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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Coquine_Guy

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और एक ही धक्के में भीमा थोड़ा सा पीछे की ओर क्या हुआ कामया ने पलटकर अपनी बाँहे लाखा काक की गर्दन के चारो ओर कस लिया और बिना किसी चेतावनी के ही अपने हाथों से उनकी लूँगी को खींचने लगी थी लाखा को जैसे करेंट लग गया था उसने कामया को इतना उत्तेजित नहीं देखा था पर खुशी थी कि आज मजा आ जाएगा (एक नौकर का मान) बिना किसी अड़चन के लका काका की लूँगी एक ही झटके में नीचे थी उन्होने बड़ा सा अंडरवेर पहेना था वो पर उसका लिंग उसमें से बाहर आने को लगातार झटके ले रहा था बिना कोई शरम के कामया की हथेलिया उसके लिंग के चारो ओर कस्स गई थी और पीछे खड़े हुए भीमा चाचा की कमर के चारो ओर भी भीमा तब तक अपने कपड़ों से आजाद हो चुका था और जैसे ही वो कामया के पास खिचा था उसके लिंग ने कामया के नरम और नाजुक नितंबो को स्पर्श किया तो जैसे कामया का भाग्य ही खुल गया था वो फिर से पलटी और भीमा चाचा के होंठों से जुड़ गई और अपनी एक जाँघ को उसकी कमर पर फँसा दिया उसका एक हाथ अब भी लाखा काका के लिंग को उसके अंडरवेर के ऊपर से कस कर पकड़ रहा था और एक हाथ से भीमा चाचा की गर्दन को खींचकर अपने होंठों से जोड़े रखा था पर भीमा चाचा तो फिर से उसके होंठों का रस्स पान करने में व्यस्त हो गये थे पर कामया को तो कुछ और ही चाहिए था वो फिर से अपनी जाँघ को नीचे करती हुई थोड़ा सा पीछे हटी और अपने दूसरे हाथ से भीमा चाचा के लिंग को भी कस्स कर अपनी हथेली में पकड़ लिया था उधर लाखा तब तक अपने अंडरवेर से आजाद हो चुका था पर कामया की गिरफ़्त में उसके लिंग के होने से वो उसे उतार नहीं पाया था उसकी हथेली ने जैसे ही कामया की हथेली को छुआ तो कामया का ध्यान उसकी ओर गया और फिर नीचे की ओर बालों के गुच्छे को देखकर उसने अपनी हथेलियो की गिरफ़्त को ढीला छोड़ा और तुरत ही वापस कस्स कर उस लिंग को अपने हाथों में जकड़ लिया जैसे कि वो नहीं चाहती थी कि वो उसके हाथों से जाए अब वो दोनों के बीच में आगे पीछे की ओर होकर अपने को अडजस्ट करती हुई खड़ी हो गई औ र , अपनी हथेली को कस कर जकड़ी हुई सी उन लिंगो को अपने नितंबो पर और अपने पेट और उसके नीचे की ओर ले जाने की कोशिश करने लगी थी भीमा और लाखा दोनों कामया के इस रूप से थोड़े से अचंभित तो थे पर उनकी हालत भी अब खराब होने लगी थी उनकी उत्तेजना के सामने कामया की उत्तेजना कही ज्यादा ही थी कामया की पकड़ के सामने वो दो जैसे मजबूर थे पर जो अहसास उसके शरीर को छूने में और उसकी नरम हथेलियो से उन्हें मिल रहा था वो एक स्वर्गीय एहसास था
कामया की आवाज अब थोड़ा सा वहशी सी हो गई थी

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कामया- चाचा करो आअब नहीं तो तोड़ दूँगी आआआआअह्ह प्लीज ईईईईईईईईईई
भीमा जैसे सपना देख रहा था वो कुछ करता पर इससे पहले ही वो कामया के धकेलने से नीचे गिर पड़ा और कामया उसके ऊपर
कामया- करो चाचा नहीं तो मार डालूंगी सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्शह करूऊऊऊऊऊऊऊऊ ओ

और पता नहीं कहाँ से कामया के अंदर इतना दम आ गया था कि भीमा के बैठते ही वो खुद भी एक झटके से उसके मुख के सामने खड़ी हो गई थी और एक झटके में उसके सिर के बालों को कस कर पकड़ते हुए अपनी योनि के पास लेआई थी अब भीमा चाचा की नाक उसके पेट के नीचे की ओर थी और भीमा चाचा के सामने एक ही रास्ता था कि वो अपनी जीब को निकाल कर कामया की योनि को संतुष्ट करे और उन्होंने किया भी वो अपने सामने कामया की उत्तेजना को देख सकता था वो जिस तरह से गुर्राती हुई सी सांसें ले रही थी और एक वहशी सी आवाज से बोल रही थी उससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि कामया की हालत क्या थी कामया की हथेली में अब भी लाखा काका का लिंग मजबूती से कसा हुआ था और वो खड़े-खड़े कामया को भीमा को धकेलते हुए और उसके चेहरे के पास इस तरह से जाते हुए भी देख रहे थे वो भी अचंभित थे कि आज कामया को क्या हो गया था आज वो इतना कामुक क्यों है पर उसे क्या वो तो जकड़ना चाहता था उसके साथ उसका तो पूरा समर्थन था ही सो वो भी थोड़ा सा मुस्कुराता हुआ कामया को अपनी जाँघो को खोलकर भीमा के चहरे पर धकेलते और उसके बालों को खींचकर अपनी योनि से मिलाते हुए देख रहा था कामया के धक्के से और खींचने से भीमा का चेहरा कामया की जाँघो के बीच में गुम हो गया था और लाखा काका किसी कुत्ते की तरह से अपने लिंग को खीछे जाने से कामया की ओर ही बढ़ गये थे पर कामया की उतेजना को आज शांत करना इतना सहज नहीं था वो भीमा चाचा को खींचते हुए और अपनी जाँघो को खोलकर उन्हें लगातार धकेलते हुए नीचे गिरा चुकी थी और अपने योनि को उनके चहरे पर लगातार घिसती जा रही थी भीमा भी अपने आपको बचाने में असमर्थ था और अपनी जीब से कामया की योनि को लगातार चाट-ता हुआ अपने जीब को उसके योनि के अंदर और अंदर घुसाने की कोशिश करता जा रहा था उसके इस हरकत से कामया के अंदर का ज्वार अब दोगुनी तेजी से बढ़ने लगा था और पास खड़े हुए लाखा काका के लिंग को भी अब वो खींचते हुए अपने चेहरे पर मलने लगी थी उसकी कामुक आवाज एक बार फिर निकली

कामया- आआया इधार सस्शह आयो सस्श ह
हाँफती हुई सी वो लाखा काका के लिंग को धीरे से अपने होंठों के अंदर लेजाकर बड़े ही प्यार से एक बार चुबलने के बाद ऊपर लाखा काका की ओर बड़ी ही कामुक दृष्टि से देखा लाखा तो जैसे पागल ही हो गया था हर एक टच जो उसके लिंग पर हो रहा था वो अपने आपको नहीं रोक पा रहा था और थोड़ा सा और आगे की ओर होता हुआ अपनी हथेलियो को कामया के सिर पर रखता हुआ उसे ऑर पास खीचने लगा था
कामया- हाथ हटाओ काका प्लीज हाथ हटाओ सिर सीईईई ई

लाखा की जान निकल गई थी कामया की भारी और भयानक सी आवाज सुन के वो नीचे की ओर देख रहा था और कामया को अपने लिंग से खेलते हुए देखा कामया भी अपने मुख को खोलकर उसके लिंग को अंदर ले जाती और कभी उसे बाहर निकाल कर अपने जीब से चाट-ती और कभी , होंठों को जोड़ कर अपने हाथों में लिए उस लिंग को बड़े ही प्यार से चूमती हर एक हरकत लाखा के लिए जान लेवा थी लाखा अपनी कमर को आगे किए हुए और अपने दोनों हाथों को अपने नितंबो पर रखे हुए कामया की हर हरकतों को देखता जा रहा था और अपने आपको तेजी से दौड़ता हुआ अपने शिखर की ओर बढ़ता जा रहा था और नीचे भोला तो जैसे अपने आपको बचाने की कोशिश छोड़ कर अपने को कामया के सुपुर्द ही कर दिया था वो अपने हाथों को कामया के नितंबो से होता हुआ उसकी कमर को कस्स कर पकड़ रखा था और अपनी जीब को लगातार उसकी योनि में चलाता जा रहा था वो जानता था कि कामया किसी भी क्षण झड जाएगी पर वो अपने काम में लगा रहा उसके चहरे पर कामया की योनि अब भयानक रफ़्तार के साथ आगे पीछे हो रही थी और धीरे-धीरे उसके अंदर से एक धार सी निकलने लगी थी और कामया के शरीर का हर हिस्सा जिस आग में झुलस रहा था वो एक बार फिर से उसके योनि की ओर जाते हुए लग रहा था वो अपने होंठों को जोड़े हुए लाखा काका के लिंग को चूसती जा रही थी और अपनी कमर को हिलाते हुए कभी-कभी ज़ोर का झटका देती थी भीमा का चहरा उस झटके में पूरा का पूरा ढँक जाया करता था पर कामया के मुख से निकले वाली सिसकारी और आहों की आवाजो के बीच में यह खेल अब अपने चरम पर पहुँच अचुका था लाखा भी और कामया भी नहीं तो सिर्फ़ भीमा जिसका की लिंग अब तक खंबे की तरह खड़ा हुआ अपने आपको सलामी दे रहा था
कामया- और जोर से चाचा करो प्लेआस्ईईईईई और जोर से

और अपने मुख में लिए लाखा काका के लिंग को उसी अंदाज में चुस्ती रही और एक पिचकारी सी उसके मुख के अंदर उतर गई
 

Coquine_Guy

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उूुउऊह्ह करते हुए उसने अपने मुख को उसके लिंग से हठाया पर छोड़ा नहीं कस्स कर पकड़े हुए लगातार अपनी हथेलियो से उसके लिंग को झटक रही थी और ऊपर खड़े हुए लाखा काका की ओर देखती हुई मदहोशी सी आखें बंद किए हुए अपने आपको रेस्ट करने लगी थी वो भी झड चुकी थी पर हटी नहीं थी अब भी वो अपनी कमर को झटके देकर अपने आखिरी ड्रॉप को भीमा चाचा के मुख में डालने की कोशिश करती जा रही थी लाखा थक कर खड़ा था उसने ही धीरे से कामया के हाथों से अपने लिंग को छुड़ाया था और हान्फता हुआ पीछे की ओर लड़खड़ाते हुए घिसक गया और धम्म से नीचे नंगा ही बैठ गया था भीमा चाचा अब भी कामया की जाँघो की गिरफ़्त में थे और लाखा काका के छूटने के बाद कामया ध्यान भीमा चाचा पर गया था वो अपने जाँघो को खोलकर धीरे से पीछे की ओर हटी थी और एकटक नीचे पड़े हुए भीमा चाचा की ओर सर्द सी आखों से देखती जा रही थी भीमा हान्फता हुआ अपने चहरे को पोंछ रहा था और एकटक कामया की ओर ही देख रहा था कामया हाफ तो रही थी पर एक नजर जब भीमा चाचा के खड़े और सख़्त लिंग पर पड़ी तो जैसे वो फिर से उत्तेजित हो गई थी झट से वो भीमा चाचा के ऊपर कूद गई थी और उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया था एक टाँग को ऊपर करते हुए वो उनपर सवार हो चुकी थी उसकी योनि में अब भी गर्मी थी और अब वो और भी करना चाहती थी जैसे ही वो भीमा चाचा के ऊपर सवार हुई अपनी चूची को भीमा चाचा के होंठों पर घिसने लगी थी भीमा भी अपने होंठों को खोलकर उसे चूसने लगा था वो अपनी जीब को और अपने होंठों को कसे हुए फिर से एक बार अपनी प्यारी बहू को अपने आगोश में लेने के लिया लालायित था उस सुंदर तन को उस सुंदर काया को और नरम और मखमली चीज को वो फिर से अपने शरीर के पास रखने को लालायित था अपने होंठों से से कसे हुए भीमा उसकी चूचियां धीरे-धीरे चूसता जा रहा था और अपनी कमर को उसकी योनि की ओर धकेलता जा रहा था पर उसे ज्यादा मेहनत नही करनी पड़ी क्योंकी कामया की एक नरम सी हथेली ने और उसकी पतली और नरम उंगलियों ने एक सहारा दिया था उसके लिंग को और वो झट से अपने रास्ते पर दौड़ पड़ा था एक ही झटके में वो अंदर और अंदर समाता चला गया था और कामया ने जैसे ही अपने अंदर उस गरम सी सलाख को जाते हुए पाया एक लंबी सी आह उसके मुख से निकली और वो एकदम सीधी बैठ गई और जम कर झटके देने लगी थी वो अपने अंदर तक उस लिंग के एहसास को ले जाना चाहती थी और भीमा तो जैसे उस हरकत के लिए तैयार ही नहीं था आज तक उसके लिंग को इस तरह से किसी ने नहीं निचोड़ा था जिस तरीके से कामया कर रही थी वो अपने को उसके ऊपर रखे हुए अपनी योनि को अंदर से सिकोड़ती जा रही थी और अपनी जाँघो के दबाब से उसके लिंग को जैसे चूस रही हो वो हर झटके में अपने को थोड़ा सा ऊपर उठाती पर गिरती ज्यादा थी ताकि उस लिंग का कोई भी हिस्सा बाहर ना रह जाए और जैसे ही वो पूरा का पूरा अंदर चला गया वो एक बार फिर से भीमा चाचा के ऊपर लेट गई और अपने होंठों को उनके होंठों पर रखे हुए उन्हें चूसने लगी पर अचानक ही वो अपनी जाँघो को भीमा चाचा के दोनों ओर से खिसका कर सीधा कर लिया और उसके लिंग को अपनी जाँघो में कस लिया लगभग क्रॉस करते हुए और धीरेधीरे अपनी कमर को हिलाने लगी भीमा तो जैसे पागल हो गया था और अपनी उत्तेजना को ज्यादा देर नहीं रोक पाया और अपनी गिरफ़्त में आई बहू को कस्स कर पकड़ लिया और उसके होंठों को चूसते हुए कस्स कर अपनी कमर को ऊपर की ओर चलाने लगा पर हर झटके में वो अपने आपको झड़ता हुआ पा रह था और हुआ भी ऐसा ही वो ज्यादा देर रुक नहीं पाया और बहू के अंदर और अंदर तक अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हो गया पर बहू तो जैसे आज संतुष्ट नहीं होना चाहती थी वो अब भी अपनी कमर को उसी तरीके से चलाती जा रही थी और फिर थोड़ी देर बाद वो भी निढाल होकर उसके ऊपर फेल गई थी उसकी साँसे अब भी तेज चल रही थी पर हाँ … एक शांति थी बहुत ही शांत शांत होते हुए भी उसके हाथ और शरीर ऊपर पड़े होने के बावजूद भीमा के शरीर से घिस रही थी कामया और अपने हाथों से भी उसके बाहों को सहलाते हुए अपने आपको शांत कर रही थी



