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एक अनोखा बंधन--17
गतान्क से आगे.....................
आदित्य को बड़ा ही अजीब लगा की ज़रीना सोने जा रही है. उसे लगा था कि वो दोनो बैठ कर ढेर सारी बाते करेंगे. उसने ज़रीना को कुछ भी कहना सही नही समझा और चुपचाप नहाने के लिए वॉश रूम में घुस गया. “शायद बहुत थक गयी है मेरी जान. वैसे सफ़र था भी बहुत लंबा.” आदित्य ने मन ही मन सोचा.
जब वो बाहर आया तो देखा कि ज़रीना कमरे की खिड़की के पास खड़ी है और बाहर झाँक रही है. आदित्य तोलिये से अपने बाल सुखाता हुवा उसके पास आया और बोला, “जान किन विचारो में खोई हो. चेहरे पर बहुत चिंता ज़नक भाव हैं. और तुम तो सोने जा रही थी, यहा पर क्यों खड़ी हो.”
“ओह…तुम आ गये. आदित्य कुछ बातो को लेकर परेशान हूँ.”
“कौन सी बातें?”
“हम जा तो रहे हैं गुजरात वापिस पर क्या हम सही कर रहे हैं?. क्या ये दुनिया हमारे रिश्ते को बर्दास्त कर पाएगी.”
“अचानक ये सब दिमाग़ में कहा से आ गया?” आदित्य ने पूछा.
“तुम नहाने गये थे तो मैने टीवी ऑन कर लिया. एक न्यूज़ देख कर दिल दहल उठा.”
“कैसी न्यूज़ देख ली तुमने?”
“हमारी ही तरह दो लोग प्यार करते थे बहुत. लड़का मुस्लिम था और लड़की हिंदू. आज सुबह उन दोनो को ऑनर के नाम पर मार दिया गया. आज कल हर किसी पर ऑनर किल्लिंग का भूत सवार है. मुझे डर लग रहा है आदित्य. क्या हमारा वडोदरा जाना ज़रूरी है, हम अपनी छोटी सी दुनिया क्या कही और नही बसा सकते.”
“कैसी बात करती हो ज़रीना, हमारा घर है वाहा, कारोबार है. हम दुनिया से डर कर भाग नही सकते सब कुछ छ्चोड़ कर. और ये हिंदू-मुस्लिम का झगड़ा गुजरात तक सीमित नही है. कहा छुपेंगे हम जाकर.”
“आदित्य वाहा हमें जानते हैं लोग, लोग जानते हैं कि तुम हिंदू हो और मैं मुस्लिम हूँ. कही और जाएँगे तो मैं भी खुद को हिंदू बता दूँगी. बात ही ख़तम हो जाएगी सारी.किसको पता चलेगा हमारा रिलिजन. तुमने ही तो कहा था कि चेहरे पर धरम नही लिखा होता.”
“वो सब तो ठीक है जान पर मुझे ये आइडिया बिल्कुल पसंद नही है. तुम तो डर गयी अभी से. मौत से कितना घबराती हो तुम?”
“मौत से डर नही है कोई, बस तुम्हे खोना नही चाहती. हम मर गये तो भी तो हम जुदा ही होंगे. रूह को चैन नही मिलेगा मेरी. क्या ये सब मंजूर है तुम्हे.”
“तुम तो ये सोच कर चल रही हो कि ऐसा ही होगा. मगर जींदगी में निश्चित कुछ नही होता. मुझे यकीन है कि सब ठीक होगा हमारे साथ. क्या तुम अपने घर नही जाना चाहती.”
“बिल्कुल जाना चाहती हूँ. वो घर तो मेरे सपनो का घर है. पर आदित्य अगर फिर से किसी ने तुम पर हमला किया तो मैं सह नही पाउन्गि. घर जाने के लिए बेताब हूँ मैं. बस ये न्यूज़ देख कर दिल परेशान सा हो गया है. अल्लाह हमारे प्यार की हिफ़ाज़त करे.”
