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Adultery गुजारिश

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Kya kya sochti ho tum yar
kamaal ki soch hai aapki ????
:slap: toh mona kidhar hai...?
Yeh budhau baatein kyun chupa rahan hai??
khoon kiska hai?? Aur kyun hai wahan....? Kya kand hua tha dev ke aane pehle haweli mein?
kya kar raha tha woh budhau udhar akele akele? akela tha ki sath mein koi aur bhi tha?
Kyun sidhe sidhe bata nahi deta kahe baaton ko gol gol ghuma raha hai??
jhole mein kya fad fada raha tha? ... jahir si baat hai chidhiya ya machhli toh hargiz nahi......
toh shaq ki sui isi baat jaati hai ki usme koi saanp hi fad fada rahi hogi..

Kyun woh budhau jald bazi nikla udhar haweli se.. aise bhaga jaise picwade mein phatake lagake jala diya ho??
Kya chupane koshish ki jaa rahi hai dev se pehle se leke abhi tak??
aur bhi savaal hai woh baad mein....
 
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:slap: toh mona kidhar hai...?
Yeh budhau baatein kyun chupa rahan hai??
khoon kiska hai?? Aur kyun hai wahan....? Kya kand hua tha dev ke aane pehle haweli mein?
kya kar raha tha woh budhau udhar akele akele? akela tha ki sath mein koi aur bhi tha?
Kyun sidhe sidhe bata nahi deta kahe baaton ko gol gol ghuma raha hai??
jhole mein kya fad fada raha tha? ... jahir si baat hai chidhiya ya machhli toh hargiz nahi......
toh shaq ki sui isi baat jaati hai ki usme koi saanp hi fad fada rahi hogi..

Kyun woh budhau jald bazi nikla udhar haweli se.. aise bhaga jaise picwade mein phatake lagake jala diya ho??
Kya chupane koshish ki jaa rahi hai dev se pehle se leke abhi tak??
aur bhi savaal hai woh baad mein....
????..saap fadfada raha tha .... baba ko narbhakshi kehna ?...maine aapko galat nahi kaha bas baba ko narbhkashi kaha isliye hansi aa gayi ....us waqt sahi shabd nahi mila isliye aisa likha ..ab bhi nahi hai shabd hansne ke liye ...
waise aapko kya laga ??
 

Naina

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????..saap fadfada raha tha .... baba ko narbhakshi kehna ?...maine aapko galat nahi kaha bas baba ko narbhkashi kaha isliye hansi aa gayi ....us waqt sahi shabd nahi mila isliye aisa likha ..ab bhi nahi hai shabd hansne ke liye ...
waise aapko kya laga ??
I thought... kahin ju ka favorite kirdaar toh nahi yeh buddha...
Actually us nagin ki punch fad fada rahi hogi...
aur haan woh koi baba saba nahi hai...
Kabhi suna hai ju ne.. saanp ke dasne se dher sara khoon behta ho....ya saanp ko khoon pite huye... nahi na..
Yeh joh gaon mein ho raha katle aam iske piche yeh adamkhor budhau hi hai... sabhi ko maar ke khoon pita hai...lagta hai us munim aur lala ka khoon isine piya hai..
 
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I thought... kahin ju ka favorite kirdaar toh nahi yeh buddha...
Actually us nagin ki punch fad fada rahi hogi...
aur haan woh koi baba saba nahi hai...
Kabhi suna hai ju ne.. saanp ke dasne se dher sara behta ho....ya saanp ko khoon pite huye... nahi na..
Yeh joh gaon mein ho raha katle aam iske piche yeh adamkhor budhau hi hai... sabhi ko maar ke khoon pita hai...lagta hai us munim aur lala ka khoon isine piya hai..
nahi ...buddha favourite nahi hai ?...writer kehta hai buddhe ka bahut role hai par buddha kabhi sahi nahi batata dev ko ,sirf paheliya bolta hai ..to aisa buddha mera favourite kaise hua ?...
waise har koi poori sachchai nahi bata raha yaha par ?...
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#47

मेरे सामने दूसरी मंजिल थी ही नहीं. सीढिया जैसे खत्म हो गयी थी . अब ये नया चुतियापा था क्योंकि मैं अच्छे से जानता था की हवेली तीन मंजिला थी और थोड़ी देर पहले ही तो मैं यहाँ दूसरी मंजिल पर आया था . बाबा सुलतान कुछ तो ऐसा कर गया था जिसे वो मुझसे हर हाल में छुपाना चाहता था . इन दुसरे लोगो की दुनिया में मैं खुद को बड़ा असहाय महसूस करता था इन हरकतों को देखते हुए.



