- 22,164
- 57,621
- 259
भाग ९७
आज की रात
अगले जन्म मोहे बेटी ही कीजो
22,43,338
ये और ननद, मेरे कमरे में, कभी हंसने बिहँसने की आवाज आ रही थी, कभी चूड़ियों के चुरमुर की तो कभी पायल की रुनझुन की,
इन्हे तो नहीं मालूम था पर ननद को तो मालूम था और मुझे भी, ...
कल अगर, अगर कल सुबह, भोर, तक कुछ नहीं हुआ, तो ससुराल लौटने पर सास उसकी, उस आश्रम में भेज के ही दम लेंगी, कोई नहीं बचा पायेगा उनको,
बस कल सुबह,
और मैंने तो फोन पर जिस तरह ननद की सास की बातें सुनी थी, नन्दोई को हफ्ते भर के लिए बाहर भेजने का,… और ननद को उन मुस्टंडीयो के साथ, यमदूतों का स्त्री रूप,
और नन्दोई की हिम्मत भी नहीं पड़ी चूं करने की, एक बार कुछ आवाज निकाली उन्होंने तो उनकी मा की सिसकी, और फिर,…
बस मुझे मुग़ले आजम का वो आखिरी सीन बारबार याद आता था, जब अनारकली को सलीम के साथ एक रात बिताने की इज्जात दी गयी थी और अगले ही दिन उसे दीवाल में चुनवा दिया जाना था । उसे सलीम को फूल सुंघा के बेहोश कर देना था जिससे जब सिपाही उसे जिन्दा दीवाल में चुनने के लिए ले जाएँ तो सलीम को पता न चले ।
आज की रात,
आज की रात कट नहीं रही थी , न मुझसे,... न मेरी सास से।
ननद ने उनसे कुछ नहीं बताया था, लेकिन माँ जो नौ महीने बेटी को कोख में रखती है, पैदा करती है, पाल पोस कर बड़ा करती है, बिन बोले ही,… बेटी भले उसकी चेहरे से मुस्कराये, खुश रहे लेकिन आँखों की खिड़की से झाँक के मन का हाल पता कर लेती है।
लोग कहते हैं दुःख बांटने से कम होता है लेकिन वो दुःख, वो डर जो मैं न उनसे कह सकती थी, …न बाँट सकती थी,
बस इतना विश्वास था मेरी माँ की तरह उन्होंने जो मुझे शक्ति दी थी, मैंने अपनी ननद के आगे ढाल बन कर खड़ी होउंगी, उनपर आयी किसी विपदा को पहले मुझसे टकराना होगा।
मेरी माँ भी, बचपन से यही एक बात सिखाती थीं, कोई किसी के बारे में कहे की उनका जीवन दुःख सहने में बीता तो तुरंत बात काट देतीं बोलती, दुःख सहने में नहीं उससे लड़ने में, उसका सामना करने में बीता।
एक दिन कोई सीरियल आ रहा था, या कोई प्रोग्राम, अगले जन्म मोहे बेटी न कीजो, माँ ने तुरंत बंद कर दिया, और बोलीं एकदम गलत अगले जन्म में ही बेटी का जन्म मिले
माँ ने अकेले हम तीनो बहनों को पाला था, कभी उनके चेहरे पर मैंने उदासी नहीं देखी थी,
बहुत दिनों तक हम तीनो बहने उनके पास ही सोती थी, सिर्फ इस लालच में की वो रात में कहानी बहुत बढ़िया सुनाती थी, अक्सर देवी माई की, एक राक्षस सब देवताओं को तंग करने लगा और सब लोग देवी माई के पास आये और बस, एक कहानी हम लोगो को बहुत अच्छी लगती की एक राक्षस ऐसा भी था की उसके हर बूँद से एक राक्षस, और देवी माई ने, उसका भी,...
