कामया- यहां रहती हो
वो लर्की- (मुस्कुराते हुए अपना सिर हिला दिया )
कामया- और कौन रहता है यहां
वो लड़की- (कुछ नहीं कहा बस मुस्कुराती रही )
कामया- अच्छा वो भोला कहाँ रहता है (कामया का गला सुख गया था पूछने में )
झट से पूछकर वो एक बार पीछे घूमकर देखने लगी शायद उसे डर था कि किसी ने उसकी आवाज तो नहीं सुनी
उस लड़की ने अपने छोटे से हाथों को उठाकर एक कोने में बनी थोड़ी सी मजबूत सी घर की ओर इशारा कर दिया और आपस में फिर से खेल में मस्त हो गये और एक दूसरे के पीछे भागने लगे कामया उस ओर देखती रही बिल्कुल शांत था वहां का माहॉल बस बच्चो के खेलने और साइट से कुछ आवाजें इधार जरूर आती थी वो अपने कदम को धीरे-धीरे उस ओर बढ़ा रही थी जाने क्यों वो भोला को ढूँढ़ रही थी क्या काम था उसे वो तो अचानक ही उसे याद आ गया था कि कामेश ने कहा था कि कन्स्ट्रक्षन साइट वाले घर में नहीं जाना तो आखिर वो रहता कहाँ है शायद यही देखना चाहती थी वो
थोड़ा आगे बढ़ कर वो जब उस कमरे के सामने पहुँची तो दरवाजा भिड़ाया हुआ सा था थोड़ा बहुत खुला था एक माटमेला सा परदा भी था पकिंग वुड से बना दरवाजा सिर्फ़ कहने को दरवाजा था और कुछ नहीं अंदर कोई हलचल नहीं थी ना कोई आवाज वो थोड़ा सा झुक कर उस दरवाजे के पास जाके हाथों से एक थपकी दी कोई आवाज नहीं शायद नहीं है कामया ने सोचा फिर भी मन नहीं माना एक जोर दार थपकी फिर दी
अंदर से एक तेज आवाज बाहर आई
भोला- कौन है बे
कामया सुन्न रह गई उस कड़कती हुई आवाज को सुनकर जानवर सा वर्ताब है इस भोला का तो सच में इंसान कम जानवर ज्यादा है यह वो बिना कुछ आवाज देकर वापस पलट गई जाने को पर पीछे से आवाज फिर आई
भोला- कौन है साले गोली मार दूँगा अंदर आ ******* (भद्दी सी गाली देकर एक बार फिर से उसकी आवाज गूँजी )
कामया के हाथ पाँव फूल गये थे क्या करे वापस चल देती हूँ क्यों आई यहां मरने दो इसको मर ही जाना चाहिए इसे किसी जानवर से कम नहीं है इतनी बत्तमीजी पर कुछ करती इतने में झट से दरवाजा खुला और सिर्फ़ एक लूँगी पहने भोला उसके सामने अंधेरे में खड़ा था अंदर होने के कारण उसपर धूप नहीं पड़ रही थी और अंदर कोई इतना वेंटिलेशन नहीं था कि अंदर लाइट हो ढीली बँधी हुई लूँगी उसके कमर के चारो और बस झूल रही थी कामया को देखकर एक बार तो भोला भी सन्न रह गया पर एक मुश्कान उसके चहरे पर दौड़ गई और
भोला- आइए मेम साहब क्या बात है आज आप यहां कैसे
कामया थोड़ा सा सहज होकर अपने गले को तर करते हुए इधर उधर देखने लगी थी उसकी सांसें फूल रही थी और स्पष्ट दिख रहा था कि वो बेचैन है
भोला- आइए अंदर आइए यहां तक आई है तो थोड़ा सा पानी पीकर जाइए हाँ …
पर कामया वही खड़ी रही हिली तक नहीं वो अंदर जाना नहीं चाहती थी कितना गंदा सा था वो जगह ब्रिक्स से बना था ऊपर टीन की चद्दर थी रोशनी के नाम पर कुछ नहीं गंदी सी बदबू उसके नाक में घुस रही थी भोला दरवाजे के पास थोड़ी सी जगह बना के खड़ा था एक हाथ से अपनी लूँगी पकड़े जो कि शायद ढीली थी और एक हाथ से दरवाजे से टिक कर उसके सीने और कंधो पर अब भी पट्टी बँधी थी पेट के पास भी कमर के पास छिला हुआ था तभी भोला की आवाज ने उसे चोका दिया
भोला- वहां खड़ी रही तो कोई देख लेगा मेमसाहब कि आप यहां खड़ी है
