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Horror किस्से अनहोनियों के

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Update 28C

मै छावरा जी के साथ निकल गया. नीचे आने के बाद हम कर में बैठे. और तब मैंने उन्हें बताया.


मै : छवरा जी आप जानते हो आपके घर में क्या हो रहा है??


छावरा : क्या???


मै : आप के घर मे एक बच्चे की आत्मा है. और आपकी बीवी उसके चपेट में है.


छावरा : क्या बात कर रहे हो डॉ साहब.


मै : क्या आप को अजीब नहीं लगता आप के घर का माहोल.


छावरा : मुझे तो घर का माहौल बहुत ही अच्छा लग रहा है. आप कह रहे थे कि यह घर मनहूस है. लेकिन ये घर आकर मुजे एहसास हुआ की ये घर ही मे मै खुश रहे सकता हु.


मै : क्यों की वो बच्ची की आत्मा ने उस घर के माहोल को वैसा बना रखा है. क्या आप को अभी वैसी ख़ुशी महसूस हो रही है..


छावरा भी ये सोचने लगा.


मै : क्या इस घर में आने के बाद आपकी कोई भी डील फाइनल हो पाई.


छावरा : (सोचते हुए ) नहीं..... जो है वो भी अटक गई.


मै : लेकिन फिर भी आप खुश हो सोचो.


छावरा की भी थोड़ी आंखे खुली..


छावरा : पर ये कैसे हो सकता है???


मै : छावरा साहब आप की बीवी किसी बच्चे से बाते करती है. ये आप ने भी नोट किया. और उन्हें बिलकुल पसंद नहीं आया जब मै आप के घर आया. ये सुनो.


मेने वो रिकॉर्डिंग छावरा साहब को सुनाई जिसमे हस्ते हस्ते आरती जी ने मुजे धमकी दी थी. बूढ़े अब वापस आया तो तुझे मर डालूंगी. छावरा साहब सुन कर हैरान हो गए. उन्होंने तुरंत कार रोक दी. उनके चेहरे का तो रंग ही उड़ गया. और मैं अपनी पूरी रिसर्च में सुनाई.


मै : आपके घर एक बच्चे की आत्मा है. वह घर का माहौल खुशियों से भरा रखती है. ताकि कोई उसे घर को छोड़ ना पाए. आरती जी भी उनकी चपेट में आ गई है. लेकिन वह घर मनहूस है. अगर आपने जल्द फैसला नहीं लिया. कुछ किया नहीं तो आप आरती जी को खो बैठोगे.


छावरा : मगर मेरी बीवी वहां खुश है. वो किसी को नुकसान तो नहीं पहुंचा रही. अगर वह उसके साथ है तो क्या प्रॉब्लम है.


मै : यही तो बात है छाबरा साहब. उस बच्चे की आत्मा को आरती जी अच्छी लगी. इस लिए वो उन्हें दिखाई दे रही है. आरती जी भी उस बच्चों की आत्मा से प्यार करने लगी है. क्योंकि वह एक औरत है.

और उनकी ममता उन्हें उसे बच्चों के करीब ला रही है. आने वाले वक्त में. वह बच्ची उन्हें मरने पर मजबूर कर देगी. ताकि आरती जी की आत्मा भी इस बच्चे की आत्मा से मिल जाए. इसके बाद आरती जी की आत्मा तुम्हें खींचने की कोशिश करेंगी. क्योंकि आरती जी आपसे प्यार करती है.


छावरा साहब ये सुनकर हैरान हो गए.


छावरा : (घबराहट ) आप क्या करूं डॉक्टर साहब??


मै : तुम उसे घर को अब छोड़ नहीं सकते. क्योंकि वह तुम्हें जाने नहीं देगी. ना ही आरती जी वहां से जाना चाहेगी. मुझे पहले पूरी तैयारी करनी है. जिसके लिए मुझे वक्त चाहिए.
Superb update shetu ji👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
Padh kar hi lag raha tha ki wo koi bacche ki aatma ho sakti hai jo ki sabit bhi ho gaya👍 jaisa ki dr. Ne bataya agar ilaaj na kiya to chabdo to gayo :D , awesome update again 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻💥💥💥💥💥💥🔥🔥🔥
 

