• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance कायाकल्प [Completed]

Status
Not open for further replies.

mashish

BHARAT
8,032
25,909
218
कुंदन आज अंजू को घर ले आया। नर्स सुषमा के कहने पर वह अंजू के लिए कपडे वगैरह खरीद कर ले आया था। अब अगर अंजू उसकी बीवी होती तो कम से कम उसके कपडे इत्यादि तो रहते.. और उसको कुछ आईडिया भी होता की उसकी बीवी की नाप क्या है.. लेकिन आश्चर्य की बात थी की नर्स सुषमा को उसका यह अनाड़ीपन खटका नहीं.. उसने अपने मन में यह कह कर समझा लिया की संभव है की वो अपनी बीवी को नए कपडे पहनाना चाहता हो! यह भी हो सकता है की वो हद से अधिक शर्मीला हो। सुषमा ने ही अंदाजे से उसको अंजू के अधोवस्त्रों की नाप बता दी, और उसको छेड़ा भी की कम से कम अपनी पत्नी का ठीक से जायजा तो लिया कर!

अंजू के लिए ब्रा और चड्ढी खरीदते समय कुंदन बहुत ही उत्तेजित हो गया था। अपनी समझ से उसने बेहद सेक्सी लगने वाली गुलाबी सी ब्रा और उसकी मैचिंग चड्ढी खरीदी थी। और गुलाबी ही रंग के शेड का शलवार सूट भी। एक मैक्सी भी खरीद ली, यह सोच कर की वो घर में क्या पहनेगी! अंजू को देख कर उसको लगा था की वो उम्र में उससे कुछ बड़ी है, लेकिन उसको इस बात की कोई परवाह नहीं थी – अगर बड़ी होगी तो होती रहे! बालिग़ तो अब वो खुद भी है! खैर, वो अस्पताल पहुंचा, और सभी ज़रूरी कागजों पर दस्तखत कर के अंजू को लिवा लाया।

आज अंजू को उसने पहली बार होश में देखा था – बेहोशी की हालत में भी वो अति सुन्दर लगती थी, लेकिन इस समय वो सचमुच की अप्सरा लग रही थी। उस नितांत कमजोरी की हालत में भी। अंजू ने जब कुंदन को देखा तो उसके चेहरे पर न तो ख़ुशी के भाव थे, और न ही दुःख के। वो दरअसल अपने पति को पहचान ही नहीं पाई। नर्स सुषमा ने जब दोनों को ऐसे ‘हिचकिचाते’ हुए देखा, तो प्रसन्न भाव से बोली,

“कोई बात नहीं.. घर जा कर आराम से मिलना!”

नर्स सुषमा ने अपने हिसाब से दो बिछड़े हुए प्रेमियों को मिला दिया था और यही सबसे बड़े पुण्य की बात थी।

डॉक्टर संजीव ने कुंदन को सख्त हिदायद दी थी की अंजू से घर के काम न कराये जांए, और उसको आराम करने दिया जाय। वो अभी भी काफी दुर्बल थी, और कम से कम एक महीना लगेगा उसको वापस अपनी ताकत पाने के लिए। उन्होंने उन दोनों को यह भी कहा था की वो दोनों यदि हो सके तो अगले दो सप्ताह शारीरिक सम्बन्ध न बनायें.. अभी वह सब झेलने की दशा में नहीं थी अंजू। अस्पताल में सबकी नज़रों में दोनों पति-पत्नी थे, इसलिए ऐसी बाते आराम से करी जा सकती थीं। दवाइयाँ इत्यादि समय पर लेते रहें.. और ऐसी ही कई सारी बातें।

खैर, कुंदन अंजू को घर ले आया। कसबे में आते हुए वो बहुत चौकन्ना था की कोई देख न ले की वो किसी लड़की को घर ला रहा था। कोई देखता तो हज़ार सवाल पूछते – कौन है, कहाँ से आई है इत्यादि इत्यादि! और वो उनसे झूठ नहीं कह सकता था, क्योंकि वहां सभी को मालूम था की कुंदन की शादी ही नहीं हुई है, तो उसकी बीवी कहाँ से आ जाएगी! उसकी तेज किस्मत कहिए, की जिस समय वो अपने घर आया, उस समय सड़क पर और आस पास कोई भी नहीं मिला। वो जल्दी से अंजू समेत अपने घर में घुस गया, और अन्दर से किवाड़ लगा ली।

वो एक पुराने पहाड़ी तरीके का घर था – जिसमे कुछ फेरबदल कर के आधुनिकीकरण कर लिया गया था। एक कमरा था, एक खुला हुआ सा रसोईघर, उसके बिलकुल विपरीत दिशा में स्नानघर और शौचालय था। एक हाल और एक अहाता जैसा बना दिया गया था। पत्थर, लकड़ी जैसी सामग्री से बना हुआ घर बाहर से पहाड़ी घर दिखता था, लेकिन अन्दर से बिजली और खड्डी स्टाइल के शौच की व्यवस्था थी।

“अंजू... रर रानी..” कुंदन ने अटकते हुए कहा, “तु तुम.. नहा लो.. अगर चाहो तो..”

अंजू को तो इस समय कोई भी अजनबी लगता। लेकिन यह सामने खड़ा व्यक्ति उसका पति था, ऐसा नर्स सुषमा ने उसको बताया था। इसलिए इस व्यक्ति से कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। लेकिन फिर भी वो संयत नहीं थी। उसने महसूस किया की उसका पति भी संयत नहीं है।

“ज जी!” कह कर उसने कुंदन की तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि डाली।

“ओ ओह! बाथरूम उधर है.. सब भूल गई?” उसने खींसे निपोरी।

अंजू ने भी खिसियाई हुई मुस्कान डाली!

