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इक्यावनवाँ भाग
खुशबू के घर से आने के बाद अभिषेक मोटर साईकिल से उतरकर कमरे में चला गया और बिस्तर पर बैठकर फूट फूट कर रोने लगा। मैं भी गाड़ी खड़ी करने के बाद कमरे में चला गया और अभिषेक के पास बैठ गया। अभिषेक मेरे गले लग गया और रोने लगा। मैंने भी उसके कुछ देर रोने के लिए छोड़ दिया। जब थोड़ी देर बाद वो कुछ शांत हुआ तब मैंने अभिषेक से कहा।
मैं- अभिषेक जो भी हो रहा है वो बिलकुल भी अच्छा नहीं हो रहा है। लेकिन वो खुशबू के माँ बाप हैं। हमसे ज्यादा उन्हें खुशबू की चिंता है। इसलिए तू शांत हो जा भाई।
अभिषेक- (हिचिकते हुए) ऐसा क्यों हुआ मेरे साथ। एक ने प्यार किया तो धोखा दे दिया और एक ने प्यार किया तो वो मुझको मिल कर भी नहीं मिल रही है।
मैं- देख भाई ऐसे रोने से कुछ नहीं होता। तुम लोग ही तो मुझे समझाते थे कि जो किस्मत में लिखा होता हो हमको वही चीज मिलती है। शायद खुशबू तेरी किस्मत में नहीं लिखी भाई। तुम सब ही बोलते थे मुझे कि हर प्यार करने वाले को मंजिल नहीं मिलती। तो यही समझ ले भाई कि तेरी मंजिल खुशबू नहीं कोई और है।
अभिषेक- लेकिन मैं उसे कितना प्यार करता हूँ तू तो जानता है न।
मैं- लेकिन उसके माँ बाप से ज्यादा प्यार तो नहीं करता न तू उसे। अगर तुझे उससे शादी करनी है तो वो तो तेरे साथ भागने के लिए भी तैयार है। लेकिन क्या तू उसे भगा कर शादी करना चाहेगा।
अभिषेक- मैं उसके माँ बाप की बददुआ लेकर और उनके अरमानों का गला घोंटकर अपने प्यार को नहीं पाना चाहता।
मैं- तो फिर यही समझ ले कि तेरी किस्मत में खुशबू का साथ यहीं तक लिखा था। तू रुक मैं उन दोनों को बुलाता हूँ।
अभिषेक- रहने दो भाई। वो दोनों भी यही सोचेंगी को हम दोनों कितने पनौती दोस्त हैं उनके। हमेशा हम दोनों की गाड़ लाल हुई पड़ी रहती है।
अभिषेक ने ये बात सिसकते हुए भी मुस्कुराते हुए कही थी। मैंने अभिषेक की बात सुनकर पल्लवी के पास फोन लगा दिया। उस समय पल्लवी और रेशमा साथ में ही थी। मैंने उन दोनों को सब बताया तो वो कुछ देर बाद कमरे पर आ गई। उन्होंने आते ही अभिषेक को समझाना शुरू कर दिया।
रेशमा- देखो अभिषेक उसके पापा की पूरी बात सुनने के बाद मुझे लगता है कि वो खुशबू से तुम्हारी शादी नहीं करेंगे अगर ऐसा होता तो वो खुशबू को समझाने के लिए तुमसे नहीं कहते। अब तुम्हारे पास दो ही रास्ते हैं या तो तुम खुशबू के साथ भागकर शादी करो या फिर खुशबू को समझाओ।
पल्लवी- हाँ अभिषेक, रेशमा सही कह रही है।
अभिषेक- तुम लोगों को क्या लगता है कि मुझे क्या करना चाहिए।
पल्लवी- देखो अभिषेक मैं जो कहने जा रही हूँ तुम उसका बुरा मत मानना। मेरे हिसाब से खुशबू को भगा कर शादी करना उचित नहीं है। खुशबू भले ही भागने की बात कर रही है, लेकिन उसपर अभी इश्क का भूत सवार है। लेकिन जब इश्क का भूत उसके सिर से उतरेगा तो उसे भी अपने फैसले पर पछताना पड़ेगा। और एक माँ बाप कभी भी अपने बच्चों के लिए गलत फैसला नहीं लेते। उन्होंने हमसे ज्यादा दुनिया देखी है।
