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Fantasy क्या यही प्यार है

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,765
117,168
354
इक्यावनवाँ भाग

खुशबू के घर से आने के बाद अभिषेक मोटर साईकिल से उतरकर कमरे में चला गया और बिस्तर पर बैठकर फूट फूट कर रोने लगा। मैं भी गाड़ी खड़ी करने के बाद कमरे में चला गया और अभिषेक के पास बैठ गया। अभिषेक मेरे गले लग गया और रोने लगा। मैंने भी उसके कुछ देर रोने के लिए छोड़ दिया। जब थोड़ी देर बाद वो कुछ शांत हुआ तब मैंने अभिषेक से कहा।

मैं- अभिषेक जो भी हो रहा है वो बिलकुल भी अच्छा नहीं हो रहा है। लेकिन वो खुशबू के माँ बाप हैं। हमसे ज्यादा उन्हें खुशबू की चिंता है। इसलिए तू शांत हो जा भाई।

अभिषेक- (हिचिकते हुए) ऐसा क्यों हुआ मेरे साथ। एक ने प्यार किया तो धोखा दे दिया और एक ने प्यार किया तो वो मुझको मिल कर भी नहीं मिल रही है।

मैं- देख भाई ऐसे रोने से कुछ नहीं होता। तुम लोग ही तो मुझे समझाते थे कि जो किस्मत में लिखा होता हो हमको वही चीज मिलती है। शायद खुशबू तेरी किस्मत में नहीं लिखी भाई। तुम सब ही बोलते थे मुझे कि हर प्यार करने वाले को मंजिल नहीं मिलती। तो यही समझ ले भाई कि तेरी मंजिल खुशबू नहीं कोई और है।

अभिषेक- लेकिन मैं उसे कितना प्यार करता हूँ तू तो जानता है न।

मैं- लेकिन उसके माँ बाप से ज्यादा प्यार तो नहीं करता न तू उसे। अगर तुझे उससे शादी करनी है तो वो तो तेरे साथ भागने के लिए भी तैयार है। लेकिन क्या तू उसे भगा कर शादी करना चाहेगा।

अभिषेक- मैं उसके माँ बाप की बददुआ लेकर और उनके अरमानों का गला घोंटकर अपने प्यार को नहीं पाना चाहता।

मैं- तो फिर यही समझ ले कि तेरी किस्मत में खुशबू का साथ यहीं तक लिखा था। तू रुक मैं उन दोनों को बुलाता हूँ।

अभिषेक- रहने दो भाई। वो दोनों भी यही सोचेंगी को हम दोनों कितने पनौती दोस्त हैं उनके। हमेशा हम दोनों की गाड़ लाल हुई पड़ी रहती है।

अभिषेक ने ये बात सिसकते हुए भी मुस्कुराते हुए कही थी। मैंने अभिषेक की बात सुनकर पल्लवी के पास फोन लगा दिया। उस समय पल्लवी और रेशमा साथ में ही थी। मैंने उन दोनों को सब बताया तो वो कुछ देर बाद कमरे पर आ गई। उन्होंने आते ही अभिषेक को समझाना शुरू कर दिया।

रेशमा- देखो अभिषेक उसके पापा की पूरी बात सुनने के बाद मुझे लगता है कि वो खुशबू से तुम्हारी शादी नहीं करेंगे अगर ऐसा होता तो वो खुशबू को समझाने के लिए तुमसे नहीं कहते। अब तुम्हारे पास दो ही रास्ते हैं या तो तुम खुशबू के साथ भागकर शादी करो या फिर खुशबू को समझाओ।

पल्लवी- हाँ अभिषेक, रेशमा सही कह रही है।

अभिषेक- तुम लोगों को क्या लगता है कि मुझे क्या करना चाहिए।

पल्लवी- देखो अभिषेक मैं जो कहने जा रही हूँ तुम उसका बुरा मत मानना। मेरे हिसाब से खुशबू को भगा कर शादी करना उचित नहीं है। खुशबू भले ही भागने की बात कर रही है, लेकिन उसपर अभी इश्क का भूत सवार है। लेकिन जब इश्क का भूत उसके सिर से उतरेगा तो उसे भी अपने फैसले पर पछताना पड़ेगा। और एक माँ बाप कभी भी अपने बच्चों के लिए गलत फैसला नहीं लेते। उन्होंने हमसे ज्यादा दुनिया देखी है।

रेशमा- पल्लवी सही कह रही है अभिषेक। उसका छोड़ों। जितना तुम्हारे घरवालों को जानती हूँ उसके हिसाब से तो तुम्हारे घरवाले खुद नहीं चाहेंगे कि तुम किसी की बेटी को भगाकर उससे शादी करो। और वैसे भी जो शादी माँ बाप की मरजी के बगेर की जाए वो शादी शादी नहीं होती दोस्त।

मैं रेशमा और पल्लवी की बात सुन रहा था। उनकी बात खत्म होने के बाद अभिषेक ने मेरी तरफ देखा। तो मैं उसकी तरफ देखने लगा। थोड़ी देर मुझे देखने के बाद अभिषेक ने कहा।

अभिषेक- प्रभु। आप भी अपने ज्ञान से मेरे मार्गदर्शन कीजिए।

मैं- अबे यहाँ मेरे खुद के लौंड़े लगे हुए हैं। मेरा ज्ञान इस समय मेरी ही ले रहा है। सारे मार्ग बंद हो चुके हैं। मैं तेरा मार्गदर्शन क्या करूँगा। रेशमा और पल्लवी जो कह रही हैं मुझे भी वही सही लग रहा है।

अभी हम बात कर ही रहे थे कि खुशबू का फोन मेरे मोबाइल पर आया। मैंने सभी को शांत रहने के लिए कहा और फोन उठाया।

मैं-हाँ खुशबू बोलो क्या हुआ।

खुशबू- तुम लोग आए थे तो क्या बात हुई पापा से। पापा मान गए हैं न शादी के लिए। और अभिषेक कहाँ है उसका फोन क्यों बंद आ रहा है।

मैं- वो क्या है न तुम्हारे घर का पानी पीकर अभिषेक का पेट खराब हो गया है तो वो इस समय गुसलखाने में है। उसको मोबाइल की बैंटरी खत्म हो गई है तो उसका मोबाइल बंद हो गया है। जो भी बात हुई है तुम्हारे पापा से कोचिंग में मिलकर बात करते हैं न।

इतना कहकर मैंने फोन काट दिया तो अभिषेक, रेशमा और पल्लवी मुझे देखने लगे। मैंने भी उनको देखते हुए कहा।

मै- ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे। मैंने कुछ गलत कह दिया क्या।

अभिषेक- साले इससे अच्छा बहाना नहीं मिला तुझे बनाने के लिए। उसके घर का पानी हाहाहाहा।

अभिषेक मेरी बात सुनकर हँसने लगा। ऐसे ही बात करते हुए कोचिंग का समय हो गया। पल्लवी ने महेश को फोन करके सब बता दिया। रेशमा ने रश्मि को फोन करके बता दिया। वो दोनों भी बहुत दुःखी हुए। हम लोगों के मना करने के बाद भी अभिषेक कोचिंग जाने के लिए तैयार हो गया। जब हम लोग कोचिंग पहुँचे तो खुशबू वहाँ पहले से ही मौजूद थी। ये सब बात कोचिंग में करना सही नहीं था तो हम चारों खुशबू के साथ एक पार्क में चले गए। वहाँ पर एक खाली जगह देखकर बैठ गए। बैठने के बाद खुशबू ने कहा।

खुशबू- अब तुम्हारी तबीयत कैसी है अभिषेक। पापा के पास गए थे तुम दोनों तो क्या बात हुई पापा से। पापा से पूछा तो उन्होंने कहा कि मैं तुमसे पूछूँ। बताओ न अभिषेक क्या बात हुई।

खुशबू की बात सुनकर अभिषेक हम तीनों की तरफ देखने लगा। हम तीनों ने उसे इशारा किया कि जो बात है साफ साफ बोलने के लिए। अभिषेक ने एक गहरी साँस ली और खुशबू का हाथ पकड़कर अपने हाथ में ले लिया और उससे कहा।

अभिषेक- मेरी तबीयत अब बिलकुल ठीक है। तुम्हारे पापा से मेरी बात हो गई है। इसलिए मैं तुमसे जो कहने जा रहा हूँ उसको ध्यान से सुनना और समझने की कोशिश करना।

खुशबू- क्या बात है अभिषेक तुम्हारी बात से मुझे कुछ गलत लग रहा है। मेरा दिल बैठा जा रहा है। बताओ न क्या बात है।

अभिषेक- खुशबू। बात ये है कि मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता। तुम्हारे पापा जिस लड़के से शादी करने के लिए कह रहे हैं तुम उस लड़के के लिए हाँ बोल दो।

मेरी बात सुनकर खुशबू मुझे एक टक देखने लगी। उसकी आँखों में आसू आ गए। उसने टूटे फूटे स्वर में मुझसे कहा।

खुशबू- ये तुम्हारे बोल नहीं हैं अभिषेक। ये पापा के शब्द हैं जिन्हें तुम बोल रहे हो। और तुम्हें लगता है कि मैं मान जाऊँगी।

अभिषेक- पहले मेरी बात तो सुन लो फिर किसी निर्णय पर पहुँचना।
खुशबू- नहीं सुनना मुझे कोई भी बात तुम्हारी। तुम वहाँ मेरे साथ अपना रिश्ता जोड़ने गए थे या रिश्ता तोड़ने गए थे।

अभिषेक- तुम्हें मेरी कसम है खुशबू। एक बार मेरी पूरी बात तो सुन लो।

खुशबू- हाँ सुनाओ। क्या सुनाना चाहते हो तुम।

अभिषेक- तुम्हें क्या लगता है खुशबू कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता। या मैं तुमसे दूर होकर खुश रह पाऊँगा। मैं तुमसे दूर रहकर खुश नहीं रह पाऊँगा। मैंने तुम्हारे पापा से बात की थी। लेकिन तुम्हारे पापा की बात भी अपनी जगह पर सही है। तुम्हारा भविष्य मेरे साथ नहीं तुम्हारे पापा के पसंद किये हुए रिश्ते में ही खुशहाल रहेगा।

खुशबू- मेरा भविष्य किसके साथ खुशहाल रहेगा ये मैं अच्छी तरह से जानती हूँ। मेरा भविष्य तुम्हारे साथ ज्यादा खुशहाल रहेगा। क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ।

मै- नहीं खुशबू तुम गलत बोल रही हो। आने वाली जिंदगी में प्यार के अलावा बहुत सी चीजों की जरूरत पड़ती है। प्यार से पेट नहीं भरता खुशबू। माना कि हम दोनों ने जज्बात में बहकर शादी कर ली उसके बाद क्या। मेरे पास अभी कोई रोजगार नहीं है। और ये भी जरूरी नहीं की मेरी नौकरी लगे ही। क्योकि किस्मत किसकी कब पलट जाए कोई कह नहीं सकता। मैं तुमसे इस भरोसे शादी कर लूँ कि कल को मेरी नौकरी लग जाएगी। लेकिन अगर नहीं लगी तो फिर क्या होगा।

खुशबू- मुझे उससे कोई मतलब नहीं है। मैं तुम्हारे प्यार के सहारे पूरी जिंदगी गुजार लूँगी। मुझे तुम मिल जाओ और मुझे कुछ नहीं चाहिए।

अभिषेक- ये सब बातें किताबों मे अच्छी लगती हैं खुशबू। जबकि हकीकत की धरातल पर ये सब बातें वीरान नजर आती हैं। मैं पल भर के उन्माद में तुम्हारी सारी जिंदगी को दुःखों से नहीं भरना चाहता। अच्छा एक बात बताओ। तुम मुझसे ज्यादा प्यार करती हो या अपने मम्मी पापा से।

खुशबू- ये कैसा सवाल है अभिषेक। जाहिर सी बात है तुमसे प्यार करती हूँ।

अभिषेक- क्यों। तुम्हारा साल भर का प्यार तुम्हारे मम्मी पापा के प्यार से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गया। एक बात जान लो खुशबू कि एक माता पिता से ज्यादा हमें कोई दूसरा प्यार नहीं कर सकता है। तुम मुझे और नयन को ही ले लो। हमारी दोस्ती की मिसाल दी जाती है हमारे स्कूल में। हम दोनों भी एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। लेकिन हम दोनों का प्यार हमारे माँ बाप से प्यार की तुलना में बहुत कम है। वो इसलिए कि वो हमारे जन्मदाता हैं। उनका अंश हमारे शरीर में है। उन्होंने बचपन से लेकर आज तक हमारे हर सुख दुःख में हमारा साथ दिया है।

खुशबू- लेकिन मेरी कोई इच्छा नहीं है मेरी कोई भावना नहीं है। वो मेरी भावनाओं को क्यों नहीं समझ रहे हैं फिर

मैं- अगर तुम अपने माँ बाप पर ये इल्जाम लगा रही हो कि तुम्हारे माँ बाप तुम्हारी इच्छा को नहीं समझ रहे हैं तुम्हारी भावनाओं को नहीं समझ रहे हैं। तो इस लिहाज से देखा जाए तो तुम भी तो उनकी इच्छा और भावनाओं को नहीं समझ रही हो। शायद तुम्हें पता नहीं कि तुम्हारे माँ बाप तुम्हें कितना प्यार करते हैं। वो मैंने और नयन ने देखा। तुमने इसलिए नहीं देखा कि तुमने उनकी बात ही सुनने की कोशिश नहीं की। वो तो यहाँ तक बोल रहे हैं कि तुम चाहो तो भाग कर शादी कर सकते हो। वो तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं करेंगे।

खुशबू- ये जबरदस्ती नहीं है तो और क्या है। मैं तुमसे प्यार करती हूँ और पापा मेरी शादी कहीं और करवा रहे हैं। और अगर पापा तैयार हैं तो भाग कर शादी करने में क्या बुराई है।

अभिषेक- भाग कर शादी करने के लिए मैं तैयार नहीं हूँ खुशबू। माँ बाप के अरमानों की अर्थी पर मुझे अपने सपनों का महल नहीं खड़ा करना खुशबू। एक बात जान लो खुशबू कि अगर हमारे कारण हमारे माँ बाप की आँखों में आँसू आ जाए और उन्हें हमारी वजह से रोना पड़े तो ऐसे जीवन का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने बचपन से लेकर अभी तक हमारी हर इच्छा को पूरा किया है। तो क्या उनका इतना भी हक नहीं है कि वो अपनी पसंद से अपने बच्चों की शादी कर करें। और जिसे तुम जबरदस्ती कह रही हो। यही उनका तुम्हारे लिए प्यार है। वही तुम्हारे लिए उनकी चिंता है खुशबू। आज मैंने तुम्हारे साथ भाग कर शादी कर ली। तो हमारे इस एक निर्णय की वजह से कितनी मासूम बच्चियाँ गर्भ में ही मार दी जाएँगी, क्योंकि माँ बाप को डर सताने लगेगा कि उनकी बेटी भी बड़ी होने के बाद उनकी इज्जत को नीलाम करते हुए, उनके सपनों को रौंदते हुए किसी के साथ भाग जाएगी। क्या तुम यही चाहती हो कि मैं जीवन भर आपने कंधे पर तुम्हारे माता पिता के अरमानों की अर्थी और भविष्य में होने वाली उन मासूम बच्चियों की हत्याओं का बोझ लेकर जिऊँ।

ये मुझसे नहीं होगा खुशबू। प्यार हमेशा देता ही नहीं है। लेता भी है। जो प्यार करते हैं जरूरी नहीं कि सबको उनका प्यार मिले ही। प्यार कभी कभी कुरबानी भी माँगता है। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ मेरे लिए तुमसे यह सब कुछ कहना इतना आसान नहीं है। लेकिन तुम्हारे मम्मी पापा के प्यार के आगे मेरा प्यार कुछ भी नहीं है। और अगर तुमने मुझसे सच्चा प्यार किया है और तुम्हारे दिल में अगर मेरे लिए तनिक भी इज्जत हो तो मुझे भूल जाओ और अपने पापा की बात मान लो और बिना कुछ उलटी-सीधी हरकत किए उनकी पसंद के लड़के से शादी कर लो।

इतना कहकर अभिषेक ने अपनी बात समाप्त की। खुशबू की आँखों से झर झर आँसू बहने लगे। इसके आगे वो एक शब्द नहीं बोली और अपनी जगह से उठी और रोते हुए पार्क से बाहर निकल गई। हम सभी ने उसे रोकना चाहा लेकिन वो रुकी नहीं। उसके जाने के बाद अभिषेक भी रोने लगा। अभिषेक ने अपने आपको भूलने की बात खुशबू से कैसे कही ये बस अभिषेक ही जानता था। तीनों ने मिलकर अभिषेक शांत कराया। कुछ देर में जब अभिषेक सामान्य हुआ तो हम सभी पार्क से बाहर निकल आए। कोचिंग का समय समाप्त हो गया था तो मैं और अभिषेक पल्लवी से विदा लेकर कमरे की तरफ चल पड़े।
आज का पूरा दिन अच्छा नहीं गया था। अभिषेक पूरी तरह से टूट गया था। मैं उसे किसी तरह शांत रहने के लिए समझा रहा था, लेकिन जिसकी खुद की लगी पड़ी हो वो दूसरे को सांत्त्वना दूँ भी तो कैसे। मैंने आज रात के खाने के लिए तहड़ी डाली। मैंने अभिषेक को किसी तरह से थोड़ा बहुत खिलाया और खुद खाकर हम दोनों अपने बिस्तर पर लेट गए। थोड़ी देर बाद ही हम दोनों को नींद आ गई।

अगले पूरा दिन अभिषेक शांत और गमगीन ही रहा। संजू का फोन भी आया, लेकिन तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर मैंने उसकी बात टरका दी। मेरे दिमाग में बस यही बातें चल रही थी कि आखिर हम दोनों को साथ क्या हो रहा है। हम दोनों लगभग एक ही गम से गुजर रहे थे। प्यार ऐसा तो नहीं होता। क्यों नहीं होता शायद ये भी प्यार का एक रूप है। शाम को महेश भी आ गया। उसने भी अभिषेक को दिलाशा दिया फिर हम सब बैठे बातें करने लगे। बात करते करते महेश ने अनामिका का मामला छेड़ दिया।

महेश- मुझे तो लगता है कि उस बच्चे का बाप संजू ही होगा उस साले को जब अनामिका की सच्चाई के बारे में पता चला होगा तो वह उसको छोड़ना चाहता होगा और उसे छोड़ने के लिए यह पाप का घड़ा तुझपर फोड़ना चाहता है। लेकिन जहां तक तुम बता रहे हो कि संजू ने भी जब उसके साथ सेक्स किया है तो कंडोम का इस्तेमाल किया है। तो ये उसका बच्चा हो ये संभव भी नहीं हो सकता। ऊपर से अनामिका डीएनए जाँच के लिए भी तैयार है।

मैं- यह बात तो तुम सही बोल रहे हो।

महेश- कहीँ ऐसा तो नहीं है कि संजू तुम सबको चूतिया बना रहा है। ये बच्चा डेढ़ महीने का न होकर 5-6 महीने का हो।

अभिषेक- अबे चूतिया तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। अगर बच्चा 5 से 6 महीने का होता तो अनामिका का बंपर अच्छी तरह से देखा जा सकता था। 1 मिनट रुक ऐसा करते हैं कि हम मेडिकल रिपोर्ट संजू से माँग लेते हैं।

इतना कहकर अभिषेक ने संजू को फोन किया और अनामिका की मेडिकल रिपोर्ट को व्हाट्सएप करने को बोला। थोड़ी देर में ही मेडिकल रिपोर्ट अभिषेक के व्हाट्सअप नंबर पर आ गई। महेश ने रिपोर्ट को ध्यान से देखने के बाद कहा।

महेश- भाई इस रिपोर्ट के अनुसार बच्चा सच में डेढ़ महीनें का ही लग रहा है।

हम तीनों व्हाट्सएप पर रिपोर्ट देखने के बाद एकदम से मौन हो गए थे हमारी समझ में नहीं आ रहा था कि करें तो क्या करें। मैं कुछ सोच ही रहा था की अभिषेक अचानक से बोल पड़ा।

अभिषेक- एक मिनट कहीं ऐसा तो नहीं है कि अनामिका अभी भी उसके संपर्क में हो।

मैं और महेश- किससे संपर्क में।

अभिषेक- मैं उसी साले के बारे में बोल रहा हूं जिसके कारण मुझे अनामिका की सच्चाई पता चली थी।

मैं- कहीं तुम उस मकान मालिक के लड़के की बात तो नहीं कर रहे हो।

अभिषेक- हाँ मैं उसकी ही बात कर रहा हूँ। अनामिका चित्रकूट में जिस इमारत में रहती थी उसके मालिक का बेटा आदित्य। साला एक नंबर का लौंडिया बाज इंसान है। वो उस इमारत में रहने वाली हर लड़कियों को बुरी नजर से देखता था। और अधिकतर लड़कियों से अपना टांका फंसा रखा था और अनामिका भी उसमे से एक थी।

