Update 36
“चलो, सब कैदी लोग नीचे उतरो।” - वापस जेल पहुँचते ही महिला सिपाही सेक्स के लिए भेजी गई सभी औरतो को वेन से नीचे उतारने लगी। सभी को नीचे उतारा गया और अपनी-अपनी सेल व बैरक में भेज दिया गया। बबिता को भी उसके वार्ड में तैनात लेडी काँस्टेबल्स के हवाले कर दिया गया जिन्होंने तुरंत ही उसे उसकी सेल में बंद कर दिया।
‘क्या हुआ मैडम जी। पाँच बज गए क्या? अभी तो सायरन भी नही बजा।’ - अंदर बंद एक कैदी औरत ने पूछा।
सेल के दरवाजे की आवाज से अंदर सो रही बाकी कैदियों की भी नींद खुल गई और वे लोग बबिता को देखने लगी। तभी एक औरत ने बबिता का मजाक उड़ाते हुए कहा - “अरे सो जाओ सो जाओ। कुछ नही हुआ। बबिता रानी डोज़ लेके आई है।”
इधर सोनू भी जाग चुकी थी और बबिता को देखते ही उसका हाथ थामकर उसके साथ नीचे बैठ गई।
“क्या हुआ बबिता आँटी? आप ठीक तो हो ना?” - सोनू ने पूछा।
‘हाँ सोनू। मैं ठीक हूँ।’ - बबिता ने जवाब दिया।
सोनू की हालत देखकर बबिता को समझ आ गया था कि रात भर सीनियरों ने उसे खूब परेशान किया होगा। उसने धीमी आवाज में सोनू से पूछा - “इन लोगो ने रात में बहुत परेशान किया क्या?”
सोनू - ‘नही नही आँटी। रात में तो किसी ने कुछ नही किया।’
बबिता - “मुझसे झूठ बोलके क्या फायदा सोनू। रहना तो यही है ना हमे।”
सोनू - ‘आँटी आप आई को कुछ मत बताना प्लीज। वो बहुत परेशान होगी।’
बबिता - “नही बताऊँगी सोनू। तुम मुझे बता…”
बबिता आगे कुछ बोल पाती, उससे पहले ही एक सीनियर कैदी उन पर चिल्लाते हुए बोली- ‘सो जाओ साली कमिनियो। साली खुद भी नही सो रही है और हमको भी नही सोने दे रही है।’
मजबूरन बबिता और सोनू को अपनी बातें खत्म करनी पड़ी और शांत रहना पड़ा। हालाँकि कुछ देर में ही सुबह के पाँच बज गए और कैदियों के जागने का समय हो गया। रोजाना की तरह ही महिला पुलिसकर्मी हाथो में डंडे लेकर कैदियों को उठाने के लिए वार्ड के भीतर घुस आई और उन पर पर चिल्लाने लगी। सायरन के बजते ही बबिता और सोनू अपनी सेल से बाहर आ गई और गोकुलधाम सोसायटी की बाकी औरतो के साथ शौचालय की लाइन में जाकर खड़ी हो गई।
वे सभी बबिता को लेकर चिंतित थी। रात भर उनके दिमाग मे अनेको ख्याल चल रहे थे। ना जाने बबिता के साथ क्या हुआ होगा? वह ठीक होगी या नही? क्या वह नेता उसके साथ जबरदस्ती करेगा? आदि। इस तरह के विचारों से उनका मन विचलित था लेकिन एक ऐसी बात उन सभी के मन मे घर कर गई थी जिसका डर उनके दिमाग मे हमेशा के लिए बैठ चुका था। उस रात बबिता की जगह पर उनमे से कोई भी हो सकती थी और हो सकता था कि आगे उनमे से किसी को भी सेक्स के लिए भेज दिया जाए। यह बात उन सभी को परेशान कर रही थी लेकिन जेल में यह बिल्कुल सामान्य बात थी। सेक्स के लिए भेजा जाना जेल में कैदियों के जीवन का एक हिस्सा था जिससे कोई औरत अपनी इच्छानुसार करती थी तो कोई अपनी मर्जी के खिलाफ लेकिन कोई भी इससे इंकार नही कर सकती थी।
“बबिता जी, आप ठीक हो?” - अंजली ने पूछा।
‘हाँ अंजली भाभी। I am absulutly fine.’ - बबिता ने जवाब दिया।
अंजली - “कल रात आपके साथ कोई जबरदस्ती तो नही हुई ना?”
बबिता - ‘नही नही अंजली भाभी। कोई जबरदस्ती नही हुई। लेकिन…’
कोमल - “लेकिन क्या बबिता?”
दया - ‘हाँ। बताइये बबिता जी। क्या हुआ रात को?’
बबिता - “मुझे उस नेता के साथ सोना पड़ा दया भाभी।”
कोमल - “सोना पड़ा? You mean sex?”
बबिता - ‘हाँ…”
यह सुनकर वे सभी थोड़ा चौंक गई लेकिन फिर अंजली ने उन्हें समझाते हुए कहा - “अरे आप लोग इतना चौक क्यूँ रहे है। वह नेता बबिता जी को सेक्स के लिए ही लेकर गया था तो वह उनके साथ सेक्स ही करेगा ना। हो सकता है कल को उनकी जगह हममे से कोई हो। कम से कम हमे यह तो पता चल गया है ना कि यहाँ सेक्स के लिए भी भेजा जाता है।”
रोशन - ‘हाँ अंजली भाभी। आप बिल्कुल सही कह रही हो।’
कोमल (बबिता से) - “लेकिन बबिता। तुमने उसे मना नही किया क्या?”
बबिता - ‘किया था कोमल भाभी। मगर वह जेलर को कॉल करने लगा। मैं बहुत डर गई थी।’
वे लोग बाते कर ही रही थी कि तभी उनकी शौचालय में जाने की बारी आ गई। वे सभी बारी-बारी से अंदर जाने लगी और फिर शौच के बाद दिनचर्या के कामो में व्यस्त हो गई। उनका वह दिन भी बाकी दिनों की तरह ही बिल्कुल नीरस और उबाऊ रहा।