रेशमा- पल्लवी सही कह रही है अभिषेक। उसका छोड़ों। जितना तुम्हारे घरवालों को जानती हूँ उसके हिसाब से तो तुम्हारे घरवाले खुद नहीं चाहेंगे कि तुम किसी की बेटी को भगाकर उससे शादी करो। और वैसे भी जो शादी माँ बाप की मरजी के बगेर की जाए वो शादी शादी नहीं होती दोस्त।
मैं रेशमा और पल्लवी की बात सुन रहा था। उनकी बात खत्म होने के बाद अभिषेक ने मेरी तरफ देखा। तो मैं उसकी तरफ देखने लगा। थोड़ी देर मुझे देखने के बाद अभिषेक ने कहा।
अभिषेक- प्रभु। आप भी अपने ज्ञान से मेरे मार्गदर्शन कीजिए।
मैं- अबे यहाँ मेरे खुद के लौंड़े लगे हुए हैं। मेरा ज्ञान इस समय मेरी ही ले रहा है। सारे मार्ग बंद हो चुके हैं। मैं तेरा मार्गदर्शन क्या करूँगा। रेशमा और पल्लवी जो कह रही हैं मुझे भी वही सही लग रहा है।
अभी हम बात कर ही रहे थे कि खुशबू का फोन मेरे मोबाइल पर आया। मैंने सभी को शांत रहने के लिए कहा और फोन उठाया।
मैं-हाँ खुशबू बोलो क्या हुआ।
खुशबू- तुम लोग आए थे तो क्या बात हुई पापा से। पापा मान गए हैं न शादी के लिए। और अभिषेक कहाँ है उसका फोन क्यों बंद आ रहा है।
मैं- वो क्या है न तुम्हारे घर का पानी पीकर अभिषेक का पेट खराब हो गया है तो वो इस समय गुसलखाने में है। उसको मोबाइल की बैंटरी खत्म हो गई है तो उसका मोबाइल बंद हो गया है। जो भी बात हुई है तुम्हारे पापा से कोचिंग में मिलकर बात करते हैं न।
इतना कहकर मैंने फोन काट दिया तो अभिषेक, रेशमा और पल्लवी मुझे देखने लगे। मैंने भी उनको देखते हुए कहा।
मै- ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे। मैंने कुछ गलत कह दिया क्या।
अभिषेक- साले इससे अच्छा बहाना नहीं मिला तुझे बनाने के लिए। उसके घर का पानी हाहाहाहा।
अभिषेक मेरी बात सुनकर हँसने लगा। ऐसे ही बात करते हुए कोचिंग का समय हो गया। पल्लवी ने महेश को फोन करके सब बता दिया। रेशमा ने रश्मि को फोन करके बता दिया। वो दोनों भी बहुत दुःखी हुए। हम लोगों के मना करने के बाद भी अभिषेक कोचिंग जाने के लिए तैयार हो गया। जब हम लोग कोचिंग पहुँचे तो खुशबू वहाँ पहले से ही मौजूद थी। ये सब बात कोचिंग में करना सही नहीं था तो हम चारों खुशबू के साथ एक पार्क में चले गए। वहाँ पर एक खाली जगह देखकर बैठ गए। बैठने के बाद खुशबू ने कहा।
खुशबू- अब तुम्हारी तबीयत कैसी है अभिषेक। पापा के पास गए थे तुम दोनों तो क्या बात हुई पापा से। पापा से पूछा तो उन्होंने कहा कि मैं तुमसे पूछूँ। बताओ न अभिषेक क्या बात हुई।
खुशबू की बात सुनकर अभिषेक हम तीनों की तरफ देखने लगा। हम तीनों ने उसे इशारा किया कि जो बात है साफ साफ बोलने के लिए। अभिषेक ने एक गहरी साँस ली और खुशबू का हाथ पकड़कर अपने हाथ में ले लिया और उससे कहा।
अभिषेक- मेरी तबीयत अब बिलकुल ठीक है। तुम्हारे पापा से मेरी बात हो गई है। इसलिए मैं तुमसे जो कहने जा रहा हूँ उसको ध्यान से सुनना और समझने की कोशिश करना।
खुशबू- क्या बात है अभिषेक तुम्हारी बात से मुझे कुछ गलत लग रहा है। मेरा दिल बैठा जा रहा है। बताओ न क्या बात है।