“बस एक बात कहूँगा. मैं आसमान से गिरने वाली बिजली से बहुत डरता था. टीवी पर एक बार देखा था कि कुछ लोग बीजली गिरने से मर गये. जब भी बारिस के दिनो में बादल गरजते थे, मेरा दिल बेचैन हो उठता था. मेरे दादा जी मेरा ये डर जान गये थे. एक बार उन्होने मुझे बैठा कर समझाया कि…आसमान से गिरने वाली बीजली कही ना कही तो गिरेगी पर ज़रूरी नही है कि हमारे उपर ही गिरे. इस विचार से मेरा डर गायब हो गया. मानता हूँ कि हमारा रिश्ता कुछ लोगो को पसंद नही आएगा. पर एक बात समझ लो कुछ लोग हमारा साथ भी देंगे. ज़रूरी नही है कि हमारे साथ बुरा ही हो. कुछ अछा भी हो सकता है. तुम मेरे साथ चलो…मुझ पर यकीन रखो…जो होगा देखा जाएगा.”
“तुम पर तो अपने खुदा से भी ज़्यादा यकीन है मुझे. बस इस अनमोल प्यार में और कोई ट्विस्ट नही चाहती हूँ मैं.”
“ज़रीना वैसे तो जींदगी है, कुछ भी हो सकता है मगर मुझे यकीन है कि अगर हम दोनो साथ हैं तो कोई भी हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता. हम दोनो साथ रहेंगे और वही अपने घर में रहेंगे.”
“ठीक है अब कुछ नही सोचूँगी. बस ये न्यूज़ देख कर डर गयी थी. मैं साथ हूँ तुम्हारे हर कदम पर. मेरा खुद का मन भी कहा है अपने घर से दूर रहने का.”
“अछा चलो छ्चोड़ो ये सब. तुम ये बताओ इतनी जल्दी सोने क्यों जा रही थी. टॅक्सी में तो हम खुल कर बात ही नही कर पाए ड्राइवर के कारण. अब जाकर मोका मिला था कुछ बाते करने का और तुम सोने की बाते करने लगी. बिल्कुल अछा नही लगा मुझे.”
“सर में दर्द है आदित्य. थका दिया इतने लंबे सफ़र ने. सर में दर्द होगा तो कैसे ढेर सारी बाते करूँगी. सोचा थोड़ा सा सो लूँगी तो ठीक हो जाएगा. पर नींद ही नही आई.”
“अरे पागल हो तुम भी. ऐसा था तो बताना था ना मुझे. मैं अभी मेडिसिन ले आता हूँ.”
“नही तुम कही मत जाओ प्लीज़. मेरे पास रहो. हो जाएगा ठीक थोड़ी देर में. मैं मेडिसिन कम ही लेती हूँ.”
“अछा चलो लाते जाओ आराम से. ये सर दर्द सफ़र के कारण है. आराम करने से ही दूर होगा.” आदित्य ने कहा.
“आदित्य ये बताओ कि तुम मंदिर में मेरे आयेज हाथ जोड़ कर क्यों खड़े थे तुम.?”
“क्योंकि मेरी भगवान तो तुम ही हो अब. इश्लीए तुम्हारे आगे ही हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया था.”
“हाहहाहा, मज़ाक अछा कर लेते हो तुम. मैं भगवान कैसे बन गयी.” ज़रीना ने कहा.
गतान्क से आगे.....................
आदित्य को बड़ा ही अजीब लगा की ज़रीना सोने जा रही है. उसे लगा था कि वो दोनो बैठ कर ढेर सारी बाते करेंगे. उसने ज़रीना को कुछ भी कहना सही नही समझा और चुपचाप नहाने के लिए वॉश रूम में घुस गया. “शायद बहुत थक गयी है मेरी जान. वैसे सफ़र था भी बहुत लंबा.” आदित्य ने मन ही मन सोचा.
जब वो बाहर आया तो देखा कि ज़रीना कमरे की खिड़की के पास खड़ी है और बाहर झाँक रही है. आदित्य तोलिये से अपने बाल सुखाता हुवा उसके पास आया और बोला, “जान किन विचारो में खोई हो. चेहरे पर बहुत चिंता ज़नक भाव हैं. और तुम तो सोने जा रही थी, यहा पर क्यों खड़ी हो.”