महेश- तुझे कैसे पता उसके चरित्र के बारे में इतना।

अभिषेक- वो क्या है न। जहाँ मैं रहता था। वो इमारत उसी सोसाइटी के पास में है। चित्रकूट से आने के बाद एक दिन बातों बातों में मेरे मम्मी की मौसी के लड़के (अविनाश) ने उसके बारे में बताया था।

महेश- अबे साले। अगर वो इतना ठरकी है तो हो सकता है कि वो ही इस बच्चे का बाप हो।

मैं- लेकिन अब तो अनामिका अयोध्या में है। तो उससे कैसे मुलाकात होती होगी।

अभिषेक- अरे उसके पापा का आयात-निर्यात का व्यापार करते हैं तो हो सकता है उसी सिलसिले में वो अयोध्या भी जाता हो और अनामिका के संपर्क में हो।

महेश- हम अभी केवल कयास लगा सकते हैं कि ऐसा हो सकता है। सच्चाई तो उससे बात करने के बाद ही पता चलेगी।

मैं- तो पता करो न। निकालो उसका नम्बर और फोन करते हैं उसको।

अभिषेक- लेकिन उसका नम्बर मेरे पास नहीं है।

महेश- तो अपने भाई से फोन करके ले लो। जिसने तुम्हें उसके बारे में जानकारी दी थी।

महेश की बात सुनकर अभिषेक ने अपने मम्मी की मौसी के लड़के को फोन किया और कहा।

अविनाश- हाँ अभिषेक कैसे हो भाई। बड़े दिन बाद याद किया।

अभिषेक- मामा जी। वो आदित्य का नम्बर चाहिए थी मुझे।

अविनाश- उस लौंडियाबाज से तुझे क्या काम पड़ गया है। जो तुझे उसका नम्बर चाहिए।

अभिषेक- बात ये है मामा जी कि मेरे एक दोस्त को उससे बहुत जरूरी काम है। मुझसे माँग रहा था। मेरे पास उसका नम्बर नहीं है। इसलिए मैंने आपको फोन किया।

अविनाश- उसका नम्बर मेरे पास भी नहीं है। मैं अभी घर से बाहर हूँ। कल सुबह तक तुझे उसका नम्बर व्हाट्सअप करता हूँ।

अभिषेक- ठीक है मामा जी। फोन रखता हूँ मैं।

इतना कहकर अभिषेक ने फोन रख दिया। तभी मेरे नम्बर पर संजू का फोन आया।

मैं- हाँ भाई साहब कहिए। कैसे याद किया।

संजू- मैं ये कह रहा था कि कल मिलकर थोड़ा बात करते।

मैं- हाँ भाई क्यों नहीं कल ................. इस पते पर सुबह आ जाना।

इतना कहकर मैंने फोन रख दिया।


इसके आगे की कहानी अगले भाग में।

Bahut hi badhiya mahi madam,,,,,:claps:
Aapne Abhishek ke dwara khushbu ko bade achhe tareeke se samjhaya. Bechaari khushu....mujhe to uske liye behad dukh ho raha hai,,,,:verysad:
Pallavi reshma aur Rashmi ke saamne ye log laude lag gaye/gaand fati padi hai jaise shabd badi sahajta se bol jate hain aur wo teeno aitraaz bhi nahi karti. Waakayi me badi achhi aur open minded dost hain wo teeno,,,,:claps:
Anamika ka case abhi bhi chal raha hai. Mujhe lagta hai koi tagda locha hai. Khair dekhte hain aage,,,,:smoking:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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354
बावनवाँ भाग


सुबह 10 बजे के करीब संजू अपनी कार से हमारे कमरे पर आया। जिसका पता मैंने कल उसे दिया था। कमरे पर आने के बाद संजू को मैंने महेश से मिलवाया। उससे मिलने के बाद संजू ने कहा।

संजू- आगे का क्या प्लान है। क्या करना है आगे कुछ सोचा है इसके बारे में।

अभिषेक- हमारे दिमाग में एक बात आई है। वो बच्चा नयन का नहीं है। और तुम्हारे कहने के मुताबिक तुम्हारा भी नहीं है, तो कहीं ऐसा तो नहीं है कि वो बच्चा आदित्य का हो।

संजू- कौन आदित्य।

अभिषेक- वही आदित्य जिसके बारे में तुम्हें बताया था। चित्रकूट में अमानिका जिस मकान में रहती थी। उसके मालिक का वेटा। हो सकता है उसके अभी भी अनामिका के साथ चक्कर चल रहा हो।

संजू- तुम इतने दावे के साथ कैसे कह सकते हो कि अनामिका का चक्कर अभी भी उस लड़के का साथ में है।

अभिषेक- दावा नहीं है भाई। बस एक शक है मन में।

संजू- तो उससे भी पूछ कर देख लेते हैं। फोन लगाकर बात करो उससे और मिलने के लिए बोलो।

अभिषेक- उसका नम्बर अभी तो नहीं है मेरे पास। रुको पहले नम्बर तो मिल जाए।

उसके बाद अभिषेक ने अविनाश के पास फोन लगा दिया। फोन उठाने के बाद उन्होंने कहा।

अविनाश- बस अभिषेक पाँच मिनट में आदित्य का नम्बर दे रहा हूँ तुम्हें।

अभिषेक- ठीक है मामा जी। थोड़ा जल्दी करिए।

उसके बाद अभिषेक ने फोन रख दिया तो मैंने संजू से पूछा।

मैं- अनामिका से बात हुई। डीएनए जाँच के लिए क्या बोली वो।

संजू- उससे बात हो गई। लेकिन उसकी जिद वही है कि वो डीएनए जाँच तो करवाएगी, लेकिन उसके पहले मेरे घरवालों से मिलेगी। मैंने किसी तरह उसे रोक रखा है बहाना बनाकर।

तब तक अभिषेक के मामा ने आदित्य का नम्बर अभिषेक को भेज दिया था। अभिषेक ने जब आदित्य का नम्बर लगाया तो ट्रू कॉलर पर उसका नाम लिखकर आया जिसे देखकर हम सब के चेहरे पर मुस्कान आ गई। किसी ने उसका नाम लौंडियाबाज आदित्य के नाम से सुरक्षित किया था अपने मोबाइल पर जिसे ट्रू कॉलर ने अपने डाटाबेस में इसी नाम से सुरक्षित कर लिया था। और वही नाम अभिषेक के मोबाइल की स्क्रीन पर दिखाई दे रहा था। घंटी बंद होते होते उधर को फोन उठा लिया गया। अभिषेक ने फोन स्पीकर पर कर दिया। आदित्य ने कहा।

आदित्य- हेलो।

अभिषेक- हाय। क्या आप आदित्य बोल रहे हैं।

आदित्य- हाँ। मैं आदित्य। आप कौन हैं।

अभिषेक- मै अभिषेक बोल रहा हूँ।

आदित्य- कौन अभिषेक।

अभिषेक- भूल गया साले। अनामिका को तो जाना है न। मैं वही अभिषेक हूँ। कुछ याद आया साले।

आदित्य- अभिषेक भो...........ले तू। साले तूने मुझे फोन क्यों किया। फोन रख।

अभिषेक- अबे मुझे तुझसे कुछ जरूरी बात करनी है।

आदित्य- लेकिन मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है। अब फोन रख।

अभिषेक- अबे बात तो सुन। वो अनामिका को जुड़ी बात है। अगर मेरी बात नहीं सुनी तूने तो तेरे लौड़े लग जाएँगे। फिर मत कहना कि मैंने सचेत नहीं किया तुझे।

अभिषेक की बात सुनकर आदित्य सचेत हो गया। उसने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा।

आदित्य- बोल क्या बात करनी है तुझे।

अभिषेक- साले। अनामिका को गर्भवती करने के बाद पूछ रहा है कि क्या बात करनी है तुझसे।

आदित्य- क्या कहा। जरा फिर से कहना।

अभिषेक- मैंने कहा कि अनामिका गर्भवती है और उसके पेट में तेरा बच्चा है।

अभिषेक की बात सुनकर आदित्य भौचक्का रह गया। उसने कुछ देर बाद जवाब दिया।

आदित्य- ये क्या बोल रहा है बे। तेरे दिमाग तो ठीक है ना। जब से वो यहाँ गई है मैं मिला ही नहीं हूँ उससे तो फिर मैं उसके बच्चे का बाप कैसे हो गया।

उसकी बात सुनकर हम लोग फिर से निराश हो गए। क्योकि उसकी बातों में सच्चाई हो सकती थी। फिर भी अभिषेक ने अंधेरे में तीर छोड़ते हुए कहा।

अभिषेक- झूठ मत बोल। मैंने खुद तुझे तीन महीने पहले अनामिका के साथ देखा था अयोध्या मैं जिसका सबूत मेरे पास है। मैंने तुम दोनों की फोटो खीच ली थी। तो अब झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं है। सच बता दे नहीं तो फँसेगा तो तू भी।

अभिषेक का अंधेरे में चलाया गया तीर सही निशाने पर लगा और कुछ देर सोचने के बाद आदित्य ने कहा।

आदित्य- मेरा अभी भी अनामिका के साथ चक्कर है। मैं अपने व्यापार के सिलसिले में अयोध्या आता जाता रहता हूँ तो अनामिका के साथ सेक्स होता रहता था मेरा। लेकिन ढाई महीने पहले मैं जब उससे मिला और सेक्स किया तो साली कमीनी बोल रही थी कि मुझसे सेक्स करने में उसे अब मजा नहीं आता। उसने बताया कि उसे कोई और लड़का मिल गया है। जैसे हम लोग लड़कियों को बोलते हैं न फ्रेश माल तो उसे भी कोई नया लड़का मिल गया था। यो ढाई महीने पहले की बात है। उसके बाद मैं अनामिका से कभी नहीं मिला और न ही आज तक उसका फोन भी मेरे पास नहीं आया। साली बड़ी कुत्ती चीज है अनामिका।

आदित्य की बात सुनकर हम सब एक दूसरे को देखने लगे। अभिषेक ने आदित्य से कहा।

अभिषेक- क्यों बे साले। तुझे अब समझ में आया कि वो कुत्ती चीज है। जब उसे तुझसे ज्यादा अच्छा लड़का मिल गया तब। इसके पहले तो तुझे वो बहुत अच्छी लगती थी। मुझे तेरी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है।

आदित्य- तुझे विश्वास करना है तो कर और न करना है तो न कर। जो सच है वो मैंने तुझे बता दिया।

अभिषेक- मुझे मिलना है तुझसे। तू चित्रकूट में हो तो मैं आऊँ यहाँ।

आदित्य- मैं क्यों मिलूँ तुझसे।

अभिषेक- देख भाई। मैं तेरे फायदे के लिए ही तुझसे मिलना चाहता हूँ। अनामिका के पास मेडिकल रिपोर्ट है और उसके हिसाब से वो गर्भवती है। वो रिपोर्ट किसी आम अस्पताल की नहीं है। अयोध्या शहर के जाने माने अस्पताल की है। लेकिन उसके बावजूद भी मेरे एक मित्र को लगता है कि वो रिपोर्ट नकली है। अगर मेरे मित्र की बात में जरा सी भी सच्चाई है। तो अब तू खुद सोच अगर वो इतने बड़े अस्पताल से नकली रिपोर्ट बनवा सकती है तो तू सोच कि वो कितनी पहँची हुई चीज है। साथ ही वो डीएनए जाँच के लिए भी तैयार है। तो वो डीएनए रिपोर्ट भी बदलवा सकती है। इसी सिलसिले में तुझसे मिलकर बात करनी है मुझे। और हाँ इसका जिक्र तुम अनामिका से मत करना। क्योंकि शायद उसका ध्यान तुझपर नहीं गया है अभी। वो तो मेरे बेरोजगार दोस्त को अपने बच्चे का बाप बता रही है। तू तो पैसे वाला है और अपने माँ बाप का इकलौता वेटा है। तो तेरा नाम ध्यान में आते ही वो तुझे अपने बच्चे का बाप बना सकती है।

ये बात अभिषेक ने उसे डराने के लिए कुछ झूठ कुछ सच मिलाकर आदित्य को बता दी। जिसका कुछ सकारात्मक असर आदित्य पर हुआ। वह कुछ देर सोचता हुआ बोला।

आदित्य- मैं जान सकता हूँ कि तू मेरे ऊपर इतना मेहरबान क्यों है।

अभिषेक- देख मैं जानता हूँ कि तू लौंडियाबाज लड़का है, लेकिन तुमने ही मुझे अनामिका की सच्चाई बताई थी। उसका असली चेहरा मेरे सामने लाया था। इसी कारण मैं तुझे बता रहा हूँ।

आदित्य- ठीक है मैं मिलूँगा तुझसे, लेकिन आज नहीं कल। मैं किसी काम के सिलसिले में प्रतापगढ़ आया हूँ एक हफ्ते के लिए। अभी में कुछ दिन यहीं रहूँगा तो कल मिलते हैं। मैं तुझे होटल का पता भेज रहा हूँ।

इतना कहकर आदित्य ने फोन वापस रख दिया। इधर अभिषेक ने जब फोन रखा तो हम सब उसे देखने लगे। महेश ने उसे देखते हुए कहा।

महेश- अबे ये सब क्या था। तू झूठ कब से बोलने लगा बे। उसे झूठ मूठ की ऐसी घुट्टी पिलाई कि वो मिलने के लिए राजी हो गया।

अभिषेक- भले ही सबकुछ झूठ बोला है मैंने लेकिन तेरा संदेह करना तो सही बताया मैंने। कल मिलकर बात करते हैं उससे। शायद कोई और बात पता चल जाए।

संजू- धन्यवाद भाई मेरी इतनी मदद करने के लिए।

अभिषेक- तुम इस गलतफहमी में मत रहो कि मैं तुम्हारी मदद कर रहा हूँ। वो तुमने मेरे दोस्त के ऊपर जो इल्जाम लगाया है। मैं उसे गलत साबित करने के लिए ये सब कर रहा हूँ। ये बात सही है कि ये बच्चा उसका नहीं है, लेकिन फिर भी मैं .0001 फीसदी भी खतरा नहीं होने देने चाहता।

संजू- जो भी हो। इसी बहाने ही सही तुम मेरी मदद कर रहे हो।

अभिषेक- कल सुबह चलने के लिए तैयार रहना।

उसके बाद हम चारों बैठकर इधर उधर की बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद संजू अपने घर चल गया। कुछ देर बैठा रहने के बाद महेश ने कहा।

महेश- अभिषेक। जरा एक बार अनामिका की मेडिकल रिपोर्ट तो दिखा दोबारा।

अभिषेक ने वो मेडिकल रिपोर्ट दोबारा देखने लगा। महेश बहुत बारीकी से उसका निरीक्षण कर रहा था। साहसा उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। उसकी मुस्कान देखकर हम दोनों सोच में पड़ गए। महेश ने हम दोनों को देखते हुए कहा।

महेश- अबे मुझे लग रहा है कि ये रिपोर्ट ही नकली है।

मैं- वो कैसे।

महेश- ये देख इस रिपोर्ट में न तो अस्पताल की मुहर है और न ही जाँच करने वाले डॉ. के हस्ताक्षर।

अभिषेक- हाँ यार इसकी ओर तो हमने ध्यान ही नहीं दिया था।

मैं- तो फिर कैसा करना है अब आगे।

महेश- कल पहले उस लौंडियाबाज से मिलते हैं। फिर देखते हैं क्या करना है आगे।

उसके बाद हमने खाना खाया और बिस्तर पर बैठ गए। अभिषेक अब कुछ दुःखी लग रहा था। महेश ने उसे दिलासा देते हुए कहा।

महेश- ये क्या है यार अभिषेक। कब तक ऐसे उदास रहेगा। मैं कहता हूँ कि एक बार तुझे फिर से खुशबू के पापा से बात करनी चाहिए। तुझे उनको समझाना चाहिए। एक बार उनको कह तो सही कि तुझे कुछ समय की मोहतल तो दें।

अभिषेक- समय हाथ से निकल चुका है भाई। उन्हें मैं अच्छा, संस्कारी और नेक दिखाई देता हूँ। लेकिन खुशबू के काबिल नहीं दिखाई देता। उन्होंने मुझे अपनी बातों में ऐसे फँसाया कि मुझे कुछ कहने का मौका नहीं मिला। मैंने खुशबू के साथ बहुत गलत किया। लेकिन उसके माँ-बाप को भी दुःखी नहीं कर सकता।

महेश- तू खुद दुःखी रह सकता है। अबे अगर तेरी जगह कोई और लड़का होता तो अब तक खुशबू को भगा ले जाता। लेकिन मैं जानता हूँ कि तू ऐसा नहीं करेगा, क्योंकि सब संस्कारों का प्रभाव है। फिर भी एक बार उनसे बात तो कर ही सकते हैं।

अभिषेक- नहीं यार अब मैं खुशबू का सामना नहीं कर पाऊँगा। उसने अभी तक मुझसे बात करने की कोशिश नहीं की मेरा फोन भी नहीं उठा रही है। मुझसे बहुत नाराज है वो। वो भी अपनी जगह सही है भाई।

महेश- तू कुछ नहीं करेगा। लेकिन मैं तो कर सकता हूँ न कुछ तेरे लिए। मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा तुम दोनों को मिलाने के लिए।

अभिषेक- क्या करने वाला है तू। देख महेश तू कुछ उल्टा सीधा मत करना। नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। समझ लेना।

महेश- वैसे भी तुझसे बुरा कोई नहीं है इस समय। तू मेरा भरोसा कर भाई। मैं ऐसा वैसा कुछ भी नहीं करूँगा जिससे तुझे उसके माँ बाप के सामने शर्मिंदा होना पड़े, लेकिन तू मुझे रोकना मत कुछ करने से। मैं जो कुछ करने वाला हूँ उससे मुझे पूरी उम्मीद है कि शायद बात बन जाए। मुझे खुशबू का नम्बर दे और अपनी गाड़ी की चाबी दे।

अभिषेक- लेकिन तू करने क्या वाला है। कुछ बता तो।

महेश- अभी तो कुछ भी नहीं बताऊँगा।

अभिषेक ने महेश को खुशबू का नम्बर दिया और अपने गाड़ी की चाबी दे दी। महेश गाड़ी लेकर चला गया। कुछ देर बाद महेश ने खुशबू को फोन किया।

महेश- खुशबू मैं महेश। अभिषेक का दोस्त। मुझे तुमसे मिलना और कुछ जरूरी बात करनी है।

खुशबू- मैं ....................... जगह पर 30 मिनट में आ रही हूँ।

उधर हम लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि महेश करने क्या वाला है। थोड़ी देर बाद कोचिंग का समय हो गया तो हम दोनों कोचिंग चले गए। कोचिंग बस 15 दिनों के लिए और बाकी थी। मेरे उस दिन की बात से महिमा कोचिंग नहीं आ रही थी। तीन दिन से खुशबू भी कोचिंग नहीं आ रही थी। थोड़ी देर बाद पल्लवी और रेशमा भी आ गए। हम चारों ने थोड़ी देर बात की और कक्षा में चले गए। हमने अपनी कक्षा पूरी की और वापस अपने कमरे में आ गए। महेश अभी तक नहीं आया था। रात को लगभग 8 बजे महेश वापस कमरे पर आया। उसे देखते ही मैंने उससे पूछा।

मैं- क्यों बे। कहाँ था इतनी देर। क्या कर रहा था। कुछ बात बनी।

महेश- कुछ नहीं हुआ भाई। खुशबू इससे बहुत नाराज है। उसने तो मुझसे भी मिलने से मना कर दिया।

अभिषेक- तो फिर तू इतनी देर तक क्या कर रहा था। कहाँ गया था तू।

महेश- क्या कर रहा था क्या। जब खुशबू ने मिलने से मना कर दिया तो मैं कमरे पर आकर क्या करता। तुम लोग तो कोचिंग में थे। तो मैंने सोचा की तब तक शहर घूम लूँ और रमेश चाचा से मिल लूँ तो उसी में इतनी देर लग गई। अब तुम दोनों अपनी बकचोदी बंद करो और खाने की तैयारी करो। मुझे भूख लग रही है।

मैं- साले तू अभी भी भुक्खड़ ही है। अभी तक नहीं बदला।

मेरी बात पर हम तीनों हँसने लगे। फिर हम तीनों मिलकर खाना बनाने लगे। रात को नौ बजे तक अभिषेक के मोबाइल पर उसके घर से फोन आया। फोन उसकी माँ का था।

अभिषेक- प्रमाण मम्मी। कैसी हैं आप।

अ.मम्मी- मैं बहुत अच्छी हूँ। तुम अपना बताओ।

अभिषेक- मैं भी बहुत अच्छा हूँ मम्मी।

अ.मम्मी- क्या बात है अभिषेक तुम घर क्यों नहीं आ रहे हो। तुम्हारी परीक्षा के भी 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन तुम घर नहीं आए। हम लोगों से नाराज हो क्या तुम बेटा।

