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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Coquine_Guy

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इतने में एक आदमी केबिन में दाखिल हुआ और कामया और कामेश की ओर देखते हुए
- सर मेम वो भोला छत से नीचे गिर गया है बहुत चोट लगी है उसे हास्पिटल ले जा रहे है
कामेश- क्या छत से कैसे
- सर पता नहीं शायद पाइप पर से पैर फिसल गया होगा बच गया नीचे थर्ड फ्लोर में रेत के ऊपर गिरा
कामेश- हाँ हाँ … ले जाओ में भी आता हूँ मेम को छोड़ कर
कामेश जल्दी से कामया की ओर देखते हुए
कामेश- चलो तुम्हें शोरुम छोड़ दूं पता नहीं कैसे गिर गया में जरा हास्पिटल से हो आता हूँ
कामया- जी
वो चुप थी पर अंदर एक उथल पुथल मची हुई थी अगर भोला को कुछ हो गया तो कही ज्यादा चोट तो नहीं आई कामया को लिए कामेश शो रूम पहुँचा और पापाजी को भी भोला के गिरने की खबर बताया पापाजी भी चिंतित दिखे कामेश थोड़ी देर बाद ही शोरुम छोड़ कर हास्पिटल की ओर लपका

पापाजी के साथ कामया शोरुम पर ही रुकी मगर उसका मन कही और ही घूम रहा था कही भोला ने अगर कामेश को बता दिया तो फिर क्या होगा कामेश तो उससे मार ही डालेगा वो क्या करे कहाँ जाए आखिर क्यों गई वो छत पर और क्या जरूरत थी उसे उसे आहट के पीछे जाने की आखिर क्या जरूरत थी और गई भी थी तो चुपचाप चली आती वहां खड़े होकर देखने की क्या जरूरत थी अचानक ही उसके हाथ पाँव में एक अजीब सी सनसनी होने लगी थी वो अपने चेयर में बैठी बैठी शून्य को घूर रही थी और उस समय उसकी नज़रें कुछ अपने सामने होते हुए सा देख रही थी पापाजी अपने काम में लगे थे और उसकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था और कामया के शरीर पर होने वाली हरकत से भी अंजान थी और कामया के शरीर में एक अजीब सी सिहरनने जनम ले लिया था उसे रह रहकर वो सीन याद आरहा था क्या सीन था वो लड़की जो कि उसके सामने झुकी हुई थी कमर के नीचे से बिल्कुल नंगी थी और वो सांड़ भोला उसको पीछे से घुसाकर मजे ले रहा था उसे कोई डर नहीं था कि कोई आ जाएगा या फिर कोई देख लेगा सच में गुंडा है कामेश सच ही कह रहा था और तो और जब उसने भोला को देख लिया था तो तो डरता पर वो तो उसे ही खा जाने वाली नजर से देखता रहा था

वो बैठे बैठे एक बार फिर से सिहर उठी एक बार पापाजी की ओर देखा और फिर से ध्यान मग्न हो गई बहुत ही बदमाश है भोला डर नाम की कोई चीज उसमें है ही नहीं मालकिन है वो वो लड़की तो भाग गई थी डर के मारे पर भोला वो तो बल्कि उसकी ओर ही बढ़ रहा था और तो और उसने अपने को धमकाने की भी कोशिश नहीं की थी कितना बड़ा और मोटा सा था काले साँप की तरह एकदम सीधा खड़ा हुआ था किसी सहारे की भी ज़रूरत नहीं थी देख कैसे रहा था उसकी ओर जैसे वो उसकी कोई खेलने की चीज है

कामया का पूरा शरीर सनसना रहा था गुस्से में और कही कही कामुकता में उसे पता नहीं था पर जैसे ही उसका ध्यान उसके लिंग के बारे में पहुँचा वो अपने मुख से एक लंबी सांस छोड़ने से नहीं रुक पाई थी पापाजी की नजर एक बार उसकी ओर घूमी फिर से वो अपने काम में लग गए कामया भी फिर से अपनी सोच में डूब गई थी कितना बड़ा था उसका अपने हाथों से पकड़ने के बाद भी आधा उसके हाथों से बाहर की ओर निकला हुआ था काला लेकिन सामने की ओर लाल लाल था कामया की जांघे आपस में जुड़ गई थी उसके जाँघो के बीच में कुछ होने लगा था वो सोचने में ही मस्त थी

कैसे बढ़ते हुए वो अपने लिंग को झटके दे रहा था जैसे कि उसके साथ संभोग कर रहा था और कितना सारा वीर्य उसके लिंग से निकला था उसके ऊपर भी तो आया था अचानक ही उसने अपने पैरों के बीच में अपनी पैरों की उंगलियां चलाकर देखा हाँ चिप चिपा सा अब भी था कामया अब जैसे सोचते हुए फिर से वही पहुँच गई थी कितने अजीब तरीके से उसे देख रहा था जैसे कुछ माँग रहा था या फिर तकलीफ में था पर वो उसकी तरफ क्यों आ रहा था वो उसे क्यों पकड़ना चाहता था अच्छा ही हुआ कि उसने उसे धक्का मार दिया नहीं तो पता नहीं क्या होता कोई भी नहीं था वहां छत पर और उस सांड़ से लड़ने की हिम्मत उसमें तो नहीं थी

अच्छा हुआ कि गिर गया नहीं तो वो मर जाती उस औरत ने भी तो उसे देख लिया था पर वो थी कौन और कहाँ चली गई थी अरे हाँ … उसने इस बात पर तो ध्यान दिया ही नहीं अगर उस औरत ने ही बता दिया तो कि कामया मेडम छत पर थी मर गये अब कही कामेश को मालूम चल गया तो बाप रे अब क्या होगा अब कामया के चहरे पर परेशानी के भाव साफ-साफ देखने लगे थे और कही भोला मर गया तो तब तो पोलीस केस भी होगा और वो लाखा काका ने जो कहा था कि उसके पास एक वीडियो भी है तब वो क्या करेगी और कही भोला ने ही पोलीस को सब बता दिया तो तो तो उसकी इज़्ज़त तो गई और इस घर से भी गई
वो बहुत चिंतित हो उठी नहीं नहीं भोला को कुछ नहीं होगा और ना ही वो किसी को कुछ बताएगा वो जानती थी क्योंकी अगर उसे बताना होता तो क्या वो कामेश या पापाजी को अभी तक नहीं बता दिया होता बिकुल ठीक पर वो चाहता क्या है नहीं उसके सामने पड़ता है और नहीं कभी कोई इशारा ही किया उसने वो तो कई बार कॉंप्लेक्स के काम से गई थी पर हमेशा वो कही ना कही काम से ही फँसा रहता था और जब भी उसके सामने आया तो नजर बिल्कुल जमीन पर गढ़ाए हुए ही रहता था उसके दिल में जरूर कुछ है पता नहीं क्या पर अभी तो कामेश गया है पता नहीं क्या खबर लाता है वो चाहती थी कि एक बार फोन करके पता करे पर हिम्मत नहीं हुई पर उसे देखकर स्पष्ट कहा जा सकता था कि वो परेशान है आखिर पापाजी से नहीं रहा गया
पापाजी-क्या बात है बहू कुछ परेशान हो
कामया- जी जी नहीं बस
पापाजी- अरे कन्स्ट्रक्षन साइट में यह सब होता ही रहता है और कामेश तो गया है तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा
कामया- जी
पर कामया को कहाँ चैन था उसे तो इस बात की चिंता थी कि भोला कुछ उगल ना दे कही उसके बारे में किसी को बता ना दे और तो और वो औरत कौन थी जिसे उसने भोला के साथ देखा था वो भी तो बता सकती है मन में हलचल लिए कामया कामेश के इंतेजार में दोपहर से शाम और फिर रात तक बैठी रही पर कामेश का कही पता नहीं था वो पापाजी के साथ ही घर भी आ गई घर पहुँचकर ही उसने पापाजी को ही कहा कि फोन करे
पापाजी ने ही उसके सामने फोन किया
कामेश- जी
पापाजी- क्या हुआ बड़ी देर लग गई तुझे
कामेश- जी कुछ नहीं सब ठीक है निकल गया हूँ आता हूँ
पापाजी ने फोन काट कर कामया को बताया कि कोई चिंता की बात नहीं है कामेश भी घर पहुँचता ही होगा
कामया अपने कमरे में जाने से डर रही थी क्यों पता नहीं वो वही पापाजी के सामने खड़ी रही
पापाजी- अरे क्या हु आ
कामया- जी कुछ नहीं
पापाजी- अरे जाओ प्रेश हो जाओ कामेश भी आता होगा चल कर खाना खाते है
कामया ना चाहते हुए भी जल्दी से अपने कमरे की ओर लपकी और फ्रेश हो ही रही थी कि कामेश की गाड़ी की आवाज आई वो थोड़ा सा डरी पर खुद पर काबू रखकर कामेश का इंतेजार करती रही
कामेश के कमरे में घुसते ही वो कामेश के सामने एक प्रश्न सूचक चेहरा लिए खड़ी मिली
कामेश- बच गया अगर नीचे रेत नहीं होती ना मर ही जाता
कामया- हाँ … क्या हुआ है
कामेश कुछ नहीं थोड़ा बहुत ही चोट है असल में गिरा ऊपर से ना इसलिए थोड़ा बहुत अन्द्रूनि चोट है ठीक हो जाएगा दो एक दिन लगेंगे
कामया- अभी कहाँ है हास्पिटल में या
कामेश- अरे हास्पिटल में ही है पोलीस भी आई थी आक्सिडेंटल केस है ना इसलिए
कामया- पोलीस क्यों
कामेश - , अरे तो नहीं आएगी क्या आक्सिडेंटल केस में आती ही है गवाही के लिए
कामया- क्या गवाही
कामेश- अरे यार गिरा कैसे कौन था वहाँ और बहुत कुछ पूछा उससे
कामया की तो जैसे जान ही निकल गई थी गला सुख गया था थूक निगलते हुए पूछा
कामया- तो क्या बताया
कामेश तब तक अपने कपड़े चेंज करते हुए बाथरूम में घुस गया था बड़ा ही कषुयल था पर कामया की जान तो जैसे जाने ही वाली थी अगर उसने पोलीस को बता दिया कि उसने उसे धक्का दिया था तो
कामया को चैन नहीं था बाथरूम के बाहर ही खड़े होकर फिर से चिल्लाकर पूछा
कामया- क्यों बताया नहीं क्या बताया
कामेश की अंदर से आवाज आई
कामेश- अरे यार मुझे नहीं पता अरे बाहर तो आने दो