अभिषेक- खुशबू। बात ये है कि मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता। तुम्हारे पापा जिस लड़के से शादी करने के लिए कह रहे हैं तुम उस लड़के के लिए हाँ बोल दो।
मेरी बात सुनकर खुशबू मुझे एक टक देखने लगी। उसकी आँखों में आसू आ गए। उसने टूटे फूटे स्वर में मुझसे कहा।
खुशबू- ये तुम्हारे बोल नहीं हैं अभिषेक। ये पापा के शब्द हैं जिन्हें तुम बोल रहे हो। और तुम्हें लगता है कि मैं मान जाऊँगी।
अभिषेक- पहले मेरी बात तो सुन लो फिर किसी निर्णय पर पहुँचना।खुशबू- नहीं सुनना मुझे कोई भी बात तुम्हारी। तुम वहाँ मेरे साथ अपना रिश्ता जोड़ने गए थे या रिश्ता तोड़ने गए थे।
अभिषेक- तुम्हें मेरी कसम है खुशबू। एक बार मेरी पूरी बात तो सुन लो।
खुशबू- हाँ सुनाओ। क्या सुनाना चाहते हो तुम।
अभिषेक- तुम्हें क्या लगता है खुशबू कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता। या मैं तुमसे दूर होकर खुश रह पाऊँगा। मैं तुमसे दूर रहकर खुश नहीं रह पाऊँगा। मैंने तुम्हारे पापा से बात की थी। लेकिन तुम्हारे पापा की बात भी अपनी जगह पर सही है। तुम्हारा भविष्य मेरे साथ नहीं तुम्हारे पापा के पसंद किये हुए रिश्ते में ही खुशहाल रहेगा।
खुशबू- मेरा भविष्य किसके साथ खुशहाल रहेगा ये मैं अच्छी तरह से जानती हूँ। मेरा भविष्य तुम्हारे साथ ज्यादा खुशहाल रहेगा। क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
मै- नहीं खुशबू तुम गलत बोल रही हो। आने वाली जिंदगी में प्यार के अलावा बहुत सी चीजों की जरूरत पड़ती है। प्यार से पेट नहीं भरता खुशबू। माना कि हम दोनों ने जज्बात में बहकर शादी कर ली उसके बाद क्या। मेरे पास अभी कोई रोजगार नहीं है। और ये भी जरूरी नहीं की मेरी नौकरी लगे ही। क्योकि किस्मत किसकी कब पलट जाए कोई कह नहीं सकता। मैं तुमसे इस भरोसे शादी कर लूँ कि कल को मेरी नौकरी लग जाएगी। लेकिन अगर नहीं लगी तो फिर क्या होगा।
खुशबू- मुझे उससे कोई मतलब नहीं है। मैं तुम्हारे प्यार के सहारे पूरी जिंदगी गुजार लूँगी। मुझे तुम मिल जाओ और मुझे कुछ नहीं चाहिए।
अभिषेक- ये सब बातें किताबों मे अच्छी लगती हैं खुशबू। जबकि हकीकत की धरातल पर ये सब बातें वीरान नजर आती हैं। मैं पल भर के उन्माद में तुम्हारी सारी जिंदगी को दुःखों से नहीं भरना चाहता। अच्छा एक बात बताओ। तुम मुझसे ज्यादा प्यार करती हो या अपने मम्मी पापा से।
खुशबू- ये कैसा सवाल है अभिषेक। जाहिर सी बात है तुमसे प्यार करती हूँ।
अभिषेक- क्यों। तुम्हारा साल भर का प्यार तुम्हारे मम्मी पापा के प्यार से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया। एक बात जान लो खुशबू कि एक माता पिता से ज्यादा हमें कोई दूसरा प्यार नहीं कर सकता है। तुम मुझे और नयन को ही ले लो। हमारी दोस्ती की मिसाल दी जाती है हमारे स्कूल में। हम दोनों भी एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। लेकिन हम दोनों का प्यार हमारे माँ बाप से प्यार की तुलना में बहुत कम है। वो इसलिए कि वो हमारे जन्मदाता हैं। उनका अंश हमारे शरीर में है। उन्होंने बचपन से लेकर आज तक हमारे हर सुख दुःख में हमारा साथ दिया है।