अभिषेक- कैसी बातें कर रही हैं आप मम्मी। मैं काहे नाराज होऊँगा आप सभी से।

अ.मम्मी- तो फिर कल घर आ जा बेटा। तेरी बहुत याद आती है। कितने दिन हो गए तुझे देखे हुए।

अभिषेक- मम्मी, मैं कल कुछ जरूरी काम के कारण प्रतापगढ़ जा रहा हूँ। मैं फिर आ जाऊँगा।

अ.मम्मी- कल मतलब कल। प्रतापगढ़ इसी रास्ते से होकर तो जाएगा। तो जाने से पहले घर होकर तब जाना।

अभिषेक- ठीक है मम्मी। जैसा आप कहें। प्रणाम मम्मी।

इतना कहकर अभिषेक ने फोन रख दिया। मैंने अभिषेक से कहा।

मैं- क्या हुआ अभिषेक। चाची जी क्या बोल रही थी।

अभिषेक- वो बोल रही हैं कि प्रतापगढ़ जाते हुए घर होकर तब जाऊँ।

मैं- ठीक तो है रास्ते में ही तो है। घर भी घूम लेंगे।

उसके बाद हम तीनों खाना खाकर सो गए। सुबह जल्दी उठकर में अपनी कोचिंग चला गया। कोचिंग में पढ़ाकर आने के बाद हम तीनों खाना खाकर संजू का इंतजार करने लगे। कुछ ही देर में संजू अपनी कार से आया। हम उसकी कार में बैठकर आदित्य से मिलने के लिए निकल पड़े। निकलने से पहले अभिषेक ने आदित्य से बात कर ली थी। रास्ते में अभिषेक ने संजू को थोड़ी देर के लिए गाड़ी अपने घर पर ले चलने के लिए बोल दिया था। 40 मिनट बाद ही हम चारों अभिषेक के घर पहँच गए। उस समय घर पर अभिषेक के पापा, अभिषेक की मम्मी और पायल थी। हम चारों ने अभिषेक के मम्मी, पापा का पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। फिर पायल खुशी खुशी हम तीनों के गले मिली। अभिषेक ने अपने मम्मी, पापा और पायल से संजू का परिचय करवाते हुए कहा।

अभिषेक- मम्मी, पापा और पायल ये हमारे दोस्त हैं संजू। सेना में नौकरी करते हैं और इन्ही के कुछ जरूरी काम के लिए हम चारों प्रतापगढ़ जा रहे हैं।

उसके बाद हम चारों कुछ देर बैठे रहे। पायल थोड़ी थोड़ी देर में चाय नाश्ता पानी हम लोगों को लाकर देती रही। थोड़ी देर बाद अभिषेक के पापा ने अभिषेक से कहा।

अ.पापा- क्या बात है अभिषेक- तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो।

अभिषेक- (हड़बड़ाकर) नहीं पापा ऐसा तो कुछ भी नहीं है। मैं परेशान नहीं हूँ।

अ.पापा- तुम्हारे चेहरे की रौनक गायब है बेटा। तुम कुछ बदले बदले से लग रहे हो। तो इसलिए मैंने पूछ लिया।

अभिषेक- नहीं पापा वो बस थोड़ा सा दर्द है सर में और कुछ भी नहीं।

इसके बाद चाचा जी ने अभिषेक से कुछ नहीं पूछा। थोड़ी देर और बैठने के बाद हम सब अभिषेक के मम्मी पापा से विदा लेकर आदित्य से मिलने के लिए निकल पड़े। प्रतापगढ़ पहुँचने के बाद अभिषेक ने आदित्य को फोन किया तो उसने एक पार्क का पता बता दिया। हम वहाँ पहुँचे तो आदित्य वहीं पर खड़ा मिला। वो हमें पार्क के अंदर ले गया और एक खाली जगह पर हम सभी बैठ गए। बैठने के बाद अभिषेक ने मेरा, महेश और संजू का परिचय आदित्य से कराया। आदित्य ने कहा।

आदित्य- कल तुम बता रहे था कि अनामिका माँ बनने वाली है। क्या ये सही है।

अभिषेक- तुम्हें क्या लगता है हम इतनी दूर से तुम्हारे साथ मस्ती करने आए हैं। वो सब छोड़ो पहले तुम ये बताओ कि तुम जो बोल रहे थे कि अनामिका से आखिरी बार तुम ढाई महीने पहले मिले थे। ये सत्य है या तुम हमे चूतिया बना रहे हो।

आदित्य- मैं क्यों झूठ बोलूँगा तुमसे। और तुम ये मत समझना कि उसकी गर्भावस्था की खबर सुनकर मैं डर गया हूँ, इसलिए तुमसे मिलने के लिए तैयार हो गया। मेरा तुम लोगों से मिलने का दो कारण है। एक तो मेरा स्वभाव तुम्हें पता ही है। मैं किसी बंधन में बँधकर नहीं रहना चाहता। इसलिए मैं अनामिका के किसी भी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए तुमसे मिल रहा हूँ। और दूसरी बात ये है कि अनामिका की गर्भावस्था वाले मामले में मेरी रुचि बढ़ गई है। मैं भी देखना चाहता हूँ कि आखिर वो लौडा है कौन जिसने अनामिका जैसी शातिर लड़की को गर्भवती कर दिया। बाकी वो मेरी रत्ती भार झाँठ के बाल नहीं उखाड़ सकती और न ही तुम चारो मेरा कुछ बिगाड़ सकते हो।

अभिषेक- हो गई तुम्हारी बक बक। तो कुछ काम की बात करें।

आदित्य- हाँ क्यों नहीं। मैंने जो कुछ कल बताया था बो एकदम सही है। मैंने उसके साथ हमेशा कंडोम लगाकर सेक्स किया। फिर भी तुम बता रहे हो कि उसके बच्चे का बाप मैं हूँ। जरा मेडिकल रिपोर्ट तो दिखाओ।

उसके कहने के बाद अभिषेक ने उसको अपने मोबाइल पर मेडिकल रिपोर्ट दिखाई। वो बड़े ध्यान से मेडिकल रिपोर्ट देख रहा था। थोड़ी देर रिपोर्ट देखने के बाद उसने कहा।

आदित्य- मुझे लगता है ये रिपोर्ट नकली है, क्योंकि न इसमे डॉक्टर के हस्ताक्षर हैं और न ही अस्पताल की मुहर। वो तुम सब को चूतिया बना रही है।

उसकी बात सुनकर हम सभी एक दूसरे को देखने लगे। थोड़ी देर बाद महेश ने कहा।

महेश- ये बात तो मैंने भी कल कही थी कि ये रिपोर्ट नकली है तो क्यों न इसका पता लगाने के लिए अयोध्या चला जाए।।

आदित्य- वहाँ जाने की कोई जरूरत नहीं है। इसी अस्पताल में मेरे एक मित्र काम करता है। रुको तुम सब। उससे बात करके देखता हूँ।

उसके बाद आदित्य ने अपनी जेब से आईफोन निकाला और उसमे अपने दोस्त का नम्बर देखने लगा। फिर उसमें नम्बर मिलाया। उधर से एक लड़के ने फोन उठाया और बोला।

लड़का- अबे साले चिरकुट। आज याद आई मेरी। कैसा है तू भाई। बड़े दिन बाद याद किया तुमने मुझे।

आदित्य- मैं ठीक हूँ भाई। तुझे ते पता है कि मेरा काम कैसा है।

लड़का- हाँ पता है साले। तुझे लड़कियों से फुरसत मिलेगी तभी तो तू मुझे याद करेगा।

आदित्य- अच्छा ये सब छोड़। यहाँ कुछ समस्या आ गई है जिसमे मुझे तेरी एक मदद चाहिए।

लड़का- अरे तू बोल भाई। मेरे रहते तुझे किस बात की समस्या है बे। तू बिन्दास होकर बोल।

आदित्य- बात ये है कि मेरा एक दोस्त है जिसके पास एक मेडिकल रिपोर्ट है तुम्हारे अस्पताल की। उसे देखने के बाद मुझे लगता है कि वो रिपोर्ट नकली है। तो इस बात का पता कैसे लगेगा कि रिपोर्ट नकली है या असली।

लड़का- बहुत साधारण बात है यार। अगर वो रिपोर्ट असली होगी तो उसके पूरा रिकार्ड कंप्यूटर पर अस्पताल के डेटाबेस में सुरक्षित होगा और अगर नकली हुई तो अस्पताल के पास उसका कोई साक्ष्य नहीं होगा। तू मेडिकल रिपोर्ट की क्रमांक संख्या बता मैं तुझे अभी बता देता हूँ कि रिपोर्ट असली है या नकली।

आदित्य- हाँ लिख। एचपीए सी 014 66 20 21

उस लड़के ने कंप्यूटर में रिपोर्ट क्रमांक डालकर सर्च किया और बोला।

लड़का- हाँ भाई रिपोर्ट तो असली है। इसका पूरा रिकार्ट अस्पताल के पास मौजूद है। ये लगभग 45 दिन की गर्भावस्था रिपोर्ट है।

आदित्य- ठीक है भाई अभी फोन रखता हूँ बाद में बात करता हूँ।

उस लड़के की बात सुनकर हम पाँचों का चेहरा मायूस हो गया। हम सभी को उम्मीद थी शायद ये रिपोर्ट नकली हो। लेकिन अस्पताल रिकार्ड में पूरा ब्यौरा मौजूद होने के कारण रिपोर्ट की सार्थकता प्रमाणित हो गई। हम सभी निराश हो कर एक दूसरे की तरफ देखने लगे।



इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
Bahut hi badhiya update,,,,:claps:
Mahesh bhi aa gaya hai aur usne Abhishek ki help karne ke liye khushbu ka no liya aur use milne ke liye bhi bulaya lekin uski khushbu se kya baat huyi ye usne nahi bataya aur na hi update me iska scene dikha hai. Khair Anamika ke maamle ki jaanch padtaal jaari hai. Aditya se milne ke baad aur medical report ki jaanch karne ke baad yahi pata chala ki Anamika ki wo report real thi, matlab jo raahat aur ummid ki kiran nazar aayi thi wo gadhe ke seeng ki tarah gaayab ho gayi hai. Ab sawaal ye hai ki Anamika kiska beej apne pet me liye ghoom rahi hai.??? Kahi sanju koi game to nahi khel raha ya fir wo beej kisi chauthe person ka hai. Khair dekhte hain aage,,,,:smoking:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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तिरपनवाँ भाग

अस्पताल के रिकॉर्ड से यह प्रमाणित हो जाने के बाद, कि वो अनामिका गर्भवती है हम सब निराश हो गए। आदित्य से मिलने का भी औचित्य अब पूरा हो गया था। इसलिए हम सब लोगों ने घर वापस आने का फैसला कर लिया। हम लोग पार्क से बाहर आ गए और अपनी गाड़ी की तरफ जाने लगे तो आदित्य ने अभिषेक से कहा।

आदित्य- एक बात सुनो अभिषेक। तुम मुझे जितना बुरा समझते हो मैं उतना बुरा भी नहीं हूँ। बस लड़कियाँ मेरी कमजोरी हैं। मैं किसी भी सुंदर लड़की को देखकर फिसल जाता हूँ। बाकी मैं इतना बुरा भी नहीं हूँ। मैं यारों का यार हूँ। अगर तुम्हें इस मामले में मेरी कोई भी मदद चाहिए तो बता देना। मैं तुम्हारी हर संभव मदद करने के लिए तैयार हूँ।

अभिषेक- ठीक है। अगर आगे मदद की जरूरत पड़ी तो तुमसे जरूर बात करूँगा।

उसके बाद मैं, अभिषेक, महेश और संजू कार में बैठकर इलाहाबाद के लिए निकल गया। लगभग एक घंटे बाद हम लोग इलाहाबाद पहुँच आए। हम चारों अपने कमरे में बैठकर इसके बारे में सोचने लगे कि आगे क्या करना है। संजू ने कहा।

संजू- अस्पताल के रिकॉर्ड से तो ये साबित हो गया कि रिपोर्ट झूठी नहीं है तो अब आगे हमें क्या करना चाहिए।

महेश- देख भाई अब तो एक ही रास्ता बचा है और वो है डीएनए जाँच। उसके बाद ही दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। तुम उससे इसके बारे में बात करो। और उसे डीएनए जाँच करवाने के लिए बोलो।

संजू- ठीक है भाई। मैं कोशिश करता हूँ इसके लिए। अब मैं चलता हूँ। बहुत जल्द दोबारा मुलाकात होगी।

संजू के जाने के बाद हम तीनों ने मिलकर खाना बनाया। खाना बनाकर हम खाने के लिए बैठे तो अभिषेक का फोन बजने लगा। अभिषेक ने फोन उठाते हुए कहा।

अभिषेक- हेलो।

उधर से- हेलो। अभिषेक बोल रहे हो।

अभिषेक- हाँ। आप कौन।

उधर से- मैं खुशबू का पापा बोल रहा हूँ।

अभिषेक ये सुनकर हम दोनों को देखने लगा। हमने आँखों से इशारा करके पूछा कि क्या बात है तो अभिषेक ने फोन स्पीकर पर डाल दिया और बोला।

अभिषेक- नमस्ते चाचा जी। आप ने मुझे फोन किया। सब ठीक तो है न। मैंने खुशबू को अच्छे से समझा दिया है चाचा जी। वो आपकी बात जरूर मानेगी।

खु.पापा- हाँ उसने मेरी बात मान ली है। मैंने तुम्हें इसलिए फोन किया है कि तुम अपनी बहुत ही कीमती चीज मेरे घर में भूल गए हो। तो क्या तुम कल मेरे घर आ सकते हो।

उनकी बात सुनकर हम तीनों एक दूसरे को देखने लगे। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बात कर रहे हैं। थोड़ी देर खामोश रहने के बाद अभिषेक ने कहा।

अभिषेक- नहीं चाचा जी। मुझे जहाँ तक याद है मैं अपनी कोई भी चीज आपके यहाँ पर नहीं भूला हूँ। और कृपा करके मुझे आप अपने घर मत बुलाइये। आप जो चाहते थे मैंने वो कर दिया है। खुशबू को मैंने अच्छे से समझा दिया है। वो आपकी हर बात मानेगी। वो कोई गलत कदम नहीं उठाएगी।

खु.पापा- तुम कल घर आ जाना सुबह। तुम्हें पता चल जाएगा कि मैं तुम्हारी किस कीमती चीज की बात कर रहा हूँ। अब मैं फोन रख रहा हूँ। कल में तुम्हारा इंतजार करूँगा।

इतना कहकर उन्होंने फोन काट दिया और अभिषेक फोन रखकर हम दोनों को देखने लगा। तभी अभिषेक को ध्यान आया कि कल महेश गया हुआ था गाड़ी लेकर खुशबू से मिलने तो अभिषेक महेश को देखने लगा। महेश ने उसे अपने को घूरता पाकर कहा।

महेश- तुझे क्या हुआ। तू मुझे ऐसे क्यों देख रहा है।

अभिषेक- तू कल गया था खुशबू से मिलने। कहीं तूने कोई कांड तो नहीं कर दिया वहाँ। सच सच बोल महेश क्या किया तूने।

महेश- अबे मैंने कुछ नहीं किया है। तू साले एकदम बकचोद ही रहेगा। अगर मैंने कुछ किया होता तो कल की पूरी रात चली गई और आज का पूरा दिन चला गया। फोन करते कि नहीं करते तुझे। 24 घंटे बाद तुझे फोन करते क्या वो। साले तुझे शक करने की बीमारी होती जा रही है।

अभिषेक- शायद तू सही कह रहा है। आजकल जीवन में कुछ अच्छा नहीं हो रहा है। शायद ये उसी का प्रभाव है।

महेश- हिम्मत मत हार भाई। जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है। तुझे तेरा प्यार जरूर मिलेगा।

उसके बाद हम सब सो गए। सुबह उठकर मैं कोचिंग चला गया। कोचिंग पढ़ाकर लौटकर आया तो खुशबू के यहाँ जाने के लिए तैयार होने लगा। अभिषेक ने महेश से कहा।

अभिषेक- तू भी तैयार हो जा बे। तू भी साथ में चल हमारे।

महेश- तुम दोनों न एकदम पगला गए हो। साले तुम लोगों की लंका लगी हुई है तो कम से कम मेरी तो प्यार की गाड़ी चलने दो। पल्लवी कुछ ही देर में आती होगी। मैंने आज उसके साथ घूमने का प्लान बनाया है। और तू खुशबू के यहाँ बारात लेकर नहीं जा रहा है जो मैं भी साथ में चलूँ। तुम दोनो जाओ।
महेश की बात भी सही थी। जब से महेश आया था पल्लवी से मिलने नहीं गया था। हम दोनों की समस्याओं में उलझा हुआ था। हम दोनों तैयार होकर खुशबू के घर चले गए। वहाँ पर पहुँच कर मैंने घर की घंटी बजाई तो खुशबू के पापा ने खुद ही दरवाजा खोला। हम दोनों ने उनके पैर छुए तो उन्होंने आशीर्वाद देकर हम दोनों को अन्दर आने के लिए कहा और हम दोनों को ले जाकर बैठक कक्ष मैं बैठा दिया। खुशबू की मम्मी ने हम दोनों को पीने के लिए पानी दिया। हम दोनों पानी पीकर शांति से बैठ गए। खुशबू के पापा भी हम दोनों के सामने बैठकर हम दोनों को देख रहे थे, मगर वोल कुछ भी नहीं रहे थे। कुछ देर तक जब उन्होने कुछ नहीं कहा तो मैंने ही उनसे कहा।

मैं- चाचा जी। आपने अभिषेक को यहाँ किसलिए बुलाया है।

खु.पापा- बताता हू तुम्हें। पहले ये बताओ। तुम दोनों बहुत परेशान दिखाई दे रहे हो। कोई समस्या है क्या।

उनका सवाल सुनकर हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे। हम दोनों ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो खुशबू के पापा ने फिर से कहा।

खु.पापा- मैंने कुछ पूछा है तुम दोनों से। लेकिन तुम दोनों ने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया।

मैं- क्या बताऊँ चाचा जी। हम दोनों की जिंदगी में इस समय कुछ बढ़िया नहीं चल रहा है। मैं किसी अन्य समस्या में घिरा हुआ हूँ। और अभिषेक की परेशानी के बारे में आपसे बेहतर और कौन जान सकता है।

मैंने आखिरी बात खुशबू के पापा की आँखों में आँखें डालकर कही थी। वो थोड़ी देर मेरी तरफ देखते रहे और फिर बोले।

खु.पापा- मैं समझ सकता हूँ अभिषेक की परेशानी का कारण। और उसी परेशानी को खत्म करने के लिए ही मैंने अभिषेक को यहाँ बुलाया है।

अभिषेक- मैं समझा नहीं कि आप कहना क्या चाहते हैं। कल रात आप बोल रहे थे कि मैं कोई कीमती चीज यहाँ भूल गया हूँ। और आप अभी बोल रहे हैं कि मेरी परेशानी खत्म करने के लिए यहाँ पर बुलाया है।

खु.पापा- हाँ मैं उसी कीमती जीज की बात कर रहा हूँ। जिससे तुम्हारी परेशानी और तकलीफ दूर हो सकती है।

मैं और अभिषेक एक दूसरे को देखने लगे। हम दोनों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर खुशबू के पापा कहना क्या चाहते हैं। अभिषेक ने उनसे पूछ लिया।

अभिषेक- देखिए चाचा जी मुझे आपकी बात बिलकुल भी समझ में नहीं आ रही है। आपको जो भी कहना है साफ साफ कहिए।

खु. पापा- अच्छा एक मिनट रूको। खुशबू जरा यहाँ तो आना बेटी।।

अभिषेक को दो मिनट रुकने का बोलकर खुशबू के पापा ने खुशबू को आवाज लगाई। अपने पापा की आवाज सुनकर खुशबू बैठक कक्ष मैं आई। और अपने पापा के पास आकर बैठ गई। अभिषेक ने एक नजर खुशबू को देखा और अपनी आँखें नीचे कर ली। मैं खुशबू को ध्यान से देखा तो वो खुश दिखाई दे रही थी और शरमा भी रही थी। मैं भी खुशबू को ऐसा देखकर दुविधा में पड़ गया। इस समय खुशबू को खुश नहीं होना चाहिए था, बल्कि उसके चेहरे पर परेशानी, शिकन और नाराजगी का भाव होना चाहिए था। खुशबू के पापा ने खुशबू को देखते हुए अभिषेक से कहा।

खु.पापा- क्या हुआ अभिषेक। खुशबू यहाँ आ गई तो तुमने अपनी गरदन क्यों नीचे झुका रखी है।

अभिषेक- आपकी बात का मान रखने के लिए मैंने खुशबू का दिल तोड़ा है। उसे अपने प्यार का वास्ता देकर आपके पसंद किए हुए लड़के से शादी करने के लिए मजबूर किया है। मैं खुशबू का गुनहगार हूँ। मैं खुशबू से नजरें मिलाने लायक नहीं रह गया हूँ।

खु.पापा- ये तुमसे किसने कह दिया है कि तुम खुशबू से नजरें मिलाने के लायक नहीं हो। तुमने तो वो काम किया है कि मुझे तुमपर गर्व है। और खुशबू इस समय उसी लड़के के सामने बैठी है जिसे मैंने उसके लिए पसंद किया है।