Shetan

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Bohot badhiya update shetan.
Us babad chode deen dayal ka hi kiya dhara tha sab😄. Mujhe lagta hai ki uske ghar me pooja karne ke liye dai ma ko jana chahiye tha, per ho sakta hai pakdi hui aatmao ke karan wo nahi gai hogi? Tantra sakti bohot peabal hoti hai👍 samanya aatma ki sakti se kahi jyada blak mazik or kale tantra ki urja jyada prabal hoti hai,
Anyways superb update 👌🏻👌🏻👌🏻
👌🏻👌🏻💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥
Panditji aap ko jankar sayad herani ho ki trantra vidhya ka nirman svayam sivji ne kiya tha. Aur Ravan ko ko vardan ke roop me mila tha. Bahot kuchh hai. Ese kabhi bat karenge
 

Shetan

Well-Known Member
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Superb update shetu ji👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
Padh kar hi lag raha tha ki wo koi bacche ki aatma ho sakti hai jo ki sabit bhi ho gaya👍 jaisa ki dr. Ne bataya agar ilaaj na kiya to chabdo to gayo :D , awesome update again 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻💥💥💥💥💥💥🔥🔥🔥
Thankyou very very much Panditji.
 

Raj_sharma

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Thankyou very very much Panditji.
Always welcome setu dear :hi:
 
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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Panditji aap ko jankar sayad herani ho ki trantra vidhya ka nirman svayam sivji ne kiya tha. Aur Ravan ko ko vardan ke roop me mila tha. Bahot kuchh hai. Ese kabhi bat karenge
Koi hairani nahi devi ji:nope:Kyu ki ye mera visay hai or mai apne visaya me wakai me pandit hu, mai ye to nahi kahta ki mujhe apse ya kisi or se jyada gyan hai, kyu ki wo to ghamand wali baat hoti hai per ye kah sakta hu is forum pe sayad ek do log ho jo itna jaante ho jo apun janta hai👍 rahi baat tantra ki to ha uske janam data shiv hi hai, per unhone jan kalyan ke liye use banaya na ki vinash ke liye:declare:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Thankyou very very much Panditji.
एक पहेली है आपके लिए:
अपदो दूरगामी च, साक्षरो न च पंडितः । अमुखः स्फुटवक्ता च, यो जानाति सः पण्डितः ।।
 

komaalrani

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Update 26C


डॉ रुस्तम ने तुरंत कोमल को रेडिओ सेट पर call किया.


डॉ : हेलो हेलो कोमल???


कोमल : हा डॉ साहब. मे सुन रही हु.


डॉ : मंदिर मिल चूका है.


कोमल के फेस पर तुरंत स्माइल आ गई.


डॉ : लेकिन उसमे मूर्ति नहीं है.


दाई माँ : वा के काजे तो पंडितजी बुलानो पड़ेगो.
(उसके लिए तो पंडितजी को बुलाना पड़ेगा)


कोमल ने दाई माँ का मेसेज डॉ रुस्तम को बताने के लिए रेडिओ सेट का बॉटन प्रेस जरूर किया. पर वो रुक गई. जैसे उसे कुछ याद आया. वो दोबारा डॉ रुस्तम को call करती है.


कोमल : दिन दयाल कहा है???


वहां दिन दयाल को भी मुखिया ने पास मे बैठाया हुआ था. वो डरा हुआ हाथ जोड़े चुप चाप वहां बैठा था. मगर कोमल के call के बाद डॉ रुस्तम घूम के देखते है. दिन दयाल वहां नहीं था. डॉ रुस्तम भी सॉक हो गए. उन्होंने तुरंत रेडिओ सेट पर कोमल को बताया.


डॉ : वो यहाँ नहीं है. लगता है कही भाग गया.


कोमल : वो मूर्ति दिन दयाल के खटिये के निचे गाढ़ी हुई है.


कोमल का वाकिली दिमाग़ सीबीआई वालों से भी तेज़ चलने लगा था. बुढ़िया के गंदे बिस्तर और फीके कलर से ही पता चल रहा था की बुढ़िया की खटिया वहां से नहीं हटी. दिन दयाल धुप छाव सर्दी गर्मी हर वक्त क्यों बहार उसी जगह बुढ़िया को मरने छोड़ रखा था.

ताकि उस जगह को खाली ना रखा जाए. कोमल को तुरंत समझ आ गया. डॉ रुस्तम मुखिया की मदद से दिन दयाल के घर भीड़ लेकर पहोच गए. और वहां पहोचने पर कुछ अलग ही नजारा था.

