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Bahut hi badhiya update mahi madam,,,,
सत्तावनवाँ भाग
लड़की देखने का कार्यक्रम पूरा हो जाने के बाद हम छहों बाहर आ गए। मैं महिमा को मुड़ मुड़ कर देख रहा था। जिसके चेहरे पर हमेशा वाली चिर-परिचित मुस्कान थी। पार्क से निकलकर हम लोग बाहर आ गए और स्टैंड के पास जा कर खड़े हो गए तो रेशमा ने कहा।
रेशमा- देखा नयन। इसे कहते हैं किस्मत। तुमने कितना ही महिमा से दूर भागने का प्रयत्न किया, परंतु आज देखो किस्मत ने तुम्हें महिमा के पास पहुँचा ही दिया।
पल्लवी- तुम एकदम सही बोल रही हो। महिमा की बात एकदम कही थी कि अगर किस्मत में नयन लिखा होगा तो वो उसे जरूर मिलेगा और देखो नयन महिमा की ही किस्मत में था। लेकिन ये अपनी घंटी के पीछे भाग रहा था और उस घंटी के पीछे कितनी परेशानी हुई इसको।
मैं- हाँ यार। सही कहा तुम दोनों ने। दिल की घंटी बजने के इंतजार में अनामिका ने तो मेरा तबला ही बजा दिया था। लेकिन अब जो होगा अच्छा ही होगा। मैं महिमा को बहुत प्यार दूँगा। इतना प्यार कि उसके 5 साल के इंतजार का दर्द खत्म हो जाए।
महेश- होना भी ऐसा ही चाहिए अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं अबकी बार तेरा हरमुनिया, बाँसुरी, और पता नहीं क्या क्या बजा दूँगा समझा।
महेश की बात सुनकर सब हँसने लगे। रश्मि ने मुझसे पूछा।
रश्मि- तुम खुश तो हो न नयन।
मैं- हाँ मैं बहुत खुश हूँ। या यूँ कहूँ कि आज से मेरे खुशहाल जीवन की शुरूआत हो गई है। जिसमें हरदम खुशी ही खुशी होगी। अच्छा पल्लवी महिमा का मोबाइल नम्बर मुझे दे देना।
पल्लवी- क्या बात है। मतलब आज से बात-चीत शुरू।
पल्लवी की बात सुनकर सब मुस्कुराने लगे। फिर हम लोंगों ने वहीं लगे थेले पर कुछ खाया-पिया। फिर सभी अपने अपने घर के लिए निकल गए। मैं और अभिषेक भी कमरे पर आ गए। महेश पल्लवी के साथ मे चला गया। मैंने कमरे पर आकर पापा को इस रिश्ते के लिए हाँ कर दी और बोल दिया कि आगे कैसे और क्या करना है वो अपनी तरफ से देख लें।
फिर महिमा और मेरी बात-चीत शुरू हो गई। धीरे धीरे मेरा भी प्यार महिमा के लिए बढ़ता रहा। इस बीच हमने कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा भी दे दी थी। संजू से भी दो- तीन बार मुलाकात हुई थी। मैंने अपने सभी दोस्तों और महिमा और खुशबू को भी संजू से मिलवा दिया था।
मैं-महिमा, अभिषेक-खुशबू और महेश-पल्लवी साथ में घूमने के लिए जाते। साथ में रेशमा और रश्मि भी रहती थी। 10 दिन बाद महेश की छुट्टी खत्म हो गई थी तो वह लखनऊ वापस चला गया था। ग्यारवें दिन अभिषेक के घर से फोन आया जो उसके पापा का था।
अभिषेक- नमस्ते पापा। कैसे हैं आप।
अ. पापा- मैं ठीक हूँ बेटा। तुम कैसे हो।
अभिषेक- मैं ठीक हूँ पापा। मम्मी और पायल कैसी हैं।
अ.पापा- वो दोनों भी ठीक हैं। तुमसे एक बात पूछनी है।
अभिषेक- हाँ पापा कहिए न।
अ.पापा- तुम्हारा वो दोस्त है न। संजू। जो उस दिन तुम लोगों के साथ घर पर आया था। वो कैसा लड़का है।
अभिषेक- उसको तो मैं ज्यादा अच्छी तरह से नहीं जानता, क्योंकि उससे महीने भर की ही जान-पहचान है अपनी, लेकिन जितना भी उसके बारे मैं जान पाया हूँ बो अच्छा लड़का है।
अ.पापा- अपनी पायल के लिए कैसा रहेगा वो लड़का।