खुशबू के पापा की बात सुनकर हम दोनों उछल पड़े। खुशबू अपने पापा की बात सुनकर और भी शरमाने लगी और अपने पापा की तरफ देखने लगी। उसके पापा ने उसे कुछ इशारा किया तो वो बैठक कक्ष से बाहर निकल गई। हम दोनों आश्चर्य से खुशबू के पापा को देखने लगे। अभिषेक ने आश्चर्यपूर्वक उनसे पूछा।

अभिषेक- मैं कुछ समझा नहीं आप कहना क्या चाहते हैं। खुशबू आपके पसंद किए हुए लड़के के सामने बैठी है। लेकिन इस समय तो यहाँ हम दोनों के अलावा और कोई लड़का है ही नहीं।

खु.पापा- (मुस्कुराते हुए।) मैं तुम्हारी बात कर रहा हूँ। मैंने तुम्हें पसंद किया है अपनी बेटी के लिए। क्योकि मैं जान गया हूँ कि तुमसे अच्छा लड़का मेरी बेटी को नहीं मिल सकता।

खुशबू के पापा की बात सुनकर हम दोनों की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। खुशी के मारे अभिषेक की आँखें भर आई। अभिषेक ने अपनी डबडबाई आखों से उनसे कहा।

अभिषेक- आप सत्य बोल रहे हैं न। आप मजाक तो नहीं कर रहे हैं मेरे साथ।

खु.मम्मी- तुमने जो सुना वो बिलकुल सही सुना। खुशबू के लिए तुम ही उत्तम वर हो।

ये बात खुशबू की मम्मी ने कही जो चाय और नमकीन लेकर बैठक कक्ष में आई थी। उनकी बात सुनकर अभिषेक बहुत खुश हुआ। मुझे भी अभिषेक के लिए बहुत खुशी महसूस हो रही थी। अभिषेक कुछ बोलना चाह रहा था लेकिन मारे खुशी के मारे बोल ही नहीं पा रहा थी। तो मैंने ही खुशबू के पापा से पूछ लिया।

मैं- आपने जो निर्णय लिया है। मैं बता नहीं सकता कि आपके इस निर्णय ने हमको कितनी खुशी दी है। आपको नहीं पता चाचा जी। उस दिन आपके घर से जाने के बाद और खुशबू को अपनी कसम देकर आपके पसंद किए हुए रिश्ते से शादी करने की बात कहकर अभिषेक कितना रोया था। मुझे इसकी हालत देखकर बहुत दुःख हुआ। हमेशा उदास रहने लगा था ये। परंतु मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है कि जब खुशबू आपके दोस्त के बेटे सा शादी करने के लिए तैयार हो गई थी तो आप अभिषेक और खुशबू की शादी के लिए कैसे मान गए।

खु.पापा-खुशबू भले ही अभिषेक की कसम की वजह से हारकर मेरे पसंद किए हुए लड़के से शादी के लिए तैयार हो गई थी, लेकिन खुशबू ने हँसना छोड़ दिया था। जो घर खुशबू की हँसी और उसकी चुलबुली हरकतों के कारण हमेशा गुलजार रहता था उस घर में वीरानी छा गई। खुशबू अपनी माँ और भाई से हमेशा बोलती थी, कि वो शादी तो कर ले रही है, लेकिन वो कभी खुश नहीं रहेगी। वो जीते जी मर जाएगी। वो तुमसे बहुत प्यार करती है। वो अपने भाई और मम्मी को बोलती थी कि वो लोग मुझे बोलें कि मैं अपना फैसला बदल दूँ। जब इन दोनों ने मुझे ये बात बताई तो मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि कहीं मैं उसके अच्छे भविष्य को सोचकर जो फैसला ले रहा हूँ। वो गलत तो नहीं है। मैं भी अपनी बेटी से बहुत प्यार करता हूँ।

लेकिन फिर भी मैं कोई निर्णय नहीं ले पा रहा था, क्योंकि हर माँ बाप की तरह मुझे अपनी बेटी के भविष्य की चिंता थी और मुझे अपने दोस्त के बेटे के साथ ही अपनी बेटी का भविष्य दिख रहा था। तुम एक तरह से ये भी बोल सकते हो कि मैं स्वार्थी हो गया था और इस स्वार्थ के कारण मुझे अपनी बेटी का सच्चा प्यार और दुःख दर्द नहीं दिखाई पड़ रहा था। मेरी श्रीमती जी ने भी मुझसे कहा कि अभिषेक संस्कारी और अच्छा लड़का है। खुशबू उससे प्यार भी करती है। मेरे बेटे ने भी यही बात कही मुझसे, लेकिन फिर भी मैं दुविधा में था। और मेरी इस दुविधा को दूर किया तुम्हारे पापा ने।

खुशबू के पापा की बात सुनकर हम दोनों अपनी जगर से उछल पड़े और एक दूसरे को आश्चर्य चकित होकर देखने लगे। जैसे आँखों ही आँखों में पूछ रहे हों कि उनको ये बात कैसे पता चली। अभिषेक ने उनसे पूछा।

अभिषेक- पापा को ये बात कैसे पता चली। मैंने तो उन्हें कुछ नहीं बताया इस बारे में।

खु.पापा- वो तुम्हारा एक और दोस्त है ना। क्या नाम है उसका। हाँ महेश उसने बताया उन्हें।

अभिषेक- क्या। महेश ने ये सब किया और मुझे बताया तक नहीं।

अभिषेक- कल तुम्हारे पापा मेरे घर आए थे।

कल का वार्तालाप।

खु.पापा-(दरवाजा खोलते हुए) जी हाँ बताइए।

अ.पापा- नमस्ते। मैं अभिषेक का पापा।

खु.पापा- नमस्ते भाई साहब। आइए अंदर आइए।

खुशबू के पापा अभिषेक के पापा को अपने साथ बैठक कक्ष में ले गए और दोनों लोग सोफे पर बैठ गए। बैठने के बाद जलपान के बाद दोनों के बीच वार्तालाप शुरू हो गई।

खु.पापा- हाँ भाई साहब, कुछ काम था क्या आपको मुझसे।

अ.पापा- आपको तो पता ही है कि मैं यहाँ किसलिए आया हूँ।

खु.पापा- आपके आने का कारण मुझे पता है। मैं भी कई दिन से इसी दुविधा में हूँ कि मैं जो कर रहा हूँ खुशबू के साथ वो सही है या गलत। मैं खुशबू से बहुत प्यार करता हूँ और मैं जो भी कुछ कर रहा हूँ उसके भले के लिए ही कर रहा हूँ।

अ.पापा- देखिए भाई साहब, आप जो बात कह रहे हैं। वो बिलकुल सही है। हर माँ बाप का सपना होता है कि वह अपने बच्चों को हमेशा खुश देखें। खुशबू आपकी बेटी है। और उसके लिए आपने जो निर्णय लिया है वो उसकी भलाई के लिए ही होगा। भविष्य किसी ने नहीं देखा, कब किसके साथ क्या हो जाए। आज जो कुछ ठीक चल रहा है। कल को वो सब उलट-पुलट हो सकता है। मैंने अभिषेक को अच्छे संस्कार दिए हैं। खुशबू उसके साथ भागकर भी शादी करना चाहती है, लेकिन मुझे मालूम है कि मेरा बेटा ऐसा कोई भी काम नहीं करेगा, जिससे हमें शर्मिंदगी झेलनी पड़े। वो पढ़ाई में भी तेज है। आज नहीं तो कल उसके पास भी रोजगार होगा। अगर रोजगार नहीं भी हुआ तो भी दोनों दोस्त मिलकर कोचिंग खोलना चाहते हैं। देखिए भाई साहब। मैं ये नहीं कह रहा कि अभिषेक खुशबू के लिए अच्छा जीवनसाथी होगा, या जिसे आपने खुशबू के लिए पसंद किया है वो उसके लिए अच्छा जीवनसाथी होगा। क्योंकि ये सब भविष्य के गर्भ में है।

लेकिन अगर हम वर्तमान में देखें तो दोनों बच्चे एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। खुशबू इस शादी से बिलकुल भी खुश नहीं हैं। वो बोल रही थी कि उसको अभिषेक ने अपनी कसम दी है इसलिए वो इस शादी के लिए तैयार है, लेकिन इस शादी के बाद वो जिंदा लाश बनकर रह जाएगी। मुझे कल महेश ने इसके बारे में सबकुछ बताया। मैं अपने बेटे की खुशी के लिए आपसे मिलने के लिए आया हूँ और आपसे निवेदन करता हूँ कि आप इस बारे में एक बार फिर से सोच लीजिए भाई साहब। ऐसी शादी का क्या फायदा जिसमें आपकी बेटी खुश ही न रहे और आगे चलकर झुंझुलाहट और क्षोभ के कारण कोई गलत कदम न उठा ले, तो उस समय आप क्या खुद को माफ कर पाएँगे क्या। बाकी खुशबू आपकी बेटी है और मुझसे ज्यादा अच्छी तरह से आप उसको जानते हैं। उसके बारे में कोई भी निर्णय ले सकते हैं। मैं तो बस दोनों बच्चों की खुशी के लिए आपसे निवेदन करने के लिए आपके पास चला आया। अब मैं चलता हूँ। अगर मेरी किसी बात का आपको बुरा लगा हो या मेरी किसी बात से आपको ठेंस पहुँची हो तो मुझे माफ कर दीजिएगा।

इतना कहकर अभिषेक के पापा बाहर चले गए।

कल की पूरी बात सुनने के बाद अभिषेक और मैं एक दूसरे को देखने लगे। महेश ने इतनी बड़ी बात हमसे छुपाई, इसीलिए वो आज साथ नहीं आया हमारे और पल्लवी के साथ घूमने निकल गया। अभिषेक ने कहा।

अभिषेक- मेरे पापा मुझसे बहुत प्यार करते हैं और मेरी खुशी के लिए ही वो यहाँ पर आए थे। अगर उन्होंने आपको कुछ गलत बोल दिया हो तो माफ कर दिजिएगा चाचा जी।

खु.पापा- नहीं बेटा। तुम्हारे पापा ने कुछ भी गलत नहीं कहा, बल्कि उन्होंने मेरी आँखों पर पड़ा हुआ वो परदा हटाया है, जिसकी वजह से मैं खुशबू की खुशियाँ नहीं दिखाई दे रही थी। मैंने तुम्हारे पापा के जाने के बाद बहुत ही गहराई से फिर से इस बारे में सोचा तो मुझे मालूम हुआ कि गलती मुझसे हुई थी जिसे मैं सुधारना चाहता हूँ। मुझे तुम दोनों के प्यार से कोई आपत्ति नहीं है। एक और मजे की बात ये है कि महेश कल खुशबू को लेकर तुम्हारे घर गया था तुम्हारे मम्मी पापा से मिलाने।

अभिषेक और मैं आश्चर्य से एक दूसरे को देखने लगे। थोड़ी देर तक एक दूसरे को देखने के बाद मैंने खुशबू के पापा से कहा।

मैं- लेकिन महेश ने हमसे इस बारे में कोई जिक्र नहीं किया।

खु.पापा- वो शायद इसलिए कि पता नहीं मैं इस रिश्ते के लिए तैयार होता या नहीं। इसलिए उसने ये बात छुपाई होगी तुम दोनों से।

खुशबू के पापा की बात सुनकर हम दोनों को बहुत खुशी हो रही थी और महेश की दोस्ती पर गर्व महसूस हो रहा था कि उसने अभिषेक की खुशी के लिए इतना कुछ किया। फिर कुछ देर बातचीत करने के बाद हम उनके घर से आशीर्वाद लेकर अपने कमरे पर आ गए। हम जब कुछ दिन पहले खुशबू के घर से बाहर निकले थे तो गम और दर्द के साथ निकले थे, लेकिन आज जब उसके घर से निकले तो बहुत ही खुशी से निकले थे। अभिषेक खुशी से झूम रहा था। घर से बाहर आकर जब मैंने गाड़ी चालू की तो एकाएक अभिषेक की नजर छत के बारजे पर गई जहाँ से खुशबू बहुत खुश होकर हम दोनों को देख रही थी। अभिषेक ने खुशी खुशी एक फ्लाइंग किस खुशबू को दी। जिससे खुशबू शरमा गई और घर के अंदर चली गई। मैं और अभिषेक अपने कमरे पर आ गए। अभिषेक ने कमरे पर पहुँच कर तुरंत अपने पापा को फोन किया और कहा।

अभिषेक- प्रणाम पापा। आप बहुत अच्छे हो पापा। आपने मुझे मेरा प्यार वापस किया। मैं बहुत खुश हूँ। आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हो। धन्यवाद पापा बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मेरे लिए इतना कुछ किया।

अ.पापा- अरे मैं तेरा बाप हूँ। तेरे लिए इतने तो कर ही सकता हूँ। लेकिन तूने मेरे साथ अच्छा नहीं किया। तूने एक बार भी मुझसे अपनी परेशानी साझा करने की कोशिश नहीं की। लगता है अब तू मुझसे प्यार नहीं करता।

अभिषेक- ऐसी बात नहीं है पापा। मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ, लेकिन मैं आपको परेशान नहीं करना चाहता था अपनी परेशानी बताकर, इसलिए मैंने आपको कुछ नहीं बताया। इसके लिए मुझे माफ कर दीजिए आप।

अ. पापा- ये क्या बेटा। मैं बाप हूँ तेरा। तुझे परेशानी में कैसे देख सकता हूँ। तू खुश है न। और मुझे क्या चाहिए। बस तू इन सब बातों को छोड़ और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। और हाँ ये सब मैंने नहीं किया है। इसके पीछे महेश का हाथ है। उसकी खबर जरूर लेना तुम।

अभिषेक- हाँ पापा। वो कहीं बाहर गया है। कुछ देर में आएगा तो मैं उसकी अच्छे से खबर लेता हूँ। अभी मैं फोन रखता हूँ पापा। नमस्ते।

इतना कहकर अभिषेक ने फोन रख दिया और खुशी खुशी कमरे में बैठकर महेश का इंतजार करने लगे।

इसके आगे की कहानी अगले भाग में।

Bahut khoob, shandar update,,,,:claps:
To mahesh ne Abhishek ka beda paar kar diya. Mujhe laga hi tha ki isne kuch kiya hai. Khair to khushi ki baat ye huyi ki Abhishek ki viraan hone wali zindagi me fir se bahaar aa gayi. Chalo khushbu aur Abhishek ka to rishta ab pakka hi ho gaya samjho lekin Anamika wala matter abhi bhi gale me talwaar lagaye kaayam hai. Dekhte hain kya hota hai aage,,,,,:smoking:
 

Mahi Maurya

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Update bahut achha tha mahi madam,,,,:claps:
धन्यवाद आपका महोदय।।

Anamika ke bare me mujhe pahle se hi andesha tha ki wo nunu ke sath sirf maza hi le rahi hai. J
उसने नूनू से ही नहीं कइयों से मज़े लिए हैं आगे देखिएगा।।
Jane kyo nayan ka character mujhe chutiya type ka laga. Matlab ki ek ke baad itne dhokhe mile iske baavjud banda mature nahi hua, balki aurato ki tarah sirf rota hai...had hai ye to,,,,:dazed:
वो सीधा सादा है सर जी। उसे नहीं पता दुनियादारी। धीरे धीरे समय के साथ सब बदल जाएगा। और वैसे भी लड़कियों को आजतक कोई समझ पाया है जो नयन जैसा लड़का उन्हें समझ पाएगा।।😊😊😊

Abhishek ne agar Anamika ke bare me Nayan ko na bataya hota to aage chalkar Anamika Nayan se maze le kar uski gaand me laat maar kar bhaga bhi deti. A
अगर नयन ने अभिषेक को पहले से ही सबकुछ भटक दिया होता तो ये नौबत नही ही आती। अभिषेक पहले ही मना कर देता नयन से।।

Agar aisa hota to yakeenan achha hota. Khair jo hua so hua. Ab dekhte hain aage kya hota hai,,,,,:smoking:
ऐसा मत कहिए सर जी नहीं तो नयन का दिल टूट जाएगा जो अभी थोड़ा बहुत बचा है।।😁😁😁😁
 

Mahi Maurya

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Bahut hi badhiya mahi madam,,,,,:claps:
धन्यवाद आपका महोदय।।

Nayan ke to laude lag gaye hain. Anamika ke sath maze ke chakkar me wo ek alag hi kaand me fas gaya hai. Anamika bf sanju Nayan ko phone karta hai aur use batata hai ki usne kya gul khilaya hai.
वो तो फंसना ही था। सीधा सादा जो है। नामिका के साथ नयन के अलावा बहुत लोगों ने गुल खिलाया है। लेकिन इस गुल खिलाने के चक्कर मे फूल किसने खिला दिया ये सोचने वाली बात है।

Khair ab sawaal ye hai ki jab Anamika ke pet me Nayan aur sanju ka bachcha nahi hai to aakhir kiska hai. Zaahir hai ki Anamika ka koi teesra bf hoga jiski meharbaani ka nateeja uske pet me hai.
ये बात सही है आपकी सर जी।
अनामिका कितने लोगों के साथ सेक्स कर चुकी है और कर भी रही है तो किसी का भी बच्चा हो सकता है। लेकिन सवाल ये है कि उसने सन्जू को इसका बाप क्यों बताया।

Ab use kya pata ki Nayan to pahle se hi khud apne hath se apne pichhwade me mota sa danda daale baitha hai,,,,,:lol1:

Khair dekhte hain aage kya hota hai,,,,
😁😁🙄😆😆😆

नयन की हालत खराब है और आप भी मज़े ले रहे हैं उसके। अच्छा है।😁😁
 
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Mahi Maurya

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Bahut khoob mahi madam,,,,,:claps:
धन्यवाद आपका मान्यवर।।
Ye wala update kafi mazedaar tha. Anamika ne sanju aur Nayan dono ki gaand me danda daal rakha hai jiski vajah se dono hi pareshan hain,,,,,:lol1:
अनामिका ने बहुत सोच समझकर ये सब किया है। इतनी चालाकी से किया है कि सबका दिममग घुमा दिया है उसने। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है।।

Anamika DNA test karwane ko taiyar to hai lekin is shart par ki wo pahle ghar walo se shadi ki baat kare. Ladki door ka soch kar chal rahi hai. Idhar sanju ke laude hi nahi uski ande bhi moghe me fase huye hain. Zyada chu chaan karega to Anamika case bhi kar sakti hai uske upar. Fauj me hai to isse uski naukari bhi ja sakti hai. Kul mila kar marta kya na karta wali position e hai wo. Idhar Nayan ki bhi gaand fati hai,,,,:lol:
अनामिका डी एन ए जांच के लिए तैयार है तो इसके पीछे भी एक कारण है। वो कोई कच्ची गोटियां नहीं खेल रही है। हर बात को बहुत बारीकी से देख और समझ रही है। इसीलिए नयन और सन्जू कि लगी पड़ी हुई है। दोनों ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकते। सन्जू के घर मे उसके पापा की स्थिति भी ठीक नहीं है। इसलिए सन्जू कुछ भी करने से डर रहा है।।

Rah gaya tha Abhishek to khushbu ke phone ne uski cuteness me danda daal diya hai.
हाँ अब अभिषेक का भी तो कुछ करना ही था। आखिर नयन का लंगोटिया यार है तो उसके साथ कुछ अच्छा कैसे हो सकता है।🙄😆😁😁

Mahi madam bahut badhiya gaand todaayi karwa rahi ho inki,,,,,:good:
धन्यवाद आपका। इसका क्रेडिट हम जरूर लेंगे।।
😂😂😂😂
 
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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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चौवनवाँ भाग


अपने पापा से बात करने के बाद अभिषेक ने फोन रख दिया और हम दोनों महेश का इंतजार करने लगे। मैंने उसे फोन किया तो उसने कुछ देख मैं आने के लिए बोल दिया लगभग 1 घंटे बाद महेश और पल्लवी कमरे पर आए। महेश जैसे ही अंदर आया। हम दोनों ने उसे दबोच लिया और बिस्तर पर पटक कर उसके ऊपर चढ़ गया। अभिषेक ने उसके ऊपर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। मैं महेश के हाथ मरोड़ने लगा और बोला।

मै- साले चिरकुट। इतनी बड़ी बात तूने हम दोनों से छिपाई। तूने चाचा जी को सबकुछ बता दिया और तो और खुशबू को घर भी ले गया था। कमीने हमें नहीं बता सकता था।

महेश- अबे नूनू साले छोड़ मुझे दर्द होता है। अरे अभिषेक साले क्या कर रहा है। पल्लवी अभी गई नहीं हैं। अगर उसने हमें ऐसे देख लिया तो मेरी वाट लगा देगी। साले मैंने तेरे दिल का तार खुशबू के साथ फिर से जोड़ा है और तू मेरे दिल का तार पल्लवी के दिल से काटना चाहता है।