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Ketta

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अप date next, please bro

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Coquine_Guy

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कामया की सांसें अब भी अटकी हुई थी बाथरूम का दरवाजा खुलने की राह देखते हुए वो वही बेड पर बैठी रही क्या यार कहाँ फस गई जब देखो तब वो कही ना कही फस जाती है कुछ दिनों पहले वो लाखा और भीमा के साथ फस गई थी और अब भोला
किसी तरह से अपने को उन लोगों से अलग करके अपने को बचाया था पर अब भोला तो क्या वो कभी भी ईमानदारी से जी नहीं सकती हमेशा ही उसे कॉंप्रमाइज करते रहना पड़ेगा अगर वो भोला को धक्का नहीं देती तो क्या वो गिरता और अगर वो उसे धक्का नहीं देती तो वो तो उसे पकड़ लेता और फिर उूउउफफ्फ़ क्या स्थिति में फस गई थी कामया गुस्से के साथ-साथ उसे रोना भी आ रहा था पर करे क्या क्या लाखा या फिर भीमा उसकी मदद कर सकते है इस बारे में अगर वो थोड़ा सा रिक्वेस्ट करके उनसे कहे कि भोला को धमकी दे-दे की चुप रहे किसी को कुछ ना कहे तो कैसा रहे
लाखा ने तो कहा ही था भोला उनसे डरता है हाँ यह ठीक रहेगा पर कहेगी कब वो तो अब पापाजी के साथ ही आती जाती है या फिर कामेश के साथ और तो और वो तो आज कल ना तो भोला की ओर ही देखती है और नहीं भीमा की ओर
पर इस स्थिति से निकलने के लिए तो इन दोनों से अच्छा कोई नहीं है पर अचानक ही उसके दिमाग में एक ख्याल आया पर इन लोगों को कहेगी क्या कि क्या नहीं बोलना है या क्यों धमकी देना है भोला को वो कुछ सोच नहीं पा रही थी तभी कामेश भी बाथरूम से निकल आया और दोनों नीचे डिनर के लिए चले गये पापाजी के साथ डाइनिंग टेबल पर जब बैठे तो
पापाजी- कैसा है
कामेश- हाँ ठीक है चोट ज्यादा नहीं है ठीक हो जाएगा
पापाजी- कहाँ है सरकारी हास्पिटल में
कामेश- हाँ … पोलीस केस हुआ है ना इसलिए कल या फिर परसो प्राइवेट में ले आएँगे
पापाजी- ठीक है पर देखना कुछ ज्यादा गड़बड़ ना हो जा ए
कामेश- नहीं नहीं वैसा कुछ नहीं है एक्सीडेंटल केस है ना इसलिए पोलीस आई थी नहीं तो प्राइवेट हास्पिटल में ही अड्मिट करता
पापाजी- अच्छा ठीक है वो धरम पाल जी का फोन आया था कह रहे थे बॉम्बे जाना है कुछ एक्सपोर्टेर आ रहे है बात कर लेना
कामेश- जी कब आ रहे है
पापाजी- पता नहीं तू ही बात कर लेना
कामेश- हाँ … यह प्राब्लम तो ठीक हो पहले
पापाजी- पर वो गिरा कैसे
कामया जो कि अब तक दोनों की बातें सुन रही थी और खाने में व्यस्त थी अचानक ही रुक गई और कामेश की ओर देखती हुई चुप हो गई
कामेश- पता नहीं कह रहा था कि पैर फिसल गया था और कुछ नहीं बताया पोलीस भी ब्यान लिख कर ले गई
पापाजी- वो तो इतना बुद्धू नहीं है इतने दिनों से काम कर रहा है उसका पैर फिसल गया पता नहीं नशे में था क्या
कामेश- अरे नहीं वो काम के समय नहीं पीता मुझे पता है
पापाजी- हाँ तुझे तो सब पता रहता है बड़ा ही विस्वास पात्र है तेरा
कामेश- अरे पापा एक बात तो है बड़ा ही स्मार्ट है पढ़ा लिखा नहीं है पर एक बार जो समझा दिया वो कभी नहीं भूलता मुझे तो विस्वास है अब उसे वहां से हटा लूँगा
पापाजी- क्यों वहां क्या हुआ
कामेश - नहीं ऐसा कुछ नहीं पर वो शोरुम में ठीक है और जब कॉंप्लेक्स बन जाएगा तब उसे सेक्योंरिटी का इचार्ज बना दूँग ा
पापाजी- जैसा तेरा मन ठीक है पर ध्यान रखना
कामेश- जी
और सभी खाने के बाद उठकर अपने-अपने कमरे में चले गये पर कामया के दिमाग में एक बात घर कर गई थी आखिर क्यों भोला ने यह बात कही कि वो पैर फिसलने से गिरा था आखिर उसने उसका नाम क्यों नहीं लिया
क्यों उसने इस तरह से उसे बचाया पहले भी उसने लाखा को जब बताया था कि उसने कामया को उसके साथ देख लिया है तब भी उसने किसी से इस बात की चर्चा नहीं की आख़िर क्या बात है भोला क्यों उसके साथ इस तरह का वर्ताब कर रहा है आखिर वो चाहता क्या है उसके मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे कमरे में वो यही सोचते हुए बिस्तर पर अपनी जगह लेट गई थी कामेश भी उसके पास लेटा था पर कामया वहां होते हुए भी कहीं और थी
उसके मन में ढेर सारे सवालों के बीच में वो घिरी हुई अपने आपसे उत्तर ढूँडने की कोशिश करती रही पर उसे कोई जबाब नहीं मिला तभी कामेश के नजदीक आने से से और उसे कस कर पकड़ लेने से उसकी सोचने में ब्रेक लग गया
कामेश कामया को पीछे से पकड़कर अपने हथेलियों से उसके चूचियां धीरे धीरे गाउनके ऊपर से ही दबाने लगा था और उसके गले पर अपनी जीब फेरने लगा था
कामया- उूुउउफफ्फ़ हमम्म्म आज नहीं प्लीज
कामेश- क्यों
कामया- मन नहीं कर रहा
कामेश- बाप रे तुम्हारा मन नहीं कर रहा
बड़े ही आश्चर्य से कामेश ने कामया के चेहरे को अपनी ओर घुमाकर पूछा कामया को अचानक ही पता नहीं क्यों एक चिड सी लगी
कामया- क्यों मेरा मन नहीं है तो इसमें बापरे का क्या
कामेश- हाँ … हाँ … ही ही अरे यार भूत के मुख से राम नाम पहली बार सुन रहा हूँ
कामया- छोड़िए मुझे में भूत ही हूँ

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पर कामेश जानता था कि कामया को क्या चाहिए उसने फिर से कामया को पीछे से जकड़कर अपनी बाहों में भर लिया और उसके गर्दन और गले पर किस कने लगा था और अपनी हथेलियो को उसकी चुचियों पर बारी बारी से घुमाने लगा था अपने लिंग को भी कामया के नितंबों पर रगड़कर अपनी उत्तेजना को प्रदर्शित कर रहा था
कामया जो कि अपनी सोच से निकलना नहीं चाहती थी पर कामेश की हरकतों से वो भी थोड़ा थोड़ा उत्तेजित होने लगी थी
कामेश- इधर घुमो हाँ … और अपने होंठ दो ,
कामया भी बिना ना नुकार के कामेश की ओर पलट गई और अपने होंठों को कामेश को सोप दिया कामेश उसके होंठों को पीता गया और अपने हाथों से उसके गाउनको सामने से खोलकर अपने हाथों को उसके गोल गोल उभारों पर रख कर उनके साइज का सर्वे करने लगा था
कामया- हमम्म्म कहा ना मन नहीं है
कामेश- बस थोड़ी देर हाँ … बस लेटी रहो बाकी में कर लूँगा आज
कामया- प्लीज ना आज नहीं
पर उसके मना करने के तरीके से पता चलता था कि वो चाहती तो थी पर क्यों मना कर रही थी पता नहीं उसके हाथ अब कामेश के सिर और पीठ पर घूमने लगे थे
कामेश- रूको थोड़ी देर बस
कामया- उूउउम्म्म्ममममम ईईईईईईीीइसस्स्स्स्स्सस् स
करती हुई धीरे-धीरे कामेश का साथ देने लगी थी कामेश के किस करने में आज कुछ अलग था वो आज बहुत ही तरीके से किस कर रहा था जोर लगा के उसके पूरे होंठों को अपने मुख के अंदर तक चूसकर घुसा लेता था और फिर अपनी जीब को भी उसके मुख के अंदर तक घुसा ले जाता था उसके हाथ अब थोड़े रफ हो गये थे
उसकी चूचियां खूब जोर-जोर से दबाते जा रहे थे कि तभी कामेश कामया के ऊपर से थोड़ा सा हटा और अपने पाजामे को नीचे की ओर सरका दिया और कामया के हाथ को पकड़कर अपने लिंग पर रखने लगा
कामेश- पकडो इसे
कामया ने कोई ना नुकर नहीं की और झट से उसके लिंग को अपनी कोमल हथेलियो में जकड़ लिया और कामेश को रिटर्न किस करने लगी
कामेश का लिंग टाइट हो चुका था पर अचानक ही उसकी आखों के सामने वो एक मोटा सा और लंबा सा लिंग घूम गया भोला का काले रंग की वो आकृति उसके जेहन में एक अजीब सी उथल पुथल मचा रही थी कसी हुई जाँघो के सामने से झूलता हुआ वो लिंग उसके मन में अंदर तक उसे हिलाकर रख दिया उसकी हथेलिया कामेश के लिंग पर बहुत कस गई और वो कामेश को किस करती हुई उसके लिंग को जैसे निचोड़ने लगी थी कामेश को भी अचानक ही हुए कामया की हरकतों में बदलाव से बेचैनी होने लगी थी वो थोड़ा सा उठा और कामया की जाँघो के बीच से एक ही झटके में उसकी पैंटी को उतार फेका और झट से उसकी योनि में समा गया