दिन दयाल की माँ एक तरफ पड़ी हुई थी. वो हिल ही नहीं रही थी. हकीकत मे वो मर चुकी थी. खटिया एक तरफ उलटी पड़ी थी. बिछोना बिस्तर भी निचे बिखरा पड़ा था. दिन दयाल वहां गाढ़ा खोद रहा था. जो सब को देख कर रुक गया. और सब के सामने हाथ जोड़ कर रोने लगा. डॉ रुस्तम को पूरा सीन समझ आ गया.

जब मूर्ति तक बात पहोची तो दिन दयाल वहां से खिसक गया. क्यों की मूर्ति पंडितजी की आत्मा को बुलकर पूछ लिया जता. उस से पहले दिन दयाल मूर्ति वहां से गायब करना चाहता था. वहां स्कूल से दिन दयाल खिसक लिया. वो तेज़ी से भागते हुए अपने घर तक पहोंचा. उसने जिसपर उसकी माँ लेटी हुई थी. उस खटिये को उलट दिया. बुढ़िया बहोत ज्यादा ही बूढी बीमार थी.

वो उसी वक्त मर गई. दिन दयाल उस जगह से मूर्ति खोद कर निकालने लगा. लेकिन पकडे गया. गांव वाले हो रही मौतो से बहोत परेशान थे. और दिन दयाल पकडे जा चूका था. गांव वाले उसपर टूट पड़े. पर डॉ रुस्तम और मुखिया ने मिलकर उसे बचा लिया.

उस मूर्ति को जमीन से सलामत निकला गया. वो मूर्ति माता की थी. गांव वाले मूर्ति और दिन दयाल दोनों को लेकर स्कूल तक पहोचे. वहां स्कूल मे अब भी एक एनटीटी अब भी पकड़ मे नहीं आई थी. दाई माँ कोमल के साथ हुए हादसे को सुन चुकी थी. दाई माँ समझ चुकी थी की उस बच्चे की आत्मा बुरी तरह से कोमल के पीछे है.

भले ही वो कोमल के शरीर मे ना घुस पाई हो. पर पीछे पड़े होने के कारण वो कोई ना कोई हादसा करने की कोसिस करेंगी. और आत्माओ से बच्चे की आत्मा ज्यादा जिद्दी होती है. जल्दी पीछा नहीं छोड़ती. लेकिन ऐसी आत्माओ को पकड़ना और भी ज्यादा आसान है.

वो जो मौत देती है. एक बली होती है. अगर उन्हें बली दे डी जाए तो उस मुद्दे तक शांत हो जाती है. दाई माँ ने कोमल की तरफ हाथ बढ़ाया. कोमल समझ नहीं पाई. दाई माँ बस मंतर पढ़ते हुए कोमल की तरफ अपना हाथ बढ़ाए हुए थी. कोमल ने भी दाई माँ की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया.


कोमल : अह्ह्ह्ह ससससस...


दाई माँ ने झट से कोमल का हाथ पकड़ लिया. और दूसरे हाथ से एक चाकू निकल कर कोमल के हाथ पर कट मारा. कोमल के हाथ से खून तपकने लगा. दाई माँ ने कोमल का हाथ अपने एक हाथ से पकडे रखा और दूसरे हाथ से निचे एक मिट्टी का कुल्लड़ सेट किया.

कोमल का खून उस कुल्लड़ से टप टप तपकने लगा. दाई माँ तो लगातार मंत्रो का उच्चारण मन मे किये ही जा रही थी. किसी भी जीव को मरे बिना. इस तरह धोखे से खून निकला जाए. वो मृत्यु बली के सामान है. ये विधि तामसिक विधया मे शामिल है. इस से वो जीव की जान लिए बिना बली दी जाती है. दाई माँ ने मिरर की तरफ हिशारा किया.

कोमल ने झट से मिरर उठाकर देखने की कोसिस की. वो लड़का वही था. ये देख कर कोमल घबरा गई. कोमल ने फिर धुँआ देखा. पर जब धुँआ छटा वो लड़का वहां नहीं था. दाई माँ उस कुल्लाड़ को भी वैसे ही बांध देती है.


दाई माँ : अब तू आज़ाद हे लाली(बेटी).


दाई माँ ने कोमल के हाथ को खुद अपने हाथो मे लिया. और उसके हाथ मे एक लाल धागा बांध दिया.