“ओह…तुम आ गये. आदित्य कुछ बातो को लेकर परेशान हूँ.”
“कौन सी बातें?”
“हम जा तो रहे हैं गुजरात वापिस पर क्या हम सही कर रहे हैं?. क्या ये दुनिया हमारे रिश्ते को बर्दास्त कर पाएगी.”
“अचानक ये सब दिमाग़ में कहा से आ गया?” आदित्य ने पूछा.
“तुम नहाने गये थे तो मैने टीवी ऑन कर लिया. एक न्यूज़ देख कर दिल दहल उठा.”
“कैसी न्यूज़ देख ली तुमने?”
“हमारी ही तरह दो लोग प्यार करते थे बहुत. लड़का मुस्लिम था और लड़की हिंदू. आज सुबह उन दोनो को ऑनर के नाम पर मार दिया गया. आज कल हर किसी पर ऑनर किल्लिंग का भूत सवार है. मुझे डर लग रहा है आदित्य. क्या हमारा वडोदरा जाना ज़रूरी है, हम अपनी छोटी सी दुनिया क्या कही और नही बसा सकते.”
“कैसी बात करती हो ज़रीना, हमारा घर है वाहा, कारोबार है. हम दुनिया से डर कर भाग नही सकते सब कुछ छ्चोड़ कर. और ये हिंदू-मुस्लिम का झगड़ा गुजरात तक सीमित नही है. कहा छुपेंगे हम जाकर.”
“आदित्य वाहा हमें जानते हैं लोग, लोग जानते हैं कि तुम हिंदू हो और मैं मुस्लिम हूँ. कही और जाएँगे तो मैं भी खुद को हिंदू बता दूँगी. बात ही ख़तम हो जाएगी सारी.किसको पता चलेगा हमारा रिलिजन. तुमने ही तो कहा था कि चेहरे पर धरम नही लिखा होता.”
“वो सब तो ठीक है जान पर मुझे ये आइडिया बिल्कुल पसंद नही है. तुम तो डर गयी अभी से. मौत से कितना घबराती हो तुम?”
“मौत से डर नही है कोई, बस तुम्हे खोना नही चाहती. हम मर गये तो भी तो हम जुदा ही होंगे. रूह को चैन नही मिलेगा मेरी. क्या ये सब मंजूर है तुम्हे.”
“तुम तो ये सोच कर चल रही हो कि ऐसा ही होगा. मगर जींदगी में निश्चित कुछ नही होता. मुझे यकीन है कि सब ठीक होगा हमारे साथ. क्या तुम अपने घर नही जाना चाहती.”
“बिल्कुल जाना चाहती हूँ. वो घर तो मेरे सपनो का घर है. पर आदित्य अगर फिर से किसी ने तुम पर हमला किया तो मैं सह नही पाउन्गि. घर जाने के लिए बेताब हूँ मैं. बस ये न्यूज़ देख कर दिल परेशान सा हो गया है. अल्लाह हमारे प्यार की हिफ़ाज़त करे.”
“बस एक बात कहूँगा. मैं आसमान से गिरने वाली बिजली से बहुत डरता था. टीवी पर एक बार देखा था कि कुछ लोग बीजली गिरने से मर गये. जब भी बारिस के दिनो में बादल गरजते थे, मेरा दिल बेचैन हो उठता था. मेरे दादा जी मेरा ये डर जान गये थे. एक बार उन्होने मुझे बैठा कर समझाया कि…आसमान से गिरने वाली बीजली कही ना कही तो गिरेगी पर ज़रूरी नही है कि हमारे उपर ही गिरे. इस विचार से मेरा डर गायब हो गया. मानता हूँ कि हमारा रिश्ता कुछ लोगो को पसंद नही आएगा. पर एक बात समझ लो कुछ लोग हमारा साथ भी देंगे. ज़रूरी नही है कि हमारे साथ बुरा ही हो. कुछ अछा भी हो सकता है. तुम मेरे साथ चलो…मुझ पर यकीन रखो…जो होगा देखा जाएगा.”
“तुम पर तो अपने खुदा से भी ज़्यादा यकीन है मुझे. बस इस अनमोल प्यार में और कोई ट्विस्ट नही चाहती हूँ मैं.”