‘ओ भगवान! कितनी सुन्दर सी मुस्कान है इसकी! हे बाबा केदार.. हे बद्री विशाल! आपका बहुत बहुत धन्यवाद!’ कुंदन ने मन ही मन अपने सारे इष्टों को धन्यवाद किया।

“नहा लो.. तुम्हारे पुराने कपडे सब खराब हो गए थे.. जल्दी ही और नए कपड़े खरीद लूँगा तुम्हारे लिए..”

अंजू ने हामी में सर हिलाया। वो एक क्षण को हिचकिचाई, फिर कुंदन के सामने ही मुँह फेर कर अपने अस्पताल वाले कपड़े उतारने लगी (नर्स सुषमा ने कुंदन को कहा था की जब वो वापस अस्पताल आये, तो वो कपडे लेता आये)। कुछ ही देर में पूर्ण नग्न अंजू का पृष्ठ भाग कुंदन के सामने था। हाँलाकि अंजू के कमज़ोर शरीर से हड्डियाँ कुछ कुछ झाँक रही थीं, लेकिन उतना दृश्य ही कुंदन के लिए पर्याप्त था। उसका लिंग तुरंत ही तनावग्रस्त हो गया। वो अनिश्चित हालत में अंजू की तरफ बढ़ा, लेकिन उसी समय अंजू स्नानघर की तरफ चल दी।

जब स्नानघर का दरवाज़ा बंद हो गया, तो कुंदन ने अपनी पैंट के सामने गीलापन महसूस किया – उसके लिंग ने वीर्य उगल दिया था। वो शर्मसार हो गया – कैसी छीछालेदर! क्या लोग सच कहते हैं? उसके मन में एक क्षण शंका हुई.. फिर उसने उस शंका को मन से निकाल दिया – पहली बार उसने एक लड़की इस हालत में देखी थी.. ऐसे तो किसी का भी निकल जाता.. उसने झटपट से अपनी पैंट उतार दी। फिर उसके मन में ख़याल आया की क्यों न आज वो नंगा ही रह ले.. क्या पता अंजू को भी नंगी रहने के लिए पटा सके? अपने इस विचार पर उसको बहुत आनंद आया – उसने झटपट अपनी जांघिया उतार दी।
nice update
 
  • Like
Reactions: avsji

mashish

BHARAT
8,032
25,909
218
जब अंजू नहा चुकी, तो उसने पाया की नहा कर पहनने वाले कपडे तो वो लाई ही नहीं। कुछ असमंजस के बाद उसने अपने पति को आवाज़ लगाई,

“सुनिए..?”

बाहर कुंदन नंगा खड़ा हुआ था – क्या वो अंजू को पसंद आएगा? वो उसको देख कर ‘डर’ तो नहीं जायेगी? वह यह सोच ही रहा था की अन्दर से अंजू की आवाज़ आई।

“ह हाँ?” कुंदन अचकचा गया।

“मेरे कपडे..”

“बाहर आ जाओ..” उसने कहा, फिर अपनी शैतानी स्कीम के अंतर्गत उसने कहा, “तुम वैसे भी घर में ऐसे ही रहती हो..”

‘ऐसे रहती हूँ? नंगी? अच्छा!’ अंजू ने सोचा।

कुंदन ने देखा की कुछ देर में स्नानघर का दरवाज़ा खुला, और पूर्ण नग्न अंजू बाहर निकली! वो उसको देखता ही रह गया...

‘ओह प्रभु! यह तेरी कैसी कलाकृति है! इतनी सुन्दर! कैसे सुन्दर स्तन!

अंजू ने देखा की कैसे उसका पति उसको प्यासी दृष्टि से देख रहा है.. वो हलके से मुस्कुरा दी। नर्स सुषमा ने बताया था की वो महीनो से बेहोश पड़ी है.. इतने दिनों तक कैसे इस बेचारे ने जीवन व्यतीत किया होगा! उसकी दृष्टि अपने पति के जनन क्षेत्र पर पड़ी।

“इधर आओ..” अंजू ने कुंदन को कहा।

कुंदन यंत्रवत उसकी तरफ चल दिया। अंजू वही रखे पीठे पर बैठ गई।

“अभी कुछ दिन सब्र कर लो.. लेकिन तब तक..” उसने अपने स्तन की तरफ इशारा किया, “आपको दूध पिलाती हूँ..”

अंजू की कही हुई बात कुंदन को मिश्री जैसी मीठी लग रही थीं। कहाँ तो एक लड़की मिलनी दुश्वार थी, और कहाँ आज ऐसी बला की खूबसूरत लड़की के रसीले स्तनों का पान करने को मिलेगा! इस विचार के साथ ही कुंदन को लगा की जैसे वो गलत कर रहा है – वो लड़की उसको अपना पति समझ कर यह सब कर रही थी। लेकिन वो जान बूझ कर उसका फायदा उठा रहा था। लेकिन कुंदन ने अपने मन को यह कह कर समझा लिया की बाद में वो अंजू को समझा देगा। फिलहाल तो ये मीठे मीठे दूध पिए जांए!


****


“सुनिए...?” अंजू की आवाज़ दोबारा सुन कर कुंदन की तन्द्रा टूटी!

‘ओ तेरी! ये तो सपना था!’ यह सोच कर उसने आवाज़ की दिशा में देखा। अंजू स्नानघर के दरवाज़े की ओट से झांकती हुई उसी की तरफ देख रही थी।

“क क्या?”

“जी मुझे कपड़े दे दीजिए पहनने के लिए..”