और माँ बोलती भी थी, देखो आते है सब लोग देवी माई के पास तो कैसे कह सकते हैं की लड़की, औरत कमजोर होती है,
सुबह मैं उठती थी, माँ को देखती थी तो,... बस देवी माई याद आती
आज की रात
अगले जन्म मोहे बेटी ही कीजो
22,43,338
ये और ननद, मेरे कमरे में, कभी हंसने बिहँसने की आवाज आ रही थी, कभी चूड़ियों के चुरमुर की तो कभी पायल की रुनझुन की,
इन्हे तो नहीं मालूम था पर ननद को तो मालूम था और मुझे भी, ...
कल अगर, अगर कल सुबह, भोर, तक कुछ नहीं हुआ, तो ससुराल लौटने पर सास उसकी, उस आश्रम में भेज के ही दम लेंगी, कोई नहीं बचा पायेगा उनको,
बस कल सुबह,
और मैंने तो फोन पर जिस तरह ननद की सास की बातें सुनी थी, नन्दोई को हफ्ते भर के लिए बाहर भेजने का,… और ननद को उन मुस्टंडीयो के साथ, यमदूतों का स्त्री रूप,
और नन्दोई की हिम्मत भी नहीं पड़ी चूं करने की, एक बार कुछ आवाज निकाली उन्होंने तो उनकी मा की सिसकी, और फिर,…
बस मुझे मुग़ले आजम का वो आखिरी सीन बारबार याद आता था, जब अनारकली को सलीम के साथ एक रात बिताने की इज्जात दी गयी थी और अगले ही दिन उसे दीवाल में चुनवा दिया जाना था । उसे सलीम को फूल सुंघा के बेहोश कर देना था जिससे जब सिपाही उसे जिन्दा दीवाल में चुनने के लिए ले जाएँ तो सलीम को पता न चले ।
आज की रात,
आज की रात कट नहीं रही थी , न मुझसे,... न मेरी सास से।
ननद ने उनसे कुछ नहीं बताया था, लेकिन माँ जो नौ महीने बेटी को कोख में रखती है, पैदा करती है, पाल पोस कर बड़ा करती है, बिन बोले ही,… बेटी भले उसकी चेहरे से मुस्कराये, खुश रहे लेकिन आँखों की खिड़की से झाँक के मन का हाल पता कर लेती है।
लोग कहते हैं दुःख बांटने से कम होता है लेकिन वो दुःख, वो डर जो मैं न उनसे कह सकती थी, …न बाँट सकती थी,
बस इतना विश्वास था मेरी माँ की तरह उन्होंने जो मुझे शक्ति दी थी, मैंने अपनी ननद के आगे ढाल बन कर खड़ी होउंगी, उनपर आयी किसी विपदा को पहले मुझसे टकराना होगा।
मेरी माँ भी, बचपन से यही एक बात सिखाती थीं, कोई किसी के बारे में कहे की उनका जीवन दुःख सहने में बीता तो तुरंत बात काट देतीं बोलती, दुःख सहने में नहीं उससे लड़ने में, उसका सामना करने में बीता।
एक दिन कोई सीरियल आ रहा था, या कोई प्रोग्राम, अगले जन्म मोहे बेटी न कीजो, माँ ने तुरंत बंद कर दिया, और बोलीं एकदम गलत अगले जन्म में ही बेटी का जन्म मिले
माँ ने अकेले हम तीनो बहनों को पाला था, कभी उनके चेहरे पर मैंने उदासी नहीं देखी थी,
बहुत दिनों तक हम तीनो बहने उनके पास ही सोती थी, सिर्फ इस लालच में की वो रात में कहानी बहुत बढ़िया सुनाती थी, अक्सर देवी माई की, एक राक्षस सब देवताओं को तंग करने लगा और सब लोग देवी माई के पास आये और बस, एक कहानी हम लोगो को बहुत अच्छी लगती की एक राक्षस ऐसा भी था की उसके हर बूँद से एक राक्षस, और देवी माई ने, उसका भी,...
और माँ बोलती भी थी, देखो आते है सब लोग देवी माई के पास तो कैसे कह सकते हैं की लड़की, औरत कमजोर होती है,
सुबह मैं उठती थी, माँ को देखती थी तो,... बस देवी माई याद आती
Last edited: