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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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Ye wala update bahut accha tha, keep updating
Thanks so much for enjoying and appreciating.

Thanks Thank You GIF by Lumi
 

komaalrani

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अरे मूता कस के, रोकी काहें हो...

गजब... komaalrani ... The greatest writer

कोई शब्द याद नहीं आ रहे आप कि तारीफ में...

लिखते रहिये... जय जय
अत्र कुशलं तत्रास्तु...
शब्द तो आपके चेरी हैं, लेकिन उनकी क्या जरूरत

आपकी उपस्थिति ही काफी है

बहुत बहुत आभार , मैंने कोशिश की है गाँव की माटी से जुड़े, पुरानी यादों की महक वाले अपडेट के लिए और आज बम्बई से जुड़ा कारपोरेट और आर्थिक दुनिया से भी जुड़ा अपडेट दिया है, जोरू का गुलाम में

हो सकेगा तो वहां भी आइये, और अपने कमेंट दीजिये
 

komaalrani

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बहुत बढ़िया कोमल जी. एक तो ननद के गभिन होने की खुशी और दूसरा इतना बढ़िया अपडेट देने के लिए आपको कोटि-कोटि बधाई। सास और बहू के बीच के रिश्ते का जो खांचा जो आपने बांधा है वो सच में आदर्श रिश्ते को दर्शाता है। सास का बहू की तरफ प्यार, उसकी प्राथमिकता का ख्याल सच में एक दुर्लभ लेकिन एक सुखद एहसास है. बहू का भी परिवार के प्रति समर्पण परिवार की इज्जत और कुर्बानी का जज्बा सच में सराहनीय है। जैसी कुछ पंक्तियाँ …फिर तो जिस घर की इज्जत को तोप ढांक के रखने का काम मेरा था…घर की इज्जत कच्ची मिटटी का घड़ा है और बहू का पहला काम है घर की इज्जत, घर का नाम…. सच में ऐसा देख और पढ़ के बहुत अच्छा लगता है. आप एक अद्भुत लेखिका हैं। जहां हमारी सोच का अंत होता है वहां से आप शुरू करती हैं। धन्य है आप और आपकी लेखनी
आपके कमेंट पर कमेंट देने में थोड़ा विलम्ब हुआ

लेकिन यह सायास था, ऐसे कमेंट बहुत बिरले ही मिलते हैं और ख़ास तौर पर ऐसी पोस्टों के लिखे जाने पर जब मन चाहे की कोई तो आके उन शब्दों की, वाक्यों की कीमत समझे, माटी से उठा के उसके पीछे के दर्द को भी देखे

और फिर जब मिलते हैं ऐसे कमेंट तो एक दो बार पढ़ने से मन नहीं भरता, लगता है चलिए हफ़्तों कमेंट नहीं आते, पढ़ने वाले भी नहीं रहे ज्यादा और जो रेगुलर कमेंट वाले मित्र थे वो भी जिंदगी की उलझनों को सुलझाने में लगे हैं या कही मेले में भटके हैं तो बस उसी कमेंट की थाती को पढ़ के सहेज के,

इसलिए थोड़ा वक्त लगा और सच में कहानी में कभी कभी दुःख की बात भी कहने का मन करता है। सुख के पल तो दुःख की गुदड़ी में लपेटे रहते हैं कभी उनकी चाहत में कभी उनके बारे में सोच के जाड़ा कट जाता है

आप ने अपने थ्रेड में लिखा था की आप व्यस्त हैं तो भी अगर कभी टाइम मिला तो जोरू के गुलाम की आज की और उस के पहले की दो तीन पोस्टों पर कभी नजर डाल लीजियेगा। कहानी जहाँ पिछले फोरम में छूटी थी अब उससे आगे बढ़ चुकी है और उससे भी बड़ी बात उस पक्ष के बारे में है जहाँ मैंने कभी नजर नहीं डाली और इस फोरम में भी उस पृष्ठभूमि पर कम ही लिखा गया होगा।

एक बार फिर से आभार
 
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