Bilal jan
My Attitude your problem 🖕 Your attitude my foot
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Kab tak start kary gyAbhi kuchh derr baad agli kahaani shuru kr rahe hain jo aapki pasand ki hogi..
Us kahani me sath bane rahiegaa.
Kab tak start kary gyAbhi kuchh derr baad agli kahaani shuru kr rahe hain jo aapki pasand ki hogi..
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Kahaani shuru kar diye hain kal hi.Kab tak start kary gy
साठवाँ एवं अंतिम भागकोचिंग खोलने के लिए अभिषेक और मैं अपने अभिभावक को लेकर महेश के घर चले गए। सबका अभिवादन और प्रणाम करने के बाद बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ।अभिषेक- हम लोग एक बहुत जरूरी बात करने के लिए इकट्ठा हुए हैं। हम लोग चाहते थे कि ये बाद हमारे माता-पिता के सामने हो। क्योंकि हम लोगों को आपकी सहमति चाहिए।पापा- बात क्या है ये बताओ।मैं- पापा आपको पता है। परास्नातक करने के बाद मैंने आपसे कोचिंग सेंटर खोलने की बात की थी तो आपने कहा था कि मैं पहले सरकारी नौकरी के लिए प्रयत्न करूँ। कोचिंग को मैं दूसरे विकल्प के रूप में रखूँ।पापा- हाँ तुमने मुझसे बात की थी और मैंने तुमको ये बात कही थी।महेश- तो हम लोग अब भी यही चाहते हैं कि हम तीनों मिलकर एक कोचिंग सेंटर खोलें। जिसमें गाँव के बच्चों को कम शुल्क पर शिक्षित करें। इसी के लिए हम लोगों को आप सब से बात करनी थी।अ.पापा- लेकिन ये कैसे हो सकता है। सरकारी नौकरी में रहते हुए कोई लाभ का दूसरा काम अपने नाम से नहीं कर सकते तुम तीनों। इसके अलावा तुम्हारे पास समय कहाँ रहेगा कि तुम लोग बच्चों को पढ़ाओ।अभिषेक- हम लोगों के पास समय नहीं है। लेकिन खुशबू, पल्लवी भाभी और महिमा भाभी के पास तो समय है न। ये तीनों लोग कोचिंग पढ़ा सकती हैं।म.पापा- क्या। ये तुम क्या बोल रहे हो बेटा। ये लोग कैसे कोचिंग पढ़ा सकती हैं।महेश- क्यों नहीं पढ़ा सकती पापा। तीनों पढ़ी लिखी हैं। तीनों को अपने विषयों में पकड़ भी है। इतने पढ़ने लिखने का क्या फायदा जब पढ़ाई लिखाई का सदुपयोग ही न हो तो।म.मम्मी- लेकिन इसके लिए पहले इन तीनों से तो पूछ लो कि ये तैयार हैं या नहीं पढ़ाने के लिए।मैं- इस बारे में उन लोगों से बात हो चुकी है। उनकी सहमति मिलने के बाद ही आप लोगों के समक्ष अपनी बात रख रहा हूँ।मम्मी- वो तो ठीक है बेटा। लेकिन बहुएँ अगर कोचिंग पढ़ाने जाएँगी तो गाँव समाज में तरह-तरह की बातें उठने लगेंगी। उसका क्या।अभिषेक- उसी लिए तो हम लोगों ने आप सबसे बात करना उचित समझा। अपने गाँव के आस-पास कोई ढंग का कोचिंग सेंटर नहीं है। और जो है भी वहाँ एक ही विषय पढाया जाता है। दूसरे विषय के लिए दूसरी कोचिंग में जाना पड़ता है। ऊपर से हर विषय के लिए अलग-अलग शुल्क जमा करने पड़ता है, लेकिन हमने जिस कोचिंग सेंटर के बारे में सोचा है उसमें सभी महत्त्वपूर्ण विषय एक ही जगह बच्चों को पढ़ने के लिए उपलब्ध हो जाएगा।म.पापा- बात तो तुम्हारी ठीक है, लेकिन बात वहीं आकर रुक जाती है कि गाँव समाज तरह तरह की बातें बनाने लगेगा। तुम लोगों को तो पता है कि कोई भी अच्छा काम अगर शुरू करो तो उसकी सराहना करने वाले कम और नुक्श निकालने वाले ज्यादा लोग आ जाते हैं।मैं- हम लोग जो भी काम करने चाहते हैं आप लोगों की सहमति से करना चाहते हैं। मैं ये जानता हूँ कि गाँव के कुछ लोग हैं जिनको हमारी पत्नियों के कोचिंग पढ़ाने से परेशानी होगी। कुछ दिन बात बनाएँगे और बाद में सब चुप हो जाएँगे और हम समाज की खुशी के लिए अपने अरमानों का गला तो नहीं घोंट सकते। इन लोगों की इच्छा है कि ये लोग भी कुछ काम करें, लेकिन गाँव में काम मिलने से रहा और ये लोग आप लोगों को छोड़कर शहर जाकर काम करेंगी नहीं। तो इन लोगों को भी तो अपनी इच्छाओं/सपनों को पूरा करने का हक है। जो ये कोचिंग पढ़ाकर पूरा करना चाहती हैं। हमारे सपने को ये लोग साकार करना चाहती हैं। तो इसमें बुराई क्या है। हम जो कुछ कर रहे हैं समाज के हित के लिए कर रहे हैं। समाज में रहने वाले बच्चों के लिए कर रहे हैं। हमें समाज की नहीं आप लोगों की हाँ और न से फर्क पड़ता है। आप लोगों की खुशी या नाखुशी से फर्क पड़ता है। अगर आप लोगों को ये सही नहीं लगता तो हम ये बात दोबारा नहीं करेंगे आप लोगों से।इतना कहकर मैं शांत हो गया। मेरे शांत होने के बाद कुछ देर वहाँ खामोशी छाई रही। सभी के अभिभावक हमको और अपनी बहुओं को देखने लगे। फिर हम लोगों से थोड़ा दूर हटकर कुछ सलाह मशवरा किया और हम लोगों के पास वापस आ गए। कुछ देर बाद पापा ने कहा।पापा- देखो बेटों। हमें तुम लोगों के फैसले से कोई ऐतराज नहीं है। तुम लोगों की खुशी में हमारी भी खुशी है। तुम लोगों के सपनों के बीच हम लोग बाधा नहीं बनेंगे। तुम लोग कोचिंग खोलना चाहते हो तो खुशी खुशी खोलो हम सब लोग तुम्हारे साथ हैं, लेकिन उसके पहले हमारी कुछ शर्त है जो तुम लोगों को पूरा करना होगा। तभी कोचिंग खोलने की इजाजत मिलेगी।हम छहों एक दूसरे की तरफ देखने लगे कि आखिर पापा की शर्त क्या है। थोड़ी देर एक दूसरे को देखने के बाद अभिषेक ने कहा।अभिषेक- आप लोगों की जो भी शर्त है वो हमें मंजूर है। बताईए क्या शर्त है आपकी।म.पापा- बात ये है कि अब हम लोगों की उमर बीत चुकी है। या उमर के उस पड़ाव पर हैं जहाँ हमें बेटों और बहुओं के होते हुए कुछ आराम मिलना चाहिए। तुम तीनों तो सुबह अपने कार्यालय चले जाते हो। कोचिंग खुलने के बाद बहुएँ भी पढ़ाने के लिए चली जाएँगी। तो हम लोगों की सेवा कौन करेगा। इसलिए हम लोग चाहते है कि हमें चाय नाश्ता और खाना यही लोग बनाकर देंगी। ऐसा नहीं कि मम्मी मैं कोचिंग पढ़ाने जा रही हूँ। तो आप खाना बना लीजिएगा, चाय-नाश्ता बना लीजिएगा। ऐसा नहीं होना चाहिए। हम लोग इन्हें बेटी मानते हैं तो एक मा-बाप की तरह हमें पूरा सम्मान मिलना चाहिए जैसे अभी तक मिलता रहा है। कोई भी ऐसा काम नहीं होना चाहिए जिससे हमारी मान-मर्यादा को ठेस पहुँचे। क्योंकि अक्सर देखा गया है कि अगर परिवार की तरफ से छूट मिलती है तो उसका नाजायज फायदा उठाया जाता है।पल्लवी- ऐसा ही होगा पापा। हम लोग ऐसा कोई भी काम नहीं करेंगे जिससे हमारे परिवार के ऊपर कोई उंगली उठा सके। आप लोग हमारे माँ बाप हैं। आपकी सेवा करना हमारा धर्म भी है और फर्ज भी। जो हम हमेशा निभाएँगे। आप लोगों को कभी शिकायत का मौका नहीं देंगे।अ.पापा- ठीक है फिर तुम लोग कोचिंग खोल सकते हो। पर कोचिंग का नाम क्या रखोगे।अभिषेक- आप लोग ही निर्णय लीजिए की क्या नाम रखा जाए कोचिंग का।पापा- (कुछ देर सोचने के बाद) तुम लोग अपने नाम से ही कोचिंग का नाम क्यों नहीं रख लेते। तीनों के नाम का पहला अक्षर अमन (अभिषेक, महेश, नयन) ।मैं- ठीक है पापा, लेकिन अमन के साथ ही ये कोचिंग सेंटर आप लोगों के आशीर्वाद के बिना नहीं चलना मुश्किल है। तो इसलिए आप लोगों का आशीर्वाद पहले और हम लोगों का नाम बाद में। इसलिए कोचिंग का नाम आशीर्वाद अमन रखेंगे।इस नाम पर सभी लोगों ने अपनी सहमति जता दी। फिर कुछ देर बात-चीत करने के बाद हम लोग अपने अभिभावक के साथ अपने घर पर आ गए। अगले दिन हम लोगों ने मुख्य मार्ग के आस पास कोचिंग सेंटर खोलने के लिए कमरे की तलाश करने लगे। दो चार जगह बात करने के बाद चार बड़ा बड़ा कमरा आसानी से मिल गया। फिर हम लोगों ने कोचिंग खोलने के लिए जरूरी सामान महीने भर में जमा कर लिया और कोचिंग सेंटर शुरू कर दिया। शुरू के दो महीने तो बच्चों की संख्या कम रही, लेकिन दो महीने के बाद बच्चों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने लगी। कोचिंग सेटर अच्छी तरीके से चलने लगा।हम लोगों के गाँव में भी तरह तरह ही बात उठने लगी। कि लालची हैं। पैसे के पीछे भाग रहे हैं। बहुओं के जरिए पैसे कमा रहे हैं। वगैरह वगैरह। कई बड़े बुजुर्ग लोगों ने हम लोगों के पापा से भी इस बारे में बात की कि बहुओ का यूँ घर से बाहर तीन-तीन, चार-चार घंटे रहना अच्छी बात नहीं है। जमाना बहुत खराब है। कोई ऊंच-नीच घटना हो सकती है।, लेकिन हमारे अभिभावकों ने उन्हें बस एक ही जवाब दिया कि मेरी बहुएँ समझदार मैं पढ़ी लिखी हैं। वो आने वाली परेशानियों का सामना कर सकती हैं। शुरू-शुरू में जो बातें उठी थी। वो समय बीतने के साथ धीरे धीरे समाप्त होती चली गई। देखते ही देखते कोचिंग सेंटर बहुत अच्छा चलने लगा। शुरू शुरू में जो लोग मम्मी पापा की बुराई करते थे। वो भी धीरे-धीरे तारीफ करने लगे कि बहु और बेटा हों तो फलाने के बहु बेटे जैसे। हम लोगों का शादीशुदा जीवन भी बहुत अच्छा चल रहा था। शादी के डेढ़-से दो वर्ष के अंदर ही महेश-पल्लवी, अभिषेक-खुशबू और मैं-महिमा माँ बाप भी बन गए।हमने पढ़ाई में अच्छे कुछ लड़के लड़कियों को भी कोचिंग पढ़ाने के लिए रख लिया। ताकि तीनों लडकियों को कुछ मदद मिल सके।तीन साल बाद।इन तीन सालों में कुछ भी नहीं बदला। हम लोगों की दोस्ती और प्यार वैसे ही रहा जैसे पहले रहा था। हम सभी अपनी पत्नियों के साथ बहुत खुश थे। हमारे अभिभावक भी इतनी संस्कारी और अच्छी बहु पाकर खुश थे। बदलाव बस एक हुआ था कि हमारे कोचिंग सेंटर की प्रसिद्धि बहुत बढ़ गई थी। और हमने ये देखते हुए इस कोचिंग सेंटर की तीन और शाखाएँ खोल दी थी। जिसमें हमने कुछ अच्छे और जानकार लड़के लड़कियों को पढ़ाने के लिए रख लिया था।आज मेरा कार्यालय बंद था तो मैं घर में ही था। सुबह के लगभग 11 बजे का समय था तभी दो लाल बत्ती वाली गाड़ियाँ जो मंडल अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक की गड़ियाँ थी। आकर मेरे घर के सामने रुकी। उसके साथ एक गाड़ी पुलिस की गाड़ी भी थी। पूरे गाँव में ये चर्चा हो गई थी कि मेरे यहाँ पुलिस वाले आए थे। गाँव के कुछ लोग भी मेरे घर के आस पास आ गए ये पता करने के लिए कि आखिर माजरा क्या है। उस गाड़ी से एक लड़का जो लगभग 26-27 वर्ष का था एवं एक लड़की जो कि 24-25 वर्ष की थी। नीचे उतरे। उस समय पापा घर से बाहर चूल्हे में लगाने के लिए लकड़ी चीर रहे थे और मैं अपने कमरे में कुछ काम कर रहा था। महिमा और काजल अम्मा के साथ बाहर बैठकर बात कर रही थी। साथ में मेरा बेटा भी था। अपने घर पर पुलिस को देखकर एक बार तो सभी डर गए। पापा को किसी अनहोनी की आशंका हुई तो वो तुरंत उनके पास गए। लड़की और लड़के ने पापा के पैर छुए। लड़की ने विनम्र भाव से पूछा।लड़की- क्या नयन सर का घर यही है।पापा- हाँ यही है आप कौंन हैं।लड़की- जी मेरा नाम दिव्या है मैं कौशाम्बी जिले की पुलिस अधीक्षक हूँ। ये मेरे भाई सुनील कुमार प्रतापगढ़ जिले के मंडल अधिकारी हैं। हमें सर से मिलना था। क्यो वो घर पर हैं।पापा- हाँ। आइए बैठिए। मैं बुलाता हूँ उसे।इतना कहकर पापा ने काजल को कुर्सियाँ लाने के लिए कहा। काजल दौड़कर घर में गई और कुर्सियाँ लेकर आई। तबतक महिमा ने मुझे बता दिया था कि बाहर पुलिस आई है और एक लड़की मुझे पूछ रही है। मुझे भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैंने ऐसा कौन सा काम कर दिया है जिसके लिए पुलिस को मेरे घर आना पड़ा। मैं भी अपने कमरे से बाहर आया। तो देखा कि एक लड़का और एक लड़की बाहर कुर्सी पर बैठे हुए पापा से बातें कर रहे हैं। मैं उनके पास पहुँच गया और बोला।मैं- हाँ मैडम जी। मैं नयन हूँ आपको कुछ काम था क्या मुझसे।मेरी आवाज सुनकर लड़की कुर्सी से उठी और मेरे पैर छूने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये लड़की ऐसा क्यो कर रही है। मै थोड़ा पीछे हटकर उस लड़की को अपना पैर छूने से रोका और कहा।मैं- ये आप क्या कर रही हैं मैडम।लड़की- मैं आपकी मैडम नहीं हूँ सर। मैं वही कर रही हूँ जो एक विद्यार्थी को शिक्षक के साथ करना चाहिए।उसकी बात सुनकर मेरे साथ अम्मा पापा भी उसे देखने लगे। मैंने उसके कहा।मैं- ये क्या बोल रही हैं आप मैडम। आप इतनी बड़ी अधिकारी होकर मेरे पैर छू रही हैं। लोग तो आपके पैर छूते हैं। और आप मेरी विद्यार्थी। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि आप क्या कह रही हैं।इसी बीच काजल ने सबके लिए जलपान लाकर मेज पर रख दिया और अंदर चली गई। लड़की ने कहा।लड़की- सर मैं दिव्या। आपको शायद याद नहीं है। मैं .................... कोचिंग में कक्षा 12 में पढ़ती थी। आगे वाली सीट पर बैठती थी। जिसने अपनी मर्यादा भूलकर गलत हरकत की थी तो आपने एक दिन मुझे एक छोटा लेकिन अनमोल सा ज्ञान दिया था। कुछ याद आया आपको सर जी। मैं वही दिव्या हूँ।लड़की की बात सुनकर मुझे वो वाकया याद आ गया जब मैंने एक लड़की को अपने अंग दिखाने के कारण अकेले में बैठाकर समझाया था। मुझे उसको इस रूप में देखकर बहुत खुशी हुई। मुझे खुशी इस बात की हुई कि उसने मेरी बात को इतनी संजीदगी से लिए और आज इस मुकाम पर पहुँच गई है। मैंने उससे कहा।मैं- दिव्या तुम। मुझे से विश्वास ही नहीं हो रहा है कि तुम मुझसे मिलने के लिए आओगी। वो भी इस रूप में। मुझे सच में बहुत खुशी हो रही है तुम्हें अफसर के रूप में देखकर।दिव्या- मेरी इस सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ आपका है सर जी। आज मैं जिस मुकाम पर पहुँची हूँ वो आपके कारण ही संभव हुआ है।मैं- नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। ये सब तुम्हारी मेहनत और लगन का परिणाम है। तुमने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत की और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।