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Thankyou very very muchBahut hi adhbhut and anokhi janakari dii hai aapne or kafi vistar se …
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Waah komal ji aapka gyaan bhi adbhud haiअपडेट अच्छा तो था ही अलग भी था।
पहली बात सूचना से भरपूर, लेकिन यह नहीं लग रहा था की जबरदस्ती ज्ञान दिया जा रहा है। वह कहानी के प्रवाह में था और नागा साधू से जो बात शुरू हुयी तो अघोरी, कापालिक तक पहुंची और सबसे बड़ी बात यह की ये पाठकों को इन साधनाओं के बारे में जानने के लिए उत्सुकता जगायेगा। पैरा नॉर्मल, घोस्ट बस्टर या इस तरह की बातें हर सभ्यता और संस्कृति में थीं और हैं लेकिन तंत्र के ये जिन आयामों की आपने चर्चा की किस्से के जरिये, यह पूरी तरह भारतीय संस्कृति और इतिहास से जुड़े हैं और अनेक धाराओं का उनमे संगम होता रहा।
दूसरी बात, जो इस कहानी में बार बार दिखती है कम शब्दों में दृश्यबंध बांधना, मणिकर्णिका का आपने कुछ शब्दों में दृश्य खिंच दिया। सच में वहां पहुँच कर लगता है मृत्यु जीवन का ही हिस्सा है, जैसे पूर्ण विराम के बिना वाक्य पूरा नहीं होता, और उसे उसी रूप में स्वीकार करना चाहिए। रंगभरी एकादशी (आमलकी) के दूसरे दिन बाबा विश्वनाथ जी के गौना होता है ऐसी मान्यता है इस दिन बाबा मसान होली खेलते हैं जो कि काशी में मणिकर्णिका एवं हरिश्चन्द्र धाट के अतिरिक्त पूरे विश्व में अन्यत्र और कहीं नहीं मनाया जाता है| होली जो जीवंतता का पर्व है और मसान जो जीवन के अंत को स्वीकारता है दोनों का अद्भुत मिलान और महाकाल, वह काल जिसमे सब कुछ समा जाता है और बनारस जहाँ के कबीर ने कहा था, साधो यह मुर्दो का देस। सब मरेंगे, सूर्य चंद्र, देवता, सब उसी काल में समायेंगे। और आप के दृश्य मन के पंछी को कहँ कहाँ उड़ा के ले जाते हैं मैं ही समझ सकती हूँ।
तीसरी बात दाई माँ के माध्यम से लोक विश्वास, पीछे मुड़ के न देखना, हर बार यह कहा जाता है लेकिन उसके पीछे का बोध, अतीत को छोड़ के भविष्य की ओर बढ़ना, बस चलते रहना, पीछे जो है मोह है जो बांधता है, रोकता है
और दाई माँ का जो चरित्र आपने गढ़ा है, बरसों तक याद किया जाएगा। बेलौस, निस्पृह, निश्छल बच्चों ऐसी सरल, ज्ञान से भरपूर लेकिन अहंकार से दूर
तंत्र का जो रूप इसमें है वह काफी कुछ व्यवहारिक पक्ष है जो परिवार में, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक, उनके डेरे में गुरु से शिष्य तक और एक दुसरे के पास भी,
पर इसके साथ इसका एक सूक्ष्म पक्ष है पूरी तरह एकेडेमिक, आप में से बहुतो ने नाम सुना होगा शायद उनकी पुस्तकें पढ़ी भी होंगी,
जॉन वुड्रॉफ़ ( १८६५-१९३६), उन्नीसवीं शताब्दी में उन्होंने तंत्र से जुडी अनेक पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद किया और वैसे तो कलकत्ता हाईकोर्ट में जज थे बाद में चीफ जस्टिस बने और ऑक्सफोर्ड में लॉ पढ़ाते थे, लेकिन संस्कृत का उनका ज्ञान अद्भुत था। उन्होंने महा निर्वाण तन्त्रम का अंग्रेजी में अनुवाद किया और हम में से जो लोग संस्कृत नहीं समझते ( में एकदम नहीं जानती ) वो अंग्रेजी में इस पुस्तक को पढ़ सकते हैं जिसका मैं लिंक दे रही हूँ। उसी तरह देवी की स्तुतियां, जो तंत्र में हैं, पुराणों में हैं उसका भी उन्होंने अंग्रेजी में अनुवाद किया।
परम्परा में कितनी धाराएं कब कैसे मिलीं कहना मुश्किल है लेकिन तो आज हम टोने टोटके, जादू की बात करते हैं उसके बीज रूप अथरववेद में देखे जा सकते हैं। जैसे उत्तर में भक्ति काल में वैष्णव् परम्परा मजबूत हुयी उसी तरह पूरब में शाक्त परम्परा जिसका तंत्र पर बहुत असर पड़ा। और इसलिए लिए उड़ीसा, बंगाल और आसाम में यह अभी भी समृद्ध रूप में है। बुद्ध के अनुयायियों में वज्रयान परपंरा ने भी तंत्र को विकसित किया।
अंत में कुछ बातें कापालिक परंपरा के बारे में,
