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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Shetan

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खुसखबरी



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मेरी भी आँख लग गयी,

एक घडी मैं सोई होउंगी मुश्किल से और जब नींद खुली तो रात ने अपने कदम समेटने शुरू कर दिए थे।


आसमान जो गाढ़ी नीली स्याही से पुता लगता था अब स्लेटी हो गया था, पेड़ जो सिर्फ छाया लग रहे थे वो थोड़ा बहुत दिखने लगे थे, लेकिन भोर होने में अभी भी टाइम था,


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तभी कुछ आहट सी हुयी, दरवाजा खुलने बंद होने की, और मुझे याद आया आज भोर होने के पहले करीब चार बजे ही इन्हे खेत पे जाना था, गेंहू की कटनी की तैयारी के लिए अभी हफ्ता दस दिन बाकी था कटनी शुरू होने में और कटनी तो एक पहर रात रहते शुरू हो जाती,


मैंने निकल के दरवाजा बंद किया और सीधे ननद के कमरे में।


ननद थेथर पड़ी थी।


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हिलने को कौन कहे, आँख खोलने की ताकत नहीं लग रही थी, मेरे मर्द ने आज अपनी बहिनिया को कुचल के रख दिया था, जाँघों पर, मेरे मरद के वीर्य के थक्के पड़े थे, बुर से अभी भी बूँद बूँद कर मलाई रिस रही थी।


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मैंने उनका हाथ पकड़ के सहारा देकर उठाया, उनकी मुस्कराती आँखों ने मेरे बिन पूछे सवाल को समझ लिया था, बुदबुदाते बोलीं,

' पूरे पांच बार, हिला नहीं जा रहा है "


नीचे पड़ी साडी उठा के बस अपने बदन पे उन्होंने डाल लिया, लेकिन अबकी उन्होंने जो अपनी दीये जैसे बड़ी बड़ी आँखों को उठा के देखा मैं उनका डर समझ गयी, बस हाथ दबा के, अपनी ओर दुबका के मैंने बिस्वास दिलाया, बिन कहे,


' होलिका माई की बात याद रखिये बस'

कुछ देर में हम लोग कच्चे आंगन में जहाँ पांच दिन पहले रात में मैंने ननद ने बच्चे वाली पट्टी से चेक किया था, साथ साथ मूत के, दोनों की एक लाइन, न मैं गाभिन न वो। आज फिर उकडू मुकड़ू हम दोनों बैठ गए, जाँघे फैला के, ननद के जाँघों के बीच मैंने गुदगुदी लगाई, और छेड़ा,

" अरे मूता कस के, रोकी काहें हो "


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पहले तो एक दो बूँद, फिर तेज धार, अब ननद चाह के भी रोक नहीं सकती थीं,

बस मैंने उस जांच वाली पट्टी को, जैसे आशा बहु ने समझाया था सीधे मूत की धार में, और फिर हटा लिया, और मैं भी ननद के साथ

जब हम दोनों उठे, तो बड़ी देर तक मैं वो जांच पट्टी हाथ में लिए देवता पित्तर, होलिका माई की दुहाई, फिर खोल के देखा, दो लाइन लग तो रही थी,

ननद परेशान का हुआ, लेकिन आंगन के उस कोने में अँधेरा सा था, जिधर रौशनी थी, हम दोनों उधर आये,

भोर बस हुआ चाहती थी, हलकी सफेदी सी लग रही थी, एकाध चिड़िया चिंगुर बोलने लगे थे,

ननद को मैंने दूर कर दिया और अब साफ़ साफ़ देखा,

पक्का दो लाइन,


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मेरी मुस्कान से ही वो समझ गयीं, एक बार पूरब मुंह हो के मैंने हाथ जोड़ा और दौड़ के ननद को बाँहों में भर लिया और वो मारे ख़ुशी के चिल्लाई,


