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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Alok

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Alok

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इंतजार है अगले अपडेट का।।।
 
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Coquine_Guy

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सुबह चाय के समय ही उठ गई थी और पापाजी के ही चाय पिया था नीचे जाकर
पापाजी- आज क्या ऋषि आएगा तुम्हें लेने
कामया- जी कहा तो था पता नहीं
पापाजी- हाँ … तो में चला जाऊ खाना खाके तुम फिर आराम से निकलना क्यों
कामया- जी ठीक है
पापाजी- कि रुकु जब तक नहीं आता
कामया- जी क्या बताऊ कल तो बोला था कि आएगा
पापाजी- फोन कर लो एक बा र
कामया- जी नंबर नहीं है उसका
पापाजी- धत्त क्या लड़की हो तुम नंबर तो रखना चाहिए ना अब वो तुम्हारे साथ ही रहेगा धरम पाल जी ने कहा है थोड़ा सा बच्चे जैसा है और कोई दोस्त भी नहीं है उसका
कामया- जी पर मेरे साथ क्यों
पापाजी( थोड़ा हँसते हुए)- देखा तो है तुमने उसे ही ही ही
कामया को भी हँसी आ गई थी कोई बात नहीं रहने दो उसे पर नंबर तो है नहीं कैसे पता चलेगा
देखा जाएगा
कामया- जी अगर नहीं आया तो में फोन कर दूँगी आपको आप गाड़ी भेज देना
पापाजी- हाँ … ठीक है
और दोनों चाय पीकर तैयारी में लग गये ठीक खाने के बाद काम्पोन्ड में एक गाड़ी रुकने की आवाज आई थी भीमा अंदर से दौड़ता हुआ बाहर की ओर गया और बताया कि धरंपाल जी का लड़का है
दोनों खुश थे चलो आ गया था
पापाजी- उसे बुला लाओ यहां
भीमा- जी
और थोड़ी देर में ही ऋषि उसके साथ अंदर आया था
आते ही पापाजी को प्रणाम किया था और कामया की ओर देखता हुआ नमस्ते भी किया था छोटा था पर संस्कार थे उसमें
पापाजी- कैसे हो ऋषि
ऋषि- जी अच्छा हूँ
पापाजी- बड़े हो गये हो तुम्हे बहुत छोटा देखा था मैंने तुम्हें आओ खाना खा लो
ऋषि- जी नहीं खाके आया हूँ
पापाजी- अरे थोड़ा सा डेजर्ट है लेलो
ऋषि- जी
और बड़े की बातों का आदर करते हुए कामया के साइड में खाली चेयर में बैठ गया और एक बार उसे देखकर मुस्कुरा दिया बहुत ही सुंदर लगा रहा था ऋषि आज महरून कलर की काटन शर्ट पहने था और उससे मचिंग करता हुआ खाकी कलर का पैंट ब्लैक शूस मस्त लग रहा था बिल्कुल शाइट था वो सफेद दाँतों के साथ लाल लाल होंठ जैसे लिपस्टिक लगाई हो बिल्कुल स्किनी सा था वो पर आदर सत्कार और संस्कार थे उसमें नजर झुका कर बैठ गया था पापाजी के कहने पर और बड़े ही शर्मीले तरीके से थोड़ा सा लेकर खाने लगा था बड़ी मुश्किल से खा पा रहा था
पापाजी- ऋषि अब से क्या तुम लेने आओगे कामया को
ऋषि- जी जैसा आप कहे
पापाजी- नहीं नहीं वो तो इसलिए कि कामया ने बताया था कि तुम लेने आओगे इसलिए पूछा नहीं तो हम तो जाते ही है कॉंप्लेक्स का काम देखने
ऋषि- जी आ जाऊँगा यही से तो क्रॉस होता हूँ अलग रोड नहीं है इसलिए कोई दिक्कत नहीं है
पापाजी- ठीक है तुम आ जाया करो हाँ कोई काम रहेगा तो पहले बता देना ठीक है और तुम्हारा नंबर दे दो
ऋषि - जी और खाने के बाद उसने अपना नंबर पापाजी को दे दिया था और कामया को भी
कामया- तुम बैठो में आती हूँ तैयार होकर
पापाजी के जाने के बाद ही कामया ने ऋषि से कोई बात की थी पर ऋषि टपक से बोला
ऋषि- तैयार तो है आप
कामया- अरे बस आती हूँ तुम रूको
ऋषि- जी झेप-ता हुआ खड़ा रह गया था
कामया पलटकर अपने कमरे की ओर चली गई थी सीढ़िया चढ़ते हुए ऋषि की बातों पर हँसी आ रही थी कि कैसे पापाजी के हट-ते ही टपक से बोल उठा था वो शरारती है और हो भी क्यों नहीं अभी उम्र ही कितनी होगी उसकी 22 या 23 सा ल
उसने कमरे में पहुँचकर जल्दी से अपने कपड़ों को एक बार देखा और मेकप को सबकुछ ठीक था पलटकर चलती पर कुछ रुक सी गई थी वो एक बार खड़ी हुई कुछ देर तक पता नहीं क्या सोचती रही पर एक झटके से बाहर की ओर निकल गई थी
 