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कामया भी जैसे तैयार ही थी अंदर जाते ही कामया फिर से एक सेक्स मेनिक बन गई थी अपनी कमर को उछाल कर बहुत ही तेजी से कामेश का साथ देने लगी थी वो जानती थी कि कामेश ज्यादा देर का मेहमान नहीं है पर ना जाने क्यों वो आज बहुत ही कामुक हो उठी थी शायद उसकी बजाह थी वो आकृति जो उसके जेहन में अचानक ही उठ गई थी भोला का सर्पाकार काले और मोटे लिंग की आकृति उसकी माँस पेशियाँ और उसका वो गठीला कद काठी और खा जाने वाली नजर वो अपनी आखों के सामने उस इंसान की याद करके अपने पति का साथ दे रही थी पता नहीं क्यों वो आज कामेश से पहले ही झड गई और एक ठंडी लाश की तरह से कामेश की बाहों में लटक ग ई
कामेश भी खुश था कि आज वो कामया को संतुष्ट कर सका और अपनी रफ़्तार को बढ़ाए हुए कामया को अब भी भोग रहा था और बहुत ही जोर-जोर से कामया को लगातार किस करता जा रहा था
कामेश- क्यों क्या हुआ आज तो मन नहीं था अन्नाअनाआआआआआआआआआआ हमम्म्मममममममममम म
हान्फते हुए कामेश भी कामया के ऊपर ढेर हो गया
 
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kranjhe

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what a story... kamaal ke hein... afsos aur aage nehi padha... thank you bhai for sharing this story
 

Coquine_Guy

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कामया कामेश के नीचे लेटी हुई अपने हाथों से कामेश के बालों को धीरे-धीरे सहलाते हुए कामेश को अपनी बाहों में धीरे से कस्ती जा रही थी जैसे वो नहीं चाहती थी कि कामेश उसके ऊपर से हटे पर अंदर की ओर देखती हुई वो भोला के बारे में सोचने को मजबूर हो रही थी क्यों सोच रही थी वो पर ना जाने क्यों बार-बार उसके जेहन में उस समय का सीन उभरकर आ जाता था उस औरत का और पीछे की ओर से भोला को आगे पीछे होते हुए देखा था उसने वो औरत चिल्ला भी नहीं रही थी यानी कि उसे मजा आ रहा था वो उसका साथ दे रही थी उस सांड़ का उस हबसी का और वो भी दिन के उजाले में छत पर आखिर क्यों

वो औरत कौन थी और भोला के साथ वहां कैसे पहुँची क्या वो औरत उनके यहां ही काम करती है या कौन है पर भोला को मना भी कर सकती थी ऐसा क्या हुआ जो वो छत पर जाके यह सब करना पड़ा इतनी उत्तेजना किसकाम की
पता नहीं सोचते सोचते कब वो सो गई पर रात भर उसके सपने में वो सीन उसके शरीर में एक अजीब सी उत्तेजना को हवा देता रहा और जब वो सुबह उठी तो उसकी उत्तेजना वैसे ही थी जैसे रात को थी वो पलटी और कामेश की ओर घूमी पर कामेश तो उठ चुका था और शायद नीचे भी चला गया था बाथरूम भी खाली था वो भी जल्दी से उठी और चाय पीने को नीचे आई फिर तो कुछ भी पासिबल नहीं था जल्दी-जल्दी से कामेश और कामया तैयार होकर कॉंप्लेक्स फिर शोरुम और फिर शाम और पूरा दिन यू ही निकल गया रात को भी कुछ ज्यादा बदलाब नहीं हाँ … एक बदलाब जरूर था कामेश अब ज्यादा ही कामया को प्यार करने लगा था रोज रात को कामेश खुद ही कामया को पकड़कर निचोड़ने लगा था और कामया भी उसका साथ देने लगी थी पर एक बदलाब जो कि कामया के जीवन में आ गया था वो था कॉंप्लेक्स में देखा गया वो सीन जो हमेशा ही उसके जेहन में छाया रहता था और उसे उत्तेजित करता रहता था शायद इसीलिए अब हमेशा कामेश की जीत होती थी और कामया की हार पर कामेश खुश था और कामया भी लेकिन कामया थोड़ा सा आब्सेंट माइंडेड हो गई थी वो हमेशा ही कुछ ना कुछ सोचती रहती थी

क्या वो तो कामया के आलवा कोई नहीं जानता था कि उसके जीवन में जो एक उथल पुथल मचने वाली है यह उसके पहले की शांति है यह कामया भी नहीं जानती थी कि जिस अतीत को को वो भुलाकर एक पति व्रता स्त्री का जीवन निभा रही है वो कहाँ तार तार हो जाएगा जिस मेनिक को उसने अपने अंदर दबा रखा था वो खुलकर बाहर आ जाएगा और वो एक सेक्स मशीन में फिर से तब्दील हो जाएगी इसी तरह तीन दिन निकल गये
आज भी हमेशा की तरह कॉंप्लेक्स का काम खतम करके कामेश और कामया शोरुम की ओर जा रहे थे कि रास्ते में अचानक ही
कामेश- सुनो कल शायद मुझे बाहर जाना पड़ेगा
कामया- क्यों कहाँ
कामेश- बॉम्बे कुछ एक्षपोटेर आने वाले है उनसे मिलना है और धरम पाल जी कह रहे थे कि कुछ नये डीलर्स भी ढूँढने पड़ेंगे
कामया- तो
कामेश- तो क्या अब तो तुम ने काफी काम देख भी लिया है और समझ भी चुकी हो थोड़ा बहुत तुम देख लेना और थोड़ा बहुत पापाजी भी मदद कर देंगे
कामया- हाँ … पर कितने दिन के लिए
गाड़ी चलाते हुए
कामेश- पता नहीं , जल्दी नहीं करूँगा एक बार में ही फिक्स करके आउन्गा
कामया- हाँ पर जल्दी आ जाना में और पापा जी ही है घर में मम्मीजी भी नहीं है
कामेश- हाँ वो तो है पर चिंता मत करो भीमा और लाखा है ना उनके रहते कोई चिंता नहीं है
कामया- भी चुपचाप कामेश को देखती रही
कामेश- चलो यहां से जा रहे है तो भोला को भी देखते चलते है शायद आज या कल में उसकी भी छुट्टी हो जाएगी
कामया एकदम से सिहर उठी पता नहीं क्यों उसके शरीर में हजारो चीटियाँ एक साथ रेंगने लगी थी वो वाइंड स्क्रीन के बाहर देख तो रही थी पर जाने क्यों पलटकर कामेश की ओर नहीं देख पाई फिर भी बड़ी हिम्मत करके
कामया- अभी शोरुम जाना नहीं है
कामेश- अरे रास्ते में है देखते चलते है और फिर कल बाहर चला जाऊँगा तो टाइम नहीं मिलेगा और अगर आज कल में छुट्टी दे देते है तो बिल वगेरा भी भर देता हूँ और कहता हुआ गाड़ी दूसरी ओर जहां हास्पिटल था मुड़ गई कामया को जाने क्या हो गया था उसके सामने फिर से वही दृश्य घूमने लगा था वो धीरे धीरे अपनी सांसों को बढ़ने से नहीं रोक पा रही थी वो नहीं जानती थी कि ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा था पर वो मजबूर थी वो नहीं चाहते हुए भी अपनी सांसों को कंट्रोल में नहीं रख पा रही थी एक उत्तेजना के असीम सागर में गोते लगाने लगी थी उसके जाँघो के बीच में गीलापन उसे परेशान कने लगा था उसकी सोच टूटी तो वो एक छोटे से हास्पिटल के सामने खड़े थे बहुत बड़ा नहीं था पर सॉफ सुथरा था

सीडिया चढ़ते हुए वो कामेश के पीछे-पीछे ऊपर आ गई ड्रेस पहने हुए नर्स और कुछ ट्रेनी डाक्टर्स घूम रहे थे कामेश और कामया को देखकर वहां खड़े हुए कुछ लोगों ने उन्हें नमस्कार भी किया कामेश को तो शायद वहां के लोग पहचानते ही थे नहीं पहचानते थे तो सभी की निगाहे कामया पर अटक गई थी

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टाइट चूड़ीदार पहने हुए पोनी टेल किए हुए बाल लाइट येल्लो कलर का उसमें मेरूँ और ब्लू कलर के चीते लिए हुए कुर्ते में उसका जिस्म एक अद्भुत सा लग रहा था टाइटनेस के कारण उसके शरीर का हर अंग कपड़े के बाहर से ही दिख रहा था और हाइ हील की सँडल के कारण उसका प्रिस्ट भाग भी उभरकर कुछ ज्यादा ही पीछे की ओर निकला हुआ था
कामया को इस तरह की नजर की आदत थी वो जहां भी जाती थी सभी का ध्यान अपनी ओर ही खींच लेती थी सो वो एक बार फिर से अपने होंठों में एक मधुर सी मुश्कान लिए कामेश के पीछे-पीछे जाने लगी थी कामेश ने थोड़ा सा आगे बढ़ कर एक कमरे का दरवाजा खोला अंदर दो तीन बेड पड़े हुए थे एक खाली था और दो भरे हुए थे