" भौजी, हमार भौजी.... "
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ख़ुशी के मारे न मुझसे बोला जा रहा था न मेरी ननद से, जैसे छोटे छोटे बच्चे आंगन में बादल आने पर गोल गोल घूमते हैं हाथ फैला के, गोल गोल चक्कर काटते हुए बस हम दोनों ननद भौजाई, उसी तरह

फिर मैंने अपनी ननद को बाहों में भर लिया, क्या कोई मर्द किसी औरत को दबोचता होगा, और कस कस के उनको चूमते, होंठों को चूसते बोली,

" मिठाई खाउंगी, पेट भर, "


" एकदम खियाइब लेकिन तबतक नमकीन खारा ही, "

सच में पक्की बदमाश ननद, और मेरा सर खींच के अपनी जाँघों के बीच, जहां अभी भी, लेकिन कौन भौजाई ननद क रसमलाई छोड़ती है, जो मैं छोड़ती, बस बिना ये सोचे की वहां अभी,

कस कस के चूसने चाटने लगी, और फिर दोनों फांको को फैला के ननद की चूत से बोली,

" अरे चूत महरानी, आपकी जय हो, जउन बढ़िया खबर आप दिहु, जउने चूत में हमरे मरद क लंड गपागप गया, जेकर मलाई खाऊ, ओहि चूत में से नौ महीने के बाद अँजोरिया अस गोर गोर बिटिया हो, खूब सुन्दर "


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नन्द मेरी बात सुन के खिलखिला रही थीं, हंस रही थीं, लेकिन हँसते खिलखिलाते आगे की बात मेरी ननद ने ही पूरी की,

" और ओह बिटिया की चूत में हमरे भाई क,हमरे भौजाई के मरद क लंड गपागप सटासट जाए "

और मैंने नन्द को अँकवार में लेटे लेटे ही भेंट लिया।



थोड़ी देर में हम दोनों बोलने लायक हुए तो उसी हालत में लथर पथर,... सास के सामने हम दोनों,

हम दोनों को देख के वो समझ गयीं खुशखबरी, उनके चेहरे की चमक मुस्कान रुक नहीं रही थी, उन्होंने हाथ बढ़ाया और मेरी ननद उनकी बाहों में

देर तक माँ बेटी भेंटती रही, न बेटी बोली न माँ, बस माँ कभी बेटी के खुले बालों पे हाथ फेरतीं, कभी पीठ सहलातीं, फिर उन्होंने मेरी ओर हाथ बढ़ाया,



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लेकिन मैंने मना कर दिया, " आज आपकी बात नहीं मानूंगी "

उन्होंने मेरे गौने उतरने के अगले दिन ही मना कर दिया था की मैं उनके गोड़ न छूउ, वो मुझे बेटी की तरह ले आयी हैं।



घूंघट माथे से नीचे लाकर, दोनों हाथों से आँचल पकड़ के माथे को सास के दोनों पैरों पर लगाकर पांच बार मैंने सास के पैर छुए और बस यही मन में मांग रही थी,

" मेरी ननद खुश रहे, नौ महीने में बिटिया ठीक से हो अच्छे से हो, किसी की नजर न लगे हमरे ननद के सुख पे "
Wah komalji wah. Erotic lady cuckold ehsas to aap hi deti ho. Jo muje kisi bhi kahani me nahi milta. Aur to ye me khud ki story me bhi likhne ki bahot kosis kar chuki hu. Par ye likhna mere bhi bas ki nahi hai. Kabhi kabhi me ye likhne ke lie aap ki story se kuchh ehsas chura leti hu. Chhutki ki kahani ka train vala seen aaj tak nahi bhuli.

Unko hath dekar khada kiya. Nandiya ka sharmate mushkurana aur smaile karte batana 5 bar. Nadiya ki suji chut ko gudgudana aur erotic ward muta kash ke.
Nadiya ka pahele sisakte 2 bund fir tez dhar se nutna. Amezing erotic ehsas

Wah maza aa gaya. Holika mai ke sath bhabhi devi ka ashirwad Kamyab huaa. Apne marad ke khute ka jadu aur bhai chudi nadiya ka pregnancy kit me jadui nishan ban gaya. Nadiya bhai chudi apne bhai se gambhin ho gai.