भीमा भी नीचे से कामया के शरीर को सहलाते हुए नीचे की ओर जाता था और अपने हाथों को उसकी हर उँचाई और घहराई को छेड़ते हुए ऊपर की ओर आ जाते थे कामया के मुख से ए क हल्की हल्की सी सिसकारी के साथ अब बहुत ही धीरे-धीरे और हल्के से आवाजें आने लगी थी पर समझ में कुछ नहीं आरहा था पर हाँ … इतना तो पता था कि वो संतुष्ट है थोड़ी देर तक अपने को संभालने के बाद कामया साइड की ओर हुई और धीरे से उस गंदे से बेड पर वैसे ही नंगी लेट गई उसका चहरा अब दीवाल की ओर था
और भीमा चाचा और लाखा काका उसके पीछे थे क्या कर रहे थे उसे पता नहीं और नहीं वो जानना चाहती थी वो वैसे ही पड़ी रही और अपनी सांसों को संभालने की कोशिश करती रही और पीछे लाखा काका अपने आपको दीवाल के सहारे बैठे हुए भीमा की ओर देखता रहा लाखा ने अपने ऊपर अपनी लूँगी को डाल लिया था पर बाँधी नहीं थी
भीमा भी धीरे से उठा और लाखा की ओर देखता हुआ एक बार पास लेटी हुई कामया की ओर नजर दौड़ाई और फिर लाखा की ओर और फिर नज़रों के इशारे से बातें
भीमा- क्या और कामया की ओर इशारा करते हु ए
लाखा- पता नहीं पूछ
भीमा- बहू