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Coquine_Guy

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नीचे पापाजी तो चले चले गये पर ऋषि उसके इंतेजार में बैठा हुआ था ड्राइंग रूम में उसके आते ही वो खड़ा हुआ और एक बार मुस्कुराते हुए कामया की ओर देखा और उसके साथ ही बाहर की ओर चल दिया
गाड़ी में ड्राइविंग सीट के पास ही बैठी थी कामया ऋषि ड्राइविंग कर रहा था
ऋषि- कॉंप्लेक्स ही चले ना भाभी
कामया- हाँ … और नहीं तो कहाँ
ऋषि- नहीं ऐसे ही पूछा
कामया- हाँ … थोड़ा सा गुस्से से ऋषि की और देखा
कामया- मतलब
ऋषि झेपता हुआ कुछ नहीं कह पाया था पर ड्राइव ठीक ही कर रहा था बड़ी ही सफाई से ट्रफिक के बीच से जैसे बहुत दिनों से गाड़ी चला रहा हो
कामया- अच्छी गाड़ी चला लेते हो तुम तो
ऋषि- जी असल में बहुत दिनों से चला रहा हूँ ना 11 क्लास में ही चलाना आ गया था मुझे तो दीदी के साथ जाता था सीखने को दीदी से ही सिखाया है बिल्कुल चहकता हुआ सा उसके मुख से निकलता वो गुस्से को भूल गया था
कामया- हाँ … मुझे तो नहीं आती सीखने की कोशिश की थी पर सिख नहीं पाई
तपाक से ऋषि के मुख से निकाला
ऋषि- अरे में हूँ ना में सीखा दूँगा दो दिन में ही
कामया को उसके बोलने के तरीके पर हस्सी आ गई थी बिल्कुल चहकते हुए वो बोला था
कामया- ठीक है तुम सिखा देना और देखकर चलाओ नहीं तो टक्कर हो जाएगी
ऋषि मुस्कुराते हुए गाड़ी चलाता हुआ धीरे-धीरे कॉंप्लेक्स के अंदर तक ले आया था और आफिस बिल्डिंग के सामने खड़ी करके खुद बाहर निकला और दौड़ता हुआ साइड की ओर बढ़ा ही था कि कामया दरवाजा खोलकर बाहर आ गई थी
ऋषि की ओर मुस्कुराते हु ए
कामया- क्या कर रहे थे में दरवाजा नहीं खोल सकती क्या
ऋषि- ही ही ही नहीं नहीं वो बात नहीं है में तो बस ऐसे ही पहली बार आपको ले के आया हूँ ना इसलिए
कामया- तुम ड्राइवर नहीं हो ठीक है
ऋषि धीरे-धीरे उसके साथ होकर चलता हुआ उसके केबिन की ओर बढ़ता जा रहा था
ऋषि- ठीक है
कामया को उसका साथ अच्छा लग रहा था भोला भाला सा था और शायद इतनी इज़्ज़त उसे कभी नहीं मिली थी जो उसे मिल रही थी घर में छोटा था और कुछ लजाया सा था इसलिए भी हो सकता था पर अच्छा था
कामया अपने आफिस में घुसते ही अपने टेबल पर आ गई थी और वहां रखे हुए बहुत से बिल और वाउचर्स को ठीक से देखने लगी थी ऋषि भी उसके सामने वाली सीट पर बैठा हुआ था और बड़े गौर से कामया की हर हरकतों को देख रहा था कामया भी कभी-कभी उसे ही देख लेती थी और एक बार नज़रें चार होने से ऋषि बस मुस्कुरा देता था और कामया उसे और समर्थन भी देती थी
बहुत देर तक जब कामया उन कागजों में ही उलझी हुई थी तो ऋषि से नहीं रहा गया
ऋषि - भाभी कितना काम कर रही हो
बड़े ही नाटकीय और लड़कपन सी आवाज निकालते हुए उसने भाभी को कहा था कामया की हँसी फूट पड़ी थी उसके इस अंदाज से
कामया- तो यहां काम ही करने आए है
ऋषि- अरे यार यह तो बहुत बोरिंग काम है क्या खाली साइन कर रही हो आप कब से
कामया- हाँ … यह सब खर्चे है जो कि किए हुए है और होंगे भी वोही तो देखना है तुमको हम को
ऋषि- अरे यार में तो बोर होने लगा हूँ अभी से चलिए ना बाहर घूमते है
कामया- क्या
ऋषि- तो क्या कितनी देर से आप तो काम कर रही है और में बैठा हुआ हूँ
बड़े ही नाटकीय तरीके से अपने हाथों को घुमाकर और अपनी बड़ी-बड़ी आखों को मटकाकर उसने बड़े ही उत्तावलेपन से कहा कामया उसकी ओर बड़े ही प्यार से और एक अजीब सी नजर से देखने लगी थी सच में बिल्कुल लड़कियों जैसा ही था बातें करते समय उसकी आखें और होंठों को बड़े ही तरीके से नचाता था ऋषि और साथ-साथ में अपनी हथेलियो को भी गर्दन को भी कुछ अजीब तरीके से
हँसती हुई कामया का ध्यान फिर से अपने काम में लगा लिया था और ऋषि की बातों को भी सुनते हुए उसकी ओर देखती भी जा रही थी
ऋषि- भाभी प्लीज ना ऐसे काम से तो अच्छा है कि में घर पर ही रहूं क्या काम है यह बस बैठे रहो और साइन करो कुछ मजा ही नहीं
कामया- ही ही ही क्या मजाकरना है तुम्हें हाँ …
ऋषि अपनी हथेलियो को थोड़ा सा मटकाता हुआ अपनी ठोडी के नीचे रखता हुआ कामया की ओर अपनी बड़ी-बड़ी आखों से देखता रहा और बोला
ऋषि- यहां से चलिए ना भाभी कितनी बोरिंग जगह है यह
कामया- हाँ हाँ … चलते है अभी तो शोरुम जाना है जरा सा और बचा है फिर चलते है ठीक है अभी उनकी बातें खतम भी नहीं हुई थी कि डोर पर एक थपकी ने उनका ध्यान खींच लिया वो दोनों ही दरवाजे की ओर देखने लगे थे
पीओन अंदर घुसा और वही खड़े होकर बोला
पीओन- जी मेडम वो भोला आया है
कामया के मुख से आनयास ही निकला
कामया- क्यों
पीओन- जी कह रहा है कि मेमसाहब से मिलना है
वो कुछ और कहता कि भोला पीछे से अंदर घुस आया और दरवाजे को और पीओन को पास करते हुए टेबल तक आ गया
पीओन वापस चला गया पर कामया की नजर भोला की ओर नहीं देख पाई थी वो ऋषि की ओर देख रही थी और भोला के बोलने की राह देख रही थी ऋषि भी भोला को देखकर दूसरी तरफ देखने लगा था
 