Bhabhi mithai to pet bhar khaungi nahi nadiya ko bolo ki bhabhi devi par mithai prasad chadhae. Bhog lagega.

Amezing ehsas. Dill khush ho gaya. Khushi ke mouke par nandiya ki chinat chut manthan. Sahi kaha. Kon bhoujai nandiya ki chut ki ras malai chhodti hai. Upar se vo malai apne marad ki ho to. Aur dialogue to jan leva tha.

" अरे चूत महरानी, आपकी जय हो, जउन बढ़िया खबर आप दिहु, जउने चूत में हमरे मरद क लंड गपागप गया, जेकर मलाई खाऊ, ओहि चूत में से नौ महीने के बाद अँजोरिया अस गोर गोर बिटिया हो, खूब सुन्दर "

Aur nandiya sang sas ke samne romance. Love it. Aap to jadugar ho. Kisi kahani me to nandiya ko sabakh sikha diya. Aur kabhi prem varsha. Nadiya hi nahi uske beti bhi chu...

Ab sasu maa ki bari. Dekh lo sasu maa. Tumhare bete ka jadu. Kahi tumko bhi pet se kar ke ek aur meri nandiya na nikal de.


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होलिका माई का स्थान,


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सास ने मुझे पकड़ के उठाया और गले लगाया, फिर हम दोनों को हड़काते समझाते बोलीं,

" अच्छा अब चलो, जल्दी से ननद भौजाई नहा धो के तैयार हो के, भोरे मुंह, पहले होलिका माई के स्थान पे, फिर सत्ती माई क चौरा और दोपहरिया क जाके देवी माई के यहाँ मिठाई चढ़ा के, और सांझी के हम बरम बाबा के हलवा पूड़ी चढ़ा के आइब "

हम ननद भौजाई हँसते बिहँसते जैसे ही कमरे से बाहर ही निकल रहे थे की सास ने फिर टोका,

" और एक बात, आज से ही सोहर जिन गावे लगा "( सोहर - बच्चे के जन्म पर गाये जाना वाला गीत )
ननद मेरी खूब तैयार हो के, लाल रंग की चूनर, पैरों में कड़ा छडा हजार घूंघर वाली पाजेब, हंसती बिहँसती, और उनकी ख़ुशी में सब चिड़िया ऐसे चहचहा रही थीं, पेड़ ऐसे झूम रहे थे, जैसे सास ने हम दोनों को तो अभी से सोहर गाने को मना किया था,... पर प्रकृति पर किसकी पाबंदी चलती है।

भोर बस हुआ चाहती थी।

रात की काली चादर हटा के उषा भी जल्दी जल्दी अपने पैरों में महावर लगा के, पायल झमकाती, आसमान के आंगन में उतरने की तैयारी कर रही थी।


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और हम ननद भौजाई तेज कदम बढ़ाते, हम दोनों के कदम आज जमीन पर पड़ नहीं रहे थे, ननद ऐसी खुश की जैसे दुनिया की पहली औरत हों जो गाभिन हुयी हो, और उनकी ख़ुशी छलक के मुझे भी भीगा रही थी।



और उस ख़ुशी कब हम दोनों घर से निकले कब होलिका माई के स्थान पहुँच गए, पता ही नहीं चला।

एकदम घना, खूब बड़ा पुराना आम का एक पेड़ उसके नीचे जैसे अपने मिटटी इकट्ठी हो के थोड़ी ऊँची जगह, जहाँ बैठ के होलिका माई, बरस फल बताती थीं, आशीष देती थीं। आम के पुराने पेड़ के बगल में जैसे यार दोस्त हों पुराने महुआ और पाकड़ के पेड़, थोड़ी ही देर पर एक खूब बुजुर्ग बरगद का पेड़, और हम दोनों बस उकंडु मुकड़ू बैठ गए, ननद हंसती बिहँसती।

यहाँ कभी कुछ चढ़ाया नहीं जाता, माई के घर कोई मिठाई ले के जाता है क्या ?

बस मनभर बतिया लो, दुःख सुख कह लो, वो भी अक्सर बिना बोले। माई के आगे बिटिया को, खास तौर से ससुरातिन बिटिया को कुछ बोलना नहीं पड़ता, माई चेहरा देख के सुख दुःख समझ जाती है।

ननद तो गाँव की बिटिया, माई क दुलारी, उस दिन ही गोद में बैठा के माई ने कैसे उनको दुलराया था, गाल सहलाया था, कोख पे हाथ रख के बता दिया था जल्द ही भरेगी ये,



इसलिए मेरी सास ने बोला था सबसे पहले होलिका माई का स्थान,


लेकिन मैं आज एकदम गाँव की बहू, हल्का सा घूँघट, और अंचरा हाथ में लेके बार बार माई का गोड़ छू रही थी, मेरी इच्छा आँख से आंसू बनकर निकल रही थी, माई के गोड़ धो रही थी,

' हमरे ननद को कुछ न हो, उसकी कोख हरदम हरी रहे, उसकी कोख को कुछ न हो, नौवें महीने सोहर हो, घर परिवार उनका बढे, खुस रहे'

हम जब उठे, तो भरहरा कर आम के बौर, गिरने लगे उसी पेड़ से और बिहँसती ननद ने अंचरा फैला के रोप लिया, एक एक बौर,।

उस पेड़ के बौर गाँव में सबसे पहले लगते हैं सबसे देर तक रहते हैं, लेकिन मजाल है की कभी कोई गिरे, हाँ जिस दिन होलिका माई आती हैं उस दिन की बात अलग है, पर आज, होलिका माई का आसीर्बाद, संदेस,


मैं हूँ न, कुछ नहीं होगा मेरी बिटिया को,

और ननद से ज्यादा मैं मुस्करा रही थी उन बौरों के मतलब का अंदाजा लगा के,


कोख हरदम हरी रहे, मतलब एक बिटिया निकले और दूसरी का नंबर लगे,
Bilkul sahi. Ab sidha holika mai ko pujna bhi jaruri hai. Unke ashirwad se hi to nandiya chhinar chudakad bitiya janegi. Tabhi to marad bahen chod se bhanji/beti chod banega.

Dono mai ko pujna jaruri hai. Prasad ka chadhava aur ashirvad bana rahe. Nadiya taiyar ho gai. Par sasu maa ne sohar gane ko kyo mana ki.
Sayad najar na lag jae ya kisi ko ashli bap par shak na ho pata nahi. Lekin sasu maa purana chaval hai. Unki bat man ni padegi vahi sahi rahega.

Khushi to hogi esi jese duniya ki paheli aurat gambhin hui ho. Ab nadiya to paheli bar hui. Lekin komaliya ki khushi bhi is lie kyo ki nandiya chhinar ka pet fulvale ke lie konaliya ne kitne papad bele. Pati ke khute par nadiya ko chhadvaya. Nandoi ko sambhala. Sasu maa ko sambhala. Kitni puja archna. Ek anokha khushi dene vala ehsas.

Chalo pujan bhi achhe se ho gaya. Bahot maza aa raha hai. Ye thoda aur bada likhti to aur maza aata. Muje gav ki reet riti riwaj padhne me jyada maza aata hai. Ab beri Jane nadiya to fir uska number. Maza aa gaya komalji.