अभिषेक पापा की बात सुनकर मेरी तरफ देखने लगा। मैंने उससे पूछा तो उसने स्पीकर चालू कर दिया और अपने पापा से बोला।
अभिषेक- आपके दिमाग में ये ख्याल कैसे आ गया पापा उसको लेकर।
अ.पापा- बात ये है बेटा कि सुबह उसके पापा मम्मी और उसकी बहन घर आए हुए थे। वही बोल रहे थे कि वो पायल को अपनी बहू बनाना चाहते हैं। इसलिए मैंने इसके बारे में तुमसे पूछना जरूरी समझा, क्योंकि तुम पायल के भाई हो और उस लड़के को भी जानते हो।
अभिषेक- क्या। उसने पायल के लिए अपना रिश्ता भिजवाया है। साथ में संजू भी आया था क्या।
अ.पापा- नहीं वो नहीं आया था, वो अपने मम्मा पापा को घर के पास छोड़कर कहीं चला गया था।
अभिषेक- ठीक है पापा। मैं आपसे जल्द ही इसके बारे में बात करता हूँ। पहले संजू से तो बात कर लूँ।
इतना कहने के बाद अभिषेक ने फोन रख दिया। उसके चेहरे पर थोड़े गुस्से वाले भाव थे। अभिषेक ने मुझे देखते हुए कहा।
अभिषेक- ये संजू अपने आपको समझता क्या है। बिना मुझसे पूछे मेरी बहन के लिए अपना रिश्ता भेज दिया।
मैं- तू इतना नाराज क्यों हो रहा है। उसने बस रिश्ता भेजा है। मानना या न मानना चाचा चाची और पायल का काम है।
अभिषेक- लेकिन फिर भी एक बार मुझसे बोल तो सकता था न इसके बारे में।
मैं- देख अभिषेक। वो सीधे नहीं गया था पायल का हाथ माँगने चाचा चाची के पास। उसने अपने मम्मी पापा को भेजा था। इसका मतलब समझता है तू उसने अपने मम्मी पापा को अपनी पसंद बताई और उसके मम्मी पापा खुद गए रिश्ता लेकर। तो इसमें गलत तो नहीं है। अगर वो पायल को खुद से जाकर कुछ बोलता तो वो गलत होता, लेकिन उसने चाचा चाची के पास अपने मम्मी पापा को भेजा।
अभिषेक- तुझे क्या लगता है। मुझे पापा को क्या जवाब देना चाहिए।
मैं- वैसे देखा जाए तो संजू बुरा लड़का नहीं है। हम लोगों की ही तरह अच्छे स्वभाव वाला जान पड़ता है। हमने उसके साथ कुछ वक्त भी साथ गुजारा है। इसलिए वो अजनबी भी नहीं है। साथ में नौकरीपेशा भी है। तो पायल के लिए संजू के रिश्ते में कोई बुराई भी नहीं नजर आती। मैं तो यही कहूँगा की हाँ बोल दे चाचा चाची को, लेकिन उसके पहले संजू को बुलाकर उससे बात करनी चाहिए हमें।
अभिषेक ने मेरी बात मानकर संजू के पास फोन किया और थोड़ा नाराजगी और गुस्से के साथ बात की।
अभिषेक- संजू कहाँ हो तुम। मुझे तुमसे अभी मिलना है। ये तुमने जो रायता फैलाया है उसके बारे में बात करनी है।
संजू- पहले मेरी बात सुनो अभिषेक। तुम जैसा समझ रहे हो वैसा कुछ भी नहीं है।
अभिषेक- मैं बिलकुल सही समझ रहा हूँ। फोन पर कोई बात नहीं होगी। जो भी बात करनी है मिलकर करो।
अभिषेक की बात सुनकर संजू के मन में थोड़ा भय तो पैदा हो ही गया। उसने कुछ ही देर में कमरे पर आने की बात कहकर फोन रख दिया। अभिषेक ने भी फोन रख दिया। फोन रखने के बाद अभिषेक ने कहा।
अभिषेक- तुम क्या बोलते हो नयन। क्या इस बारे में महेश से भी बात करनी चाहिए।
मैं- हाँ क्यों नहीं। उससे तो बात करनी ही चाहिए। क्योंकि उसकी भी राय जाननी बहुत जरूरी है।
अभिषेक ने तुरंत महेश को फोन लगाया। महेश ने फोन उठाते हुए कहा।
महेश- हाँ भाई बोल। मन नहीं लग रहा क्या तेरा मेरे बिना। अभी कल ही आया और आज तूने फोन कर दिया।
अभिषेक- कुछ ऐसा ही समझ ले यार। अभी कुछ जरूरी बात करने के लिए तुझे फोन किया है।