कामेश अंदर चला गया और कामया बाहर ही रुक गई अंदर जाने की हिम्मत नहीं हुई दरवाजा बंद होने से पहले उसे कामेश की आवाज़ सुनाई दी
कामेश- भोला कैसे हो
भोला- जी भैया ठीक हूँ कल छोड़ देंगे भोला है
कामेश- कल क्यों आज क्यों नहीं
और दरवाजा बंद हो गया पर थोड़ी देर बाद फिर से दरवाजा खुला और
कामेश- अरे आओ ना रुक क्यों गई और कामया का हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया
कामया लगभग लरखड़ाती हुई सी अंदर कमरे में चली गई डोर के साइड वाली बेड पर कोई लेटा था और उसके साइड से ही भोला का बेड भी था
कामया को देखते ही भोला उठने की कोशिश करने लगा
कामेश- अरे लेटा रह उठ मत
भोला- नमस्ते मेम साह ब
कामया- नमस्ते
और अपनी नजर भोला से बचा कर साइड में पड़े हुए उस आदमी की ओर देखने लगी थी वो सिकुड़ कर सोया हुआ था शायद ठंड लग रही थी कंबल ओढ़े हुए हाथ पैर सिकोडे सोया था कामया कामेश के पास खड़ी हुई इधा उधर देखती हुई अपने आपको सहज करने की कोशिश में लगी थी पर जाने क्यों वो अपनी सांसों को तेज होते हुए पा रही थी यह वही राक्षस था जो उस दिन उसके सामने ही दोपहर को छत पर एक औरत के साथ ची ची क्या सोचने लगी थी वो पर एक बात तो थी कामया नजर चुरा कर भोला को एक बार देख जरूर लेती थी कामेश हँस हँस कर उससे बातें कर रहा था और भोला भी इतने में बाहर से सिस्टर आई और भोला को एक इंजेक्षन लगाने लगी भोला ने अपनी बाँह बाहर निकाली और सिस्टर को उसे इंजेक्षन लगाने में कोई दिक्कत नहीं हुई कामया ने एक बार भोला को देखा जैसे उसे कोई फरक ही नहीं पड़ा था वो एकटक कामया की ओर देख रहा था कामया थोड़ा सा झेप गई थी और कामेश को इशारा करने लगी पर सिस्टर की आवाज ने उसे चौका दिया

सिस्टर- सर वो आज या कल सुबह डाक्टेर साहब से मिल लीजिएगा
कामेश- क्यों
सिस्टर- जी सर वो डाक्टेर साहब ने ही कहा है
कामेश- हाँ … कल तो नहीं होगा अभी है क्या
सिस्टर- जी है तो

कामेश- तो चलो अभी मिल लेते है (और कामया की ओर देखते हुए कहा) तुम रूको में अभी आता हूँ

जब तक कामया कुछ कहती तब तक तो वो सिस्टर के साथ बाहर हो चुका था कामेश को भी बड़ी जल्दी रहती है सुन तो लेता कमरे में उसे बड़ा ही आजीब सा लग रहा था वो अब भी भोला के बेड के पास खड़ी हुई थी और उसकी ओर ना देखते हुए साइड में खिड़की की ओर देख रही थी उसे बड़ा ही अजीब सा एहसास धीरे-धीरे उसके पूरे शरीर में छाने लगा था वो बार-बार अपने हाथों से अपनी कलाईयों से लेकर बाहों तक एक हाथ से सहलाते जा रही थी कुछ परेशान भी थी भोला उसके सामने ही बेड पर लेटा हुआ था और शायद उसी की ओर ही देख रहा था पर कामया में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो भी भोला की ओर देख सके वो तो यहां से निकल जाना चाहती थी जल्दी से बस उसे कामेश का ही इंतेजार था
पर कामेश को गये अभी तो बस एक मिनट ही हुआ होगा और इतने देर में ही कामया के सारे शरीर में एक अजीब सी उथल पुथाल मच गई थी वो बार-बार सिहर उठ-ती थी चहरे के एक्सप्रेशन को देखकर साफ लगा रहा था बड़ी ही संभाल कर अपनी सांसें छोड़ रही है इतने में
भोला- कैसी है मेमसाहब
 

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कामया- हाँ … ठीक हूँ हमम्म्ममम सस्स्स्श ह
उसके मुख और नाक से एक अजीब सी सिसकारी भरे शब्द निकले वो नीचे भोला की ओर देखा जी कि एकटक उसकी ओर ही देख रहा था बड़े ही तरीके से और बड़े ही प्यार से
भोला- आप नाराज है हम से
कामया- नहीं क्यों
भोला- जी उस दिन
कामया- चुप रहो
उसके आवाज़ में गुस्सा था शायद बाहर भी चली जाती अगर वो कुछ ऐसा नहीं करता तो अचानक ही भोला की हथेली उसकी गोरी और नाजुक कलाई को अपनी सख्त गिरफ़्त में ले चुकी थी छुरियो के ऊपर से ही कामया का पूरा शरीर एकदम से सनसना गया था वो भोला की ओर डर के मारे देखती रही
कामया- छोड़ो मुझे क्या कर रहे हो पागल हो क्या
गुस्सा और बहुत ही धीरे उसके मुख से यह बात निकली वो नहीं चाहती थी कि पास में सोए हुए उस आदमी को कुछ पता चले कामया की पीठ दरवाजे की ओर थी सो एक बार अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश करती हुई उसने पलटकर भी देखा पर दरवाजा बंद था
कामया- प्लीज छोड़ो
भोला- छोड़ दूँगा मेमसाहब पहले जोर लगाना छोड़िए नहीं तो नहीं छोड़ूँगा
कामया का शरीर ढीला पड़ गया उसने जोर लगाना छोड़ दिया पर अपने दूसरे हाथों से उसकी उंगलियों को अपने कलाई से ढीलाकरने की कोशिश करती जा रही थी
कामया- प्लीज कामेश आ जाएगा प्लीज
उसकी आवाज में रुआंसी होने का साफ संकेत था वो उसकी गिरफ़्त से अपने को छुड़ाने में असमर्थ थी
भोला- मेमसाहब मैंने किसी को भी नहीं बताया कि आपने ही मुझे धक्का दिया था
कामया- ठीक है पर मुझे छोड़ो नहीं तो में चिल्ला दूँगी
भोला- चिल्लाओ मेमसाहब में भी बोल दूँगा कि मेमसाहब ने ही मुझे धक्का दिया था
कामया- प्लीज ईई अच्छा किया था तुम्हें धक्का दिया
भोला- क्यों मेमसाहब हमें जीने का हक नहीं है क्या गरीब है इसलिए
कामया- प्लीज ईयीई मेरा हाथ छोड़ो पहले
भोला- नहीं आपने मेरा जीवन खराब कर दिया है पागल हो गया हूँ में पता नहीं क्या-क्या करता जा रहा हूँ शायद कभी किसी दिन किसी का खून भी कर दूं
अचानक ही भोला की आवाज कुछ सख्त हो गई थी और थोड़ा उची आवाज में भी बोला
कामया एकदम से सन्नाटे में रह गई वो अभी अपना हाथ उसकी हथेलियो से छुड़ाना चाहती थी पर वो भोला को देख रही थी कुछ अजीब तरीके से उसने उसका जीवन खराब कर दिया कैसे
कामया- मैंने खराब कर दिया कुछ भी बोलागे तुम , , अब उसके चहरे में भी गुस्सा था और आवाज में सख़्त पन था पर धीमे थी
भोला- जी हाँ … आपने जब से मैंने आपको देखा है में पागल सा हो गया हूँ और तो और जब मैंने आपको लाखा काका के घर में जाते हुए देखा था तब से और तभी से जब भी आपको देखता हूँ में पागल हो जाता हूँ छुप छुप कर सिर्फ़ आपको देखता रहता हूँ दिन भर पागलो के समान घूमता हूँ ना जाने कितनी ही औरतों के साथ मैंने किया पर मेमसाहब
आपको नहीं भुला पाया
भोला की आवाज में अचानक ही तेजी के बाद नर्मी आ गई थी वो शायद उससे मिन्नत कर रहा था भोला के मुख से निकली हर बात उसके जेहन में किसी तीर के माफिक उतरगई थी अब उसकी छूटने की कोशिश कुछ ढीली पड़ गई थी
भोला- तब भी मैने किसी को कुछ नहीं कहा था मेमसाहब और जब जान भी गवाने वाला था तब भी मेमसाब किसी से कुछ नहीं कहा शायद में आपसे कभी भी नहीं कहता पर क्या करू मेमसाहब इतने पास खड़ी हुई है आप कि आपकी खुशबू से ही में पागल हो गया हूँ
कामया - चुपचाप खड़ी हुई कभी पीछे की ओर तो कभी उस आदमी की ओर देख रही थी और कभी भोला की आखों में उसे भोला की आखों में एक विनती और नर्मी देखने को मिली शायद बहुत तकलीफ में था
कामया- प्लीज भोला मुझे छोड़ दो कामेश आ जाएगा उसकी आवाज में धमकी नहीं थी मिंन्नत थी
भोला- में क्या करू मेम्साब क्या करू पागल कर देती हो आप देखो क्या हाल है मेरा
और अपने दूसरे हाथ से कंबल को हटा कर दिखाया सीने में और उसके नीचे बहुत सी खरोंचो के निशान थे कुछ गहरे तो कुछ सुख गये थे काले बालों के झुंड में उसके बलशाली शरीर का एक नमूना उसके सामने था छाती के दोनों तरफ उसकी चूची के समान उसका सीना फूला हुआ था ठोस था बिल्कुल पत्थर की तरह
भोला- देखा मेमसाहब और क्या दिखाऊ मर जाता तो आपको कभी भी नहीं बताता पर क्या करू मेमसाहब शायद बहुत पाप किया है इसलिए इतनी तकलीफ के बाद भी जिंदा हूँ
कामया- नहीं भोला तुम ठीक हो जाओगे अब प्लीज छोड़ दो मुझे कामेश आ गये तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी प्लीज
कामया बड़े ही तरीके से भोला से गुजारिश कर रही थी वो जानती थी कि जब तक भोला नहीं छोड़ेगा वो उसकी चुगल से नहीं छूट पाएगी
भोला- छोड़ दूँगा मेमसाहब मुझे भी चिंता है पर में क्या करू बताइए इसका क्या करूँ
और बिना किसी संघर्ष के ही उसने कामया के हाथ को नीचे कंबल में घुसाकर अपने लिंग के पास ले गया
कामया जब तक समझती तब तक तो सबकुछ हो चुका था उसकी हथेलियो में उसका गरम सा लिंग टच होने लगा था कामया की सांसें रुक गई थी और अपने आपको खींचकर जब तक वो संभालती तब तक तो भोला उसकी हथेली में अपने लिंग को घिसने लगा था
कामया- क्या कर रहे हो ह्म्म्म्ममममह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह कोई आआआआजाएगा आआआआआआआ अ
भोला- नहीं मेमेसाहब बस थोड़ा सा पकड़ लीजिए प्लीज ईई ई
कामया- नहीं प्लीज ईईईईईईईईई छोड़ो
भोला - छोड़ दूँगा मेमसाहब पर थोड़ी देर को ही मेमसाहब प्लीज़ नहीं तो मर जाऊँगा
कामया के हाथ के चारो ओर उसका लिंग झटके से टकरा रहा था बहुत ही गरम था बड़ा था पर वो अपने हाथों को उससे बचाने की कोशिश में थी पर भोला उसे अपने लिंग को पकड़ाना चाहता था पर वो बच रही थी
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भोला- अब मेमसाहब आप ही देर कर रही है एक बार पकड़ लीजिए ना प्लीज नहीं तो भैया आ जाएँगे जल्दी
कामेश के आ जाने के डर से कामया ने झट से उसके लिंग को कंबल के नीचे ही अपनी कोमल हथेली में कस कर पकड़ लिया पर भोला का लिंग इतना मोटा था कि उसकी हथेली भी उसके आकार को पूरा नहीं घेर सकी गरम-गरम लिंग के हाथों में आते ही कामया के शरीर में एक सनसना देने वाली सिहरन दौड़ गई थी वो अपना हाथ खींचना चाहती थी पर भोला ने भी अपने हाथों से उसकी कोमल और नाजुक हथेली को कस कर जकड़ रखा था
कामया जल्दी से इस परिस्थिति से मुक्ति चाहती थी वो खड़े-खड़े थक गई थी उसे डर था कि पास के बेड में जो सोया हुआ था अगर एक बार भी कंबल उठाकर देखेगा तो उसे कामया का हाथ साफ तौर पर कंबल के अंदर भोला के लिंग पर ही दिखेगा पर वो मजबूर थी भोला की गिरफ़्त के आगे उसके बहशिपान के आगे उसके उतावले पन के आगे वो उसका लिंग तो पकड़े हुए थी पर कुछ करने की उसे जरूरत नहीं थी भोला ही अपने हाथों से उसके हाथों को डाइरेक्ट कर रहा था
वो अपने लिंग पर कामया के हाथों को आगे पीछे करता जा रहा था और अपनी आखें बंद किए ना जाने क्या-क्या बक रहा था