खुशबू- लेकिन मेरी कोई इच्छा नहीं है मेरी कोई भावना नहीं है। वो मेरी भावनाओं को क्यों नहीं समझ रहे हैं फिर
मैं- अगर तुम अपने माँ बाप पर ये इल्जाम लगा रही हो कि तुम्हारे माँ बाप तुम्हारी इच्छा को नहीं समझ रहे हैं तुम्हारी भावनाओं को नहीं समझ रहे हैं। तो इस लिहाज से देखा जाए तो तुम भी तो उनकी इच्छा और भावनाओं को नहीं समझ रही हो। शायद तुम्हें पता नहीं कि तुम्हारे माँ बाप तुम्हें कितना प्यार करते हैं। वो मैंने और नयन ने देखा। तुमने इसलिए नहीं देखा कि तुमने उनकी बात ही सुनने की कोशिश नहीं की। वो तो यहाँ तक बोल रहे हैं कि तुम चाहो तो भाग कर शादी कर सकते हो। वो तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं करेंगे।
खुशबू- ये जबरदस्ती नहीं है तो और क्या है। मैं तुमसे प्यार करती हूँ और पापा मेरी शादी कहीं और करवा रहे हैं। और अगर पापा तैयार हैं तो भाग कर शादी करने में क्या बुराई है।
अभिषेक- भाग कर शादी करने के लिए मैं तैयार नहीं हूँ खुशबू। माँ बाप के अरमानों की अर्थी पर मुझे अपने सपनों का महल नहीं खड़ा करना खुशबू। एक बात जान लो खुशबू कि अगर हमारे कारण हमारे माँ बाप की आँखों में आँसू आ जाए और उन्हें हमारी वजह से रोना पड़े तो ऐसे जीवन का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने बचपन से लेकर अभी तक हमारी हर इच्छा को पूरा किया है। तो क्या उनका इतना भी हक नहीं है कि वो अपनी पसंद से अपने बच्चों की शादी कर करें। और जिसे तुम जबरदस्ती कह रही हो। यही उनका तुम्हारे लिए प्यार है। वही तुम्हारे लिए उनकी चिंता है खुशबू। आज मैंने तुम्हारे साथ भाग कर शादी कर ली। तो हमारे इस एक निर्णय की वजह से कितनी मासूम बच्चियाँ गर्भ में ही मार दी जाएँगी, क्योंकि माँ बाप को डर सताने लगेगा कि उनकी बेटी भी बड़ी होने के बाद उनकी इज्जत को नीलाम करते हुए, उनके सपनों को रौंदते हुए किसी के साथ भाग जाएगी। क्या तुम यही चाहती हो कि मैं जीवन भर आपने कंधे पर तुम्हारे माता पिता के अरमानों की अर्थी और भविष्य में होने वाली उन मासूम बच्चियों की हत्याओं का बोझ लेकर जिऊँ।
ये मुझसे नहीं होगा खुशबू। प्यार हमेशा देता ही नहीं है। लेता भी है। जो प्यार करते हैं जरूरी नहीं कि सबको उनका प्यार मिले ही। प्यार कभी कभी कुरबानी भी माँगता है। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ मेरे लिए तुमसे यह सब कुछ कहना इतना आसान नहीं है। लेकिन तुम्हारे मम्मी पापा के प्यार के आगे मेरा प्यार कुछ भी नहीं है। और अगर तुमने मुझसे सच्चा प्यार किया है और तुम्हारे दिल में अगर मेरे लिए तनिक भी इज्जत हो तो मुझे भूल जाओ और अपने पापा की बात मान लो और बिना कुछ उलटी-सीधी हरकत किए उनकी पसंद के लड़के से शादी कर लो।