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सत्ती माई
सत्ती माई का चौरा थोड़ा दूर था, गाँव के सिवान के पास, जहाँ पठानटोला शुरू होता था एकदम वहीं, वहां भी एक छोटी सी बगिया थी उसी के बीच,

हमारी सास बताती हैं, उनके गौने उतरने के बहुत पहले की बात, उनकी सास ने बताया था, हमारी सास के अजिया ससुर और सुगना के ससुर, बाबू सूरजबली सिंह के बाप, गाँव वाले बोले की माई का चौरा कच्चा है उसको पक्का करवाने को, सूरजबली सिंह के पिता जी और बड़े सैय्यद, हिना के बाबा में बड़ी दोस्ती थी। बात सिर्फ इतनी थी की वो बगिया और जमीन पठानटोला में पड़ती थी, बड़े सैयद की,



वो दोनो लोग गए, बड़े सैयद, हिना के बाबा के पास, की गाँव के लोग चाहते हैं ये दोनों लोग करवा देंगे, बस जमीन बड़े सैय्यद की है इसलिए उनकी इजाजत,

" नहीं देंगे, ऊ का बोले, इजाजत, का कर लोगे, पठान क लाठी देखो हो, दोस्ती न होती, कोई और बोलता तो मार गोजी, मार गोजी, "

मारे गुस्से के बड़े सैयद का चेहरा लाल, और उनके गुस्से के आगे तो जिले का अंग्रेज कलेक्टर भी,



" क्यों दें, इजाजत " बड़ी मुश्किल से उनके मुंह से निकला फिर वो अपनी बोली में आ गए, ज्यादा देर खड़ी बोली में बात करने से मुंह दर्द करने लगता था,

" तू दोनों से पहले पैदा हुए है, यहाँ गाँव क मट्टी हम जानते हैं, माना हम तो पैदायसी बुरबक है तो तुंहु दोनों क माथा खराब है, सत्ती माई खाली तोहार हैं का,... हम पहले पैदा हुए तोहसे, तो तोहसे पहले हमार हैं, अरे ये सोचा गाँव में ताउन पड़े, प्लेग हैजा हो तो खाली एक पट्टी में होगा दूसरी में नहीं होगा, सूखा पड़ेगा तो हमार खेत नहीं झुरायेगा, ....बचाता कौन है, माई न ? "

फिर बड़े सैयद ने अपना फैसला सुना दिया,

चौरा पक्का होगा, जैसा वो लोग चाहते हैं एकदम वैसा बल्कि उससे भी अच्छा, लेकिन बनायेंगे बड़े सैय्यद।

और तबसे सावन क पहली कढ़ाही, पठानटोले की औरतें चढाती हैं।



और मोहर्रम भी, दस दिन तक पूरे बाईसपुरवा में कोई शुभ काम, गाना बजाना सिंगार पटार, सब बंद, मैंने अपनी सास से पूछा भी तो थोड़ा प्यार से झिड़कते, थोड़ा समझाते बोलीं, " अरे घरे में मेहरारुन कुल सोग किये हों, बगल में,... गाना बजाना अच्छा लगता है का। "


सुबह हो रही थी, आसमान एकदम लाल था, सिंदूरी मेरी ननद के मांग ऐसा, बगल में पतली सी चांदी की हँसुली ऐसी नदी, वहां से साफ़ साफ़ दिखती थी। और झप्प से लाल लाल गोल सूरज नदी में से जैसे नहा के, जैसे कोई लड़का गेंद जोर से उछाल के फेंक दे, सूरज सीधे आसमान में,

हम दोनों ननद भौजाई ने अंचरा पकड़ के सूरज देवता को हाथ जोड़ा।


सुबह हो गयी थी।


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सत्ती माई का चौरा, खूब लीपा पोता, हम दोनों लोगो ने गोड़ छुआ, वहां भी ढेर सारे पेड़ों का झुरमुट, खूब घना , जगह जगह ईंटो के चूल्हे, कहीं कहीं चूल्हे की राख, कड़ाही चढाने के निशान,

मैंने अंचरा फैला कर, अपनी ओर ननद दोनों की ओर से मनौती मानी,



" माई नौवें महीना खुशबरी होई, सुन्नर सुन्नर बिटिया होई तो बरही के दिन पहले यही कड़ाही चढ़ाउंगी "