“अच्छा..” कह कर जब वो उठा, तो उसने देखा की वो कमर के नीचे पूरी तरह नंगा था।

‘धत्त तेरे की..’ वो नंगा होते ही लगता है सपना देखने लगा था! एक पल को वो हाथों से अपने छुन्नू को छुपाने को हुआ, लेकिन फिर रुक गया – बीवी से क्या छुपाना?

अपने पति को ऐसे अपने सामने नंगा घुमते हुए देख कर उसको थोड़ी सी शर्म आई, और हंसी भी! बेर के आकार के अंडकोष, और छुहारे के जैसा लिंग! दिखने में भी, और आकार में भी! अंजू को कहीं याद आया की लड़को का ऐसा होता है.. उसको नहीं मालूम था, की आदमियों का भी ऐसा ही होता है। या कहीं, उसका पति अभी लड़का ही तो नहीं? अगर ऐसा है, तो उसकी खुद की उम्र क्या है?

कुंदन अन्दर कमरे में जा कर अंजू की मैक्सी ले आया। फिर उसको एक शैतानी सूझी,

“यहाँ बाहर आ कर ले लो..”

“दीजिए न..”

“नहीं.. आज तो बाहर आ कर ही लेना पड़ेगा..”

अंजू ने उसको कुछ देर देखा, फिर वापस अन्दर हो कर उसने स्नानघर का दरवाज़ा बंद कर लिया।

‘ओये! ये क्या हो गया..’

फिर कुछ देर बाद जब दरवाज़ा खुला, तो अंजू अपने सीने पर अंगौछा लपेटे बाहर निकली। अंगौछा गीला था, और उसके शरीर पर पूरी तरह से लिपटा हुआ था। और चूंकि उसकी लम्बाई और चौड़ाई बहुत बड़ी नहीं थी, इसलिए वो अंगौछा अंजू का शरीर छुपा कम और दिखा अधिक रहा था। कुंदन को वह दृश्य बहुत पसंद आया। अंजू के उस रूप का अनुमोदन (approval) उसके छुन्नू ने अपना छुहारे वाला रूप छोड़ कर, भिन्डी जैसा रूप धारण कर के किया। अंजू ने देखा की उसके पति का लिंग उसकी मध्यमा उंगली के जितना ही लम्बा, और बस मुश्किल से कोई दो गुना मोटा था।

न जाने क्यों उसको हलकी सी निराशा हुई। उसको निराशा क्यों हुई? कहीं न कहीं उसके मन में ऐसा विचार आया था की उसके पति के जननांग बहुत पुष्ट होंगे। और उसका पति बहुत ही दृढ़ शरीर और व्यक्तित्व का मालिक होगा.. लेकिन कुंदन ऐसा नहीं था। ऐसे विचार उसको क्यों आ रहे थे जैसे कुंदन उसका पति न हो? लेकिन, उसको कुछ याद ही नहीं और सभी तो यही कह रहे हैं की कुंदन ही उसका पति है.. उसी ने उसको बचाया था।

“अब दीजिए...”

कुंदन क्या करता भला? उसने अंजू को उसकी मैक्सी दे दी।

“अच्छा, मैं आपसे एक बात पूछूँ?” अंजू ने अपने बाल सुखाते हुए कहा।

“एक क्या? जितना मन करे उतना पूछो!”

“नहीं.. आपको लग सकता है की मैं कैसी फालतू बातें कह रही हूँ, और पूछ रही हूँ...”

“नहीं नहीं.. ऐसा कुछ भी नहीं.. पूछो न?”

“आपकी उम्र कितनी है?”

कुंदन को फिर शरारत सूझी, “सोलह साल..”

‘ओह! तो मेरा ख़याल सही था...’ अंजू ने सोचा।

“और मेरी..?”

“इक्कीस साल..”

“सही में? मैं आपसे पांच साल बड़ी हूँ?”

“और क्या!”

कुंदन ने उसको और कुरेदा, “तुमको क्या लगा की मैं कितना बड़ा हूँ?”

“मुझे लगा की पंद्रह सोलह के होगे!”

“हैं! वो कैसे?” कुंदन को वाकई आश्चर्य हुआ!

“वो कैसे क्या? आपके अंडे और छुन्नू, लड़के जैसे ही तो हैं अभी..”

अंजू की बात पर उसको अचानक ही बेहद गुस्सा आया, “इसी छुन्नू से मैंने तुझे गाभिन किया था..” वो गुस्से से बोला।

“आप गुस्सा क्यों हो गए? मैंने कब मना किया इस बात से? बिलकुल किया था आपने! वो नर्स बता रही थीं.. की हमारा बच्चा..” कहते कहते अंजू की आँख में पानी आ गया।

“आई ऍम सॉरी.. मेरा मतलब.. मुझे माफ़ कर दो!”

“नहीं! आप माफ़ी मत पूछिए... पति का आदर करना चाहिए.. मैंने गलती करी है.. आप मुझे माफ़ कर दीजिए!”

“अरे! अब माफ़ी वाफी छोड़ो.. और जल्दी से कपड़े बदल लो...”

कुंदन की बात पर अंजू कुछ देर चुप रही.. वो फिर से हिचकिचा रही थी..

“क्या हुआ?”

“कपड़े पहनने हैं..”

“तो पहनो न?”

“आपके सामने?”

“हाँ! क्यों क्या हो गया?”

अंजू लेकिन चुप ही रही।

“अरे मुझसे क्या शरमाना? मैं तो तुमको नंगा देखता ही रहता हूँ..” कुंदन ने उत्तेजित और भर्रायी हुई आवाज़ में अंजू को छेड़ा।

“धत्त झूठे…”

“अरे मैं झूठ क्यों कहूँगा? तुम तो मुझे देखते ही अपना कुरता उतारने लगती हो!”

“अच्छा जी! वो क्यों भला?”