इतना कहकर अभिषेक ने अपनी बात समाप्त की। खुशबू की आँखों से झर झर आँसू बहने लगे। इसके आगे वो एक शब्द नहीं बोली और अपनी जगह से उठी और रोते हुए पार्क से बाहर निकल गई। हम सभी ने उसे रोकना चाहा लेकिन वो रुकी नहीं। उसके जाने के बाद अभिषेक भी रोने लगा। अभिषेक ने अपने आपको भूलने की बात खुशबू से कैसे कही ये बस अभिषेक ही जानता था। तीनों ने मिलकर अभिषेक शांत कराया। कुछ देर में जब अभिषेक सामान्य हुआ तो हम सभी पार्क से बाहर निकल आए। कोचिंग का समय समाप्त हो गया था तो मैं और अभिषेक पल्लवी से विदा लेकर कमरे की तरफ चल पड़े।आज का पूरा दिन अच्छा नहीं गया था। अभिषेक पूरी तरह से टूट गया था। मैं उसे किसी तरह शांत रहने के लिए समझा रहा था, लेकिन जिसकी खुद की लगी पड़ी हो वो दूसरे को सांत्त्वना दूँ भी तो कैसे। मैंने आज रात के खाने के लिए तहड़ी डाली। मैंने अभिषेक को किसी तरह से थोड़ा बहुत खिलाया और खुद खाकर हम दोनों अपने बिस्तर पर लेट गए। थोड़ी देर बाद ही हम दोनों को नींद आ गई।
अगले पूरा दिन अभिषेक शांत और गमगीन ही रहा। संजू का फोन भी आया, लेकिन तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर मैंने उसकी बात टरका दी। मेरे दिमाग में बस यही बातें चल रही थी कि आखिर हम दोनों को साथ क्या हो रहा है। हम दोनों लगभग एक ही गम से गुजर रहे थे। प्यार ऐसा तो नहीं होता। क्यों नहीं होता शायद ये भी प्यार का एक रूप है। शाम को महेश भी आ गया। उसने भी अभिषेक को दिलाशा दिया फिर हम सब बैठे बातें करने लगे। बात करते करते महेश ने अनामिका का मामला छेड़ दिया।
महेश- मुझे तो लगता है कि उस बच्चे का बाप संजू ही होगा उस साले को जब अनामिका की सच्चाई के बारे में पता चला होगा तो वह उसको छोड़ना चाहता होगा और उसे छोड़ने के लिए यह पाप का घड़ा तुझपर फोड़ना चाहता है। लेकिन जहां तक तुम बता रहे हो कि संजू ने भी जब उसके साथ सेक्स किया है तो कंडोम का इस्तेमाल किया है। तो ये उसका बच्चा हो ये संभव भी नहीं हो सकता। ऊपर से अनामिका डीएनए जाँच के लिए भी तैयार है।
मैं- यह बात तो तुम सही बोल रहे हो।
महेश- कहीँ ऐसा तो नहीं है कि संजू तुम सबको चूतिया बना रहा है। ये बच्चा डेढ़ महीने का न होकर 5-6 महीने का हो।
अभिषेक- अबे चूतिया तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। अगर बच्चा 5 से 6 महीने का होता तो अनामिका का बंपर अच्छी तरह से देखा जा सकता था। 1 मिनट रुक ऐसा करते हैं कि हम मेडिकल रिपोर्ट संजू से माँग लेते हैं।
इतना कहकर अभिषेक ने संजू को फोन किया और अनामिका की मेडिकल रिपोर्ट को व्हाट्सएप करने को बोला। थोड़ी देर में ही मेडिकल रिपोर्ट अभिषेक के व्हाट्सअप नंबर पर आ गई। महेश ने रिपोर्ट को ध्यान से देखने के बाद कहा।
महेश- भाई इस रिपोर्ट के अनुसार बच्चा सच में डेढ़ महीनें का ही लग रहा है।
हम तीनों व्हाट्सएप पर रिपोर्ट देखने के बाद एकदम से मौन हो गए थे हमारी समझ में नहीं आ रहा था कि करें तो क्या करें। मैं कुछ सोच ही रहा था की अभिषेक अचानक से बोल पड़ा।
अभिषेक- एक मिनट कहीं ऐसा तो नहीं है कि अनामिका अभी भी उसके संपर्क में हो।
मैं और महेश- किससे संपर्क में।
अभिषेक- मैं उसी साले के बारे में बोल रहा हूं जिसके कारण मुझे अनामिका की सच्चाई पता चली थी।
मैं- कहीं तुम उस मकान मालिक के लड़के की बात तो नहीं कर रहे हो।
