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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Adirshi

Royal कारभार 👑
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Coquine_Guy

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कामेश और पापाजी लगातार अपने काम में व्यस्त थे किसी से फोन पर किसी से पर्सनलि या फिर किसी को इंटरेक्षन देते हुए या फिर किसी को इंटरकम पर कुछ बताने में इतने में कामेश को थोड़ा सा सचेत देखकर कामया का ध्यान उनके फोन पर गया
कामेश- जी सेठ जी आप ही के फोन का इंतजार कर रहा था कहिए
शायद धरम पाल जी का फोन था
कामेश- जी अरे वाह सर यह तो बहुत बढ़िया खबर है हाँ … हाँ … कोई बात नहीं में चला जाऊँगा अरे सर आप भी हाँ … हाँ … सेठ जी आपकल आ जाना
और फोन काट क र , कामया की ओर देखा
कामया- क्या हुआ
कामेश- वो धरमपल जी की लड़की को बेटा हुआ है वो देल्ही जा रहे है
कामया- तो
पापाजी- अरे वाह यह तो बड़ी ही खुशी की खबर है रुक मैं भी बधाई दे दूं
कामेश- (कामया की ओर देखता हुआ ) वो मुझे ही जाना होगा धरम पाल जी कल शाम तक पहुँचेंगे सुबह की मीटिंग मुझे ही आटेंड करना है
कामया -
गुस्से से पागल कामया कामेश की ओर एकटक देखती ही रह गई पापाजी अगर वहां नहीं होते तो शायद टेबल पर जो कुछ भी पड़ा मिलता उसे उठाकर जम कर कामेश के मुँह पर मारती पर यहां स्थिति कुछ और थी वो कुछ नहीं कर सकती थी सिवाए खामोश रहने के
वो कामेश को घूरते हुए
कामया- कब जाना है
कामेश- 7 30 बजे की फ्लाइट है चलो निकलते है तुम्हें घर छोड़ दूँगा फिर तैयारी भी करना है
कामेश- पापाजी तो में निकलु कामया को भी ले जाता हूँ आप जल्दी आ जाना
पापाजी- लाखा को ले जा तुझे एरपोर्ट पर छोड़ कर मुझे लेजाएगा
कामेश एक काम करना उसे 6 बजे भेज देना में यह गाड़ी ले जाता हूँ नहीं तो यह गाड़ी यही खड़ी रह जाएगी
पापाजी- हाँ … ठीक है पापाजी और कामेश की बातों में कामया का बिल्कुल ध्यान नहीं था वो तो बस अपने बारे में सोच रही थी क्यों आखिर क्यों उसी के साथ ऐसा होता है वो कितना अपने पति के साथ रहने की कोशिश करती है पर कामेश है कि हमेशा ही उसे नजर अंदाज कर देता है उसका गुस्से में बुरा हाल था
वो कामेश के साथ शोरूम से बाहर तो निकली पर एक बात भी नहीं की जिसे कि कामेश को समझने में जरा भी देर नहीं हुई गाड़ी में बैठते ही
कामेश- अरे यार गुस्सा मत हो यार क्या करू काम है तो नही तो मैंने कहा ही तो था कि आज जल्दी घर चलेंगे हाँ … प्लीज यार
कामया- नहीं में खाली यह सोच रही थी कि एक में ही हूँ जिसके लिए आपके पास टाइम की कमी है और हर एक के लिए टाइम ही टाइम है
कामेश- अरे टाइम ही टाइम कहाँ कौन सा में रोज धरमपाल जी का काम करें चला जाता हूँ या फिर शोरुम में ही बैठा रहता हूँ कि तुम्हें टाइम नहीं दे पाता हूँ पर क्या करे काम तो करना ही पड़ेगा ना
कामया- हूँ काम ही करो और मुझे जंगल में छोड़ आओ तो कोई नहीं कहेगा आपको
कामेश- जंगल में अरे बाप रे कितने दिनों के लिए
अब कामेश थोड़ा मजाक के मूड में आ गया था उसे पता था कि कामया के गुस्से को शांत करना है तो एक बार उसे हँसा दो फिर सब ठीक
कामया- हमेशा के लिए
कामेश- फिर वो सब करने के लिए मुझे जंगल आना पड़ेगा हाँ … ही ही ही हाँ … हाँ … हाँ …
कामया- मजाक मत करो
गुस्से में थोड़ा सा मुस्कुराहट को रोकती हुई वो जानती थी कि कामेश क्या कह रहा था
कामेश- फिर तो मुझे भी शोरुम बंद करने के बाद अपना ड्रेस चेंज करके तुमसे मिलने आना पड़ेगा है ना
कामया सिर्फ़ गुसे में कामेश की ओर देख रही थी हँसी को रोक कर कपड़े चेंज करके क्यों , अपने मन में सोचा
कामेश- है ना पत्ते बाँध कर आना पड़ेगा ही ही
कामया- फालतू बातें मत करो ना प्लीज क्यों जा रहे हो आज कल चले जाते हमेशा ही पूरे प्लान की ऐसी तैसी कर देते हो
कामेश- अरे मेडम मुझे तो कल ही जाना था और धरम पाल जी को आज पर क्या करे उनकी बेटी से रोका नहीं गया सो आज ही बेटा पटक दिया लो नानाजी बना दिया सेठ जी को
कामया-- बोर कर देते हो तूम
अब कामया का गुस्सा हवा हो गया था वो अपने पति की स्थिति को समझ रही थी क्या करे उसे समझना ही था और कोई चारा नहीं था वो जब तक घर पहुँचे तब तक थोड़ा बहुत अंधेरा हो गया था जल्दी बाजी मच गई थी अपने कपड़े और सारा समान भी रखना था सँपल और बहुत कुछ

कामया तो कामेश का सूटकेस जमाने में लग गई कामेश पेपर्स के पीछे पड़ गया कामया कमरे में बार-बार उसके आमने सामने घूमती रही पर कामेश का ध्यान बिल्कुल उस ओर नहीं था और नहीं उसे इस बात का ही ध्यान आया कि कामया ने आज उसे जल्दी घर चलने को क्यों कहा था पर कामया तो चाहती थी कि कामेश जाने से पहले उसके साथ कम से क म
एक बार तो करता उसके शरीर में जो आग लगी थी उसे कुछ तो ठंडक मिलती पर कहाँ कामेश तो बस अपने पेपर्स में ही खोया हुआ और बीच बीच में कामया को कुछ लाने को जरूर कह देता था आखिर कार सूटकेस भी तैयार हो गया और कामेश भी इंटरकम पर भोला ने इनफार्म कर दिया था कि खाना लग गया है
सो जल्दी-जल्दी कामेश भी नीचे की ओर चल दिया सूटकेस लिए हुए कामया भी पीछे-पीछे डाइनिंग स्पेस पर आ गई थी कामेश जल्दी-जल्दी अपने मुँह में ठूंस रहा था कही देर ना हो जाए तभी बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आई लाखा आ गया था उसे एरपोर्ट छोड़ने को सबकुछ तैयार था सूटकेस कामेश और पेपर भी और जो दोपहर से ही तैयार था उसे कामेश भूल गया था और जो अभी तैयार किया था उसे लेकर वो बाहर निकल गया और कामया की ओर देखता हुआ
कामेश- जाके फोन करता हूँ हाँ …
कामया- जी जल्दी आ जाना
कामेश- हाँ यार फिर भी दो दिन तो लगेंगे ही ठीक है
कामया- जी
और कामया दरवाजे में खड़ी कामेश को गाड़ी में बैठ-ते हुए और फिर धीरे-धीरे गाड़ी को गेट के बाहर की ओर रेगते हुए जाते हुए देखती रही वो एक बुत की भाँति दरवाजे पर खड़ी हुई शून्य की ओर देखती रही अब क्या करे जिस चीज का डर था वो ही घर में अकेली है वो और भीमा भी है अब अब क्या होगा वो अंदर जाने में सकुचा रही थी दरवाजे पर ही खड़ी रही अचानक ही गेट से दौड़ता हुआ चौकीदार को आते देखा
चौकी दार- जी मालकिन कुछ काम है वो अपनी नजर नीचे झुका कर खड़ा हो गया था
कामया नहीं क्यों
चौकीदार- जी वो आप यहां खड़ी थी तो पूछ लिया
कामया- नहीं नहीं तुम जाओ अचानक उसके मोबाइल पर पापाजी का फोन आया
कामया- जी
पापाजी- लाखा पहुँचा क्या
कामया- जी पापाजी वो निकल गये है
पापाजी- चलो ठीक है लाखा के आते ही आता हूँ तू फिकर ना कर बहू अगर खाना खाना हो तो खा ले
कामया- जी नहीं पापाजी आप आ जाइए फिर खाते है अकेले अकेले मन नहीं करता
पापाजी ठीक है में शोरुम बढ़ाता हूँ जैसे ही लाखा आता है में भी घर पहुँचता हूँ
और फोन कट गया वो जब अंदर घुसी तो भीमा को टेबल से समान उठाते हुए देखा जो कि झुकी हुई नजर से कामया की ओर ही देख रहा था कामया के शरीर में एक बिजली सी दौड़ गई जो कि उसके जाँघो के बीच में कही खो गई वो एक बार सिहर उठी जिस चीज से वो बचना चाहती थी वो एक बार फिर उसके सामने खड़ी थी यह वही भीमा है जिसने उसके साथ सबसे पहले किया था फिर लाखा सोचते हुए कामया डाइनिंग स्पेस को क्रॉस करते हुए सीढ़ियो के पास पहुँच गई थी कि पीछे से भीमा चाचा की आवाज उसके कानों में टकराई थी
भीमा- बहू बड़े मालिक कब तक आएँगे
कामया- (अपनी सांसों को कंट्रोल करते हुए बिना पीछे देखे ही सीढ़िया चढ़ते हुए ) बस आते ही होंगे आप खाना लगा दो
भीमा चाचा- जी बहुत अच्छा
और पीछे से आवाज आनी बंद हो गई थी कामया सीढ़िया चड़ती हुई अपने कमरे में पहुँच गई थी और झट से डोर बंद करके बेड पर चित लेट गई थी वो फिर से उसे गर्त में नहीं गिरना चाहती थी वो नहीं चाहती थी अपने पति को धोखा देना वो बिल्कुल नहीं चाहती थी सो जल्दी से अपने आपको व्यवस्थित करते हुए वो बाथरूम में घुस गई और फ्रेश होने लगी थी चेंज करते समये उसने एक काटन का सूट निकाल लिया था जो कुछ ढीला ढाला था