दाई माँ : अब तू कुछ बोले बिना ज्या ते निकर जा.
(अब तू कुछ बोले बिना यहाँ से निकल जा)


कोमल बोलना चाहती थी. पर दाई माँ ने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया.


दाई माँ : मेरो काम बाकि है लाली. तू जा तहा ते.
(मेरा काम बाकि है. तू जा यहाँ से.)


कोमल कुछ बोले बिना उस स्कूल से निकल गइ. पर बहार निकलते ही उसने गांव वालों की भीड़ आते देखि.



बहुत ही बढ़िया अपडेट

और हर हिस्से में अलग अलग रूप, दाई माँ की तो बात ही अलग है लेकिन कोमल के तेज दिमाग का भी असर दिखा, दीनदयाल के बारे में, मूर्ती के बारे में और कोमल की हिम्मत का भी।

तंत्र का भी बहुत अच्छा चित्र खींचा, सरसो के दाने और किस तरह से आत्माओं को बाँधा गया और वो लड़का जो स्कूल यूनिफार्म में नहीं था कोमल के पीछे पड़ा था उसे भी किस तरह प्रतीकत्मक बलि के जरिये, और भाषा भी चरित्रों के अनुरूप और सब पाठको की सुविधा के लिए दायी माँ के संवादों का परिष्कृत रूप जिस तरह से आप लिख देती हैं उस से सर्वग्राह्य हो जाता है।

और सबसे अच्छी बात की यह भाग इस बात को अच्छी तरह दिखता है की पैरानॉर्मल आत्माएं शायद जितना कष्ट नहीं देती, उससे कही ज्यादा मनुष्य की लालसा और लालच जो दीनदयाल के रूप में यहाँ दिखी।



बस एक अनुरोध, इंडेक्स अपडेट कर दीजिये।
 

komaalrani

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Update 28C

मै छावरा जी के साथ निकल गया. नीचे आने के बाद हम कर में बैठे. और तब मैंने उन्हें बताया.


मै : छवरा जी आप जानते हो आपके घर में क्या हो रहा है??


छावरा : क्या???


मै : आप के घर मे एक बच्चे की आत्मा है. और आपकी बीवी उसके चपेट में है.


छावरा : क्या बात कर रहे हो डॉ साहब.


मै : क्या आप को अजीब नहीं लगता आप के घर का माहोल.


छावरा : मुझे तो घर का माहौल बहुत ही अच्छा लग रहा है. आप कह रहे थे कि यह घर मनहूस है. लेकिन ये घर आकर मुजे एहसास हुआ की ये घर ही मे मै खुश रहे सकता हु.


मै : क्यों की वो बच्ची की आत्मा ने उस घर के माहोल को वैसा बना रखा है. क्या आप को अभी वैसी ख़ुशी महसूस हो रही है..


छावरा भी ये सोचने लगा.


मै : क्या इस घर में आने के बाद आपकी कोई भी डील फाइनल हो पाई.


छावरा : (सोचते हुए ) नहीं..... जो है वो भी अटक गई.


मै : लेकिन फिर भी आप खुश हो सोचो.


छावरा की भी थोड़ी आंखे खुली..


छावरा : पर ये कैसे हो सकता है???


मै : छावरा साहब आप की बीवी किसी बच्चे से बाते करती है. ये आप ने भी नोट किया. और उन्हें बिलकुल पसंद नहीं आया जब मै आप के घर आया. ये सुनो.


मेने वो रिकॉर्डिंग छावरा साहब को सुनाई जिसमे हस्ते हस्ते आरती जी ने मुजे धमकी दी थी. बूढ़े अब वापस आया तो तुझे मर डालूंगी. छावरा साहब सुन कर हैरान हो गए. उन्होंने तुरंत कार रोक दी. उनके चेहरे का तो रंग ही उड़ गया. और मैं अपनी पूरी रिसर्च में सुनाई.


मै : आपके घर एक बच्चे की आत्मा है. वह घर का माहौल खुशियों से भरा रखती है. ताकि कोई उसे घर को छोड़ ना पाए. आरती जी भी उनकी चपेट में आ गई है. लेकिन वह घर मनहूस है. अगर आपने जल्द फैसला नहीं लिया. कुछ किया नहीं तो आप आरती जी को खो बैठोगे.