अभिषेक- मैं हूँ न तेरा कनेक्शन दोबारा से जोड़ने के लिए।

महेश- साले अब बकैती मत कर। अपना तो जोड़ नहीं पाया और मेरा जोड़ने की बात कर रहा है।

हम तीनों मस्ती कर रहे थे और पल्लवी दरवाजे से खड़ी सब देख रही थी। थोड़ी देर बाद उसने कहा।

पल्लवी- ये क्या हो रहा है। तुम तीनों को शर्म नहीं आती। एक लड़की के सामने ऐसा करते हुए।

मैं- आ जा पल्लू तो भी महेश का दूसरा हाथ मरोड़। साला बहुत कमीना हो गया है। हम लोगों को भनक भी नहीं लगने दी इसने।

पल्लवी- मुझे तो पहले से ही पता था इसके बारे में।

अभिषेक- क्या। इसने तुम्हें भी बताया था और तुमने हम दोनों को भी बताना जरूरी नहीं समझा। रूको अभी तुम्हें बताता हूँ।

इतना कहकर अभिषेक महेश के ऊपर से उठा और पल्लवी की तरफ जाने लगा। पल्लवी हँसते हुए भागने लगी और आकर बिस्तर पर बैठ गई। महेश भी उठकर बिस्तर पर बैठ गया। अभिषेक ने एक बहुत ही हलका मुक्का पल्लवी को मारते हुए कहा।

अभिषेक- तुम भी इसके साथ रह रह कर कमीनी होती जा रही हो।

महेश- अरे यार भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा। हमने इतना बड़ा काम किया फिर भी धन्यवाद कहने के बजाय शिकायत की जा रही हो। देख ली तुम दोनों की दोस्ती और प्यार। वो क्या कहते हैं। यही दोस्ती यही प्यार।

महेश की बात सुनकर हम सब हँसने लगा। थोड़ी देर हँसने के बाद अभिषेक ने महेश का हाथ पकड़ते हुए कहा।

अभिषेक- महेश मेरे भाई। तेरा बहुत बहुत धन्यवाद। मैं तेरा कैसे शुक्रिया अदा करूँ मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। तूने मुझे वो खुशी दी है कि मैं तेरा कर्जदार हो गया। मैं तेरा एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूँगा।

महेश- अभी एक कान के नीचे बजाऊँगा तो तेरा दिमाग ठिकाने लग जाएगा। अबे मैं दोस्त हूँ तेरा। और दोस्ती के लिए कुछ भी कर सकता हूँ। मैंने तो बस एक कोशिश की जो कामयाब हो गई।

मैं- लेकिन तेरे दिमाग में कब आया कि चाचा जी को ये बात बतानी है।

महेश- खुशबू से तेरा नम्बर लेने के बाद मैंने खुशबू को फोन करके मिलने के लिए बुलाया। लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि उससे बात क्या करूँगा। तो मैंने पल्लवी को फोन किया और पल्लवी से इस बारे में बात की। बातों बातों में ही पल्लवी और मैंने निर्णय लिया कि इस बात का जिक्र चाचा जी से करना चाहिए। हो सकता है वो कोई रास्ता निकाल लें। तो सबसे पहले इसके लिए खुशबू को मनाना था। जो ज्यादा कठिन नहीं था। वो तो तुमसे शादी करने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार थी तो मैंने उसके तुम्हारे घर चलने के लिए कहा। जिसके लिए वो तैयार हो गई और तुम्हारे घर जाकर मैंने चाचा जी से बात की और खुशबू ने उन्हें सबकुछ बता दिया। उसके बाद चाचा जी खुशबू के पापा से बात मिलने का निर्णय लिया। उसके बाद का तो तुम दोनों को पता है।

अभिषेक-लेकिन इसके बारे में तुम दोनों हमें पहले ही बता सकते थे।

पल्लवी- बता तो सकते थे लेकिन हमे भरोसा नहीं था कि जो हम कर रहे हैं उससे खुशबू के पापा मान ही जाएँ और हम तुम्हें कोई उम्मीद दिखाकर फिर से दुःखी नहीं करना चाहते थे। इसलिए हमने तुम दोनों को कुछ नहीं बताया।

मैं- यार मैं क्या कहूँ अब। तुम दोनों बहुत अच्छे और सच्चे दोस्त हो। भगवान तुम्हारे जैसा दोस्त सबको दे।

पल्लवी- गलत बात हम दो नहीं हम छः हैं। और भगवान हम सबकी दोस्ती ऐसे ही बनाए रखे। वैसे एक बात पूछू नयन।

मैं- यार तुम्हें कब से अनुमति की जरूरत पड़ने लगी। पूछो क्या पूछना है।

पल्लवी- एकदम सच सच बताना। क्या महिमा सच में तुमको अच्छी नहीं लगती। उसमें कोई कमी है क्या जो तुम उसके सच्चे प्यार को देख नहीं पा रहे हो।

मैं- नहीं पल्लवी वो बहुत अच्छी है। एकदम भोली-भाली और सीधी-सादी है। लेकिन मैं उसके लायक खुद की नहीं समझता। उसे बहुत ही अच्छा लड़का मिलना चाहिए। मुझसे भी ज्यादा अच्छा लड़का। और हो सके तो इस बारे में आगे बात मत करना मुझसे। अब मैं अपना पूरा प्यार शादी के बाद अपनी पत्नी को दूँगा। यही मेरी कोशिश रहेगी। बाकी किस्मत मे क्या लिखा है वो तो समय ही बताएगा।

महेश- बात तो तुम सही कह रहे हो। किस्मत से ज्यादा और वक्त से पहले कुछ भी नहीं मिलता मेरे भाई। तेरे साथ भी सबकुछ अच्छा ही होगा।

पल्लवी- अच्छा सुनो वो कर्मचारी चयन आयोग वाली परीक्षा की तारीख आ गई है तो तैयारी फिर से शुरू कर दो। इस बार चयन हो जाना चाहिए।

अभिषेक- ठीक है। कोशिश पूरी रहेगी।

उसके बाद हम लोग अपने कमरे में ही बैठकर बात-चीत करने लगे। कोचिंग के समय हम लोग साथ में ही कोचिंग गए। महेश को भी हम अपने साथ कोचिंग ले गए। उधर से रेशमा भी आ गई। उसे भी ये जानकर बहुत खुशी हुई कि अभिषेक को उसका प्यार वापस मिल गया है। हम सब कोचिंग करने के बाद ठेले पर जाकर मेरा प्यार मुझे वापस मिलने की पार्टी मनाई और रेशमा और पल्लवी से विदा लेकर अपने कमरे पर आ गए। रात में हमने खाने बनाया। खाना खाकर हमलोग सोने लगे। अभिषेक ने थोड़ी देर खुशबू से बात की और फिर हम सब सो गए। इसी तरह दो दिन निकल गए। संजू का भी फोन नहीं आया। महेश जब से लखनऊ से आया था वो घर नहीं गया था। दो दिन बाद दोपहर बाद मुझे काजल का फोन आया।

काजल- प्रणाम भैया। कैसें हैं आप।

मैं- मैं तो ठीक हूँ। तुम कैसी हो।

काजल- मैं भी बहुत अच्छी हूँ भैया। आपको एक खुशखबरी देनी थी।

मैं- खुशखबरी। कैसी खुशखबरी।

काजल- पापा ने आपके लिए एक लड़की देखी है।

मैं- क्या। कब, कहाँ, कैसे।

अभिषेक और महेश मेरे पास ही बैठे थे। मेरे ऐसा कहने पर उन दोनों ने मुझसे इशारे में पूछा तो मैंने फोन स्पीकर पर डाल दिया।

काजल- मुझे ज्यादा तो नहीं पता। बस इतना पता है कि इंद्रजीत चाचा (सुरेश के पापा) के किसी जान-पहचान वाले की लड़की है। और आज सुबह ही उसको मैंने, अम्मा और पापा ने देखा है। वो इंद्रजीत चाचा के यहाँ आई थी अपने मम्मी पापा के साथ।

मैं- इतनी जल्दी किस बात की थी। और पापा ने मुझे इस बारे में कुछ बताया भी नहीं।

काजल- पापा शाम को शायद आपसे बात करें। वो तो मैं इतनी ज्यादा खुश थी की आपको बता रही हूँ।

मैं- तू इतनी ज्यादा खुश किसलिए है।

काजल- मैं खुश क्यों नहीं होऊँगी। भाभी दिखने में बहुत अच्छी है। और उनकी बोली बहुत ही सुरीली है। एकदम कोयल की तरह मीठी बोली है। एकदम हँसमुख स्वभाव की हैं। हम दोनों थोड़ी देर में ही अच्छे दोस्त बन गए।

मैं- पहली बात तो ये कि वो तेरी भाभी नहीं है। और वो कोयल है क्या जो उसकी आवाज सुरीली है।

काजल- नहीं वो भाभी है मेरी। आपको उसी से शादी करनी पड़ेगी। नहीं तो मैं नाराज हो जाऊँगी आपसे। और वो एकदम कोयल की तरह ही हैं।

मैं- मतलब वो काली है।

काजल- अरे नहीं भैया। उनकी आवाज ही कोयल की तरह सुरीली है। नहीं तो वो सुंदर हैं। देखने में अच्छी दिखती हैं। और सबसे बड़ी बात जो इंद्रजीत चाचा बता रहे थे कि वो बहुत ही संस्कारी हैं।

मैं- चल ठीक है मैं पापा से बात करूँगा इस बारे में। अब तुम फोन रखो।

उसके बाद मैंने फोन रख दिया। अभिषेक और महेश खुशी खुशी मुझे देख रहे थे। मैंने उन दोनों की तरफ देखते हुए कहा।

मैं- तुम दोनों को क्या हो गया। मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो।

महेश- अबे अब मुझे लग रहा है कि अपन तीनों की शादी एक ही मंडप में होने वाली है।

मैं- मतलब।

महेश- मतलब ये कि अभिषेक और मैं तो सेट हैं। आज तेरे पापा ने तुझको भी सेट कर दिया है। तो हम तीनों अकेले से दुकेले होने वाले हैं।

मैं- अबे चुप। तूने घर में पल्लवी के बारे में अभी बताया नहीं है और शादी का सपना देख रहा है।

महेश- मुझे पता है कि मेरे घरवाले मना नहीं करेंगे। पल्लवी जैसी लड़की को कौन अपनी बहू नहीं बनाना चाहेगा।

अभिषेक- नहीं महेश नयन सही कह रहा है। तेरी बात सही है कि पल्लवी बहुत अच्छी लड़की है और हर कोई उसे अपने घर की बहू बनाना चाहेगा, लेकिन फिर भी एक बार उसके बारे में अपने घर में बता तो दे।

महेश- अबे मुझे बताने में डर लगता है। इसलिए नहीं बता पा रहा हूँ।

महेश की बात सुनकर हम दोंनो हँसने लगे। हमें हँसता देखकर महेश ने कहा।

महेश- अबे तुम दोनों को क्या हुआ। ऐसे दाँत निपोर कर क्यों हँस रहे हो।

अभिषेक- साले तू कब से इतना डरने लगा। लोग सही कहते हैं। कि दूसरे के फटे में सब टाँग अँड़ाते हैं, लेकिन जब अपने फटे में टाँग अंड़ाना हो तो पीछे हट जाते हैं। तू कहे तो हम दोनों बात करें तेरे पापा से।

महेश- नहीं यार तुम दोनों रहने दो। कोई अच्छा सा समय देखकर मैं खुद पापा से बात कर लूँगा।

उसके बाद हम लोग पढ़ाई करने लगे। आज कोचिंग की छुट्टी थी तो हम कमरे पर ही थे। 5 बजे के करीब पापा को भी फोन आ गया। मैंने फोन स्पीकर पर डाल कर फोन उठा लिया।

मैं- प्रणाम पापा।

पापा- खुश रहो बेटा। कैसे हो तुम

मैं- मैं भी बहुत अच्छा हूँ पापा। अम्मा कैसी हैं।

पापा- वो भी ठीक हैं। अच्छा बेटा कुछ बात करने के लिए तुम्हारे पास फोन किया था।

मैं- जी पापा बताइए।

पापा- बात ये है कि जैसा तुमने कहा था कि तुम हम लोगों के पसंद की लड़की से ही शादी करोगे। तो मैंने तुम्हारे लिए एक लड़की देखी है।

मैं- हाँ पापा काजल ने बताया थो कुछ घंटे पहले फोन करके। लेकिन इतनी जल्दी क्या है पापा। और वो लड़की कौन है।

पापा- वो तुम्हारे इंद्रजीत चाचा हैं न तुम्हारे। उनके साले के पहचान वाले की लड़की है। कुछ दिन पहले बाजार में मिले थे तो तुम्हारे बारे में पूछने लगे। तो बातों ही बातों में मैंने उससे बोल दिया कि कोई अच्छी लड़की नजर में हो तो वो बताए। कल उसने बताया कि एक अच्छी लड़की है। अगर मैं कहूँ तो वो उन्हें कल बुला ले। तो मैंने बुलाने के लिए बोल दिया। आज सुबह ही वो लोग आ गए। हमने लड़की देखी नयन। लड़की बहुत ही अच्छी और सुशील लगी। तेरी अम्मा, मुझको और काजल को लड़की बहुत पसंद आई, लेकिन मैंने उन्हें बोल दिया कि आखिरी निर्णय नयन का होगा। अगर उसने हाँ कर दी तो हमारी तरफ से रिश्ता पक्का। लेकिन नयन के हाँ करने के बाद भी शादी तभी होगी जब नयन तैयार हो जाएगा शादी के लिए। अभी वो पढ़ाई कर रहा है। तो हो सकता है 1-2 साल का समय लग जाए शादी में। जिसके लिए वो लोग तैयार हो गए हैं। बस तुम एक बार लड़की से मिल लो फिर आगे की बात होगी।

पापा की बात सुनकर मैंने हाँ कह दिया, क्योंकि मैं जानता था कि पापा मेरे लिए कभी गलत निर्णय नहीं लेंगे। फिर मैंने कुछ देर अम्मा से बात की और फोन रख दिया। मेरे फोन रखने के बाद महेश ने कहा।

महेश- चल भाई तेरी एक चिंता और दूर हो गई कि तुझे 1-2 साल का और समय मिल गया। अब कहीं जाकर मन को सुकून मिल रहा है।

इतना कहकर महेश शांत हुआ, लेकिन कुछ पल बाद ही तुरंत बोला।

महेश- अभी कहाँ सुकून मिला। अभी तो अनामिका का मामला जस का तस है। इस संजू ने भी फोन करके नहीं बताया कि वो डीएनए जाँच के लिए तैयार हो गई है या नहीं।

अभिषेक- तू सही कह रहा है भाई। रुक मैं फोन लगाकर पूछता हूँ।

इसके बाद अभिषेक ने अपना मोबाइल निकाला और संजू को फोन करने ही वाला था कि महेश एकाएक बोल पड़ा।

महेश- रुक जा अभिषेक अभी फोन मत करना उसे। तो मेडिकल रिपोर्ट एक बार फिर से दिखा मुझे। मुझे कुछ देखना है उसमें।

अभिषेक- अबे कितनी बार देखेगा। तेरे बार-बार देखने से रिपोर्ट थोड़ी न बदल जाएगी।

महेश- अबे बकवास मत कर। रिपोर्ट दिखा मुझे।

फिर अभिषेक ने महेश को मेडिकर रिपोर्ट देखने के लिए मोबाइल दे दिया। मेडिकल रिपोर्ट दोबारा से देखने के बाद महेश बोला।

महेश- सच में हम पाँचों चूतिया हैं। एकदम लल्लू है हम लोग। अनामिका ने हम लोगों को इतना उलझा दिया है इस मामले में कि इस बात की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं गया। जबकि ये बहुत साधारण सी बात थी।

मैं- अबे तू क्या बोल रहा है। हमें तु कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

महेश- अबे नूनू। हम लोग एक बात अभी तक नजरअंदाज करते चले आ रहे हैं वो ये है कि अगर अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार ये रिपोर्ट सही है तो इस क्रमांक पर किसके नाम से रिपोर्ट जारी की गई है। वो नाम हमें पता करना था, जबकि हम लोग रिपोर्ट के पीछे उलझे हुए हैं।

अभिषेक- हाँ यार। ये बात तो किसी के भी दिमाग में आई ही नहीं। अनामिका के गर्भवती होने के विस्फोट के बाद तो दिमाग काम ही करना बंद कर दिया। ऊपर से खुशबू वाला मामला सामने आ गया तो इस तरफ किसी का दिमाग नहीं गया।

महेश- उस लौंडियाबाज आदित्य को फोन कर तुरंत और मुझे दो बात करने के लिए।

अभिषेक ने तुरंत आदित्य को फोन मिलाया। कुछ देर में आदित्य ने फोन उठाया। हाल चाल पूछने के बाद आदित्य ने कहा।

आदित्य- कुछ काम था क्या अभिषेक।

महेश-आदित्य मैं महेश बोल रहा हूँ। हम लोगों से एक गलती हो रही है रिपोर्ट को लेकर। हम तुमको रिपोर्ट की छायाप्रति भेज रहे हैं। तुम अपने दोस्त तो जरा बात करके देखो कि उस क्रमांक की रिपोर्ट पर अस्पताल के रिकॉर्ड पर किसका नाम है। और हाँ अपने दोस्त से बात करते समय मुझको कॉन्फ्रेंस में ले लेना।

आदित्य- हाँ यार। इस बात की तरफ तो मेरा भी ध्यान नहीं गया। तुम रिपोर्ट भेजो मैं बात करता हूँ उससे।

उसके बाद महेश ने फोन कट कर दिया तो अभिषेक ने रिपोर्ट को आदित्य को व्हाट्सअप कर दी और उसके फोन का इंतजार करने लगे। थोड़ी देर बाद आदित्य का फोन भी आ गया। मैंने फोन उठाया और स्पीकर पर डाल दिया।

आदित्य- मेरा दोस्त लाइन पर है।

महेश- भाई आदित्य ने जो तुम्हें मेडिकल रिपोर्ट की छायाप्रति भेजी है उसको अपने अस्पताल के रिकॉर्ड से मिलाओ। क्या इस रिपोर्ट पर जो नाम लिखा है वही नाम अस्पताल के रिकॉर्ड में है।

महेश की बात सुनने के बाद आदित्य के दोस्त ने मेडिकल रिपोर्ट क्रमांक की जाँच की और कहा।

आ.दोस्त- मेडिकल रिपोर्ट क्रमांक के हिसाब से यह मेडिकल रिपोर्ट किसी ऋतु सक्सेना के नाम पर है।

जिसे सुनने के पद हम सभी चौक पड़े। महेश ने आदित्य के दोस्त से कहा

महेश- भाई क्या उस मेडिकल रिपोर्ट पर उस ऋतु सक्सेना की उम्र और पता लिखा हुआ है।

आ.दोस्त- हाँ उसकी उम्र 23-24 के आस पास है। और पता भी लिखा है।

महेश- भाई क्या ये रिपोर्ट तुम हमें भेज सकते हो।

आ.दोस्त- अरे भाई इसमें कहने की बात है। ये गलत तो है लेकिन आदित्य के लिए कुछ भी गलत नहीं है। मैं कुछ ही देर में आदित्य को यह रिपोर्ट भेज रहा हूँ तुम उससे ले लेना ये रिपोर्ट।

इतना कहकर उसके दोस्त ने उधर से फोन काट दिया। अभिषेक ने आदित्य से कहा।

अभिषेक- धन्यवाद आदित्य। हमारी मदद करने के लिए।

आदित्य- इसमें धन्यवाद की क्या बात है। मैंने तुमसे पहले भी कहा था कि मैं बुरा इंसान नहीं हूँ। मेरी नजर लड़कियों पर बुरी है, लेकिन मैंने कभी किसी लड़की के साथ जबरदस्ती नहीं की। जो भी किया उनकी मरजी से किया। लेकिन मैंने अपनी जिंदगी में अनामिका जैसी शातिर और चालबाज लड़की नहीं देखी। कितना तेज दिमाग है उसके पास हम सभी को उलझा कर रख दिया उसने। अब तो ये पता चल गया कि ये रिपोर्ट नकली है।

महेश- अभी पूरी तरह से नहीं पता है। मेडिकल रिकॉर्ड के अनुसार ये रिपोर्ट नकली है, लेकिन फिर भी हमें एक बार ऋतु सक्सेना से मिलना पड़ेगा, क्योंकि हम अब थोड़ी भी शक की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते।

आदित्य- तुम लोग जब अयोध्या चलने लगना तो मुझे भी बताना। मैं भी साथ में चलूँगा। अनामिका ने मुझे बहुत प्रभावित किया है आपने शातिराना चाल से। आखिरी बार इससे मिलना चाहता हूँ मैं।

अभिषेक- तुम ही नहीं हमें भी मिलना है उससे आखिरी बार।

आदित्य- ठीक है मैं फोन रख रहा हूँ। रिपोर्ट उधर से आते ही तुम्हें भेजता हूँ।

उसके बाद आदित्य ने फोन रख दिया। हम सब एक दूसरे को देखने लगे। हम लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ गई। थोड़ी देर बाद आदित्य ने असली मेडिकल रिपोर्ट की छायाप्रति अभिषेक के पास भेज दी। जिसे देखने के बाद अभिषेक ने कहा।