महेश- फिर कोई लफड़ा हो गया क्या। साले तुम दोनों एकदम पनौती हो। हमेशा कुछ न कुछ होता रहता है तुम दोनों के साथ। साला बहुत अच्छे दोस्त मिले हैं मुझे। एक परेशानी खत्म नहीं होती और दूसरी आ जाती है।
अभिषेक- अपनी बकचोदी बंद करेगा पहले। मेरी बात तो सुन ले पहले। ये बता संजू तुझे कैसा लगता है।
महेश- देख बे। मैं उस टाइप का लड़का नहीं हूँ बताए देता हूँ। मेरे लिए पल्लवी ही ठीक है।
अभिषेक- अबे बकवास बंद कर अपनी। उसने पायल के लिए अपना रिश्ता भिजवाया है घर पर। पापा उसके बारे में मेरी राय जानना चाहते हैं। तू बता मुझे क्या करना चाहिए।
महेश- अच्छा तो ये बात है। देख भाई। लड़का तो मुझे ठीक ही लगा। देखने भी अच्छा खासा है। नौकरीपेशा भी है। मेरी तरफ से तो तुझे हाँ ही करना चाहिए। बाकी तू एक बार नूनू से भी पूछ ले। वो इस बारे में क्या बोलता है।
अभिषेक- नयन भी यही बोल रहा है जो तुम बोल रहे हो।
महेश- हम दोनों की तरफ से तो हाँ है भाई। बाकी एक बार तू भी इस बारे में अच्छे से सोच ले। संजू से बात करी तुमने इस बारे में।
अभिषेक- हाँ कुछ देर में वो आ रहा है कमरे पर। तब बात करूँगा उससे।महेश- चल ठीक है अब फोन रखता हूँ। कुछ काम निपटाना है।
इतना कहकर महेश ने फोन रख दिया। लगभग आधे घंटे बाद संजू अपनी कार से हमारे कमरे पर आया। आते ही उसने कहा।
संजू- देखो मारना मत। पहले मेरी पूरी बात सुन लेना। उसके बाद ही कुछ करना।
अभिषेक- ठीक है बोलो तुम।
संजू- उस दिन जब अयोध्या से लौटते समय मैंने तुम लोगों से बताया था कि मुझे एक लड़की पसंद आ गई है कुछ दिन पहले तो वो पायल ही थी जिसके बारे में मैंने तुम दोनों को बताया था। उस दिन जब में तुम्हारे साथ तुम्हारे घर गया था तो मैंने पायल को देखा। पायल पहली ही नजर में मुझे पसंद आ गई थी। लेकिन अनामिका का मामला सामने था और उसे समाप्त हो जाने के बाद ही मैं इस बारे में विचार करना चाहता था, मैंने सोच लिया था कि अगर अनामिका के जाल में मैं फँस गया तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर अनामिका का मामला निपट गया तो मैं पायल से शादी करूँगा, इसलिए मैंने अपने मम्मी पापा को तुम्हारे घर भेजा।
अभिषेक- और तुमने मुझे इस बारे में बताना भी जरूरी नहीं समझा।
संजू- मैं तुम्हें बताना चाहता था, लेकिन मैंने सोचा कि अगर मेरे मम्मी पापा तुम्हारे मम्मी पापा से सीधे बात करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। इसीलिए मैंने तुमसे इस बारे में कोई बात नहीं की।
अभिषेक- पापा को फोन आया था मुझे। उन्होंने मुझसे मेरी राय माँगी है। और मुझे लगता है कि तुम पायल के लिए सही लड़के नहीं हो।
संजू- मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ। मैं ये नहीं कहता कि मैं पायल को हमेशा खुश रखूँगा, ये कहना गलत हो जाएगा। लेकिन तुम्हें ये विश्वास जरूर दिलाता हूँ कि मैं पायल को खुश रखने की पूरी कोशिश करूँगा। उसे मेरे घर में किसी भी चीज की कमी महसूस नहीं होगी। उसे मैं वो सब देने की पूरी कोशिश करूँगी जिसकी हकदार एक पत्नी होती है। मानता हूँ कि मैं एक अच्छा लड़का नहीं हूँ तुम्हारी नजर में, लेकिन मैं इतना बुरा भी नहीं हूँ। पायल तुम्हारी बहन है अभिषेक। तुम हमेशा उसका भला ही सोचोगे। मुझे तुम्हारे इनकार से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन एक बार मेरी बातों पर गौर जरूर करना।