कापालिक एक तांत्रिक शैव सम्प्रदाय था जो अपुराणीय था। इन्होने भैरव तंत्र तथा कौल तंत्र की रचना की। कापालिक संप्रदाय पाशुपत या शैव संप्रदाय का वह अंग है जिसमें वामाचार अपने चरम रूप में पाया जाता है। कापालिक संप्रदाय के अंतर्गत नकुलीश या लकुशीश को पाशुपत मत का प्रवर्तक माना जाता है। लेकिन कापालिक मत में प्रचलित साधनाएँ बहुत कुछ वज्रयानी साधनाओं में गृहीत हैं। यह कहना कठिन है कि कापालिक संप्रदाय का उद्भव मूलत: व्रजयानी परंपराओं से हुआ अथवा शैव या नाथ संप्रदाय से। यक्ष-देव-परंपरा के देवताओं और साधनाओं का सीधा प्रभाव शैव और बौद्ध कापालिकों पर पड़ा क्योंकि तीनों में ही प्राय: कई देवता समान गुण, धर्म और स्वभाव के हैं। 'चर्याचर्यविनिश्चय' की टीका में एक श्लोक आया है जिसमें प्राणी को वज्रधर कहा गया है और जगत् की स्त्रियों को स्त्री-जन-साध्य होने के कारण यह साधना कापालिक कही गई।
बौद्ध संप्रदाय में सहजयान और वज्रयान में भी स्त्रीसाहचर्य की अनिवार्यता स्वीकार की गई है और बौद्ध साधक अपने को 'कपाली' कहते थे (चर्यापद ११, चर्या-गीत-कोश; बागची)। प्राचीन साहित्य (जैसे मालतीमाधव) में कपालकुंडला और अघारेघंट का उल्लेख आया है।
और इसी के साथ कौलाचार भी जुड़ा है। सौंदर्य लहरी के भाष्यकार लक्ष्मीधर ने 41वें श्लोक की व्याख्या में कौलों के दो अवान्तर भेदों का निर्देश किया है। उनके अनुसार पूर्वकौल श्री चक्र के भीतर स्थित योनि की पूजा करते हैं; उत्तरकौल सुंदरी तरुणी के प्रत्यक्ष योनि के पूजक हैं और अन्य मकारों का भी प्रत्यक्ष प्रयोग करते हैं। उत्तरकौलों के इन कुत्सापूर्ण अनुष्ठानों के कारण कौलाचार वामाचार के नाम से अभिहित होने लगा और जनसाधारण की विरक्ति तथा अवहेलना का भाजन बना। कौलाचार के इस उत्तरकालीन रूप पर तिब्बती तंत्र का भी असर पड़ा।
लेकिन यह सब बाते सिर्फ किताबी हैं, इन कहानियों के जरिये जो इन के लोक विशवास के और व्यवहारिक पक्षों से आप हमें परिचित करा रही हैं वह अद्भुत है।
Waah komal ji aapka gyaan bhi adbhud hai
Very Interesting updateUpdate 21/B
डॉ रुस्तम को आते आते बहोत देर हो गई. कोमल और बलबीर दोनों ही डॉ रुस्तम का एयरपोर्ट पर ही इंतजार कर रहे. कुछ शाम के 5 बजे कोमल के मोबाइल पर डॉ रुस्तम का फ़ोन आया.
कोमल : हेलो डॉ साहब आप कब पहोचोगे???
डॉ : फ्लाइट लैंड हो चुकी है. बस जल्दी ही. तुम इंट्रेस्ट पर आ जाओ. मै तुम्हे वही मिलूंगा.
कोमल और बलबीर दोनों एंट्रेंस तक पहुंचे. बस कुछ ही देर मे डॉ रुस्तम दिखाई दिये. उनके साथ पटनायक भी था. आते ही दोनों ने कोमल और बलवीर से हाथ मिलाया. पर डॉ रुस्तम बलबीर को देखते ही रहे गए.
डॉ रुस्तम : (स्माइल) वाह बलबीर मेने तो तुम्हे पहचाना ही नहीं. काफ़ी हैंडसम लग रहे हो.
डॉ रुस्तम ने सारा अरेंजमेंट पहले से ही करवा रखा था. उनको लेने के लिए एक मिनी बस पहले से ही खड़ी थी. वो चारो उस बस मे आराम से बैठ गए. और उनका एक नया ही सफर शुरू हो गया.
कोमल : डॉ साहब हम सिर्फ 4 ही. आप की बाकि टीम???
डॉ : मेरी टीम पहले ही पहोच चुकी है. वो पहले से ही सारा अरेंजमेंट कर के रखेंगे.
इस बार कोमल को इनफार्मेशन पटनायक देता है. सायद डॉ रुस्तम ने उसे पहले से कहे रखा हो.
पटनायक : हम जिस लोकेशन पर काम करने वाले है. वो इलाहबाद से कुछ 20 km दूर है. एक हिलोरी गांव मे आज से 5 साल पहले एक हादसा हुआ. जिसमे 35 बच्चे मर गए.
कोमल : क्या हुआ था???
पटनायक : स्कूल की छत गिर गई थी. मामला गंभीर था. स्कूल बंद हो गई. मगर एक साल बाद उस स्कूल को दोबारा से शुरू किया. सरकार ने बच्चों के माँ बाप को मुआवजा दिया. और स्कूल की नई छत भी डलवाई. फिर भी वो स्कूल कभी चालू नहीं हो पाई
कोमल : क्यों???
इस बार बिच मे डॉ रुस्तम आए.
डॉ : क्यों की वहां अजीबो गरीब घटना होने लगी.
ये सब मुजे उस स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया. वहां दिन मे ही पैरानॉर्मल एक्टिविटीज होने लगी. कभी स्कूल का फैन अचानक से गिर जाता. तो कभी चालू क्लास का डोर विंडो अचानक से धड धड बंद हो जाते. बच्चों का ही नहीं बड़ो का तक टॉयलेट जाना मुश्किल हो गया. स्टाफ रूम मे टीचर परेशान हो गए. उनके साथ भी कई घटनाए हो गई. लोगो ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना छोड़ दिया.
कोमल : ओहह तो मामला बहोत गंभीर है.
पटनायक : सिर्फ इतना ही नहीं. उस स्कूल के दोबारा बंद होने के बाद कुल 12 लोगो ने सुसाइड भी अटेंम किया.
कोमल ये सुनकर सॉक थी???
कोमल : तो क्या उन 12 को किसी एंटीटी ने मारा होगा???
डॉ : (स्माइल) वाह रे पटनायक कोमल तो अपनी भाषा बोलने लगी.
कोमल भी मुस्कुरा देती है. बलबीर उनकी बस बाते सुन रहा था.