“मुझको दूध पिलाने के लिए..”

अंजू इस बात पर एकदम से गंभीर हो गई।

“सच में?”

“सोलह आने सच!”

अंजू ने मैक्सी वहीँ ज़मीन पर फेंकी, और अंगौछे को अपने सीने से हटाते हुए सामने पड़ी खटिया की तरफ बढ़ी। खटिया पर बैठते बैठते अंजू पूरी तरह से नंगी हो चली थी।

“इधर आओ..” अंजू ने कुंदन को कहा।

कुंदन ने अंजू के स्तन देखे, तो उसको बाकी कुछ भी दिखना बंद हो गया... वो यंत्रवत उसकी तरफ चल दिया।

अंजू ने अपने स्तन की तरफ इशारा किया, “... आपको फिर से अपना दूध पिलाती हूँ..”

अंजू की कही हुई बात कुंदन को मिश्री जैसी मीठी लग रही थीं। कहाँ तो एक लड़की मिलनी दुश्वार थी, और कहाँ आज ऐसी बला की खूबसूरत लड़की के रसीले स्तनों का पान करने को मिलेगा! इस विचार के साथ ही कुंदन को लगा की जैसे वो गलत कर रहा है – वो लड़की उसको अपना पति समझ कर यह सब कर रही थी। लेकिन वो जान बूझ कर उसका फायदा उठा रहा था। लेकिन कुंदन ने अपने मन को यह कह कर समझा लिया की बाद में वो अंजू को समझा देगा। फिलहाल तो ये मीठे मीठे दूध पिए जांए!

एक पल को कुंदन को लगा जैसे सपने वाली बात एकदम सचित्र हो गई! अगर सपने इतनी जल्दी सच होते हैं, तो वो और देखेगा! यह छलकता हुआ सौन्दर्य, ऐसा मीठा आमंत्रण! कुंदन अंजू के पास पहुंचा, और उसके दाहिने स्तन के एक निप्पल को अपने मुँह मैं ले कर चूसने लगा और दूसरे स्तन को सहलाने लगा! जाहिर सी बात है की एक वयस्क आदमी, स्तनों को अलग तरीके से चूसेगा - ख़ास तौर से तब, जबकि उसको अपने जीवन में पहली बार ऐसे सुन्दर स्तन देखने और भोगने को मिले हों!

"आराम से बाबा.. यह आपके लिए ही तो हैं! जितना मन चाहे, उतना चूसो..." अंजू ने कुंदन के सर को प्यार से सहलाते हुए कहा।

कुंदन बारी बारी से अंजू के दोनों स्तनों को चूसता रहा।

****
very nice update
 
  • Like
Reactions: avsji

mashish

BHARAT
8,032
25,909
218
रात का खाना कुंदन ने ही बनाया – अंजू काफी थक गई थी, और क्योंकि डॉक्टर ने आराम करते रहने की सख्त हिदायद दी थी, इसलिए कुंदन अपना पति-धर्म (यानि की आराम से बैठना, जब पत्नी खाना पका रही हो, और फिर सम्भोग कर के सो जाना) निभा नहीं पाया। अंजू कुछ ढंग से खा नहीं सकी – एक तो खाना बेस्वाद बना था, और ऊपर से दवाइयों, और लम्बे कोमा के प्रभाव से उसको खाने से अरुचि सी हो गई थी। खाना और दवाइयाँ खा कर अंजू सो गई; तो उसके साथ कुंदन को भी झक मार कर लेटना पड़ा। पहली बार एक स्त्री के साथ रात बिताने की उत्तेजना में उसके लिंग ने अनायास ही वीर्य थूक दिया। लेकिन फिर भी कुंदन को उम्मीद थी, की उसकी यह हालत जल्दी ही ठीक हो जायेगी – अब क्योंकि अंजू भी उसके साथ है!

आज अंजू पहली बार कोमा के प्रभाव से पूरी तरह से बाहर आ कर सो रही थी। नींद बहुत गहरी आई – और नींद में बड़े ही विचित्र से सपने भी! सपनो ने ऐसे ऐसे स्थानों और ऐसे वस्तुओं के दृश्य थे, जो उसने अपने जीवन में पहले कभी भी नहीं देखे थे – अथाह समुद्र, रेतीला बीच, समुद्र की गहराइयाँ, बहुत ही घना बसा शहर और उसके अनगिनत दृश्य, एक आलीशान सा घर.... और इन सभी दृश्यों में परिलक्षित होता एक पुरुष! और सिर्फ यही नहीं... वह पुरुष उसके सपनो में सुस्पष्ट रूप से दिख रहा था – कभी इस वेश में, तो कभी किसी और... और तो और कभी कभी नग्न भी! दो तीन दृश्य तो उसने उस पुरुष के साथ सम्भोग के भी देखे! कौन है वो? उसने सपने में ही अपने दिमाग पर जोर डाला! लेकिन निद्रा ने विवश कर के रखा हुआ था। और भी लोग दिखे – एक लड़की.. “नीलू!” उसके दिमाग में कौंधा!

