहे वह कर. मजा ले" कहकर मैडम ने मुझे पलंग पर अपने सैंडलों का तकिया बनाकर लिटाया और मुझ पर चढने लगी. मुझे उनकी बालों से भरी बुर में से लाल गीली चूत की एक झलक दिखी तो मैंने विनती की. "मैडम, प्लीज़, एक बार फ़िर अपनी बुर चुसवा दीजिये, फ़िर चोद लीजिये."
वे लाड से हंसते हुए बोली." लगता है आदत पड़ गयी है तुझे इस रस की. कोई बात नहीं, तेरे जैसे मस्त लड़के को तो मैं दिन भर चुसवा सकती हूँ, ऐसा कर, चूत से मुंह लगा ही रहा है तो पहले मूत पी ले, फ़िर चूस" कहकर वे मेरे सिर के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गई.
मैंने मुंह खोला और उन्हों ने उसमें मूत दिया. पूरा मूत पिला कर वे मेरे सिर पर ही साइकिल की सीट जैसी बैठ गई. मैं उनकी चूत में जीभ घुसेडता हुआ उसे चूसने लगा. मस्ती में वे ऊपर नीचे होकर मेरी जीभ और होंठों को प्यार से चोदने लगी.
दो तीन बार झड कर मुझे अपना चूतरस चखाने के बाद वे उठकर मेरी कमर के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गई और मेरा लंड अपनी बुर में घुसाकर उछल उछल कर मुझे चोदने लगी. "बहुत देर मन भरके चोदूँगी आज तुझे, तू चुपचाप पड़ा रह." वे प्यार से बोली. चुपचाप तो मैं क्या रहता, हाथों में उनकी लटकती चूचियाँ लेकर दबाने लगा. उन्हों ने बची हुई चप्पलें मेरे सीने और मुंह पर रख दी.
मेरा मुंह अब उनकी स्लीपरों और जूतियों से ढका था. उन्हें सूँघता हुआ मैं ऐसा मस्त हुआ कि मुंह पर रखी स्लीपरों को चूमने और चाटने लगा. एक स्लीपर का पंजा मुंह में लेकर उसे चूसने लगा. यह देखकर मैडम भी उत्तेजित होकर मुझे और जोर से चोदने लगी.
जब मैडम मूड में आ गई और मजे ले लेकर सिसकारियाँ भरने लगी तो मैंने उनसे कहा "मैडम, आप सोनिया किरण मैडम के बारे में बताने वाली थी." हंस के वे बोली. "तो तुझे याद है, बड़ा शरारती है, बताना तो नहीं चाहिये, यह हम दोनों की बड़ी ही गुप्त बात है पर तू तो अब मेरी जान है, तुझसे क्या छुपाना." कहकर मुझे चोदते चोदते उन्हों ने सब बात कह दी.
दोनों के बीच लेस्बियन वाला चक्कर था. आर्या मैडम तो फ़िर भी लंड की दीवानी थी, खास कर कर के मेरे जैसे किशोर लंडों की. सोनिया मैडम पूरी लेस्बियन थी इसलिये शादी नहीं की थी. दोनों का चक्कर दो साल पहले चालू हुआ था. सोनिया मैडम लगता है आर्या मैडम के गोरे चिकने शरीर पर मर मिटी थी और जब भी मौका मिलता, उनके यहाँ आ जाती. अक्सर रातें भी यहीं गुजारती थी या आर्या मैडम को अपने यहाँ बुला लेती थी. "बहुत प्यार करती है मुझसे. अकेले में छोड़ती नहीं, चिपक जाती है, और जब काफ़ी समय मिलता है तो मुझे ऐसे भोगती है कि तूने भी क्या भोगा होगा." वे गर्व से बोली.
मेरा लंड फ़नफ़ना रहा था. मैंने उनके पैर खींच कर अपने मुंह पर रख लिये और उनकी उंगलीयाँ मुंह में लेकर चूसने लगा. मेरे चेहरे की वासना से खुश होकर मैडम ने पूछा "देखना है मजा हम दोनों का?" मैंने जोर से सिर हिला कर हामी भरी क्यों की मस्ती में मुझसे बोला नहीं जा रहा था, मुंह भी उनके तलवे चाटने में व्यस्त था.
"तो ठीक है, कल वह शाम को वापिस आते ही यहाँ आयेगी और मुझे बेडरूम में खींच कर मेरे ऊपर चढ. जायेगी. उस फ़ोटो के नीचे एक छेद है, उसमें से तू मेरे बेडरूम में देख सकता है. चुपचाप देखना और मजा करना, पर मुठ्ठ नहीं मारना."
"सोनिया मैडम को पता तो नहीं चलेगा मेरे बारे में?" मैंने घबरा कर पूछा. "तेरे बारे में बताना तो पड़ेगा ही, उससे मैं नहीं छुपा सकती. हो सकता है कि नाराज हो जाये. पर यह भी हो सकता है कि वह हमारा चक्कर चलने दे. मेरी खुशी के आड़े वह नहीं आयेगी. तेरे साथ वह कुछ करेगी या नहीं, मैं नहीं बता सकती, तेरी किस्मत पर है. पर है बड़ी कामुक, हो सकता है तेरी किशोर जवानी से खुश हो जाये."
सोनिया मैडम की कल्पना करते ही मैं ऐसा मचला कि मुझसे नहीं रहा गया. मैं उठ कर बैठ गया और मैडम को खींच कर नीचे पलंग पर पटक दिया. फ़िर उनपर चढ. कर घचाचच चोदने लगा. वे मेरी इस कामुक हरकत पर खिलखिलाती हुए "अरे क्या कर रहा है, छोड़" कहती रह गई पर मैंने एक न सुनी और उनका मुंह अपने मुंह से बंद करके उनके मीठे मुखरस को चूसते हुए पूरा चोद कर ही दम लिया.
झडने के बाद वे बोली. "ले, अभी इतना गरमा गया तो सोनिया को मुझे भोगता देखकर क्या करेगा मालूम नहीं." पर मन भर कर चुद कर वे अब तृप्त थी इसलिये मुझे बाँहों में भरे भरे प्यार करने लगी और कब हमारी आँख लग गयी हमें पता ही नहीं चला.