डॉ : उन 12 का एक दूसरे से कोई वास्ता नहीं था. और तक़रीबन 7 से 8 लोग तो बहोत सुखी जीवन जी रहे थे. पर ये कैसे हुआ. ये तो वही जाकर पता चलेगा. हमें रुकने के लिए जगह भी बढ़िया मिल गई है.
कोमल : कहा??? होटल मे??
डॉ : नहीं एक आश्रम है.
कोमल : पर आश्रम मे क्यों???
डॉ : क्यों की वहां कोई होटल नहीं है. हा अगर इमरजेंसी में तुम्हे कही जाना पड़े तो ये बस तुम्हे ड्राप कर देगी.
कोमल को थोड़ी राहत हुई. क्यों की अगले दिन उसके 2 केस थे. साथ ही एक कंपनी के साथ मीटिंग भी थी. किसी प्रॉपर्टी पेपर्स की लीगल एडवाइस के लिए. वो लोग पहले सीधा उस लोकेशन पर ही पहोचे. स्कूल एक भूतिया खंडर जैसी ही लग रही थी. वो दो मंज़िला स्कूल थी. बहार स्कूल के भूतपूर्व प्रिंसिपल भी खड़े थे.
होरी लाल श्रीवास्तव : आई ये डॉ साहब.
कोमल उन सब को ध्यान से देख रही थी. डॉ रुस्तम और होरी लाल बाते कर रहे थे. पटनायक कोमल के पास आया.
पटनायक : हम अभी सिर्फ काम देखने आए है.
आज रात हमारी पहेली रिसर्च होंगी. पर ध्यान रहे. अंदर कोई भी इनविटेशन देने वाले वर्ड्स नहीं बोलना. जैसे चलो. कोई मेरे साथ चलेगा. और हा कोई बात या कुछ सुनाई दे तो उसपर कोई रिएशन मत देना. हमने कैमरा और एकम्युलेट सेट किये हुए है.
कोमल ने पहले बलबीर को देखा और फिर पटनायक की तरफ देख कर हा मे गर्दन हिलाई. डॉ रुस्तम ने पीछे मुड़कर कोमल पटनायक बलबीर सभी को देखा. और हाथो से अंदर चलने का हिशारा किया. अंदर जाते गेट से ही कोमल और बलवीर हार चीज देख रहे थे. सेटअप तैयार था. गेट से ही कैमरे लगे हुए थे. स्कूल के अंदर का माहोल कुछ अलग ही था. बहार हवा चल रही थी. गरम लू.
और स्कूल के अंदर एकदम ठंडक थी. एकदम चिल्ड मौसम. जब की लकड़ी की विंडो और डोर भी टूटे हुए थे. कइयों के तो थे ही नहीं. मगर फिर भी विंडो और डोर से कोई हवा ही नहीं आ रही थी. हेरत की बात ये थी की अंदर का वातावरण इतना ज्यादा ठंडा था की कोमल तो अपने बाजुओं को मसलने लगी.
कोई बदबू वगेरा कुछ भी नहीं. फिर भी अजीब सी घुटन हो रही थी. कोमल और बलबीर दोनों ने चारो तरफ देखा. कई चीजों को तो कोमल दुखते ही समझ गई की ये इक्विपमेंट्स किस काम आते हैं. पर बलबीर के लिए समाजना मुश्किल था. वहां सेंसरस कैमरा बहोत कुछ था. कई अचीवमेंट्स तो आर्मी भी इस्तेमाल करती थी. जैसे कोई स्पीड नापने वाला तो कोई फिकवंशी नापने वाला इक्विपमेंट.
ऐसी चीजों जो इंसान नरी आँखों से ना देख पाए पर वो अब उन इक्विपमेंट्स के जरिए कैमरा मे कैद हो जाए. उन सब ने मिलकर पूरा स्कूल देखा. पहले निचे वाली मंज़िल.
डॉ : ये वो क्लास रूम हे.
सभी समझ गए की ये वही क्लास रूम हे जहा छत गिरने से बच्चे दब के मर गए थे. कोमल आगे बढ़ी और उस रूम मे टहलते हुए सब कुछ देखने लगी. एक खंडर जैसा क्लास रूम जो सालो से बंद पड़ा हुआ था. देखने मे तो कुछ भी अजीब नहीं लग रहा था. पर बार बार कोमल को ऐसा महसूस हुआ की उसके पीछे कोई है.
सभी उस क्लास रूम से बहार निकल गए. उसके बाद उपरी मंज़िल पर भी गए. लेजिन ऊपरी मंज़िल पर कुछ भी ऐसा किसी को महसूस नहीं हुआ. जब की सारे सुसाइड अटेम्प्ट वही ऊपर से ही हुए थे. सारी टीम डॉ रुस्तम के पीछे पीछे बहार आ गई.
डॉ : किसो को कुछ महसूस हुआ????
पटनायक : ना कुछ नहीं.
डॉ ने बलबीर की तरफ देखा. उसने ना मे सर हिलाया. फिर उसने कोमल की तरफ देखा.
कोमल : मुजे ऐसा तो कुछ नहीं लगा. पर उस क्लास रूम मे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई पीछे खड़ा है
डॉ रुस्तम ने जेब से एक रेडियो सेट निकला.
डॉ : डॉ टू नवीन रिपोर्ट ओवर.
रेडियो सेट पर रिप्लाई मिला.
नवीन : ओके रोजर.
डॉ : क्या कुछ नोटे हुआ क्या???
नवीन : अभी तक कुछ भी नहीं. नो एनी फ्रीक्वेंसी.
डॉ ने कोमल और बाकि सभी को बस की तरफ चलने का हिशारा किया. सारे बस मे बैठ गए. वो बस ही उनके आराम करने के लिए बेस्ट थी. इस बार और भी कुछ डॉ रुस्तम के टीम मेम्बर्स थे. डॉ रुस्तम, पटनायक, कोमल बलबीर के आलावा और 7 लोग. वो सारे male ही थे.