दिव्या- ये सच है सर जी कि मैंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत की है, लेकिन मुझे यह मेहनत करने के लिए आपने ही प्रोत्साहित किया था। जब मेरे कदम भटक गए थे तो आप ने ही मेरे भटके कदम को सही राह पर लाने की कोशिश की थी। आपने मुझको समझाया था कि मुझे वो काम करना चाहिए जिससे मेरे माता-पिता का नाम रोशन हो, उन्हें मुझपर गर्व हो, न कि मेरी काम से उनके शर्मिंदगी महसूस हो। मैंने आपकी उस बात को गाँठ बाँध लिया और उसके बाद मैंने कोई की गलत काम नहीं किया और अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित किया। और उसी का नतीजा है कि आज मै इस मुकाम पर हूँ। अगर आपने उस दिन मेरे भटकने में मेरा साथ दिया होता तो आज मैं यहाँ तक कभी नहीं पहुँच पाती। इसलिए मेरी इस सफलता का श्रेय आपको जाता है सर जी। अब तो आप मुझे अपना आशीर्वाद देंगे न कि मैं भविष्य में और ऊँचाइयों को छुऊँ।मैं- अब तुम बड़ी हो गई हो। और एक अफसर भी बन गई हो। तुम अपने कनिष्ठ अधिकारियों/कर्मचारियों के सामने मेरे पैर छुओ। ये अच्छा नहीं लगता।ये बात मैंने उसके साथ आए हुए पुलिसकर्मियों को देखकर कही थी। जो हम लोगों की तरफ ही देख रहे थे। मेरी बात सुनकर दिव्या ने कहा।दिव्या- मैं चाहे जितनी बड़ी हो जाऊँ और चाहे जितनी बड़ी अधिकारी बन जाऊँ। लोकिन हमेशा आपकी विद्यार्थी ही रहूँगी। और आप हमेशा मेरे गुरु रहेंगे। गुरू का स्थान सबसे बड़ा होता है। मैं अपने कनिष्ठ अधिकारियों कर्मचारियों के सामने आपके पैर छुऊँगी तो में छोटी नहीं हो जाऊँगी सर जी। बल्कि उनको भी ये संदेश मिलेगा कि माता-पिता के बाद शिक्षक ही भगवान के दूसरा रूप होता है। इसलिए आप मुझे अपने आशीर्वाद से वंचित मत करिए सर। आपका आशीर्वाद लिए बिना मैं यहाँ से नहीं जाने वाली।दिव्या ने इतना कहकर मेरे पैर छुए। मैंने इस बार उसको नहीं रोका। मेरे पैर छूने के बाद दिव्या ने कहा।दिव्या- बातों बातों में मैं तो भूल ही गई। ये मेरे भाई हैं सुनील कुमार। ये प्रतापगढ़ में सर्किल अधिकारी (Circle Officer City) के पद पर हैं। मैं इनसे कुछ नहीं छुपाती। जब मैंने भइया को बताया कि मैं आपसे मिलने आ रही हूँ तो ये भी जिद करके मेरे साथ में आ गए। ये भी आपसे मिलना चाहते थे।दिव्या के बताने पर उसने भी मेरे पैरे छूने चाहे तो मैंने उसे मना करते हुए कहा।मैं- देखो मिस्टर सुनील। दिव्या मेरी विद्यार्थी है तो उसने मेरे पैर छुए। लेकिन तुम मेरे विद्यार्थी नहीं हो तो तुम मुझसे गले मिलो।मैं और सुनील आपस में गले मिले। फिर दिव्या ने मुझसे कहा।दिव्या- सर मैंने सुना है कि आपकी शादी भी हो गई है। तो क्या मुझे मैडम से नहीं मिलाएँगे।मैं- अरे क्यों नहीं। (अम्मा पापा की तरफ इशारा करते हुए) ये मेरी अम्मा हैं ये मेरे पापा हैं। (महिमा और काजल को अपने पास बुलाकर), ये मेरी पत्नी महिमा और ये मेरी बहन काजल, और ये मेरा प्यारा बेटा अंश है।दिव्या और सुनील ने मेरे अम्मा और पापा के पाँव छुए। दिव्या ने महिमा के पैर छुए और काजल को अपने गले लगाया और मेरे बेटे को अपनी गोद में उठाकर दुलार किया। सुनील ने महिमा और काजल को नमस्ते किया।कुछ देर बातचीत करने के बाद मैंने दिव्या से पूछा।मैं- दिव्या। तुम्हें मेरे घर का पता कैसे मिला। तुम कोचिंग गई थी क्या।दिव्या- हाँ सर। मैं कोचिंग गई थी। नित्या मैडम से मिली थी तो उन्होंने बताया कि आपकी शादी हो गई है। फिर कोचिंग के रिकॉर्ड से आपका पता मिल गया। मुझे तो लगता था कि आपका घर ढ़ूढ़ने में परेशानी होगी, लेकिन यहाँ तो मुख्य सड़क पर ही आपके बारे में सब पता चल गया। आपकी कोचिंग के कारण आपको सभी जानते हैं। आप बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं। एक तरह से ये भी समाज सेवा ही है।पापा- ये इसका सपना था बेटी, लेकिन नौकरी लग जाने के बाद इसके सपने को मेरी बहू ने साकार किया है। जिसमें इसके दोस्तों ने बहुत साथ दिया इसका। मेरे बेटे और बहू ने मेरा सिर गर्व से ऊँचा कर दिया है।दिव्या- सर हैं ही ऐसे। सर की संगत में जो भी रहेगा उसका भला ही होगा। जिसके पास सर जैसा बेटा हो उसका सिर कभी नहीं झुक सकता चाचा जी। आप से एक निवेदन है चाचा जी अगर आप बुरा न मानें तो।पापा- कहो न बेटी। इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है।दिव्या- मुझे भूख लगी है। तो क्या मैं आपके घर पर खाना खा सकती हूँ। प्लीज।दिव्या ने ये बात इतनी मासूम सी शक्ल बनाकर कही कि हम लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ गई। पापा ने कहा।पापा- क्यों नहीं बेटी। तुम सभी लोग खाना खाकर ही जाना घर। मैं अभी खाना बनवाता हूँ तुम लोगों के लिए।इतना कहकह पापा ने महिमा और काजल को सबके लिए खाना बनाने के लिए कहा। दिव्या भी जिद करके महिमा और काजल के साथ रसोईघर में चली गई। सबने मिलकर खाना बनाया। उसके बाद दिव्या, सुनील और उसके उसके साथ जो पुलिस वाले आए थे। सबने खाना खाया। खाना खाने के बाद दिव्या और उसका भाई हम लोगों के विदा लेकर चले गए। उनके जाने के बाद पापा ने कहा।पापा- मुझे तुमपर बहुत गर्व है बेटा। तुमने उस समय जो किया इस बच्ची के साथ। उसे सुनकर मुझे फक्र महसूस होता है कि मैंने तुझे कभी गलत संस्कार नहीं दिए थे। ये भी प्यार को एक स्वरूप है बेटा। जिसके साथ जैसा व्यवहार और प्यार दिखाओगे। देर-सबेर उसका फल भी तुम्हें जरूर मिलेगा। इस बात को हमेशा याद रखना।मैं- जी पापा जरूर।इसी तरह दिन गुजरने लगे। काजल भी अब शादी योग्य हो गई थी 23-24 वर्ष की उम्र हो गई थी। पापा ने जान पहचान वालों से अच्छे रिश्ते के बारे में बोल दिया था। दिव्या को मेरे यहाँ आए हुए दस दिन ही हुए थे एक मैं नौकरी से घर पहुंचा ही था और हाथ मुँह धोकर बैठकर चाय की चुस्कियाँ ले रहा था। अम्मा और पापा भी साथ में बैठे थे। कि दिव्या का फोन मेरे मोबाइल पर आया।मैं- हेलो दिव्या।दिव्या- प्रणाम सर जी।मै- प्रमाम। बोलो दिव्या। कुछ काम था।दिव्या- सर एक बात कहना था आपसे।मैं- हाँ दिव्या बोलो।दिव्या- मुझे ये पूछना था कि आपकी बहन काजल की शादी कहीं तय हो गई है क्या।मैं- नहीं दिव्या। अभी लड़का देख रहे हैं। अगर कहीं अच्छा लड़का मिला तो शादी कर देंगे।दिव्या- सर अगर मैं आपसे कुछ माँगू तो आप मना तो नहीं करेंगे।मैं- मेरे पास ऐसा क्या है दिव्या जो मैं तुम्हें दो सकता हूँ। कुछ ज्ञान था जो मैं तुम्हें पहले ही दे चुका हूँ। अब मुझे नहीं लगता कि तुम्हें उसकी जरूरत होगी। फिर भी बताओ अगर मेरे सामर्थ्य में होगा तो मैं मना नहीं करूँगा।दिव्या- वो आपके सामर्थ्य में ही तभी तो मैं आपसे माँग रही हूँ।मैं- बताओ दिव्या। मैं पूरी कोशिश करूँगा।दिव्या- सर मैं आपकी बहन काजल को अपनी भाभी बनाना चाहती हूँ। अपने भाई के लिए आपकी बहन का हाथ माँग रही हूँ।मैं- क्या। ये क्या बोल रही हो तुम। तुमको कुछ समझ में आ रहा है। कि तुम क्या माँग रही हो।दिव्या- हाँ मुझे पता है कि मैं क्या बोल रही हूँ। मेरे भैया को काजल पसंद है। भैया ने खुद मुझसे कहा है। और भैया ने मम्मी पापा से भी बात कर ली है। उनको भी कोई आपत्ति नहीं है। और आप भी तो काजल के लिए रिश्ता देख ही रहे हैं। तो इसमें बुराई क्या है। हाँ अगर मेरे भैया आपको अच्छे नहीं लगे तो अलग बता है।मैं- ऐसी बात नहीं है। तुम्हारे भाई में कोई कमी नहीं है। लेकिन कहाँ तुम लोग और कहाँ हम। जमीन आसमान का अंतर है हम दोनों की हैसियत में। और हमारे पास इतना पैसा भी नहीं है कि हम इतनी अच्छी तरह से काजल की शादी कर पाएँगे तुम्हारे भाई के साथ। समझ रही हो न कि मैं क्या कहना चाहता हूँ। और शादी की बात घर के बड़े बुजुर्गों पर छोड़ देनी चाहिए।दिव्या- आप जो कहना चाहते हैं वो मैं समझ रही हूँ सर जी। लेकिन मैं आपको बता दूँ कि आपकी हैंसियत मुझसे बहुत ज्यादा है सर। मेरी नजर में आपकी हैंसियत आपका पैसा नहीं। आपके संस्कार हैं आपके गुण हैं। और यही सब काजल के अंदर भी है। वो भी आपकी तरह गुणवान है। जिसकी कोई कीमत नहीं है। हमें दहेज में कुछ नहीं चाहिए सर जी। सारा दहेज काजल के गुणों के रूप में हमें मिल जाएगा। बस आप हाँ कर दीजिए।मैं- देखो दिव्या मैं हाँ नहीं बोल सकता। इसके लिए पहले मुझे अपने अम्मा पापा से बात करनी पड़ेगी। अगर उनको कोई आपत्ति नहीं होगी तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है। मैं अभी फोन रखता हूँ। अम्मा पापा से बात करने के बाद तुमको बताऊँगा।इतना कहकर मैंने अपने फोन रख दिया। और अम्मा पापा को सारी बात बता दी जो दिव्या से हुई थी। अम्मा पापा को तो मानों यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतने बड़े घर का रिश्ता खुद चलकर आया है। लेकिन पापा और अम्मा ने हाँ करने से पहले काजल की राय जाननी चाही। काजल ने कह दिया कि आप लोग जहाँ भी मेरे रिश्ता तय करेंगे मैं वहाँ शादी कर लूँगी। महिमा ने भी इस रिश्ते के लिए अपनी सहमति जता दी। अगले दिन सुबह ही मैंने दिव्या को फोन करके उसके पता लिया और अम्मा पापा को लेकर उसके घर चला गया। दोनों के अभिभावकों ने कुछ देर बात की और दोनों तरफ से रिश्ता तय हो गया। रिश्ता तय होने के बाद मैंने अपने सभी दोस्तो को इस बारे में बता दिया। सभी लोग बहुत खुश हुए। मैंने संजू और पायल को भी इसके बारे में बता दिया। समय बीतने के साथ काजल और सुनील की सगाई धूम धाम से हो गई। सारे गाँव और पास पड़ोस के गाँवों में ये चर्चा का विषय था कि एक गरीब किसान के बेटी की शादी एक मंडल अधिकारी के साथ हो रही है। कुछ को जलन हुई तो कुछ को खुशी मिली। सगाई होने के दो महीने बाद काजल और सुनील की शादी भी धूम-धाम से संपन्न हुई।आज हमारी दोस्ती, हमारा प्यार आज सबकुछ हमारे पास था। इस प्रकार हम सब अपना अपना जीवन खुशी-खुशी बिताने लगे।मित्रों एवं पाठकों।ये कहानी यहीं समाप्त होती है। जैसा कि कहानी के शुरू में मैंने कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्यार का अलग-अलग मतलब होता है। हर व्यक्ति प्यार का मतलब अपने अपने हिसाब से निकालता है। किसी के लिए टूट कर प्यार करने वाले के प्यार की कोई कीमत नहीं होती तो किसी के लिए प्यार के दो मीठे बोल ही प्यार की नई इबारत लिख देता है।मैंने इस कहानी से यही बताने का प्रयास किया है कि प्यार के कितने रंग होते हैं और हर इंसान प्यार के किसी न किसी रंग में रंगा होता है।ये कहानी यहीं समाप्त हो गई है तो आप सभी पाठकों से जिन्होंने नियमित कहानी पढ़ी है उनसे भी और जिन्होंने मूक पाठक बनकर कहानी पढ़ी है उनसे भी मैं चाहूँगी कि आप पूरी कहानी से संबंध में अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया/टिप्पणी/समीक्षा चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक हो, जरूर दें ताकि मुझे भविष्य में आगे लिखने वाली कहानियों के संबंध में प्रेरणा मिल सके और जो भी कमियाँ इस कहानी में रह गई हैं उसे सुधारने की कोशिश कर सकूँ।साथ में उस सभी पाठकों का धन्यवाद जिन्होंने अपनी महत्त्वपूर्ण समीक्षा देकर मुझे कहानी को लिखने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि बिना समीक्षा के कहानी लिखने में लेखक का भी मन नहीं लगता। साथ ही ऐसे पाठकों को भी धन्यवाद जिन्होंने समय समय पर नकारात्मक टिप्पणी देकर मुझे यह अवगत कराया कि कहानी में कहाँ कहाँ गलतियाँ हो रही हैं। जिसमें मुझे सुधार करना चाहिए।कहानी खत्म करने से पहले प्यार को लेकर मैंने चंद पंक्तियाँ लिखी हैं। जिसे आप भी एक बार पढ़ें और आनंद लें।प्यार के कितने फलसफें हैं जिसे बयान नहीं किया जा सकता।
कितने ही अनकहे किस्से हैं जिसे जबान नहीं दिया जा सकता।
तुम्हारे प्रेम में गर हवस है, कपट है, धोखा है, छल है।
तो कसमें कितनी भी खाओ प्यार की सम्मान नहीं किया जा सकता।
किसी को पा लेना ही प्यार नहीं, किसी को खो कर भी प्यार किया जाता है।
हमेशा हँसना ही नहीं सिखाता, कभी रो कर भी प्यार किया जाता है।
प्यार करने के लिए चाहिए सच्ची नीयत, पवित्र मन और खूबसूरत एहसास।
प्यार जीते जी नहीं मिलता कभी कभी, गहरी नींद में सो कर भी प्यार किया जाता है।
प्यार मन के एहसासों से होता है।
प्यार किसी के जज्बातों से होता है।
प्यार के लिए जरूरी नहीं रोज मिलना।
प्यार तो चंद मुलाकातों से होता है।
प्यार में साथ जीने मरने की कसमें हों ये जरूरी नहीं।
हमेशा साथ रहने की भी कसमें हों ये जरूरी नहीं।
कभी कभी प्यार जुदाई भी माँगता है दोस्तों
प्यार किया हो तो शादी की रश्में हों ये जरूरी नहीं।
किसी को प्यार करके बिस्तर पर सुला दो तो वो प्यार नहीं रहता।
वो तुम्हें याद करें और तुम उसे भुला दो तो वो प्यार नहीं रहता।
प्यार एक दूसरे को टूट कर किया जाए ये जरूरी नहीं।
मगर किसी को हँसा कर फिर उसे रूला दो तो वो प्यार नहीं रहता।
पूर्ण/समाप्त/खत्म
बहुत बहुत धन्यवाद आपका मान्यवर।।Wah. mahi wah.. kya baat Hai tumhari kavitai bhi man ko moh lene wali hai. Geat![]()
ये तो बात सही है कि यहां पर साफ सुथरी कहानियां कम ही हैं और जो हैं भी लोग पढ़ते ही नहीं हैं।।Waise kahani wakai Me lajabaab thi. Ye is naat se samajh lo ki xform pe itni kahaniya hai 95% kahaniya to sex scene or chudai ke kisso ke bal par hi chalti hai.