erriction

Eric
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19 दिसम्बर से आज तक मात्र 19 पृष्ठ लेखक महोदय बहुत बहुत आभार वाकई आप पाठकों का बहुत ही अच्छे तरीके से ध्यान रखते है।
कृपया ये भी अवगत करायें अगला अपडेट कब आयेगा
इसमे कोई शक नही इस कहानी की पटकथा बहुत हॉट 🔥🥵 है मगर समय पर अपडेट न आने से पाठकों का उत्साह 🤶🤶🤯🤯 युक्रेन की तरह ठंडा पड़ जाता है।
अब आप पर निर्भर है🙏🙏
 
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Coquine_Guy

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इतने में भोला की आवाज आई
भोला- जी मेमसाहब वो दरखास्त देनी थी
उसके हाथों में एक कागज था और वो अब भी उसमें कुछ लिख रहा था और धीरे से एक बार कामया की ओर देखता हुआ कामया की ओर कागज को सरका दिया
कामया ने एक बार उसकागज को देखा फोल्डेड था पर उसकी मोटी-मोटी उंगलियों के नीचे से उसकागज को देखते ही नहीं जान पाई थी कि कैसी दरखास्त थी वो
भोला- जी सोच रहा था कि कल से ड्यूटी जाय्न कर लूँ खोली में पड़ा पड़ा थक गया हूँ और ड्यूटी जाय्न कर लूँगा तो आते जाते लोगों को देखूँगा तो मन लगा रहेगा और एक आवाज उसके पास से निकली जो कि किसी क्लिप के चटकने से हुई हो