भोला- आआह्ह मेमसाहब कितनी नरम उंगलियां है आपकी आआआह्ह कितना सुख है मेमसाहब अब में मर भी जाऊ तो कोई शिकायत नहीं मेमसाहब उसकी आखें बंद थी और चेहरे के भाव भी धीरे-धीरे बदल रहे थे एक सुख की अनुभूति उसके चहरे पर साफ देखी जा सकती थी सांसें भी बहुत तेजी से चल रही थी और अपने हाथों की गिरफ़्त भी धीरे-धीरे कामया के हाथों पर कुछ ढीली पड़ रही थी पर कामया की हथेलिया तो भोला के लिंग पर वैसे ही टाइट्ली ऊपर-नीचे होने लगी थी वो भूल चुकी थी कि उसके हाथों पर भोला की पकड़ थोड़ी सी ढीली पड़ गई थी वो् अपने आपको बचा सकती थी एक झटके से अपने हाथ को खींच सकती थी पर उसने ऐसा नहीं किया उसे पता ही नहीं चला कि कब भोला की गिरफ़्त ढीली हो गई वो तो अपने हाथों में आई उस चीज का एहसास जो कि अब तक उसके जेहन में घर कर गई थी

उसी के समर्पण में रह गई थी अपने हाथों पर एक अजीब से एहसास के चलते वो भी अंजाने में इस खेल का हिस्सा बन चुकी थी वो अब खुद ही उसके लिंग पर अपने हाथों को चलाने लगी थी और अपनी उखड़ती हुई सांसों को कंट्रोल भी कर रही थी उसकी आँखो के सामने उस दिन का सीन फिर से घूम गया था जब उसने भोला को उस औरत के साथ देखा था और वो अवाक रह गई थीआज वही लिंग उसके हाथों में था और उसे भी एक नशे की स्थिति में पहुँचा रहा था अचानक ही उसे अपनी कमर के चारो तरफ भोला के हाथों के होने का एहसास हुआ जो कि धीरे धीरे उसे कसता जा रहा था और उसे बेड के और नजदीक लेता जा रहा था तब उसे अपनी स्थिति का ध्यान आया और अपने हाथों को खींचने की कोशिश की पर वो अब भोला की पूरी गिरफ़्त में थी भोला ने कस कर उसे जकड़ रखा था

भोला----प्लीज मेमसाहब बस थोड़ी देर और हो गया बस मत छोड़ो उसे मेमसाहब बहुत परेशान करता है मुझे प्लीज

कामया ने एक बार आस-पास देखा और फिर से अपनी गिरफ़्त उसके लिंग के चारो ओर धीरे धीरे कसते हुए उसके लिंग को आगे पीछे करने लगी उसका लिंग अब भी कंबल के नीच ही था पर उसका आकर कंबल के ऊपर से दिख रहा था बड़ा सा और कोई टेंट सा बना दिया था सीधा लेटा हुआ था भोला और अपने सीधे हाथ से कामया की कमर को जकड़े हुए वो अब धीरे-धीरे अपनी कमर को भी उच्छाल देता था कामया की उंगलियां भी अपने आप में कमाल कर रही थी उस गर्मी के अहसास को और भी नजदीक से झेलने की कोशिश में उसकी पकड़ उसके लिंग के चारो ओर और भी सख्त होती जा रही थी और उसी अंदाज में आगे पीछे भी होती जा रही थी कामया को अचानक ही याद आया कि वो अगर पकड़ी गई तो वो एक बार भोला की ओर देखती हुई अपने को बचाने की कोशिश में जोर-जोर से भोला के लिंग को झटकने लगी और उसके इस तरह से झटके देने से भोला का शरीर शायद अपने को और नहीं रोक पाया था उसकी गिरफ़्त अचानक ही कामया की कमर के चारो ओर बहुत ही सख़्त हो गई थी और एक हाथ उठकर उसकी चुचियों तक भी पहुँच गया था और कस कर दबाता तब तक उसके लिंग से बहुत सारा वीर्य निकलकर कामया के हाथों को भर गया और वही अंदर कंबल में चारो ओर फेल गया भोला की गिरफ़्त अब भी ढीली नहीं हुई थी पर कामया की हालत खराब थी वो एक अजीब सी आग में जल उठी थी भोला के चुचियों को दबाते ही वो चिहुक कर उसके पास से दूर हो जाती पर उसकी गिरफ़्त के आगे वो फिर से ढीली पड़ गई और अपने हाथ को ही खींचकर बाहर निकाल पाई थी और वही कंबल में ही पोंछ लिया था उसकी साँसे बहुत ही तेज चल रही थी पर भोला तो शांत हो चुका था
 

Coquine_Guy

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भोला- शुक्रिया मेमसाहब बहुत बहुत शुक्रिया
और अपनी गिरफ़्त को छोड़ते ही दरवाजे के बाहर कोई आहट हुई और कामेश और डाक्टर दोनों कमरे में घुसे
डाक्टर- कैसी तबीयत है भोला
भोला- हान्फता हुआ जी डाक्टर साहब अब बिल कुल ठीक हूँ शेर से भी लड़ सकता हूँ
डाक्टर और कामेश एक साथ ही हँस दिए
डाक्टर- अरे शेर से लड़ने की क्या ज़रूरत है
भोला- नहीं सर बहुत दिन हो गये है इसलिए कहीं बहुत नुकसान हो जाएगा अगर में काम पर नहीं लोटा तो
कामेश---अरे अभी नहीं कुछ दिन और आराम करो फिर आना काम पर ठीक है और सुनो शायद आज ही में बाहर जा रहा हूँ कोई जरूरत हो तो पापा से या फिर मेडम से बोल देना ठीक है
भोला- जी भैया आपके लिए तो जान हाजिर है और अब तो मेमसाब के लिए भी
और बड़े ही नशीले अंदाज में हँसने लगा था वहां का माहॉल कुछ खट्टा मीठा सा हो गया था पर कामया जानती थी कि भोला क्या बोल रहा था और भोला भी इशारे से अपनी बात कामया तक पहुँचाने में सफल हो गया था पर कामया तो कही और ही खोई हुई थी कामेश के अचानक ही आ जाने से वो जहां पकड़े जाने के डर से भोला के पास से जल्दी से हटी थी वही अपने सांसों को नियंत्रित करने में उसे अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ी थी फिर भी कामेश की नजर उसके बदले हुए तरीके पर पड़ ही गई थी
कामेश- क्या हुआ बहुत घबराई हुई हो
कामया- जी नहीं वो सांस फूल रही है
कामेश- क्यों
कामया वो स्मेल यहां की
कामेश अरी यार हास्पिटल में ऐसा ही स्मेल आता है अब चलो
और कामया को लिए बाहर की ओर चल दिया डाक्टर भी उनके साथ ही बाहर की ओर चल दिया जाते जाते भोला तो कामया की ओर देखता रहा पर कामया की हिम्मत नहीं हुई
कामेश- भोला आज अगर छूट गये तो एक बार फोन करदेना ठीक है
भोला- जी भैया आप आज जा रहे हो
कामेश--- पता नहीं धरम पल जी क्या कहते है
भोला- मुझे भी चलना था क्या
कामेश- नहीं यार अभी नहीं अभी तो तू यही रह देखता हूँ पहली बार होकर आता हूँ फिर
भोला- जी भैया आप हुकुम करना में हाजिर हो जाऊँगा
कामेश- हाँ … ठीक है और सुन छूटने के बाद मंदिर वाले घर पर ही जाना यहां साइट वाले कमरे में नहीं जाना
भोला- क्यों
कामेश- अरे मंदिर वाले घर के आस-पास बहुत लोग है और पंडितजी भी है तेरा खयाल रखेंगे साइट वाले कमरे में अकेला पड़ा रहेगा इसलिए
भोला- नहीं भैया में तो साइट वाली कमरे में ही रहूँगा कम से कम थोड़ा बहुत देखता तो रहूँगा नहीं तो यहां मंदिर वाले घर में खाली भजन सुनते सुनते पागल हो जाऊँगा
कामेश- क्या यार थोड़े दिन आराम कर लेता ठीक है पर ध्यान रखना और ज्यादा ऊपर-नीचे नहीं होना
भोला- ठीक है भैया
कामेश डोर बंद करके बाहर आ गया डाक्टर और कामया बाहर ही खड़े थे उसी का इंतजार करते डाक्टर से हाथ मिलाकर वो बाहर अपनी गाड़ी की ओर चल दिए
कामया अब भी अपने को कंट्रोल करने में असफल थी उसकी हालत बहुत खराब थी उसके शरीर में एक भयानक सी आग लगी हुई थी जो कि उसे अपने आप में ही जला रही थी गाड़ी में बैठते ही
कामया- आप क्या आज ही बाहर जा रहे है
कामेश- पता नहीं धरमपाल जी का कोई फोन तो अब तक नहीं आया वही बताने वाले थे क्यों
कामया- आज मत जाना , और अपने हाथों से पास बैठे कामेश के कंधे को सहलाने लगी थी कामेश भी मुस्कुराते हु ए
कामेश- क्यों मिस करोगी क्या
कामया- (एक बहुत ही मधुर मुश्कान अपने होंठों में लिए ) हाँ …
कामेश- तो अभी घर चले
कामया- हाँ … चलिए
कामेश- क्या बात है यार तुम तो कमाल की हो
कामया- कमाल की क्या अपने पति को ही कह रही हूँ
कामेश- हाँ … छोड़ो अभी तो शोरुम चलते है जल्दी निकल चलेंगे ठीक
कामया- हाँ …
और कामया अपनी जाँघो को अचानक ही बहुत जोर से आपस में भिच अकर बैठ गई जब से भोला के लिंग की गर्माहट उसके शरीर में पहुँची थी वो एक भूखी शेरनी हो गई थी उसे अब अपने पति के साथ थोड़ी देर के लिए अकेला पन चाहिए ही था