डॉ : हम तक़रीबन एक एक घंटा स्कूल मे अकेले बिताने वाले है. और फील करना चाहते है की क्या फील होता है.
पटनायक : पर जो वालंटियर हो उसी को.
कोमल : क्या मुजे मौका मिलेगा.
डॉ : तुम ये कर सकती हो पर इस बार रहने दो. वैसे भी तुम हमारे साथ 1st टाइम आई हो.
पटनायक : 11 बजे से स्टार्ट करेंगे. 3 बजे तक.
डॉ : 11 बजे नवीन को भेज देंगे. फिर उसे कैमरा भी संभालना है.
पटनायक : 12 बजे मै चले जाता हु.
डॉ : एक बजे सतीश तुम.
सतीश : ओके.
कोमल तुरंत बोल पड़ी.
कोमल : तो फिर मै भी जाउंगी.
डॉ : ये तुम्हारा 1st टाइम है. प्लीज तुम देखो. एक्सपीरियंस लो.
कोमल : मेने लाइफ टाइम खुद खुदके ही एक्सपीरियंस की है. मै उसके बाद जाउंगी.
डॉ पटनायक का मुँह देखने लगा.
पटनायक : 12 सुसाइड एटम हो चुके है वहां. और इसे अभी इस रिसर्च का कोई आईडिया नहीं है.
कोमल : एक बार मौका तो दो. कई दिन मै खुद भूतों के बिच काट चुकी हु.
सभी हस पड़े. पर कोमल के वॉलिंटियर होने से बलवीर को डर लगने लगा.
डॉ : (स्माइल) पता नहीं पर मुजे कोमल पर भरोसा हो रहा है. वो आसानी से कर लेगी.
बलबीर : फिर मै भी करूँगा.
डॉ : नहीं तुम नहीं. या तो तुम या कोमल. अब आपस मे डिसाइड कर लो तुम.
कोमल ने बलबीर का हाथ पकड़ा.
कोमल : (धीमी आवाज) प्लीज बलबीर... तुम नहीं प्लीज.
बलबीर मान गया. कोमल ने घूम कर डॉ रुस्तत्म की तरफ देखा. और हा मे हिशारा किया.
डॉ : एक से दो कोमल जाएगी. और दो बजे मै जाऊंगा. Thats it.
सभी एक दूसरे को देखने लगे. डॉ ने सब से कोमल और बलबीर का इंट्रोडक्शन करवाया.
डॉ : आप लोग यही बस मे ही कुछ देर आराम कर लो. फिर हम अपना काम शुरू करेंगे.
डॉ रुस्तम बस से उतर गए. कुछ तो शीट पर ही लम्बे हो गए. कोमल बलबीर की गोद मे अपना सर रख कर लेट गई. कोमल को हलकी सी ज़बकी भी आई. उसकी नींद रात 9 बजे खुली. बलबीर भी बैठे बैठे ही सो गया था.
कोमल : बलबीर बलबीर उठो.
उन दोनों ने एक गलती ये की की पूरा दिन रेस्ट नहीं किया. अब उन्हें रात जगनी थी. बलबीर उठा. बस मे सिर्फ वो दोनों ही थे. वो दोनों बहार आए. डॉ रुस्तम और उनकी टीम के सब के पास टोर्च लाइट थी. उनके पास नाईटविजन एक्यूमैंट्स भी थे. टोर्च लिए डॉ रुस्तम कोमल और बलबीर के पास आए.
डॉ : ये लो टोर्च हमारे पास सिर्फ एक ही एक्स्ट्रा है.
कोमल ने टोर्च ले ली.
डॉ : आओ मेरे पास वहां.
कोमल और बलबीर स्कूल की दीवार से सटे एक वान के पास गए. वो एक मोबाइल वान थी. जिसमे छोटी छोटी कुछ स्क्रीन और कुछ रिसीवर लगे हुए थे. ये सारा डॉ रुस्तम की टीम का सेटअप था.
डॉ : हमारे पास टाइम है. अभी कुछ डेढ़ घंटा है हमारे पास.
डॉ ने कोमल की तरफ देखा.
डॉ : कोमल तुम पटनायक के साथ यही मोबाइल मे बैठो.
डॉ रुस्तम वहां से थोडा साइड मे खड़े बाते करने लगे. कोमल पटनायक के साथ बैठ गई. पटनायक सभी स्क्रीन और बाकि जानकारिया देने लगा. नेवीगेशन, फ्रीक्वेंसी वगेरा वगेरा. और तब टाइम हो गया.
डॉ : दोस्तों यहाँ क्लोज हो जाओ सारे.
टेक्निकल काम कर रहे लोगो के सिवा सारे डॉ रुस्तम के पास चले गए.
डॉ : दोस्तों टाइम हो गया है. कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए. पहले पटनायक जाएगा. ये सभी जो अंदर जाने वाले है. वो खास ध्यान दे.
ऊपर कोई भी बुरे ख्याल आता है. डर लगता है. तो सीधा बहार आ जाए. और हमारी नजर के सामने वहां उस विंडो पर ही खड़े खड़े वक्त बिताना है. जैसे ही आप को रेडिओ सेट पर वापस लौटने का मैसेज मिले तुरंत वापस आ जाए. ऊपर कुछ दिखे तो कोई बात नहीं करेगा. कोई जवाब नहीं देगा.
डॉ रुस्तम की स्पीच ही डरवानी थी. ऊपर क्या होगा. कोमल यही सोच रही थी.
Update 22
चांदनी रात थी. स्कूल के बहार वैसे तो सब दिखाई तो दे रहा था. पर स्पस्ट नहीं. गांव के बहार की स्कूल थी. जिसके बाद खेत शुरू हो जाते थे. डॉ रुस्तम की टीम के आलावा कोई भी इंसान वहां नहीं था. पूरा सन्नाटा छाया हुआ था.