अभिषेक- ठीक है मैं सोचूँगा इस बारे में।
संजू- ठीक है मैं चलता हूँ अब। तुम्हारा जो भी फैंसला होगा वो मुझे दिल से स्वीकार होगा अभिषेक।
इतना कहकर संजू कमरे से बाहर चला गया। संजू के कमरे से बाहर जाने के बाद मैंने अभिषेक से कहा।
मैं- ये सब क्या था अभिषेक। क्या सच में तू संजू को पायल के लायक नहीं समझ रहा है।
अभिषेक- नहीं नयन। मैं उससे कुछ जानना चाह रहा था जिसका जवाब मुझे मिल गया है। मैं अभी पापा को फोन करके इस रिश्ते के लिए हाँ बोल देता हूँ।
इसके बाद अभिषेक ने अपने पापा को फोन किया।
अ. पापा- हाँ अभिषेक बोलो। क्या सोचा है तुमने इस रिश्ते के बारे में।
अभिषेक- पापा। मुझे लग रहा है कि हमें इस रिश्ते को स्वीकार कर लेना चाहिए। नयन और महेश की भी यही राय है कि संजू पायल के लिए सही लड़का है। बाकी इसके आगे का क्या और कैसे करना है ये आप देख लीजिएगा। इस बारे में एक बार पायल से भी पूछ लिजिएगा पापा।
अ.पापा- ठीक है अभिषेक। मुझे भी संजू अच्छा लड़का लगा था उस दिन। पायल से भी मैंने बात कर ली है। उसकी भी हाँ ही है। मैं उन्हें रिश्ते के लिए हाँ बोल देता हूँ।
इतना कहकर अभिषेक के पापा ने फोन रख दिया। और इस बात की जानकारी सबको दे दी। अभिषेक के पापा ने अगले दिन संजू के घर वालों को इस रिश्ते के लिए हामी भर दी। दोनों तरफ से हाँ हो जाने के बाद एक निर्धारित दिन पर दोनों घरवालों ने संजू और पायल को एक दूसरे मिलने और बात करने के लिए कुछ समय दिया। दोनों ने एक दूसरे को देखा, बात की और रिश्ता पक्का हो गया।
पापा ने आगे क्या करना है इसके लिए संजू के पापा से बात की। संजू की छुट्टियाँ समाप्त होने वाली थी तो वो चाहते थे कि संजू के छुट्टी से जाने से पहले संजू और पायल की सगाई कर दी जाए। जिसके लिए किसी को कोई आपत्ति नहीं थी। आज से 10 दिन बाद दोनों की सगाई की तारीख पक्की कर दी गई। इसी बीच संजू से दो तीन बार हमारी मुलाकात भी हुई। अब वो हमारी बहन का मंगेतर बनने वाला था तो उसके साथ अपने व्यवहार में संजीदगी आ गई थी।
हमारी कोचिंग अब समाप्त हो गई थी तो अब हम दोस्तों का मिलना कोचिंग में नहीं हो पाता था। इसलिए हम सब दोस्त साथ में महिमा और खुशबू समय निकाल कर कभी कभी एक साथ समय बिताया करते थे। साथ में घूमने जाते थे। पार्टी भी करते थे। मेरी महिमा के साथ सामन्जस्य बहुत ही बढ़िया हो गया था। मुझे महिमा की हर छोड़ी बड़ी अदाएँ अच्छी लगने लगी थी। महिमा अब मुझको अपने नखरे भी दिखाने लगी थी। उसके अंदर भी ठेठ प्रेमिका वाले सारे गुण विकसित हो गए थे। उसके प्रति मेरा प्यार दिन-प्रति-दिन बढ़ता जा रहा था।
धीरे धीरे सगाई का दिन भी करीब आ रहा था। अभिषेक ने महेश को फोन करके सगाई में आने के लिए कह दिया था। साथ ही अभिषेक ने रेशमा, पल्लवी, महिमा, रश्मि और खुशबू को भी संगाई समारोह में शामिल होने के लिए कहा व्यक्तिगत रूप से कहा था। बाकी खुशबू के घर अभिषेक के पापा ने फोन कर दिया था सगाई में आने के लिए।