और जब मैंने सर ऊपर उठाया, तो उन पेड़ो से भी पुरानी, एक बूढी माई, बाल सारे सफ़ेद, भौंहों तक के, देह थोड़ी झुकी, कृशकाय, और दूध सी मुस्कान,



ननद के सर पर वो खूब दुलार से हाथ फेर रही थी, मुझे देख कर मुस्करायीं, तो मैंने फिर एक बार घूघंट थोड़ा सा नीचे खींचा, अंचरा से दोनों हाथ से उनके दोनों गोड़ पांच बार छुए, आँखे मेरी बंद लेकिन मुझे बहुत हल्की हलकी आवाज सुनाई दे रही थी

" कउनो परेशानी नहीं होगी, जउन किहु, एकदम ठीक, घरे क परेशानी से बचाने की पहली जिम्मेदारी बहू की, जउने दिन चौखट लांघी, बहू ही घर की चौखट, कउनो परेशानी घुसने नहीं देगी, हम हैं न "

लेकिन जब मैंने आँखे खोली तो वो एकदम नहीं बोल रही थी, खाली उनका हाथ मेरे सर को सहला रहा था।

फिर उन्होंने एक काला धागा निकाला, और बाँध वो ननद के गोरे गोरे हाथ पर रही थीं, लेकिन बोल मुझसे रही थीं,

" नौ महीने तक ये धागा ऐसे ही, कभी भी उतरना नहीं चाहिए, खाली तू , भौजाई इसको खोल सकती हो। बरही में जब कढ़ाही चढाने आना तो हमार धागा, हमें दे देना, कउनो परेशानी झांक भी नहीं सकती जब तक ये धागा बंधा रहेगा। "

मेरे मन में अभी भी ननद की सास की, साधू के आश्रम का डर था, हिम्मत कर के मेरे मुंह से बोल फूटे,



" लेकिन कोई जबरदस्ती करके,..”

"हाथ टूट जाएगा, ....भस्म हो जाएगा, ....अब चिंता जिन करा, नौ महीना बाद सोहर गावे क तैयारी करा, कउनो बाधा, बिघन नहीं पडेगा। "

मैंने और ननद जी दोनों ने आँख बंद कर के हाथ जोड़ लिया, और आँख खोला तो वहां कोई नहीं था, सिर्फ ननद रानी की गोरी गोरी बाहों पे वो काला धागा बंधा था,



जिधर पेड़ हिल रहे थे, जहाँ लग रहा था वहां से कोई गुजरा होगा, उधर हाथ फिर मैंने जोड़ लिए।

Wah pathan tola. Pahele padha to muje kuchh aur hi laga. Magar bat purana kissa.

Sasurji aur hina ke baba purane dost hai. Saiyad sab ko manana mushkil hai. Lekin fir bhi tiyar ho gae. Aur feshla suna diya. Saiyad sab ki taraf se pakka karwaya. Tab se pathan tole ki aurate sabse pahele pujti hai. Bhai chare ka shandar namuna. Amezing love it.

Kudarat ki lalimaa ho ya nandiya ke yovan ka varanan aap shadar karti ho. Maza aata hai ye sab padhne me. Mai se zoli felae ashiravad mang li. Aur maza aa gaya. Matlab bad ki aas pahele se. Pahele hi betiya man li.

माई नौवें महीना खुशबरी होई, सुन्नर सुन्नर बिटिया होई तो बरही के दिन पहले यही कड़ाही चढ़ाउंगी "

Budhi mai ki to nandiya bitiya lagegi na. Ashirvad raha. Wah. Amezing. Kala dhaga sath. Najar na lage. Buri bala se bachae. Kya feelings hai. Bahot maza aa raha hai. Love it.