कामया का ध्यान उसकी हथेलियो की ओर गया वो चौक गई थी उसकी एक उंगलियों में उसका ही वो क्लुचेयर था जिसे की वो एक हाथों से दबाता हुआ अपनी एक उंगली में लगाता था और खींचकर निकालता था कामया सहम गई थी और अपने हाथों को बढ़ा कर उसकागज को अपनी ओर खींचा और एक नजर ऋषि की ओर भी डाली जो कि अब भी अपनी ठोडी में कलाईयों को रखकर दूसरी ओर ही देख रहा था
बड़े ही संभालते हुए कामया ने उसकागज जो अपनी ओर खिछा था और खोलकर उस दरखास्त को पढ़ने लगी कि भोला की आवाज आई
भोला- साइन कर दो मेमसाहब अकाउंट्स में दे दूँगा नहीं तो तनख़्वाह बनते समय पैसा काट जाएगा
और फिर से वही क्लिप चटकने की आवाज गूँज उठी कामया भी थोड़ा सा संभली और उस पेपर को साइन करने के लिए अपना पेन उठाया पर वो सन्न रह गई उसको पढ़ कर लिखा था
आपको फूल कैसे लगे बताया नहीं बड़ी याद आ रही थी आपके जाने के बाद से ही इसलिए भेज दिए थे
और नीचे थोड़ा सा टेडी मेडी लाइन में भी कुछ लिखा था आप साड़ी में ज्यादा सुंदर दिखती है कसम से
कामया का पूरा शरीर एक अजीब सी सिहरन से भर उठा था सिर से लेकर पाँव तक सन्न हो गया था वो उस सिहरन को रोकने की जी जान कोशिश करती जा रही थी पर उसके हाथों की कपकपि को देखकर कोई भी कह सकता था कि उसका क्या हाल था पर भोला चालाक था आगे झुक कर उसने उसकागज को अपनी हथेलियो में वापस ले लिया और थोड़ा सा पीछे होकर कहा
भोला- जी में कल से काम पर आ जाउन्गा मेमसाहब और बाहर चला गया
कामया की सांसें अब भी तेज ही चल रही थी टांगों की भी अजीब हालत थी काप गई थी वो बैठी नहीं रहती तो पक्का था कि गिर ही जाती वो कुछ कहती पर ऋषि की आवाज उसे सुनाई दी
ऋषि- भाभी यह भैया का ड्राइवर है ना
कामया- हाँ …
ऋषि आपकी तबीयत तो ठीक है भाभी
कामया- हाँ … क्यों
ऋषि नहीं वो आप हाफ रही थी ना इसलिए
कामया- नहीं ठीक है तुम इसे कैसे जानते हो
ऋषि- भोला को एक दिन ना वो भैया के साथ हमारे घर में आया था
कामया- क्यों
ऋषि- वो पापा से मिलने तब देखा था बड़ा ही गुंडा टाइप का है ना यह
कामया- क्यों तुम्हें क्यों लगा
कामया को ऋषि का भोला को गुंडा कहना अच्छा नहीं लगा जो भी हो पर गुंडा नहीं है
ऋषि- असल में ना जब वो आया था तब ना रीना दीदी को बड़े ही घूर-घूर कर देख रहा था
कामया- यह रीना दीदी कॉन
ऋषि- अरे मेरी सबसे छोटी बहन रीना दीदी को नहीं जानती आप आपकी शादी में भी आए थे हम तो
कामया- अच्छा अच्छा अब कहाँ है
ऋषि- बिचारी की शादी हो ग ई
कामया के मुख से अचानक ही हँसी का गुबार निकल गया
और हँसते हँसते पूछा
कामया- बिचारी क्यों शादी तो सबकी होती है
ऋषि- हाँ … पर रीना दीदी मुझे बहुत मिस करती है फोन करती है ना तब कहती है
और ऋषि भी थोड़ा सा उदास हो गया था कामया को एक भाई का बहन के प्रति प्यार को देखकर बड़ा ही अच्छा और अपनी संस्कृति को सलाम करने का मन हुआ अपने को थोड़ा सा संभाल कर कामया ने कहा