“ज़रीना वैसे तो जींदगी है, कुछ भी हो सकता है मगर मुझे यकीन है कि अगर हम दोनो साथ हैं तो कोई भी हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता. हम दोनो साथ रहेंगे और वही अपने घर में रहेंगे.”
“ठीक है अब कुछ नही सोचूँगी. बस ये न्यूज़ देख कर डर गयी थी. मैं साथ हूँ तुम्हारे हर कदम पर. मेरा खुद का मन भी कहा है अपने घर से दूर रहने का.”
“अछा चलो छ्चोड़ो ये सब. तुम ये बताओ इतनी जल्दी सोने क्यों जा रही थी. टॅक्सी में तो हम खुल कर बात ही नही कर पाए ड्राइवर के कारण. अब जाकर मोका मिला था कुछ बाते करने का और तुम सोने की बाते करने लगी. बिल्कुल अछा नही लगा मुझे.”
“सर में दर्द है आदित्य. थका दिया इतने लंबे सफ़र ने. सर में दर्द होगा तो कैसे ढेर सारी बाते करूँगी. सोचा थोड़ा सा सो लूँगी तो ठीक हो जाएगा. पर नींद ही नही आई.”
“अरे पागल हो तुम भी. ऐसा था तो बताना था ना मुझे. मैं अभी मेडिसिन ले आता हूँ.”
“नही तुम कही मत जाओ प्लीज़. मेरे पास रहो. हो जाएगा ठीक थोड़ी देर में. मैं मेडिसिन कम ही लेती हूँ.”
“अछा चलो लाते जाओ आराम से. ये सर दर्द सफ़र के कारण है. आराम करने से ही दूर होगा.” आदित्य ने कहा.
“आदित्य ये बताओ कि तुम मंदिर में मेरे आयेज हाथ जोड़ कर क्यों खड़े थे तुम.?”
“क्योंकि मेरी भगवान तो तुम ही हो अब. इश्लीए तुम्हारे आगे ही हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया था.”
“हाहहाहा, मज़ाक अछा कर लेते हो तुम. मैं भगवान कैसे बन गयी.” ज़रीना ने कहा.
“जितना प्यार तुम मुझे करती हो उतना कोई फरिस्ता ही कर सकता है किसी को. पूरे एक साल तक तुमने मेरा इंतेज़ार किया. कोई और होता तो कब का मुझे भूल कर नयी दुनिया शुरू कर चुका होता. जब मुझे होश आया और पता चला कि एक साल बाद आँख खुली है मेरी तो यही लगा मुझे कि मैने अपनी ज़रीना को खो दिया. मगर जब तुम्हारे खत पढ़े तो अहसास हुवा कि तुम्हारे मन में मेरे प्रति प्यार कम होने की बजाय और बढ़ गया है. क्या ऐसा कोई मामूली इंसान कर सकता है. तभी तुम्हे भगवान मान लिया है मैने.” “तुम्हारे लिए एक साल तो क्या पूरी जींदगी भी इंतेज़ार कर लेती. नयी दुनिया बसाने का तो सवाल ही नही उठता. मुझे यकीन था कि तुम आओगे एक दिन और देखो तुम आ गये. ये बस हम दोनो के प्यार की ताक़त है जिसने हमें संभाले रखा.” “जो भी हो मेरे लिए तो तुम ही मेरी भगवान हो.” “ठीक है फिर, वादा करो वत्स कि मेरी हर बात मानोगे.” “वो तो वैसे भी मानता ही हूँ, इसमे वादे की क्या बात है.” आदित्य ने कहा. एक पल को दोनो की नज़रे टकराई तो दोनो खड़े खड़े बस एक दूसरे की निगाहों में खो गये. कुछ बहुत ही गहरी बाते हुई आँखो ही आँखो में दोनो के बीच. इन बातों को शब्दो में पिरोना मुश्किल है क्योंकि आँखो की भासा सिर्फ़ आँखे ही बोलती हैं और आँखे ही समझती हैं. वक्त जैसे थम सा गया था. “क्या देख रहे हो मेरी आँखो में