और धीरे से अपनी हथेलियो को उसकी पीठ पर रखा और धीरे-धीरे सहलाते हुए कमर तक ले जाता रहा कामया के शरीर में एक हल्की सी हरकत हुई और उसका दायां हैंड पीछे की ओर हुआ और भीमा चाचा की हथेली को पकड़कर सामने की ओर अपनी चुचियों की ओर खींच लिया और अपनी बाहों से उसकी कालाई को कस कर अपने साइड और बाहों के बीच में कस्स लिया भीमा चाचा की हथेली अब कामया की गोल गोल चुचियों पर थिरक रही थी और अपनी मजबूत हथेली से उनकी मुलायम और सुदोलता का धीरे-धीरे मर्दन कर रही थी कामया तो जैसे अपने आपको भूल चुकी थी वो वैसे ही लेटी हुई भीमा चाचा के हाथों को बगल में दबाए हुए अपने शरीर पर उनके हाथों को घूमते हुए एहसास करती रही थोड़ी देर में ही कामया का रूप चेंज होने लगा था वो जैसे उकूड़ू होकर सोई हुई थी धीरे-धीरे सीधी होने लगी थी उसके शरीर में एक बार फिर से उत्तेजना भरने लगी थी आज वो बिल्कुल फ्रेश थी उसे इन दोनों ने निचोड़ा नहीं था बल्कि उसने इन दोनों को निचोड़ कर रख दिया था वो दोनों अपने को अब तक संभाल रहे थे पर भीमा तो फिर से कामया की गिरफ़्त में पहुँच चुका था और अपना खेल भी खेलना चालू कर चुका था और कामया का पूरा साथ भी मिल रहा था कामया का शरीर एक बार फिर से तन गया था और वो आखें बंद किए हुए ही धीरे-धीरे अपने आपको भीमा की ओर धकेल रही थी कामया की पीठ अब भीमा के सीने से चिपक गई थी और भीमा का हाथ उसके शरीर के सामने से घूमते हुए उसके हर उतार चढ़ाव को समझते और एहसास करते हुए फिर से उसकी योनि की ओर जाने लगा था भीमा अपने हाथों को घुमा ही रहा था कि नीचे पड़े बिस्तर पर एक जोड़ी पाँव ने भी दखल दिया वो लाखा काका थे वो भी अपना हिस्सा लेने आए थे और धीरे से कामया के पास ही बैठ गये और अपने हाथों से उसकी जाँघो को सहलाते हुए धीरे-धीरे ऊपर चलाने लगे थे कामया अब धीरे-धीरे सीधी होती जा रही थी और अपने को भीमा चाचा के साथ सटा-ते हुए वो अब पीठ के बल लेट गई थी


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Coquine_Guy

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पूरी तरह से आखें बंद किए अपने शरीर पर दो जोड़ी हाथों को घूमते हुए पाकर कामया शरीर एक बार फिर से उत्तेजना के सागार में गोते लगाने लगा था वो अब पूरी तरह से लाखा काका और भीमा चाचा के साथ अपने आपको फिर से उस खेल का हिस्सा बनाने को तैयार थी अपने एक हाथ से उसने भीमा चाचा की हथेली को अपनी चुचियों के ऊपर पकड़ रखा था और दूसरे हाथों को लाखा काक की जाँघो पर घुमाने लगी थी लाखा काका भी अपने आप पर हो रहे इस तरह के प्यार को नहीं झुठला सके और नीचे होकर अपनी प्यारी बहू के होंठों को अपने होंठों में दबाकर उनको थोड़ी देर तक चूसते रहे कामया ने भी कोई शिकायत नहीं की बल्कि अपने होंठों को खोलकर काका के सुपुर्द कर दिया और उनके चुबलने का पूरा मजा लेती रही भीमा चाचा भी कामया की चुचियों को दबाते दबाते अपने होंठों को उसकी चुचियों तक लेआए और उसकी एक चुचि को अपने होंठों के बीच में दबा के चूसने लगे कामया की नरम हथेली भीमा चाचा के बालों पर से होते हुए उन्हें अपनी चुचियों पर और अच्छे से खींचती रही और अपने दूसरे हाथों से काका को अपने होंठों के पास दोनों के हाथ अब कामया के पूरे शरीर पर घूमते रहे और कामया को उत्तेजित करते रहे कामया की जांघे अपने आप खुलकर उन दोनों की उंगलियों के लिए जगह बना दी थी ताकि वो अपने अगले स्टेप की ओर बिना किसी देर और रुकावट के जा सके

दोनो ने अपने हिस्से की कामया को बाँट लिया था दायां साइड भीमा चाचा के पास था और लेफ्ट साइड लाखा काका के पास था जो कि अपने आपको जिस तरह से चाहे अपने होंठों और हथेलियो को उसके शरीर पर चला रहे थे हथेलियो के संपर्क में आते हर हिस्से का अवलोकन और सुडोलता को नापने के अलावा उसकी नर्मी और कोमलता का मिला जुला एहसास भीमा और लाखा के जेहन तक जाता था कोई मनाही नहीं ना कोई इनकार बस करते रहो और करो और कोई सीमा नहीं किसी के लिए भी पूरा मैदान साफ है और कोई चिंता भी नहीं बस एक बात की चिंता थी कि कब और कैसे कामया लेटी लेटी अपने शरीर पर घुमाते हुए दोनों के हाथों का खिलोना बनी हुई थी और अपने शरीर पर से उठ रही तरंगो को सिसकारी के रूप में बाहर निकालते हुए अपने दोनों हाथों से भीमा और लाखा को अपने पास और पास खींचती जा रही थी भीमा और लाखा की उंगलियां कामया की योनि में अपनी जगह बनाने लगी थी और एक के बाद एक उसकी योनि के अंदर तक उतर जाती थी और कामया को एक और स्पर्धा की ओर धकेल-ती जा रही थी वो कामातूर हो चुकी थी एक बार फिर दोनों के चुबलने से और उंगलियों के खेल से