सगाई वाले दिन से दो दिन पहले ही मैं और अभिषेक घर चले गए। महेश भी एक दिन बाद लखनऊ से आ गया। हम सबने मिलकर सगाई की सारी तैयारियाँ पूरी कर ली। सगाई वाले दिन पल्लवी अपनी कार से रेशमा, रश्मि, खुशबू और महिमा के साथ अभिषेक के घर पहुँच गई। और वहाँ उपस्थित बड़ों का आशीर्वाद लेकर घर के छोटे मोटे कामों में हाथ बँटाने लगी। धीरे धीरे वो समय भी आ गया जब संजू अपने परिवार और कुछ खास संबंधियों के साथ सगाई की रश्म के लिए अभिषेक के घर आया। हम सभी संजू से गले मिले। थोड़ी देर चाय-नाश्ते के बाद सगाई की रश्म शुरू कर दी गई। पाँचों लड़कियों ने मिलकर पायल को अच्छे से तैयार करके जब स्टेज पर ले कर आई। तो हम तीनों की आँखें अपनी वाली को देखकर फटी की फटी रह गई।
हम तीनों अपनी पलकें झपकाना भूल गए। पाँचों लड़कियों ने लहँगा चोली पहन रखा था। ऊपर से उन्होंने ओढ़नी ओढ़ रखी थी। जिसमें वो कयामत लग रही थी। हम लोगों की तो छोंड़ो। संजू की तरफ से आए हुए अन्य लड़के और अभिषेक के तरफ से उपस्थित हुए लड़कों की आँखें भी पाँचों लड़कियों को ही ताड़ रही थी। (शादी और सगाई में ये सब आम बात है। जो भी नौजवान लड़के सगाई और शादी में शामिल होने के लिए जाते हैं वो सगाई और शादी समारोह का आनंद लेने के बजाय लड़कियाँ ताड़ने का आनंद लेते हैं।) महिमा, खुशबू और पल्लवी की नजरें जब हमसे टकराती थी तो वो तीनों शरमाते हुए मस्कुराने लगती थी। हम तीनों को देखकर उनकी यही मुस्कुराहट कितने लड़कों के दिल पर छुरियाँ चला रही थी। कितने लड़कों को हम तीनों की किस्मत से जलन हो रही थी। ऐसे ही समय बातने के साथ ही सगाई की रश्म भी पूरी हो गई। फिर संजू की तरफ से आए हुए सभी लोगों ने खाना खाया। फिर लड़के वाले चले गए। उसके बाद हम लोग खाना खाने के लिए चले गए। खाना खाते हुए पल्लवी ने कहा।
पल्लवी- बहुत मजा आया मुझे तो। गाँव के खुले माहौल में शादी और सगाई का मजा ही कुछ अलग होता है। मैं शुरू से ऐसे खुले माहौल की शौकीन हूँ। शादी में तो और भी ज्यादा मजा आने वाला है।
अभिषेक- ये सब छोंड़ो पहले ये बताओ कि तुम और महेश कब सगाई और शादी कर रहे हो।
महेश- अभी उसमें समय है। अभी पापा से इस बारे में बात करनी है। तब तक तुम दोनों ही निपटा लो अपनी सगाई।
मैं- वो तो हम कर ही लेंगे। लेकिन तू रहने दे चाचा से बात करने को। हम दोनों बात कर लेंगे चाचा जी से। तेरे बस का नहीं है उनसे बात करना। कोई अच्छा मौंका देखकर बात करते हैं चाचा जी से।
इसी तरह बोलते बतलाते हम लोगों का खाना भी हो गया। खुशबू तो अपने पापा के साथ अपने घर चली गई परंतु अभिषेक के पापा और मम्मी ने रेशमा, पल्लवी, रश्मि और महिमा को अपने घर पर ही रोक लिया। मेरे अम्मा, पापा घर चले गए। काजल भी अभिषेक के यहाँ रात रुक गई। हम लोग देर रात तक बैठ कर बात करते रहे। फिर हम लोग भी सोने के लिए चले गए।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
![Claps :claps: :claps:](/uploads/smilies/claps.gif)
Ye Sanju to bada chalu nikla. Matlab ki idhar baaki logo ke sath apni problems bhi solve karta raha aur udhar Abhishek ki bahan ko bhi pasand kar liya. Bahut khoob jaani....kora maal mil gaya bhai ab kya chahiye,,,,
![Lol :lol: :lol:](/uploads/smilies/lol.gif)
Khair sanju ne samajhdari se kaam liya tha is liye kisi ko is rishte se problem nahi huyi. Sanju aur Payal ki sagaayi ho gayi...ab rah gaye baaki ke ashiq log to inka bhi jald hi kalyaan hoga. Dekhte hain happy ending ke pahle koi lafda to nahi hone wala,,,,
![Smoking :smoking: :smoking:](/uploads/smilies/smilies2/smoking.gif)