रात मे टिटहरी की आवाज भी सुनाई दे रही थी. और कल कल आवाज करने वाले किडो की भी आवाज आ रही थी. पटनायक जाने को तैयार हो गया. वो दो मंज़िला स्कूल थी. कोमल और डॉ रुस्तम वान मे बैठ गए. स्क्रीन सारी ब्लॉक एंड वाइट ही थी. स्क्रीन मे ऊपर जहा खड़ा रहकर वक्त गुजरना है.
वो जगह साफ दिखाई दे रही थी. कैमरे के आगे घूमता मच्छर जो बड़े दाने जितना दिख रहा था. वो तक साफ नजर आ रहा था. तभि स्क्रीन मे पटनायक दिखाई दिया.
वो आकर चारो तरफ देखने लगा. वहां बैठने के लिए एक चेयर भी रखी गई थी. पर पटनायक आकर वहां खड़ा हुआ. वो बैठा बिलकुल नहीं. वो खड़ा खड़ा हर तरफ देखने लगा. डॉ रुस्तम ने रेडिओ सेट उठाया.
डॉ : पटनायक टू डॉक्टर रिपोर्ट ओवर.
स्क्रीन पर साफ दिखाई दे रहा था की पटनायक के हाथ मे जो रेडिओ सेट था उसकी छोटी सी लाइट जली. पटनायक सेट को अपने फेस के पास ले गया.
पटनायक : पटनायक ओके ओवर.
डॉ : क्या सब ओके है??
पटनायक : आल ओके ओवर.
डॉ : कुछ फील हो तो बता देना. तू पुराना है यार. तू कर लेगा.
वहां डॉ रुस्तम और स्क्रीन पर पटनायक दोनों ही मुस्कुरा रहे थे. कोमल भी पटनायक को आसानी से देख रही थी. धीरे धीरे वक्त बीतने लगा. 10 मिनट हुई.
कोमल : हम ऐसे एक इंसान को वहां मतलब क्यों???
डॉ : हम जान ना चाह रहे है की वहां इतने लोगो ने सुसाइड क्यों अटेंम किया.
कोमल : पर अगर हमारे किसी इंसान ने ऐसा किया तो???
डॉ : हम हमेशा बैकअप रेडी ही रखते है.
डॉ और कोमल को बाते करते 10 ही मिनट हुई थी. बाते करते दोनों देख तो स्क्रीन पर ही रहे थे. तभि पटनायक मे बदलाव आना शुरू हुए. उसके फेस के एक्सप्रेशन चेंज होने लगे.
डॉ : तुम्हे कुछ चेंज दिखा???
कोमल : हा जब पटनायक गए थे तब उनके फेस पर एक्साइटमेंट थी. अब ऐसा लग रहा है. जैसे वो थोडा सेड है.
डॉ : गुड. तुम राइट हो.
कोमल : पर ऐसा क्या हो रहा है. क्या वो नहीं करना चाहते थे??? उन्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं हे ना???
डॉ : सायद प्रॉब्लम बाद मे होंगी. मै बाद मे बताऊंगा. बस नोटे करते रहो.
और 10 मिनट गुजर गए. तभि पटनायक मे और ज्यादा बदलाव हुआ. धीरे धीरे पटनायक रोने लगे.
कोमल : (एक्साइ सॉक) सर सर वो तो रो रहे है.
डॉ : हा हा रुको. बस देखो.
तभि एकदम से पटनायक खड़ा हो गया. और उस तरफ जाने लगा. जहा से कूद कर 12 लोगो ने सुसाइड एटम किया था. डॉ और कोमल दोनों ही सॉक हो गए. डॉ ने तुरंत ही रेडिओ सेट उठाया.
डॉ : डॉ तो पटनायक रिपोर्ट ओवर.
पटनायक रुक गया. पर उसने सेट नहीं छुआ. वो बहोत दुखी ही दिखाई दे रहा था. वो कुछ बाड बड़ा रहा था. पर रेडिओ सेट प्रेस ना करने के कारण वो क्या बोल रहा है वो पता नहीं चल रहा था.
डॉ : पटनायक पटनायक प्लीज मेरी बात सुनो वापस आ जाओ. प्लीज पटनायक तुम स्ट्रांग हो. प्लीज वापस आ जाओ.
पटनायक वापस पीछे हुआ. और वापस आने वाले रास्ते से निचे आ गया. कोमल और डॉ दोनों ने हेडफोन पहेन रखे थे. वो तुरंत अपना हेडफोन उतार कर पटनायक के पास पहोचे. वो निचे आकर भी रो ही रहा था. पर जब डॉ और कोमल दोनों उसके पास पहोचे वो रोते हुए भी मुश्कुराने लगा.
पटनायक : (रोते हुए स्माइल) सॉरी डॉक्टर. मे पूरा घंटा नहीं रुक पाया. सायद अभी प्रेक्टिस करनी पड़ेगी.
कोमल को कुछ समझ नहीं आया. वो तीनो वापस वान तक आए. कोमल ने अपनी और डॉ ने अपनी जगह ले ली. पटनायक भी थोडा उन दोनों के पीछे खिसक कर बैठा. क्यों की वान छोटी थी. तभि रेडिओ सेट पर डॉ के लिए call आया.
नवीन तो डॉक्टर रिपोर्ट ओवर.
डॉ : डॉक्टर ओके.
नवीन : क्या सतीश को भेजू क्या??? ओवर.
डॉ : नो.. वो अपने टाइम पे ही जाएगा. तुम बैटरी की सिचुएशन बताओ ओवर.
नवीन : बैकअप तो बढ़िया है ओवर.
डॉ : मतलब अभी तक नो एनी फ्रीक्वेंसी.
नवीन : राइट डॉक्टर ओवर.
डॉ : ओके रोजर.
कोमल को अब तक कुछ समझ नहीं आ रहा था की यहाँ हुआ क्या.
डॉ : (स्माइल) साला पटनायक मुजे विश्वास नहीं हो रहा है. तू साला 47 मिनट निकल लिया. पर तू चल क्यों पड़ा???