दोनों की उंगलियां बीच में भी कई बार आपास्स में टकरा जाती थी और फिर जो जीतता था वो अंदर हो जाता था पर एक समय ऐसा भी आया जब एक साथ दो उंगलियां उसकी योनि में समा गई थी और कामया को कोई एतराज नहीं था उसने अपनी जाँघो को और खोलकर उन्हें निमंत्रण दे दिया और अपने होंठों को पता नही कौन था उसके होंठों में रहा ही रहने दिया अपने चूचियां को सीना तान कर और भी उँचा कर दिया ताकि वो पूरा का पूरा उसके हथेलियो में समा जाए अंदर गई उंगलियां अपना कमाल दिखा रही थी और कामया के मुख से एक बार फिर से
कामया- अब करो जल्दी प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज् ज
भीमा- (जो कि उसके होंठों को अब चूस रहा था ) हाँ बहू बस थोड़ा सा रु क
कामया- नहीं करो जल्दी
एक अजीब सी गुर्राहट उसके गले से निकली जो कि भीमा और लाखा दोनों के कानों तक गई थी उनकी उंगलियां योनि के अलावा उसके थोड़ी सी दूर उसके गुदा द्वार से भी खेल रही थी और वो एक अजीब सी , आग कामया के शरीर में लगा रही थी वो अपनी गुदा द्वार को सिकोड़ कर वहाँ कोई आक्रमण से बंचित रखना चाहती थी पर
शायद दोनों की उंगलियां वहाँ के दर्शन को भी आतुर थी और धीरे से एक उंगली उसके गुदा द्वार से भी अंदर चली गई कामया एक बार अपने को नीचे दबाए हुए भी और नहीं किसी खेल को मना करती हुई एक आवाज उसके मुख से निकली
कामया - , नहीं वहां नहीं प्लीज वहां नहीं
हाँफती हुई सी उसके मुख से निकली थी पर उसके आग्रह का कोई भी असर उसे दिखाई नहीं दिया पर हाँ … उसका इनकार कमजोर पड़ गया था और उत्तेजना की ओर ज्यादा ध्यान था उसके शरीर को अब और इंतेजार नहीं करना था
एक ही झटके से वो उठ बैठी और दोनों की ओर देखती हुई लाखा काका पर लगभग कूद पड़ी लाखा काका जब तक कुछ समझते , वो उनके ऊपर थी और उनके सीधे खड़े हुए लिंग के ऊपर कामया और धम्म से वो अंदर था


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कामया- अहाआह्ह
जैसे ही वो अंदर गया कामया का शरीर आकड़ गया और थोड़ा सा पीछे की ओर हुई ताकि अपने योनि में घुसे हुए लिंग को थोड़ा सा अड्जस्ट कर सके पीछे होते देखकर भीमा चाचा ने उसे अपनी बाहों में भर कर उसे सहारा दिया और धीरे-धीरे उसके गालों को चूमते हु ए
भीमा- आज क्या हुआ है बहू हाँ …
और उसकी चूचियां पहले धीरे फिर अपनी ताकत को बढ़ाते हुए उन्हें मसलने लगा था लाखा काका तो नीचे पड़े हुए कामया की कमर को संभाले हुए उसे ठीक से अड्जस्ट ही करते जा रहे थे और कामया तो जैसे अपने अंदर उनके लिंग को पाकर जैसे पागल ही हो गई थी वो बिना कुछ सोचे अपने आपको उचका कर उनके लिंग को अपने अंदर तक उतारती जा रही थी
उसके अग्रसर होने के तरीके से कोई भी अंदाजा लगा सकता था कि कामया कितनी उत्तेजित है
कामया के मुख से निकलती हुई हर सिसकारी में बस इतना जरूर होता था