अभिषेक- यार सच में बहुत ही शातिर लड़की है यार। संजू को फोन लगाकर बताता हूँ।

इसके बाद अभिषेक ने संजू को फोन लगा दिया। फोन कुछ देर बाद ही संजू ने उठाया और फोन उठाते ही उसने कहा।

संजू- अरे अभिषेक भाई। मैं तुम्हें ही फोन करने का सोच रहा था। वो अनामिका मान ही नहीं रही है डीएनए जाँच के लिए। बोल रही है बिना मेरे मम्मी पापा से मिले वो जाँच नहीं करवाएगी।

अभिषेक- अब उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।

संजू (असमंजस में) क्यों जरूरत नहीं पड़ेगी।

अभिषेक- क्योंकि वो रिपोर्ट नकली है।

संजू- क्या।

अभिषेक- हाँ और यही बताने के लिए तुमको फोन किया है कि कल हमको अयोध्या चलना है। इसलिए सुबह समय से आ जाना। तुम्हें रास्ते में सबकुछ बता दूँगा। अब मैं फोन रख रहा हूँ। कल समय से आ जाना। कल बात करते हैं।

उसके बाद अभिषेक ने अपना फोन रख दिया।



इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
Bahut hi shandar update mahi madam,,,,:claps:
To wahi hua jiska mujhe andesha tha. Yaani mahesh ne sach me Abhishek ke liye kuch kiya tha aur wo kuch kya tha....ye ki usne direct uske baap se hi baat kar li. Yaha tak ki khushbu ko milwa bhi diya. Abhishek ka baap khushbu se mila aur dono ke beech dono ke rishte ke bare me baatcheet huyi jiska nateeja ye nikla ki khushbu ka baap shadi ke liye maan gaya. Khair mahesh ki vajah se Abhishek aur khushbu ka uddhaar ho gaya. Idhar kajal ne phone kar ke Nayan ko ye bata kar chaunka diya ki uske pita ne bhi uski shadi ke liye ek ladki khoj li hai. Khair sab kuch set ho gaya hai. Anamika naam ki talwaar ka bhi samaadhaan ho gaya. Well done mahesh,,,,:good:

Aage dekhte hain Anamika ka is bare me kya reaction hota hai,,,,:reading:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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354
पचपनवाँ भाग


अभिषेक ने संजू को कल सुबह के लिए बोलकर फोन रख दिया। फोन रखने के बाद हम सभी ने मिलकर खाना बनाया और खाना खाकर सो गए। सुबह उठकर नहाधोकर हम तीनों अयोध्या जाने के लिए तैयार हुए। थोड़ी ही देर में संजू भी अपनी कार से आ गया। फिर हम लोग कार से अयोध्या के लिए रवाना हो गए। प्रतापगढ़ मैं हमने नास्ता किया और आदित्य को भी अपने साथ लिया और चल दिए अनामिका का अध्याय पूरी तरह से समाप्त करने के लिए। रास्ते में संजू ने पूछा।

संजू- अब बताओगे भी कि क्या बता है।

अभिषेक- बात ये है कि रिपोर्ट ही नकली है और जिसके नाम की रिपोर्ट है हम उसी से मिलने जा रहे हैं।

संजू। तुम्हें कैसे पता चला इस बारे में।

अभिषेक- कल हमने अस्पताल से पूरी जानकारी निकलवाई इस मेडिकल क्रमांक की तो ये रिपोर्ट किसी ऋतु सक्सेना की है। जिसे सुधारकर अनामिका ने अपने नाम पर बनवाई है। बस हकीकत का पता लगाने के लिए ऋतु सक्सेना के यहाँ पर चल रहे हैं।

संजू- लेकिन अगर अनामिका की रिपोर्ट नकली है तो इसका मतलब वो गर्भवती नहीं है। लेकिन उसने ऐसा क्यों किया। और तो और वो डीएनए जाँच के लिए भी मान गई। कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

आदित्य- ठंड रख भाई। पहले ऋतु सक्सेना से मिलकर रिपोर्ट की हकीकत का पता चल जाए उसके बाद इन सारे सवालों का जवाब अनामिका देगी। उसी से मिलने के लिए तो मैं चल रहा हूँ।

इसके बाद हम लोग बात करते हुए चलने लगे। लगभग 11 बजे के करीब हम पूछते पूछते ऋतु सक्सेना के घर के सामने थे, महेश ने घर की घंटी बजाई तो एक आदमी ने दरवाजा खोला और बोला।

आदमी- जी हाँ कहिए। कौन हैं आप सब और किससे मिलना है।

महेश-जी हमें ऋतु सक्सेना जी से मिलना है। क्या यह उन्हीं का घर है।

आदमी- जी हाँ यही है उनका घर मैं उनका पति हूँ। आप लोगों को उनसे क्या काम है।

शायद इतने लोगों को एक साथ अपनी पत्नी के बारे मैं पूछे जाने पर वो थोड़ा घबरा गया था। उसकी घबराहट उसके चेहरे से साफ झलक रही थी। महेश ने बात को आगे बढाते हुए कहा।

महेश- जी हमें उनकी गर्भावस्था के बारे में कुछ बात करनी है।

आदमी- आप लोग हैं कौन जो मेरी पत्नी के गर्भावस्था के बारे में बात करने आए है। ये कोई तरीका होता है।

महेश- देखिए आप हम लोगों को गलत समझ रहे हैं। मैं महेश हूँ। और ये सब मेरे दोस्त आदित्य, संजू, नयन और अभिषेक हैं। हम लोग इलाहाबाद से बस आपकी पत्नी के गर्भावस्था के बारे में बात करने आए हैं।

आदमी- देखिए। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आपको लोगों को मेरी पत्नी की गर्भावस्था से क्या मतलब है।

अभिषेक- हम आपको सब समझा देंगे। पहले आप ये दोनों रिपोर्ट देखिए।

इतना कहकर अभिषेक ने अपने मोबाइल में अनामिका की रिपोर्ट खोलकर आदमी को दे दी और आदित्य ने उसकी पत्नी की रिपोर्ट अपने मोबाइल में खोलकर दे दी। दोनों रिपोर्ट देखने के बाद आदमी ने कहा।

आदमी- क्या है ये। दो औरतों की मेडिकल रिपोर्ट है एक मेरी पत्नी की है और दूसरी किसी अन्य की।

मैं- महोदय, क्या हम बैठकर बात कर सकते हैं। इस रिपोर्ट पर हम लोगों की जिंदगी टिकी हुई है। इन दोनों रिपोर्ट में से एक रिपोर्ट नकली है। बस उसी संबंध में आपकी पत्नी और आपसे कुछ बात करनी है।

मेरी बात सुनकर उस आदमी ने कुछ देर हम लोगों की तरफ देखा फिर उसने हम लोगों को अंदर आने दिया और हमें लेकर बैठक कक्ष में चला गया। हम लोगों को बैठाकर वो अपनी पत्नी को आवाज देता हुआ बोला।

आदमी- ऋतु एक जग पानी पाँच गिलास और कुछ खाने की चीजें लेकर आना।

मैं- महोदय, इसकी कोई जरूरत नहीं है बस आप हमारी इस रिपोर्ट को लेकर मदद कर दीजिए बस।

आदमी- पहले पूरी बात क्या है ये बताइए।

महेश- बात ये है कि मैंने आपको जो रिपोर्ट दिखाई है वो दोनों रिपोर्ट एक ही अस्पताल की है। और दोनों रिपोर्ट एक ही क्रमांक की हैं। तो दोनों रिपोर्ट में से एक रिपोर्ट नकली है। एक रिपोर्ट तो आपकी पत्नी की है और दूसरी रिपोर्ट मेरा दोस्त जिस लड़की से प्यार करता है उसकी तो। तो इस हिसाब से वो लड़की गर्भवती है। और अब वो मेरे दोस्त पर शादी के लिए दबाव डाल रही है। अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक उस मेडिकल रिपोर्ट क्रमांक से आपकी पत्नी की मेडिकल रिपोर्ट जारी हुई है। इसलिए अगर आप बुरा न मानें तो क्या आप हमें आपकी पत्नी की मेडिकल रिपोर्ट दिखा सकते हैं। मेरा दोस्त इस समय बहुत कठिनाई से घिरा हुआ है। हम बहुत उम्मीद लेकर इलाहाबाद से आपके पास आए हैं। आप सच-सच बताईए कि क्या आपकी पत्नी वाकई में गर्भवती हैं।

आदमी बहुत ही शांति से हमारी बात सुनता रहा। तब तक उसकी पत्नी पानी और बिसकुट लेकर आ गई। आदमी ने कुछ देर सोचना के बाद अपनी पत्नी से कहा।

आदमी-ऋतु। जरा आपनी मेडिकल रिपोर्ट लेकर आना। (उसके जाने के बाद) इसमें झूठ बोलने वाली कोई बात ही नहीं है। मेरी पत्नी गर्भवती है लगभग 60 दिन की। जिसकी रिपोर्ट है हमारे पास। हम अभी आपको दिखा दिखाते हैं।

आदमी के कहने पर ऋतु रिपोर्ट लेने कमरे में चली गई। थोड़ी देर बाद वो रिपोर्ट लाकर अपने पति को दे दी। और घर के अंदर चली गई। आदमी ने हमें हमें रिपोर्ट दे दी। महेश और रिपोर्ट को देखने लगे और मेडिकल रिपोर्ट क्रमांक की जाँच की तो ये रिपोर्ट ऋतु सक्सेना की ही थी। रिपोर्ट देखने के बाद महेश ने कहा।

महेश- भाई साहब। अगर आपको बुरा न लगे तो क्या मैं आपकी पत्नी की मेडिकल रिपोर्ट की एक फोटो खीच सकता हूँ।

आदमी- ठीक है आप फोटे ले सकते हैं।

उस आदमी के कहने के बाद महेश ने ऋतु के मेडिकल रिपोर्ट की एक फोटो ली और रिपोर्ट आदमी को दे दी। फिर हम लोगों ने उसका आभार व्यक्त करते हुए उससे कहा।

मैं- आपका बहुत बहुत धन्यवाद भाई। आपने हमारी मदद की। अब हम लोग चलते हैं।

उसके बाद हम लोग उस आदमी के घर से बाहर निकल आए। कार के पास वापस आने के बाद संजू ने कहा।

संजू- यहाँ आने के बाद ये बात तो साफ हो गई है कि अनामिका गर्भवती नहीं है और अगर है भी उसके बारे में पता नहीं है। तो हमें अब क्या करना चाहिए।

आदित्य- करना क्या चाहिए। फोन लगा उस कमीनी को। एक बार तो उससे मिलना बनता भी है। उसे फोन करके मिलने के लिए कहीं पर बोल दे। फिर सारा राज वो खुद अपने मुँह से उगलेगी।

आदित्य की बात सुनकर संजू ने अनामिका को फोन लगाया और स्पीकर पर डाल दिया। उधर से अनामिका ने फोन उठाया और कहा।

अनामिका- संजू संजू। मैं तुम्हारे ही फोन का इंतजार कर रही थी। तुम कुछ जबाव देने वाले थे न आज।

संजू- हाँ अनामिका उसी के लिए तो तुम्हें फोन किया है। मैंने घर में बात कर ली है। पापा तुमसे मिलने के लिए बोल रहे हैं। मैं अभी जरूरी काम से अयोध्या आया हुआ हूँ तो पापा को भी साथ में ले आया हूँ। तो क्या हम मिल सकते हैं कुछ देर के लिए।

अनामिका- ये भी कोई कहने की बात है।...................... पते पर मिलते हैं 30 मिनट में।

संजू- ठीक है मैं पहुँच रहा हूँ वहाँ पर कुछ ही देर में।

अनामिका से बात करने के बाद संजू ने फोन रख दिया और हम सब उसके बताए हुए पते पर चल दिए। वहाँ पहुँचकर हम सभी कार से उतरे और पार्क के अंदर चले गए। मैं, आदित्य, अभिषेक और महेश संजू को छोड़कर लगभग 50 मीटर आगे चले गए और संजू की तरफ पीठ करके बैठ गए। थोड़ी ही देर में अनामिका भी पार्क में आ गई और संजू को फोन किया। संजू ने बताया कि वो कहाँ है तो अनामिका भी वहाँ आ गई। अनामिका संजू के गले मिली और बोली।

अनामिका- मैं बता नहीं सकती कि मैं कितनी खुश हूँ।

संजू- मैं भी बहुत खुश हूँ। आखिर पापा तैयार हो गए हैं शादी के लिए।

अनामिका- तुम्हारे पापा हैं कहाँ। दिखाई ही नहीं दे रहे हैं।

संजू- वो गाड़ी में बैठे हुए हैं। रुको मैं फोन करता हूँ उनको कि वो आकर अपनी बहू से मिल लें।

संजू की बात सुनकर अनामिका बहुत खुश हुई। संजू ने मेरा नम्बर लगाया और कहा।

संजू- आप लोग आ जाइए। अनामिका मिलना चाहती है आप लोगों से।

इतना कहकर संजू ने फोन रख दिया तो अनामिका ने कहा।

अनामिका- पापा के साथ में कोई और भी आया है क्या।

संजू- हाँ अभी तुम खुद ही देख लेना।

संजू और अनामिका हम लोगों की तरफ पीठ करके बैठे हुए थे। हम लोग जाकर उनके पीछे खड़े हो गए। मैं और अभिषेक अनामिका की तरफ पीठ करके खड़े हो गए। आदित्य ने अनामिका के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

आदित्य- अरे अनामिका तुम यहाँ। कैसी हो तुम।

आदित्य की आवाज सुनकर अनामिका ने पीछे देखा और अपने पीछे आदित्य को देखकर चौंक कर उठ खड़ी हुई और बोली।

अनामिका- आदित्य। तुम यहाँ।

अनामिका की आवाज सुनकर मैंने और अभिषेक ने कहा।

मैं- मैं भी यहीं पर हूँ।

अभिषेक- और मैं भी हूँ यहाँ पर।

इतना कहकर मैं और अभिषेक अनामिका की तरफ पलट गए। मुझे, अभिषेक, और आदित्य को देखकर अनामिका भौचक्की रह गई। लेकिन उसने तुरंत अपने आपको संभाल लिया। अनामिका को देखकर महेश ने कहा।

महेश- मैं भी यहीं पर हूँ अनामिका। नहीं पहचाना क्या मुझे। मैं महेश हूँ।

संजू- अनामिका, क्या तुम जानती हो इन लोगों को।

अनामिका- नहीं मैं नहीं जानती इन्हें। कौन हैं ये लोग।

संजू- लेकिन अभी तो तुमने इस लड़के का नाम लिया। क्या नाम लिया। हाँ आदित्य बोला तुमने।

अनामिका- (हड़बड़ाते हुए) हाँ वो थोड़ी बहुत जान-पहचान थी। तीन महीने पहले मिले थे।

संजू- लेकिन तुम इतना घबराई हुई क्यों हो। क्या रिश्ता है तुम्हारा आदित्य के साथ।

अनामिका- कोई रिश्ता नहीं है मेरा इसके साथ। वो तो बस ऐसे ही सामान्य जान पहचान है अपनी।

अनामिका की बात सुनकर संजू ने एक जोर का झापड़ अनामिका का गाल पर रसीद कर दिया और गुस्से से बोला।

संजू- वैसी ही जान पहचान है न जैसी जान पहचान नयन के साथ है तुम्हारी। और सामान्य जान पहचान तुम्हारी अभिषेक के साथ भी है। और वैसी ही सामान्य जान पहचान तुम्हारी मेरे साथ भी है। मैं सही कह रहा हूँ न।

अनामिका संजू का थप्पड़ खाकर अपने गाल पर हाथ रखकर खड़ी थी वो कभी मुझे, कभी अभिषेक को तो कभी आदित्य को देख रही थी। संजू की बात सुनकर अनामिका ने कहा।

अनामिका- नहीं तुम गलत समझ रहे हो। मैं तुमसे सच कह रही हूँ। मैं इन लोगों को बस थोड़ा बहुत जानती हूँ। मेरा विश्वास करो। इन लोगों ने तुमसे क्या कहा ये मुझे नहीं पता, लेकिन मैं सिर्फ तुमसे प्यार करती हूँ संजू। तुमसे सच्चा प्यार करती हूँ।

संजू- (गुस्से में) चुप बिलकुल चुप। तू प्यार के बारे में बात न ही कर तो ज्यादा अच्छा है। तेरे जैसी घटिया और गिरी हुई लड़की के मुँह से ये प्यार मोहब्बत की बातें शोभा नहीं देती। तुझे तो प्यार का आधा प भी नहीं पता है।

अनामिका- ये तुम क्या बोल रहे हो संजू। इन लोगों ने तुमसे कुछ भी बोल दिया और तुमने मान लिया। अब तुम्हें मुझसे ज्यादा इन लोगों पर विश्वास है। तुम्हें अपने प्यार पर बिलकुल भी भरोसा नहीं रहा क्या।

संजू-(गुस्से से) तू किस प्यार के बारे में बात कर रही है। तू मुझसे प्यार करती है। छी। प्यार तो मैंने किया था तुझसे, तेरे साथ मैंने जिंदगी बिताने के सपने देखे थे। लेकिन तू अपने बिस्तर पर रोज मेरे सपनों को रौंदती रही। मेरे अरमानों का गला घोटा है तुमने। और तुम प्यार की बात कर रही हो।

अनामिका- ये तुमको क्या हो गया है संजू। अब मैं तुम्हें कैसे विश्वास दिलाऊँ कि मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ। मैंने तुम्हें कोई धोखा नहीं दिया है। मैं बिलकुल पवित्र हूँ संजू।

अनामिका की बात सुनकर संजू ने फिर से एक थप्पड़ अनामिका के दूसरे गाल पर मारा और गुस्से से बोला।

संजू- तू और पवित्र। जो लड़की अपनी हवस मिटाने के लिए अपने कपड़ो की तरह अपने बिस्तर पर लड़कें बदलती है वो पवित्रता की बात करती है। तुझसे पवित्र तो वैश्या होती है। जो भले ही दिन भर में कितने आदमियों के साथ सोती है, लेकिन उसका भी दीन ईमान होता है। कम से कम उसके प्रति तो पूरी वफादारी निभाती है। जिससे वो पैसे लेती है। लेकिन तू तो उनसे भी गई गुजरी है। तू बहुत ही नीच लड़की है। जिसे किसी की भावनाओं की कोई कद्र नहीं है। सिर्फ अपने बदन की प्यास से मतलब है।

संजू की बात सुनकर अनामिका को भी थोड़ा गुस्सा आ गया। वैसे एक बात तो थी अनामिका में कि इतना सबकुछ होने के बाद भी, अपना भंडा भूटने के बाद भी वो पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थी। हम लोग चुपचाप खड़े होकर तमाशा देख रहे थे। अनामिका ने संजू से कहा।

अनामिका- तुम हद से ज्यादा बोल रहे हो संजू। मैं तुमसे प्यार करती हूँ इसका मतलब ये नहीं कि तुम्हारे मन में जो आए वो बोल दोगे। तुम्हें पता भी है कि तुम मेरे चरित्र पर लांछन लगा रहे हो।

संजू- (हँसकर) चरित्र और तुम्हारा। अरे तुम्हारा कोई चरित्र ही नही है तो मैं लांछन कहाँ लगाऊँगा। और तुम अपने प्यार की दुहाई देकर प्यार जैसे पवित्र शब्द को बदनाम मत करो। प्यार का मतलब जानती हो तुम। प्यार का रिश्ता विश्वास पर टिका होता है। प्यार दो आत्माओं का मिलन होता है। मैंने तुम पर विश्वास किया था। तुमसे टूट कर प्यार किया था। मैंने तुम्हारे साथ अपनी सारी जिंदगी बिताने का फैसला किया था। मैंने अगर तुम्हारे साथ किया भी तो तुम्हारी सहमति से किया। मैंने आज तक तुम्हारे सिवाय किसी दूसरी लड़की के बारे में सोचा तक नहीं। क्योंकि मैं तुम्हारे साथ कोई विश्वासघात नहीं करना चाहता था, लेकिन तुमने क्या किया तुमने कदम कदम पर मुझे धोखा दिया। अभिषेक से शादी का झूठा वादा किया था तुमने और अपने जिस्म की भूख मिटाई। नयन से शादी का झूठा वादा करके अपनी भूख मिटाई। आदित्य के साथ तुम्हारा संबंध 5 सालों से चल रहा है। इस फेहरिस्त में और पता नहीं कितने लड़के होंगे जिसे तुमने अपने मतलब के लिए इस्तेमाल किया। तुमने मेरे सच्चे प्यार का अपमान किया है। तुम्हारे जैसी घटिया, नीच और कमीनी लड़की मैंने आज तक नहीं देखी। पता नहीं क्या संस्कार दिए हैं तुम्हारे माँ बाप ने तुझे।