कुंदन उथली नींद में सो रहा था की अचानक उसने अंजू को ‘नीलू नीलू’ पुकारते सुना! वो जाग गया।

‘नीलू कौन?’ उसने सोचा! कहीं यह अंजू का असली नाम तो नहीं? या उसकी किसी सहेली का? तो क्या अंजू को अपनी भूली हुई याद-दाश्त वापस मिलने लगी? बेटा! जल्दी कुछ कर.. नहीं तो ये लड़की जायेगी हाथ से! और कुछ इस्धर उधर हो गया, तो पिटाई भी हो सकती है! उसने कुछ देर और इंतज़ार किया, लेकिन अंजू ने कुछ और नहीं कहा.. उसको कब नींद आई, उसको खुद ही नहीं पता चला।



सुबह :

सुबह का उजाला घर के आँगन में अपने पैर पसार रहा था। अंजू ने अपनी आँखें धीरे धीरे खोलीं। आज बहुत ही अरसे के बाद उसने अच्छे से नींद ली थी – यह बात उसको भी समझ में आ रही थी। कल से आज वह काफी तरो ताज़ा महसूस कर रही थी। उसने जम्हाई भरी, अंगड़ाई ली, और फिर अचानक ही उसको कल रात के सपने की बातें याद आ गईं। उसको स्वयं पर बहुत ही लज्जा आई – अपना पति होते हुए भी ऐसे ऐसे सपने आते हैं..! लेकिन जाने क्यों वो पुरुष भी कोई अपना सा ही लग रहा था। उसने कुंदन को आँगन से इधर उधर होते हुए देखा। वो मुस्कुराई – कल जब कुंदन उसके स्तनों का पान कर रहा था तो उसको बहुत ही आनंद आया। वो भी कैसे नटखट बच्चों के जैसे मचल मचल कर पी रहा था।

कल शाम को कुंदन ने अंजू को बताया की उसकी उम्र सोलह साल की नहीं है.. बल्कि अंजू के बराबर ही है.. अंजू थोड़ा निराश हो गई – अगर सोलह की उम्र होती, तो कुछ उम्मीद भी थी, लेकिन अभी तो... खैर! उसके मन में एक बात उठी की उन दोनों की पहली रात कैसी रही होगी? कैसे कुंदन ने उसके कपड़े उतारे होंगे, और कैसे उसके साथ सम्भोग किया होगा!

कुंदन ने अंजू को देखा तो मुस्कुराया। एक बार उसके मन में आया की अंजू से पूछे की ये नीलू कौन है.. फिर उसको याद आया की अंजू को तो कुछ याद ही नहीं.. क्यों अनायास ही ऐसी बातें छेड़ना? कहीं लेने के देने पड़ गए तो!

“ठीक से सोई?” उसने पूछा।

“हाँ.. आप क्या कर रहे हैं?”

“नाश्ता बना रहा हूँ... काम पर भी तो जाना है..”

“ओ माँ! कितनी देर सोती रही मैं.. और आपने जगाया क्यों नहीं?”

“अरे कोई बात नहीं.. पहले ठीक हो जाओ.. ये सब तो होता रहता है..”

“नहीं नहीं.. अब से खाना मैं ही बनाउंगी..”

“ठीक है.. बना लेना.. लेकिन अभी तो आराम से रहो न..”

“समय कितना हो रहा है..”

“साढ़े नौ हो रहे हैं..”

“बाप रे!” फिर कुछ सोच कर, “आपने... खा लिया?”

“हाँ.. बस अभी अभी.. कुछ देर में निकल जाऊँगा..”

“अच्छा..” अंजू ने कुछ बुझे हुए स्वर में कहा। अकेला रहना भला किसको पसंद आएगा? “कब आयेंगे वापस?”

“शाम को..”

“ओह!”

“कहो तो न जाऊं..” कुंदन ने रोमांटिक बनने की असफल एक्टिंग करी।

अंजू मुस्कुराई, “कुछ देर में चले जाइए?”

“हम्म.. देर में चला तो जाऊं.. लेकिन उसके बदले में मुझे क्या मिलेगा?”

“मेरी गोदी में सर रख कर लेटेंगे आप?” अंजू मुस्कुराई। कुंदन भी मुस्कुराया।

“और?”

“पहले रखिए तो सही..”

कुंदन बिस्तर पर आ कर अंजू के बगल आ कर उसकी गोदी में सर रख कर लेट गया। कुंदन का शिश्न उत्तेजित होने लगा – लेकिन फिर भी वो इस समय काफी आराम महसूस कर रहा था। आश्चर्यजनक रूप से उसको किसी भी तरह का उतावलापन नहीं महसूस हुआ। अंजू बड़े प्यार से कुंदन के सर और चेहरे को सहला रही थी। कुंदन को ठीक वैसा महसूस हुआ, जैसा की अगर वो अपनी माँ की गोदी में सर रखता! उतना ही आराम! उतना ही चैन! उतनी ही कोमलता!

‘बढ़िया!’

सुख और आनंद से उसकी आँखें बंद हो गईं, जो कपडे की हलकी सरसराहट की आवाज़ के बाद ही खुलीं। अंजू ने मैक्सी के सामने के बटन खोल दिए थे, और कुंदन को स्तनपान करवाने के लिए अपने स्तन स्वतंत्र कर दिए थे। कुंदन ने देखा – अंजू के आदर्श स्तन और चूचक उसको निमंत्रण दे रहे थे। उसके चूचक उत्तेजनावश कड़े हो गए थे, मानो कह रहे हों – ‘सैयां! आ जाओ.. हमें अपने मुँह में ले लो.. और चूसो!’

कुंदन ने वही किया। अंजू समझ गई की आधे घंटे का प्रोग्राम तो बन गया। कल की चुसाई के बाद उसके चूचक थोड़े से पीड़ित थे, लेकिन अकेला रहने से यह ज्यादा अच्छा यह था की वो यह पीड़ा बर्दाश्त कर ले। कुंदन भी पूरी सतर्कतापूर्व चूस रहा था, जिससे अंजू को चोट न लगे। कुछ देर बाद जब उसने दूसरे स्तन को मुँह में लिया, तब अंजू के मुँह से एक कराह निकली।

‘क्या उसको दर्द हुआ?’ कुंदन ने दूध पीना छोड़ कर एक प्रश्नवाचक दृष्टि अंजू पर डाली। वो आँखें बंद किए सिसकारी भर रही थी। जब अंजू ने देखा की कुंदन ने पीना छोड़ दिया, तो उसने आँखों में ही वापस पूछा, ‘क्या हुआ?’