और कुछ कहती या करती तब तक तो भोला के सख़्त हाथों ने उसे अंदर खींच लिया था वो लगभग चीखती हुई सी अंदर पहुँच गई थी उसकी चुन्नि उसके कंधे से , नीचे गिर पड़ी थी एक तरफ से और लड़खड़ाती हुई सी वो अंदर हो गई भोला ने पीछे से दरवाजा बंद कर दिया और उसके पास से गुज़रते हुए उसके गोल गोल नितंबों पर अपनी हथेलिया फेरते हुए वापस अपने बेड पर जाके लेट गया वैसे ही अधनन्गा
एक सिहरन सी दौड़ गई थी कामया के शरीर में पर हिम्मत करके
कामया- दरवाजा बंद क्यों किया
भोला- खोल दीजिए मेमसाहब हमें क्या
पर कामया नहीं हिली खोल दो अगर किसी ने देख लिया तो यह कहाँ आ गई वो और क्यों और तो और इस भोला की हिम्मत तो देखो बिना कुछ कहे ही उसके शरीर को भी छू गया और वो कुछ नहीं कह सकी एक आवाज ने उसका ध्यान खींचा भोला अपने पैरों से बेड के पास पड़े हुए टीन के एक चेयर को खींच रहा था और ठीक बेड के पास ला के छोड़ दिया थोड़ा सा उठा और अपने हाथों से थोड़ा सा और आगे खींचा और कामया की ओर देखता हुआ
भोला----बैठिए मेमसाहब इस गरीब के घर में यही है बस
कामया हिली तक नहीं वो जाना चाहती थी पर ना जाने क्यों उसके कदम जम गये थे वो चाह कर भी अपने कदम को हिला नहीं पा रही थी उसकी सांसें फूल रही थी और नाक से सांस लेना दूभर हो गया था पर ना जाने क्यों वो वहां खड़ी थी और भोला कामया को लेटे लेटे देख रह आता लंबी सी खूबसूरत सी कामया काले रंग का टाइट चूड़ीदार पहने एक अप्सरा सी लग रही थी उसकी चुन्नि डल जाने के कारण उसकी गोल गोल गोलाइया उसे साफ-साफ देखाई दे रही थी वो लेटे लेटे उस सुंदरता का रस पान कर रहा था वो जानता था कि कामेश यहां नहीं है और कामया आज फिर उसके पास क्यों आई है वो एक चरित्रहीन मनुष्य था लड़कियों और औरतों के बारे में उसे कुछ ज्यादा ही मालूम था किस औरत को कैसे और कहाँ चोट करने से वो उसके काबू में आएगी वो जानता था
एक हाथ बढ़ा कर उसने फिर से कामया की कोमल सी हथेलियो को पकड़ा और खींचते हुए उसे बेड के पास खींच लिया कामया पहले तो थोड़ा सा जोर लगाकर खड़ी रही पर भोला के शक्ति के आगे वो कुछ ना कर सकी खींचती हुई वो बेड के पास पहुँच गई
कामया- नहीं प्लीज़
भोला- बैठिया ना मेमसाहब कहाँ खो गई है आप कब तक खड़ी रहेंगी
और अपने पैरों से फिर से उस टीन के चेयर को और भी बेड के पास खींच लिया वो अब लगभग उसके पेट के पास पड़ा था कामया का हाथ अब भी भोला की सख़्त गिरफ़्त में था और वो उसे खींचता हुआ सा उस चेयर पर बैठने की कोशिश कर रहा था कामिया ने भी जोर लगाना छोड़ दिया और ना चाहते हुए ही उस चेयर पर बैठ गई थी उसके घुटने बेड की ओर थे और वो बेड को छू रहे थे बैठने में थोड़ी सी असुविधा हो रही थी पर पता नहीं क्यों वो कुछ भी नहीं कर पा रही थी वो चाहती तो कब का यहां से निकल जाती या फिर उस भोला को खींचकर एक चाँटा लगाती और उसकी गुस्ताखी की सजा दे सकती थी पर क्यों वो चुप थी उसे नहीं पता बल्कि वो अपनी सांसों को कंट्रोल करती जा रही थी उसकी सांसें जब से वो यहां आई थी लगातार उसका साथ नहीं दे रही थी वो फुल्ती ही जा रही थी
वो बड़े मुश्किल से अपने सांसों को अपने अंदर थामे हुए थी और निरंतर अपने से लड़ते हुए अपने को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रही थी उसने बैठे ही भोला ने उसकी जाँघो में एक प्यार भरी थपकी दी और मुस्कुराते हुए
भोला- हो यह हुई ना बात बड़ी अच्छी लड़की हो तुम
अचानक मेम्साब से लड़की और वो भी अच्छी यह क्या हो रहा है कामया का शरीर अब सनसना रहा था भोला के गरम-गरम और लोहे जैसे कठोर हाथों ने जब उसके जाँघो को थपकी दी तो वो उसके चूड़ीदार को छूकर उसकी जाँघो तक और बहुत अंदर तक एक अजीब सी सिहरन पैदा कर गई थी चूड़ीदार का कपड़ा भी बहुत मोटा नहीं था कि वो भोला के हाथों की गर्मी को उसके स्किन तक ना पहुँचा सके वो तो लगता था कि सिर्फ़ उसकी स्किन को ही छूकर बैठ गया था