मिरर के सामने खड़ी अपने को संवारते समय भी अपना दिमाग हर उस चीज से हटाना चाहती थी जिससे कि उसके मन में कोई गलत ख्याल ना आए वो कोई गाना गुनगुनाते हुए बालों को संवारते हुए माथे में सिंदूर और बिंदिया लगाना नहीं भूली फिर टीवी चालू करके अपने कमरे में ही बैठ गई थी उसे इंतजार था पापाजी के आने का खाना खाके वो सो जाएगी और फिर कल घर से बाहर और फिर पूरा दिन घर से बाहर ही रहेगी इस घर में घुसते ही उसे पता नहीं क्या हो जाता है
हमेशा ही उसे कामेश की ज़रूरत पड़ती है पर अभी तो कामेश है नहीं इसलिए वो भी जितना हो सके घर से बाहर ही रहेगी थोड़ी देर बाद ही घर के अंदर गाड़ी आने की आवाज हुई वो खुश हो गई थी चलो पापाजी के साथ खाना खाकर वो वापस अपने कमरे में आ जाएगी टाइम बड़े ही धीरे से निकल रहा था पता नहीं क्या हुआ था आज टाइम को बहुत अकेला पन सा लग रहा था बस पापाजी के डाइनिंग स्पेस में पहुँचने का ही इंतेजार था

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Coquine_Guy

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30- 40 मिनट बाद ही कमरे का इंटरकम बजा वो जानती थी कि पापाजी डाइनिंग रूम में पहुँच गये है जल्दी से फोन उठाया भीमा चाचा थे
भीमा- जी बहू आ जाइए बाबूजी आ गये है
कामया- जी
और फोन रखते हुए वो डोर खोलकर जल्दी से सीढ़िया उत्तेरने लगी थी डाइनिंग स्पेस पर पहुँकते ही उसे पापाजी नहीं दिखे
भीमा चाचा खड़े हुए प्लेट लगा रहे थे अचानक ही कामया और भीमा चाचा की नजर एक साथ ही टकराई कामया को बड़ा ही आश्चर्य हुआ पापाजी तो आए नहीं तो भीमा चाचा ने झूठ क्यों कहा
कामया- पापाजी कहाँ है
उसकी आवाज में गुस्सा और एक मालकिन का सा रोब था एकटक वो भीमा चाचा की ओर देखते हुए पूछा
भीमा- जी वो आरहे है
कामया- तो फिर झूठ क्यों कहा की पापाजी आ गये है
पापाजी- अरे मैंने ही कहा था वो मोबाइल बज रहा था लेने चला गया था ले कामेश का है तेरा फोन बजके बंद हो गया तो मुझे लगाया
कामया का सारा गुस्सा एकदम शांत हो गया हाथ में मोबाइल पकड़े हुए उसने एक बार भीमा की ओर देखा जो कि अपनी नजर झुकाए डाइनिंग टेबल से दूर जा रहा था
कामेश- क्या हुआ अभी भी गुस्सा हो क्या फोन क्यों नहीं उठाया
कामया- जी वो कमरे में रह गया था नीचे डाइनिंग रूम में हूँ
कामेश- अच्छा चलो में तो पहुँच गया हूँ कल फोन करता हूँ और सुनो कल शाम को ही करूँगा ठीक है सुबह बहुत टाइट शेड्यूल है ओके …
कामया- जी और खाना खा लेना
कामेश- हाँ यार खा लूँगा पापाजी जी कहाँ ह ै
कामया- जी फोन दूं
कामेश- अरे रूको नहीं वूवो
कामया- जी क्या हुआ
कामेश- अरे यार क्या पापाजी जी को किस करू हाँ …
कामया का सारा शरीर एक बार फिर से उत्तेजना से भर गया उसके हाथों से फोन छूटते--छूटते बचा उस तरफ से एक लंबी सी किसकी आवाज आई
कामेश- यह तुम्हारे होंठों के लिया था और करूँ हाँ …
कामया- रखू वो पापाजी सामने ही है बता दूँगी ठीक है
और वो झट से अपनी नजर बचाकर खाँसते हुए फोन काट दिया और पापाजी की ओर थोड़ी देर बाद देखते हुए
पापाजी- क्या बोल रहा था
कामया- जी वो कह रहे थे कि कल पापाजी के साथ ही चले जाना
पापाजी -
कामया को नहीं समझ में आया कि क्या कहे पर किसी तरह से अपने को संभाल कर जो मन में आया कह गई और सिर नीचे करते हुए अपने खाने की प्लेट पर टूट पड़ी थी
उसका ध्यान खाने में काम फिर से उठ रहे अपने शरीर की हलचल पर ज्यादा था कामेश ने फिर से उसके मन में एक अजीब सी हलचल मचा दी थी कितने मुश्किल से उसने अपने आपको संभाला था फिर कामेश ने ऐसी बात क्योंकी जब वो यहां नहीं है तो कम से कम इस बात का ध्यान रखना था उसे . कामया ने खाना खाते हुए कई बार अपनी जाँघो को जोड़ कर अपने आपको संतुलित करने की कोशिश करती जा रही थी
पर काम अग्नि कोई दबाने की चीज है वो तो जितना भी अपने को काबू में रखने की कोशिश करती जा रही थी वो और भी उत्तेजित होती जा रही थी उसके मन में पता नही कहाँ से अचानक ही सुबह की घटना भी याद आ गई
भोला के साथ हुई उस घटना की कैसे वो बिल्कुल असहयाय सी उस वक़्त महसूस कर रही थी और उस सांड़ ने जो चाहा किया वो कुछ ना कर पाई थी पर वो तो शांत हो गया था पर कामया के अंदर एक भयानक सी आग को जनम दे गया था
वो आग अब अचानक ही एक ज्वालामुखी की तरह उसके शरीर को जला दे रही थी वो खाना तो खा रही थी पर अपने को बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रही थी पापाजी भी कुछ कह रहे थे वो सिर्फ़ हाँ या ना में ही जबाब दे रही थी
बहुत ही धीरे-धीरे टाइम निकल रहा था खाना है कि खतम ही नहीं हो रहा था और पापाजी भी सामने बैठे हुए पता नहीं उससे क्या-क्या बोले जा रहे थे उसका ध्यान बिल्कुल नहीं था पर वो तो अपने आप में ही मस्त होती जा रही थी उसकी नजर के सामने बहुत कुछ घूमने लगा था पता नहीं क्या-क्या भोला से शुरू होकर भीमा तक कैसे भीमा ने उसके साथ पहली बार किया था फिर उसके कमरे में
फिर लाखा ने गाड़ी चलाते हुए वो तो बिल्कुल ही अनौखा खेल था असल में उसने ही शुरू किया था फिर आज भोला ने तो जैसे उसे पागल ही कर दिया था उस आग में वो अब भी जल रही थी फिर लाखा और भीमा ने मिलकर आआआआआआह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह उसके शरीर में एक लंबी सी सिहरन के साथ मुख से सिसकारी निकल गई थी खाना खतम तो नहीं हुआ था पर उसका मन भर गया था पापाजी की नजर भी उसके ऊपर टिक गई थी
पापाजी- क्या हुआ खाना नहीं खाया कुछ सोच रही हो
कमाया- जी नहीं ऐसे ही
पापाजी- अरे बहू पहली बार गया है ना इसलिए तुझे ऐसा लग रहा होगा तुझे एक काम कर आराम से जाके सो जा एक ग्लास गरम दूध पीले अच्छी नींद आएगी
कामया- जी पापाजी
पापाजी- और ज्यादा मत सोचा कर कल से काम में फिर से लग जाएगी तो देखना रात को नींद कैसे आ गई पता ही नहीं चलेगा
इसी तरह किसी तरह से कामया ने पापाजी के साथ खाना खतम किया और लगभग एक नशे की हालत में लड़खड़ाती हुई अपने कमरे में पहुँची थी वो झट से बाथरूम में घुसी और सलवार उतार कर पोट पर बैठ गई और अपने को रिलीस करने में उसे थोड़ी सी शांति मिली
वो वही बैठी रही बहुत देर तक और पता नहीं क्या सोचती रही पर बैठी बहुत देर तक रही उसे अपना सिर घूमता हुआ सा लग रहा था खाना खाने बाद भी वो भूखी थी बहुत भूकी सलवार उतारकर वो कमरे में आई और बेड पर लेटी रही फेल कर पर ज्यादा देर नहीं धीरे-धीरे अपने को सिकोड़ती चली गई जैसे अपने को ही अपनी बाहों में भरने की कोशिश करती जा रही हो
वो ऐसे सिकुड़ कर अपने बिस्तर पर लेटी थी कि जैसे बेड पर जगह ही ना हो अपनी जाँघो को कस कर पकड़े हुए कामया अपना मुँह को उसमें छुपाए हुए थी सांसों को कंट्रोल करती हुई वो अपनी टांगों को भी हिलने से रोके हुए थी पर नहीं इससे कोई फायदा नहीं हुआ
आआआआआअह् ह , एक लंबी सी सांस छोड़ कर कामया फिर से उठ बैठी पर इस बार अपने कुर्ते को भी उतार दिया और झपट कर अपने तौलिया को उठाकर बाथरूम में फिर से घुस गई थी

अच्छे से नहाकर अपने को संभालना चाहती थी गरम गर्म पानी से नहाते हुए वो एक अजीब से सुख के सागर में गोते लगाने लग गई थी अच्छे से मल मल कर नहाती रही गरम-गरम पानी उसके शरीर पर गिरते हुए उसे अच्छा लग रहा था बहुत देर तक अपने को शावर के नीचे रखने से थोड़ा सा आराम मिला पर जैसे ही अपने शरीर को अपने हाथों से घिसने लगी अपने शरीर के कसेपन का एहसास फिर से उसे याद आ गया जिस आग को बुझाने की जरूरत थी वो धीरे-धीरे उसके हाथों के स्पर्श से ही बढ़ने लगा था