कुंदन ने ‘कुछ नहीं’ में सर हिलाया, और वापस दूध पीने में लग गया। उसी के साथ उसने अंजू की मैक्सी भी उसके कन्धों से नीचे सरका दी – अब वो ऊपर की और नंगी बैठी हुई थी। और कुंदन बिना झिझक के अंजू के स्तन पी रहा था। जब उसका मन भर गया तो अंत में वो अलग हुआ। अलग हो कर वो अंजू की गोदी से उठा, और उसको बिस्तर पर लिटाने लगा। लिटाने साथ साथ ही वो उसकी मैक्सी को नीचे की तरफ खींचने लगा जिससे वो पूरी नंगी हो जाय। अंजू को शर्म आई, लेकिन उसने मना नहीं किया।

“छुन्नी के साथ खेलोगी?”

अंजू शर्माती हुई मुस्कुराई।

“अपनी चूत के साथ खेलने दोगी?”

‘चूत?’ यह तो सुना हुआ शब्द है.. “वो क्या होता है?”

“यह..” कुंदन ने अंजू की योनि की तरफ इशारा किया। अंजू ने जांघे सिकोड़ लीं।

कुंदन अपनी पैंट उतार रहा था। अंजू देख रही थी की आगे क्या होने वाला है। कुछ ही देर में उसका भिन्डी के आकर का शिश्न मुक्त हो गया। वाकई अभूतपूर्व घटना थी की अभी तक उसके लिंग ने वीर्य नहीं छोड़ दिया था। कुंदन ने अंजू का हाथ पकड़ कर अपने छुन्नू पर रख दिया। अंजू ने अपनी उंगलियाँ उसके इर्द गिर्द लपेट लीं।

“कितना गरम है..”

कुंदन गर्व से मुस्कुराया।

“रुको.. आज तुम्हारी चूत के साथ खेलता हूँ.. बहुत दिन हो गए..” उसने प्रभाव के लिए आगे जोड़ा।

कह कर वो अंजू की घने बालों के अन्दर छुपी योनि की दरार पर अपनी उंगली फिराने लगा। अंजू नख-शिख तक कांप गई, और कुंदन को कामुक लालसा से देखने लगी। कुछ देर यूँ ही दरार पर उंगली चलाने के बाद उसने अपनी उंगली वहां पर दबाई – पट से अन्दर जाने का रास्ता खुल गया। कुंदन मुस्कुराया और अपनी तर्जनी को अंजू की योनि के भीतर डालने लगा। उधर अंजू भी अपनी जांघ खोलने लगी – जैसे उसको अन्दर आने के लिए और जगह दे रही हो..

उंगली पूरी अन्दर जाने के बाद उसने धीरे धीरे ही उसको बाहर निकाला और वापस अन्दर बाहर करने लगा। उसी ताल में अंजू भी अपने नितम्ब हलके हलके उछालने लगी।

कुंदन अंजू के पास आया, और उसके कान में फुसफुसाते हुए बोला,

“इसको कहते हैं उंगल चुदाई..” और उंगली अन्दर बाहर करने का क्रम करते हुए वो उसके स्तन भी चूसने लगा। अंजू के अन्दर का ज्वार बहुत दिनों से उठा हुआ था। कुंदन ने उंगली डाल कर बस जैसे किसी बाँध को तोड़ दिया। दो मिनट के भीतर ही अंजू यौन उत्तेजना के चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई... उसका शरीर किसी अनियंत्रित यंत्र जैसे कम्पित होने लगा।

उसको यूँ स्खलित होते देख कर कुंदन चाह कर भी खुद पर नियंत्रण न रख सका, और उसके कुछ कर पाने से पहले ही उसका वीर्य निकल पड़ा, और सामने अंजू के सपाट पेट पर जा कर गिरा। दो तीन विस्फोटों में वह खाली हो गया। अंजू हाँफते हुए अपने पेट पर पड़े सफ़ेद रंग के तीन छोटे छोटे तलैयों को देखने लगी – और उनको अपनी हथेली से पोंछने लगी।

कुंदन बोला, “सम्हाल कर रानी! हाथ धो लेना पहले.. कहीं मेरे पानी से सना हाथ अपनी चूत पर लगा लिया तो गाभिन हो जाओगी.. समझी?”

अंजू ने हामी में सर हिलाया, और बिस्तर से उठा कर हाथ धोने चल दी। नंगी ही।

कुंदन अपनी किस्मत पर खुद ही रश्क करने लगा।
awesome update
 
  • Like
Reactions: avsji

mashish

BHARAT
8,032
25,909
218
कुंदन अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रहा था की अंजू के बारे में उसके किसी पडोसी को न पता चले। इसलिए उसने अंजू को जैसी जैसी हिदायदें दी थीं, उनको सुन कर वो खुद भी अचरज में पड़ गई। वो अगर इस घर की मालकिन थी, तो क्यों नही वो छत पर जा सकती थी? क्यों नहीं वो अपने कपड़े धूप में सुखा सकती थी? क्यों नहीं वो घर में बिना खट-पट के रह सकती थी.. इत्यादि! और सबसे बड़ी बात की कुंदन घर के बाहर ताला लगा कर क्यों जाय? अगर उसको घर से बाहर निकलने की ज़रुरत पड़ी तो? लेकिन उसको कोई उत्तर नहीं मिला। अंजू ने भी कोई अधिक प्रतिवाद नहीं किया – कुछ तो सोचा होगा कुंदन ने!