छावरा : मगर मेरी बीवी वहां खुश है. वो किसी को नुकसान तो नहीं पहुंचा रही. अगर वह उसके साथ है तो क्या प्रॉब्लम है.


मै : यही तो बात है छाबरा साहब. उस बच्चे की आत्मा को आरती जी अच्छी लगी. इस लिए वो उन्हें दिखाई दे रही है. आरती जी भी उस बच्चों की आत्मा से प्यार करने लगी है. क्योंकि वह एक औरत है.

और उनकी ममता उन्हें उसे बच्चों के करीब ला रही है. आने वाले वक्त में. वह बच्ची उन्हें मरने पर मजबूर कर देगी. ताकि आरती जी की आत्मा भी इस बच्चे की आत्मा से मिल जाए. इसके बाद आरती जी की आत्मा तुम्हें खींचने की कोशिश करेंगी. क्योंकि आरती जी आपसे प्यार करती है.


छावरा साहब ये सुनकर हैरान हो गए.


छावरा : (घबराहट ) आप क्या करूं डॉक्टर साहब??


मै : तुम उसे घर को अब छोड़ नहीं सकते. क्योंकि वह तुम्हें जाने नहीं देगी. ना ही आरती जी वहां से जाना चाहेगी. मुझे पहले पूरी तैयारी करनी है. जिसके लिए मुझे वक्त चाहिए.


एक कहानी से दूसरी कहानी को जोड़ने की अद्भुत कला यही आपके अंदर है जो आपको सबसे अलग करती है ।

किसी पाठक को अहसास भी नहीं होगा की कहानी एक नयी कहानी की ओर मुड़ गयी है और हर कहानी का फ्लेवर अलग, रंग अलग जैसे यहाँ सुनाने वाले डाक्टर रुस्तम, और वस्तु दोष की बात लेकिन स्कूल वाली कहानी से एक बात जुडी है एक बच्ची,

और बाकी मानवीय पहलु भी जैसे बिना बच्चों के अवसाद, छाबड़ा का अपनी पत्नी को खुश देखकर बहुत कुछ अनदेखा करना, लालच में जिस फ्लैट को डाक्टर रुस्तम ने मना किया उसे भी खरीदना,

बहुत अच्छी शुरुआत और कहानी को आप वहां छोड़ती हैं की पढ़ने वाला अगले अपडेट के लिए बेचैन रहे।
 

Shetan

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एक पहेली है आपके लिए:
अपदो दूरगामी च, साक्षरो न च पंडितः । अमुखः स्फुटवक्ता च, यो जानाति सः पण्डितः ।।
Jo pandit sakhsad nahi hai. Vo murkh ke saman hai

Jo pandit bol nahi sakta par vo pandit sab janta hoga
 

vakharia

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मैंने आपकी अब तक की कहानी को अभी-अभी पूरा किया है और मैं आपकी रचना की सराहना किए बिना नहीं रह सकता। आपने जिस तरह से एक जटिल और डरावना कथानक तैयार किया है, वह वास्तव में अद्भुत है। पहले वाक्य से ही मैं रहस्य और भय की दुनिया में खिंच गया और कहानी में आने वाली भयावह घटनाओं से खुद को दूर नहीं कर पाया।

हॉरर रचने की आपकी क्षमता असाधारण है। हर विवरण, चाहे वह भयानक परिवेश हो या आपके पात्रों की मानसिक गहराई, ने डर और प्रत्याशा की परतें जोड़ दीं। जिस तरह से आपने कहानी की गति बनाई, उसने मुझे हर समय उत्सुक बनाए रखा, और आपकी चतुर मोड़ और उलटफेर ने मुझे सचमुच आश्चर्यचकित और पूरी तरह से मनोरंजित किया।

आपकी जीवंत कल्पना और भय का स्पर्श इतना प्रभावी था कि मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैं उन घटनाओं का अनुभव खुद कर रहा हूँ। आपकी लेखनी ने मेरे अंदर भय से लेकर आश्चर्य तक की भावनाओं को जागृत कर दिया, और यह एक बड़ी बात है।

आपकी अविश्वसनीय प्रतिभा को साझा करने और इतना रोमांचक और अविस्मरणीय पढ़ने का अनुभव प्रदान करने के लिए धन्यवाद। भविष्य में आपकी और रचनाएँ पढ़ने के लिए मैं उत्सुक हूँ।
 
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