अभिषेक- हाँ मैं उसकी ही बात कर रहा हूँ। अनामिका चित्रकूट में जिस इमारत में रहती थी उसके मालिक का बेटा आदित्य। साला एक नंबर का लौंडिया बाज इंसान है। वो उस इमारत में रहने वाली हर लड़कियों को बुरी नजर से देखता था। और अधिकतर लड़कियों से अपना टांका फंसा रखा था और अनामिका भी उसमे से एक थी।
महेश- तुझे कैसे पता उसके चरित्र के बारे में इतना।
अभिषेक- वो क्या है न। जहाँ मैं रहता था। वो इमारत उसी सोसाइटी के पास में है। चित्रकूट से आने के बाद एक दिन बातों बातों में मेरे मम्मी की मौसी के लड़के (अविनाश) ने उसके बारे में बताया था।
महेश- अबे साले। अगर वो इतना ठरकी है तो हो सकता है कि वो ही इस बच्चे का बाप हो।
मैं- लेकिन अब तो अनामिका अयोध्या में है। तो उससे कैसे मुलाकात होती होगी।
अभिषेक- अरे उसके पापा का आयात-निर्यात का व्यापार करते हैं तो हो सकता है उसी सिलसिले में वो अयोध्या भी जाता हो और अनामिका के संपर्क में हो।
महेश- हम अभी केवल कयास लगा सकते हैं कि ऐसा हो सकता है। सच्चाई तो उससे बात करने के बाद ही पता चलेगी।
मैं- तो पता करो न। निकालो उसका नम्बर और फोन करते हैं उसको।
अभिषेक- लेकिन उसका नम्बर मेरे पास नहीं है।
महेश- तो अपने भाई से फोन करके ले लो। जिसने तुम्हें उसके बारे में जानकारी दी थी।
महेश की बात सुनकर अभिषेक ने अपने मम्मी की मौसी के लड़के को फोन किया और कहा।
अविनाश- हाँ अभिषेक कैसे हो भाई। बड़े दिन बाद याद किया।
अभिषेक- मामा जी। वो आदित्य का नम्बर चाहिए थी मुझे।
अविनाश- उस लौंडियाबाज से तुझे क्या काम पड़ गया है। जो तुझे उसका नम्बर चाहिए।
अभिषेक- बात ये है मामा जी कि मेरे एक दोस्त को उससे बहुत जरूरी काम है। मुझसे माँग रहा था। मेरे पास उसका नम्बर नहीं है। इसलिए मैंने आपको फोन किया।
अविनाश- उसका नम्बर मेरे पास भी नहीं है। मैं अभी घर से बाहर हूँ। कल सुबह तक तुझे उसका नम्बर व्हाट्सअप करता हूँ।
अभिषेक- ठीक है मामा जी। फोन रखता हूँ मैं।
इतना कहकर अभिषेक ने फोन रख दिया। तभी मेरे नम्बर पर संजू का फोन आया।
मैं- हाँ भाई साहब कहिए। कैसे याद किया।
संजू- मैं ये कह रहा था कि कल मिलकर थोड़ा बात करते।
मैं- हाँ भाई क्यों नहीं कल ................. इस पते पर सुबह आ जाना।
इतना कहकर मैंने फोन रख दिया।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
Bahut hi badhiya mahi madam,,,,,
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Aapne Abhishek ke dwara khushbu ko bade achhe tareeke se samjhaya. Bechaari khushu....mujhe to uske liye behad dukh ho raha hai,,,,
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Pallavi reshma aur Rashmi ke saamne ye log laude lag gaye/gaand fati padi hai jaise shabd badi sahajta se bol jate hain aur wo teeno aitraaz bhi nahi karti. Waakayi me badi achhi aur open minded dost hain wo teeno,,,,
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Anamika ka case abhi bhi chal raha hai. Mujhe lagta hai koi tagda locha hai. Khair dekhte hain aage,,,,
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