नहा धो कर उसने नाश्ता किया, और फिर दवाई खाई। अकेले बंद घर में वो क्या करती भला? जल्दी ही वो फिर से सो गई। उसको गहरी नींद आई, या उथली यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन उसको अत्यंत सजीव से सपने आये। और उन सपनो ने फिर से वही पुरुष विभिन्न अवस्थाओ में दिखा – कभी उसको अपनी गोद में बैठाए, कभी सूट पहने, कभी कार चलाते, कभी नग्न, और कभी उसके साथ रमण करते!

“रूद्र?” अंजू ने ऊंची आवाज़ में कहा, और नींद से जाग उठी। उसका शरीर पसीने पसीने हो गया था, और एक कम्पन भी हो रहा था।

‘क्या नाम था उसका?’ अंजू को वापस याद नहीं आया।

कुछ देर में उसको घर के दरवाज़े पर आहट हुई। कुंदन वापस आ गया था, और घर का दरवाज़ा खोल रहा था। अंजू ने घड़ी पर नज़र डाली – शाम के चार बज रहे थे।

अन्दर आते हुए उसने बहुत सावधानीपूर्वक दरवाज़ा वापस बंद किया और फिर अंजू को अपनी बाहों में भर लिया। ऐसा करते ही अंजू उसके आलिंगन में सिमट गई – उधर कुंदन अंजू के गालो, होंठ और माथे पर अपने चुम्बन की छाप लगाने लगा। कुंदन शायद दिन भर इसी क्षण के सपने संजो रहा था। उस पर इस समय वासना का तूफ़ान परवान चढ़ रहा था –उसके हाथ अंजू के शरीर की टोह लेने में व्यस्त थे – वो कभी अंजू के स्तनों को मसलता, तो कभी उसके नितम्बों को! अंत में उसके हाथ अंजू के चूतड़ों पर जम गए।

“अंजू रानी! आज मैं रुक नहीं पाऊँगा! आज मुझे तेरे अन्दर जाना ही है..” चुम्बनों के बीच में कुंदन ने अंजू को अपने इरादों से अवगत कराया।

उसकी बात पर अंजू ने एक पल को सोचा, और फिर कुंदन के एक हाथ को अपने एक स्तन पर रख दिया। जोश में आ कर कुंदन अंजू को फिर से चूमने लगा। अंजू ने आज शलवार कुरता पहना हुआ था। उसने जल्दी ही अंजू का कुरता उतार दिया – उसने अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था। फिर उसने अंजू के शलवार का नाड़ा भी ढीला कर दिया।

शलवार उसके कूल्हों से सरक कर नीचे गिर गया।

उसका ऐसा नज़ारा देख कर कुंदन काफी आवेश में आ गया। आज दूकान पर जाते ही उसने किसी से अव्वल गुणवत्ता का शिलाजीत खरीद कर उसका सेवन किया था। अब उसका प्रभाव हो, या न हो, लेकिन इस समय कुंदन को विश्वास भी था, और आत्म-विश्वास भी। लिहाजा, उसका अब तक का प्रदर्शन, उसके लिए अत्यंत संतोषजनक था। अंजू ने चड्ढी पहन रखी थी – गुलाबी चड्ढी पहने हुए, और अन्यत्र पूर्ण नग्न अंजू का रूप बहुत सुहाना लग रहा था। वो सचमुच काम की देवी लग रही थी। उससे रहा नहीं जा रहा था – आज तो बस कर ही डालना है!

आत्मविश्वास से लबरेज़, उसने अंजू के नितम्बों को दबाना, कुचलना शुरू कर दिया। उसके साथ ही उसकी चड्ढी भी नीचे की तरफ सरकानी शुरू कर दी। अंजू समझ गई की कुंदन आज रुक नहीं सकता। किसी का कोई डर तो था नहीं! वो थोड़ा सा कसमसाई, लेकिन अपनी हर हरकत के साथ वो बस कुंदन की बाहों में और समाती गई। वैसे, अंजू को भी अच्छा लग रहा था – पति का संसर्ग तो सबसे सुखद होता है। और वैसे भी अपनी याद में प्रेमालाप का उसका यह पहला अनुभव था।

कुछ ही देर में अंजू पूरी तरह से नंगी हो गई, और कुंदन उसको अपनी गोद में उठा कर बिस्तर तक ले गया। बिस्तर पर लिटा कर उसने अंजू की टाँगें मोड़ कर, उसके घुटने उसके सीने से लगा दिए। इस अवस्था में अंजू की योनि की दोनों फांकें पूरी तरह से खुल गईं, और उनके बीच में से योनि का गुलाबी हिस्सा झाँकने लगा। अंजू को अपने गुप्तांगों का ऐसा निर्लज्ज प्रदर्शन होते देख कर शर्म भी बहुत आई और रोमांच भी! उसकी अवस्था ऐसी थी की कुंदन उसकी योनि के पूरा भूगोल, और यहाँ तक कि उसकी गुदा को भी खूब अच्छी तरह से देख सकता था।

अंजू की रस से भरी, गुलाबी योनि देख कर कुंदन के मुँह में पानी आ गया। उसने बस स्टेशन पर बिकती सस्ती काम-प्रसंगों से भरी पुस्तिकाओं में पढ़ा था की अगर स्त्री की योनि को पुरुष मुख से चाटे, तो उसको बहुत आनंद आता है। लिहाजा, उसने यह काम भी आजमाने का सोचा। अंजू की टाँगों को वैसे ही मोड हुए, उसने झुक कर उसकी योनि की दरार पर जीभ फिराई। वहां से मूत्र की हलकी सी गंध आ रही थी – कुंदन का मन जुगुप्सा से भर गया, लेकिन फिर भी उसने मैदान नहीं छोड़ा। जब ओखली में सर डाल दिया है, तो मूसल से क्या डरना?