मैं निचे आकर कुर्सी पर बैठ गया और सोचने लगा. मोना का अचानक से इस्तीफा देना , और गायब हो जाना , कुछ तो हुआ था उसके साथ . उसके बारे में सोच सोच कर मेरा हाल बुरा हो गया था . उसकी बड़ी फ़िक्र हो रही थी मुझे और होती भी क्यों नहीं मेरी दोस्त थी वो . सोचते सोचते मुझे ख्याल आया और मैंने खुद को कोसा की ये ख्याल मुझे पहले क्यों नहीं आया.

मुझे अब रूपा से मिलना था . बल्कि मुझे सबसे पहले रूपा से ही मिलना चाहिए था . मैं हवेली से निकल कर सीधा रूपा के घर की तरफ चल पड़ा . रूपा ही अब मेरे सवालो का जवाब दे सकती थी . रूपा मुझे घर पर ही मिली.

रूपा- मुसाफिर

मैं- कैसी हो .

रूपा- पहले तो न जाने कैसी थी पर अब बहुत ठीक हूँ .बैठो तुम्हारे लिए चाय बनाती हूँ .

मैं- नहीं चाय नहीं . मुझे बस तुमसे बात करनी है .

रूपा- जी, सरकार.

मैं- वो नागिन और तुम्हारा क्या रिश्ता है . बाबा ने मेरा जख्म भरने के लिए तुमसे क्या माँगा था . मुझे तुम्हारे और उस नागिन के बारे में सब जानना है .

रूपा- बताती हूँ , मेरा और उस नागिन का रिश्ता अहंकार का रिश्ता है , नफरत का रिश्ता है ,उसे अभिमान है की वो श्रेस्ठ है मुझे भान है की मैं निम्न हूँ .उसे लगता है की शम्भू के कंठ पर वास मिलने से वो महत्वपूर्ण है , उसकी अपने विचार है मेरे अलग विचार है .

मैं- और तुम कौन हो .

रूपा- मैं , मैं कौन हूँ . मैं वो माटी हूँ जिसे तुम्हे तराश कर गुलिस्तान बना दिया. मैं वो धुल हूँ जिसे तुमने माथे से लगा कर मोल बढ़ा दिया. मैं वो मजबूर हूँ जो आसमान में उड़ना चाहती है पर पाँव में बाप के कर्ज की बेडिया है. मैं वो आइना हूँ जो रोज तुम्हे देखती है .

मैं- तुमने उस रात क्या किया था जो जख्म ऐसे गायब हुआ जैसे था ही नहीं .

रूपा- जानते हो मुसाफिर , इस दुनिया में सबसे बड़ी कोई शक्ति है तो वो प्रेम है , ये प्रेम ही था जो वो जख्म मैं भर पायी. मुझे कुछ खास तरह की चिकित्सा करने का हुनर मिला है . मैंने बस सी दिया उस जख्म को

मैं- सच बताओ रूपा , मुझसे तो न छुपाओ .

रूपा- सच अपने आप में अजीब होता है मुसाफिर. दरअसल ये सामने वाले पर निर्भर करता है क्या सच है क्या झूठ, सब परिस्तिथिया होती है . पर चूँकि आज तुम जानना ही चाहते हो तो मुझे बताना हो गा, इसलिए नहीं की तुम्हे जानना है बल्कि इसलिए ताकि तुम्हारे और मेरे रिश्ते में जो विश्वास है वो बना रहे. मैंने तुम्हे अपनी खाल दी. तुम्हारे सीने का जख्म उतारना बड़ा जरुरी था . बेशक तुम्हे उस दर्द को झेलना होगा पर कम से कम मैं इतना ही कर सकती थी.

रूपा ने लालटेन की लौ को तेज कर दिया और मेरी तरफ पीठ करके अपना ब्लाउज उतार दिया. उसकी नंगी पीठ पर बड़ा घाव था . अन्दर का मांस तक झलक रहा था . मेरे लिए कितना कुछ कर गयी थी वो . आँखों से आंसू गिरने लगे. मैंने उसे बाँहों में भर लिया .