अनामिका- (गुस्से में) संजू अपनी जुबान को संभाल कर बात करो। मैं कुछ बोल नहीं रही हूँ तो इसका मतलब ये नहीं कि तुम कुछ भी बोल दो मुझे। मैं चुप हूँ तो सिर्फ इसलिए कि मैं तुमसे शादी करना चाहती हूँ और मैं नहीं चाहती कि मैं तुमसे कोई झगड़ा करूँ।

संजू- तू बोलने लायक रह ही नहीं गई है जो तू मुझे बोलेगी। और ये ख्याल अपने दिमाग से निकाल दे कि मैं तुझसे शादी करूँगा। मैं किसी अपाहिज, नेत्रहीन, और गरीब लड़की से शादी कर सकता हूँ, लेकिन तुझ जैसी रंडी, कुत्ती, कमीनी और वेहया लड़की से शादी नहीं कर सकता। तू एक नम्बर की मर्दखोर लड़की है। जिसे अपने जिस्म की प्यास बुझाने के लिए रोज एक मर्द की जरूरत होती है। तू न अपनी हवस में इतनी अंधी हो चुकी है कि राह चलते किसी से भी चुदवा ले।

अनामिका- (गुस्से में) बस बहुत हुआ। मैं तुम्हारी बक-बक सुनने नहीं आई हूँ। मैं तुमसे फिर से बोल रही हूँ कि अगर तुमने मुझसे शादी नहीं की तो मैं तुम्हारे ऊपर शादी का झाँसा देकर बलात्कार करने का आरोप लगा दूँगी। और मैं वैसे भी तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ तो तुम्हारे फरिश्ते भी आकर मुझसे शादी करेंगे।

अनामिका की बात सुनकर हम सब हँसने लगे। संजू भी हँसने लगा। जिसे देख कर अनामिका ने कहा।

अनामिका- शायद तुम मेरी बात को मजाक में ले रहे हो। मेरे पास मेडिकल रिपोर्ट है। रुको मैं अभी पुलिस को बुलाती हूँ और उनको बोलती हूँ कि तुम सब मिलकर मुझे प्रताड़ित कर रहे हो और तुम मुझे गर्भवती करके शादी करने से इनकार कर रहे हो।

अनामिका की बात सुनकर महेश ने कहा।

महेश- हाँ जरूर बुलाओ पुलिस को। हम तो खुद चाहते हैं कि तुम पुलिस को बुला ही लो। ताकि उन्हें भी तो पता चले कि तुम कितनी बड़ी शातिर और चालबाज लड़की हो। कैसे तुम लड़कों को अपने जाल में फँसाती हो और उन्हें ब्लैकमेल करती हो। तुम्हारे पास अगर पुलिस का नम्बर न हो तो मैं दे दूँ। या तुम कहो तो मैं ही पुलिस को बुला लूँ।

महेश की बात सुनकर अनामिका डर गई। जिसकी झलक उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी। फिर भी अनामिका अपने आपको मजबूत करते हुए बोली।

अनामिका- तुम बीच में मत बोलो। तुम्हें क्या पता कि मामला क्या है। मैं संजू के बच्चे की माँ बनने वाली हूँ। और मेरे पास जो मेडिकल रिपोर्ट है उससे तुम सबको सबक सिखा सकती हूँ में।

महेश- मैं बीच में कहाँ आ रहा हूँ। तुमने मुझे बीच में लाया है। अगर तुम अपनी घटिया चाल से बाज आ जाती और नकली मेडिकल रिपोर्ट बनाकर संजू को ब्लैकमेल नहीं करती तो मैं बींच में आता ही नहीं।

नकली रिपोर्ट की बात सुनकर अनामिका का चेहरा फक्क पड़ गया। उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। उसे भी अब लग गया कि उसके भंड़ा पूरी तरह से फूट चुका है। फिर भी उसने हिम्मत करते हुए कहा।

अनामिका- वो मेडिकल रिपोर्ट बिलकुल असली है। चाहो तो अस्पताल से पता कर सकते हो।

महेश- हमने सब पता कर लिया है। हाँ तुम्हारी मेडिकल रिपोर्ट की पूरी छानबीन हो गई है। जिसके बलबूते पर तुम इतनी उछल रही हो। वो तुम्हारी नहीं है। किसी ऋतु सक्सेना की है। जिससे मिलकर हम लोग आ रहे हैं। अगर तुम कहो तो उसको भी यहीं बुला लूँ। या चलूँ पुलिस स्टेशन। अगर मैं चाहूँ तो तुम्हें नकली रिपोर्ट बनाकर एक मासूम लड़के को ब्लैकमेल करने के जुर्म में जेल की चक्की पिसवा सकता हूँ। और तुम्हारे साथ वो अस्पताल वाले भी जेल की चक्की पीसेंगे जो तुम्हारे साथ मिले हुए हैं। लेकिन अगर तुम ऐसा नहीं चाहती तो फिर जो भी सच है वो बता दो। हम तुम्हें छोड़ देंगे।

अब अनामिका पूरी तरह से फँस चुकी थी। वो हम वहाँ से भागने की कोशिश करने लगी, लेकिन हमने उसे भागने नहीं दिया संजू ने उसे पकड़कर एक थप्पड़ फिर से उसके गाल पर लगाया और कहा।

संजू- ऐसी गलती मत करना अनामिका। नहीं तो तुम्हारा जेल जाने तय है। हम तुम्हें छोड़ देंगे। बस तुम हमारे सवालों का सही सही जवाब दे दो।

संजू की बात सुनकर अनामिका ने जवाब देना ही बेहतर समझा और अपनी गरदर हाँ में हिला दी। संजू ने अनामिका से कहा।

संजू- मैं तुम्हें इतना प्यार करता था। तुमपर इतना भरोसा करता था, लेकिन तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।

अनामिका- वो मैं एक लड़के के साथ बँधकर अपनी जिंदगी नहीं गुजारना चाहती थी। मेरी सोच ये थी कि शादी के बाद तो मुझे किसी एक के साथ ही मजबूरी में जिंदगी गुजारनी ही पड़गे, इसलिए शादी के पहले जितने मजे करने हैं। जितने लड़कों से करने हैं। कर लूँ। पता नहीं शादी के बाद ये मौका मिले या न मिले।

अभिषेक-छी तुम्हारी सोच कितनी घटिया है। तुम ये सब शादी के बाद भी करने का सोच रही थी। पता नहीं तुम्हारे अंदर कितनी हवस भरी हुई है। तुमने अब तक कितने लड़कों को धोखा दिया है। कितनों की जिंदगी बरबाद की है तुमने।

अनामिका- तुम तीनों के अलावा मैंने किसी को धोखा नहीं दिया है। क्योंकि सभी मेरे जिस्म के लिए मुझसे प्यार करते थे। इसमें मेरा ही फायदा था। इसलिए मैंने भी उनके साथ मजे किए। कितने थे इसको कभी गिना नहीं मैंने।

महेश- तुमने ये मेडिकल रिपोर्ट अस्पताल से संजू को ब्लैकमेल करने के लिए बनवाई। वहाँ पर किस डॉ ने तुम्हारा साथ दिया।

अनामिका- मैं संजू को ब्लैकमेल नहीं करना चाहती थी, लेकिन मेरे कारनामों की भनक मेरे घरवालों को लग गई थी, तो पापा ने मुझे बहुत मारा। वो जल्द से जल्द मेरी शादी करना चाहते थे, जिसके लिए उन्होने कई रिश्ते देखे, कुछ पसंद भी आए, लेकिन उन लोगों को कहीं न कहीं से मेरे बारे में पता चल जाता तो वो लोग शादी के लिए मना कर देते। वो सब रिश्ते आसपास के थे। इसलिए उन लोगों को पता चल जाता था। तभी मेरे दिमाग में संजू का ख्याल आया। ये इलाहाबाद का था और इसके घरवालों को या इसे मेरे बारे में पता लगने का कम ही चांस था। फिर भी मैं कोई खतरा नहीं लेना चाहती थी। इसलिए मैंने अस्पताल मे अपनी सहेली के जीजा के पास गई जिनके साथ मेरा चक्कर था। मैंने उनसे एक मेडिकल रिपोर्ट बनाने के लिए कहा तो वो आनाकानी करने लगे, लेकिन जब मैने उनके घर में बताने की धमकी दी तो वो मान गए और मुझे ऋतु सक्सेना की रिपोर्ट दे दी और कहा कि वो मेरी इतनी ही मदद कर सकते हैं।

बाकी इस रिपोर्ट को मैं बाहर से सुधरवाकर अपने नाम पर कर लूँ। मेरे एक पुरुष मित्र के पास साइबर कैफे और फोटोशॉप की दुकान है। मैंने उससे बात की तो उसने ऋतु सक्सेना की रिपोर्ट को सुधार कर मेरा नाम और पता लिख दिया। लेकिन उसमें अस्पताल का मुहर और हस्ताक्षर नहीं था , लेकिन फिर भी इतना बहुत था मेरे लिए। मुझे पता था कि इस रिपोर्ट के बारे में जानने के बाद किसी के दिमाग में मुहर और हस्ताक्षर वाली छोटी सी बात नहीं आएगी। मैं ये रिपोर्ट लेकर अपनी सहेली के घर चली गई जहाँ पर संजू मुझसे समय से पहले मिलने के लिए आ गया और इसने फोटो निकाल ली मेडिकल रिपोर्ट की।

संजू- लेकिन उस महिला डॉक्टर ने कहा था कि तुम गर्भवती हो।

अनामिका- वो इसलिए क्योंकि वो महिला डॉक्टर मेरी सहेली के जीजा के कहने पर कुछ भी कर सकती है। दोनों की बहुत गहरी जमती है।।

मैं- जब तुम गर्भवती नहीं हो तो संजू के कहने पर डीएनए जाँच के लिए तैयार कैसे हो गई।

अनामिका- वो इसलिए कि अगर एक बार को गलती से भी अगर संजू को मेडिकल रिपोर्ट पर शक हो भी गया तो डीएनए जाँच के लिए मान जाने पर उसका शक दूर हो जाएगा।

आदित्य- और अगर सच में तुम्हारा डीएनए जाँच हो जाती तो ये पता नहीं चल जाता कि तुम गर्भवती नहीं हो। तो फिर तुम जाँच के लिए तैयार क्यों हो गई।

अनामिका- ये बात सही है कि मैं गर्भवती नहीं हूँ और जाँच में ये बात सामने आ जाती। तो उस काम के लिए मेरी सहेली के जीजा हैं न। मैं इसी अस्पताल में डीएनए जाँच कराती तो वो मजबूरी में मेरी मदद जरूर करते डीएनए रिपोर्ट मेरे पक्ष में बनाने के लिए।

अनामिका की बात सुनकर हम लोग तो उसके शातिर दिमाग के कायल हो गए। उसने भले ही काम बहुत घटिया किया था, लेकिन जो भी किया था पूरा दिमाग लगाकर किया था। अगर महेश नहीं होता तो शायद संजू की शादी अनामिका से होने से कोई नहीं रोक सकता था। अनामिका की बात सुनकर आदित्य ने ताली बजाते हुए कहा।

आदित्य- वैसे मैं भी कोई दूध का धुला नहीं हूँ, लेकिन तुम्हारी तरह इतना घटिया भी नहीं हूँ। इसलिए एक बात कहना चाहता हूँ। तुमने काम तो बहुत घटिया किया है। लेकिन तुम्हारे पास बहुत शातिर दिमाग है। जिसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है। तुमने अपने इस दिमाग का प्रयोग गलत जगह किया अनामिका। फिर भी मैं तुम्हारे शातिर दिमाग की दाद देता हूँ।

संजू- तुम बहुत ही बुरी लड़की हो अनामिका। मैने तुमसे इतना प्यार किया और तुमने मेरे प्यार को ये सिला दिया। इसके लिए मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूँगा। मैं तुम्हारे इस घटिया काम के लिए तुम्हें पुलिस को तो नहीं दूँगा, लेकिन इसकी सजा तुम्हें जरूर दूँगा।

इतना कहकर संजू ने एक थप्पड़ और अनामिका को जड़ दिया। अनामिका का गाल 4 थप्पड़ खाकर लाल हो गया था। थप्पड़ लगाने के बाद संजू और आदित्य पार्क से बाहर की तरफ चल पड़े। उनके जाने के बाद मैंने अनामिका से कहा।

मैं- तुमने तो किसी के साथ अच्छा नहीं किया अनामिका। तुमने बहुत बड़ा गुनाह किया है। जिसकी कोई माफी नहीं है। फिर भी अगर तुम अभी भी सुधर जाओ तो कुछ नहीं बिगड़ा है। तुम्हारी सारी जिंदगी तुम्हारे सामने पड़ी है। मुझे तुमसे ये सब कहना नहीं चाहिए, लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों तुम्हारे लिए मेरे मन में दया आ रही है। क्योंकि कभी मैंने भी तुम्हारे साथ शादी करने के सपने देखे थे।

इतना कहकर मैंने अभिषेक का हाथ पकड़ा और पार्क से बाहर आ गया। हम दोनों के पीछे पीछे महेश भी आ गया। फिर हम सब अपनी कार में बैठे और इलाहाबाद के लिए रवाना हो गए।


इसके आगे की कहानी अगले भाग में।

Bahut hi badhiya mahi madam,,,,:claps:
To aakhir Anamika ka kissa khatam ho gaya. Waise ek baat to hai ki jab se uska ye wala matter shuru hua tha tab se uske chaahne walo ki gaand me danda sa pada hua tha. Khair bure kaam karne wale se chhutkara mil gaya. Sanju ke gale me padne wali talwaar hamesha hamesha ke liye usse door ho gayi. Idhar Nayan ne bhi is sabke baad yakeenan apna pichhwada sahlaya hoga,,,,:lol1:
Ab dekhte hain aage kya hota hai,,,,,:reading:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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छप्पनवाँ भाग


अनामिका से बातचीत करके एवं उसका मामला रफा दफा करके हम सब इलाहाबात के लिए रवाना हो गए। हम सब के चेहरे पर एक खुशी थी, क्योंकि अनामिका नामक ग्रहण हमारे सर से हट गया था। रास्ते में संजू ने कहा।

संजू- तुम लोगों का बहुत बहुत धन्यवाद, अगर तुम सब न होते तो अनामिका ने तो मुझे अपने जाल में फँसा ही लिया था।

अभिषेक- होते क्यों नहीं। जहाँ हमारे मित्र नयन की बात आएगी, वहाँ हम मैं और महेश हमेशा रहेंगे। और यही बात हम तीनों पर भी लागू होती है। कोई एक संकट में रहेगा तो उसकी मदद के लिए हम लोग हमेशा तैयार रहेंगे।

संजू- चलो इसी बहाने कम-से-कम मेरी मदद भी कर दी तुम लोगों ने। नहीं तो मैं बेवजह बली का बकरा बन जाता।

महेश- अरे भाईयों ये क्या बात लेकर बैठ गए। माना कि अब अनामिका का ग्रहण हट चुका है, लेकिन तुम लोगों को उसको धन्यवाद भी बोलना चाहिए। एक नजरिए से देखा जाए तो वह तुम चारों की गुरू भी है। जिसने तुम लोगों को सेक्स का ज्ञान दिया है। नहीं तो तुम चारों को अपना हाथ जगन्नाथ के भरोसे ही रहना पड़ता। उसने कोई भी काम अच्छा तो नहीं किया सिवाए इसके कि तुम चारों के सेक्स के मामले में जानकार बनाया है। तो उसकी निंदा करो तुम सब, लेकिन इस एक काम के लिए उसकी तारीफ भी करो।

अभिषेक- तू चुप कर बे। साले कुछ भी बोलता रहता है। यहाँ उसकी वजह से हम लोगों की लगी पड़ी थी, और तुझे मजाक सूझ रहा है। अब उसका नाम लेकर कोई भी अपना दिन खराब नहीं करेगा। आज सबकुछ ठीक हो गया है तो पार्टी रास्ते में ही करके इलाहाबाद चलेंगे।

अभिषेक की बात से सभी लोग सहमत थे। हम लोगों ने रास्ते में एक बढ़िया रेस्टोरेंट पर गाड़ी रोक दी और खाना खाने के लिए उतर गए। हम सब ने छक कर खाना खाया। महेश अपनी आदत के अनुसार हमेशा की तरह खाने पर टूट पड़ा। फिर हम लोग खाना खाकर इलाहाबाद के लिए निकल पड़े। रास्ते मैं हमने आदित्य को उसके होटल पर छोड़ा और उसका धन्यवाद करके फिर से अपने गंतव्य की तरफ निकल पड़े। जब महेश का गाँव सामने आया तो महेश ने कहा।

महेश- मुझे यहीं उतार दो। मुझे आए हुए कई दिन हो गए हैं। लेकिन अभी तक घर नहीं गया हूँ। तो मैं दो-तीन दिन घर पर रहकर आता हूँ तुम लोगों के पास।

महेश की बात सुनकर संजू ने गाड़ी रोक दी और महेश उतर गया। फिर महेश अपने घर चला गया। हम तीनों शहर आ गए। संजू ने हमें हमारे कमरे पर छोड़ा और कहा।

संजू- भाई एक बार और तुम दोनों का धन्यावाद। आज तुम लोगों की वजह से मैं इतनी बड़ी मुसीबत से बच पाया। अगर तुम लोग न होते तो पता नहीं मेरा क्या हाल होता।

अभिषेक- अरे नहीं भाई ऐसा मत कहिए। शायद हमारी किस्मत में यही लिखा था कि हम दोनों आपकी मदद करने का जरिया बनें। तो इसलिए हम वो जरिया बनें। एक बात और अब इतनी मदद की है तो अपनी शादी में हमें भी जरूर बुलाना भाई।

ये बात अभिषेक ने हँसते हुए कही थी। जिसके जवाब में संजू ने कहा।

संजू- ये भी कोई कहने की बात है। तुम दोनों के बिना तो मेरी शादी होगी भी नहीं। वैसे एक बात बताता हूँ। अब मुझे प्यार मोहब्बत के लफड़े में नहीं पड़ना। मैं अब मम्मी पापा के पसंद से ही शादी करूँगा। मैंने कुछ दिन पहले ही एक लड़की देखी है। मुझे वो पसंद भी है। बस किसी तरह ये रिश्ता जम जाए। मम्मी पापा तो मान जाएँगे। पता नहीं लड़की वाले मानेंगे या नहीं।

मैं- मतलब सबकुछ पहले से ही तय करके रखा था तुमने। मान लो अगर अनामिका वाला मामला सही होता तो क्या करते तुम।

संजू- तब की तब देखते। लेकिन अभी तो सबकुछ ठीक-ठाक हो गया है। मैं बहुत जल्द उसके यहाँ मम्मी पापा को भेजता हूँ। कम से जाने से पहले सगाई तो करके जाऊँ। शादी फिर आऊंगा तब करूँगा।

अभिषेक- ये तो बहुत अच्छी बात है यार। भगवान करे तुम्हारा रिश्ता जम जाए। इतना वक्त तुम्हारे साथ गुजारा हम सब ने। तुम सच में अच्छे लड़के हो और एक अच्छी लड़की से शादी करना डिजर्व करते हो। अब सबकुछ ठीक हो गया है तो आगे भी सबकुछ ठीक ही होगा। और अनामिका का मामला खत्म हो गया है तो ये मत समझ लेना की हम लोगों का रिश्ता भी खत्म हो गया है। कभी कभी मिलते रहने हम लोगों से।

संजू- जरूर। ये भी कोई कहने की बात है। अच्छा अब मैं चलता हूँ। घर पर मम्मी पापा इंतजार कर रहे होंगे।

उसके बाद संजू चला गया। संजू के जाने के बाद हम दोनों वापस अपने कमरे मेंआए और अपने बिस्तर पर बैठ गए। इस समय रात के 9 बज रहे थे। अभिषेक बिस्तर पर बैठा कुछ सोच रहा था। मैंने जब उसे सोच में घिर देखा तो मैंने उससे पूछा।

मैं- क्या बात है भाई। किस सोच में डूबा हुआ है तू। सब ठीक तो है न।

अभिषेक- सब ठीक है भाई। मैं ये सोच रहा था कि अपना बचपन कितना अच्छा था। न किसी बात की फिकर, न रोजमर्रा के ये काम, न कोई परेशानी। अपने में ही मस्त रहने वाले थे हम सब। लेकिन देखो हम बड़े क्या हो गए। जैसे परेशानियों और दुःख दर्द ने हमसे गहरा नाता जोड़ लिया है। एक परेशानी खत्म होती है तो दूसरी आ जाती है। समझ में नहीं आता कि ये कारवाँ कहाँ जाकर रुकेगा।

मैं- बात तो तू सही कह रहा है भाई। लेकिन इसी का नाम तो जिंदगी है। हार –जीत, सुख-दुःख, गम-खुशी तो जीवन का हिस्सा हैं। अगर ये सब जीवन में न रहें तो जीवन नीरस हो जाता है। तुम सब यही सब बोल बोल कर मेरा हौसला बढ़ाते थे। मुझे लगता है कि अब हम लोगों के जीवन से परेशानियाँ खत्म हो गई हैं। अब जो भी होगा सब अच्छा ही होगा।