दो तीन बार जीभ फिराने के बाद, कुंदन सहज हो गया और तबियत से अंजू की योनि चाटने लगा। उसको योनि की संरचना का कोई ख़ास ज्ञान नहीं था – उसको नहीं मालूम था की बस थोड़ा ऊपर चाटने से उसकी ‘प्रेमिका’ ऐसी पागल हो जायेगी की उसने नाम की माला अपने उम्र भर जप्ती रहेगी। खैर, इस समय वो जो कुछ कर रहा था, वही अंजू के लिए काफी भारी होता जा रहा था। दोनों के सम्भोग का पहला स्खलन अंजू को बुरी तरह कम्पित कर गया।

“ओह कुंदन..” अंजू ने बस इतना ही कहा, लेकिन इतनी कामुक तरीके से कहा की कुंदन का स्खलन होते होते बचा।

अंजू कोई दो मिनट तक कांपती रही, तब जा कर वो कुछ संयत हुई। इतनी देर तक वो बस आँखें बंद किये आनंद ले रही थी। जब उसकी आँख खुली, तब उसने अपनी ही तरफ देखते कुंदन को देखा। वो मुस्कुरा रहा था। पहला किला फतह!! अंजू उसको देख कर लज्जा से मुस्कुराई। इस बीच में वो कब निर्वस्त्र हो गया, अंजू को अंदाजा नहीं हुआ।

“रानी – अब मेरी बारी!”

कह कर उसने अपने तने हुए लिंग का सर, उसकी योनि के खुले हुए होंठों के बीच लगा दिया। अब यह शिलाजीत का प्रभाव हो, या फिर कुंदन के आत्म-विश्वास का, इस समय उसके लिंग में अतिरिक्त तनाव बना हुआ था, इसलिए खुद कुंदन को भी अपना आकार और तनाव काफी प्रभावशाली लग रहा था।

कुंदन अनुभवहीन था, यह साफ़ दिख रहा था। किसी लड़की से सम्भोग का यह पहला अवसर था। उसको लगता था की योनि पर लिंग टिका कर बस धक्का लगा देने से काम हो जाएगा। उसने वैसा ही किया – लेकिन बार बार उसका लिंग फिसल जा रहा था। अंत में अंजू ने ही उसकी मदद करी – उसने अपनी योनि के होंठों को उँगलियों की सहायता से हल्का सा फैलाया, और अपने हाथ से पकड़ कर कुंदन के लिंग को प्रवेश कराने में मदद करी। उसका लिंग गर्म था, और साफ़ लग रहा था की बेहद उतावला हो रहा था। चाहे कुछ भी हो – हर स्त्री अपने प्रेमी को – वो चाहे पति के रूप में हो, या सिर्फ प्रेमी के रूप में – अपने लिए ऐसे उतावला होते देख कर ख़ुशी से फूली नहीं समाएगी।

उसने कुंदन के लिंगमुख को अपनी योनि के द्वार पर टिका दिया, और मन ही मन भगवान् का नाम लिया। कुंदन ने रास्ता साफ़ देख कर एक जोरदार झटका दिया – उसका सारा का सारा लिंग एक ही बार में उसकी योनि के भीतर समा गया।

अब भले ही उसका लिंग काफी पतला सा रहा हो, लेकिन अंजू के लिए इतने अरसे के बाद यह पहला सम्भोग था। अपनी गहराई में उस गरमागरम लिंग को उतरते हुए महसूस कर के अंजू की आह निकल गई।

“ऊह्ह्ह! अह्ह… उईई … आआआअ… ऊऊऊ… उह… ओह्ह…” हर धक्के के साथ अंजू नए प्रकार की आवाज़ निकालती जा रही थी। उसको शर्म तो बहुत आ रही थी, लेकिन फिर भी कामुक उन्माद के सम्मुख वो नतमस्तक थी।

ख़ुशी से उछल पड़ी वह, और फिर जोरों से धक्के मार-मार कर किलकारियां भरने लगी।

उधर कुंदन भी स्वयं के भीतर एक नए प्रकार का जीव उत्पन्न होता महसूस कर रहा था – इतना देर तो वो हस्त मैथुन करते हुए भी नहीं टिक पाता। वो इसी ख़ुशी में पूरे जोश के साथ धक्के लगा रहा था। बीच बीच में वो अंजू के होंठों को चूमता, तो कभी चूचकों का रस पीता। अंजू भी खुल कर अपने प्रथम सम्भोग का आनंद उठा रही थी – उसकी योनि बहुत गीली हो गई थी, और वो खुद भी अपने चूतड़ उचका उचका कर सम्भोग में सहयोग दे रही थी।

अंततः कुंदन ने पूरी ताकत से एक ज़ोर का धक्का लगाया। आखिरी।

“आआआआआआह्ह…”

और इसी धक्के के साथ कुंदन ने अपना पूरा वीर्य अंजू की चूत में खाली कर दिया और उसी अवस्था में अंजू के ऊपर ही पस्त होकर गिर गया।

“अंजू अंजू! मेरी प्यारी! …आई लव यू… तू मेरी जान है! जान!”

जवाब में अंजू मुस्कुरा दी, और कुंदन के माथे पर चुम्बन दे कर उसने आँखें बंद कर लीं।
lovely update
 
  • Like
Reactions: avsji

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,029
22,427
159

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,029
22,427
159
प्रिय avsji गलती के लिए माफी।

मैंने टिप्पणी पहले दे दी। अपडेट बाद में देखा।

आशु
Cheers 🍻
 
  • Haha
Reactions: Ashurocket
Status
Not open for further replies.
Top