वो बहुत ही काबू में रहने की कोशिश करती जा रही थी पर हर बार बात उसके हाथों से निकलती जा रही थी अपने को घिसते हुए वो शावर में ही सिर उठाकर सांसों को छोड़ रही थी अपने चुचियों को धोते हुए वो अब जोर-जोर से उनके आकार के अनुरूप सहलाते हुए ऊपर-नीचे कर रही थी अपने पेट की ओर हाथ ले जात हुए भी उसे बड़ी बेचैनी सी हो रही थी अपने शरीर में उठ रही सिहरन को वो नजर अंदाज करते हुए अपने आपको सहलाने में जो मजा उसे मिल रहा था वो आज तक उसे नहीं मिला था हर कोने को अपने हाथों से सहला रही थी और दूसरे हाथों को वो धीरे-धीरे अपनी जाँघो के बीच में लेजा रही थी बालों के गुच्छे को छूते ही एक लंबी सी आअह् ह , उसके मुख से निकलकर पूरे बाथरूम में गूँज गई थी हाथों को और नीचे नहीं ले जा पाई थी जाँघो को जोड़ कर माथे को वाल पर टिकाए हुए वो अपने शरीर को सिकोड़ती जा रही थी खड़े होना उसके लिए दुभर हो गया था टांगों में शक्ति ही नहीं बची थी घुटनों के पास से पैरों को मोडते हुए वो शावर को चलते छोड़ कर ही बाथटब के किनारे बैठ गई थी बुरी तरह से हाफ रही थी एक हाथ से अपनी चुचियों को सहलाते हुए और दूसरे हाथ से अपनी जाँघो के ऊपर से बालों के गुच्छे को सहलाती रही और हान्फते हुए बहुत देर हो गई थी सांसों को ठीक करने की बहुत कोशिस करने के बाद भी वो उसकी गिरफ़्त में नहीं आई थी

थकि हुई सी कामया ने अपनी सांसों को कंट्रोल करना छोड़ कर एक हाथ बढ़ा कर तौलिया को अपनी ओर खींचा और अपने शरीर को ढँकते हुए धीरे-धीरे पोछने लगी बड़ी मुश्किल से उठकर शावर बंद करके तौलिया को लपेट कर धीमे धीमे बाथरूम डोर खोलकर बाहर निकली तौलिया अब तक उसके शरीर के चारो ओर लपेटा हुआ था पर आँखें और चहरे को देख कर लगता था कि किसी जंग से आ रही है

कहते है कि इंसान अपनी भूख से नहीं लड़ सकता चाहे वो पेट की हो या पेट के नीचे की हो

वही हालत कामया की थी बड़ी ही मुश्किल से बाहर तक आई थी और मिरर के सामने खड़ी होकर अपने आपको संवारने लगी थी पहले बालों पर ड्राइयर चलाकर बालों को सूखाया फिर वारड्रोब से एक पतली सी महीन सा गाउन निकाल कर पहन लिया जो कि उसके कंधों के सहारे ही था पतली सी दो डोरी के सहारे वो कामया की चूची के 3् 4 साइज़ को उजागर करते हुए जाँघो के आधे में ही ख़तम हो जाता था नशे की हालत में चलते हुए वो बेड के किनारे में जाकर बैठ गई थी और अपनी टांगों को हिलाकर जमीन की ओर देखते हुए कार्पेट को अंगूठे की नोक से खोदने की कोशिश करने लगी थी इतने में ही पास में रखे उसके मोबाइल पर कामेश का फोन आया नजर घुमाकर एक बार हैंडसेट की ओर देखा और हाथ बढ़ाकर उसे उठा लिय ा
कामया- हाँ …
कामेश- सो गई क्या
कामया- नहीं
कामेश- नाराज हो क्या
कामया- नहीं
कामेश- अरे यार दो दिन में तो आ जाऊँगा फिर मजे करेंगे ना असल में तुम्हारी याद आ रही थी इसलिए फोन कर दिया
कामया- क्यों याद आ रही थी
कामेश- अरे यार रात हो गई ना इसलिए ही ही ही हाँ … हाँ …
कामया -
एक आह सी निकली कामया के मुख से
कामेश- हेलो
कामया- जी
कामेश- नींद आ रही है चलो सो जाओ कल फोन करूँगा ओके … गुड नाइट
कामया- गुडनाइट
फोन कट गया पर कामया हाथों में फोन लिए चुपचाप बैठी हुई जमीन की ओर ही देख रही थी जाँघो को जोड़ जोड़ कर बार-बार वो अपने आपको कही और ही भूलने की कोशिस करती रही पर नहीं हुआ उससे बार बार वो हास्पिटल के बेड के पास का सीन नहीं भुला पा रही थी भोला के लिंग का स्पर्श उसे हाथों में अब तक था गरम और सख्त और मुलायम और मोटा सा लिंग अब तक उसके जेहन में उसके शरीर के हर हिस्से को एक आग में झुलसा रहा था वो मजबूर थी ना चाहते हुए भी बार-बार उसके जेहन में यह बात घर किए हुए थी अब तो उसका सिर भी घूमने लगा था
 
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Reactions: Adhir Rajput

Tiger 786

Well-Known Member
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पापाजी के साथ कामया अपने नये काम को देखती हुई कॉंप्लेक्स में आज कुछ और अंदर तक घुसी वहां के लोगों से मिली और कुछ देर बाद वहां से निकलकर अपने शोरुम में भी पहुँची और फिर कल की तरह ही पूरी शाम तक वो अपने पति और पापाजी के साथ ही रही उसके मन में एक बार भी कही कोई त्रुटि नहीं आई या फिर कहिए सेक्स के बारे में कोई भी सोच नहीं आई वो इसी तरह से अपने शाम तक का टाइम निकाल कर जब अपने पति के साथ घर पहुँची तो बहुत थक गई थी घर पहुँचकर भी उसने ना तो भीमा चाचा से नजर ही मिलाई और नहीं लाखा काका के सामने कोई उत्तेजना ही

इसी तरह रात को भी कामया अपने कमरे में ही रही रात को कामेश के साथ सेक्स का मजा भी लिया और बहुत ही प्यार भरी बातें भी की कामेश उसे बहुत छेड़ रहा था उसे बार-बार अपने काम के बारे में पूछकर उसे एमडी एमडी कहकर , छेड़ता जा रहा था उसे भी अपने पति की छेड़ छाड़ अच्छी लग रही थी वो अगर इतना ध्यान उसे दे तो क्या जरूरत है उसे किसी के पास जाने की अगर वो उसे समय दे तो क्या जरूरत है उसे किसी से समय माँगने की वो बहुत खुश थी और अपने बिस्तर पर पड़े हुए वो एक चरम सुख का आनद ले रही थी उसे आज साफ्ट सेक्स में मजा आ रहा था कितना प्यार करते है कामेश उसे कितने हल्के हाथों से और कितने जतन से कही उसे चोट ना लग जाए या फिर निशान ना पड़ जाए कितने प्यार से उन्होंने उसकी चुचियों को छुआ था और कितने प्यार से उन्हें मुख में डालकर चूसा भी था वो एक परम आनंद के सागर में गोते लगा रही थी जब कामेश ने उसकी योनि के अंदर प्रवेश किया तो आआआआआह्ह एक सिसकारी उसके मुख से आनयास ही निकल गई थी और वो कामेश के होंठों को अपने होंठों में लेकर चुबलने लगी थी कितना आनंद और सुख है कामेश के साथ कोई चिंता नहीं कैसे भी और किसी भी वक़्त वो अपने पति के साथ आनंद ले सकती थी कामेश की स्पीड धीरे-धीरे बढ़ने लगी थी और वो अब पूरी गति से कामया पर छाया हुआ था और कामया भी अपने पति का पूरा साथ दे रही थी और आज तो कुछ ज्यादा ही

वो हर धक्के पर उच्छल जाती और अपनी बाहों के घेरे को और भी कामेश के चारो ओर कस्ति जा रही थी हर धक्के को वो भी कामेश के धक्के के साथ मिलाना चाहती थी और हर धक्के के साथ ही वो कामेश को किस भी करती जा रही थी और उसके होंठों के बाद अब तो वो उसकी जीब को भी अपने होंठों में दबा कर अपने मुख के अंदर तक ले जाने लगी थी कामया की सेक्स करने की कला से कामेश भी हैरान था और वो जानता था , कि कामया बहुत ही गरम है और वो अब ज्यादा देर तक ठहर नहीं पाएगा जिस तरह से कामया अपनी कमर को उछाल कर उसका साथ दे रही थी उसे अंदाजा हो गया था कि कामया भी कभी भी उसका साथ छोड़ सकती है कामया के होंठों से निकलने वाली हर आवाज अब उसे साफ-साफ सुनाई दे रही थी जो कि उसके कान के बिल्कुल करीब थी और भी उसे उसके करीब खींचने की कोशिश कर रही थी

कामेश ने भी अपने पूरे जोर लगाकर कामया को अपनी बाहों के घेरे में कस रखा था और लगातार अपनी स्पीड को बढ़ा रहा था हर धक्के में वो कामया के जेहन तक उतर जाना चाहता था और उसे रास्ता भी मिल रहा था आज कामया उसे पागल कर दे रही थी वो जिस तरह से अपनी दोनों जाँघो को उसकी कमर के चारो ओर घेर रखा था उससे वो बहुत ज्यादा ऊपर भी नहीं हो पा रहा था उसकी जकड़ इतनी मजबूत थी कि वो छुड़ाने की कोशिस भी नहीं कर पा रहा था
कामया- जोर से कामेश और जोर से
कामेश- हूँ हूँ आअह्ह हाँ …
कामया- और कस कर पकडो प्लीज और कस कर मारो प्लीज


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कामेश अपनी पूरी ताकत लगाके कामया को जकड़े हुए था पर कामया उसे और भी पास और भी नजदीक लाने की कोशिस कर रही थी वो उत्तेजना में जाने क्या-क्या कह रही थी वो अपने पूरे जोर से कामया के अंदर-बाहर हो रहा था पर कामया के मुख से निकल रहे शब्दों को सुनक र , सच में पागल हुए जा रहा था वो अपनी पूरी शक्ति लगाकर कामया को भोगने में लगा था पर कामया को उपने शिखर में पहुँचने में अभी थोड़ी देर थी वो कामेश को जितना हो सके उसने जोर से कस कर भिच रखा था और लगातार अपनी कमर को हिलाकर कामेश के लिंग को जितना हो सके अंदर तक ले जाने की कोशिश करती जा रही थी वो एक साधारण औरत जैसा बिहेव नहीं कर रही थी वो एक सेक्स मेनिक जैसी हो गई थी और अपने ऊपर अपने पति को ही निचोड़ने में लगी हुई थी वो अपनी योनि को भी सिकोर्ड कर उसके रस को अपने अंदर तक समा लेने चाहती थी