धन्यवाद आपका एक बार फिर से।।Ye ek aisi kahani padhi maine. Jisme 90% story me sex ka naam tak nahi tha or baaki jo tha wo kewal naam hi tha
Great story mahi
छियासीसवाँ भाग
अयोध्या से मैं वापस घर आ गया। घर आने के बाद पता चला कि अभिषेक का फोन घर पर आया था। अब मुझे टेंशन होनो लगा। मैं जान गया कि आज मुझे सबकुछ बताना ही पड़ेगा अभिषेक को। शाम तक घर में रहने के बाद मैं कमरे पर आ गया। उस समय अभिषेक कमरे पर नहीं था। मैं ताला खोलकर कमरे में गया और बिस्तर पर लेट गया। 15 मिनट बाद अभिषेक कमरे पर आया। वो आते ही मुझपर तंज कसते हुआ बोला।
अभिषेक- आ गए महाराज आप। कुछ लेगें आप। ठंडा या गरम या आपके लिए लस्सी लाऊँ दुकान से।
मैं- अरे अभिषेक मेरी बात तो सुन पहले।
अभिषेक (गुस्से से) अपनी बात को अपनी गाँड़ में डाल ले समझा। अगर मैंने कल चाचा जी के पास फोन न किया होता तो मुझे पता ही नहीं चलता कि तू किसी जरूरी काम में फँस गया है। और घर नहीं पहुँचा। मुझे ये समझ में नहीं आ रहा है। कि 40 किलोमीटर की दूरी में तुझे ऐसा कौन सा काम आ गया कि तू आज सुबह 11 बजे के करीब घर पहुँचा।
मैं- अभिषेक तू गलत समझ रहा है ऐसा कुछ भी नहीं है। वो मैं किसी बहुत जरूरी काम से शहर से बाहर गया था।
अभिषेक- ऐसा कौन सा जरूरी काम हो गया तुझे कि तूने मुझे भी बताना जरूरी नहीं समझा। मुझे तुझपर बहुत पहले से ही शक था, लेकिन तूने वादा ले लिया कि मैं तुझसे कुछ न पूछू इसलिए मैं चुप था, लेकिन अब पानी सिर के ऊपर से गुजर चुका है। तू मुझसे अब अपनी बातें भी छुपाने लगा है।
मैं- नहीं भाई मैंने कौन सी बात छुपाई आज तक तेरे से। तू ऐसा क्यों बोल रहा है।
अभिषेक- आज तक नहीं छिपाई लेकिन अब तू छिपा रहा है। मैं तेरा दोस्त हूँ मुझे तेरी परवाह है। मैंने हमेशा तेरे अच्छे के लिए सोचा है, लेकिन तू जिस तरह से ये बात मुझसे छिपा रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि किसी मुसीबत में है और कोई गलत काम कर रहा है। या कोई तुझसे कुछ जबरन करवा रहा है। अगर ऐसा है तो बोल भाई तेरे लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ। लेकिन इस बार झूठ मत बोलना। अगर तुमने कुछ नहीं बताया तो मैं यही समझूँगा की तू मुझे अपनी दोस्ती को काबिल नहीं समझता अब।
अभिषेक की इस बात से मुझे धक्का लगा। अभिषेक हमारी दोस्ती के बारे में कितना कुछ गलत सोच रहा है। फिलहाल गलत तो मैंने भी अभी तक किया है। इसलिए मैंने अभिषेक से सब कुछ सच सच बताने का फैसला कर लिया।
मैं- देख अभिषेक आज तो अपनी दोस्ती के बारे मैं तुमने बोल दिया लेकिन आज के बाद ऐसा बोला तो तेरी टाँगे तोड़ दूँगा मैं। साले तू तो मेरा भाई है।
अभिषेक- तो बता न। क्या बात है। तुझे कोई परेशानी है। या तुझे कोई ब्लैकमेल वगैरह कर रहा है जो तू मुझसे भी छिपा रहा है।
मैं- अबे ऐसा कुछ भी नहीं है। जैसा तू समझ रहा है। दरअसल बात ये है कि तेरे भाई को प्यार हो गया है।
मेरी बात सुनकर अभिषेक खुशी से उछल पड़ा। और मुझसे बोला।
अभिषेक- क्या कहा तूने। जरा फिर से कहना। मेरे कान बजे या मैंने वही सुना जो तूने बोला।
मै- (हँसते हुए) तेरे कान नहीं बज रहे हैं। तूने वही सुना जो मैंने कहा। तेरे भाई के दिल की घंटी बज गई है। तेरे भाई को प्यार हो गया है।
अभिषेक खुशी से झूमते हुए मुझे गोद में उठाकर नाचने लगा। मैं उसे नीचे उतारने के लिए बोला तो अभिषेक ने मुझे नीचे उतारते हुए कहा।
अभिषेक- गाँडू साले चुतिया। मन तो कर रहा है कि मार मार कर तेरा पिछवाड़ा लाल कर दूँ। साले तूने इतनी बड़ी और खुशी की बात मुझसे छिपाई। इसका मतलब कल से तू रात भर उसी के साथ था।
मैं- हाँ बे। मैं कल से उसी के साथ था, मैं तुम लोगों को इसलिए नहीं बता रहा था कि तुम लोग मुझे महिमा के प्यार को स्वीकार करने के लिए बोल रहे थे, तो मुझे लगा कि कहीं तुम लोगों को बुरा न लग जाए। इसलिए मैंने सोचा कि जब बात शादी तक आ जाएगी तब तुम लोगों को बताऊँगा।
अभिषेक- साले तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला। बात शादी तक भी पहुँच आई और हमें पता भी नहीं है। ये तुमने बिलकुल भी अच्छा नहीं किया नयन। लेकिन तेरी खुशी देखकर तुझे इस गलती के लिए माफ कर दे रहा हूँ। तुझे पता है न कि तू मेरे लिए क्या मायने रखता है। भले मैंने महिमा के लिए कहा था तुझसे क्योंकि उसके प्यार में सच्चाई दिखती है तेरे लिए, लेकिन प्यार जबरदस्ती नहीं होता भाई तो नाराजगी का सवाल ही पैदा नहीं होता। चल जो हुआ अच्छा हुआ किसी को देखकर तेरे दिल की घंटी बजी तो। साले ये खुशी का मौका है, पार्टी होना चाहिए वो भी अभी, रुक मैं अभी रेशमा पल्लवी और खुशबू को बुलाता हूँ।
मैं- अरे रहने दे न। बाद में करते हैं ना।
अभिषेक- नहीं एक तो तूने इतनी खुशी की बात छुपाई और अब बताने से भी मना कर रहा है। अब मैं तेरी बात नहीं सुनूँगा। रुक मैं फोन लगाता हूँ।
अभिषेक ने इतना कहना के बाद पल्लवी को फोन कर दिया पल्लवी को फोन करने के बाद अभिषेक ने मुझसे पूछा।
अभिषेक- वैसे भाभी जी का नाम क्या है।
उधर पल्लवी ने फोन उठा लिया। अभिषेक ने पल्लवी से कहा।
अभिषेक- पल्लू जल्दी से आकर मिलो। रेशमा को भी साथ लाना। बहुत खुशी की बात है। अपने भाई के दिल की घंटी बज गई है। नयन को किसी से प्यार हो गया है। पार्टी है ठेले पर। तुरंत.............।
मैं- उसका नाम अनामिका है।
उसकी बात अभी पूरी खत्म नहीं हुई थी। और मैंने नाम बता दिया। नाम सुनने के बाद उसके अपनी बात बीच में ही रोककर मुझसे प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए बोला।
अभिषेक- कौन अनामिका। एक मिनट। कहीं तू खुशबू की सहेली अनामिका की बात तो नहीं कर रहा है। वो अयोध्या वाली लड़की।
उधर पल्लवी फोन पर ही थी और उसे कुछ कुछ हमारी बातें सुनाई पड़ रही थी। वो हेलो अभिषेक हेलो अभिषेक बोल रही थी। अभिषेक की बात सुनकर मैंने उससे कहा।
मैं- हाँ भाई मैं उसकी की बात कर रहा हूँ। बहुत अच्छी लड़की है यार। मेरे तो भाग्य खुल गए अनामिका को पाकर।
मैंने अपनी बात कहकर अभिषेक की तरफ देखा तो उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था। उधर पल्लवी फोन पर अभिषेक हेलो अभिषेक बोल रही थी। अभिषेक ने पल्लवी से कहा।
पल्लवी- हाँ पल्लवी और आते वक्त एक पत्ता बदन दर्द की दवाई भी लेकर आना। क्योंकि नयन को मैं बहुत बुरी तरीके से पीटने वाला हूँ।
पल्लवी- ये क्या बात कर रहा...........................।
पल्लवी अपनी बात पूरी नहीं कर पाई तभी अभिषेक ने फोन काट दिया। अभिषेक ने पल्लवी से ये बात बहुत गुस्से से कही थी। जिसे सुनकर पल्लवी को भी कुछ अनिष्ट की आशंका हो गई। उसने तुरंत रेशमा को फोन लगा दिया।
रेशमा- हाँ पल्लू कैसी है तू।
पल्लवी- वो सब छोड़ तू जितनी जल्दी हो सके मुझसे मिल। अभिषेक का फोन आया था वो बोल रहा था कि नयन को किसी से प्यार हो गया है। उसने पूरी बात भी नहीं बताई फिर दोबारा बात हुई तो बहुत गुस्से में था और नयन की पीटने की बात कर रहा था। मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है। हमें उसने कमरे पर चलना है तुरंत इसके पहले की कुछ अनिष्ट हो जाए।
इतना कहकर पल्लवी ने फोन रख दिया। उधर पल्लवी से बात करने के बाद अभिषेक ने फोन रखा और मुझे गुस्से और घूरकर देखने लगा। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अभिषेक इतनी खुशी में अचानक गुस्सा क्यों हो गया। मैंने अभिषेक से कहा।
मै- क्या बात है अभिषेक तू अचानक गुस्सा क्यों हो गया। क्या बात है भाई।
अभिषेक- साले। मन तो कर रहा है कि मार मार कर तेरी चमड़ी उधेड़ दूँ। तू इतना बड़ा घोंचू कैसे हो सकता है बे। तुझे और कोई लड़की नहीं मिली प्यार करने के लिए।
मैं- ऐसा क्यों कह रहा है भाई। क्या कमी है अनामिका में। खूबसूरत है, संस्कारी है और सबसे बड़ी बात वो मुझसे बहुत प्यार करती है।
मेरी बात सुनकर अभिषेक और गुस्सा हो गया और बोला।
अभिषेक- तो और क्या कहूँ मैं। साले तुझसे बड़ा गाँड़ू इंसान मैंने आज तक नहीं देखा। साले तुमने इतनी बड़ी बात मुझसे छिपाई। अगर तुझे अपनी जिंदगी से प्यार नहीं है तो जा जाकर किसी गाड़ी के नीचे लेट जा। वो अनामिका संस्कारी है। तुझसे प्यार करती है। तू पूछ रहा है न कि उसमें कमी क्या है। ये पूछ कि उसमें क्या कमी नहीं है। साले वो एक नम्बर की चरित्रहीन लड़की है।
मुझे अभिषेक की बात बहुत बुरी लगी। मैंने अभिषेक से कहा।
मैं- देख अभिषेक मैं मानता हूँ कि मैंने गलती की है जो तुझसे ये बात छुपाई, लेकिन तू अनामिका के बारे में ऐसा कैसे बोल सकता है। आखिर तू जानता क्या है उसके बारे में। अगर तुमने अनामिका के बारे में एक शब्द भी और गलत बोला तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
अभिषेक- तुझसे बुरा कोई है भी नहीं साले। जो अपने दोस्तों से बात छुपाता है। तू पूछ रहा है न कि मैं अनामिका के बारे में जानता ही क्या हूँ। तू ये पूछ कि मैं क्या क्या जानता हूँ उसके बारे में। अनामिका एक गिरी हुई, घटिया और चरित्रहीन लड़की है। ये लड़कों को लिबास की तरह बदलती है। एक से मन भर गया तो दूसरे को ढ़ूढ़ लेती है। मुझे ये समझ में नहीं आ रहा है। कि तू उसके जाल में कैसे फँस गया। साले इसी से मिलने जाता था न तू। मुझे तो तेरी किस्मत पर तरस आता है।
अभिषेक की बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया। मैंने भी अभिषेक से गुस्से में कहा।
मैं- देख अभिषेक अब बहुत हो गया। कब से देख रहा हूँ कि तू कुछ भी अनाप सनाप बोले जा रहा है अनामिका के बारे में। चल ठीक है एक बार को मान लेता हूँ तेरी बात कि तू जो कह रहा है वो सही है। तो ये बात तुझे पता कहाँ से चली। कहीं खुशबू ने तो नहीं भड़काया है तुझे अनामिका को लेकर।
अभिषेक- इसमें खुशबू को क्यों लेकर आ रहा है तू। अगर उसको पता होता कि तू अनामिका से प्यार करता है तो क्या मुझे पता नहीं होता। तू पूछ रहा है न कि मैं जो बोल रहा हूँ वो सही है या गलत तो सुन मैं जो बोल रहा हूँ वो बिलकुल सही है। और कुछ देर में अनामिका खुद मेरी सच्चाई का सुबूत देगी। तेरी ये अनामिका और मेरी वो ऐमी एक ही लड़की है। साले तू गलत लड़की के चक्कर में पड़ गया है। उसकी खूबसूरती ही उसका सबसे बड़ा हथियार है नयन और साथ में उसकी चिकनी चुपड़ी बातें। जिसमें तू फस गया। वो कोई तुझसे प्यार-व्यार नहीं करती भाई। उसे अपने जिस्म की प्यास बुझानी थी इसलिए उसने तुझसे प्यार का नाटक किया, तुमसे शादी करने की कसमें खाई। वो किसी एक की होकर रहने वाली लड़की नहीं है, चित्रकूट में जब मेरा और अनामिका का झगड़ा हुआ था तो मकान मालिक के लड़के ने सब सुना था। बाद में मुझसे वो मिला। उसने मुझे बताया कि उन दोनों का शारीरिक संबंध बहुत पुराना है। और भी बहुत सी बातें बताई उसने अनामिका के बारे में। जिस बात को लेकर उससे भी मेरा झगड़ा हो गया। क्योंकि मुझे लग रहा था कि मेरे और अनामिका के बीच में वो आया है। जबकि वो बीच में नहीं आया था। वो तो बस अपनी जरूरत पूरी कर रहा था अनामिका के माध्यम से और अनामिका अपनी जरूरत पूरी कर रही थी उसके माध्यम से।
अभिषेक की बातें सुनकर मेरा तो दिमाग ही घूम गया। मुझे समझ में ही नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है मेरे साथ। मेरा दिमाग सुन्न हो गया था ये सुनकर। मैं अभिषेक की बातों को झुठला भी नहीं सकता था क्योंकि अभिषेक मेरा लंगोटिया यार है। वो मेरे लिए हमेशा अच्छा ही सोचेगा। भला कुछ देर पहले वाला अभिषेक जो मेरे प्यार की बात सुनकर खुशी से झूम उठा था, लेकिन नाम सुनने के बाद उसकी खुशी गुस्से में बदल जाना उसको सत्य साबित कर रहा था। लेकिन मन के किसी कोने से अभी भी ये आवाज आ रही थी कि अनामिका ऐसा नहीं कर सकती। वो मुझसे प्यार करती है। वो मेरे साथ इतना गंदा खेल नहीं खेल सकती। मैंने अभिषेक से कहा।
मैं- ये तू क्या बोल रहा है यार। कह दे कि तूने जो कहा वो सच नहीं है।
अभिषेक- मैं कोई तेरा दुश्मन नहीं हूँ जो तेरी खुशी से जलूँगा। तेरी खुशी में ही मेरी खुशी है। मैं जो कह रहा हूँ वो बिलकुल सही है। एक बात और सुन जो खुशबू ने मुझे बताया है उसका प्रेमी है जिससे वो शादी करने वाली है वो सेना में नौकरी करता है। शायद अभी उसको अनामिका की असलियत के बारे में पता नहीं है।साले जिस दिन यह बात उसका प्रेमी जान जाएगा । वो तेरी गाँड़ में गोली मारकर जाएगा समझा।
अभिषेक ने ये बात थोड़ी गुस्से में कही थी। अभिषेक की इस बात ने मुझे एक और झटका दिया। मेरे सारे अरमान मेरे सारे सपने रेत की महल की तरह टूट रहे थे। जिसे मैं चाह कर भी नहीं संभाल पा रहा था। मैंने अभिषेक से कहा।
मैं- मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि तू जो कह रहा है वो सच है।
मेरी बात सुनकर अभिषेक आपे से बाहर हो गया और गुस्से में मुझे एक थप्पड़ लगा दिया और चिल्लाते हुए बोला।
अभिषेक- मेरी बात पर विश्वास नहीं हो रहा है तो जा उसी अनामिका से गाँड़ मरवा अपनी। साले तुझे उसके इतने कारनामें बता दिए, लेकिन तेरी आँखों पर उसके झूठे प्यार की पट्टी जो बँधी हुई है। तू अभी लगा उसको फोन और उससे पूछ कि ये संजू कौन है और अनामिका और संजू का क्या रिश्ता है।