पटनायक : (स्माइल) मै मराठा हु डॉक्टर. जाता भी तो कूदता नहीं.
डॉ : (स्माइल) रहने दे रहने दे. ये मराठा कूद ही जाता.
पटनायक : (भड़कना) अरे तुम्हारा बात सुना ना. भुरोसा करने का मुझपर.
डॉ : चल ठीक है.
डॉ ने फिर सेट उठाया.
डॉ : डॉक्टर तो नवीन रिपोर्ट ओवर.
नवीन : नवीन ओके ओवर.
डॉ : सतीश को भेजो ओवर.
अब सतीश की जाने की बारी थी. कोमल कुछ नहीं बोली. पर सवाल उसके मन मे बहोत थे. वो अपने आप को रोक नहीं पाई.
कोमल : सर मुजे प्लीज बताओगे की हुआ क्या???
डॉ : ससससस...
कोमलने देखा सतीश जो की 30,35 साल का मर्द था. वो स्क्रीन पर आ चूका था. डॉ उसपर नजर बनाए हुए थे. पटनायक थोडा अपना फेस कोमल के फेस के करीब ले गया. कोमल ने अपने हेडफोन उतार दिये.
पटनायक : ध्यान से सतीश के फेस को देखो.
कोमल ने फिर सतीश के फेस को देखा. उसे सिर्फ 10 ही मिनट हुए थे. और चेंज आना शुरू हो गया. वो हसने लगा. फिर रोने लगा. फिर रोते हुए हसने लगा. उसके अंशू गिर रहे थे. अचानक उसका रोना और ज्यादा हो गया. उसकी आवाज तो नहीं आ रही थी. मगर देखने से पता चल रहा था. सतीश ऐसे जोरो से रो रहा था.
जैसे कोई मर गया हो. पूरा मुँह खोले सायद उसकी शास अटक रही हो. उसके मुँह से लार भी तपने लगी.
कोमल : (सॉक) इसे हो क्या गया???
पटनायक : इसे अपना अतीत याद आ रहा है. ये अपनी लाइफ के कोई बुरे हादसे को याद कर रहा है.
सतीश कुछ बाड बड़ा भी रहा था. तभि वो खड़े हो गया. डॉ रुस्तम ने तुरंत ही रेडिओ सेट हाथ मे लिया.
डॉ : फ़ास्ट फ़ास्ट बैकअप... कोई जल्दी जाओ. वो पक्का कूदेगा.
कोमल ये सब देख कर सॉक थी. उसने स्क्रीन पर ही देखा. सतीश उस जगह पहोच गया था. जहा से कूद कर पहले 12 लोगो ने आत्महत्या की थी. डॉ रुस्तम की टीम के कुछ बन्दे तेज़ी से जाकर उसे रोक देते है. और उसे सारे पकड़ कर निचे लाने लगे. पर सतीश उनसे छूटने की कोसिस कर रहा था. वो लोग सतीश को निचे ले आए थे. डॉ रुस्तम तुरंत खड़ा होकर सतीश तक पहोच गया.
कोमल भी उसके पीछे पीछे चली गई. कोमल ने अपनी आँखों से सतीश की हालत देखि. वो बहार आने के बाद भी रो रहा था.
सतीश : (रोते हुए) मुजे नहीं जीना. मेरी अनीता मुजे छोड़ कर चली गई. मुजे मर जाने दो.
डॉ : शांत हो जाओ सतीश शांत हो जाओ. कुछ नहीं हुआ. तुम बिलकुल ठीक हो.
कुछ पल बाद सतीश शांत हो गया. टीम ने उसे पानी पिलाया. डॉ रुस्तम ने जो कोमल को बताया वो सुनकर कोमल भी हैरान रहे गई.
डॉ : 4 साल पहले इसकी बीवी ने इसे तालाख दे दिया. और किसी और से सादी कर ली. इसे वही पल याद आया. आओ चलो उसे मेरी टीम संभाल लेगी.
वो दिनों वापिस वान की तरफ जाने लगे.
डॉ : तुम्हे समझ आ गया की वहां जाते तुम्हे तुम्हारा दुख सूख याद आएगा. वहां की एनर्जी तुम्हे उकसाएगी. तुम्हे एहसास दिलाएगी की अब तुम्हारे जीवन मे कुछ नहीं बचा. तुम्हे मर जाना चाहिये. मतलब तुम्हे सुसाइड करने का मन होने लगेगा.
वो दोनों वान तक पहोच गए थे. कोमल की जगह पटनायक ने ले ली थी.
कोमल : एक मिनट तुमने एनर्जी कहां. क्या वहां कोई एनटीटी नहीं है??
डॉ : अभी तक तो कोई एनटीटी नजर नहीं आई. कोई फ्रीक्वेंसी तो नहीं मिली. फिर हम यह नहीं मान सकते कि वह सब एंटी नहीं करवाया है. या करवा रही है. यह गलत वास्तु भी हो सकता है. जमीन की खुद की भी अपनी एनर्जी होती है.
कोमल सोच में पड़ गई. अगली बारी उसकी खुद की थी. डॉ रुस्तम ने घड़ी देखि.
डॉ : कोमल सतीश तो पुरे 15 मिनट भी नहीं रुक पाया. याद रहे. जब ऐसी सिचुएशन आती है तब तुम्हे उसे याद करना है जिसे तुम सब से ज्यादा प्यार करती हो. उस नेगेटिव एनर्जी को अपने ऊपर हावी मत होने दो.
कोमल हामी भर्ती है. बलबीर भी जानता था की अब बारी कोमल की है. वो भी वहां आ गया. कोमल और बलबीर दोनों की नजरें भी मिली.
बलबीर : कोमल...
कोमल बस बलबीर का हाथ पकड़े हुए निचे देखने लगी.
डॉ : अगर तुम ना जाना चाहो तो मै किसी और को भेज दू.