और उधर कामेश जितना रुक सकता था रुका और धम्म से कामया के ऊपर ढेर हो गया वो अपनी पूरी शक्ति लगा चुका था और कामया को भोगने में कोई कसर नहीं छोड़ा था पर पता नहीं कामया को क्या हो गया था कि आज वो उसका साथ नहीं दे पाया वो अब भी नीचे से धक्के लगा रही थी और कामेश के सिकुडे हुए लिंग को अपने से बाहर निकलने नहीं दे रही थी अचानक ही कामया जैसे पागल हो गई थी एक झटके से अपनी जाँघो को खोलकर वापस आपास में जोड़ लिया और कामेश को नीचे की ओर पलट दिया और खुद उसके ऊपर आके उसके ऊपर सवार हो गई अब कामया कामेश को भोग रही थी ना कि कामया को कामेश शिथिल होता जा रहा था उसके शरीर में इतनी भी ताकत नहीं थी कि वो कामया को सहारा दे और उसे थामे पर कामया को जैसे किसी तरह की मदद की जरूरत ही ना हो वो कामेश के ऊपर सवार होकर अपनी कमर को तेजी चलाकर अपनी हवस को शांत करती जा रही थी पर शायद कामेश के सिकुड़ जाने के बाद उसे इतना मजा नहीं आया था वो एकदम से कामेश के सीने में गिर गई और उसे चूमते हु ए
कामया- प्लीज कामेश थोड़ी देर और प्लीज करो ना आआआआआआअ

कमाया की कमर अब भी अपने अंदर कामेश के लिंग को निचोड़ जा रही थी पर कामेश में अब ताकत नहीं बची थी सो वो अपने हाथों को उसकी कमर के चारो और लेजाकर कस के उसे पकड़ लिया और नीचे से धीरे-धीरे धक्के मारने लगा था ताकि कामया को शांत कर सके पर कामया ने तो जैसे आशा ही छोड़ दी थी वो कामेश के सीने से चिपकी हुई अपने कमर को आगे पीछे करती जा रही थी और कामेश के सीने पर किस करते-करते अपनी उंगलियों से उसके बालों को खींचने लगी थी
कामेश- आहह क्या करती हो
कामया- धात थोड़ी देर और नहीं कर सके
कामेश- अरे आज क्या हुआ है तुम्हें पहले तो ऐसा नहीं देखा
कामया- एक तो इतने दिन बाद हाथ लगाते हो और फिर अधूरा ही छोड़ देते हो
और कामेश के ऊपर से अपनी साइड में उतरगई कामेश को भी दुख हुआ और कामया को अपनी बाहों में भर कर उसके गालों को चूमते हुए कहा
कामेश- अरे यार पता नहीं क्या हुआ आज पर पहले तो ऐसा नहीं हु आ
कामया- बुड्ढे हो गये हो और क्या सिर्फ़ दुकान औ र , पैसा ने तुम्हें बूढ़ा बना दिया है और कुछ नहीं
और गुस्से में पलटकर सोने की कोशिश करने लगी पर नींद कहाँ वो अपनी अधूरी छोड़ी हुई वासना को कैसे पूरी करे सोचने लगी थी
वो अचानक ही कामेश की ओर मूडी और फिर से कामेश को अपनी बाहों में भर कर उसे किस करने लगी

कामेश को भी लगा कि शायद गुस्से के कारण उसने जो कहा उसके लिए शर्मिंदा है सो उसने भी कामया को अपनी बाहों में भर लिया और वो भी कामया को किस्स करने लगा था पर कामया के दिमाग में कुछ और ही था वो कामेश को किस करते हुए अपना एक हाथ नीचे उसके लिंग तक पहुँचा चुकी थी कामेश एक दम भौचक्का रह गया वो आखें खोलकर कामया की ओर ध्यान से देखने लगा कामया के चहरे पर एक कातिल सी मुश्कान थी जैसे वो कह रही हो कहाँ जाओगे बचकर वो कामेश के लिंग को अपने हाथों में लेकर उसे अपने लिए तैयार करने चेष्टा में थी उसकी आखों में एक अजीब सी चमक थी जो कि कामेश ने आज से पहले कभी नहीं देखी थी वो एक अलग सी कामया को देख रहा था पर हाँ … उसे अपनी पत्नी का यह अंदाज अलग और अच्छा लगा वो भी फिर से अपनी में आने लगा था कामया की हथेलियो में उसके लिंग को एक नई उर्जा मिल रही थी और उसके किस में भी एक अलग ही बात थी जो कि आज तक उसने कभी महसूस नहीं किया था

कामया कामेश के लिंग को धीरे-धीरे अपने हाथों से सहलाती हुई कामेश के होंठों को किस करती जा रही थी और एकटक कामेश की ओर देखती जा रही थी फिर धीरे से कामेश के होंठों को छोड़ कर वो कामेश के सीने के बालों में अपने होंठों को एक दो बार घुमाकर उसके पेट और नाभि तक पहुँच गई थी उसका एक हाथ अब भी उसके लिंग पर ही था जो कि अपने अस्तित्व में आने लगा था और थोड़ा बहुत झटके लेकर अपने आपको जगा हुआ परवर्तित करवाने की चेष्टा में था कामेश के होंठों से कामेश के शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी और वो झुक कर अपनी पत्नी को उसे इस तरह से प्यार करते हुए नीचे की ओर जाते हुए देख रहा था वो कामया के सिर को सहलाते हुए अपने तकिये में चुपचाप लेटा हुआ था कामया के होंठों ने जब उसकी नाभि और पेट को छोड़ कर अचानक ही उसके लिंग को किस किया तो वो लगभग चौक गया और नीचे की और देखते हुए अपनी पत्नी के सिर पर अपने हाथों के दबाब को बढ़ते हुए पाया था शायद हर मर्द की चाहत ही होती है कि कोई औरत उसके लिंग को चूसे बिस्तर पर एक वेश्या जैसे वर्ताव करे पर जब यह सब होने लगता है तो एक बार आश्चर्य होना वाजीब है और कामेश को भी हो रहा था पर कामया जिस तरह से उसके लिंग को अपने मुख के अंदर लेकर खेल रही थी या फिर उसके लिंग को अपने लिए तैयार कर रही थी वो अपना आपा खो चुका था अपने लिंग को कामया के मुख में डालने की शायद वो चाहत कामेश के अंदर भी थी पर शायद कह नही पाया था पर आज तो जैसे वो कामया को अपने लिंग का स्वाद लेने के लिए दबाब भी बनाने लगता जैसे ही कामया की जीब ने उसके लिंग को छुआ वो अपने शरीर में झटके को नहीं रोक पाया



016-1000
Superb update
 

Tiger 786

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कामेश-----------आआआआह्ह कामयाआआआआआ अ
कामया- हाँ … क्या
कामेश- प्लीज एक बार चूस लो प्लीज बहुत इच्छा थी प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज् ज
कामया- हाँ … एक बार क्यो

और चप से उसके लिंग को अपने मुख के अंदर ले गई और प्यार क्या होता है यह अब समझ में आया कामेश को जैसे ही कमाया ने अपने होंठों के बीच में उसके लिंग को दबा के आगे पीछे अपने होंठों को किया वो तो जैसे पागल ही हो गया अपनी कमर को उठाकर कामया के मुख में अपने लिंग को घुसाने की कोशिश करने लगा था और कामया जो कि कामेश की स्थिति से भली भाँति वाकिफ थी अपने हाथों को जोड़ कर और अपने होंठों को जोड़ कर उसने अपने खेल को अंजाम देना शुरू कर दिया जीब का साथ भी लेती जा रही थी कामेश अब पूरी तरह से तैयार हो चुका था और अब वो फिर से कामया को भोगने को तैयार था वो अपने हाथों को बढ़ा कर कामया के शरीर को छूने का मजा ले रहा था कामेश अब धीरे-धीरे उठकर बैठ गया था और कामया उसके सामने घुटनों के बल बैठी हुई प्रणाम करने की मुद्रा में बैठी हुई कामेश के लिंग को चूसती जा रही थी कामेश अपनी पत्नी को अपने हाथों से सहलाते हुए अपनी कमर को भी एक बार-बार झटके दे चुका था कामया को अपने मुँह में कामेश के लिंग का सख्त होना अच्छा लग रहा था वो भूल चुकी थी कि वो अपने पति के साथ है और किसी के साथ नहीं पर वो मजबूर थी जो आग उसके शरीर में लगी थी अगर वो उसे नहीं बुझाएगी तो वो पागल हो जाएगी या फिर से उसके कदम बहक जाएँगे इसलिए वो अपने पूरे जोर से कामेश को अपने लिए तैयार करने में जुटी थी उधर कामेश भी पूरी तरह से तैयार था उसके मुख से अचानक ही एक आवाज कामया के कानों में टकरा ई
कामेश- कामया निकल जाएगा
कामया ने झट से कामेश के लिंग को छोड़ दिया और एकदम से घुटनों के बल खड़ी हो कर कामेश के होंठों को चूमते हु ए
कामया- नहीं अभी मत निकालना प्लीज अंदर करो
और खुद ही कामेश के दोनों ओर अपनी जाँघो को खोलकर बैठ गई और अपने ही हाथों के सहारे से कामेश के लिंग को अपनी उत्तेजित योनि के अंदर डालने की कोशिश करने लगी कामेश भी कहाँ पीछे रहने वाला था एक ही झटके में कामया के अंदर तक समा गया
कामया जो कि अब तक बस किसी तरह से अपने को रोके हुए थी पर जैसे ही कामेश उसके अंदर तक पहुँचा वो तो जैसे पागल ही हो गई अपने हाथों से जैसे इस बार उसे नहीं जाने देना चाहती थी वो खुद ही अपने अंदर तक उसके लिंग को समाने की कोशिश में लगी थी वो अपने को उपर नीचे करते हुए कामेश को अपनी दोनों बाहों के घेरे में लिए उसकी गोद में उछल कर अपने को शांत करने की कोशिश करने लगी थी
कामेश जो कि अब पूरी तरह से तैयार था और कामया के उतावलेपन से थोड़ा सा परेशान जरूर था पर एक बात तो थी कामया के इस तरह से उसका साथ देने से वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित था हर एक धक्के में वो कामया के जेहन तक समा जाता था और फिर अपने को थोड़ा सा सिकोड़ कर फिर से वो कामया के अंदर तक चला जाता था कामया जो कि उसके ऊपर बैठी हुई थी अपनी दोनों जाँघो से कामेश की कमर को कस कर जकड़े हुई थी हर धक्के पर कामया के मुख से
कामया- ऊऊऊऊओह् ह … कामेश प्लीज थोड़ा जोर से उउउम्म्म्मममम

