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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९६

ननद की सास, और सास का प्लान

Page 1005,


please read, enjoy and comment. your support is requested
 
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Nick107

Ishq kr..❤
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वाह .... क्या खूब लिखा है...
सारे अंगों की विशेषता बखान कर दी...
लगता है तस्वीर सामने उतार दी...
Thanks bhai saab🙏😊
 
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komaalrani

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Beautiful story
Thanks for gracing the thread, and nice compliments and please do read my other story, Joru Ka Gullam
 
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komaalrani

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Last Update is on page 113, please do read, enjoy, like and share your views.
 
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komaalrani

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एक बात पूछनी थी.....
ये 'हबड़ हबड़' सही है या 'हबड़ दबड़'
मेरे ख्याल से दोनों सही है, मैंने दोनों को सुना है लेकिन अलग अलग प्रसंग में,...

हबड़ दबड़ जा के बुला के ले आओ या हबड़ दबड़ का काम अच्छी नहीं होता.

और,

क्या हबड़ हबड़ खा रहे हो,...

जैसा मैंने पहले ही कहा था, गाँव गाँव पे पानी बदले और चार गाँव में बानी,...

और इनका, लोकोक्तियों का, लोकगीतों का रीत रिवाजों का प्रयोग मैं ग्रामीण आंचलिक परीवेश की पृष्ठभूमि को, और अधिक रेखांकित करने के लिए करती हूँ. और भाषा भी पात्रानुकूल ही करने का प्रयास करती हूँ,... और समय चरित्र की स्थिति के अनुसार,

जैसे मोहे रंग में सुहागरात, मिलन यामिनी की पहली रात के अलग अलग पोस्टों में एक मधुर गीत की कड़ियाँ शीर्षक के तौर पे प्रयुक्त की हैं,

रात पिया के संग जागी रे सखी ( पृष्ठ ३ -४ )

चैन पड़ा जो अंग लागी रे सखी ( पृष्ठ ४ )

गजरा सुहाना टूटा , ( पृष्ठ ४ )

आज सुहाग की रात , सुरज जिन उगिहौं ( एक प्रसिद्ध लोकगीत-सुहाग का - पृष्ठ ७ )

बीती विभावरी जाग रे ( जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कविता - पृष्ठ ७ )

तो बस,... ऐसे लिखने में मुझे लिखने का भी मजा आता है और रससिद्ध पढ़नेवालों को पढ़ने का भी,... इरोटिका या श्रृंगार के साहित्य का प्रयोजन ही उद्दीपन करना है,...


न तो मुझे लिखना आता है न मैं भाषाविद हूँ, बस आप सब का स्नेह आर्शीवाद है
 

komaalrani

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komaalrani

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Chandu to bhabhi ji
Teri chut ki gahraiya..
Teri gand🍑 ki golaiya..
Tere boobs ki uchaiya..
Nhi bhulunga mai.. jab tk hai jaan

Jab tk hai jaan


Wo kichad me tera balkhana..
Wo thoda mera sharmana..
Wo tera khud pr itrana..
aur mera ji lalcha jana..
nhi bhulunga mai.. jab tk hai jaan
jab tk hai jaan..


Teri galo ka wo rang gulabi..
Teri aankho ke wo jaam sharabi...
Teri kamar pr aate bal...
Tere Hontho💋 ki wo surikhiya..
nhi bhulunga mai.. jab tk hai jaan
jab tk hai jaan..
💋
VOW:applause::applause::applause::applause::applause::claps::claps::claps::claps::claps::claps::claps:


aap ne is kavita men vo kh diya jo main shayad ab tak khaani men pics, words aur gif mil ke nahi kah payi thi

Thanks soooooooooooooooo much🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 

motaalund

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मेरे ख्याल से दोनों सही है, मैंने दोनों को सुना है लेकिन अलग अलग प्रसंग में,...

हबड़ दबड़ जा के बुला के ले आओ या हबड़ दबड़ का काम अच्छी नहीं होता.

और,

क्या हबड़ हबड़ खा रहे हो,...

जैसा मैंने पहले ही कहा था, गाँव गाँव पे पानी बदले और चार गाँव में बानी,...