अभिषेक की बात सुनकर मैंने अपना फोन निकाला और अनामिका को फोन लगा दिया। मैं इस समय बहुत ही बुरी स्थिति में था, मैं अनामिका से कैसे बात करूँ समझ में नहीं आ रहा था। अनामिका ने फोन उठाया और फोन उठाते ही प्यार भरी आवाज में कहा।
अनामिका- हाँ नयन। पहुँच गए तुम घर। और सब कैसे हैं घर पर।
मैं- सब ठीक हैं। मुझे तुमसे कुछ पूछना है और मुझे मेरे सवाल का सीधा सीधा जवाब चाहिए।
अनामिका- पूछो क्या पूछना है। मैंने तुमसे आज तक कुछ छिपाया है जो अब छिपाऊँगी।
मैं- ये संजू कौन है। क्या रिश्ता है तुम्हारा उसके साथ।
अनामिका- कौन संजू। तुम किस संजू की बात कर रहे हो। मैं किसी संजू को नहीं जानती।
अनामिका ने साफ इंकार कर दिया कि वो ऐसे किसी संजू नामके इनसान को जानती है। मैंने उससे कहा।
मैं- मैं उस संजू की बात कर रहा हूँ जो तुम्हारा प्रेमी है और सेना में नौकरी करता है।
मेरी बात सुनकर अनामिका को पता चल गया कि उसके भाँडा फूट चुका है। इसलिए उसने बिना डर या संकोच के कहा।
अनामिक- जब तुम्हें सबकुछ पता चल ही गया है तो झूठ बोलने से अब कोई मतलब ही नहीं है। तुम सही कह रहे हो मेरा एक प्रेमी है जो सेना मैं नौकरी करता है।
उसकी बात सुनकर मुझे बहुत बड़ा धक्का लगा। मेरी थोड़ी बहुत जो भी रही सही उम्मीदें थी वो भी टूट गई। मैंने अनामिका के कहा।
मैं- अगर तुम्हारा पहले से ही प्रेमी है तो फिर तुम मेरे साथ प्यार का नाटक क्यों किया। मेरे जज्बातों के साथ क्यों खेला तुमने। क्यों मेरे अरमानों का गला घोंटा तुमने।
मैंने अपने जज्बात पर काबू खोते हुए ये बात कही। मेरी बात सुनकर अनामिका ने सहजता से कहा।
अनामिका- यार तुम भी ये क्या बाते लेकर बैठ गए। मैं मानती हूँ कि संजू मेरा प्रेमी है और उसके साथ शादी करने का सोच रही हूँ लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।
अनामिका की बात सुनकर मुझे अपने आप पर गुस्सा आने लगा। मैं इतना बेवकूफ कैसे हो सकता हूँ कि प्यार और फरेब में फर्क नहीं कर पाया, लेकिन फर्क कर भी कैसे सकता था। अनामिका ने अच्छाई का मुखौटा इतनी सफाई से पहना था कि अभिषेक के साथ साथ मैं भी धोखा खा गया था। मैंने अनामिका से इस बार गुस्से में बोला।
मैं- अनामिका तुम्हें शर्म नहीं आती। तुमने मुझे तो धोखा दिया ही। साथ में जिसके साथ शादी करना चाहती हो उसे भी धोखा दे रही हो। ये कैसा प्यार है तुम्हारा। इतना घटिया और वासनायुक्त प्यार।
अनामिका- कूल डाउन नयन। तुम्हें शायद पता नहीं है कि संजू सेना में है जिसके कारण उसे ज्यादा छुट्टी नही मिल पाती है और वह पिछले 6 महीने से मुझसे मिलने तक नही आया। उस अकेलेपन को दूर करने के लिए अगर मैंने तुमसे प्यार किया तो इसमें बुरा क्या है।
अनामिका हर बात का जवाब बहुत सहजता से दे रही थी जैसे कुछ हुआ ही न हो, लेकिन उसकी हर एक बात नस्तर की तरह मुझे चुभ रही थी। मैंने अनामिका से कहा।
मैं- तुम कितनी घटिया लड़की हो अनामिका, तुम्हें मेरे जज्बातों के साथ खेलते हुए बिलकुल भी बिलकुल भी शर्म नहीं आई। तुम मेरे जज्बातों के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों किया। मेरे प्यार को मजाक बना दिया तुमने। आखिर मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था।
अनामिका- यार नयन तुम बात को कहाँ से कहाँ लेकर जा रहे हो। मैंने तुम्हें बताया तो कि मेरा प्रेमी संजू पिछले छः महीनों से मुझसे मिलने नहीं आया। इसलिए मैं अपना अकेलापन दूर करने के लिए तुम्हारे करीब आई।
अनामिका की बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था मैंने गुस्से में उससे कहा।
मैं- तुमने अपने स्वार्थ के लिए मेरे जज्बातों के साथ खेला है। तुमने मेरे ही नहीं पता नहीं कितने लड़कों के साथ प्यार का नाटक कर उनके अरमानों को कुचला है। तुम एक नम्बर की घटिया, बदचलन और चरित्रहीन लड़की हो। मुझे अपने आप से घिन आती है कि मैंने तुम जैसी गिरी हुई लड़की से प्यार किया।
अनामिका- अपनी जुबान को लगाम दो नयन। मैं अब तक चुप हूँ तो इसका मतलब यह नही मैं तुम्हें जवाब नहीं दे सकती। और एक बात कान खोलकर सुन लो। मुझसे प्यार करने पर सिर्फ मुझे ही फायदा नहीं हुआ है। मुझसे ज्यादा तुम्हें फायदा हुआ है। तुम्हें मेरे जैसी हसीन, खूबसूरत और सेक्सी लड़की के साथ सेक्स करने का मौका मिला। जिसमें मैंने ही मजे नहीं किए बल्कि तुमने भी जन्नत की सैर की है। तो ये प्यार व्यार का ड्रामा बंद करो तुम। एक लड़के को एक लड़की से भी जो चाहिए होता है वो सब मैंने तुम्हे दिया हैं।
मुझे उस वक्त खुद से घृणा हो रही थी। मेरा खुद का शरीर मुझे गंदा दिखने लगा था। मैने कल रात उसके साथ सेक्स किया था। ये सोच सोच कर मुझे आत्मग्लानि हो रही थी कि मेरी पसंद इतनी घटिया और गिरी हुई कैसे हो सकती हैं। मैंने एक ऐसी लड़की से प्यार किया जिसे प्यार क्या ? प्यार जैसे शब्द से भी कोई लेना देना नही था। जिसने प्यार जैसे पवित्र शब्द को अपनी जिस्म भी भूँख मिटाने का माध्यम बना लिया था। मैंने गुस्से के साथ अनामिका से कहा।
मैं- तुमने ये मेरे साथ बिलकुल अच्छा नहीं किया। मैंने तुम्हारे साथ अपनी जिंदगी बिताने के सपने देखे थे। तुमसे शादी करने का फैसला किया था मैंने जिसके लिए तुमने खुद हामी भरी थी।
अनामिका- देखो नयन अगर तुम्हें ये लगता है कि मैं तुम जैसे भिखमंगे से शादी करूँगी तो तुमसे बड़ा बेवकूफ सारी दुनिया में नहीं है।
मैं- सही कहा तुमने। मैं बेवकूफ ही हूँ। जो तुझ जैसी लड़की के लिए अपने भाई जैसे दोस्त से बातें छुपाई। तेरे लिए उससे लड़ा भी। मैं बेवकूफ ही हूँ जिसने तुम्हारे साथ शादी करने के सपने देखे थे। मेरे जैसे लड़के से साथ ऐसा ही होना चाहिए।
अनामिका- देखो नयन अगर तुम्हें ये लगता है कि मैंने तुम्हारे जज्बातों से साथ खिलवाड़ किया है तो इसके लिए मैं क्षमा चाहती हूं। मगर यह कभी मत सोचना कि मैं संजू से प्यार करती हूँ तो अब मैं तुम से प्यार नही करूंगी। अगर तुम्हें कभी भी मेरी जरूरत पड़े तो मुझे फोन करना। तुम्हें कभी भी सेक्स करने का मन हुआ तो तुम बेझिझक मेरे पास आ सकते हो। या तुम जहाँ बताओ मैं वहाँ आ जाऊँगी। फिर हम दोनों मजा करेंगे। मेरे इस खूबसूरत जिस्म पर जितना हक मेरे प्रेमी संजू का है, उतना ही हक मेरे जिस्म पर तुम्हारा भी है। इसे तुम जब चाहो इस्तेमाल कर सकते हो।
अनामिका ने ये बात इतनी सहजता से की कि उसकी बात सुनकर मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। उस वक्त मुझे गुस्से से ज्यादा हैरत हो रही थी कि आखिर कोई लड़की इतनी बेशर्म, बेहया और बेमुरौवत कैसे हो सकती है। कुछ देर रुकने के बाद अनामिका ने कहा।
अनामिका- अच्छा ये सब छोड़ो ये बताओ कि अगले हफ्ते का क्या प्लान है। सुनो मैं एक पाँच सितारा होटल मे कमरा बुक करा रही हूँ। वहाँ तुम्हारे लिए कुछ सरप्राइज प्लान किया है मैंने तुम्हारे लिए। मैं तुम्हारे साथ खुल कर मजा करना चाहती हूँ। लेकिन हां इस बार तुम कंडोम लेकर मत आना। इस बार मैं तुम्हारी पूरी खुशबू महसूस करना चाहती हूं ................।
इससे ज्यादा कुछ सुनना मेरे लिए असहनीय हो गया। मेरे अंदर का जमा गुस्सा पूरी तरह फट पड़ा और मैं पूरी ताकत से चिल्लाते हुए कहा।
मैं- चुप कर साली, कुत्ती, कमीनी, बेहया लड़की। अपनी जुबान बंद रख साली। रंडी वाली हरकत बंद कर अपनी। अरे रंडी भी तुझसे अच्छी होती हैं, कम से कम जिससे पैसे लेकर अपना जिस्म सौंपती हैं उसके प्रति वो वफादार तो होती हैं। लेकिन तू। तू तो उनसे भी गई गुजरी है। तू एकदम पागल हो चुकी है। तू अपने पागलपन में इतनी अंधी हो चुकी है कि तेरा बस चले तो तू गली के कुत्ते से भी चुदवा ले।।
अनामिका- नयन अपनी जुबान को लगाम दो..
मैं- (उसकी बात काटते हुए) चुप कर तू कमीनी रंडी साली। तूने मुझे बर्बाद कर दिया। तो कभी सुखी नहीं रहेगी।। तेरा संजू भी तुझे छोड़ देगा एक दिन।। तुझे एक अच्छी लड़की समझ कर प्यार किया था और तुम ...... छी..छी... । मुझे तो अब तुम्हारे बारे में सोच कर भी घृणा आ रही है। फोन रख अपना कुत्ती और भगवान से प्रार्थना करना कि मुझसे मुलाकात न हो तेरी कभी। नहीं तो वो दिन तेरी ज़िंदगी का आखिरी दिन होगा।
इतना कहकर मैंने अपना फोन काट दिया और फूट फूट कर रोने लगा।।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
अँड़तालीसवाँ भाग
एक दिन मैं और अभिषेक अपने कमरे पर बैठकर पढ़ाई कर रहा था कि तभी मेरे मोबाईल पर एक अनजान नम्बर से फोन आया। मैंने फोन उठाकर अपने कान में लगाया और उधर के शख्स की बात सुनकर मेरे मुँह से निकल गया।
मैं- संजू.........। कौन संजू।
संजू- वो मैं बाद में बताता हूँ पहले ये बताओ तुम नयन ही बोल रहे हो न।
मैं- हाँ मैं नयन ही हूँ, लेकिन मैंने आपको पहचाना नहीं।
संजू- मैं संजू। अनामिका को जानते हो।
अनामिका का नाम सुनकर मैं सोच मैं पड़ गया तभी बगल में बैठे अभिषेक ने मुझसे फोन को स्पीकर में डालने के लिए इशारा किया। मैने अभिषेक की बात मानते हुए फोन स्पीकर में डाल दिया। मेरी तरफ से कोई जवाब न मिलने पर उसने फिर से कहा।
संजू- क्या हुआ नयन मैं संजू हूँ अनामिका का प्रेमी। क्या तुम अनामिका को जानते हो।
मैं उसकी बात सुनकर सकते में आ गया। ये तो अनामिका का प्रेमी था। मैं क्या बोलूँ मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा।
मैं- मैं अनामिका नाम की किसी भी लड़की को नहीं जानता।
संजू- बड़ी जल्दी भूल गए। अरे वही अनामिका जिससे साथ तुमने उसकी सहेली के कमरे में सेक्स किया था। जिसके साथ अभी भी तुम्हारा कुछ न कुछ चल रहा है। अब कुछ याद आया या मैं कुछ और बताऊँ याद दिलाने के लिए।
संजू ने जिस तरह से इस बात का खुलासा किया था। उससे तो पता चल गया कि इसे सबकुछ पता है। मैंने अभिषेक की तरफ देखा तो उसने सामान्य रूप से बात करने के लिए इशारा किया।
मैं- मैंने कहा न कि मैं अनामिका नाम की लड़की को नहीं जानता। और न ही मेरा किसी के साथ चक्कर है। इसलिए बेहतर होगा आप बार फोन रख दें।
संजू - देखो पहली बात तो मुझे धमकी मत देना और मुझसे ज्यादा होशियारी भी मत करना। अनामिका और तुम्हारे रिश्ते के बारे में मुझे अच्छी तरह से जानकारी हैं। मैं तुम्हें उससे मिलने या उसके साथ कुछ भी करने से मना करने के लिए तुम्हारे पास फोन नहीं किया है। मुझे तुम दोनों के रिश्ते से कोई दिक्कत नहीं है। जब अनामिका ने ही मुझे धोखा दिया है तो मैं तुम्हें क्या बोल सकता हूँ। मैंने उस पर बहुत भरोसा किया था मगर उसने मेरे भरोसे को तोड़ दिया। तो मैं किसी से क्या उम्मीद करूँ कि वो मेरी बात मानेगा या मुझे समझने की कोशिश करेगा। मैंने तो तुम्हें यह समझाने कै लिए फोन किया है कि उसके पेट में जो तुम्हारा पाप या बच्चा जो तुम समझना चाहो समझ सकते हो। तो मैं ये कह रहा था कि अनामिका गर्भवती है तो उसका ठीकरा तुम मेरे ऊपर मत फोड़ना। क्योंकि उसके गर्भवती होने में मेरे कोई योगदान नहीं है। इसलिए आगे से अनामिका और उस के पेट में पल रहे अपने पाप को तुम खुद ही संभालो। मैंने बस तुम्हें यही बताने के लिए फोन किया था कि इन सबको इल्जाम मेरे ऊपर नहीं आना चाहिए। तुम दोनों ने मिलकर जो फूल खिलाया है उसको मेरे ऊपर मत चढ़ाना। अनामिका और अपने बच्चे को अपना लेना।
संजू की बात सुनकर मेरे ऊपर बहुत जोरदार धमाका हुआ। मेरे हाथों से फोन छूटकर बिस्तर पर गिर पड़ा। मैं तो ये बात सुनकर मरणासन्न स्थिति में पहुँच गया। मैंने अभिषेक की तरफ देखा तो वो सशंकित दृष्टि से मुझे देख रहा था जैसे पूछ रहा है कि साले ये तूने क्या कर दिया। उधर से मेरी तरफ से कोई जवाब न पाकर संजू हेलो हेलो करता रहा। कुछ देर बात उसने फोन काट दिया। कुछ पल बाद फिर से मेरे फोन की घंटी बजी। उधर से संजू ही था। अब मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी उसका फोन उठाने की। मैं तो अभी भी अभिषेक को ही देख रहा था। घंटी बजकर बंद हो चुकी थी। कुछ पल बाद फिर सो फोन बजने लगा। तो अभिषेक ने फोन उठाया और बोला।
अभिषेक- हेलो। मैं अभिषेक। नयन का दोस्त।
संजू- जो मैंने बताया अपने दोस्त को बोलना कि मेरी बातो को संजीदगी से ले। क्योंकि मैं जितना अच्छा हूँ उससे भी ज्यादा बुरा भी हूँ। अगर तुम्हारे दोस्त ने कोई चालाकी करके मुझे फँसाने की कोशिश की तो बहुत बुरा होगा उसके साथ, क्योंकि अगर वो मेरा बच्चा होता तो मैं दुनिया से लड़कर उसे अपनाता। इसलिए मेरी बात मान लेने में ही उसकी भलाई है।
अभिषेक- देखिए संजू जी। आपकी बात से मैं इनकार नहीं कर रहा हूँ लेकिन मैं अपने दोस्त को अच्छी तरह से जानता हूँ। वो कोई ऐसा वैसा काम नहीं कर सकता। अनामिका को गर्भवती करने में मेरे दोस्त को कोई हाथ नहीं है।
संजू- वेटा मुझे चूतिया समझ रहे हो क्या। मैंने बहुत दुनिया देखी है। चलो मान लेता हूँ कि तुम्हारे दोस्त कोई ऐसा वैसा काम नहीं किया, लेकिन ये जो हुआ है ऐसे वैसे काम की वजह से हुआ है। जोश जोश में गलती हो जाती है। तुम्हारे दोस्त से भी जोश जोश में गलती हो गई होगी। तो अपनी गलती मान लेने में ही भलाई है। क्योंकि अनामिका उस बच्चे का ठीकरा मेरे ऊपर फोड़ रही है।
अभिषेक- संजू जी। एक बात बताइए। आपके कहने के मुताबिक जोश जोश में मेरे दोस्त से गलती हो सकती है। तो ऐसा भी तो हो सकता है कि जोश जोश में आपसे ही ये गलती हुई हो।