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और कामेश के होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूसती और अपनी बाहों के घेरे को और भी उसके गले के चारो और और कसते जाती जाँघो का कसाव भी बढ़ता जात ा
कामया- और जोर से और जोर से कामेश भी क्या करता कामया को झट से नीचे गिरा कर उसके ऊपर सवार हो गया और जोर से अपनी बाहों में भरकर जोर-जोर से धक्के लगाने लगा पर कामया तो जैसे भूखी शेरनी थी कामेश के बालों को पकड़कर उसने अपने होंठों से जोड़ रखा था और लगातार उससे रिक्वेस्ट करती जा रही थी
और जोर से और जोर से कामेश का दूसरी बार था पर वो अपने जोर में कोई कमी नहीं ला रहा था उसकी हथेली कामया के बालों का कस कर जकड़कर अपने होंठों से लगाए हुए था और बाहों के घेरे को कसकर कामया के सीने के चारो ओर कस रखा था अपने शरीर के जोर से उसे बेड पर निचोड़ रहा था और कमर के जोर से उसे भेदता जा रहा था और टांगों के ज़ोर से अपनी गिरफ़्त को बेड पर और मजबूती से पकड़े हुए था पर कामया लगातार उसे और जोर से कहती हुई उससे किसी बेल-की भाँति लिपटी हुई थी और लगातार हर चोट पर कामेश की चोट का साथ देती जा रही थी कामेश अपने आखिरी पड़ाव की ओर आग्रसर था पर कमाया का कही कोई पता नहीं था वो लगातार अपनी कमर को उछाल कर अपनी उत्तेजना को दिखा रही थी पर कामेश और कहाँ तक साथ देता वो झर झर करता हुआ झड़ने लगा था दो चार धक्कों के बाद ही वो अपने शिखर की ओर चल दिया कामया ने जैसे ही देखा कि कामेश उसका साथ छोड़ने को है वो एकदम से भयानक सी हो गई और कामेश को पलटकर झट से उसके ऊपर सावर हो गई ताकि बचाकुचा जो भी है उससे ही अपना काम बना ले वो नहीं चाहती थी कि वो अपने आपको तड़पता हुआ सा पूरी रात जागे या फिर अपनी आग को बुझाने को नौकरों के पास जाए

वो जैसे ही कामेश पर सवार हुई कामेश तो ठंडा हो गया पर कामया उसके ऊपर सवार होकर जैसे तैसे अपने को शांत कर सकी नहाई नहीं थी ना तो सुख के सागार में गोता ही लगाया था पर हाँ … नदी के किनारे खड़े होने से थोड़े बहुत पानी से भीग जरूर गई थी जैसे नहाई हुई हो और कामेश के ऊपर गिर कर उसे और जोर से किस किया और अपनी जगह पर पलट ग ई
कामेश- क्या हो गया है तुम्हें
कामया- क्या कुछ नहीं बस ऐसे ही
कामेश- पर आज तो कमाल कर दिया
कामया- अच्छा नहीं लगा तो कल से नहीं करूँगी
कामेश- अरे यार तुम भी ना
और कामया को कस कर अपनी बाहों में भरकर सो गया
पर कामया की आखों में नींद नहीं थी वो जागी हुई थी और अपने अतीत और भविष्य के बारे में सोच रही थी



2022-01-29
Lazwaab update
 

Alok

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Atyadhik garam aur kamukta se paripurna kahani hai bhai, itni 🔥🔥🔥🔥🔥 apni soch mein kaha se laate ho....

Very hard to control 🍌🍌🍌🍌

Aagle update ki pratiksha mein
 
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Coquine_Guy

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वो धम्म से बेड पर गिर पड़ी चित होकर अपने हाथों को फैला कर उसने बेड के चारो ओर एक बार देखा कि वो ठीक है कि नहीं और फिर से वो अपनी दुनियां की सैर करने लगी थी कितना मजबूत था भोला और निडर भी किसी बात की चिंता नहीं की उसने अगर उस समय कामेश या कोई और ही आ जाता तो और वो भी बिना किसी डर के बाद में उसका साथ देने लगी थी सोचते सोचते वो फिर से अपने आपको उसी आग में झौंकने लगी थी जिसे वो निरंतर खामोश करने की कोशिश कर रही थी पर हर बार वो कोशिश उसके शरीर को और भी उस आग में धकेल रहा था जिस आग से वो भाग रही थी

हर एक पहलू उसे उस ओर धकेल रहा था जिससे वो भागने की कोशिश कर रही थी लेटे लेटे वो बहुत देर तक अपने बारे में सोचती रही और अपने को कही और ही ले जाने की कोशिश करती रही पर हर बार वो लौट कर वही आ जाती थी जहां से चली थी अपने को संभालते हुए वो एक बार फिर से खड़ी हुई और अपने बेड को ठीक करने लगी थी वो नहीं सोचना चाहती थी उस बारे में नहीं वो अब और इस दलदल में नहीं फँसेगी नहीं वो अब नहीं बहकेगी हाँ … अब वो ठीक से सोच पा रही थी बिल्कुल ठीक कामया ने एक ही झटके में अपने बेड की ठीक करते हुए लाइट बंद करके चुपचाप लेट गई कमरे में बिल कुल सन्नाटा पसर गया था हल्की सी नाइट लैंप की रोशनी थी पूरे कमरे में बहुत ही मध्यम सी सिर्फ़ और सिर्फ़ कामया के सांसों की चलने की आवाज आ रही थी और कुछ नहीं

कामया बेड पर पहले तो फेल कर सोई हुई थी फिर अपने को सिकोड़ कर फिर और भी सिकोड़ कर सोने की कोशिश करती रही आखें बंद करती तो वही भोला का चेहरा उसे याद आता कैसे आखें बंद किए हुए था उस समय जब वो उसके लिंग को सहला रही थी किसी पत्थर की तरह सख्त था आआआआआआह्ह उूुुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़


कामया झट से उठ बैठी नहीं और नहीं सह सकती यह कामेश की गलती है वो क्या करे उसका पति ही उसका साथ नहीं देता तो वो क्या करे शादी के बाद औरत हर एक इच्छा के लिए अपने पति पर ही निर्भर रहती है और वो हमेशा ही उसे अनदेखा करता है क्यों चला गया वो खाने से लेकर हर चीज़ उसे अपने पति से ही चाहिए होता है पर वो तो सिर्फ़ खाने और पहनने तक ही सीमित था असल समय में ही गायब हो जाता था नहीं अब और नहीं सह सकती वो उससे कुछ करना ही पड़ेगा , नहीं तो वो मर जाएगी उसे कोई चाहिए कोई भी उसके तन की आग को बुझाने को कोई भी चलेगा पर चाहिए अभी ही कामया के शरीर में जाने कहाँ से एक फुर्ती सी आ गई थी वो एक झटके से अपनी चादर को अपने शरीर से अलग करके नीचे पड़े हुए सँडल पर अपने पैरों को घुसा लिया और खड़ी हो गई वो अपने रूम से बाहर जाना चाहती थी

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उसे इस रूम में घुटन ही रही थी यहां अगर वो ज्यादा देर रहेगी तो पागल हो जाएगी नहीं नहीं उसे बाहर ही जाना है वो धीरे से अपने रूम का दरवाजा खोलकर बाहर आकर खड़ी हो गई सीढ़ियो के ऊपर जाने वाले रास्ते को एक बार देखा नहीं अंदर से एक हल्की सी आवाज आई वो थोड़ा सा रुक गई नहीं वो ऊपर नहीं जाएगी फिर वो धीरे-धीरे चलते हुए नीचे की ओर जाने लगी थी वो एक बात बिल कुल भूल चुकी थी कि वो क्या पहेने हुए थी सिर्फ़ एक छोटा सा शमीज टाइप का गाउन जो कि उसके अंदर का हर हिस्सा साफ-साफ दिखाने की कोशिश कर रहा था ना पैंटी और नहीं ब्रा बस एक हल्का सा गाउन था वो या कहिए एक महीन सा कपड़ा भर था उसके शरीर पर पर वो अपने आपसे नहीं लड़ पा रही थी शायद आज की पूरी रात ही वो अपने आपसे लड़ते हुए गुज़ार देगी सीढ़ियो से नीचे उतरते हुए उसे अपने पूरे घर के सन्नाटे को भी देखती हुई वो बिल्कुल धीमे कदमो से चलती हुई किचेन की ओर बढ़ रही थी किचेन में हल्की सी रोशनी थी