कामया एक बार भोला की ओर देखा और बैठकर अपनी नजरें झुका ली भोला बेड पर लेटा हुआ था सीधा हाथ अब उसके सिर के नीचे था और उल्टे हाथ से वो अपनी कमर से लेकर अपने सीने तक को सहलाते जा रहा था काले काले बाल और उसपर सख़्त मसमेशियो में घिरा वो दानव और बीच बीच में कही कही पट्टियाँ और लाल खून के निशान थे उसके शरीर में कामया का दिल बड़े जोरो से धड़क रहा था पर वो कुछ नहीं कर सकती थी वही किसी बुत की तरह से बैठी आने वाले पल का इंतजार करने के सिवा अब उसकी नजर थोड़ी साफ हो गई थी उसने एक बार भोला की ओर देखा वो अब भी उसे ही एक भूखी नजर से देख रहा था वो झेप गई और कमरे में इधर उधर देखने की कोशिश करने लगी थी बेड के पास एक दुनाली बंदूक रखी थी जो शायद उसकी ही थी और जमीन पर कुछ शराब की खाली बोटल थी कुछ छोटे बड़े प्लेट थे जो कि झूठे थे और कुछ में खाने के बाद सब्जी और हल्दी के दाग अब तक साफ देख रहे थे छोटे प्लेट में शायद कुछ नमकीन के आवसेश बचे हुए थे पूरा कमरा एक अजीब सी दुर्गंध लिए हुए था कही से रोशनी नहीं थी खिड़की भी बंद थी और दरवाजा भी उनके बीच से होती हुई कुछ रोशनी अंदर तक आती थी बस वही थी इतने में भोला की आवाज उसे सुनाई दी
भोला- क्या देख रही है मेमसाह ब
कामया -
बस सिर हिला दिया ना करते हुए
भोला- मेरा जीवन तो मेमसाहब आप लोगो के लिए है
और एक अजीब सी हँसी से पूरा कमरा गूँज उठा वो अब भी कामया को घूरता हुआ अपने छाती और पेट को सहला रहा था और एक अजीब सी निगाहे कामया की ओर डाले अजीब सी बातें कर रहा था
भोला- कैसे आई थी मेमसाहब यहां गरीब की कुटिया में हाँ …
कामया क्या कहती कि क्यों आई थी वो एक बार भोला की ओर देखा और फिर जैसे-जैसे वो अपने हाथ अपने शरीर पर चला रहा था उस ओर गोर से देखने लगी फिर अचानक ही झेप कर अपनी निगाहे फेर ली
भोला- हाँ … हाँ … ही ही देखिए मेमसाब सब कुछ आपका ही दिया हुआ है और सबकुछ आपका ही है ही ही ही
कामया को अब थोड़ा सा गुस्सा आ रहा था कुछ नहीं कह रही है तो वो बढ़ता ही जा रहा है जो मन में आ रहा था कहे जा रहा था
कामया- फालतू बातें मत करो ( उसके आवाज में कड़कपन था जो की शायद भोला ने भी पहली बार सुना था थोड़ा सा चुप होकर वो फिर से कामया की ओर देखता हुआ मुस्कुराते हुए अपने सीने से हाथों को घिसते हुए पेट तक ले जाने लगा था उसकी नजर कमी अपर ही टिकी थी और पेट के बाद वो अपनी कमर के चारो ओर अपनी हथेलिया को घुमाने लगा था
भोला- तो कहिए मेमसाहब क्या सेवा करू और कैसे हाँ … ही ही ही
कामया -
भोला- क्या मेमसाहब हम कुछ कहते है तो डाट देती है और आप कुछ कहती नहीं
और भोला का सीधा हाथ फिर से एक बार कामया की जाँघो को छूने लगा और धीरे-धीरे सहलाने लगा था वो धीरे-धीरे अपने हाथों को उसकी जाँघो के जाइंट की ओर बढ़ा रहा था और एकटक कामया के चहरे की ओर देखता भी जा रहा था कामया की आखें भोला की हरकतों को अनदेखा नहीं कर पाई जैसे ही उसका हाथ उसकी जाँघो से टकराया कामया का एक हाथ उसके हाथों पर आ गया और जोर लगाकर उसे हटाने की कोशिश करने लगी थी उसके चहरे में भय के भाव साफ-साफ देखे जा सकते थे वो बार-बार भोला की ओर बड़े ही मिन्नत भरे नजर से देख रही थी पर वो राक्षस तो जैसे दीवाना हो गया था