कामया- अरे रीना दीदी नहीं है तो क्या हुआ में तो हूँ तुम मुझे ही अपना दीदी मान लो है ना
ऋषि- हाँ … मालूम रीना दीदी ना मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी और में उनसे कभी भी कुछ नही छुपाता था मुझे बहुत प्यार करती थी वो हमेशा ही मेरा ध्यान रखती थी
कामया- चलो चलो अब इतने सेंटिमेंटल मत हो अब तुम बड़े हो गये हो और इतना सेंटिमेंटल होगे तो आगे कैसे बढ़ोगे चलो मुझे शोरुम छोड़ दो
कामया अब नार्मल थी पर उसकी नज़र उसकी उंगलियों पर पड़ गई थी शायद एक उंगली में नेल पोलिश लगाया हुआ था ऋषि ने और वो अपने शो रूम की ओर जाने को बाहर निकली थी जैसे ही आफिस को क्रॉस करती एक आदमी दौड़ता हुआ उसके पास आके खड़ा हो गया
वो आदमी- मेडम
कमाया- हाँ …
वो आदमी- जी मेडम भोला को क्या काम देना है
एक बार फिर से एक सनसनी सी मचा द ी , भोला के नाम से ही
कामया- पता नहीं बोलना भैया से बात करले
वो आदमी- जी मेडम
और कामया पलटकर बाहर हो गई ऋषि भी उसके साथ था और बराबरी पर ही चल रहा था दौड़ता हुआ आगे बढ़ कर गाड़ी कर डोर खोलकर अपनी ओर चला गया
और गाड़ी शोरुम की ओर भागने लगी थी शोरुम में पापाजी बाहर ही काउंटर पर किसी पुराने ग्राहक को अटेंड कर रहे थे पर वो वहां नहीं रुक कर सीधे अपने केबिन की ओर ही बढ़ी पीछे-पीछे ऋषि भी था केबिन के अंदर जाते ही वो एक बार चौंक उठी अंदर कामेश बैठा हुआ था
कामया-अरे आप कब आए और फोन भी नहीं किया
कामेश- अरे बाबा एक साथ इतने सवाल बैठो तो और ऋषि कैसा है
ऋषि- जी अच्छा हूँ भैया आप कैसे ह
कामया और ऋषि भी वही बैठ गये कामया कामेश की ओर ही देख रही थी कि कुछ तो कहे
कामेश- सर्प्राइज नहीं दे सकता क्या कहा तो था कि दो दिन में आ जाऊँगा
कामया- हाँ … पर फोन तो करते
कामेश- फोन करते तो सरप्राइज क्या होता हाँ …
ऋषि बैठे बातें दोनों को नोकझोक बड़े ही शालीनता से देख रहा था और एक मंद सी मुश्कान उसके चहरे पर दौड़ रही थी कितना प्यार था भैया भाभी में
कामेश- और ऋषि सुना है तू आज कल कामया को लेने जाता है घर
ऋषि- हाँ … ना
बड़े ही नाटकीय तरीके से उसने जबाब दिया कामेश और कामया भी अपनी हँसी नहीं रोक पाए थे
कामेश- चलो बढ़िया है मुझे तो फुरसत नही अबसे एक काम किया कर तू ही कामया को लाया और ले जाया करना ठीक है कोई दिक्कत तो नहीं
कामया- क्यों इस बच्चे को परेशान करते हो
ऋषि- नहीं नहीं भैया कोई परेशानी नहीं मुझे तो अच्छा है एक कंपनी मिल जाएगी
कामेश- कंपनी तेरी बरा बझोउ मेरी बीवी है पता है
ऋषि- जी हाँ … पता है मुझे पर मेरी तो भाभी है ना और वैसे भी मुझे अकेला अच्छा नहीं लगता
कामेश और कामया ऋषि की बातों पर हँसे भी जा रहे थे और मज़े भी लेते जा रहे थे कामेश कहता था कि ऋषि लड़कियों की तरह ही बिहेव करता है पर देख आज रही थी कामया
 
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