एक-एकदम सन्नाटा कोई नहीं था वहाँ भीमा चाचा अपना काम खतम करके ऊपर चले गये होंगे हाँ … उसने आगे बढ़ कर फ्रीज खोला और एक बोतल निकाल कर धीरे धीरे एक-एक घुट पानी पीने लगी खड़ी हुई एक बार पूरे किचेन की ओर देखा फिर एक घुट फिर थोड़ा इधर उधर फिर एक बोतल रख ही रही थी कि उसे पीछे से एक आहाट सुनाई दी वो थोड़ा सा डरी पर हिम्मत नहीं हुई पलटने की आवाज रुक गई थी फ्रीज का दरवाजा अब भी खुला था और वो झुकी हुई थी झुके झुके ही उसने पलटकर किचेन से बाहर की ओर देखा कामया की सांसें फिर से फूलने लगी थी बिना पीछे पलटे ही खड़ी हुई और फ्रीज के दरवाजे को बहुत ही धीरे से बंद करके वही फिर से खड़ी हो गई उसे नहीं पता था कि पीछे कौन था खड़ी ही हुई थी कि पीछे से दो हाथों ने उसकी कमर से चलते हुए धीरे-धीरे से उसकी चूची को अपनी गिरफ़्त में ले लिया कामया के मुख से एक लंबी सी आआह्ह निकली थी उसने उसे रोकने को कोशिश नहीं की अपने अंदर के द्वंद से वो थक चुकी थी वो नहीं गई थी किसी के पास अगर कोई उसे शांत करना चाहता है तो अब उसे क्यों रोके वो वैसे ही खड़ी रही बल्कि उसके हाथों को अपने हथेलियो से और कस कर पकड़ लिया था अपनी गर्दन को पीछे की ओर धकेल कर उसके कंधों पर टिका लिया था उसे सहारे की जरूरत थी एक बहुत ही मजबूत सहारे की अपनी चूची को बहुत ही धीरे-धीरे दब्ते हुए पा रही थी वो बहुत ही प्यार से

कामया- आअह्ह जोर से दबा ओ
- क्यों अपने आपको तकलीफ देती है बहू हाँ

और एक लंबा सा चुंबन उसके गालों को गीलाकर गया था हल्की हल्की दाढ़ी के सख्त बाल उसके कोमल और नाजुक से गालों को छू रहे थे वो और भी ज्यादा उसकी काम अग्नि को बढ़ा रहे थे वो अब अपने आप में नहीं थी अब तो वो उसके हाथों में थी और सबकुछ न्योछावर था सबकुछ

- इस घर में तेरे गुलामों के रहते क्यों

और एक लंबा सा चुंबन होंठों को होंठों से जोड़ गया और आवाजें एक के अंदर एक गुम हो गई कमाया का गाउन उसकी कमर के ऊपर की ओर उठ गया था पीछे खड़े सख्स के हाथों के कारण उसके हाथ अब उसकी चूची को अच्छे से दबा रहे थे कामया को जरा भी दर्द नही हो रहा था बल्कि बहुत अच्छा लग रहा था पीछे से उस सख्स के लिंग का अहसास भी उसे हो रहा था शायद लूँगी के अंदर था पर साफ-साफ पता था कि वहां कुछ है और बहुत ही उतावला है क्योंकी हर बार वो एक झटका जरूर लेता था कामया का एक हाथ अपने आप पीछे की ओर चला गया था और वो उस लिंग को अपने हाथों में लेना चाहती थी वो लिंग जो उसकी आग को शांत करना चाहता था उसके हाथों के पीछे पहुँचने से पहले ही पीछे खड़े सख्स ने जैसे उसकी मन की बात भाप ली हो एक ही झटके में उसकी धोती नीचे थी और कामया के नितंबों में गरम-गरम और तगड़ा सा लिंग अपने आपको आ जादी से स्पर्श करते हुए पाया उसका हाथ पीछे की ओर गया ही था कि उससे रहा नहीं गया और झट से उसने लिंग को अपनी गिरफ़्त में ले लिया और बड़े ही उतावले पन के साथ उसे मसलने लगी थी पीछे खड़े सख्स को भी पता था कि कामया को क्या चाहिए वो भी कामया को धकेलते हुए पास में ही प्लॅटफार्म पर झुका कर खड़ा किया और अपने उतावले लिंग को उसके रास्ते पर चलने को छोड़ दिया लिंग अपने आप ही कामया की योनि के द्वार पर अपने सिरे को टिकाए हुए अपने आपको अंदर जाने के धक्के का इंतजार करता तब तक तो कामया ने भी अपनी जाँघो को थोड़ा खोलकर उसे रास्ता दे दिया और एक ही धक्के में लिंग अपने रास्ते चल निकला

कामया- आआआआआआह् ह ,
- धीरे बहू कोई सुन लेगा

और बहू के ऊपर झुकते हुए उसके होंठों को ढूँढ़ कर अपने कब्ज़े में किया ताकि उसके मुख से निकलने वाली आवाज बाहर तक नहीं जा सके लेकिन कामया तो जैसे अपने अंदर उस लिंग को पाकर पागल हो गई थी उस सख्स के हर धक्के का साथ क्या दे रही थी बल्कि उसे पीछे की ओर ही धकेल देती थी हर धक्के के साथ वो इतना झुक जाती थी कि उस सख्स का लिंग उसके अंदर तक बिना किसी तकलीफ के बहुत ही अंदर तक समा जाता था
वो सख्स भी शायद पहले से ही बहुत उतेजित था या कहिए कामया के इस तरह से वर्ताव करने से ही , वो बहुत ही जल्दी अपने मुकाम पर पहुँचने वाला था कामया का भी यही हाल था बहुत देर से जो आग उसके शरीर में लगी थी वो हर झटके में उसके हाथों से निकलती जा रही थी उसकी योनि के अंदर एक बहुत ही तेज और बड़ा सा समुंदर का सा जोर बनने लगा था वो जाने कब और कितनी देर तक उसका साथ दे पाएगी वो नहीं जानती थी पर , जो जंगली खेल दोनों खेल रहे थे उसमें कोई भी एक दूसरे का साथ छोड़ने को तैयार नहीं था हाँ पर एक दूसरे से दूर जाने को भी तैयार नहीं थाथे पीछे के हर धक्कों को झेलते हुए वो एक असीम समुंदर में एक झटके से गोते लगाने लगी थी उसके होंठ अब आजाद थे वो एक लंबी सी चीत्कार करते हुए अपनी कमर को और भी तेजी से पीछे की ओर करती जा रही थी और उस सख्स के हर धक्के का जबाब भी दे रही थी वो सख्स भी अपनी सीमा को लगने ही वाला था उसकी पकड़ इतनी कस गई थी , थी कामया की कमर के चारो तरह कि कामया लो लगा था कि उसकी कमर की हड्डी ही टूट जाएगी पर जैसे ही वो सख्स झडा धीरे-धीरे उसकी पकड़ ढीली पड़ती गई और वो उसकी पीठ के ऊपर अपनी जीब और चेहरा घिसते हुए शांत हो गया पर जाने क्या हुआ कि जैसे ही वो सख्स शांत हुआ और अचानक ही उससे दूर भी हो गया पर एक दूसरी जोड़ी हाथों की गिरफ़्त में वो पहुँच गई थी

- बहू थोड़ा और रुक जा पागल कर दिया रे तूने

और फिर से एक लिंग उसकी योनि में धड़-धड़ाते हुए बिना किसी चेतावनी के ही सरसराते हुए घुस गया और फिर एक भयानक सी तेजी और वहशीपन वाला खेल चालू हो गया था और कामया को कुछ समझ में आता तब तक तो शायद वो फिर से गरम-गरम सा महसूस करने लगी थी अपनी योनि में शायद उसे और भी चाहिए था शायद वो इतनी गरम हो चुकी थी कि एक के बाद एक और होने से भी उसे कोई फरक नहीं पड़ता था और वो और भी झुक कर उस सख्स के लिंग को और भी अंदर तक ले जाने की कोशिस करने लगी थी उसके हाथ अब भी प्लॅटफार्म के ऊपर ही थे और पीछे के सख्स ने उसकी चुचियों को जोर से अपनी हथेलियो की गिरफ़्त में ले रखा था वो उन्हें मसलता हुआ लगातार झटके पर झटके दे रहा था हर झटके में कामया के मुख से एक लंबी और सुख के सागर में गोते लगाते हुए एक लंबी सी चीख निकलती थी जो किसी भी आदमी को और भी उत्तेजित कर सकती थी या फिर कहिए कि मुर्दे में भी जान डाल सकती थी पीछे के सख्स के लगातार होने वाले आक्रमण को कामया बिना किसी तकलीफ के झेलती चली गई और अपने मुकाम की ओर फिर से दौड़ लगाने लगी थी हर धक्के में वो चिहुक कर अपनी कमर को और भी मोड़ लेती या पीछे कर देती ताकि वो उस लिंग का कोई भी हिस्सा को मिस नहीं करे जिस तरह से वो खेल चल रहा था उसे देखकर कोई भी कह सकता था कि दोनों बहुत दिनों से भूखे है और किसी तरह से अपनी आग को ठंडा करना चाहते है और वो ही कर रहे थे कामया को अचानक ही अपने अंदर के ज्वार को योनि की ओर आते हुए पाया वो फिर से झरने वाली थी और जैसे ही वो झरने लगी थी पीछे वाले सख्स ने भी अपने लिंग से ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ दिया और कस कर उसे अपनी बाहों में भर लिया कामया तो जैसे निढाल सी हो गई थी थकी हुई तो पहले से ही थी और अब तो दो बार उसके शरीर के साथ जो वो चाहती थी हो चुका था लगभग लटक चुकी थी उस सख्स की बाहों में अपने आपको प्लॅटफार्म के सहारे अपने हाथों को रखकर लंबी-लंबी सांसें छोड़ती हुई वो अपने को नार्मल करने की कोशिश कर रही थी उसकी योनि में अब तक उस सख्स का लिंग घुसा हुआ था और बीच बिच में जोर का एक झटका दे देता था इतने में एक जोड़ी हाथों ने उसे फिर से सहारा दिया और उसके कंधों को पकड़कर उसे उँचा किया और सामने से उसे अपनी बाहों में भर लिया और कस कर उसके होंठों पर फिर से टूट पड़ा वो कामया के होंठों को अपने होंठों में दबाए उसे चूसता जा रहा था कामया में इतनी हिम्मत नही थी कि उसे मना करती और वो मना करना भी नहीं चाहती थी क्योंकी उसे यह अच्छा लग रहा था उसका शरीर तो ठंडा दो चुका था पर जैसे ही उस सख्स ने अपने होंठ उसके होंठों पर रखे वो एक बार फिर से उसका साथ देने लगी थी अपने जीब को खोलकर उसके मुख के अंदर तक पहुँचा चुकी थी एक आआआआह्ह सी निकली उसके मुख से शायद उस सुख के लिए थी जो उसे उस सख्स से मिल रहा था एक बार उसने अपनी आँखें खोलकर देखा वो भीमा चाचा थे यानी भीमा चाचा ही वो पहले सख्स थे जिन्होने उसके तन को सुख पहुँचाया था या यह कहिए फिर से उसे उस गड्ढे में धकेल दिया था जिससे वो बच रही थी पर कोई बात नहीं वो अगर नहीं करती तो शायद आज वो पागल हो जाती और जो पीछे है वो लाखा काका है जो अब तक उसे कस कर पकड़कर अपने मुरझाए हुए लिंग को बाहर निकाल चुके थे और उसे ढीला छोड़ दिया था भीमा चाचा के लिए वो अब पूरी तरह से भीमा चाचा की बाँहों में थी और वो कामया को चूमते हुए धीरे-धीरे उसके पूरे शरीर का जाया जा ले रहे थे ऊपर से नीचे तक यानी उसके नितंबों तक जहां तक उनका हाथ पहुँच पा रहा था कभी कभी पीछे से एक और हाथ भी उसकी पीठ पर से रैन्गता हुआ नीचे की ओर आता और उसके नितंबों को छूता हुआ ऊपर की ओर उठ जाता शायद लाखा काका का मन अभी भरा नहीं था और नहीं भीमा चाचा का तभी उसे पीछे से लाखा काका की आवाज सुनाई दी
 