कोमल : नहीं नहीं. मै कर लुंगी.
डॉ : गुड. वन, टू, थ्री. अब जओ.
कोमल ने उस स्कूल की तरफ देखा. फिर वो बलबीर को देखती है. और अंदर जाने लगी. इस बार कोमल की जगह बलबीर ने ले ली. हलाकि उसने हैडफोन नहीं लगाए. पटनायक और डॉ रुस्तम स्क्रीन पर हैडफोन लगाए बैठे थे. और बलबीर उनके पीछे.
वो भी स्क्रीन को देख रहा था. उन्होंने देखा कोमल स्क्रीन मे दिखने लगी थी. वो वहां पहोच कर दए बाए देख रही थी. वही कोमल जब ऊपर पहोची तो उसे वही ब्लैक एंड वाइट चीजे अब रियल मे दिख रही थी.
कोमल को वो जगह भी दिख गई. जहा से लोगो ने सुसाइड एटम करने की कोसिस की थी. मगर कोमल ने वहां से तुरंत नजरें हटा ली. वो उस चेयर पर बैठ गई. और सोचने लगी. उसे 10 मिनट हो गए. पर कोई ख्याल नहीं आया. दरसल कोमल खुद भी ये जान ना चाहती थी की उसके जीवन मे कोनसा ऐसा दुख है जो सबसे ज्यादा है.
15 मिनट हो गई. पर कोमल को कोई ख्याल नहीं आया. तभि कोमल खुद ही सोचने लगी. वो खुद अपनी लाइफ को रिमाइन करने की कोसिस करने लगी. उसे सबसे पहले पलकेश याद आया.
पर उस से कोमल को कोई फर्क नहीं लगा. फिर उसे याद आया की उसने बलबीर के साथ सेक्स किया था. वो भी पलकेश को डाइवोर्स लेने से पहले. कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. उसका उसे कोई रिग्रेट नहीं था. फिर उसे याद आया कैसे उसने बलबीर के प्यार को धोए बिना पलकेश से वो चाटवा दिया. कोमल को हसीं ही आ गई. पर फिर उसे वो याद आया जब उसे पलकेश के शूट से किसी दूसरी लेडिस के परफ्यूम की खुशबू आई थी.
कोमल को गुस्सा आया. और उसने अपने दांत भींच दिये. वो पलकेश को गली भी देने लगी.
कोमल : ससस साला कुत्ता. पूरी जिंदगी चीटिंग की. और फिर मुझसे उम्मीद करेगा. भाड़ मे जा तू साले.
कोमल की ये सारी हरकते बलबीर भी देख रहा था. वहां कोमल ने अपनी आंखे बंद की. और उसे कॉलेज के लड़के याद आए. वो कैसे उन्हें चुतिया बनती. राइट टाइम पर बोल देती. मै तो तुम्हे अपना सबसे बेस्ट फ्रेंड समज़ती थी. तुम मेरे बारे मे ऐसा सोचते हो. शीट. कोमल का काटा हुआ बकरा जब तक पूरा हलाल नहीं हुआ तब तक कोमल से नहीं बच्चा. उनको याद करके तो कोमल खिल खिलाकर हसने लगी. और हस्ते हुए ताली भी बजा देती.
कोमल : (हसना) चूतिये साले.
कोमल इन सब को याद करते हुए गिनती करने लगी. पर उसे उसका पहला प्यार भी याद आया. सच्चा प्यार तो किया. पर उसे भूल गई. हलाकि कोमल की नजरों मे वो भी डंप करना ही था. इस लिए कोमल की आँखों से अंशू आ गए. वो बच्चों जैसा बिहेव करने लगी.
कोमल : ओओओ सॉरी बलबीर. मै बहोत बुरी हु ना. सॉरी..... अब मै तुम्हे कभी हर्ट नहीं करुँगी. I love you बलबीर.
प्यार का इज़हार करते कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. कोमल खुद से इन्वॉल्व होती उस एनर्जी की चपेट में आ गई थी. पर अब तक उसकी लाइफ मे ऐसा कुछ भी उसे नहीं लगा. जिसके लिए वो सुसाइड एटम करें. पर फिर उसे याद आया की अहमदाबाद के बहार की तरफ एक छोटा प्लाट उसने बिकवाया था.
जिस बेचारे की वो जमीन थी. वो बेचारा गरीब था. और कोमल ने उसके हाथ से जमीन खिंच ली. जब कोमल जिस से डील की उस बिजनेसमैन के साथ वहां पहोची तब वो किसान हाथ जोड़ के रो रहा था. पर कोमल को कोई फर्क नहीं पड़ा. कोमल अंदर से गिल्टी फील करने लगी. उसे रोना आने लगा. उसका दिल बोलने लगा कि.
कैसी है तू. एक गरीब की जमीन छीन ली. तुझे तो मर जाना चाहिए. चल खड़ी हो कूद जाए यहां से. तू जीने के लायक ही नहीं है.
कोमल के मन मे ख्याल आया. और वो खड़ी हो गई. पर कमल 55 मिनट सरवाइव कर चुकी थी. वो चल कर सुसाइड वाली जगह की तरफ जाने लगी. उसके हाथो मे जो रेडियो सेट था. उसमे से डॉ रुस्तम की आवाज आने लगी.
डॉ : कोमल रुको प्लीज. तुम मुझे सुन सकती हो. कोमल रुको प्लीज रुको.
पर कोमल नहीं रुक रही थी. वो चलती ही जा रही थी. वहां जब डॉ रुस्तम की बात कमल ने नहीं सुनी तो बालवीर ने डॉ रुस्तम के हाथ से रेडियो सेट छीन लिया.