संजू- बहुत दिमाग वोले मालूम पड़ रहे हो तुम। तुम्हारी बात को भी नकारा नहीं जा करता। नयन के उस दिन उसकी सहेली के घर से जाने के बाद मैं आया था। क्योंकि मैं और अनामिका उसकी सहेली के घर पर ही मिलते थे। अनामिका ने मुझे उस दिन वहाँ वुलाया था। मैं होटल में रुकने के बजाय सीधा वहाँ पर चला गया। तो अनामिका के दिए गए समय से पहले ही वहाँ पहुँच गया। मैंने तुम्हारे दोस्त को उसके घर से निकलते हुए देखा था। मुझे थोड़ा बहुत शक हुआ था, लेकिन अनामिका से इतना प्यार करता था कि उसने बताया कि नयन उसका दोस्त है और कोई जरूरी बात करने आया था तो मैंने उसकी बातों पर विश्वास कर लिया। उस दिन मैंने और अनामिका ने भी सेक्स किया था, लेकिन मैंने जब भी उसके साथ सेक्स किया है। कंडोम लगाकर ही सेक्स किया है। क्योंकि मैं उससे शादी करना चाहता था और शादी से पहले मैं उसकी या अपनी बदनामी नहीं होने देना चाहता था।
अभिषेक- लेकिन संजू जी। मेरे दोस्त का इसमें कोई हाथ नहीं है।
संजू- बेटे मुझे बेवकूफ समझने की कोशिश मत करो। दुनिया को मैं चराता हूँ और तुम मुझे चरा रहे हो।
संजू की बात सुनकर अभिषेक मेरी तरफ देखने लगा। मैं गरदन हिलाकर अपनी गरदन न में हिलाई। अभिषेक फिर से उससे मुखातिब होते हुए बोला।
अभिषेक- क्या आप हमसे मिल सकते हो।
संजू- हाँ क्यों नहीं। मैं भी इलाहाबाद से ही हूँ। दो दिन पहले घर आया हूँ कल मिलते हैं फिर
अभिषेक- ठीक है तो कल कंपनी गार्डेन में मिलते हैं सुबह 11.00 बजे के करीब।
संजू- ठीक है। मिलते हैं कल फिर।
संजू से बात करने के बाद अभिषेक ने मेरी तरफ देखा। उसके चेहरे से गुस्सा साफ झलक रहा था। मैंने अभिषेक की आँखों में देखा तो उसकी आँखों में अगारे जल रहे थे तो मैंने अपना सिर नीचे कर लिया। अभिषेक ने मुझसे गुस्से में कहा।
अभिषेक- ये सब क्या किया तूने साले। बस यही दिन देखना रह गया था बाकी। इतनी आग लगी थी कि बरदास्त नहीं हुआ तुझसे।
मैं- (गरदन नीचे करके) मैंने कुछ नहीं किया है। वो झूठ बोल रहा है।
अभिषेक- अपनी नजर नीची करके बात न कर मुझसे। अगर तू सच कह रहा है तो मेरी आँखों में आँखें डालकर बोल मुझसे।
अभिषेक की बात सुनकर मैंने अपनी गरदन ऊपर की और अभिषेक की आँखो में देखते हुए वोला।
मैं- मैं सच कह रहा हूँ मैंने कुछ नहीं किया। वो मुझे फँसाने की कोशिश कर रहा है।
अभिषेक- देख नयन तुमने इसके पहले भी मुझसे झूठ बोला है उस अनामिका की खातिर। और अब भी झूठ बोलने की कोशिश कर रहा है।
मैं- नहीं भाई तू मेरा दोस्त है। मैं तुझसे झूठ नहीं बोल रहा हूँ।
अभिषेक- देख नयन। हो सकता है तुझसे जोश जोश में गलती हो गई हो। तो अगर ऐसा कुछ हुआ हो तो मुझे बता। मैं सभी दोस्तों को बुलाता हूँ मिल बैठ कर बात करेंगे कोई न कोई समाधान जरूर निकाल लेगे। तुझे इस मुसीबत से जरूर बाहर निकालेंगे। इसलिए सच सच बता कि बात क्या है।
मैं- मैं अपनी दोस्ती की कसम खाकर कहता हूँ कि मैंने कुछ नहीं किया है ये सब मुझे फंसाने की साजिश है। मैंने उस दिन अनामिका के साथ सेक्स किया था, लेकिन मैंने उस दिन जितनी बार सेक्स किया कंडोम लगाकर किया। तो ऐसा कैसे हो सकता है यार तू ही बता।
अब मैंने दोस्ती की कसम खाई थी तो अभिषेक का मेरे ऊपर जो भी संदेह था इस बारे में वो तुरंत मिट गया, क्योंकि अभिषेक भी ये जानता था कि मैं उसके झूठ बोल सकता हूँ लेकिन दोस्ती की झूठी कसम नहीं खा सकता। इसलिए अभिषेक ने मुझसे कहा।
अभिषेक- अगर तूने सेक्स करते समय कंडोम पहना था और संजू बता रहा था कि उसने भी सेक्स करते समय कंडोम पहना था तो फिर अनामिका गर्भवती कैसे हो गई। और तो और संजू के कहने के मुताबिक वो अपने बच्चे का बाप उसे बता रही है, लेकिन संजू का कहना है कि इस बच्चे का बाप तू है। अरे यार बहुत बड़ा लोचा हो गया है। ये अनामिका हम सबकी जिंदगी में पनौती बनकर आई है। जब से आई है कोई न कोई नया बखेड़ा होता रहता है।
मैं- तो अब क्या करना है। क्या ये बात रेशमा और पल्लवी, महेश और रश्मि को बतानी चाहिए।
अभिषेक- जरूर बतानी चाहिए आखिर वो अपने दोस्त हैं। हो सकता है किसी के दिमाग में कोई ऐसी बात आ जाए जिससे इस समस्या का समाधान खोजा जा सके।
फिर अभिषेक ने तुरंत महेश के पास फोन लगाया। महेश ने फोन उठाया।
महेश- हाँ भाई कैसा है बड़े दिन बाद याद किया। नूनू कैसा है।
अभिषेक- अरे भाई वो सब छोड़। बहुत बड़ा लोचा हो गया है। तेरे नूनू का नूनू कटने वाला है। तू 15 दिन की छुट्टी लेकर तुरंत इधर आ जा। क्योंकि हम दोनों का दिमाग काम नहीं कर रहा है।
महेश- अबे पहले बता कि बात क्या है। तब न मैं छुट्टी के लिए कुछ सोचू। हो सकता है यहीं पर बैठे बैठे कुछ समाधान कर दूँ।
महेश की बात सुनकर अभिषेक ने अभी संजू के साथ जो भी बातें हुई उसको महेश को बता दिया। पूरी बात सुनने के बाद महेश ने कहा।
महेश- बात तो वाकई बहुत गंभीर है। ये सब साले इस मंदबुद्धि नूनू की वजह से हो रहा है। अगर इसने पहले ही सबकुछ बता दिया होता तो आज ये सब न होता। दो दिन तो नहीं आ पाऊँगा क्योंकि दो दिन बहुत ही जरूरी काम है। दो दिन के बाद मैं आता हूँ और पूरा मामला रफा-दफा करने के बाद ही दोबारा ड्यूटी जाऊँगा। और आने के बाद सबसे पहले बकचोद नूनू को पेलूँगा। साला काम का न काज का दुश्मन अनाज का। तब तक तू संभाल ले भाई।
इतना कहकर महेश ने फोन रख दिया अभिषेक ने फोन स्पीकर पर डाला था इसलिए जो कुछ भी महेश ने कहा वो सब मैंने भी सुना जिसे सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कान थी, महेश ने चाहे मुझे जो कुछ भी कहा हो। लेकिन उसकी बातों में मेरे लिए फिकर थी। फिर अभिषेक ने रेशमा को फोन किया। रेशमा ने फोन उठाया।
रेशमा- हाँ अभिषेक बोलो कोई काम था।
अभिषेक- काम नहीं बहुत बड़ा काम है। जल्दी कमरे पर पहुँचो पल्लवी को लेकर।
रेशमा- क्या बात है। अभी शाम को कोचिंग में मिल ही रहे हैं।
अभिषेक- इस नयन ने फिर से कांड कर दिया है। (हँसते हुए) अनामिका को गर्भवती कर दिया है इसने।
रेशमा- क्या। क्यो बोल रहे हो तुम।
अभिषेक- इसीलिए आने के लिए बोल रहा हूँ। पूरी बात फोन पर नहीं बता सकता। इसलिए जल्दी से कमरे पर आओ।
इतना कहकर अभिषेक ने फोन रख दिया मैंने उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए कहा।
मैं- साले क्या बोल रहा था रेशमा को। मैंने अनामिका को गर्भवती कर दिया है। क्या सोच रही होगी मेरे बारे में वो।
अभिषेक- यही सोचेगी कि तू कितना बड़ा ठरकी है। दोस्तों से छुपाकर अनामिका को गर्भवती कर दिया।
अभिषेक ने ये बात हँसते हुए कही थी। उसकी बात सुनकर मैं उसके ऊपर टूट पड़ा। इस मजाक का फायदा यह हुआ कि संजू से बात करने के बाद माहौल जो थोड़ा भारी ही गया था वो हलका हो गया।
थोड़ा देर बाद पल्लवी और रेशमा भी आ गई। मैंने उन्हें सब कुछ बताया। पूरी बात सुनने के बाद रेशमा ने कहा।
रेशमा- अरे यार अब ये क्या नया लफ़ड़ा है। नयन सच सच बताना। कहीं तुमने सच में कुछ उल्टा सीधा तो नहीं किया न।
मैं- अरे यार मैं सच बोल रहा हूँ। ये मुझे फँसाने के लिए कोई चाल है। मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता।
पल्लवी- पहले एक काम करो। कल उस लड़के से मिलो। बात करो फिर सोचते हैं आगे क्या करना है। बिना पूरी बात जाने इस बात पर सोचना बेमतलब होगा। अभी अपना दिमाग थोड़ा शांत रखो और थोड़ा पढ़ाई भी कर लो।
इसके बाद हम सभी ने थोड़ी देर बैठकर पढ़ाई की। फिर कोचिंग के समय जाकर कोचिंग क्लास किया और वापस घर आ गए। अगले दिन 11 बजे संजू के बताए हुए जगह पर हम लोग पहुँच गए। अभिषेक ने उसे फोन किया तो पाँच मिनट में आने के लिए बोला। लगभग 5 मिनट बाद एक लड़का हम लोगों के पास आया और बोला।
लड़का- क्या आप नयन और अभिषेक हैं।
मैं- हाँ मैं ही नयन हूँ ये मेरे दोस्त अभिषेक आप संजू हैं।
संजू- हाँ मैं संजू हूँ। आइये पार्क के अंदर बैठ कर बात करते हैं।
संजू ने हम दोनों से हाथ मिलाते हुए कहा। संजू लगभग सवा छः फिट के ऊपर की लंबाई वाला हट्टा कट्टा इंसान था। वह टी-शर्ट और जींस पहनकर आया था तो टी-शर्ट में से उसके डील-डौल अच्छे खासे नजर आ रहे थे। हम तीनों पार्क के अंदर चले गए और एक खाली जगह पर बैठ गए। दोपहर का समय होने के कारण ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं थी उस समय पार्क में। वहाँ बैठने के बाद संजू ने मुझसे कहा।
संजू- हाँ तो तुमको कुछ बात करनी थी मुझसे। बताओ क्या बात है।
मैं- देखिए संजू जी। आप जैसा सोच रहे हैं वैसा नहीं है। डेढ़ महीने पहले ही हमारा अलगाव हो गया है। उसने मुझे शादी का झाँसा देकर सेक्स किया। जब मुझे उसकी हकीकत पता चली तो मैंने उससे अलगाव कर लिया। पिछले डेढ़ महीने से हम मिले नहीं है। और आप कह रहे हैं कि उसके बच्चे का बाप मैं हूँ।
संजू- वो इसलिए कह रहा हूँ कि उसके गर्भवती होने की तारीख भी लगभग 40-45 दिन के आस-पास की है।
मैं- लेकिन मैं सच कह रहा हूँ। मैंने उससे उस दिन पहली बार सेक्स किया था। हाँ ये जरूर है कि पहली मर्तबा में ही 3 बार हमने किया था सेक्स, लेकिन मैंने हर बार कंडोम लगाकर ही उसके साथ सेक्स किया था। लेकिन उसने मुझे धोखा दिया। मुझसे झूठ बोला।
संजू- मैं समझा नहीं। पूरी बात बताओ।
फिर मैंने संजू को उससे मुलाकात से लेकर अपने अलगाव तक की सारी कहानी बता दी। जिसे सुनने के बाद संजू संजीदा हो गया और बोला।
संजू- मतलब तुमने उससे शादी का आश्वासान मिलने के बाद सेक्स किया। और सेक्स करते समय कंडोम का इस्तेमाल किया।
मैं- हाँ उस रात पहली और आखिरी बार।
संजू- इसका मतलब वो तुम्हारा बच्चा नहीं है और वो मेरा भी बच्चा नहीं है, क्योंकि मैंने भी डेढ़ महीने पहले ही उससे सेक्स किया था, लेकिन उस समय मैंने भी कंडोम का उपयोग किया था। तो अगर ये बच्चा तुम्हारा नहीं है और मेरे नहीं है। तो ये बच्चा है किसका।
मैं- मुझे नहीं पता भाई। मैं सच कह रहा हूँ। उस बच्चे से मेरा कोई लेना देना नहीं है।
संजू- मुझसे चालाकी करने की कोशिश तो नहीं कर रहे हो न तुम दोनों।
अभिषेक- हम आपसे चालाकी क्यों करेगे भाई। कल आपसे बात करने के बाद मैंने भी इससे बहुत पूछा लेकिन ये कल भी यही बता रहा था जो आज बता रहा है। लेकिन एक बात बताइए। आपको अनामिका के गर्भावस्था के बारे में कैसे पता। अनामिका ने आपको बताया क्या।
संजू- अरे यही तो अफसोस की बात है कि उसने आज तक मुझसे कभी सत्य बोला ही नहीं। मैंने तुम्हें कल बताया था न कि मैंने उस दिन अनामिका से जब मिलने उसकी सहेली के कमरे पर गया तो मेंने नयन को वहां से निकलते हुए देखा। तो इसी तरह मैं चार दिन पहले भी अनामिका से मिलने के लिए उसकी सहेली के कमरे पर गया तो अनामिका मुझे शयनकक्ष में बैठाकर रसोईघर में नाश्ता बनाने के लिए चली गई। मैं वहीं पर बैठकर वहाँ पर रखी हुई किताबें पलटकर देख रहा था तो एक किताब के बीच में मुझे मेडिकल रिपोर्ट दिखाई पड़ी। मैंने उत्सुकता वश उसे खोलकर देखा तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। वो रिपोर्ट अनामिका के गर्भवती होने की रिपोर्ट थी। मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अनामिका गर्भवती कैसे हो गई। क्योंकि मैंने जब भी उसके साथ पिछले 2.5 सालों में सेक्स किया हमेशा कंडोम लगाकर किया।
मैं उससे शादी करना चाहता था। और मैंने उसे अपने घर में मम्मी पापा से भी मिलवाया। मेरे घर वालों को इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन घर वालों ने सलाह दी कि ज्यादा मिलने जुलने के कोशिश मत करना तुम दोनों। क्योंकि माँ बाप को सब पता होता है कि मिलने जुलने पर क्या क्या हो सकता है। मुझे शादी तो उसी से करनी थी तो हम दोनों ने आपसी सहमति से सेक्स किया। लेकिन जब भी किया कंडोम लगाकर किया। उस रिपोर्ट को देखने के बाद मुझे उस दिन की घटना याद आई जब नयन को मैंने कमरे से निकलते हुए देखा था। जिसके बारे में पूछने पर अनामिका ने सिर्फ दोस्त होने का बहाना बना दिया था जिसपर मैंने आँख बंद करके विश्वास कर लिया था। रिपोर्ट देखने के बाद मुझे इन दोनों पर शक हुआ इसलिए मैंने तुरंत उस रिपोर्ट की फोटो अपने मोबाइल से निकाल कर रिपोर्ट वापस किताब में रख दी। मैं अब ये देखना चाहता था कि अनामिका इस रिपोर्ट के बारे में मुझसे क्या कहती है। उसके साथ मैं दो घंटे तक रहा, इस दौरान अनामिका ने मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया, लेकिन मेरे दिमाग में इस समय मेडिकल रिपोर्ट ही घूम रही थी जिसके बारे में अनामिका ने अभी तक कोई जिक्र नहीं किया। मैं किसी तरह बहाना बनाकर वहाँ से निकल आया। वो मुझे सेक्स के लिए बोल रही थी, लेकिन मेरा मन उससे उचट चुका था। इसलिए मैं बिना सेक्स किये ही वहाँ से चला आया। मैं पहले सच्चाई का पता लगाने के लिए उस हॉस्पिटल चला गया जहाँ की मेडिकल रिपोर्ट थी। वहाँ पर मैं महिला डॉ से मिला और उनको रिपोर्ट दिखाते हुए पूछा।
संजू- क्या ये मेडिकल रिपोर्ट यहीं की है।
डॉ- हाँ, ये मेडिकल रिपोर्ट इसी अस्पताल की है।
इतना सुनने के बाद मैंने अनामिका की फोटो दिखाते हुए पूछा।
संजू- क्या ये रिपोर्ट इसी लड़की की है। क्या यही लड़की आई थी टेस्ट के लिए।
पहले तो डॉ ने बताने से साफ मना कर दिया, लेकिन फिर कुछ देर बाद बोली।
डॉ- देखिए। ये एक अस्पताल है। तो यहाँ दिन भर में बहुत से मरीज आते हैं जाँच के लिए। मुझे कुछ कुछ याद है कि ये लड़की आई थी जाँच के लिए। ये लड़की गर्भवती है।