कामया- और जोर्र से काका उूुउउम्म्म्मम और जोर से जल्दी-जल्दी करूऊऊऊ उूुउउम्म्म् म
और अपने होंठों से पीछे बैठे हुए भीमा चाचा के होंठों पर चिपक गई थी उसकी एक हथेली तो नीचे पड़े हुए काका के सीने या पेट पर थी पर एक हाथ तो पीछे बैठे भीमा चाचा की गर्दन पर था और वो लगा तार उन्हें खींचते हुए अपने सामने या फिर अपने होंठों पर लाने की कोशिश में लगी हुई थी लाखा काका का लिंग उसके योनि पर लगातार नीचे से हमलाकर रहा था और दोनों हथेलियो को जोड़ कर वो कामया को सीधा बिठाने की कोशिश भी कर रहा था पर कामया तो जैसे पागलो की तरह कर रही थी आज वो उछलती हुई कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ हो जाती थी पर लाखा काका अपने काम में लगे रहे
भीमा भी कामया को ही संभालने में लगा हुआ था और उसकी चुचियों को और उसके होंठों को एक साथ ही मर्दन किए हुए था और अपने लिंग को भी जब भी तोड़ा सा आगे करता तो कामया के नितंबों की दरार में फँसाने में कामयाब भी हो जाता था वो अपने आप भी बड़ा ही उत्तेजित पा रहा था और शायद इंतजार में ही था कि कब उसका नंबर आएगा पर जब नहीं रहा गया तो वो कामया की हथेली को खींचते हुए अपने लिंग पर ले आया और फिर से उसकी चुचियों पर आक्रमण कर दिया वो अपने शरीर का पूरा जोर लगा दे रहा था उसकी चूचियां निचोड़ने में पर कामया के मुख से एक बार भी उउफ्फ तक नहीं निकला बल्कि हमेशा की तरह ही उसने अपने सीने को और आगे की ओर कर के उसे पूरा समर्थन दिया उसकी नरम हथेली में जैसे ही भीमा चाचा का लिंग आया वो उसे भी बहुत ही बेरहमी से अपने उंगलियों के बीच में करती हुई धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी थी कामया का शरीर अब शायद ज्यादा देर का मेहमान नहीं था क्योंकी उसके मुख से अब सिसकारी की जग ह , सिर्फ़ चीख ही निकल रही थी और हर एक धक्के में वो ऊपर की बजाए अपने को और नीचे की ओर करती जा रही थी लाखा की भी हालत खराब थी और कभी भी वो अपने आपको शिखर पर पहुँचने से नहीं रोक पाएगा
आज तो कमाल ही कर दिया था बहू ने एक बार भी उन्हें मौका नहीं दिया और नहीं कोई लज्जा या झिझक मजा आ गया था पर एक डर भी बैठ गया था पर अभी तो मजे का वक़्त था और वो ले रहा था

आखें खोलकर जब वो अपने ऊपर की बाहू को देखता था वो सोच भी नहीं पाता था कि यह वही बहू है जिसके लिए वो कभी तरसता था या उसकी एक झलक पाने को अपनी चोर नजर उठा ही लेता था आज वो उसके ऊपर अपनी जनम के समय की तरह बिल्कुल नंगी उसके लिंग की सवारी कर रही थी और सिर्फ़ कर ही नहीं रही थी बल्कि हर एक झटके के साथ उसे एक परम आनंद के सागर की ओर धकेलते जा रही थी वो अपनी कल्पना से भी ज्यादा सुंदर और अप्सरा से भी ज्यादा कोमल और चंद्रमा से भी ज्यादा उज्ज्वल अपनी बहू को देखते हुए अपने शिखर पर पहुँच ही गया और एक ही झटके में अपनी कमर को उँचा और उँचा उठाता चला गया पर कामया के दम के आगे वो और ज्यादा नहीं उठा सका और एक लंबी सी अया के साथ हीठंडा हो गया
 

Alok

Well-Known Member
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अति उत्तेजक प्रदर्शन भाई।।।
 