बलबीर : कोमल रुक जाओ प्लीज रुक जाओ मेरे खाते रुक जाओ
बालवीर की आवाज सुनकर अचानक से कोमल रुक गई. वह एकदम घबरा गई. उसे एहसास हो गया कि वह कहां जा रही थी. क्यों जा रही थी. कोमल ने भी सेट पर रिप्लाई किया
कोमल : हां बालवीर में सुन रही हूं ओवर
बालवीर : वापी सजाओ कोमल
डॉ रुस्तम ने बालवीर के हाथ से रेडियो सेट ले लिया
डॉ : गुड जॉब कोमल वापस आ जाओ.
कोमल : मैं कितना टाइम सरवाइव किया.
कोमल को डॉक्टर रुस्तम की खुशी वाली आवाज सुनाई दी.
डॉ : 5 मिनिट्स एक्स्ट्रा कोमल ग्रेट जॉब
कोमल के फेस पर हसीं छा गई. और वो वहां से निचे की तरफ आने लगी. पर स्कूल के अंदर की सीढ़ियां उतरते कोमल को कुछ दिखाई दिया. 15-7 साल का बच्चा उसे खड़ा हुआ दिखाई दिया. जिसने स्कूल यूनिफार्म पहन रखी थी. कोमल भी वही खड़ी हो गई और उसे देखने लगी. वह बच्चा भी उसे ही देख रहा था वह लड़का था. तभी वह लड़का वापस अंदर भाग गया. कोमल भी उसके पीछे जाने लगी. रेडियो सेट पर डॉक्टर की फिर आवाज आने लगी.
डॉ : कोमल नहीं कोमल नहीं वापस आओ ओवर.
वह बच्चा एक खंडहर जैसे क्लास रूम में घुस गया था. कोमल भी उसके पीछे गई. वह भी क्लास रूम में घुस गई. पर क्लास रूम में उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. कोमल 1 मिनट खड़ी रही. उसके रेडियो सेट पर लगातार डॉक्टर रुस्तम बोल रहे थे. कोमल को एहसास हुआ वापस पीछे मुड़ गई. वह स्कूल के बाहर आ जाती है.
जब कोमल को वो छोटा लड़का दिखा. उस वक्त कैमरामैन नवीन की स्क्रीन भी blink हुई थी. उसे स्क्रीन पर बस एक ब्लू पिंक पट्टी सी नजर आई. ठीक वैसी ही स्क्रीन डॉ रुस्तम और पटनायक के सामने भी हुई. डॉ रुस्तम ने तुरंत नवीन को कॉल किया.
डॉ : डॉक्टर तो नवीन रिपोर्ट ओवर.
नवीन : नवीन ओके ओवर
डॉ : कुछ नोट हुआ क्या हुआ क्या? ओवर.
नवीन : सरवाइवर स्पीड कैच हुई है. ओवर.
डॉ : ओके नॉटेड ओवर.
जब स्क्रीन पर कोमल को वापिस आते देखा तो डॉ रुस्तम के फेस पर स्माइल आ गई. वो समझ गया की इस फिल्ड मे कोमल के रूप मे उसे रुपए का मिल गया है. पटनायक और डॉ रुस्तम की जगह किसी और ने ले ली. और वो दोनों कोमल के पास पहोचे. उसे बधाई दीं. उसके बाद डॉ रुस्तम की बारी थी. डॉ रुस्तम मजा हुआ खिलाडी था. उसने अपना टाइम पूरा किया और खुद ही वापिस आ गया. उसने आते ही सब क्लोज करने का आर्डर दिया.
डॉ : ओके गाइस बैकअप.
कोमल डॉ रुस्तम के पास आई. बलबीर भी उसके साथ था.
कोमल : डॉक्टर साहब कल 10:00 की मेरी फ्लाइट है अहमदाबाद के लिए.
डॉ : क्या तुम आगे नहीं करना चाहती????
कोमल : नहीं करना तो चाहती हु. कल मेरे केस की डेट है. तो शाम को मे वापिस आ जाउंगी.
डॉ : ठीक है. हम तुम्हे छोड़ देंगे एयरपोर्ट तक. पर देख लो. कल और परसो तक हम उन बच्चों की एंटीटी से कॉन्टेक्ट करने की कोसिस करने वाले है. अगर आ सको तो???
कोमल : नहीं सर में जरूर आऊंगी. मुजे आगे बढ़ना है.
डॉ रुस्तम ने स्माइल की.
कोमल : पर सर मे आपको कुछ बताना चाहती हु.
डॉ : हा बोलो??? कुछ देखा क्या???
कोमल : सर मेने एक छोटे बच्चे को देखा. उसने स्कूल यूनिफार्म पहनी हुई थी. और वो भाग कर किसी रूम मे चले गया. पर मै वहां गई तो मुजे कुछ नहीं दिखा.
डॉ रुस्तम समझ गए की उसी वक्त उनकी स्क्रीन blink हुई थी.
डॉ : हम इस बारे मे बादमे बात करेंगे. तुम्हे सुबह जाना है. तुम आराम कर लो.
कोमल बलबीर और सारी टीम बैकअप करके आश्रम में आ गए.
हमारे रिव्यू के बारे में आपका क्या ख्याल है देवी जीआप का जितना धन्यवाद करू कम है कोमलजी. आप का रिव्यू एक अलग ही ऊर्जा का एहसास देता है. जब आप सराहना करती हो तो लिखने का जोश बढ़ जाता है. बहोत बहोत धन्यवाद कोमलजी.
Koi bhi NTT direct attack nahin karti. Koi bhi energy ka Arth se attachment nahin hota. Inhen arthing hamari body se milta hai. Isliye unhen hamari body mein aane ki jarurat hoti hai. Unhen body chahie hoti hai. To jese filmo me dikhate hai. Vese bhut nahi hote.हमारे रिव्यू के बारे में आपका क्या ख्याल है देवी जी
समझ गया देवी जीKoi bhi NTT direct attack nahin karti. Koi bhi energy ka Arth se attachment nahin hota. Inhen arthing hamari body se milta hai. Isliye unhen hamari body mein aane ki jarurat hoti hai. Unhen body chahie hoti hai. To jese filmo me dikhate hai. Vese bhut nahi hote.