संजू- आप यकीन के साथ कर सकती हैं कि ये लड़की गर्भवती है।
डॉ- आप कहना क्या चाहते हैं मान्यवर। क्या हमने ये नकली रिपोर्ट बनाई है क्या। देखिए ये शहर का जाना माना अस्पताल है यहाँ ऐसे घटिया काम नहीं होते। समझे।
डॉ. ने जिस तरीके से बात की। उसमें सच्चाई नजर आई। जिससे ये साफ हो गया कि अनामिका गर्भवती है।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
Bahut khoob mahi madam,,,,,उनचासवाँ भाग
(जब तक संजू अस्पताल में है कहानी उसकी जबानी चलेगी)
डॉ. की बात सुनकर इतना तो स्पष्ट हो गया था कि अनामिका गर्भवती है।
डॉ. ने थोड़ी देर बाद मुझे अपने पास बुलाते हुए कहा।
डॉ.- जब यह लड़की जाँच करवाने आई थी तो इसके साथ एक लड़का भी था। अब वो इस लड़की का क्या लगता था ये तो पता नहीं मुझे।
संजू- लड़का था, लेकिन वो कौन हो सकता है।
ये बात मैं अपने मन ही मन बुदबुदाते हुए कहा। फिर मैं अस्पताल से बाहर आने लगा तभी मेरी नजर प्रतीक्षालय और मुख्य द्वार पर लगे सीसीटीवी कैमरे पर पड़ी तो मैं तुरंत अस्पताल के अंदर चला गया। मैं डॉ. के पास जाकर उनसे कहा।
संजू- मैडम आपके यहाँ सीसीटीवी लगी हुई है। क्या जिस दिन ये लड़की जाँ करवाने आई थी उस दिन का फुटेज दिखा सकती हैं
डॉ ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए घूर कर कहा।
डॉ- देखिए पहली बात तो हम आपने यहाँ आने वाले मरीजों की जानकारी किसी को नहीं देते, लेकिन फिर भी तुमको मैंने इतना कुछ बता दिया, लेकिन इसके आगे मैं आपकी कोई मदद नहीं कर पाऊँगी।
संजू- देखिए मैडम मेरे लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि उस दिन इस लड़की के साथ आने वाला लड़का कौन था।
डॉ.- देखिए मैंने आपसे कह दिया न कि मैं इसके आगे आपकी कोई मदद नहीं कर पाऊँगी।
डॉ. की बात सुनकर मैंने अपना नौकरी का पहचान पत्र निकालकर डॉ. को दिखाते हुए कहा।
संजू- मैं सेना में नौकरी करता हूँ। आप सभी की सुरक्षा के लिए हम लोग अपने सीने पर गोली खाते हैं। आज मुझे आपकी एक मदद की जरूरत पड़ी तो आप इनकार कर रही हैं। ये किसी की जिंदगी और मौत का सवाल है मैडम, देखिए मना मत करिए।
मेरी बात सुनकर डॉ. ने कुछ सोचते हुए अपनी रजामंदी दे दी। अब उसने सेना का पहचान-पत्र देखकर या जिंदगी और मौत की बात सुनकर ये मंजूरी दी ये तो डॉ.ही जाने। उसकी मंजूरी मिलने के बाद एक कंपाउंडर मुझे एक कक्ष में ले गया जहाँ पर सीसीटीवी का नियंत्रण कक्ष था। वहाँ पर एक आदमी भी बैठा था। मुझे उस कमरे में छोड़कर कंपाउंडर बाहर चला गया। मैंने सीसीटीवी फुटेज में देखा कि अनामिका के साथ सच में एक लड़का आया था, लेकिन लड़के ने रुमाल अपने चेहरे पर बाँधा हुआ था, इसलिए उसके चेहरा नहीं देख पाया। कद काठी बिलकुल नयन की तरह ही थी उसकी। जिसे देखने के बाद ये तो साबित हो गया कि डॉ सही कह रही है और मेडिकल रिपोर्ट भी सही है।
मेडिकल रिपोर्ट का फोटो खीचते समय मैंने अनामिका के फोन को अपने फोन में क्लोन करके सारी फोन डिटेल्स और काल डिटेल्स अपने फोन में डाल ली थी। उसके बाद मेंने उसके व्हाट्सअप में से कुल 10 संदिग्ध नम्बर को भी नोट कर लिया था। अस्पताल से बाहर आते समय मैंने अनामिका के नं. से क्लोन की गई फोन काँल्स को देखा तो तीन नंम्बरों पर ज्यादा बात हुई थी, जिनमें से एक तुम्हारा न. था। मैंने फोन काल्स डिटेल का नं. उसके व्हाट्सअप से निकाले गए नम्बरों से मिलाया तो तुम्हारा न. पर उसने चैट की थी। मैंने तुम्हारा नाम जानने के लिए ट्रू कॉलर ऐप का इस्तेमाल किया। तो उसमे नयन नाम दिखाने लगा। लेकिन ट्रू कॉलर की विश्वसनींयता कम है तो मैंने तुम्हारा नाम और नं. को फेसबुक के सर्च बार में डाल दिया तो तुम्हारा फेसबुक खाता खुलकर सामने आ गया। चूँकि मैंने तुम्हें देखा था इसलिए तुम्हारी फोटो देखकर मैं तुम्हे पहचान गया।
(यहाँ से कहानी पहले की तरह चलेगी)
मैं उसकी बात सुनकर सोचने लगा कि अगर इतनी खोजखबर अनामिका के बच्चे के बारे में करते तो तुम्हें अब तक उसके बच्चे का बाप मिल गया होता, लेकिन ये बात मैंने अपने मन मे ही रहने दी और उससे कहा।
मैं- हाँ मुझे अच्छी तरह से याद है कि जिस दिन तुमने मुझे देखा था अयोध्या में उसके एक दिन पहले मैं अनामिका के साथ अस्पताल गया था। वो मुझसे बोली थी कि उसकी मम्मी की सहेली रहती हैं अस्पताल में उसे कुछ काम है उनसे। लेकिन वो तो डेढ़ महीने पहले की बात है, लेकिन तुम्हारे कहने के मुताबिक गर्भावस्था की अवधि भी लगभग उसी समय की है। और अयोध्या से आने के बाद मैंने अनामिका की सच्चाई पता चलने के बाद उससे अलगाव कर लिया था। मुझे उसके संपर्क में आए हुए डेढ़ महीने से ऊपर का समय हो चुका है। और अस्पताल में तुमने जिस लड़के को रुमाल बाँधकर देखा है सीसीटीवी फुटेज में वो मैं कैसे हो सकता हूँ भाई।
संजू- फिर एक नया बहाना बना रहे हो। जो सच्चाई है वा बताओ मुझे।
मैं- मैं कोई बहाना नहीं बना रहा हूँ। जो सच है मैं तुम्हें वही बता रहा हूँ।
संजू- मुझे तुम्हारी बात पर भरोसा नहीं है। वैसे ये बताओ तुम्हें सच्चाई कैसे पता चली की अनामिका तुम्हें धोखा दे रही है।
मेरे बोलने से पहले ही संजू की बात का जवाब अभिषेक ने दिया।
अभिषेक- इसे मैंने बताया था अनामिका के बारे में।
अभिषेक की बात सुनकर संजू झुंझला गया और अभिषेक से बोला।
संजू- ये सब क्या है। प्यार वो करता था अनामिका से तो उसको अनामिका की सच्चाई नहीं पता थी और तुम उसके दोस्त हो तो तुमको अनामिका की सच्चाई पता थी। तुम दोनों मिलकर मुझे चूतिया बना रहे हो।
अभिषेक- हम तुमको चूतिया नहीं बना रहे हैं। बल्कि तुम्हें सच्चाई बता रहे हैं। तुम उसके प्रेमी हो ढाई साल से तुम्हारा प्रेम प्रसंग चल रहा है तो अनामिका ने तुम्हें बताया होगा कि उसने स्नातक चित्रकूट से किया था।
संजू- हाँ एक बार जिक्र किया था उसने इसके बारे में।
अभिषेक- तो स्नातक की पढ़ाई मैंने भी चित्रकूट से की थी। और चित्रकूट में अनामिका मेरी प्रेमिका थी। उसने मेरे साथ भी प्यार का झूठा नाटक करके रंगरेलियाँ मनाई, और जब मुझसे दिल भर गया तो मकान मालिक के बेटे के साथ चली गई। बाद में मुझे पता चला कि मकान मालिक के बेटे के साथ वो ढाई साल से रंगरेलियाँ मना रही थी। मैंने भी उसके साथ यही सपना देखा था जो तुमने और नयन ने देखा था।
मेरी बात सुनकर संजू की हालत खराब हो गई। उसे इतना बड़ा धोखा अनामिका ने जो दिया था। संजू ने मुझसे कहा।
संजू- अनामिका इतनी बेशर्म है। पता नहीं और कितने लड़कों के साथ उसने रंगरेलियाँ मनाई हैं। मैं ही बेवकूफ था जो उससे शादी के सपने देखने लगा था और घर वालों से मिलाकर उनकी अनुमति भी ले ली थी शादी के लिए। लेकिन एक बात बताओ जब तुम्हें अनामिका के बारे मे सच पहले से पता था तो तुमने अपने दोस्त को रोका क्यो नहीं।
अभिषेक- इसने पहले मुझे कुछ बताया ही नहीं था। बाद में जब मुझे पता चला तो मैंने ही इसे अनामिका की सच्चाई बताई।
अभिषेक की बातों पर संजू को विश्वास ही नहीं हुआ। तो उसने अभिषेक से कहा।
संजू- तुम्हें मेरे माथे पर एल लिखा दिख रहा है क्या। तुम दोनों मिलकर मुझे चूतिया बना रहे हो। अपने आपको जिगरी दोस्त कहते हो और बोल रहे हो कि नयन ने तुमको पहले कुछ बताया नहीं। मैं तुम्हें चूतिया दिखाई देता हूँ क्या। देखो नयन मैं यहां पर कोई तमाशा करने नहीं आया हूँ और न ही मुझे तुम पर गुस्सा आ रहा है कि तुमने मेरी प्रेमिका के साथ सेक्स किया है। क्योंकि अगर वो सच में मुझसे प्यार करती तो वो मेरे अलावा किसी और को अपने पास फटकने भी न देती। मैं उससे सच्चा प्यार करता था। उसी से शादी करने के लिए मैं सवा महीने की लंबी छुट्टी लेकर आया हूँ।
शायद कुछ दिन बाद हम दोनों की सगाई भी हो जाती और 20 दिन बाद शादी भी हो जाती। घर वालों ने सब निर्णय लेकर मेरी सहमति ली थी। तभी मैं छुट्टी डालकर आया हूँ। कल पापा और कुछ बड़े बुजुर्ग लोग अनामिका के घर जाने वाले थे, लेकिन मैंने बहाना बनाकर रोका हुआ है। अब मैं क्या करूँ तुम्ही बताओ। अनामिका ने मेरे साथ इतना बड़ा विश्वासघात किया तो मैं तुम्हें क्या बोल सकता हूँ।
यह बात करते करते संजू रोने लगा उसकी आँखों से आँसू निकल कर उसके गालों सो होते हुए जमीन पर गिरने लगे। हम दोनों को संजू के साथ पूरी हमदर्दी थी, लेकिन एक सेना का जवान इस तरह एक लड़की के लिए रो रहा था। इस बात का आश्चर्य हो रहा था। लेकिन ये उसका सच्चा प्यार था और उस प्यार में मिले धोखे ने उसे रोने पर मजबूर कर दिया था। कुछ देर बाद जब वो शांत हुआ तो उसने आगे कहना शुरू किया।
संजू- अनामिका ने मुझे कुछ भी नहीं बताया अपनी गर्भावस्था के बारे में। जब मैंने फोन करके उससे इसके बारे मैं पूछा तो उसने बताया कि वो गर्भवती है। जब मैंने उससे इस बच्चे के बारे में पूछा तो वो बोल रही है कि मैं उसपर शक कर रहा हूँ। अनामिका कल से मुझपर शादी के लिए दबाव बना रही है। जब मैंने साफ मना कर दिया तो बोल रही है कि वो मेरे घर चली जाएगी और मेरे घरवालों को बता देगी। साथ ही मुझे बदनाम करने की धमकी दे रही है। बड़ी मुश्किल से मेंने पापा को उसके घर जाने से रोका हुआ है अगर वो मेरे घर पहुँज गई तो भले ही वो बच्चा मेरे नहीं है लेकिन एक बार जरूर पास पड़ोस में मेरी और मेरे परिवार की थू थू हो जाएगी। ये बदनामी बाद में भले ही मिट जाए लेकिन एक बाद तो मेरे पापा बदनाम हो जाएँगे। तुम्हें नहीं पता मेरे पापा बहुत ही भावुक व्यक्ति हैं ऊपर से हृदयघात के मरीज भी हैं इस खबर से कहीं पापा के साथ कुछ गलत न हो जाए। नयन ये मत समझना कि मैं यहाँ तुम्हे डराने या धमकाने आया हूँ। अगर यह तुम्हारा बच्चा है तो अनामिका को स्वीकार करो और उससे शादी कर लो। मैं अपने घर वालों को बोल दूँगा कि अनामिका मुझसे शादी नहीं करना चाहती थी इसलिए उसने किसी और से शादी कर ली।
संजू किसी बच्चे की तरह गिड़गिड़ा रहा था। मुझे बहुत अजीब लग रहा था कि जब मैंने कुछ किया ही नहीं है तो मैं किसी और का पाप अपने सिर पर क्यों लूँ। इसलिए मैंने संजू से कहा।
मैं- मैं तुमसे पहले भी कह चुका हूँ और अब भी कह रहा हूँ कि मैंने अनामिका से संबंध विच्छेद कर लिया है और मैं उससे डेढ़ महीने से ज्यादा समय से नहीं मिला हूँ। इसलिए मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि वह बच्चा मेरा नहीं है। अगर फिर भी कुछ शंका हो तुम्हें तो डीएनए टेस्ट करवा लेते हैं। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
संजू- मैंने उससे इस बारे में कहा, वो इसके लिए तैयार भी है। बार बार मुझे धोखेबाज कह रही है। और घर आने की धमकी दे रही है। बोल रही है डीएनए टेस्ट तब कराएगी जब वो मेरे घर आकर ये बात मेरे घरवालों को बता देगी। मुझे अपनी चिंता नहीं है। मुझे मेरे पापा की चिंता है।
मैं- देखो संजू मैं आपकी और आपके परिवार की भावनाओं को समझ सकता हूँ, और अगर ये बच्चा मेरे होता तो मैं इसे जरूर अपना लेता लेकिन मैं सच कह रहा हूँ इस इस बच्चे से मेरे कोई लेना देना नहीं है। तो मैं कैसे उस अनामिका और उसके बच्चे को अपना सकता हूँ।
इस बार मैंने थोड़े सख्त लहजे में बात की। मेरी बात सुनकर संजू गुस्से में आ गया और मुझे धमकी देते हुए बोला।
संजू- नयन मैं कब से तुम्हें समझाने की कोशिश कर रहा हूँ और तुमसे प्रेम से बात कर रहा हूँ लेकिन तुम कुछ ज्यादा ही उछल रहे हो। अगर ज्यादा बकबक किया ना तो साले यहीं पर तेरी गांड में गोली मार कर चला जाऊंगा और मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता समझे।
संजू का इतना कहना था कि अभिषेक ने अपना आपा खो दिया।
अभिषेक- संजू। अपनी माँ का दूध पिया हो तो हाथ लगा के दिखा नयन को। तेरा हाथ तोड़कर दूसरे हाथ में न दे दूँ तो धिक्कार हो मुझे अपनी दोस्ती पर। तुम क्या समझते हो मेरे दोस्त को कुछ भी करके चले जाओगे और मैं खड़ा चुपचाप देखता रहूँगा। ये ख्याल अपने दिमाग में भी मत लाना कभी कि नयन अकेला है। नयन को हाथ लगाने से पहले मैं खड़े खड़े तेरी गाँड मार दूँगा और आवाज भी नहीं निकलेगी तेरे मुँह से। मैं कब से देख रहा हूँ कि तू कब से नयन को उस बच्चे का बाप बनाने पर तुला हुआ है। अगर नयन उस बच्चे का बाप होता तो मैं खुद तेरे साथ इस समय खड़ा होता। लेकिन नयन ने हमारी दोस्ती की कसम खाई है। और मुझे पता है कि नयन मुझसे झूठ बोल सकता है, लेकिन दोस्ती की झूठी कसम नहीं खा सकता। इसलिए तू अपना फालतू की बकवास बंद कर। जब हम बोल रहे हैं कि उस बच्चे का बाप नयन नहीं है तो तू उसे जबरन नयन के गले बाँध रहा है। मुझे तो अब तुम पर भी शक हो रहा है कि कहीं तुम और अनामिका मिलकर नयन को फँसाना तो नहीं चाहते हो। अगर ऐसा है तो याद रखो मेरे होते हुए ये कभी नहीं हो पाएगा।
संजू- अपनी जुबान को लगाम दो अभिषेक।
अभिषेक- लगाम तुम्हारी गाँड़ में घुस गई साले। अगर एक शब्द और बोला तो जिंदा गाड़ दूँगा तुझे मैं।
संजू और अभिषेक में तलवारें तन चुकी थी। दोनों खड़े होकर एक दूसरे को गुस्से से देख रहे थे। आस-पास के लोगों की नजर भी इसी तरफ गड़ गई थी। मैंने नयन का यह रौद्र रूप राजगीर के टूर के बाद आज पहली बार देख रहा था। मुझे कुछ अनहोनी की आशंका होने लगी कि अगर इन दोनों को नहीं रोका तो कहीं दोनों भिड़ न जाएँ आपस में। इसलिए मैंने बीच बचाव करते हुए कहा।