आदित्य.” “जो तुम देख रही हो मेरी आँखो में वही मैं देख रहा हूँ तुम्हारी आँखो में.” आदित्य ने हंसते हुवे कहा. और फिर अचानक ही आदित्य ज़रीना की ओर बढ़ा. ज़रीना समझ गयी कि आदित्य का क्या इरादा है वो फ़ौरन वाहा से भाग कर बिस्तर पर लेट गयी करवट ले कर, “मुझे सोने दो अब. सोने से सर दर्द भाग जाएगा.” आदित्य मुस्कुराता हुवा बिस्तर के कोने पर बैठ गया और नोट पॅड उठा कर उस पर कुछ लिखने लगा. लिख कर उसने आवाज़ की, “उह…उह” ज़रीना ने मूड कर देखा तो पाया कि उसके पीछे एक काग़ज़ पड़ा था. उस पर लिखा था, “इतना प्यार करते हैं हम दोनो. पूरे एक साल बाद मिले हैं. एक चुंबन तो बनता ही है हमारा. तुम क्यों भाग आई, कितना अछा अवसर था एक चुंबन के लिए.” ज़रीना ने बिना आदित्य की तरफ देखे उसी काग़ज़ पर नीचे कुछ लिख कर आदित्य की तरफ सरका दिया और करवट ले कर लेट गयी. आदित्य ने वो काग़ज़ उठाया. उस पर लिखा था, “प्यार का मतलब क्या ये है कि हम चुंबन में लीन हों जायें. भूलो मत अभी हम कुंवारे हैं. शादी नही हुई है हमारी. ये सब शादी के बाद ही अछा लगता है, उस से पहले नही. प्लीज़ बुरा मत मान-ना पर ये सब अभी नही.” आदित्य ये पढ़ कर थोड़ा भावुक हो गया. उसने दूसरा काग़ज़ लिया नोट पॅड से और उस पर कुछ लिख कर ज़रीना के बगल में रख कर बिना आवाज़ किए वाहा से उठ कर खिड़की पर आ कर खड़ा हो गया. ज़रीना को ये अहसास भी नही हुवा की आदित्य ने कुछ लिख कर उसकी बगल में रख दिया है. वैसे ज़रीना पड़ी तो थी चुपचाप करवट लिए पर वो बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी आदित्या के जवाब का. जब काफ़ी देर तक आदित्य की कोई आवाज़ उसे सुनाई नही दी तो उसने मूड कर देखा और पाया कि आदित्य खिड़की के पास खड़ा है और उसकी बगल में एक काग़ज़ पड़ा है. ज़रीना ने तुरंत वो काग़ज़ उठाया. उष पर लिखा था, “सॉरी जान मैं भूल गया था कि अभी हम कुंवारे हैं. आक्च्युयली कभी ध्यान ही नही दिया इस बात पर. कुछ ज़्यादा ही अधिकार समझ बैठा तुम पर. सॉरी आगे से ऐसा नही होगा. शादी कर लेंगे जाते ही हम.” ज़रीना फ़ौरन बिस्तर से उठ कर आई और आदित्य के कदमो में बैठ गयी. “अरे ये क्या कर रही हो उठो. पागल हो गयी हो क्या.” “मुझे माफ़ कर दो आदित्य. मेरी अम्मी और अब्बा ने जो मुझे संस्कार दिए हैं वो मुझपे हावी हो गये थे. तुम्हारा तो शादी के बिना भी हक़ है मुझपे. मुझसे भूल हो गयी जो कि वो सब लिख दिया. मैं अपने आदित्य को ऐसा कैसे कह सकती हूँ.” “अरे उठो पागल हो गयी हो तुम. माफी तो मुझे माँगनी चाहिए. मैं शायद बहक गया था. पहली बार हुवा है मेरे साथ ऐसा. और तुम्हारे अम्मी और अब्बा ने बहुत अछी शिक्षा दी है तुम्हे. अछा लगा ये देख कर कि तुम इतना आदर करती हो उनकी बातों का. उठो अब, ग़लती मेरी ही थी जो कि इस रिश्ते में अचानक एक झलाँग लगाने की सोच रहा था.” क्रमशः............................... |