और इनका, लोकोक्तियों का, लोकगीतों का रीत रिवाजों का प्रयोग मैं ग्रामीण आंचलिक परीवेश की पृष्ठभूमि को, और अधिक रेखांकित करने के लिए करती हूँ. और भाषा भी पात्रानुकूल ही करने का प्रयास करती हूँ,... और समय चरित्र की स्थिति के अनुसार,

जैसे मोहे रंग में सुहागरात, मिलन यामिनी की पहली रात के अलग अलग पोस्टों में एक मधुर गीत की कड़ियाँ शीर्षक के तौर पे प्रयुक्त की हैं,

रात पिया के संग जागी रे सखी ( पृष्ठ ३ -४ )

चैन पड़ा जो अंग लागी रे सखी ( पृष्ठ ४ )

गजरा सुहाना टूटा , ( पृष्ठ ४ )

आज सुहाग की रात , सुरज जिन उगिहौं ( एक प्रसिद्ध लोकगीत-सुहाग का - पृष्ठ ७ )

बीती विभावरी जाग रे ( जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कविता - पृष्ठ ७ )

तो बस,... ऐसे लिखने में मुझे लिखने का भी मजा आता है और रससिद्ध पढ़नेवालों को पढ़ने का भी,... इरोटिका या श्रृंगार के साहित्य का प्रयोजन ही उद्दीपन करना है,...


न तो मुझे लिखना आता है न मैं भाषाविद हूँ, बस आप सब का स्नेह आर्शीवाद है
ओ... तो एक जाने के संदर्भ में है और एक खाने के संदर्भ में...

कृपया अन्यथा न लें...
ये केवल अपनी जानकारी और उत्सुकता वश पूछ लिया था...
आपसे क्षमाप्रार्थी हूँ अगर आपके दिल को ठेंस पहुँची हो तो....
 

motaalund

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मेरे ख्याल से दोनों सही है, मैंने दोनों को सुना है लेकिन अलग अलग प्रसंग में,...

हबड़ दबड़ जा के बुला के ले आओ या हबड़ दबड़ का काम अच्छी नहीं होता.

और,

क्या हबड़ हबड़ खा रहे हो,...

जैसा मैंने पहले ही कहा था, गाँव गाँव पे पानी बदले और चार गाँव में बानी,...

और इनका, लोकोक्तियों का, लोकगीतों का रीत रिवाजों का प्रयोग मैं ग्रामीण आंचलिक परीवेश की पृष्ठभूमि को, और अधिक रेखांकित करने के लिए करती हूँ. और भाषा भी पात्रानुकूल ही करने का प्रयास करती हूँ,... और समय चरित्र की स्थिति के अनुसार,

जैसे मोहे रंग में सुहागरात, मिलन यामिनी की पहली रात के अलग अलग पोस्टों में एक मधुर गीत की कड़ियाँ शीर्षक के तौर पे प्रयुक्त की हैं,

रात पिया के संग जागी रे सखी ( पृष्ठ ३ -४ )

चैन पड़ा जो अंग लागी रे सखी ( पृष्ठ ४ )

गजरा सुहाना टूटा , ( पृष्ठ ४ )

आज सुहाग की रात , सुरज जिन उगिहौं ( एक प्रसिद्ध लोकगीत-सुहाग का - पृष्ठ ७ )

बीती विभावरी जाग रे ( जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कविता - पृष्ठ ७ )

तो बस,... ऐसे लिखने में मुझे लिखने का भी मजा आता है और रससिद्ध पढ़नेवालों को पढ़ने का भी,... इरोटिका या श्रृंगार के साहित्य का प्रयोजन ही उद्दीपन करना है,...


न तो मुझे लिखना आता है न मैं भाषाविद हूँ, बस आप सब का स्नेह आर्शीवाद है
मेरा भी यही मानना है कि डाय्लोग्स जिस तरह बोले गए हों(stammering or else) या जिस परिवेश(ग्रामीण, शहरी) या क्षेत्र(उदाहरण - मुम्बईया या हरियाणवी, भोजपुरी या पंजाबी)
कहानी में उसका निरूपण वैसे हीं होना चाहिए...
मैं पहले हीं कह चुका हूँ कि आप उत्कृष्ट ज्ञान का भंडार हैं...
आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है....
और जहाँ कहीं संदेह होता है आपसे बारीक अंतर समझने का प्रयास करता हूँ....
 
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