मैं- ये तुम दोनों क्या करने लगे। हम यहाँ किस काम के लिए आए हैं। और तुम दोनों क्या करने लगे। अभी आपस में लड़ने का समय नहीं है। जो समस्या सामने आ पड़ी है उससे कैसे निपटना है पहले उसको सोचो। तुम दोनों शांत हो जाओ और ये ठंडा पानी पियो।
इतना बोलकर मैंने दोनों को एक एक बोतल पानी दिया जो हम घर से आते वक्त लाए थे। पानी पीने के थोड़ी दर बाद दोनों शांत हो गए। जब दोनों का गुस्सा ठंडा हो गया तो संजू ने कहा।
संजू- माफ करना नयन। उस समय गुस्से में पता नहीं क्या क्या बोल गया मैं। मेरा दिमाग खराब हो गया है इस अनामिका के चक्कर में। माफ करना अभिषेक भाई। कुछ ज्यादा ही बोल गया मैं।
अभिषेक- मुझे भी माफ करने यार। तुमने नयन को जब गाली दी तो मुझसे बरदास्त नहीं हुआ। इसलिए मुझे गुस्सा आ गया। भूल जाओ इस बात को और ये सोचो कि आगे करना क्या है।
मैं- क्या हम ऐसा कर सकते हैं कि अनामिका से मिलकर ही पूछें कि उसके बच्चे का बाप कौन है।
संजू- फिर तुम बेवकूफी वाली बात कर रहे हो। तुम्हें बता तो चुका हूँ कि वो मेरे साथ ही रहने के लिए बोल रही है लेकिन मैं उसके साथ किसी भी कीमत पर नहीं रहूँगा। बस वो कुछ दिन मेरे घर न आए। कोई-न-कोई उपाय जरूर खोज निकालूँगा इस मुसीबत से निकलने का।
इसके बाद हम लोग गार्डेन से बाहर निकल आए संजू से विदा लेकर अपने कमरे में आ गए। अभिषेक को कुछ काम था बाहर तो वो मुझे कमरे पर छोड़कर चला गया। मैं अपने बिस्तर पर लेटा हुआ सोच रहा था कि अब आगे क्या करना है क्योंकि मामला बेहद पेंचीदा हो गया है। अनामिका डीएनए जाँच के लिए भी तैयार है। इसका मतलब को गर्भवती है। लेकिन संजू के कहने के मुताबिक वो उस बच्चे का बाप नहीं है। मैं उस बच्चे का बाप नहीं हूँ। अनामिका डीएनए जाच के लिए तैयार है। तो बच्चा है किसका। यही सोच सोच कर मेरा दिमाग खराब हो रहा था। इस बात को पापा से बताकर कोई सलाह भी नहीं ले करता था, क्योंकि ये मामला अन्य मामलों से अलग था। अभी मैं यही सब सोच रहा था कि तभी मेरा मोबाइल बजा। मैंने देखा तो ट्रू कॉलर में खुशबू नाम से नम्बर दिखा रहा था। अब मैं सोचने लगा कि ये खुशबू कौन है। क्योंकि अभिषेक की खुशबू को मेरे पास आज त कभी फोन नहीं आया था और न ही उसका नम्बर मेरे पास था। यही सोचते हुए मैंने फोन उठा लिया और बोला।
मैं- हेलो।
खुशबू- नयन। मैं खुशबू बोल रही हूँ।
मैं-(आवाज न पहचान पाने के कारण) कौन खुशबू।
खुशबू- मैं खुशबू। अभिषेक की खुशबू।
मैं- हाँ खुशबू बोलो। क्या बात है। मेरे पास किसलिए फोन किया है। अभिषेक तो यहाँ पर नहीं है।
खुशबू- अभिषेक कहाँ गया है। मैं उसे कितना फोन कर रही हूँ वो मेरे फोन नहीं उठा रहा है। मुझे बहुत जरूरी बात करनी है उससे।
मैं- ठीक है वो आएगा तो मैं बोल दूँगा कि तुमसे बात कर ले।
खुशबू- नहीं तुम उसे तुरंत बुलाओ। बहुत ज्यादा जरूरी बात है।
मै- ऐसी क्या बात हो गई जो तुम ऐसे बोल रही हो। मुझे बताओ कोई समस्या है क्या।
खुशबू- हाँ बहुत बड़ी समस्या खड़ी है गई है। पापा मेरी शादी कर रहे हैं।
मैं- ये तो बहुत खुशी की बात है। इसमें समस्या क्या है।
खुशबू- लेकिन मैं अभिषेक से प्यार करती हूँ और उसी से शादी करना चाहती हूँ।
मैं- तो इसमें समस्या क्या है। अपने पापा को अपने प्यार के बारे में बता दो। वो तुम्हारी शादी अभिषेक से करवा देंगे।
खुशबू- मैंने पापा से बात की। पापा ने साफ मना कर दिया कि उन्होंने लड़का देख लिया है। नौकरी वाला है। घर परिवार भी बढ़िया है। कुछ ही दिनों में मेरी सगाई करने का सोच रहे हैं, लेकिन मैं अभिषेक से प्यार करती हूँ और उसी से शादी करूँगी। अगर मेरे साथ जबरदस्ती हुई तो मैं कुछ उलटा सीधा कर लूँगी।
एक तो हम दोनों के पहले से ही लौंड़े लगे हुए थे। ऊपर से ये नई मुसीबत। साला अपनी जिंदगी जिंदगी नहीं पनौती हो गई थी। इस बारे में बिना अभिषेक से बात किए मैं क्या बोल सकता था, इसलिए मैंने खुशबू से कहा।
मैं- देखो खुशबू तुम अभी शांत हो जाओ और अपने मन में चल रहे उलटे सीधे ख्याल निकाल दो। अभिषेक आ जाए फिर कोई न कोई निष्कर्ष निकाल लेंगे इसका भी। लेकिन तब तक शांति से काम लो।
फोन रखने के बाद मैं फिर से गहरी सोच में डूब गया। ये हम दोनों के साथ क्या हो रहा था। पहली बार हम दोनों में से अभिषेक को सच्चा प्यार मिला था तो यहाँ लड़की के बाप ने गदर मचा दी। मेरी तो समझ में नहीं आ रहा था कि इस समस्या का समाधान कैसे किया जाए। मैं अपनी ही सोचों में घिरा हुआ था कि अभिषेक आ गया। मुझे सोचों में घिरा देख अभिषेक ने कहा।
अभिषेक- अब तुझे क्या हुआ। तू अनामिका के बारे में सोच सोच कर अपने दिमाग पर ज्यादा जोर मत डाल। जब तूने कुछ किय़ा ही नहीं है। तो तू इतना परेशान क्यों हो रहा है।
मैं- मैं अनामिका के बारे में नहीं खुशबू के बारे में सोचकर परेशान हो रहा हूँ।
अभिषेक- उसके बारे में क्या सोच रहा है। उसके बारे में सोचने का काम मेरा है। अब तू मेरे माल पर हाथ साफ मत कर देना।
मैं- देख अभिषेक मजाक मत कर। अभी कुछ देर पहले खुशबू का फोन आया था।
फिर मैंने जो बातें खुशबू ने ही थी उसे अभिषेक को बता दी। जिसे सुनने के बाद अभिषेक बोला।
अभिषेक- खुशबू की शादी। अरे यार समस्या तो सच में गंभीर है। कुछ सोचना पड़ेगा इसके बारे में भी।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका मान्यवर कहानी को इतना पसंद करने के लिए।।Bahut hi shandar aur behtareen kahani he. Dil khush ho gaya aur happy ending k baad sukun bhi hua. Achchhe logo k sath achchha hi hota he he aur pyar k kayi swarup aapne dikhaye achcha laga padh kar. Badhai aur shubhkamnaye ki asi hi koi aur utkrisht rachna aapke dwara fir kabhi hame padhne mile.
पचासवाँ भाग
उसके बाद अभिषेक ने खुशबू को फोन किया। दोनों की बातें बहुत देर तक चली। अभिषेक खुशबू को दिलासा देता रहा, लेकिन खुशबू बस एक ही रट लगाए रही कि अगर उसकी शादी अभिषेक से नहीं हुई तो वो अपने आप को कुछ कर लगी। अभिषेक ने उसे कोचिंग में मिलने के लिए कह दिया और फोन वापस रख दिय़ा। फोन रखने के बाद अभिषेक अपना सिर पकड़कर बैठ गया। मैंने उसे दिलासा दिया कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। कुछ देर बाद कोचिंग जाने का समय हो गया तो हम दोनों कोचिंग चले गए। अभी रेशमा और पल्लवी नहीं आई थी तो हम उन दोनों का इंतजार करने लगे। कुछ देर बाद महिमा आ गई और हम दोनों से कुछ दूर पर खड़े होकर मुझे देखने लगी। उसके चेहरे पर हमेशा की तरह चिर परिचित मुस्कान थी। लेकिन आज मुझे दिमागी परेशानी बहुत ज्यादा थी तो उसकी हँसी मुझे अच्छी नहीं लग रही थी। थोड़ी देर बात रेशमा और पल्लवी आ गए। उन्होंने आने के बाद हम दोनों को चेहरे को देखकर अंदाजा लगा लिया कि कुछ भी अच्छा नहीं हुआ है। पल्लवी के पूछने पर मैंने संजू के साथ हुई सारी बातचीत बता दी, जिसे सुनने के बाद उसने कहा।
पल्लवी- यार मामला तो सच में बहुत पेंचीदा हो गया है। अनामिका ने बहुत गहरी साजिश रची है। मुझे ऐसा लग रहा है कि ये गर्भवती की बात भी उसकी नकली है। क्योंकि संजू के कहने के मुताबिक उसने गर्भावस्था की जाँच रिपोर्ट के बारे में उसको नहीं बताया, जब उसने उसके बारे में पूछा तब उसने बताया कि वो उसके बच्चे की माँ बनने वाली है।
अभिषेक- लेकिन एक बात और ध्यान देने योग्य है कि वह डीएनए जाँच के लिए भी तैयार है, अगर वो गर्भवती नहीं होती तो वो इसके लिए क्यों तैयार होती। ये बात उसके पक्ष में जा रही है।
रेशमा- हाँ ये बात तो सही है। वैसे एक बात तो है। तुमको, नयन को और संजू को उस अनामिका का धन्यवाद कहना चाहिए कि तुम तीनों को अनामिका ने किसी क्षेत्र में अनुभवी बना दिया है।
अनामिका ने ये बात एक आँख दबाते हुए कही। उसकी बात सुनकर मैं और अभिषेक झेंप गए। पल्लवी ने उसे चुप कराते हुए कहा।
पल्लवी- चुप कर। तुझे इस स्थिति में भी मजाक सूझ रहा है। यहाँ नयन की लगी पड़ी है और तुझे मस्ती सूझ रही है।
पल्लवी की ये बात सुनकर मुझे हँसी आ गई। मुझे हँसते हुए देख कर रेशमा ने कहा।
रेशमा- अब तुम क्यों दाँत निकाल रहे हो।
मैं- मेरी ही नहीं। अभिषेक की भी लगी पड़ी है।
इतना कहकर मैं हँसने लगा। अभिषेक के चेहरे पर मुस्कान आ गई। जिससे माहौल थोड़ा हल्का हो गया। उन दोनों को कुछ समझ न आया तो रेशमा ने पूछा।
रेशमा- अभिषेक को क्या हो गया। कहीं खुशबू ने तो इसकी वाट नहीं लगा दी।
अभिषेक- खुशबू ने नहीं यार उसके पापा ने।
अभिषेक ने एकदम संजीदा अंदाज में ये बात कही। जिसे सुनने के बाद पल्लवी ने कहा।
पल्लवी- खुशबू के पापा ने। मतलब।
फिर अभिषेक ने पल्लवी को वो सबकुछ बता दिया जो मैंने अभिषेक को बताया था और खुशबू से फोन पर जो भी बातें हुई थी। जिसे सुनने के बाद पल्लवी ने कहा।
पल्लवी- मामला तो सचमुच बहुत गंभीर है। तुम क्या करने वाले हो अब।
अभिषेक- करना क्या है उसके पापा से मिलकर बात करनी पड़ेगी और उन्हें समझाना पड़ेगा।
अभी हम बात कर ही रहे थे कि खुशबू भी आ गई। आते ही वो मेरे गले लग गई और बोली।
खुशबू- अभिषेक। कुछ करो। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। तुम नहीं मिले तो मैं जी नहीं पाऊँगी।
अभिषेक- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। तुम्हारे पापा से मिलकर बात करूँगा इसके बारे में।
खुशबू- अगर पापा नहीं माने तो क्या करोगे तुम।
अभिषेक- अभी उसके बारे में सोचा नहीं है। वो सब बाद की बात है। मिलकर बात करने पर हो सकता है कि वो मान जाएँ।
उसके बाद हम सभी अपनी कक्षा में जाने लगे। मैंने एक नजर महिमा पर डाली बो अभी भी प्यार भरी नजरों से मुझे देख रही थी। इतनी परेशानी में घिरे होने के कारण मुझे उसका इस तरह से देखना अच्छा नहीं लग रहा था। तो मैं कुछ सोचकर महिमा से बात करने की सोची। मैं उन लोगों को आगे छोड़कर वापस महिमा के पास आया। मुझे अपने पास आता देखकर उसकी मुस्कान और गहरी हो गई। मैंने उसके पास जाकर कहा।
मैं- क्या है ये सब महिमा। मैंने तुमसे पहले भी कह दिया है कि जो तुम चाहती हो वो मैं नहीं कर सकता। अब ये फैसला मेरे अम्मा पापा करेंगे। तो तुम मेरे पीछे अपना समय क्यों बरबाद कर रही हो। तुम्हें एक बार में कुछ समझ में नहीं आता है क्या। देखो मेरा दिमाग पहले से ही खराब है। तुम इसे और खराब मत करो।
मैंने ये बात थोड़ा सख्त लहजे में की थी, जिसे सुनने के बाद भी महिमा ने प्यार से मुझसे कहा।
महिमा- मैं आपसे कहाँ कुछ कह रही हूँ। आप किसी और का गुस्सा मुझपर निकाल रहे हैं। आपका सवाल वही है और मेरे जवाब आज भी वही है जो पहले थे। आप मुझे प्यार करने से नहीं रोक सकते।
उसकी बात सुनकर मैं झुंझला गया और बोला।
मैं- तुम ना....... तुमसे तो बात करना ही बेकार है। करो तुमको जो करना है। मैं जा रहा हूँ।
इतना बोलकर मैं कक्षा में चला गया। महिमा मेरे पीछे पीछे मुस्कुराते हुए आकर पल्लवी के बगल में बैठ गई। कक्षा खत्म हो जाने के बाद घर जाते समय पल्लवी ने कहा।
पल्लवी- अच्छा सुनो समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी की मुख्य परीक्षा की तिथि आ गई है। एक हफ्ते बाद मुख्य परीक्षा की तिथि रखी गई है।
मैं- तुम्हें तो पता है कि इस वक्त अपनी वाट लगी पड़ी है। तुम हम दोनों का प्रवेश-पत्र निकाल लेना। परीक्षा तो देनी ही है किसी न किसी तरह।
उसके बाद वो सब अपने अपने घर चले गए एवं मैं और अभिषेक अपने कमरे पर चला गया। कमरे पर आने के बाद अभिषेक ने बहुत सोच विचार करने के बाद परीक्षा के बाद खुशबू के पापा से बात करने का निर्णय लिया। फिर हम दोनों अपनी अपनी किताब निकाल कर एक हफ्ते बाद होने वाली परीक्षा की तैयारी में जुट गए। इस एक हफ्ते हम लोगों ने कोचिंग के अलावा कहीं आना जाना बंद कर दिया। महेश को भी फोन करके बता दिया कि अपनी छुट्टी आगे बढ़ाकर आए। फिर हम दोनों अपनी पढ़ाई में जुट गए। बीच बीच में मन विचलित हो जाता था, लेकिन भविष्य का सवाल था तो हम दोनों अपनी पढ़ाई में जुटे रहे। दो दिन बाद संजू को फोन आया तो अभिषेक ने उससे बात की।
अभिषेक- देखो संजू। इतना तो तय है कि वो बच्चा नयन का नहीं है। तो हम दोनों को तुम्हारे मामले से कोई लेना देना नहीं होना चाहिए, लेकिन यहाँ बात अनामिका की है। इसलिए इस मामले में हम तुम्हारी पूरी मदद करेंगे, लेकिन 5 दिन बाद हमारी परीक्षा है। तो अभी हम तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाएँगे। हाँ परीक्षा के बाद हम तुम्हारी पूरी मदद करेंगे। तब तक तुम कैसे भी करके अनामिका को संभालो। उसे झूठ ही बोल दो कि तुमने घर में बात कर ली है। सब तैयार हैं। बस कुछ जरूरी काम की वजह से नहीं जा पा रहें हैं उसके घर और कोशिश करो कि वो डीएनए जाँच के लिए मान जाए। उसके बाद हम कोई-न-कोई रास्ता निकाल लेंगे। शायद तुम्हारी मदद कर देने से हमारे लिए भी कुछ अच्छा हो जाए।
संजू- लेकिन यार एक हफ्ते तो बहुत ज्यादा हो जाएगा। वो कैसे मानेगी इसके लिए।
अभिषेक- ये कैसे करना है तुम देख लो इसके, लेकिन एक हफ्ता तो रुकना ही पड़ेगा।
अभिषेक ने संजू से बात करने के बाद फोन रख दिया और फिर हम लोग अपनी पढ़ाई में जुट गए। मैं सुबह कोचिंग पढ़ाने जाता और शाम को पढ़ने। इसी तरह परीक्षा का दिन भी आ गया और हमने परीक्षा भी दे दी। परीक्षा उम्मीद के मुताबिक अच्छी ही गई थी। परीक्षा देने के बाद उसी शाम को अभिषेक ने खुशबू से बात की।