Ha in sab me vo asram to bhul hi gai thi. Ab dar nahi. Jake nadiya ki nagin sas ko batana padega. Ab to 9 mahilne bad bas sohar ke geet hi gae jaenge.


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Shetan

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फागुन के दिन चार भाग २९ गुड्डी का प्लान पृष्ठ ३४३

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Komalji pahele to JKG ka number tha. Aap ne Fagun ke update de die??

Koi bat nahi. Muje to aap ki teeno story padhne me maza aata hai.

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Sutradhar

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वाह शैतान जी वाह

कहानी के साथ -
Wah pathan tola. Pahele padha to muje kuchh aur hi laga. Magar bat purana kissa.

Sasurji aur hina ke baba purane dost hai. Saiyad sab ko manana mushkil hai. Lekin fir bhi tiyar ho gae. Aur feshla suna diya. Saiyad sab ki taraf se pakka karwaya. Tab se pathan tole ki aurate sabse pahele pujti hai. Bhai chare ka shandar namuna. Amezing love it.

Kudarat ki lalimaa ho ya nandiya ke yovan ka varanan aap shadar karti ho. Maza aata hai ye sab padhne me. Mai se zoli felae ashiravad mang li. Aur maza aa gaya. Matlab bad ki aas pahele se. Pahele hi betiya man li.

माई नौवें महीना खुशबरी होई, सुन्नर सुन्नर बिटिया होई तो बरही के दिन पहले यही कड़ाही चढ़ाउंगी "

Budhi mai ki to nandiya bitiya lagegi na. Ashirvad raha. Wah. Amezing. Kala dhaga sath. Najar na lage. Buri bala se bachae. Kya feelings hai. Bahot maza aa raha hai. Love it.

Ha in sab me vo asram to bhul hi gai thi. Ab dar nahi. Jake nadiya ki nagin sas ko batana padega. Ab to 9 mahilne bad bas sohar ke geet hi gae jaenge.


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Wah pathan tola. Pahele padha to muje kuchh aur hi laga. Magar bat purana kissa.

Sasurji aur hina ke baba purane dost hai. Saiyad sab ko manana mushkil hai. Lekin fir bhi tiyar ho gae. Aur feshla suna diya. Saiyad sab ki taraf se pakka karwaya. Tab se pathan tole ki aurate sabse pahele pujti hai. Bhai chare ka shandar namuna. Amezing love it.

Kudarat ki lalimaa ho ya nandiya ke yovan ka varanan aap shadar karti ho. Maza aata hai ye sab padhne me. Mai se zoli felae ashiravad mang li. Aur maza aa gaya. Matlab bad ki aas pahele se. Pahele hi betiya man li.

माई नौवें महीना खुशबरी होई, सुन्नर सुन्नर बिटिया होई तो बरही के दिन पहले यही कड़ाही चढ़ाउंगी "

Budhi mai ki to nandiya bitiya lagegi na. Ashirvad raha. Wah. Amezing. Kala dhaga sath. Najar na lage. Buri bala se bachae. Kya feelings hai. Bahot maza aa raha hai. Love it.

Ha in sab me vo asram to bhul hi gai thi. Ab dar nahi. Jake nadiya ki nagin sas ko batana padega. Ab to 9 mahilne bad bas sohar ke geet hi gae jaenge.


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वाह शैतान जी वाह

कहानी के साथ - साथ आपके चित्रों की जुगलबंदी का तो क्या ही कहना।

आपका चित्र संग्रह और सम्यक प्रस्तुति लाजवाब है।

आपका हार्दिक आभार ।

सादर
 
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Shetan

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वाह शैतान जी वाह

कहानी के साथ -




वाह शैतान जी वाह

कहानी के साथ - साथ आपके चित्रों की जुगलबंदी का तो क्या ही कहना।

आपका चित्र संग्रह और सम्यक प्रस्तुति लाजवाब है।

आपका हार्दिक आभार ।

सादर
Meri puri kosis raheti hai ki Komalji ke mere jese sare readers entertain ho.

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