हम लोग रास्ते में ही भरपेट खाना खाया था तो हम लोगों ने खाना नहीं बनाया और सोने की तैयारी करने लगे। अभिषेक ने कुछ देर खुशबू से बात की फिर हम दोनों सो गए। सुबह उठकर हमारा फिर से वहीं दिनचर्या चालू हो गया। कोचिंज जाकर बच्चों को बढाया और शाम को आकर कोचिंग पढ़ा। अब कोचिंग में पढ़ाई ज्यादा नहीं होती थी तो हम लोगों के निर्णय लिया कि अब कोचिंग में पढ़ने नहीं आएँगे। पल्लवी और रेशमा के साथ मिलकर हम लोग ठेले पर लिट्टी चोखा खाने के लिए गए तो रेशमा ने कहा।

रेशमा- तो तुम लोगों की जिंदगी से अब सारी परेशानियाँ खत्म हो गई हैं। तो अब तुम ये बताओ नयन कि लड़की देखने कब जा रहे हो।

मैं- अभी तो पता नहीं है। पापा बताएँगे कब जाना है। और मुझे अकेले थोड़ी ही जाना है। तुम लोग भी तो साथ में रहोगे मेरे।

पल्लवी- हम लोग वहाँ पर क्या करेंगे। ऐसे ठीक थोड़ी लगेगा कि हम लोग भी साथ में चलेंगे तो।

मै- सब ठीक लगेगा। तुम सब मेरे दोस्त हो। और तुम लोग तो जानते हो कि मेरी पसंद कभी सही नहीं हुई है। तो तुम लोग साथ रहोगे तो मुझे बताओगे और साथ में तुम लोग भी लड़की को देख लोगे।

रेशमा- ठीक है चलेगें हम लोग। आखिर हम भी तो देखें कि उस लड़की को देखकर तुम्हारे दिल की घंटी बजती है या नहीं।

मैं- (हँसकर) मैंने अपने दिल की घंटी निकाल कर फेंक दी है। अब घंटी नहीं बजने वाली। इसी घंटी के चक्कर में मेरा घंटा बज चुका है।

मेरी बात सुनकर सब हँसने लगे। फिर मैंने ठेले वाले के पैसे दिए और वहाँ से अपने अपने घर चले गए। जब हम रात का खाना बना रहे थे तो पापा का फोन आया। मैंने पापा से बात की।

मैं- प्रणाम पापा। कैसे हैं आप।

पापा- सदा सुखी रहो बेटा। मैं ठीक हूँ तुम कैसे हो।

मैं- मैं भी ठीक हूँ पापा। अम्मा और काजल कैसी हैं।

पापा- वो सब भी ठीक हैं। सुन बेटा मैंने इसलिए तुझे फोन किया है कि इंद्रजीत बोल रहा था कि तुम और लड़की एक दूसरे को देख लो पसंद कर लो फिर बात आगे बढ़ाई जाए।

मैं- जैसा आप को ठीक लगे पापा।

पापा- तो मैं परसों के लिए उसको बोल देता हूँ। लड़की शहर की ही है। तो तुम वहीं पर लड़की देख लेना। मैंने, तुम्हारी अम्मा ने और काजल ने लड़की देख ली है तो हम तीनों नहीं आएँगे। तुम ऐसा करना कि अपने दोस्तों के साथ में चले जाना।

मैं- लेकिन पापा। आप लोग नहीं रहेंगे तो मैं कैसे अकेले देखूँगा।

पापा- अरे अभिषेक और महेश को साथ लेकर चले जाना। चाहो तो रेशमा और पल्लवी को भी ले जाना। अब हमने तो पहले ही देख ली है। तुम बच्चे देखकर अपना निर्णय बता देना। वैसे भी इंद्रजीत साथ में रहेगा उन लोगों के।

मैं- ठीक है पापा। आप बात करके समय बता दीजिएगा।

मैंने पापा से बात करके फोन रख दिया। अभिषेक ने भी पूरी बात सुनी । फिर हम दोनों ने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे। तभी रश्मि का फोन आया। उसने बताया कि उसका लखनऊ से इलाहाबाद स्थानांतरण हुआ है तो उसे लखनऊ कार्यालय से कार्यमुक्त कर दिया गया है और कल सुबह वो इलाहाबाद आ जाएगी। हमें ये जानकर खुशी हुई। फिर हम दोनों सो गए। अगले दिन मैंने महेश को फोन करके बता दिया कि लड़की देखने चलना है। तो वो हम लोगों के पास आ जाए। रश्मि के आ जाने पर शाम को रश्मि रेशमा और पल्लवी से मिलकर उन्हें भी साथ में चलने के लिए कह दिया। रात में महेश भी आ गया। हम लोगों ने खाना बनाकर खाया और सो गए। सुबह पापा ने फोन किया।

मैं- प्रणाम पापा। कितने बजे जाना है।

पापा- 11 बजे का समय निर्धारित किया गया है। तुम इंद्रजीत को फोन कर लेना कहाँ पर मिलना है। बो बता देगा।
मैं- ठीक है पापा। अब मैं रखता हूँ।

फोन रखने के बाद मैं कोचिंग चला गया। पढ़ाकर कमरे पर वापस आया और इंद्रजीत चाचा को फोन किया तो उन्होंने 11 बजे आजाद पार्क में आने के लिए कहा। मैं, महेश और अभिषेक तीनों तैयार हो गए। महेश ने इत्र मेरे कपड़ों पर डाला। हमने रेशमा, पल्लवी और रश्मि को फोन करके आजाद पार्क के पास मिलने के लिए कहा। 10.30 बजे हम लोग आजाद पार्क के पास पहुँच गए और इतंजार करने लगे। कुछ ही देर में तीनों लड़कियाँ भी आ गई। फिर मैंने इंद्रजीत चाचा को फोन किया तो उन्होंने हमें जगह बता दी तो हम छहों अदर चले गए। जब हम वहाँ पहुँचे तो वहाँ पर इंद्रजीत चाचा, सुरेश के मामा और लड़की की छोटी बहन, उसके मम्मी पापा और भाई बैठे थे। इंदजीत चाचा ने सबसे हमारा परिचय करवाया। मुझे महेश और अभिषेक को तो वो जानते थे, मैंने रश्मि, रेशमा और पल्लवी का परिचय उनके घरवालों से करवा दिया। थोड़ी सी औपचारिकता और मुझसे जो कुछ भी लड़की के मम्मी पापा ने पूछा मैंने सब बता दिया। महेश इधर उधर देख रहा था। उसने अभिषेक को कोहनी मारते हुए धीरे से पूछा।

महेश- अबे अभिषेक। लगता है लड़की आई ही नहीं है। कहीं दिखाई ही नहीं पड़ रही है। कहीं ये हम लोगों को चूतिया तो नहीं बना रहे हैं।

अभिषेक- अबे चुप। चुपचाप शांति के साथ बैठ।

लड़की के पापा ने उन दोनों की खुसर फुसर सुन ली। तो उन्होंने कहा।

ल.पापा- क्या बात है। तुम लोग कुछ कहना चाहते हो क्या।

अभिषेक कुछ बोलता उससे पहले ही महेश तपाक से बोल पड़ा।

महेश- मैं अभिषेक से ये पूछ रहा था कि लड़की ही देखने आए हैं हम सब न, लेकिन यहाँ इस छोटी बच्ची के अलावा कोई लड़की ही नहीं है। तो देखूँ किसको।

महेश की बात सुनकर सभी मुस्कुराने लगे। महेश की बात सुनकर इंद्रजीत चाचा ने कहा।

इंद्रजीत चाचा- लड़की भी आई है। वो अपनी सहेली के साथ उस पेड़ के पास बैठी है। (लड़की के पापा से मुखातिब होकर) मुझे लगता है कि अब लड़की लड़के को मिलने के लिए कुछ समय देना चाहिए। (मेरी तरफ मुखातिब होकर) नयन तुम अपने दोस्तों के साथ जाकर लड़की को देख लो और उससे बात कर लो।

इंद्रजीत चाचा की बात सुनकर हम लोग उनकी बताई हुई जगह पर चले गए। वहाँ पर दो लड़कियाँ बैठी हुई थी। सुरेश के मामा की लड़की ने जब ह लोगों को अपनी तरफ आते देखा तो उसने 8-10 कदम आगे आकर हम लोगों को नमस्ते किया। तो हम सभी ने उसके नमस्ते का जवाब दिया। तीनों लड़कियाँ उसको जवाब देकर आगे बढ़ गई और मैं सुरेश के मामा की लड़की का हाल पूछने लगा। उधर पल्लवी रेशमा और रश्मि ने लड़की को देखा तो तीनों के मुँह से हम तीनों को एक नाम सुनाई पड़ा।

रेशमा, पल्लवी और रश्मि- महिमा तुम।

ये नाम सुनकर हम तीनों भी तुरंत तीनों लड़कियों के पास पहुँचे। और वहाँ पर महिमा को बैठे देखकर आश्चर्यचकित रह गए। हम सभी एक दूसरे को मुँह खोले देखते रहे। किसी को समझ में कुछ नहीं आ रहा था। पल्लवी ने महिमा से पूछा।

पल्लवी- महिमा तुम यहाँ कैसे। वो लड़की कहाँ है जिसको हम लोग नयन के लिए देखने आए हैं।

पल्लवी की बात सुनकर महिमा आपने चिर परिचित अंदाज में मुस्कुराने लगी। उसके मुस्कुराने का मतलब समझते हुए रेशमा ने कहा।

रेशमा- तो क्या तुम ही वो लड़की हो जिसे नयन के लिए देखने हम लोग आए हैं।

रेशमा की बात सुनकर महिमा ने मुस्कुराते हुए अपनी गरदर हाँ में हिला दी। महिमा की हाँ मिलने के बाद रेशमा, रश्मि, पल्लवी, महेश और अभिषेक बहुत खुश हुए। तीनों लड़कियों ने उसे प्यार से गले लगा लिया। महिमा को गले लगाने के बाद रश्मि ने कहा।

रश्मि- तुम्हें पता नहीं महिमा। हम सब हमेशा से चाहते थे कि नयन और तुम्हारी शादी हो। क्योंकि नयन और तुम एक दूसरे के लिए ही बने हो। और सच मानों तुम्हें आज इस जगह पर देखकर हमें बहुत ही खुशी हो रही है।

पल्लवी और रेशमा ने रश्मि की बातों का समर्थन किया। रश्मि के बोलने के बाद अभिषेक बोला।

अभिषेक- ये सच में बहुत खुशी की बात है। हमने तो सोचा ही नहीं था कि वो लड़की तुम हो। चलो ये तो बहुत अच्छा हुआ कि आज तुम्हारा 5 वर्ष का इंतजार खत्म हो गया और तुम्हें नयन मिल गया।

सभी कुछ न कुछ महिमा से बात कर रहे थे लेकिन मैं अभी भी अचरज में था और मैंने अभी तक महिमा से बात करने की कोशिश नहीं की थी। हम लोगों को यहाँ आए लगभग 10 मिनट हो चुके थे। लेकिन मैंने एक शब्द नहीं बोला था। थोड़ी देर बाद महेश ने कहा।

महेश- महिमा तुमको बहुत बहुत बधाई। तुम्हें तुम्हारा प्यार आखिर मिल ही गया। तो कब हमारी भाभी बनकर नयन के घर आ रही हो।

महेश की बात सुनकर महिमा ने कहा।

महिमा- मुझे लगता है कि अभी मेरा 5 वर्ष का लंबा इंतजार खत्म नहीं हुआ है। अभी मुझे मेरा प्यार नहीं मिला है। लगता है मुझे और इंतजार करना पड़ेगा।

रेशमा- तुम ऐसा क्यों कह रही हो। नयन तुम्हें देखने आया है। अब उसके पास एक भी वजह नहीं है तुम्हें मना करने की, क्योंकि नयन ने कहा था कि वह अपना माता-पिता की पसंद की लड़की से शादी करेगा। तुम उसके माता-पिता के पसंद की लड़की हो।

महिमा- लेकिन नयन के पसंद की लड़की नहीं हूँ मैं। क्योंकि अगर मैं नयन को पसंद होती तो वो इतनी देर खामोश खड़ा नहीं रहता। कम से कम मुझसे एक शब्द तो जरूर बोलता। लेकिन उसने एक शब्द भी मुझसे बात नहीं की।

इतना कहकर महिमा चुप हो गई। इन पाँच सालों में पहली बार हमने महिमा की आँखों में आँसू देखे थे। जिसे देखकर अभिषेक ने कहा।

अभिषेक- अब तू चुप क्यों है। और कितनी परीक्षा लेगा तू महिमा के सच्चे प्यार की। हम सबमें अगर इस समय सबसे ज्यादा भाग्यशाली कोई है तो वो तू है नयन। क्योंकि तुझे निःस्वार्थ और इतना टूट कर प्यार करने वाली लड़की मिली है, कब कदर करेगा तू इसके प्यार की। अब तो चाचा, चाची और काजल ने भी महिमा को अपने घर के सदस्य के रूप में पसंद कर लिया है। क्या कमी है इसमें तू बता मुझे। आज तू बता ही दे हम लोगों को न कहने की वजह।

मैं- हो गया तुम लोगों का। अब मैं बोलूँ कुछ। महिमा बहुत ही अच्छी लड़की है। लाखों में एक है ये। मैं ही पागल था जो कस्तूरी पास होते हुए भी हिरण की तरह जंगल जंगल भाग रहा था इसे कस्तूरी ढ़ूढ़ने के लिए। महिमा की शादी जिस लड़के से होगी वो बहुत ही भाग्यशाली होगा। और वो भाग्यशाली इंसान मैं बनना चाहता हूँ। विधाता ने महिमा को मेरी किस्मत में बहुत पहले ही लिख दिया था लेकिन मैं ही अपनी किस्मत को पहचान नहीं पाया था। महिमा में कोई कमी नहीं है। उसने कहा था कि अगर उसकी किस्मत में अगर मैं हूँ तो उसे जरूर मिलूँगा। ये महिमा ने गलत कहा था। सच तो ये है कि मेरी फूटी किस्मत को महिमा सँवारने आई है। और मैं ये मौका अपने हाथ से नहीं जाने दूँगा।

फिर मैं अपने घुटनों पर बैठ गया और महिमा का हाथ अपने हाथ में पकड़कर उससे कहा।

मैं- मैंने तुम्हारे साथ अभी तक बहुत बुरा बर्ताव किया है। हमेशा तुम्हारा दिल दुखाया है। हो सके तो मुझे माफ कर देना। तुमने जो त्याग किया है मेरे लिए उसे देखते हुए मैं अपने आपको तुम्हारे काबिल नहीं समझता। फिर भी अगर तुम मुझे अपने प्यार के काबिल समझती हो तो क्या तुम जन्म-जन्मांतर तक अपने दिल में मुझको जगह दोगी। मुझसे शादी करोगी। आई लव यू महिमा।

मेरे इतना कहते ही वहाँ पर सीटियों की गूँज सुनाई देने लगी। महेश और अभिषक जोर जोर से सीटियाँ बजाने लगे। महिमा ने मुझे उठाकर अपने गले लगा लिय़ा। महौल एकदम खुशनुमा हो गया। सभी के चेहरे पर खुशी दमक रही थी। महिमा से अगल होकर मैं अभिषेक और महेश के गले मिला। तीनों लड़कियों ने महिमा को गले गला लिया। हम लोग कुछ देर ऐसे ही खड़े रहे तो महेश ने कहा।

महेश- चलो जो भी हुआ बहुत अच्छा हुआ। लेकिन एक बात बताओ महिमा तुमने ये सब किया कैसे तुम नयन को कैसे जानती हो। सुरेश के घर से तुम्हारा क्या रिश्ता है। अगर तुम बताना चाहो तो बता सकती है।

महिमा- मेरी सहेली है न जो अभी मेरे साथ बैठी थी। उसकी बुआ सुरेश की मम्मा हैं। मेरी सहेली अपनी बुआ के यहाँ जाती रहती है। उसकी बुआ की लड़की नयन के बहन काजल की सहेली है। तो सहेली कई बात अपनी बुआ की लड़की के साथ नयन के घर गई है। जब मैंने परास्नातक में प्रवेश लिया था तो पाँच-छह महीने बाद एक दिन मेरी सहेली ने मुझे कुछ फोटो दिखाई। जिसमे काजल, मेरी सहेली और बुआ की लड़की की फोटो थी। वो फोटो नयन के घर में खींची गई थी। नयन के घर में काजल और नयन की साथ में कोई फोटो थी जो वह फोटो खीचते समय उसमें आ गई थी। जब मेरी सहेली मुझे फोटो दिखा रही थी तो मैंने काजल और नयन की फोटो देखी। मैंने कॉलेज में नयन को कई बार देखा था, लेकिन मेरे मन मे तब नयन के लिए कोई जज्बात नहीं थे। मैंने अपनी सहेली से पूछा।



(महिमा की जुबानी)


मैं- इस फोटो में ये पीछे जिस लड़के की फोटो है वो कौन है।

सहेली- ये काजल का भाई है नयन। बहुत ही अच्छा लड़का है।

मैं- अच्छा। तुझे बहुत पता है उसके बारे में।

सहेली- मुझे ही नहीं ये तो उसके सारे गाँव को पता है। सारे गाँव वाले कहते हैं कि अगर बेटा हो तो नयन जैसा।

मैं- अच्छा। ऐसा क्यों।

सहेली- वो इसलिए की उसके संस्कार ही ऐसे हैं। वो भले ही सम्पन्न परिवार से नहीं है लेकिन हमेशा बड़ों का आदर करता है। बच्चों से प्यार करता है। लड़कियों को सम्मान देता है। उसके मन में दया, करुणा भरी है। और बहुत से ऐसे गुण हैं उसमें जो किसी विरले पुरुष में होते हैं। और तो और इसके दो दोस्त भी हैं। महेश और अभिषेक। तीनों का स्वभाव बिलकुल अलग है फिर भी दोस्ती इतनी गहरी कि इनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती है। इनके स्कूल मैं। ये सब बातें सुरेश ने बताई हैं मुझसे। जो बिलकुल भी सही हैं। ये गाँव का हर एक व्यक्ति जानता है।



वर्तमान।


महिमा- बस यहीं सी मेरे दिल में तुम्हारे लिए अलग जज्बातों ने जन्म ले लिया। फिर तो मैं हमेशा अपनी सहेली से तुम्हारे बारे में कुछ न कुछ बातें करती रहती थी और तुम्हारी कोई न कोई अच्छाई पता चलती रहती और मेरा प्यार तुम्हारे लिए बढ़ता रहा। मेरी सहेली को भी शक हो गया तो उसने मुझसे इसके बारे में पूछ लिया। तों मैंने उसे बता दिया कि मैं तुमसे प्यार करने लगी हू। मैं अपनी सहेली को हर बात बताती थी। उसने भी मेरे हर कदम पर मेरा साथ दिया। उसके बाद का तुम लोगों को सब पता ही है।

महिमा की बात सुनकर हम लोगों की आखों में खुशी के आँसू आ गए। आज मुझे एहसास हो रहा था कि मैं दुनिया का सबसे बड़ा चूतिया इंसान हूँ। जिसे महिमा का सच्चा प्यार दिखाई ही नहीं दिया और झूठे प्यार के पीछे भागता रहा। और दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान भी मैं ही था जिसे इतने अच्छे और सच्चे दोस्तों के साथ एक ऐसी लड़की का साथ मिला था जो मुझसे टूट कर प्यार करती है। निःस्वार्थ प्यार।

हम लोग जिस काम के लिए आए थे वो काम उम्मीद से अनगिनत गुना बढ़िया हुआ था। फिर हम लोग महिमा के साथ महिमा के परिवार के पास आए। और उनसे विदा लेकर पार्क से बाहर आने लगे। मैं मुड़ मुड़ कर पीछे महिमा को देख रहा था। महिमा के चेहरे पर वही चिर-परिचित मुस्कान थी जो हमेशा से रहा कहती है।



इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
Bahut badhiya, shandaar mahi madam,,,,:claps:
Ek din aisa to hona hi tha. Aksar kisse kahaniyo me aur filmo me hero heroine ka milaap ho jata hai. Reality bhale hi iske vipreet hi dekhne ko mile. Khair maine pahle hi kaha tha ki kahani me Nayan ka character chutiya type ka hai aur aaj usne khud hi is baat ko accept kar liya,,,,:lol:
Waise ye 3k sachchaayi bhi hai ki hame us shakhs ki zara bhi kadar nahi hoti jo hame dilo jaan se chaahta hota hai, balki ham usko paane ke liye paglaaye huye rahte hain jise ham chaahte hain ya jise ham dilo jaan se pyaar karte hain. Jabki hona ye chahiye ki ham use saharsh swikaar kare jo hame toot kar pyaar karta ho. Aise insaan se pyaar ho jane me bhala kitna waqt lagega??? Khair Nayan ne third class Ashiq ki tarah ghutno me baith kar mahima se maafi maagi aur use I love u bhi kaha. Ye kis zamane ke ladke hain hai mahi madam,,,,:hinthint2:
 
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Rajizexy

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