वो अपने मन की इच्छा को एक उसके साथ ही पूरा कर सकती थी और वो भी बिना किसी रोकटोक के पर उसे यह भी पता था कि वो अभी पासिबल नहीं है अगर शोरुम नहीं जाते तो यह पॉसीबल था पर अभी कामया क्या करे रात का इंतेजार उूुउउफफफफ्फ़ तब तक तो वो पागल हो जाएगी पर कोई चारा नहीं था उसे इंतेजार करना ही था इसके अलावा कोई रास्ता उसे तो नहीं सूझ रहा था वो शोरुम में भी आ गई और कामेश अपने काम में लग गया और वो भी पर कामया तो रह रहकर अपने शरीर में एक सनसनाहट सी महसूस करती रही बार-बार बाथरूम में भी हो आई पर उसकी उत्तेजना में कोई कमी नहीं आई थी उसे रह रहकर भोला की आखें याद आ रही थी किस तरह से उसकी तरफ खा जाने वाली नजर से देख रहा था किस तरह से वो बिना किसी डर के कामया के हाथों को अपने लिंग तक पहुँचा दिया था और उसे मजबूर कर दिया था कि आओ उसके साथ उसी खेल में शामिल हो जाए और तो और वो भी कुछ नहीं कह या कर पाई थी तब बिना कुछ बोले और बिना कुछ कहे ही वो भी अंजाने में उस खेल में शामिल हो गई थी क्यों नहीं उसने मना किया या फिर खींचकर एक चाँटा मारती या फिर जोर से चीख कर सभी को बुला लेती

पर कहाँ वो तो बल्कि उसका साथ देने लगी थी उसके लिंग को सहलाते हुए उसे सुख का एहसास देने की कोशिश करती जा रही थी और तब भी जब भोला ने अपने हाथों को उसके कमर के चारो ओर घेर लिया था तो भी वो उसके लिंग को अपने हाथों से सहलाते जा रही थी क्यों आखिर क्योंकिया उसने वो तो अब सबकुछ भूलकर फिर से पूरी कामया बनना चाहती थी सिर्फ़ पति और घर पर आज जो कुछ हुआ क्या उसे एक इतने बड़े घर की बहू को शोभा देता है अगर कोई देख लेता तो
और अगर किसी को पता चल जाता तो वो तो अच्छा हुआ कि कामेश और डाक्टर आते हुए बाहर थोड़ी देर के लिए रुक कर हँसते हुए अंदर आए थे अगर एक झटके से दरवाजा खोलकर अंदर आ जाते तो तो क्या होता सोचते सोचते कामया की हालत खराब हो गई थी पशीनापशीना हो गई थी कामेश और पापाजी अपने काम में लगे हुए थे उसकी ओर ध्यान नहीं था पर कामया के पसीना पसीना होने के पीछे जो भी कारण था वो वो खुद भी नहीं जानती थी शायद डर के मारे या फिर सेक्स के उतावले पन की खातिर कुछ भी हो कामया की हालत ठीक नहीं थी उसे कामेश के साथ थोड़ी देर का अकेला पन चाहिए ही था
वो एकदम से
कामया- सुनिए आज थोड़ा जल्दी चलिए ना
कामेश- कहाँ
कामया-- यहां से
कामेश जो कि अभी तक अपने काम में इतना उलझा हुआ था कि गाड़ी में हुई छेड़ छाड़ को बिल्कुल भूल चुका था और एक अजीब से तरीके से कामया की ओर देखता हुआ बोला
कामेश- पर जाना कहाँ है
कामया- (पापाजी की ओर देखते हुए और थोड़ी आवाज को मंदा करते हुए ) घर और कहाँ अपने तो कहा था अभी गाड़ी में
कामेश- (मुस्कुराते हुए पापाजी की ओर देखता हुआ जो कि अपने काम में व्यस्त थे एक आँख कामया को मारकर ) कहो तो यही कर लेते है
कामया- धत्त जल्दी कीजिए ना प्ली ज
कामेश- हाँ … 5 30 बजे तक चले घर फिर डिनर पर भी चलते है
अब तो कामया के पास और कोई चारा नहीं था सो वही बैठकर इंतजार करने के सिवा टाइम निकलता जा रहा था कामया की जिंदगी का यह पहला टाइम था जब वो इतनी उत्तेजित थी और वो कुछ नहीं कर पा रही थी आज उसकी योनि , मे जो हलचल मची हुई थी वो उसके जीवन में कभी नहीं हुई थी आज पहली बार उसे पता चल रहा था कि तन की अग्नि में जलना क्या होता है पहले भी उसके साथ ऐसा हुआ था पर तब या तो लाखा या फिर भोला ने उसकी आग भुजाई थी और फिर उसका पति तो था ही
पर आज की स्थिति कुछ और थी वो यहां शोरुम मेबैठी हुई अपने पति के फ्री होने का इंतजार कर रही थी और उसके पास कोई चारा नहीं था


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Tiger 786

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- बहू आज लाखा भी है सेलेब्रेट करने आया है और आज से यही इस घर में रहेगा हुहम्म्म्मममममममममम
और एक बार फिर से वो दूसरे सख्स ने उसके होंठों को अपने कब्ज़े में लेलिया अच्छा तो वो लाखा काका थे जो कि भीमा चाचा के बिस्तर पर सोए हुए थे अब तो कामया के शरीर में फिर से एक अजीब सी स्फूर्ति आ गई थी आज का पल वो खोना नहीं चाहती थी उसकी योनि में फिर से हलचल होनी शुरू हो गई थी और भीमा चाचा तो उसे किस कर रहे थे पर लाखा काका तो फिर से अपनी उंगली उसकी योनि में डाले उसे फिर से उत्तेजित करने में लगे थे भीमा चाचा उसे किस करते हुए उसकी चूचियां निचोड़ रहे थे जो कि उसे आज बहुत ही अच्छा लग रहा था और नीचे लाख काका भी उसकी योनि के अंदर अपनी उंगलियों को बहुत ही तेजी से अंदर बाहर कर रहे थे अचानक ही लाखा काका ने उसकी जाँघो को अलग किया और अपने लिंग को एक ही झटके में उसके अंदर तक उतार दिया कामया बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इस तरह के बरतब के लिए और एक लंबी सी चीख उसके मुख से निकली जो कि झट से भीमा चाचा ने अपने मुख के अंदर लेके कही गुम करदी अब लाखा काका नीचे से उसकी योनि के अंदर-बाहर हो रहे थे और बहुत ही तेजी के साथ हो रहे थे जिससे कि उसका पूरा शरीर ही बिस्तर पर ऊपर-नीचे की ओर हो रहा था पर भीमा चाचा की पकड़ इतनी मजबूत थी कि जैसे वो उसे उनके हाथों से छोड़ना ही नहीं चाहते हो वो कस कर कामया को छाती से जकड़े हुए अपने होंठों से कामया के होंठों को पी रहे थे और बहुत ही बेदर्दी से उसकी चूचियां को दबा भी रहे थे कामया के मुख से निरंतर चीख निकल रही थी और उसकी योनि में एक बार फिर से तूफान आने लगा था पर वो सांसें भी नहीं ले पा रही थी भीमा चाचा और लाखा काका ने उसे इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो हिल भी नहीं पा रही थी बस उनकी मर्ज़ी की हिसाब से उनके हाथों का खिलोना बनी हुई थी लाखा काका तो जैसे जंगलियो की तरह से उसे भोग रहे थे वही भीमा चाचा भी बहुत ही उत्तेजित से दिख रहे थे वो अब कामया के होंठों को काटने भी लगे थे और उसकी जीब को खींचकर अपने होंठों के अंदर तक ले जाते थे कामया की जान निकल गई थीउसके शरीर का रोम रोम उसके हाथों के सुपुर्द था और जैसा वो दोनों चाहते थे कर रहे थे कोई डर नहीं था उनके मन में ना कोई चिंता बस अपने हाथों में आई इस हसीना को चीर कर रख देना चाहते थे
लाखा काका की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी जैसे कि वो अपने मुकाम पर पहुँचने ही वाले थे पर जाने क्या हुआ कि भीमा चाचा की पकड़ अचानक ही उसके सीने पर से थोड़ी ढीली हुई और
भीमा- लाखा हट अब मुझे करने दे
लाखा- अरे रुक जा बस थोड़ी दे र
भीमा- अरे हट ना साले तू ही करेगा क्या मुझे भी मौका दे साले
लाखा- रुक यार साली दोनों को खुश किए बिना कहाँ जाएगी बस हो गया तू मुँह में डाल दे जबरदस्त चूसती है डाल साली के मुँह में