“तुझे ये करने की जरुरत नहीं थी मेरी जान ” रुंधे गले से मैंने कहा .

रूपा-मेरी खुशनसीबी है जो तेरे काम आ सकी.

रूपा ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए. और मुझसे लिपट गयी. उसके होंठो का दबाव मेरे होंठो पर जो पड़ा मैंने हलके से मुह खोला और वो दीवानों जैसे मुझे चूमने लगी.

हम दोनों की ही आँखों से आंसू गिर रहे थे पर ये ख़ुशी के आंसू थे उस ख़ुशी के जो हमारे रिश्ते की नींव रख रही थी . बड़ी देर बाद वो मुझसे अलग हुई.

रूपा- अब जा तू. रात बहुत हुई.

मैं- जाता हूँ , कब मिलेगी ये करार कर.

रूपा- जब तू चाहेगा

मैं- एक बात और

रूपा- मेरी माँ जादूगरनी थी , इसलिए मुझे ये चिकित्सा आती है .

मेरे बिना कहे ही रूपा ने कह दिया था . वैसे तो ये अनोखी बाट थी पर अब मुझे आदत सी हो चली थी .

मैं- फर्क नहीं पड़ता. मुझे उस नागिन का नाम जानना है .

रूपा- कुछ लोगो के नाम नहीं होते , बस दुनिया उन्हें अपने हिसाब से पुकार लेती है .

मैं- ठीक है चलता हूँ .

रूपा हमेशा की तरह मुझे देख कर मुस्कुराई. उसकी बड़ी बड़ी आँखों में जैसे दिल डूब गया मेरा. रात न जाने कितनी बीती कितनी बाकी थी . मैं गाँव की तरफ बढ़ रहा था . दिमाग में बस एक बात थी की कैसे भी करके उस नागिन से मुलाकात करनी है . उस से बाते करनी है . सोचते सोचते मैं घर तक आ पहुंचा. मैं दबे पाँव कमरे में जा ही रहा था की सरोज की आवाज से मेरे कदम रुक गए.

सरोज- तो फुर्सत मिल गयी घर आने की बरखुरदार

मैं-थोड़ी देर हो गयी .

सरोज- देर कहाँ हुई रात के दो ही तो बजे है और वैसे भी तुम्हे क्या कहना कबसे लापता हो याद भी है .

मैं- कुछ काम था .

सरोज- जानती हूँ तुम्हारा काम , जल्दी ही उस लड़की से शादी करवा दूंगी तुम्हारे, उसके बहाने ही सही घर पर तो रहोगे.

मैं- करतार सो गया .

सरोज- हाँ ,

मैं- चाचा.

सरोज- बाग़ में है , उनके कुछ दोस्त आये है तो वही दारू-मीट का प्रोग्राम है .

“और तुम्हारा क्या प्रोग्राम है ” मैंने सरोज की छाती पर नजर गडाते हुए कहा.

सरोज- मेरी कहाँ फ़िक्र है तुम्हे .

मैंने सरोज को उसी समय गोदी में उठा लिया और बोला- तुम्हारी ही फ़िक्र तो है मुझे. उसने अपनी बाहे मेरे गले में डाल दी और मैं उसे उसके कमरे में ले चला.
 

crystalcore.118

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kahani acchi ja rahi hain, roj naye naye twist dikhne ko mil raha hain. Ab toh kahi yeh bhi lagta hain ki woh nagin hero ki maa toh nahi, jo sarpmanav ko marne ke baad srapit ho gayi. Aur baba toh mujhe aghori lag raha hain. mahal ko gayab karna, sarp se batein karna etc etc, hero ka gurdian angel lag raha hain. jarur woh hero ko kisi mahan kaam ke liye taiyaar kar raha hain jo kahani ke aakhir me dekhne ko milega. bahut accha, keep up the good work.
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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kya baat hai roopa toh great nikli.. khal de di dev thik karne ke liye... us waqt kitni dard sahi usne par uff tak na ki . ishe kahte hai tyaag ....
.. aur wohi dusri taraf is tharki dev ko dekho... roopa k samne toh kaise rona dhona chaalu kar diya tha... par usse dur hote dekho kaise apne aukat pe aa gaya... yeh dev toh hawas ke chakkar mein hi marega... :D
Btw yeh budhau hi villain hai aur akhiri sach bhi yahin hai...
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
 
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