Coquine_Guy

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कामया की ओर देखता पर वो तो जैसे शेरनी की तरह ही उसे देख रही थी दो बार झड़ने के बाद भी वो इतनी कामुक थी कि वो अभी तक शांत नहीं हुई थी लेकिन लाखा काका को छोड़ने को भी तैयार नहीं थी वो अब भी उसके लिंग को अपनी योनि में लिए हुए अपनी योनि से दबाए जा रही थी और एक अजीब सी निगाहो से लाखा काका की ओर देखती रही पर उसके पास दूसरा आल्टर्नेटिव था भीमा चाचा जो की तैयार था पीछे वो एक ही झटके से घूम गई थी और बिना किसी चेतावनी के ही भीमा चाचा से लिपट गई थी अपनी बाँहे उनके गले पर रखती हुई और अपने होंठों के पास खींचती हुई वो उसपर सवार होती पर भीमा ने उसे नीचे पटक दिया और ऊपर सवार हो गया था और जब तक वो आगे बढ़ता कामया की उंगलियां उसके लिंग को खींचते हुए अपनी योनि के द्वार पर रखने लगी थी
भीमा तो तैयार ही था पर जैसे ही उसने अपने लिंग को धक्का दिया कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली और वो उचक कर भीमा चाचा के शरीर को नीचे की ओर खींचने लगी भीमा चाचा भी धम्म से उसके शरीर पर गिर पड़े और जरदार धक्कों के साथ अपनी बहू को रौंदने लगे पर एक बात साफ थी आज का खेल कामया के हाथों में था आज वो उनके खेलने की चीज नहीं थी आज वो दोनों उसके खेलने की चीज थे और वो पूरे तरीके से इस खेल में शामिल थी और हर तरीके से वो इस खेल का पूरा आनंद ले रही थी आज का खेल उसे भी अच्छा लग रहा था और वो अपने को शिखर को जल्दी से पा लेना चाहती थी वो भीमा चाचा को खींचते हुए अपने शरीर के हर कोने तक का स्पर्श पाना चाहती थी उसके मुख से आवाजो का गुबार निकलता जा रहा था
कामया- करूऊ चाचा जोर-जोर से करो बस थोड़ी देर और करूऊ ऊ
और अपने बातों के साथ ही अपनी कमर को उचका कर भीमा चाचा की हर चोट का जबाब देती जा रही थी पर कब तक आधूरा छोड़ा हुआ लाखा काका का काम भीमा चाचा ने आखिर में शिखर तक पहुँचा ही दिया एक लंबी सी आहह निकली कामया के मुख से और भीमा चाचा के होंठों को ढूँढ़ कर अपने होंठों के सुपुर्द कर लिया था कामया ने और निढाल सी पड़ी रही भीमा चाचा के नीचे भीमा भी अपने आखिरी स्टेज पर ही था कामया की योनि के कसाव के आगे और चोट के बाद वो भी अपने लिंग पर हुए आक्रमण से बच नहीं पाया था और वो भी थक कर बहू के ऊपर निढाल सा पसर गया

कामया की हथेलिया भीमा चाचा के बालों पर से घूमते हुए धीरे से उनकी पीठ तक आई और दोनों बाहों को एक हल्का सा धकेला और हान्फते हुए वही पड़ी रही कमरे मे दूधिया नाइट बल्ब की रोशनी को निहारती हुई एक बार अपनी स्थिति का जायजा लिया वो संतुष्ट थी पर थकि हुई थी नजर घुमाने की , हिम्मत नहीं हुई पर पास लेटे हुए भीमा चाचा की जांघे अब भी उसे टच हो रही थी कामया नेभी थोड़ा सा घूमकर देखा पास में भीमा चाचा पड़े हुए थे और लाखा काका भी थोड़ी दूर थे लूँगी ऊपर से कमर पर डाले हुए लंबी-लंबी साने लेते हुए दूसरी ओर मुँह घुमाए हुए थे कामया थोड़ा सा जोर लगाकर उठी और पाया कि वो फ्रेश है और बिल्कुल फ्रेश थी कोई थकावट नहीं थी हाँ थोड़ी सी थी पर यह तो होना ही चाहिए इतने लंबे सफर पर जो गई थी

वो मुस्कुराती हुई उठी और एक नजर कमरे पर पड़ी हुई चीजो पर डाली जो वो ढूँढ़ रही थी वो उसे नहीं दिखी उसका गाउन और पैंटी कोई बात नहीं वो थोड़ा सा लड़खड़ाती हुई कमरे से बाहर की ओर चालदी और दरवाजे पर जाकर एक नजर वापस कमरे पर डाली भीमा और लाखा अब भी लेटे हुए लंबी-लंबी साँसे ले रहे थे
वो पलटी और सीडीयाँ उतरते हुए वैसे ही नंगी उतरने लगी थी सीढ़ियो में उसे अपना गाउन मिल गया पैरों से उठाकर वो मदमस्त चाल से अपने कमरे की ओर चली जा रही थी
समझ सकते है आप क्या दृश्य होगा वो एक स्वप्न सुंदरी अपने शरीर की आग को ठंडा करके बिना कपड़ों के सीढ़िया उतर रही हो तो उूुुुुुुउउफफफफफफफफ्फ़

क्या सीन है यार ,
संभालती हुई उसने धीरे से अपने कमरे का दरवाजा खोला और बिना पीछे पलटे ही पीछे से धक्का लगाकर बंद कर दिया और पलटकर लॉक लगा दिया और बाथरूम की ओर चल दी जाते जाते अपने गाउनको बेड की ओर उच्छाल दिया और फ्रेश होने चली गई थी जब वो निकली तो एकदम फ्रेश थी और धम्म से बेड पर गिर पड़ी और सो गई थी जल्दी बहुत जल्दी सुबह कब हुई पता ही नहीं चला
 

Alok

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अति उत्तम भाई
 

Alok

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Alok

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अगले अपडेट की प्रतीक्षा है भाई
 
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