Coquine_Guy

sǝʎƎ ʇoN ʇǝM ʎssnԀ ɹǝɥ ǝʞɐW
683
2,432
124
लाखा- भीमा यहां से चल कमरे में बहू के ले चलते है

और अचानक ही कामया के होंठों को अपने होंठों में सिले हुए वो एक झटके में भीमा चाचा की बाहों में हवा में उठ गई वो अब भीमा चाचा के दोनों हाथों के सहारे थी और किसी मरे हुए शरीर की तरह वो उसे अपनी गोद में उठाए हुए उसके होंठों को चूमते हुए सीढ़िया चढ़ रहे थे कामया अपने अगले राउंड के लिए फिर से तैयार थी उसे आज कोई आपत्ति नहीं थी वो आज शायद एक पूरी फूट बाल टीम को भी खुश कर सकती थी वो अपनी बाहों को कस कर भीमा चाचा के गले के चारो ओर घेर कर अपने होंठों को और भी उनके होंठों के अंदर की ओर घुसाती जा रही थी साथ में चल रहे लाखा काका भी कभी-कभी उसके गोल गोल नितंबों को सहलाते हुए उनके साथ ही ऊपर चढ़ रहे थे कामया दोनों के हाथों का खेलोना थी

आज एक-एक बार उससे खेलने के बाद दोनों ही अपने अंदर के उत्साह को दबा नहीं पा रहे थे और जैसा मन हो रहा था वो वैसा ही उसके साथ करते जा रहे थे थोड़ी देर सीढ़िया चढ़ने के बाद एकदम से भीमा चाचा रुक गये और कामया को लाखा काका के हाथों में सौंप दिया अब कामया लाखा काका की गोद में थी और वो फिर से सीडीयाँ चढ़ने लगे थे अब कामया के होंठ लाखा काका के सुपुर्द थे और वो कामया को गोद में लिए अपने बाहों को कामया के चारो ओर कसे हुए धीरे-धीरे ऊपर चढ़ते हुए उसके होंठ का रस्स पान करते जा रहे थे कामया को कभी-कभी भीमा चाचा के हाथों का स्पर्श भी होता था जाँघो में या फिर टांगों में या फिर अपने नितंबों में पर उसे कोई आपत्ति नहीं थी वो थी ही उनके लिए आज वो उसके खेलने का समान थी जी भर के खेलने का

और वो पूरा साथ दे रही थी अचानक ही वो अपने आपको एक नरम से बिस्तर पर टिकते हुए पाया यानी कि वो अब अपने कमरे में पहुँच गई है और दोनों को अपने दोनों ओर पाया एक के बाद एक उसके होंठों को अपने लिए छीनते जा रहे थे और अपने लार से उसके मुख के अंदर तक भिगाते जा रहे थे उनके हाथ उसके शरीर में जहां तहाँ भाग रहे थे चुचियों से लेकर जाँघो तक और टांगों तक पर कामया को कोई चिंता नहीं थी वो जानती थी कि आज कितनी भी कोशिश करे वो आज अपनी कामग्नी को शांत करके ही मानेगी आज के बाद वो कभी भी आज की स्थिति को नहीं दोहराएगी वो अपने शरीर की भूख के आगे झुक गई थी वो जानती थी कि वो अब कामेश के आलवा भी उसे कोई ना कोई चाहिए जो हमेशा ही उसे शांत कर सके चाहे वो भीमा हो या लाखा या फिर भोला हाँ … भोला क्यों नहीं वो ही तो आज का कल्प्रिट है उसी की वजह से ही तो आज वो इस स्थिति में पहुँची थी उसके दिमाग में जैसे ही भोला का ख्याल आया वो और भी उत्तेजित हो उठी उसकी योनि में एक अजीब सी गुड गुडी होने लगी चाहे वो इन दोनों की हरकत की वजह से हो या फिर भोला के बारे में सोचने की वजह से हो पर वो फिर से पागल सी होने लगी थी वो अपनी जाँघो को जोड़े रखना चाहती थी पर भीमा और लाखा बार-बार उसे अपनी जाँघो को खोलकर अपनी जीब को उसकी दोनों जाँघो को चूमते हुए और चाट-ते हुए उसके ऊपर से नीचे तक चले जा रहे थे इतने में

कामया- प्लीज़ छोड़ो मुझे बाथरूम जनाअ हाईई इ
भीमा तो रुक गया पर लाखा नहीं वो कामया के होंठों को कस कर अपने मुख में दबाए हुए झट से उसे अपनी बाहों में भर लिया

भीमा- छोड़ बहू को कहीं भागी नही जा रही है बाथरूम से हो आने दे
पर लाखा के दिमाग में कुछ और ही था वो झट से कामया को अपनी गोद में फिर से उठा लिया और धीरे से बाथरूम की ओर चल दिया और बाथरूम के डोर को खोलकर उसे पॉट पर बिठा दिया वैसे ही नंगी

लाखा- करले बहू आज नहीं छोड़ूँगा एक मींनट के लिए भी नहीं और खुद भी नंगा उसके सामने खड़ा हुआ अपने लिंग को उसके चहरे पर अपने हाथों से मारने लगा था कामया जिंदगी में पहली बार किसी इंसान के सामने वैसे पॉट पर बैठी थी शायद जिंदगी में अपने पति के सामने भी वो यह नहीं कर पाई थी पर लाखा के सामने वो ए क असहाय नारी की तरह पॉट पर बैठी हुई उसके लिंग को अपने चहरे पर घिसते हुए देख रही थी तभी बाथरूम के दरवाजे पर भीमा भी नजर आया और वो भी अंदर आ गया वो भी अपने हथियार को अपने हाथों से सहलाते हुए कामया की ओर देखते हुए अंदर आते जा रहा था कामया से और नहीं रोका गया और वो पॉट पर बैठी बैठी पिशाब करने लगी दोनों के सामने लाखा काका ने जैसे ही आवाज सुनी तो वो थोड़ा सा मुस्कुराए और थोड़ा सा आगे बढ़ कर अपने लिंग को कामया के चेहरे पर घिसते हुए उसके होंठों से घिसने लगे थे कामया जानती थी कि क्या करना है उसने भी कोई आना कानी नहीं की और अपने गिलाबी होंठों के अंदर उस बड़े से लिंग को ले लिया और धीरे-धीरे अपने जीब से उसे चाटने लगी थी लिंग बहुत सख़्त नहीं था थोड़ा सा ढीला था पर आकृति वैसे ही थी मोटा सा और काला सा तभी उसे अपने गालों के पास एक और लिंग आके टकराया वो भीमा चाचा का लिंग था वो अपने होंठों को लाखा काका के लिंग से अलग करके भीमा चाचा के लिंग पर झुक गई और एक हाथ में लाखा काका के लिंग को घिसते हुए दूसरे हाथ से भीमा चाचा के लिंग को पकड़कर अपने मुख के अंदर डाल लिया वो भी थोड़ा सा ढीला था पर उसके हाथों में आते ही जैसे जादू हो गया था वो धीरे धीरे अपने आकार में आने लगा था एक हाथ में लाखा काका का लिंग और दूसरे में हाथों में भोला चाचा का लिंग लिए वो चूस रही थी और पॉट के ऊपर बैठी हुई वो यह सब करती जा रही थी

उसे मना करने वाल कोई नहीं था और नहीं कोई आपत्ति करने वाला वो जो चाहती थी कर सकती थी कैसे भी और कितनी भी देर तक जाने क्यों उसे यह सब अच्छा लग रहा आता एक औरत को दो-दो आदमी एक साथ प्यार करे और उसे कैसा लग रहा हो यह कोई पूछे तो शायद कोई जबाब ना ही मिले पर कामया को यह खेल पसंद आया था वो पूरे तल्लीनता के साथ एक के बाद एक लिंग को अपने होंठ के पास लाती और झट से अपने मुख में घुसाते हुए अपनी जीब से चूसती जाती दोनों खड़े-खड़े नीचे बहू की हरकतों को देख रहे थे और अपने जीवन के सुख से परिचित हो रहे थे वो इस सुख की कल्पना भी नहीं किए थे की बहू उन्हें वो सुख दे जाएगी जिसे भोगने के लिए पता नहीं इंसान क्या-क्या जतनकरता है फिर भी उसे नसीब नहीं होता वो दोनों भी अपने मुख को ऊपर उठाए हुए बाथरूम के अंदर ही कामया को इस खेल का मास्टर बना चुके थे जब जब कामया के होंठ उनके लिंग को चूसकर मुख से बाहर निकालते थे तो एक सिहरन सी उठ जाती थी उनके शरीर में दोनों का लिंग बारी बारी चूसती हुई कामया को अब उनके लिंगो को पकड़ने की जरूरत नहीं थी अब उसने उनको छोड़ कर , चाचा और काका को कमर से पकड़ लिया था और अपने मुख के पास खींचने लगी थी उसकी नरम नरम हथेलिया काका और चाचा के सख़्त नितंबों पर घूम घूमकर उसकी रचना और गोलाई और मर्दाने पन का एहसास भी करने लगी थी कामया फिर से आतुर थी और वो अब तैयार थी अपनी 3 री पारी के लिए एक-एक करके दो पारी तो वो खेल चुकी थी पर इस बार वो जरूरत से ज्यादा तैयार थी दोनों चाचा और काका ने उसकी दोनों जाँघो को अपनी टांगों के बीच में दबा रखा था और बहुत जोर लगा कर उसे अपनी जाँघो से ही दबाते जा रहे थे अपने हाथों से दोनों एक के बाद एक उसके सिर और चहरे पर अपनी हथेलियो को फेरते जाते थे शायद अपने प्यार को दिखने का तरीका था या फिर जो सुख कामया उन्हें दे रही थी उसे प्रदर्शित करने का यही एक तरीका था उनके पास कामया अब भी दोनों के लिंग को बारी बारी अपनी जीब और होंठों से चाट-ती और चुबलती जा रही थी और बीच बीच में थक कर अपने चहरे को उनके लिंग के आस-पास घिसते भी जा रही थी अब उसकी जाँघो के बीच से पानी जैसा कुछ बहने लगा था वो तैयार थी और बहुत तैयार वो अब नहीं रुक पा रही थी अपना चहरा उठाकर वो दोनों की ओर देखने लगी थी लाखा और भीमा भी एकटक कामया की ओर ही देख रहे थे