कामया नीचे पड़ी हर धक्के में कोई ना कोई आवाज सुन जरूर रही थी पर धक्के इतने जबरदस्त होते थे कि पूरी बातें उसे सुनाई नहीं दी थी पर हाँ इतना जरूर था कि दोनों एक दूसरे को हटाकर उसे भोगना चाहते थे पर अचानक ही उसके मुख से चीख निकलती , वही भीमा चाचा ने जरबारदस्ती उसके बालों को खींचकर अपने लिंग पर उसका मुख रगड़ने लगे थे उसकी सांसों को एकदम से बंद कर दिया था भीमा चाचा के उतावले पन ने पर उनके जोर के आगे वो कहाँ एक ही झटके में उसके मुख में भीमा चाचा का लंबा और सख़्त सा लिंग समा गया था वो गूओगू करती हुई अपने को संभालती तब तक तो भीमा चाचा के हाथों के जोर से वो खुद आगे पीछे होने लगी थी कामया का शरीर अब अपने शिखर पर पहुँचने ही वाला था और इस तरह से छीना झपटी और बेदर्दी उसने पहली बार सहा था जिससे की वो कुछ ज्यादा ही जल्दी झड़ने लगी थी वो अपने चेहरे को भीमा चाचा के लिंग से अलग करने की कोशिस करने लगी थी और कमर के हर एक झटके के साथ ही वो दूसरी बार झड़ने लगी थी लाखा काका भी झड़ गये थे पर अभी भी लगातार झटके लगा रहे थे इतने में

भीमा- साले हट हो तो गया

और उसने लाखा को एक धक्का दिया और उसे पीछे की ओर धकेल दिया और जल्दी से अपने लिंग को निकाल कर कामया की जाँघो के बीच में बैठ गया और किसी ओपचारिकता के बिना ही एक ही झटके में अपना लिंग उसके अंदर तक उतार दिया कामया जो कि झड चुकी थी और अपनी सांसों को नियंत्रण करने में लगी थी इस अचानक आक्रमण के लिए तैयार नहीं थी पर अब क्या हो सकता था भीमा चाचा तो जनवरो की तरह से उसे भोग रहे थे उन्होंने कसकर कामया को अपनी बाहों में भर लिया था और उसके होंठों पर टूट पड़े थे और जम्म कर अपने पिस्टन को अंदर-बाहर कर रहे थे इतने में लाखा भी भीमा को उससे अलग करने लगा था तो भीमा की पकड़ थोड़ी सी ढीली हुई पर एक और मुसीबत उसके सामने थी लाखा काका ने अपने लिंग को उसके मुख में घुसा दिया उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं थी कि उसे कैसा लगेगा वो दोनों अपने हिसाब से उसे मिल बाँट कर खा रहे थे और वो भी बिना किसी ना नुकर के सब झेल भी रही थी उसके मुख में जैसे ही लाखा काका ने अपना लिंग डाला उसे उबकाई सी आने लगी थी पर लाखा काका ने जोर से उसका माथा पकड़ रखा था और अपने लिंग को आगे पीछे कर रहे थे उधर भीमा चाचा भी अपने पूरे जोर से कामया को भोग रहे थे या कहिए अपना गुस्सा निकाल रहे थे जो भी हिस्सा उनके हाथों में आता उसे मसलकर रख देते थे या फिर जो भी हिस्सा उसके होंठों में आता वहां एक काला दाग बना देते थे कामया तो जैसे मर ही गई थी उनकी हरकतों के आगे वो कुछ भी नहीं कर पा रही थी बस हर धक्के में आगे या फिर पीछे हो जाती थी और लाखा काका के लिंग को अपने गले तक उतरते हुए महसूस करती थी वो कब झड़ गई उसे पता नहीं चला पर हाँ … थोड़ी देर बाद दोनों शांत होकर उसके शरीर के हर हिस्से सटे हुए थे वो अब भी खाँसते हुए सांस ले रही थी पर वो दोनों तो जैसे मर ही गये थे उसके शरीर को किसी गद्दे की तरह समझ कर वही सो गये थे वो भी बिल्कुल हिल नहीं पा रही थी और उसके जेहन में कोई भी बात आने से पहले ही वो भी वही सो गई
वो सो क्या गई बल्कि कहिए निढाल हो चुकी थी उसका शरीर और दिमाग़ बिल कुल सुन्न हो गया था जिस तरह से भीमा और लाखा काका ने उसे यूज़ किया था वो एक खतर नाक मोड़ पर थी वो अपने आपको किस तरह से संभाले वो नहीं जानती थी

उसके शरीर के ऊपर दोनों किसी मुर्दे की तरह लेटे हुए थे और अपने मुख से निकलने वाली लार से उसे भिगो रहे थे और अपने हाथों से उसे जाने नहीं देना चाहते थे वो सोई हुई अपनी परिस्थिति को समझने की और अपने आपको इस तरह की परिस्थिति से अलग करने के बारे में कही अपने जेहन में सोच रही थ ी पर उसके हाथों और पैरों में इतनी ताक त
ही नहीं बची थी कि वो अपने को हिला भी सके और ऊपर से यह दो राक्षस उसके ऊपर उसे अभी तक कस के पड़े हुए थे उनकी सांसें अब भी उसके शरीर पर पड़ रही थी कामया बिल्कुल नंगी थी उसके शरीर में जहां तहाँ लाल काले धब्बे उभर आए थे पर उसे कोई होश नहीं था वो तो बेसूध सी पड़ी हुई थी थोड़ी देर बाद उसे अपने नीचे की ओर कोई हरकत होते सुनाई दी भीमा चाचा थे या लाखा काका थे पता नहीं पर जो भी था वो आगे की ओर जो सख्स था उसे हिलाकर उठा रहा था
- ओये लाखा उठ बहू को उसके कमरे में छोड़ देते है
लाखा- हाँ … अरे रुक यार थोड़ी देर रुक जा देखने दे
और दोनों झुक कर कामया को छूकर देख रहे थे शायद जानना चाहते थे कि जिंदा है कि मर गई कामया भी थोड़ा सा कसमसाई उनके हाथों के आगे

भीमा- बहू उठो और अपने कमरे में जाओ बहुत देर हो गई है
कामया- हाँ … उूउउम्म्म्म और एक बड़ी सी अंगड़ाई लेकर फिर से सिकुड़ कर सो ग ई

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भीमा- रुक बहू उूुउऊबहुउऊ उ
और कामया को थोड़ा सा हिला के देखा कामया के शरीर में जान कहाँ थी इस तरह से हिलाने से क्या होना था अगर झींझोड़ कर उठाया नहीं गया तो शायद वो वही ऐसे ही पड़ी रहती सुबह तक पर लाखा और भीमा को उससे ज्यादा फिकर थी वो कामया के शरीर को अपने हाथों से एक बार अच्छे से सहलाते हुए अपने मुख को कामया के कानों के पास तक ले गये और धीरे-धीरे उसको आवाज लगाते हुए उसे उठाने लगे किसी तरहसे उठाकर बैठा लिया दोनों ने
लाखा--- वो रहा गाउन तेरे पीछे दे
भीमा ने अपने पीछे से गाउन उठाकर लाखा की ओर किया और कामया को सीधा करके उसके माथे के ऊपर से दोनों मिलकर उसे गाउन पहनाने में लगे थे बीच बीच में अपने हाथों से उसकी गोल गोल चूची को भी अपने हाथों से छू लेते थे और उसके पेट से लेकर नीचे तक उसे देखते हुए उसे सहला भी देते थे
लाखा- अब तो छोड़
भीमा- तू भी चल ध्यान देने थोड़ा सा चल
और दोनों कामया को अपने हाथों से उठाने को उतावले हो उठे पर यह सौभाग्य भीमा ने उठाया और आधी नंगी कामया को बिना , पैंटी के ही वैसे गाउन मे लेके बाहर आ गये लाखा धीरे-धीरे घर का जायजा लेने लगा था और भीमा अपनी बाँहों में भरे हुए कामया को उसके बेडरूम तक ले जाने लगा था लाखा आगे जाकर देख रहा था और पीछे भीमा उसे लिए हुए दबे कदम कामया के कमरे तक पहुँच गये
कमरे के बाहर भीमा और लाखा दोनों रुक गये और फिर लाखा ने कामया को एक बार फिर से होश में लाना चाहा
लाखा- बहू उठो बहू
पर बहू तो जाने कहाँ थी वो अब भी मुर्दे की भाँति भीमा चाचा की बाहों में पड़ी हुई थी
लाखा- अब हाँ …
भीमा- रुक दरवाजा खोल
लाखा- नहीं मरवाएगा क्या भैया है अंद र
भीमा- नहीं बहू नहीं पहुँची ना तो तू भी और में भी और यह भी अपनी गोद में लिए कामया की ओर इशारा करते हुए भीमा ने जताय ा
लाखा ने बड़ी हिम्मत करते हुए दरवाजे को धकेला पर वो नहीं खुल ा
लाखा- अंदर से बंद है
भीमा चाचा और लाखा के चहरे से रंगत उड़ गई थी पर तभी उनका ध्यान नीचे लॉक पर गया और देखकर थोड़ी सी हिम्मत बनी कि वो तो बाहर से बंद था लाखा ने धीरे से उसे खोला और अंदर आ कर देखा अंदर कामेश दूसरी तरफ मुँह किए सो रहा था अंदर मस्त एसी की ठंड थी और दरवाजा खुलते ही बाहर तक आने लगी थी लाखा ने दरवाजा खोलकर भीमा की ओर देखा भीमा धीरे से कामया को गोद में लिए अंदर की ओर हुआ और बहुत ही धीरे से कामया को भैया के पास सुलाकर वैसे ही दबे कदम बाहर की ओर हो लिया दरवाजे पर लाखा वैसे ही खड़ा हुआ भीमा को सबकुछ करते हुए देख रहा था और उसका साथ देने को खड़ा हुआ था
भीमा अपने काम को अंजाम देने के बाद वैसे ही दबे कदम बाहर आ गया और दरवाजा बंद करते हुए दोनों जल्दी से अपने कमरे में आ गये थे
दोनो के चहरे में एक संतोष था और एक अजीब सी खुशी भी थी जैसे कोई मैदान मारकर आए हो कमरे में पहुँचते ही दोनों कमरे को ठीक करने में लग गये थे
लाखा- यार मजा आ गया बहू तेरे कमरे में भी आ जाती है
भीमा- हाँ यार दूसरी बार ही आई है
लाखा- साले बताया नहीं तूने तो साले खेल रहा था हाँ …
भीमा- अरे यार क्या बताता तुझे तो पता है फिर तू कौन सा साधु है तूने भी तो कोई कमी नहीं छोड़ी ना
लाखा- हाँ यार क्या माल है साले मेंने भी कभी नहीं सोचा था कि इस घर की बहू को भी भोगने का मिलेगा यार गजब की माल है
भीमा- हाँ … सला भैया खुश नहीं कर पाता होगा नहीं तो क्या वो अपने पास आती
लाखा- हाँ यार साला खाली कपड़े और गाड़ी ही देता होगा ही ही और बाकी हम देते है हा हा हा
भीमा भी उसकी हँसी में शामिल हो गया और कुछ देर बात करते हुए दोनों कब सो गये पता ही नहीं चला