अभिषेक- खुशबू। अपने घर का पूरा पता दो। मैं कल सुबह तुम्हारे पापा से बात करने आ रहा हूँ। अपने पापा को बता देना।
खुशबू ये बात सुनकर बहुत खुश हुई। उसके अपना पूरा पता अभिषेक को दे दिया।
अभिषेक- एक बात और। तुम एक काम करना। तुम अपनी किसी सहेली के यहाँ चली जाना, क्योंकि तुम्हारे घर में रहते बात नहीं हो पाएगी अच्छे से तुम्हारे पापा से।
खुशबू- मैं क्यों जाऊँगी कहीं। नहीं मैं नहीं जाऊँगी। मुझे भी जानना की कि तुम्हारे और मेरे पापा के बीच क्या बात होती है।
अभिषेक- खुशबू तुम समझ नहीं रही हो। ये इतना आसान मामला नहीं है। मैं तुम्हारे घर आ रहा हूँ तुम्हारे बारे में तुम्हारे पापा से बात करने के लिए। तो हो सकता है उस समय तुम्हारे पापा गुस्से में दो-चार उलटी-सीधी बात कह दें। जो कि गलत नहीं है। और मैं नहीं चाहता कि इन बातों को लेकर तुम्हारे और तुम्हारे पापा के बीच में कुछ अनबन हो। मेरी बात समझने की कोशिश करो तुम।
खुशबू- ठीक है। जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूँगी।
उसके बाद हम लोग अगले दिन का इंतजार करने लगे। रात में एक खुशखबरी मिली रश्मि का फोन आया था।
मैं- हाँ रश्मि कैसी हो। बड़े दिन बाद याद किया तुमने।
रश्मि- अच्छी हूँ यार। बस काम के कारण समय नहीं मिल पाया। सुन न एक अच्छी खबर सुनाने के लिए फोन किया है।
मैं- अरे वाह। सुनाओ सुनाओ। बहुत दिन हो गया कोई अच्छी खबर सुने हुए।
रश्मि- अरे मेरे स्थानांतरण इलाहाबाद में हो गया है। हफ्ते-दस दिन में मैं इलाहाबाद आ जाऊँगी।
मैं- अरे वाह यार। ये तो सच में बहुत ही अच्छी खबर है। चल जल्दी से आ जा फिर मिलकर बात करते हैं सभी।
उसके बाद मैंने फोन रख दिया। अगली सुबह मैं और अभिषेक खुशबू के बताए हुए पते पर पहुँच गए। खुशबू का घर बहुत अच्छा बना हुआ था। मैंने गेट पर लगी बटन दबा दी। कुछ देर बाद एक बीस-बाइस साल के लड़के ने गेट खोला और पूछा।
मैं- क्या खुशबू का घर यही है।
लड़का- जी हाँ। मैं उसका छोटा भाई हूँ। आप लोग कौन हैं।
मैं- हम उसके साथ ही पढ़ते हैं। मुझे तुम्हारे पापा से कुछ जरूरी बात करनी है।
मेरी बात सुनकर लड़का समझ गया कि क्या बात करनी है। इसलिए उसने हमे घर के अंदर आने दिया। हम दोनों को लिवाकर वो बैठक कक्ष में गया और हम दोनों को सोफे पर बैठा दिया। कुछ देर बाद खुशबू के मम्मी पापा भी वहाँ आ गए। हम दोनों ने उठकर खुशबू के मम्मी पापा के पाँव छुए। उन्होंने हम दोनों को बैठने के लिए कहा। उसके पापा ने बैठते हुए कहा।
खु.पापा- तुम दोनों अपना परिचय नहीं दोगे।
अभिषेक- मैं अभिषेक और ये मेरा दोस्त नयन।
खु.पापा- मैंने सुना है कि तुम और खुशबू प्यार करते हो।
अभिषेक- हाँ चाचा जी। आप ने बिलकुल सही सुना है। मैं और खुशबू एक दूसरे से प्यार करते हैं।
खु.पापा- तुम्हें पता है न कि तुम एक बाप के सामने बैठकर उसकी बेटी से प्यार करने की बात कर रहे हो।
अभिषेक- जी हाँ पता है। लेकिन जो सच है उसे कहने में बुराई क्या है।
खु.पापा- तुम्हें खुशबू ने ये भी बताया होगा कि मैंने उसके लिए एक रिश्ता देख रखा है और उसकी शादी वहीं करना चाहता हूँ।
अभिषेक- जी हाँ खुशबू ने बताया है मुझे। लेकिन मैं खुशबू से बहुत प्यार करता हूँ और उससे शादी करना चाहता हूँ।
खु.पापा- (थोड़ा गुस्से से) मैं तुम दोनों के प्यार को नहीं मानता। शादी तो बहुत दूर की बात है।
अभिषेक- चाचा जी। आपके मानने या न मानने से सच्चाई तो नहीं बदल जाएगी। मैं खुशबू से प्यार करता हूँ और उससे शादी करना चाहता हूँ ये बात सत्य है।
खु. पापा- इसके मतलब ये है कि अगर मैंने तुम्हारी बात नहीं मानी तो तुम मेरी बेटी को भगाकर शादी कर लोगे।
अभिषेक- ये आपसे किसने कह दिया कि मेरी बात न मानने पर मैं खुशबू को भगाकर उससे शादी करूँगा। मैं उससे शादी आप लोगों की मरजी से करना चाहता हूँ न कि उस भगा कर।
मेरी बात सुनकर खुशबू के पापा मुझे थोड़ी देर देखते रहे। फिर मुझसे बोले।
खु.पापा- हम लोगों की मरजी नहीं है तुम्हारे साथ अपनी बेटी की शादी करने की। और तुम्हें खुशबू तभी मिलेगी जब तुम उसको भगाकर उससे शादी करोगे, लेकिन तुम उसके लिए भी मना कर रहे हो। इसकी वजह जान सकता हूँ।
मैं- देखिए चाचा जी। ये तो सच है कि मैं खुशबू को भगाकर शादी नहीं करूँगा क्योंकि मैं भले ही खुशबू से बहुत प्यार करता हूँ, लेकिन मुझसे ज्यादा प्यार उसे आप लोग करते हैं। मेरा प्यार तो बस साल भर का है, लेकिन आप लोग तो उसे पिछले 23 साल से प्यार और स्नेह देते आ रहे हैं। आप लोगों के प्यार के सामने मेरा प्यार कुछ भी नहीं है। और मुझे ये भी पता है कि अगर लड़की घर से भाग जाती है तो लड़कों का तो कुछ नहीं जाता, लेकिन लड़की के घर से सारी खुशियाँ भाग जाती हैं। उस समय लड़की के माँ-बाप को जो पीड़ा होती है। उसको सिर्फ वही महसूस करता है। जिसके ऊपर ये बीतती है। आप उसके माँ बाप हैं। उसका अच्छा बुरा मुझसे ज्यादा आप लोग सोच सकते हैं। मैं तो बस ये कहने आया था कि मैं खुशबू से बहुत प्यार करता हूँ और उसे पूरी जिंदगी खुश रखूँगा।
मेरी बात सुनकर खुशबू के पापा मम्मी और भाई एक दूसरे को देखने लगे। बीच बीच में वो मुझे भी देख लेते थे। थोड़ी देर बात उसके पापा ने कहा।
खु. पापा- तुम्हारी बातों से एक बात तो साफ है कि तुम कोई लोफर या बुरे लड़के नहीं हो। तुम बहुत ही संस्कारी लड़के हो। क्योंकि तुमने जो बात कही है वो मुझे बहुत अच्छी लगी। तुम्हारी सोच बहुत अच्छी है। मैंने तुमसे अभी जो भी बातें कही हैं। वो तुम्हें परखने के लिए थी कि मैं तुमसे जो बात कहना चाहता हूँ तुम उसके काबिल हो या नहीं। और तुम्हारी बातों से लगता है कि खुशबू ने तुम्हारे बारे में जो कुछ भी बताया था वो बिलकुल सही था।
अच्छा यो बताओ ये तुम्हारे साथ तुम्हारे मित्र आए हैं। इनको कब से जानते हो तुम।
अभिषेक- चाचा जी। ये मेरे बचपन का मित्र है। मेरे लंगोटिया यार है ये। कक्षा नर्सरी से हम लोग साथ में ही पढ़ते आ रहे हैं। बस स्नातक की पढ़ाई के लिए हम दोनों अलग हुए था बाकी साथ साथ ही हैं।
खु.पापा.- तुम दोनों की दोस्ती कितनी गहरी है। मेरा मतलब है कि तुम दोनों की जुगलबंदी कैसी है। तुम्हारे और कितने दोस्त हैं।
अभिषेक- हम दोनों की दोस्ती बहुत गहरी है। हमारे साथ हमारा एक दोस्त और भी है जो इस समय लखनऊ में नौकरी करता है और तीन लड़कियाँ भी हैं जिनसे हमारी दोस्ती बहुत गहरी है, लेकिन इसके साथ कुछ ज्यादा ही लगाव है मेरा।
खु.पापा.- अगर मान लो कि तुम्हारे सामने मात्र दो रास्ते बचे हों। एक पर चलकर तुम्हें खुशबू मिल सकती है और दूसरे पर चलकर तुम्हारा ये दोस्त। तो तुम किस रास्ते पर जाओगे।
खुशबू के पापा के इस सवाल ने अभिषेक को फँसा दिया। क्योंकि इसका जवाब अभिषेक को भी पता था और मुझे भी। अभिषेक मेरी तरफ देखने लगा। मैंने इशारे में उसे बोल दिया कि खूशबू की तरफ ही बोलना। थोड़ी देर मुझे देखने के बाद अभिषेक को भी मामला समझ में आ गया था कि खुशबू को पापा ने उसे फँसा लिया है। इसलिए उसने कहा।
अभिषेक- जो रास्ता मेरे इस दोस्त की तरफ जाता है मैं उस रास्ते पर ही जाऊँगा।
खु. पापा- क्या मैं जान सकता हूँ कि तुमने खुशबू को ठुकरा कर अपने दोस्त को क्यों चुना।
अभिषेक- सीधी सी बात है चाचा जी। हम दोनों की दोस्ती ऐसी है कि इस दोस्ती के लिए मैं दुनिया की सभी लड़कियों को छोड़ सकता हूँ। हम दो भले ही हैं। लेकिन एक जान हैं। हम दोनों की दोस्ती किसी शर्त या परिस्थिति की मोहताज नहीं है। लेकिन अगर दोस्ती को आप छोड़ दें तो मेरे जीवन में अपने माता पिता और अपनी बहन के बाद खुशबू की अहमियत बहुत ज्यादा है।
खु.पापा- चलो दोस्ती को छोड़ देते हैं। लेकिन माता पिता के पहले क्यों नहीं है खुशबू की अहमियत उसके बाद क्यों है।
अभिषेक- वो इसलिए कि मेरे जन्मदाता वही हैं। उनके बिना मेरा कोई अस्तित्त्व ही नहीं है। और जो लोग अपने प्यार को अपने माता-पिता से बढ़कर मानते हैं। उनसे बड़ा बदनसीब दुनिया में कोई नहीं है।
आपकी इन बातों से मुझे एक बात समझ में आ गई है कि आपको मेरी और खुशबू की शादी से ऐतराज है। जिसके लिए मुझे कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि मुझसे ज्यादा खुशबू पर आपलोगों का हक है। लेकिन फिर भी अगर आपको ऐतराज न हो तो क्या आप इसका कारण मुझे बता सकते हैं।
खु.पापा- तुमने सही समझा बेटे। इसमें कोई शक नहीं कि तुम बहुत ही अच्छे, संस्कारी और नेक लड़के हो। जिसके तुम दामाद बनोगे वो बहुत ही भाग्यशाली होंगें। तुम्हारे विचार, तुम्हारे बात करने का तरीका, बड़ों के प्रति तुम्हारे मन में सम्मान और सबसे बड़ी बात कि तुम खुशबू को भगाकर ले जाने के बजाय मुझसे बात करने के लिए आए हो। जो मुझको बहुत अच्छा लगा।
मैं ये भी जानता हूँ कि तुम खुशबू को हमेशा खुश रखोगे। किसी के भविष्य के बारे में विधाता के अलावा किसी को पता नहीं होता। इंसान जो कुछ भी करता है वर्तमान में करता है भविष्य उज्जवल करने के लिए। जैसा कि तुमने बताया कि तुम उसके साथ पढ़ते हो। इसका मतलब ये है कि अभी तुम्हारे पास रोजगार नहीं है। मैं ये भी मानता हूँ कि तुम आने वाले समय में बहुत ही बड़े आदमी बन सकते हो। लेकिन मैं एक लड़की का बाप हूँ। मुझे अपनी वेटी के लिए सारे निर्णय वर्तमान को देखकर लेने होंगे न कि भविष्य को देखकर। मैंने अपने दोस्त के बेटे से खुशबू के रिश्ते की बात की है। हम दोनों की दोस्ती भी कुछ कुछ वैसी ही है जैसी तुम दोनों की। तुम लोगों की तरह हम लोग भी एक दूसरे के लिए कुछ भी कर सकते थे, लेकिन इसका मतलब तुम ये कभी न समझना कि मैं अपनी दोस्ती के लिए अपने बेटी के प्यार की कुर्बानी दे रहा हूँ। इसका कारण ये है कि लड़का नई दिल्ली में आयकर विभाग मे इंस्पेक्टर के पद पर है। तो वर्तमान में मुझे खुशबू का भविष्य तुम्हारे साथ नहीं बल्कि मेरे दोस्त के बेटे के साथ ज्यादा सुरक्षित नजर आ रहा है। किसका भविष्य कैसा होगा इस बारे में मैं नहीं बोल सकता।
मैंने खुशबू से इस बारे में बात की तो वो कहती है कि वो ये शादी नहीं करेगी। या तो वो घर से भाग जाएगी या तो कुछ उलटा सीधा कर लेगी। वो किसी भी कीमत पर इसके लिए तैयार नहीं है। और मैं भी अपनी बेटी के साथ कोई जबरदस्ती नहीं करना चाहता। इसलिए मैं खुद तुमसे मिलने वाला था, लेकिन खुशबू ने बताया कि तुम्हारी कोई परीक्षा है जिसके बाद तुम खुद मुझसे मिलोगे। तुम्हारी पढ़ाई में कोई बाधा न उत्पन्न हो, इसलिए मैं तुमसे मिलने नहीं आया। मैं तुमसे यही कहना चाहता हूँ कि तुम खुशबू को समझाओ वो तुम्हारी बात जरूर मानेगी।
खुशबू के पापा की बात सुनने के बाद हम दोनों स्तब्ध थे। अभिषेक ने मेरी तरफ देखा तो उसकी आँखों में दर्द और चेहरे पर पीड़ा दिख रही थी। अभिषेक ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने उनसे कहा।
मैं- जैसा कि आपने कहा कि खुशबू के साथ आप जबरदस्ती नहीं करना चाहते और खुशबू अभिषेक के साथ भागने के लिए भी तैयार है। तो ये जरूरी नहीं है कि हम आपकी बात मानें ही। फिर आपको ऐसा क्यों लगता है कि हम खुशबू को समझाएँगे।
खु.पापा- तुम्हारी ये बात भी सही है बेटा। मुझे इसलिए विश्वास है तुम लोगों पर कि तुम दोनों एक दूसरे के लिए कुछ भी कर करते हो। तो तुम्हें हमारी दोस्ती की भी गहराई समझ आ रही होगी। अब ये तुम लोगों पर निर्भर है कि तुम लोगों को खुशबू के भविष्य की परवाह है या नहीं। अगर अभिषेक को हम लोगों के अरमानों की अर्थी पर अपने प्यार का आशियाना बसाना हो तो शौक से तुम लोग ऐसा कर सकते हो। अगर अभिषेक एक माता-पिता की आँखों में खुशियाँ नहीं दर्द के आँसू भरना चाहे तो तुम लोग ऐसा कर सकते हो। हम भी अपनी बेटी से बहुत प्यार करते हैं। हम उससे ज्यादा दिन नाराज नहीं रह सकते।
अभिषेक- ठीक है चाचा जी। हम इस बारे में खुशबू से बात करेंगे। उसे समझाएँगे कि वो आप लोगों की बात मान ले। अच्छा मैं चलता हूँ अब।
खु. पापा- ठीक है बेटा। और हमें माफ कर दो बेटा। मैं शायद आपने स्वार्थ के लिए तुम्हारे प्यार का बलिदान कर रहा हूँ। जिसके लिए भगवान शायद ही हमें माफ करे। लेकिन मैं एक बाप हूँ न।
इतना कहकर खुशबू के माता पिता अभिषेक के पैरों में झुकने लगे तो अभिषेक ने उनके हाथ पकड़ लिया और कहा।
अभिषेक- ये आप लोग क्या कर रहे हैं। माता पिता के हाथ अपने बच्चों को आशीर्वीद देने के लिए होते हैं। और आप लोग मेरे पैर छूकर मुझे पाप का भागीदार बना रहे हैं। आप मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं खुशबू के अपने से दूर होने पर मिलने वाले गम से उबर पाऊँ। और मुझे ये आशीर्वाद दीजिए कि मैं खुशबू को इस शादी के लिए मना पाऊँ।
ख.मम्मी- भगवान तुम्हारे भला करे बेटा। तुमने एक माँ बाप की मजबूरी को समझा। भगवान तुम्हारी झोली खुशियों से भर दे। तुम्हें बहुत बड़ा आदमी बनाए।
उसके बाद अभिषेक वहाँ नहीं रुका और उनके घर से बाहर आ गया। मैं भी अभिषेक के पीछे पीछे बाहर आ गया। मैंने देखा कि अभिषेक की आखों से झरझर आँसू बह रहे थे। अभिषेक एक मिनट भी वहाँ नहीं रुकना चाहता था। इसलिए उसने गाड़ी तुरंत कमरे पर चलने के लिए कहा। मैंने भी गाड़ी स्टार्ट की और अभिषेक को लेकर कमरे पर आ गया।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में।