कामया- आअह्ह सस्स्स्स्स्स्शह चाचा आआआअ प्लीज ईईईई अब करो
भीमा- आआह्ह बहू
लाखा- उूुुुुउउम्म्म्ममम म


नीचे झुक क र , लाखा ने कामया के होंठों को अपनी गिरफ़्त में लेलिया और कस कर अपनी उत्तेजना को दिखाने लगा था वो एक ही झटके में बहू को फिर से अपनी गोद में खींचकर उठा लिया था और बिना किसी परेशानी के उसे उठाक र बाहर की तरफ लगभग दौड़ता हुआ निकला कामया की दोनों जांघे लाखा काका की कमर के दोनों तरफ से कस गई थी उसे पीछे से भी अपने नितंबों पर दो हथेलियों का स्पर्श सॉफ महसूस हो रहा था जो की उसके गुदा द्वार तक जाते थे और फिर वापस उसके गोल गोल नितंबों का आकार प्रकार नापने में मस्त हो जाते थे वो वैसे ही लटकी हुई अपने रूम में आ गई थी काका का लिंग उसकी योनि और नितंब के बीच में टकरा रहा था और गरम गर्म सा एहसास उसके अंदर एक अजीब सी हलचल मचा रहा था वो जैसे ही रूम में पहुँची लाखा काका ने बिना किसी देर के झट से अपने को बिस्तर पर लिटा लिया और कामया को अड्जस्ट करते हुए उसे ऊपर बिठाकर अपने लिंग को उसकी योनि के अंदर कर दिया लिंग को बिना किसी तकलीफ के एक ही झटके में अंदर तक समा गया जैसे वो रास्ते को जानते थे या फिर वो इतना साफ था कि उसे कोई तकलीफ ही नहीं हुई भीमा चाचा भी पीछे से कामया के नितंबों को अपने हाथों और होंठों से प्यार कर रहे थे और बीच बीच में उसके गुदा द्वार पर भी सहलाते जाते थे कामया के अंदर जैसे एक सेक्स का सागार जनम ले रहा था उत्तेजना के साथ ही एक अजीब सा सुख उसे मिल रहा था जो की आज तक उसने एहसास नहीं किया था जब भी भीमा चाचा उसके गुदा द्वार को छूते वो एक झटके से आगे की ओर होती थी नीचे लेटे लाखा काका को भी इस बात का एहसास होता और वो अपने गंतव्य की ओर एक कदम आगे बढ़ जाते आज पता नहीं क्यों कामया की उत्तेजना शिखर पर थी दो बार झड़ने के बाद भी वो अब तक उत्तेजित थी कि शायद पूरी रात वो इन दोनों के साथ इस खेल में शामिल रह सकती थी पर जो भीमा चाचा कर रहे थे वो उसके लिए नया था वो लगातार उसके गुदा द्वार को छेड़ रहे थे और अचानक ही उनकी एक उंगली भी उसके अंदर चली गई वो एक झटके से आगे की ओर हुई पर कहाँ भीमा की उंगली और भी अंदर त क जाती चली गई वो पलटकर कुछ कहने वाली थी कि लाखा काका की बालिस्ट हथेलियों ने उसकी गर्दन को कस कर पकड़ लिया और अपने होंठों पर झुका लिया वो अपने होंठों को काका के होंठों से अलग नही कर पाई थी और उनका साथ देने लगी थी भीमा चाचा की उंगलियाँ अब धीरे-धीरे उसके गुदा द्वार के अंदर-बाहर होने लगी थी बहुत ही धीरे-धीरे पर वहाँ ल्यूब्रिकेशन ना होने के कारण उसे थोड़ा सा दर्द भी हो रहा था और एक अंजान सा डर उसके जेहन में घर करता जा रहा था वो अपनी कमर को हिलाकर और अपने गुदा द्वार को सिकोड कर भीमा चाचा को रोकने की कोशिश करती जा रही थी अपने हाथों को पीछे की ओर लेजाकर वो अपने गुदा द्वार को ढकने की भी कोशिस कर रही थी पर सब बेकार भीमा चाचा तो अपने काम में लगे हुए थे और अपनी उंगलियों को अब बहुत तेजी से अंदर-बाहर करने लगे थे कामया के मुख से चीख निकलने लगी थी पर जाने क्यों उसे अच्छा भी लगने लगा था वो इस खेल में नई थी पर आगे से लाखा काका अपना कमाल दिखा रहे थे और पीछे से भीमा चाचा उसके अंदर बाहर अपनी उंगलियों को कर रहे थे जिससे कि वो और भी तेजी से आगे पीछे होने लगी थी और बहुत ही तेजी से अपने मुकाम की ओर भागने लगी थी नीचे पड़े हुए लाखा काका की स्पीड भी अब लगभग किसी एंजिन की तरह हो गई थी होंठों को होंठों से जोड़े हुए बिना रुके लगातार झटके पर झटके दे रहे थे अचानक ही कामया को अपने पीछे किसी गाढ़े चिप चिपे तेल जैसी किसी चीज का अहसास हुआ वो कुछ करती इतने में भीमा चाचा के लिंग का एहसास उसे अपने गुदा द्वार पर हुआ वो चौंक गई यह क्या कर रहा है यह पागल वहां भी कोई करता है पर कुछ कहती उससे पहले ही भीमा चाचा का लिंग हल्के से उसके अंदर समा गया वो एक लंबी सी चीख के साथ ही पलट गई पर लाखा की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो अपने अंदर से उस मान्स्टर को निकालने में सफल तो हो गई पर अपने को नीचे नही ला पाई फिर से वो उस स्थिति में आ गई थी जैसे वो पहले थी पर एक डर उसके अंदर समा गया था अगर फिर से भीमा चाचा ने कोशिश की तो नहीं यह नहीं चलेगा उंगली तक तो बात ठीक थी पर वो नहीं बहुत बड़ा है अगर वो अंदर गया तो तो वो मर जाएगी नहीं मर फिर से जैसे ही वो अपनी जगह पर पहुँची भीमा चाचा की उंगली फिर से उसके गुदा द्वार के अंदर-बाहर होने लगी थी जैसे तैसे अपने मुख को काका के होंठों से अलग करके

कामया- नहियीईईईई चाचा आआआआअ वहां नहीं प्लीज ईईईई ई

पर कहाँ भीमा मानने वाला था वो लगातार अपनी उंगली को बहू के अंदर-बाहर करता जा रहा था नीचे से लाखा भी उसे निरंतर धक्के देता हुआ उसे ऊपर-नीचे कर रहा था और अब तो पीछे से भी यही हाल था भीमा चाचा की उंगली तो अब कमाल करने लगी थी कामया की ना नुकर अब बंद थी बल्कि लंबी-लंबी सांसें लेती हुई वो हर झटके के साथ लगातार अपने एक नये मुकाम पर पहुँचने वाली थी तभी शायद नीचे से लाखा ने उसे कस कर जकड़ लिया था और वो उससे लिपट गई थी पर हाँ … अब उसे भीमा चाचा से परेशानी नहीं थी वो अपने लिंग को वहां नहीं डाल रहे थे वो सिर्फ़ अपनी उंगलियों को ही वहां चला रहे थे और तेज और तेज वो अपनी योनि के साथ-साथ अपने नितंबों को भी सिकोड़ कर अपनी उत्तेजना को अंदर तक समेटने की कोशिश में लगी थी कि लाखा काका की गिरफ़्त में वो लगातार हर झटके के साथ अपनी योनि से एक लंबी सी धार लिकलते हुए महसूस कर रही थी पर पीछे का आनंद तो लगा तार बढ़ने लगा था भीमा चाचा की उंगलियां अब उसके गुदा द्वार के अंदर और बहुत ही अंदर तक समा जाती थी और उसे कोई तकलीफ भी नहीं बल्कि उसे तो मजा आने लगा था वो निढाल सी काका के ऊपर लेटी हुई थी पर अपने नितंबों को जरूर पीछे करते हुए भीमा चाचा का साथ दे रही थी और भीमा चाचा भी अब लगातार अपनी स्पीड बढ़ाने लगे थे जो कि एक अजीब सी हलचल उसके अंदर तक मचा रहे थे कामया ने अपनी पूरी जान लगाकर पीछे की ओर एक बार देखा भीमा चाचा अपने लिंग को अपने हाथों में पकड़े हुए झटके दे रहे थे और आगे पीछे कर रहे थे और एक हाथ से वो उसके गुदा द्वार के अंदर अपनी उंगलियां आगे पीछे कर रहे थे एक आवाज उसके कानों में टकराई
लाखा- कमाल की है तू बहू मजा आ गया
कामया- हाँ … आअह्ह और नहीं चाचा आआआआअ प्लीज अजीब सा लग रहा है
भीमा- रुक जा बहू आज के बाद तू कभी मना नहीं करेगी रुक जा इसे पकड़
और थोड़ा सा आगे बढ़ कर उसने अपने लिंग को कामया के हाथों में पकड़ा दिया
 

Alok

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Bahut hi kamuk aur uttejanapurn update bhai.. 🔥🔥🔥🔥🔥
 
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Alok

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Aagla update kab tak aayega bhai
 
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