उधर कामया जब अपने बिस्तर पर पहुँची तो उसे थोड़ा बहुत होश था पर शरीर में इतना जोर नहीं था कि उठ सके या कोई काम कर सके वो वैसे ही बहुत देर तक लेटी रही और फिर बहुत संघर्ष करके अपने आपको एक चादर से ढँक कर सो गई उसके जेहन में अब तक लाखा और भीमा की छवि छाइ हुई थी किसी तरह से उन दोनों ने मिलकर उसे निचोड़ कर रख दिया था उसका बुरा हाल हो रहा था और उसकी चूचियां और शरीर का हर हिस्सा दर्द में बदल चुका था वो लेटी हुई अपने बारे में सोच रही थी और पास में लेटे हुए अपने पति के बारे में भी वो क्या से क्या हो गई थी आज तो जैसे वो अपनी नजर से बहुत गिर चुकी थी उसने जो आज किया था वो क्या कोई घर की बहू करती है
क्या उसने जो भी किया उसके लिए ठीक था जाने क्यों वो इस बात के निर्णय पर नहीं पहुँच पाई और शून्य की ओर देखती हुई कब सो गई पता ही नहीं चला

सुबह जब आखें खुली तो कामेश उसकी बगल में नहीं था शायद नीचे चाय पीने गया था वो जल्दी से उठी और झट से बाथरूम में घुस गई नहाते समय उसे अपने शरीर में काले नीले धब्बे दिखाई दिए और मिरर में देखकर वो चकित रह गई थी यह धब्बे कल रात का परिणाम था उसके शरीर के साथ हुए कर्म की निशानी थे पर एक सी मुस्कान उसके होंठों में दौड़ गई थी क्या वो इतनी गिरी हुई है कि लाखा और भीमा उसके शरीर में इस तरह के निशान छोड़ गये

क्या वो इतनी कामुक है कि उसे कल पता भी नहीं चला कि क्या हो गया पर हाँ … उसे दर्द या फिर कुछ भी अजीब सा नहीं लगा था तब अच्छा ही लगा होगा नहीं तो वो संघर्ष तो करती या फिर कुछ तो आशा करती जो उसे अच्छा नहीं लगने का संकेत होता पर उसने तो बल्कि उन दोनों का साथ ही दिया और उन्हें वो सब करने दिया जो कि वो चाहते थे हाँ … उसे मजा ही आया था और बहुत मजा आया था उसने कभी जिंदगी में मजा कभी नहीं लिया था वो भी सेक्स का वो इतना कभी नहीं झड़ी थी जितना कि कल रात को वो कभी सेक्स में इतना नहीं थकि थी जितना कि कल रात को उसके शरीर का इस्तेमाल भी कभी किसी ने इस तरह से नहीं किया था कि जितना कि कल हाँ … यह सच था और उसी का ही परिणाम था यह जो की उसके शरीर में जहां तहाँ उभर आए थे वो अपने शरीर को घुमाकर हर हिस्से को एक बार देखना चाहती थी उसकी जाँघो में नितंबों में जाँघो के पीछे के हिस्से में कमर में नाभि के आस-पास और चूचियां में और निपल्स में गले में हर कही उसे दिख रहे थे वो मिरर में एक बार अपने को देखकर और फिर अपने शरीर को मिरर में देखने लगी थी कितनी सुंदर है वो क्या शरीर पाया है उसने मस्त चूचियां जो की निपल्स के साथ किसी की चोटी की तरह से सामने की ओर देख रहे थे उसके नीचे पतली सी कमर उसके बीच में गहरी नाभि जो कि उसके शरीर को और भी ज्यादा सुंदर बना देती थी नीचे नितंबों का सिलसिला होते हुए जाँघो से नीचे तक टाँगें जो कि उसके शरीर को किसी बोतल के शेप में चेंज कर देती थी

कंधों के ऊपर से सुराहीदार गर्दन और फिर उसका प्यारा सा चहरा लाल होंठ उसके ऊपर नोक दार नाक पतली सी और फिर उसकी कातिल निगाहे जो कि बहुत कुछ ना कहते हुए भी बहुत कुछ कह जाती थी
वो खड़ी-खड़ी अपने को बहुत देर तक इसी तरह से देख रही थी कि डोर पर नॉक होने से वो वापस वास्तविकता में आई और बाहर खड़े कामेश को आवाज दी
कामया- जी
कामेश- जल्दी निकलो मुझे जाने में देर हो जाएगी
कामया- बस दो मिनट
और वो जल्दी से अपने आपको संभाल कर बाहर आने की जल्दी करने लगी बाहर आते ही उसे कामेश अपने आफिस बैग में कुछ करता दिखा
कामेश- कल क्या हुआ था तुम्हें
कामया क्यों
कामेश उसके पास आया औ र , माथे को और फिर होंठों को चूमते हुए उसकी आखों में आँखे डालकर कहा
कामेश- बिना पैंटी के ही सो गई थी
कामया- छि छि तुमने देखा
कामेश- ही ही हाँ … नशा ज्यादा हो गया था क्या
कामया- जंगली हो तु म
कामेश- यार यह तो मैंने नहीं किया
वो कामया की गर्दन और गाल के नीचे तक लाल और काले निशानो की ओर इशारे करता हुआ बोला
कामया- हाँ … और कहाँ आए थे किसने किया
कामेश- यार नशे में था पर सच बताऊ तो मुझे कुछ याद नहीं
तब तक कामया पलटकर अपने ड्रेसिंग टेबल तक पहुँच चुकी थी वो कामेश से नजर नहीं मिला पा रही थी

पर कामेश उसके पीछे-पीछे मिरर तक आ गया और उसे पीछे से पकड़कर कंधों से बाल को हटा कर उसकी पीठ पर आया और गर्दन पर निशानो को देखकर छूता जा रहा था
कामेश- सच में डियर मुझे कुछ भी याद नहीं सॉरी यार
कामया- धात जाइए यहां से और अपने को झटके से कामेश से अलग करती हुई वो अपने बालों पर कंघी फेरने लगी थी कामेश भी थोड़ी देर खड़ा हुआ कुछ सोचता रहा और फिर घूमकर बाथरूम की ओर चल दिया
कामेश- आज आओगी ना
कामया- नहीं मन नहीं कर रहा
कामेश- घर में क्या करोगी आ जाना पापा के सा थ
कामया देखती हूँ मन किया तो
और कामेश बाथरूम की ओर चला गया था कामया अपने आपको संवारती हुई अपने पति के बारे में सोचने लगी क्या वो जो कर रही है वो ठीक है उसका पति उसे कितना प्यार करता है और वो उसे धोका दे रही है
हां धोखा ही तो है वो सोच रहा है कि वो दाग उसने दिया पर हकीकत तो कुछ और ही है वो मिरर के सामने अपने से अपनी नजर नहीं मिला पा रही थी और वापस अपने बिस्तर पर आके बैठ गई और कंघी करने लगी उसके दिमाग में बहुत सी बातें चल रही थी पर उसे अपने पति को धोखा देना अच्छा नहीं लगा उसका मन एकदम से निराश सा हो गया वो शायद रो भी देती पर कामेश को क्या बताती कि वो क्यों रो रही है इसलिए चुपचाप बैठी हुई बाल ठीक करके उसके आने का इंतेजार करने लगी
कामेश जब तक बाहर आया तब तक वो थोड़ा सा नार्मल हो चुकी थी पर जेहन में वो बातें चाल तो रही थी कामेश के तैयार होने के बाद जब वो नीचे गया तो वो भी उसके साथ ही नीचे गई डाइनिंग टेबल पर सजे हुए डिश और खाने को देखकर वो भी थोड़ा सा नार्मल होती चली गई और खाना परोश कर कामेश को खिलाने लगी थी
पापाजी- अरे बहू थोड़ा जल्दी तैयार हो जाना आज तुम्हें एक शोरुम दिखाने ले चलता हूँ
पापाजी अपने कमरे से निकलते हुए डाइनिंग टेबल पर आ गये थे वो कुछ जल्दी तैयार हो गये थे कामेश की नजर कामया पर रुक गई थी कुछ कहता पर उससे पहले ह ी
कामया- जी पापाजी में आती हूँ
और कामेश की देखते हुए वो जल्दी से अपने कमरे की ओर भागी हाँ
… अब वो इस तरह से नहीं करेगी अपने पति का साथ देगी छि क्या किया उसने नहीं अब नहीं बहुत हो गया यह स ब
और कामया अपने कमरे में पहुँचकर जल्दी से तैयार होने लगी थी उसे जाना ही था वो अब यह धोखा धड़ी के खेल से अपने को आजाद करना चाहती थी जल्दी से तैयार होकर जब वो नीचे पहुँची तो पापाजी को उसी का इंतजार करते हुए पाया खाना खाकर कामया पापाजी के साथ बाहर निकल गई गाड़ी आज भी लाखा काका ही चला रहे थे पर कामया को कोई फरक नहीं पड़ता उसने एक बार भी लाखा काका की ओर नहीं देखा पर हाँ … कल के बारे में एक बार उसके जेहन में बात आई तो जरूर थी पर झटके से कामया ने उस बात को अपने दिमाग में घर करने से बाहर निकाल दिया

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